त्राटक
त्राटककी व्याख्या
• अटात ्त्रायते ईतत त्राटकं ।
• तिरीरे्क्षतनिश्चलदृशा सकू्ष्मलक्ष्यं समातित: ।
• अशु्रसपंातपययनतम् आचायैस्त्राटकं स्मृतम ्।। ि.प्र.।। २.३१
त्राटक एकशदु्धिद्धिया
• िेत्र शुति
• तचत्त शुति
दृद्धिऔर मन (Eyes and Mind)
दृति मि
एकाग्रता की गरुु चाबी
त्राटक के प्रकार
I. सदूुर त्राटक – (जैसे की उदय िोता िुआ सयूय)
II. समीप त्राटक – (जैसे की ज्योत)
त्राटक के उप प्रकार
I. बाह्य त्राटक (खुली आंखो से)
II. आंतरत्राटक (बंद आंखो से)
•शारीररक स्वास््य
• माितसक स्वास््य
त्राटक के लाभ
1. तकसे ििीं करिा चातिए
2. चश्मा तिकालकर त्राटक का अभ्यास ऊत्तम िै ।
तिर भी डााँक्टर की सलाि लेिा उतचत िै,
3. कमजोर िेत्र ज्योतत वालों को इस साधिा को धीरे
धीरे वतृिक्रम में करिा चातिए.
सुचना
तकनीक
i. त्राटक करिे के पिले आाँखो का सकू्ष्म व्यायाम
करिा लाभदायी िै.
ii. तस्िर और तशतिल बैठक
iii. ध्येय तवषय १.५ से २ िीट की दूरी पर और
िजर की सीध मे िो.
अंतज्योततबयतिज्योतत:
प्रत्यक् ज्योतत: परात्परम् ।
ज्योततज्योतत: स्वयंज्योतत:
आत्मज्योतत तशवोऽतस्मिम् ।।
हरर ॐ तत्सत्