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धन लमी साधना (Dhan Laxmi Sadhna) दपावली का श भ म रहा ह और हर कोई चाहता ह उसक पास च र धन हो, जसस वह अपन और अपन परवार क सभी सपन कर सक | सान म हनत तो सभी करत | हनत करना ठक भी ह | हनत तो पथर तोड़न वाल भी करत पर बना भाय कमत न जाग यह बात िस होती ह , उन सभी को द ख कर इसिलए इ सान को द व साधना का आसरा ल ना गलत नह , यक इसस लमी आती ह और घर परवार म िशय रात ल जात बस जरत तो इस तय पर यान द | धन लमी आज क ग म कपव समान फल द वाली साधना ह | जब सार रात हो जाए तो इ सान को लमी मा जो क अतीय श ह , क शरण ल नी चाहए | साधक वय य कर तो या नह पा सकता | दा भी तब तक आ िशक बनी रहती ह , जब तक आप वय साधना न कर यक दा एक बीज क तरह ह , जस िशय क दय रोपण करत और उस सी च कर फलदार प ड़ आपको बनाना होता ह , नह तो दा भी उसी तरह रहती ह भाय क लकर, जसम िमलना तो िलखा ह मगर उस पान िलए य कए बना सब रात धर रह जात | इसिलए दा तो ल ह और ग जी स साधना विध कर वय साधना कर तभी आप साधक क णी म आय | एक भ ला ह कसी स राता प छ ल ता ह और बताए ह रात पर चलता ह | दा भी उस रात का दशा िनद होती ह | रात पर तो ह म लोग को चलना होता ह तभी जल िमलती ह | इस िलए बह साधक उचकोट क दा ल कर भी नीरस ह रहत यक वह साधक का जीवन अपनाए बना ह सब कछ पाना चाहत | जी क समय हर िशवर साधनामक होता था | उसम दा स यादा साधना पर ज़ोर दया जाता था | तभी तो हमार अन क वर भाई कछ बन पाय | यक िशय उसी जीवन का अन सरण करता ह सा ग उस | हमार जी न अित क पा कर हम साधक का जीवन दया ह | इस जीवन का अथ ह यह , हर पल साधना क िलए तपर रह | िसफ दा पर िनभ मत होइए | यक दा ग पा ह जो आपक राह को आसान करती ह | यह भी सय , दा ग पा ह मगर साधना एक रोमा च ह जस साधक वय जीता ह | पा भी उसी पर होती ह जो साधक क परा परप हो, नह तो दा भी ताल द पड़ धन समान रह जाती ह | इसिलए म कहता , अगर दा को अछ तरह स फलीभ त करना ह , तो वय साधक बन और साधना कर | पा प म िमली दा का सद पयोग कर | नह तो धन पान िलए धन द कर ली दा भी जाएगी और धन भी | यह बात म अपन अन भव क आधार पर इसिलए कह रहा ह बह त स साधक िनय िमलत और सबस पहल यह कहत हमन यह दा ली, वह दा ली मगर समया वह क वह | या ग कभी दा अ श कम दया, नह कभी कम नह िसफ कमी हमार दर हम उसका उपयोग नह करत | तभी तो Home About us Sadhnas Publications Products News Gallery Contact पर ः तम ी ग नमः

Shreedham108 _ Dhan Laxmi Sadhna

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