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    ा ापको ंने की च च दौड़, सुई म डाला धागा सांची िव िव ालय म िश क िदवस समारोह

    िश को ंने साझा िकए अपने छा जीवन के ख े-मीठे अनुभव िश को ंने िलया खेलो ंका लु , छा ो ंने जाना आ ानुशासन का मह छा ो ंने की किवताओ,ं नाटको ंऔर माइम की ुित सीिनयर छा ो ंने िकया नए छा ो ंका अिभनंदन

    सांची बौ -भारतीय ान अ यन िव िव ालय म िश क िदवस पर सभी िवभागो ं के छा ो ंने िविभ सां ृ ितक और मनोरंजक काय म आयोिजत िकए। छा ो ंने िश को ंके स ान के साथ कई छोटे-छोटे इंडोर गे भी आयोिजत िकए िजनका गु जनो ंने जमकर लु उठाया। छा ो ं ने िश को ं से उनके छा जीवन के ख े -मीठे अनुभव भी सुने। टीचरो ं ने ैक बोड पर आंख बंद कर िनशाना बनाना, पानी भरे कटोरे म ा क की बॉल फकने और च च रेस का भी मज़ा लूटा।

    िश क िदवस पर िव िव ालय के कुलसिचव ी अिदित कुमार ि पाठी ने छा ो ं को आ ानुशािसत बनने की सीख दी। उ ोने कहा िक सांची िव िव ालय का उ े िव के सम दशनो ंका भारतीय प र े म अ यन कराना है चाहे वो ईसाई दशन हो, इ ाम का दशन हो, य दी दशन हो या िफर कोई भी वैि क दशन। ी ि पाठी ने कहा िक िव ा अ ास से आती है और िव िव ालय के छा , िश क, कमचारी िमलकर अपने आ ानुशासन और अ यन से िव िव ालय को िव रीय बनाएंगे।

    छा ो ंने “परी ा हो गई”िवषय पर एक मूक ना ुित भी दी िजसे सबने खूब सराहा। नकल को हा के अंदाज म दिशत करती ुित पर सभी ने जमकर तािलयां बजाईं।कई िश को ंने अपनी गायन ितभा को भी मंच पर ुत िकया। छा ो ं ारा िकए गए इस आयोजन म बौ दशन के छा कमलेश ने कहा िक म िमलावट, िदखावट, बनावट और सजावट नही ं होने चािहए। कुछ छा ाओ ं ने अपनी यं ारा िल खत किवताएं भी मंच पर ुत की।ं िव िव ालय के एम.िफल और पी.एच.डी के सीिनयर छा ो ंने इस अकादिमक स 2019-20 म एडिमशन लेने वाले छा ो ंको स ानपूव िग भी िदए। इंिडयन पिटंग िवभाग की ओर से सभी

    ा ापको ंको िवभाग की छा ा ारा तैयार िकया गया एक ृित िच भी भट िकया गया।

    योग िवभाग के छा ो ं ारा एक माइम ुित म दशाया गया िक कैसे िबगड़े ए छा अपने छा जीवन म िश क की बात नही ंमानते और भिव म सफल नही ंहो पाते और शराबी बन जाते ह। छा ा नेहा सैनी ारा एक डॉ ूमटी भी ुत की गई।

    भारतीय दशन िवभाग के सहायक ा ापक डॉ नवीन दीि त ने डॉ. राधाकृ न ारा दशन के े म िकए गए काय के िवषय म बताया। डीन डॉ नवीन मेहता ने अपने बॉलीवुड िफ के िलए यं ारा िलखे एक गीत की कुछ पं यो ंको ुत िकया।

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    मु बोध, धूिमल और नागाजुन के मा म से लोकतं का िज़ , सांची िविव म ा ान

    सांची बौ भारतीय- ान अ यन िव िव ालय म िविश ा ान ह रिसंह गौर क ीय िव िव ालय की िहंदी की ो. चंदा बेन का ा ान किवताओ ंके मा म से समझाया ड जातं का वा िवक अथ

    सांची बौ -भारतीय ान अ यन िव िव ालय म डॉ. ह र िसंह गौर क ीय िव िव ालय,सागर की िहंदी िवभाग की ोफेसर चंदा बेन का िवशेष ा ान आ। रायसेन के बारला अकादिमक प रसर म “समकालीन किवता और

    लोकतं ” िवषय पर उ ोनें 1960 के बाद की किवताओ ंके दौर का िज़ िकया। रघुवीर सहाय, नागाजुन, धूिमल, भवानी साद िम , माखनलाल चतुवदी और मु बोध का िवशेष प से िज़ िकया और इन किवयो ंकी किवताओ ंके मा म से लोकतं का वा िवक अथ बताया।

    उ ोनें कहा िक उस दौर के सािह कार अपनी ता ािलक प र थितयो ं जैसे- आपातकाल और तं ता युगीन चेतना का िज़ कर रहे थे। उ ोने बताया िक एक दौर म माखनलाल चतुवदी तं ता चेतना से प रपूण किवताएं िलख रहे थे, जबिक 1962 के बाद उनकी किवताओ ंका भाव उलाहनावादी हो गया था।

    सांची िव िव ालय के पी.एच.डी, एम. िफल और एमए छा ो ंसे ो. चंदा बेन ने मु बोध के बारे म बताया। उ ोने दलील दी िक मु बोध की रचना जातं के सही मायनो ंको समझाते ए चलती है और मु बोध का कहना था िक पंूजीवाद मनु का भला उस तरह से नही ंकर सकता िजस तरह से मनु की भलाई होनी चािहए।

    उ ोनें छा ो ंको बताया िक “भूल-गलती” किवता के मा म से मु बोध ने उस समय के जातं की स ाई को िदखाने का यास िकया था। उनका कहना था िक किव नागाजुन भारतीय जातं और आपातकाल के बीच की किड़यो ंको अपनी किवता का िवषय व ु बनाते थे। “व ण के बेटे”, “रितनाथ की चाची” आपातकालीन दौर की कालजयी किवताएं ह।

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    गांधी जी की 150वी ंवषगांठ पर आयोजन

    ‘प र थयो ंसे सीखते और स को ीकारते थे गांधीʼ सांची बौ िव िव ालय म महा ा गांधी पर िवशेष ा ान "आज भी ासंिगक ह गांधी" व र सािह कार गोिवंद िम ने की छा ो ंसे प रचचा “ यं का सा ा ार कर तभी सफल होगें” “अपने ित पूरी तरह ईमानदार थे गांधी जी” “रेल या ा के ज़ रए भारत को खोजा था गांधी ने”

    रा िपता महा ा गांधी की 150वी ंवषगांठ के मौके पर सांची बौ - भारतीय ान अ यन िव िव ालय म एक िविश ा ान आयोिजत िकया गया। गांधीवादी िवचारक और सािह कार ी गोिवंद िम ने बारला अकादिमक प रसर म िदए गए ा ान म गांधी जी के के कई अनछुए पहलुओ ं पर काश डाला। “भारत के िचरंतन मू और महा ा गांधी” िवषय पर बोलते ए ी गोिवंद िम ने गांधी जी के के आलो ा क पहलुओ ंपर भी बात की। उ ोनें कहा िक गांधी जी यं के सबसे बड़े आलोचक थे और वे कभी भी अपने को बड़ा िवचारक नही ं मानते थे। उनके इस गुण के कारण उनके िवरोिधयो ं के िलए भी गांधी जी अप रहाय थे। यही वजह है िक पूरा िव उ आज भी ासंिगक मान रहा है।

    उ ोनें कहा िक 23 िसतंबर को ूयॉक म चल रही संयु रा “ ाइमेट ए न सिमट” और अमे रकी कॉ ेस म जब 16 साल की ीडन मूल की लड़की ेटा थनबग ने जलवायु प रवतन पर ललकारा औऱ दुिनया के लोगो ंसे पूछा िक उ ा अिधकार है िक वे पयावरण को ित प ंचाकर उसकी उ के ब ो ंके भिव को खतरे म डाल रहे ह, तब उ गांधी जी याद आए।

    ी गोिवंद िम ने बताया िक 1905 म िलखी अपनी पु क “िहंद राज” म गांधी जी ने कृित, ाम, शहरीकरण का िवरोध, पि मीकरण का िवरोध इ ािद पर ज़ोर िदया था। िजसकी अहिमयत आज हम समझ आ रही है जब हमारे शहर रहने लायक नही ंबचे ह, अ िधक गम -बाढ़ हम नुकसान प ंचा रही है और पूरे िव म

    ाकृितक असंतुलन पैदा हो गया है।

    ी गोिवंद िम ने कहा िक गांधी जी सदैव अप रगृह पर ज़ोर देते थे यानी चीज़ो ं को इक ा न करना। लेिकन आज ऐसा है िक कुछ प रवारो ंम ेक सद के पास AC कार ह जबिक पूरे प रवार का एक कार से काम चल सकता था। इस तरह से पेटोल जलाकर, AC चलाकर कृित को भी नुकसान प ंचाया गया और अब हम कारो ंकी िब ी घटने पर भी िचंितत हो रहे ह।

    छा ो ंको संबोिधत करते ए ी गोिवंद िम ने कहा िक अगर आप पूरी ईमानदारी से अपना यं का सा ा ार करते रहगे िजस तरह गांधी जी करते थे तो आप सफल होगें। उ ोनें कहा िक गांधी जी अपने ित पूरी तरह ईमानदार थे।

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    ी गोिवंद िम ने कहा िक गांधी जी अपनी आ कथा म पूरी ईमानदारी से ये ीकारते ह िक िपछले तीस साल के अपने जीवन म(1918 से 1948 तक) वे ानुभूित के िलए यास करते रहे, ई र से सा ा ार के िलए आतुर रहे और मो ा है तलाश करते रहे।

    उ ोनें कहा िक गांधी जी के जीवन का अ यन यह बताता है िक वे अपने पूरे जीवन िवकिसत होता थे, वे सीखते रहे, अपना िनमाण करते रहे.....वे कभी भी मूल(original) नही ं रहे यानी प र थितयो ं से

    सीखते थे, स को ीकारते थे और उसे अपने म, अपने जीवन म ढाल लेते थे। उ ोनें भारत के िचरंतन मू यो ंको अपना िलया था।

    ी गोिवंद िम का कहना था िक गांधी जी ने िहंदु के सही मूल को सदैव ुत िकया। उ ोनें कहा िक गांधी जी ने आम लोगो ंके बीच जाकर उस दौर के आम िवशु से समझा िक वो धम को कैसे अपने जीवन म जीता है। ी गोिवंद िम का कहना था िक गांधी जी रामच रत मानस और गीता के सार को अपने जीवन म ुत करते थे िक- “ऐसा कोई भी काय न कर िजससे दूसरो ंको क हो” और “परोपकार से बड़ा कोई धम नही ंहै”। उ ोनें कहा िक दि ण अ ीका से वािपस लौटने के बाद जब गांधी जी ने टेन के ज़ रए पूरे भारत की या ा की तो सही मायनो ंम उ ोनें “भारत की खोज” की।

    सांची िव िव ालय म आयोिजत िकए गए इस िवशेष ा ान म अं ेज़ी िवभाग के ो. ओ.पी बुधोिलया ने मह ा गांधी के सिह ुता के िस ांत का िज़ िकया।

    अपने िविश ा ान और प रचचा के बाद ी गोिवंद िम ने छा -छा ाओ ं से भट की और अपना कहानी सं ह “ ितिनिध कहािनयां” उ भट की।

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