21
गीत 1:1 1 गीत 1:6 गीत 1 1 सुल मान का गीत। िमका का अपन मी क ित 2 मुझ को अपन मुख क चुबनो स ढक ल यो िक त रा म दाखमधु स भी उ˽म ह 3 रा नाम म यवान इ स उ˽म ह , और त री ग ध अभुत ह इसिलए कुमािरया तुझ स म करती ह 4 ह म राजा त मुझ अपन सग ल ल ! और हम कही द र भाग चल ! राजा मुझ अपन कमर म ल गया। पुष क ित यशल म की िया हम तुझ म आनिदत और मगन रह । हम त री बड़ाई करत ह यो िक त रा म दाखमधु स उ˽म ह इसिलए कुमािरया तुझ स म करती ह ी का वचन ियो क ित 5 ह यशल म की पुियो , म काली ह िकतु सुदर ह म त मान और सलमा क तब ओक स काली ह 6 मुझ मत घ र िक म िकतनी सा वली ह रज न मुझ िकतना काला कर िदया ह

श्रगीते 1 - World English Bible · दोपहर में उन्हें कहाँ िबठाया करता है मझेु ऐसी एक

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  • श्रे गीत 1:1 1 श्रे गीत 1:6

    श्रे गीत1

    1सलुमैान का श्रे गीत।प्रिेमका का अपने प्रमेी के प्रित

    2 तू मझु को अपने मखु के चमु्बनों से ढक ल।ेक्योिंक तरेा प्रमे दाखमधु से भी उ म ह।ै

    3 तरेा नाम मूल्यवान इत्र से उ म ह,ैऔर तरेी गंध अद्भतु ह।ै

    इसिलए कुमािरया ँ तझु से प्रमे करती है।ं4 हे मरेे राजा तू मझुे अपने संग ले ल!े

    और हम कहीं दूर भाग चले!ं

    राजा मझुे अपने कमरे में ले गया।पु ष के प्रित य शलमे की िस्त्रया ँ

    हम तझु में आनिन्दत और मगन रहेगं।े हम तरेी बड़ाई करते है।ंक्योिंक तरेा प्रमे दाखमधु से उ म ह।ैइसिलए कुमािरया ँ तझु से प्रमे करती है।ंस्त्री का वचन िस्त्रयों के प्रित

    5 हे य शलमे की पिुत्रयो,ंमैं काली हू ँ िकन्तु सनु्दर हू।ँमैं तमैान और सलमा के तम्बूओं के जसैे काली हू।ँ

    6 मझुे मत घूर िक मैं िकतनी सावँली हू।ँसूरज ने मझुे िकतना काला कर िदया ह।ै

  • श्रे गीत 1:7 2 श्रे गीत 1:12मरेे भाई मझु से क्रोिधत थ।े

    इसिलए दाख के बगीचों की रखवाली करायी।इसिलए मैं अपना ध्यान नहीं रख सकी।स्त्री का वचन पु ष के प्रित

    7 मैं तझुे अपनी पूरी आत्मा से प्रमे करती हू!ँमरेे िप्रये मझुे बता; तू अपनी भड़ेों को कहा ँ चराता है

    दोपहर में उन्हें कहा ँ िबठाया करता है मझुे ऐसी एक लड़कीके पास नहीं होना

    जो घंूघट काढ़ती ह,ैजब वह तरेे िमत्रों की भड़ेों के पास होतीह!ै

    पु ष का वचन स्त्री के प्रित8 तू िन य ही जानती है िक िस्त्रयों मे ं तू ही सनु्दर ह!ै

    जा, पीछे पीछे चली जा, जहा ँ भड़ंेेऔर बकरी के ब े जाते ह।ै

    िनज गड़िरयों के तम्बूओं के पास चरा।9 मरेी िप्रय,े मरेे िलए तू उस घोड़ी से भी बहतु अिधक उ जेक है

    जो उन घोड़ों के बीच िफ़रौन के रथ को खीचंा करते है।ं10वे घोड़े मखु के िकनारे से

    गदन तक सनु्दर ससुिज्जत है।ंतरेे िलये हम ने सोने के आभूषण बनाए है।ं

    िजनमें चादँी के दाने लगें है।ं11 तरेे सनु्दर कपोल िकतने अलंकृत है।ं

    तरेी सनु्दर गदन मनकों से सजी है।ंस्त्री का वचन

    12 मरेे इत्र की सगुन्ध,ग ी पर बठेै राजा तक फैलती ह।ै

  • श्रे गीत 1:13 3 श्रे गीत 2:313 मरेा िप्रयतम रस गन्ध के कुप्पे सा ह।ै

    वह मरेे व ों के बीच सारी राद सोयगेा।14 मरेा िप्रय मरेे िलये मेहंदी के फूलों के गचु्छों जसैा है

    जो एनगदी के अंगूर के बगीचे मे ं फलता ह।ैपु ष का वचन

    15 मरेी िप्रय,े तमु रमणीय हो!ओह, तमु िकतनी सनु्दर हो!तरेी आखँे कपोतों की सी सनु्दर है।ंस्त्री का वचन

    16 हे मरेे िप्रयतम, तू िकतना सनु्दर ह!ैहा,ँ तू मनमोहक ह!ै

    हमारी सजे िकतनी रमणीय ह!ै17किड़या ँ जो हमारे घर को थामें हएु हैं वह दवेदा की है।ंकिड़या ँ जो हमारी छत को थामी हईु ह,ै सनोवर की लकड़ीकी ह।ै

    21 मैं शारोन के केसर के पाटल सी हू।ँ

    मैं घािटयों की कुमिुदनी हू।ँपु ष का वचन

    2 हे मरेी िप्रय,ेअन्य यवुितयों के बीचतमु वसैी ही हो मानों काटँों के बीच कुमिुदनी हो!स्त्री का वचन

    3 मरेे िप्रय,अन्य यवुकों के बीचतमु ऐसे लगते हो जसैे जंगल के पड़ेों मे ं कोई सबे का पड़े!स्त्री का वचन िस्त्रयों के प्रित

    मझुे अपने िप्रयतम की छाया में बठैना अच्छा लगता ह;ै

  • श्रे गीत 2:4 4 श्रे गीत 2:12उसका फल मझुे खाने मे ं अित मीठा लगता ह।ै

    4 मरेा िप्रय मझुको मधशुाला में ले आया;मरेा प्रमे उसका संकल्प था।

    5 मैं प्रमे की रोगी हू ँअत: मनु ा मझुे िखलाओ और सबेों से मझुे ताजा करो।

    6 मरेे िसर के नीचे िप्रयतम का बायँा हाथ ह,ैऔर उसका दायँा हाथ मरेा आिलंगन करता ह।ै

    7 य शलमे की कुमािरयो,ं कंुरगों और जंगली िहरिणयों को सा ीमान कर मझु को वचन दो,

    प्रमे को मत जगाओ,प्रमे को मत उकसाओ, जब तक मैं तयैार न हो जाऊँ।स्त्री ने िफर कहा

    8 मैं अपने िप्रयतम की आवाज़ सनुती हू।ँयह पहाड़ों से उछलती हईुऔर पहािड़यों से कूदती हईु आती ह।ै

    9 मरेा िप्रयतम सनु्दर कुरंगअथवा हिरण जसैा ह।ै

    दखेो वह हमारी दीवार के उस पार खड़ा ह,ैवह झंझरी से दखेते हएुिखड़िकयों को ताक रहा ह।ै

    10 मरेा िप्रयतम बोला और उसने मझुसे कहा,“उठो, मरेी िप्रय,े हे मरेी सनु्दरी,

    आओ कहीं दूर चले!ं11 दखेो, शीत ऋतु बीत गई ह,ै

    वषा समा हो गई और चली गई ह।ै12धरती पर फूल िखलें हएु है।ं

    िचिड़यों के गाने का समय आ गया ह!ै

  • श्रे गीत 2:13 5 श्रे गीत 3:1धरती पर कपोत की ध्विन गुंिजत ह।ै

    13 अंजीर के पड़ेों पर अंजीर पकने लगे है।ंअंगूर की बलेें फूल रही है,ंऔर उनकी भीनी गन्ध फैल रहीह।ै

    मरेे िप्रय उठ, हे मरेे सनु्दर,आओ कहीं दूर चले!ं”

    14 हे मरेे कपोत,जो ऊँचे च ानों के गफुाओं में

    और पहाड़ों मे ं िछपे हो,मझुे अपना मखु िदखा, मझुे अपनी ध्विन सनुा

    क्योिंक तरेी ध्विन मधरुऔर तरेा मखु सनु्दर ह!ैस्त्री का वचन िस्त्रयों के प्रित

    15जो छोटी लोमिड़या ँ दाख के बगीचों को िबगाड़ती है,ंहमारे िलये उनको पकड़ो!

    हमारे अंगूर के बगीचे अब फूल रहे है।ं16 मरेा िप्रय मरेा है

    और मैं उसकी हू!ँमरेा िप्रय अपनी भड़े बकिरयों को कुमिुदिनयों के बीच चराता ह,ै

    17जब तक िदन नहीं ढलता हैऔर छाया लम्बी नहीं हो जाती ह।ै

    लौट आ, मरेे िप्रय,कुरंग सा बन अथवा हिरण सा बतेरे के पहाड़ों पर!

    3स्त्री का वचन

    1 हर रात अपनी सजे पर

  • श्रे गीत 3:2 6 श्रे गीत 3:6मैं अपने मन में उसे ढूढँती हू।ँ

    जो पु ष मरेा िप्रय ह,ै मैनंे उसे ढूढँा ह,ैिकन्तु मैनंे उसे नहीं पाया!

    2अब मैं उठँूगी!मैं नगर के चारों गिलयो,ं

    बाज़ारों मे ं जाऊँगी।मैं उसे ढूढूगँी िजसको मैं प्रमे करती हू।ँ

    मैनंे वह पु ष ढूढँापर वह मझुे नहीं िमला!

    3 मझुे नगर के पहरेदार िमल।ेमैनंे उनसे पूछा, “क्या तूने उस पु ष को दखेा िजसे मैं प्यारकरती हू?ँ”

    4 पहरेदारों से मैं अभी थोड़ी ही दूर गईिक मझुको मरेा िप्रयतम िमल गया!

    मैनंे उसे पकड़ िलया और तब तक जाने नहीं िदयाजब तक मैं उसे अपनी माता के घर में न ले आईअथात् उस स्त्री के क में िजसने मझुे गभ में धरा था।स्त्री का वचन िस्त्रयों के प्रित

    5 य शलमे की कुमािरयो,ं कुरंगोंऔर जंगली िहरिणयों को सा ी मान कर मझुको वचन दो,

    प्रमे को मत जगाओ,प्रमे को मत उकसाओ, जब तक मैं तयैार न हो जाऊँ।वह और उसकी दिुल्हन

    6 यह कुमारी कौन हैजो म भूिम से लोगों की इस बड़ी भीड़ के साथ आ रही है

  • श्रे गीत 3:7 7 श्रे गीत 4:1धूल उनके पीछे से यू ँ उठ रही है मानों

    कोई धएु ँ का बादल हो।जो धूआँ जलते हएु गन्ध रस, धूप और अन्य गंध मसाले सेिनकल रही हो।

    7सलुमैान की पालकी को दखेो!उसकी यात्रा की पालकी को साठ सिैनक घरेे हएु है।ंइस्राएल के शि शाली सिैनक!

    8वे सभी सिैनक तलवारों से ससुिज्जत हैंजो यु मे ं िनपणु है;ं हर व्यि की बगल में तलवार लटकतीह,ै

    जो रात के भयानक खतरों के िलये तत्पर है!ं9 राजा सलुमैान ने यात्रा हतेु अपने िलये एक पालकी बनवाई ह,ै

    िजसे लबानोन की लकड़ी से बनाया गया ह।ै10 उसने यात्रा की पालकी के ब ों को चादँी से बनाया

    और उसकी टके सोने से बनायी गई।पालकी की ग ी को उसने बैगंनी वस्त्र से ढकँा

    और यह य शलमे की पिुत्रयों के ारा प्रमे से बनुा गया था।11 िसय्योन के पिुत्रयो,ं बाहर आ कर

    राजा सलुमैान को उसके मकुुट के साथ दखेोजो उसको उसकी माता नेउस िदन पहनाया था जब वह ब्याहा गया था,

    उस िदन वह बहतु प्रस था!4

    पु ष का वचन स्त्री के प्रित1 मरेी िप्रय,े तमु अित सनु्दर हो!

  • श्रे गीत 4:2 8 श्रे गीत 4:8तमु सनु्दर हो!

    घूघँट की ओट मेंतरेी आखँें कपोत की आखँों जसैी सरल है।ं

    तरेे केश लम्बे और लहराते हएु हैंजसैे बकरी के ब े िगलाद के पहाड़ के ऊपर से नाचते उतरतेहो।ं

    2 तरेे दातँ उन भड़ेों जसैे सफेद हैंजो अभी अभी नहाकर के िनकली हो।ं

    वे सभी जड़ुवा ब ों को जन्म िदया करती है,ंऔर उनके ब े नहीं मरे है।ं

    3 तरेा अधर लाल रेशम के धागे सा ह।ैतरेा मखु सनु्दर है।ं

    अनार के दो फाकँो की जसैीतरेे घंूघट के नीचे तरेी कनपिटया ँ है।ं

    4 तरेी गदन लम्बी और पतली हैजो खास सजावट के िलये

    दाऊद की मीनार जसैी की गई।उसकी दीवारों पर हज़ारों छोटी छोटी ढाल लटकती है।ंहर एक ढाल िकसी वीर यो ा की ह।ै

    5 तरेे दो स्तनजड़ुवा बाल मगृ जसैे है,ंजसैे जड़ुवा कुरंग कुमदुों के बीच चरता हो।

    6 मैं गंधरस के पहाड़ पर जाऊँगाऔर उस पहाड़ी पर जो लोबान की हैजब िदन अपनी अिन्तम सासँ लतेा है और उसकी छाया बहतुलम्बी हो कर िछप जाती ह।ै

    7 मरेी िप्रय,े तू पूरी की पूरी सनु्दर हो।तझु पर कहीं कोई धब्बा नहीं ह!ै

    8ओ मरेी दिुल्हन,लबानोन से आ, मरेे साथ आजा।

  • श्रे गीत 4:9 9 श्रे गीत 4:15लबानोन से मरेे साथ आजा,

    अमाना की चोटी स,ेशनीर की ऊँचाई स,ेिसंह की गफुाओं सेऔर चीतों के पहाड़ों से आ!

    9 हे मरेी संिगनी, हे मरेी दिुल्हन,तमु मझुे उ िेजत करती हो।

    आखँों की िचतवन मात्र सेऔर अपने कंठहार के बस एक ही रत्न सेतमुने मरेा मन मोह िलया ह।ै

    10 मरेी संिगनी, हे मरेी दिुल्हन, तरेा प्रमे िकतना सनु्दर ह!ैतरेा प्रमे दाखमधु से अिधक उ म ह;ै

    तरेी इत्र की सगुन्धिकसी भी सगुन्ध से उ म ह!ै

    11 मरेी दिुल्हन, तरेे अधरों से मधु टपकता ह।ैतरेी वाणी में शहद और दूध की खशुबू ह।ै

    तरेे वस्त्रों की गंध इत्र जसैी मोहक ह।ै12 मरेी संिगनी, हे मरेी दिुल्हन, तमु ऐसी हो

    जसैे िकसी उपवन पर ताला लगा हो।तमु ऐसी हो

    जसैे कोई रोका हआु सोता हो या बन्द िकया झरना हो।13 तरेे अंग उस उपवन जसैे हैं

    जो अनार और मोहक फलों से भरा हो,िजसमें मेहंदी

    और जटामासी के फूल भरे हो;ं 14 िजसमें जटामासी का, केसर,अगर और दालचीनी का इत्र भरा हो।

    िजसमें दवेदार के गंधरसऔर अगर व उ म सगुिन्धत द्रव्य साथ में भरे हो।ं

    15 तू उपवन का सोता है

  • श्रे गीत 4:16 10 श्रे गीत 5:2िजसका स्वच्छ जल

    नीचे लबानोन की पहाड़ी से बहता ह।ैस्त्री का वचन

    16जागो, हे उ र की हवा!आ, तू दि ण पवन!

    मरेे उपवन पर बह।िजससे इस की मीठी, गन्ध चारों ओर फैल जाय।े

    मरेा िप्रय मरेे उपवन में प्रवशे करेऔर वह इसका मधरु फल खाय।े

    5पु ष का वचन

    1 मरेी संिगनी, हे मरेी दिुल्हन, मैनंे अपने उपवन मेंअपनी सगुध सामग्री के साथ प्रवशे िकया। मैनंे अपना रसगंधएकत्र िकया ह।ै

    मैं अपना मधु छ ा समते खा चकुा।मैं अपना दाखमधु और अपना दूध पी चकुा।िस्त्रयों का वचन प्रिेमयों के प्रित

    हे िमत्रो,ंखाओ, हा ँ प्रिेमयो,ं िपयो!प्रमे के दाखमधु से मस्त हो जाओ!स्त्री का वचन

    2 मैं सोती हू ँिकन्तु मरेा दय जागता ह।ै

    मैं अपने दय—धन को ार पर दस्तक दतेे हएु सनुती हू।ँ“मरेे िलये ार खोलो मरेी संिगनी,ओ मरेी िप्रय!े मरेी कबूतरी,ओ मरेी िनमल!

    मरेे िसर पर ओस पड़ी हैमरेे केश रात की नमी से भीगें है।ं”

  • श्रे गीत 5:3 11 श्रे गीत 5:83 “मैनंे िनज वस्त्र उतार िदया ह।ै

    मैं इसे िफर से नहीं पहनना चाहती हू।ँमैं अपने पावँ धो चकुी हू,ँ

    िफर से मैं इसे मलैा नहीं करना चाहती हू।ँ”4 मरेे िप्रयतम ने कपाट की िझरी में हाथ डाल िदया,

    मझुे उसके िलये खदे है।ं5 मैं अपने िप्रयतम के िलये ार खोलने को उठ जाती हू।ँ

    रसगंध मरेे हाथों सेऔर सगंुिधत रसगंध मरेी उंगिलयों से ताले के हत्थे परटपकता ह।ै

    6अपने िप्रयतम के िलये मैनंे ार खोल िदया,िकन्तु मरेा िप्रयतम तब तक जा चकुा था!

    जब वह चला गयातो जसैे मरेा प्राण िनकल गया।

    मैं उसे ढूढँती िफरीिकन्तु मैनंे उसे नहीं पाया;

    मैं उसे पकुारती िफरीिकन्तु उसने मझुे उ र नहीं िदया!

    7 नगर के पह ओं ने मझुे पाया।उन्होनंे मझुे माराऔर मझुे ित पहुचँायी।

    नगर के परकोटे के पह ओं नेमझुसे मरेा दपु ा छीन िलया।

    8 य शलमे की पिुत्रयो,ं मरेी तमुसे िवनती हैिक यिद तमु मरेे िप्रयतम को पा जाओ तो उसको बता दनेािक मैं उसके प्रमे की भूखी हू।ँ

    य शलमे की पिुत्रयों का उसको उ र

  • श्रे गीत 5:9 12 श्रे गीत 5:169 क्या तरेा िप्रय, औरों के िप्रयों से उ म है िस्त्रयों मे ं तू सनु्दरतम

    स्त्री ह।ैक्या तरेा िप्रय,औरों से उ म है

    क्या इसिलये तू हम से ऐसा वचन चाहती हैय शलमे की पिुत्रयों को उसको उ र

    10 मरेा िप्रयतम गौरवण और तजेस्वी ह।ैवह दिसयों हजार पु षों मे ं सवोर् म ह।ै

    11 उसका माथा शु सोने सा,उसके घुघँराले केश कौवे से काले अित सनु्दर है।ं

    12 ऐसी उसकी आखँे है जसैे जल धार के िकनारे कबूतर बठेै हो।ंउसकी आखँें दूध में नहाये कबूतर जसैी है।ंउसकी आखँें ऐसी हैं जसैे रत्न जड़े हो।ं

    13 गाल उसके मसालों की क्यारी जसैे लगते है,ंजसैे कोई फूलों की क्यारी िजससे सगंुध फैल रही हो।

    उसके होठं कुमदु से हैंिजनसे रसगंध टपका करता ह।ै

    14 उसकी भजुायें सोने की छड़ जसैी हैिजनमें रत्न जड़े हो।ं

    उसकी दहे ऐसी हैंिजसमें नीलम जड़े हो।ं

    15 उसकी जाघँे संगमरमर के खम्बों जसैी हैिजनको उ म स्वण पर बठैाया गया हो।

    उसका ऊँचा कद लबानोन के दवेदार जसैा हैजो दवेदार वृ ो ं मे ं उ म है!ं

    16हा,ँ य शलमे की पिुत्रयो,ं मरेा िप्रयतम बहतु ही अिधक कामनीयह,ै

    सबसे मधरुतम उसका मखु ह।ैऐसा है मरेा िप्रयतम,

    मरेा िमत्र।

  • श्रे गीत 6:1 13 श्रे गीत 6:76

    य शलमे की पिुत्रयों का उससे कथन1 िस्त्रयों मे ं सनु्दरतम स्त्री,

    बता तरेा िप्रयतम कहा ँ चला गयािकस राह से तरेा िप्रयतम चला गया है

    हमें बता तािक हम तरेे साथ उसको ढूढँ सके।य शलमे की पिुत्रयों को उसका उ र

    2 मरेा िप्रय अपने उपवन में चला गया,सगंुिधत क्यािरयों मे,ं

    उपवन में अपनी भड़े चराने कोऔर कुमिुदिनया ँ एकत्र करने को।

    3 मैं हू ँ अपने िप्रयतम कीऔर वह मरेा िप्रयतम ह।ै

    वह कुमिुदिनयों के बीच चराया करता ह।ैपु ष का वचन स्त्री के प्रित

    4 मरेी िप्रय, तू ितसा सी सनु्दर ह,ैतू य शलमे सी मनोहर ह,ै तू इतनी अद्भतु हैजसैे कोई िदवारों से िघरा नगर हो।

    5 मरेे ऊपर से तू आखँें हटा ल!ेतरेे नयन मझुको उ िेजत करते है!ं

    तरेे केश लम्बे हैं और वे ऐसे लहराते हैजसैे िगलाद की पहाड़ी से बकिरयों का झणु्ड उछलता हआुउतरता आता हो।

    6 तरेे दातँ ऐसे सफेद हैजसैे मढ़ेे जो अभी—अभी नहा कर िनकली हो।ं

    वे सभी जड़ुवा ब ों को जन्म िदया करती हैंऔर उनमें से िकसी का भी ब ा नहीं मरा ह।ै

    7 घूघँट के नीचे तरेी कनपिटया ँ

  • श्रे गीत 6:8 14 श्रे गीत 6:13ऐसी हैं जसैे अनार की दो फाकेँ हो।ं

    8वहा ँ साठ रािनया,ँअस्सी सिेवकायेंऔर नयी असंख्य कुमािरया ँ है।ं

    9 िकन्तु मरेी कबूतरी, मरेी िनमल,उनमें एक मात्र ह।ै

    िजस मां ने उसे जन्म िदयावह उस मा ँ की िप्रय ह।ै

    कुमािरयों ने उसे दखेा और उसे सराहा।हा,ँ रािनयों और सिेवकाओं ने भी उसको दखेकर उसकीप्रशंसा की थी।

    िस्त्रयों ारा उसकी प्रशंसा10वह कुमािरया ँ कौन है

    वह भोर सी चमकती ह।ैवह चादँ सी सनु्दर ह,ैवह इतनी भव्य है िजतना सूय,वह ऐसी अद्भतु है जसैे आकाश में सनेा।स्त्री का वचन

    11 मैं िगरीदार पड़ेों के बगीचे मे ं घाटी की बहार कोदखेने को उतर गयी,यह दखेने िक अंगूर की बलेे िकतनी बड़ी हैंऔर अनार की किलया ँ िखली हैं िक नही।ं

    12 इससे पहले िक मैं यह जान पाती, मरेे मन ने मझुको राजा केव्यि यों के रथ में पहुचँा िदया।

    य शलमे की पिुत्रयों को उसको बलुावा13वापस आ, वापस आ,ओ शलुिेम्मन!

    वापस आ, वापस आ, तािक हम तझुे दखे सके।

  • श्रे गीत 7:1 15 श्रे गीत 7:7क्यों ऐसे शलुिेम्मन को घूरती हो

    जसैे वह महनमै के नतृ्य की नतकी हो7

    पु ष ारा स्त्री सौन्दय का वणन1हे राजपतु्र की पतु्री,सचमचु तरेे परै इन जूितयों के भीतर सनु्दर है।ंतरेी जंघाएँ ऐसी गोल हैं जसैे िकसी कलाकार के ढाले हएु आभूषण

    हो।ं2 तरेी नािभ ऐसी गोल है जसैे कोई कटोरा,

    इसमें तू दाखमधु भर जाने द।ेतरेा पटे ऐसा है जसैे गहूे ँ की ढेरी

    िजसकी सीमाएं िघरी हों कुमिुदनी की पंि यों स।े3 तरेे उरोज ऐसे हैं जसैे िकसी जवान कुरंगी के

    दो जड़ुवा िहरण हो।4 तरेी गदन ऐसी है जसैे िकसी हाथी दातँ की मीनार हो।तरेे नयन ऐसे है जसैे हशेबोन के वे कुण्ड

    जो बत्रब्बीम के फाटक के पास ह।ैतरेी नाक ऐसी लम्बी है जसैे लबानोन की मीनार

    जो दिमश्क की ओर मखु िकये ह।ै5 तरेा िसर ऐसा है जसैे कम ेर्ल का पवत

    और तरेे िसर के बाल रेशम के जसैे है।ंतरेे लम्बे सनु्दर केश

    िकसी राजा तक को वशीभूत कर लतेे है!ं6 तू िकतनी सनु्दर और मनमोहक ह,ै

    ओ मरेी िप्रय! तू मझुे िकतना आनन्द दतेी ह!ै7 तू खजूर के पड़े

    सी लम्बी ह।ैतरेे उरोज ऐसे हैं

    जसैे खजूर के गचु्छे।

  • श्रे गीत 7:8 16 श्रे गीत 7:138 मैं खजूर के पड़े पर चढ़ूगँा,

    मैं इसकी शाखाओं को पकड़ूगँा,

    तू अपने उरोजों को अंगूर के गचु्छों सा बनने द।ेतरेी ास की गंध सबे की सवुास सी ह।ै

    9 तरेा मखु उ म दाखमधु सा हो,जो धीरे से मरेे प्रणय के िलये नीचे उतरती हो,जो धीरे से िनद्रा में अलिसत लोगों के होठंो तक बहती हो।

    स्त्री के वचन पु ष के प्रित10 मैं अपने िप्रयतम की हू ँ

    और वह मझुे चाहता ह।ै11आ, मरेे िप्रयतम,आ!

    हम खतेों मे ं िनकल चलेंहम गावों मे ं रात िबताय।े

    12 हम बहतु शीघ्र उठंे और अंगूर के बागों मे ं िनकल जाये।ंआ, हम वहा ँ दखेे ं क्या अंगूर की बलेों पर किलया ँ िखल रहीहै।ं

    आ, हम दखेें क्या बहारें िखल गयी हैंऔर क्या अनार की किलया ँ चटक रही है।ं

    वहीं पर मैं अपना प्रमे तझुे अपण क ँ गी।

    13 प्रणय के वृ िनज मधरु सगंुध िदया करते है,ंऔर हमारे ारों पर

    सभी सनु्दर फूल, वतमान, नये और परुान—ेमैनंे तरेे हते,ुसब बचा रखें है,ं मरेी िप्रय!

  • श्रे गीत 8:1 17 श्रे गीत 8:68

    1काश, तमु मरेे िशशु भाई होत,े मरेी माता की छाती का दूध पीतेहएु!

    यिद मैं तझुसे वहीं बाहर िमल जातीतो तमु्हारा चमु्बन मैं ले लतेी,

    और कोई व्यि मरेी िनन्दा नहीं कर पाता!2 मैं तमु्हारी अगवुाई करती और तमु्हें मैं अपनी मा ँ के भवन में ले

    आती,उस माता के क में िजसने मझुे िश ा दी।

    मैं तमु्हे ं अपने अनार की सगंुिधत दाखमधु दतेी,उसका रस तमु्हें पीने को दतेी।स्त्री का वचन िस्त्रयों के प्रित

    3 मरेे िसर के नीचे मरेे िप्रयतम का बायँा हाथ हैऔर उसका दायँा हाथ मरेा आिलंगन करता ह।ै

    4 य शलमे की कुमािरयो,ं मझुको वचन दो,प्रमे को मत जगाओ,प्रमे को मत उकसाओ, जब तक मैं तयैार न हो जाऊँ।य शलमे की पिुत्रयों का वचन

    5कौन है यह स्त्रीअपने िप्रयतम पर झकुी हईु जो म भूिम से आ रही हैस्त्री का वचन पु ष के प्रित

    मैनंे तमु्हे ं सबे के पड़े तले जगाया था,जहा ँ तरेी माता ने तझुे गभ में धराऔर यही वह स्थान था जहा ँ तरेा जन्म हआु।

    6अपने दय पर तू मदु्रा सा धर।जसैी मदु्रा तरेी बाहँ पर ह।ै

    क्योिंक प्रमे भी उतना ही सबल है िजतनी मतृ्यु सबल ह।ै

  • श्रे गीत 8:7 18 श्रे गीत 8:12भावना इतनी तीव्र है िजतनी कब्र होती ह।ै

    इसकी धदकधधकती हईु लपटों सी होती ह!ै

    7 प्रमे की आग को जल नहीं बझुा सकता।प्रमे को बाढ़ बहा नहीं सकती।

    यिद कोई व्यि प्रमे को घर का सब दे डालेतो भी उसकी कोई नहीं िनन्दा करेगा!उसके भाईयों का वचन

    8 हमारी एक छोटी बहन ह,ैिजसके उरोज अभी फूटे नही।ं

    हमको क्या करना चािहएिजस िदन उसकी सगाई हो

    9 यिद वह नगर का परकोटा होतो हम उसको चादँी की सजावट से मढ़ देगं।े

    यिद वह नगर होतो हम उसको मूल्यवान दवेदा काठ से जड़ देगं।ेउसका अपने भाईयों को उ र

    10 मैं परकोट हू,ँऔर मरेे उरोज गमु्बद जसैे है।ं

    सो मैं उसके िलये शांित का दाता हू!ँपु ष का वचन

    11बाल्हामोन में सलुमैान का अगंूर का उपवनथा।उसने अपने बाग को रखवाली के िलए दे िदया।

    हर रखवाला उसके फलों के बदले में चादँी के एक हजार शकेेललाता था।12 िकन्तु सलुसैान, मरेा अपना अंगूर का बाग मरेे िलये ह।ैहे सलुमैान, मरेे चादँी के एक हजार शकेेल सब तू ही रख ल,े

  • श्रे गीत 8:13 19 श्रे गीत 8:14और ये दो सौ शकेेल उन लोगों के िलये हैं

    जो खतेों मे ं फलों की रखवाली करते है!ंपु ष का वचन स्त्री के प्रित

    13 तू जो बागों मे ं रहती ह,ैतरेी ध्विन िमत्र जन सनु रहे है।ं

    तू मझुे भी उसको सनुने द!ेस्त्री का वचन पु ष के प्रित

    14ओ मरेे िप्रयतम, तू अब जल्दी कर!सगंुिधत द्रव्यों के पहाड़ों पर तू अब िचकारे या यवुा मगृ साबन जा!

  • 20पिवत्र बाइबल

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