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खामोश लहे... 1 | Page

Khamosh lamhe 2

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Page 1: Khamosh lamhe 2

खामोश लमह 1 | P a g e

खामोश लमह 2 | P a g e

एक इसान जिसन नतिकिा की झििक म अपन पहल पयार की आहिी द दी

और िो उमर भर उस सिाप को गल म डाल ररसिो का फिज तनभािा चला गया कभी माा-बाप का वातसलयकभी पतनी का पयार िो कभी

बचचो की ममिा उसक परो म बड़ियाा बन रह मगर

इन सबक बाविद वो उस कभी ना भला सका

िो उसक ददल क ककसी कोन म

सससक रही थी वक़ि उसकी

िोली म ववयोग की

ििप भरिा

रहाhelliphelliphelliphellip

खामोश लमह

खामोश लमह 3 | P a g e

ldquoकह ा आस न ह पहली महबबत को भल दन

बहत मन लह थक ह घरद री बच न मrdquo

- मननवर राणा

(मन अपना य लघ उपनयास मशहर शायर मननवर राणा साहब क इस शrsquoर स परभाववि होकर सलखा ह िहा एक इसान अपनी सामाजिक जिममदाररयो का तनवाजहण करि करि अपन पहल पयार को अिीि की गहराइयो म ववलीन होि दखिा रहा मगर उमर क ढलिी साि मन िाकर िब जिममदाररयो स हलकी सी तनिाि समली िो दौि पिा उस अिीि क अधकप स बाहर तनकालन को

ldquoविकरमrdquo (eMail- akrajput8373gmailcom)

(WebSite wwwguglwacom)

खामोश लमह 4 | P a g e

राि अपन पर यौवन पर थी तरिवणी एकसपरस अपन गिवय को छन सरपट दौि रही थी सभी यािी अपनी अपनी बथज प गहरी नीद म सोय हय थ मगर एक अधि उमर शखस की आखो म नीद का नामोतनशान िक नही था चहर पर उमर न अपन तनशान बना ददय थ िीवन म लगभग पचपन स जयादा बसि दख चका तनढाल सा अपनी बथज प बठा टरन की झखिकी स बाहर फली चाादनी राि को दख रहा था िहा दर दर िक फला सननाटा इिन क शोर स तिलसमला कर कलबला रहा था आसमान म चााद िार अपनी हलकी थपककयो स अलहि चाादनी को लोररयाा द रह थ िो अधर को अपन आगोश म ल बपरवाह सी लटी हई थी कभी-कभी कही दर ककसी तरबिली क बलब की हलकी रोशनी पिो क िरमटो स निर आिी थी उसकी आख दर िक फली चाादनी क उस पार अपन अिीि को िलाश रही थी िो वक़ि क लब अिराल म कही दफ़न हो चका था वह बार बार अिीि क उन आध अधर दशयो को िोिकर एक ससलससलवार शीखला बनान की कोसशश करिा मगर वक़ि क बहि स दहसस अपना विद खो चक थ इसी उधिबन म न िान कब उसक थक चक मजसिषक को नीद न अपन आगोश म ल बाहर पसरी चाादनी स परतिसपधाज शर करदी टरन लोगो को उनकी मजिल िक पहाचान क सलए बरहमी स पटररयो का सीना रोदिी बिहाशा भाग रही थी

खामोश लमह 5 | P a g e

बीस वरषीय भान अपन बि भाई क साथ अपन कॉलि दाझखल क सलए अनपगढ़ आया था पहली बार गााव स शहर म पढ़न आया भान शहर की चहल-पहल स बहि परभाववि हआ भान क बि भाई का अनपगढ़ म िबादला हो गया था िो उनहोन भान को भी अपन पास पढ़न बला सलया बारहवी िक गााव म पढ़ा भान आग की पढ़ाई क सलए शहर आया था हालाकक उसक भाई को सरकारी आवास समला था मगर वह भान क कॉलि स काफी दर होन क कारण उसक बि भाई वविय न उसक कॉलि स माि एक ककलोमीटर दर रलव कॉलोनी म अपन एक दोसि क खाली पि कवाटजर म उसक रहन का परबध कर ददया था दर िक फल रलव क दो मजिला अपाटजमटस म करीब सतिर बलॉक थ और हर बलॉक म आठ पररवार रह सकि थ जिसम चार गराउडफलोर प पाजकिबदध बन थ और चार पहली मजिल प जिनक दरवाि सीदढ़यो म एक दसर क आमन सामन खलि थ पहली मजिल म दो बडरम का मकान उस अकल क सलए काफी बिा था पहल ददन भान न पर मकान का िायिा सलया रसोई म खाना बनान क सलए िररी बिजन सटोव और कोयल की अगीठी िक का इििाम था भान अपन घर म माा क काम म हाथ बटाि बटाि खाना बनाना सीख गया था रसोई क आग बरामदा और

खामोश लमह 6 | P a g e

बरामद क दसर ससर और मखय दरवाि क दाय िरफ सनानघर था जिसक नल स दटप दटप टपकिा पानी टट कर िलिा हआ फववारा और कोनो म िमी काई स चचपक कॉकरोच उस सरकारी होन का परमाणपि द रह थ

एक परा ददन भान को उस मकान को रहन लायक बनान म ही लगाना पिा शाम को बािार स दतनक उपयोग की चीि खरीद लाया राि को दर िक सभी िररी काम तनपटा कर सो गया पहली राि अिनबी िगह नीद समय प और ठीक स नही आिी अगली सबह दर स उठा हालाकक आि रवववार था इससलए कॉलि की भी छटटी थी

शयनककष म बनी झखिकी स सामन दर दर िक रलव लाइनो का िाल फला हआ था आस पास क कवाटजस म रहन वाल बचच रलव लाइनस और अपाटजमटस बीच सामन की िरफ बन पाकज म खल रह थ िो भान क अपाटजमट क ठीक सामन था बचचो क शोरगल को सनकर भान की आाख खल गई थी अपाटजमट क दाय और बरगद का पराना पि बरसो स

खामोश लमह 7 | P a g e

अपनी ववशाल शाखाओ पर ववसभनन परिाति क अनको पकषकषयो का आसशयाना बनाए हआ था उसकी काली पि चकी छाल उसक बढ़ा होन की चगली खा रही थी बरसाि क ददनो म उसक चारो िरफ पानी भर िािा था जिसम कछ आवारा पश कभी कभार िल करीडा करन आ धमकि और उसी दौरान पि क पकषी उनकी पीठ पर सवार हो नौकायन का लतफ उठा लि थ पाकज म कछ बिगज भी टहल रह थ परी जिदगी भाग-दौि म गिारन क बाद बढ़ाप म बीमाररयाा चन स बठन नही दिी मगर कॉलोनी की कछ औरि आराम स इकटठी बठकर फसजि स बतिया रही थी उनकी कानाफसी स लगिा था की वो कम स दश या समाि िस गभीर मददो प िो तरबलकल बाि नही कर रही थी हफि म एक सड ही िो समलिा ह उनको अगर उस भी गभीर मददो म िाया कर ददया िो कफर कया फायदा बीच बीच म उनक बचच चीखि चचललाि उनक पास एक दसर की सशकायि लकर आ िाि मगर वो उनह एक और धककया कर कफर स अपनी कानाफसी म लग िािी अपाटजमटो क आग पीछ और मधय बनी सडको प अखबार सबिी और दधवाल अपनी रोिमराज की भागदौि म लग थ

खामोश लमह 8 | P a g e

भान न दतनक ककरयायो स तनपट कर अपन सलए चाय बनाई और कप हाथ म सलए रसोई और बाथरम क मधय बन बरामद म आकर खिा हो गया बरामद म पीछ की िरफ लोह की चगरल लगी थी जिसम स पीछ का अपाटजमट परा निर आिा था कोिहलवश वो निर आन वाल हर एक मकान क झखिकी दरवािो स मकान म रहन वालो को दख रहा था एक दसर अपाटजमटस क बीचो-बीच सिक प बचच खल रहि थ य सिक यािायाि क सलए नही थी इनह ससफज अपाटजमटस म रहन वाल इसिमाल करि थ भान सलए य सब नया था य मकान शहर यहाा क लोग सब कछ नया था उसका मकान ऊपर ldquoएrdquo अपाटजमट म था और ठीक उसक पीछ ldquoबीrdquo अपाटजमट था उसक पीछ lsquoसीrsquo और इस िरह दस अपाटजमट की एक श खला थी और कफर इसी िरह दाई िरफ दस दस अपाटजमट की अनय श खलाएा थी नए लोग नया शहर उसक सलए सबकछ अिनबी था बीस वरषीय भान आकरषजक कदकाठी का यवक था उसक वयजकितव स किई आभास नही होिा था की य एक गरामीण पररवश म पला-बढ़ा यवक ह भान चाय की चसककयो क बीच जिजञासावश आस पास क निार दखन लगा चाय खिम करन क बाद वो वही खिा रहा और सोचिा रहा की ककिना फकज ह गााव और शहर की िीवन शली म गााव म हम हर एक इसान को भलीभााति िानि ह हर एक घर म आना िाना

खामोश लमह 9 | P a g e

रहिा ह अपन घर स जयादा वक़ि िो गााव म घमकर और गााव क अनय घरो म गिरिा ह बहि अपनापन ह गााव म इधर हर कोई अपन आप म िी रहा ह यहाा सब पकषकषयो क भाति अपन अपन घोसलो म पि रहि ह ककसी को ककसी क सख-दख स कोई सरोकार नही सामन क अपाटजमट म बन मकानो की खली झखिकीयो और बालकोनी स घर म रहन वाल लोग इधर उधर घमि निर आ रह थ अचानक भान को अहसास हआ की कोई बार बार उसकी िरफ दख रहा ह उसन इस अपना भरम समिा और ससर को िटक कर दसरी िरफ दखन लगा थोि अिराल क बाद उसका शक यकीन म बदल गया की दो आख अकसर उस रह रह कर दख रही ह उसन दो चार बार उििी सी निर डालकर अपन ववशवास को मिबि ककया

कछ दर पशचाि दहममि बटोर कर उसन इधर उधर स आशवसि होन क बाद निर उन दो आखो प टीका दी िो काफी दर स उस घर रही थी ldquoबीrdquo बलॉक म दाय िरफ गराउडफलोर क मकान क खल दरवाि क बीचोबीच दोनो हाथ दरवाि की दीवारो पर दटकाय एक लिकी रह रहकर उसकी िरफ दख रही थी गौरा रग लबा छरहरा बदन हलक नारगी रग

खामोश लमह 10 | P a g e

क सलवार सट म उसका रप-लावणय ककसी को भी अपनी और आकवरषजि करन की कवि रखिा था वह कछ पल इधर उधर दखिी और कफर ककसी बहान स भान की िरफ तरबना गदजन को ऊपर उठाए दखन लगिी जिस स उसकी बिी बिी आख और भी खबसरि निर आन लगिी हालाकक दोनो क दरमयान करीब िीस मीटर का फासला था मगर कफर भी एक दसर क चहर को आसानी स पढ़ सकि थ भान भी थोि थोि अिराल क बाद उसको दखिा और कफर दसरी िरफ दखन लगिा लगािार आख फािक ककसी लिकी को घरना उसक ससकारो म नही था मगर एक िो उमर और कफर सामन अलहि यौवन स भरपर नवयौवना हो िो वववशिाय बढ़ िािी ह इस उमर म आकरषजण होना सहि बाि ह निरो का परसपर समलन बददसिर िारी था मानव शरीर म उमर क इस दौर म बनन वाल हामोनस क कारण वयवहार िक म अववशवसनीय बदलाव आि हउसीका निीिा था की दोनो धीर धीर एक दसर स एक अिान स आकरषजण स निरो स परखि लग दोनो ददल एक दसर म अपन सलए सभावनाए िलाश रह थ भान न पहली बार ककसी लिकी की िरफ इिनी दर और सिीदगी स दखा था िीवन म पहली बार ऐस दौर स गिरि दो यवा-ददल अपन अदर क कौिहल को दबान की चषटा कर रह थ धडकनो म अनायास हई बढ़ोिरी स नसो म खन का बहाव कछ

खामोश लमह 11 | P a g e

िि हो गया ददल बकाब हो सीन स बाहर तनकलन को मचल रहा था ददमाग और ददल म अपन अपन वचजसव लिाई चल रही थी अचानक बढ़ी इन हलचलो क सलए यवा ददलो का आकरषजण जिममदार था दोनो उमर क एक खास दौर स गिर रह थ जिसम एक दसर क परति झखचाव उतपनन होना लािमी ह

मगर यकायक सबकछ बदल गया अचानक लिकी न नाक ससकोडकर बरा सा मह बनाया और भान को चचढ़ाकर घर क अदर चली गई भान को िस ककसी न िमाचा मार ददया हो उस एक पल को सााप सा सघ गया हडबिा कर वो िरि वहाा स अलग हट गया और कमर क अदर िाकर अपन बकाब होि ददल की धडकनो को काब म करन लगा वो डर गया था उस अपनी हरकि म गससा आ रहा था कयो आि उसन ऐसी असभय हरकि की वो सोचन लगा अगर कही लिकी अपन घरवालो स उसकी सशकायि करद िो कया होगा अिनबी शहर म उस कोई िानिा भी िो नही उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ वो सोचन लगा की अब कया ककया िाए जिस स इस गलिी को सधारा िा सक अचानक दरवाि प हई दसिक स वो बौखला गया और उसक पर शरीर म ससहरन सी दौि गई उसन चौक कर दरवाि की िरफ दखा

खामोश लमह 12 | P a g e

कछ दर सोचिा रहा और अि म मन म ढरो सशय सलए धिकि ददल स वो दरवाि की िरफ बढ़ गया

दरवािा खला सामन एक वयजकि हाथ म एक सलफाफा सलए खिा था

ldquoआप रमश बाब क पररचचि ह ldquo आगिक न पछा

ldquoिीिी हाा कदहए ldquo भान न हकलाि हय िवाब ददया रमश भान क भाई वविय क दोसि का नाम था जिसको रलव की िरफ स य कवाटजर आवदटि हआ था

ldquoउनहोन य खि आपको दन क ददया थाldquo उसन सलफाफा भान की िरफ बढ़ा ददया

ldquoहम लोग भी यही रहि हldquo आगिक न सामन क दरवाि की िरफ इशारा करि हय कहा

ldquoककसी चीि की िररि हो िो बदहचक कह दनाrdquo आगिक न कहा और सामन का दरवािा खोलकर घर क अदर चला गया

भान न राहि की सास ली दरवािा बद ककया और अदर आकर खि पढ़न लगा खि म तरबिली पानी स सबजनधि िररी दहदायिो क ससवा

खामोश लमह 13 | P a g e

सामन क मकान म रहन वाल शमाजिी स ककसी भी िरह की मदद क सलए समलि रहन को सलखा था रमश का वपछल महीन कछ ददनो क सलए पास क शहर म टरानसफर हो गया था ददनभर भान उस लिकी क बार म सोच सोच कर बचन होिा रहा वह हर आहट पर चौक िािा

िस िस करक ददन तरबिा भान ददनभर उस झखिकी की िरफ िाि वक़ि अपन आप को छपािा रहा और अगली दोपहर कॉलि क सलए तनकलन स पहल सहसा उसकी निर पीछ क उस दरवाि प पिी दरवािा बद दखकर उसन राहि की सास ली मकान स उसक कॉलि का रासिा कॉलि का पहला ददन माि ओपचाररकिाओ भरा रहा पढ़ाई क नाम प ससफज टाइम-टबल समला उसक कॉलि का समय दोपहर एक स पााच बि िक था ददनभर रह रहकर उस लिकी का खयाल भी उसकी बचनी बढ़ािा रहा

शाम को मकान म आि ही उस लिकी का खयाल उस कफर बचन करन लगा वो सोचिा रहा की आझखर वो ककस बाि प नाराि हो गई कयो

खामोश लमह 14 | P a g e

उसन उसकी िरफ बरा सा मह बनाया कया उस मरा उसकी िरफ दखना अचछा नही लगा मगर दख िो वो रही थी मि रसोई म आि िाि भान उििी सी निर उस दरवाि प भी डाल रहा था िो बद पिा था तरबना ककसी काम क रसोई म चककर लगाि लगाि अचानक वह दठठक कर रक गया दरवािा खला पिा था मगर वहाा कोई नही था भान की निर इधर उधर कछ िलाशन लगी सहमी सी निरो स वो खल दरवाि को दख रहा था कफर अचानक उसकी निर दरवाि क पास दाई िरफ बन टीन की शडनमा िोपिी पर गई जिसम एक गाय बधी थी और वो लिकी उस गाय का दध तनकाल रही थी भान कछ दर दखिा रहा हालाकक लिकी की पीठ उसको िरफ थी इससलए वो थोिा तनजशचि था साथ साथ वो सामन क बाकी अपाटजमट की झखडककयो पर उििी सी तनगाह डालकर तनजशचि होना चाह रहा था की कही कोई उसकी इस हरकि को दख िो नही रहा चह और स तनजशचििा का माहौल समला िो निर कफर स उस लिकी प िाकर ठहर गई िो अभी िक गाय का दध तनकालन म वयसि थी यकायक लिकी उठी और दध का बरिन हाथ म ल ससर िकाय अपन दरवाि की िरफ बढ़ी भान की निर उसक चहर प िमी थी वह सहमा सहमा उस दरवाि की िरफ बढ़ि हय दखिा रहा वो आि अपन चहर क भावो क माधयम स उस स

खामोश लमह 15 | P a g e

कल की गसिाखी क सलए कषमा मागना चाहिा था लिकी दरवाि म घसी और पलटकर दरवािा बद करि हय एक निर भान की झखिकी की िरफ दखा निरो म वही अिनबी बिाजव िो पहली मलाक़ाि म था भान उसक इस िरह अचानक दखन स सकपका गया और उसकी पवज तनयोजिि योिना धरी की धरी रह गई लिकी को िस पवाजभास हो गया था की भान उस दख रहा ह निर समली भान की धिकन अपनी लय िाल भल गई थी वह सनन रह गया थाउसन सोचा भी नही था को वो अचानक उसकी िरफ दखगी ससफज दो पल और कफर लिकी न तनववजकार भाव स दरवािा बद कर ददया भान की निर उसका पीछा करि करि बद होि दरवाि प िाकर चचपक गई अि म उसन चन की एक ठडी सास ली और वावपस कमर म आकर धिकि ददल को काब म करन की कोसशश करन लगा इन दो हादसो न उसक यवा ददल म काफी उथल-पथल मचा दी थी उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ और उसका ददल उनका िवाब भी द रहा था मगर ससलससला अिहीन था एक नया एहसास उस अिीब स रोमाच की अनभति स सरोबर ककए िा रहा था भान को अिीब सी कशमकश महसस हो रही थी बाविद इसक बढ़िी हई बचनी भी उसक ददल को सकन पहचान म सहायक ससदध हो रही थी य सब अचछा भी लग रहा था ददमाग म ववचारो की बाढ़ सी

खामोश लमह 16 | P a g e

आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

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और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

खामोश लमह 18 | P a g e

लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

खामोश लमह 19 | P a g e

सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

खामोश लमह 20 | P a g e

कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

खामोश लमह 21 | P a g e

हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

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ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 2: Khamosh lamhe 2

खामोश लमह 2 | P a g e

एक इसान जिसन नतिकिा की झििक म अपन पहल पयार की आहिी द दी

और िो उमर भर उस सिाप को गल म डाल ररसिो का फिज तनभािा चला गया कभी माा-बाप का वातसलयकभी पतनी का पयार िो कभी

बचचो की ममिा उसक परो म बड़ियाा बन रह मगर

इन सबक बाविद वो उस कभी ना भला सका

िो उसक ददल क ककसी कोन म

सससक रही थी वक़ि उसकी

िोली म ववयोग की

ििप भरिा

रहाhelliphelliphelliphellip

खामोश लमह

खामोश लमह 3 | P a g e

ldquoकह ा आस न ह पहली महबबत को भल दन

बहत मन लह थक ह घरद री बच न मrdquo

- मननवर राणा

(मन अपना य लघ उपनयास मशहर शायर मननवर राणा साहब क इस शrsquoर स परभाववि होकर सलखा ह िहा एक इसान अपनी सामाजिक जिममदाररयो का तनवाजहण करि करि अपन पहल पयार को अिीि की गहराइयो म ववलीन होि दखिा रहा मगर उमर क ढलिी साि मन िाकर िब जिममदाररयो स हलकी सी तनिाि समली िो दौि पिा उस अिीि क अधकप स बाहर तनकालन को

ldquoविकरमrdquo (eMail- akrajput8373gmailcom)

(WebSite wwwguglwacom)

खामोश लमह 4 | P a g e

राि अपन पर यौवन पर थी तरिवणी एकसपरस अपन गिवय को छन सरपट दौि रही थी सभी यािी अपनी अपनी बथज प गहरी नीद म सोय हय थ मगर एक अधि उमर शखस की आखो म नीद का नामोतनशान िक नही था चहर पर उमर न अपन तनशान बना ददय थ िीवन म लगभग पचपन स जयादा बसि दख चका तनढाल सा अपनी बथज प बठा टरन की झखिकी स बाहर फली चाादनी राि को दख रहा था िहा दर दर िक फला सननाटा इिन क शोर स तिलसमला कर कलबला रहा था आसमान म चााद िार अपनी हलकी थपककयो स अलहि चाादनी को लोररयाा द रह थ िो अधर को अपन आगोश म ल बपरवाह सी लटी हई थी कभी-कभी कही दर ककसी तरबिली क बलब की हलकी रोशनी पिो क िरमटो स निर आिी थी उसकी आख दर िक फली चाादनी क उस पार अपन अिीि को िलाश रही थी िो वक़ि क लब अिराल म कही दफ़न हो चका था वह बार बार अिीि क उन आध अधर दशयो को िोिकर एक ससलससलवार शीखला बनान की कोसशश करिा मगर वक़ि क बहि स दहसस अपना विद खो चक थ इसी उधिबन म न िान कब उसक थक चक मजसिषक को नीद न अपन आगोश म ल बाहर पसरी चाादनी स परतिसपधाज शर करदी टरन लोगो को उनकी मजिल िक पहाचान क सलए बरहमी स पटररयो का सीना रोदिी बिहाशा भाग रही थी

खामोश लमह 5 | P a g e

बीस वरषीय भान अपन बि भाई क साथ अपन कॉलि दाझखल क सलए अनपगढ़ आया था पहली बार गााव स शहर म पढ़न आया भान शहर की चहल-पहल स बहि परभाववि हआ भान क बि भाई का अनपगढ़ म िबादला हो गया था िो उनहोन भान को भी अपन पास पढ़न बला सलया बारहवी िक गााव म पढ़ा भान आग की पढ़ाई क सलए शहर आया था हालाकक उसक भाई को सरकारी आवास समला था मगर वह भान क कॉलि स काफी दर होन क कारण उसक बि भाई वविय न उसक कॉलि स माि एक ककलोमीटर दर रलव कॉलोनी म अपन एक दोसि क खाली पि कवाटजर म उसक रहन का परबध कर ददया था दर िक फल रलव क दो मजिला अपाटजमटस म करीब सतिर बलॉक थ और हर बलॉक म आठ पररवार रह सकि थ जिसम चार गराउडफलोर प पाजकिबदध बन थ और चार पहली मजिल प जिनक दरवाि सीदढ़यो म एक दसर क आमन सामन खलि थ पहली मजिल म दो बडरम का मकान उस अकल क सलए काफी बिा था पहल ददन भान न पर मकान का िायिा सलया रसोई म खाना बनान क सलए िररी बिजन सटोव और कोयल की अगीठी िक का इििाम था भान अपन घर म माा क काम म हाथ बटाि बटाि खाना बनाना सीख गया था रसोई क आग बरामदा और

खामोश लमह 6 | P a g e

बरामद क दसर ससर और मखय दरवाि क दाय िरफ सनानघर था जिसक नल स दटप दटप टपकिा पानी टट कर िलिा हआ फववारा और कोनो म िमी काई स चचपक कॉकरोच उस सरकारी होन का परमाणपि द रह थ

एक परा ददन भान को उस मकान को रहन लायक बनान म ही लगाना पिा शाम को बािार स दतनक उपयोग की चीि खरीद लाया राि को दर िक सभी िररी काम तनपटा कर सो गया पहली राि अिनबी िगह नीद समय प और ठीक स नही आिी अगली सबह दर स उठा हालाकक आि रवववार था इससलए कॉलि की भी छटटी थी

शयनककष म बनी झखिकी स सामन दर दर िक रलव लाइनो का िाल फला हआ था आस पास क कवाटजस म रहन वाल बचच रलव लाइनस और अपाटजमटस बीच सामन की िरफ बन पाकज म खल रह थ िो भान क अपाटजमट क ठीक सामन था बचचो क शोरगल को सनकर भान की आाख खल गई थी अपाटजमट क दाय और बरगद का पराना पि बरसो स

खामोश लमह 7 | P a g e

अपनी ववशाल शाखाओ पर ववसभनन परिाति क अनको पकषकषयो का आसशयाना बनाए हआ था उसकी काली पि चकी छाल उसक बढ़ा होन की चगली खा रही थी बरसाि क ददनो म उसक चारो िरफ पानी भर िािा था जिसम कछ आवारा पश कभी कभार िल करीडा करन आ धमकि और उसी दौरान पि क पकषी उनकी पीठ पर सवार हो नौकायन का लतफ उठा लि थ पाकज म कछ बिगज भी टहल रह थ परी जिदगी भाग-दौि म गिारन क बाद बढ़ाप म बीमाररयाा चन स बठन नही दिी मगर कॉलोनी की कछ औरि आराम स इकटठी बठकर फसजि स बतिया रही थी उनकी कानाफसी स लगिा था की वो कम स दश या समाि िस गभीर मददो प िो तरबलकल बाि नही कर रही थी हफि म एक सड ही िो समलिा ह उनको अगर उस भी गभीर मददो म िाया कर ददया िो कफर कया फायदा बीच बीच म उनक बचच चीखि चचललाि उनक पास एक दसर की सशकायि लकर आ िाि मगर वो उनह एक और धककया कर कफर स अपनी कानाफसी म लग िािी अपाटजमटो क आग पीछ और मधय बनी सडको प अखबार सबिी और दधवाल अपनी रोिमराज की भागदौि म लग थ

खामोश लमह 8 | P a g e

भान न दतनक ककरयायो स तनपट कर अपन सलए चाय बनाई और कप हाथ म सलए रसोई और बाथरम क मधय बन बरामद म आकर खिा हो गया बरामद म पीछ की िरफ लोह की चगरल लगी थी जिसम स पीछ का अपाटजमट परा निर आिा था कोिहलवश वो निर आन वाल हर एक मकान क झखिकी दरवािो स मकान म रहन वालो को दख रहा था एक दसर अपाटजमटस क बीचो-बीच सिक प बचच खल रहि थ य सिक यािायाि क सलए नही थी इनह ससफज अपाटजमटस म रहन वाल इसिमाल करि थ भान सलए य सब नया था य मकान शहर यहाा क लोग सब कछ नया था उसका मकान ऊपर ldquoएrdquo अपाटजमट म था और ठीक उसक पीछ ldquoबीrdquo अपाटजमट था उसक पीछ lsquoसीrsquo और इस िरह दस अपाटजमट की एक श खला थी और कफर इसी िरह दाई िरफ दस दस अपाटजमट की अनय श खलाएा थी नए लोग नया शहर उसक सलए सबकछ अिनबी था बीस वरषीय भान आकरषजक कदकाठी का यवक था उसक वयजकितव स किई आभास नही होिा था की य एक गरामीण पररवश म पला-बढ़ा यवक ह भान चाय की चसककयो क बीच जिजञासावश आस पास क निार दखन लगा चाय खिम करन क बाद वो वही खिा रहा और सोचिा रहा की ककिना फकज ह गााव और शहर की िीवन शली म गााव म हम हर एक इसान को भलीभााति िानि ह हर एक घर म आना िाना

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रहिा ह अपन घर स जयादा वक़ि िो गााव म घमकर और गााव क अनय घरो म गिरिा ह बहि अपनापन ह गााव म इधर हर कोई अपन आप म िी रहा ह यहाा सब पकषकषयो क भाति अपन अपन घोसलो म पि रहि ह ककसी को ककसी क सख-दख स कोई सरोकार नही सामन क अपाटजमट म बन मकानो की खली झखिकीयो और बालकोनी स घर म रहन वाल लोग इधर उधर घमि निर आ रह थ अचानक भान को अहसास हआ की कोई बार बार उसकी िरफ दख रहा ह उसन इस अपना भरम समिा और ससर को िटक कर दसरी िरफ दखन लगा थोि अिराल क बाद उसका शक यकीन म बदल गया की दो आख अकसर उस रह रह कर दख रही ह उसन दो चार बार उििी सी निर डालकर अपन ववशवास को मिबि ककया

कछ दर पशचाि दहममि बटोर कर उसन इधर उधर स आशवसि होन क बाद निर उन दो आखो प टीका दी िो काफी दर स उस घर रही थी ldquoबीrdquo बलॉक म दाय िरफ गराउडफलोर क मकान क खल दरवाि क बीचोबीच दोनो हाथ दरवाि की दीवारो पर दटकाय एक लिकी रह रहकर उसकी िरफ दख रही थी गौरा रग लबा छरहरा बदन हलक नारगी रग

खामोश लमह 10 | P a g e

क सलवार सट म उसका रप-लावणय ककसी को भी अपनी और आकवरषजि करन की कवि रखिा था वह कछ पल इधर उधर दखिी और कफर ककसी बहान स भान की िरफ तरबना गदजन को ऊपर उठाए दखन लगिी जिस स उसकी बिी बिी आख और भी खबसरि निर आन लगिी हालाकक दोनो क दरमयान करीब िीस मीटर का फासला था मगर कफर भी एक दसर क चहर को आसानी स पढ़ सकि थ भान भी थोि थोि अिराल क बाद उसको दखिा और कफर दसरी िरफ दखन लगिा लगािार आख फािक ककसी लिकी को घरना उसक ससकारो म नही था मगर एक िो उमर और कफर सामन अलहि यौवन स भरपर नवयौवना हो िो वववशिाय बढ़ िािी ह इस उमर म आकरषजण होना सहि बाि ह निरो का परसपर समलन बददसिर िारी था मानव शरीर म उमर क इस दौर म बनन वाल हामोनस क कारण वयवहार िक म अववशवसनीय बदलाव आि हउसीका निीिा था की दोनो धीर धीर एक दसर स एक अिान स आकरषजण स निरो स परखि लग दोनो ददल एक दसर म अपन सलए सभावनाए िलाश रह थ भान न पहली बार ककसी लिकी की िरफ इिनी दर और सिीदगी स दखा था िीवन म पहली बार ऐस दौर स गिरि दो यवा-ददल अपन अदर क कौिहल को दबान की चषटा कर रह थ धडकनो म अनायास हई बढ़ोिरी स नसो म खन का बहाव कछ

खामोश लमह 11 | P a g e

िि हो गया ददल बकाब हो सीन स बाहर तनकलन को मचल रहा था ददमाग और ददल म अपन अपन वचजसव लिाई चल रही थी अचानक बढ़ी इन हलचलो क सलए यवा ददलो का आकरषजण जिममदार था दोनो उमर क एक खास दौर स गिर रह थ जिसम एक दसर क परति झखचाव उतपनन होना लािमी ह

मगर यकायक सबकछ बदल गया अचानक लिकी न नाक ससकोडकर बरा सा मह बनाया और भान को चचढ़ाकर घर क अदर चली गई भान को िस ककसी न िमाचा मार ददया हो उस एक पल को सााप सा सघ गया हडबिा कर वो िरि वहाा स अलग हट गया और कमर क अदर िाकर अपन बकाब होि ददल की धडकनो को काब म करन लगा वो डर गया था उस अपनी हरकि म गससा आ रहा था कयो आि उसन ऐसी असभय हरकि की वो सोचन लगा अगर कही लिकी अपन घरवालो स उसकी सशकायि करद िो कया होगा अिनबी शहर म उस कोई िानिा भी िो नही उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ वो सोचन लगा की अब कया ककया िाए जिस स इस गलिी को सधारा िा सक अचानक दरवाि प हई दसिक स वो बौखला गया और उसक पर शरीर म ससहरन सी दौि गई उसन चौक कर दरवाि की िरफ दखा

खामोश लमह 12 | P a g e

कछ दर सोचिा रहा और अि म मन म ढरो सशय सलए धिकि ददल स वो दरवाि की िरफ बढ़ गया

दरवािा खला सामन एक वयजकि हाथ म एक सलफाफा सलए खिा था

ldquoआप रमश बाब क पररचचि ह ldquo आगिक न पछा

ldquoिीिी हाा कदहए ldquo भान न हकलाि हय िवाब ददया रमश भान क भाई वविय क दोसि का नाम था जिसको रलव की िरफ स य कवाटजर आवदटि हआ था

ldquoउनहोन य खि आपको दन क ददया थाldquo उसन सलफाफा भान की िरफ बढ़ा ददया

ldquoहम लोग भी यही रहि हldquo आगिक न सामन क दरवाि की िरफ इशारा करि हय कहा

ldquoककसी चीि की िररि हो िो बदहचक कह दनाrdquo आगिक न कहा और सामन का दरवािा खोलकर घर क अदर चला गया

भान न राहि की सास ली दरवािा बद ककया और अदर आकर खि पढ़न लगा खि म तरबिली पानी स सबजनधि िररी दहदायिो क ससवा

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सामन क मकान म रहन वाल शमाजिी स ककसी भी िरह की मदद क सलए समलि रहन को सलखा था रमश का वपछल महीन कछ ददनो क सलए पास क शहर म टरानसफर हो गया था ददनभर भान उस लिकी क बार म सोच सोच कर बचन होिा रहा वह हर आहट पर चौक िािा

िस िस करक ददन तरबिा भान ददनभर उस झखिकी की िरफ िाि वक़ि अपन आप को छपािा रहा और अगली दोपहर कॉलि क सलए तनकलन स पहल सहसा उसकी निर पीछ क उस दरवाि प पिी दरवािा बद दखकर उसन राहि की सास ली मकान स उसक कॉलि का रासिा कॉलि का पहला ददन माि ओपचाररकिाओ भरा रहा पढ़ाई क नाम प ससफज टाइम-टबल समला उसक कॉलि का समय दोपहर एक स पााच बि िक था ददनभर रह रहकर उस लिकी का खयाल भी उसकी बचनी बढ़ािा रहा

शाम को मकान म आि ही उस लिकी का खयाल उस कफर बचन करन लगा वो सोचिा रहा की आझखर वो ककस बाि प नाराि हो गई कयो

खामोश लमह 14 | P a g e

उसन उसकी िरफ बरा सा मह बनाया कया उस मरा उसकी िरफ दखना अचछा नही लगा मगर दख िो वो रही थी मि रसोई म आि िाि भान उििी सी निर उस दरवाि प भी डाल रहा था िो बद पिा था तरबना ककसी काम क रसोई म चककर लगाि लगाि अचानक वह दठठक कर रक गया दरवािा खला पिा था मगर वहाा कोई नही था भान की निर इधर उधर कछ िलाशन लगी सहमी सी निरो स वो खल दरवाि को दख रहा था कफर अचानक उसकी निर दरवाि क पास दाई िरफ बन टीन की शडनमा िोपिी पर गई जिसम एक गाय बधी थी और वो लिकी उस गाय का दध तनकाल रही थी भान कछ दर दखिा रहा हालाकक लिकी की पीठ उसको िरफ थी इससलए वो थोिा तनजशचि था साथ साथ वो सामन क बाकी अपाटजमट की झखडककयो पर उििी सी तनगाह डालकर तनजशचि होना चाह रहा था की कही कोई उसकी इस हरकि को दख िो नही रहा चह और स तनजशचििा का माहौल समला िो निर कफर स उस लिकी प िाकर ठहर गई िो अभी िक गाय का दध तनकालन म वयसि थी यकायक लिकी उठी और दध का बरिन हाथ म ल ससर िकाय अपन दरवाि की िरफ बढ़ी भान की निर उसक चहर प िमी थी वह सहमा सहमा उस दरवाि की िरफ बढ़ि हय दखिा रहा वो आि अपन चहर क भावो क माधयम स उस स

खामोश लमह 15 | P a g e

कल की गसिाखी क सलए कषमा मागना चाहिा था लिकी दरवाि म घसी और पलटकर दरवािा बद करि हय एक निर भान की झखिकी की िरफ दखा निरो म वही अिनबी बिाजव िो पहली मलाक़ाि म था भान उसक इस िरह अचानक दखन स सकपका गया और उसकी पवज तनयोजिि योिना धरी की धरी रह गई लिकी को िस पवाजभास हो गया था की भान उस दख रहा ह निर समली भान की धिकन अपनी लय िाल भल गई थी वह सनन रह गया थाउसन सोचा भी नही था को वो अचानक उसकी िरफ दखगी ससफज दो पल और कफर लिकी न तनववजकार भाव स दरवािा बद कर ददया भान की निर उसका पीछा करि करि बद होि दरवाि प िाकर चचपक गई अि म उसन चन की एक ठडी सास ली और वावपस कमर म आकर धिकि ददल को काब म करन की कोसशश करन लगा इन दो हादसो न उसक यवा ददल म काफी उथल-पथल मचा दी थी उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ और उसका ददल उनका िवाब भी द रहा था मगर ससलससला अिहीन था एक नया एहसास उस अिीब स रोमाच की अनभति स सरोबर ककए िा रहा था भान को अिीब सी कशमकश महसस हो रही थी बाविद इसक बढ़िी हई बचनी भी उसक ददल को सकन पहचान म सहायक ससदध हो रही थी य सब अचछा भी लग रहा था ददमाग म ववचारो की बाढ़ सी

खामोश लमह 16 | P a g e

आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

खामोश लमह 17 | P a g e

और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

खामोश लमह 18 | P a g e

लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

खामोश लमह 19 | P a g e

सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

खामोश लमह 20 | P a g e

कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

खामोश लमह 21 | P a g e

हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

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बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

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ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

खामोश लमह 67 | P a g e

Page 3: Khamosh lamhe 2

खामोश लमह 3 | P a g e

ldquoकह ा आस न ह पहली महबबत को भल दन

बहत मन लह थक ह घरद री बच न मrdquo

- मननवर राणा

(मन अपना य लघ उपनयास मशहर शायर मननवर राणा साहब क इस शrsquoर स परभाववि होकर सलखा ह िहा एक इसान अपनी सामाजिक जिममदाररयो का तनवाजहण करि करि अपन पहल पयार को अिीि की गहराइयो म ववलीन होि दखिा रहा मगर उमर क ढलिी साि मन िाकर िब जिममदाररयो स हलकी सी तनिाि समली िो दौि पिा उस अिीि क अधकप स बाहर तनकालन को

ldquoविकरमrdquo (eMail- akrajput8373gmailcom)

(WebSite wwwguglwacom)

खामोश लमह 4 | P a g e

राि अपन पर यौवन पर थी तरिवणी एकसपरस अपन गिवय को छन सरपट दौि रही थी सभी यािी अपनी अपनी बथज प गहरी नीद म सोय हय थ मगर एक अधि उमर शखस की आखो म नीद का नामोतनशान िक नही था चहर पर उमर न अपन तनशान बना ददय थ िीवन म लगभग पचपन स जयादा बसि दख चका तनढाल सा अपनी बथज प बठा टरन की झखिकी स बाहर फली चाादनी राि को दख रहा था िहा दर दर िक फला सननाटा इिन क शोर स तिलसमला कर कलबला रहा था आसमान म चााद िार अपनी हलकी थपककयो स अलहि चाादनी को लोररयाा द रह थ िो अधर को अपन आगोश म ल बपरवाह सी लटी हई थी कभी-कभी कही दर ककसी तरबिली क बलब की हलकी रोशनी पिो क िरमटो स निर आिी थी उसकी आख दर िक फली चाादनी क उस पार अपन अिीि को िलाश रही थी िो वक़ि क लब अिराल म कही दफ़न हो चका था वह बार बार अिीि क उन आध अधर दशयो को िोिकर एक ससलससलवार शीखला बनान की कोसशश करिा मगर वक़ि क बहि स दहसस अपना विद खो चक थ इसी उधिबन म न िान कब उसक थक चक मजसिषक को नीद न अपन आगोश म ल बाहर पसरी चाादनी स परतिसपधाज शर करदी टरन लोगो को उनकी मजिल िक पहाचान क सलए बरहमी स पटररयो का सीना रोदिी बिहाशा भाग रही थी

खामोश लमह 5 | P a g e

बीस वरषीय भान अपन बि भाई क साथ अपन कॉलि दाझखल क सलए अनपगढ़ आया था पहली बार गााव स शहर म पढ़न आया भान शहर की चहल-पहल स बहि परभाववि हआ भान क बि भाई का अनपगढ़ म िबादला हो गया था िो उनहोन भान को भी अपन पास पढ़न बला सलया बारहवी िक गााव म पढ़ा भान आग की पढ़ाई क सलए शहर आया था हालाकक उसक भाई को सरकारी आवास समला था मगर वह भान क कॉलि स काफी दर होन क कारण उसक बि भाई वविय न उसक कॉलि स माि एक ककलोमीटर दर रलव कॉलोनी म अपन एक दोसि क खाली पि कवाटजर म उसक रहन का परबध कर ददया था दर िक फल रलव क दो मजिला अपाटजमटस म करीब सतिर बलॉक थ और हर बलॉक म आठ पररवार रह सकि थ जिसम चार गराउडफलोर प पाजकिबदध बन थ और चार पहली मजिल प जिनक दरवाि सीदढ़यो म एक दसर क आमन सामन खलि थ पहली मजिल म दो बडरम का मकान उस अकल क सलए काफी बिा था पहल ददन भान न पर मकान का िायिा सलया रसोई म खाना बनान क सलए िररी बिजन सटोव और कोयल की अगीठी िक का इििाम था भान अपन घर म माा क काम म हाथ बटाि बटाि खाना बनाना सीख गया था रसोई क आग बरामदा और

खामोश लमह 6 | P a g e

बरामद क दसर ससर और मखय दरवाि क दाय िरफ सनानघर था जिसक नल स दटप दटप टपकिा पानी टट कर िलिा हआ फववारा और कोनो म िमी काई स चचपक कॉकरोच उस सरकारी होन का परमाणपि द रह थ

एक परा ददन भान को उस मकान को रहन लायक बनान म ही लगाना पिा शाम को बािार स दतनक उपयोग की चीि खरीद लाया राि को दर िक सभी िररी काम तनपटा कर सो गया पहली राि अिनबी िगह नीद समय प और ठीक स नही आिी अगली सबह दर स उठा हालाकक आि रवववार था इससलए कॉलि की भी छटटी थी

शयनककष म बनी झखिकी स सामन दर दर िक रलव लाइनो का िाल फला हआ था आस पास क कवाटजस म रहन वाल बचच रलव लाइनस और अपाटजमटस बीच सामन की िरफ बन पाकज म खल रह थ िो भान क अपाटजमट क ठीक सामन था बचचो क शोरगल को सनकर भान की आाख खल गई थी अपाटजमट क दाय और बरगद का पराना पि बरसो स

खामोश लमह 7 | P a g e

अपनी ववशाल शाखाओ पर ववसभनन परिाति क अनको पकषकषयो का आसशयाना बनाए हआ था उसकी काली पि चकी छाल उसक बढ़ा होन की चगली खा रही थी बरसाि क ददनो म उसक चारो िरफ पानी भर िािा था जिसम कछ आवारा पश कभी कभार िल करीडा करन आ धमकि और उसी दौरान पि क पकषी उनकी पीठ पर सवार हो नौकायन का लतफ उठा लि थ पाकज म कछ बिगज भी टहल रह थ परी जिदगी भाग-दौि म गिारन क बाद बढ़ाप म बीमाररयाा चन स बठन नही दिी मगर कॉलोनी की कछ औरि आराम स इकटठी बठकर फसजि स बतिया रही थी उनकी कानाफसी स लगिा था की वो कम स दश या समाि िस गभीर मददो प िो तरबलकल बाि नही कर रही थी हफि म एक सड ही िो समलिा ह उनको अगर उस भी गभीर मददो म िाया कर ददया िो कफर कया फायदा बीच बीच म उनक बचच चीखि चचललाि उनक पास एक दसर की सशकायि लकर आ िाि मगर वो उनह एक और धककया कर कफर स अपनी कानाफसी म लग िािी अपाटजमटो क आग पीछ और मधय बनी सडको प अखबार सबिी और दधवाल अपनी रोिमराज की भागदौि म लग थ

खामोश लमह 8 | P a g e

भान न दतनक ककरयायो स तनपट कर अपन सलए चाय बनाई और कप हाथ म सलए रसोई और बाथरम क मधय बन बरामद म आकर खिा हो गया बरामद म पीछ की िरफ लोह की चगरल लगी थी जिसम स पीछ का अपाटजमट परा निर आिा था कोिहलवश वो निर आन वाल हर एक मकान क झखिकी दरवािो स मकान म रहन वालो को दख रहा था एक दसर अपाटजमटस क बीचो-बीच सिक प बचच खल रहि थ य सिक यािायाि क सलए नही थी इनह ससफज अपाटजमटस म रहन वाल इसिमाल करि थ भान सलए य सब नया था य मकान शहर यहाा क लोग सब कछ नया था उसका मकान ऊपर ldquoएrdquo अपाटजमट म था और ठीक उसक पीछ ldquoबीrdquo अपाटजमट था उसक पीछ lsquoसीrsquo और इस िरह दस अपाटजमट की एक श खला थी और कफर इसी िरह दाई िरफ दस दस अपाटजमट की अनय श खलाएा थी नए लोग नया शहर उसक सलए सबकछ अिनबी था बीस वरषीय भान आकरषजक कदकाठी का यवक था उसक वयजकितव स किई आभास नही होिा था की य एक गरामीण पररवश म पला-बढ़ा यवक ह भान चाय की चसककयो क बीच जिजञासावश आस पास क निार दखन लगा चाय खिम करन क बाद वो वही खिा रहा और सोचिा रहा की ककिना फकज ह गााव और शहर की िीवन शली म गााव म हम हर एक इसान को भलीभााति िानि ह हर एक घर म आना िाना

खामोश लमह 9 | P a g e

रहिा ह अपन घर स जयादा वक़ि िो गााव म घमकर और गााव क अनय घरो म गिरिा ह बहि अपनापन ह गााव म इधर हर कोई अपन आप म िी रहा ह यहाा सब पकषकषयो क भाति अपन अपन घोसलो म पि रहि ह ककसी को ककसी क सख-दख स कोई सरोकार नही सामन क अपाटजमट म बन मकानो की खली झखिकीयो और बालकोनी स घर म रहन वाल लोग इधर उधर घमि निर आ रह थ अचानक भान को अहसास हआ की कोई बार बार उसकी िरफ दख रहा ह उसन इस अपना भरम समिा और ससर को िटक कर दसरी िरफ दखन लगा थोि अिराल क बाद उसका शक यकीन म बदल गया की दो आख अकसर उस रह रह कर दख रही ह उसन दो चार बार उििी सी निर डालकर अपन ववशवास को मिबि ककया

कछ दर पशचाि दहममि बटोर कर उसन इधर उधर स आशवसि होन क बाद निर उन दो आखो प टीका दी िो काफी दर स उस घर रही थी ldquoबीrdquo बलॉक म दाय िरफ गराउडफलोर क मकान क खल दरवाि क बीचोबीच दोनो हाथ दरवाि की दीवारो पर दटकाय एक लिकी रह रहकर उसकी िरफ दख रही थी गौरा रग लबा छरहरा बदन हलक नारगी रग

खामोश लमह 10 | P a g e

क सलवार सट म उसका रप-लावणय ककसी को भी अपनी और आकवरषजि करन की कवि रखिा था वह कछ पल इधर उधर दखिी और कफर ककसी बहान स भान की िरफ तरबना गदजन को ऊपर उठाए दखन लगिी जिस स उसकी बिी बिी आख और भी खबसरि निर आन लगिी हालाकक दोनो क दरमयान करीब िीस मीटर का फासला था मगर कफर भी एक दसर क चहर को आसानी स पढ़ सकि थ भान भी थोि थोि अिराल क बाद उसको दखिा और कफर दसरी िरफ दखन लगिा लगािार आख फािक ककसी लिकी को घरना उसक ससकारो म नही था मगर एक िो उमर और कफर सामन अलहि यौवन स भरपर नवयौवना हो िो वववशिाय बढ़ िािी ह इस उमर म आकरषजण होना सहि बाि ह निरो का परसपर समलन बददसिर िारी था मानव शरीर म उमर क इस दौर म बनन वाल हामोनस क कारण वयवहार िक म अववशवसनीय बदलाव आि हउसीका निीिा था की दोनो धीर धीर एक दसर स एक अिान स आकरषजण स निरो स परखि लग दोनो ददल एक दसर म अपन सलए सभावनाए िलाश रह थ भान न पहली बार ककसी लिकी की िरफ इिनी दर और सिीदगी स दखा था िीवन म पहली बार ऐस दौर स गिरि दो यवा-ददल अपन अदर क कौिहल को दबान की चषटा कर रह थ धडकनो म अनायास हई बढ़ोिरी स नसो म खन का बहाव कछ

खामोश लमह 11 | P a g e

िि हो गया ददल बकाब हो सीन स बाहर तनकलन को मचल रहा था ददमाग और ददल म अपन अपन वचजसव लिाई चल रही थी अचानक बढ़ी इन हलचलो क सलए यवा ददलो का आकरषजण जिममदार था दोनो उमर क एक खास दौर स गिर रह थ जिसम एक दसर क परति झखचाव उतपनन होना लािमी ह

मगर यकायक सबकछ बदल गया अचानक लिकी न नाक ससकोडकर बरा सा मह बनाया और भान को चचढ़ाकर घर क अदर चली गई भान को िस ककसी न िमाचा मार ददया हो उस एक पल को सााप सा सघ गया हडबिा कर वो िरि वहाा स अलग हट गया और कमर क अदर िाकर अपन बकाब होि ददल की धडकनो को काब म करन लगा वो डर गया था उस अपनी हरकि म गससा आ रहा था कयो आि उसन ऐसी असभय हरकि की वो सोचन लगा अगर कही लिकी अपन घरवालो स उसकी सशकायि करद िो कया होगा अिनबी शहर म उस कोई िानिा भी िो नही उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ वो सोचन लगा की अब कया ककया िाए जिस स इस गलिी को सधारा िा सक अचानक दरवाि प हई दसिक स वो बौखला गया और उसक पर शरीर म ससहरन सी दौि गई उसन चौक कर दरवाि की िरफ दखा

खामोश लमह 12 | P a g e

कछ दर सोचिा रहा और अि म मन म ढरो सशय सलए धिकि ददल स वो दरवाि की िरफ बढ़ गया

दरवािा खला सामन एक वयजकि हाथ म एक सलफाफा सलए खिा था

ldquoआप रमश बाब क पररचचि ह ldquo आगिक न पछा

ldquoिीिी हाा कदहए ldquo भान न हकलाि हय िवाब ददया रमश भान क भाई वविय क दोसि का नाम था जिसको रलव की िरफ स य कवाटजर आवदटि हआ था

ldquoउनहोन य खि आपको दन क ददया थाldquo उसन सलफाफा भान की िरफ बढ़ा ददया

ldquoहम लोग भी यही रहि हldquo आगिक न सामन क दरवाि की िरफ इशारा करि हय कहा

ldquoककसी चीि की िररि हो िो बदहचक कह दनाrdquo आगिक न कहा और सामन का दरवािा खोलकर घर क अदर चला गया

भान न राहि की सास ली दरवािा बद ककया और अदर आकर खि पढ़न लगा खि म तरबिली पानी स सबजनधि िररी दहदायिो क ससवा

खामोश लमह 13 | P a g e

सामन क मकान म रहन वाल शमाजिी स ककसी भी िरह की मदद क सलए समलि रहन को सलखा था रमश का वपछल महीन कछ ददनो क सलए पास क शहर म टरानसफर हो गया था ददनभर भान उस लिकी क बार म सोच सोच कर बचन होिा रहा वह हर आहट पर चौक िािा

िस िस करक ददन तरबिा भान ददनभर उस झखिकी की िरफ िाि वक़ि अपन आप को छपािा रहा और अगली दोपहर कॉलि क सलए तनकलन स पहल सहसा उसकी निर पीछ क उस दरवाि प पिी दरवािा बद दखकर उसन राहि की सास ली मकान स उसक कॉलि का रासिा कॉलि का पहला ददन माि ओपचाररकिाओ भरा रहा पढ़ाई क नाम प ससफज टाइम-टबल समला उसक कॉलि का समय दोपहर एक स पााच बि िक था ददनभर रह रहकर उस लिकी का खयाल भी उसकी बचनी बढ़ािा रहा

शाम को मकान म आि ही उस लिकी का खयाल उस कफर बचन करन लगा वो सोचिा रहा की आझखर वो ककस बाि प नाराि हो गई कयो

खामोश लमह 14 | P a g e

उसन उसकी िरफ बरा सा मह बनाया कया उस मरा उसकी िरफ दखना अचछा नही लगा मगर दख िो वो रही थी मि रसोई म आि िाि भान उििी सी निर उस दरवाि प भी डाल रहा था िो बद पिा था तरबना ककसी काम क रसोई म चककर लगाि लगाि अचानक वह दठठक कर रक गया दरवािा खला पिा था मगर वहाा कोई नही था भान की निर इधर उधर कछ िलाशन लगी सहमी सी निरो स वो खल दरवाि को दख रहा था कफर अचानक उसकी निर दरवाि क पास दाई िरफ बन टीन की शडनमा िोपिी पर गई जिसम एक गाय बधी थी और वो लिकी उस गाय का दध तनकाल रही थी भान कछ दर दखिा रहा हालाकक लिकी की पीठ उसको िरफ थी इससलए वो थोिा तनजशचि था साथ साथ वो सामन क बाकी अपाटजमट की झखडककयो पर उििी सी तनगाह डालकर तनजशचि होना चाह रहा था की कही कोई उसकी इस हरकि को दख िो नही रहा चह और स तनजशचििा का माहौल समला िो निर कफर स उस लिकी प िाकर ठहर गई िो अभी िक गाय का दध तनकालन म वयसि थी यकायक लिकी उठी और दध का बरिन हाथ म ल ससर िकाय अपन दरवाि की िरफ बढ़ी भान की निर उसक चहर प िमी थी वह सहमा सहमा उस दरवाि की िरफ बढ़ि हय दखिा रहा वो आि अपन चहर क भावो क माधयम स उस स

खामोश लमह 15 | P a g e

कल की गसिाखी क सलए कषमा मागना चाहिा था लिकी दरवाि म घसी और पलटकर दरवािा बद करि हय एक निर भान की झखिकी की िरफ दखा निरो म वही अिनबी बिाजव िो पहली मलाक़ाि म था भान उसक इस िरह अचानक दखन स सकपका गया और उसकी पवज तनयोजिि योिना धरी की धरी रह गई लिकी को िस पवाजभास हो गया था की भान उस दख रहा ह निर समली भान की धिकन अपनी लय िाल भल गई थी वह सनन रह गया थाउसन सोचा भी नही था को वो अचानक उसकी िरफ दखगी ससफज दो पल और कफर लिकी न तनववजकार भाव स दरवािा बद कर ददया भान की निर उसका पीछा करि करि बद होि दरवाि प िाकर चचपक गई अि म उसन चन की एक ठडी सास ली और वावपस कमर म आकर धिकि ददल को काब म करन की कोसशश करन लगा इन दो हादसो न उसक यवा ददल म काफी उथल-पथल मचा दी थी उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ और उसका ददल उनका िवाब भी द रहा था मगर ससलससला अिहीन था एक नया एहसास उस अिीब स रोमाच की अनभति स सरोबर ककए िा रहा था भान को अिीब सी कशमकश महसस हो रही थी बाविद इसक बढ़िी हई बचनी भी उसक ददल को सकन पहचान म सहायक ससदध हो रही थी य सब अचछा भी लग रहा था ददमाग म ववचारो की बाढ़ सी

खामोश लमह 16 | P a g e

आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

खामोश लमह 17 | P a g e

और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

खामोश लमह 18 | P a g e

लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

खामोश लमह 19 | P a g e

सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

खामोश लमह 20 | P a g e

कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

खामोश लमह 21 | P a g e

हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

खामोश लमह 40 | P a g e

वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

खामोश लमह 44 | P a g e

नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 4: Khamosh lamhe 2

खामोश लमह 4 | P a g e

राि अपन पर यौवन पर थी तरिवणी एकसपरस अपन गिवय को छन सरपट दौि रही थी सभी यािी अपनी अपनी बथज प गहरी नीद म सोय हय थ मगर एक अधि उमर शखस की आखो म नीद का नामोतनशान िक नही था चहर पर उमर न अपन तनशान बना ददय थ िीवन म लगभग पचपन स जयादा बसि दख चका तनढाल सा अपनी बथज प बठा टरन की झखिकी स बाहर फली चाादनी राि को दख रहा था िहा दर दर िक फला सननाटा इिन क शोर स तिलसमला कर कलबला रहा था आसमान म चााद िार अपनी हलकी थपककयो स अलहि चाादनी को लोररयाा द रह थ िो अधर को अपन आगोश म ल बपरवाह सी लटी हई थी कभी-कभी कही दर ककसी तरबिली क बलब की हलकी रोशनी पिो क िरमटो स निर आिी थी उसकी आख दर िक फली चाादनी क उस पार अपन अिीि को िलाश रही थी िो वक़ि क लब अिराल म कही दफ़न हो चका था वह बार बार अिीि क उन आध अधर दशयो को िोिकर एक ससलससलवार शीखला बनान की कोसशश करिा मगर वक़ि क बहि स दहसस अपना विद खो चक थ इसी उधिबन म न िान कब उसक थक चक मजसिषक को नीद न अपन आगोश म ल बाहर पसरी चाादनी स परतिसपधाज शर करदी टरन लोगो को उनकी मजिल िक पहाचान क सलए बरहमी स पटररयो का सीना रोदिी बिहाशा भाग रही थी

खामोश लमह 5 | P a g e

बीस वरषीय भान अपन बि भाई क साथ अपन कॉलि दाझखल क सलए अनपगढ़ आया था पहली बार गााव स शहर म पढ़न आया भान शहर की चहल-पहल स बहि परभाववि हआ भान क बि भाई का अनपगढ़ म िबादला हो गया था िो उनहोन भान को भी अपन पास पढ़न बला सलया बारहवी िक गााव म पढ़ा भान आग की पढ़ाई क सलए शहर आया था हालाकक उसक भाई को सरकारी आवास समला था मगर वह भान क कॉलि स काफी दर होन क कारण उसक बि भाई वविय न उसक कॉलि स माि एक ककलोमीटर दर रलव कॉलोनी म अपन एक दोसि क खाली पि कवाटजर म उसक रहन का परबध कर ददया था दर िक फल रलव क दो मजिला अपाटजमटस म करीब सतिर बलॉक थ और हर बलॉक म आठ पररवार रह सकि थ जिसम चार गराउडफलोर प पाजकिबदध बन थ और चार पहली मजिल प जिनक दरवाि सीदढ़यो म एक दसर क आमन सामन खलि थ पहली मजिल म दो बडरम का मकान उस अकल क सलए काफी बिा था पहल ददन भान न पर मकान का िायिा सलया रसोई म खाना बनान क सलए िररी बिजन सटोव और कोयल की अगीठी िक का इििाम था भान अपन घर म माा क काम म हाथ बटाि बटाि खाना बनाना सीख गया था रसोई क आग बरामदा और

खामोश लमह 6 | P a g e

बरामद क दसर ससर और मखय दरवाि क दाय िरफ सनानघर था जिसक नल स दटप दटप टपकिा पानी टट कर िलिा हआ फववारा और कोनो म िमी काई स चचपक कॉकरोच उस सरकारी होन का परमाणपि द रह थ

एक परा ददन भान को उस मकान को रहन लायक बनान म ही लगाना पिा शाम को बािार स दतनक उपयोग की चीि खरीद लाया राि को दर िक सभी िररी काम तनपटा कर सो गया पहली राि अिनबी िगह नीद समय प और ठीक स नही आिी अगली सबह दर स उठा हालाकक आि रवववार था इससलए कॉलि की भी छटटी थी

शयनककष म बनी झखिकी स सामन दर दर िक रलव लाइनो का िाल फला हआ था आस पास क कवाटजस म रहन वाल बचच रलव लाइनस और अपाटजमटस बीच सामन की िरफ बन पाकज म खल रह थ िो भान क अपाटजमट क ठीक सामन था बचचो क शोरगल को सनकर भान की आाख खल गई थी अपाटजमट क दाय और बरगद का पराना पि बरसो स

खामोश लमह 7 | P a g e

अपनी ववशाल शाखाओ पर ववसभनन परिाति क अनको पकषकषयो का आसशयाना बनाए हआ था उसकी काली पि चकी छाल उसक बढ़ा होन की चगली खा रही थी बरसाि क ददनो म उसक चारो िरफ पानी भर िािा था जिसम कछ आवारा पश कभी कभार िल करीडा करन आ धमकि और उसी दौरान पि क पकषी उनकी पीठ पर सवार हो नौकायन का लतफ उठा लि थ पाकज म कछ बिगज भी टहल रह थ परी जिदगी भाग-दौि म गिारन क बाद बढ़ाप म बीमाररयाा चन स बठन नही दिी मगर कॉलोनी की कछ औरि आराम स इकटठी बठकर फसजि स बतिया रही थी उनकी कानाफसी स लगिा था की वो कम स दश या समाि िस गभीर मददो प िो तरबलकल बाि नही कर रही थी हफि म एक सड ही िो समलिा ह उनको अगर उस भी गभीर मददो म िाया कर ददया िो कफर कया फायदा बीच बीच म उनक बचच चीखि चचललाि उनक पास एक दसर की सशकायि लकर आ िाि मगर वो उनह एक और धककया कर कफर स अपनी कानाफसी म लग िािी अपाटजमटो क आग पीछ और मधय बनी सडको प अखबार सबिी और दधवाल अपनी रोिमराज की भागदौि म लग थ

खामोश लमह 8 | P a g e

भान न दतनक ककरयायो स तनपट कर अपन सलए चाय बनाई और कप हाथ म सलए रसोई और बाथरम क मधय बन बरामद म आकर खिा हो गया बरामद म पीछ की िरफ लोह की चगरल लगी थी जिसम स पीछ का अपाटजमट परा निर आिा था कोिहलवश वो निर आन वाल हर एक मकान क झखिकी दरवािो स मकान म रहन वालो को दख रहा था एक दसर अपाटजमटस क बीचो-बीच सिक प बचच खल रहि थ य सिक यािायाि क सलए नही थी इनह ससफज अपाटजमटस म रहन वाल इसिमाल करि थ भान सलए य सब नया था य मकान शहर यहाा क लोग सब कछ नया था उसका मकान ऊपर ldquoएrdquo अपाटजमट म था और ठीक उसक पीछ ldquoबीrdquo अपाटजमट था उसक पीछ lsquoसीrsquo और इस िरह दस अपाटजमट की एक श खला थी और कफर इसी िरह दाई िरफ दस दस अपाटजमट की अनय श खलाएा थी नए लोग नया शहर उसक सलए सबकछ अिनबी था बीस वरषीय भान आकरषजक कदकाठी का यवक था उसक वयजकितव स किई आभास नही होिा था की य एक गरामीण पररवश म पला-बढ़ा यवक ह भान चाय की चसककयो क बीच जिजञासावश आस पास क निार दखन लगा चाय खिम करन क बाद वो वही खिा रहा और सोचिा रहा की ककिना फकज ह गााव और शहर की िीवन शली म गााव म हम हर एक इसान को भलीभााति िानि ह हर एक घर म आना िाना

खामोश लमह 9 | P a g e

रहिा ह अपन घर स जयादा वक़ि िो गााव म घमकर और गााव क अनय घरो म गिरिा ह बहि अपनापन ह गााव म इधर हर कोई अपन आप म िी रहा ह यहाा सब पकषकषयो क भाति अपन अपन घोसलो म पि रहि ह ककसी को ककसी क सख-दख स कोई सरोकार नही सामन क अपाटजमट म बन मकानो की खली झखिकीयो और बालकोनी स घर म रहन वाल लोग इधर उधर घमि निर आ रह थ अचानक भान को अहसास हआ की कोई बार बार उसकी िरफ दख रहा ह उसन इस अपना भरम समिा और ससर को िटक कर दसरी िरफ दखन लगा थोि अिराल क बाद उसका शक यकीन म बदल गया की दो आख अकसर उस रह रह कर दख रही ह उसन दो चार बार उििी सी निर डालकर अपन ववशवास को मिबि ककया

कछ दर पशचाि दहममि बटोर कर उसन इधर उधर स आशवसि होन क बाद निर उन दो आखो प टीका दी िो काफी दर स उस घर रही थी ldquoबीrdquo बलॉक म दाय िरफ गराउडफलोर क मकान क खल दरवाि क बीचोबीच दोनो हाथ दरवाि की दीवारो पर दटकाय एक लिकी रह रहकर उसकी िरफ दख रही थी गौरा रग लबा छरहरा बदन हलक नारगी रग

खामोश लमह 10 | P a g e

क सलवार सट म उसका रप-लावणय ककसी को भी अपनी और आकवरषजि करन की कवि रखिा था वह कछ पल इधर उधर दखिी और कफर ककसी बहान स भान की िरफ तरबना गदजन को ऊपर उठाए दखन लगिी जिस स उसकी बिी बिी आख और भी खबसरि निर आन लगिी हालाकक दोनो क दरमयान करीब िीस मीटर का फासला था मगर कफर भी एक दसर क चहर को आसानी स पढ़ सकि थ भान भी थोि थोि अिराल क बाद उसको दखिा और कफर दसरी िरफ दखन लगिा लगािार आख फािक ककसी लिकी को घरना उसक ससकारो म नही था मगर एक िो उमर और कफर सामन अलहि यौवन स भरपर नवयौवना हो िो वववशिाय बढ़ िािी ह इस उमर म आकरषजण होना सहि बाि ह निरो का परसपर समलन बददसिर िारी था मानव शरीर म उमर क इस दौर म बनन वाल हामोनस क कारण वयवहार िक म अववशवसनीय बदलाव आि हउसीका निीिा था की दोनो धीर धीर एक दसर स एक अिान स आकरषजण स निरो स परखि लग दोनो ददल एक दसर म अपन सलए सभावनाए िलाश रह थ भान न पहली बार ककसी लिकी की िरफ इिनी दर और सिीदगी स दखा था िीवन म पहली बार ऐस दौर स गिरि दो यवा-ददल अपन अदर क कौिहल को दबान की चषटा कर रह थ धडकनो म अनायास हई बढ़ोिरी स नसो म खन का बहाव कछ

खामोश लमह 11 | P a g e

िि हो गया ददल बकाब हो सीन स बाहर तनकलन को मचल रहा था ददमाग और ददल म अपन अपन वचजसव लिाई चल रही थी अचानक बढ़ी इन हलचलो क सलए यवा ददलो का आकरषजण जिममदार था दोनो उमर क एक खास दौर स गिर रह थ जिसम एक दसर क परति झखचाव उतपनन होना लािमी ह

मगर यकायक सबकछ बदल गया अचानक लिकी न नाक ससकोडकर बरा सा मह बनाया और भान को चचढ़ाकर घर क अदर चली गई भान को िस ककसी न िमाचा मार ददया हो उस एक पल को सााप सा सघ गया हडबिा कर वो िरि वहाा स अलग हट गया और कमर क अदर िाकर अपन बकाब होि ददल की धडकनो को काब म करन लगा वो डर गया था उस अपनी हरकि म गससा आ रहा था कयो आि उसन ऐसी असभय हरकि की वो सोचन लगा अगर कही लिकी अपन घरवालो स उसकी सशकायि करद िो कया होगा अिनबी शहर म उस कोई िानिा भी िो नही उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ वो सोचन लगा की अब कया ककया िाए जिस स इस गलिी को सधारा िा सक अचानक दरवाि प हई दसिक स वो बौखला गया और उसक पर शरीर म ससहरन सी दौि गई उसन चौक कर दरवाि की िरफ दखा

खामोश लमह 12 | P a g e

कछ दर सोचिा रहा और अि म मन म ढरो सशय सलए धिकि ददल स वो दरवाि की िरफ बढ़ गया

दरवािा खला सामन एक वयजकि हाथ म एक सलफाफा सलए खिा था

ldquoआप रमश बाब क पररचचि ह ldquo आगिक न पछा

ldquoिीिी हाा कदहए ldquo भान न हकलाि हय िवाब ददया रमश भान क भाई वविय क दोसि का नाम था जिसको रलव की िरफ स य कवाटजर आवदटि हआ था

ldquoउनहोन य खि आपको दन क ददया थाldquo उसन सलफाफा भान की िरफ बढ़ा ददया

ldquoहम लोग भी यही रहि हldquo आगिक न सामन क दरवाि की िरफ इशारा करि हय कहा

ldquoककसी चीि की िररि हो िो बदहचक कह दनाrdquo आगिक न कहा और सामन का दरवािा खोलकर घर क अदर चला गया

भान न राहि की सास ली दरवािा बद ककया और अदर आकर खि पढ़न लगा खि म तरबिली पानी स सबजनधि िररी दहदायिो क ससवा

खामोश लमह 13 | P a g e

सामन क मकान म रहन वाल शमाजिी स ककसी भी िरह की मदद क सलए समलि रहन को सलखा था रमश का वपछल महीन कछ ददनो क सलए पास क शहर म टरानसफर हो गया था ददनभर भान उस लिकी क बार म सोच सोच कर बचन होिा रहा वह हर आहट पर चौक िािा

िस िस करक ददन तरबिा भान ददनभर उस झखिकी की िरफ िाि वक़ि अपन आप को छपािा रहा और अगली दोपहर कॉलि क सलए तनकलन स पहल सहसा उसकी निर पीछ क उस दरवाि प पिी दरवािा बद दखकर उसन राहि की सास ली मकान स उसक कॉलि का रासिा कॉलि का पहला ददन माि ओपचाररकिाओ भरा रहा पढ़ाई क नाम प ससफज टाइम-टबल समला उसक कॉलि का समय दोपहर एक स पााच बि िक था ददनभर रह रहकर उस लिकी का खयाल भी उसकी बचनी बढ़ािा रहा

शाम को मकान म आि ही उस लिकी का खयाल उस कफर बचन करन लगा वो सोचिा रहा की आझखर वो ककस बाि प नाराि हो गई कयो

खामोश लमह 14 | P a g e

उसन उसकी िरफ बरा सा मह बनाया कया उस मरा उसकी िरफ दखना अचछा नही लगा मगर दख िो वो रही थी मि रसोई म आि िाि भान उििी सी निर उस दरवाि प भी डाल रहा था िो बद पिा था तरबना ककसी काम क रसोई म चककर लगाि लगाि अचानक वह दठठक कर रक गया दरवािा खला पिा था मगर वहाा कोई नही था भान की निर इधर उधर कछ िलाशन लगी सहमी सी निरो स वो खल दरवाि को दख रहा था कफर अचानक उसकी निर दरवाि क पास दाई िरफ बन टीन की शडनमा िोपिी पर गई जिसम एक गाय बधी थी और वो लिकी उस गाय का दध तनकाल रही थी भान कछ दर दखिा रहा हालाकक लिकी की पीठ उसको िरफ थी इससलए वो थोिा तनजशचि था साथ साथ वो सामन क बाकी अपाटजमट की झखडककयो पर उििी सी तनगाह डालकर तनजशचि होना चाह रहा था की कही कोई उसकी इस हरकि को दख िो नही रहा चह और स तनजशचििा का माहौल समला िो निर कफर स उस लिकी प िाकर ठहर गई िो अभी िक गाय का दध तनकालन म वयसि थी यकायक लिकी उठी और दध का बरिन हाथ म ल ससर िकाय अपन दरवाि की िरफ बढ़ी भान की निर उसक चहर प िमी थी वह सहमा सहमा उस दरवाि की िरफ बढ़ि हय दखिा रहा वो आि अपन चहर क भावो क माधयम स उस स

खामोश लमह 15 | P a g e

कल की गसिाखी क सलए कषमा मागना चाहिा था लिकी दरवाि म घसी और पलटकर दरवािा बद करि हय एक निर भान की झखिकी की िरफ दखा निरो म वही अिनबी बिाजव िो पहली मलाक़ाि म था भान उसक इस िरह अचानक दखन स सकपका गया और उसकी पवज तनयोजिि योिना धरी की धरी रह गई लिकी को िस पवाजभास हो गया था की भान उस दख रहा ह निर समली भान की धिकन अपनी लय िाल भल गई थी वह सनन रह गया थाउसन सोचा भी नही था को वो अचानक उसकी िरफ दखगी ससफज दो पल और कफर लिकी न तनववजकार भाव स दरवािा बद कर ददया भान की निर उसका पीछा करि करि बद होि दरवाि प िाकर चचपक गई अि म उसन चन की एक ठडी सास ली और वावपस कमर म आकर धिकि ददल को काब म करन की कोसशश करन लगा इन दो हादसो न उसक यवा ददल म काफी उथल-पथल मचा दी थी उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ और उसका ददल उनका िवाब भी द रहा था मगर ससलससला अिहीन था एक नया एहसास उस अिीब स रोमाच की अनभति स सरोबर ककए िा रहा था भान को अिीब सी कशमकश महसस हो रही थी बाविद इसक बढ़िी हई बचनी भी उसक ददल को सकन पहचान म सहायक ससदध हो रही थी य सब अचछा भी लग रहा था ददमाग म ववचारो की बाढ़ सी

खामोश लमह 16 | P a g e

आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

खामोश लमह 17 | P a g e

और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

खामोश लमह 18 | P a g e

लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

खामोश लमह 19 | P a g e

सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

खामोश लमह 20 | P a g e

कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

खामोश लमह 21 | P a g e

हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

खामोश लमह 40 | P a g e

वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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बीस वरषीय भान अपन बि भाई क साथ अपन कॉलि दाझखल क सलए अनपगढ़ आया था पहली बार गााव स शहर म पढ़न आया भान शहर की चहल-पहल स बहि परभाववि हआ भान क बि भाई का अनपगढ़ म िबादला हो गया था िो उनहोन भान को भी अपन पास पढ़न बला सलया बारहवी िक गााव म पढ़ा भान आग की पढ़ाई क सलए शहर आया था हालाकक उसक भाई को सरकारी आवास समला था मगर वह भान क कॉलि स काफी दर होन क कारण उसक बि भाई वविय न उसक कॉलि स माि एक ककलोमीटर दर रलव कॉलोनी म अपन एक दोसि क खाली पि कवाटजर म उसक रहन का परबध कर ददया था दर िक फल रलव क दो मजिला अपाटजमटस म करीब सतिर बलॉक थ और हर बलॉक म आठ पररवार रह सकि थ जिसम चार गराउडफलोर प पाजकिबदध बन थ और चार पहली मजिल प जिनक दरवाि सीदढ़यो म एक दसर क आमन सामन खलि थ पहली मजिल म दो बडरम का मकान उस अकल क सलए काफी बिा था पहल ददन भान न पर मकान का िायिा सलया रसोई म खाना बनान क सलए िररी बिजन सटोव और कोयल की अगीठी िक का इििाम था भान अपन घर म माा क काम म हाथ बटाि बटाि खाना बनाना सीख गया था रसोई क आग बरामदा और

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बरामद क दसर ससर और मखय दरवाि क दाय िरफ सनानघर था जिसक नल स दटप दटप टपकिा पानी टट कर िलिा हआ फववारा और कोनो म िमी काई स चचपक कॉकरोच उस सरकारी होन का परमाणपि द रह थ

एक परा ददन भान को उस मकान को रहन लायक बनान म ही लगाना पिा शाम को बािार स दतनक उपयोग की चीि खरीद लाया राि को दर िक सभी िररी काम तनपटा कर सो गया पहली राि अिनबी िगह नीद समय प और ठीक स नही आिी अगली सबह दर स उठा हालाकक आि रवववार था इससलए कॉलि की भी छटटी थी

शयनककष म बनी झखिकी स सामन दर दर िक रलव लाइनो का िाल फला हआ था आस पास क कवाटजस म रहन वाल बचच रलव लाइनस और अपाटजमटस बीच सामन की िरफ बन पाकज म खल रह थ िो भान क अपाटजमट क ठीक सामन था बचचो क शोरगल को सनकर भान की आाख खल गई थी अपाटजमट क दाय और बरगद का पराना पि बरसो स

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अपनी ववशाल शाखाओ पर ववसभनन परिाति क अनको पकषकषयो का आसशयाना बनाए हआ था उसकी काली पि चकी छाल उसक बढ़ा होन की चगली खा रही थी बरसाि क ददनो म उसक चारो िरफ पानी भर िािा था जिसम कछ आवारा पश कभी कभार िल करीडा करन आ धमकि और उसी दौरान पि क पकषी उनकी पीठ पर सवार हो नौकायन का लतफ उठा लि थ पाकज म कछ बिगज भी टहल रह थ परी जिदगी भाग-दौि म गिारन क बाद बढ़ाप म बीमाररयाा चन स बठन नही दिी मगर कॉलोनी की कछ औरि आराम स इकटठी बठकर फसजि स बतिया रही थी उनकी कानाफसी स लगिा था की वो कम स दश या समाि िस गभीर मददो प िो तरबलकल बाि नही कर रही थी हफि म एक सड ही िो समलिा ह उनको अगर उस भी गभीर मददो म िाया कर ददया िो कफर कया फायदा बीच बीच म उनक बचच चीखि चचललाि उनक पास एक दसर की सशकायि लकर आ िाि मगर वो उनह एक और धककया कर कफर स अपनी कानाफसी म लग िािी अपाटजमटो क आग पीछ और मधय बनी सडको प अखबार सबिी और दधवाल अपनी रोिमराज की भागदौि म लग थ

खामोश लमह 8 | P a g e

भान न दतनक ककरयायो स तनपट कर अपन सलए चाय बनाई और कप हाथ म सलए रसोई और बाथरम क मधय बन बरामद म आकर खिा हो गया बरामद म पीछ की िरफ लोह की चगरल लगी थी जिसम स पीछ का अपाटजमट परा निर आिा था कोिहलवश वो निर आन वाल हर एक मकान क झखिकी दरवािो स मकान म रहन वालो को दख रहा था एक दसर अपाटजमटस क बीचो-बीच सिक प बचच खल रहि थ य सिक यािायाि क सलए नही थी इनह ससफज अपाटजमटस म रहन वाल इसिमाल करि थ भान सलए य सब नया था य मकान शहर यहाा क लोग सब कछ नया था उसका मकान ऊपर ldquoएrdquo अपाटजमट म था और ठीक उसक पीछ ldquoबीrdquo अपाटजमट था उसक पीछ lsquoसीrsquo और इस िरह दस अपाटजमट की एक श खला थी और कफर इसी िरह दाई िरफ दस दस अपाटजमट की अनय श खलाएा थी नए लोग नया शहर उसक सलए सबकछ अिनबी था बीस वरषीय भान आकरषजक कदकाठी का यवक था उसक वयजकितव स किई आभास नही होिा था की य एक गरामीण पररवश म पला-बढ़ा यवक ह भान चाय की चसककयो क बीच जिजञासावश आस पास क निार दखन लगा चाय खिम करन क बाद वो वही खिा रहा और सोचिा रहा की ककिना फकज ह गााव और शहर की िीवन शली म गााव म हम हर एक इसान को भलीभााति िानि ह हर एक घर म आना िाना

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रहिा ह अपन घर स जयादा वक़ि िो गााव म घमकर और गााव क अनय घरो म गिरिा ह बहि अपनापन ह गााव म इधर हर कोई अपन आप म िी रहा ह यहाा सब पकषकषयो क भाति अपन अपन घोसलो म पि रहि ह ककसी को ककसी क सख-दख स कोई सरोकार नही सामन क अपाटजमट म बन मकानो की खली झखिकीयो और बालकोनी स घर म रहन वाल लोग इधर उधर घमि निर आ रह थ अचानक भान को अहसास हआ की कोई बार बार उसकी िरफ दख रहा ह उसन इस अपना भरम समिा और ससर को िटक कर दसरी िरफ दखन लगा थोि अिराल क बाद उसका शक यकीन म बदल गया की दो आख अकसर उस रह रह कर दख रही ह उसन दो चार बार उििी सी निर डालकर अपन ववशवास को मिबि ककया

कछ दर पशचाि दहममि बटोर कर उसन इधर उधर स आशवसि होन क बाद निर उन दो आखो प टीका दी िो काफी दर स उस घर रही थी ldquoबीrdquo बलॉक म दाय िरफ गराउडफलोर क मकान क खल दरवाि क बीचोबीच दोनो हाथ दरवाि की दीवारो पर दटकाय एक लिकी रह रहकर उसकी िरफ दख रही थी गौरा रग लबा छरहरा बदन हलक नारगी रग

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क सलवार सट म उसका रप-लावणय ककसी को भी अपनी और आकवरषजि करन की कवि रखिा था वह कछ पल इधर उधर दखिी और कफर ककसी बहान स भान की िरफ तरबना गदजन को ऊपर उठाए दखन लगिी जिस स उसकी बिी बिी आख और भी खबसरि निर आन लगिी हालाकक दोनो क दरमयान करीब िीस मीटर का फासला था मगर कफर भी एक दसर क चहर को आसानी स पढ़ सकि थ भान भी थोि थोि अिराल क बाद उसको दखिा और कफर दसरी िरफ दखन लगिा लगािार आख फािक ककसी लिकी को घरना उसक ससकारो म नही था मगर एक िो उमर और कफर सामन अलहि यौवन स भरपर नवयौवना हो िो वववशिाय बढ़ िािी ह इस उमर म आकरषजण होना सहि बाि ह निरो का परसपर समलन बददसिर िारी था मानव शरीर म उमर क इस दौर म बनन वाल हामोनस क कारण वयवहार िक म अववशवसनीय बदलाव आि हउसीका निीिा था की दोनो धीर धीर एक दसर स एक अिान स आकरषजण स निरो स परखि लग दोनो ददल एक दसर म अपन सलए सभावनाए िलाश रह थ भान न पहली बार ककसी लिकी की िरफ इिनी दर और सिीदगी स दखा था िीवन म पहली बार ऐस दौर स गिरि दो यवा-ददल अपन अदर क कौिहल को दबान की चषटा कर रह थ धडकनो म अनायास हई बढ़ोिरी स नसो म खन का बहाव कछ

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िि हो गया ददल बकाब हो सीन स बाहर तनकलन को मचल रहा था ददमाग और ददल म अपन अपन वचजसव लिाई चल रही थी अचानक बढ़ी इन हलचलो क सलए यवा ददलो का आकरषजण जिममदार था दोनो उमर क एक खास दौर स गिर रह थ जिसम एक दसर क परति झखचाव उतपनन होना लािमी ह

मगर यकायक सबकछ बदल गया अचानक लिकी न नाक ससकोडकर बरा सा मह बनाया और भान को चचढ़ाकर घर क अदर चली गई भान को िस ककसी न िमाचा मार ददया हो उस एक पल को सााप सा सघ गया हडबिा कर वो िरि वहाा स अलग हट गया और कमर क अदर िाकर अपन बकाब होि ददल की धडकनो को काब म करन लगा वो डर गया था उस अपनी हरकि म गससा आ रहा था कयो आि उसन ऐसी असभय हरकि की वो सोचन लगा अगर कही लिकी अपन घरवालो स उसकी सशकायि करद िो कया होगा अिनबी शहर म उस कोई िानिा भी िो नही उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ वो सोचन लगा की अब कया ककया िाए जिस स इस गलिी को सधारा िा सक अचानक दरवाि प हई दसिक स वो बौखला गया और उसक पर शरीर म ससहरन सी दौि गई उसन चौक कर दरवाि की िरफ दखा

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कछ दर सोचिा रहा और अि म मन म ढरो सशय सलए धिकि ददल स वो दरवाि की िरफ बढ़ गया

दरवािा खला सामन एक वयजकि हाथ म एक सलफाफा सलए खिा था

ldquoआप रमश बाब क पररचचि ह ldquo आगिक न पछा

ldquoिीिी हाा कदहए ldquo भान न हकलाि हय िवाब ददया रमश भान क भाई वविय क दोसि का नाम था जिसको रलव की िरफ स य कवाटजर आवदटि हआ था

ldquoउनहोन य खि आपको दन क ददया थाldquo उसन सलफाफा भान की िरफ बढ़ा ददया

ldquoहम लोग भी यही रहि हldquo आगिक न सामन क दरवाि की िरफ इशारा करि हय कहा

ldquoककसी चीि की िररि हो िो बदहचक कह दनाrdquo आगिक न कहा और सामन का दरवािा खोलकर घर क अदर चला गया

भान न राहि की सास ली दरवािा बद ककया और अदर आकर खि पढ़न लगा खि म तरबिली पानी स सबजनधि िररी दहदायिो क ससवा

खामोश लमह 13 | P a g e

सामन क मकान म रहन वाल शमाजिी स ककसी भी िरह की मदद क सलए समलि रहन को सलखा था रमश का वपछल महीन कछ ददनो क सलए पास क शहर म टरानसफर हो गया था ददनभर भान उस लिकी क बार म सोच सोच कर बचन होिा रहा वह हर आहट पर चौक िािा

िस िस करक ददन तरबिा भान ददनभर उस झखिकी की िरफ िाि वक़ि अपन आप को छपािा रहा और अगली दोपहर कॉलि क सलए तनकलन स पहल सहसा उसकी निर पीछ क उस दरवाि प पिी दरवािा बद दखकर उसन राहि की सास ली मकान स उसक कॉलि का रासिा कॉलि का पहला ददन माि ओपचाररकिाओ भरा रहा पढ़ाई क नाम प ससफज टाइम-टबल समला उसक कॉलि का समय दोपहर एक स पााच बि िक था ददनभर रह रहकर उस लिकी का खयाल भी उसकी बचनी बढ़ािा रहा

शाम को मकान म आि ही उस लिकी का खयाल उस कफर बचन करन लगा वो सोचिा रहा की आझखर वो ककस बाि प नाराि हो गई कयो

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उसन उसकी िरफ बरा सा मह बनाया कया उस मरा उसकी िरफ दखना अचछा नही लगा मगर दख िो वो रही थी मि रसोई म आि िाि भान उििी सी निर उस दरवाि प भी डाल रहा था िो बद पिा था तरबना ककसी काम क रसोई म चककर लगाि लगाि अचानक वह दठठक कर रक गया दरवािा खला पिा था मगर वहाा कोई नही था भान की निर इधर उधर कछ िलाशन लगी सहमी सी निरो स वो खल दरवाि को दख रहा था कफर अचानक उसकी निर दरवाि क पास दाई िरफ बन टीन की शडनमा िोपिी पर गई जिसम एक गाय बधी थी और वो लिकी उस गाय का दध तनकाल रही थी भान कछ दर दखिा रहा हालाकक लिकी की पीठ उसको िरफ थी इससलए वो थोिा तनजशचि था साथ साथ वो सामन क बाकी अपाटजमट की झखडककयो पर उििी सी तनगाह डालकर तनजशचि होना चाह रहा था की कही कोई उसकी इस हरकि को दख िो नही रहा चह और स तनजशचििा का माहौल समला िो निर कफर स उस लिकी प िाकर ठहर गई िो अभी िक गाय का दध तनकालन म वयसि थी यकायक लिकी उठी और दध का बरिन हाथ म ल ससर िकाय अपन दरवाि की िरफ बढ़ी भान की निर उसक चहर प िमी थी वह सहमा सहमा उस दरवाि की िरफ बढ़ि हय दखिा रहा वो आि अपन चहर क भावो क माधयम स उस स

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कल की गसिाखी क सलए कषमा मागना चाहिा था लिकी दरवाि म घसी और पलटकर दरवािा बद करि हय एक निर भान की झखिकी की िरफ दखा निरो म वही अिनबी बिाजव िो पहली मलाक़ाि म था भान उसक इस िरह अचानक दखन स सकपका गया और उसकी पवज तनयोजिि योिना धरी की धरी रह गई लिकी को िस पवाजभास हो गया था की भान उस दख रहा ह निर समली भान की धिकन अपनी लय िाल भल गई थी वह सनन रह गया थाउसन सोचा भी नही था को वो अचानक उसकी िरफ दखगी ससफज दो पल और कफर लिकी न तनववजकार भाव स दरवािा बद कर ददया भान की निर उसका पीछा करि करि बद होि दरवाि प िाकर चचपक गई अि म उसन चन की एक ठडी सास ली और वावपस कमर म आकर धिकि ददल को काब म करन की कोसशश करन लगा इन दो हादसो न उसक यवा ददल म काफी उथल-पथल मचा दी थी उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ और उसका ददल उनका िवाब भी द रहा था मगर ससलससला अिहीन था एक नया एहसास उस अिीब स रोमाच की अनभति स सरोबर ककए िा रहा था भान को अिीब सी कशमकश महसस हो रही थी बाविद इसक बढ़िी हई बचनी भी उसक ददल को सकन पहचान म सहायक ससदध हो रही थी य सब अचछा भी लग रहा था ददमाग म ववचारो की बाढ़ सी

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आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

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और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

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लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

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सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

खामोश लमह 20 | P a g e

कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

खामोश लमह 21 | P a g e

हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

खामोश लमह 40 | P a g e

वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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खामोश लमह 6 | P a g e

बरामद क दसर ससर और मखय दरवाि क दाय िरफ सनानघर था जिसक नल स दटप दटप टपकिा पानी टट कर िलिा हआ फववारा और कोनो म िमी काई स चचपक कॉकरोच उस सरकारी होन का परमाणपि द रह थ

एक परा ददन भान को उस मकान को रहन लायक बनान म ही लगाना पिा शाम को बािार स दतनक उपयोग की चीि खरीद लाया राि को दर िक सभी िररी काम तनपटा कर सो गया पहली राि अिनबी िगह नीद समय प और ठीक स नही आिी अगली सबह दर स उठा हालाकक आि रवववार था इससलए कॉलि की भी छटटी थी

शयनककष म बनी झखिकी स सामन दर दर िक रलव लाइनो का िाल फला हआ था आस पास क कवाटजस म रहन वाल बचच रलव लाइनस और अपाटजमटस बीच सामन की िरफ बन पाकज म खल रह थ िो भान क अपाटजमट क ठीक सामन था बचचो क शोरगल को सनकर भान की आाख खल गई थी अपाटजमट क दाय और बरगद का पराना पि बरसो स

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अपनी ववशाल शाखाओ पर ववसभनन परिाति क अनको पकषकषयो का आसशयाना बनाए हआ था उसकी काली पि चकी छाल उसक बढ़ा होन की चगली खा रही थी बरसाि क ददनो म उसक चारो िरफ पानी भर िािा था जिसम कछ आवारा पश कभी कभार िल करीडा करन आ धमकि और उसी दौरान पि क पकषी उनकी पीठ पर सवार हो नौकायन का लतफ उठा लि थ पाकज म कछ बिगज भी टहल रह थ परी जिदगी भाग-दौि म गिारन क बाद बढ़ाप म बीमाररयाा चन स बठन नही दिी मगर कॉलोनी की कछ औरि आराम स इकटठी बठकर फसजि स बतिया रही थी उनकी कानाफसी स लगिा था की वो कम स दश या समाि िस गभीर मददो प िो तरबलकल बाि नही कर रही थी हफि म एक सड ही िो समलिा ह उनको अगर उस भी गभीर मददो म िाया कर ददया िो कफर कया फायदा बीच बीच म उनक बचच चीखि चचललाि उनक पास एक दसर की सशकायि लकर आ िाि मगर वो उनह एक और धककया कर कफर स अपनी कानाफसी म लग िािी अपाटजमटो क आग पीछ और मधय बनी सडको प अखबार सबिी और दधवाल अपनी रोिमराज की भागदौि म लग थ

खामोश लमह 8 | P a g e

भान न दतनक ककरयायो स तनपट कर अपन सलए चाय बनाई और कप हाथ म सलए रसोई और बाथरम क मधय बन बरामद म आकर खिा हो गया बरामद म पीछ की िरफ लोह की चगरल लगी थी जिसम स पीछ का अपाटजमट परा निर आिा था कोिहलवश वो निर आन वाल हर एक मकान क झखिकी दरवािो स मकान म रहन वालो को दख रहा था एक दसर अपाटजमटस क बीचो-बीच सिक प बचच खल रहि थ य सिक यािायाि क सलए नही थी इनह ससफज अपाटजमटस म रहन वाल इसिमाल करि थ भान सलए य सब नया था य मकान शहर यहाा क लोग सब कछ नया था उसका मकान ऊपर ldquoएrdquo अपाटजमट म था और ठीक उसक पीछ ldquoबीrdquo अपाटजमट था उसक पीछ lsquoसीrsquo और इस िरह दस अपाटजमट की एक श खला थी और कफर इसी िरह दाई िरफ दस दस अपाटजमट की अनय श खलाएा थी नए लोग नया शहर उसक सलए सबकछ अिनबी था बीस वरषीय भान आकरषजक कदकाठी का यवक था उसक वयजकितव स किई आभास नही होिा था की य एक गरामीण पररवश म पला-बढ़ा यवक ह भान चाय की चसककयो क बीच जिजञासावश आस पास क निार दखन लगा चाय खिम करन क बाद वो वही खिा रहा और सोचिा रहा की ककिना फकज ह गााव और शहर की िीवन शली म गााव म हम हर एक इसान को भलीभााति िानि ह हर एक घर म आना िाना

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रहिा ह अपन घर स जयादा वक़ि िो गााव म घमकर और गााव क अनय घरो म गिरिा ह बहि अपनापन ह गााव म इधर हर कोई अपन आप म िी रहा ह यहाा सब पकषकषयो क भाति अपन अपन घोसलो म पि रहि ह ककसी को ककसी क सख-दख स कोई सरोकार नही सामन क अपाटजमट म बन मकानो की खली झखिकीयो और बालकोनी स घर म रहन वाल लोग इधर उधर घमि निर आ रह थ अचानक भान को अहसास हआ की कोई बार बार उसकी िरफ दख रहा ह उसन इस अपना भरम समिा और ससर को िटक कर दसरी िरफ दखन लगा थोि अिराल क बाद उसका शक यकीन म बदल गया की दो आख अकसर उस रह रह कर दख रही ह उसन दो चार बार उििी सी निर डालकर अपन ववशवास को मिबि ककया

कछ दर पशचाि दहममि बटोर कर उसन इधर उधर स आशवसि होन क बाद निर उन दो आखो प टीका दी िो काफी दर स उस घर रही थी ldquoबीrdquo बलॉक म दाय िरफ गराउडफलोर क मकान क खल दरवाि क बीचोबीच दोनो हाथ दरवाि की दीवारो पर दटकाय एक लिकी रह रहकर उसकी िरफ दख रही थी गौरा रग लबा छरहरा बदन हलक नारगी रग

खामोश लमह 10 | P a g e

क सलवार सट म उसका रप-लावणय ककसी को भी अपनी और आकवरषजि करन की कवि रखिा था वह कछ पल इधर उधर दखिी और कफर ककसी बहान स भान की िरफ तरबना गदजन को ऊपर उठाए दखन लगिी जिस स उसकी बिी बिी आख और भी खबसरि निर आन लगिी हालाकक दोनो क दरमयान करीब िीस मीटर का फासला था मगर कफर भी एक दसर क चहर को आसानी स पढ़ सकि थ भान भी थोि थोि अिराल क बाद उसको दखिा और कफर दसरी िरफ दखन लगिा लगािार आख फािक ककसी लिकी को घरना उसक ससकारो म नही था मगर एक िो उमर और कफर सामन अलहि यौवन स भरपर नवयौवना हो िो वववशिाय बढ़ िािी ह इस उमर म आकरषजण होना सहि बाि ह निरो का परसपर समलन बददसिर िारी था मानव शरीर म उमर क इस दौर म बनन वाल हामोनस क कारण वयवहार िक म अववशवसनीय बदलाव आि हउसीका निीिा था की दोनो धीर धीर एक दसर स एक अिान स आकरषजण स निरो स परखि लग दोनो ददल एक दसर म अपन सलए सभावनाए िलाश रह थ भान न पहली बार ककसी लिकी की िरफ इिनी दर और सिीदगी स दखा था िीवन म पहली बार ऐस दौर स गिरि दो यवा-ददल अपन अदर क कौिहल को दबान की चषटा कर रह थ धडकनो म अनायास हई बढ़ोिरी स नसो म खन का बहाव कछ

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िि हो गया ददल बकाब हो सीन स बाहर तनकलन को मचल रहा था ददमाग और ददल म अपन अपन वचजसव लिाई चल रही थी अचानक बढ़ी इन हलचलो क सलए यवा ददलो का आकरषजण जिममदार था दोनो उमर क एक खास दौर स गिर रह थ जिसम एक दसर क परति झखचाव उतपनन होना लािमी ह

मगर यकायक सबकछ बदल गया अचानक लिकी न नाक ससकोडकर बरा सा मह बनाया और भान को चचढ़ाकर घर क अदर चली गई भान को िस ककसी न िमाचा मार ददया हो उस एक पल को सााप सा सघ गया हडबिा कर वो िरि वहाा स अलग हट गया और कमर क अदर िाकर अपन बकाब होि ददल की धडकनो को काब म करन लगा वो डर गया था उस अपनी हरकि म गससा आ रहा था कयो आि उसन ऐसी असभय हरकि की वो सोचन लगा अगर कही लिकी अपन घरवालो स उसकी सशकायि करद िो कया होगा अिनबी शहर म उस कोई िानिा भी िो नही उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ वो सोचन लगा की अब कया ककया िाए जिस स इस गलिी को सधारा िा सक अचानक दरवाि प हई दसिक स वो बौखला गया और उसक पर शरीर म ससहरन सी दौि गई उसन चौक कर दरवाि की िरफ दखा

खामोश लमह 12 | P a g e

कछ दर सोचिा रहा और अि म मन म ढरो सशय सलए धिकि ददल स वो दरवाि की िरफ बढ़ गया

दरवािा खला सामन एक वयजकि हाथ म एक सलफाफा सलए खिा था

ldquoआप रमश बाब क पररचचि ह ldquo आगिक न पछा

ldquoिीिी हाा कदहए ldquo भान न हकलाि हय िवाब ददया रमश भान क भाई वविय क दोसि का नाम था जिसको रलव की िरफ स य कवाटजर आवदटि हआ था

ldquoउनहोन य खि आपको दन क ददया थाldquo उसन सलफाफा भान की िरफ बढ़ा ददया

ldquoहम लोग भी यही रहि हldquo आगिक न सामन क दरवाि की िरफ इशारा करि हय कहा

ldquoककसी चीि की िररि हो िो बदहचक कह दनाrdquo आगिक न कहा और सामन का दरवािा खोलकर घर क अदर चला गया

भान न राहि की सास ली दरवािा बद ककया और अदर आकर खि पढ़न लगा खि म तरबिली पानी स सबजनधि िररी दहदायिो क ससवा

खामोश लमह 13 | P a g e

सामन क मकान म रहन वाल शमाजिी स ककसी भी िरह की मदद क सलए समलि रहन को सलखा था रमश का वपछल महीन कछ ददनो क सलए पास क शहर म टरानसफर हो गया था ददनभर भान उस लिकी क बार म सोच सोच कर बचन होिा रहा वह हर आहट पर चौक िािा

िस िस करक ददन तरबिा भान ददनभर उस झखिकी की िरफ िाि वक़ि अपन आप को छपािा रहा और अगली दोपहर कॉलि क सलए तनकलन स पहल सहसा उसकी निर पीछ क उस दरवाि प पिी दरवािा बद दखकर उसन राहि की सास ली मकान स उसक कॉलि का रासिा कॉलि का पहला ददन माि ओपचाररकिाओ भरा रहा पढ़ाई क नाम प ससफज टाइम-टबल समला उसक कॉलि का समय दोपहर एक स पााच बि िक था ददनभर रह रहकर उस लिकी का खयाल भी उसकी बचनी बढ़ािा रहा

शाम को मकान म आि ही उस लिकी का खयाल उस कफर बचन करन लगा वो सोचिा रहा की आझखर वो ककस बाि प नाराि हो गई कयो

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उसन उसकी िरफ बरा सा मह बनाया कया उस मरा उसकी िरफ दखना अचछा नही लगा मगर दख िो वो रही थी मि रसोई म आि िाि भान उििी सी निर उस दरवाि प भी डाल रहा था िो बद पिा था तरबना ककसी काम क रसोई म चककर लगाि लगाि अचानक वह दठठक कर रक गया दरवािा खला पिा था मगर वहाा कोई नही था भान की निर इधर उधर कछ िलाशन लगी सहमी सी निरो स वो खल दरवाि को दख रहा था कफर अचानक उसकी निर दरवाि क पास दाई िरफ बन टीन की शडनमा िोपिी पर गई जिसम एक गाय बधी थी और वो लिकी उस गाय का दध तनकाल रही थी भान कछ दर दखिा रहा हालाकक लिकी की पीठ उसको िरफ थी इससलए वो थोिा तनजशचि था साथ साथ वो सामन क बाकी अपाटजमट की झखडककयो पर उििी सी तनगाह डालकर तनजशचि होना चाह रहा था की कही कोई उसकी इस हरकि को दख िो नही रहा चह और स तनजशचििा का माहौल समला िो निर कफर स उस लिकी प िाकर ठहर गई िो अभी िक गाय का दध तनकालन म वयसि थी यकायक लिकी उठी और दध का बरिन हाथ म ल ससर िकाय अपन दरवाि की िरफ बढ़ी भान की निर उसक चहर प िमी थी वह सहमा सहमा उस दरवाि की िरफ बढ़ि हय दखिा रहा वो आि अपन चहर क भावो क माधयम स उस स

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कल की गसिाखी क सलए कषमा मागना चाहिा था लिकी दरवाि म घसी और पलटकर दरवािा बद करि हय एक निर भान की झखिकी की िरफ दखा निरो म वही अिनबी बिाजव िो पहली मलाक़ाि म था भान उसक इस िरह अचानक दखन स सकपका गया और उसकी पवज तनयोजिि योिना धरी की धरी रह गई लिकी को िस पवाजभास हो गया था की भान उस दख रहा ह निर समली भान की धिकन अपनी लय िाल भल गई थी वह सनन रह गया थाउसन सोचा भी नही था को वो अचानक उसकी िरफ दखगी ससफज दो पल और कफर लिकी न तनववजकार भाव स दरवािा बद कर ददया भान की निर उसका पीछा करि करि बद होि दरवाि प िाकर चचपक गई अि म उसन चन की एक ठडी सास ली और वावपस कमर म आकर धिकि ददल को काब म करन की कोसशश करन लगा इन दो हादसो न उसक यवा ददल म काफी उथल-पथल मचा दी थी उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ और उसका ददल उनका िवाब भी द रहा था मगर ससलससला अिहीन था एक नया एहसास उस अिीब स रोमाच की अनभति स सरोबर ककए िा रहा था भान को अिीब सी कशमकश महसस हो रही थी बाविद इसक बढ़िी हई बचनी भी उसक ददल को सकन पहचान म सहायक ससदध हो रही थी य सब अचछा भी लग रहा था ददमाग म ववचारो की बाढ़ सी

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आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

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और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

खामोश लमह 18 | P a g e

लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

खामोश लमह 19 | P a g e

सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

खामोश लमह 20 | P a g e

कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

खामोश लमह 21 | P a g e

हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

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रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

खामोश लमह 40 | P a g e

वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

खामोश लमह 44 | P a g e

नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 7: Khamosh lamhe 2

खामोश लमह 7 | P a g e

अपनी ववशाल शाखाओ पर ववसभनन परिाति क अनको पकषकषयो का आसशयाना बनाए हआ था उसकी काली पि चकी छाल उसक बढ़ा होन की चगली खा रही थी बरसाि क ददनो म उसक चारो िरफ पानी भर िािा था जिसम कछ आवारा पश कभी कभार िल करीडा करन आ धमकि और उसी दौरान पि क पकषी उनकी पीठ पर सवार हो नौकायन का लतफ उठा लि थ पाकज म कछ बिगज भी टहल रह थ परी जिदगी भाग-दौि म गिारन क बाद बढ़ाप म बीमाररयाा चन स बठन नही दिी मगर कॉलोनी की कछ औरि आराम स इकटठी बठकर फसजि स बतिया रही थी उनकी कानाफसी स लगिा था की वो कम स दश या समाि िस गभीर मददो प िो तरबलकल बाि नही कर रही थी हफि म एक सड ही िो समलिा ह उनको अगर उस भी गभीर मददो म िाया कर ददया िो कफर कया फायदा बीच बीच म उनक बचच चीखि चचललाि उनक पास एक दसर की सशकायि लकर आ िाि मगर वो उनह एक और धककया कर कफर स अपनी कानाफसी म लग िािी अपाटजमटो क आग पीछ और मधय बनी सडको प अखबार सबिी और दधवाल अपनी रोिमराज की भागदौि म लग थ

खामोश लमह 8 | P a g e

भान न दतनक ककरयायो स तनपट कर अपन सलए चाय बनाई और कप हाथ म सलए रसोई और बाथरम क मधय बन बरामद म आकर खिा हो गया बरामद म पीछ की िरफ लोह की चगरल लगी थी जिसम स पीछ का अपाटजमट परा निर आिा था कोिहलवश वो निर आन वाल हर एक मकान क झखिकी दरवािो स मकान म रहन वालो को दख रहा था एक दसर अपाटजमटस क बीचो-बीच सिक प बचच खल रहि थ य सिक यािायाि क सलए नही थी इनह ससफज अपाटजमटस म रहन वाल इसिमाल करि थ भान सलए य सब नया था य मकान शहर यहाा क लोग सब कछ नया था उसका मकान ऊपर ldquoएrdquo अपाटजमट म था और ठीक उसक पीछ ldquoबीrdquo अपाटजमट था उसक पीछ lsquoसीrsquo और इस िरह दस अपाटजमट की एक श खला थी और कफर इसी िरह दाई िरफ दस दस अपाटजमट की अनय श खलाएा थी नए लोग नया शहर उसक सलए सबकछ अिनबी था बीस वरषीय भान आकरषजक कदकाठी का यवक था उसक वयजकितव स किई आभास नही होिा था की य एक गरामीण पररवश म पला-बढ़ा यवक ह भान चाय की चसककयो क बीच जिजञासावश आस पास क निार दखन लगा चाय खिम करन क बाद वो वही खिा रहा और सोचिा रहा की ककिना फकज ह गााव और शहर की िीवन शली म गााव म हम हर एक इसान को भलीभााति िानि ह हर एक घर म आना िाना

खामोश लमह 9 | P a g e

रहिा ह अपन घर स जयादा वक़ि िो गााव म घमकर और गााव क अनय घरो म गिरिा ह बहि अपनापन ह गााव म इधर हर कोई अपन आप म िी रहा ह यहाा सब पकषकषयो क भाति अपन अपन घोसलो म पि रहि ह ककसी को ककसी क सख-दख स कोई सरोकार नही सामन क अपाटजमट म बन मकानो की खली झखिकीयो और बालकोनी स घर म रहन वाल लोग इधर उधर घमि निर आ रह थ अचानक भान को अहसास हआ की कोई बार बार उसकी िरफ दख रहा ह उसन इस अपना भरम समिा और ससर को िटक कर दसरी िरफ दखन लगा थोि अिराल क बाद उसका शक यकीन म बदल गया की दो आख अकसर उस रह रह कर दख रही ह उसन दो चार बार उििी सी निर डालकर अपन ववशवास को मिबि ककया

कछ दर पशचाि दहममि बटोर कर उसन इधर उधर स आशवसि होन क बाद निर उन दो आखो प टीका दी िो काफी दर स उस घर रही थी ldquoबीrdquo बलॉक म दाय िरफ गराउडफलोर क मकान क खल दरवाि क बीचोबीच दोनो हाथ दरवाि की दीवारो पर दटकाय एक लिकी रह रहकर उसकी िरफ दख रही थी गौरा रग लबा छरहरा बदन हलक नारगी रग

खामोश लमह 10 | P a g e

क सलवार सट म उसका रप-लावणय ककसी को भी अपनी और आकवरषजि करन की कवि रखिा था वह कछ पल इधर उधर दखिी और कफर ककसी बहान स भान की िरफ तरबना गदजन को ऊपर उठाए दखन लगिी जिस स उसकी बिी बिी आख और भी खबसरि निर आन लगिी हालाकक दोनो क दरमयान करीब िीस मीटर का फासला था मगर कफर भी एक दसर क चहर को आसानी स पढ़ सकि थ भान भी थोि थोि अिराल क बाद उसको दखिा और कफर दसरी िरफ दखन लगिा लगािार आख फािक ककसी लिकी को घरना उसक ससकारो म नही था मगर एक िो उमर और कफर सामन अलहि यौवन स भरपर नवयौवना हो िो वववशिाय बढ़ िािी ह इस उमर म आकरषजण होना सहि बाि ह निरो का परसपर समलन बददसिर िारी था मानव शरीर म उमर क इस दौर म बनन वाल हामोनस क कारण वयवहार िक म अववशवसनीय बदलाव आि हउसीका निीिा था की दोनो धीर धीर एक दसर स एक अिान स आकरषजण स निरो स परखि लग दोनो ददल एक दसर म अपन सलए सभावनाए िलाश रह थ भान न पहली बार ककसी लिकी की िरफ इिनी दर और सिीदगी स दखा था िीवन म पहली बार ऐस दौर स गिरि दो यवा-ददल अपन अदर क कौिहल को दबान की चषटा कर रह थ धडकनो म अनायास हई बढ़ोिरी स नसो म खन का बहाव कछ

खामोश लमह 11 | P a g e

िि हो गया ददल बकाब हो सीन स बाहर तनकलन को मचल रहा था ददमाग और ददल म अपन अपन वचजसव लिाई चल रही थी अचानक बढ़ी इन हलचलो क सलए यवा ददलो का आकरषजण जिममदार था दोनो उमर क एक खास दौर स गिर रह थ जिसम एक दसर क परति झखचाव उतपनन होना लािमी ह

मगर यकायक सबकछ बदल गया अचानक लिकी न नाक ससकोडकर बरा सा मह बनाया और भान को चचढ़ाकर घर क अदर चली गई भान को िस ककसी न िमाचा मार ददया हो उस एक पल को सााप सा सघ गया हडबिा कर वो िरि वहाा स अलग हट गया और कमर क अदर िाकर अपन बकाब होि ददल की धडकनो को काब म करन लगा वो डर गया था उस अपनी हरकि म गससा आ रहा था कयो आि उसन ऐसी असभय हरकि की वो सोचन लगा अगर कही लिकी अपन घरवालो स उसकी सशकायि करद िो कया होगा अिनबी शहर म उस कोई िानिा भी िो नही उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ वो सोचन लगा की अब कया ककया िाए जिस स इस गलिी को सधारा िा सक अचानक दरवाि प हई दसिक स वो बौखला गया और उसक पर शरीर म ससहरन सी दौि गई उसन चौक कर दरवाि की िरफ दखा

खामोश लमह 12 | P a g e

कछ दर सोचिा रहा और अि म मन म ढरो सशय सलए धिकि ददल स वो दरवाि की िरफ बढ़ गया

दरवािा खला सामन एक वयजकि हाथ म एक सलफाफा सलए खिा था

ldquoआप रमश बाब क पररचचि ह ldquo आगिक न पछा

ldquoिीिी हाा कदहए ldquo भान न हकलाि हय िवाब ददया रमश भान क भाई वविय क दोसि का नाम था जिसको रलव की िरफ स य कवाटजर आवदटि हआ था

ldquoउनहोन य खि आपको दन क ददया थाldquo उसन सलफाफा भान की िरफ बढ़ा ददया

ldquoहम लोग भी यही रहि हldquo आगिक न सामन क दरवाि की िरफ इशारा करि हय कहा

ldquoककसी चीि की िररि हो िो बदहचक कह दनाrdquo आगिक न कहा और सामन का दरवािा खोलकर घर क अदर चला गया

भान न राहि की सास ली दरवािा बद ककया और अदर आकर खि पढ़न लगा खि म तरबिली पानी स सबजनधि िररी दहदायिो क ससवा

खामोश लमह 13 | P a g e

सामन क मकान म रहन वाल शमाजिी स ककसी भी िरह की मदद क सलए समलि रहन को सलखा था रमश का वपछल महीन कछ ददनो क सलए पास क शहर म टरानसफर हो गया था ददनभर भान उस लिकी क बार म सोच सोच कर बचन होिा रहा वह हर आहट पर चौक िािा

िस िस करक ददन तरबिा भान ददनभर उस झखिकी की िरफ िाि वक़ि अपन आप को छपािा रहा और अगली दोपहर कॉलि क सलए तनकलन स पहल सहसा उसकी निर पीछ क उस दरवाि प पिी दरवािा बद दखकर उसन राहि की सास ली मकान स उसक कॉलि का रासिा कॉलि का पहला ददन माि ओपचाररकिाओ भरा रहा पढ़ाई क नाम प ससफज टाइम-टबल समला उसक कॉलि का समय दोपहर एक स पााच बि िक था ददनभर रह रहकर उस लिकी का खयाल भी उसकी बचनी बढ़ािा रहा

शाम को मकान म आि ही उस लिकी का खयाल उस कफर बचन करन लगा वो सोचिा रहा की आझखर वो ककस बाि प नाराि हो गई कयो

खामोश लमह 14 | P a g e

उसन उसकी िरफ बरा सा मह बनाया कया उस मरा उसकी िरफ दखना अचछा नही लगा मगर दख िो वो रही थी मि रसोई म आि िाि भान उििी सी निर उस दरवाि प भी डाल रहा था िो बद पिा था तरबना ककसी काम क रसोई म चककर लगाि लगाि अचानक वह दठठक कर रक गया दरवािा खला पिा था मगर वहाा कोई नही था भान की निर इधर उधर कछ िलाशन लगी सहमी सी निरो स वो खल दरवाि को दख रहा था कफर अचानक उसकी निर दरवाि क पास दाई िरफ बन टीन की शडनमा िोपिी पर गई जिसम एक गाय बधी थी और वो लिकी उस गाय का दध तनकाल रही थी भान कछ दर दखिा रहा हालाकक लिकी की पीठ उसको िरफ थी इससलए वो थोिा तनजशचि था साथ साथ वो सामन क बाकी अपाटजमट की झखडककयो पर उििी सी तनगाह डालकर तनजशचि होना चाह रहा था की कही कोई उसकी इस हरकि को दख िो नही रहा चह और स तनजशचििा का माहौल समला िो निर कफर स उस लिकी प िाकर ठहर गई िो अभी िक गाय का दध तनकालन म वयसि थी यकायक लिकी उठी और दध का बरिन हाथ म ल ससर िकाय अपन दरवाि की िरफ बढ़ी भान की निर उसक चहर प िमी थी वह सहमा सहमा उस दरवाि की िरफ बढ़ि हय दखिा रहा वो आि अपन चहर क भावो क माधयम स उस स

खामोश लमह 15 | P a g e

कल की गसिाखी क सलए कषमा मागना चाहिा था लिकी दरवाि म घसी और पलटकर दरवािा बद करि हय एक निर भान की झखिकी की िरफ दखा निरो म वही अिनबी बिाजव िो पहली मलाक़ाि म था भान उसक इस िरह अचानक दखन स सकपका गया और उसकी पवज तनयोजिि योिना धरी की धरी रह गई लिकी को िस पवाजभास हो गया था की भान उस दख रहा ह निर समली भान की धिकन अपनी लय िाल भल गई थी वह सनन रह गया थाउसन सोचा भी नही था को वो अचानक उसकी िरफ दखगी ससफज दो पल और कफर लिकी न तनववजकार भाव स दरवािा बद कर ददया भान की निर उसका पीछा करि करि बद होि दरवाि प िाकर चचपक गई अि म उसन चन की एक ठडी सास ली और वावपस कमर म आकर धिकि ददल को काब म करन की कोसशश करन लगा इन दो हादसो न उसक यवा ददल म काफी उथल-पथल मचा दी थी उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ और उसका ददल उनका िवाब भी द रहा था मगर ससलससला अिहीन था एक नया एहसास उस अिीब स रोमाच की अनभति स सरोबर ककए िा रहा था भान को अिीब सी कशमकश महसस हो रही थी बाविद इसक बढ़िी हई बचनी भी उसक ददल को सकन पहचान म सहायक ससदध हो रही थी य सब अचछा भी लग रहा था ददमाग म ववचारो की बाढ़ सी

खामोश लमह 16 | P a g e

आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

खामोश लमह 17 | P a g e

और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

खामोश लमह 18 | P a g e

लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

खामोश लमह 19 | P a g e

सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

खामोश लमह 20 | P a g e

कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

खामोश लमह 21 | P a g e

हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

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रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

खामोश लमह 40 | P a g e

वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

खामोश लमह 44 | P a g e

नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 8: Khamosh lamhe 2

खामोश लमह 8 | P a g e

भान न दतनक ककरयायो स तनपट कर अपन सलए चाय बनाई और कप हाथ म सलए रसोई और बाथरम क मधय बन बरामद म आकर खिा हो गया बरामद म पीछ की िरफ लोह की चगरल लगी थी जिसम स पीछ का अपाटजमट परा निर आिा था कोिहलवश वो निर आन वाल हर एक मकान क झखिकी दरवािो स मकान म रहन वालो को दख रहा था एक दसर अपाटजमटस क बीचो-बीच सिक प बचच खल रहि थ य सिक यािायाि क सलए नही थी इनह ससफज अपाटजमटस म रहन वाल इसिमाल करि थ भान सलए य सब नया था य मकान शहर यहाा क लोग सब कछ नया था उसका मकान ऊपर ldquoएrdquo अपाटजमट म था और ठीक उसक पीछ ldquoबीrdquo अपाटजमट था उसक पीछ lsquoसीrsquo और इस िरह दस अपाटजमट की एक श खला थी और कफर इसी िरह दाई िरफ दस दस अपाटजमट की अनय श खलाएा थी नए लोग नया शहर उसक सलए सबकछ अिनबी था बीस वरषीय भान आकरषजक कदकाठी का यवक था उसक वयजकितव स किई आभास नही होिा था की य एक गरामीण पररवश म पला-बढ़ा यवक ह भान चाय की चसककयो क बीच जिजञासावश आस पास क निार दखन लगा चाय खिम करन क बाद वो वही खिा रहा और सोचिा रहा की ककिना फकज ह गााव और शहर की िीवन शली म गााव म हम हर एक इसान को भलीभााति िानि ह हर एक घर म आना िाना

खामोश लमह 9 | P a g e

रहिा ह अपन घर स जयादा वक़ि िो गााव म घमकर और गााव क अनय घरो म गिरिा ह बहि अपनापन ह गााव म इधर हर कोई अपन आप म िी रहा ह यहाा सब पकषकषयो क भाति अपन अपन घोसलो म पि रहि ह ककसी को ककसी क सख-दख स कोई सरोकार नही सामन क अपाटजमट म बन मकानो की खली झखिकीयो और बालकोनी स घर म रहन वाल लोग इधर उधर घमि निर आ रह थ अचानक भान को अहसास हआ की कोई बार बार उसकी िरफ दख रहा ह उसन इस अपना भरम समिा और ससर को िटक कर दसरी िरफ दखन लगा थोि अिराल क बाद उसका शक यकीन म बदल गया की दो आख अकसर उस रह रह कर दख रही ह उसन दो चार बार उििी सी निर डालकर अपन ववशवास को मिबि ककया

कछ दर पशचाि दहममि बटोर कर उसन इधर उधर स आशवसि होन क बाद निर उन दो आखो प टीका दी िो काफी दर स उस घर रही थी ldquoबीrdquo बलॉक म दाय िरफ गराउडफलोर क मकान क खल दरवाि क बीचोबीच दोनो हाथ दरवाि की दीवारो पर दटकाय एक लिकी रह रहकर उसकी िरफ दख रही थी गौरा रग लबा छरहरा बदन हलक नारगी रग

खामोश लमह 10 | P a g e

क सलवार सट म उसका रप-लावणय ककसी को भी अपनी और आकवरषजि करन की कवि रखिा था वह कछ पल इधर उधर दखिी और कफर ककसी बहान स भान की िरफ तरबना गदजन को ऊपर उठाए दखन लगिी जिस स उसकी बिी बिी आख और भी खबसरि निर आन लगिी हालाकक दोनो क दरमयान करीब िीस मीटर का फासला था मगर कफर भी एक दसर क चहर को आसानी स पढ़ सकि थ भान भी थोि थोि अिराल क बाद उसको दखिा और कफर दसरी िरफ दखन लगिा लगािार आख फािक ककसी लिकी को घरना उसक ससकारो म नही था मगर एक िो उमर और कफर सामन अलहि यौवन स भरपर नवयौवना हो िो वववशिाय बढ़ िािी ह इस उमर म आकरषजण होना सहि बाि ह निरो का परसपर समलन बददसिर िारी था मानव शरीर म उमर क इस दौर म बनन वाल हामोनस क कारण वयवहार िक म अववशवसनीय बदलाव आि हउसीका निीिा था की दोनो धीर धीर एक दसर स एक अिान स आकरषजण स निरो स परखि लग दोनो ददल एक दसर म अपन सलए सभावनाए िलाश रह थ भान न पहली बार ककसी लिकी की िरफ इिनी दर और सिीदगी स दखा था िीवन म पहली बार ऐस दौर स गिरि दो यवा-ददल अपन अदर क कौिहल को दबान की चषटा कर रह थ धडकनो म अनायास हई बढ़ोिरी स नसो म खन का बहाव कछ

खामोश लमह 11 | P a g e

िि हो गया ददल बकाब हो सीन स बाहर तनकलन को मचल रहा था ददमाग और ददल म अपन अपन वचजसव लिाई चल रही थी अचानक बढ़ी इन हलचलो क सलए यवा ददलो का आकरषजण जिममदार था दोनो उमर क एक खास दौर स गिर रह थ जिसम एक दसर क परति झखचाव उतपनन होना लािमी ह

मगर यकायक सबकछ बदल गया अचानक लिकी न नाक ससकोडकर बरा सा मह बनाया और भान को चचढ़ाकर घर क अदर चली गई भान को िस ककसी न िमाचा मार ददया हो उस एक पल को सााप सा सघ गया हडबिा कर वो िरि वहाा स अलग हट गया और कमर क अदर िाकर अपन बकाब होि ददल की धडकनो को काब म करन लगा वो डर गया था उस अपनी हरकि म गससा आ रहा था कयो आि उसन ऐसी असभय हरकि की वो सोचन लगा अगर कही लिकी अपन घरवालो स उसकी सशकायि करद िो कया होगा अिनबी शहर म उस कोई िानिा भी िो नही उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ वो सोचन लगा की अब कया ककया िाए जिस स इस गलिी को सधारा िा सक अचानक दरवाि प हई दसिक स वो बौखला गया और उसक पर शरीर म ससहरन सी दौि गई उसन चौक कर दरवाि की िरफ दखा

खामोश लमह 12 | P a g e

कछ दर सोचिा रहा और अि म मन म ढरो सशय सलए धिकि ददल स वो दरवाि की िरफ बढ़ गया

दरवािा खला सामन एक वयजकि हाथ म एक सलफाफा सलए खिा था

ldquoआप रमश बाब क पररचचि ह ldquo आगिक न पछा

ldquoिीिी हाा कदहए ldquo भान न हकलाि हय िवाब ददया रमश भान क भाई वविय क दोसि का नाम था जिसको रलव की िरफ स य कवाटजर आवदटि हआ था

ldquoउनहोन य खि आपको दन क ददया थाldquo उसन सलफाफा भान की िरफ बढ़ा ददया

ldquoहम लोग भी यही रहि हldquo आगिक न सामन क दरवाि की िरफ इशारा करि हय कहा

ldquoककसी चीि की िररि हो िो बदहचक कह दनाrdquo आगिक न कहा और सामन का दरवािा खोलकर घर क अदर चला गया

भान न राहि की सास ली दरवािा बद ककया और अदर आकर खि पढ़न लगा खि म तरबिली पानी स सबजनधि िररी दहदायिो क ससवा

खामोश लमह 13 | P a g e

सामन क मकान म रहन वाल शमाजिी स ककसी भी िरह की मदद क सलए समलि रहन को सलखा था रमश का वपछल महीन कछ ददनो क सलए पास क शहर म टरानसफर हो गया था ददनभर भान उस लिकी क बार म सोच सोच कर बचन होिा रहा वह हर आहट पर चौक िािा

िस िस करक ददन तरबिा भान ददनभर उस झखिकी की िरफ िाि वक़ि अपन आप को छपािा रहा और अगली दोपहर कॉलि क सलए तनकलन स पहल सहसा उसकी निर पीछ क उस दरवाि प पिी दरवािा बद दखकर उसन राहि की सास ली मकान स उसक कॉलि का रासिा कॉलि का पहला ददन माि ओपचाररकिाओ भरा रहा पढ़ाई क नाम प ससफज टाइम-टबल समला उसक कॉलि का समय दोपहर एक स पााच बि िक था ददनभर रह रहकर उस लिकी का खयाल भी उसकी बचनी बढ़ािा रहा

शाम को मकान म आि ही उस लिकी का खयाल उस कफर बचन करन लगा वो सोचिा रहा की आझखर वो ककस बाि प नाराि हो गई कयो

खामोश लमह 14 | P a g e

उसन उसकी िरफ बरा सा मह बनाया कया उस मरा उसकी िरफ दखना अचछा नही लगा मगर दख िो वो रही थी मि रसोई म आि िाि भान उििी सी निर उस दरवाि प भी डाल रहा था िो बद पिा था तरबना ककसी काम क रसोई म चककर लगाि लगाि अचानक वह दठठक कर रक गया दरवािा खला पिा था मगर वहाा कोई नही था भान की निर इधर उधर कछ िलाशन लगी सहमी सी निरो स वो खल दरवाि को दख रहा था कफर अचानक उसकी निर दरवाि क पास दाई िरफ बन टीन की शडनमा िोपिी पर गई जिसम एक गाय बधी थी और वो लिकी उस गाय का दध तनकाल रही थी भान कछ दर दखिा रहा हालाकक लिकी की पीठ उसको िरफ थी इससलए वो थोिा तनजशचि था साथ साथ वो सामन क बाकी अपाटजमट की झखडककयो पर उििी सी तनगाह डालकर तनजशचि होना चाह रहा था की कही कोई उसकी इस हरकि को दख िो नही रहा चह और स तनजशचििा का माहौल समला िो निर कफर स उस लिकी प िाकर ठहर गई िो अभी िक गाय का दध तनकालन म वयसि थी यकायक लिकी उठी और दध का बरिन हाथ म ल ससर िकाय अपन दरवाि की िरफ बढ़ी भान की निर उसक चहर प िमी थी वह सहमा सहमा उस दरवाि की िरफ बढ़ि हय दखिा रहा वो आि अपन चहर क भावो क माधयम स उस स

खामोश लमह 15 | P a g e

कल की गसिाखी क सलए कषमा मागना चाहिा था लिकी दरवाि म घसी और पलटकर दरवािा बद करि हय एक निर भान की झखिकी की िरफ दखा निरो म वही अिनबी बिाजव िो पहली मलाक़ाि म था भान उसक इस िरह अचानक दखन स सकपका गया और उसकी पवज तनयोजिि योिना धरी की धरी रह गई लिकी को िस पवाजभास हो गया था की भान उस दख रहा ह निर समली भान की धिकन अपनी लय िाल भल गई थी वह सनन रह गया थाउसन सोचा भी नही था को वो अचानक उसकी िरफ दखगी ससफज दो पल और कफर लिकी न तनववजकार भाव स दरवािा बद कर ददया भान की निर उसका पीछा करि करि बद होि दरवाि प िाकर चचपक गई अि म उसन चन की एक ठडी सास ली और वावपस कमर म आकर धिकि ददल को काब म करन की कोसशश करन लगा इन दो हादसो न उसक यवा ददल म काफी उथल-पथल मचा दी थी उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ और उसका ददल उनका िवाब भी द रहा था मगर ससलससला अिहीन था एक नया एहसास उस अिीब स रोमाच की अनभति स सरोबर ककए िा रहा था भान को अिीब सी कशमकश महसस हो रही थी बाविद इसक बढ़िी हई बचनी भी उसक ददल को सकन पहचान म सहायक ससदध हो रही थी य सब अचछा भी लग रहा था ददमाग म ववचारो की बाढ़ सी

खामोश लमह 16 | P a g e

आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

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और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

खामोश लमह 18 | P a g e

लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

खामोश लमह 19 | P a g e

सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

खामोश लमह 20 | P a g e

कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

खामोश लमह 21 | P a g e

हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

खामोश लमह 40 | P a g e

वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 9: Khamosh lamhe 2

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रहिा ह अपन घर स जयादा वक़ि िो गााव म घमकर और गााव क अनय घरो म गिरिा ह बहि अपनापन ह गााव म इधर हर कोई अपन आप म िी रहा ह यहाा सब पकषकषयो क भाति अपन अपन घोसलो म पि रहि ह ककसी को ककसी क सख-दख स कोई सरोकार नही सामन क अपाटजमट म बन मकानो की खली झखिकीयो और बालकोनी स घर म रहन वाल लोग इधर उधर घमि निर आ रह थ अचानक भान को अहसास हआ की कोई बार बार उसकी िरफ दख रहा ह उसन इस अपना भरम समिा और ससर को िटक कर दसरी िरफ दखन लगा थोि अिराल क बाद उसका शक यकीन म बदल गया की दो आख अकसर उस रह रह कर दख रही ह उसन दो चार बार उििी सी निर डालकर अपन ववशवास को मिबि ककया

कछ दर पशचाि दहममि बटोर कर उसन इधर उधर स आशवसि होन क बाद निर उन दो आखो प टीका दी िो काफी दर स उस घर रही थी ldquoबीrdquo बलॉक म दाय िरफ गराउडफलोर क मकान क खल दरवाि क बीचोबीच दोनो हाथ दरवाि की दीवारो पर दटकाय एक लिकी रह रहकर उसकी िरफ दख रही थी गौरा रग लबा छरहरा बदन हलक नारगी रग

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क सलवार सट म उसका रप-लावणय ककसी को भी अपनी और आकवरषजि करन की कवि रखिा था वह कछ पल इधर उधर दखिी और कफर ककसी बहान स भान की िरफ तरबना गदजन को ऊपर उठाए दखन लगिी जिस स उसकी बिी बिी आख और भी खबसरि निर आन लगिी हालाकक दोनो क दरमयान करीब िीस मीटर का फासला था मगर कफर भी एक दसर क चहर को आसानी स पढ़ सकि थ भान भी थोि थोि अिराल क बाद उसको दखिा और कफर दसरी िरफ दखन लगिा लगािार आख फािक ककसी लिकी को घरना उसक ससकारो म नही था मगर एक िो उमर और कफर सामन अलहि यौवन स भरपर नवयौवना हो िो वववशिाय बढ़ िािी ह इस उमर म आकरषजण होना सहि बाि ह निरो का परसपर समलन बददसिर िारी था मानव शरीर म उमर क इस दौर म बनन वाल हामोनस क कारण वयवहार िक म अववशवसनीय बदलाव आि हउसीका निीिा था की दोनो धीर धीर एक दसर स एक अिान स आकरषजण स निरो स परखि लग दोनो ददल एक दसर म अपन सलए सभावनाए िलाश रह थ भान न पहली बार ककसी लिकी की िरफ इिनी दर और सिीदगी स दखा था िीवन म पहली बार ऐस दौर स गिरि दो यवा-ददल अपन अदर क कौिहल को दबान की चषटा कर रह थ धडकनो म अनायास हई बढ़ोिरी स नसो म खन का बहाव कछ

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िि हो गया ददल बकाब हो सीन स बाहर तनकलन को मचल रहा था ददमाग और ददल म अपन अपन वचजसव लिाई चल रही थी अचानक बढ़ी इन हलचलो क सलए यवा ददलो का आकरषजण जिममदार था दोनो उमर क एक खास दौर स गिर रह थ जिसम एक दसर क परति झखचाव उतपनन होना लािमी ह

मगर यकायक सबकछ बदल गया अचानक लिकी न नाक ससकोडकर बरा सा मह बनाया और भान को चचढ़ाकर घर क अदर चली गई भान को िस ककसी न िमाचा मार ददया हो उस एक पल को सााप सा सघ गया हडबिा कर वो िरि वहाा स अलग हट गया और कमर क अदर िाकर अपन बकाब होि ददल की धडकनो को काब म करन लगा वो डर गया था उस अपनी हरकि म गससा आ रहा था कयो आि उसन ऐसी असभय हरकि की वो सोचन लगा अगर कही लिकी अपन घरवालो स उसकी सशकायि करद िो कया होगा अिनबी शहर म उस कोई िानिा भी िो नही उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ वो सोचन लगा की अब कया ककया िाए जिस स इस गलिी को सधारा िा सक अचानक दरवाि प हई दसिक स वो बौखला गया और उसक पर शरीर म ससहरन सी दौि गई उसन चौक कर दरवाि की िरफ दखा

खामोश लमह 12 | P a g e

कछ दर सोचिा रहा और अि म मन म ढरो सशय सलए धिकि ददल स वो दरवाि की िरफ बढ़ गया

दरवािा खला सामन एक वयजकि हाथ म एक सलफाफा सलए खिा था

ldquoआप रमश बाब क पररचचि ह ldquo आगिक न पछा

ldquoिीिी हाा कदहए ldquo भान न हकलाि हय िवाब ददया रमश भान क भाई वविय क दोसि का नाम था जिसको रलव की िरफ स य कवाटजर आवदटि हआ था

ldquoउनहोन य खि आपको दन क ददया थाldquo उसन सलफाफा भान की िरफ बढ़ा ददया

ldquoहम लोग भी यही रहि हldquo आगिक न सामन क दरवाि की िरफ इशारा करि हय कहा

ldquoककसी चीि की िररि हो िो बदहचक कह दनाrdquo आगिक न कहा और सामन का दरवािा खोलकर घर क अदर चला गया

भान न राहि की सास ली दरवािा बद ककया और अदर आकर खि पढ़न लगा खि म तरबिली पानी स सबजनधि िररी दहदायिो क ससवा

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सामन क मकान म रहन वाल शमाजिी स ककसी भी िरह की मदद क सलए समलि रहन को सलखा था रमश का वपछल महीन कछ ददनो क सलए पास क शहर म टरानसफर हो गया था ददनभर भान उस लिकी क बार म सोच सोच कर बचन होिा रहा वह हर आहट पर चौक िािा

िस िस करक ददन तरबिा भान ददनभर उस झखिकी की िरफ िाि वक़ि अपन आप को छपािा रहा और अगली दोपहर कॉलि क सलए तनकलन स पहल सहसा उसकी निर पीछ क उस दरवाि प पिी दरवािा बद दखकर उसन राहि की सास ली मकान स उसक कॉलि का रासिा कॉलि का पहला ददन माि ओपचाररकिाओ भरा रहा पढ़ाई क नाम प ससफज टाइम-टबल समला उसक कॉलि का समय दोपहर एक स पााच बि िक था ददनभर रह रहकर उस लिकी का खयाल भी उसकी बचनी बढ़ािा रहा

शाम को मकान म आि ही उस लिकी का खयाल उस कफर बचन करन लगा वो सोचिा रहा की आझखर वो ककस बाि प नाराि हो गई कयो

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उसन उसकी िरफ बरा सा मह बनाया कया उस मरा उसकी िरफ दखना अचछा नही लगा मगर दख िो वो रही थी मि रसोई म आि िाि भान उििी सी निर उस दरवाि प भी डाल रहा था िो बद पिा था तरबना ककसी काम क रसोई म चककर लगाि लगाि अचानक वह दठठक कर रक गया दरवािा खला पिा था मगर वहाा कोई नही था भान की निर इधर उधर कछ िलाशन लगी सहमी सी निरो स वो खल दरवाि को दख रहा था कफर अचानक उसकी निर दरवाि क पास दाई िरफ बन टीन की शडनमा िोपिी पर गई जिसम एक गाय बधी थी और वो लिकी उस गाय का दध तनकाल रही थी भान कछ दर दखिा रहा हालाकक लिकी की पीठ उसको िरफ थी इससलए वो थोिा तनजशचि था साथ साथ वो सामन क बाकी अपाटजमट की झखडककयो पर उििी सी तनगाह डालकर तनजशचि होना चाह रहा था की कही कोई उसकी इस हरकि को दख िो नही रहा चह और स तनजशचििा का माहौल समला िो निर कफर स उस लिकी प िाकर ठहर गई िो अभी िक गाय का दध तनकालन म वयसि थी यकायक लिकी उठी और दध का बरिन हाथ म ल ससर िकाय अपन दरवाि की िरफ बढ़ी भान की निर उसक चहर प िमी थी वह सहमा सहमा उस दरवाि की िरफ बढ़ि हय दखिा रहा वो आि अपन चहर क भावो क माधयम स उस स

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कल की गसिाखी क सलए कषमा मागना चाहिा था लिकी दरवाि म घसी और पलटकर दरवािा बद करि हय एक निर भान की झखिकी की िरफ दखा निरो म वही अिनबी बिाजव िो पहली मलाक़ाि म था भान उसक इस िरह अचानक दखन स सकपका गया और उसकी पवज तनयोजिि योिना धरी की धरी रह गई लिकी को िस पवाजभास हो गया था की भान उस दख रहा ह निर समली भान की धिकन अपनी लय िाल भल गई थी वह सनन रह गया थाउसन सोचा भी नही था को वो अचानक उसकी िरफ दखगी ससफज दो पल और कफर लिकी न तनववजकार भाव स दरवािा बद कर ददया भान की निर उसका पीछा करि करि बद होि दरवाि प िाकर चचपक गई अि म उसन चन की एक ठडी सास ली और वावपस कमर म आकर धिकि ददल को काब म करन की कोसशश करन लगा इन दो हादसो न उसक यवा ददल म काफी उथल-पथल मचा दी थी उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ और उसका ददल उनका िवाब भी द रहा था मगर ससलससला अिहीन था एक नया एहसास उस अिीब स रोमाच की अनभति स सरोबर ककए िा रहा था भान को अिीब सी कशमकश महसस हो रही थी बाविद इसक बढ़िी हई बचनी भी उसक ददल को सकन पहचान म सहायक ससदध हो रही थी य सब अचछा भी लग रहा था ददमाग म ववचारो की बाढ़ सी

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आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

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और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

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लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

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सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

खामोश लमह 20 | P a g e

कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

खामोश लमह 21 | P a g e

हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

खामोश लमह 40 | P a g e

वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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खामोश लमह 10 | P a g e

क सलवार सट म उसका रप-लावणय ककसी को भी अपनी और आकवरषजि करन की कवि रखिा था वह कछ पल इधर उधर दखिी और कफर ककसी बहान स भान की िरफ तरबना गदजन को ऊपर उठाए दखन लगिी जिस स उसकी बिी बिी आख और भी खबसरि निर आन लगिी हालाकक दोनो क दरमयान करीब िीस मीटर का फासला था मगर कफर भी एक दसर क चहर को आसानी स पढ़ सकि थ भान भी थोि थोि अिराल क बाद उसको दखिा और कफर दसरी िरफ दखन लगिा लगािार आख फािक ककसी लिकी को घरना उसक ससकारो म नही था मगर एक िो उमर और कफर सामन अलहि यौवन स भरपर नवयौवना हो िो वववशिाय बढ़ िािी ह इस उमर म आकरषजण होना सहि बाि ह निरो का परसपर समलन बददसिर िारी था मानव शरीर म उमर क इस दौर म बनन वाल हामोनस क कारण वयवहार िक म अववशवसनीय बदलाव आि हउसीका निीिा था की दोनो धीर धीर एक दसर स एक अिान स आकरषजण स निरो स परखि लग दोनो ददल एक दसर म अपन सलए सभावनाए िलाश रह थ भान न पहली बार ककसी लिकी की िरफ इिनी दर और सिीदगी स दखा था िीवन म पहली बार ऐस दौर स गिरि दो यवा-ददल अपन अदर क कौिहल को दबान की चषटा कर रह थ धडकनो म अनायास हई बढ़ोिरी स नसो म खन का बहाव कछ

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िि हो गया ददल बकाब हो सीन स बाहर तनकलन को मचल रहा था ददमाग और ददल म अपन अपन वचजसव लिाई चल रही थी अचानक बढ़ी इन हलचलो क सलए यवा ददलो का आकरषजण जिममदार था दोनो उमर क एक खास दौर स गिर रह थ जिसम एक दसर क परति झखचाव उतपनन होना लािमी ह

मगर यकायक सबकछ बदल गया अचानक लिकी न नाक ससकोडकर बरा सा मह बनाया और भान को चचढ़ाकर घर क अदर चली गई भान को िस ककसी न िमाचा मार ददया हो उस एक पल को सााप सा सघ गया हडबिा कर वो िरि वहाा स अलग हट गया और कमर क अदर िाकर अपन बकाब होि ददल की धडकनो को काब म करन लगा वो डर गया था उस अपनी हरकि म गससा आ रहा था कयो आि उसन ऐसी असभय हरकि की वो सोचन लगा अगर कही लिकी अपन घरवालो स उसकी सशकायि करद िो कया होगा अिनबी शहर म उस कोई िानिा भी िो नही उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ वो सोचन लगा की अब कया ककया िाए जिस स इस गलिी को सधारा िा सक अचानक दरवाि प हई दसिक स वो बौखला गया और उसक पर शरीर म ससहरन सी दौि गई उसन चौक कर दरवाि की िरफ दखा

खामोश लमह 12 | P a g e

कछ दर सोचिा रहा और अि म मन म ढरो सशय सलए धिकि ददल स वो दरवाि की िरफ बढ़ गया

दरवािा खला सामन एक वयजकि हाथ म एक सलफाफा सलए खिा था

ldquoआप रमश बाब क पररचचि ह ldquo आगिक न पछा

ldquoिीिी हाा कदहए ldquo भान न हकलाि हय िवाब ददया रमश भान क भाई वविय क दोसि का नाम था जिसको रलव की िरफ स य कवाटजर आवदटि हआ था

ldquoउनहोन य खि आपको दन क ददया थाldquo उसन सलफाफा भान की िरफ बढ़ा ददया

ldquoहम लोग भी यही रहि हldquo आगिक न सामन क दरवाि की िरफ इशारा करि हय कहा

ldquoककसी चीि की िररि हो िो बदहचक कह दनाrdquo आगिक न कहा और सामन का दरवािा खोलकर घर क अदर चला गया

भान न राहि की सास ली दरवािा बद ककया और अदर आकर खि पढ़न लगा खि म तरबिली पानी स सबजनधि िररी दहदायिो क ससवा

खामोश लमह 13 | P a g e

सामन क मकान म रहन वाल शमाजिी स ककसी भी िरह की मदद क सलए समलि रहन को सलखा था रमश का वपछल महीन कछ ददनो क सलए पास क शहर म टरानसफर हो गया था ददनभर भान उस लिकी क बार म सोच सोच कर बचन होिा रहा वह हर आहट पर चौक िािा

िस िस करक ददन तरबिा भान ददनभर उस झखिकी की िरफ िाि वक़ि अपन आप को छपािा रहा और अगली दोपहर कॉलि क सलए तनकलन स पहल सहसा उसकी निर पीछ क उस दरवाि प पिी दरवािा बद दखकर उसन राहि की सास ली मकान स उसक कॉलि का रासिा कॉलि का पहला ददन माि ओपचाररकिाओ भरा रहा पढ़ाई क नाम प ससफज टाइम-टबल समला उसक कॉलि का समय दोपहर एक स पााच बि िक था ददनभर रह रहकर उस लिकी का खयाल भी उसकी बचनी बढ़ािा रहा

शाम को मकान म आि ही उस लिकी का खयाल उस कफर बचन करन लगा वो सोचिा रहा की आझखर वो ककस बाि प नाराि हो गई कयो

खामोश लमह 14 | P a g e

उसन उसकी िरफ बरा सा मह बनाया कया उस मरा उसकी िरफ दखना अचछा नही लगा मगर दख िो वो रही थी मि रसोई म आि िाि भान उििी सी निर उस दरवाि प भी डाल रहा था िो बद पिा था तरबना ककसी काम क रसोई म चककर लगाि लगाि अचानक वह दठठक कर रक गया दरवािा खला पिा था मगर वहाा कोई नही था भान की निर इधर उधर कछ िलाशन लगी सहमी सी निरो स वो खल दरवाि को दख रहा था कफर अचानक उसकी निर दरवाि क पास दाई िरफ बन टीन की शडनमा िोपिी पर गई जिसम एक गाय बधी थी और वो लिकी उस गाय का दध तनकाल रही थी भान कछ दर दखिा रहा हालाकक लिकी की पीठ उसको िरफ थी इससलए वो थोिा तनजशचि था साथ साथ वो सामन क बाकी अपाटजमट की झखडककयो पर उििी सी तनगाह डालकर तनजशचि होना चाह रहा था की कही कोई उसकी इस हरकि को दख िो नही रहा चह और स तनजशचििा का माहौल समला िो निर कफर स उस लिकी प िाकर ठहर गई िो अभी िक गाय का दध तनकालन म वयसि थी यकायक लिकी उठी और दध का बरिन हाथ म ल ससर िकाय अपन दरवाि की िरफ बढ़ी भान की निर उसक चहर प िमी थी वह सहमा सहमा उस दरवाि की िरफ बढ़ि हय दखिा रहा वो आि अपन चहर क भावो क माधयम स उस स

खामोश लमह 15 | P a g e

कल की गसिाखी क सलए कषमा मागना चाहिा था लिकी दरवाि म घसी और पलटकर दरवािा बद करि हय एक निर भान की झखिकी की िरफ दखा निरो म वही अिनबी बिाजव िो पहली मलाक़ाि म था भान उसक इस िरह अचानक दखन स सकपका गया और उसकी पवज तनयोजिि योिना धरी की धरी रह गई लिकी को िस पवाजभास हो गया था की भान उस दख रहा ह निर समली भान की धिकन अपनी लय िाल भल गई थी वह सनन रह गया थाउसन सोचा भी नही था को वो अचानक उसकी िरफ दखगी ससफज दो पल और कफर लिकी न तनववजकार भाव स दरवािा बद कर ददया भान की निर उसका पीछा करि करि बद होि दरवाि प िाकर चचपक गई अि म उसन चन की एक ठडी सास ली और वावपस कमर म आकर धिकि ददल को काब म करन की कोसशश करन लगा इन दो हादसो न उसक यवा ददल म काफी उथल-पथल मचा दी थी उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ और उसका ददल उनका िवाब भी द रहा था मगर ससलससला अिहीन था एक नया एहसास उस अिीब स रोमाच की अनभति स सरोबर ककए िा रहा था भान को अिीब सी कशमकश महसस हो रही थी बाविद इसक बढ़िी हई बचनी भी उसक ददल को सकन पहचान म सहायक ससदध हो रही थी य सब अचछा भी लग रहा था ददमाग म ववचारो की बाढ़ सी

खामोश लमह 16 | P a g e

आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

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और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

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लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

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सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

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कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

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हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

खामोश लमह 40 | P a g e

वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

खामोश लमह 67 | P a g e

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खामोश लमह 11 | P a g e

िि हो गया ददल बकाब हो सीन स बाहर तनकलन को मचल रहा था ददमाग और ददल म अपन अपन वचजसव लिाई चल रही थी अचानक बढ़ी इन हलचलो क सलए यवा ददलो का आकरषजण जिममदार था दोनो उमर क एक खास दौर स गिर रह थ जिसम एक दसर क परति झखचाव उतपनन होना लािमी ह

मगर यकायक सबकछ बदल गया अचानक लिकी न नाक ससकोडकर बरा सा मह बनाया और भान को चचढ़ाकर घर क अदर चली गई भान को िस ककसी न िमाचा मार ददया हो उस एक पल को सााप सा सघ गया हडबिा कर वो िरि वहाा स अलग हट गया और कमर क अदर िाकर अपन बकाब होि ददल की धडकनो को काब म करन लगा वो डर गया था उस अपनी हरकि म गससा आ रहा था कयो आि उसन ऐसी असभय हरकि की वो सोचन लगा अगर कही लिकी अपन घरवालो स उसकी सशकायि करद िो कया होगा अिनबी शहर म उस कोई िानिा भी िो नही उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ वो सोचन लगा की अब कया ककया िाए जिस स इस गलिी को सधारा िा सक अचानक दरवाि प हई दसिक स वो बौखला गया और उसक पर शरीर म ससहरन सी दौि गई उसन चौक कर दरवाि की िरफ दखा

खामोश लमह 12 | P a g e

कछ दर सोचिा रहा और अि म मन म ढरो सशय सलए धिकि ददल स वो दरवाि की िरफ बढ़ गया

दरवािा खला सामन एक वयजकि हाथ म एक सलफाफा सलए खिा था

ldquoआप रमश बाब क पररचचि ह ldquo आगिक न पछा

ldquoिीिी हाा कदहए ldquo भान न हकलाि हय िवाब ददया रमश भान क भाई वविय क दोसि का नाम था जिसको रलव की िरफ स य कवाटजर आवदटि हआ था

ldquoउनहोन य खि आपको दन क ददया थाldquo उसन सलफाफा भान की िरफ बढ़ा ददया

ldquoहम लोग भी यही रहि हldquo आगिक न सामन क दरवाि की िरफ इशारा करि हय कहा

ldquoककसी चीि की िररि हो िो बदहचक कह दनाrdquo आगिक न कहा और सामन का दरवािा खोलकर घर क अदर चला गया

भान न राहि की सास ली दरवािा बद ककया और अदर आकर खि पढ़न लगा खि म तरबिली पानी स सबजनधि िररी दहदायिो क ससवा

खामोश लमह 13 | P a g e

सामन क मकान म रहन वाल शमाजिी स ककसी भी िरह की मदद क सलए समलि रहन को सलखा था रमश का वपछल महीन कछ ददनो क सलए पास क शहर म टरानसफर हो गया था ददनभर भान उस लिकी क बार म सोच सोच कर बचन होिा रहा वह हर आहट पर चौक िािा

िस िस करक ददन तरबिा भान ददनभर उस झखिकी की िरफ िाि वक़ि अपन आप को छपािा रहा और अगली दोपहर कॉलि क सलए तनकलन स पहल सहसा उसकी निर पीछ क उस दरवाि प पिी दरवािा बद दखकर उसन राहि की सास ली मकान स उसक कॉलि का रासिा कॉलि का पहला ददन माि ओपचाररकिाओ भरा रहा पढ़ाई क नाम प ससफज टाइम-टबल समला उसक कॉलि का समय दोपहर एक स पााच बि िक था ददनभर रह रहकर उस लिकी का खयाल भी उसकी बचनी बढ़ािा रहा

शाम को मकान म आि ही उस लिकी का खयाल उस कफर बचन करन लगा वो सोचिा रहा की आझखर वो ककस बाि प नाराि हो गई कयो

खामोश लमह 14 | P a g e

उसन उसकी िरफ बरा सा मह बनाया कया उस मरा उसकी िरफ दखना अचछा नही लगा मगर दख िो वो रही थी मि रसोई म आि िाि भान उििी सी निर उस दरवाि प भी डाल रहा था िो बद पिा था तरबना ककसी काम क रसोई म चककर लगाि लगाि अचानक वह दठठक कर रक गया दरवािा खला पिा था मगर वहाा कोई नही था भान की निर इधर उधर कछ िलाशन लगी सहमी सी निरो स वो खल दरवाि को दख रहा था कफर अचानक उसकी निर दरवाि क पास दाई िरफ बन टीन की शडनमा िोपिी पर गई जिसम एक गाय बधी थी और वो लिकी उस गाय का दध तनकाल रही थी भान कछ दर दखिा रहा हालाकक लिकी की पीठ उसको िरफ थी इससलए वो थोिा तनजशचि था साथ साथ वो सामन क बाकी अपाटजमट की झखडककयो पर उििी सी तनगाह डालकर तनजशचि होना चाह रहा था की कही कोई उसकी इस हरकि को दख िो नही रहा चह और स तनजशचििा का माहौल समला िो निर कफर स उस लिकी प िाकर ठहर गई िो अभी िक गाय का दध तनकालन म वयसि थी यकायक लिकी उठी और दध का बरिन हाथ म ल ससर िकाय अपन दरवाि की िरफ बढ़ी भान की निर उसक चहर प िमी थी वह सहमा सहमा उस दरवाि की िरफ बढ़ि हय दखिा रहा वो आि अपन चहर क भावो क माधयम स उस स

खामोश लमह 15 | P a g e

कल की गसिाखी क सलए कषमा मागना चाहिा था लिकी दरवाि म घसी और पलटकर दरवािा बद करि हय एक निर भान की झखिकी की िरफ दखा निरो म वही अिनबी बिाजव िो पहली मलाक़ाि म था भान उसक इस िरह अचानक दखन स सकपका गया और उसकी पवज तनयोजिि योिना धरी की धरी रह गई लिकी को िस पवाजभास हो गया था की भान उस दख रहा ह निर समली भान की धिकन अपनी लय िाल भल गई थी वह सनन रह गया थाउसन सोचा भी नही था को वो अचानक उसकी िरफ दखगी ससफज दो पल और कफर लिकी न तनववजकार भाव स दरवािा बद कर ददया भान की निर उसका पीछा करि करि बद होि दरवाि प िाकर चचपक गई अि म उसन चन की एक ठडी सास ली और वावपस कमर म आकर धिकि ददल को काब म करन की कोसशश करन लगा इन दो हादसो न उसक यवा ददल म काफी उथल-पथल मचा दी थी उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ और उसका ददल उनका िवाब भी द रहा था मगर ससलससला अिहीन था एक नया एहसास उस अिीब स रोमाच की अनभति स सरोबर ककए िा रहा था भान को अिीब सी कशमकश महसस हो रही थी बाविद इसक बढ़िी हई बचनी भी उसक ददल को सकन पहचान म सहायक ससदध हो रही थी य सब अचछा भी लग रहा था ददमाग म ववचारो की बाढ़ सी

खामोश लमह 16 | P a g e

आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

खामोश लमह 17 | P a g e

और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

खामोश लमह 18 | P a g e

लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

खामोश लमह 19 | P a g e

सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

खामोश लमह 20 | P a g e

कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

खामोश लमह 21 | P a g e

हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

खामोश लमह 40 | P a g e

वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

खामोश लमह 44 | P a g e

नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 12: Khamosh lamhe 2

खामोश लमह 12 | P a g e

कछ दर सोचिा रहा और अि म मन म ढरो सशय सलए धिकि ददल स वो दरवाि की िरफ बढ़ गया

दरवािा खला सामन एक वयजकि हाथ म एक सलफाफा सलए खिा था

ldquoआप रमश बाब क पररचचि ह ldquo आगिक न पछा

ldquoिीिी हाा कदहए ldquo भान न हकलाि हय िवाब ददया रमश भान क भाई वविय क दोसि का नाम था जिसको रलव की िरफ स य कवाटजर आवदटि हआ था

ldquoउनहोन य खि आपको दन क ददया थाldquo उसन सलफाफा भान की िरफ बढ़ा ददया

ldquoहम लोग भी यही रहि हldquo आगिक न सामन क दरवाि की िरफ इशारा करि हय कहा

ldquoककसी चीि की िररि हो िो बदहचक कह दनाrdquo आगिक न कहा और सामन का दरवािा खोलकर घर क अदर चला गया

भान न राहि की सास ली दरवािा बद ककया और अदर आकर खि पढ़न लगा खि म तरबिली पानी स सबजनधि िररी दहदायिो क ससवा

खामोश लमह 13 | P a g e

सामन क मकान म रहन वाल शमाजिी स ककसी भी िरह की मदद क सलए समलि रहन को सलखा था रमश का वपछल महीन कछ ददनो क सलए पास क शहर म टरानसफर हो गया था ददनभर भान उस लिकी क बार म सोच सोच कर बचन होिा रहा वह हर आहट पर चौक िािा

िस िस करक ददन तरबिा भान ददनभर उस झखिकी की िरफ िाि वक़ि अपन आप को छपािा रहा और अगली दोपहर कॉलि क सलए तनकलन स पहल सहसा उसकी निर पीछ क उस दरवाि प पिी दरवािा बद दखकर उसन राहि की सास ली मकान स उसक कॉलि का रासिा कॉलि का पहला ददन माि ओपचाररकिाओ भरा रहा पढ़ाई क नाम प ससफज टाइम-टबल समला उसक कॉलि का समय दोपहर एक स पााच बि िक था ददनभर रह रहकर उस लिकी का खयाल भी उसकी बचनी बढ़ािा रहा

शाम को मकान म आि ही उस लिकी का खयाल उस कफर बचन करन लगा वो सोचिा रहा की आझखर वो ककस बाि प नाराि हो गई कयो

खामोश लमह 14 | P a g e

उसन उसकी िरफ बरा सा मह बनाया कया उस मरा उसकी िरफ दखना अचछा नही लगा मगर दख िो वो रही थी मि रसोई म आि िाि भान उििी सी निर उस दरवाि प भी डाल रहा था िो बद पिा था तरबना ककसी काम क रसोई म चककर लगाि लगाि अचानक वह दठठक कर रक गया दरवािा खला पिा था मगर वहाा कोई नही था भान की निर इधर उधर कछ िलाशन लगी सहमी सी निरो स वो खल दरवाि को दख रहा था कफर अचानक उसकी निर दरवाि क पास दाई िरफ बन टीन की शडनमा िोपिी पर गई जिसम एक गाय बधी थी और वो लिकी उस गाय का दध तनकाल रही थी भान कछ दर दखिा रहा हालाकक लिकी की पीठ उसको िरफ थी इससलए वो थोिा तनजशचि था साथ साथ वो सामन क बाकी अपाटजमट की झखडककयो पर उििी सी तनगाह डालकर तनजशचि होना चाह रहा था की कही कोई उसकी इस हरकि को दख िो नही रहा चह और स तनजशचििा का माहौल समला िो निर कफर स उस लिकी प िाकर ठहर गई िो अभी िक गाय का दध तनकालन म वयसि थी यकायक लिकी उठी और दध का बरिन हाथ म ल ससर िकाय अपन दरवाि की िरफ बढ़ी भान की निर उसक चहर प िमी थी वह सहमा सहमा उस दरवाि की िरफ बढ़ि हय दखिा रहा वो आि अपन चहर क भावो क माधयम स उस स

खामोश लमह 15 | P a g e

कल की गसिाखी क सलए कषमा मागना चाहिा था लिकी दरवाि म घसी और पलटकर दरवािा बद करि हय एक निर भान की झखिकी की िरफ दखा निरो म वही अिनबी बिाजव िो पहली मलाक़ाि म था भान उसक इस िरह अचानक दखन स सकपका गया और उसकी पवज तनयोजिि योिना धरी की धरी रह गई लिकी को िस पवाजभास हो गया था की भान उस दख रहा ह निर समली भान की धिकन अपनी लय िाल भल गई थी वह सनन रह गया थाउसन सोचा भी नही था को वो अचानक उसकी िरफ दखगी ससफज दो पल और कफर लिकी न तनववजकार भाव स दरवािा बद कर ददया भान की निर उसका पीछा करि करि बद होि दरवाि प िाकर चचपक गई अि म उसन चन की एक ठडी सास ली और वावपस कमर म आकर धिकि ददल को काब म करन की कोसशश करन लगा इन दो हादसो न उसक यवा ददल म काफी उथल-पथल मचा दी थी उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ और उसका ददल उनका िवाब भी द रहा था मगर ससलससला अिहीन था एक नया एहसास उस अिीब स रोमाच की अनभति स सरोबर ककए िा रहा था भान को अिीब सी कशमकश महसस हो रही थी बाविद इसक बढ़िी हई बचनी भी उसक ददल को सकन पहचान म सहायक ससदध हो रही थी य सब अचछा भी लग रहा था ददमाग म ववचारो की बाढ़ सी

खामोश लमह 16 | P a g e

आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

खामोश लमह 17 | P a g e

और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

खामोश लमह 18 | P a g e

लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

खामोश लमह 19 | P a g e

सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

खामोश लमह 20 | P a g e

कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

खामोश लमह 21 | P a g e

हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

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रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

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ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 13: Khamosh lamhe 2

खामोश लमह 13 | P a g e

सामन क मकान म रहन वाल शमाजिी स ककसी भी िरह की मदद क सलए समलि रहन को सलखा था रमश का वपछल महीन कछ ददनो क सलए पास क शहर म टरानसफर हो गया था ददनभर भान उस लिकी क बार म सोच सोच कर बचन होिा रहा वह हर आहट पर चौक िािा

िस िस करक ददन तरबिा भान ददनभर उस झखिकी की िरफ िाि वक़ि अपन आप को छपािा रहा और अगली दोपहर कॉलि क सलए तनकलन स पहल सहसा उसकी निर पीछ क उस दरवाि प पिी दरवािा बद दखकर उसन राहि की सास ली मकान स उसक कॉलि का रासिा कॉलि का पहला ददन माि ओपचाररकिाओ भरा रहा पढ़ाई क नाम प ससफज टाइम-टबल समला उसक कॉलि का समय दोपहर एक स पााच बि िक था ददनभर रह रहकर उस लिकी का खयाल भी उसकी बचनी बढ़ािा रहा

शाम को मकान म आि ही उस लिकी का खयाल उस कफर बचन करन लगा वो सोचिा रहा की आझखर वो ककस बाि प नाराि हो गई कयो

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उसन उसकी िरफ बरा सा मह बनाया कया उस मरा उसकी िरफ दखना अचछा नही लगा मगर दख िो वो रही थी मि रसोई म आि िाि भान उििी सी निर उस दरवाि प भी डाल रहा था िो बद पिा था तरबना ककसी काम क रसोई म चककर लगाि लगाि अचानक वह दठठक कर रक गया दरवािा खला पिा था मगर वहाा कोई नही था भान की निर इधर उधर कछ िलाशन लगी सहमी सी निरो स वो खल दरवाि को दख रहा था कफर अचानक उसकी निर दरवाि क पास दाई िरफ बन टीन की शडनमा िोपिी पर गई जिसम एक गाय बधी थी और वो लिकी उस गाय का दध तनकाल रही थी भान कछ दर दखिा रहा हालाकक लिकी की पीठ उसको िरफ थी इससलए वो थोिा तनजशचि था साथ साथ वो सामन क बाकी अपाटजमट की झखडककयो पर उििी सी तनगाह डालकर तनजशचि होना चाह रहा था की कही कोई उसकी इस हरकि को दख िो नही रहा चह और स तनजशचििा का माहौल समला िो निर कफर स उस लिकी प िाकर ठहर गई िो अभी िक गाय का दध तनकालन म वयसि थी यकायक लिकी उठी और दध का बरिन हाथ म ल ससर िकाय अपन दरवाि की िरफ बढ़ी भान की निर उसक चहर प िमी थी वह सहमा सहमा उस दरवाि की िरफ बढ़ि हय दखिा रहा वो आि अपन चहर क भावो क माधयम स उस स

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कल की गसिाखी क सलए कषमा मागना चाहिा था लिकी दरवाि म घसी और पलटकर दरवािा बद करि हय एक निर भान की झखिकी की िरफ दखा निरो म वही अिनबी बिाजव िो पहली मलाक़ाि म था भान उसक इस िरह अचानक दखन स सकपका गया और उसकी पवज तनयोजिि योिना धरी की धरी रह गई लिकी को िस पवाजभास हो गया था की भान उस दख रहा ह निर समली भान की धिकन अपनी लय िाल भल गई थी वह सनन रह गया थाउसन सोचा भी नही था को वो अचानक उसकी िरफ दखगी ससफज दो पल और कफर लिकी न तनववजकार भाव स दरवािा बद कर ददया भान की निर उसका पीछा करि करि बद होि दरवाि प िाकर चचपक गई अि म उसन चन की एक ठडी सास ली और वावपस कमर म आकर धिकि ददल को काब म करन की कोसशश करन लगा इन दो हादसो न उसक यवा ददल म काफी उथल-पथल मचा दी थी उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ और उसका ददल उनका िवाब भी द रहा था मगर ससलससला अिहीन था एक नया एहसास उस अिीब स रोमाच की अनभति स सरोबर ककए िा रहा था भान को अिीब सी कशमकश महसस हो रही थी बाविद इसक बढ़िी हई बचनी भी उसक ददल को सकन पहचान म सहायक ससदध हो रही थी य सब अचछा भी लग रहा था ददमाग म ववचारो की बाढ़ सी

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आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

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और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

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लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

खामोश लमह 19 | P a g e

सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

खामोश लमह 20 | P a g e

कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

खामोश लमह 21 | P a g e

हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

खामोश लमह 40 | P a g e

वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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उसन उसकी िरफ बरा सा मह बनाया कया उस मरा उसकी िरफ दखना अचछा नही लगा मगर दख िो वो रही थी मि रसोई म आि िाि भान उििी सी निर उस दरवाि प भी डाल रहा था िो बद पिा था तरबना ककसी काम क रसोई म चककर लगाि लगाि अचानक वह दठठक कर रक गया दरवािा खला पिा था मगर वहाा कोई नही था भान की निर इधर उधर कछ िलाशन लगी सहमी सी निरो स वो खल दरवाि को दख रहा था कफर अचानक उसकी निर दरवाि क पास दाई िरफ बन टीन की शडनमा िोपिी पर गई जिसम एक गाय बधी थी और वो लिकी उस गाय का दध तनकाल रही थी भान कछ दर दखिा रहा हालाकक लिकी की पीठ उसको िरफ थी इससलए वो थोिा तनजशचि था साथ साथ वो सामन क बाकी अपाटजमट की झखडककयो पर उििी सी तनगाह डालकर तनजशचि होना चाह रहा था की कही कोई उसकी इस हरकि को दख िो नही रहा चह और स तनजशचििा का माहौल समला िो निर कफर स उस लिकी प िाकर ठहर गई िो अभी िक गाय का दध तनकालन म वयसि थी यकायक लिकी उठी और दध का बरिन हाथ म ल ससर िकाय अपन दरवाि की िरफ बढ़ी भान की निर उसक चहर प िमी थी वह सहमा सहमा उस दरवाि की िरफ बढ़ि हय दखिा रहा वो आि अपन चहर क भावो क माधयम स उस स

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कल की गसिाखी क सलए कषमा मागना चाहिा था लिकी दरवाि म घसी और पलटकर दरवािा बद करि हय एक निर भान की झखिकी की िरफ दखा निरो म वही अिनबी बिाजव िो पहली मलाक़ाि म था भान उसक इस िरह अचानक दखन स सकपका गया और उसकी पवज तनयोजिि योिना धरी की धरी रह गई लिकी को िस पवाजभास हो गया था की भान उस दख रहा ह निर समली भान की धिकन अपनी लय िाल भल गई थी वह सनन रह गया थाउसन सोचा भी नही था को वो अचानक उसकी िरफ दखगी ससफज दो पल और कफर लिकी न तनववजकार भाव स दरवािा बद कर ददया भान की निर उसका पीछा करि करि बद होि दरवाि प िाकर चचपक गई अि म उसन चन की एक ठडी सास ली और वावपस कमर म आकर धिकि ददल को काब म करन की कोसशश करन लगा इन दो हादसो न उसक यवा ददल म काफी उथल-पथल मचा दी थी उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ और उसका ददल उनका िवाब भी द रहा था मगर ससलससला अिहीन था एक नया एहसास उस अिीब स रोमाच की अनभति स सरोबर ककए िा रहा था भान को अिीब सी कशमकश महसस हो रही थी बाविद इसक बढ़िी हई बचनी भी उसक ददल को सकन पहचान म सहायक ससदध हो रही थी य सब अचछा भी लग रहा था ददमाग म ववचारो की बाढ़ सी

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आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

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और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

खामोश लमह 18 | P a g e

लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

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सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

खामोश लमह 20 | P a g e

कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

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हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

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लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

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हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

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ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

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ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

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रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

खामोश लमह 44 | P a g e

नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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खामोश लमह 15 | P a g e

कल की गसिाखी क सलए कषमा मागना चाहिा था लिकी दरवाि म घसी और पलटकर दरवािा बद करि हय एक निर भान की झखिकी की िरफ दखा निरो म वही अिनबी बिाजव िो पहली मलाक़ाि म था भान उसक इस िरह अचानक दखन स सकपका गया और उसकी पवज तनयोजिि योिना धरी की धरी रह गई लिकी को िस पवाजभास हो गया था की भान उस दख रहा ह निर समली भान की धिकन अपनी लय िाल भल गई थी वह सनन रह गया थाउसन सोचा भी नही था को वो अचानक उसकी िरफ दखगी ससफज दो पल और कफर लिकी न तनववजकार भाव स दरवािा बद कर ददया भान की निर उसका पीछा करि करि बद होि दरवाि प िाकर चचपक गई अि म उसन चन की एक ठडी सास ली और वावपस कमर म आकर धिकि ददल को काब म करन की कोसशश करन लगा इन दो हादसो न उसक यवा ददल म काफी उथल-पथल मचा दी थी उसक ददमाग म अनको सवाल उठ रह थ और उसका ददल उनका िवाब भी द रहा था मगर ससलससला अिहीन था एक नया एहसास उस अिीब स रोमाच की अनभति स सरोबर ककए िा रहा था भान को अिीब सी कशमकश महसस हो रही थी बाविद इसक बढ़िी हई बचनी भी उसक ददल को सकन पहचान म सहायक ससदध हो रही थी य सब अचछा भी लग रहा था ददमाग म ववचारो की बाढ़ सी

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आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

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और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

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लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

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सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

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कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

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हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

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लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

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हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

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ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

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ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

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ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

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साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

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ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

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भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

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खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

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बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

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रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

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भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

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ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 16: Khamosh lamhe 2

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आ गई थी कभी गभीर िो कभी मसकराि भावो वाल ववचार मथन की चरम सीमा को छ रह थ खद क ववचार खद स ही आपस म उलि कर लिि िगिि रह ददवान अकसर ऐस दौर स गिरि ह खद स बाि करि और उमगो क दहचकोल खाि कब उसकी आाख लग गई पिा ही नही चला

अगली सबह िलदी िलदी नाशिा खिम कर वो चाय का कप हाथ म ल अपन चचरपररचचि सथान प खिा हो गया एक दो बार उििी सी निर उस दरवाि प डालिा हआ चाय की चसककयो क बीच आस-पास क माहौल का िायिा लन लगा लिकी क चहर क कल क भाव सिोरषिनक थ वो सायद अब गससा नही ह या हो सकिा ह य िफान स पहल की खामोशी हो इस कशमकश म उसकी उलिन और बढ़िी िा रही थी और साथ ही इििार की इिहा म उसकी मनोदशा भी कोई खास अचछी नही कही िा सकिी थी अचानक दरवािा खला लिकी न िट स ऊपर दखा निर समली भान सिबध रह गया एक पल को िस सब कछ थम सा गया मगर दसर ही पल लिकी न बाहर स दरवािा बद ककया और सीन स ककिाब चचपकाए सिक प गदजन िकाय हय एक

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और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

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लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

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सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

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कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

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हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

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हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

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खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

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बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

खामोश लमह 44 | P a g e

नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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और िाि हय दर तनकल गई भान दर िक उस िाि हय दखिा रहा भान उसक ऐस अचानक दखन स थोिा सहम गया रहा था मगर ददल उसक डर प हावी हो रहा था वपछल दो चार ददनो म उसन जििन भी अनभव ककए उनका एहसास उसक सलए तरबलकल नया था वो चली गई मगर भान क सलए न सलिा सकन वाली पहली छोि गई जिस वो सलिान म लगा था

दोपहर अपन कॉलि क सलए िाि हय पर रासि वो उसी क बार म सोचिा रहा कॉलि पहाचकर भी उसका मन पढ़ाई म नही लग रहा था िस िस कॉलि खिम हआ और उसको िो िस पख लग गए िलदी स अपन कवाटजर म पहचा और झखिकी स बाहर िााककर उसकी मोिदगी पिा की मगर तनराशा ही हाथ लगी दरवािा बद था एक क बाद एक कई चककर लगान क बाद भी िब दरवाि प कोई हलचल नई हई िो भान भारी मन स कमर म िाकर लट गया

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लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

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सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

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कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

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हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

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लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

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हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

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ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

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ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

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ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

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साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

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ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

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भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

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खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

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बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

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रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

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भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

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रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

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रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

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ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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लककन उसका ददल िो कही और था बचनी स करवट बदलिा रहा और अि म झखिकी क पास आकर खिा हो गया पर मकान म वही एक िगह थी िहा उसकी बचनी का हल छपा था वहाा खि होकर उस भख पयास िक का एहसास नही होिा था अधा चाह दो आख कफर आझखरकार दीदार की घिी आ ही गई दरवािा खला भान सभला और दरवाि की िरफ उििी सी निर डालकर पिा करन की कोसशश करन लगा को कौन ह मराद परी हई लिकी हाथ म बालटी थाम बाहर आई और सीधी दाई और टीन क शड म बधी गाय का दध तनकालन लगी भान आस पास क मकानो की झखिककयो प सरसरी सी निर डालकर कनझखयो स उस लिकी को भी दख िा रहा था भान को उस दखन की ललक सी लग गई थी िब िक उसको दख नही लिा उस कछ खाली खाली सा लगन लगिा सायद पयार की कोपल फटन लगी थी लिकी अपनी परी िललीनिा स अपन काम म मगन थी कछ समय पशचाि लिकी उठी घमी और दध की बालटी को दोनो हाथो स दोनो घटनो प दटका िट स ऊपर भान की िरफ सशकायि भर लहि म ऐस दखन लगी िस कह रही rdquoददनभर घरन की ससवा कोई काम नही कयाrdquo भान िप गया और दसरी िरफ दखन लगा लिकी उस िोपिी म अदर की िरफ ऐस खिी थी की वहाा स उस भान क ससवा कोई और नही दख

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सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

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कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

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हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

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लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

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हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

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ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

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ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

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ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

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साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

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ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

खामोश लमह 40 | P a g e

वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

खामोश लमह 44 | P a g e

नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 19: Khamosh lamhe 2

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सकिा था मगर भान िहा खिा था वो िगह उिनी सरकषकषि नही थी की तरबना ककसी की निरो म आए उस तनजशचि होकर तनहार सक मगर कफर भी वो परी सावधानी क साथ उसकी िरफ दख लिा था िहा वो लिकी उस अपलक घर िा रही थी िस कछ तनणजय ल रही हो उसक चहर क भावो स लग रह था िस कहना चाहिी हो की मरा पीछा छोि दो आझखरकार भान न दहममि करक उसकी िरफ दखा दखिा रहा तरबना पलक िपकाए उसकी आखो म दखन क बाद वो दीन-दतनया को भलन लगा अब उस ककसी क दख िान का तरबलकल डर नही था लिकी अभी िक उसी अदाि म तरबना कोई भाव बदल भान को घर रही थी करीब पााच समतनट क इस रक हय वक़ि को िब िटका सा लगा िब लिकी न कफर स मह तरबचकाया और अपन दरवाि की िरफ बढ़ गई भान घबराया हआ उसको िाि दखिा रहा और कफर लिकी न तरबना घम दरवािा बद कर ददया भान को उममीद थी की वो अदर िाि वक़ि एक बार िरर पलट कर दखगी दीवान अकसर ऐसी उममीदो क पल बाध लि ह और कफर उनक टटन पर आास बहान लगि ह मगर वो ऐस बाध बनान और कफर उसक टटन म भी एक रहानी एहसास िलाश ही लि ह

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कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

खामोश लमह 21 | P a g e

हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

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ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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कछ ददनो ससलससला य ही चलिा रहा भान उहापोह म फसा हआ था भान बाथरम की झखिकी क टट हय कााच स बन छद स आाख सटाकर य पिा करिा की मर झखिकी प न होनपर भी कया वो उसक खि होन की िगह की िरफ दखिी ह भान की सोच सही तनकली वो लिकी अकसर उििी सी निर उस झखिकी पर डालिी और भान को वहाा न पाकर दसरी और दखन लगिी य ससलससला बार बार दोहराया िािा मगर वो छप हय भान को नही दख पािी थी भान उसकी इस हरकि प मसकराय तरबना न रहा अब उस यकीन हो गया की वो अकला ही बचन नही ह हालाि उस िरफ भी बचनी भर ह अब भान पहल बाथरम क होल स दखिा की वो दरवाि म खिी ह या नही अगर वो खिी होिी िो वह भी ककसी बहान िाकर सामन खिा हो िािा कछ दर इधर उधर दखन का नाटक करि हय वो एक आध तनगाह दरवाि पर भी डाल लिा िहा वो लिकी भी उसी का अनसरण कर रही होिी थी चारो िरफ स आशवसि होन क बाद भान न निर लिकी क चहर प टीका दी लिकी अनवरि उस ही दख िा रही थी भावशनयककसी निीि क इििार म दोनो सायद मिबर हो गए थ ददल और ददमाग की रससाकसी म ददल का पलिा तनरिर भरी होिा िा रहा था बबस दो यवा अपनी िवाा उमगो क भवर म बह िा रह थ अचानक लिकी की

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हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

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लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

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हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

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ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

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ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

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ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

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साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

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ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

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भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

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खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

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बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

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रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

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भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

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ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 21: Khamosh lamhe 2

खामोश लमह 21 | P a g e

हलकी सी मसकराई िस उसन हचथयार डाल ददय हो और कह रही हो िम िीि और म हारी भान की िदरा टटी वो अपन आप को सभालिा हआ उसकी मसकराहट का िवाब िलाश ही रहा था की लिकी पलटी और िाि िाि एक और मसकराहट स भान को दववधा म डाल गई दरवािा अब भी खला हआ था भान क पर शरीर म रोमाच की लहर सी उठन लगी िीवन क पहल इिहार-ए-इशक का एहसास उसक ददल म दहचकोल मार रहा था वो अपन कमर म आया और एक ठडी लबी सास खीचकर ऐस तरबसिर पर लट गया िस कोई योदधा रणभसम स ववियशी पाकर लौटा हो वो लट लट छि की िरफ दखकर मसकरान लगा आि उस अपन आस पास का माहौल कछ जयादा ही बदला बदला सा लग रहा था एक अिीब सा सगीि उस अपन चारो और सनाई द रहा था पयार का खमार उसक चहर प साफ िलक रहा था

दो ददलो म एक मक सहमिी बन गई थी अब दोनो अकसर ऐस ही एक दसर को पलो िाकि रहि हलकी मसकराहट और कछ छप हय इशार ही इनकी भारषा थ दोनो दतनयाा स तछप तछपाकर ददन म कम स कम एक दो बार िो अवशय ही आखो ही आाखो म इिहार-ए-मोहबबि कर

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लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

खामोश लमह 40 | P a g e

वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

खामोश लमह 44 | P a g e

नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 22: Khamosh lamhe 2

खामोश लमह 22 | P a g e

लि दोनो एक दसर को िब िक दख नही लि िब िक बढ़ी हई आिरिा ददल म सलए इधर उधर घमि रहि बस कछ पलो का कछ अिान सा मोह उन दोनो क दरमयान पनपन लगा था सायद उस ही परम या पयार का नाम दि ह पयार होन की कोई ठोस विह नही होिी और ना ही वक़ि तनधाजरण होिा ह य कहना भी मजशकल ह की कब और कोनस पल हआ कयोकक पयार म वक़ि गवाह नही होिा अिहीन ससलससलो और मन क पल पल बदलि भावो स पयार का अविरण होिा ह

कभी कभार दरवािा दर िक न खलन स परशान भान अपना दरवािा खोलकर सीदढ़यो म खिा हो िािा अपन पिोसी पररवार स उसक समबध अचछ हो रह थ पररवार क मझखया का नाम सशवचरण था िो उतिरपरदश का रहन वाला था उसक पररवार म दो बट और दो बदटयाा थी दोनो बि बट अपना कोई छोटा मोटा काम-धधा करि थ और बिी बटी दगाज घर म माा क कम म हाथ बटािी थी िबकक छोटी लिकी सरोि सकल म पढ़िी थी सयोगवश दगाज की माा और भान का गोि एक ही था एससलए दगाज की माा भान को भाई िसा मानिी थी मगर दगाज अपन

खामोश लमह 23 | P a g e

हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

खामोश लमह 24 | P a g e

ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

खामोश लमह 25 | P a g e

ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

खामोश लमह 26 | P a g e

ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

खामोश लमह 27 | P a g e

साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

खामोश लमह 28 | P a g e

ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

खामोश लमह 29 | P a g e

भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

खामोश लमह 30 | P a g e

खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

खामोश लमह 33 | P a g e

भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

खामोश लमह 34 | P a g e

था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

खामोश लमह 40 | P a g e

वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

खामोश लमह 44 | P a g e

नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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हमउमर भान को मामा का समबोधन नही दिी थी अचानक दगाज बाहर आई और छि की िरफ िान वाली सीदढ़यो प खिी ही गई भान ठीक उसक उसक सामन नीच की िरफ िान वाली सीदढ़यो म खिा सामन दर दर िक फल रलव पटररयो क िाल को दख रहा था

ldquoआि आप कॉलि नही गएrdquo दगाज न धीर स पछा

ldquoनही आि छटटी ह rdquo

ldquoखाना बना सलया rdquo दगाज न थोिी दर रककर कफर सवाल ककया

ldquoहाा खा भी सलया rdquo

दोनो कछ समय चपचाप खि रह दगाज क हाथो म कछ गील कपि थ उनको वो सायद छि प सखान ल िा रही थी भान सीदढ़यो म खिा िरोखदार दीवार स सामन सिक पर खलि बचचो को दख रहा था दगाज भी कभी भान िो कभी सामन क बचचो को दख रही थी वो बाि आग बढ़ान क सलए उतसक निर आ रही थी

ldquoउसका नाम रिना हrdquo अचानक दगाज न कहा और भान क चहर क भाव पढ़न की कोसशश करन लगी

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ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

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ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

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ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

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साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

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ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

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भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

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खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

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बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

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रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

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भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

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रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

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रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

खामोश लमह 44 | P a g e

नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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ldquoककसका rdquo भान न लापरवाही स तरबना दगाज की िरफ दखि हय पछा

ldquoवही िो पीछ ldquoबीrdquo बलॉक म नीच वाल कवाटजर म रहिी हrdquo दगाज न भान की आखो म िााकि हय कहा

ldquoककौनrdquo भान चौका और पलटकर कर दगाज की िरफ दखन लगा

rdquoवो जिनक एक गाय भी हrdquo दगाज न बाि परी की और भान की आखो म दखन लगी

भान उसका िवाब सनकर सकपका गया और हकलाि हय बोला rdquoममि िो नही पिा ककौन रिना मम िो नही िानिाlsquo लककन मन ही मन वो ldquoरिनाrdquo क बार म िानन की जिजञासा पाल हय था मगर सकोचवश कछ पछ न सका

ldquoवो आपकी िरफ दखिी रहिी ह ना rdquo दगाज न परशनवाचक तनगाहो स भान की िरफ दखा rdquoमन दखा ह उसको ऐसा करिrdquo दगाज न कछ दर रककर कहा

भान की िबान िाल स चचपक गई

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ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

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ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

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साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

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ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

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भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

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खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

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बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

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रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

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भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

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रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

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रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

खामोश लमह 44 | P a g e

नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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ldquoवो बस सटड क पास िो मदहला कॉलि ह उसम पढ़िी ह उसक पापा रलव म ह य लोग पिाबी ह rdquo दगाज न ससलससलवार सचना स अवगि कराि हय बाि खतम की और परतिककरया क सलए भान का चहरा िाकन लगी

ldquoअचछाrdquo भान न ऐस कहा िस उस इसम कोई खास ददलचसपी नही ह मगर दगाज उसक चहर क बदलि भावो को भाप गई थी वो भान को सिबदध करक चली गई

दगाज क इस रहसयोदघाटन स भान क चहर प पसीन की बाद छलक आई थी उसको लगा िस परी कॉलोनी को य बाि पिा चल गई ह और अब सभी उसकी िरफ दख उसप हस रह ह

दगाज और भान क कवाटजर साथ साथ थ उनक मखय दवार एक दसर क आमन सामन थ अदर स सभी मकान एक ही ड़डिाईन स बन हय थ ऊपर िान क सलए सीदढ़याा कॉमन थी दगाज न अपन पीछ वाली झखिकी स रिना को भान क कवाटजर की िरफ दखि हय दख सलया था

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ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

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साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

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ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

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भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

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खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

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बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

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रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

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भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

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रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

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रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

खामोश लमह 44 | P a g e

नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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ऊपर स माा की आवाि सन दगाज िलदी छि की सीदढ़याा चढ़न लगी और उसक पीछ भान लटा पीटा सा अपन दरवाि की िरफ बढ़ गया उसन सपन म भी नही सोचा था की ककसी को उनक बार म िरा सा भी इलम होगा एक भय सा लग रहा था की कही उस लिकी क पररवार क ककसी सदसय को पिा चल गया िो ककिना हागामा होगा

िब कभी खाना बनान का मड नही होिा था िो भान शाम को अकसर बाहर पास क ककसी होटल म खान क सलए चला िािा था आि वस भी दगाज न उसको अिीब उलिन म डाल ददया था खाना खान क बाद वो इसी चचिा म खोया हआ वावपस अपन मकान म आ रहा था कॉलोनी म दाझखल होन क बाद वो अपन अपाटजमट क सामन वाली सिक स गिर रहा था की सामन स आिी ldquoरिनाrdquo को दख चौक पिा दोनो न एक दसर को दखा तनगाह टकराई शरीर म एक मीठी-सी ससहरन दौिन लगी तनसिबध तनशबद दो ददलो म अचानक धडकनो का एक जवार ठाठ मारन लगा उदवसलि निर समली और उलिकर रह गई एक दसर क बगल स गिरि हय एक दसर क ददल की धडकनो को

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साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

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ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

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भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

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खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

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बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

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रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

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भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

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रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

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रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

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ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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साफ महसस कर रह थ िबान अपना कोई हनर नही ददखा पाई सब कछ इिना िलदी हो गया की िब दोनो सभल िो दर िा चक थ

राि म भान भववषय क सपन बनि बनि सो गया वो रािभर उसक खयालो म खोया रहा रिना को लकर उसन बहि स खवाब बन सलए थ वह रिना को लकर एक कसशश सी महसस करन लगिा रिना का चहरा हर वक़ि उस अपन इदज-चगदज घमिा हआ सा महसस होिा था

सबह दरवाि पर होन वाली दसिक न उठा ददया दखा उसन दरवािा खोला िो सामन दगाज को खि पाया ऊपर छि प िान वाली सीदढ़यो प दगाज खिी थी उसन इशार स भान को अपन पास बलाया भान नीच िान वाली सीदढ़यो म िाकर खिा हो गया और परशनवाचक तनगाहो स दगाज की िरफ दखन लगा

ldquoरिना न लटर मागा हrdquo दगाज न धीर स फसफसाि हय कहा

ldquoऊ rdquo भान को िस ककसी न नगा होन क सलए कह ददया हो

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ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

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भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

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खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

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बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

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रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

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भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

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रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

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रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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ldquoककसन rdquo चौक कर ववसमय स दगाज की िरफ दखा

ldquoउसी न ldquo दगाज न मसकराि हय गदजन स ldquoरिनाrdquo क घर की िरफ इशारा करक कहा

भान क पास कहन को शबद नही थ झखससयाकर गदजन नीच िकाली

ldquoमि द दना म उसको द दागीrdquo

ldquordquo

ककसी क कदमो क आहट स दगाज घर क अदर चली गई भान भी अपन कमर म आ गया वो सबस जयादा वक़ि रसोई और कमर क बीच आन िान म ही गिारिा थाकयोकक इसी आन िान क दरमयान वो एक उििी सी निर उसक घर क दरवाि प भी डाल दिा था चचिचोर क समलन पर वो झखिकी प आ िािा और कफर दोनो लोगो की निरो स निर बचाकर निर समला लि रिना की िरफ स अब पयार का मक आमिण समलन लगा था चचढ़ान और गससा करन की िगह पर अब हलकी मसकान न डरा िमा सलया था उसक बाद िो य दो दीवान आाखो ही आखो म एक दसर क हो गए थ बहि स सपन पाल सलए िो बीिि वक़ि क साथ िवा होि गए

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भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

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खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

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बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

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रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

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भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

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रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

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रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

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भान का ददल करिा था की रिना स ढर सारी बाि कर मगर उसका शसमजला और सकोची सवभाव उसक आि आ िािा था एक ददन उसन दहममि करक खि सलखन की सोची उस य भी डर था की कही वो खि ककसी क हाथ ना लग िाए लककन पयार प भला ककसका िोर चलिा ह वो सलखन बठ गया तरबना ककसी समबोधन एक छोटी परम-कवविा सलख दी अि म अपना नाम िक नही सलखा दसर ददन चपक स दगाज को द ददया काफी ददन बीि िान पर मौका पाकर भान न दगाज को रिना स भी पि लान को कहा दगाज न उस भरोसा ददलाया की वो रिना स भी पि लाकर दगी ददन बीिि गए मगर रिना का पि नही समला दगाज का एक ही िवाब समलिा की rdquoवो सलखन को कह रही थीrdquo वकि बीििा गया और दोनो अपन परम को परवान चढ़ाि रह ससफज आाखो म ही कसम वादो की रशम अदायगी होिी रही कभी सामना होन पर दोनो अिान बन िाि और धिकि ददलो को सभालन म ही वक़ि तनकल िािा दोनो बहि कछ कहना चाहि मगर ददल की धिकन िबान का गला दबा दिी

भान नहान क बाद बतनयान और हाफ-पट पहल अपन सलए नाशिा बना रहा था दरवाि प हलकी ठक ठक की आवाि सन भान न दरवािा

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खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

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बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

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रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

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भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

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रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

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रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

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ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 30: Khamosh lamhe 2

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खोला िो सामन दगाज और रिना को दख चौक पिा धिकन बढ़ गई ददल मचलकर हलक म आ फा सा

आख िपकाना िक भल गया और जिस चहर को दख तरबना उिावला सा रहिा था वो इस वक़ि उसक सामन था वो ही बिी बिी आख इस वक़ि माि एक कदम दर स उस दख रही थी िो आि स पहल करीब िीस स चालीस कदम दर होिी थी दोनो इस वकि एक दसर की आाखो म डब ददल क दरीचो िक पहाचन का िगाि लगा रह थ रिना ठीक दरवाि क सामन और दगाज उसक पीछ सीदढ़यो म खिी थी भान सामन खिी रिना की गरम साासो को अपन चहर प अनभव कर रहा था भान खि क इििार म डबा भान आि रिना को सामन पाकर बि बन गया था दोनो िरफ गहन खामोश मगर ददलो क िार िक ि हो उठ पररजसथतिया अनकल थी मगर ददल बकाब हआ िा रहा था जिसस आतमववशवास की डोर लगािार हाथ स छट रही थी अकसर ख़यालो म डीग हााकन वाली िबान िाल स िाकर चचपक गई थी भान की वो सारी योिनाएा पलायन कर चकी थी िो उसन ख़यालो क पररसर म बठकर बनाई थी की िब कभी सामना होगा िो वो य कहगी और परतयिर म ऐसा कहगाआदद इतयादद रिना भान की उन आखो को दख रही थी िो उस परशान ककए हय थी रिना की निर कभी भान क चहर िो कभी भान क बाएा

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बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

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रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

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भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

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ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 31: Khamosh lamhe 2

खामोश लमह 31 | P a g e

बाि प बन उगि सरि क उस बि स टट को दख रही थी जिसक बीचो बीच ldquoभानrdquo सलखा था दोनो सहसलयाा आि सि धि कर कही िान की ियारी म थी रिना क हाथो म पिा-सामगरी रखी हई एक थाली और दगाज पानी का कलश सलए हय थी

काफी दर दगाज उन दोनो को दखिी रही मगर िब दखा की कोई कछ बोल नही रहा िो उसन रिना क कध प हाथ रखकर भान की िरफ दखि हए कहा

ldquoअब बाि करलो दोनोrdquo दगाज न िस अपनी जिममदारी तनभाि हय कहा

ldquoबबाि कया बािrdquo भान न शरमाि हय कहा और अपन आपको सभालन लगा

रिना खामोश मगर तरबना पलक िपकाए उस दख िा रही थी जिसन उसकी रािो की नीद उिा दी थी दोनो आि आमन सामन खि होकर भी वही आाखो की भारषा ही बोल रह थ दोनो अपन को उसी भारषा म सहि महसस कर रह थ उनह िबा प भरोसा नही था दगाज एक दसर को दख िा रही थी

ldquoआि कही िा रह होrdquo भान न रिना क बिाय दगाज स पछा

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रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

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भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

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रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

खामोश लमह 39 | P a g e

इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

खामोश लमह 40 | P a g e

वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 32: Khamosh lamhe 2

खामोश लमह 32 | P a g e

रिना अभी भी भान क चहर और उसक नाम क अनरप उसक बाि प गद सरि क बीच म सलख ldquoभानrdquo को दख रही थी

ldquoहाा आि रामनवमी ह इससलए सभी मददर िा रही हrdquo बाकी लोग नीच हमारा इििार कर रह ह आप लोगो को िो बाि करनी ह िलदी िलदी करलो नही िो कोई आ िाएगाldquo दगाज न िलदी िलदी फसफसाकर कहा

मगर िभी ककसी न नीच स दगाज को पकारा िो वो घबराकर रिना का हाथ पकि नीच िान लगी बि बनी रिना अभी भी बार बार पीछ मिकर भान को दख रही थी उनक िान क बाद भान दर िक उनह दखिा रहा वो आि भी कछ नही बोल पाया

वक़ि बीििा गया कवाटजर क आवटन की अवचध खतम होन पर भान को दसरा मकान खोिना पिा जिस रासि स भान कॉलि िािा था उसी रासि म एक मकान समल गया सयोग स रिना भी उसी रासि स कॉलि िािी थी रिना और भान दोनो क कॉलि एक ही रासि पर थ मगर समय अलग अलग था भान िब कॉलि िा रहा होिा िो उसी दरसमयाा रिना भी उसी रासि स अपनी कछ सहसलयो क साथ कॉलि स वावपस आ रही होिी दोनो चोर निरो स एक दसर की आखो म दखि और पास स गिर िाि रिना चाहिी थी की भान कछ कह और उधर

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भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

खामोश लमह 35 | P a g e

रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

खामोश लमह 36 | P a g e

रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

खामोश लमह 37 | P a g e

खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

खामोश लमह 38 | P a g e

मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

खामोश लमह 44 | P a g e

नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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भान भी कछ ऐसी ही उममीद पाल बठा था सहसलया साथ होन क कारण रिना भाऊ की िरफ दख नही सकिी थी मगर पयार करन वाल राह तनकाल लि ह पास स गिरि वक़ि रिना सहसलयो स निर बचाकर तरबना पीछ मि अपन हाथ को पीछ करक भान को बाय बाय कह दिी भान उसक इस इशार को पाकर परफजललि हो िािा परम की कोई भारषा नही होिी बस अहसास होिा ह य दोनो भी उसी अहसास स सरोबर थ

वक़ि अपनी रफिार स गिर रहा था और उधर दो परमी चपचाप वक़ि क ससन प अपनी परम कहानी सलख िा रह थ दोनो क परीकषाएा आरभ हो चकी थी समय-साररणी अलग अलग होन स मलाकाि भी बाचधि हो गई भान सो रहा होिा उस वक़ि रिना कॉलि क सलए िा रही होिी भान क मकान का दरवािा बद दख रिना मायसी स सहसलयो क साथ आग बढ़ िािी दोनो को पिा ही नही था की कौन ककस वक़ि आिा िािा ह

एक ददन भान न िलदी उठकर दरवािा खला छोि ददया और खद अदर की िरफ दरवाि क सामन चारपाई प लट गया आि वो दखना चाहिा

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

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रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

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रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

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ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 34: Khamosh lamhe 2

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था की रिना ककस वकि कॉलि िािी ह वपरयिमा क इनििार म तरबछी पलको को न िान कब नीद न अपन आगोश म ल सलया मगर िब ददल म चाहि का समनदर ठाठ मर रहा हो िो इनििार करिी आाखो को रोक पाना मजशकल होिा ह

अचानक नीद स चौककर उठ भान की निर खल दरवाि प पिी और िभी रिना सामन स मसकरािी हई तनकल गई भान क कानो म घदटयाा सी बचन लगी एक नई सफतिज क साथ वो तरबसिर स उठा और िट स दरवाि क पास पहचा रिना आग नकल गई थी आि वो अकली थी कछ दर िाकर रिना न पीछ मिकर दखा िो भान को दरवाि क तरबच म खिा दख मसकराकर हाथ दहलाया और आग बढ़ गई

मददद स बिर पिी िमीन प बरसाि की बदो सा अहसास सलए भान न मसकराकर रिना की मसकराहट का िवाब ददया

आि भान का आझखरी पपर था इससलए वो आि रिना स आमन सामन बाि करक ही रहगा उसन तनणजय कर सलया था की िस ही दोपहर ढल

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रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

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रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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रिना कॉलि स वावपस आएगी वो कछ कहन की शरआि करगा आझखर कब िक ऐस ही चलिा रहगा आि का ददन भान को कछ जयादा ही लबा महसस हो रह आिा उसका ददल भी इस तनणजय क बाद कछ जयाद ही धडकन लगा था उसन नोमजल होन की बहि कोसशश की मगर ददल कलाच मारन स बाि नही आया जयो जयो समलन की बला पास आ रही थी उसकी रफ़िार िोर पकि रही थी आि सालभर का मक पयार िबान पान वाला था

अचानक भान को अपन सपन टटि हए स महसस हए रिना क साथ आि कफर उसकी दो सहसलयाा थी और वो िानिा था वो और रिना इन सबक होि हए कछ नही बोल पाएग ददल म उठा जवार दम िोिन लगा था मगर पयार भी उफनि हए िल परपाि की भाति रासिा तनकाल ही लिा ह भान िानिा था की रिना की दोनो सहसलयाा अगल मोि स दसरी िरफ चली िायगी और उसक आग रिना अकली रहगी भान स अपनी साईककल तनकाली और िलदी स पीछ वाली सिक स लबा चककर लगाकर उस सिक पर पहाच गया जिस पर रिना िा रही थी उसन सामन स आिी रिना को दखा ददल अपनी रफ़िार बददससिर बढ़ाय िा

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रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

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ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 36: Khamosh lamhe 2

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रहा था भान का ददल और ददमाग दोनो आि बगावि पर उिर आय थ भान आि उन पर काब नही कर पा रहा था फासला तनरिर कम होिा िा रहा था रिना न दख सलया था की भान सामन स आ रहा ह वो साईककल पर था तनरिर कम होि फासल न दोनो ददलो की धडकनो म भचाल सा ददया था अचानक भान की निर दगाज क भाई पर पिी िो सामन स आ रहा था भान का मजसिषक िनिनाकर गया था भान नही चाहिा था की दगाज क भाई को उनक पयार का पिा चल और कफर इस िरह बाि परी कॉलोनी म फ़ल िाय लककन आि उसन फसला कर सलया था की रिना स मखातिब होकर रहगा फासला और कम हो गया था अब वो रिना को साफ साफ दख सकिा था वो माि २० कदम की दरी पर थी बहि कम मौक समल उन दोनो को य फासल कम करन क मगर कभी बाि नही हो पाई आि वो दोनो अपना सकोच िोि दना चाहि थ दोनो अपना हाल-ए-ददल कह दना चाहि थ

रिना न अपनी ककिाबो को कसकर ससन स लगा सलया था िहा उसका ददल िफान मचाए हआ था उसक खद क कदम आि उसक बस म नही थ जयो जयो फासला कम हो रहा था दोनो अपन ददलोददमाग स कटरोल

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

खामोश लमह 44 | P a g e

नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

खामोश लमह 46 | P a g e

नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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खोि िा रह थ सलभर स ससन म दब अरमान आि मचलकर िबान प आना चाहि थ भान रिना क पास पहाचकर साइककल स उिरना चाहिा था मगर उधर दगाज का भाई पास आ चका था

ldquoरिना rdquo भान न रिना क पास स गिरि हय धीर स कपकपािी आवाि म कहा िाकक दगाज का भाई न सन सक

ldquoऊा rdquo lsquoरिना न मसकराि हय भान की िरफ दखकर कहा

आि वो भी भान स बहि कछ कहन क सलए उददगन लग रही थी दोनो एक दसर क मन की बाि अपनी िबा स कहन और कानो स सनन को लालातयि थ ददल की बाि िब िबा प आ िाए िो वो पयार की पणज सहमति बन िािी ह ददल क सभी सशय खतम हो िाि ह और पयार म परगाढिा आिी ह

आि इिन पास स उन दो िोिी आखो न एक दसर म िााककर दखा था मगर पलभर का वो समलन िरि िदाई म बदल गया था भान अपनी उसी गति स रिना क पास स गिर गया और उधर रिना पीछ

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

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ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 38: Khamosh lamhe 2

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मिकर उस दखिी रही िभी रिना न भी दखा की दगाज का भाई आ रहा ह िो वो भी पलटकर िि िि कदमो स अपन घर की िरफ चल पिी

अपन मकान पर पहाच भान न कॉलि िान की ियारी की आि उसका आझखरी पपर था और शाम की गािी स उस अपन गााव क सलए भी तनकलना था परीकषा स कछ ददन पहल उसक घर स खि आया था इमिहानो क िरि बाद उस उसक वपिािी न गााव आन को सलखा था रिना स बाि नही होन का मलाल सलए वो भारी कदमो स कॉलि क सलए तनकल पिा

शाम को घर पहाच भान न अपना समान बग म ठासा और िलदी स सटशन क सलए तनकल गया टरन आन म बहि कम समय बचा था एक बार उसन रिना क घर की िरफ िान का सोचा मगर वक़ि की कमी स ददल मसोस कर रह गया रह रहकर वो पीछ मिकर उस रासि को दखिा रहा िहा स रिना गिरिी थी आि वो अपन ददल की बाि कह स चक गया था उसका सकोची सवभाव आि कफर उसक आि आ गया था लककन गााव स आन क बाद वो इस अधर काम को िरर अिाम िक पहचाकर रहगा वो रिना स अपन पयार का इिहार िरर करगा

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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इसी कशमकश म सटशन पहाच गया उसन िलदी स दटककट खरीदा और भारी कदमो स टरन की िरफ बढ़ गया उस अपन भीिर कछ खाली खाली सा लग रहा था उसका गला रा धा हआ था वो अपन भीिर एक ििप सी महसस कर रहा था उस रिना स िदाई सहन नही होिी थी मगर वो िलदी वावपस आएगा य सोचकर उसन अपन ददल को समिान की वयथज सी कोसशश की टरन पटररयो प रगन लगी थी और उसक साथ ही भान क चहर प उदासी और गहरी होन लगी वो टरन की झखिकी स बाहर का दशय दख अपन ददल म उढ़ि भावो को भटकान की कोसशश करन लगा राि धीर धीर गहरान लगी थी कषकषतिि का पदाज चीरि हय चााद भी तनकल आया था और अब धीर धीर खल आसमान म ववचरण करन लगा था उसकी चाादनी उसक गलबदहयाा डाल उस अपन आगोश म लन लगी चााद इस परमपाश म बध कर मद मद मसकरान लगा भान का गला रा ध गया और उसकी आखो म पानी भर आया था पटररयो प दौििी टरन पल पल ककसी को ककसी की अमानि स दर बहि दर ल िा रही थी

अगली सबह भान अपन गााव पहचा भान क वपिा खिी बािी करि थ भान िब गााव क सकल म पििा था िो वो अपन वपिा क काम म हाथ बाटािा था उसका छोटा सा पररवार था जिसम वो उसका बिा भाई

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

खामोश लमह 41 | P a g e

ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

खामोश लमह 42 | P a g e

ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

खामोश लमह 43 | P a g e

अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

खामोश लमह 45 | P a g e

भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

खामोश लमह 47 | P a g e

अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

खामोश लमह 48 | P a g e

चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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वविय और उनक मािा वपिा थ वविय अपन बीवी-बचच साथ रखिा था घर पहाचन क कछ दर बाद भान गााव म अपन दोसिो स समलन तनकल गया ददन म कई बार उस रिना की याद आई उसको याद करि करि वो शनय म कही िाकन लगिा कभी मसकरान लगिा िो कभी मन ही मन कछ बदबदान लगिा दीवानगी ससर चढ़कर बोल रही थी ददनभर बाहर रहन क बाद वो शाम को घर आया िो खाना खान क बाद उस वपिा स उस बाहर वाल कमर म अपन पास बलाया कमर म हलका अधरा था मगर सामन क मकान म िलिी लालटन की हलकी रोशनी कछ हद िक अधर प काब पान की कोसशश कर रही थी कमर म घसि ही सामन पलग पर भान क वपिा बठ हकका गडगिा रह थ

ldquoबठोrdquo भान क वपिा न उसको अधर म पहचानकर कहा

भान अपन वपिा स थोिा डरिा था हालाकक उनहोन कभी भान को िि आवाि म डाटा िक नही था वह अपन वपिा क परो की िरफ पलग पर बठ गया

ldquoवपछल महीन वविय छटटी आया थाrdquo कछ दर इधर उधर की बाि और कफर एक लबी खामोशी क बाद भान क वपिा न उसस कहा

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ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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ldquoहाा भया बिा रह थrdquo भान न िवाब ददया

िब िक भान की माा भी लालटन हाथ म थाम वही आ गई लालटन को कोन म पिी परानी सी मि पर रख ददया और खद कमर क दरवाि क तरबचो बीच बठ गई कछ दर खामोशी क बाद भान क वपिा न आग कहा ldquoवविय न यहाा स िान क बाद िमह कछ कहा rdquo

ldquoनही अभी भया स मलाक़ाि नही हो पाई थी म सीधा गााव आ गया था rdquo भान न कहा

ldquoहाrdquo भान क वपिा न हकक का एक लबा सा कश खीचा और उस दसरी िरफ घमा कर छोि ददया

भान की माा चप चाप दोनो बाप बटो की बाि सन रही थी उनकी खामोशी और हाव-भाव स लगिा था की कया बाि होन वाली ह एससलए वो चप थी

ldquoिमह पिा ह वविय न हमस अलग होन का फसला कर सलया ह rdquo भान क वपिा कहा

ldquoननही िो ldquo भान न सवासलया निरो स अपनी माा की िरफ दखा

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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ldquoहाा बटrdquo उसकी माा न धीर स कहा औरि अकसर अपनी घर की बाि धीमी आवाि म कहिी ह की कही पिोसी न सनल

rdquoवविय न कह ददया की अब वो घर की और जिममदारी नही उठा सकिा उसक अपन भी ढरो खच ह िमहारी पढ़ाई क खच िक को उसन दन स इकार कर ददयाldquo उसकी माा न लगभग फसफसाि हय य बाि कही उसक बाद गहरी खामोशी छा गई

ldquoउसन वपछल महीन साहकार क किज और बतनए की दकान क पस भी नही ददय बतनया रोि आ धमकिा इस बार खिी स भी कोई उममीद नहीrdquo भान क वपिा पलग पर थोिा लटि हय कहा

ldquoअब िम भी बट अपन बाप क काम म हाथ बटाओ इधर ही पढ़ लनाrdquo उसकी माा न कहा

भान िस पतथर हो गया था उसक का ददमाग म सीदटयाा सी बिन लगी उस अपना विद समटिा सा महसस हो रहा था उसक सपनो का महल चर चर हो रहा था वो अपन हसीन खवाबो को िार िार होकर तरबखरि हय दख रहा था उसकी माा अब भी कछ कह िा रही थी लककन उस कछ भी सनाई नई द रहा था उसका सब कछ लट चका था

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 43: Khamosh lamhe 2

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अकररि होन स पहल ही एक बीि बिर िमीन म दम िोि रहा था वो अधर म और गहराई िक डब रहा था उस अपन आस पास ककसी की मौिदगी का कोई भी एहसास नही हो रहा था उसक बाद उसक माा-बाप न उस कया कहा उस कछ सनाई नही ददया

उसक वपिा न िब उसक कध प हाथ रखकर उस दहलाया िो उसकी िदरा टटी

ldquoिाओ बट सो िाओ सफर स थक हय हो बाकी बाि कल फसजि स करगrdquo भान क वपिा स उसस कहा

भान भारी कदमो स कमर स बाहर तनकला और अपन कमर की िरफ बढ़ गया उसक पीछ पीछ उसकी माा भी लालटन हाथ म सलए रसोई की िरफ चल पिी उसक वपिा न हकक का आझखरी कश खीचा और पर फलाकर सोन का परयतन करन लग उधर भान रािभर करवट बदलिा रहा नीद का नामोतनशान नही था आि घर क िीनो सदसय ववरषाद म डब आन वाली सबह का इििार कर रह थ भान रािभर रोिा रहा रिना का चहरा रह रहकर उसकी आखो म सामन आ रहा था वो रआसी सरि सलए उसस पछ रही थी rdquoकयो छोि कर आगय मि कयो

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 44: Khamosh lamhe 2

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नही बाि की मिसrdquo सबह भान क चहर स लगिा था की उसकी राि ककिनी वदनाओ म गिरी थी

वक़ि ककसी क सलए कहाा रकिा ह वह िो तनबाजध गति अपन अदर छप सकिो लमहो को अिीि क अाधरो म ववलपि करिा िा रहा था बि स बि घावो को भरन की कवि रखन वाला वक़ि भी कभी कभी घावो को नासर बना दिा ह भान न इस अपनी िकदीर समि रिना की यादो को अपन ददल क ककसी कोन म दफन करन का मन बना सलया था मगर ददमाग भला ददल स कब िीिा ह वो िो मनमौिी ह

आि भान को रिना स तरबछि पर दो साल गिर गए थ लककन भान एक पल को भी उस भला नई पाया था एक दो बार भान न अपनी माा स अनपगढ़ अपन ककसी दोसि स समलकर आन क बहान स पछा िो उसकी माा न कहा की नही बट िमहार वपिािी नही मानग भान म खद म इिनी दहममि नही थी की वो अपन वपिा स अनपगढ़ िान की बाि कर सक वो मन मसोसकर रह गया

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

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भान पिाचार क माधयम स अपनी सनािक की पढ़ाई खतम कर चका था और ककसी रोिगार की िलाश म इधर उधर हाथ पर मार रहा था उसक वपिा न उस नौकरी खोिन क सलए कहा था वो नही चाहि थ की पढ़ सलखकर भान उनकी िरह खिी बािी कर भान की महनि रग लाई और उस एक तनिी फमज म कलकज की नौकरी समल गई एक महीन बाद उस टरतनग क सलए ददलली िाना था इसी बीच भान क सलए एक शादी का ररशिा आगया जिस उसक वपिा न सहरषज सवीकार कर सलया भान की रायसमारी की उनहोन कोई िररि नही समिी वो िानि थ की भान कभी उनकी बाि नही टालगा भान न हार हय िआरी की िरह समपजण कर ददया उसन अपन अरमानो का गला घोट ददया उसन पररवार और समाि की मयाजदा को तनभाि हय अपन िज़बाि सीन म ही दफन कर सलए उस रिना की कोई खबर नही थी उस नही पिा था िब रिना को उसकी शादी का पिा चलगा िो उसकी कया परीतिककरया होगी

उसन एक बि की िरह अपनी जिममदाररयो को तनभायाशादी की सभी रसमो को वो गदजन िकाय ही तनभािा रहा उस लग रहा था िस कही पास ही खिी रिना उस घर रही हो वह अपराधबोध म दबा िा रहा था वो अपन आप को रिना का अपराधी समि ससर िकाय अपन अपराधो क सलए कषमा माग रहा था वो ससर उठाकर रिना की निरो का सामना

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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नही कर पा रहा था सग सबधी उस रसमो की अदायगी क सलए िस इधर स उधर धकल रह थ वो फासी की सिा पाय मिररम की भाति अपन आप को उनक हवाल कर चका था वो अपन आपको लटा हआ महसस कर रहा था उसक कानो म रिना की सससककयाा गिन लगी उसका पयार चचतकार कर रहा था उसकी आाखो की कोरो प पानी िमा हो रहा था मगर आास म िबदील होन स पहल भान उस पी गया था इसी कशमकश म िस उसक हलक म उसका ददल अटक गया था उस अपनी साास डबिी सी महसस हो रही थी वो करदन करना चाहिा था सार बधन िोि वो रिना क पास लौट िाना चाहिा था नही दगा वो अपन पयार की तिलािसल कया कसर ह उसका कयो भल िाए वो रिना को

बाराि दलहन को लकर लौट आई थी दलहन क सवागि क रप म शादी की अतिम रशम अदायगी चल राय थी दलहन को एक कमर म बठा ददया था िहा गााव की औरि मह ददखाई की रशम तनभा रही थी भान की भाभी दलहन स सभी को पररचचि करवा रही थी भान का भाई वविय और उसकी भाभी शादी स िीन ददन पहल ही शरीक होन आ गए थ उसक भाई का अनपगढ़ स अहमदाबाद टरानसफर हो गया था ददनभर की चहल-पहल क बाद अब साि तघर आई थी आन िान वालो का िािा

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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अब धीर धीर कम हो रहा था भान अपन को ठगा सा महसस कर गााव क बाहर अकल म अपनी लाचारी क आश बहा था उसकी झििक न आि उस पग बना ददया था उस लगा िस कछ कदम दर खिी रिना उस आखो स कछ पछ रही ह

ldquoममिमहारा मिररम हा रिना ldquo वह बदबदाया और एसक साथ ही उसकी आखो स आासओ का सलाब उमि पिा

ldquoमलाचार थाम चाहकर भी कछ नही कर पायाललककनम िमह कभी नई भला पाऊा गा िम िम मरा पहला और आझखर पयार होम मरि दम िक िमहारा रहागा समाि न मरा शरीर लटा ह मरा ददल नही म िमहार पास आऊा गा hellipमि कछ मोहलि दोम बहि िलदिमहार पास आऊा गाहााम आऊा गामरा इििार करनामि िमस बहि सारीबाि करनी हrdquo कहकर वो फफक कर रो पिा बाकी क शबद उसक गल म फा सकर रह गए थ

कहि ह रोन स ददल हलका होिा ह भान भी अपनी बबसी म आश बहाकर घर लौट आया था ददल हलका िो नही कछ भारी िरर हो गया था अवसाद म डबा असहाय सा वह घर क आागन म पिी चारपाई प लट गया अपन पररवार की खशी क आग उसन अपनी इचछाओ की भट

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

खामोश लमह 49 | P a g e

ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

खामोश लमह 50 | P a g e

सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 48: Khamosh lamhe 2

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चढ़ा दी थी परा पररवार शादी की खशी म डबा था ससवाय उसक सरि कषकषतिि म अपनी लासलमा तरबखर वसधरा क आगोश म समा चका था भीिर शादी क लाल िोि म ससमटी दलहन अपन सरि की आहट पान को आिर थी भान क ददल म अपनी नई-नवली दलहन क परति ककसी परकार क अनराग की अनभति नही थी ककसी स की बवफ़ाई उस चधककार रही थी रिना की रआसी आख घर रही थी उन आखो म आि वो समपजण नही था िो दो साल पहल था आि उनम बहिा अववरल अशधारा का सलाब सब कछ बहा दन प आमादा था मन क अिर दवद की घटन स छटपटा कर आखो स तनकल गरम आास उसक गालो स दौिि हय गदजन क पीछ िाकर छप गए थ

ldquoभान ldquo उसकी भाभी न उस आवाि दी

ldquoहााrdquo भान की आवाि िस कही दर स आ रही थी वह तनसपद सा लटा रहा

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

खामोश लमह 52 | P a g e

उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 49: Khamosh lamhe 2

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ldquoअदर चलो पिा करन क सलएrdquo पिा की थाली हाथ म सलए उसकी भाभी न पास आकर कहा उठि उठि उसन बिी चिराई स आश पोछ सलए वो िानिा था की उस अब अपनी नववध का सामना भी करना ह भारी कदमो स वो अपनी भाभी क पीछ पीछ वध क कमर की िरफ बढ़ गया कमर क दाई िरफ सहाग की सि प दलहन घाघट म ससमटी हई बठी थी आहट पाकर उसकी धिकन बढ़न लगी

ldquoइधर आ िाओ सीमाrdquo भाभी न भान की दलहन सीमा को पकारा िो दलहन क शरीर म हलचल हई वह सकचाई सी सि स उठी और इशारा पाकर पिा क सलए पास आकर बठ गई भान को भी उसकी भाभी न सीमा क पास बठन को कहा फरो क वक़ि स अब िक कई बार उन दोनो को रसमो की अदयागी क सलए पास पास लाया गया था दोनो म अभी िक कोई बाि नई हई थी भान की िरफ स पहल की आशा सलए वध इििार की घड़ियाा चगन रही थी उधर भान अपन टट चक सपनो क साथ रिना की निरो का सामना नही कर पा रहा था

भाभी कमर को बाहर स बद करक कब चली गई भान को पिा ही नई चला पिा भी कस चलिा आि ददनभर उसन एक मदाज लाश की िरह ही अपन आपको सबक हवाल कर रखा था ककससन उसकी उदासी का

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 50: Khamosh lamhe 2

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सबब नही पछा सब यही सोच रह थ की सकोच की विह स कछ बोल नही पा रहा धीर धीर इस माहौल का आदद हो िाएगा पिा की थाली म िलिा दीपक अपन आझखरी वक़ि म ििप ििप कर डम िोि चका था कोन म रखी लालटन की लौ अभी िक कमर म फल अधर स दो दो हाथ कर रही थी कमर म छाया सननाटा सीमा की बचनी बढ़ा रहा था थक हार कर उसन खद पहल बदला हलकी कलबलाहट न भान का धयान खीचा उसन अपनी दलहन की िरफ दखा जिस पररवार न तरबना उसकी मिी िान उसक साथ बठा ददया था

अपन घटनो को मोि कर उनको अपनी कलाइयो म लपट ससमटकर बठी सीमा भान को ककसी न ककसी बहान कलाइयो को हरकि द चड़ियाा खनकाकर अपनी मौिदगी का अहसास करा रही थी परो की महावर हाथो म रची महदी भान को आकवरषजि करन का परयास कर रही थी तनषठर खामोश था

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लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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खामोश लमह 51 | P a g e

लबी खामोशी क बाद भान न सोचा इन सबक सलए वो खद जिममदार ह सीमा की इसम कया गलिी ह िो वह उसकी उममीदो का गला घोट रहा ह उसन िो उसका कछ भी नही तरबगािा कफर वो उसको ककस िमज की सिा द रहा ह उस कया हक़ ह उसकी खसशयो को उसस महरम रखन का

भान अिीब सी दववधा म फसा था वो पररजसथतियो स सामिसय बठान की कशमकश म बार बार पहल बदल रहा था एक िरफ सीमा अपन हक़ का इििार कर रही थी िो दसरी िरफ रिना अपन पयार का हवाला द उस अपनी और खीच रही थी भान रिना की सम तियो स चाहकर भी बाहर आन म असमथज निर आ रहा था वो इस कसमसाहट म और गहर िक सम तियो क दलदल म धस रहा था भान उन दोनो क बीच खिा अपनी बबसी ििा रहा था भान न मन ही मन रिना स माफी मागी और वक़ि क हाथो समली सशकसि को सवीकार करन लगा दलहन रािभर घाघट म घटिी रही और उसक साथ दो तरबछि हय परमी भी अपन नसीब प अशक बहा उसक दख म भागीदार बनि रह

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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उधर कॉलि की छदटयो क बाद रिना आि िाि भान क कमर क बद पि दरवाि को दख तनराश होिी रही ववरह की वदना उसक चहर स साफ िलक रही थी उसकी बिी बिी आख म पयार की खमारी नही िदाई का ददज पसरा हआ था पहल िो य सोच मन को समिािी रही की सायद छदटटयो क बाद भान वावपस लौट आएगा उसन दगाज स भी इस बाबि बाि की मगर उस स भी कोई आशवसि करन वाला िवाब नही समला मगर िब महीन और कफर साल गिरन लग िो उसका ददल बठन लगा उसका परफजललि चहरा अपनी आभा खो रहा था कॉलि स आि िाि रासि भर उसकी निर भान को िलाशिी रहिी थी वो अकसर िब अपनी सहसलयो क साथ कॉलि स आिी थी िो उस वक़ि भान अपन कॉलि िाि हय समल िािा था हालाकक रिना की सहसलयाा साथ रहिी थी इससलए उनम कभी हाय हलो िस औपचाररक शबदो का आदान परदान िक नही हआ था लककन उनकी निरो स छपकर एक दसर को आखो ही आखो म बहि कछ कह िाि थ

वक़ि मसलसल गिर रहा था उसका गिरना ककसी क सलए अचछा िो ककसी क सलए बरा िरर होिा ह मगर उसको िो गिरना होिा सो

खामोश लमह 53 | P a g e

गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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Page 53: Khamosh lamhe 2

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गिर रहा था वो ससफज गिरना िानिा ह लौट क आना उस मालम नही वो धीर धीर भान क मजसिषक स रिना की याद करचन लगा भान न थक हार कर अपन ददल स समिोिा कर सलया वो रिना की यादो को ददल की ककसी कोन म छपा सीमा क साथ ग हसथी की जिममदारी तनभान लगा लककन बाविद इसक वो कभी कभार िनहाइयो म ददल म छपी अपनी पहली मोहबबि स रबर होिा रहा इस सबस उस हलकी उदासी क साथ एक रहानी सकन भी समलिा था अपन पहल पयार को की याद म आास बहाना उसका परायजशचि था ऐसा करन पर उस अपन सीन स कछ बोि कम होिा अनभव होिा था

भान न सभी स अपन पयार को छपा क रखा वरषत िक सीन म अपनी पहली मोहबबि की यादो की कशक सलए फिज तनभािा रहा जिस वक़ि न उस उसक पहल पयार स अलग ककया उसी वक़ि न उसक ससर स माा-बाप का साया िक भी छीन सलया था तरबना माा-बाप क अब उस घर काटन को दौििा था माा-बाप क दहावसान क पशचाि भान सीमा और अपन बट रिीि को अपन साथ ददलली ल गया

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भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

खामोश लमह 67 | P a g e

Page 54: Khamosh lamhe 2

खामोश लमह 54 | P a g e

भान असपिाल क वदटग हाल म बठा ररपोटज समलन का इििार कर रहा था समय क साथ उसक िहन म रिना की याद वक़ि की धल स सनन लगी मगर वो उन यादो को ददल क ककसी कोन म मरि दम िक सािोय रखना चाहिा था आि उसका बटा रिीि 23 साल का हो गया था कद काठी और शकल सरि स वो भान को उसकी िवान अवसथा की याद ददलािा था उस वपछल साल एक कपनी म अचछी पोसट प नौकरी समल गई थी और उसक दो माह बाद भान न रिीि की शादी भी कर दी थी कयोकक उधर सीमा बीमार सी रहन लगी थी और अब वो घर का काम बिी मजशकल स कर पािी थी शन शन भान अपनी जिममदाररयो स तनिाि पा रहा था मगर उस सीमा की चचिा खाय िा रही थी

ldquoसीमाrdquo काउटर स सीमा का नाम पकारा िो भान उठकर उस िरफ बढ़ गया

ldquoआपक डॉकटर स समल लीजियrdquo काउटर क उस िरफ बठी ररसपशतनसट न भान की िरफ ररपोटज का सलफाफा बढ़ाि हय कहा

भान डॉकटर क रम की िरफ बढ़ गया

ldquoबदठएrdquo डॉकटर न उसक हाथ स ररपोटज लि हय कहा

खामोश लमह 55 | P a g e

ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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ldquoआप स पसट का कया ररलशन हrdquo

ldquoिी सीमा मरी वाइफ़ हrdquo

ldquoहाrdquo डॉकटर क चहर प चचिा क भाव दख भान का ददल बठन लगा

ldquoककया बीमारी ह डॉकटर rdquo

ldquoदझखय मि अफसोस क साथ कहना पि रहा ह की आपकी पतनी को बलड-क सर ह और अब वो आझखरी सटि म हldquo डॉकटर न बाि परी करि हय भान क चहर की िरफ दखा

ldquoअब उनह आराम की सखि िरर ह क सर का िहर उनक पर शरीर म फ़ल चका ह अब इलाि स उनक िीवन की ददन और कम ही होग कोई फायदा नही होगा इससलए बहिर ह िस भी बन पि आप उनकी खश रख और िीवन क इन आझखरी लमहो म उनक साथ रहldquo

भान की आखो म आास आ गए उसन अपना चशमा हटकर बाि स अपनी आख साफ की और कसी का सहारा लकर उठन लगा उस को डॉकटर की बाि बहि दर स आिी हई महसस हो रही थी उस कछ साफ सनाई नही द रहा था वो ररपोटज लकर घर आया सीमा को कछ नही बिाया और डॉकटर क कह अनसार उसका खयाल रखन लगा उसन रिीि और

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उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

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लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

खामोश लमह 67 | P a g e

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खामोश लमह 56 | P a g e

उसकी वाइफ़ सवविा को सीमा की लाइलाि बीमारी स अवगि करा ददया था सनकर उस बहि दख हआ मगर माा को खश रखन क सलए वो खन क घट पीिा रहा

आझखर वो वक़ि भी आ गया जिसका डर सभी क ददल म बसा था सीमा सदा क उन सबको रोिा छोिकर कही दर चली गई थी उसकी मौि न भान को िस दहलाकर रख ददया था सीमा की मौि क बाद भान न नौकरी स ररटायरमट ल सलया था सीमा कोई मौि क एक साल बाद रिीि की पतनी सवविा न एक खबसरि बटी को ददया

वक़ि उसको चोट दिा और कफर खद ही मलहम लगिा भान इन दख िकलीफ़ो को िल कर पतथर बन गया था उसकी आखो म अब आास नही आि थ बजलक एक मदाजनगी सी छाई रहिी थी सीमा की मौि क चार साल बाद वो अपन बह और बट को कहकर अपन गााव आ गया उसन उनको कहा की काफी ददन हो गए गााव म गए घर की हालि भी पिा नही कसी होगी म कछ ददन वहाा रककर वावपस आ िाऊगा

खामोश लमह 57 | P a g e

रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

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रिीि और सवविा क लाख मना करन पर भी भान अपन गााव आ गया िहा उसका बचपन तरबिा था आि बहि कछ बदल चका था गााव म घर पहाचकर उसन घर का कोना कोना दखा अपन अिीि की एक एक याद िािा करन लगा अपन वपिा क कमर म दखा उनका हकका आि भी वही रखा था िहा बठकर वो उस गिगिाया करि थ

वक़ि न उस कफर वही लाकर पटक ददया था िहा स उसन िीवन की शरआि की थी आि जिममदाररयो स मकि होन पर उसका अिीि उस दर िक उन गहर अाधरो क उस पर ल िा रहा था िहा वो ककसी को इििार करि छोिकर आ गया था सदा क सलए

भौर की पहली ककरण क साथ तरिवणी एकसपरस अनपगढ़ पहाच चकी थी सभी यािी अपनी बथज छोि अपन सामान क साथ उिरन की ियारी कर रह थ मगर एक शखस अभी भी तनजशचििा क साथ सोया हआ था धीर धीर परी टरन खाली हो गई ककसी न सटशन मासटर को सचना दी की एक कोई पचास पचपन साल का शखस कोच नबर एस-7 म अभी िक

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

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रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

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ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

खामोश लमह 67 | P a g e

Page 58: Khamosh lamhe 2

खामोश लमह 58 | P a g e

लटा हआ ह काफी दहलान पर भी उसक शरीर म कोई हरकि नही हो रही ह

अनहोनी की आशका स सटशन मासटर शशी कपर न एमबलस को फोन कर ददया आनन-फानन म उस शखस को असपिाल पहचा ददया कछ दर बाद सचना समली की वो शखस मर चका था असपिाल न पसलस और रलव क कहन पर लाश का पोसटमाटजम ककया और लाश को मरदाघर म भि ददया ररपोटज पसलस सटशन और रलव सटशन मासटर को भि दी थी

ररपोटज म मौि का कारण हाटज-अटक बिाया गया था लककन बॉडी माकज को पढ़कर सटशन मासटर कपर सनन रह गई उसका शरीर कापन लगा उसक हाथ पर सनन पिन लग उसन अपना मोटा चशमा ठीक स लगाया और कफर स पढ़न लगी पढ़न क बाद उसन ररपोटज को सामन

खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

खामोश लमह 67 | P a g e

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खामोश लमह 59 | P a g e

रखा और अपना ससर पीछ कर कसी प टीका कही शनय म खो गई कछ दर बार उसक चहर पर वक़ि स बनी रखाओ स होकर आास गिरन लग वो जिस अिीि को भलन क कगार प थी वो आि कफर उसक सामन आकर खिा हो गया था बीि वक़ि क खामोश लमह कफर स आखो क सामन चलचचि की भाति घमन लग थ तरबिा वक़ि आि कफर सब कछ लटकर िा रहा था

म िक क पास समली एक डायरी स कछ नबर समल जिसकी मदद स उसक पररचचिो को सचना दकर सटशन मासटर स समलन को कहा गया

दसर ददन सटशन मासटर शशी कपर अपन ऑकफस म समलन आए एक यवक को दखकर चौक पिी

ldquoभभान rdquo

उसक शबद उसक गल म अटककर रह गए और फटी आखो स यवक क चहर को दखन लगी

खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

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खामोश लमह 60 | P a g e

ldquoमरा नाम रिीि ह आपस फोन प बाि हई थीrdquo यवक न गमगीन होकर अपना पररचय ददया म उस लाश की सशनाखि क सलए आया हा

ldquoअहाा ldquoशशी कपर न अपन चहर प उभर आई पसीन की बाद पोछि हय कहा

वो रिीि को लकर हॉजसपटल गई रिीि न वपिा का शव पहचान सलया वो फफक कर रो पिा सटशन मासटर उसक कध प हाथ रख उस ढाढ़स बधान लगी शाम को भान न फोन पर सवविा िथा अपन बाकी पररिनो को य दखद सचना द दी और कल िक वपिा क शव को लकर आन की बाि कही

शव को लकर िान की कागि कायजवाही म एक ददन का समय लगना था सो सटशन मासटर शशी कपर िब िक रिीि को अपन घर ल आई थी वो रिना थी रिना कपर उसन रिीि स हमददी क साथ साथ काफी िानकारी हाससल की उस भान क मािा वपिा और सीमा की मौि स बहि दख हआ

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ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

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दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

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ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

खामोश लमह 67 | P a g e

Page 61: Khamosh lamhe 2

खामोश लमह 61 | P a g e

ldquoआपक पापा अनपगढ़ ककससलए आए थ बट rdquo रिना न पछा

ldquoपिा नही आटी इस शहर म िो हमारा कोई पररचचि भी नही ह मगर न िान कफर भी पापा ककससलए और ककसस समलन इिनी दर अनपगढ़ आए हम भी आन स पहल कछ बिाया नही भान न उदास होि हय कहा

ldquoहाा सना था बहि साल पहल पापा इधर पढ़न क सलए आए थldquo रिीि न ददमाग पर िोर दि हय कहा मगर पढ़ाई खतम ककए तरबना ही दादािी न उनह वावपस बला सलया था उनक बि भाई यानी मर िाऊिी पररवार स अलग हो गए थ इसससलय दादािी न पापा को घर क काम म हाथ बटान क सलए गााव म रहकर पढ़ाई परी करन को कहाldquo

रिना बि बनी सब सन रही थी उसकी आख बार बार गीली हो रही थी मगर आासओ को अपन अदर ही पीिी रही उसका ददल कर रहा था की वो िोर िोर दहाि मार मार क रोय चचलला चचलला क पछ ववधािा स की य कसा मिाक ककया उसक साथ ककस बाि की उस ऐसी सिा

खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

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खामोश लमह 62 | P a g e

दी की वो ददज क मार रो भी नही सकिी आझखर उन दोनो का कसर कया था

रिना बीच बीच म रिीि स कछ न कछ पछ रही थी वो िानना चाहिी थी की कया भान न मि भला ददया था नही वो इिना तनमोही नही था वो भी मि िीवन क आझखरी पल िक नही भला होगा म िरर कही न कही उसकी जिदगी म शासमल थी मन दखा था उसकी आखो म अपन सलए बहद पयार जिस वो पागल िादहर नही कर पायाउमर भर

रिीि स बाि करन स रिना को काफी िानकारी समली लककन उस अपनी खबर नही समली कया भान मिस समलन आ रहा था उसन सोचा रिीि न बिाया इधर उनका कोई पररचचि नही रहिा अगर नही िो कफर इधर आन का कया सबब हो सकिा ह

खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

खामोश लमह 66 | P a g e

ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

- समापि -

खामोश लमह 67 | P a g e

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खामोश लमह 63 | P a g e

ldquoकया पिीस सालो का इिना लबा वक़ि भी मरी याद नही भला पाया वो अपन िहन स rdquo अगर ऐसा था िो कयो नही आया एक बार भी पलटकर ऐसी कया मिबरी रही होगी की इिना वक़ि भी नही समला अगर वो भल गया था उसन अपना पररवार बसा सलया था िो कफर अनपगढ़ ककस सलए और ककस स समलन आया था कया मरी कछ याद बची थी उसक ददल क ककसी कोन म नही वो ब-वफा था उसन मि भला ददया था िभी िो अपन पररवार क साथ इिन सालो िक मिस इिनी दर रहा म ही पागल थी िो उस ब-वफा क सलए अपनी जिदगी उसकी याद म गिारन की जिदद कर बठी तनषठर

दसर ददन सबह रिीि अपन वपिा क पाचथजव शरीर को लकर अपन गााव क सलए तनकलन वाला था शव को िाबि म रखवा ददया था रिना सामन पि िाबि को दख रोय िा रही थी मगर कोई उसक आास नई दख पाया जिदगी भर आखो स आास बहािी एक अधि औरि आि ददल स आास बहा रही थी जिसक इििार म वो एक एक पल तरबिाकर

खामोश लमह 64 | P a g e

उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

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उमर क इस पिाव प आ गई थी वही उसक पास आि आि दम िोि चका था वो उस िाबि स सलपट कर रोना चाहिी थी मगर लोकलाि और उसक रिब न उसक हाथ पर बाध ददय थ

भान का पाचथजव शरीर टरन म रखवा ददया था पीछ रह गया उसका अिीि िो आि िक उसक इििार म पलक तरबछाए बठा था मगर आि उसन यकीन कर सलया की अब कोई नही आएगा िान वाल कभी लौट क नही आि वो अपनी यादो क साथ पीछ वालो को रोिा हआ छोडकर चल िाि ह

रिना न िाि िाि रिीि स उसक मोबाइल नबर ल सलए थ भान की मौि को एक साल गिर चका था मगर रिना का इििार आि भी वसा ही था उस यकीन नही हो रहा था की भान उस सदा क सलए छोि कर िा चका ह वो अब बहि दर तनकल गया िहा स उसक आन की कोई

खामोश लमह 65 | P a g e

सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

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सभावना नही उसक ददल म भान की याद आि भी वसी ही थी िसी वरषो पहल थी उसन उसक इििार म शादी नही की और भान की यादो क सहार की िीवन गिरन का तनणजय ल सलया मगर वो तनमोही उसन कया ककया उसन िो मि भला ददया था उसन िो मि यहाा स िान क िरि बाद अपन ददल स तनकाल फ का होगा

रिना काफी दर अपन आपस ही सवाल करिी रही और भान की बवफ़ाई प आास बहािी रही काफी दर बाद वो अिीि स तनकल कर आई िो उसक चहर प सख चक आासओ क तनशान साफ ददख रह थ

माह धोकर उसन रिीि का नबर डायल ककया

ldquoहलोrdquo कौन बोल रह ह rdquo

ldquoरिीिrdquo और आप ldquo उधर स आवाि आई

ldquoहाा बट म रिना बोल रही हा अनपगढ़ स कस हो rdquo रिना न कहा

ldquoहाा आटी म ठीक हा आप कसी हो rdquo

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

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ldquoम िो ठीक हा बट और सीमा कसी ह rdquo

ldquoवो ठीक ह आटीबटी को सकल छोिन गई हrdquo रिीि न िवाब ददया

ldquoअर हाा म िो भल ही गई कसी ह िमहारी बटी कया नाम कया ह उसका rdquo रिना न भावक होि हय पछा

ldquoआटी उसका नाम भी ldquoरिनाrdquo ह पापा न रखा थाrdquo रिीि न खश होि हय कहा

रिीि क अतिम शबद सनि ही उसक शरीर म एक ददज की एक लहर सी दौि गई जिसन उसक पर अजसितव को दहला कर रख ददया उसन फोन काट ददया और फफक कर रो पिी

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