ग�दा क� उनत खेती रशीद खान और रमेश कुमार जाट
महाराणा �ताप कृ�ष एव ं�ौ�यो�गक! �व"व�व�यालय, उदयपरु (राज॰) -313001 *laoknh ys[kd dk bZesy% [email protected]
ग=दा पीले रंग का फूल है। वाBतव म= ग=दा एक फूल न होकर फूलC का गुDछा होता है, लगभग उसक! हर पHती एक फूल है। ग=दा का वैIाJनक नाम टैजेटस Bपीसीज है। भारत के �वKभLन भागC म=,
�वशषेकर मैदानC म= Mयापक Bतर पर उगाया जा रहा है। यह मैिOसको तथा दQRण अमेTरका मूल का
पुUप है। हमारे देश म= ग=दा लोक��य होने का कारण है इसका �वKभLन भौगोKलक जलवायु म=
सुगमतापूवWक उगाया जा सकता है। मैदानी RेXC म= ग=दे क! तीन फ़सल= उगायी जाती है, िजससे
लगभग पूरे वषW उसके फूल उपलZध रहते ह\। उHतर भारत के रा]य ^हमाचल �देश म= छोटे `कसान
भी गेद= क! फ़सलC को सजावट तथा मालाओं के Kलए उगाते ह\।
इ�तहास
16वीं शताZदc क! शुdआत म= हc ग=दा, मैिOसको से �व"व के अLय भागC म= �साTरत हुआ। ग=दे के
पुUप का वैIाJनक नाम टैजेटस एक गंधवW टैजस के नाम पर पड़ा है जो अपने सौLदयW के Kलए �Kसg
था। अh!कन ग=दे का Bपेन म= सवW�थम �वेश सोलहवीं शताZदc म= हुआ और यह रोज आफ दc इंडीज
नाम से समBत दQRणी यूरोप म= �Kसg हुआ। h= च ग=दे का भी �व"व म= �सार अh!कन ग=दे क! भांJत
हc हुआ।
�वतरण
भारत म= 1,10,000 हैOटेयर RेXफल म= इसक! खेती क! जाती है। इसक! खेती करने वाले मुjय रा]य
कनाWटक, तKमलनाडु, पि"चम बंगाल, आंl �देश और महाराUm है। इसक! खेती मुjय nप से बडे़
शहरो के पास जैसेः मुqबई, पुणे, ब\गलोर, मैसूर, चेLनई, कलकHता और ^दsलc म= होती है।
ग=दा बहुत हc उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलC का पौधा है। यह मुjय nप से सजावटc फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-t"य के Kलए उगाया जाता है। इसके फूल बाजार म= खुले एवं मालाएं बनाकर बेचे जाते है। ग=दे क! �वKभLन ऊv चाई एवं �वKभLन रंगC क! छाया के कारण भू-t"य क! सुLदरता बढ़ाने म= इसका बड़ा महHव है। साथ हc यह शादc-�ववाह म= मxडप सजाने म= भी अहम ्भूKमका Jनभाता है। यह OयाTरयC एवं हरबेKसयस बॉडWर के Kलए अJत उपयुOत पौधा है। इस पौधे का अलंकृत मूsय उDच है OयC`क इसक! खेती वषW भर क! जा सकती है। तथा इसके फूलC का धाKमWक एवं सामािजक उHसवC म= बड़ा महHव है। हमारे देश म= मुjय nप से अh!कन ग=दा और h= च ग=दा क! खेती क! जाती है।
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जलवायु
ग=दे क! खेती संपूणW भारतवषW म= सभी �कार क! जलवायु म= क! जाती है। �वशषेतौर से शीतोषण और
सम-शीतोUण जलवायु उपयुOत होती है। नमीयुOत खुले आसमान वालc जलवायु इसक! विृ{द एवं
पुUपन के Kलए बहुत उपयोगी है ले`कन पाला इसके Kलए नुकसानदायक होता है। इसक! खेती सद|,
गम} एवं वषाW तीनC मौसमC म= क! जाती है। इसक! खेती के Kलए 14.5-28.6 डी स\. तापमान फूलC
क! संjया एवं गुणवHता के Kलए उपयुOत है जब`क उDच तापमान 26.2 डी स\. से 36.4 डी स\.
पुUपोHपादन पर �वपरcत �भाव डालता है। उ�चत वानBपJतक बढ़वार और फूलC के समु�चत �वकास के
Kलए धूप वाला वातावरण सवHतम माना गया है।
मदृा (�म�ी)
ग=दे क! खेती �वKभLन �कार क! मदृा म= क! जा सकती है, �वशषे nप से बलुई-दोमट मदृा िजसका
पी.एच. 7.0-7.5 हो सवतम रहती है। Rारcय व अqलcय मदृाए इसक! खेती के Kलए बाधक पायी गई
है| उवWरायुOत मुलायम गहरc मदृा िजसक! नमी हण Rमता उDच हो तथा िजसका जल Jनकास
अDछा हो भी उपयुOत रहती है।
!क"म# का चुनाव
1. अ(�कन ग�दा
पूसा नारंगी ग=दा, पूसा बसंती ग=दा, अलाBका, ए��कॉट, बरपीस KमराOल, बरपीस नाईट, ेकर जैक,
ाऊन ऑफ गोsड, कू�पड़, डबलून, लूसी रफsस, फायर लो, िजयाxट सनसेट, गोsडन एज, गोsडन OलाइमेOस िजयाLट, गोsडन जुबलc, गोsडन मेमोयमम, गोsडन येलो, गोsडिBमथ, है�पनेस, हवाई,
हनी कॉqब, Kम.मूनलाइट, ओरेLज जूबलc, ��मरोज, सोबेरेन, Tरवरसाइड, सन िजयाLस, सुपर चीफ,
डबल, टेOसास, येलो OलाइमेOस, येलो लफ!, येलोBटोन, िजयाLट डबल अh!कन ओरेLज, िजयाLट
डबल अh!कन येलो इHया^द।
हाइ)*+स : अपोलो, OलाइमेOस, फBटW लेडी, गोsड लेडी, े लेडी, मून सोट, ओरेLज लेडी, शोबोट,
टोTरयडोर, इLका येलो, इLका गोsड, इLका ओरे]न इHया^द।
2. (ेच ग�दा
(अ) Kसगंल : डायxटc मेTरयटा, नॉटc मेTरयटा, सLनी, टेmा रफsड रेड इHया^द।
(ब) डबल : बोलेरो, बोJनटा, बा्रउनी Bकॉट, बरसीप गोsड नगेट, बरसीप रेड एxड गोsड, बटर
Bकॉच, कारमेन, कू�पड़ येलो, एsडोराडो, फोBटा, गोsडी, िजसी डवाफW डबल,् हारमनी, लेमन ाप,
मेलोडी, Kमडगेट हारमनी, ओरेLज लेम, पेटाइट गोsड, पेटाइट हारमनी, ��मरोज OलाइमेOस, रेड
ोकेड, रBटc रेड, BपेJनश ोकेड, Bपनगोsड, B�ी, टेLजेरcन, येलो �पमी इHया^द|
बीज
संकर `कBमC म= 700-800 ाम बीज �Jत हेOटर तथा अLय `कBमC म= लगभग 1.25 `क.ा. बीज
�Jत हैOटर पयाWत होता है। उHतर �देश म= बीज माचW से जून, अगBत-Kसतंबर म= बुवाई क! जाती है |
खाद एवं उव1रक
सड़ी हुई गोबर क! खाद : 15-20 टन �Jत हैOटेयर
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यूTरया : 600 `कलोाम �Jत हैOटेयर
Kसगंल सुपर फाBफेट : 1000 `कलोाम �Jत हैOटेयर
qयूरेट ऑफ पोटाश : 200 `कलोाम �Jत हैOटेयर
सारc सड़ी हुई गोबर क! खाद, फाBफोरस, पोटाश व एक Jतहाई भाग यूTरया को मदृा तैयार करते
समय अDछ तरह Kमला ल= तथा यूTरया क! बची हुई माXा का एक ^हBसा खेत म= पौधे लगाने के 30
^दन बाद व शषे माXा उसके 15 ^दन बाद Jछड़काव करके �योग कर=।
बीज शैया तैयार करना
ग=दे क! पौध तैयार करने के Kलए बीज शैया तैयार कर=, जो `क भूKम क! सतह से 15 स\.मी. ऊv ची
होनी चा^हए ता`क जल का Jनकास ठक ढंग से हो सके। बीज शैया क! चौड़ाई 1 मीटर तथा लंबाई
आव"यकतानुसार रख=। बीज बुवाई से पूवW बीज शैया का 0.2 �Jतशत बा�वBटcन या कैटान से
उपचाTरत कर= ता`क पौधे म= बीमारc न लग सके और पौध BवBथ रहे।
बीज# क� बुवाई
अDछ `कBमC का चयन कर बीज शैया पर सावधानीपूवWक बुवाई कर=। ऊपर उवWर मदृा क! हsक! परत
चढ़ाकर, फMवारे से धीरे-धीरे पानी का Jछड़काव कर द=।
बीज दर
800 ाम से 1 `कलोाम बीज �Jत हैOटेयर पयाWत रहता ह\। बीजC का अंकुरण 18 से 30 डी स\. तापमान पर बुवाई के 4-5 ^दन म= हो जाता है।
बुवाई का समय
पु6पन ऋत ु बीज बुवाई का समय पौध रोपण का समय
वषाW म{य – जून म{य - जुलाई
सद| म{य – Kसतqबर म{य – अOतूबर
गम} जनवरc – फरवरc फरवरc - माचW
पौध रोपण
अDछ तरह तैयार OयाTरयC म= ग=दे के BवBथ पौधC को िजनक! 3-4 पिHतयां हC, पौध रोपण हेत ु
�योग कर=। जहां तक संभव हो पौध रोपाई शाम के समय हc कर= तथा रोपाई के प"चात ्चारC तरफ
Kमी को दबा द= ता`क जड़C म= हवा न रहे एवं हsक! Kसचंाई कर=।
पौधे से पौधे क� दरू<
1. अh!कन ग=दा : 45 गुणा 45 स\.मी. या 45 गुणा 30 स\.मी.
2. hेLच ग=दा : 20 गुणा 20 स\.मी. या 20 गुणा 10 स\.मी.
�सचंाई
ग=दा एक शाक!य पौधा है। अत: इसक! वानBपJतक विृ{द बहुत तेज होती है। सामाLय तौर पर यह
55-60 ^दन म= अपनी वानBपJतक विृ{द पूरc कर लेता है तथा �जनन अवBथा म= �वेश कर लेता है।
स^दWयC म= Kसचंाई 10-15 ^दन के अंतराल पर तथा गKमWयC म= 5-7 ^दन के अंतराल पर कर=।
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खरपतावार �नयं=ण
खरपतवार पौधC क! उपज व गणुवHता पर �वपरcत �भाव डालत ेह\। OयC`क खरपतवार मदृा से नमी
व पोषण दोनC चुराते ह\ तथा क!ड़ो एवं बीमाTरयC को भी शरण देत ेह\। अत: 3-4 बार हाथ �वारा
खरपतवार Jनकलवा द= तथा अDछ गुढ़ाई कराएं। खरपतवारC का रासायJनक JनयंXण भी `कया जा
सकता है। इसके Kलए एJनबेन 10 पौxड, �ोपेOलोर और डफ= नKमड़ 10 पड �Jत हैOटेयर का �योग
करना सुरQRत एवं संतोषजनक पTरणाम देता है।
विृ?द �नयामक# का @योग
पौधC क! रोपाई के चार सताह बाद एस. ए. डी. एच. का 250-2000 पी.पी.एम. का पण}य Jछड़काव
करने से पौधC म= समान विृ{द व शाखाओं के बढ़ने के साथ हc फूलC क! उपज व गुणवHता भी बढ़ती
है।
�पAंचगं (शीष1 कत1न)
पौधे के शीषW �भाव को खHम करने के Kलए पौध रोपाई के 35-40 ^दन बाद पौधC को ऊपर से चुटक
देना चा^हए िजससे पौधC क! बढ़वार nक जाती है। तने से अ�धक से अ�धक संjया म= शाखाएं �ात
होती है तथा �Jत इकाई RेX म= अ�धक से अ�धक माXा म= फूल �ात होत ेह\।
क�ट एवं DयाAधयां
1. रेड Bपाइडर माइट: यह बहुत हc Mयापक क!ड़ा है। यह ग=दे क! पिHतयC एवं तने के कोमल भाग से
रस चूसता है। इसके JनयंXण के Kलए 0.2 �Jतशत मैला�थयान या 0.2 �Jतशत मेटाKसBटॉOस का Jछड़काव कर=।
2. चेपा: ये क!ड़ ेहरे रंग के, जंू क! तरह होते ह\ और पिHतयC क! Jनचलc सतह से रस चूसकर काफ!
हाJन पहँचाते ह\। चेपा �वषाणु रोग भी फैलाता है। इसक! रोकथाम के Kलए 300 Kम.लc.
डाईमैथोएट (रोगोर) 30 ई.सी. या मैटाKसBटॉOस 25 ई.सी. को 200-300 लcटर पानी म= घोलकर
�Jत हैOटेयर Jछड़काव कर=। य^द आव"यकता हो तो अगला Jछड़काव 10 ^दन के अंतराल पर कर=।
DयाAधयां व रोकथाम
1. आW गलन : यह बीमारc नसWरc म= पौध तैयार करते समय आती है। इसम= पौधे का तना गलने
लगता है। इसक! रोकथाम के Kलए 0.2 �Jतशत कैटान या बा�विBटन के घोल क! डे�्चगं कर=।
2. पHतC का धZबा व झुलसा रोग : इस रोग से Bत पौधC क! पिHतयC के Jनचले भाग म= भूरे रंग
के धZबे हो जाते ह\ िजसक! वजह से पौधC क! बढ़ावर �भा�वत होती है। इसक! रोकथाम के Kलए
डायथेन एम. के 0.2 �Jतशत घोल का 15-20 ^दन के अंतराल पर Jछड़काव कर=।
3. पाऊडरc Kमsडयू : पिHतयC के दोनC तरफ व तने पर सफेद चूणW तथा चकते ^दखाई देते ह\।
िजसक! वजह से पौधा मरने लगता है। इसक! रोकथाम के Kलए घुलनशील सsफर (सsफैOस) एक
लcटर या कैराथेन 40 इ.सी. 150 Kम.लc. �Jत हैOटेयर के ^हसाब से 500 लcटर पानी म= Kमलाकर
Jछड़काव कर=।
फूल# क� तुड़ाई
पूरc तरह खले फूलC को ^दन के ठxड ेमौसम म= याJन `क सुबह जsदc या शाम के समय Kसचंाई के
बाद तोड़ ेता`क फूल चुBत एवं दdूBत रह=।
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पै!कंग
ताजा तोड़ े हुए फूलC को पॉलcथीन के KलफाफC, बांस क! टोकTरयC या थैलC म= अDछ तरह से पैक
करके तुरंत मxडी भेज=।
उपज
अh!कन ग=द= से 20-22 टन ताजा फूल तथा फ= च ग=दे से 10-12 टन ताजा फल �Jत हैOटेयर औसत
उपज �ात होती है।
ग�दे के अय उपयोग
• ग=दे क! पिHतयC का पेBट फोड़ ेके उपचार म= भी �योग होता है। कान ददW के उपचार म= भी ग=दे
क! पिHतयC का सHव उपयोग होता है।
• पुUप सHव को रOत BवDछक, बवासीर के उपचार तथा अsसर और नेX संबंधी रोगC म= उपयोगी
माना जाता है।
• टैजेटस क! �वKभLन �जाJतयC म= उपलZध तेल, इX उ�योग म= �योग `कया जाता है।
• ग=दा जलन को नUट करने वाला, मरोड़ को कम करने वाला, कवक को नUट करने वाला, पसीना
लाने वाला, आतWवजनकाHमक होता है। इसे टॉJनक के nप म= भी इBतेमाल `कया जाता है। इसके
उपयोग से ददW युOत माKसक BXाव, एिOजमा, Hवचा के रोग, ग^ठया, मँुहासे, कमज़ोर Hवचा और
टूटc हुई कोKशकाओं म= लाभ होता है।
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