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भारत की संस्कृति, समृद्वि और सभ्यता का आधार गंगा, गौ, गायत्री, गीता और गुरु ही रही है। भारत की संस्कृति प्रकृति मूलक संस्कृति है। दुनिया के प्राचीनतम ग्रन्थ वेदो में कण कण के प्रति अहोभाव की अभिव्यक्ति है। हमने सूर्य-चन्द्र, ग्रह नक्षत्र, पशु-पक्षी, जीव-जन्तु, पेड़-पौधों को पूज्य माना है। प्रकृति का कण – कण हमें देता है। इसीलिए कण – कण में देवाताओं का निवास माना है। इस प्राकृतिक संरचना में गाय को हमने विशेष दर्जा दिया है। उसे कामधेनु तथा सर्व देव मयी गौ माता माना है। वह हमें दूध, दही, घी, गोबर-गोमूत्र के रूप में पंचगव्य प्रदान करती है। सृष्टि की संरचना पंचभूत से हुई है। यह पिंड, यह ब्रहमाण्ड,पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश रूप पंचभूतों के पांच तत्वो से बना है। इन पंचतत्वो का पोषण और इनका शोधन
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