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फजाइल आमाल कुरआन सुनत की अदालत मे मुसलमान भाईयŌ िजस मौजूअ पर हम यह पचा िलखने जा रहे है, वह इस का सबसे खास मौजू है और वह मौजू फजाइल आमाल कु रआन हदीस की अदालत मे है फज़ाइल आमाल िलखने वाले और हमारे तबिलगी भाई जो इसको पढ़ते और सुबह शाम इसका दस देते रहते ह§, और भोले भाले लोगो को इसके चुंगल मे फं साते है ियह अÐलाह रसुल का राÖता है इस िकताब मे िकतने भयानक और खतरनाक अकाईद और िशिक या बाते मौजूद है और इसके अलावा बहुत सारी चीज¤ मनघड़त िकÖसे, कहांिनयां, झूठी हदीस¤ है इस पच¥ को िलखने का मकसद िकसी जमाअत, िकसी िफरके , िकसी िगरोह को बुरा कहना नह है, बिÐक हमारा मकसद भोले भाले लोग जो सच मे अÐलाह से और उसके रसुल सÐलाÐलाहू अलैिह वसÐलम से मुहबत करते है और िसफ उनकी ही पैरवी करना चाहते है उनकी इÖलाह करना है हमारे मुसलमान भाई अंधेरा से िनकलकर कु रआन हदीस की रोशनी की तरफ आए और कु रआन सुनत को अपना मनहज--अमल बना ले अÐलाह और उसके रसूल सÐलाÐलाहू अलैिह वसÐलम के फरमान से ही यह मुसलमान सुधर सकते है चुनांचे अÐलाह बुल जत फरमाता है :- कह दीिजए िअÐलाह तआला और उसके रसूल की इताअत करो अगर यह मूंह फे र ले तो बेशक अÐलाह तआला कािफरो को दोÖनह रखता (सुरा आले इमरान आयत नं 0 32) और यह हम और आप सब छी तरह जानते ह§ िईमान के अंदर इÖलाम के अंदर कु छ बाते ऐसी है जो दो टूक है, दो लजो मे है अगर कोई इंसान इन दो लजो के ऊपर या वो जो दो टूक ईमान और अकीदे के अलफाज है , उसका इंकार कर दे , उन पर ईमान लाए तो नेिकयां, नमाज, रोजे , जकात, हज, सदके , खैरात, मेहनत¤ िकतनी भी हो, वो दो लजŌ के मजमुए का अगर वोह इंकार कर दे , तमाम चीजŌ पर ईमान रखता है लेिकन िकसी एक या दो अकीदे का इंकार कर दे तो उसके नमाज उसके जकात हज रोजे सारे के सारे बबाद है अÐलाह तआला के यहां इनकी कोई अहमीयत नह अकीदा या है ईमान वालो ईमान लाओ, अÐलाह पर और उसके रसूल पर और इस िकताब (कु रआन) पर जो अÐलाह ने अपने रसूल सÐलाÐलाहू अलैिह वसÐलम पर उतारी है और उस िकताब पर जो इससे पहले नाि़जल हो चुका है िजसने अÐलाह और उसके फिरÔतो और उसकी िकताबŌ और उसके रसूलŌ और रोजे आिखरत से कु फर िकया, वह गुमराही मे भटक कर बहुत दूर िनकल गया ( सुरा िनसा, आयत 136)

Fazail e Aamal (Hindi) फजाइल आमाल कुरआन व सुन्नत की अदालत मे

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Fazail e Aamal ka Operation how it is far from the real teachings of Prophet

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