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संतोस का सुख | August 2014 | अक्रम एक्सप्रेस"बालमित्रों, “मुझे आज कॅडबरी खाने की इच्छा हो रही है।””इसकी घड़ी कितनी अच्छी है! मुझे भी ऐसी ही चाहिए।””मुझे यह नहीं मिल रहा है इसलिए मुझे बिल्कुल भी चैन नहीं पड़ रहा है।” ओहोहो! हमारे पास है उसका संतोष नहीं होने की वजह से हम आनंद में नहीं रह पाते। तो आईए, इस अंक में हम “इच्छा” का विज्ञान समझें। इसका स्वरूप और इसके परिणाम व साथ ही “संतोष” की तरफ कैसे जाएँ? आदि की सुंदर समझ परम पूज्य दादाश्री ने इस अंक में दी है। "
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