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रानि�यों के महल स ेवानि�स आकर कुछ समय बाद गुरु जी को बुखार हो गया जिजससे सबको चि�ंता हो गई| बुखार के साथ-साथ दूसरे दिद� ही गुरु जी को शीतला नि�कल आई| जब एक दो दिद� इलाज कर�े से बीमारी का फक( �ा �ड़ा तो इसे छूत की बीमारी समझकर राजा जयचिसंह के बंगले से आ�को यमु�ा �दी के निक�ारे नितलेखरी में तम्बू क�ाते लगाकर भेज दिदया|
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इस प्रकार दो दिद� दो राते गुरु जी को बहुत कष्ट रहा जिजससे आ�की हालत खराब हो गई| सिसखो �े प्राथ(�ा की महाराज! संगत के सिलए क्या आज्ञा है निकसके जिजम्मे लगा �ले हो| घर-घर गुरु ब� बैठेगें| इससिलए संगत की बाजू निकसे �कड़ाओगे| कृ�ा करके हमें बताए|
गुरु जी �े अ��े मसंद भाई गुरुबक्श जी से एक ओर �ा�ं �ैसे मंगवाकर थाल में रखकर उ�को माथा टेक कर कहा -
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"बाबा बसनिह जिज गराम बकले|| बनि� गुर संगनित सकल समाले||“
यह व�� करके आ�जी कुश के आस� �र �ादर ता� कर लेट गए और शरीर त्यागकर स्वग( सिसधार गए|
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कुल आयु व गुरु गद्दी का समय
श्री गुरु हरिर कृष्ण जी 5 साल 2 मही�े की उम्र में गुरु गद्दी �र बैठ कर 2 साल 5 मही�े गुरुत्व करके �ेत्र सुदी �ौदस 1721 निवक्रमी को ज्योनित ज्योत समां गए|