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CULTURE OF RAJASTHAN

Culture of rajasthan

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CULTURE OF RAJASTHAN

गाथाओ ंमें राजस्थानी वेशभूषा का सुन्दर वर्णन ममलता है। स्री व पुरुष दोनों ही सुन्दर वेश धारर् करते हैं। लगभग सभी गाथाओ ंमें यह वर्णन ममलता है। मस्रयााँ कटि से नीचे घाघरा धारर् करती है, शरीर पर दक्षिर्ी चीर ओढ़ती है, वि पर आाँगी, जजसे राजस्थान में कांचली कहते हैं, यह आगे कुचों पर आ जाती है और पीछे पीठ पर डोरी से कसी जाती है।

राजस्थानी वेशभूषा में लहररये का महत्त्वपूर्ण स्थान है। श्रावर् के मास में ववशषे रुप से चाव से धारर् करती हैं - लहररये का रंग ननखरात है, मस्रयााँ इसे बहुत पुरुष वेशभूषा भी राजस्थान में बहुत रंगीली है। शीश पर "साफा' इसका रंग कसूमली गुलाबी, केसररया अथवा लहररया रंग का होता है। कटि में धोती और शरीर पर कसा हुआ वस्र। तेजाजी गाथा में इस वेशभूषा का वर्णन है

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प्राचीन काल में राजस्थान में जीववकोपाजणन की जस्थनतयां बहुत दरुूह और कटठन थी. पुरुषों को बेहतर कमाई के मलए नौकरी या व्यापार के मलए दसूरे प्रान्तों में बहुत दरू जाना होता था या फ़िर फौज की नोकरी में. यातायात व संचार के साधनों की कमी के आभाव में आना-जाना व संदेश भेजना भी कटठन था. एक प्रवास भी कई बार ३-४ वषण का हो जाता था. कभी कभी प्रवास के समय की लम्बाई सहनशजतत की सीमाएं पार कर देती थी, तब ववरह में तड़पती नारी मन की भावनाएं गीतों के बहाने फूि पड़ती थी. पुरूष भी इन गीतों में डूब कर पत्नी की ववयोग व्यथा अनुभव करते थे. इस तरह के राजस्थान में अनेक काव्य गीत प्रच प्रकि करने में सिम है. यह गीत प्रवासी समाज की भावनाओ ंके केन्र में रहा है.

कुरजां लोकगीत में कुरजां पिी का सन्देश वहन व नानयका-नायक ममलन टदल को छूने वाला है.प्रवासी मलत है. वीर्ा कैसेि द्वारा कुरजां राजस्थानी ववरह लोक गीत पर कैसेि जारी फकया है. यह ववरह गीत "कुरजां " ववयोग श्रगंार के गीत का काव्य सोष्ठव अनूठा है और धुनें भावों कोपिी (डमेोइसेल के्रन) को स्थानीय भाषा में कुरजां कहते हैंसूती ने आयो रे जजंाळ,सुपना रे बैरी झूठो तयों आयो रेकुरजां तू म्हारी बैनडी ए, सांभळ म्हारी बात,ढोला तरे् ओळमां भेजू ंथारे लार।कुरजां ए म्हारो भंवर ममला देनी ए।

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गणगौर राजस्थान का एक त्यौहार है जो चैत्र महीने की शतुल पि की तीज को आता है | इस टदन कुवांरी लड़फकयां एवं वववाटहत मटहलायें मशवजी (इसर जी) और पावणती जी (गौरी) की पूजा करती हैं | पूजा करते हुए दबू से पानी के छांिे

देते हुए गोर गोर गोमती गीत गाती हैं।

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