Sabarmati ashram

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साबरमती आश्रम

साबरमती आश्रम

साबरमती आश्रम भारत के गुजरात राज्यअहमदाबाद जजले के प्रशासनिक कें द्र अहमदाबादके समीप साबरमती िदी के ककिारे जथित है।सत्याग्रह आश्रम की थिापिा सि ् 1917 मेंअहमदाबाद के कोचरब िामक थिाि में महात्मागाांधी द्वारा हुई िी। सि ् 1957 में यह आश्रमसाबरमती िदी के ककिारे वततमाि थिाि परथिािाांतररत हुआ और तब से साबरमती आश्रमकहलािे लगा। आश्रम के वततमाि थिाि केसांबांध में इनतहासकारों का मत है कक पौराणिकदधीचच ऋषि का आश्रम भी यही पर िा।

स्थिततआश्रम वकृ्षों की शीतल छाया में जथित है। यहााँ कीसादगी एवां शाांनत देखकर आश्चयतचककत रह जािा पड़ताहै। आश्रम की एक ओर सेंट्रल जेल और दसूरी ओरदधेुश्वर श्मशाि है।

इततहासआश्रम से प्रारांभ में निवास के ललये कैिवास के खेमे और टीि से छाया हुआ रसोईघर िा। सि ्1917 के अांत में यहााँ के निवालसयों की कुल सांख्या 40 िी। आश्रम का जीवि गाांधी जी के सत्य, अहहांसा आत्मससांयम, षवराग एवां समािता के लसद्धाांतों पर आधाररत महाि प्रयोग िा और यह जीवि उस सामाजजक, आचितक एवां राजिीनतक क्ाांनत का, जो महात्मा जी के मजथतष्क में िी, प्रतीक िा।साबरमती आश्रम सामुदानयक जीवि को, जो भारतीय जिता के जीवि से सादृय रखता है, षवकलसत करिे की प्रयोगाशाला कहा जा सकता िा। इस आश्रम में षवलभन्ि धमातवलबबयों में एकता थिाषपत करिे, चखात, खादी एवां ग्रामोद्योग द्वारा जिता की आचितक जथिनत सुधारिे और अहहांसात्मक असहयोग या सत्याग्रह के द्वारा जिता में थवतांत्रता की भाविा जाग्रत करिे के प्रयोग ककए गए। आश्रम भारतीय जिता एवां भारतीय िेताओां के ललए पे्ररिाश्रोत तिा भारत के थवतांत्रता सांघित से सांबांचधत कायों का कें द्रबब ांद ुरहा है। कताई एवां बुिाई के साि-साि चखे के भागों का निमाति कायत भी धीरे-धीरे इस आश्रम में होिे लगा।आश्रम में रहते हुए ही गाांधी जी िे अहमदाबाद की लमलों में हुई हड़ताल का सफल सांचालि ककया। लमल माललक एवां कमतचाररयों के षववाद को सुलझािे के ललए गाांधी जी िे अिाि आरांभ कर हदया िा, जजसके प्रभाव से 21 हदिों से चल रही हड़ताल तीि हदिों के अिाि से ही समाप्त हो गई। इस सफलता के पचात ्गाांधी जी िे आश्रम में रहते हुए खेड़ा सत्याग्रह का सूत्रपात ककया। रालेट सलमनत की लसफारराों का षवरोध करिे के ललए गाांधी जी िे यहााँ तत्कालीि राष्ट्रीय िेताओां का एक सम्मेलि आयोजजत ककया और सभी उपजथित लोगों िे सत्याग्रह के प्रनतज्ञा पत्र हर हथताक्षर ककए।

साबरमती आश्रम में रहते हुए महात्मा गाांधी िे 2 माचत 1930 ई. को भारत केवाइसराय को एक पत्र ललखकर सूचचत ककया कक वह िौ हदिों का सषविय अवज्ञाआांदोलि आरांभ करिे जा रहे हैं। 12 माचत 1930 ई. को महात्मा गाांधी िे आश्रम केअन्य 78 व्यजततयों के साि िमक कािूि भांग करिे के ललए ऐनतहालसक दांडी यात्राकी। इसके बाद गाांधी जी भारत के थवतांत्र होिे तक यहााँ लौटकर िहीां आए। उपयुतततआांदोलि का दमि करिे के ललए सरकार िे आांदोलिकाररयों की सांपषि जब्त कर ली।आांदोलिकाररयों के प्रनत सहािुभूनत से पे्रररत होकर, गाांधी जी िे सरकार से साबरमतीआश्रम ले लेिे के ललए कहा पर सरकार िे ऐसा िहीां ककया, कफर भी गाांधी जी िेआश्रमवालसयों को आश्रम छोड़कर गुजरात के खेड़ा जजले के बीरसद के निकट रासग्राममें पैदल जाकर बसिे का परामात हदया, लेककि आश्रमवालसयों के आश्रम छोड़ देिे केपूवत 1 अगथत 1933 ईं. को सब चगरफ्तार कर ललए गए। महात्मा गाांधी िे इसआश्रम को भांग कर हदया। आश्रम कुछ काल तक जिशनू्य पड़ा रहा। बाद में यहनिितय ककया गया कक हररजिों तिा षपछड़े वगों के कल्याि के ललए लशक्षा एवां लशक्षासांबांधी सांथिाओां को चलाया जाए और इस कायत के ललए आश्रम को एक न्यास केअधीि कर हदया जाए।

राष्ट्रीय थमारकगाांधी जी की मतृ्यु के पचात ् उिकी थमनृत को निरांतर सुरक्षक्षत रखिे के उद्देय से एकराष्ट्रीय थमारक की थिापिा की गई। साबरमती आश्रम गाांधी जी के िेततृ्व के आरांभकाल से ही सांबांचधत है, अत: गाांधी-थमारक-निचध िामक सांगठि िे यह निितय ककया ककआश्रम के उि भविों को, जो गाांधी जी से सांबांचधत िे, सुरक्षक्षत रखा जाए। इसललए 1951ई. में साबरमती आश्रम सुरक्षा एवां थमनृत न्यास अजथतत्व में आया। उसी समय से यहन्यास महात्मा गाांधी के निवास, हृदयकुां ज, उपासिाभूलम िामक प्राितिाथिल और मगिनिवास की सुरक्षा के ललए कायत कर रहा है।हृदयकुां ज में गाांधी जी एवां कथतूरबा िे लगभग 12 विों तक निवास ककया िा। 10 मई1963 ई. को श्री जवाहरलाल िे हृदयकुां ज के समीप गाांधी थमनृत सांग्रहालय का उद्घाटिककया। इस सांग्रहालय में गाांधी जी के पत्र, फोटोग्राफ और अन्य दथतावेज रखे गए हैं।यांग इांडडया, िवजीवि तिा हररजि में प्रकालशत गाांधी जी के 400 लेखों की मूल प्रनतयााँ,बचपि से लेकर मतृ्यु तक के फोटोग्राफों का बहृत ् सांग्रह और भारत तिा षवदेशों मेंभ्रमि के समय हदए गए भाििों के 100 सांग्रह यहााँ प्रदलशतत ककए गए हैं। सांग्रहालय मेंपुथतकालय भी हैं, जजसमें साबरमती आश्रम की 4,000 तिा महादेव देसाई की 3,000पुथतकों का सांग्रह है। इस सांग्रहालय में महात्मा गाांधी द्वारा और उिको ललखे गए30,000 पत्रों की अिुक्मणिका है। इि पत्रों में कुछ तो मूल रूप में ही हैं और कुछ केमाइक्ोकफल्म सुरक्षक्षत रखे गए हैं।जब तक साबरमती आश्रम का दशति ि ककया जाए तब तक गुजरात या अहमदाबाद िगर की यात्रा अपूित ही रहती है। अब तक षवश्व के अिेक देशों के प्रधािों, राजिीनतज्ञों एवां षवलशष्ट व्यजततयों िे इस आश्रम के दशति ककए हैं।

तिवास थिािबापू जी िे आश्रम में 1915 से 1933 तक निवास ककया। जब वेसाबरमती में होते िे, तो एक छोटी सी कुहटया में रहते िे जजसेआज भी "ह्रदय-कुञ्ज" कहा जाता है। यह ऐनतहालसक दृजष्ट सेअमलू्य निचध है जहााँ उिका डथेक, खादी का कुतात, उिके पत्रआहद मौजदू हैं। "ह्रदय-कुञ्ज" के दाईं ओर "िजन्दिी" है। यह इससमय "अनतचि-कक्ष" है जहााँ देश और षवदेश से आए हुर अनतचिठहराए जाते िे। वहीां "षविोबा कुटीर" है जहााँ आचायत षविोबा भावेठहरे िे।यहााँ षवलभन्ि गनतषवचधयों के ललए कई कुटीर बिाए गए हैं, जो इस प्रकार हैं:हृदय क ुं जहृदय कुां ज िामक कुटीर आश्रम के बीचो बीच जथित है, इसकािामकरि काका साहब कालेकर िे ककया िा। 1919 से 1930 तकका समय गाांधी जी िे यहीां बबताया िा और उन्होंिे यहीां सेऐनतहालसक दाांडी यात्रा की शुरुआत की िी।

वविोबा-मीरा क टीरइसी आश्रम के एक हहथसे में षविोबा-मीरा कुटीर जथित है। यह वही जगह है, जहााँ1918 से 1921 के दौराि आचायत षविोबा भावे िे अपिे जीवि के कुछ महीिे बबताएिे। इसके अलावा गाांधी जी के आदशो से प्रभाषवत बिहटश युवती मेडलीि थलेड भी1925 से 1933 तक यहीां रहीां। गाांधी जी िे अपिी इस षप्रय लशष्या का िाम मीरारखा िा। इन्हीां दोिों शख्सीयतों के िाम पर इस कुटीर का िामकरि हुआ।प्रािथिा भूममआश्रम में रहिे वाले सभी सदथय प्रनतहदि सबुह-शाम प्राितिा भूलम में एकत्र होकरप्राितिा करते िे। यह प्राितिा भूलम गाांधी जी द्वारा ललए गए कई ऐनतहालसक निितयोंकी साक्षी रह चुकी है।िुंददिी अततथिगहृआश्रम के एक मुख्यद्वार से िोडी दरूी पर जथित है-गेथट हाउस िांहदिी। यहााँ देश केकई जािे-मािे थवतांत्रता सेिािी जसेै- पां॰ जवाहरलाल िेहरू, डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद,सी.राजगोपालाचारी, दीिबांधु एांड्रयूज और रवीांद्रिाि टैगोर आहद जब भी अहमदाबादआते िे तो यहीां ठहरते िे।

उद्योग मुंददरगाांधी जी िे हथतनिलमतत खादी के माध्यम से देश को आजादीहदलािे का सांकल्प ललया िा। उन्होंिे मािवीय श्रम कोआत्मनिभतरता और आत्मसम्माि का प्रतीक बिाया। यही वहजगह िी, जहाां गाांधी जी िे अपिे आचितक लसद्धाांतों कोव्यावहाररक रूप हदया। यहीां से चरखे द्वारा सतू कातकर खादीके वथत्र बिािे की शुरुआत की गई। देश के कोिे-कोिे से आिेवाले गाांधी जी के अियुायी इसी आश्रम में रहते िे और यहाांउन्हें चरखा चलािे और खादी के वथत्र बिािे का प्रलशक्षि हदयाजाता िा। आश्रम में उद्योग मांहदर की थिापिा 1918 मेंअहमदाबाद के टेतसटाइल लमल के कमतचाररयों की हड़ताल केदौराि की गई िी। इसके अलावा कथतूरबा की रसोई इस आश्रमके आकिति का मखु्य कें द्र है। यहााँ उिकी रसोई में इथतेमालककए जािे वाले चूल्हे, बततिों और अलमारी को देखा जा सकताहै।