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साहियम वष – 1, अङ्क – 4 हिद तानी साहिय सेवाष एक शैशव-यास अतजालीय पिकज / सकलक सपजदक – नवीन सी. चत वेदी

साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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हिन्दुस्तानी-साहित्य सेवार्थ एक शैशव-प्रयास

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Page 1: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

साहितयम वरष ndash 1 अङक ndash 4

हििदसतानी साहितय सवारष एक शशव-परयास

अनतरजालीय पतरिकज सङकलक समपजदक ndash नवीन सी चतवदी

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

समपादकीय

परणाम अपरल का महीना चिलचिलाती धप और िनावो की सरगचमियाा अपरल महीन का एक भी चिन ऐसा नही गया जब चिल-चिमाग़ को ठणडक महसस हई हो खला हआ रहसय यह ह चक आज चहनिसतान की

हालत ग़रीब की जोर सार गााव की भौजाई जसी ह घर क अनिर रोज़-रोज़ की पञिायत ह पास-पड़ौस वाल जब-तब आाख तररत रहत ह मयाििा जस शबि को तो भल ही गय हो जस अनतराषटरीय सतर पर भी जब-तब चमटटी पलीि होती रहती ह ऐस म एक िमिार नततव की सख़त ज़ररत ह इन पचियो क चलख जान तक मोिी स बहतर चवकलप चिखाई पड़ नही रहा अगर कोई और चवकलप होता तो हम अवशय ही उस चकरिार क बार म बात करत लचकन हम हरचगज़ इस मगालत म नही रहना िाचहय चक चिरङचगयो क यहाा चगरवी रख हय िश का परधानमनरी बनना मोिी क चलय कोई बहत बड़ी ख़शी का सबब होगा बहरहाल लोकतनर क उजजजजवल भचवषटय की मङगल-कामनाएा

हम िाहत ह चक हमार नौजवान खब चिल लगा कर पढ़ अचछ नमबरो स पास हो और अचछ काम-धनध स लग मगर हम करत कया ह [1] खब चिल लगा कर पढ़ - िौबीस घणट उन क इिि-चगिि हम न इतन सार ढ़ोल बजवा रख ह चक चिल लगा कर तो लहिी [खडड] म गया

सामानय रप स पढ़ना भी िभर ह [2] अचछ नमबरो स पास हो - इस चवपरीत वातावरण म भी कछ बचि अपरतयाचशत पररणाम ल आत ह मगर अिसोस CET म 99 परसणटाइल लान क बावजि उनह टॉप म पाािवी रङक वाला कॉलज चमलता ह हालााचक उसी कॉलज म उन क साथ 50 परसणटाइल वाल बचि भी पढ़त हय चमल जाएा तो आशचयि नही कया सोित होग य बचि - ऐसी चसथचत म कया हम उनह अराजक नही बना रह [3] अचछ काम-धनध स लग - अचछा काम-धनधा कौन सा काम-धनधा अचछा रह गया ह भाई इनडायरकटली हम अपन यथ को चनयाित होन ि रह ह

कया आप न कभी अनिाज़ा लगाया ह चक हमार नौजवानो की गाढ़ी महनत की कमाई का एक बड़ा चहससा गजटस खाय जा रह ह औसत नौजवान साल म कम स कम एक बार सलफोन बिल लता ह इस बिलाव पर आन वाला खिि अममन 10000 होता ह टबस या उस जसी नयी तकनीक को खरीिन पर भी अममन िस हज़ार का ख़िाि पकका समझ इन

टोटको को पाल रखन क चलय िकाया जान वाला चकराया-भाड़ा भी अममन िस हज़ार स कम कया इस नय शौक़ क साथ एक पर एक फरी की तरह आन वाल लभावन ख़िील ओिसि भी महीन म 2-3 हज़ार याचन साल म 30-40 हज़ार उड़ा ही लत ह नौजवानो की पोकटस स कल चमला कर बहत चज़यािा नही तो भी परतयकष या अपरतयकष रप स 50 हज़ार तो होम हो ही जात होग औसत नौजवान की एक साल की औसत कमाई [जी हाा कमाई - लोन िमपी या उठाईचगरी नही] शायि तीन लाख नही ह यचि यह आाकड़ सही ह तो बनिा अपनी िो महीन की कमाई उड़ाय जा रहा ह बिायगा कया नही बिायगा तो आन वाल बर वक़त स ख़ि को कस बिायगा कभी-कभी लगता ह चक एक सोिी-समझी रणनीचत क तहत इस पीढ़ी को खोखला चकया जा रहा ह ईशवर कर चक मरा यह सोिना ग़लत हो

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चवदवतजन अचछ साचहतय को अचधकतम लोगो तक पहािान क परयास क अनतगित साचहतयम का अगला अङक आप क समकष ह उममीि ह यह शशव-परयास आप को पसनि आयगा चहनिसतानी साचहतय क गौरव - पचणडत नरनर शमाि जी क गीत सङगीतकार-शायर नौशाि अली बरजभाषा क मधिनय कचव शरी गोचवि कचव कछ ही साल पहल क चसदध-हसत रिनाधमी गोपाल नपाली जी गोपाल परसाि वयास जी क साथ तमाम नय-परान रिनाधचमियो की रिनाएा इस अङक की शोभा बढ़ा रही ह इस अङक म आप को एक डबल रोल भी चमलगा भाई साचलम शजा अनसारी जी अबबा-जान क नाम स भी शायरी करत ह अबबा-जान एक बड़ा ही अनोखा चकरिार ह आप को इस चकरिार म अपन गली-महलल क बड़-बजगो क िशिन होग सब स सब की खरी-खरी कहन वाला चकरिार ऐसा चकरिार चजस क माह स सि सन कर भी चकसी को बरा न लग बचलक अधरो पर हलकी मसकराहट आ जाय और भी बहत कछ ह पचढ़यगा अनय पररचित साचहतय-रचसको को भी जोचड़एगा और आप क बहमलय चविारो स अवशय ही अवगत कराइयगा आप की राय चबना सङकोि क पोसट क नीि क कमणट बॉकस म ही चलखन की कपा कर

आपका अपना नवीन सी ितविी

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अनकरमाहिका किानी फोन का चबल - मध अरोड़ा वयिगय माइकरो सटायर - आलोक पराचणक अथ शरी गनशाय नमः - शरि जोशी म िश िलाना जाना र - अचवनाश वािसपचत रिना वही जो फॉलोवर मन भाय - कमलश पाणडय कहवता नज़म चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह - गोपाल परसाि नपाली खनी हसताकषर - गोपाल परसाि वयास वकष की चनयचत - तारितत चनचविरोध तीन कचवताएा - आलम खशीि

अजीब मञज़र-चिलकश ह मलक़ क अनिर - अबबा जान सार चसकनिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह - गीत ितविी आमनरण - चजतनर जौहर िढ़ता-उतरता पयार - मकश कमार चसनहा हम भल और हमारी पञिायत भली - नवीन

िाइक हाइक - सशीला शयोराण लघ-करा परसाि - पराण शमाि छनद अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर - गोचवनि कचव

तरा जलना और ह मरा जलना और - अनसर क़मबरी जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय - धमनर कमार सजजजन 3 छपपय छनि - कमार गौरव अजीतनि हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव - नवीन

गीत-नवगीत जजयोचत कलश छलक - पचणडत नरनर शमाि

गङगा बहती हो कया - पचणडत नरनर शमाि आज क चबछड़ न जान कब चमलग - पचणडत नरनर शमाि जय-जयचत भारत-भारती - पचणडत नरनर शमाि हर चलया कयो शशव नािान - पचणडत नरनर शमाि भर जङगल क बीिोबीि - पचणडत नरनर शमाि मध क चिन मर गय बीत - पचणडत नरनर शमाि

ग़ज़ल न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता - नौशाि अली

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया - रऊि रज़ा

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िनि अशआर - िरहत अहसास तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़ - तिल ितविी चसतारा एक भी बाकी बिा कया - मयङक अवसथी िोट पर उस न चफर लगाई िोट - साचलम शजा अनसारी उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ - िौज़ान अहमि जब सरज िदद नचियाा पी जात ह - नवीन मर मौला की इबाित क सबब पहािा ह - नवीन

आञचाहलक गजल िो पञजाबी गजल - चशव कमार बटालवी गजराती गजल - सञज वाला अनय साचहतयकार चरलोक चसह ठकरला को सममान समीकषा - शाकनतलम - एक कालजयी कचत का अनश ndash पचणडत सागर चरपाठी

किानी

फोन का हिल - मध अरोड़ा

शान को आज तक समझ म नही आया चक फोन का चबल िखकर कमल की पशानी पर बल क यो पड़ जात ह सबह-शाम कछ नही िखत शान क मड की परवाह

नही उन ह बस अपनी बात कहन स मतलब ह शान का मड खराब होता ह तो होता रह

आज भी तो सबह की ही बात ह शान िाय ही बना रही थी चक कमल न टलीफोन का चबल शान को चिखात हए पछा lsquoशान यह सब क या हrsquo

शान न बालो म चकलप लगात हए कहा lsquoशायि टलीफोन का चबल ह क या हआrsquo कमल न झाझलात हए कहा lsquoयह तो मझ पता ह और चिख भी रहा ह पर चकतन हज़ार रपयो का ह सनोगी तो चिन म तार नज़र आन लगगlsquo

शान न माहौल को हल का बनात हए कहा lsquoवाह कमल चकतना अजबा होगा न चक तार तो रात को चिखाई ित ह चिन म चिखाई िग तो अपन तो चटकट लगा िग अपन घर म चिन म तार चिखान कlsquo

कमल बोल lsquoमज़ाक छोड़ो पर पााि हज़ार का चबल आया ह फोन का इतना चबल हर महीन भर ग तो िाक करन पड़ग एक चिनlsquo

शान न कहा lsquoबात तो सही ह तम हारी कमल पर जब फोन करत ह न तो समय हवा की तरह उड़ता िला जाता ह पता ही नही िलता चक चकतन चमनट बात कीlsquo कमल न कहा lsquoबात सचकषप त तो की जा सकती हlsquo

उसन कहा lsquoकमल फोन पर सचकषप त बात तक तो तम ठीक हो पर एक बात बताओ बात

एकतरफा तो नही होती न चसिि अपनी बात कहकर तो फोन बन ि नही चकया जा सकता सामनवाल की भी बात उतन ही ध यान स सनना होता ह चजतन ध यान स उस बन ि न सनी हlsquo

कमल न कहा lsquoतम हार कल चमलाकर वही चगन-िन वही िार िोस त और सहचलयाा ह रोज़ उन ही लोगो स बात करक चिल नही भरता तम हाराrsquo

शान न नाराज़गी ज़ाचहर करत हए कहा lsquoक या मतलब क या रोज़ िोस त बिल जात ह अर कमल भाई िोस तससहली तो िो-िार ही होत हlsquo कमल न कहा lsquoतम हारी तो हर बात न यारी ह लचकन म एक बात कह िता ह ा चक अगल महीन इतना चबल नही आना िाचहयlsquo कहकर कमल तज़ तज किमो स अपन कमर म िल गय

शान सधी हई िाल स धीर-धीर कमल क कमर म गई कमल अपन ऑचफस क मोबाईल स चकसीस बात कर रह थ शान इनतज़ार करती रही चक कब कमल मोबाईल पर बात करना बन ि कर और वह अपनी बात कह

शान कभी खाली नही बठ सकती और इनतज़ार उस चकसी सज़ा स कम नही लगता सो वह वॉचशग मशीन म कपड़ डालन का काम करन लगी

िस चमनट बाि कमल फोन स फाररग़ हए और शान स बोल lsquo कछ काम ह मझस या खड़ी-खड़ी मरी बात सन रही थीlsquo

शान न कहा lsquoयार तम हारी बात सनन लायक होती ह क या वही लन-िन की बात या कहानी की बात िलाा कहानी अच छी ह तो क यो और अच छी नही ह तो क योlsquo इस पर कमल न कहा lsquoबन िर क या जान अिरख़ का स वािlsquo इस पर शान न कहा lsquoम तो यह कहन आई थी चक टलीफोन का चबल तो म िती ह ा तम परशान

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क यो हो रह हो चजतन का भी चबल आयगा वह िना मरी च जम मिारी ह और अभी तक तो म ही ि रही ह ाlsquo

कमल न कहा lsquoिखो म चजस पोजीशन का ऑचफसर ह ा उसम मर घर क फोन का चबल मरा ऑचफस भरगा पर उसकी सीमा ह तो तम उस सीमा तक ही बात करो फोन पर ताचक जब स कछ खिि न करना पड़lsquo

शान न कहा lsquoयह तो कोई लॉचजक की बात नही हई हर जगह पसा क यो आ जाता ह बीि म कभी चिल क सकन की भी बात चकया करो च जन िगी म पसा ही सबकछ नही हlsquo

इस पर कमल बोल lsquoपस की कर करना सीखो रत की माचननि कब हाथ स चफसल जायगा पता भी नही िलगाlsquo रोज़-रोज़ फोन करक परम और स नह जज ािा नही हो जाताlsquo इस पर शान न कनध उिकात हए कहा lsquoभई िखो म तो जब फोन करा गी जी भरकर बात करा गी तम हारा ऑचफस चबल भर या न भरlsquo

कमल न चिढ़कर कहा lsquoयान तम हार सधरन का कोई िानस नही हrsquo शान न कहा lsquoम चबगड़ी ही कब ह ा जो सधरन का िानस ढाढा जायमन कभी रोका ह तमको चकसीस बात करन क चलय

lsquoिखो शान मर ऑचफचशयल फोन होत ह उनम ही म अपन चनजी फोन भी कर लता ह ा तम हारी तरह हमशा फोन स चिपका नही रहताlsquo कमल न उलाहनभर स वर म कहा

शान न अागड़ाई लत हए कहा lsquoमझ अपन िोस तो स भाई-बहनो स फोन पर बात करना अच छा लगता ह िर स भी चकतनी साि आवाज़ आती ह लगता ह चक पास स ही फोन कर रह हो आई लव इटlsquo

कमल होठो ही होठो म कछ बोलत हए आाख बन ि कर लत ह शान हासत हए कहती ह यार हम िोनो कमात ह अग़र आधा-आधा भी अमाउणट ि तो पााि हज़ार का चबल भर सकत ह तम भी अपन िोस तो स बात करो और म भी क यो मन को मारत होrsquo

शान न बात को आग बढ़ात हए कहा lsquoिखो तम तो चफर भी ऑचफचशयल टर म अपन लोगो स भाई बहनो स चमल आत हो मरा तो ऐसा भी कोई िक कर नही हrsquo

कमल न एक आाख खोलत हए कहा lsquoतम मझ िाह चकतना ही पटान की कोचशश करो म न तो पटनवाला ह ा इस फोन क मामल म और न ही एक भी पसा िनवाला ह ा य तम हार फोन का चबल ह तम जानो और तम हारा काम मरा काम ऑचफस क मोबाईल स हो जाता हlsquo

शान न कहा lsquoमरा ऑचफस तो चसिि एक हज़ार िता ह उसस क या होगा म तो इस पिड़ म पड़ती ही नही चकसीकी महरबानी नही िाचहय चफर फोन जसी तच छ िीज़ क चलय तमको क यो पटाऊा गी भलाrsquo इस पर कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoतम बहस बहत करती हो अपनी ग़लती मान लो तो कछ चबगड़ जायगा क याrsquo

अब शान भी चिढ़ गई और बोली lsquoफोन का वह चबल तम हारा ऑचफस िगा तम नही लचकन चिन ता नको चिक-चिक भी नही म अपन फोन का चबल अपन नोटो स ि सकती ह ाlsquo

यह बात सनत ही कमल न अपनी खली आाख चफर स बन ि कर ली शान तसल ली स सब काटन िली गई अपनी बात कहकर वह हल की हो गई थी क यो उन बातो को ढोया जाय जो ब लडपरशर हाई कर

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शान क ऑचफस क डॉक टर भी शान क इस नॉमिल ब लडपरशर पर आश ियि करत ह एक चिन डॉक टर न कहा भी lsquoशानजी आप इतनी खश कस रह लती ह यहाा तो जो भी आता ह उस या तो हाईपर टशन होता ह शगर बढा हआ वज़नlsquo

शान न परश नवािक आाखो स डॉक टर को िखा तो डॉक टर न कहा lsquoमरा मतलब ह चक आप अभी तक चफट कस ह यहाा तक चक म डॉक टर ह ा मझ हाई ब लड परशर ह रोज़ िवा लता ह ाlsquo

शान न हासत हए कहा lsquoमरा काम ह टनशन िना िचखय सीधी सी बात ह चजस बात पर मरा वश नही होता म सोिती ही नही जो होना ह वह तो होना ही हlsquo

शान न अपन पहल को बिलत हए कहा lsquoअब यचि म िाह ा चक मर पचत फलाा स बात न कर पर यचि उनको करना ह तो व कर ग ही िाह चछपकर कर या सामन कर तो क यो अपना चिमाग़ खराब करनाrsquo

डॉक टर न कहा lsquoकमाल ह आप च जन िगी को इतन हल क रप म लती ह य आर गरटlsquo शान न कहा lsquoऔर नही तो क या म क यो चिल जलाऊा मर चिल क जलन स सामन वाल को फक़ि पड़ना िाचहयlsquo

डॉक टर न हासत हए कहा काश सब आप जसा सोि पातlsquo शान न भी हासत हए कहा lsquoसब सवतनर िश क सवतनर लोग ह मन चकसीका कोई ठका तो ल नही रखाlsquo

डॉक टर भी मरी बात सनकर हास और बोल lsquoएक हि तक आप ठीक कहती ह पचत पत नी भी एक-िसर क िौकीिार तो नही ह न यह ररश ता तो आपसी समझिारी और चवश वास का ररश ता हlsquo

इस पर शान न कहा lsquoयचि चकसी काम क चलय चिल गवाही िता ह तो ज़रर करना िाचहय

लचकन एक िसर को भलाव म नही रखना िाचहयlsquo

डॉक टर न कहा lsquoआज आपस बात करक बहत अच छा लगा मझ लगा ही नही चक म मरीज़ स बात कर रहा ह ाlsquo अर शान भी चकन बातो म खो गई बड़ी ज़ल िी अपन म खो जाती ह

आज कमल बड़ अच छ मड म ह ितरतर स आय ह शान न िाय बनाई और िोनो न अपन-अपन प याल हाथ म ल चलय

यह शान का शािी क बाि स चनयम ह चक वह और कमल सबह और शाम की िाय घर म साथ-साथ पीत ह िाह िोनो म झगड़ा हो अनबोलािाली हो पर िाय साथ म चपयग

कमल न कहा lsquo िखो शान एक काम करत ह मर ऑचफस क चलय मोबाईलवालो न एक स कीम चनकाली ह उसक तहत पत नी क चलय मोबाईल फरी हlsquo यह सनकर शान क कान खड़ हो गय वह बोली यह मोबाईल कमपनी का क या नया फणडा हrsquo lsquoपहल परी बात सन लो हाा तो म कह रहा था चक मरा तो पोस टपड ह तम यह नया नमबर ल लो इसका जो भी चबल आयगा म िका िागाlsquo कमल न शान का हाथ अपन हाथ म लत हए कहा

अपनी बात पर परचतचकरया न होत िखकर आग बोल lsquoलण डलाईन नमबर कटवा िग हम िोनो क पास मोबाईल ह ही बच िो क साथ कॉन फरचनसग सचवधा ल लग चकफायत म सब काम हो जाया करगा फोन का चबल भी नही भरना पड़गाlsquo

पता नही शान भी चकस मड म थी उसन हामी भर िी कमल न भी शान को सकण ड थॉट का मौका चिय चबना िसर ही चिन नया नमबर लाकर ि चिया अब कमल आश वस त हो गय थ चक शान

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क फोनो का उनक पास चहसाब रहगा चबल जो उनक नाम आयगा

शान को सपन म भी ग़मान नही था चक उसक फोनो का चहसाब रखा जायगा वह मज़ स फोन करती रही जब एक महीन बाि चबल आया तो अब कमल की बारी थी

कमल न चफर एक बार फोन का चबल शान क सामन रखत हए क हा lsquoिखो शान तम हारा चबल रपय 2000- का आया ह क या तम फोन कम नही कर सकती मरा ऑचफस मझ मर फोन का चबल िगा तम हारा चबल तो मझ िना हlsquo

शान को अिमभा हआ और उसन कहा lsquoलचकन कमल यह तम हारा ही परस ताव था उस समय फोन करन क पसो की सीमा तमन तय नही की थी ऐसा नही िलगा पहल बता ित तो म नया नमबर लती ही नहीlsquo

शान न कमल को एक रास ता सझात हए कहा lsquoमरा पराना नमबर तो सबक पास ह एक काम करती ह ा अपन परान नमबर पर म फोन ररसीव करा गी और तम हार चिय नमबर स फोन कर चलया करा गीlsquo

कमल न अपनी खीझ को चछपात हए कहा िो नमबरो की क या ज़ररत ह बात तो व ही ढाक क तीन पातवाली रही नrsquo शान न इस बात को आग न बढ़ात हए िप रहना ही बहतर समझा

अब शान इस बात का ध यान रखन लगी थी चक कमल क सामन फोन न चकया जाय इस तरह अनजान म शान म चछपकर फोन करन की आित घर करती जा रही थी अब वह फोन करत समय घड़ी िखन लगी थी

वह समझ नही पा रही थी चक इस फोन क मदद को कस हल चकया जाय कमल का ध यान अक सर

शान क मोबाईल पर लगा रहता चक कब बजता ह और शान चकतनी िर बात करती ह

अब हालत यह हो गई थी चक मोबाईल क बजन पर शान आकरानत हो जाती थी और कमल क कान सतकि यचि वह कान म बाचलयाा भी पहन रही होती तो चकसी न चकसी बहान स कमल कमर म आत और इधर-उधर कछ ढाढ़त और ऐस िल जात चक मानो उन होन कछ िखा ही नही

शान को आश ियि होता चक कमल को यह क या होता जा रहा ह उनकी आाखो म वह शक क डोर िखन लगी थी शान सोिती चक जो ख़ि को शान का िोस त होन का िावा करता था लचकन अब वह धीर-धीर चटचपकल पचत क रप म तब िील होता जा रहा था मोबाईल जी का जञजाल बनता जा रहा था

शान को इस िह-चबल ली क खल म न तो मज़ा आ रहा था और न ही उसकी इस तरह क व यथि क कामो म कोई चिलिस पी थी शान शर स ही मस त तचबयत की लड़की रही ह

अपन जोक पर वह ख़ि ही हास लती ह सामनवाला हरान होता ह चक चजस जोक सनाया गया वह तो हासा ही नही अब इसम शान को क या िोष अग़र सामनवाल को जोक समझ ही नही आया उसकी टयबलाइट नही िमकी तो वह क या कर

तो इस मस त तचबयत की शान इस मोबाईल को लकर क यो मसीबत मोल ल कोई उसकी हासी क योकर छीन जो उस अपन मायक स चवरासत म चमली ह वह अपन मायक म बड़ी ह वह हमशा चडसीज़न मकर रही ह क या वह अपन मोबाईल क चवषय म चडसीज़न नही ल सकती

िसर महीन कमल न चफर शान को मोबाईल का चबल चिखाया यह चबल रपय 1500- का था कमल न कहा lsquoिखो शान इस महीन 500 रपय

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तो कम हए ऐस ही धीर-धीर और कम करो जज ािा स जज ािा रपय 600- का चबल आना िाचहयlsquo

अब शान की बारी थी वह बोली lsquoिखो कमल हम िोनो वचकि ग ह हमारी ज़ररत अलग-अलग ह और होनी भी िाचहय मरी हर ज़ररत तम हारी ज़ररत स बाध यह कोई ज़ररी नही ह हम लाईफ पाटिनर ह माचलक-सवक नहीlsquo

कमल न िश मा लगात हए कहा lsquoमन ऐसा कब कहा म तो चकफा यत की बात कर रहा ह ाlsquo शान न कहा lsquoयार चकतनी चकिायत करोग चकसीक बोलन-िालन पर बचनिश लगान का क या तक हrsquo और चफर म तो फोन का चबल ि रही थी कभी चकसीको रोका नही फोन करन स पढ़नवाल बच ि ह व भी फोन करत ह मझ तो तम हार ऑचफस स चमलनवाल मोबाईल की तमन ना भी नही थी तम हारा परस ताव थाlsquo

कमल न चबना चकसी परचतचकरया क अपन चिरपररचित ठणड स वर म कहा lsquoतम इतनी उत तचजत क यो हो जाती हो ठणड चिल स मरी बात पर सोिो चबना वज़ह फोन करना छोड़ िोlsquo

यह सनकर शान को अच छा नही लगा और बोल पड़ी lsquoहमशा वजह स ही फोन चकय जाय यह ज़ररी तो नहीlsquo कमल न कहा lsquoयही तो चिक कत ह सब अपन म मस त ह उल ट तम उनको चडस टबि करती होlsquo

शान न कछ कहना िाहा तो कमल न हाथ क इशार स रोकत हए कहा lsquoकई बार लोग नही िाहत चक उन ह बवज़ह फोन चकया जाय उनकी नज़रो म तम हारी इजज ज़त कम हो सकती हlsquo

शान न गस स स कहा lsquo बात को ग़लत चिशा म मत मोड़ो बात मोबाईल क चबल क भगतान की हो रही ह मर िोस तो म मझ जसा साहस ह यचि

व चडस टबि होत ह तो यह बात व मझस बखटक कह सकत ह उनक माह म पानी नही भरा हlsquo

कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoचकसकी कज़ा आई ह जो तमस य ह बात कहगा तम ह चकसी तरह झल लत ह तम ह चवश वास न हो तो आजमाकर िखो एक हतरत चकसीको फोन मत करो कोई तम हारा हाल नही पछगा तम तो मान न मान म तरा महमान वाली बात करती होlsquo

शान न कहा lsquoकमल तम मझ मर िोस तो क चखलाि नही कर सकत मझ पर इन बातो का कोई असर नही होता मर िोस तो स बात करन की समय सीमा तम क योकर तय करोrsquo कमल न चिढ़त हए कहा rsquoकभी मर ररश तिारो स भी बात की हrsquo इस पर शान न तपाक स कहा lsquoकब नही करती ज़रा बताओग वहाा भी तमको एतराज़ होता ह चक फलाा स बात क यो नही कीlsquo इस पर कमल ह ाह करक िप हो गय

शान अपनी रौ म बोलती गई lsquoकमल मझ अपन िोस त और सहचलयाा बहत चपरय ह व मर आड़ वक त मर साथ खड़ होत रह ह मरी िचनया म नात ररश तिारी क अलावा भी लोग शाचमल ह और व मर चिल क करीब ह उनक और मर बीि िरी लान की कोचशश मत करोlsquo

शान न कमल क कान क पास जाकर सरग़ोशी की lsquoतम ही बताओ क या तम मर कहन स अपन िोस तो को फोन करना छोड़ सकत हो नही न चफर सार ग़लत सही परयोग मझ पर ही क योrsquo

कमल न कहा lsquoतमन कभी सोिा ह चक तम हारी चमरता को लोग ग़लत रप म भी ल सकत ह कम स कम कछ तो ख़याल करोlsquo

अब तो शान का पारा सातव आसमान पर था बोली lsquoमन कभी चकसीकी चमरता पर कमणट चकया ह कछ िोस त तो खलआम िसर की बीचवयो क साथ चफल म िखत ह घमत ह उन ह

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कोई कछ नही कहता मर फोन करन मार पर इतना बखड़ाrsquo

कमल हरान थ शान की इस मखरता पर वह बोलती रही lsquoम अपन चमरो क साथ न तो घमती ह ा और न उनस चकसी तरह का फायिा उठाती ह ा इस बात को कान खोलकर सन लो मर जो भी चमर ह व पाररवाररक हlsquo

कमल न कछ कहन की कोचशश की तो शान न उस अनसना करत हए कहाrsquoऔर तम उनस बखटक बात करत हो जबचक अपन िोस तो क साथ तम िाहो तभी बात कर सकती ह ा कस मरी बात बीि म काटकर बात की चिशा बिल ित हो कभी ग़ौर चकया ह इस बात पर

कमल न मानो हचथयार डालत हए कहा lsquoमरी एक बात तो सनोlsquo शान न कहा lsquoनही आज तम मरी बात सनो तो हाा म कह रही थी चक मर चिल पर क या गजरती होगी जब सबक सामन तम ऐसा करत हो मन कभी कछ कहा तमसrsquo

िसरी बात मझ पररवार की मयाििा का परा खयाल ह मझ क या करना ह चकतना करना ह कब करना ह मझ पता ह और म अपन चमरो का ररप लसमट नही ढाढती और चफर कई चमर तो मर और तम हार कॉमन चमर ह lsquo

कमल को इस बात का अहसास नही था चक बात इतनी बढ़ जायगी उन होन शान का यह रौर रप कभी नही िखा था वह अपन चमरो क परचत इतनी समविनशील ह उन होन सोिा भी नही था कमल का मानना ह चक च जन िगी म चमर बिलत रहत ह इसस नई सोि चमलती ह

उन होन बात साभालत हए कहा lsquoिखो शान चडयर यह मरा मतलब कतई नही था चमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय म फोन करन क चलय इन कार नही करता पर हर िीज़ चलचमट म अच छी लगती हlsquo

शान ख़ि को बहत अपमाचनत महसस कर रही थी उसन तनककर कहा lsquoचमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय यह मझ पता ह पर परान िोस तो की िोस ती की जड़ो म छाछ नही डालना िाचहय म अपनी िोस ती म िाणक य की राजनीचत नही खल सकती जो ऐसा करत ह व च जन िगी म अकल रह जात हlsquo

कमल न कहा lsquoबात फोन क चबल क पमणट की हो रही थी तम भी बात को कहाा स कहाा ल गई तम इतना गस सा हो सकती हो मझ पता नही था समय पर म ही काम आऊा गाlsquo

शान को लगा चक मानो उस ितावनी िी जा रही ह वह कमल क इस व यवहार पर हरान थी कोई इनसान इतना कक यिलचटव कस हो सकता ह क या पसा इतना महत वपणि ह चक उसक सामन सबकछ नगण य ह

आज शान की सोि जस थमन का नाम ही नही ल रही थी क या िोस ती जस पाक़-साफ ररश त म बचनयो जसा गणा-भाग करना उचित ह परष मचहला स िोस ती चनभा सकता ह पर मचहला को परष चमरो स चमरता चनभान क चलय चकतन पापड़ बलन पड़त ह कमल की तो इतनी मचहला चमर ह शान न हमशा सबका आिर चकया ह घर बलाया ह

जो शाम शान घमन क चलय रखती ह व शाम उसन कमल क चमरो क चलय चडनर बनान म चबता िी ह क या कभी कमल न इस महसस करन की ज़ररत महसस की ह चक शान की अपनी भी च जन िगी ह उस भी अपनी च जन िगी जीन का परा अचधकार ह

अगर कमल अपन िोस तो क साथ खश रहत ह शान स उनक चलय महनत स चडनर बनवात ह तो चफर शान क चमरो को कमल सहज रप स

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क यो नही ल पात क या हर परष पत नी क मामल म ऐसा ही होता ह शान बड़ी असहज हो रही थी

उसका वश िलता तो उस चनगोड़ मोबाईल को चखड़की स बाहर फ ककर िर-िर कर डालती पर इसम कमल का चिया नमबर ह शान न ख़ि को सयत चकया उस कोई तो चनणिय लना था वह ग़लत बात क सामन हार माननवाली स री नही थी

उस याि ह चक इसी सि बोलन की आित क िलत उस अपन कॉलज का िस ट-स टडणटट क पिक स हाथ धोना पड़ा था यह िीगर बात थी चक उस पिक को पानवाली लड़की एक सप ताह बाि अपन परमी क साथ भाग गई थी और कॉलज की परािायाि पछतान क अलावा कछ नही कर पाई थी

अगल चिन शाम को कमल ऑचफस स आय और बोल lsquoशान मन तम हार मोबाईल का चबल भर चिया ह पर प लीज़ इस महीन ज़रा ध यान रखनाlsquo

शान न कछ नही कहा उसन तय कर चलया था चक उस मोबाईल परकरण म चनणिय लना ह कोई बहस नही करना ह और इस चवषय म बात करन क चलय रचववार सवोत तम चिन ह1

रचववार को सबह क नाश त क बाि शान न कहा lsquoकमल एक काम करो तम अपना यह नमबर वाचपस ल लो म इस नमबर क साथ ख़ि को सहज महसस नही कर रहीlsquo

कमल न कहा lsquoक या परॉब लम ह मन चबल भर चिया हlsquo कमल को शान की यह आित पता ह चक सामान य तौर पर वह चकसी भी बात को चिल स नही लगाती ह वह lsquoरात गई बात गईrsquo वाली कहावत म चवश वास रखती ह तो अब अिानक क या हो गया

शान न कहा lsquoबात चबल भरन की नही ह मझ

पोस टपड की आित नही ह और चफर इसम अन िाज़ा नही रहता और चबल जज ािा हो जाता ह मझ परीपड जज ािा सट करता ह उसम मझ पता रहता ह चक चकतना खिि हो गया ह और म अपनी जब क अनसार खिि कर पाती ह ाlsquo

शान न अपरत यकष रप स अपन फोन का चहसाब रखन का अचधकार कमल को िन स इन कार कर चिया था शान न मोबाईल स चसम काडि चनकाला और कमल को थमा चिया उसन अपना परानावाला चसम काडि मोबाईल म डाला

बहत चिनो बाि शान न ख़ि को शीश म िखा इस मोबाईल न उसक िहर को चनस तज कर चिया था आाखो क नीि काल घर बन गय थ कपड़ भी कस पहनन लगी थी वह उसन ख़ि को चफर स मस त तचबयत की और हरिनमौला बनान का चनणिय चलया और इसक साथ ही उसक होठो पर जो बाल-सलभ मस कान आई वह स वय ही उस पर बचलहारी हो रही थी मध अरोड़ा ममबई 9833959216

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वयिगय माइकरो सटायर

पीएम मनमोहन चसह न िावा चकया ह चक एक हजार बार स जजयािा वह चपछल िस सालो म बोल ह उनक बोलन की ररकाचडिगस िक की गयी

ह- 1100 बार वह कल बोल 1000 बार तो वह यह बोल पाय-ओय कोई तो मरी गलल सण लो ओय बाकी 100 बार वह बोल-ओय मरी बात समझ नी आयी कोई गलल नी राहलजी स पछछ लणा

गङगा साफ करन की पररयोजनाओ म खरबो खाय गय जमना साफ करन की पररयोजनाओ म अरबो खाय गय कछ-कछ समझ म आता ह चक गङगा-जमनी कलिर तमाम पाचलचटकल पाचटियो को बहत चपरय कयो ह

परधानमनरी पि क उममीिवार नर र मोिी का चवरोध करनवालो को लोकसभा िनाव क बाि पाचकसतान जाना पड़गा इस बयान स राबटि वाडरा भी िहशत म आय कयोचक वाडरा क पविज पाचकसतान सयालकोट स आय थ

राहल गााधी न समझाया -जीजाजी ऐसा नही चजसकी पास थोड़ी सी जमीन भी ह इचणडया म उस इचणडयन माना जायगा

राबटि वाडरा क िहर पर मसकान लौट आयी ह-जमीन तो जहाा कहोग वहाा चिखा िागा-कनयाकमारी क समनिर स लकर एवरसट तक की रचजसरी अपन नाम ह दवाररका गजरात समनिर की रचजसरी स लकर पर अरणािल की जमीन अपन कबज म चिखा सकता ह ा

राहल न समझाया-ना थोड़ी जमीन ही बताना अरणािल की जमीन तमहार पास ह यह बात िीन को अगर पता लग गयी तो वह भारत सरकार स नही तमस ही बात करन लगगा जमीन चववाि सलझान को

एक िटकी चसनिर की कीमत तम कया जानो रमश बाब जानता ह ा बहत सही तरह स जानता ह ा कोई एक िटकी चसनिर भरकर अब तक 350 करोड़ रपय कमा िका ह और चपकिर अभी बाकी ह िोसत राजश खनना का जमाना गया अब राबटि वाडरा का आ गया

राबटि वाडरा क घर म धन की िवी लकषमीजी को माा क तौर पर नही पजा जाता लकषमीजी को सास-माा क तौर पर पजा जाता ह

चिचगवजय चसह न पछा - बताओ बताओ राबटि वाडरा न कौन सा कानन तोड़ा राबटि वाडरा सनकर हास रह ह- नानसनस म खि कानन ह ा मझ कौन तोड़गा कचपल चसबबल न आरोप लगाया चक सीबीआई न गजरात फजी एनकाउणटर म मोिी को ढ़ग स घर म नही चलया लो िस साल सरकार काङगरस की रही सीबीआई स जरा सा काम ना करवा पाय

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राहल गााधी न चसबबल को डााटा- ऐसी ही बातो स तो यह आरोप पकका होता ह चक काङगरस सरकार िस सालो म कतई चनकममी रही

अचखलश यािव न कहा चक िाल ह भाजपा क लोग समाजवािी पाटी क लोग िाल नही ह यह सनकर अमर चसह न कहा ह- मरी याि मरी कमी इतन चिनो बाि महसस की िलो ठीक ह पर अब म समाजवािी पाटी क चलए कछ ना करा गा हारा गा भी नही इस सवाथी िचनया म चकसी क चलए हारन स बहतर ह चक म खि अपन चलए हारा लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन ही पिा चकया ह नारायण ितत चतवारी न जोरिार बधाई िी ह लालजी को यह कहत हए चक अकल हम ही नही ह जो बढ़ाप म बाप बन रह ह लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन पिा चकया सबस जजयािा चवरोध उनक आठ बचिो न जताया ह यह कहत हए चक पापा आठ बचिो का ताना झल-झलकर ही पक गय अब एक और जोड़ चलय ह राबड़ी िवी न अलग डााटा ह-लालजी कईसा बात करत ह ऊ चनतीशवा हमको मममी कहगा तो हमको कईसा फील होगा

मोिी की हवा नही िल रही ह यह बात तमाम नयज िनलो पर तरह-तरह क चवदवानो न चिन भर म करीब 40 बार कही मोिी की हवा िल रही ह यह बात बीजपी क परविाओ न नयज िनलो

पर कल सात बार कही िालीस बार मोिी का नाम उधर स सात बार मोिी का नाम इधर स मोिी की हवा असल म बना कौन रहा ह ब िनाव क आग बढ़न पर काङगरस न नर र मोिी क चखलाफ मनमोहन चसह को उतारन की सोिी ह नरनर मोिी क नमो फोन क मकाबल ममो फोन उतारन का पलान हआ इञजीचनयरो न फोन चडजाइन भी कर चलया ह बस एक पराबलम नही चनपट पा रही ह

ममो फोन नामिल तरीक स काम नही करता इसम साइलणट मोड एचकटव करो तब ही फोन पर बात समभव हो पाती ह साइलणट मोड पर ही एचकटव य बात हर कसटमर को समझान म तो कई साल लग जायग

कया चकया जाय इस सवाल क जवाब म मनमोहन चसह साइलणट मोड म िल गय ह

आलोक पराचणक 9810018799

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अर शरी गिशाय नमः ndash शरद जोशी

अथ शरी गणशाय नम बात गणश जी स शर की जाए वह धीर-धीर िह तक पहाि जाएगी या िह स आरमभ कर और वह शरी गणश तक पहाि या पढ़न-चलखन की ििाि

की जाए शरी गणश जञान और बचदध क िवता ह इस कारण सिव अलपमत म रहत होग पर ह तो िवता सबस पहल व ही पज जात ह आचख़र म व ही पानी म उतार जात ह पढ़न-चलखन की ििाि को छोड़ आप शरी गणश की कथा पर आ सकत ह

चवषय कया ह िहा या शरी गणश भई इस िश म कल चमलाकर चवषय एक ही होता ह - ग़रीबी सार चवषय उसी स जनम लत ह कचवता कर लो या उपनयास बात वही होगी ग़रीबी हटान की बात करन वाल बात कहत रह पर यह न सोिा चक ग़रीबी हट गई तो लखक चलखग चकस चवषय पर उनह लगा य साचहतय वाल लोग ग़रीबी हटाओ क चख़लाि ह तो इस पर उतर आए चक िलो साचहतय हटाओ

वह नही हट सकता शरी गणश स िाल हआ ह व ही उसक आचि िवता ह ऋचदध-चसचदध आसपास रहती ह बीि म लखन का काम िलता ह िहा परो क पास बठा रहता ह रिना ख़राब हई चक गणश जी महाराज उस िह को ि ित ह ल भई कतर खा पर ऐसा पराय नही होता चनज कचवतत क फीका न लगन का चनयम गणश जी पर भी उतना ही लाग होता ह िहा परशान रहता ह महाराज कछ खान को िीचजए गणश जी साड पर हाथ फर गभीरता स कहत ह लखक क पररवार क सिसय होखान-पीन की बात मत चकया करो भख रहना सीखो बड़ा ऊा िा मज़ाक-बोध ह शरी गणश जी का (अचछ लखको म रहता ह) िहा सन मसकराता ह जानता ह गणश जी डायचटग पर भरोसा नही करत तबीयत स खात

ह चलखत ह अब चनरनतर बठ चलखत रहन स शरीर म भरीपन तो आ ही जाता ह

िह को साचहतय स कया करना उस िाचहए अनाज क िान कतर खश रह सामानय जन की आवशयकता उसकी आवशयकता ह खान पट भरन को हर गणश-भि को िाचहए भख भजन न होई गणशा या जो भी हो साचहतय स पसा कमान का घनघोर चवरोध व ही करत ह चजनकी लकिररचशप पककी हो गई और वतन नए बढ़ हए गरड़ म चमल रहा ह जो अिसर ह चजनह पशन की सचवधा ह व साचहतय म कराचनत-कराचनत की उछाल भरत रहत ह िहा असल गणश-भि ह

राषटरीय दचिकोण स सोचिए पता ह आपको िहो क कारण िश का चकतना अनाज बरबाि होता ह िहा शर ह िश क गोिामो म घसा िोर ह हमार उतपािन का एक बड़ा परचतशत िहो क पट म िला जाता ह िह स अनाज की रकषा हमारी राषटरीय समसया ह कभी चविार चकया अपन इस पर बड़ गणश-भि बनत ह

चविार चकया यो ही गणश-भि नही बन गए समसया पर चविार करना हमारा पराना मज़ि ह हा-हा-हा ज़रा सचनए

आपको पता ह िान-िान पर खान वाल का नाम चलखा रहता ह यह बात चसिि अनार और पपीत को लकर ही सही नही ह अनाज क छोट-छोट िान को लकर भी सही ह हर िान पर नाम चलखा रहता ह खान वाल का कछ िर पहल जो परााठा मन अिार स लगाकर खाया था उस पर जगह-जगह शरि जोशी चलखा हआ था छोटा-मोटा काम नही ह इतन िानो पर नाम चलखना यह काम कौन कर सकता हगणश जी और कौन व ही चलख सकत ह और चकसी क बस का नही ह यह काम पररशरम लगन और नयाय की ज़ररत होती ह साचहतय वालो को यह काम

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सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

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म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 2: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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समपादकीय

परणाम अपरल का महीना चिलचिलाती धप और िनावो की सरगचमियाा अपरल महीन का एक भी चिन ऐसा नही गया जब चिल-चिमाग़ को ठणडक महसस हई हो खला हआ रहसय यह ह चक आज चहनिसतान की

हालत ग़रीब की जोर सार गााव की भौजाई जसी ह घर क अनिर रोज़-रोज़ की पञिायत ह पास-पड़ौस वाल जब-तब आाख तररत रहत ह मयाििा जस शबि को तो भल ही गय हो जस अनतराषटरीय सतर पर भी जब-तब चमटटी पलीि होती रहती ह ऐस म एक िमिार नततव की सख़त ज़ररत ह इन पचियो क चलख जान तक मोिी स बहतर चवकलप चिखाई पड़ नही रहा अगर कोई और चवकलप होता तो हम अवशय ही उस चकरिार क बार म बात करत लचकन हम हरचगज़ इस मगालत म नही रहना िाचहय चक चिरङचगयो क यहाा चगरवी रख हय िश का परधानमनरी बनना मोिी क चलय कोई बहत बड़ी ख़शी का सबब होगा बहरहाल लोकतनर क उजजजजवल भचवषटय की मङगल-कामनाएा

हम िाहत ह चक हमार नौजवान खब चिल लगा कर पढ़ अचछ नमबरो स पास हो और अचछ काम-धनध स लग मगर हम करत कया ह [1] खब चिल लगा कर पढ़ - िौबीस घणट उन क इिि-चगिि हम न इतन सार ढ़ोल बजवा रख ह चक चिल लगा कर तो लहिी [खडड] म गया

सामानय रप स पढ़ना भी िभर ह [2] अचछ नमबरो स पास हो - इस चवपरीत वातावरण म भी कछ बचि अपरतयाचशत पररणाम ल आत ह मगर अिसोस CET म 99 परसणटाइल लान क बावजि उनह टॉप म पाािवी रङक वाला कॉलज चमलता ह हालााचक उसी कॉलज म उन क साथ 50 परसणटाइल वाल बचि भी पढ़त हय चमल जाएा तो आशचयि नही कया सोित होग य बचि - ऐसी चसथचत म कया हम उनह अराजक नही बना रह [3] अचछ काम-धनध स लग - अचछा काम-धनधा कौन सा काम-धनधा अचछा रह गया ह भाई इनडायरकटली हम अपन यथ को चनयाित होन ि रह ह

कया आप न कभी अनिाज़ा लगाया ह चक हमार नौजवानो की गाढ़ी महनत की कमाई का एक बड़ा चहससा गजटस खाय जा रह ह औसत नौजवान साल म कम स कम एक बार सलफोन बिल लता ह इस बिलाव पर आन वाला खिि अममन 10000 होता ह टबस या उस जसी नयी तकनीक को खरीिन पर भी अममन िस हज़ार का ख़िाि पकका समझ इन

टोटको को पाल रखन क चलय िकाया जान वाला चकराया-भाड़ा भी अममन िस हज़ार स कम कया इस नय शौक़ क साथ एक पर एक फरी की तरह आन वाल लभावन ख़िील ओिसि भी महीन म 2-3 हज़ार याचन साल म 30-40 हज़ार उड़ा ही लत ह नौजवानो की पोकटस स कल चमला कर बहत चज़यािा नही तो भी परतयकष या अपरतयकष रप स 50 हज़ार तो होम हो ही जात होग औसत नौजवान की एक साल की औसत कमाई [जी हाा कमाई - लोन िमपी या उठाईचगरी नही] शायि तीन लाख नही ह यचि यह आाकड़ सही ह तो बनिा अपनी िो महीन की कमाई उड़ाय जा रहा ह बिायगा कया नही बिायगा तो आन वाल बर वक़त स ख़ि को कस बिायगा कभी-कभी लगता ह चक एक सोिी-समझी रणनीचत क तहत इस पीढ़ी को खोखला चकया जा रहा ह ईशवर कर चक मरा यह सोिना ग़लत हो

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चवदवतजन अचछ साचहतय को अचधकतम लोगो तक पहािान क परयास क अनतगित साचहतयम का अगला अङक आप क समकष ह उममीि ह यह शशव-परयास आप को पसनि आयगा चहनिसतानी साचहतय क गौरव - पचणडत नरनर शमाि जी क गीत सङगीतकार-शायर नौशाि अली बरजभाषा क मधिनय कचव शरी गोचवि कचव कछ ही साल पहल क चसदध-हसत रिनाधमी गोपाल नपाली जी गोपाल परसाि वयास जी क साथ तमाम नय-परान रिनाधचमियो की रिनाएा इस अङक की शोभा बढ़ा रही ह इस अङक म आप को एक डबल रोल भी चमलगा भाई साचलम शजा अनसारी जी अबबा-जान क नाम स भी शायरी करत ह अबबा-जान एक बड़ा ही अनोखा चकरिार ह आप को इस चकरिार म अपन गली-महलल क बड़-बजगो क िशिन होग सब स सब की खरी-खरी कहन वाला चकरिार ऐसा चकरिार चजस क माह स सि सन कर भी चकसी को बरा न लग बचलक अधरो पर हलकी मसकराहट आ जाय और भी बहत कछ ह पचढ़यगा अनय पररचित साचहतय-रचसको को भी जोचड़एगा और आप क बहमलय चविारो स अवशय ही अवगत कराइयगा आप की राय चबना सङकोि क पोसट क नीि क कमणट बॉकस म ही चलखन की कपा कर

आपका अपना नवीन सी ितविी

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अनकरमाहिका किानी फोन का चबल - मध अरोड़ा वयिगय माइकरो सटायर - आलोक पराचणक अथ शरी गनशाय नमः - शरि जोशी म िश िलाना जाना र - अचवनाश वािसपचत रिना वही जो फॉलोवर मन भाय - कमलश पाणडय कहवता नज़म चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह - गोपाल परसाि नपाली खनी हसताकषर - गोपाल परसाि वयास वकष की चनयचत - तारितत चनचविरोध तीन कचवताएा - आलम खशीि

अजीब मञज़र-चिलकश ह मलक़ क अनिर - अबबा जान सार चसकनिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह - गीत ितविी आमनरण - चजतनर जौहर िढ़ता-उतरता पयार - मकश कमार चसनहा हम भल और हमारी पञिायत भली - नवीन

िाइक हाइक - सशीला शयोराण लघ-करा परसाि - पराण शमाि छनद अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर - गोचवनि कचव

तरा जलना और ह मरा जलना और - अनसर क़मबरी जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय - धमनर कमार सजजजन 3 छपपय छनि - कमार गौरव अजीतनि हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव - नवीन

गीत-नवगीत जजयोचत कलश छलक - पचणडत नरनर शमाि

गङगा बहती हो कया - पचणडत नरनर शमाि आज क चबछड़ न जान कब चमलग - पचणडत नरनर शमाि जय-जयचत भारत-भारती - पचणडत नरनर शमाि हर चलया कयो शशव नािान - पचणडत नरनर शमाि भर जङगल क बीिोबीि - पचणडत नरनर शमाि मध क चिन मर गय बीत - पचणडत नरनर शमाि

ग़ज़ल न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता - नौशाि अली

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया - रऊि रज़ा

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िनि अशआर - िरहत अहसास तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़ - तिल ितविी चसतारा एक भी बाकी बिा कया - मयङक अवसथी िोट पर उस न चफर लगाई िोट - साचलम शजा अनसारी उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ - िौज़ान अहमि जब सरज िदद नचियाा पी जात ह - नवीन मर मौला की इबाित क सबब पहािा ह - नवीन

आञचाहलक गजल िो पञजाबी गजल - चशव कमार बटालवी गजराती गजल - सञज वाला अनय साचहतयकार चरलोक चसह ठकरला को सममान समीकषा - शाकनतलम - एक कालजयी कचत का अनश ndash पचणडत सागर चरपाठी

किानी

फोन का हिल - मध अरोड़ा

शान को आज तक समझ म नही आया चक फोन का चबल िखकर कमल की पशानी पर बल क यो पड़ जात ह सबह-शाम कछ नही िखत शान क मड की परवाह

नही उन ह बस अपनी बात कहन स मतलब ह शान का मड खराब होता ह तो होता रह

आज भी तो सबह की ही बात ह शान िाय ही बना रही थी चक कमल न टलीफोन का चबल शान को चिखात हए पछा lsquoशान यह सब क या हrsquo

शान न बालो म चकलप लगात हए कहा lsquoशायि टलीफोन का चबल ह क या हआrsquo कमल न झाझलात हए कहा lsquoयह तो मझ पता ह और चिख भी रहा ह पर चकतन हज़ार रपयो का ह सनोगी तो चिन म तार नज़र आन लगगlsquo

शान न माहौल को हल का बनात हए कहा lsquoवाह कमल चकतना अजबा होगा न चक तार तो रात को चिखाई ित ह चिन म चिखाई िग तो अपन तो चटकट लगा िग अपन घर म चिन म तार चिखान कlsquo

कमल बोल lsquoमज़ाक छोड़ो पर पााि हज़ार का चबल आया ह फोन का इतना चबल हर महीन भर ग तो िाक करन पड़ग एक चिनlsquo

शान न कहा lsquoबात तो सही ह तम हारी कमल पर जब फोन करत ह न तो समय हवा की तरह उड़ता िला जाता ह पता ही नही िलता चक चकतन चमनट बात कीlsquo कमल न कहा lsquoबात सचकषप त तो की जा सकती हlsquo

उसन कहा lsquoकमल फोन पर सचकषप त बात तक तो तम ठीक हो पर एक बात बताओ बात

एकतरफा तो नही होती न चसिि अपनी बात कहकर तो फोन बन ि नही चकया जा सकता सामनवाल की भी बात उतन ही ध यान स सनना होता ह चजतन ध यान स उस बन ि न सनी हlsquo

कमल न कहा lsquoतम हार कल चमलाकर वही चगन-िन वही िार िोस त और सहचलयाा ह रोज़ उन ही लोगो स बात करक चिल नही भरता तम हाराrsquo

शान न नाराज़गी ज़ाचहर करत हए कहा lsquoक या मतलब क या रोज़ िोस त बिल जात ह अर कमल भाई िोस तससहली तो िो-िार ही होत हlsquo कमल न कहा lsquoतम हारी तो हर बात न यारी ह लचकन म एक बात कह िता ह ा चक अगल महीन इतना चबल नही आना िाचहयlsquo कहकर कमल तज़ तज किमो स अपन कमर म िल गय

शान सधी हई िाल स धीर-धीर कमल क कमर म गई कमल अपन ऑचफस क मोबाईल स चकसीस बात कर रह थ शान इनतज़ार करती रही चक कब कमल मोबाईल पर बात करना बन ि कर और वह अपनी बात कह

शान कभी खाली नही बठ सकती और इनतज़ार उस चकसी सज़ा स कम नही लगता सो वह वॉचशग मशीन म कपड़ डालन का काम करन लगी

िस चमनट बाि कमल फोन स फाररग़ हए और शान स बोल lsquo कछ काम ह मझस या खड़ी-खड़ी मरी बात सन रही थीlsquo

शान न कहा lsquoयार तम हारी बात सनन लायक होती ह क या वही लन-िन की बात या कहानी की बात िलाा कहानी अच छी ह तो क यो और अच छी नही ह तो क योlsquo इस पर कमल न कहा lsquoबन िर क या जान अिरख़ का स वािlsquo इस पर शान न कहा lsquoम तो यह कहन आई थी चक टलीफोन का चबल तो म िती ह ा तम परशान

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क यो हो रह हो चजतन का भी चबल आयगा वह िना मरी च जम मिारी ह और अभी तक तो म ही ि रही ह ाlsquo

कमल न कहा lsquoिखो म चजस पोजीशन का ऑचफसर ह ा उसम मर घर क फोन का चबल मरा ऑचफस भरगा पर उसकी सीमा ह तो तम उस सीमा तक ही बात करो फोन पर ताचक जब स कछ खिि न करना पड़lsquo

शान न कहा lsquoयह तो कोई लॉचजक की बात नही हई हर जगह पसा क यो आ जाता ह बीि म कभी चिल क सकन की भी बात चकया करो च जन िगी म पसा ही सबकछ नही हlsquo

इस पर कमल बोल lsquoपस की कर करना सीखो रत की माचननि कब हाथ स चफसल जायगा पता भी नही िलगाlsquo रोज़-रोज़ फोन करक परम और स नह जज ािा नही हो जाताlsquo इस पर शान न कनध उिकात हए कहा lsquoभई िखो म तो जब फोन करा गी जी भरकर बात करा गी तम हारा ऑचफस चबल भर या न भरlsquo

कमल न चिढ़कर कहा lsquoयान तम हार सधरन का कोई िानस नही हrsquo शान न कहा lsquoम चबगड़ी ही कब ह ा जो सधरन का िानस ढाढा जायमन कभी रोका ह तमको चकसीस बात करन क चलय

lsquoिखो शान मर ऑचफचशयल फोन होत ह उनम ही म अपन चनजी फोन भी कर लता ह ा तम हारी तरह हमशा फोन स चिपका नही रहताlsquo कमल न उलाहनभर स वर म कहा

शान न अागड़ाई लत हए कहा lsquoमझ अपन िोस तो स भाई-बहनो स फोन पर बात करना अच छा लगता ह िर स भी चकतनी साि आवाज़ आती ह लगता ह चक पास स ही फोन कर रह हो आई लव इटlsquo

कमल होठो ही होठो म कछ बोलत हए आाख बन ि कर लत ह शान हासत हए कहती ह यार हम िोनो कमात ह अग़र आधा-आधा भी अमाउणट ि तो पााि हज़ार का चबल भर सकत ह तम भी अपन िोस तो स बात करो और म भी क यो मन को मारत होrsquo

शान न बात को आग बढ़ात हए कहा lsquoिखो तम तो चफर भी ऑचफचशयल टर म अपन लोगो स भाई बहनो स चमल आत हो मरा तो ऐसा भी कोई िक कर नही हrsquo

कमल न एक आाख खोलत हए कहा lsquoतम मझ िाह चकतना ही पटान की कोचशश करो म न तो पटनवाला ह ा इस फोन क मामल म और न ही एक भी पसा िनवाला ह ा य तम हार फोन का चबल ह तम जानो और तम हारा काम मरा काम ऑचफस क मोबाईल स हो जाता हlsquo

शान न कहा lsquoमरा ऑचफस तो चसिि एक हज़ार िता ह उसस क या होगा म तो इस पिड़ म पड़ती ही नही चकसीकी महरबानी नही िाचहय चफर फोन जसी तच छ िीज़ क चलय तमको क यो पटाऊा गी भलाrsquo इस पर कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoतम बहस बहत करती हो अपनी ग़लती मान लो तो कछ चबगड़ जायगा क याrsquo

अब शान भी चिढ़ गई और बोली lsquoफोन का वह चबल तम हारा ऑचफस िगा तम नही लचकन चिन ता नको चिक-चिक भी नही म अपन फोन का चबल अपन नोटो स ि सकती ह ाlsquo

यह बात सनत ही कमल न अपनी खली आाख चफर स बन ि कर ली शान तसल ली स सब काटन िली गई अपनी बात कहकर वह हल की हो गई थी क यो उन बातो को ढोया जाय जो ब लडपरशर हाई कर

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शान क ऑचफस क डॉक टर भी शान क इस नॉमिल ब लडपरशर पर आश ियि करत ह एक चिन डॉक टर न कहा भी lsquoशानजी आप इतनी खश कस रह लती ह यहाा तो जो भी आता ह उस या तो हाईपर टशन होता ह शगर बढा हआ वज़नlsquo

शान न परश नवािक आाखो स डॉक टर को िखा तो डॉक टर न कहा lsquoमरा मतलब ह चक आप अभी तक चफट कस ह यहाा तक चक म डॉक टर ह ा मझ हाई ब लड परशर ह रोज़ िवा लता ह ाlsquo

शान न हासत हए कहा lsquoमरा काम ह टनशन िना िचखय सीधी सी बात ह चजस बात पर मरा वश नही होता म सोिती ही नही जो होना ह वह तो होना ही हlsquo

शान न अपन पहल को बिलत हए कहा lsquoअब यचि म िाह ा चक मर पचत फलाा स बात न कर पर यचि उनको करना ह तो व कर ग ही िाह चछपकर कर या सामन कर तो क यो अपना चिमाग़ खराब करनाrsquo

डॉक टर न कहा lsquoकमाल ह आप च जन िगी को इतन हल क रप म लती ह य आर गरटlsquo शान न कहा lsquoऔर नही तो क या म क यो चिल जलाऊा मर चिल क जलन स सामन वाल को फक़ि पड़ना िाचहयlsquo

डॉक टर न हासत हए कहा काश सब आप जसा सोि पातlsquo शान न भी हासत हए कहा lsquoसब सवतनर िश क सवतनर लोग ह मन चकसीका कोई ठका तो ल नही रखाlsquo

डॉक टर भी मरी बात सनकर हास और बोल lsquoएक हि तक आप ठीक कहती ह पचत पत नी भी एक-िसर क िौकीिार तो नही ह न यह ररश ता तो आपसी समझिारी और चवश वास का ररश ता हlsquo

इस पर शान न कहा lsquoयचि चकसी काम क चलय चिल गवाही िता ह तो ज़रर करना िाचहय

लचकन एक िसर को भलाव म नही रखना िाचहयlsquo

डॉक टर न कहा lsquoआज आपस बात करक बहत अच छा लगा मझ लगा ही नही चक म मरीज़ स बात कर रहा ह ाlsquo अर शान भी चकन बातो म खो गई बड़ी ज़ल िी अपन म खो जाती ह

आज कमल बड़ अच छ मड म ह ितरतर स आय ह शान न िाय बनाई और िोनो न अपन-अपन प याल हाथ म ल चलय

यह शान का शािी क बाि स चनयम ह चक वह और कमल सबह और शाम की िाय घर म साथ-साथ पीत ह िाह िोनो म झगड़ा हो अनबोलािाली हो पर िाय साथ म चपयग

कमल न कहा lsquo िखो शान एक काम करत ह मर ऑचफस क चलय मोबाईलवालो न एक स कीम चनकाली ह उसक तहत पत नी क चलय मोबाईल फरी हlsquo यह सनकर शान क कान खड़ हो गय वह बोली यह मोबाईल कमपनी का क या नया फणडा हrsquo lsquoपहल परी बात सन लो हाा तो म कह रहा था चक मरा तो पोस टपड ह तम यह नया नमबर ल लो इसका जो भी चबल आयगा म िका िागाlsquo कमल न शान का हाथ अपन हाथ म लत हए कहा

अपनी बात पर परचतचकरया न होत िखकर आग बोल lsquoलण डलाईन नमबर कटवा िग हम िोनो क पास मोबाईल ह ही बच िो क साथ कॉन फरचनसग सचवधा ल लग चकफायत म सब काम हो जाया करगा फोन का चबल भी नही भरना पड़गाlsquo

पता नही शान भी चकस मड म थी उसन हामी भर िी कमल न भी शान को सकण ड थॉट का मौका चिय चबना िसर ही चिन नया नमबर लाकर ि चिया अब कमल आश वस त हो गय थ चक शान

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क फोनो का उनक पास चहसाब रहगा चबल जो उनक नाम आयगा

शान को सपन म भी ग़मान नही था चक उसक फोनो का चहसाब रखा जायगा वह मज़ स फोन करती रही जब एक महीन बाि चबल आया तो अब कमल की बारी थी

कमल न चफर एक बार फोन का चबल शान क सामन रखत हए क हा lsquoिखो शान तम हारा चबल रपय 2000- का आया ह क या तम फोन कम नही कर सकती मरा ऑचफस मझ मर फोन का चबल िगा तम हारा चबल तो मझ िना हlsquo

शान को अिमभा हआ और उसन कहा lsquoलचकन कमल यह तम हारा ही परस ताव था उस समय फोन करन क पसो की सीमा तमन तय नही की थी ऐसा नही िलगा पहल बता ित तो म नया नमबर लती ही नहीlsquo

शान न कमल को एक रास ता सझात हए कहा lsquoमरा पराना नमबर तो सबक पास ह एक काम करती ह ा अपन परान नमबर पर म फोन ररसीव करा गी और तम हार चिय नमबर स फोन कर चलया करा गीlsquo

कमल न अपनी खीझ को चछपात हए कहा िो नमबरो की क या ज़ररत ह बात तो व ही ढाक क तीन पातवाली रही नrsquo शान न इस बात को आग न बढ़ात हए िप रहना ही बहतर समझा

अब शान इस बात का ध यान रखन लगी थी चक कमल क सामन फोन न चकया जाय इस तरह अनजान म शान म चछपकर फोन करन की आित घर करती जा रही थी अब वह फोन करत समय घड़ी िखन लगी थी

वह समझ नही पा रही थी चक इस फोन क मदद को कस हल चकया जाय कमल का ध यान अक सर

शान क मोबाईल पर लगा रहता चक कब बजता ह और शान चकतनी िर बात करती ह

अब हालत यह हो गई थी चक मोबाईल क बजन पर शान आकरानत हो जाती थी और कमल क कान सतकि यचि वह कान म बाचलयाा भी पहन रही होती तो चकसी न चकसी बहान स कमल कमर म आत और इधर-उधर कछ ढाढ़त और ऐस िल जात चक मानो उन होन कछ िखा ही नही

शान को आश ियि होता चक कमल को यह क या होता जा रहा ह उनकी आाखो म वह शक क डोर िखन लगी थी शान सोिती चक जो ख़ि को शान का िोस त होन का िावा करता था लचकन अब वह धीर-धीर चटचपकल पचत क रप म तब िील होता जा रहा था मोबाईल जी का जञजाल बनता जा रहा था

शान को इस िह-चबल ली क खल म न तो मज़ा आ रहा था और न ही उसकी इस तरह क व यथि क कामो म कोई चिलिस पी थी शान शर स ही मस त तचबयत की लड़की रही ह

अपन जोक पर वह ख़ि ही हास लती ह सामनवाला हरान होता ह चक चजस जोक सनाया गया वह तो हासा ही नही अब इसम शान को क या िोष अग़र सामनवाल को जोक समझ ही नही आया उसकी टयबलाइट नही िमकी तो वह क या कर

तो इस मस त तचबयत की शान इस मोबाईल को लकर क यो मसीबत मोल ल कोई उसकी हासी क योकर छीन जो उस अपन मायक स चवरासत म चमली ह वह अपन मायक म बड़ी ह वह हमशा चडसीज़न मकर रही ह क या वह अपन मोबाईल क चवषय म चडसीज़न नही ल सकती

िसर महीन कमल न चफर शान को मोबाईल का चबल चिखाया यह चबल रपय 1500- का था कमल न कहा lsquoिखो शान इस महीन 500 रपय

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तो कम हए ऐस ही धीर-धीर और कम करो जज ािा स जज ािा रपय 600- का चबल आना िाचहयlsquo

अब शान की बारी थी वह बोली lsquoिखो कमल हम िोनो वचकि ग ह हमारी ज़ररत अलग-अलग ह और होनी भी िाचहय मरी हर ज़ररत तम हारी ज़ररत स बाध यह कोई ज़ररी नही ह हम लाईफ पाटिनर ह माचलक-सवक नहीlsquo

कमल न िश मा लगात हए कहा lsquoमन ऐसा कब कहा म तो चकफा यत की बात कर रहा ह ाlsquo शान न कहा lsquoयार चकतनी चकिायत करोग चकसीक बोलन-िालन पर बचनिश लगान का क या तक हrsquo और चफर म तो फोन का चबल ि रही थी कभी चकसीको रोका नही फोन करन स पढ़नवाल बच ि ह व भी फोन करत ह मझ तो तम हार ऑचफस स चमलनवाल मोबाईल की तमन ना भी नही थी तम हारा परस ताव थाlsquo

कमल न चबना चकसी परचतचकरया क अपन चिरपररचित ठणड स वर म कहा lsquoतम इतनी उत तचजत क यो हो जाती हो ठणड चिल स मरी बात पर सोिो चबना वज़ह फोन करना छोड़ िोlsquo

यह सनकर शान को अच छा नही लगा और बोल पड़ी lsquoहमशा वजह स ही फोन चकय जाय यह ज़ररी तो नहीlsquo कमल न कहा lsquoयही तो चिक कत ह सब अपन म मस त ह उल ट तम उनको चडस टबि करती होlsquo

शान न कछ कहना िाहा तो कमल न हाथ क इशार स रोकत हए कहा lsquoकई बार लोग नही िाहत चक उन ह बवज़ह फोन चकया जाय उनकी नज़रो म तम हारी इजज ज़त कम हो सकती हlsquo

शान न गस स स कहा lsquo बात को ग़लत चिशा म मत मोड़ो बात मोबाईल क चबल क भगतान की हो रही ह मर िोस तो म मझ जसा साहस ह यचि

व चडस टबि होत ह तो यह बात व मझस बखटक कह सकत ह उनक माह म पानी नही भरा हlsquo

कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoचकसकी कज़ा आई ह जो तमस य ह बात कहगा तम ह चकसी तरह झल लत ह तम ह चवश वास न हो तो आजमाकर िखो एक हतरत चकसीको फोन मत करो कोई तम हारा हाल नही पछगा तम तो मान न मान म तरा महमान वाली बात करती होlsquo

शान न कहा lsquoकमल तम मझ मर िोस तो क चखलाि नही कर सकत मझ पर इन बातो का कोई असर नही होता मर िोस तो स बात करन की समय सीमा तम क योकर तय करोrsquo कमल न चिढ़त हए कहा rsquoकभी मर ररश तिारो स भी बात की हrsquo इस पर शान न तपाक स कहा lsquoकब नही करती ज़रा बताओग वहाा भी तमको एतराज़ होता ह चक फलाा स बात क यो नही कीlsquo इस पर कमल ह ाह करक िप हो गय

शान अपनी रौ म बोलती गई lsquoकमल मझ अपन िोस त और सहचलयाा बहत चपरय ह व मर आड़ वक त मर साथ खड़ होत रह ह मरी िचनया म नात ररश तिारी क अलावा भी लोग शाचमल ह और व मर चिल क करीब ह उनक और मर बीि िरी लान की कोचशश मत करोlsquo

शान न कमल क कान क पास जाकर सरग़ोशी की lsquoतम ही बताओ क या तम मर कहन स अपन िोस तो को फोन करना छोड़ सकत हो नही न चफर सार ग़लत सही परयोग मझ पर ही क योrsquo

कमल न कहा lsquoतमन कभी सोिा ह चक तम हारी चमरता को लोग ग़लत रप म भी ल सकत ह कम स कम कछ तो ख़याल करोlsquo

अब तो शान का पारा सातव आसमान पर था बोली lsquoमन कभी चकसीकी चमरता पर कमणट चकया ह कछ िोस त तो खलआम िसर की बीचवयो क साथ चफल म िखत ह घमत ह उन ह

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कोई कछ नही कहता मर फोन करन मार पर इतना बखड़ाrsquo

कमल हरान थ शान की इस मखरता पर वह बोलती रही lsquoम अपन चमरो क साथ न तो घमती ह ा और न उनस चकसी तरह का फायिा उठाती ह ा इस बात को कान खोलकर सन लो मर जो भी चमर ह व पाररवाररक हlsquo

कमल न कछ कहन की कोचशश की तो शान न उस अनसना करत हए कहाrsquoऔर तम उनस बखटक बात करत हो जबचक अपन िोस तो क साथ तम िाहो तभी बात कर सकती ह ा कस मरी बात बीि म काटकर बात की चिशा बिल ित हो कभी ग़ौर चकया ह इस बात पर

कमल न मानो हचथयार डालत हए कहा lsquoमरी एक बात तो सनोlsquo शान न कहा lsquoनही आज तम मरी बात सनो तो हाा म कह रही थी चक मर चिल पर क या गजरती होगी जब सबक सामन तम ऐसा करत हो मन कभी कछ कहा तमसrsquo

िसरी बात मझ पररवार की मयाििा का परा खयाल ह मझ क या करना ह चकतना करना ह कब करना ह मझ पता ह और म अपन चमरो का ररप लसमट नही ढाढती और चफर कई चमर तो मर और तम हार कॉमन चमर ह lsquo

कमल को इस बात का अहसास नही था चक बात इतनी बढ़ जायगी उन होन शान का यह रौर रप कभी नही िखा था वह अपन चमरो क परचत इतनी समविनशील ह उन होन सोिा भी नही था कमल का मानना ह चक च जन िगी म चमर बिलत रहत ह इसस नई सोि चमलती ह

उन होन बात साभालत हए कहा lsquoिखो शान चडयर यह मरा मतलब कतई नही था चमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय म फोन करन क चलय इन कार नही करता पर हर िीज़ चलचमट म अच छी लगती हlsquo

शान ख़ि को बहत अपमाचनत महसस कर रही थी उसन तनककर कहा lsquoचमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय यह मझ पता ह पर परान िोस तो की िोस ती की जड़ो म छाछ नही डालना िाचहय म अपनी िोस ती म िाणक य की राजनीचत नही खल सकती जो ऐसा करत ह व च जन िगी म अकल रह जात हlsquo

कमल न कहा lsquoबात फोन क चबल क पमणट की हो रही थी तम भी बात को कहाा स कहाा ल गई तम इतना गस सा हो सकती हो मझ पता नही था समय पर म ही काम आऊा गाlsquo

शान को लगा चक मानो उस ितावनी िी जा रही ह वह कमल क इस व यवहार पर हरान थी कोई इनसान इतना कक यिलचटव कस हो सकता ह क या पसा इतना महत वपणि ह चक उसक सामन सबकछ नगण य ह

आज शान की सोि जस थमन का नाम ही नही ल रही थी क या िोस ती जस पाक़-साफ ररश त म बचनयो जसा गणा-भाग करना उचित ह परष मचहला स िोस ती चनभा सकता ह पर मचहला को परष चमरो स चमरता चनभान क चलय चकतन पापड़ बलन पड़त ह कमल की तो इतनी मचहला चमर ह शान न हमशा सबका आिर चकया ह घर बलाया ह

जो शाम शान घमन क चलय रखती ह व शाम उसन कमल क चमरो क चलय चडनर बनान म चबता िी ह क या कभी कमल न इस महसस करन की ज़ररत महसस की ह चक शान की अपनी भी च जन िगी ह उस भी अपनी च जन िगी जीन का परा अचधकार ह

अगर कमल अपन िोस तो क साथ खश रहत ह शान स उनक चलय महनत स चडनर बनवात ह तो चफर शान क चमरो को कमल सहज रप स

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क यो नही ल पात क या हर परष पत नी क मामल म ऐसा ही होता ह शान बड़ी असहज हो रही थी

उसका वश िलता तो उस चनगोड़ मोबाईल को चखड़की स बाहर फ ककर िर-िर कर डालती पर इसम कमल का चिया नमबर ह शान न ख़ि को सयत चकया उस कोई तो चनणिय लना था वह ग़लत बात क सामन हार माननवाली स री नही थी

उस याि ह चक इसी सि बोलन की आित क िलत उस अपन कॉलज का िस ट-स टडणटट क पिक स हाथ धोना पड़ा था यह िीगर बात थी चक उस पिक को पानवाली लड़की एक सप ताह बाि अपन परमी क साथ भाग गई थी और कॉलज की परािायाि पछतान क अलावा कछ नही कर पाई थी

अगल चिन शाम को कमल ऑचफस स आय और बोल lsquoशान मन तम हार मोबाईल का चबल भर चिया ह पर प लीज़ इस महीन ज़रा ध यान रखनाlsquo

शान न कछ नही कहा उसन तय कर चलया था चक उस मोबाईल परकरण म चनणिय लना ह कोई बहस नही करना ह और इस चवषय म बात करन क चलय रचववार सवोत तम चिन ह1

रचववार को सबह क नाश त क बाि शान न कहा lsquoकमल एक काम करो तम अपना यह नमबर वाचपस ल लो म इस नमबर क साथ ख़ि को सहज महसस नही कर रहीlsquo

कमल न कहा lsquoक या परॉब लम ह मन चबल भर चिया हlsquo कमल को शान की यह आित पता ह चक सामान य तौर पर वह चकसी भी बात को चिल स नही लगाती ह वह lsquoरात गई बात गईrsquo वाली कहावत म चवश वास रखती ह तो अब अिानक क या हो गया

शान न कहा lsquoबात चबल भरन की नही ह मझ

पोस टपड की आित नही ह और चफर इसम अन िाज़ा नही रहता और चबल जज ािा हो जाता ह मझ परीपड जज ािा सट करता ह उसम मझ पता रहता ह चक चकतना खिि हो गया ह और म अपनी जब क अनसार खिि कर पाती ह ाlsquo

शान न अपरत यकष रप स अपन फोन का चहसाब रखन का अचधकार कमल को िन स इन कार कर चिया था शान न मोबाईल स चसम काडि चनकाला और कमल को थमा चिया उसन अपना परानावाला चसम काडि मोबाईल म डाला

बहत चिनो बाि शान न ख़ि को शीश म िखा इस मोबाईल न उसक िहर को चनस तज कर चिया था आाखो क नीि काल घर बन गय थ कपड़ भी कस पहनन लगी थी वह उसन ख़ि को चफर स मस त तचबयत की और हरिनमौला बनान का चनणिय चलया और इसक साथ ही उसक होठो पर जो बाल-सलभ मस कान आई वह स वय ही उस पर बचलहारी हो रही थी मध अरोड़ा ममबई 9833959216

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वयिगय माइकरो सटायर

पीएम मनमोहन चसह न िावा चकया ह चक एक हजार बार स जजयािा वह चपछल िस सालो म बोल ह उनक बोलन की ररकाचडिगस िक की गयी

ह- 1100 बार वह कल बोल 1000 बार तो वह यह बोल पाय-ओय कोई तो मरी गलल सण लो ओय बाकी 100 बार वह बोल-ओय मरी बात समझ नी आयी कोई गलल नी राहलजी स पछछ लणा

गङगा साफ करन की पररयोजनाओ म खरबो खाय गय जमना साफ करन की पररयोजनाओ म अरबो खाय गय कछ-कछ समझ म आता ह चक गङगा-जमनी कलिर तमाम पाचलचटकल पाचटियो को बहत चपरय कयो ह

परधानमनरी पि क उममीिवार नर र मोिी का चवरोध करनवालो को लोकसभा िनाव क बाि पाचकसतान जाना पड़गा इस बयान स राबटि वाडरा भी िहशत म आय कयोचक वाडरा क पविज पाचकसतान सयालकोट स आय थ

राहल गााधी न समझाया -जीजाजी ऐसा नही चजसकी पास थोड़ी सी जमीन भी ह इचणडया म उस इचणडयन माना जायगा

राबटि वाडरा क िहर पर मसकान लौट आयी ह-जमीन तो जहाा कहोग वहाा चिखा िागा-कनयाकमारी क समनिर स लकर एवरसट तक की रचजसरी अपन नाम ह दवाररका गजरात समनिर की रचजसरी स लकर पर अरणािल की जमीन अपन कबज म चिखा सकता ह ा

राहल न समझाया-ना थोड़ी जमीन ही बताना अरणािल की जमीन तमहार पास ह यह बात िीन को अगर पता लग गयी तो वह भारत सरकार स नही तमस ही बात करन लगगा जमीन चववाि सलझान को

एक िटकी चसनिर की कीमत तम कया जानो रमश बाब जानता ह ा बहत सही तरह स जानता ह ा कोई एक िटकी चसनिर भरकर अब तक 350 करोड़ रपय कमा िका ह और चपकिर अभी बाकी ह िोसत राजश खनना का जमाना गया अब राबटि वाडरा का आ गया

राबटि वाडरा क घर म धन की िवी लकषमीजी को माा क तौर पर नही पजा जाता लकषमीजी को सास-माा क तौर पर पजा जाता ह

चिचगवजय चसह न पछा - बताओ बताओ राबटि वाडरा न कौन सा कानन तोड़ा राबटि वाडरा सनकर हास रह ह- नानसनस म खि कानन ह ा मझ कौन तोड़गा कचपल चसबबल न आरोप लगाया चक सीबीआई न गजरात फजी एनकाउणटर म मोिी को ढ़ग स घर म नही चलया लो िस साल सरकार काङगरस की रही सीबीआई स जरा सा काम ना करवा पाय

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राहल गााधी न चसबबल को डााटा- ऐसी ही बातो स तो यह आरोप पकका होता ह चक काङगरस सरकार िस सालो म कतई चनकममी रही

अचखलश यािव न कहा चक िाल ह भाजपा क लोग समाजवािी पाटी क लोग िाल नही ह यह सनकर अमर चसह न कहा ह- मरी याि मरी कमी इतन चिनो बाि महसस की िलो ठीक ह पर अब म समाजवािी पाटी क चलए कछ ना करा गा हारा गा भी नही इस सवाथी िचनया म चकसी क चलए हारन स बहतर ह चक म खि अपन चलए हारा लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन ही पिा चकया ह नारायण ितत चतवारी न जोरिार बधाई िी ह लालजी को यह कहत हए चक अकल हम ही नही ह जो बढ़ाप म बाप बन रह ह लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन पिा चकया सबस जजयािा चवरोध उनक आठ बचिो न जताया ह यह कहत हए चक पापा आठ बचिो का ताना झल-झलकर ही पक गय अब एक और जोड़ चलय ह राबड़ी िवी न अलग डााटा ह-लालजी कईसा बात करत ह ऊ चनतीशवा हमको मममी कहगा तो हमको कईसा फील होगा

मोिी की हवा नही िल रही ह यह बात तमाम नयज िनलो पर तरह-तरह क चवदवानो न चिन भर म करीब 40 बार कही मोिी की हवा िल रही ह यह बात बीजपी क परविाओ न नयज िनलो

पर कल सात बार कही िालीस बार मोिी का नाम उधर स सात बार मोिी का नाम इधर स मोिी की हवा असल म बना कौन रहा ह ब िनाव क आग बढ़न पर काङगरस न नर र मोिी क चखलाफ मनमोहन चसह को उतारन की सोिी ह नरनर मोिी क नमो फोन क मकाबल ममो फोन उतारन का पलान हआ इञजीचनयरो न फोन चडजाइन भी कर चलया ह बस एक पराबलम नही चनपट पा रही ह

ममो फोन नामिल तरीक स काम नही करता इसम साइलणट मोड एचकटव करो तब ही फोन पर बात समभव हो पाती ह साइलणट मोड पर ही एचकटव य बात हर कसटमर को समझान म तो कई साल लग जायग

कया चकया जाय इस सवाल क जवाब म मनमोहन चसह साइलणट मोड म िल गय ह

आलोक पराचणक 9810018799

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अर शरी गिशाय नमः ndash शरद जोशी

अथ शरी गणशाय नम बात गणश जी स शर की जाए वह धीर-धीर िह तक पहाि जाएगी या िह स आरमभ कर और वह शरी गणश तक पहाि या पढ़न-चलखन की ििाि

की जाए शरी गणश जञान और बचदध क िवता ह इस कारण सिव अलपमत म रहत होग पर ह तो िवता सबस पहल व ही पज जात ह आचख़र म व ही पानी म उतार जात ह पढ़न-चलखन की ििाि को छोड़ आप शरी गणश की कथा पर आ सकत ह

चवषय कया ह िहा या शरी गणश भई इस िश म कल चमलाकर चवषय एक ही होता ह - ग़रीबी सार चवषय उसी स जनम लत ह कचवता कर लो या उपनयास बात वही होगी ग़रीबी हटान की बात करन वाल बात कहत रह पर यह न सोिा चक ग़रीबी हट गई तो लखक चलखग चकस चवषय पर उनह लगा य साचहतय वाल लोग ग़रीबी हटाओ क चख़लाि ह तो इस पर उतर आए चक िलो साचहतय हटाओ

वह नही हट सकता शरी गणश स िाल हआ ह व ही उसक आचि िवता ह ऋचदध-चसचदध आसपास रहती ह बीि म लखन का काम िलता ह िहा परो क पास बठा रहता ह रिना ख़राब हई चक गणश जी महाराज उस िह को ि ित ह ल भई कतर खा पर ऐसा पराय नही होता चनज कचवतत क फीका न लगन का चनयम गणश जी पर भी उतना ही लाग होता ह िहा परशान रहता ह महाराज कछ खान को िीचजए गणश जी साड पर हाथ फर गभीरता स कहत ह लखक क पररवार क सिसय होखान-पीन की बात मत चकया करो भख रहना सीखो बड़ा ऊा िा मज़ाक-बोध ह शरी गणश जी का (अचछ लखको म रहता ह) िहा सन मसकराता ह जानता ह गणश जी डायचटग पर भरोसा नही करत तबीयत स खात

ह चलखत ह अब चनरनतर बठ चलखत रहन स शरीर म भरीपन तो आ ही जाता ह

िह को साचहतय स कया करना उस िाचहए अनाज क िान कतर खश रह सामानय जन की आवशयकता उसकी आवशयकता ह खान पट भरन को हर गणश-भि को िाचहए भख भजन न होई गणशा या जो भी हो साचहतय स पसा कमान का घनघोर चवरोध व ही करत ह चजनकी लकिररचशप पककी हो गई और वतन नए बढ़ हए गरड़ म चमल रहा ह जो अिसर ह चजनह पशन की सचवधा ह व साचहतय म कराचनत-कराचनत की उछाल भरत रहत ह िहा असल गणश-भि ह

राषटरीय दचिकोण स सोचिए पता ह आपको िहो क कारण िश का चकतना अनाज बरबाि होता ह िहा शर ह िश क गोिामो म घसा िोर ह हमार उतपािन का एक बड़ा परचतशत िहो क पट म िला जाता ह िह स अनाज की रकषा हमारी राषटरीय समसया ह कभी चविार चकया अपन इस पर बड़ गणश-भि बनत ह

चविार चकया यो ही गणश-भि नही बन गए समसया पर चविार करना हमारा पराना मज़ि ह हा-हा-हा ज़रा सचनए

आपको पता ह िान-िान पर खान वाल का नाम चलखा रहता ह यह बात चसिि अनार और पपीत को लकर ही सही नही ह अनाज क छोट-छोट िान को लकर भी सही ह हर िान पर नाम चलखा रहता ह खान वाल का कछ िर पहल जो परााठा मन अिार स लगाकर खाया था उस पर जगह-जगह शरि जोशी चलखा हआ था छोटा-मोटा काम नही ह इतन िानो पर नाम चलखना यह काम कौन कर सकता हगणश जी और कौन व ही चलख सकत ह और चकसी क बस का नही ह यह काम पररशरम लगन और नयाय की ज़ररत होती ह साचहतय वालो को यह काम

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 3: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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चवदवतजन अचछ साचहतय को अचधकतम लोगो तक पहािान क परयास क अनतगित साचहतयम का अगला अङक आप क समकष ह उममीि ह यह शशव-परयास आप को पसनि आयगा चहनिसतानी साचहतय क गौरव - पचणडत नरनर शमाि जी क गीत सङगीतकार-शायर नौशाि अली बरजभाषा क मधिनय कचव शरी गोचवि कचव कछ ही साल पहल क चसदध-हसत रिनाधमी गोपाल नपाली जी गोपाल परसाि वयास जी क साथ तमाम नय-परान रिनाधचमियो की रिनाएा इस अङक की शोभा बढ़ा रही ह इस अङक म आप को एक डबल रोल भी चमलगा भाई साचलम शजा अनसारी जी अबबा-जान क नाम स भी शायरी करत ह अबबा-जान एक बड़ा ही अनोखा चकरिार ह आप को इस चकरिार म अपन गली-महलल क बड़-बजगो क िशिन होग सब स सब की खरी-खरी कहन वाला चकरिार ऐसा चकरिार चजस क माह स सि सन कर भी चकसी को बरा न लग बचलक अधरो पर हलकी मसकराहट आ जाय और भी बहत कछ ह पचढ़यगा अनय पररचित साचहतय-रचसको को भी जोचड़एगा और आप क बहमलय चविारो स अवशय ही अवगत कराइयगा आप की राय चबना सङकोि क पोसट क नीि क कमणट बॉकस म ही चलखन की कपा कर

आपका अपना नवीन सी ितविी

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अनकरमाहिका किानी फोन का चबल - मध अरोड़ा वयिगय माइकरो सटायर - आलोक पराचणक अथ शरी गनशाय नमः - शरि जोशी म िश िलाना जाना र - अचवनाश वािसपचत रिना वही जो फॉलोवर मन भाय - कमलश पाणडय कहवता नज़म चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह - गोपाल परसाि नपाली खनी हसताकषर - गोपाल परसाि वयास वकष की चनयचत - तारितत चनचविरोध तीन कचवताएा - आलम खशीि

अजीब मञज़र-चिलकश ह मलक़ क अनिर - अबबा जान सार चसकनिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह - गीत ितविी आमनरण - चजतनर जौहर िढ़ता-उतरता पयार - मकश कमार चसनहा हम भल और हमारी पञिायत भली - नवीन

िाइक हाइक - सशीला शयोराण लघ-करा परसाि - पराण शमाि छनद अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर - गोचवनि कचव

तरा जलना और ह मरा जलना और - अनसर क़मबरी जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय - धमनर कमार सजजजन 3 छपपय छनि - कमार गौरव अजीतनि हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव - नवीन

गीत-नवगीत जजयोचत कलश छलक - पचणडत नरनर शमाि

गङगा बहती हो कया - पचणडत नरनर शमाि आज क चबछड़ न जान कब चमलग - पचणडत नरनर शमाि जय-जयचत भारत-भारती - पचणडत नरनर शमाि हर चलया कयो शशव नािान - पचणडत नरनर शमाि भर जङगल क बीिोबीि - पचणडत नरनर शमाि मध क चिन मर गय बीत - पचणडत नरनर शमाि

ग़ज़ल न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता - नौशाि अली

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया - रऊि रज़ा

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िनि अशआर - िरहत अहसास तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़ - तिल ितविी चसतारा एक भी बाकी बिा कया - मयङक अवसथी िोट पर उस न चफर लगाई िोट - साचलम शजा अनसारी उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ - िौज़ान अहमि जब सरज िदद नचियाा पी जात ह - नवीन मर मौला की इबाित क सबब पहािा ह - नवीन

आञचाहलक गजल िो पञजाबी गजल - चशव कमार बटालवी गजराती गजल - सञज वाला अनय साचहतयकार चरलोक चसह ठकरला को सममान समीकषा - शाकनतलम - एक कालजयी कचत का अनश ndash पचणडत सागर चरपाठी

किानी

फोन का हिल - मध अरोड़ा

शान को आज तक समझ म नही आया चक फोन का चबल िखकर कमल की पशानी पर बल क यो पड़ जात ह सबह-शाम कछ नही िखत शान क मड की परवाह

नही उन ह बस अपनी बात कहन स मतलब ह शान का मड खराब होता ह तो होता रह

आज भी तो सबह की ही बात ह शान िाय ही बना रही थी चक कमल न टलीफोन का चबल शान को चिखात हए पछा lsquoशान यह सब क या हrsquo

शान न बालो म चकलप लगात हए कहा lsquoशायि टलीफोन का चबल ह क या हआrsquo कमल न झाझलात हए कहा lsquoयह तो मझ पता ह और चिख भी रहा ह पर चकतन हज़ार रपयो का ह सनोगी तो चिन म तार नज़र आन लगगlsquo

शान न माहौल को हल का बनात हए कहा lsquoवाह कमल चकतना अजबा होगा न चक तार तो रात को चिखाई ित ह चिन म चिखाई िग तो अपन तो चटकट लगा िग अपन घर म चिन म तार चिखान कlsquo

कमल बोल lsquoमज़ाक छोड़ो पर पााि हज़ार का चबल आया ह फोन का इतना चबल हर महीन भर ग तो िाक करन पड़ग एक चिनlsquo

शान न कहा lsquoबात तो सही ह तम हारी कमल पर जब फोन करत ह न तो समय हवा की तरह उड़ता िला जाता ह पता ही नही िलता चक चकतन चमनट बात कीlsquo कमल न कहा lsquoबात सचकषप त तो की जा सकती हlsquo

उसन कहा lsquoकमल फोन पर सचकषप त बात तक तो तम ठीक हो पर एक बात बताओ बात

एकतरफा तो नही होती न चसिि अपनी बात कहकर तो फोन बन ि नही चकया जा सकता सामनवाल की भी बात उतन ही ध यान स सनना होता ह चजतन ध यान स उस बन ि न सनी हlsquo

कमल न कहा lsquoतम हार कल चमलाकर वही चगन-िन वही िार िोस त और सहचलयाा ह रोज़ उन ही लोगो स बात करक चिल नही भरता तम हाराrsquo

शान न नाराज़गी ज़ाचहर करत हए कहा lsquoक या मतलब क या रोज़ िोस त बिल जात ह अर कमल भाई िोस तससहली तो िो-िार ही होत हlsquo कमल न कहा lsquoतम हारी तो हर बात न यारी ह लचकन म एक बात कह िता ह ा चक अगल महीन इतना चबल नही आना िाचहयlsquo कहकर कमल तज़ तज किमो स अपन कमर म िल गय

शान सधी हई िाल स धीर-धीर कमल क कमर म गई कमल अपन ऑचफस क मोबाईल स चकसीस बात कर रह थ शान इनतज़ार करती रही चक कब कमल मोबाईल पर बात करना बन ि कर और वह अपनी बात कह

शान कभी खाली नही बठ सकती और इनतज़ार उस चकसी सज़ा स कम नही लगता सो वह वॉचशग मशीन म कपड़ डालन का काम करन लगी

िस चमनट बाि कमल फोन स फाररग़ हए और शान स बोल lsquo कछ काम ह मझस या खड़ी-खड़ी मरी बात सन रही थीlsquo

शान न कहा lsquoयार तम हारी बात सनन लायक होती ह क या वही लन-िन की बात या कहानी की बात िलाा कहानी अच छी ह तो क यो और अच छी नही ह तो क योlsquo इस पर कमल न कहा lsquoबन िर क या जान अिरख़ का स वािlsquo इस पर शान न कहा lsquoम तो यह कहन आई थी चक टलीफोन का चबल तो म िती ह ा तम परशान

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क यो हो रह हो चजतन का भी चबल आयगा वह िना मरी च जम मिारी ह और अभी तक तो म ही ि रही ह ाlsquo

कमल न कहा lsquoिखो म चजस पोजीशन का ऑचफसर ह ा उसम मर घर क फोन का चबल मरा ऑचफस भरगा पर उसकी सीमा ह तो तम उस सीमा तक ही बात करो फोन पर ताचक जब स कछ खिि न करना पड़lsquo

शान न कहा lsquoयह तो कोई लॉचजक की बात नही हई हर जगह पसा क यो आ जाता ह बीि म कभी चिल क सकन की भी बात चकया करो च जन िगी म पसा ही सबकछ नही हlsquo

इस पर कमल बोल lsquoपस की कर करना सीखो रत की माचननि कब हाथ स चफसल जायगा पता भी नही िलगाlsquo रोज़-रोज़ फोन करक परम और स नह जज ािा नही हो जाताlsquo इस पर शान न कनध उिकात हए कहा lsquoभई िखो म तो जब फोन करा गी जी भरकर बात करा गी तम हारा ऑचफस चबल भर या न भरlsquo

कमल न चिढ़कर कहा lsquoयान तम हार सधरन का कोई िानस नही हrsquo शान न कहा lsquoम चबगड़ी ही कब ह ा जो सधरन का िानस ढाढा जायमन कभी रोका ह तमको चकसीस बात करन क चलय

lsquoिखो शान मर ऑचफचशयल फोन होत ह उनम ही म अपन चनजी फोन भी कर लता ह ा तम हारी तरह हमशा फोन स चिपका नही रहताlsquo कमल न उलाहनभर स वर म कहा

शान न अागड़ाई लत हए कहा lsquoमझ अपन िोस तो स भाई-बहनो स फोन पर बात करना अच छा लगता ह िर स भी चकतनी साि आवाज़ आती ह लगता ह चक पास स ही फोन कर रह हो आई लव इटlsquo

कमल होठो ही होठो म कछ बोलत हए आाख बन ि कर लत ह शान हासत हए कहती ह यार हम िोनो कमात ह अग़र आधा-आधा भी अमाउणट ि तो पााि हज़ार का चबल भर सकत ह तम भी अपन िोस तो स बात करो और म भी क यो मन को मारत होrsquo

शान न बात को आग बढ़ात हए कहा lsquoिखो तम तो चफर भी ऑचफचशयल टर म अपन लोगो स भाई बहनो स चमल आत हो मरा तो ऐसा भी कोई िक कर नही हrsquo

कमल न एक आाख खोलत हए कहा lsquoतम मझ िाह चकतना ही पटान की कोचशश करो म न तो पटनवाला ह ा इस फोन क मामल म और न ही एक भी पसा िनवाला ह ा य तम हार फोन का चबल ह तम जानो और तम हारा काम मरा काम ऑचफस क मोबाईल स हो जाता हlsquo

शान न कहा lsquoमरा ऑचफस तो चसिि एक हज़ार िता ह उसस क या होगा म तो इस पिड़ म पड़ती ही नही चकसीकी महरबानी नही िाचहय चफर फोन जसी तच छ िीज़ क चलय तमको क यो पटाऊा गी भलाrsquo इस पर कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoतम बहस बहत करती हो अपनी ग़लती मान लो तो कछ चबगड़ जायगा क याrsquo

अब शान भी चिढ़ गई और बोली lsquoफोन का वह चबल तम हारा ऑचफस िगा तम नही लचकन चिन ता नको चिक-चिक भी नही म अपन फोन का चबल अपन नोटो स ि सकती ह ाlsquo

यह बात सनत ही कमल न अपनी खली आाख चफर स बन ि कर ली शान तसल ली स सब काटन िली गई अपनी बात कहकर वह हल की हो गई थी क यो उन बातो को ढोया जाय जो ब लडपरशर हाई कर

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शान क ऑचफस क डॉक टर भी शान क इस नॉमिल ब लडपरशर पर आश ियि करत ह एक चिन डॉक टर न कहा भी lsquoशानजी आप इतनी खश कस रह लती ह यहाा तो जो भी आता ह उस या तो हाईपर टशन होता ह शगर बढा हआ वज़नlsquo

शान न परश नवािक आाखो स डॉक टर को िखा तो डॉक टर न कहा lsquoमरा मतलब ह चक आप अभी तक चफट कस ह यहाा तक चक म डॉक टर ह ा मझ हाई ब लड परशर ह रोज़ िवा लता ह ाlsquo

शान न हासत हए कहा lsquoमरा काम ह टनशन िना िचखय सीधी सी बात ह चजस बात पर मरा वश नही होता म सोिती ही नही जो होना ह वह तो होना ही हlsquo

शान न अपन पहल को बिलत हए कहा lsquoअब यचि म िाह ा चक मर पचत फलाा स बात न कर पर यचि उनको करना ह तो व कर ग ही िाह चछपकर कर या सामन कर तो क यो अपना चिमाग़ खराब करनाrsquo

डॉक टर न कहा lsquoकमाल ह आप च जन िगी को इतन हल क रप म लती ह य आर गरटlsquo शान न कहा lsquoऔर नही तो क या म क यो चिल जलाऊा मर चिल क जलन स सामन वाल को फक़ि पड़ना िाचहयlsquo

डॉक टर न हासत हए कहा काश सब आप जसा सोि पातlsquo शान न भी हासत हए कहा lsquoसब सवतनर िश क सवतनर लोग ह मन चकसीका कोई ठका तो ल नही रखाlsquo

डॉक टर भी मरी बात सनकर हास और बोल lsquoएक हि तक आप ठीक कहती ह पचत पत नी भी एक-िसर क िौकीिार तो नही ह न यह ररश ता तो आपसी समझिारी और चवश वास का ररश ता हlsquo

इस पर शान न कहा lsquoयचि चकसी काम क चलय चिल गवाही िता ह तो ज़रर करना िाचहय

लचकन एक िसर को भलाव म नही रखना िाचहयlsquo

डॉक टर न कहा lsquoआज आपस बात करक बहत अच छा लगा मझ लगा ही नही चक म मरीज़ स बात कर रहा ह ाlsquo अर शान भी चकन बातो म खो गई बड़ी ज़ल िी अपन म खो जाती ह

आज कमल बड़ अच छ मड म ह ितरतर स आय ह शान न िाय बनाई और िोनो न अपन-अपन प याल हाथ म ल चलय

यह शान का शािी क बाि स चनयम ह चक वह और कमल सबह और शाम की िाय घर म साथ-साथ पीत ह िाह िोनो म झगड़ा हो अनबोलािाली हो पर िाय साथ म चपयग

कमल न कहा lsquo िखो शान एक काम करत ह मर ऑचफस क चलय मोबाईलवालो न एक स कीम चनकाली ह उसक तहत पत नी क चलय मोबाईल फरी हlsquo यह सनकर शान क कान खड़ हो गय वह बोली यह मोबाईल कमपनी का क या नया फणडा हrsquo lsquoपहल परी बात सन लो हाा तो म कह रहा था चक मरा तो पोस टपड ह तम यह नया नमबर ल लो इसका जो भी चबल आयगा म िका िागाlsquo कमल न शान का हाथ अपन हाथ म लत हए कहा

अपनी बात पर परचतचकरया न होत िखकर आग बोल lsquoलण डलाईन नमबर कटवा िग हम िोनो क पास मोबाईल ह ही बच िो क साथ कॉन फरचनसग सचवधा ल लग चकफायत म सब काम हो जाया करगा फोन का चबल भी नही भरना पड़गाlsquo

पता नही शान भी चकस मड म थी उसन हामी भर िी कमल न भी शान को सकण ड थॉट का मौका चिय चबना िसर ही चिन नया नमबर लाकर ि चिया अब कमल आश वस त हो गय थ चक शान

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क फोनो का उनक पास चहसाब रहगा चबल जो उनक नाम आयगा

शान को सपन म भी ग़मान नही था चक उसक फोनो का चहसाब रखा जायगा वह मज़ स फोन करती रही जब एक महीन बाि चबल आया तो अब कमल की बारी थी

कमल न चफर एक बार फोन का चबल शान क सामन रखत हए क हा lsquoिखो शान तम हारा चबल रपय 2000- का आया ह क या तम फोन कम नही कर सकती मरा ऑचफस मझ मर फोन का चबल िगा तम हारा चबल तो मझ िना हlsquo

शान को अिमभा हआ और उसन कहा lsquoलचकन कमल यह तम हारा ही परस ताव था उस समय फोन करन क पसो की सीमा तमन तय नही की थी ऐसा नही िलगा पहल बता ित तो म नया नमबर लती ही नहीlsquo

शान न कमल को एक रास ता सझात हए कहा lsquoमरा पराना नमबर तो सबक पास ह एक काम करती ह ा अपन परान नमबर पर म फोन ररसीव करा गी और तम हार चिय नमबर स फोन कर चलया करा गीlsquo

कमल न अपनी खीझ को चछपात हए कहा िो नमबरो की क या ज़ररत ह बात तो व ही ढाक क तीन पातवाली रही नrsquo शान न इस बात को आग न बढ़ात हए िप रहना ही बहतर समझा

अब शान इस बात का ध यान रखन लगी थी चक कमल क सामन फोन न चकया जाय इस तरह अनजान म शान म चछपकर फोन करन की आित घर करती जा रही थी अब वह फोन करत समय घड़ी िखन लगी थी

वह समझ नही पा रही थी चक इस फोन क मदद को कस हल चकया जाय कमल का ध यान अक सर

शान क मोबाईल पर लगा रहता चक कब बजता ह और शान चकतनी िर बात करती ह

अब हालत यह हो गई थी चक मोबाईल क बजन पर शान आकरानत हो जाती थी और कमल क कान सतकि यचि वह कान म बाचलयाा भी पहन रही होती तो चकसी न चकसी बहान स कमल कमर म आत और इधर-उधर कछ ढाढ़त और ऐस िल जात चक मानो उन होन कछ िखा ही नही

शान को आश ियि होता चक कमल को यह क या होता जा रहा ह उनकी आाखो म वह शक क डोर िखन लगी थी शान सोिती चक जो ख़ि को शान का िोस त होन का िावा करता था लचकन अब वह धीर-धीर चटचपकल पचत क रप म तब िील होता जा रहा था मोबाईल जी का जञजाल बनता जा रहा था

शान को इस िह-चबल ली क खल म न तो मज़ा आ रहा था और न ही उसकी इस तरह क व यथि क कामो म कोई चिलिस पी थी शान शर स ही मस त तचबयत की लड़की रही ह

अपन जोक पर वह ख़ि ही हास लती ह सामनवाला हरान होता ह चक चजस जोक सनाया गया वह तो हासा ही नही अब इसम शान को क या िोष अग़र सामनवाल को जोक समझ ही नही आया उसकी टयबलाइट नही िमकी तो वह क या कर

तो इस मस त तचबयत की शान इस मोबाईल को लकर क यो मसीबत मोल ल कोई उसकी हासी क योकर छीन जो उस अपन मायक स चवरासत म चमली ह वह अपन मायक म बड़ी ह वह हमशा चडसीज़न मकर रही ह क या वह अपन मोबाईल क चवषय म चडसीज़न नही ल सकती

िसर महीन कमल न चफर शान को मोबाईल का चबल चिखाया यह चबल रपय 1500- का था कमल न कहा lsquoिखो शान इस महीन 500 रपय

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तो कम हए ऐस ही धीर-धीर और कम करो जज ािा स जज ािा रपय 600- का चबल आना िाचहयlsquo

अब शान की बारी थी वह बोली lsquoिखो कमल हम िोनो वचकि ग ह हमारी ज़ररत अलग-अलग ह और होनी भी िाचहय मरी हर ज़ररत तम हारी ज़ररत स बाध यह कोई ज़ररी नही ह हम लाईफ पाटिनर ह माचलक-सवक नहीlsquo

कमल न िश मा लगात हए कहा lsquoमन ऐसा कब कहा म तो चकफा यत की बात कर रहा ह ाlsquo शान न कहा lsquoयार चकतनी चकिायत करोग चकसीक बोलन-िालन पर बचनिश लगान का क या तक हrsquo और चफर म तो फोन का चबल ि रही थी कभी चकसीको रोका नही फोन करन स पढ़नवाल बच ि ह व भी फोन करत ह मझ तो तम हार ऑचफस स चमलनवाल मोबाईल की तमन ना भी नही थी तम हारा परस ताव थाlsquo

कमल न चबना चकसी परचतचकरया क अपन चिरपररचित ठणड स वर म कहा lsquoतम इतनी उत तचजत क यो हो जाती हो ठणड चिल स मरी बात पर सोिो चबना वज़ह फोन करना छोड़ िोlsquo

यह सनकर शान को अच छा नही लगा और बोल पड़ी lsquoहमशा वजह स ही फोन चकय जाय यह ज़ररी तो नहीlsquo कमल न कहा lsquoयही तो चिक कत ह सब अपन म मस त ह उल ट तम उनको चडस टबि करती होlsquo

शान न कछ कहना िाहा तो कमल न हाथ क इशार स रोकत हए कहा lsquoकई बार लोग नही िाहत चक उन ह बवज़ह फोन चकया जाय उनकी नज़रो म तम हारी इजज ज़त कम हो सकती हlsquo

शान न गस स स कहा lsquo बात को ग़लत चिशा म मत मोड़ो बात मोबाईल क चबल क भगतान की हो रही ह मर िोस तो म मझ जसा साहस ह यचि

व चडस टबि होत ह तो यह बात व मझस बखटक कह सकत ह उनक माह म पानी नही भरा हlsquo

कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoचकसकी कज़ा आई ह जो तमस य ह बात कहगा तम ह चकसी तरह झल लत ह तम ह चवश वास न हो तो आजमाकर िखो एक हतरत चकसीको फोन मत करो कोई तम हारा हाल नही पछगा तम तो मान न मान म तरा महमान वाली बात करती होlsquo

शान न कहा lsquoकमल तम मझ मर िोस तो क चखलाि नही कर सकत मझ पर इन बातो का कोई असर नही होता मर िोस तो स बात करन की समय सीमा तम क योकर तय करोrsquo कमल न चिढ़त हए कहा rsquoकभी मर ररश तिारो स भी बात की हrsquo इस पर शान न तपाक स कहा lsquoकब नही करती ज़रा बताओग वहाा भी तमको एतराज़ होता ह चक फलाा स बात क यो नही कीlsquo इस पर कमल ह ाह करक िप हो गय

शान अपनी रौ म बोलती गई lsquoकमल मझ अपन िोस त और सहचलयाा बहत चपरय ह व मर आड़ वक त मर साथ खड़ होत रह ह मरी िचनया म नात ररश तिारी क अलावा भी लोग शाचमल ह और व मर चिल क करीब ह उनक और मर बीि िरी लान की कोचशश मत करोlsquo

शान न कमल क कान क पास जाकर सरग़ोशी की lsquoतम ही बताओ क या तम मर कहन स अपन िोस तो को फोन करना छोड़ सकत हो नही न चफर सार ग़लत सही परयोग मझ पर ही क योrsquo

कमल न कहा lsquoतमन कभी सोिा ह चक तम हारी चमरता को लोग ग़लत रप म भी ल सकत ह कम स कम कछ तो ख़याल करोlsquo

अब तो शान का पारा सातव आसमान पर था बोली lsquoमन कभी चकसीकी चमरता पर कमणट चकया ह कछ िोस त तो खलआम िसर की बीचवयो क साथ चफल म िखत ह घमत ह उन ह

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कोई कछ नही कहता मर फोन करन मार पर इतना बखड़ाrsquo

कमल हरान थ शान की इस मखरता पर वह बोलती रही lsquoम अपन चमरो क साथ न तो घमती ह ा और न उनस चकसी तरह का फायिा उठाती ह ा इस बात को कान खोलकर सन लो मर जो भी चमर ह व पाररवाररक हlsquo

कमल न कछ कहन की कोचशश की तो शान न उस अनसना करत हए कहाrsquoऔर तम उनस बखटक बात करत हो जबचक अपन िोस तो क साथ तम िाहो तभी बात कर सकती ह ा कस मरी बात बीि म काटकर बात की चिशा बिल ित हो कभी ग़ौर चकया ह इस बात पर

कमल न मानो हचथयार डालत हए कहा lsquoमरी एक बात तो सनोlsquo शान न कहा lsquoनही आज तम मरी बात सनो तो हाा म कह रही थी चक मर चिल पर क या गजरती होगी जब सबक सामन तम ऐसा करत हो मन कभी कछ कहा तमसrsquo

िसरी बात मझ पररवार की मयाििा का परा खयाल ह मझ क या करना ह चकतना करना ह कब करना ह मझ पता ह और म अपन चमरो का ररप लसमट नही ढाढती और चफर कई चमर तो मर और तम हार कॉमन चमर ह lsquo

कमल को इस बात का अहसास नही था चक बात इतनी बढ़ जायगी उन होन शान का यह रौर रप कभी नही िखा था वह अपन चमरो क परचत इतनी समविनशील ह उन होन सोिा भी नही था कमल का मानना ह चक च जन िगी म चमर बिलत रहत ह इसस नई सोि चमलती ह

उन होन बात साभालत हए कहा lsquoिखो शान चडयर यह मरा मतलब कतई नही था चमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय म फोन करन क चलय इन कार नही करता पर हर िीज़ चलचमट म अच छी लगती हlsquo

शान ख़ि को बहत अपमाचनत महसस कर रही थी उसन तनककर कहा lsquoचमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय यह मझ पता ह पर परान िोस तो की िोस ती की जड़ो म छाछ नही डालना िाचहय म अपनी िोस ती म िाणक य की राजनीचत नही खल सकती जो ऐसा करत ह व च जन िगी म अकल रह जात हlsquo

कमल न कहा lsquoबात फोन क चबल क पमणट की हो रही थी तम भी बात को कहाा स कहाा ल गई तम इतना गस सा हो सकती हो मझ पता नही था समय पर म ही काम आऊा गाlsquo

शान को लगा चक मानो उस ितावनी िी जा रही ह वह कमल क इस व यवहार पर हरान थी कोई इनसान इतना कक यिलचटव कस हो सकता ह क या पसा इतना महत वपणि ह चक उसक सामन सबकछ नगण य ह

आज शान की सोि जस थमन का नाम ही नही ल रही थी क या िोस ती जस पाक़-साफ ररश त म बचनयो जसा गणा-भाग करना उचित ह परष मचहला स िोस ती चनभा सकता ह पर मचहला को परष चमरो स चमरता चनभान क चलय चकतन पापड़ बलन पड़त ह कमल की तो इतनी मचहला चमर ह शान न हमशा सबका आिर चकया ह घर बलाया ह

जो शाम शान घमन क चलय रखती ह व शाम उसन कमल क चमरो क चलय चडनर बनान म चबता िी ह क या कभी कमल न इस महसस करन की ज़ररत महसस की ह चक शान की अपनी भी च जन िगी ह उस भी अपनी च जन िगी जीन का परा अचधकार ह

अगर कमल अपन िोस तो क साथ खश रहत ह शान स उनक चलय महनत स चडनर बनवात ह तो चफर शान क चमरो को कमल सहज रप स

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क यो नही ल पात क या हर परष पत नी क मामल म ऐसा ही होता ह शान बड़ी असहज हो रही थी

उसका वश िलता तो उस चनगोड़ मोबाईल को चखड़की स बाहर फ ककर िर-िर कर डालती पर इसम कमल का चिया नमबर ह शान न ख़ि को सयत चकया उस कोई तो चनणिय लना था वह ग़लत बात क सामन हार माननवाली स री नही थी

उस याि ह चक इसी सि बोलन की आित क िलत उस अपन कॉलज का िस ट-स टडणटट क पिक स हाथ धोना पड़ा था यह िीगर बात थी चक उस पिक को पानवाली लड़की एक सप ताह बाि अपन परमी क साथ भाग गई थी और कॉलज की परािायाि पछतान क अलावा कछ नही कर पाई थी

अगल चिन शाम को कमल ऑचफस स आय और बोल lsquoशान मन तम हार मोबाईल का चबल भर चिया ह पर प लीज़ इस महीन ज़रा ध यान रखनाlsquo

शान न कछ नही कहा उसन तय कर चलया था चक उस मोबाईल परकरण म चनणिय लना ह कोई बहस नही करना ह और इस चवषय म बात करन क चलय रचववार सवोत तम चिन ह1

रचववार को सबह क नाश त क बाि शान न कहा lsquoकमल एक काम करो तम अपना यह नमबर वाचपस ल लो म इस नमबर क साथ ख़ि को सहज महसस नही कर रहीlsquo

कमल न कहा lsquoक या परॉब लम ह मन चबल भर चिया हlsquo कमल को शान की यह आित पता ह चक सामान य तौर पर वह चकसी भी बात को चिल स नही लगाती ह वह lsquoरात गई बात गईrsquo वाली कहावत म चवश वास रखती ह तो अब अिानक क या हो गया

शान न कहा lsquoबात चबल भरन की नही ह मझ

पोस टपड की आित नही ह और चफर इसम अन िाज़ा नही रहता और चबल जज ािा हो जाता ह मझ परीपड जज ािा सट करता ह उसम मझ पता रहता ह चक चकतना खिि हो गया ह और म अपनी जब क अनसार खिि कर पाती ह ाlsquo

शान न अपरत यकष रप स अपन फोन का चहसाब रखन का अचधकार कमल को िन स इन कार कर चिया था शान न मोबाईल स चसम काडि चनकाला और कमल को थमा चिया उसन अपना परानावाला चसम काडि मोबाईल म डाला

बहत चिनो बाि शान न ख़ि को शीश म िखा इस मोबाईल न उसक िहर को चनस तज कर चिया था आाखो क नीि काल घर बन गय थ कपड़ भी कस पहनन लगी थी वह उसन ख़ि को चफर स मस त तचबयत की और हरिनमौला बनान का चनणिय चलया और इसक साथ ही उसक होठो पर जो बाल-सलभ मस कान आई वह स वय ही उस पर बचलहारी हो रही थी मध अरोड़ा ममबई 9833959216

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वयिगय माइकरो सटायर

पीएम मनमोहन चसह न िावा चकया ह चक एक हजार बार स जजयािा वह चपछल िस सालो म बोल ह उनक बोलन की ररकाचडिगस िक की गयी

ह- 1100 बार वह कल बोल 1000 बार तो वह यह बोल पाय-ओय कोई तो मरी गलल सण लो ओय बाकी 100 बार वह बोल-ओय मरी बात समझ नी आयी कोई गलल नी राहलजी स पछछ लणा

गङगा साफ करन की पररयोजनाओ म खरबो खाय गय जमना साफ करन की पररयोजनाओ म अरबो खाय गय कछ-कछ समझ म आता ह चक गङगा-जमनी कलिर तमाम पाचलचटकल पाचटियो को बहत चपरय कयो ह

परधानमनरी पि क उममीिवार नर र मोिी का चवरोध करनवालो को लोकसभा िनाव क बाि पाचकसतान जाना पड़गा इस बयान स राबटि वाडरा भी िहशत म आय कयोचक वाडरा क पविज पाचकसतान सयालकोट स आय थ

राहल गााधी न समझाया -जीजाजी ऐसा नही चजसकी पास थोड़ी सी जमीन भी ह इचणडया म उस इचणडयन माना जायगा

राबटि वाडरा क िहर पर मसकान लौट आयी ह-जमीन तो जहाा कहोग वहाा चिखा िागा-कनयाकमारी क समनिर स लकर एवरसट तक की रचजसरी अपन नाम ह दवाररका गजरात समनिर की रचजसरी स लकर पर अरणािल की जमीन अपन कबज म चिखा सकता ह ा

राहल न समझाया-ना थोड़ी जमीन ही बताना अरणािल की जमीन तमहार पास ह यह बात िीन को अगर पता लग गयी तो वह भारत सरकार स नही तमस ही बात करन लगगा जमीन चववाि सलझान को

एक िटकी चसनिर की कीमत तम कया जानो रमश बाब जानता ह ा बहत सही तरह स जानता ह ा कोई एक िटकी चसनिर भरकर अब तक 350 करोड़ रपय कमा िका ह और चपकिर अभी बाकी ह िोसत राजश खनना का जमाना गया अब राबटि वाडरा का आ गया

राबटि वाडरा क घर म धन की िवी लकषमीजी को माा क तौर पर नही पजा जाता लकषमीजी को सास-माा क तौर पर पजा जाता ह

चिचगवजय चसह न पछा - बताओ बताओ राबटि वाडरा न कौन सा कानन तोड़ा राबटि वाडरा सनकर हास रह ह- नानसनस म खि कानन ह ा मझ कौन तोड़गा कचपल चसबबल न आरोप लगाया चक सीबीआई न गजरात फजी एनकाउणटर म मोिी को ढ़ग स घर म नही चलया लो िस साल सरकार काङगरस की रही सीबीआई स जरा सा काम ना करवा पाय

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राहल गााधी न चसबबल को डााटा- ऐसी ही बातो स तो यह आरोप पकका होता ह चक काङगरस सरकार िस सालो म कतई चनकममी रही

अचखलश यािव न कहा चक िाल ह भाजपा क लोग समाजवािी पाटी क लोग िाल नही ह यह सनकर अमर चसह न कहा ह- मरी याि मरी कमी इतन चिनो बाि महसस की िलो ठीक ह पर अब म समाजवािी पाटी क चलए कछ ना करा गा हारा गा भी नही इस सवाथी िचनया म चकसी क चलए हारन स बहतर ह चक म खि अपन चलए हारा लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन ही पिा चकया ह नारायण ितत चतवारी न जोरिार बधाई िी ह लालजी को यह कहत हए चक अकल हम ही नही ह जो बढ़ाप म बाप बन रह ह लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन पिा चकया सबस जजयािा चवरोध उनक आठ बचिो न जताया ह यह कहत हए चक पापा आठ बचिो का ताना झल-झलकर ही पक गय अब एक और जोड़ चलय ह राबड़ी िवी न अलग डााटा ह-लालजी कईसा बात करत ह ऊ चनतीशवा हमको मममी कहगा तो हमको कईसा फील होगा

मोिी की हवा नही िल रही ह यह बात तमाम नयज िनलो पर तरह-तरह क चवदवानो न चिन भर म करीब 40 बार कही मोिी की हवा िल रही ह यह बात बीजपी क परविाओ न नयज िनलो

पर कल सात बार कही िालीस बार मोिी का नाम उधर स सात बार मोिी का नाम इधर स मोिी की हवा असल म बना कौन रहा ह ब िनाव क आग बढ़न पर काङगरस न नर र मोिी क चखलाफ मनमोहन चसह को उतारन की सोिी ह नरनर मोिी क नमो फोन क मकाबल ममो फोन उतारन का पलान हआ इञजीचनयरो न फोन चडजाइन भी कर चलया ह बस एक पराबलम नही चनपट पा रही ह

ममो फोन नामिल तरीक स काम नही करता इसम साइलणट मोड एचकटव करो तब ही फोन पर बात समभव हो पाती ह साइलणट मोड पर ही एचकटव य बात हर कसटमर को समझान म तो कई साल लग जायग

कया चकया जाय इस सवाल क जवाब म मनमोहन चसह साइलणट मोड म िल गय ह

आलोक पराचणक 9810018799

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अर शरी गिशाय नमः ndash शरद जोशी

अथ शरी गणशाय नम बात गणश जी स शर की जाए वह धीर-धीर िह तक पहाि जाएगी या िह स आरमभ कर और वह शरी गणश तक पहाि या पढ़न-चलखन की ििाि

की जाए शरी गणश जञान और बचदध क िवता ह इस कारण सिव अलपमत म रहत होग पर ह तो िवता सबस पहल व ही पज जात ह आचख़र म व ही पानी म उतार जात ह पढ़न-चलखन की ििाि को छोड़ आप शरी गणश की कथा पर आ सकत ह

चवषय कया ह िहा या शरी गणश भई इस िश म कल चमलाकर चवषय एक ही होता ह - ग़रीबी सार चवषय उसी स जनम लत ह कचवता कर लो या उपनयास बात वही होगी ग़रीबी हटान की बात करन वाल बात कहत रह पर यह न सोिा चक ग़रीबी हट गई तो लखक चलखग चकस चवषय पर उनह लगा य साचहतय वाल लोग ग़रीबी हटाओ क चख़लाि ह तो इस पर उतर आए चक िलो साचहतय हटाओ

वह नही हट सकता शरी गणश स िाल हआ ह व ही उसक आचि िवता ह ऋचदध-चसचदध आसपास रहती ह बीि म लखन का काम िलता ह िहा परो क पास बठा रहता ह रिना ख़राब हई चक गणश जी महाराज उस िह को ि ित ह ल भई कतर खा पर ऐसा पराय नही होता चनज कचवतत क फीका न लगन का चनयम गणश जी पर भी उतना ही लाग होता ह िहा परशान रहता ह महाराज कछ खान को िीचजए गणश जी साड पर हाथ फर गभीरता स कहत ह लखक क पररवार क सिसय होखान-पीन की बात मत चकया करो भख रहना सीखो बड़ा ऊा िा मज़ाक-बोध ह शरी गणश जी का (अचछ लखको म रहता ह) िहा सन मसकराता ह जानता ह गणश जी डायचटग पर भरोसा नही करत तबीयत स खात

ह चलखत ह अब चनरनतर बठ चलखत रहन स शरीर म भरीपन तो आ ही जाता ह

िह को साचहतय स कया करना उस िाचहए अनाज क िान कतर खश रह सामानय जन की आवशयकता उसकी आवशयकता ह खान पट भरन को हर गणश-भि को िाचहए भख भजन न होई गणशा या जो भी हो साचहतय स पसा कमान का घनघोर चवरोध व ही करत ह चजनकी लकिररचशप पककी हो गई और वतन नए बढ़ हए गरड़ म चमल रहा ह जो अिसर ह चजनह पशन की सचवधा ह व साचहतय म कराचनत-कराचनत की उछाल भरत रहत ह िहा असल गणश-भि ह

राषटरीय दचिकोण स सोचिए पता ह आपको िहो क कारण िश का चकतना अनाज बरबाि होता ह िहा शर ह िश क गोिामो म घसा िोर ह हमार उतपािन का एक बड़ा परचतशत िहो क पट म िला जाता ह िह स अनाज की रकषा हमारी राषटरीय समसया ह कभी चविार चकया अपन इस पर बड़ गणश-भि बनत ह

चविार चकया यो ही गणश-भि नही बन गए समसया पर चविार करना हमारा पराना मज़ि ह हा-हा-हा ज़रा सचनए

आपको पता ह िान-िान पर खान वाल का नाम चलखा रहता ह यह बात चसिि अनार और पपीत को लकर ही सही नही ह अनाज क छोट-छोट िान को लकर भी सही ह हर िान पर नाम चलखा रहता ह खान वाल का कछ िर पहल जो परााठा मन अिार स लगाकर खाया था उस पर जगह-जगह शरि जोशी चलखा हआ था छोटा-मोटा काम नही ह इतन िानो पर नाम चलखना यह काम कौन कर सकता हगणश जी और कौन व ही चलख सकत ह और चकसी क बस का नही ह यह काम पररशरम लगन और नयाय की ज़ररत होती ह साचहतय वालो को यह काम

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 4: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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अनकरमाहिका किानी फोन का चबल - मध अरोड़ा वयिगय माइकरो सटायर - आलोक पराचणक अथ शरी गनशाय नमः - शरि जोशी म िश िलाना जाना र - अचवनाश वािसपचत रिना वही जो फॉलोवर मन भाय - कमलश पाणडय कहवता नज़म चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह - गोपाल परसाि नपाली खनी हसताकषर - गोपाल परसाि वयास वकष की चनयचत - तारितत चनचविरोध तीन कचवताएा - आलम खशीि

अजीब मञज़र-चिलकश ह मलक़ क अनिर - अबबा जान सार चसकनिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह - गीत ितविी आमनरण - चजतनर जौहर िढ़ता-उतरता पयार - मकश कमार चसनहा हम भल और हमारी पञिायत भली - नवीन

िाइक हाइक - सशीला शयोराण लघ-करा परसाि - पराण शमाि छनद अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर - गोचवनि कचव

तरा जलना और ह मरा जलना और - अनसर क़मबरी जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय - धमनर कमार सजजजन 3 छपपय छनि - कमार गौरव अजीतनि हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव - नवीन

गीत-नवगीत जजयोचत कलश छलक - पचणडत नरनर शमाि

गङगा बहती हो कया - पचणडत नरनर शमाि आज क चबछड़ न जान कब चमलग - पचणडत नरनर शमाि जय-जयचत भारत-भारती - पचणडत नरनर शमाि हर चलया कयो शशव नािान - पचणडत नरनर शमाि भर जङगल क बीिोबीि - पचणडत नरनर शमाि मध क चिन मर गय बीत - पचणडत नरनर शमाि

ग़ज़ल न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता - नौशाि अली

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया - रऊि रज़ा

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िनि अशआर - िरहत अहसास तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़ - तिल ितविी चसतारा एक भी बाकी बिा कया - मयङक अवसथी िोट पर उस न चफर लगाई िोट - साचलम शजा अनसारी उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ - िौज़ान अहमि जब सरज िदद नचियाा पी जात ह - नवीन मर मौला की इबाित क सबब पहािा ह - नवीन

आञचाहलक गजल िो पञजाबी गजल - चशव कमार बटालवी गजराती गजल - सञज वाला अनय साचहतयकार चरलोक चसह ठकरला को सममान समीकषा - शाकनतलम - एक कालजयी कचत का अनश ndash पचणडत सागर चरपाठी

किानी

फोन का हिल - मध अरोड़ा

शान को आज तक समझ म नही आया चक फोन का चबल िखकर कमल की पशानी पर बल क यो पड़ जात ह सबह-शाम कछ नही िखत शान क मड की परवाह

नही उन ह बस अपनी बात कहन स मतलब ह शान का मड खराब होता ह तो होता रह

आज भी तो सबह की ही बात ह शान िाय ही बना रही थी चक कमल न टलीफोन का चबल शान को चिखात हए पछा lsquoशान यह सब क या हrsquo

शान न बालो म चकलप लगात हए कहा lsquoशायि टलीफोन का चबल ह क या हआrsquo कमल न झाझलात हए कहा lsquoयह तो मझ पता ह और चिख भी रहा ह पर चकतन हज़ार रपयो का ह सनोगी तो चिन म तार नज़र आन लगगlsquo

शान न माहौल को हल का बनात हए कहा lsquoवाह कमल चकतना अजबा होगा न चक तार तो रात को चिखाई ित ह चिन म चिखाई िग तो अपन तो चटकट लगा िग अपन घर म चिन म तार चिखान कlsquo

कमल बोल lsquoमज़ाक छोड़ो पर पााि हज़ार का चबल आया ह फोन का इतना चबल हर महीन भर ग तो िाक करन पड़ग एक चिनlsquo

शान न कहा lsquoबात तो सही ह तम हारी कमल पर जब फोन करत ह न तो समय हवा की तरह उड़ता िला जाता ह पता ही नही िलता चक चकतन चमनट बात कीlsquo कमल न कहा lsquoबात सचकषप त तो की जा सकती हlsquo

उसन कहा lsquoकमल फोन पर सचकषप त बात तक तो तम ठीक हो पर एक बात बताओ बात

एकतरफा तो नही होती न चसिि अपनी बात कहकर तो फोन बन ि नही चकया जा सकता सामनवाल की भी बात उतन ही ध यान स सनना होता ह चजतन ध यान स उस बन ि न सनी हlsquo

कमल न कहा lsquoतम हार कल चमलाकर वही चगन-िन वही िार िोस त और सहचलयाा ह रोज़ उन ही लोगो स बात करक चिल नही भरता तम हाराrsquo

शान न नाराज़गी ज़ाचहर करत हए कहा lsquoक या मतलब क या रोज़ िोस त बिल जात ह अर कमल भाई िोस तससहली तो िो-िार ही होत हlsquo कमल न कहा lsquoतम हारी तो हर बात न यारी ह लचकन म एक बात कह िता ह ा चक अगल महीन इतना चबल नही आना िाचहयlsquo कहकर कमल तज़ तज किमो स अपन कमर म िल गय

शान सधी हई िाल स धीर-धीर कमल क कमर म गई कमल अपन ऑचफस क मोबाईल स चकसीस बात कर रह थ शान इनतज़ार करती रही चक कब कमल मोबाईल पर बात करना बन ि कर और वह अपनी बात कह

शान कभी खाली नही बठ सकती और इनतज़ार उस चकसी सज़ा स कम नही लगता सो वह वॉचशग मशीन म कपड़ डालन का काम करन लगी

िस चमनट बाि कमल फोन स फाररग़ हए और शान स बोल lsquo कछ काम ह मझस या खड़ी-खड़ी मरी बात सन रही थीlsquo

शान न कहा lsquoयार तम हारी बात सनन लायक होती ह क या वही लन-िन की बात या कहानी की बात िलाा कहानी अच छी ह तो क यो और अच छी नही ह तो क योlsquo इस पर कमल न कहा lsquoबन िर क या जान अिरख़ का स वािlsquo इस पर शान न कहा lsquoम तो यह कहन आई थी चक टलीफोन का चबल तो म िती ह ा तम परशान

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क यो हो रह हो चजतन का भी चबल आयगा वह िना मरी च जम मिारी ह और अभी तक तो म ही ि रही ह ाlsquo

कमल न कहा lsquoिखो म चजस पोजीशन का ऑचफसर ह ा उसम मर घर क फोन का चबल मरा ऑचफस भरगा पर उसकी सीमा ह तो तम उस सीमा तक ही बात करो फोन पर ताचक जब स कछ खिि न करना पड़lsquo

शान न कहा lsquoयह तो कोई लॉचजक की बात नही हई हर जगह पसा क यो आ जाता ह बीि म कभी चिल क सकन की भी बात चकया करो च जन िगी म पसा ही सबकछ नही हlsquo

इस पर कमल बोल lsquoपस की कर करना सीखो रत की माचननि कब हाथ स चफसल जायगा पता भी नही िलगाlsquo रोज़-रोज़ फोन करक परम और स नह जज ािा नही हो जाताlsquo इस पर शान न कनध उिकात हए कहा lsquoभई िखो म तो जब फोन करा गी जी भरकर बात करा गी तम हारा ऑचफस चबल भर या न भरlsquo

कमल न चिढ़कर कहा lsquoयान तम हार सधरन का कोई िानस नही हrsquo शान न कहा lsquoम चबगड़ी ही कब ह ा जो सधरन का िानस ढाढा जायमन कभी रोका ह तमको चकसीस बात करन क चलय

lsquoिखो शान मर ऑचफचशयल फोन होत ह उनम ही म अपन चनजी फोन भी कर लता ह ा तम हारी तरह हमशा फोन स चिपका नही रहताlsquo कमल न उलाहनभर स वर म कहा

शान न अागड़ाई लत हए कहा lsquoमझ अपन िोस तो स भाई-बहनो स फोन पर बात करना अच छा लगता ह िर स भी चकतनी साि आवाज़ आती ह लगता ह चक पास स ही फोन कर रह हो आई लव इटlsquo

कमल होठो ही होठो म कछ बोलत हए आाख बन ि कर लत ह शान हासत हए कहती ह यार हम िोनो कमात ह अग़र आधा-आधा भी अमाउणट ि तो पााि हज़ार का चबल भर सकत ह तम भी अपन िोस तो स बात करो और म भी क यो मन को मारत होrsquo

शान न बात को आग बढ़ात हए कहा lsquoिखो तम तो चफर भी ऑचफचशयल टर म अपन लोगो स भाई बहनो स चमल आत हो मरा तो ऐसा भी कोई िक कर नही हrsquo

कमल न एक आाख खोलत हए कहा lsquoतम मझ िाह चकतना ही पटान की कोचशश करो म न तो पटनवाला ह ा इस फोन क मामल म और न ही एक भी पसा िनवाला ह ा य तम हार फोन का चबल ह तम जानो और तम हारा काम मरा काम ऑचफस क मोबाईल स हो जाता हlsquo

शान न कहा lsquoमरा ऑचफस तो चसिि एक हज़ार िता ह उसस क या होगा म तो इस पिड़ म पड़ती ही नही चकसीकी महरबानी नही िाचहय चफर फोन जसी तच छ िीज़ क चलय तमको क यो पटाऊा गी भलाrsquo इस पर कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoतम बहस बहत करती हो अपनी ग़लती मान लो तो कछ चबगड़ जायगा क याrsquo

अब शान भी चिढ़ गई और बोली lsquoफोन का वह चबल तम हारा ऑचफस िगा तम नही लचकन चिन ता नको चिक-चिक भी नही म अपन फोन का चबल अपन नोटो स ि सकती ह ाlsquo

यह बात सनत ही कमल न अपनी खली आाख चफर स बन ि कर ली शान तसल ली स सब काटन िली गई अपनी बात कहकर वह हल की हो गई थी क यो उन बातो को ढोया जाय जो ब लडपरशर हाई कर

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शान क ऑचफस क डॉक टर भी शान क इस नॉमिल ब लडपरशर पर आश ियि करत ह एक चिन डॉक टर न कहा भी lsquoशानजी आप इतनी खश कस रह लती ह यहाा तो जो भी आता ह उस या तो हाईपर टशन होता ह शगर बढा हआ वज़नlsquo

शान न परश नवािक आाखो स डॉक टर को िखा तो डॉक टर न कहा lsquoमरा मतलब ह चक आप अभी तक चफट कस ह यहाा तक चक म डॉक टर ह ा मझ हाई ब लड परशर ह रोज़ िवा लता ह ाlsquo

शान न हासत हए कहा lsquoमरा काम ह टनशन िना िचखय सीधी सी बात ह चजस बात पर मरा वश नही होता म सोिती ही नही जो होना ह वह तो होना ही हlsquo

शान न अपन पहल को बिलत हए कहा lsquoअब यचि म िाह ा चक मर पचत फलाा स बात न कर पर यचि उनको करना ह तो व कर ग ही िाह चछपकर कर या सामन कर तो क यो अपना चिमाग़ खराब करनाrsquo

डॉक टर न कहा lsquoकमाल ह आप च जन िगी को इतन हल क रप म लती ह य आर गरटlsquo शान न कहा lsquoऔर नही तो क या म क यो चिल जलाऊा मर चिल क जलन स सामन वाल को फक़ि पड़ना िाचहयlsquo

डॉक टर न हासत हए कहा काश सब आप जसा सोि पातlsquo शान न भी हासत हए कहा lsquoसब सवतनर िश क सवतनर लोग ह मन चकसीका कोई ठका तो ल नही रखाlsquo

डॉक टर भी मरी बात सनकर हास और बोल lsquoएक हि तक आप ठीक कहती ह पचत पत नी भी एक-िसर क िौकीिार तो नही ह न यह ररश ता तो आपसी समझिारी और चवश वास का ररश ता हlsquo

इस पर शान न कहा lsquoयचि चकसी काम क चलय चिल गवाही िता ह तो ज़रर करना िाचहय

लचकन एक िसर को भलाव म नही रखना िाचहयlsquo

डॉक टर न कहा lsquoआज आपस बात करक बहत अच छा लगा मझ लगा ही नही चक म मरीज़ स बात कर रहा ह ाlsquo अर शान भी चकन बातो म खो गई बड़ी ज़ल िी अपन म खो जाती ह

आज कमल बड़ अच छ मड म ह ितरतर स आय ह शान न िाय बनाई और िोनो न अपन-अपन प याल हाथ म ल चलय

यह शान का शािी क बाि स चनयम ह चक वह और कमल सबह और शाम की िाय घर म साथ-साथ पीत ह िाह िोनो म झगड़ा हो अनबोलािाली हो पर िाय साथ म चपयग

कमल न कहा lsquo िखो शान एक काम करत ह मर ऑचफस क चलय मोबाईलवालो न एक स कीम चनकाली ह उसक तहत पत नी क चलय मोबाईल फरी हlsquo यह सनकर शान क कान खड़ हो गय वह बोली यह मोबाईल कमपनी का क या नया फणडा हrsquo lsquoपहल परी बात सन लो हाा तो म कह रहा था चक मरा तो पोस टपड ह तम यह नया नमबर ल लो इसका जो भी चबल आयगा म िका िागाlsquo कमल न शान का हाथ अपन हाथ म लत हए कहा

अपनी बात पर परचतचकरया न होत िखकर आग बोल lsquoलण डलाईन नमबर कटवा िग हम िोनो क पास मोबाईल ह ही बच िो क साथ कॉन फरचनसग सचवधा ल लग चकफायत म सब काम हो जाया करगा फोन का चबल भी नही भरना पड़गाlsquo

पता नही शान भी चकस मड म थी उसन हामी भर िी कमल न भी शान को सकण ड थॉट का मौका चिय चबना िसर ही चिन नया नमबर लाकर ि चिया अब कमल आश वस त हो गय थ चक शान

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क फोनो का उनक पास चहसाब रहगा चबल जो उनक नाम आयगा

शान को सपन म भी ग़मान नही था चक उसक फोनो का चहसाब रखा जायगा वह मज़ स फोन करती रही जब एक महीन बाि चबल आया तो अब कमल की बारी थी

कमल न चफर एक बार फोन का चबल शान क सामन रखत हए क हा lsquoिखो शान तम हारा चबल रपय 2000- का आया ह क या तम फोन कम नही कर सकती मरा ऑचफस मझ मर फोन का चबल िगा तम हारा चबल तो मझ िना हlsquo

शान को अिमभा हआ और उसन कहा lsquoलचकन कमल यह तम हारा ही परस ताव था उस समय फोन करन क पसो की सीमा तमन तय नही की थी ऐसा नही िलगा पहल बता ित तो म नया नमबर लती ही नहीlsquo

शान न कमल को एक रास ता सझात हए कहा lsquoमरा पराना नमबर तो सबक पास ह एक काम करती ह ा अपन परान नमबर पर म फोन ररसीव करा गी और तम हार चिय नमबर स फोन कर चलया करा गीlsquo

कमल न अपनी खीझ को चछपात हए कहा िो नमबरो की क या ज़ररत ह बात तो व ही ढाक क तीन पातवाली रही नrsquo शान न इस बात को आग न बढ़ात हए िप रहना ही बहतर समझा

अब शान इस बात का ध यान रखन लगी थी चक कमल क सामन फोन न चकया जाय इस तरह अनजान म शान म चछपकर फोन करन की आित घर करती जा रही थी अब वह फोन करत समय घड़ी िखन लगी थी

वह समझ नही पा रही थी चक इस फोन क मदद को कस हल चकया जाय कमल का ध यान अक सर

शान क मोबाईल पर लगा रहता चक कब बजता ह और शान चकतनी िर बात करती ह

अब हालत यह हो गई थी चक मोबाईल क बजन पर शान आकरानत हो जाती थी और कमल क कान सतकि यचि वह कान म बाचलयाा भी पहन रही होती तो चकसी न चकसी बहान स कमल कमर म आत और इधर-उधर कछ ढाढ़त और ऐस िल जात चक मानो उन होन कछ िखा ही नही

शान को आश ियि होता चक कमल को यह क या होता जा रहा ह उनकी आाखो म वह शक क डोर िखन लगी थी शान सोिती चक जो ख़ि को शान का िोस त होन का िावा करता था लचकन अब वह धीर-धीर चटचपकल पचत क रप म तब िील होता जा रहा था मोबाईल जी का जञजाल बनता जा रहा था

शान को इस िह-चबल ली क खल म न तो मज़ा आ रहा था और न ही उसकी इस तरह क व यथि क कामो म कोई चिलिस पी थी शान शर स ही मस त तचबयत की लड़की रही ह

अपन जोक पर वह ख़ि ही हास लती ह सामनवाला हरान होता ह चक चजस जोक सनाया गया वह तो हासा ही नही अब इसम शान को क या िोष अग़र सामनवाल को जोक समझ ही नही आया उसकी टयबलाइट नही िमकी तो वह क या कर

तो इस मस त तचबयत की शान इस मोबाईल को लकर क यो मसीबत मोल ल कोई उसकी हासी क योकर छीन जो उस अपन मायक स चवरासत म चमली ह वह अपन मायक म बड़ी ह वह हमशा चडसीज़न मकर रही ह क या वह अपन मोबाईल क चवषय म चडसीज़न नही ल सकती

िसर महीन कमल न चफर शान को मोबाईल का चबल चिखाया यह चबल रपय 1500- का था कमल न कहा lsquoिखो शान इस महीन 500 रपय

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तो कम हए ऐस ही धीर-धीर और कम करो जज ािा स जज ािा रपय 600- का चबल आना िाचहयlsquo

अब शान की बारी थी वह बोली lsquoिखो कमल हम िोनो वचकि ग ह हमारी ज़ररत अलग-अलग ह और होनी भी िाचहय मरी हर ज़ररत तम हारी ज़ररत स बाध यह कोई ज़ररी नही ह हम लाईफ पाटिनर ह माचलक-सवक नहीlsquo

कमल न िश मा लगात हए कहा lsquoमन ऐसा कब कहा म तो चकफा यत की बात कर रहा ह ाlsquo शान न कहा lsquoयार चकतनी चकिायत करोग चकसीक बोलन-िालन पर बचनिश लगान का क या तक हrsquo और चफर म तो फोन का चबल ि रही थी कभी चकसीको रोका नही फोन करन स पढ़नवाल बच ि ह व भी फोन करत ह मझ तो तम हार ऑचफस स चमलनवाल मोबाईल की तमन ना भी नही थी तम हारा परस ताव थाlsquo

कमल न चबना चकसी परचतचकरया क अपन चिरपररचित ठणड स वर म कहा lsquoतम इतनी उत तचजत क यो हो जाती हो ठणड चिल स मरी बात पर सोिो चबना वज़ह फोन करना छोड़ िोlsquo

यह सनकर शान को अच छा नही लगा और बोल पड़ी lsquoहमशा वजह स ही फोन चकय जाय यह ज़ररी तो नहीlsquo कमल न कहा lsquoयही तो चिक कत ह सब अपन म मस त ह उल ट तम उनको चडस टबि करती होlsquo

शान न कछ कहना िाहा तो कमल न हाथ क इशार स रोकत हए कहा lsquoकई बार लोग नही िाहत चक उन ह बवज़ह फोन चकया जाय उनकी नज़रो म तम हारी इजज ज़त कम हो सकती हlsquo

शान न गस स स कहा lsquo बात को ग़लत चिशा म मत मोड़ो बात मोबाईल क चबल क भगतान की हो रही ह मर िोस तो म मझ जसा साहस ह यचि

व चडस टबि होत ह तो यह बात व मझस बखटक कह सकत ह उनक माह म पानी नही भरा हlsquo

कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoचकसकी कज़ा आई ह जो तमस य ह बात कहगा तम ह चकसी तरह झल लत ह तम ह चवश वास न हो तो आजमाकर िखो एक हतरत चकसीको फोन मत करो कोई तम हारा हाल नही पछगा तम तो मान न मान म तरा महमान वाली बात करती होlsquo

शान न कहा lsquoकमल तम मझ मर िोस तो क चखलाि नही कर सकत मझ पर इन बातो का कोई असर नही होता मर िोस तो स बात करन की समय सीमा तम क योकर तय करोrsquo कमल न चिढ़त हए कहा rsquoकभी मर ररश तिारो स भी बात की हrsquo इस पर शान न तपाक स कहा lsquoकब नही करती ज़रा बताओग वहाा भी तमको एतराज़ होता ह चक फलाा स बात क यो नही कीlsquo इस पर कमल ह ाह करक िप हो गय

शान अपनी रौ म बोलती गई lsquoकमल मझ अपन िोस त और सहचलयाा बहत चपरय ह व मर आड़ वक त मर साथ खड़ होत रह ह मरी िचनया म नात ररश तिारी क अलावा भी लोग शाचमल ह और व मर चिल क करीब ह उनक और मर बीि िरी लान की कोचशश मत करोlsquo

शान न कमल क कान क पास जाकर सरग़ोशी की lsquoतम ही बताओ क या तम मर कहन स अपन िोस तो को फोन करना छोड़ सकत हो नही न चफर सार ग़लत सही परयोग मझ पर ही क योrsquo

कमल न कहा lsquoतमन कभी सोिा ह चक तम हारी चमरता को लोग ग़लत रप म भी ल सकत ह कम स कम कछ तो ख़याल करोlsquo

अब तो शान का पारा सातव आसमान पर था बोली lsquoमन कभी चकसीकी चमरता पर कमणट चकया ह कछ िोस त तो खलआम िसर की बीचवयो क साथ चफल म िखत ह घमत ह उन ह

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कोई कछ नही कहता मर फोन करन मार पर इतना बखड़ाrsquo

कमल हरान थ शान की इस मखरता पर वह बोलती रही lsquoम अपन चमरो क साथ न तो घमती ह ा और न उनस चकसी तरह का फायिा उठाती ह ा इस बात को कान खोलकर सन लो मर जो भी चमर ह व पाररवाररक हlsquo

कमल न कछ कहन की कोचशश की तो शान न उस अनसना करत हए कहाrsquoऔर तम उनस बखटक बात करत हो जबचक अपन िोस तो क साथ तम िाहो तभी बात कर सकती ह ा कस मरी बात बीि म काटकर बात की चिशा बिल ित हो कभी ग़ौर चकया ह इस बात पर

कमल न मानो हचथयार डालत हए कहा lsquoमरी एक बात तो सनोlsquo शान न कहा lsquoनही आज तम मरी बात सनो तो हाा म कह रही थी चक मर चिल पर क या गजरती होगी जब सबक सामन तम ऐसा करत हो मन कभी कछ कहा तमसrsquo

िसरी बात मझ पररवार की मयाििा का परा खयाल ह मझ क या करना ह चकतना करना ह कब करना ह मझ पता ह और म अपन चमरो का ररप लसमट नही ढाढती और चफर कई चमर तो मर और तम हार कॉमन चमर ह lsquo

कमल को इस बात का अहसास नही था चक बात इतनी बढ़ जायगी उन होन शान का यह रौर रप कभी नही िखा था वह अपन चमरो क परचत इतनी समविनशील ह उन होन सोिा भी नही था कमल का मानना ह चक च जन िगी म चमर बिलत रहत ह इसस नई सोि चमलती ह

उन होन बात साभालत हए कहा lsquoिखो शान चडयर यह मरा मतलब कतई नही था चमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय म फोन करन क चलय इन कार नही करता पर हर िीज़ चलचमट म अच छी लगती हlsquo

शान ख़ि को बहत अपमाचनत महसस कर रही थी उसन तनककर कहा lsquoचमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय यह मझ पता ह पर परान िोस तो की िोस ती की जड़ो म छाछ नही डालना िाचहय म अपनी िोस ती म िाणक य की राजनीचत नही खल सकती जो ऐसा करत ह व च जन िगी म अकल रह जात हlsquo

कमल न कहा lsquoबात फोन क चबल क पमणट की हो रही थी तम भी बात को कहाा स कहाा ल गई तम इतना गस सा हो सकती हो मझ पता नही था समय पर म ही काम आऊा गाlsquo

शान को लगा चक मानो उस ितावनी िी जा रही ह वह कमल क इस व यवहार पर हरान थी कोई इनसान इतना कक यिलचटव कस हो सकता ह क या पसा इतना महत वपणि ह चक उसक सामन सबकछ नगण य ह

आज शान की सोि जस थमन का नाम ही नही ल रही थी क या िोस ती जस पाक़-साफ ररश त म बचनयो जसा गणा-भाग करना उचित ह परष मचहला स िोस ती चनभा सकता ह पर मचहला को परष चमरो स चमरता चनभान क चलय चकतन पापड़ बलन पड़त ह कमल की तो इतनी मचहला चमर ह शान न हमशा सबका आिर चकया ह घर बलाया ह

जो शाम शान घमन क चलय रखती ह व शाम उसन कमल क चमरो क चलय चडनर बनान म चबता िी ह क या कभी कमल न इस महसस करन की ज़ररत महसस की ह चक शान की अपनी भी च जन िगी ह उस भी अपनी च जन िगी जीन का परा अचधकार ह

अगर कमल अपन िोस तो क साथ खश रहत ह शान स उनक चलय महनत स चडनर बनवात ह तो चफर शान क चमरो को कमल सहज रप स

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क यो नही ल पात क या हर परष पत नी क मामल म ऐसा ही होता ह शान बड़ी असहज हो रही थी

उसका वश िलता तो उस चनगोड़ मोबाईल को चखड़की स बाहर फ ककर िर-िर कर डालती पर इसम कमल का चिया नमबर ह शान न ख़ि को सयत चकया उस कोई तो चनणिय लना था वह ग़लत बात क सामन हार माननवाली स री नही थी

उस याि ह चक इसी सि बोलन की आित क िलत उस अपन कॉलज का िस ट-स टडणटट क पिक स हाथ धोना पड़ा था यह िीगर बात थी चक उस पिक को पानवाली लड़की एक सप ताह बाि अपन परमी क साथ भाग गई थी और कॉलज की परािायाि पछतान क अलावा कछ नही कर पाई थी

अगल चिन शाम को कमल ऑचफस स आय और बोल lsquoशान मन तम हार मोबाईल का चबल भर चिया ह पर प लीज़ इस महीन ज़रा ध यान रखनाlsquo

शान न कछ नही कहा उसन तय कर चलया था चक उस मोबाईल परकरण म चनणिय लना ह कोई बहस नही करना ह और इस चवषय म बात करन क चलय रचववार सवोत तम चिन ह1

रचववार को सबह क नाश त क बाि शान न कहा lsquoकमल एक काम करो तम अपना यह नमबर वाचपस ल लो म इस नमबर क साथ ख़ि को सहज महसस नही कर रहीlsquo

कमल न कहा lsquoक या परॉब लम ह मन चबल भर चिया हlsquo कमल को शान की यह आित पता ह चक सामान य तौर पर वह चकसी भी बात को चिल स नही लगाती ह वह lsquoरात गई बात गईrsquo वाली कहावत म चवश वास रखती ह तो अब अिानक क या हो गया

शान न कहा lsquoबात चबल भरन की नही ह मझ

पोस टपड की आित नही ह और चफर इसम अन िाज़ा नही रहता और चबल जज ािा हो जाता ह मझ परीपड जज ािा सट करता ह उसम मझ पता रहता ह चक चकतना खिि हो गया ह और म अपनी जब क अनसार खिि कर पाती ह ाlsquo

शान न अपरत यकष रप स अपन फोन का चहसाब रखन का अचधकार कमल को िन स इन कार कर चिया था शान न मोबाईल स चसम काडि चनकाला और कमल को थमा चिया उसन अपना परानावाला चसम काडि मोबाईल म डाला

बहत चिनो बाि शान न ख़ि को शीश म िखा इस मोबाईल न उसक िहर को चनस तज कर चिया था आाखो क नीि काल घर बन गय थ कपड़ भी कस पहनन लगी थी वह उसन ख़ि को चफर स मस त तचबयत की और हरिनमौला बनान का चनणिय चलया और इसक साथ ही उसक होठो पर जो बाल-सलभ मस कान आई वह स वय ही उस पर बचलहारी हो रही थी मध अरोड़ा ममबई 9833959216

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वयिगय माइकरो सटायर

पीएम मनमोहन चसह न िावा चकया ह चक एक हजार बार स जजयािा वह चपछल िस सालो म बोल ह उनक बोलन की ररकाचडिगस िक की गयी

ह- 1100 बार वह कल बोल 1000 बार तो वह यह बोल पाय-ओय कोई तो मरी गलल सण लो ओय बाकी 100 बार वह बोल-ओय मरी बात समझ नी आयी कोई गलल नी राहलजी स पछछ लणा

गङगा साफ करन की पररयोजनाओ म खरबो खाय गय जमना साफ करन की पररयोजनाओ म अरबो खाय गय कछ-कछ समझ म आता ह चक गङगा-जमनी कलिर तमाम पाचलचटकल पाचटियो को बहत चपरय कयो ह

परधानमनरी पि क उममीिवार नर र मोिी का चवरोध करनवालो को लोकसभा िनाव क बाि पाचकसतान जाना पड़गा इस बयान स राबटि वाडरा भी िहशत म आय कयोचक वाडरा क पविज पाचकसतान सयालकोट स आय थ

राहल गााधी न समझाया -जीजाजी ऐसा नही चजसकी पास थोड़ी सी जमीन भी ह इचणडया म उस इचणडयन माना जायगा

राबटि वाडरा क िहर पर मसकान लौट आयी ह-जमीन तो जहाा कहोग वहाा चिखा िागा-कनयाकमारी क समनिर स लकर एवरसट तक की रचजसरी अपन नाम ह दवाररका गजरात समनिर की रचजसरी स लकर पर अरणािल की जमीन अपन कबज म चिखा सकता ह ा

राहल न समझाया-ना थोड़ी जमीन ही बताना अरणािल की जमीन तमहार पास ह यह बात िीन को अगर पता लग गयी तो वह भारत सरकार स नही तमस ही बात करन लगगा जमीन चववाि सलझान को

एक िटकी चसनिर की कीमत तम कया जानो रमश बाब जानता ह ा बहत सही तरह स जानता ह ा कोई एक िटकी चसनिर भरकर अब तक 350 करोड़ रपय कमा िका ह और चपकिर अभी बाकी ह िोसत राजश खनना का जमाना गया अब राबटि वाडरा का आ गया

राबटि वाडरा क घर म धन की िवी लकषमीजी को माा क तौर पर नही पजा जाता लकषमीजी को सास-माा क तौर पर पजा जाता ह

चिचगवजय चसह न पछा - बताओ बताओ राबटि वाडरा न कौन सा कानन तोड़ा राबटि वाडरा सनकर हास रह ह- नानसनस म खि कानन ह ा मझ कौन तोड़गा कचपल चसबबल न आरोप लगाया चक सीबीआई न गजरात फजी एनकाउणटर म मोिी को ढ़ग स घर म नही चलया लो िस साल सरकार काङगरस की रही सीबीआई स जरा सा काम ना करवा पाय

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राहल गााधी न चसबबल को डााटा- ऐसी ही बातो स तो यह आरोप पकका होता ह चक काङगरस सरकार िस सालो म कतई चनकममी रही

अचखलश यािव न कहा चक िाल ह भाजपा क लोग समाजवािी पाटी क लोग िाल नही ह यह सनकर अमर चसह न कहा ह- मरी याि मरी कमी इतन चिनो बाि महसस की िलो ठीक ह पर अब म समाजवािी पाटी क चलए कछ ना करा गा हारा गा भी नही इस सवाथी िचनया म चकसी क चलए हारन स बहतर ह चक म खि अपन चलए हारा लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन ही पिा चकया ह नारायण ितत चतवारी न जोरिार बधाई िी ह लालजी को यह कहत हए चक अकल हम ही नही ह जो बढ़ाप म बाप बन रह ह लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन पिा चकया सबस जजयािा चवरोध उनक आठ बचिो न जताया ह यह कहत हए चक पापा आठ बचिो का ताना झल-झलकर ही पक गय अब एक और जोड़ चलय ह राबड़ी िवी न अलग डााटा ह-लालजी कईसा बात करत ह ऊ चनतीशवा हमको मममी कहगा तो हमको कईसा फील होगा

मोिी की हवा नही िल रही ह यह बात तमाम नयज िनलो पर तरह-तरह क चवदवानो न चिन भर म करीब 40 बार कही मोिी की हवा िल रही ह यह बात बीजपी क परविाओ न नयज िनलो

पर कल सात बार कही िालीस बार मोिी का नाम उधर स सात बार मोिी का नाम इधर स मोिी की हवा असल म बना कौन रहा ह ब िनाव क आग बढ़न पर काङगरस न नर र मोिी क चखलाफ मनमोहन चसह को उतारन की सोिी ह नरनर मोिी क नमो फोन क मकाबल ममो फोन उतारन का पलान हआ इञजीचनयरो न फोन चडजाइन भी कर चलया ह बस एक पराबलम नही चनपट पा रही ह

ममो फोन नामिल तरीक स काम नही करता इसम साइलणट मोड एचकटव करो तब ही फोन पर बात समभव हो पाती ह साइलणट मोड पर ही एचकटव य बात हर कसटमर को समझान म तो कई साल लग जायग

कया चकया जाय इस सवाल क जवाब म मनमोहन चसह साइलणट मोड म िल गय ह

आलोक पराचणक 9810018799

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अर शरी गिशाय नमः ndash शरद जोशी

अथ शरी गणशाय नम बात गणश जी स शर की जाए वह धीर-धीर िह तक पहाि जाएगी या िह स आरमभ कर और वह शरी गणश तक पहाि या पढ़न-चलखन की ििाि

की जाए शरी गणश जञान और बचदध क िवता ह इस कारण सिव अलपमत म रहत होग पर ह तो िवता सबस पहल व ही पज जात ह आचख़र म व ही पानी म उतार जात ह पढ़न-चलखन की ििाि को छोड़ आप शरी गणश की कथा पर आ सकत ह

चवषय कया ह िहा या शरी गणश भई इस िश म कल चमलाकर चवषय एक ही होता ह - ग़रीबी सार चवषय उसी स जनम लत ह कचवता कर लो या उपनयास बात वही होगी ग़रीबी हटान की बात करन वाल बात कहत रह पर यह न सोिा चक ग़रीबी हट गई तो लखक चलखग चकस चवषय पर उनह लगा य साचहतय वाल लोग ग़रीबी हटाओ क चख़लाि ह तो इस पर उतर आए चक िलो साचहतय हटाओ

वह नही हट सकता शरी गणश स िाल हआ ह व ही उसक आचि िवता ह ऋचदध-चसचदध आसपास रहती ह बीि म लखन का काम िलता ह िहा परो क पास बठा रहता ह रिना ख़राब हई चक गणश जी महाराज उस िह को ि ित ह ल भई कतर खा पर ऐसा पराय नही होता चनज कचवतत क फीका न लगन का चनयम गणश जी पर भी उतना ही लाग होता ह िहा परशान रहता ह महाराज कछ खान को िीचजए गणश जी साड पर हाथ फर गभीरता स कहत ह लखक क पररवार क सिसय होखान-पीन की बात मत चकया करो भख रहना सीखो बड़ा ऊा िा मज़ाक-बोध ह शरी गणश जी का (अचछ लखको म रहता ह) िहा सन मसकराता ह जानता ह गणश जी डायचटग पर भरोसा नही करत तबीयत स खात

ह चलखत ह अब चनरनतर बठ चलखत रहन स शरीर म भरीपन तो आ ही जाता ह

िह को साचहतय स कया करना उस िाचहए अनाज क िान कतर खश रह सामानय जन की आवशयकता उसकी आवशयकता ह खान पट भरन को हर गणश-भि को िाचहए भख भजन न होई गणशा या जो भी हो साचहतय स पसा कमान का घनघोर चवरोध व ही करत ह चजनकी लकिररचशप पककी हो गई और वतन नए बढ़ हए गरड़ म चमल रहा ह जो अिसर ह चजनह पशन की सचवधा ह व साचहतय म कराचनत-कराचनत की उछाल भरत रहत ह िहा असल गणश-भि ह

राषटरीय दचिकोण स सोचिए पता ह आपको िहो क कारण िश का चकतना अनाज बरबाि होता ह िहा शर ह िश क गोिामो म घसा िोर ह हमार उतपािन का एक बड़ा परचतशत िहो क पट म िला जाता ह िह स अनाज की रकषा हमारी राषटरीय समसया ह कभी चविार चकया अपन इस पर बड़ गणश-भि बनत ह

चविार चकया यो ही गणश-भि नही बन गए समसया पर चविार करना हमारा पराना मज़ि ह हा-हा-हा ज़रा सचनए

आपको पता ह िान-िान पर खान वाल का नाम चलखा रहता ह यह बात चसिि अनार और पपीत को लकर ही सही नही ह अनाज क छोट-छोट िान को लकर भी सही ह हर िान पर नाम चलखा रहता ह खान वाल का कछ िर पहल जो परााठा मन अिार स लगाकर खाया था उस पर जगह-जगह शरि जोशी चलखा हआ था छोटा-मोटा काम नही ह इतन िानो पर नाम चलखना यह काम कौन कर सकता हगणश जी और कौन व ही चलख सकत ह और चकसी क बस का नही ह यह काम पररशरम लगन और नयाय की ज़ररत होती ह साचहतय वालो को यह काम

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 5: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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िनि अशआर - िरहत अहसास तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़ - तिल ितविी चसतारा एक भी बाकी बिा कया - मयङक अवसथी िोट पर उस न चफर लगाई िोट - साचलम शजा अनसारी उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ - िौज़ान अहमि जब सरज िदद नचियाा पी जात ह - नवीन मर मौला की इबाित क सबब पहािा ह - नवीन

आञचाहलक गजल िो पञजाबी गजल - चशव कमार बटालवी गजराती गजल - सञज वाला अनय साचहतयकार चरलोक चसह ठकरला को सममान समीकषा - शाकनतलम - एक कालजयी कचत का अनश ndash पचणडत सागर चरपाठी

किानी

फोन का हिल - मध अरोड़ा

शान को आज तक समझ म नही आया चक फोन का चबल िखकर कमल की पशानी पर बल क यो पड़ जात ह सबह-शाम कछ नही िखत शान क मड की परवाह

नही उन ह बस अपनी बात कहन स मतलब ह शान का मड खराब होता ह तो होता रह

आज भी तो सबह की ही बात ह शान िाय ही बना रही थी चक कमल न टलीफोन का चबल शान को चिखात हए पछा lsquoशान यह सब क या हrsquo

शान न बालो म चकलप लगात हए कहा lsquoशायि टलीफोन का चबल ह क या हआrsquo कमल न झाझलात हए कहा lsquoयह तो मझ पता ह और चिख भी रहा ह पर चकतन हज़ार रपयो का ह सनोगी तो चिन म तार नज़र आन लगगlsquo

शान न माहौल को हल का बनात हए कहा lsquoवाह कमल चकतना अजबा होगा न चक तार तो रात को चिखाई ित ह चिन म चिखाई िग तो अपन तो चटकट लगा िग अपन घर म चिन म तार चिखान कlsquo

कमल बोल lsquoमज़ाक छोड़ो पर पााि हज़ार का चबल आया ह फोन का इतना चबल हर महीन भर ग तो िाक करन पड़ग एक चिनlsquo

शान न कहा lsquoबात तो सही ह तम हारी कमल पर जब फोन करत ह न तो समय हवा की तरह उड़ता िला जाता ह पता ही नही िलता चक चकतन चमनट बात कीlsquo कमल न कहा lsquoबात सचकषप त तो की जा सकती हlsquo

उसन कहा lsquoकमल फोन पर सचकषप त बात तक तो तम ठीक हो पर एक बात बताओ बात

एकतरफा तो नही होती न चसिि अपनी बात कहकर तो फोन बन ि नही चकया जा सकता सामनवाल की भी बात उतन ही ध यान स सनना होता ह चजतन ध यान स उस बन ि न सनी हlsquo

कमल न कहा lsquoतम हार कल चमलाकर वही चगन-िन वही िार िोस त और सहचलयाा ह रोज़ उन ही लोगो स बात करक चिल नही भरता तम हाराrsquo

शान न नाराज़गी ज़ाचहर करत हए कहा lsquoक या मतलब क या रोज़ िोस त बिल जात ह अर कमल भाई िोस तससहली तो िो-िार ही होत हlsquo कमल न कहा lsquoतम हारी तो हर बात न यारी ह लचकन म एक बात कह िता ह ा चक अगल महीन इतना चबल नही आना िाचहयlsquo कहकर कमल तज़ तज किमो स अपन कमर म िल गय

शान सधी हई िाल स धीर-धीर कमल क कमर म गई कमल अपन ऑचफस क मोबाईल स चकसीस बात कर रह थ शान इनतज़ार करती रही चक कब कमल मोबाईल पर बात करना बन ि कर और वह अपनी बात कह

शान कभी खाली नही बठ सकती और इनतज़ार उस चकसी सज़ा स कम नही लगता सो वह वॉचशग मशीन म कपड़ डालन का काम करन लगी

िस चमनट बाि कमल फोन स फाररग़ हए और शान स बोल lsquo कछ काम ह मझस या खड़ी-खड़ी मरी बात सन रही थीlsquo

शान न कहा lsquoयार तम हारी बात सनन लायक होती ह क या वही लन-िन की बात या कहानी की बात िलाा कहानी अच छी ह तो क यो और अच छी नही ह तो क योlsquo इस पर कमल न कहा lsquoबन िर क या जान अिरख़ का स वािlsquo इस पर शान न कहा lsquoम तो यह कहन आई थी चक टलीफोन का चबल तो म िती ह ा तम परशान

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क यो हो रह हो चजतन का भी चबल आयगा वह िना मरी च जम मिारी ह और अभी तक तो म ही ि रही ह ाlsquo

कमल न कहा lsquoिखो म चजस पोजीशन का ऑचफसर ह ा उसम मर घर क फोन का चबल मरा ऑचफस भरगा पर उसकी सीमा ह तो तम उस सीमा तक ही बात करो फोन पर ताचक जब स कछ खिि न करना पड़lsquo

शान न कहा lsquoयह तो कोई लॉचजक की बात नही हई हर जगह पसा क यो आ जाता ह बीि म कभी चिल क सकन की भी बात चकया करो च जन िगी म पसा ही सबकछ नही हlsquo

इस पर कमल बोल lsquoपस की कर करना सीखो रत की माचननि कब हाथ स चफसल जायगा पता भी नही िलगाlsquo रोज़-रोज़ फोन करक परम और स नह जज ािा नही हो जाताlsquo इस पर शान न कनध उिकात हए कहा lsquoभई िखो म तो जब फोन करा गी जी भरकर बात करा गी तम हारा ऑचफस चबल भर या न भरlsquo

कमल न चिढ़कर कहा lsquoयान तम हार सधरन का कोई िानस नही हrsquo शान न कहा lsquoम चबगड़ी ही कब ह ा जो सधरन का िानस ढाढा जायमन कभी रोका ह तमको चकसीस बात करन क चलय

lsquoिखो शान मर ऑचफचशयल फोन होत ह उनम ही म अपन चनजी फोन भी कर लता ह ा तम हारी तरह हमशा फोन स चिपका नही रहताlsquo कमल न उलाहनभर स वर म कहा

शान न अागड़ाई लत हए कहा lsquoमझ अपन िोस तो स भाई-बहनो स फोन पर बात करना अच छा लगता ह िर स भी चकतनी साि आवाज़ आती ह लगता ह चक पास स ही फोन कर रह हो आई लव इटlsquo

कमल होठो ही होठो म कछ बोलत हए आाख बन ि कर लत ह शान हासत हए कहती ह यार हम िोनो कमात ह अग़र आधा-आधा भी अमाउणट ि तो पााि हज़ार का चबल भर सकत ह तम भी अपन िोस तो स बात करो और म भी क यो मन को मारत होrsquo

शान न बात को आग बढ़ात हए कहा lsquoिखो तम तो चफर भी ऑचफचशयल टर म अपन लोगो स भाई बहनो स चमल आत हो मरा तो ऐसा भी कोई िक कर नही हrsquo

कमल न एक आाख खोलत हए कहा lsquoतम मझ िाह चकतना ही पटान की कोचशश करो म न तो पटनवाला ह ा इस फोन क मामल म और न ही एक भी पसा िनवाला ह ा य तम हार फोन का चबल ह तम जानो और तम हारा काम मरा काम ऑचफस क मोबाईल स हो जाता हlsquo

शान न कहा lsquoमरा ऑचफस तो चसिि एक हज़ार िता ह उसस क या होगा म तो इस पिड़ म पड़ती ही नही चकसीकी महरबानी नही िाचहय चफर फोन जसी तच छ िीज़ क चलय तमको क यो पटाऊा गी भलाrsquo इस पर कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoतम बहस बहत करती हो अपनी ग़लती मान लो तो कछ चबगड़ जायगा क याrsquo

अब शान भी चिढ़ गई और बोली lsquoफोन का वह चबल तम हारा ऑचफस िगा तम नही लचकन चिन ता नको चिक-चिक भी नही म अपन फोन का चबल अपन नोटो स ि सकती ह ाlsquo

यह बात सनत ही कमल न अपनी खली आाख चफर स बन ि कर ली शान तसल ली स सब काटन िली गई अपनी बात कहकर वह हल की हो गई थी क यो उन बातो को ढोया जाय जो ब लडपरशर हाई कर

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शान क ऑचफस क डॉक टर भी शान क इस नॉमिल ब लडपरशर पर आश ियि करत ह एक चिन डॉक टर न कहा भी lsquoशानजी आप इतनी खश कस रह लती ह यहाा तो जो भी आता ह उस या तो हाईपर टशन होता ह शगर बढा हआ वज़नlsquo

शान न परश नवािक आाखो स डॉक टर को िखा तो डॉक टर न कहा lsquoमरा मतलब ह चक आप अभी तक चफट कस ह यहाा तक चक म डॉक टर ह ा मझ हाई ब लड परशर ह रोज़ िवा लता ह ाlsquo

शान न हासत हए कहा lsquoमरा काम ह टनशन िना िचखय सीधी सी बात ह चजस बात पर मरा वश नही होता म सोिती ही नही जो होना ह वह तो होना ही हlsquo

शान न अपन पहल को बिलत हए कहा lsquoअब यचि म िाह ा चक मर पचत फलाा स बात न कर पर यचि उनको करना ह तो व कर ग ही िाह चछपकर कर या सामन कर तो क यो अपना चिमाग़ खराब करनाrsquo

डॉक टर न कहा lsquoकमाल ह आप च जन िगी को इतन हल क रप म लती ह य आर गरटlsquo शान न कहा lsquoऔर नही तो क या म क यो चिल जलाऊा मर चिल क जलन स सामन वाल को फक़ि पड़ना िाचहयlsquo

डॉक टर न हासत हए कहा काश सब आप जसा सोि पातlsquo शान न भी हासत हए कहा lsquoसब सवतनर िश क सवतनर लोग ह मन चकसीका कोई ठका तो ल नही रखाlsquo

डॉक टर भी मरी बात सनकर हास और बोल lsquoएक हि तक आप ठीक कहती ह पचत पत नी भी एक-िसर क िौकीिार तो नही ह न यह ररश ता तो आपसी समझिारी और चवश वास का ररश ता हlsquo

इस पर शान न कहा lsquoयचि चकसी काम क चलय चिल गवाही िता ह तो ज़रर करना िाचहय

लचकन एक िसर को भलाव म नही रखना िाचहयlsquo

डॉक टर न कहा lsquoआज आपस बात करक बहत अच छा लगा मझ लगा ही नही चक म मरीज़ स बात कर रहा ह ाlsquo अर शान भी चकन बातो म खो गई बड़ी ज़ल िी अपन म खो जाती ह

आज कमल बड़ अच छ मड म ह ितरतर स आय ह शान न िाय बनाई और िोनो न अपन-अपन प याल हाथ म ल चलय

यह शान का शािी क बाि स चनयम ह चक वह और कमल सबह और शाम की िाय घर म साथ-साथ पीत ह िाह िोनो म झगड़ा हो अनबोलािाली हो पर िाय साथ म चपयग

कमल न कहा lsquo िखो शान एक काम करत ह मर ऑचफस क चलय मोबाईलवालो न एक स कीम चनकाली ह उसक तहत पत नी क चलय मोबाईल फरी हlsquo यह सनकर शान क कान खड़ हो गय वह बोली यह मोबाईल कमपनी का क या नया फणडा हrsquo lsquoपहल परी बात सन लो हाा तो म कह रहा था चक मरा तो पोस टपड ह तम यह नया नमबर ल लो इसका जो भी चबल आयगा म िका िागाlsquo कमल न शान का हाथ अपन हाथ म लत हए कहा

अपनी बात पर परचतचकरया न होत िखकर आग बोल lsquoलण डलाईन नमबर कटवा िग हम िोनो क पास मोबाईल ह ही बच िो क साथ कॉन फरचनसग सचवधा ल लग चकफायत म सब काम हो जाया करगा फोन का चबल भी नही भरना पड़गाlsquo

पता नही शान भी चकस मड म थी उसन हामी भर िी कमल न भी शान को सकण ड थॉट का मौका चिय चबना िसर ही चिन नया नमबर लाकर ि चिया अब कमल आश वस त हो गय थ चक शान

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क फोनो का उनक पास चहसाब रहगा चबल जो उनक नाम आयगा

शान को सपन म भी ग़मान नही था चक उसक फोनो का चहसाब रखा जायगा वह मज़ स फोन करती रही जब एक महीन बाि चबल आया तो अब कमल की बारी थी

कमल न चफर एक बार फोन का चबल शान क सामन रखत हए क हा lsquoिखो शान तम हारा चबल रपय 2000- का आया ह क या तम फोन कम नही कर सकती मरा ऑचफस मझ मर फोन का चबल िगा तम हारा चबल तो मझ िना हlsquo

शान को अिमभा हआ और उसन कहा lsquoलचकन कमल यह तम हारा ही परस ताव था उस समय फोन करन क पसो की सीमा तमन तय नही की थी ऐसा नही िलगा पहल बता ित तो म नया नमबर लती ही नहीlsquo

शान न कमल को एक रास ता सझात हए कहा lsquoमरा पराना नमबर तो सबक पास ह एक काम करती ह ा अपन परान नमबर पर म फोन ररसीव करा गी और तम हार चिय नमबर स फोन कर चलया करा गीlsquo

कमल न अपनी खीझ को चछपात हए कहा िो नमबरो की क या ज़ररत ह बात तो व ही ढाक क तीन पातवाली रही नrsquo शान न इस बात को आग न बढ़ात हए िप रहना ही बहतर समझा

अब शान इस बात का ध यान रखन लगी थी चक कमल क सामन फोन न चकया जाय इस तरह अनजान म शान म चछपकर फोन करन की आित घर करती जा रही थी अब वह फोन करत समय घड़ी िखन लगी थी

वह समझ नही पा रही थी चक इस फोन क मदद को कस हल चकया जाय कमल का ध यान अक सर

शान क मोबाईल पर लगा रहता चक कब बजता ह और शान चकतनी िर बात करती ह

अब हालत यह हो गई थी चक मोबाईल क बजन पर शान आकरानत हो जाती थी और कमल क कान सतकि यचि वह कान म बाचलयाा भी पहन रही होती तो चकसी न चकसी बहान स कमल कमर म आत और इधर-उधर कछ ढाढ़त और ऐस िल जात चक मानो उन होन कछ िखा ही नही

शान को आश ियि होता चक कमल को यह क या होता जा रहा ह उनकी आाखो म वह शक क डोर िखन लगी थी शान सोिती चक जो ख़ि को शान का िोस त होन का िावा करता था लचकन अब वह धीर-धीर चटचपकल पचत क रप म तब िील होता जा रहा था मोबाईल जी का जञजाल बनता जा रहा था

शान को इस िह-चबल ली क खल म न तो मज़ा आ रहा था और न ही उसकी इस तरह क व यथि क कामो म कोई चिलिस पी थी शान शर स ही मस त तचबयत की लड़की रही ह

अपन जोक पर वह ख़ि ही हास लती ह सामनवाला हरान होता ह चक चजस जोक सनाया गया वह तो हासा ही नही अब इसम शान को क या िोष अग़र सामनवाल को जोक समझ ही नही आया उसकी टयबलाइट नही िमकी तो वह क या कर

तो इस मस त तचबयत की शान इस मोबाईल को लकर क यो मसीबत मोल ल कोई उसकी हासी क योकर छीन जो उस अपन मायक स चवरासत म चमली ह वह अपन मायक म बड़ी ह वह हमशा चडसीज़न मकर रही ह क या वह अपन मोबाईल क चवषय म चडसीज़न नही ल सकती

िसर महीन कमल न चफर शान को मोबाईल का चबल चिखाया यह चबल रपय 1500- का था कमल न कहा lsquoिखो शान इस महीन 500 रपय

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तो कम हए ऐस ही धीर-धीर और कम करो जज ािा स जज ािा रपय 600- का चबल आना िाचहयlsquo

अब शान की बारी थी वह बोली lsquoिखो कमल हम िोनो वचकि ग ह हमारी ज़ररत अलग-अलग ह और होनी भी िाचहय मरी हर ज़ररत तम हारी ज़ररत स बाध यह कोई ज़ररी नही ह हम लाईफ पाटिनर ह माचलक-सवक नहीlsquo

कमल न िश मा लगात हए कहा lsquoमन ऐसा कब कहा म तो चकफा यत की बात कर रहा ह ाlsquo शान न कहा lsquoयार चकतनी चकिायत करोग चकसीक बोलन-िालन पर बचनिश लगान का क या तक हrsquo और चफर म तो फोन का चबल ि रही थी कभी चकसीको रोका नही फोन करन स पढ़नवाल बच ि ह व भी फोन करत ह मझ तो तम हार ऑचफस स चमलनवाल मोबाईल की तमन ना भी नही थी तम हारा परस ताव थाlsquo

कमल न चबना चकसी परचतचकरया क अपन चिरपररचित ठणड स वर म कहा lsquoतम इतनी उत तचजत क यो हो जाती हो ठणड चिल स मरी बात पर सोिो चबना वज़ह फोन करना छोड़ िोlsquo

यह सनकर शान को अच छा नही लगा और बोल पड़ी lsquoहमशा वजह स ही फोन चकय जाय यह ज़ररी तो नहीlsquo कमल न कहा lsquoयही तो चिक कत ह सब अपन म मस त ह उल ट तम उनको चडस टबि करती होlsquo

शान न कछ कहना िाहा तो कमल न हाथ क इशार स रोकत हए कहा lsquoकई बार लोग नही िाहत चक उन ह बवज़ह फोन चकया जाय उनकी नज़रो म तम हारी इजज ज़त कम हो सकती हlsquo

शान न गस स स कहा lsquo बात को ग़लत चिशा म मत मोड़ो बात मोबाईल क चबल क भगतान की हो रही ह मर िोस तो म मझ जसा साहस ह यचि

व चडस टबि होत ह तो यह बात व मझस बखटक कह सकत ह उनक माह म पानी नही भरा हlsquo

कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoचकसकी कज़ा आई ह जो तमस य ह बात कहगा तम ह चकसी तरह झल लत ह तम ह चवश वास न हो तो आजमाकर िखो एक हतरत चकसीको फोन मत करो कोई तम हारा हाल नही पछगा तम तो मान न मान म तरा महमान वाली बात करती होlsquo

शान न कहा lsquoकमल तम मझ मर िोस तो क चखलाि नही कर सकत मझ पर इन बातो का कोई असर नही होता मर िोस तो स बात करन की समय सीमा तम क योकर तय करोrsquo कमल न चिढ़त हए कहा rsquoकभी मर ररश तिारो स भी बात की हrsquo इस पर शान न तपाक स कहा lsquoकब नही करती ज़रा बताओग वहाा भी तमको एतराज़ होता ह चक फलाा स बात क यो नही कीlsquo इस पर कमल ह ाह करक िप हो गय

शान अपनी रौ म बोलती गई lsquoकमल मझ अपन िोस त और सहचलयाा बहत चपरय ह व मर आड़ वक त मर साथ खड़ होत रह ह मरी िचनया म नात ररश तिारी क अलावा भी लोग शाचमल ह और व मर चिल क करीब ह उनक और मर बीि िरी लान की कोचशश मत करोlsquo

शान न कमल क कान क पास जाकर सरग़ोशी की lsquoतम ही बताओ क या तम मर कहन स अपन िोस तो को फोन करना छोड़ सकत हो नही न चफर सार ग़लत सही परयोग मझ पर ही क योrsquo

कमल न कहा lsquoतमन कभी सोिा ह चक तम हारी चमरता को लोग ग़लत रप म भी ल सकत ह कम स कम कछ तो ख़याल करोlsquo

अब तो शान का पारा सातव आसमान पर था बोली lsquoमन कभी चकसीकी चमरता पर कमणट चकया ह कछ िोस त तो खलआम िसर की बीचवयो क साथ चफल म िखत ह घमत ह उन ह

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कोई कछ नही कहता मर फोन करन मार पर इतना बखड़ाrsquo

कमल हरान थ शान की इस मखरता पर वह बोलती रही lsquoम अपन चमरो क साथ न तो घमती ह ा और न उनस चकसी तरह का फायिा उठाती ह ा इस बात को कान खोलकर सन लो मर जो भी चमर ह व पाररवाररक हlsquo

कमल न कछ कहन की कोचशश की तो शान न उस अनसना करत हए कहाrsquoऔर तम उनस बखटक बात करत हो जबचक अपन िोस तो क साथ तम िाहो तभी बात कर सकती ह ा कस मरी बात बीि म काटकर बात की चिशा बिल ित हो कभी ग़ौर चकया ह इस बात पर

कमल न मानो हचथयार डालत हए कहा lsquoमरी एक बात तो सनोlsquo शान न कहा lsquoनही आज तम मरी बात सनो तो हाा म कह रही थी चक मर चिल पर क या गजरती होगी जब सबक सामन तम ऐसा करत हो मन कभी कछ कहा तमसrsquo

िसरी बात मझ पररवार की मयाििा का परा खयाल ह मझ क या करना ह चकतना करना ह कब करना ह मझ पता ह और म अपन चमरो का ररप लसमट नही ढाढती और चफर कई चमर तो मर और तम हार कॉमन चमर ह lsquo

कमल को इस बात का अहसास नही था चक बात इतनी बढ़ जायगी उन होन शान का यह रौर रप कभी नही िखा था वह अपन चमरो क परचत इतनी समविनशील ह उन होन सोिा भी नही था कमल का मानना ह चक च जन िगी म चमर बिलत रहत ह इसस नई सोि चमलती ह

उन होन बात साभालत हए कहा lsquoिखो शान चडयर यह मरा मतलब कतई नही था चमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय म फोन करन क चलय इन कार नही करता पर हर िीज़ चलचमट म अच छी लगती हlsquo

शान ख़ि को बहत अपमाचनत महसस कर रही थी उसन तनककर कहा lsquoचमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय यह मझ पता ह पर परान िोस तो की िोस ती की जड़ो म छाछ नही डालना िाचहय म अपनी िोस ती म िाणक य की राजनीचत नही खल सकती जो ऐसा करत ह व च जन िगी म अकल रह जात हlsquo

कमल न कहा lsquoबात फोन क चबल क पमणट की हो रही थी तम भी बात को कहाा स कहाा ल गई तम इतना गस सा हो सकती हो मझ पता नही था समय पर म ही काम आऊा गाlsquo

शान को लगा चक मानो उस ितावनी िी जा रही ह वह कमल क इस व यवहार पर हरान थी कोई इनसान इतना कक यिलचटव कस हो सकता ह क या पसा इतना महत वपणि ह चक उसक सामन सबकछ नगण य ह

आज शान की सोि जस थमन का नाम ही नही ल रही थी क या िोस ती जस पाक़-साफ ररश त म बचनयो जसा गणा-भाग करना उचित ह परष मचहला स िोस ती चनभा सकता ह पर मचहला को परष चमरो स चमरता चनभान क चलय चकतन पापड़ बलन पड़त ह कमल की तो इतनी मचहला चमर ह शान न हमशा सबका आिर चकया ह घर बलाया ह

जो शाम शान घमन क चलय रखती ह व शाम उसन कमल क चमरो क चलय चडनर बनान म चबता िी ह क या कभी कमल न इस महसस करन की ज़ररत महसस की ह चक शान की अपनी भी च जन िगी ह उस भी अपनी च जन िगी जीन का परा अचधकार ह

अगर कमल अपन िोस तो क साथ खश रहत ह शान स उनक चलय महनत स चडनर बनवात ह तो चफर शान क चमरो को कमल सहज रप स

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क यो नही ल पात क या हर परष पत नी क मामल म ऐसा ही होता ह शान बड़ी असहज हो रही थी

उसका वश िलता तो उस चनगोड़ मोबाईल को चखड़की स बाहर फ ककर िर-िर कर डालती पर इसम कमल का चिया नमबर ह शान न ख़ि को सयत चकया उस कोई तो चनणिय लना था वह ग़लत बात क सामन हार माननवाली स री नही थी

उस याि ह चक इसी सि बोलन की आित क िलत उस अपन कॉलज का िस ट-स टडणटट क पिक स हाथ धोना पड़ा था यह िीगर बात थी चक उस पिक को पानवाली लड़की एक सप ताह बाि अपन परमी क साथ भाग गई थी और कॉलज की परािायाि पछतान क अलावा कछ नही कर पाई थी

अगल चिन शाम को कमल ऑचफस स आय और बोल lsquoशान मन तम हार मोबाईल का चबल भर चिया ह पर प लीज़ इस महीन ज़रा ध यान रखनाlsquo

शान न कछ नही कहा उसन तय कर चलया था चक उस मोबाईल परकरण म चनणिय लना ह कोई बहस नही करना ह और इस चवषय म बात करन क चलय रचववार सवोत तम चिन ह1

रचववार को सबह क नाश त क बाि शान न कहा lsquoकमल एक काम करो तम अपना यह नमबर वाचपस ल लो म इस नमबर क साथ ख़ि को सहज महसस नही कर रहीlsquo

कमल न कहा lsquoक या परॉब लम ह मन चबल भर चिया हlsquo कमल को शान की यह आित पता ह चक सामान य तौर पर वह चकसी भी बात को चिल स नही लगाती ह वह lsquoरात गई बात गईrsquo वाली कहावत म चवश वास रखती ह तो अब अिानक क या हो गया

शान न कहा lsquoबात चबल भरन की नही ह मझ

पोस टपड की आित नही ह और चफर इसम अन िाज़ा नही रहता और चबल जज ािा हो जाता ह मझ परीपड जज ािा सट करता ह उसम मझ पता रहता ह चक चकतना खिि हो गया ह और म अपनी जब क अनसार खिि कर पाती ह ाlsquo

शान न अपरत यकष रप स अपन फोन का चहसाब रखन का अचधकार कमल को िन स इन कार कर चिया था शान न मोबाईल स चसम काडि चनकाला और कमल को थमा चिया उसन अपना परानावाला चसम काडि मोबाईल म डाला

बहत चिनो बाि शान न ख़ि को शीश म िखा इस मोबाईल न उसक िहर को चनस तज कर चिया था आाखो क नीि काल घर बन गय थ कपड़ भी कस पहनन लगी थी वह उसन ख़ि को चफर स मस त तचबयत की और हरिनमौला बनान का चनणिय चलया और इसक साथ ही उसक होठो पर जो बाल-सलभ मस कान आई वह स वय ही उस पर बचलहारी हो रही थी मध अरोड़ा ममबई 9833959216

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वयिगय माइकरो सटायर

पीएम मनमोहन चसह न िावा चकया ह चक एक हजार बार स जजयािा वह चपछल िस सालो म बोल ह उनक बोलन की ररकाचडिगस िक की गयी

ह- 1100 बार वह कल बोल 1000 बार तो वह यह बोल पाय-ओय कोई तो मरी गलल सण लो ओय बाकी 100 बार वह बोल-ओय मरी बात समझ नी आयी कोई गलल नी राहलजी स पछछ लणा

गङगा साफ करन की पररयोजनाओ म खरबो खाय गय जमना साफ करन की पररयोजनाओ म अरबो खाय गय कछ-कछ समझ म आता ह चक गङगा-जमनी कलिर तमाम पाचलचटकल पाचटियो को बहत चपरय कयो ह

परधानमनरी पि क उममीिवार नर र मोिी का चवरोध करनवालो को लोकसभा िनाव क बाि पाचकसतान जाना पड़गा इस बयान स राबटि वाडरा भी िहशत म आय कयोचक वाडरा क पविज पाचकसतान सयालकोट स आय थ

राहल गााधी न समझाया -जीजाजी ऐसा नही चजसकी पास थोड़ी सी जमीन भी ह इचणडया म उस इचणडयन माना जायगा

राबटि वाडरा क िहर पर मसकान लौट आयी ह-जमीन तो जहाा कहोग वहाा चिखा िागा-कनयाकमारी क समनिर स लकर एवरसट तक की रचजसरी अपन नाम ह दवाररका गजरात समनिर की रचजसरी स लकर पर अरणािल की जमीन अपन कबज म चिखा सकता ह ा

राहल न समझाया-ना थोड़ी जमीन ही बताना अरणािल की जमीन तमहार पास ह यह बात िीन को अगर पता लग गयी तो वह भारत सरकार स नही तमस ही बात करन लगगा जमीन चववाि सलझान को

एक िटकी चसनिर की कीमत तम कया जानो रमश बाब जानता ह ा बहत सही तरह स जानता ह ा कोई एक िटकी चसनिर भरकर अब तक 350 करोड़ रपय कमा िका ह और चपकिर अभी बाकी ह िोसत राजश खनना का जमाना गया अब राबटि वाडरा का आ गया

राबटि वाडरा क घर म धन की िवी लकषमीजी को माा क तौर पर नही पजा जाता लकषमीजी को सास-माा क तौर पर पजा जाता ह

चिचगवजय चसह न पछा - बताओ बताओ राबटि वाडरा न कौन सा कानन तोड़ा राबटि वाडरा सनकर हास रह ह- नानसनस म खि कानन ह ा मझ कौन तोड़गा कचपल चसबबल न आरोप लगाया चक सीबीआई न गजरात फजी एनकाउणटर म मोिी को ढ़ग स घर म नही चलया लो िस साल सरकार काङगरस की रही सीबीआई स जरा सा काम ना करवा पाय

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राहल गााधी न चसबबल को डााटा- ऐसी ही बातो स तो यह आरोप पकका होता ह चक काङगरस सरकार िस सालो म कतई चनकममी रही

अचखलश यािव न कहा चक िाल ह भाजपा क लोग समाजवािी पाटी क लोग िाल नही ह यह सनकर अमर चसह न कहा ह- मरी याि मरी कमी इतन चिनो बाि महसस की िलो ठीक ह पर अब म समाजवािी पाटी क चलए कछ ना करा गा हारा गा भी नही इस सवाथी िचनया म चकसी क चलए हारन स बहतर ह चक म खि अपन चलए हारा लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन ही पिा चकया ह नारायण ितत चतवारी न जोरिार बधाई िी ह लालजी को यह कहत हए चक अकल हम ही नही ह जो बढ़ाप म बाप बन रह ह लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन पिा चकया सबस जजयािा चवरोध उनक आठ बचिो न जताया ह यह कहत हए चक पापा आठ बचिो का ताना झल-झलकर ही पक गय अब एक और जोड़ चलय ह राबड़ी िवी न अलग डााटा ह-लालजी कईसा बात करत ह ऊ चनतीशवा हमको मममी कहगा तो हमको कईसा फील होगा

मोिी की हवा नही िल रही ह यह बात तमाम नयज िनलो पर तरह-तरह क चवदवानो न चिन भर म करीब 40 बार कही मोिी की हवा िल रही ह यह बात बीजपी क परविाओ न नयज िनलो

पर कल सात बार कही िालीस बार मोिी का नाम उधर स सात बार मोिी का नाम इधर स मोिी की हवा असल म बना कौन रहा ह ब िनाव क आग बढ़न पर काङगरस न नर र मोिी क चखलाफ मनमोहन चसह को उतारन की सोिी ह नरनर मोिी क नमो फोन क मकाबल ममो फोन उतारन का पलान हआ इञजीचनयरो न फोन चडजाइन भी कर चलया ह बस एक पराबलम नही चनपट पा रही ह

ममो फोन नामिल तरीक स काम नही करता इसम साइलणट मोड एचकटव करो तब ही फोन पर बात समभव हो पाती ह साइलणट मोड पर ही एचकटव य बात हर कसटमर को समझान म तो कई साल लग जायग

कया चकया जाय इस सवाल क जवाब म मनमोहन चसह साइलणट मोड म िल गय ह

आलोक पराचणक 9810018799

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अर शरी गिशाय नमः ndash शरद जोशी

अथ शरी गणशाय नम बात गणश जी स शर की जाए वह धीर-धीर िह तक पहाि जाएगी या िह स आरमभ कर और वह शरी गणश तक पहाि या पढ़न-चलखन की ििाि

की जाए शरी गणश जञान और बचदध क िवता ह इस कारण सिव अलपमत म रहत होग पर ह तो िवता सबस पहल व ही पज जात ह आचख़र म व ही पानी म उतार जात ह पढ़न-चलखन की ििाि को छोड़ आप शरी गणश की कथा पर आ सकत ह

चवषय कया ह िहा या शरी गणश भई इस िश म कल चमलाकर चवषय एक ही होता ह - ग़रीबी सार चवषय उसी स जनम लत ह कचवता कर लो या उपनयास बात वही होगी ग़रीबी हटान की बात करन वाल बात कहत रह पर यह न सोिा चक ग़रीबी हट गई तो लखक चलखग चकस चवषय पर उनह लगा य साचहतय वाल लोग ग़रीबी हटाओ क चख़लाि ह तो इस पर उतर आए चक िलो साचहतय हटाओ

वह नही हट सकता शरी गणश स िाल हआ ह व ही उसक आचि िवता ह ऋचदध-चसचदध आसपास रहती ह बीि म लखन का काम िलता ह िहा परो क पास बठा रहता ह रिना ख़राब हई चक गणश जी महाराज उस िह को ि ित ह ल भई कतर खा पर ऐसा पराय नही होता चनज कचवतत क फीका न लगन का चनयम गणश जी पर भी उतना ही लाग होता ह िहा परशान रहता ह महाराज कछ खान को िीचजए गणश जी साड पर हाथ फर गभीरता स कहत ह लखक क पररवार क सिसय होखान-पीन की बात मत चकया करो भख रहना सीखो बड़ा ऊा िा मज़ाक-बोध ह शरी गणश जी का (अचछ लखको म रहता ह) िहा सन मसकराता ह जानता ह गणश जी डायचटग पर भरोसा नही करत तबीयत स खात

ह चलखत ह अब चनरनतर बठ चलखत रहन स शरीर म भरीपन तो आ ही जाता ह

िह को साचहतय स कया करना उस िाचहए अनाज क िान कतर खश रह सामानय जन की आवशयकता उसकी आवशयकता ह खान पट भरन को हर गणश-भि को िाचहए भख भजन न होई गणशा या जो भी हो साचहतय स पसा कमान का घनघोर चवरोध व ही करत ह चजनकी लकिररचशप पककी हो गई और वतन नए बढ़ हए गरड़ म चमल रहा ह जो अिसर ह चजनह पशन की सचवधा ह व साचहतय म कराचनत-कराचनत की उछाल भरत रहत ह िहा असल गणश-भि ह

राषटरीय दचिकोण स सोचिए पता ह आपको िहो क कारण िश का चकतना अनाज बरबाि होता ह िहा शर ह िश क गोिामो म घसा िोर ह हमार उतपािन का एक बड़ा परचतशत िहो क पट म िला जाता ह िह स अनाज की रकषा हमारी राषटरीय समसया ह कभी चविार चकया अपन इस पर बड़ गणश-भि बनत ह

चविार चकया यो ही गणश-भि नही बन गए समसया पर चविार करना हमारा पराना मज़ि ह हा-हा-हा ज़रा सचनए

आपको पता ह िान-िान पर खान वाल का नाम चलखा रहता ह यह बात चसिि अनार और पपीत को लकर ही सही नही ह अनाज क छोट-छोट िान को लकर भी सही ह हर िान पर नाम चलखा रहता ह खान वाल का कछ िर पहल जो परााठा मन अिार स लगाकर खाया था उस पर जगह-जगह शरि जोशी चलखा हआ था छोटा-मोटा काम नही ह इतन िानो पर नाम चलखना यह काम कौन कर सकता हगणश जी और कौन व ही चलख सकत ह और चकसी क बस का नही ह यह काम पररशरम लगन और नयाय की ज़ररत होती ह साचहतय वालो को यह काम

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 6: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

किानी

फोन का हिल - मध अरोड़ा

शान को आज तक समझ म नही आया चक फोन का चबल िखकर कमल की पशानी पर बल क यो पड़ जात ह सबह-शाम कछ नही िखत शान क मड की परवाह

नही उन ह बस अपनी बात कहन स मतलब ह शान का मड खराब होता ह तो होता रह

आज भी तो सबह की ही बात ह शान िाय ही बना रही थी चक कमल न टलीफोन का चबल शान को चिखात हए पछा lsquoशान यह सब क या हrsquo

शान न बालो म चकलप लगात हए कहा lsquoशायि टलीफोन का चबल ह क या हआrsquo कमल न झाझलात हए कहा lsquoयह तो मझ पता ह और चिख भी रहा ह पर चकतन हज़ार रपयो का ह सनोगी तो चिन म तार नज़र आन लगगlsquo

शान न माहौल को हल का बनात हए कहा lsquoवाह कमल चकतना अजबा होगा न चक तार तो रात को चिखाई ित ह चिन म चिखाई िग तो अपन तो चटकट लगा िग अपन घर म चिन म तार चिखान कlsquo

कमल बोल lsquoमज़ाक छोड़ो पर पााि हज़ार का चबल आया ह फोन का इतना चबल हर महीन भर ग तो िाक करन पड़ग एक चिनlsquo

शान न कहा lsquoबात तो सही ह तम हारी कमल पर जब फोन करत ह न तो समय हवा की तरह उड़ता िला जाता ह पता ही नही िलता चक चकतन चमनट बात कीlsquo कमल न कहा lsquoबात सचकषप त तो की जा सकती हlsquo

उसन कहा lsquoकमल फोन पर सचकषप त बात तक तो तम ठीक हो पर एक बात बताओ बात

एकतरफा तो नही होती न चसिि अपनी बात कहकर तो फोन बन ि नही चकया जा सकता सामनवाल की भी बात उतन ही ध यान स सनना होता ह चजतन ध यान स उस बन ि न सनी हlsquo

कमल न कहा lsquoतम हार कल चमलाकर वही चगन-िन वही िार िोस त और सहचलयाा ह रोज़ उन ही लोगो स बात करक चिल नही भरता तम हाराrsquo

शान न नाराज़गी ज़ाचहर करत हए कहा lsquoक या मतलब क या रोज़ िोस त बिल जात ह अर कमल भाई िोस तससहली तो िो-िार ही होत हlsquo कमल न कहा lsquoतम हारी तो हर बात न यारी ह लचकन म एक बात कह िता ह ा चक अगल महीन इतना चबल नही आना िाचहयlsquo कहकर कमल तज़ तज किमो स अपन कमर म िल गय

शान सधी हई िाल स धीर-धीर कमल क कमर म गई कमल अपन ऑचफस क मोबाईल स चकसीस बात कर रह थ शान इनतज़ार करती रही चक कब कमल मोबाईल पर बात करना बन ि कर और वह अपनी बात कह

शान कभी खाली नही बठ सकती और इनतज़ार उस चकसी सज़ा स कम नही लगता सो वह वॉचशग मशीन म कपड़ डालन का काम करन लगी

िस चमनट बाि कमल फोन स फाररग़ हए और शान स बोल lsquo कछ काम ह मझस या खड़ी-खड़ी मरी बात सन रही थीlsquo

शान न कहा lsquoयार तम हारी बात सनन लायक होती ह क या वही लन-िन की बात या कहानी की बात िलाा कहानी अच छी ह तो क यो और अच छी नही ह तो क योlsquo इस पर कमल न कहा lsquoबन िर क या जान अिरख़ का स वािlsquo इस पर शान न कहा lsquoम तो यह कहन आई थी चक टलीफोन का चबल तो म िती ह ा तम परशान

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क यो हो रह हो चजतन का भी चबल आयगा वह िना मरी च जम मिारी ह और अभी तक तो म ही ि रही ह ाlsquo

कमल न कहा lsquoिखो म चजस पोजीशन का ऑचफसर ह ा उसम मर घर क फोन का चबल मरा ऑचफस भरगा पर उसकी सीमा ह तो तम उस सीमा तक ही बात करो फोन पर ताचक जब स कछ खिि न करना पड़lsquo

शान न कहा lsquoयह तो कोई लॉचजक की बात नही हई हर जगह पसा क यो आ जाता ह बीि म कभी चिल क सकन की भी बात चकया करो च जन िगी म पसा ही सबकछ नही हlsquo

इस पर कमल बोल lsquoपस की कर करना सीखो रत की माचननि कब हाथ स चफसल जायगा पता भी नही िलगाlsquo रोज़-रोज़ फोन करक परम और स नह जज ािा नही हो जाताlsquo इस पर शान न कनध उिकात हए कहा lsquoभई िखो म तो जब फोन करा गी जी भरकर बात करा गी तम हारा ऑचफस चबल भर या न भरlsquo

कमल न चिढ़कर कहा lsquoयान तम हार सधरन का कोई िानस नही हrsquo शान न कहा lsquoम चबगड़ी ही कब ह ा जो सधरन का िानस ढाढा जायमन कभी रोका ह तमको चकसीस बात करन क चलय

lsquoिखो शान मर ऑचफचशयल फोन होत ह उनम ही म अपन चनजी फोन भी कर लता ह ा तम हारी तरह हमशा फोन स चिपका नही रहताlsquo कमल न उलाहनभर स वर म कहा

शान न अागड़ाई लत हए कहा lsquoमझ अपन िोस तो स भाई-बहनो स फोन पर बात करना अच छा लगता ह िर स भी चकतनी साि आवाज़ आती ह लगता ह चक पास स ही फोन कर रह हो आई लव इटlsquo

कमल होठो ही होठो म कछ बोलत हए आाख बन ि कर लत ह शान हासत हए कहती ह यार हम िोनो कमात ह अग़र आधा-आधा भी अमाउणट ि तो पााि हज़ार का चबल भर सकत ह तम भी अपन िोस तो स बात करो और म भी क यो मन को मारत होrsquo

शान न बात को आग बढ़ात हए कहा lsquoिखो तम तो चफर भी ऑचफचशयल टर म अपन लोगो स भाई बहनो स चमल आत हो मरा तो ऐसा भी कोई िक कर नही हrsquo

कमल न एक आाख खोलत हए कहा lsquoतम मझ िाह चकतना ही पटान की कोचशश करो म न तो पटनवाला ह ा इस फोन क मामल म और न ही एक भी पसा िनवाला ह ा य तम हार फोन का चबल ह तम जानो और तम हारा काम मरा काम ऑचफस क मोबाईल स हो जाता हlsquo

शान न कहा lsquoमरा ऑचफस तो चसिि एक हज़ार िता ह उसस क या होगा म तो इस पिड़ म पड़ती ही नही चकसीकी महरबानी नही िाचहय चफर फोन जसी तच छ िीज़ क चलय तमको क यो पटाऊा गी भलाrsquo इस पर कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoतम बहस बहत करती हो अपनी ग़लती मान लो तो कछ चबगड़ जायगा क याrsquo

अब शान भी चिढ़ गई और बोली lsquoफोन का वह चबल तम हारा ऑचफस िगा तम नही लचकन चिन ता नको चिक-चिक भी नही म अपन फोन का चबल अपन नोटो स ि सकती ह ाlsquo

यह बात सनत ही कमल न अपनी खली आाख चफर स बन ि कर ली शान तसल ली स सब काटन िली गई अपनी बात कहकर वह हल की हो गई थी क यो उन बातो को ढोया जाय जो ब लडपरशर हाई कर

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शान क ऑचफस क डॉक टर भी शान क इस नॉमिल ब लडपरशर पर आश ियि करत ह एक चिन डॉक टर न कहा भी lsquoशानजी आप इतनी खश कस रह लती ह यहाा तो जो भी आता ह उस या तो हाईपर टशन होता ह शगर बढा हआ वज़नlsquo

शान न परश नवािक आाखो स डॉक टर को िखा तो डॉक टर न कहा lsquoमरा मतलब ह चक आप अभी तक चफट कस ह यहाा तक चक म डॉक टर ह ा मझ हाई ब लड परशर ह रोज़ िवा लता ह ाlsquo

शान न हासत हए कहा lsquoमरा काम ह टनशन िना िचखय सीधी सी बात ह चजस बात पर मरा वश नही होता म सोिती ही नही जो होना ह वह तो होना ही हlsquo

शान न अपन पहल को बिलत हए कहा lsquoअब यचि म िाह ा चक मर पचत फलाा स बात न कर पर यचि उनको करना ह तो व कर ग ही िाह चछपकर कर या सामन कर तो क यो अपना चिमाग़ खराब करनाrsquo

डॉक टर न कहा lsquoकमाल ह आप च जन िगी को इतन हल क रप म लती ह य आर गरटlsquo शान न कहा lsquoऔर नही तो क या म क यो चिल जलाऊा मर चिल क जलन स सामन वाल को फक़ि पड़ना िाचहयlsquo

डॉक टर न हासत हए कहा काश सब आप जसा सोि पातlsquo शान न भी हासत हए कहा lsquoसब सवतनर िश क सवतनर लोग ह मन चकसीका कोई ठका तो ल नही रखाlsquo

डॉक टर भी मरी बात सनकर हास और बोल lsquoएक हि तक आप ठीक कहती ह पचत पत नी भी एक-िसर क िौकीिार तो नही ह न यह ररश ता तो आपसी समझिारी और चवश वास का ररश ता हlsquo

इस पर शान न कहा lsquoयचि चकसी काम क चलय चिल गवाही िता ह तो ज़रर करना िाचहय

लचकन एक िसर को भलाव म नही रखना िाचहयlsquo

डॉक टर न कहा lsquoआज आपस बात करक बहत अच छा लगा मझ लगा ही नही चक म मरीज़ स बात कर रहा ह ाlsquo अर शान भी चकन बातो म खो गई बड़ी ज़ल िी अपन म खो जाती ह

आज कमल बड़ अच छ मड म ह ितरतर स आय ह शान न िाय बनाई और िोनो न अपन-अपन प याल हाथ म ल चलय

यह शान का शािी क बाि स चनयम ह चक वह और कमल सबह और शाम की िाय घर म साथ-साथ पीत ह िाह िोनो म झगड़ा हो अनबोलािाली हो पर िाय साथ म चपयग

कमल न कहा lsquo िखो शान एक काम करत ह मर ऑचफस क चलय मोबाईलवालो न एक स कीम चनकाली ह उसक तहत पत नी क चलय मोबाईल फरी हlsquo यह सनकर शान क कान खड़ हो गय वह बोली यह मोबाईल कमपनी का क या नया फणडा हrsquo lsquoपहल परी बात सन लो हाा तो म कह रहा था चक मरा तो पोस टपड ह तम यह नया नमबर ल लो इसका जो भी चबल आयगा म िका िागाlsquo कमल न शान का हाथ अपन हाथ म लत हए कहा

अपनी बात पर परचतचकरया न होत िखकर आग बोल lsquoलण डलाईन नमबर कटवा िग हम िोनो क पास मोबाईल ह ही बच िो क साथ कॉन फरचनसग सचवधा ल लग चकफायत म सब काम हो जाया करगा फोन का चबल भी नही भरना पड़गाlsquo

पता नही शान भी चकस मड म थी उसन हामी भर िी कमल न भी शान को सकण ड थॉट का मौका चिय चबना िसर ही चिन नया नमबर लाकर ि चिया अब कमल आश वस त हो गय थ चक शान

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क फोनो का उनक पास चहसाब रहगा चबल जो उनक नाम आयगा

शान को सपन म भी ग़मान नही था चक उसक फोनो का चहसाब रखा जायगा वह मज़ स फोन करती रही जब एक महीन बाि चबल आया तो अब कमल की बारी थी

कमल न चफर एक बार फोन का चबल शान क सामन रखत हए क हा lsquoिखो शान तम हारा चबल रपय 2000- का आया ह क या तम फोन कम नही कर सकती मरा ऑचफस मझ मर फोन का चबल िगा तम हारा चबल तो मझ िना हlsquo

शान को अिमभा हआ और उसन कहा lsquoलचकन कमल यह तम हारा ही परस ताव था उस समय फोन करन क पसो की सीमा तमन तय नही की थी ऐसा नही िलगा पहल बता ित तो म नया नमबर लती ही नहीlsquo

शान न कमल को एक रास ता सझात हए कहा lsquoमरा पराना नमबर तो सबक पास ह एक काम करती ह ा अपन परान नमबर पर म फोन ररसीव करा गी और तम हार चिय नमबर स फोन कर चलया करा गीlsquo

कमल न अपनी खीझ को चछपात हए कहा िो नमबरो की क या ज़ररत ह बात तो व ही ढाक क तीन पातवाली रही नrsquo शान न इस बात को आग न बढ़ात हए िप रहना ही बहतर समझा

अब शान इस बात का ध यान रखन लगी थी चक कमल क सामन फोन न चकया जाय इस तरह अनजान म शान म चछपकर फोन करन की आित घर करती जा रही थी अब वह फोन करत समय घड़ी िखन लगी थी

वह समझ नही पा रही थी चक इस फोन क मदद को कस हल चकया जाय कमल का ध यान अक सर

शान क मोबाईल पर लगा रहता चक कब बजता ह और शान चकतनी िर बात करती ह

अब हालत यह हो गई थी चक मोबाईल क बजन पर शान आकरानत हो जाती थी और कमल क कान सतकि यचि वह कान म बाचलयाा भी पहन रही होती तो चकसी न चकसी बहान स कमल कमर म आत और इधर-उधर कछ ढाढ़त और ऐस िल जात चक मानो उन होन कछ िखा ही नही

शान को आश ियि होता चक कमल को यह क या होता जा रहा ह उनकी आाखो म वह शक क डोर िखन लगी थी शान सोिती चक जो ख़ि को शान का िोस त होन का िावा करता था लचकन अब वह धीर-धीर चटचपकल पचत क रप म तब िील होता जा रहा था मोबाईल जी का जञजाल बनता जा रहा था

शान को इस िह-चबल ली क खल म न तो मज़ा आ रहा था और न ही उसकी इस तरह क व यथि क कामो म कोई चिलिस पी थी शान शर स ही मस त तचबयत की लड़की रही ह

अपन जोक पर वह ख़ि ही हास लती ह सामनवाला हरान होता ह चक चजस जोक सनाया गया वह तो हासा ही नही अब इसम शान को क या िोष अग़र सामनवाल को जोक समझ ही नही आया उसकी टयबलाइट नही िमकी तो वह क या कर

तो इस मस त तचबयत की शान इस मोबाईल को लकर क यो मसीबत मोल ल कोई उसकी हासी क योकर छीन जो उस अपन मायक स चवरासत म चमली ह वह अपन मायक म बड़ी ह वह हमशा चडसीज़न मकर रही ह क या वह अपन मोबाईल क चवषय म चडसीज़न नही ल सकती

िसर महीन कमल न चफर शान को मोबाईल का चबल चिखाया यह चबल रपय 1500- का था कमल न कहा lsquoिखो शान इस महीन 500 रपय

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तो कम हए ऐस ही धीर-धीर और कम करो जज ािा स जज ािा रपय 600- का चबल आना िाचहयlsquo

अब शान की बारी थी वह बोली lsquoिखो कमल हम िोनो वचकि ग ह हमारी ज़ररत अलग-अलग ह और होनी भी िाचहय मरी हर ज़ररत तम हारी ज़ररत स बाध यह कोई ज़ररी नही ह हम लाईफ पाटिनर ह माचलक-सवक नहीlsquo

कमल न िश मा लगात हए कहा lsquoमन ऐसा कब कहा म तो चकफा यत की बात कर रहा ह ाlsquo शान न कहा lsquoयार चकतनी चकिायत करोग चकसीक बोलन-िालन पर बचनिश लगान का क या तक हrsquo और चफर म तो फोन का चबल ि रही थी कभी चकसीको रोका नही फोन करन स पढ़नवाल बच ि ह व भी फोन करत ह मझ तो तम हार ऑचफस स चमलनवाल मोबाईल की तमन ना भी नही थी तम हारा परस ताव थाlsquo

कमल न चबना चकसी परचतचकरया क अपन चिरपररचित ठणड स वर म कहा lsquoतम इतनी उत तचजत क यो हो जाती हो ठणड चिल स मरी बात पर सोिो चबना वज़ह फोन करना छोड़ िोlsquo

यह सनकर शान को अच छा नही लगा और बोल पड़ी lsquoहमशा वजह स ही फोन चकय जाय यह ज़ररी तो नहीlsquo कमल न कहा lsquoयही तो चिक कत ह सब अपन म मस त ह उल ट तम उनको चडस टबि करती होlsquo

शान न कछ कहना िाहा तो कमल न हाथ क इशार स रोकत हए कहा lsquoकई बार लोग नही िाहत चक उन ह बवज़ह फोन चकया जाय उनकी नज़रो म तम हारी इजज ज़त कम हो सकती हlsquo

शान न गस स स कहा lsquo बात को ग़लत चिशा म मत मोड़ो बात मोबाईल क चबल क भगतान की हो रही ह मर िोस तो म मझ जसा साहस ह यचि

व चडस टबि होत ह तो यह बात व मझस बखटक कह सकत ह उनक माह म पानी नही भरा हlsquo

कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoचकसकी कज़ा आई ह जो तमस य ह बात कहगा तम ह चकसी तरह झल लत ह तम ह चवश वास न हो तो आजमाकर िखो एक हतरत चकसीको फोन मत करो कोई तम हारा हाल नही पछगा तम तो मान न मान म तरा महमान वाली बात करती होlsquo

शान न कहा lsquoकमल तम मझ मर िोस तो क चखलाि नही कर सकत मझ पर इन बातो का कोई असर नही होता मर िोस तो स बात करन की समय सीमा तम क योकर तय करोrsquo कमल न चिढ़त हए कहा rsquoकभी मर ररश तिारो स भी बात की हrsquo इस पर शान न तपाक स कहा lsquoकब नही करती ज़रा बताओग वहाा भी तमको एतराज़ होता ह चक फलाा स बात क यो नही कीlsquo इस पर कमल ह ाह करक िप हो गय

शान अपनी रौ म बोलती गई lsquoकमल मझ अपन िोस त और सहचलयाा बहत चपरय ह व मर आड़ वक त मर साथ खड़ होत रह ह मरी िचनया म नात ररश तिारी क अलावा भी लोग शाचमल ह और व मर चिल क करीब ह उनक और मर बीि िरी लान की कोचशश मत करोlsquo

शान न कमल क कान क पास जाकर सरग़ोशी की lsquoतम ही बताओ क या तम मर कहन स अपन िोस तो को फोन करना छोड़ सकत हो नही न चफर सार ग़लत सही परयोग मझ पर ही क योrsquo

कमल न कहा lsquoतमन कभी सोिा ह चक तम हारी चमरता को लोग ग़लत रप म भी ल सकत ह कम स कम कछ तो ख़याल करोlsquo

अब तो शान का पारा सातव आसमान पर था बोली lsquoमन कभी चकसीकी चमरता पर कमणट चकया ह कछ िोस त तो खलआम िसर की बीचवयो क साथ चफल म िखत ह घमत ह उन ह

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कोई कछ नही कहता मर फोन करन मार पर इतना बखड़ाrsquo

कमल हरान थ शान की इस मखरता पर वह बोलती रही lsquoम अपन चमरो क साथ न तो घमती ह ा और न उनस चकसी तरह का फायिा उठाती ह ा इस बात को कान खोलकर सन लो मर जो भी चमर ह व पाररवाररक हlsquo

कमल न कछ कहन की कोचशश की तो शान न उस अनसना करत हए कहाrsquoऔर तम उनस बखटक बात करत हो जबचक अपन िोस तो क साथ तम िाहो तभी बात कर सकती ह ा कस मरी बात बीि म काटकर बात की चिशा बिल ित हो कभी ग़ौर चकया ह इस बात पर

कमल न मानो हचथयार डालत हए कहा lsquoमरी एक बात तो सनोlsquo शान न कहा lsquoनही आज तम मरी बात सनो तो हाा म कह रही थी चक मर चिल पर क या गजरती होगी जब सबक सामन तम ऐसा करत हो मन कभी कछ कहा तमसrsquo

िसरी बात मझ पररवार की मयाििा का परा खयाल ह मझ क या करना ह चकतना करना ह कब करना ह मझ पता ह और म अपन चमरो का ररप लसमट नही ढाढती और चफर कई चमर तो मर और तम हार कॉमन चमर ह lsquo

कमल को इस बात का अहसास नही था चक बात इतनी बढ़ जायगी उन होन शान का यह रौर रप कभी नही िखा था वह अपन चमरो क परचत इतनी समविनशील ह उन होन सोिा भी नही था कमल का मानना ह चक च जन िगी म चमर बिलत रहत ह इसस नई सोि चमलती ह

उन होन बात साभालत हए कहा lsquoिखो शान चडयर यह मरा मतलब कतई नही था चमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय म फोन करन क चलय इन कार नही करता पर हर िीज़ चलचमट म अच छी लगती हlsquo

शान ख़ि को बहत अपमाचनत महसस कर रही थी उसन तनककर कहा lsquoचमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय यह मझ पता ह पर परान िोस तो की िोस ती की जड़ो म छाछ नही डालना िाचहय म अपनी िोस ती म िाणक य की राजनीचत नही खल सकती जो ऐसा करत ह व च जन िगी म अकल रह जात हlsquo

कमल न कहा lsquoबात फोन क चबल क पमणट की हो रही थी तम भी बात को कहाा स कहाा ल गई तम इतना गस सा हो सकती हो मझ पता नही था समय पर म ही काम आऊा गाlsquo

शान को लगा चक मानो उस ितावनी िी जा रही ह वह कमल क इस व यवहार पर हरान थी कोई इनसान इतना कक यिलचटव कस हो सकता ह क या पसा इतना महत वपणि ह चक उसक सामन सबकछ नगण य ह

आज शान की सोि जस थमन का नाम ही नही ल रही थी क या िोस ती जस पाक़-साफ ररश त म बचनयो जसा गणा-भाग करना उचित ह परष मचहला स िोस ती चनभा सकता ह पर मचहला को परष चमरो स चमरता चनभान क चलय चकतन पापड़ बलन पड़त ह कमल की तो इतनी मचहला चमर ह शान न हमशा सबका आिर चकया ह घर बलाया ह

जो शाम शान घमन क चलय रखती ह व शाम उसन कमल क चमरो क चलय चडनर बनान म चबता िी ह क या कभी कमल न इस महसस करन की ज़ररत महसस की ह चक शान की अपनी भी च जन िगी ह उस भी अपनी च जन िगी जीन का परा अचधकार ह

अगर कमल अपन िोस तो क साथ खश रहत ह शान स उनक चलय महनत स चडनर बनवात ह तो चफर शान क चमरो को कमल सहज रप स

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क यो नही ल पात क या हर परष पत नी क मामल म ऐसा ही होता ह शान बड़ी असहज हो रही थी

उसका वश िलता तो उस चनगोड़ मोबाईल को चखड़की स बाहर फ ककर िर-िर कर डालती पर इसम कमल का चिया नमबर ह शान न ख़ि को सयत चकया उस कोई तो चनणिय लना था वह ग़लत बात क सामन हार माननवाली स री नही थी

उस याि ह चक इसी सि बोलन की आित क िलत उस अपन कॉलज का िस ट-स टडणटट क पिक स हाथ धोना पड़ा था यह िीगर बात थी चक उस पिक को पानवाली लड़की एक सप ताह बाि अपन परमी क साथ भाग गई थी और कॉलज की परािायाि पछतान क अलावा कछ नही कर पाई थी

अगल चिन शाम को कमल ऑचफस स आय और बोल lsquoशान मन तम हार मोबाईल का चबल भर चिया ह पर प लीज़ इस महीन ज़रा ध यान रखनाlsquo

शान न कछ नही कहा उसन तय कर चलया था चक उस मोबाईल परकरण म चनणिय लना ह कोई बहस नही करना ह और इस चवषय म बात करन क चलय रचववार सवोत तम चिन ह1

रचववार को सबह क नाश त क बाि शान न कहा lsquoकमल एक काम करो तम अपना यह नमबर वाचपस ल लो म इस नमबर क साथ ख़ि को सहज महसस नही कर रहीlsquo

कमल न कहा lsquoक या परॉब लम ह मन चबल भर चिया हlsquo कमल को शान की यह आित पता ह चक सामान य तौर पर वह चकसी भी बात को चिल स नही लगाती ह वह lsquoरात गई बात गईrsquo वाली कहावत म चवश वास रखती ह तो अब अिानक क या हो गया

शान न कहा lsquoबात चबल भरन की नही ह मझ

पोस टपड की आित नही ह और चफर इसम अन िाज़ा नही रहता और चबल जज ािा हो जाता ह मझ परीपड जज ािा सट करता ह उसम मझ पता रहता ह चक चकतना खिि हो गया ह और म अपनी जब क अनसार खिि कर पाती ह ाlsquo

शान न अपरत यकष रप स अपन फोन का चहसाब रखन का अचधकार कमल को िन स इन कार कर चिया था शान न मोबाईल स चसम काडि चनकाला और कमल को थमा चिया उसन अपना परानावाला चसम काडि मोबाईल म डाला

बहत चिनो बाि शान न ख़ि को शीश म िखा इस मोबाईल न उसक िहर को चनस तज कर चिया था आाखो क नीि काल घर बन गय थ कपड़ भी कस पहनन लगी थी वह उसन ख़ि को चफर स मस त तचबयत की और हरिनमौला बनान का चनणिय चलया और इसक साथ ही उसक होठो पर जो बाल-सलभ मस कान आई वह स वय ही उस पर बचलहारी हो रही थी मध अरोड़ा ममबई 9833959216

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वयिगय माइकरो सटायर

पीएम मनमोहन चसह न िावा चकया ह चक एक हजार बार स जजयािा वह चपछल िस सालो म बोल ह उनक बोलन की ररकाचडिगस िक की गयी

ह- 1100 बार वह कल बोल 1000 बार तो वह यह बोल पाय-ओय कोई तो मरी गलल सण लो ओय बाकी 100 बार वह बोल-ओय मरी बात समझ नी आयी कोई गलल नी राहलजी स पछछ लणा

गङगा साफ करन की पररयोजनाओ म खरबो खाय गय जमना साफ करन की पररयोजनाओ म अरबो खाय गय कछ-कछ समझ म आता ह चक गङगा-जमनी कलिर तमाम पाचलचटकल पाचटियो को बहत चपरय कयो ह

परधानमनरी पि क उममीिवार नर र मोिी का चवरोध करनवालो को लोकसभा िनाव क बाि पाचकसतान जाना पड़गा इस बयान स राबटि वाडरा भी िहशत म आय कयोचक वाडरा क पविज पाचकसतान सयालकोट स आय थ

राहल गााधी न समझाया -जीजाजी ऐसा नही चजसकी पास थोड़ी सी जमीन भी ह इचणडया म उस इचणडयन माना जायगा

राबटि वाडरा क िहर पर मसकान लौट आयी ह-जमीन तो जहाा कहोग वहाा चिखा िागा-कनयाकमारी क समनिर स लकर एवरसट तक की रचजसरी अपन नाम ह दवाररका गजरात समनिर की रचजसरी स लकर पर अरणािल की जमीन अपन कबज म चिखा सकता ह ा

राहल न समझाया-ना थोड़ी जमीन ही बताना अरणािल की जमीन तमहार पास ह यह बात िीन को अगर पता लग गयी तो वह भारत सरकार स नही तमस ही बात करन लगगा जमीन चववाि सलझान को

एक िटकी चसनिर की कीमत तम कया जानो रमश बाब जानता ह ा बहत सही तरह स जानता ह ा कोई एक िटकी चसनिर भरकर अब तक 350 करोड़ रपय कमा िका ह और चपकिर अभी बाकी ह िोसत राजश खनना का जमाना गया अब राबटि वाडरा का आ गया

राबटि वाडरा क घर म धन की िवी लकषमीजी को माा क तौर पर नही पजा जाता लकषमीजी को सास-माा क तौर पर पजा जाता ह

चिचगवजय चसह न पछा - बताओ बताओ राबटि वाडरा न कौन सा कानन तोड़ा राबटि वाडरा सनकर हास रह ह- नानसनस म खि कानन ह ा मझ कौन तोड़गा कचपल चसबबल न आरोप लगाया चक सीबीआई न गजरात फजी एनकाउणटर म मोिी को ढ़ग स घर म नही चलया लो िस साल सरकार काङगरस की रही सीबीआई स जरा सा काम ना करवा पाय

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राहल गााधी न चसबबल को डााटा- ऐसी ही बातो स तो यह आरोप पकका होता ह चक काङगरस सरकार िस सालो म कतई चनकममी रही

अचखलश यािव न कहा चक िाल ह भाजपा क लोग समाजवािी पाटी क लोग िाल नही ह यह सनकर अमर चसह न कहा ह- मरी याि मरी कमी इतन चिनो बाि महसस की िलो ठीक ह पर अब म समाजवािी पाटी क चलए कछ ना करा गा हारा गा भी नही इस सवाथी िचनया म चकसी क चलए हारन स बहतर ह चक म खि अपन चलए हारा लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन ही पिा चकया ह नारायण ितत चतवारी न जोरिार बधाई िी ह लालजी को यह कहत हए चक अकल हम ही नही ह जो बढ़ाप म बाप बन रह ह लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन पिा चकया सबस जजयािा चवरोध उनक आठ बचिो न जताया ह यह कहत हए चक पापा आठ बचिो का ताना झल-झलकर ही पक गय अब एक और जोड़ चलय ह राबड़ी िवी न अलग डााटा ह-लालजी कईसा बात करत ह ऊ चनतीशवा हमको मममी कहगा तो हमको कईसा फील होगा

मोिी की हवा नही िल रही ह यह बात तमाम नयज िनलो पर तरह-तरह क चवदवानो न चिन भर म करीब 40 बार कही मोिी की हवा िल रही ह यह बात बीजपी क परविाओ न नयज िनलो

पर कल सात बार कही िालीस बार मोिी का नाम उधर स सात बार मोिी का नाम इधर स मोिी की हवा असल म बना कौन रहा ह ब िनाव क आग बढ़न पर काङगरस न नर र मोिी क चखलाफ मनमोहन चसह को उतारन की सोिी ह नरनर मोिी क नमो फोन क मकाबल ममो फोन उतारन का पलान हआ इञजीचनयरो न फोन चडजाइन भी कर चलया ह बस एक पराबलम नही चनपट पा रही ह

ममो फोन नामिल तरीक स काम नही करता इसम साइलणट मोड एचकटव करो तब ही फोन पर बात समभव हो पाती ह साइलणट मोड पर ही एचकटव य बात हर कसटमर को समझान म तो कई साल लग जायग

कया चकया जाय इस सवाल क जवाब म मनमोहन चसह साइलणट मोड म िल गय ह

आलोक पराचणक 9810018799

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अर शरी गिशाय नमः ndash शरद जोशी

अथ शरी गणशाय नम बात गणश जी स शर की जाए वह धीर-धीर िह तक पहाि जाएगी या िह स आरमभ कर और वह शरी गणश तक पहाि या पढ़न-चलखन की ििाि

की जाए शरी गणश जञान और बचदध क िवता ह इस कारण सिव अलपमत म रहत होग पर ह तो िवता सबस पहल व ही पज जात ह आचख़र म व ही पानी म उतार जात ह पढ़न-चलखन की ििाि को छोड़ आप शरी गणश की कथा पर आ सकत ह

चवषय कया ह िहा या शरी गणश भई इस िश म कल चमलाकर चवषय एक ही होता ह - ग़रीबी सार चवषय उसी स जनम लत ह कचवता कर लो या उपनयास बात वही होगी ग़रीबी हटान की बात करन वाल बात कहत रह पर यह न सोिा चक ग़रीबी हट गई तो लखक चलखग चकस चवषय पर उनह लगा य साचहतय वाल लोग ग़रीबी हटाओ क चख़लाि ह तो इस पर उतर आए चक िलो साचहतय हटाओ

वह नही हट सकता शरी गणश स िाल हआ ह व ही उसक आचि िवता ह ऋचदध-चसचदध आसपास रहती ह बीि म लखन का काम िलता ह िहा परो क पास बठा रहता ह रिना ख़राब हई चक गणश जी महाराज उस िह को ि ित ह ल भई कतर खा पर ऐसा पराय नही होता चनज कचवतत क फीका न लगन का चनयम गणश जी पर भी उतना ही लाग होता ह िहा परशान रहता ह महाराज कछ खान को िीचजए गणश जी साड पर हाथ फर गभीरता स कहत ह लखक क पररवार क सिसय होखान-पीन की बात मत चकया करो भख रहना सीखो बड़ा ऊा िा मज़ाक-बोध ह शरी गणश जी का (अचछ लखको म रहता ह) िहा सन मसकराता ह जानता ह गणश जी डायचटग पर भरोसा नही करत तबीयत स खात

ह चलखत ह अब चनरनतर बठ चलखत रहन स शरीर म भरीपन तो आ ही जाता ह

िह को साचहतय स कया करना उस िाचहए अनाज क िान कतर खश रह सामानय जन की आवशयकता उसकी आवशयकता ह खान पट भरन को हर गणश-भि को िाचहए भख भजन न होई गणशा या जो भी हो साचहतय स पसा कमान का घनघोर चवरोध व ही करत ह चजनकी लकिररचशप पककी हो गई और वतन नए बढ़ हए गरड़ म चमल रहा ह जो अिसर ह चजनह पशन की सचवधा ह व साचहतय म कराचनत-कराचनत की उछाल भरत रहत ह िहा असल गणश-भि ह

राषटरीय दचिकोण स सोचिए पता ह आपको िहो क कारण िश का चकतना अनाज बरबाि होता ह िहा शर ह िश क गोिामो म घसा िोर ह हमार उतपािन का एक बड़ा परचतशत िहो क पट म िला जाता ह िह स अनाज की रकषा हमारी राषटरीय समसया ह कभी चविार चकया अपन इस पर बड़ गणश-भि बनत ह

चविार चकया यो ही गणश-भि नही बन गए समसया पर चविार करना हमारा पराना मज़ि ह हा-हा-हा ज़रा सचनए

आपको पता ह िान-िान पर खान वाल का नाम चलखा रहता ह यह बात चसिि अनार और पपीत को लकर ही सही नही ह अनाज क छोट-छोट िान को लकर भी सही ह हर िान पर नाम चलखा रहता ह खान वाल का कछ िर पहल जो परााठा मन अिार स लगाकर खाया था उस पर जगह-जगह शरि जोशी चलखा हआ था छोटा-मोटा काम नही ह इतन िानो पर नाम चलखना यह काम कौन कर सकता हगणश जी और कौन व ही चलख सकत ह और चकसी क बस का नही ह यह काम पररशरम लगन और नयाय की ज़ररत होती ह साचहतय वालो को यह काम

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 7: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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क यो हो रह हो चजतन का भी चबल आयगा वह िना मरी च जम मिारी ह और अभी तक तो म ही ि रही ह ाlsquo

कमल न कहा lsquoिखो म चजस पोजीशन का ऑचफसर ह ा उसम मर घर क फोन का चबल मरा ऑचफस भरगा पर उसकी सीमा ह तो तम उस सीमा तक ही बात करो फोन पर ताचक जब स कछ खिि न करना पड़lsquo

शान न कहा lsquoयह तो कोई लॉचजक की बात नही हई हर जगह पसा क यो आ जाता ह बीि म कभी चिल क सकन की भी बात चकया करो च जन िगी म पसा ही सबकछ नही हlsquo

इस पर कमल बोल lsquoपस की कर करना सीखो रत की माचननि कब हाथ स चफसल जायगा पता भी नही िलगाlsquo रोज़-रोज़ फोन करक परम और स नह जज ािा नही हो जाताlsquo इस पर शान न कनध उिकात हए कहा lsquoभई िखो म तो जब फोन करा गी जी भरकर बात करा गी तम हारा ऑचफस चबल भर या न भरlsquo

कमल न चिढ़कर कहा lsquoयान तम हार सधरन का कोई िानस नही हrsquo शान न कहा lsquoम चबगड़ी ही कब ह ा जो सधरन का िानस ढाढा जायमन कभी रोका ह तमको चकसीस बात करन क चलय

lsquoिखो शान मर ऑचफचशयल फोन होत ह उनम ही म अपन चनजी फोन भी कर लता ह ा तम हारी तरह हमशा फोन स चिपका नही रहताlsquo कमल न उलाहनभर स वर म कहा

शान न अागड़ाई लत हए कहा lsquoमझ अपन िोस तो स भाई-बहनो स फोन पर बात करना अच छा लगता ह िर स भी चकतनी साि आवाज़ आती ह लगता ह चक पास स ही फोन कर रह हो आई लव इटlsquo

कमल होठो ही होठो म कछ बोलत हए आाख बन ि कर लत ह शान हासत हए कहती ह यार हम िोनो कमात ह अग़र आधा-आधा भी अमाउणट ि तो पााि हज़ार का चबल भर सकत ह तम भी अपन िोस तो स बात करो और म भी क यो मन को मारत होrsquo

शान न बात को आग बढ़ात हए कहा lsquoिखो तम तो चफर भी ऑचफचशयल टर म अपन लोगो स भाई बहनो स चमल आत हो मरा तो ऐसा भी कोई िक कर नही हrsquo

कमल न एक आाख खोलत हए कहा lsquoतम मझ िाह चकतना ही पटान की कोचशश करो म न तो पटनवाला ह ा इस फोन क मामल म और न ही एक भी पसा िनवाला ह ा य तम हार फोन का चबल ह तम जानो और तम हारा काम मरा काम ऑचफस क मोबाईल स हो जाता हlsquo

शान न कहा lsquoमरा ऑचफस तो चसिि एक हज़ार िता ह उसस क या होगा म तो इस पिड़ म पड़ती ही नही चकसीकी महरबानी नही िाचहय चफर फोन जसी तच छ िीज़ क चलय तमको क यो पटाऊा गी भलाrsquo इस पर कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoतम बहस बहत करती हो अपनी ग़लती मान लो तो कछ चबगड़ जायगा क याrsquo

अब शान भी चिढ़ गई और बोली lsquoफोन का वह चबल तम हारा ऑचफस िगा तम नही लचकन चिन ता नको चिक-चिक भी नही म अपन फोन का चबल अपन नोटो स ि सकती ह ाlsquo

यह बात सनत ही कमल न अपनी खली आाख चफर स बन ि कर ली शान तसल ली स सब काटन िली गई अपनी बात कहकर वह हल की हो गई थी क यो उन बातो को ढोया जाय जो ब लडपरशर हाई कर

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शान क ऑचफस क डॉक टर भी शान क इस नॉमिल ब लडपरशर पर आश ियि करत ह एक चिन डॉक टर न कहा भी lsquoशानजी आप इतनी खश कस रह लती ह यहाा तो जो भी आता ह उस या तो हाईपर टशन होता ह शगर बढा हआ वज़नlsquo

शान न परश नवािक आाखो स डॉक टर को िखा तो डॉक टर न कहा lsquoमरा मतलब ह चक आप अभी तक चफट कस ह यहाा तक चक म डॉक टर ह ा मझ हाई ब लड परशर ह रोज़ िवा लता ह ाlsquo

शान न हासत हए कहा lsquoमरा काम ह टनशन िना िचखय सीधी सी बात ह चजस बात पर मरा वश नही होता म सोिती ही नही जो होना ह वह तो होना ही हlsquo

शान न अपन पहल को बिलत हए कहा lsquoअब यचि म िाह ा चक मर पचत फलाा स बात न कर पर यचि उनको करना ह तो व कर ग ही िाह चछपकर कर या सामन कर तो क यो अपना चिमाग़ खराब करनाrsquo

डॉक टर न कहा lsquoकमाल ह आप च जन िगी को इतन हल क रप म लती ह य आर गरटlsquo शान न कहा lsquoऔर नही तो क या म क यो चिल जलाऊा मर चिल क जलन स सामन वाल को फक़ि पड़ना िाचहयlsquo

डॉक टर न हासत हए कहा काश सब आप जसा सोि पातlsquo शान न भी हासत हए कहा lsquoसब सवतनर िश क सवतनर लोग ह मन चकसीका कोई ठका तो ल नही रखाlsquo

डॉक टर भी मरी बात सनकर हास और बोल lsquoएक हि तक आप ठीक कहती ह पचत पत नी भी एक-िसर क िौकीिार तो नही ह न यह ररश ता तो आपसी समझिारी और चवश वास का ररश ता हlsquo

इस पर शान न कहा lsquoयचि चकसी काम क चलय चिल गवाही िता ह तो ज़रर करना िाचहय

लचकन एक िसर को भलाव म नही रखना िाचहयlsquo

डॉक टर न कहा lsquoआज आपस बात करक बहत अच छा लगा मझ लगा ही नही चक म मरीज़ स बात कर रहा ह ाlsquo अर शान भी चकन बातो म खो गई बड़ी ज़ल िी अपन म खो जाती ह

आज कमल बड़ अच छ मड म ह ितरतर स आय ह शान न िाय बनाई और िोनो न अपन-अपन प याल हाथ म ल चलय

यह शान का शािी क बाि स चनयम ह चक वह और कमल सबह और शाम की िाय घर म साथ-साथ पीत ह िाह िोनो म झगड़ा हो अनबोलािाली हो पर िाय साथ म चपयग

कमल न कहा lsquo िखो शान एक काम करत ह मर ऑचफस क चलय मोबाईलवालो न एक स कीम चनकाली ह उसक तहत पत नी क चलय मोबाईल फरी हlsquo यह सनकर शान क कान खड़ हो गय वह बोली यह मोबाईल कमपनी का क या नया फणडा हrsquo lsquoपहल परी बात सन लो हाा तो म कह रहा था चक मरा तो पोस टपड ह तम यह नया नमबर ल लो इसका जो भी चबल आयगा म िका िागाlsquo कमल न शान का हाथ अपन हाथ म लत हए कहा

अपनी बात पर परचतचकरया न होत िखकर आग बोल lsquoलण डलाईन नमबर कटवा िग हम िोनो क पास मोबाईल ह ही बच िो क साथ कॉन फरचनसग सचवधा ल लग चकफायत म सब काम हो जाया करगा फोन का चबल भी नही भरना पड़गाlsquo

पता नही शान भी चकस मड म थी उसन हामी भर िी कमल न भी शान को सकण ड थॉट का मौका चिय चबना िसर ही चिन नया नमबर लाकर ि चिया अब कमल आश वस त हो गय थ चक शान

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क फोनो का उनक पास चहसाब रहगा चबल जो उनक नाम आयगा

शान को सपन म भी ग़मान नही था चक उसक फोनो का चहसाब रखा जायगा वह मज़ स फोन करती रही जब एक महीन बाि चबल आया तो अब कमल की बारी थी

कमल न चफर एक बार फोन का चबल शान क सामन रखत हए क हा lsquoिखो शान तम हारा चबल रपय 2000- का आया ह क या तम फोन कम नही कर सकती मरा ऑचफस मझ मर फोन का चबल िगा तम हारा चबल तो मझ िना हlsquo

शान को अिमभा हआ और उसन कहा lsquoलचकन कमल यह तम हारा ही परस ताव था उस समय फोन करन क पसो की सीमा तमन तय नही की थी ऐसा नही िलगा पहल बता ित तो म नया नमबर लती ही नहीlsquo

शान न कमल को एक रास ता सझात हए कहा lsquoमरा पराना नमबर तो सबक पास ह एक काम करती ह ा अपन परान नमबर पर म फोन ररसीव करा गी और तम हार चिय नमबर स फोन कर चलया करा गीlsquo

कमल न अपनी खीझ को चछपात हए कहा िो नमबरो की क या ज़ररत ह बात तो व ही ढाक क तीन पातवाली रही नrsquo शान न इस बात को आग न बढ़ात हए िप रहना ही बहतर समझा

अब शान इस बात का ध यान रखन लगी थी चक कमल क सामन फोन न चकया जाय इस तरह अनजान म शान म चछपकर फोन करन की आित घर करती जा रही थी अब वह फोन करत समय घड़ी िखन लगी थी

वह समझ नही पा रही थी चक इस फोन क मदद को कस हल चकया जाय कमल का ध यान अक सर

शान क मोबाईल पर लगा रहता चक कब बजता ह और शान चकतनी िर बात करती ह

अब हालत यह हो गई थी चक मोबाईल क बजन पर शान आकरानत हो जाती थी और कमल क कान सतकि यचि वह कान म बाचलयाा भी पहन रही होती तो चकसी न चकसी बहान स कमल कमर म आत और इधर-उधर कछ ढाढ़त और ऐस िल जात चक मानो उन होन कछ िखा ही नही

शान को आश ियि होता चक कमल को यह क या होता जा रहा ह उनकी आाखो म वह शक क डोर िखन लगी थी शान सोिती चक जो ख़ि को शान का िोस त होन का िावा करता था लचकन अब वह धीर-धीर चटचपकल पचत क रप म तब िील होता जा रहा था मोबाईल जी का जञजाल बनता जा रहा था

शान को इस िह-चबल ली क खल म न तो मज़ा आ रहा था और न ही उसकी इस तरह क व यथि क कामो म कोई चिलिस पी थी शान शर स ही मस त तचबयत की लड़की रही ह

अपन जोक पर वह ख़ि ही हास लती ह सामनवाला हरान होता ह चक चजस जोक सनाया गया वह तो हासा ही नही अब इसम शान को क या िोष अग़र सामनवाल को जोक समझ ही नही आया उसकी टयबलाइट नही िमकी तो वह क या कर

तो इस मस त तचबयत की शान इस मोबाईल को लकर क यो मसीबत मोल ल कोई उसकी हासी क योकर छीन जो उस अपन मायक स चवरासत म चमली ह वह अपन मायक म बड़ी ह वह हमशा चडसीज़न मकर रही ह क या वह अपन मोबाईल क चवषय म चडसीज़न नही ल सकती

िसर महीन कमल न चफर शान को मोबाईल का चबल चिखाया यह चबल रपय 1500- का था कमल न कहा lsquoिखो शान इस महीन 500 रपय

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तो कम हए ऐस ही धीर-धीर और कम करो जज ािा स जज ािा रपय 600- का चबल आना िाचहयlsquo

अब शान की बारी थी वह बोली lsquoिखो कमल हम िोनो वचकि ग ह हमारी ज़ररत अलग-अलग ह और होनी भी िाचहय मरी हर ज़ररत तम हारी ज़ररत स बाध यह कोई ज़ररी नही ह हम लाईफ पाटिनर ह माचलक-सवक नहीlsquo

कमल न िश मा लगात हए कहा lsquoमन ऐसा कब कहा म तो चकफा यत की बात कर रहा ह ाlsquo शान न कहा lsquoयार चकतनी चकिायत करोग चकसीक बोलन-िालन पर बचनिश लगान का क या तक हrsquo और चफर म तो फोन का चबल ि रही थी कभी चकसीको रोका नही फोन करन स पढ़नवाल बच ि ह व भी फोन करत ह मझ तो तम हार ऑचफस स चमलनवाल मोबाईल की तमन ना भी नही थी तम हारा परस ताव थाlsquo

कमल न चबना चकसी परचतचकरया क अपन चिरपररचित ठणड स वर म कहा lsquoतम इतनी उत तचजत क यो हो जाती हो ठणड चिल स मरी बात पर सोिो चबना वज़ह फोन करना छोड़ िोlsquo

यह सनकर शान को अच छा नही लगा और बोल पड़ी lsquoहमशा वजह स ही फोन चकय जाय यह ज़ररी तो नहीlsquo कमल न कहा lsquoयही तो चिक कत ह सब अपन म मस त ह उल ट तम उनको चडस टबि करती होlsquo

शान न कछ कहना िाहा तो कमल न हाथ क इशार स रोकत हए कहा lsquoकई बार लोग नही िाहत चक उन ह बवज़ह फोन चकया जाय उनकी नज़रो म तम हारी इजज ज़त कम हो सकती हlsquo

शान न गस स स कहा lsquo बात को ग़लत चिशा म मत मोड़ो बात मोबाईल क चबल क भगतान की हो रही ह मर िोस तो म मझ जसा साहस ह यचि

व चडस टबि होत ह तो यह बात व मझस बखटक कह सकत ह उनक माह म पानी नही भरा हlsquo

कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoचकसकी कज़ा आई ह जो तमस य ह बात कहगा तम ह चकसी तरह झल लत ह तम ह चवश वास न हो तो आजमाकर िखो एक हतरत चकसीको फोन मत करो कोई तम हारा हाल नही पछगा तम तो मान न मान म तरा महमान वाली बात करती होlsquo

शान न कहा lsquoकमल तम मझ मर िोस तो क चखलाि नही कर सकत मझ पर इन बातो का कोई असर नही होता मर िोस तो स बात करन की समय सीमा तम क योकर तय करोrsquo कमल न चिढ़त हए कहा rsquoकभी मर ररश तिारो स भी बात की हrsquo इस पर शान न तपाक स कहा lsquoकब नही करती ज़रा बताओग वहाा भी तमको एतराज़ होता ह चक फलाा स बात क यो नही कीlsquo इस पर कमल ह ाह करक िप हो गय

शान अपनी रौ म बोलती गई lsquoकमल मझ अपन िोस त और सहचलयाा बहत चपरय ह व मर आड़ वक त मर साथ खड़ होत रह ह मरी िचनया म नात ररश तिारी क अलावा भी लोग शाचमल ह और व मर चिल क करीब ह उनक और मर बीि िरी लान की कोचशश मत करोlsquo

शान न कमल क कान क पास जाकर सरग़ोशी की lsquoतम ही बताओ क या तम मर कहन स अपन िोस तो को फोन करना छोड़ सकत हो नही न चफर सार ग़लत सही परयोग मझ पर ही क योrsquo

कमल न कहा lsquoतमन कभी सोिा ह चक तम हारी चमरता को लोग ग़लत रप म भी ल सकत ह कम स कम कछ तो ख़याल करोlsquo

अब तो शान का पारा सातव आसमान पर था बोली lsquoमन कभी चकसीकी चमरता पर कमणट चकया ह कछ िोस त तो खलआम िसर की बीचवयो क साथ चफल म िखत ह घमत ह उन ह

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कोई कछ नही कहता मर फोन करन मार पर इतना बखड़ाrsquo

कमल हरान थ शान की इस मखरता पर वह बोलती रही lsquoम अपन चमरो क साथ न तो घमती ह ा और न उनस चकसी तरह का फायिा उठाती ह ा इस बात को कान खोलकर सन लो मर जो भी चमर ह व पाररवाररक हlsquo

कमल न कछ कहन की कोचशश की तो शान न उस अनसना करत हए कहाrsquoऔर तम उनस बखटक बात करत हो जबचक अपन िोस तो क साथ तम िाहो तभी बात कर सकती ह ा कस मरी बात बीि म काटकर बात की चिशा बिल ित हो कभी ग़ौर चकया ह इस बात पर

कमल न मानो हचथयार डालत हए कहा lsquoमरी एक बात तो सनोlsquo शान न कहा lsquoनही आज तम मरी बात सनो तो हाा म कह रही थी चक मर चिल पर क या गजरती होगी जब सबक सामन तम ऐसा करत हो मन कभी कछ कहा तमसrsquo

िसरी बात मझ पररवार की मयाििा का परा खयाल ह मझ क या करना ह चकतना करना ह कब करना ह मझ पता ह और म अपन चमरो का ररप लसमट नही ढाढती और चफर कई चमर तो मर और तम हार कॉमन चमर ह lsquo

कमल को इस बात का अहसास नही था चक बात इतनी बढ़ जायगी उन होन शान का यह रौर रप कभी नही िखा था वह अपन चमरो क परचत इतनी समविनशील ह उन होन सोिा भी नही था कमल का मानना ह चक च जन िगी म चमर बिलत रहत ह इसस नई सोि चमलती ह

उन होन बात साभालत हए कहा lsquoिखो शान चडयर यह मरा मतलब कतई नही था चमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय म फोन करन क चलय इन कार नही करता पर हर िीज़ चलचमट म अच छी लगती हlsquo

शान ख़ि को बहत अपमाचनत महसस कर रही थी उसन तनककर कहा lsquoचमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय यह मझ पता ह पर परान िोस तो की िोस ती की जड़ो म छाछ नही डालना िाचहय म अपनी िोस ती म िाणक य की राजनीचत नही खल सकती जो ऐसा करत ह व च जन िगी म अकल रह जात हlsquo

कमल न कहा lsquoबात फोन क चबल क पमणट की हो रही थी तम भी बात को कहाा स कहाा ल गई तम इतना गस सा हो सकती हो मझ पता नही था समय पर म ही काम आऊा गाlsquo

शान को लगा चक मानो उस ितावनी िी जा रही ह वह कमल क इस व यवहार पर हरान थी कोई इनसान इतना कक यिलचटव कस हो सकता ह क या पसा इतना महत वपणि ह चक उसक सामन सबकछ नगण य ह

आज शान की सोि जस थमन का नाम ही नही ल रही थी क या िोस ती जस पाक़-साफ ररश त म बचनयो जसा गणा-भाग करना उचित ह परष मचहला स िोस ती चनभा सकता ह पर मचहला को परष चमरो स चमरता चनभान क चलय चकतन पापड़ बलन पड़त ह कमल की तो इतनी मचहला चमर ह शान न हमशा सबका आिर चकया ह घर बलाया ह

जो शाम शान घमन क चलय रखती ह व शाम उसन कमल क चमरो क चलय चडनर बनान म चबता िी ह क या कभी कमल न इस महसस करन की ज़ररत महसस की ह चक शान की अपनी भी च जन िगी ह उस भी अपनी च जन िगी जीन का परा अचधकार ह

अगर कमल अपन िोस तो क साथ खश रहत ह शान स उनक चलय महनत स चडनर बनवात ह तो चफर शान क चमरो को कमल सहज रप स

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क यो नही ल पात क या हर परष पत नी क मामल म ऐसा ही होता ह शान बड़ी असहज हो रही थी

उसका वश िलता तो उस चनगोड़ मोबाईल को चखड़की स बाहर फ ककर िर-िर कर डालती पर इसम कमल का चिया नमबर ह शान न ख़ि को सयत चकया उस कोई तो चनणिय लना था वह ग़लत बात क सामन हार माननवाली स री नही थी

उस याि ह चक इसी सि बोलन की आित क िलत उस अपन कॉलज का िस ट-स टडणटट क पिक स हाथ धोना पड़ा था यह िीगर बात थी चक उस पिक को पानवाली लड़की एक सप ताह बाि अपन परमी क साथ भाग गई थी और कॉलज की परािायाि पछतान क अलावा कछ नही कर पाई थी

अगल चिन शाम को कमल ऑचफस स आय और बोल lsquoशान मन तम हार मोबाईल का चबल भर चिया ह पर प लीज़ इस महीन ज़रा ध यान रखनाlsquo

शान न कछ नही कहा उसन तय कर चलया था चक उस मोबाईल परकरण म चनणिय लना ह कोई बहस नही करना ह और इस चवषय म बात करन क चलय रचववार सवोत तम चिन ह1

रचववार को सबह क नाश त क बाि शान न कहा lsquoकमल एक काम करो तम अपना यह नमबर वाचपस ल लो म इस नमबर क साथ ख़ि को सहज महसस नही कर रहीlsquo

कमल न कहा lsquoक या परॉब लम ह मन चबल भर चिया हlsquo कमल को शान की यह आित पता ह चक सामान य तौर पर वह चकसी भी बात को चिल स नही लगाती ह वह lsquoरात गई बात गईrsquo वाली कहावत म चवश वास रखती ह तो अब अिानक क या हो गया

शान न कहा lsquoबात चबल भरन की नही ह मझ

पोस टपड की आित नही ह और चफर इसम अन िाज़ा नही रहता और चबल जज ािा हो जाता ह मझ परीपड जज ािा सट करता ह उसम मझ पता रहता ह चक चकतना खिि हो गया ह और म अपनी जब क अनसार खिि कर पाती ह ाlsquo

शान न अपरत यकष रप स अपन फोन का चहसाब रखन का अचधकार कमल को िन स इन कार कर चिया था शान न मोबाईल स चसम काडि चनकाला और कमल को थमा चिया उसन अपना परानावाला चसम काडि मोबाईल म डाला

बहत चिनो बाि शान न ख़ि को शीश म िखा इस मोबाईल न उसक िहर को चनस तज कर चिया था आाखो क नीि काल घर बन गय थ कपड़ भी कस पहनन लगी थी वह उसन ख़ि को चफर स मस त तचबयत की और हरिनमौला बनान का चनणिय चलया और इसक साथ ही उसक होठो पर जो बाल-सलभ मस कान आई वह स वय ही उस पर बचलहारी हो रही थी मध अरोड़ा ममबई 9833959216

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वयिगय माइकरो सटायर

पीएम मनमोहन चसह न िावा चकया ह चक एक हजार बार स जजयािा वह चपछल िस सालो म बोल ह उनक बोलन की ररकाचडिगस िक की गयी

ह- 1100 बार वह कल बोल 1000 बार तो वह यह बोल पाय-ओय कोई तो मरी गलल सण लो ओय बाकी 100 बार वह बोल-ओय मरी बात समझ नी आयी कोई गलल नी राहलजी स पछछ लणा

गङगा साफ करन की पररयोजनाओ म खरबो खाय गय जमना साफ करन की पररयोजनाओ म अरबो खाय गय कछ-कछ समझ म आता ह चक गङगा-जमनी कलिर तमाम पाचलचटकल पाचटियो को बहत चपरय कयो ह

परधानमनरी पि क उममीिवार नर र मोिी का चवरोध करनवालो को लोकसभा िनाव क बाि पाचकसतान जाना पड़गा इस बयान स राबटि वाडरा भी िहशत म आय कयोचक वाडरा क पविज पाचकसतान सयालकोट स आय थ

राहल गााधी न समझाया -जीजाजी ऐसा नही चजसकी पास थोड़ी सी जमीन भी ह इचणडया म उस इचणडयन माना जायगा

राबटि वाडरा क िहर पर मसकान लौट आयी ह-जमीन तो जहाा कहोग वहाा चिखा िागा-कनयाकमारी क समनिर स लकर एवरसट तक की रचजसरी अपन नाम ह दवाररका गजरात समनिर की रचजसरी स लकर पर अरणािल की जमीन अपन कबज म चिखा सकता ह ा

राहल न समझाया-ना थोड़ी जमीन ही बताना अरणािल की जमीन तमहार पास ह यह बात िीन को अगर पता लग गयी तो वह भारत सरकार स नही तमस ही बात करन लगगा जमीन चववाि सलझान को

एक िटकी चसनिर की कीमत तम कया जानो रमश बाब जानता ह ा बहत सही तरह स जानता ह ा कोई एक िटकी चसनिर भरकर अब तक 350 करोड़ रपय कमा िका ह और चपकिर अभी बाकी ह िोसत राजश खनना का जमाना गया अब राबटि वाडरा का आ गया

राबटि वाडरा क घर म धन की िवी लकषमीजी को माा क तौर पर नही पजा जाता लकषमीजी को सास-माा क तौर पर पजा जाता ह

चिचगवजय चसह न पछा - बताओ बताओ राबटि वाडरा न कौन सा कानन तोड़ा राबटि वाडरा सनकर हास रह ह- नानसनस म खि कानन ह ा मझ कौन तोड़गा कचपल चसबबल न आरोप लगाया चक सीबीआई न गजरात फजी एनकाउणटर म मोिी को ढ़ग स घर म नही चलया लो िस साल सरकार काङगरस की रही सीबीआई स जरा सा काम ना करवा पाय

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राहल गााधी न चसबबल को डााटा- ऐसी ही बातो स तो यह आरोप पकका होता ह चक काङगरस सरकार िस सालो म कतई चनकममी रही

अचखलश यािव न कहा चक िाल ह भाजपा क लोग समाजवािी पाटी क लोग िाल नही ह यह सनकर अमर चसह न कहा ह- मरी याि मरी कमी इतन चिनो बाि महसस की िलो ठीक ह पर अब म समाजवािी पाटी क चलए कछ ना करा गा हारा गा भी नही इस सवाथी िचनया म चकसी क चलए हारन स बहतर ह चक म खि अपन चलए हारा लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन ही पिा चकया ह नारायण ितत चतवारी न जोरिार बधाई िी ह लालजी को यह कहत हए चक अकल हम ही नही ह जो बढ़ाप म बाप बन रह ह लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन पिा चकया सबस जजयािा चवरोध उनक आठ बचिो न जताया ह यह कहत हए चक पापा आठ बचिो का ताना झल-झलकर ही पक गय अब एक और जोड़ चलय ह राबड़ी िवी न अलग डााटा ह-लालजी कईसा बात करत ह ऊ चनतीशवा हमको मममी कहगा तो हमको कईसा फील होगा

मोिी की हवा नही िल रही ह यह बात तमाम नयज िनलो पर तरह-तरह क चवदवानो न चिन भर म करीब 40 बार कही मोिी की हवा िल रही ह यह बात बीजपी क परविाओ न नयज िनलो

पर कल सात बार कही िालीस बार मोिी का नाम उधर स सात बार मोिी का नाम इधर स मोिी की हवा असल म बना कौन रहा ह ब िनाव क आग बढ़न पर काङगरस न नर र मोिी क चखलाफ मनमोहन चसह को उतारन की सोिी ह नरनर मोिी क नमो फोन क मकाबल ममो फोन उतारन का पलान हआ इञजीचनयरो न फोन चडजाइन भी कर चलया ह बस एक पराबलम नही चनपट पा रही ह

ममो फोन नामिल तरीक स काम नही करता इसम साइलणट मोड एचकटव करो तब ही फोन पर बात समभव हो पाती ह साइलणट मोड पर ही एचकटव य बात हर कसटमर को समझान म तो कई साल लग जायग

कया चकया जाय इस सवाल क जवाब म मनमोहन चसह साइलणट मोड म िल गय ह

आलोक पराचणक 9810018799

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अर शरी गिशाय नमः ndash शरद जोशी

अथ शरी गणशाय नम बात गणश जी स शर की जाए वह धीर-धीर िह तक पहाि जाएगी या िह स आरमभ कर और वह शरी गणश तक पहाि या पढ़न-चलखन की ििाि

की जाए शरी गणश जञान और बचदध क िवता ह इस कारण सिव अलपमत म रहत होग पर ह तो िवता सबस पहल व ही पज जात ह आचख़र म व ही पानी म उतार जात ह पढ़न-चलखन की ििाि को छोड़ आप शरी गणश की कथा पर आ सकत ह

चवषय कया ह िहा या शरी गणश भई इस िश म कल चमलाकर चवषय एक ही होता ह - ग़रीबी सार चवषय उसी स जनम लत ह कचवता कर लो या उपनयास बात वही होगी ग़रीबी हटान की बात करन वाल बात कहत रह पर यह न सोिा चक ग़रीबी हट गई तो लखक चलखग चकस चवषय पर उनह लगा य साचहतय वाल लोग ग़रीबी हटाओ क चख़लाि ह तो इस पर उतर आए चक िलो साचहतय हटाओ

वह नही हट सकता शरी गणश स िाल हआ ह व ही उसक आचि िवता ह ऋचदध-चसचदध आसपास रहती ह बीि म लखन का काम िलता ह िहा परो क पास बठा रहता ह रिना ख़राब हई चक गणश जी महाराज उस िह को ि ित ह ल भई कतर खा पर ऐसा पराय नही होता चनज कचवतत क फीका न लगन का चनयम गणश जी पर भी उतना ही लाग होता ह िहा परशान रहता ह महाराज कछ खान को िीचजए गणश जी साड पर हाथ फर गभीरता स कहत ह लखक क पररवार क सिसय होखान-पीन की बात मत चकया करो भख रहना सीखो बड़ा ऊा िा मज़ाक-बोध ह शरी गणश जी का (अचछ लखको म रहता ह) िहा सन मसकराता ह जानता ह गणश जी डायचटग पर भरोसा नही करत तबीयत स खात

ह चलखत ह अब चनरनतर बठ चलखत रहन स शरीर म भरीपन तो आ ही जाता ह

िह को साचहतय स कया करना उस िाचहए अनाज क िान कतर खश रह सामानय जन की आवशयकता उसकी आवशयकता ह खान पट भरन को हर गणश-भि को िाचहए भख भजन न होई गणशा या जो भी हो साचहतय स पसा कमान का घनघोर चवरोध व ही करत ह चजनकी लकिररचशप पककी हो गई और वतन नए बढ़ हए गरड़ म चमल रहा ह जो अिसर ह चजनह पशन की सचवधा ह व साचहतय म कराचनत-कराचनत की उछाल भरत रहत ह िहा असल गणश-भि ह

राषटरीय दचिकोण स सोचिए पता ह आपको िहो क कारण िश का चकतना अनाज बरबाि होता ह िहा शर ह िश क गोिामो म घसा िोर ह हमार उतपािन का एक बड़ा परचतशत िहो क पट म िला जाता ह िह स अनाज की रकषा हमारी राषटरीय समसया ह कभी चविार चकया अपन इस पर बड़ गणश-भि बनत ह

चविार चकया यो ही गणश-भि नही बन गए समसया पर चविार करना हमारा पराना मज़ि ह हा-हा-हा ज़रा सचनए

आपको पता ह िान-िान पर खान वाल का नाम चलखा रहता ह यह बात चसिि अनार और पपीत को लकर ही सही नही ह अनाज क छोट-छोट िान को लकर भी सही ह हर िान पर नाम चलखा रहता ह खान वाल का कछ िर पहल जो परााठा मन अिार स लगाकर खाया था उस पर जगह-जगह शरि जोशी चलखा हआ था छोटा-मोटा काम नही ह इतन िानो पर नाम चलखना यह काम कौन कर सकता हगणश जी और कौन व ही चलख सकत ह और चकसी क बस का नही ह यह काम पररशरम लगन और नयाय की ज़ररत होती ह साचहतय वालो को यह काम

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सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

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म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

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भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

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रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

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अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 8: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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शान क ऑचफस क डॉक टर भी शान क इस नॉमिल ब लडपरशर पर आश ियि करत ह एक चिन डॉक टर न कहा भी lsquoशानजी आप इतनी खश कस रह लती ह यहाा तो जो भी आता ह उस या तो हाईपर टशन होता ह शगर बढा हआ वज़नlsquo

शान न परश नवािक आाखो स डॉक टर को िखा तो डॉक टर न कहा lsquoमरा मतलब ह चक आप अभी तक चफट कस ह यहाा तक चक म डॉक टर ह ा मझ हाई ब लड परशर ह रोज़ िवा लता ह ाlsquo

शान न हासत हए कहा lsquoमरा काम ह टनशन िना िचखय सीधी सी बात ह चजस बात पर मरा वश नही होता म सोिती ही नही जो होना ह वह तो होना ही हlsquo

शान न अपन पहल को बिलत हए कहा lsquoअब यचि म िाह ा चक मर पचत फलाा स बात न कर पर यचि उनको करना ह तो व कर ग ही िाह चछपकर कर या सामन कर तो क यो अपना चिमाग़ खराब करनाrsquo

डॉक टर न कहा lsquoकमाल ह आप च जन िगी को इतन हल क रप म लती ह य आर गरटlsquo शान न कहा lsquoऔर नही तो क या म क यो चिल जलाऊा मर चिल क जलन स सामन वाल को फक़ि पड़ना िाचहयlsquo

डॉक टर न हासत हए कहा काश सब आप जसा सोि पातlsquo शान न भी हासत हए कहा lsquoसब सवतनर िश क सवतनर लोग ह मन चकसीका कोई ठका तो ल नही रखाlsquo

डॉक टर भी मरी बात सनकर हास और बोल lsquoएक हि तक आप ठीक कहती ह पचत पत नी भी एक-िसर क िौकीिार तो नही ह न यह ररश ता तो आपसी समझिारी और चवश वास का ररश ता हlsquo

इस पर शान न कहा lsquoयचि चकसी काम क चलय चिल गवाही िता ह तो ज़रर करना िाचहय

लचकन एक िसर को भलाव म नही रखना िाचहयlsquo

डॉक टर न कहा lsquoआज आपस बात करक बहत अच छा लगा मझ लगा ही नही चक म मरीज़ स बात कर रहा ह ाlsquo अर शान भी चकन बातो म खो गई बड़ी ज़ल िी अपन म खो जाती ह

आज कमल बड़ अच छ मड म ह ितरतर स आय ह शान न िाय बनाई और िोनो न अपन-अपन प याल हाथ म ल चलय

यह शान का शािी क बाि स चनयम ह चक वह और कमल सबह और शाम की िाय घर म साथ-साथ पीत ह िाह िोनो म झगड़ा हो अनबोलािाली हो पर िाय साथ म चपयग

कमल न कहा lsquo िखो शान एक काम करत ह मर ऑचफस क चलय मोबाईलवालो न एक स कीम चनकाली ह उसक तहत पत नी क चलय मोबाईल फरी हlsquo यह सनकर शान क कान खड़ हो गय वह बोली यह मोबाईल कमपनी का क या नया फणडा हrsquo lsquoपहल परी बात सन लो हाा तो म कह रहा था चक मरा तो पोस टपड ह तम यह नया नमबर ल लो इसका जो भी चबल आयगा म िका िागाlsquo कमल न शान का हाथ अपन हाथ म लत हए कहा

अपनी बात पर परचतचकरया न होत िखकर आग बोल lsquoलण डलाईन नमबर कटवा िग हम िोनो क पास मोबाईल ह ही बच िो क साथ कॉन फरचनसग सचवधा ल लग चकफायत म सब काम हो जाया करगा फोन का चबल भी नही भरना पड़गाlsquo

पता नही शान भी चकस मड म थी उसन हामी भर िी कमल न भी शान को सकण ड थॉट का मौका चिय चबना िसर ही चिन नया नमबर लाकर ि चिया अब कमल आश वस त हो गय थ चक शान

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क फोनो का उनक पास चहसाब रहगा चबल जो उनक नाम आयगा

शान को सपन म भी ग़मान नही था चक उसक फोनो का चहसाब रखा जायगा वह मज़ स फोन करती रही जब एक महीन बाि चबल आया तो अब कमल की बारी थी

कमल न चफर एक बार फोन का चबल शान क सामन रखत हए क हा lsquoिखो शान तम हारा चबल रपय 2000- का आया ह क या तम फोन कम नही कर सकती मरा ऑचफस मझ मर फोन का चबल िगा तम हारा चबल तो मझ िना हlsquo

शान को अिमभा हआ और उसन कहा lsquoलचकन कमल यह तम हारा ही परस ताव था उस समय फोन करन क पसो की सीमा तमन तय नही की थी ऐसा नही िलगा पहल बता ित तो म नया नमबर लती ही नहीlsquo

शान न कमल को एक रास ता सझात हए कहा lsquoमरा पराना नमबर तो सबक पास ह एक काम करती ह ा अपन परान नमबर पर म फोन ररसीव करा गी और तम हार चिय नमबर स फोन कर चलया करा गीlsquo

कमल न अपनी खीझ को चछपात हए कहा िो नमबरो की क या ज़ररत ह बात तो व ही ढाक क तीन पातवाली रही नrsquo शान न इस बात को आग न बढ़ात हए िप रहना ही बहतर समझा

अब शान इस बात का ध यान रखन लगी थी चक कमल क सामन फोन न चकया जाय इस तरह अनजान म शान म चछपकर फोन करन की आित घर करती जा रही थी अब वह फोन करत समय घड़ी िखन लगी थी

वह समझ नही पा रही थी चक इस फोन क मदद को कस हल चकया जाय कमल का ध यान अक सर

शान क मोबाईल पर लगा रहता चक कब बजता ह और शान चकतनी िर बात करती ह

अब हालत यह हो गई थी चक मोबाईल क बजन पर शान आकरानत हो जाती थी और कमल क कान सतकि यचि वह कान म बाचलयाा भी पहन रही होती तो चकसी न चकसी बहान स कमल कमर म आत और इधर-उधर कछ ढाढ़त और ऐस िल जात चक मानो उन होन कछ िखा ही नही

शान को आश ियि होता चक कमल को यह क या होता जा रहा ह उनकी आाखो म वह शक क डोर िखन लगी थी शान सोिती चक जो ख़ि को शान का िोस त होन का िावा करता था लचकन अब वह धीर-धीर चटचपकल पचत क रप म तब िील होता जा रहा था मोबाईल जी का जञजाल बनता जा रहा था

शान को इस िह-चबल ली क खल म न तो मज़ा आ रहा था और न ही उसकी इस तरह क व यथि क कामो म कोई चिलिस पी थी शान शर स ही मस त तचबयत की लड़की रही ह

अपन जोक पर वह ख़ि ही हास लती ह सामनवाला हरान होता ह चक चजस जोक सनाया गया वह तो हासा ही नही अब इसम शान को क या िोष अग़र सामनवाल को जोक समझ ही नही आया उसकी टयबलाइट नही िमकी तो वह क या कर

तो इस मस त तचबयत की शान इस मोबाईल को लकर क यो मसीबत मोल ल कोई उसकी हासी क योकर छीन जो उस अपन मायक स चवरासत म चमली ह वह अपन मायक म बड़ी ह वह हमशा चडसीज़न मकर रही ह क या वह अपन मोबाईल क चवषय म चडसीज़न नही ल सकती

िसर महीन कमल न चफर शान को मोबाईल का चबल चिखाया यह चबल रपय 1500- का था कमल न कहा lsquoिखो शान इस महीन 500 रपय

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तो कम हए ऐस ही धीर-धीर और कम करो जज ािा स जज ािा रपय 600- का चबल आना िाचहयlsquo

अब शान की बारी थी वह बोली lsquoिखो कमल हम िोनो वचकि ग ह हमारी ज़ररत अलग-अलग ह और होनी भी िाचहय मरी हर ज़ररत तम हारी ज़ररत स बाध यह कोई ज़ररी नही ह हम लाईफ पाटिनर ह माचलक-सवक नहीlsquo

कमल न िश मा लगात हए कहा lsquoमन ऐसा कब कहा म तो चकफा यत की बात कर रहा ह ाlsquo शान न कहा lsquoयार चकतनी चकिायत करोग चकसीक बोलन-िालन पर बचनिश लगान का क या तक हrsquo और चफर म तो फोन का चबल ि रही थी कभी चकसीको रोका नही फोन करन स पढ़नवाल बच ि ह व भी फोन करत ह मझ तो तम हार ऑचफस स चमलनवाल मोबाईल की तमन ना भी नही थी तम हारा परस ताव थाlsquo

कमल न चबना चकसी परचतचकरया क अपन चिरपररचित ठणड स वर म कहा lsquoतम इतनी उत तचजत क यो हो जाती हो ठणड चिल स मरी बात पर सोिो चबना वज़ह फोन करना छोड़ िोlsquo

यह सनकर शान को अच छा नही लगा और बोल पड़ी lsquoहमशा वजह स ही फोन चकय जाय यह ज़ररी तो नहीlsquo कमल न कहा lsquoयही तो चिक कत ह सब अपन म मस त ह उल ट तम उनको चडस टबि करती होlsquo

शान न कछ कहना िाहा तो कमल न हाथ क इशार स रोकत हए कहा lsquoकई बार लोग नही िाहत चक उन ह बवज़ह फोन चकया जाय उनकी नज़रो म तम हारी इजज ज़त कम हो सकती हlsquo

शान न गस स स कहा lsquo बात को ग़लत चिशा म मत मोड़ो बात मोबाईल क चबल क भगतान की हो रही ह मर िोस तो म मझ जसा साहस ह यचि

व चडस टबि होत ह तो यह बात व मझस बखटक कह सकत ह उनक माह म पानी नही भरा हlsquo

कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoचकसकी कज़ा आई ह जो तमस य ह बात कहगा तम ह चकसी तरह झल लत ह तम ह चवश वास न हो तो आजमाकर िखो एक हतरत चकसीको फोन मत करो कोई तम हारा हाल नही पछगा तम तो मान न मान म तरा महमान वाली बात करती होlsquo

शान न कहा lsquoकमल तम मझ मर िोस तो क चखलाि नही कर सकत मझ पर इन बातो का कोई असर नही होता मर िोस तो स बात करन की समय सीमा तम क योकर तय करोrsquo कमल न चिढ़त हए कहा rsquoकभी मर ररश तिारो स भी बात की हrsquo इस पर शान न तपाक स कहा lsquoकब नही करती ज़रा बताओग वहाा भी तमको एतराज़ होता ह चक फलाा स बात क यो नही कीlsquo इस पर कमल ह ाह करक िप हो गय

शान अपनी रौ म बोलती गई lsquoकमल मझ अपन िोस त और सहचलयाा बहत चपरय ह व मर आड़ वक त मर साथ खड़ होत रह ह मरी िचनया म नात ररश तिारी क अलावा भी लोग शाचमल ह और व मर चिल क करीब ह उनक और मर बीि िरी लान की कोचशश मत करोlsquo

शान न कमल क कान क पास जाकर सरग़ोशी की lsquoतम ही बताओ क या तम मर कहन स अपन िोस तो को फोन करना छोड़ सकत हो नही न चफर सार ग़लत सही परयोग मझ पर ही क योrsquo

कमल न कहा lsquoतमन कभी सोिा ह चक तम हारी चमरता को लोग ग़लत रप म भी ल सकत ह कम स कम कछ तो ख़याल करोlsquo

अब तो शान का पारा सातव आसमान पर था बोली lsquoमन कभी चकसीकी चमरता पर कमणट चकया ह कछ िोस त तो खलआम िसर की बीचवयो क साथ चफल म िखत ह घमत ह उन ह

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कोई कछ नही कहता मर फोन करन मार पर इतना बखड़ाrsquo

कमल हरान थ शान की इस मखरता पर वह बोलती रही lsquoम अपन चमरो क साथ न तो घमती ह ा और न उनस चकसी तरह का फायिा उठाती ह ा इस बात को कान खोलकर सन लो मर जो भी चमर ह व पाररवाररक हlsquo

कमल न कछ कहन की कोचशश की तो शान न उस अनसना करत हए कहाrsquoऔर तम उनस बखटक बात करत हो जबचक अपन िोस तो क साथ तम िाहो तभी बात कर सकती ह ा कस मरी बात बीि म काटकर बात की चिशा बिल ित हो कभी ग़ौर चकया ह इस बात पर

कमल न मानो हचथयार डालत हए कहा lsquoमरी एक बात तो सनोlsquo शान न कहा lsquoनही आज तम मरी बात सनो तो हाा म कह रही थी चक मर चिल पर क या गजरती होगी जब सबक सामन तम ऐसा करत हो मन कभी कछ कहा तमसrsquo

िसरी बात मझ पररवार की मयाििा का परा खयाल ह मझ क या करना ह चकतना करना ह कब करना ह मझ पता ह और म अपन चमरो का ररप लसमट नही ढाढती और चफर कई चमर तो मर और तम हार कॉमन चमर ह lsquo

कमल को इस बात का अहसास नही था चक बात इतनी बढ़ जायगी उन होन शान का यह रौर रप कभी नही िखा था वह अपन चमरो क परचत इतनी समविनशील ह उन होन सोिा भी नही था कमल का मानना ह चक च जन िगी म चमर बिलत रहत ह इसस नई सोि चमलती ह

उन होन बात साभालत हए कहा lsquoिखो शान चडयर यह मरा मतलब कतई नही था चमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय म फोन करन क चलय इन कार नही करता पर हर िीज़ चलचमट म अच छी लगती हlsquo

शान ख़ि को बहत अपमाचनत महसस कर रही थी उसन तनककर कहा lsquoचमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय यह मझ पता ह पर परान िोस तो की िोस ती की जड़ो म छाछ नही डालना िाचहय म अपनी िोस ती म िाणक य की राजनीचत नही खल सकती जो ऐसा करत ह व च जन िगी म अकल रह जात हlsquo

कमल न कहा lsquoबात फोन क चबल क पमणट की हो रही थी तम भी बात को कहाा स कहाा ल गई तम इतना गस सा हो सकती हो मझ पता नही था समय पर म ही काम आऊा गाlsquo

शान को लगा चक मानो उस ितावनी िी जा रही ह वह कमल क इस व यवहार पर हरान थी कोई इनसान इतना कक यिलचटव कस हो सकता ह क या पसा इतना महत वपणि ह चक उसक सामन सबकछ नगण य ह

आज शान की सोि जस थमन का नाम ही नही ल रही थी क या िोस ती जस पाक़-साफ ररश त म बचनयो जसा गणा-भाग करना उचित ह परष मचहला स िोस ती चनभा सकता ह पर मचहला को परष चमरो स चमरता चनभान क चलय चकतन पापड़ बलन पड़त ह कमल की तो इतनी मचहला चमर ह शान न हमशा सबका आिर चकया ह घर बलाया ह

जो शाम शान घमन क चलय रखती ह व शाम उसन कमल क चमरो क चलय चडनर बनान म चबता िी ह क या कभी कमल न इस महसस करन की ज़ररत महसस की ह चक शान की अपनी भी च जन िगी ह उस भी अपनी च जन िगी जीन का परा अचधकार ह

अगर कमल अपन िोस तो क साथ खश रहत ह शान स उनक चलय महनत स चडनर बनवात ह तो चफर शान क चमरो को कमल सहज रप स

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क यो नही ल पात क या हर परष पत नी क मामल म ऐसा ही होता ह शान बड़ी असहज हो रही थी

उसका वश िलता तो उस चनगोड़ मोबाईल को चखड़की स बाहर फ ककर िर-िर कर डालती पर इसम कमल का चिया नमबर ह शान न ख़ि को सयत चकया उस कोई तो चनणिय लना था वह ग़लत बात क सामन हार माननवाली स री नही थी

उस याि ह चक इसी सि बोलन की आित क िलत उस अपन कॉलज का िस ट-स टडणटट क पिक स हाथ धोना पड़ा था यह िीगर बात थी चक उस पिक को पानवाली लड़की एक सप ताह बाि अपन परमी क साथ भाग गई थी और कॉलज की परािायाि पछतान क अलावा कछ नही कर पाई थी

अगल चिन शाम को कमल ऑचफस स आय और बोल lsquoशान मन तम हार मोबाईल का चबल भर चिया ह पर प लीज़ इस महीन ज़रा ध यान रखनाlsquo

शान न कछ नही कहा उसन तय कर चलया था चक उस मोबाईल परकरण म चनणिय लना ह कोई बहस नही करना ह और इस चवषय म बात करन क चलय रचववार सवोत तम चिन ह1

रचववार को सबह क नाश त क बाि शान न कहा lsquoकमल एक काम करो तम अपना यह नमबर वाचपस ल लो म इस नमबर क साथ ख़ि को सहज महसस नही कर रहीlsquo

कमल न कहा lsquoक या परॉब लम ह मन चबल भर चिया हlsquo कमल को शान की यह आित पता ह चक सामान य तौर पर वह चकसी भी बात को चिल स नही लगाती ह वह lsquoरात गई बात गईrsquo वाली कहावत म चवश वास रखती ह तो अब अिानक क या हो गया

शान न कहा lsquoबात चबल भरन की नही ह मझ

पोस टपड की आित नही ह और चफर इसम अन िाज़ा नही रहता और चबल जज ािा हो जाता ह मझ परीपड जज ािा सट करता ह उसम मझ पता रहता ह चक चकतना खिि हो गया ह और म अपनी जब क अनसार खिि कर पाती ह ाlsquo

शान न अपरत यकष रप स अपन फोन का चहसाब रखन का अचधकार कमल को िन स इन कार कर चिया था शान न मोबाईल स चसम काडि चनकाला और कमल को थमा चिया उसन अपना परानावाला चसम काडि मोबाईल म डाला

बहत चिनो बाि शान न ख़ि को शीश म िखा इस मोबाईल न उसक िहर को चनस तज कर चिया था आाखो क नीि काल घर बन गय थ कपड़ भी कस पहनन लगी थी वह उसन ख़ि को चफर स मस त तचबयत की और हरिनमौला बनान का चनणिय चलया और इसक साथ ही उसक होठो पर जो बाल-सलभ मस कान आई वह स वय ही उस पर बचलहारी हो रही थी मध अरोड़ा ममबई 9833959216

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वयिगय माइकरो सटायर

पीएम मनमोहन चसह न िावा चकया ह चक एक हजार बार स जजयािा वह चपछल िस सालो म बोल ह उनक बोलन की ररकाचडिगस िक की गयी

ह- 1100 बार वह कल बोल 1000 बार तो वह यह बोल पाय-ओय कोई तो मरी गलल सण लो ओय बाकी 100 बार वह बोल-ओय मरी बात समझ नी आयी कोई गलल नी राहलजी स पछछ लणा

गङगा साफ करन की पररयोजनाओ म खरबो खाय गय जमना साफ करन की पररयोजनाओ म अरबो खाय गय कछ-कछ समझ म आता ह चक गङगा-जमनी कलिर तमाम पाचलचटकल पाचटियो को बहत चपरय कयो ह

परधानमनरी पि क उममीिवार नर र मोिी का चवरोध करनवालो को लोकसभा िनाव क बाि पाचकसतान जाना पड़गा इस बयान स राबटि वाडरा भी िहशत म आय कयोचक वाडरा क पविज पाचकसतान सयालकोट स आय थ

राहल गााधी न समझाया -जीजाजी ऐसा नही चजसकी पास थोड़ी सी जमीन भी ह इचणडया म उस इचणडयन माना जायगा

राबटि वाडरा क िहर पर मसकान लौट आयी ह-जमीन तो जहाा कहोग वहाा चिखा िागा-कनयाकमारी क समनिर स लकर एवरसट तक की रचजसरी अपन नाम ह दवाररका गजरात समनिर की रचजसरी स लकर पर अरणािल की जमीन अपन कबज म चिखा सकता ह ा

राहल न समझाया-ना थोड़ी जमीन ही बताना अरणािल की जमीन तमहार पास ह यह बात िीन को अगर पता लग गयी तो वह भारत सरकार स नही तमस ही बात करन लगगा जमीन चववाि सलझान को

एक िटकी चसनिर की कीमत तम कया जानो रमश बाब जानता ह ा बहत सही तरह स जानता ह ा कोई एक िटकी चसनिर भरकर अब तक 350 करोड़ रपय कमा िका ह और चपकिर अभी बाकी ह िोसत राजश खनना का जमाना गया अब राबटि वाडरा का आ गया

राबटि वाडरा क घर म धन की िवी लकषमीजी को माा क तौर पर नही पजा जाता लकषमीजी को सास-माा क तौर पर पजा जाता ह

चिचगवजय चसह न पछा - बताओ बताओ राबटि वाडरा न कौन सा कानन तोड़ा राबटि वाडरा सनकर हास रह ह- नानसनस म खि कानन ह ा मझ कौन तोड़गा कचपल चसबबल न आरोप लगाया चक सीबीआई न गजरात फजी एनकाउणटर म मोिी को ढ़ग स घर म नही चलया लो िस साल सरकार काङगरस की रही सीबीआई स जरा सा काम ना करवा पाय

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राहल गााधी न चसबबल को डााटा- ऐसी ही बातो स तो यह आरोप पकका होता ह चक काङगरस सरकार िस सालो म कतई चनकममी रही

अचखलश यािव न कहा चक िाल ह भाजपा क लोग समाजवािी पाटी क लोग िाल नही ह यह सनकर अमर चसह न कहा ह- मरी याि मरी कमी इतन चिनो बाि महसस की िलो ठीक ह पर अब म समाजवािी पाटी क चलए कछ ना करा गा हारा गा भी नही इस सवाथी िचनया म चकसी क चलए हारन स बहतर ह चक म खि अपन चलए हारा लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन ही पिा चकया ह नारायण ितत चतवारी न जोरिार बधाई िी ह लालजी को यह कहत हए चक अकल हम ही नही ह जो बढ़ाप म बाप बन रह ह लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन पिा चकया सबस जजयािा चवरोध उनक आठ बचिो न जताया ह यह कहत हए चक पापा आठ बचिो का ताना झल-झलकर ही पक गय अब एक और जोड़ चलय ह राबड़ी िवी न अलग डााटा ह-लालजी कईसा बात करत ह ऊ चनतीशवा हमको मममी कहगा तो हमको कईसा फील होगा

मोिी की हवा नही िल रही ह यह बात तमाम नयज िनलो पर तरह-तरह क चवदवानो न चिन भर म करीब 40 बार कही मोिी की हवा िल रही ह यह बात बीजपी क परविाओ न नयज िनलो

पर कल सात बार कही िालीस बार मोिी का नाम उधर स सात बार मोिी का नाम इधर स मोिी की हवा असल म बना कौन रहा ह ब िनाव क आग बढ़न पर काङगरस न नर र मोिी क चखलाफ मनमोहन चसह को उतारन की सोिी ह नरनर मोिी क नमो फोन क मकाबल ममो फोन उतारन का पलान हआ इञजीचनयरो न फोन चडजाइन भी कर चलया ह बस एक पराबलम नही चनपट पा रही ह

ममो फोन नामिल तरीक स काम नही करता इसम साइलणट मोड एचकटव करो तब ही फोन पर बात समभव हो पाती ह साइलणट मोड पर ही एचकटव य बात हर कसटमर को समझान म तो कई साल लग जायग

कया चकया जाय इस सवाल क जवाब म मनमोहन चसह साइलणट मोड म िल गय ह

आलोक पराचणक 9810018799

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अर शरी गिशाय नमः ndash शरद जोशी

अथ शरी गणशाय नम बात गणश जी स शर की जाए वह धीर-धीर िह तक पहाि जाएगी या िह स आरमभ कर और वह शरी गणश तक पहाि या पढ़न-चलखन की ििाि

की जाए शरी गणश जञान और बचदध क िवता ह इस कारण सिव अलपमत म रहत होग पर ह तो िवता सबस पहल व ही पज जात ह आचख़र म व ही पानी म उतार जात ह पढ़न-चलखन की ििाि को छोड़ आप शरी गणश की कथा पर आ सकत ह

चवषय कया ह िहा या शरी गणश भई इस िश म कल चमलाकर चवषय एक ही होता ह - ग़रीबी सार चवषय उसी स जनम लत ह कचवता कर लो या उपनयास बात वही होगी ग़रीबी हटान की बात करन वाल बात कहत रह पर यह न सोिा चक ग़रीबी हट गई तो लखक चलखग चकस चवषय पर उनह लगा य साचहतय वाल लोग ग़रीबी हटाओ क चख़लाि ह तो इस पर उतर आए चक िलो साचहतय हटाओ

वह नही हट सकता शरी गणश स िाल हआ ह व ही उसक आचि िवता ह ऋचदध-चसचदध आसपास रहती ह बीि म लखन का काम िलता ह िहा परो क पास बठा रहता ह रिना ख़राब हई चक गणश जी महाराज उस िह को ि ित ह ल भई कतर खा पर ऐसा पराय नही होता चनज कचवतत क फीका न लगन का चनयम गणश जी पर भी उतना ही लाग होता ह िहा परशान रहता ह महाराज कछ खान को िीचजए गणश जी साड पर हाथ फर गभीरता स कहत ह लखक क पररवार क सिसय होखान-पीन की बात मत चकया करो भख रहना सीखो बड़ा ऊा िा मज़ाक-बोध ह शरी गणश जी का (अचछ लखको म रहता ह) िहा सन मसकराता ह जानता ह गणश जी डायचटग पर भरोसा नही करत तबीयत स खात

ह चलखत ह अब चनरनतर बठ चलखत रहन स शरीर म भरीपन तो आ ही जाता ह

िह को साचहतय स कया करना उस िाचहए अनाज क िान कतर खश रह सामानय जन की आवशयकता उसकी आवशयकता ह खान पट भरन को हर गणश-भि को िाचहए भख भजन न होई गणशा या जो भी हो साचहतय स पसा कमान का घनघोर चवरोध व ही करत ह चजनकी लकिररचशप पककी हो गई और वतन नए बढ़ हए गरड़ म चमल रहा ह जो अिसर ह चजनह पशन की सचवधा ह व साचहतय म कराचनत-कराचनत की उछाल भरत रहत ह िहा असल गणश-भि ह

राषटरीय दचिकोण स सोचिए पता ह आपको िहो क कारण िश का चकतना अनाज बरबाि होता ह िहा शर ह िश क गोिामो म घसा िोर ह हमार उतपािन का एक बड़ा परचतशत िहो क पट म िला जाता ह िह स अनाज की रकषा हमारी राषटरीय समसया ह कभी चविार चकया अपन इस पर बड़ गणश-भि बनत ह

चविार चकया यो ही गणश-भि नही बन गए समसया पर चविार करना हमारा पराना मज़ि ह हा-हा-हा ज़रा सचनए

आपको पता ह िान-िान पर खान वाल का नाम चलखा रहता ह यह बात चसिि अनार और पपीत को लकर ही सही नही ह अनाज क छोट-छोट िान को लकर भी सही ह हर िान पर नाम चलखा रहता ह खान वाल का कछ िर पहल जो परााठा मन अिार स लगाकर खाया था उस पर जगह-जगह शरि जोशी चलखा हआ था छोटा-मोटा काम नही ह इतन िानो पर नाम चलखना यह काम कौन कर सकता हगणश जी और कौन व ही चलख सकत ह और चकसी क बस का नही ह यह काम पररशरम लगन और नयाय की ज़ररत होती ह साचहतय वालो को यह काम

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

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रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

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अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 9: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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क फोनो का उनक पास चहसाब रहगा चबल जो उनक नाम आयगा

शान को सपन म भी ग़मान नही था चक उसक फोनो का चहसाब रखा जायगा वह मज़ स फोन करती रही जब एक महीन बाि चबल आया तो अब कमल की बारी थी

कमल न चफर एक बार फोन का चबल शान क सामन रखत हए क हा lsquoिखो शान तम हारा चबल रपय 2000- का आया ह क या तम फोन कम नही कर सकती मरा ऑचफस मझ मर फोन का चबल िगा तम हारा चबल तो मझ िना हlsquo

शान को अिमभा हआ और उसन कहा lsquoलचकन कमल यह तम हारा ही परस ताव था उस समय फोन करन क पसो की सीमा तमन तय नही की थी ऐसा नही िलगा पहल बता ित तो म नया नमबर लती ही नहीlsquo

शान न कमल को एक रास ता सझात हए कहा lsquoमरा पराना नमबर तो सबक पास ह एक काम करती ह ा अपन परान नमबर पर म फोन ररसीव करा गी और तम हार चिय नमबर स फोन कर चलया करा गीlsquo

कमल न अपनी खीझ को चछपात हए कहा िो नमबरो की क या ज़ररत ह बात तो व ही ढाक क तीन पातवाली रही नrsquo शान न इस बात को आग न बढ़ात हए िप रहना ही बहतर समझा

अब शान इस बात का ध यान रखन लगी थी चक कमल क सामन फोन न चकया जाय इस तरह अनजान म शान म चछपकर फोन करन की आित घर करती जा रही थी अब वह फोन करत समय घड़ी िखन लगी थी

वह समझ नही पा रही थी चक इस फोन क मदद को कस हल चकया जाय कमल का ध यान अक सर

शान क मोबाईल पर लगा रहता चक कब बजता ह और शान चकतनी िर बात करती ह

अब हालत यह हो गई थी चक मोबाईल क बजन पर शान आकरानत हो जाती थी और कमल क कान सतकि यचि वह कान म बाचलयाा भी पहन रही होती तो चकसी न चकसी बहान स कमल कमर म आत और इधर-उधर कछ ढाढ़त और ऐस िल जात चक मानो उन होन कछ िखा ही नही

शान को आश ियि होता चक कमल को यह क या होता जा रहा ह उनकी आाखो म वह शक क डोर िखन लगी थी शान सोिती चक जो ख़ि को शान का िोस त होन का िावा करता था लचकन अब वह धीर-धीर चटचपकल पचत क रप म तब िील होता जा रहा था मोबाईल जी का जञजाल बनता जा रहा था

शान को इस िह-चबल ली क खल म न तो मज़ा आ रहा था और न ही उसकी इस तरह क व यथि क कामो म कोई चिलिस पी थी शान शर स ही मस त तचबयत की लड़की रही ह

अपन जोक पर वह ख़ि ही हास लती ह सामनवाला हरान होता ह चक चजस जोक सनाया गया वह तो हासा ही नही अब इसम शान को क या िोष अग़र सामनवाल को जोक समझ ही नही आया उसकी टयबलाइट नही िमकी तो वह क या कर

तो इस मस त तचबयत की शान इस मोबाईल को लकर क यो मसीबत मोल ल कोई उसकी हासी क योकर छीन जो उस अपन मायक स चवरासत म चमली ह वह अपन मायक म बड़ी ह वह हमशा चडसीज़न मकर रही ह क या वह अपन मोबाईल क चवषय म चडसीज़न नही ल सकती

िसर महीन कमल न चफर शान को मोबाईल का चबल चिखाया यह चबल रपय 1500- का था कमल न कहा lsquoिखो शान इस महीन 500 रपय

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तो कम हए ऐस ही धीर-धीर और कम करो जज ािा स जज ािा रपय 600- का चबल आना िाचहयlsquo

अब शान की बारी थी वह बोली lsquoिखो कमल हम िोनो वचकि ग ह हमारी ज़ररत अलग-अलग ह और होनी भी िाचहय मरी हर ज़ररत तम हारी ज़ररत स बाध यह कोई ज़ररी नही ह हम लाईफ पाटिनर ह माचलक-सवक नहीlsquo

कमल न िश मा लगात हए कहा lsquoमन ऐसा कब कहा म तो चकफा यत की बात कर रहा ह ाlsquo शान न कहा lsquoयार चकतनी चकिायत करोग चकसीक बोलन-िालन पर बचनिश लगान का क या तक हrsquo और चफर म तो फोन का चबल ि रही थी कभी चकसीको रोका नही फोन करन स पढ़नवाल बच ि ह व भी फोन करत ह मझ तो तम हार ऑचफस स चमलनवाल मोबाईल की तमन ना भी नही थी तम हारा परस ताव थाlsquo

कमल न चबना चकसी परचतचकरया क अपन चिरपररचित ठणड स वर म कहा lsquoतम इतनी उत तचजत क यो हो जाती हो ठणड चिल स मरी बात पर सोिो चबना वज़ह फोन करना छोड़ िोlsquo

यह सनकर शान को अच छा नही लगा और बोल पड़ी lsquoहमशा वजह स ही फोन चकय जाय यह ज़ररी तो नहीlsquo कमल न कहा lsquoयही तो चिक कत ह सब अपन म मस त ह उल ट तम उनको चडस टबि करती होlsquo

शान न कछ कहना िाहा तो कमल न हाथ क इशार स रोकत हए कहा lsquoकई बार लोग नही िाहत चक उन ह बवज़ह फोन चकया जाय उनकी नज़रो म तम हारी इजज ज़त कम हो सकती हlsquo

शान न गस स स कहा lsquo बात को ग़लत चिशा म मत मोड़ो बात मोबाईल क चबल क भगतान की हो रही ह मर िोस तो म मझ जसा साहस ह यचि

व चडस टबि होत ह तो यह बात व मझस बखटक कह सकत ह उनक माह म पानी नही भरा हlsquo

कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoचकसकी कज़ा आई ह जो तमस य ह बात कहगा तम ह चकसी तरह झल लत ह तम ह चवश वास न हो तो आजमाकर िखो एक हतरत चकसीको फोन मत करो कोई तम हारा हाल नही पछगा तम तो मान न मान म तरा महमान वाली बात करती होlsquo

शान न कहा lsquoकमल तम मझ मर िोस तो क चखलाि नही कर सकत मझ पर इन बातो का कोई असर नही होता मर िोस तो स बात करन की समय सीमा तम क योकर तय करोrsquo कमल न चिढ़त हए कहा rsquoकभी मर ररश तिारो स भी बात की हrsquo इस पर शान न तपाक स कहा lsquoकब नही करती ज़रा बताओग वहाा भी तमको एतराज़ होता ह चक फलाा स बात क यो नही कीlsquo इस पर कमल ह ाह करक िप हो गय

शान अपनी रौ म बोलती गई lsquoकमल मझ अपन िोस त और सहचलयाा बहत चपरय ह व मर आड़ वक त मर साथ खड़ होत रह ह मरी िचनया म नात ररश तिारी क अलावा भी लोग शाचमल ह और व मर चिल क करीब ह उनक और मर बीि िरी लान की कोचशश मत करोlsquo

शान न कमल क कान क पास जाकर सरग़ोशी की lsquoतम ही बताओ क या तम मर कहन स अपन िोस तो को फोन करना छोड़ सकत हो नही न चफर सार ग़लत सही परयोग मझ पर ही क योrsquo

कमल न कहा lsquoतमन कभी सोिा ह चक तम हारी चमरता को लोग ग़लत रप म भी ल सकत ह कम स कम कछ तो ख़याल करोlsquo

अब तो शान का पारा सातव आसमान पर था बोली lsquoमन कभी चकसीकी चमरता पर कमणट चकया ह कछ िोस त तो खलआम िसर की बीचवयो क साथ चफल म िखत ह घमत ह उन ह

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कोई कछ नही कहता मर फोन करन मार पर इतना बखड़ाrsquo

कमल हरान थ शान की इस मखरता पर वह बोलती रही lsquoम अपन चमरो क साथ न तो घमती ह ा और न उनस चकसी तरह का फायिा उठाती ह ा इस बात को कान खोलकर सन लो मर जो भी चमर ह व पाररवाररक हlsquo

कमल न कछ कहन की कोचशश की तो शान न उस अनसना करत हए कहाrsquoऔर तम उनस बखटक बात करत हो जबचक अपन िोस तो क साथ तम िाहो तभी बात कर सकती ह ा कस मरी बात बीि म काटकर बात की चिशा बिल ित हो कभी ग़ौर चकया ह इस बात पर

कमल न मानो हचथयार डालत हए कहा lsquoमरी एक बात तो सनोlsquo शान न कहा lsquoनही आज तम मरी बात सनो तो हाा म कह रही थी चक मर चिल पर क या गजरती होगी जब सबक सामन तम ऐसा करत हो मन कभी कछ कहा तमसrsquo

िसरी बात मझ पररवार की मयाििा का परा खयाल ह मझ क या करना ह चकतना करना ह कब करना ह मझ पता ह और म अपन चमरो का ररप लसमट नही ढाढती और चफर कई चमर तो मर और तम हार कॉमन चमर ह lsquo

कमल को इस बात का अहसास नही था चक बात इतनी बढ़ जायगी उन होन शान का यह रौर रप कभी नही िखा था वह अपन चमरो क परचत इतनी समविनशील ह उन होन सोिा भी नही था कमल का मानना ह चक च जन िगी म चमर बिलत रहत ह इसस नई सोि चमलती ह

उन होन बात साभालत हए कहा lsquoिखो शान चडयर यह मरा मतलब कतई नही था चमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय म फोन करन क चलय इन कार नही करता पर हर िीज़ चलचमट म अच छी लगती हlsquo

शान ख़ि को बहत अपमाचनत महसस कर रही थी उसन तनककर कहा lsquoचमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय यह मझ पता ह पर परान िोस तो की िोस ती की जड़ो म छाछ नही डालना िाचहय म अपनी िोस ती म िाणक य की राजनीचत नही खल सकती जो ऐसा करत ह व च जन िगी म अकल रह जात हlsquo

कमल न कहा lsquoबात फोन क चबल क पमणट की हो रही थी तम भी बात को कहाा स कहाा ल गई तम इतना गस सा हो सकती हो मझ पता नही था समय पर म ही काम आऊा गाlsquo

शान को लगा चक मानो उस ितावनी िी जा रही ह वह कमल क इस व यवहार पर हरान थी कोई इनसान इतना कक यिलचटव कस हो सकता ह क या पसा इतना महत वपणि ह चक उसक सामन सबकछ नगण य ह

आज शान की सोि जस थमन का नाम ही नही ल रही थी क या िोस ती जस पाक़-साफ ररश त म बचनयो जसा गणा-भाग करना उचित ह परष मचहला स िोस ती चनभा सकता ह पर मचहला को परष चमरो स चमरता चनभान क चलय चकतन पापड़ बलन पड़त ह कमल की तो इतनी मचहला चमर ह शान न हमशा सबका आिर चकया ह घर बलाया ह

जो शाम शान घमन क चलय रखती ह व शाम उसन कमल क चमरो क चलय चडनर बनान म चबता िी ह क या कभी कमल न इस महसस करन की ज़ररत महसस की ह चक शान की अपनी भी च जन िगी ह उस भी अपनी च जन िगी जीन का परा अचधकार ह

अगर कमल अपन िोस तो क साथ खश रहत ह शान स उनक चलय महनत स चडनर बनवात ह तो चफर शान क चमरो को कमल सहज रप स

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

क यो नही ल पात क या हर परष पत नी क मामल म ऐसा ही होता ह शान बड़ी असहज हो रही थी

उसका वश िलता तो उस चनगोड़ मोबाईल को चखड़की स बाहर फ ककर िर-िर कर डालती पर इसम कमल का चिया नमबर ह शान न ख़ि को सयत चकया उस कोई तो चनणिय लना था वह ग़लत बात क सामन हार माननवाली स री नही थी

उस याि ह चक इसी सि बोलन की आित क िलत उस अपन कॉलज का िस ट-स टडणटट क पिक स हाथ धोना पड़ा था यह िीगर बात थी चक उस पिक को पानवाली लड़की एक सप ताह बाि अपन परमी क साथ भाग गई थी और कॉलज की परािायाि पछतान क अलावा कछ नही कर पाई थी

अगल चिन शाम को कमल ऑचफस स आय और बोल lsquoशान मन तम हार मोबाईल का चबल भर चिया ह पर प लीज़ इस महीन ज़रा ध यान रखनाlsquo

शान न कछ नही कहा उसन तय कर चलया था चक उस मोबाईल परकरण म चनणिय लना ह कोई बहस नही करना ह और इस चवषय म बात करन क चलय रचववार सवोत तम चिन ह1

रचववार को सबह क नाश त क बाि शान न कहा lsquoकमल एक काम करो तम अपना यह नमबर वाचपस ल लो म इस नमबर क साथ ख़ि को सहज महसस नही कर रहीlsquo

कमल न कहा lsquoक या परॉब लम ह मन चबल भर चिया हlsquo कमल को शान की यह आित पता ह चक सामान य तौर पर वह चकसी भी बात को चिल स नही लगाती ह वह lsquoरात गई बात गईrsquo वाली कहावत म चवश वास रखती ह तो अब अिानक क या हो गया

शान न कहा lsquoबात चबल भरन की नही ह मझ

पोस टपड की आित नही ह और चफर इसम अन िाज़ा नही रहता और चबल जज ािा हो जाता ह मझ परीपड जज ािा सट करता ह उसम मझ पता रहता ह चक चकतना खिि हो गया ह और म अपनी जब क अनसार खिि कर पाती ह ाlsquo

शान न अपरत यकष रप स अपन फोन का चहसाब रखन का अचधकार कमल को िन स इन कार कर चिया था शान न मोबाईल स चसम काडि चनकाला और कमल को थमा चिया उसन अपना परानावाला चसम काडि मोबाईल म डाला

बहत चिनो बाि शान न ख़ि को शीश म िखा इस मोबाईल न उसक िहर को चनस तज कर चिया था आाखो क नीि काल घर बन गय थ कपड़ भी कस पहनन लगी थी वह उसन ख़ि को चफर स मस त तचबयत की और हरिनमौला बनान का चनणिय चलया और इसक साथ ही उसक होठो पर जो बाल-सलभ मस कान आई वह स वय ही उस पर बचलहारी हो रही थी मध अरोड़ा ममबई 9833959216

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वयिगय माइकरो सटायर

पीएम मनमोहन चसह न िावा चकया ह चक एक हजार बार स जजयािा वह चपछल िस सालो म बोल ह उनक बोलन की ररकाचडिगस िक की गयी

ह- 1100 बार वह कल बोल 1000 बार तो वह यह बोल पाय-ओय कोई तो मरी गलल सण लो ओय बाकी 100 बार वह बोल-ओय मरी बात समझ नी आयी कोई गलल नी राहलजी स पछछ लणा

गङगा साफ करन की पररयोजनाओ म खरबो खाय गय जमना साफ करन की पररयोजनाओ म अरबो खाय गय कछ-कछ समझ म आता ह चक गङगा-जमनी कलिर तमाम पाचलचटकल पाचटियो को बहत चपरय कयो ह

परधानमनरी पि क उममीिवार नर र मोिी का चवरोध करनवालो को लोकसभा िनाव क बाि पाचकसतान जाना पड़गा इस बयान स राबटि वाडरा भी िहशत म आय कयोचक वाडरा क पविज पाचकसतान सयालकोट स आय थ

राहल गााधी न समझाया -जीजाजी ऐसा नही चजसकी पास थोड़ी सी जमीन भी ह इचणडया म उस इचणडयन माना जायगा

राबटि वाडरा क िहर पर मसकान लौट आयी ह-जमीन तो जहाा कहोग वहाा चिखा िागा-कनयाकमारी क समनिर स लकर एवरसट तक की रचजसरी अपन नाम ह दवाररका गजरात समनिर की रचजसरी स लकर पर अरणािल की जमीन अपन कबज म चिखा सकता ह ा

राहल न समझाया-ना थोड़ी जमीन ही बताना अरणािल की जमीन तमहार पास ह यह बात िीन को अगर पता लग गयी तो वह भारत सरकार स नही तमस ही बात करन लगगा जमीन चववाि सलझान को

एक िटकी चसनिर की कीमत तम कया जानो रमश बाब जानता ह ा बहत सही तरह स जानता ह ा कोई एक िटकी चसनिर भरकर अब तक 350 करोड़ रपय कमा िका ह और चपकिर अभी बाकी ह िोसत राजश खनना का जमाना गया अब राबटि वाडरा का आ गया

राबटि वाडरा क घर म धन की िवी लकषमीजी को माा क तौर पर नही पजा जाता लकषमीजी को सास-माा क तौर पर पजा जाता ह

चिचगवजय चसह न पछा - बताओ बताओ राबटि वाडरा न कौन सा कानन तोड़ा राबटि वाडरा सनकर हास रह ह- नानसनस म खि कानन ह ा मझ कौन तोड़गा कचपल चसबबल न आरोप लगाया चक सीबीआई न गजरात फजी एनकाउणटर म मोिी को ढ़ग स घर म नही चलया लो िस साल सरकार काङगरस की रही सीबीआई स जरा सा काम ना करवा पाय

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राहल गााधी न चसबबल को डााटा- ऐसी ही बातो स तो यह आरोप पकका होता ह चक काङगरस सरकार िस सालो म कतई चनकममी रही

अचखलश यािव न कहा चक िाल ह भाजपा क लोग समाजवािी पाटी क लोग िाल नही ह यह सनकर अमर चसह न कहा ह- मरी याि मरी कमी इतन चिनो बाि महसस की िलो ठीक ह पर अब म समाजवािी पाटी क चलए कछ ना करा गा हारा गा भी नही इस सवाथी िचनया म चकसी क चलए हारन स बहतर ह चक म खि अपन चलए हारा लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन ही पिा चकया ह नारायण ितत चतवारी न जोरिार बधाई िी ह लालजी को यह कहत हए चक अकल हम ही नही ह जो बढ़ाप म बाप बन रह ह लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन पिा चकया सबस जजयािा चवरोध उनक आठ बचिो न जताया ह यह कहत हए चक पापा आठ बचिो का ताना झल-झलकर ही पक गय अब एक और जोड़ चलय ह राबड़ी िवी न अलग डााटा ह-लालजी कईसा बात करत ह ऊ चनतीशवा हमको मममी कहगा तो हमको कईसा फील होगा

मोिी की हवा नही िल रही ह यह बात तमाम नयज िनलो पर तरह-तरह क चवदवानो न चिन भर म करीब 40 बार कही मोिी की हवा िल रही ह यह बात बीजपी क परविाओ न नयज िनलो

पर कल सात बार कही िालीस बार मोिी का नाम उधर स सात बार मोिी का नाम इधर स मोिी की हवा असल म बना कौन रहा ह ब िनाव क आग बढ़न पर काङगरस न नर र मोिी क चखलाफ मनमोहन चसह को उतारन की सोिी ह नरनर मोिी क नमो फोन क मकाबल ममो फोन उतारन का पलान हआ इञजीचनयरो न फोन चडजाइन भी कर चलया ह बस एक पराबलम नही चनपट पा रही ह

ममो फोन नामिल तरीक स काम नही करता इसम साइलणट मोड एचकटव करो तब ही फोन पर बात समभव हो पाती ह साइलणट मोड पर ही एचकटव य बात हर कसटमर को समझान म तो कई साल लग जायग

कया चकया जाय इस सवाल क जवाब म मनमोहन चसह साइलणट मोड म िल गय ह

आलोक पराचणक 9810018799

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अर शरी गिशाय नमः ndash शरद जोशी

अथ शरी गणशाय नम बात गणश जी स शर की जाए वह धीर-धीर िह तक पहाि जाएगी या िह स आरमभ कर और वह शरी गणश तक पहाि या पढ़न-चलखन की ििाि

की जाए शरी गणश जञान और बचदध क िवता ह इस कारण सिव अलपमत म रहत होग पर ह तो िवता सबस पहल व ही पज जात ह आचख़र म व ही पानी म उतार जात ह पढ़न-चलखन की ििाि को छोड़ आप शरी गणश की कथा पर आ सकत ह

चवषय कया ह िहा या शरी गणश भई इस िश म कल चमलाकर चवषय एक ही होता ह - ग़रीबी सार चवषय उसी स जनम लत ह कचवता कर लो या उपनयास बात वही होगी ग़रीबी हटान की बात करन वाल बात कहत रह पर यह न सोिा चक ग़रीबी हट गई तो लखक चलखग चकस चवषय पर उनह लगा य साचहतय वाल लोग ग़रीबी हटाओ क चख़लाि ह तो इस पर उतर आए चक िलो साचहतय हटाओ

वह नही हट सकता शरी गणश स िाल हआ ह व ही उसक आचि िवता ह ऋचदध-चसचदध आसपास रहती ह बीि म लखन का काम िलता ह िहा परो क पास बठा रहता ह रिना ख़राब हई चक गणश जी महाराज उस िह को ि ित ह ल भई कतर खा पर ऐसा पराय नही होता चनज कचवतत क फीका न लगन का चनयम गणश जी पर भी उतना ही लाग होता ह िहा परशान रहता ह महाराज कछ खान को िीचजए गणश जी साड पर हाथ फर गभीरता स कहत ह लखक क पररवार क सिसय होखान-पीन की बात मत चकया करो भख रहना सीखो बड़ा ऊा िा मज़ाक-बोध ह शरी गणश जी का (अचछ लखको म रहता ह) िहा सन मसकराता ह जानता ह गणश जी डायचटग पर भरोसा नही करत तबीयत स खात

ह चलखत ह अब चनरनतर बठ चलखत रहन स शरीर म भरीपन तो आ ही जाता ह

िह को साचहतय स कया करना उस िाचहए अनाज क िान कतर खश रह सामानय जन की आवशयकता उसकी आवशयकता ह खान पट भरन को हर गणश-भि को िाचहए भख भजन न होई गणशा या जो भी हो साचहतय स पसा कमान का घनघोर चवरोध व ही करत ह चजनकी लकिररचशप पककी हो गई और वतन नए बढ़ हए गरड़ म चमल रहा ह जो अिसर ह चजनह पशन की सचवधा ह व साचहतय म कराचनत-कराचनत की उछाल भरत रहत ह िहा असल गणश-भि ह

राषटरीय दचिकोण स सोचिए पता ह आपको िहो क कारण िश का चकतना अनाज बरबाि होता ह िहा शर ह िश क गोिामो म घसा िोर ह हमार उतपािन का एक बड़ा परचतशत िहो क पट म िला जाता ह िह स अनाज की रकषा हमारी राषटरीय समसया ह कभी चविार चकया अपन इस पर बड़ गणश-भि बनत ह

चविार चकया यो ही गणश-भि नही बन गए समसया पर चविार करना हमारा पराना मज़ि ह हा-हा-हा ज़रा सचनए

आपको पता ह िान-िान पर खान वाल का नाम चलखा रहता ह यह बात चसिि अनार और पपीत को लकर ही सही नही ह अनाज क छोट-छोट िान को लकर भी सही ह हर िान पर नाम चलखा रहता ह खान वाल का कछ िर पहल जो परााठा मन अिार स लगाकर खाया था उस पर जगह-जगह शरि जोशी चलखा हआ था छोटा-मोटा काम नही ह इतन िानो पर नाम चलखना यह काम कौन कर सकता हगणश जी और कौन व ही चलख सकत ह और चकसी क बस का नही ह यह काम पररशरम लगन और नयाय की ज़ररत होती ह साचहतय वालो को यह काम

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सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

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म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

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भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

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रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

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आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

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अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

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आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

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तो कम हए ऐस ही धीर-धीर और कम करो जज ािा स जज ािा रपय 600- का चबल आना िाचहयlsquo

अब शान की बारी थी वह बोली lsquoिखो कमल हम िोनो वचकि ग ह हमारी ज़ररत अलग-अलग ह और होनी भी िाचहय मरी हर ज़ररत तम हारी ज़ररत स बाध यह कोई ज़ररी नही ह हम लाईफ पाटिनर ह माचलक-सवक नहीlsquo

कमल न िश मा लगात हए कहा lsquoमन ऐसा कब कहा म तो चकफा यत की बात कर रहा ह ाlsquo शान न कहा lsquoयार चकतनी चकिायत करोग चकसीक बोलन-िालन पर बचनिश लगान का क या तक हrsquo और चफर म तो फोन का चबल ि रही थी कभी चकसीको रोका नही फोन करन स पढ़नवाल बच ि ह व भी फोन करत ह मझ तो तम हार ऑचफस स चमलनवाल मोबाईल की तमन ना भी नही थी तम हारा परस ताव थाlsquo

कमल न चबना चकसी परचतचकरया क अपन चिरपररचित ठणड स वर म कहा lsquoतम इतनी उत तचजत क यो हो जाती हो ठणड चिल स मरी बात पर सोिो चबना वज़ह फोन करना छोड़ िोlsquo

यह सनकर शान को अच छा नही लगा और बोल पड़ी lsquoहमशा वजह स ही फोन चकय जाय यह ज़ररी तो नहीlsquo कमल न कहा lsquoयही तो चिक कत ह सब अपन म मस त ह उल ट तम उनको चडस टबि करती होlsquo

शान न कछ कहना िाहा तो कमल न हाथ क इशार स रोकत हए कहा lsquoकई बार लोग नही िाहत चक उन ह बवज़ह फोन चकया जाय उनकी नज़रो म तम हारी इजज ज़त कम हो सकती हlsquo

शान न गस स स कहा lsquo बात को ग़लत चिशा म मत मोड़ो बात मोबाईल क चबल क भगतान की हो रही ह मर िोस तो म मझ जसा साहस ह यचि

व चडस टबि होत ह तो यह बात व मझस बखटक कह सकत ह उनक माह म पानी नही भरा हlsquo

कमल न पलटवार करत हए कहा lsquoचकसकी कज़ा आई ह जो तमस य ह बात कहगा तम ह चकसी तरह झल लत ह तम ह चवश वास न हो तो आजमाकर िखो एक हतरत चकसीको फोन मत करो कोई तम हारा हाल नही पछगा तम तो मान न मान म तरा महमान वाली बात करती होlsquo

शान न कहा lsquoकमल तम मझ मर िोस तो क चखलाि नही कर सकत मझ पर इन बातो का कोई असर नही होता मर िोस तो स बात करन की समय सीमा तम क योकर तय करोrsquo कमल न चिढ़त हए कहा rsquoकभी मर ररश तिारो स भी बात की हrsquo इस पर शान न तपाक स कहा lsquoकब नही करती ज़रा बताओग वहाा भी तमको एतराज़ होता ह चक फलाा स बात क यो नही कीlsquo इस पर कमल ह ाह करक िप हो गय

शान अपनी रौ म बोलती गई lsquoकमल मझ अपन िोस त और सहचलयाा बहत चपरय ह व मर आड़ वक त मर साथ खड़ होत रह ह मरी िचनया म नात ररश तिारी क अलावा भी लोग शाचमल ह और व मर चिल क करीब ह उनक और मर बीि िरी लान की कोचशश मत करोlsquo

शान न कमल क कान क पास जाकर सरग़ोशी की lsquoतम ही बताओ क या तम मर कहन स अपन िोस तो को फोन करना छोड़ सकत हो नही न चफर सार ग़लत सही परयोग मझ पर ही क योrsquo

कमल न कहा lsquoतमन कभी सोिा ह चक तम हारी चमरता को लोग ग़लत रप म भी ल सकत ह कम स कम कछ तो ख़याल करोlsquo

अब तो शान का पारा सातव आसमान पर था बोली lsquoमन कभी चकसीकी चमरता पर कमणट चकया ह कछ िोस त तो खलआम िसर की बीचवयो क साथ चफल म िखत ह घमत ह उन ह

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कोई कछ नही कहता मर फोन करन मार पर इतना बखड़ाrsquo

कमल हरान थ शान की इस मखरता पर वह बोलती रही lsquoम अपन चमरो क साथ न तो घमती ह ा और न उनस चकसी तरह का फायिा उठाती ह ा इस बात को कान खोलकर सन लो मर जो भी चमर ह व पाररवाररक हlsquo

कमल न कछ कहन की कोचशश की तो शान न उस अनसना करत हए कहाrsquoऔर तम उनस बखटक बात करत हो जबचक अपन िोस तो क साथ तम िाहो तभी बात कर सकती ह ा कस मरी बात बीि म काटकर बात की चिशा बिल ित हो कभी ग़ौर चकया ह इस बात पर

कमल न मानो हचथयार डालत हए कहा lsquoमरी एक बात तो सनोlsquo शान न कहा lsquoनही आज तम मरी बात सनो तो हाा म कह रही थी चक मर चिल पर क या गजरती होगी जब सबक सामन तम ऐसा करत हो मन कभी कछ कहा तमसrsquo

िसरी बात मझ पररवार की मयाििा का परा खयाल ह मझ क या करना ह चकतना करना ह कब करना ह मझ पता ह और म अपन चमरो का ररप लसमट नही ढाढती और चफर कई चमर तो मर और तम हार कॉमन चमर ह lsquo

कमल को इस बात का अहसास नही था चक बात इतनी बढ़ जायगी उन होन शान का यह रौर रप कभी नही िखा था वह अपन चमरो क परचत इतनी समविनशील ह उन होन सोिा भी नही था कमल का मानना ह चक च जन िगी म चमर बिलत रहत ह इसस नई सोि चमलती ह

उन होन बात साभालत हए कहा lsquoिखो शान चडयर यह मरा मतलब कतई नही था चमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय म फोन करन क चलय इन कार नही करता पर हर िीज़ चलचमट म अच छी लगती हlsquo

शान ख़ि को बहत अपमाचनत महसस कर रही थी उसन तनककर कहा lsquoचमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय यह मझ पता ह पर परान िोस तो की िोस ती की जड़ो म छाछ नही डालना िाचहय म अपनी िोस ती म िाणक य की राजनीचत नही खल सकती जो ऐसा करत ह व च जन िगी म अकल रह जात हlsquo

कमल न कहा lsquoबात फोन क चबल क पमणट की हो रही थी तम भी बात को कहाा स कहाा ल गई तम इतना गस सा हो सकती हो मझ पता नही था समय पर म ही काम आऊा गाlsquo

शान को लगा चक मानो उस ितावनी िी जा रही ह वह कमल क इस व यवहार पर हरान थी कोई इनसान इतना कक यिलचटव कस हो सकता ह क या पसा इतना महत वपणि ह चक उसक सामन सबकछ नगण य ह

आज शान की सोि जस थमन का नाम ही नही ल रही थी क या िोस ती जस पाक़-साफ ररश त म बचनयो जसा गणा-भाग करना उचित ह परष मचहला स िोस ती चनभा सकता ह पर मचहला को परष चमरो स चमरता चनभान क चलय चकतन पापड़ बलन पड़त ह कमल की तो इतनी मचहला चमर ह शान न हमशा सबका आिर चकया ह घर बलाया ह

जो शाम शान घमन क चलय रखती ह व शाम उसन कमल क चमरो क चलय चडनर बनान म चबता िी ह क या कभी कमल न इस महसस करन की ज़ररत महसस की ह चक शान की अपनी भी च जन िगी ह उस भी अपनी च जन िगी जीन का परा अचधकार ह

अगर कमल अपन िोस तो क साथ खश रहत ह शान स उनक चलय महनत स चडनर बनवात ह तो चफर शान क चमरो को कमल सहज रप स

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क यो नही ल पात क या हर परष पत नी क मामल म ऐसा ही होता ह शान बड़ी असहज हो रही थी

उसका वश िलता तो उस चनगोड़ मोबाईल को चखड़की स बाहर फ ककर िर-िर कर डालती पर इसम कमल का चिया नमबर ह शान न ख़ि को सयत चकया उस कोई तो चनणिय लना था वह ग़लत बात क सामन हार माननवाली स री नही थी

उस याि ह चक इसी सि बोलन की आित क िलत उस अपन कॉलज का िस ट-स टडणटट क पिक स हाथ धोना पड़ा था यह िीगर बात थी चक उस पिक को पानवाली लड़की एक सप ताह बाि अपन परमी क साथ भाग गई थी और कॉलज की परािायाि पछतान क अलावा कछ नही कर पाई थी

अगल चिन शाम को कमल ऑचफस स आय और बोल lsquoशान मन तम हार मोबाईल का चबल भर चिया ह पर प लीज़ इस महीन ज़रा ध यान रखनाlsquo

शान न कछ नही कहा उसन तय कर चलया था चक उस मोबाईल परकरण म चनणिय लना ह कोई बहस नही करना ह और इस चवषय म बात करन क चलय रचववार सवोत तम चिन ह1

रचववार को सबह क नाश त क बाि शान न कहा lsquoकमल एक काम करो तम अपना यह नमबर वाचपस ल लो म इस नमबर क साथ ख़ि को सहज महसस नही कर रहीlsquo

कमल न कहा lsquoक या परॉब लम ह मन चबल भर चिया हlsquo कमल को शान की यह आित पता ह चक सामान य तौर पर वह चकसी भी बात को चिल स नही लगाती ह वह lsquoरात गई बात गईrsquo वाली कहावत म चवश वास रखती ह तो अब अिानक क या हो गया

शान न कहा lsquoबात चबल भरन की नही ह मझ

पोस टपड की आित नही ह और चफर इसम अन िाज़ा नही रहता और चबल जज ािा हो जाता ह मझ परीपड जज ािा सट करता ह उसम मझ पता रहता ह चक चकतना खिि हो गया ह और म अपनी जब क अनसार खिि कर पाती ह ाlsquo

शान न अपरत यकष रप स अपन फोन का चहसाब रखन का अचधकार कमल को िन स इन कार कर चिया था शान न मोबाईल स चसम काडि चनकाला और कमल को थमा चिया उसन अपना परानावाला चसम काडि मोबाईल म डाला

बहत चिनो बाि शान न ख़ि को शीश म िखा इस मोबाईल न उसक िहर को चनस तज कर चिया था आाखो क नीि काल घर बन गय थ कपड़ भी कस पहनन लगी थी वह उसन ख़ि को चफर स मस त तचबयत की और हरिनमौला बनान का चनणिय चलया और इसक साथ ही उसक होठो पर जो बाल-सलभ मस कान आई वह स वय ही उस पर बचलहारी हो रही थी मध अरोड़ा ममबई 9833959216

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वयिगय माइकरो सटायर

पीएम मनमोहन चसह न िावा चकया ह चक एक हजार बार स जजयािा वह चपछल िस सालो म बोल ह उनक बोलन की ररकाचडिगस िक की गयी

ह- 1100 बार वह कल बोल 1000 बार तो वह यह बोल पाय-ओय कोई तो मरी गलल सण लो ओय बाकी 100 बार वह बोल-ओय मरी बात समझ नी आयी कोई गलल नी राहलजी स पछछ लणा

गङगा साफ करन की पररयोजनाओ म खरबो खाय गय जमना साफ करन की पररयोजनाओ म अरबो खाय गय कछ-कछ समझ म आता ह चक गङगा-जमनी कलिर तमाम पाचलचटकल पाचटियो को बहत चपरय कयो ह

परधानमनरी पि क उममीिवार नर र मोिी का चवरोध करनवालो को लोकसभा िनाव क बाि पाचकसतान जाना पड़गा इस बयान स राबटि वाडरा भी िहशत म आय कयोचक वाडरा क पविज पाचकसतान सयालकोट स आय थ

राहल गााधी न समझाया -जीजाजी ऐसा नही चजसकी पास थोड़ी सी जमीन भी ह इचणडया म उस इचणडयन माना जायगा

राबटि वाडरा क िहर पर मसकान लौट आयी ह-जमीन तो जहाा कहोग वहाा चिखा िागा-कनयाकमारी क समनिर स लकर एवरसट तक की रचजसरी अपन नाम ह दवाररका गजरात समनिर की रचजसरी स लकर पर अरणािल की जमीन अपन कबज म चिखा सकता ह ा

राहल न समझाया-ना थोड़ी जमीन ही बताना अरणािल की जमीन तमहार पास ह यह बात िीन को अगर पता लग गयी तो वह भारत सरकार स नही तमस ही बात करन लगगा जमीन चववाि सलझान को

एक िटकी चसनिर की कीमत तम कया जानो रमश बाब जानता ह ा बहत सही तरह स जानता ह ा कोई एक िटकी चसनिर भरकर अब तक 350 करोड़ रपय कमा िका ह और चपकिर अभी बाकी ह िोसत राजश खनना का जमाना गया अब राबटि वाडरा का आ गया

राबटि वाडरा क घर म धन की िवी लकषमीजी को माा क तौर पर नही पजा जाता लकषमीजी को सास-माा क तौर पर पजा जाता ह

चिचगवजय चसह न पछा - बताओ बताओ राबटि वाडरा न कौन सा कानन तोड़ा राबटि वाडरा सनकर हास रह ह- नानसनस म खि कानन ह ा मझ कौन तोड़गा कचपल चसबबल न आरोप लगाया चक सीबीआई न गजरात फजी एनकाउणटर म मोिी को ढ़ग स घर म नही चलया लो िस साल सरकार काङगरस की रही सीबीआई स जरा सा काम ना करवा पाय

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राहल गााधी न चसबबल को डााटा- ऐसी ही बातो स तो यह आरोप पकका होता ह चक काङगरस सरकार िस सालो म कतई चनकममी रही

अचखलश यािव न कहा चक िाल ह भाजपा क लोग समाजवािी पाटी क लोग िाल नही ह यह सनकर अमर चसह न कहा ह- मरी याि मरी कमी इतन चिनो बाि महसस की िलो ठीक ह पर अब म समाजवािी पाटी क चलए कछ ना करा गा हारा गा भी नही इस सवाथी िचनया म चकसी क चलए हारन स बहतर ह चक म खि अपन चलए हारा लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन ही पिा चकया ह नारायण ितत चतवारी न जोरिार बधाई िी ह लालजी को यह कहत हए चक अकल हम ही नही ह जो बढ़ाप म बाप बन रह ह लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन पिा चकया सबस जजयािा चवरोध उनक आठ बचिो न जताया ह यह कहत हए चक पापा आठ बचिो का ताना झल-झलकर ही पक गय अब एक और जोड़ चलय ह राबड़ी िवी न अलग डााटा ह-लालजी कईसा बात करत ह ऊ चनतीशवा हमको मममी कहगा तो हमको कईसा फील होगा

मोिी की हवा नही िल रही ह यह बात तमाम नयज िनलो पर तरह-तरह क चवदवानो न चिन भर म करीब 40 बार कही मोिी की हवा िल रही ह यह बात बीजपी क परविाओ न नयज िनलो

पर कल सात बार कही िालीस बार मोिी का नाम उधर स सात बार मोिी का नाम इधर स मोिी की हवा असल म बना कौन रहा ह ब िनाव क आग बढ़न पर काङगरस न नर र मोिी क चखलाफ मनमोहन चसह को उतारन की सोिी ह नरनर मोिी क नमो फोन क मकाबल ममो फोन उतारन का पलान हआ इञजीचनयरो न फोन चडजाइन भी कर चलया ह बस एक पराबलम नही चनपट पा रही ह

ममो फोन नामिल तरीक स काम नही करता इसम साइलणट मोड एचकटव करो तब ही फोन पर बात समभव हो पाती ह साइलणट मोड पर ही एचकटव य बात हर कसटमर को समझान म तो कई साल लग जायग

कया चकया जाय इस सवाल क जवाब म मनमोहन चसह साइलणट मोड म िल गय ह

आलोक पराचणक 9810018799

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अर शरी गिशाय नमः ndash शरद जोशी

अथ शरी गणशाय नम बात गणश जी स शर की जाए वह धीर-धीर िह तक पहाि जाएगी या िह स आरमभ कर और वह शरी गणश तक पहाि या पढ़न-चलखन की ििाि

की जाए शरी गणश जञान और बचदध क िवता ह इस कारण सिव अलपमत म रहत होग पर ह तो िवता सबस पहल व ही पज जात ह आचख़र म व ही पानी म उतार जात ह पढ़न-चलखन की ििाि को छोड़ आप शरी गणश की कथा पर आ सकत ह

चवषय कया ह िहा या शरी गणश भई इस िश म कल चमलाकर चवषय एक ही होता ह - ग़रीबी सार चवषय उसी स जनम लत ह कचवता कर लो या उपनयास बात वही होगी ग़रीबी हटान की बात करन वाल बात कहत रह पर यह न सोिा चक ग़रीबी हट गई तो लखक चलखग चकस चवषय पर उनह लगा य साचहतय वाल लोग ग़रीबी हटाओ क चख़लाि ह तो इस पर उतर आए चक िलो साचहतय हटाओ

वह नही हट सकता शरी गणश स िाल हआ ह व ही उसक आचि िवता ह ऋचदध-चसचदध आसपास रहती ह बीि म लखन का काम िलता ह िहा परो क पास बठा रहता ह रिना ख़राब हई चक गणश जी महाराज उस िह को ि ित ह ल भई कतर खा पर ऐसा पराय नही होता चनज कचवतत क फीका न लगन का चनयम गणश जी पर भी उतना ही लाग होता ह िहा परशान रहता ह महाराज कछ खान को िीचजए गणश जी साड पर हाथ फर गभीरता स कहत ह लखक क पररवार क सिसय होखान-पीन की बात मत चकया करो भख रहना सीखो बड़ा ऊा िा मज़ाक-बोध ह शरी गणश जी का (अचछ लखको म रहता ह) िहा सन मसकराता ह जानता ह गणश जी डायचटग पर भरोसा नही करत तबीयत स खात

ह चलखत ह अब चनरनतर बठ चलखत रहन स शरीर म भरीपन तो आ ही जाता ह

िह को साचहतय स कया करना उस िाचहए अनाज क िान कतर खश रह सामानय जन की आवशयकता उसकी आवशयकता ह खान पट भरन को हर गणश-भि को िाचहए भख भजन न होई गणशा या जो भी हो साचहतय स पसा कमान का घनघोर चवरोध व ही करत ह चजनकी लकिररचशप पककी हो गई और वतन नए बढ़ हए गरड़ म चमल रहा ह जो अिसर ह चजनह पशन की सचवधा ह व साचहतय म कराचनत-कराचनत की उछाल भरत रहत ह िहा असल गणश-भि ह

राषटरीय दचिकोण स सोचिए पता ह आपको िहो क कारण िश का चकतना अनाज बरबाि होता ह िहा शर ह िश क गोिामो म घसा िोर ह हमार उतपािन का एक बड़ा परचतशत िहो क पट म िला जाता ह िह स अनाज की रकषा हमारी राषटरीय समसया ह कभी चविार चकया अपन इस पर बड़ गणश-भि बनत ह

चविार चकया यो ही गणश-भि नही बन गए समसया पर चविार करना हमारा पराना मज़ि ह हा-हा-हा ज़रा सचनए

आपको पता ह िान-िान पर खान वाल का नाम चलखा रहता ह यह बात चसिि अनार और पपीत को लकर ही सही नही ह अनाज क छोट-छोट िान को लकर भी सही ह हर िान पर नाम चलखा रहता ह खान वाल का कछ िर पहल जो परााठा मन अिार स लगाकर खाया था उस पर जगह-जगह शरि जोशी चलखा हआ था छोटा-मोटा काम नही ह इतन िानो पर नाम चलखना यह काम कौन कर सकता हगणश जी और कौन व ही चलख सकत ह और चकसी क बस का नही ह यह काम पररशरम लगन और नयाय की ज़ररत होती ह साचहतय वालो को यह काम

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सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

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रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 11: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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कोई कछ नही कहता मर फोन करन मार पर इतना बखड़ाrsquo

कमल हरान थ शान की इस मखरता पर वह बोलती रही lsquoम अपन चमरो क साथ न तो घमती ह ा और न उनस चकसी तरह का फायिा उठाती ह ा इस बात को कान खोलकर सन लो मर जो भी चमर ह व पाररवाररक हlsquo

कमल न कछ कहन की कोचशश की तो शान न उस अनसना करत हए कहाrsquoऔर तम उनस बखटक बात करत हो जबचक अपन िोस तो क साथ तम िाहो तभी बात कर सकती ह ा कस मरी बात बीि म काटकर बात की चिशा बिल ित हो कभी ग़ौर चकया ह इस बात पर

कमल न मानो हचथयार डालत हए कहा lsquoमरी एक बात तो सनोlsquo शान न कहा lsquoनही आज तम मरी बात सनो तो हाा म कह रही थी चक मर चिल पर क या गजरती होगी जब सबक सामन तम ऐसा करत हो मन कभी कछ कहा तमसrsquo

िसरी बात मझ पररवार की मयाििा का परा खयाल ह मझ क या करना ह चकतना करना ह कब करना ह मझ पता ह और म अपन चमरो का ररप लसमट नही ढाढती और चफर कई चमर तो मर और तम हार कॉमन चमर ह lsquo

कमल को इस बात का अहसास नही था चक बात इतनी बढ़ जायगी उन होन शान का यह रौर रप कभी नही िखा था वह अपन चमरो क परचत इतनी समविनशील ह उन होन सोिा भी नही था कमल का मानना ह चक च जन िगी म चमर बिलत रहत ह इसस नई सोि चमलती ह

उन होन बात साभालत हए कहा lsquoिखो शान चडयर यह मरा मतलब कतई नही था चमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय म फोन करन क चलय इन कार नही करता पर हर िीज़ चलचमट म अच छी लगती हlsquo

शान ख़ि को बहत अपमाचनत महसस कर रही थी उसन तनककर कहा lsquoचमरो का िायरा बढ़ाना िाचहय यह मझ पता ह पर परान िोस तो की िोस ती की जड़ो म छाछ नही डालना िाचहय म अपनी िोस ती म िाणक य की राजनीचत नही खल सकती जो ऐसा करत ह व च जन िगी म अकल रह जात हlsquo

कमल न कहा lsquoबात फोन क चबल क पमणट की हो रही थी तम भी बात को कहाा स कहाा ल गई तम इतना गस सा हो सकती हो मझ पता नही था समय पर म ही काम आऊा गाlsquo

शान को लगा चक मानो उस ितावनी िी जा रही ह वह कमल क इस व यवहार पर हरान थी कोई इनसान इतना कक यिलचटव कस हो सकता ह क या पसा इतना महत वपणि ह चक उसक सामन सबकछ नगण य ह

आज शान की सोि जस थमन का नाम ही नही ल रही थी क या िोस ती जस पाक़-साफ ररश त म बचनयो जसा गणा-भाग करना उचित ह परष मचहला स िोस ती चनभा सकता ह पर मचहला को परष चमरो स चमरता चनभान क चलय चकतन पापड़ बलन पड़त ह कमल की तो इतनी मचहला चमर ह शान न हमशा सबका आिर चकया ह घर बलाया ह

जो शाम शान घमन क चलय रखती ह व शाम उसन कमल क चमरो क चलय चडनर बनान म चबता िी ह क या कभी कमल न इस महसस करन की ज़ररत महसस की ह चक शान की अपनी भी च जन िगी ह उस भी अपनी च जन िगी जीन का परा अचधकार ह

अगर कमल अपन िोस तो क साथ खश रहत ह शान स उनक चलय महनत स चडनर बनवात ह तो चफर शान क चमरो को कमल सहज रप स

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क यो नही ल पात क या हर परष पत नी क मामल म ऐसा ही होता ह शान बड़ी असहज हो रही थी

उसका वश िलता तो उस चनगोड़ मोबाईल को चखड़की स बाहर फ ककर िर-िर कर डालती पर इसम कमल का चिया नमबर ह शान न ख़ि को सयत चकया उस कोई तो चनणिय लना था वह ग़लत बात क सामन हार माननवाली स री नही थी

उस याि ह चक इसी सि बोलन की आित क िलत उस अपन कॉलज का िस ट-स टडणटट क पिक स हाथ धोना पड़ा था यह िीगर बात थी चक उस पिक को पानवाली लड़की एक सप ताह बाि अपन परमी क साथ भाग गई थी और कॉलज की परािायाि पछतान क अलावा कछ नही कर पाई थी

अगल चिन शाम को कमल ऑचफस स आय और बोल lsquoशान मन तम हार मोबाईल का चबल भर चिया ह पर प लीज़ इस महीन ज़रा ध यान रखनाlsquo

शान न कछ नही कहा उसन तय कर चलया था चक उस मोबाईल परकरण म चनणिय लना ह कोई बहस नही करना ह और इस चवषय म बात करन क चलय रचववार सवोत तम चिन ह1

रचववार को सबह क नाश त क बाि शान न कहा lsquoकमल एक काम करो तम अपना यह नमबर वाचपस ल लो म इस नमबर क साथ ख़ि को सहज महसस नही कर रहीlsquo

कमल न कहा lsquoक या परॉब लम ह मन चबल भर चिया हlsquo कमल को शान की यह आित पता ह चक सामान य तौर पर वह चकसी भी बात को चिल स नही लगाती ह वह lsquoरात गई बात गईrsquo वाली कहावत म चवश वास रखती ह तो अब अिानक क या हो गया

शान न कहा lsquoबात चबल भरन की नही ह मझ

पोस टपड की आित नही ह और चफर इसम अन िाज़ा नही रहता और चबल जज ािा हो जाता ह मझ परीपड जज ािा सट करता ह उसम मझ पता रहता ह चक चकतना खिि हो गया ह और म अपनी जब क अनसार खिि कर पाती ह ाlsquo

शान न अपरत यकष रप स अपन फोन का चहसाब रखन का अचधकार कमल को िन स इन कार कर चिया था शान न मोबाईल स चसम काडि चनकाला और कमल को थमा चिया उसन अपना परानावाला चसम काडि मोबाईल म डाला

बहत चिनो बाि शान न ख़ि को शीश म िखा इस मोबाईल न उसक िहर को चनस तज कर चिया था आाखो क नीि काल घर बन गय थ कपड़ भी कस पहनन लगी थी वह उसन ख़ि को चफर स मस त तचबयत की और हरिनमौला बनान का चनणिय चलया और इसक साथ ही उसक होठो पर जो बाल-सलभ मस कान आई वह स वय ही उस पर बचलहारी हो रही थी मध अरोड़ा ममबई 9833959216

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वयिगय माइकरो सटायर

पीएम मनमोहन चसह न िावा चकया ह चक एक हजार बार स जजयािा वह चपछल िस सालो म बोल ह उनक बोलन की ररकाचडिगस िक की गयी

ह- 1100 बार वह कल बोल 1000 बार तो वह यह बोल पाय-ओय कोई तो मरी गलल सण लो ओय बाकी 100 बार वह बोल-ओय मरी बात समझ नी आयी कोई गलल नी राहलजी स पछछ लणा

गङगा साफ करन की पररयोजनाओ म खरबो खाय गय जमना साफ करन की पररयोजनाओ म अरबो खाय गय कछ-कछ समझ म आता ह चक गङगा-जमनी कलिर तमाम पाचलचटकल पाचटियो को बहत चपरय कयो ह

परधानमनरी पि क उममीिवार नर र मोिी का चवरोध करनवालो को लोकसभा िनाव क बाि पाचकसतान जाना पड़गा इस बयान स राबटि वाडरा भी िहशत म आय कयोचक वाडरा क पविज पाचकसतान सयालकोट स आय थ

राहल गााधी न समझाया -जीजाजी ऐसा नही चजसकी पास थोड़ी सी जमीन भी ह इचणडया म उस इचणडयन माना जायगा

राबटि वाडरा क िहर पर मसकान लौट आयी ह-जमीन तो जहाा कहोग वहाा चिखा िागा-कनयाकमारी क समनिर स लकर एवरसट तक की रचजसरी अपन नाम ह दवाररका गजरात समनिर की रचजसरी स लकर पर अरणािल की जमीन अपन कबज म चिखा सकता ह ा

राहल न समझाया-ना थोड़ी जमीन ही बताना अरणािल की जमीन तमहार पास ह यह बात िीन को अगर पता लग गयी तो वह भारत सरकार स नही तमस ही बात करन लगगा जमीन चववाि सलझान को

एक िटकी चसनिर की कीमत तम कया जानो रमश बाब जानता ह ा बहत सही तरह स जानता ह ा कोई एक िटकी चसनिर भरकर अब तक 350 करोड़ रपय कमा िका ह और चपकिर अभी बाकी ह िोसत राजश खनना का जमाना गया अब राबटि वाडरा का आ गया

राबटि वाडरा क घर म धन की िवी लकषमीजी को माा क तौर पर नही पजा जाता लकषमीजी को सास-माा क तौर पर पजा जाता ह

चिचगवजय चसह न पछा - बताओ बताओ राबटि वाडरा न कौन सा कानन तोड़ा राबटि वाडरा सनकर हास रह ह- नानसनस म खि कानन ह ा मझ कौन तोड़गा कचपल चसबबल न आरोप लगाया चक सीबीआई न गजरात फजी एनकाउणटर म मोिी को ढ़ग स घर म नही चलया लो िस साल सरकार काङगरस की रही सीबीआई स जरा सा काम ना करवा पाय

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राहल गााधी न चसबबल को डााटा- ऐसी ही बातो स तो यह आरोप पकका होता ह चक काङगरस सरकार िस सालो म कतई चनकममी रही

अचखलश यािव न कहा चक िाल ह भाजपा क लोग समाजवािी पाटी क लोग िाल नही ह यह सनकर अमर चसह न कहा ह- मरी याि मरी कमी इतन चिनो बाि महसस की िलो ठीक ह पर अब म समाजवािी पाटी क चलए कछ ना करा गा हारा गा भी नही इस सवाथी िचनया म चकसी क चलए हारन स बहतर ह चक म खि अपन चलए हारा लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन ही पिा चकया ह नारायण ितत चतवारी न जोरिार बधाई िी ह लालजी को यह कहत हए चक अकल हम ही नही ह जो बढ़ाप म बाप बन रह ह लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन पिा चकया सबस जजयािा चवरोध उनक आठ बचिो न जताया ह यह कहत हए चक पापा आठ बचिो का ताना झल-झलकर ही पक गय अब एक और जोड़ चलय ह राबड़ी िवी न अलग डााटा ह-लालजी कईसा बात करत ह ऊ चनतीशवा हमको मममी कहगा तो हमको कईसा फील होगा

मोिी की हवा नही िल रही ह यह बात तमाम नयज िनलो पर तरह-तरह क चवदवानो न चिन भर म करीब 40 बार कही मोिी की हवा िल रही ह यह बात बीजपी क परविाओ न नयज िनलो

पर कल सात बार कही िालीस बार मोिी का नाम उधर स सात बार मोिी का नाम इधर स मोिी की हवा असल म बना कौन रहा ह ब िनाव क आग बढ़न पर काङगरस न नर र मोिी क चखलाफ मनमोहन चसह को उतारन की सोिी ह नरनर मोिी क नमो फोन क मकाबल ममो फोन उतारन का पलान हआ इञजीचनयरो न फोन चडजाइन भी कर चलया ह बस एक पराबलम नही चनपट पा रही ह

ममो फोन नामिल तरीक स काम नही करता इसम साइलणट मोड एचकटव करो तब ही फोन पर बात समभव हो पाती ह साइलणट मोड पर ही एचकटव य बात हर कसटमर को समझान म तो कई साल लग जायग

कया चकया जाय इस सवाल क जवाब म मनमोहन चसह साइलणट मोड म िल गय ह

आलोक पराचणक 9810018799

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अर शरी गिशाय नमः ndash शरद जोशी

अथ शरी गणशाय नम बात गणश जी स शर की जाए वह धीर-धीर िह तक पहाि जाएगी या िह स आरमभ कर और वह शरी गणश तक पहाि या पढ़न-चलखन की ििाि

की जाए शरी गणश जञान और बचदध क िवता ह इस कारण सिव अलपमत म रहत होग पर ह तो िवता सबस पहल व ही पज जात ह आचख़र म व ही पानी म उतार जात ह पढ़न-चलखन की ििाि को छोड़ आप शरी गणश की कथा पर आ सकत ह

चवषय कया ह िहा या शरी गणश भई इस िश म कल चमलाकर चवषय एक ही होता ह - ग़रीबी सार चवषय उसी स जनम लत ह कचवता कर लो या उपनयास बात वही होगी ग़रीबी हटान की बात करन वाल बात कहत रह पर यह न सोिा चक ग़रीबी हट गई तो लखक चलखग चकस चवषय पर उनह लगा य साचहतय वाल लोग ग़रीबी हटाओ क चख़लाि ह तो इस पर उतर आए चक िलो साचहतय हटाओ

वह नही हट सकता शरी गणश स िाल हआ ह व ही उसक आचि िवता ह ऋचदध-चसचदध आसपास रहती ह बीि म लखन का काम िलता ह िहा परो क पास बठा रहता ह रिना ख़राब हई चक गणश जी महाराज उस िह को ि ित ह ल भई कतर खा पर ऐसा पराय नही होता चनज कचवतत क फीका न लगन का चनयम गणश जी पर भी उतना ही लाग होता ह िहा परशान रहता ह महाराज कछ खान को िीचजए गणश जी साड पर हाथ फर गभीरता स कहत ह लखक क पररवार क सिसय होखान-पीन की बात मत चकया करो भख रहना सीखो बड़ा ऊा िा मज़ाक-बोध ह शरी गणश जी का (अचछ लखको म रहता ह) िहा सन मसकराता ह जानता ह गणश जी डायचटग पर भरोसा नही करत तबीयत स खात

ह चलखत ह अब चनरनतर बठ चलखत रहन स शरीर म भरीपन तो आ ही जाता ह

िह को साचहतय स कया करना उस िाचहए अनाज क िान कतर खश रह सामानय जन की आवशयकता उसकी आवशयकता ह खान पट भरन को हर गणश-भि को िाचहए भख भजन न होई गणशा या जो भी हो साचहतय स पसा कमान का घनघोर चवरोध व ही करत ह चजनकी लकिररचशप पककी हो गई और वतन नए बढ़ हए गरड़ म चमल रहा ह जो अिसर ह चजनह पशन की सचवधा ह व साचहतय म कराचनत-कराचनत की उछाल भरत रहत ह िहा असल गणश-भि ह

राषटरीय दचिकोण स सोचिए पता ह आपको िहो क कारण िश का चकतना अनाज बरबाि होता ह िहा शर ह िश क गोिामो म घसा िोर ह हमार उतपािन का एक बड़ा परचतशत िहो क पट म िला जाता ह िह स अनाज की रकषा हमारी राषटरीय समसया ह कभी चविार चकया अपन इस पर बड़ गणश-भि बनत ह

चविार चकया यो ही गणश-भि नही बन गए समसया पर चविार करना हमारा पराना मज़ि ह हा-हा-हा ज़रा सचनए

आपको पता ह िान-िान पर खान वाल का नाम चलखा रहता ह यह बात चसिि अनार और पपीत को लकर ही सही नही ह अनाज क छोट-छोट िान को लकर भी सही ह हर िान पर नाम चलखा रहता ह खान वाल का कछ िर पहल जो परााठा मन अिार स लगाकर खाया था उस पर जगह-जगह शरि जोशी चलखा हआ था छोटा-मोटा काम नही ह इतन िानो पर नाम चलखना यह काम कौन कर सकता हगणश जी और कौन व ही चलख सकत ह और चकसी क बस का नही ह यह काम पररशरम लगन और नयाय की ज़ररत होती ह साचहतय वालो को यह काम

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

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रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 12: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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क यो नही ल पात क या हर परष पत नी क मामल म ऐसा ही होता ह शान बड़ी असहज हो रही थी

उसका वश िलता तो उस चनगोड़ मोबाईल को चखड़की स बाहर फ ककर िर-िर कर डालती पर इसम कमल का चिया नमबर ह शान न ख़ि को सयत चकया उस कोई तो चनणिय लना था वह ग़लत बात क सामन हार माननवाली स री नही थी

उस याि ह चक इसी सि बोलन की आित क िलत उस अपन कॉलज का िस ट-स टडणटट क पिक स हाथ धोना पड़ा था यह िीगर बात थी चक उस पिक को पानवाली लड़की एक सप ताह बाि अपन परमी क साथ भाग गई थी और कॉलज की परािायाि पछतान क अलावा कछ नही कर पाई थी

अगल चिन शाम को कमल ऑचफस स आय और बोल lsquoशान मन तम हार मोबाईल का चबल भर चिया ह पर प लीज़ इस महीन ज़रा ध यान रखनाlsquo

शान न कछ नही कहा उसन तय कर चलया था चक उस मोबाईल परकरण म चनणिय लना ह कोई बहस नही करना ह और इस चवषय म बात करन क चलय रचववार सवोत तम चिन ह1

रचववार को सबह क नाश त क बाि शान न कहा lsquoकमल एक काम करो तम अपना यह नमबर वाचपस ल लो म इस नमबर क साथ ख़ि को सहज महसस नही कर रहीlsquo

कमल न कहा lsquoक या परॉब लम ह मन चबल भर चिया हlsquo कमल को शान की यह आित पता ह चक सामान य तौर पर वह चकसी भी बात को चिल स नही लगाती ह वह lsquoरात गई बात गईrsquo वाली कहावत म चवश वास रखती ह तो अब अिानक क या हो गया

शान न कहा lsquoबात चबल भरन की नही ह मझ

पोस टपड की आित नही ह और चफर इसम अन िाज़ा नही रहता और चबल जज ािा हो जाता ह मझ परीपड जज ािा सट करता ह उसम मझ पता रहता ह चक चकतना खिि हो गया ह और म अपनी जब क अनसार खिि कर पाती ह ाlsquo

शान न अपरत यकष रप स अपन फोन का चहसाब रखन का अचधकार कमल को िन स इन कार कर चिया था शान न मोबाईल स चसम काडि चनकाला और कमल को थमा चिया उसन अपना परानावाला चसम काडि मोबाईल म डाला

बहत चिनो बाि शान न ख़ि को शीश म िखा इस मोबाईल न उसक िहर को चनस तज कर चिया था आाखो क नीि काल घर बन गय थ कपड़ भी कस पहनन लगी थी वह उसन ख़ि को चफर स मस त तचबयत की और हरिनमौला बनान का चनणिय चलया और इसक साथ ही उसक होठो पर जो बाल-सलभ मस कान आई वह स वय ही उस पर बचलहारी हो रही थी मध अरोड़ा ममबई 9833959216

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वयिगय माइकरो सटायर

पीएम मनमोहन चसह न िावा चकया ह चक एक हजार बार स जजयािा वह चपछल िस सालो म बोल ह उनक बोलन की ररकाचडिगस िक की गयी

ह- 1100 बार वह कल बोल 1000 बार तो वह यह बोल पाय-ओय कोई तो मरी गलल सण लो ओय बाकी 100 बार वह बोल-ओय मरी बात समझ नी आयी कोई गलल नी राहलजी स पछछ लणा

गङगा साफ करन की पररयोजनाओ म खरबो खाय गय जमना साफ करन की पररयोजनाओ म अरबो खाय गय कछ-कछ समझ म आता ह चक गङगा-जमनी कलिर तमाम पाचलचटकल पाचटियो को बहत चपरय कयो ह

परधानमनरी पि क उममीिवार नर र मोिी का चवरोध करनवालो को लोकसभा िनाव क बाि पाचकसतान जाना पड़गा इस बयान स राबटि वाडरा भी िहशत म आय कयोचक वाडरा क पविज पाचकसतान सयालकोट स आय थ

राहल गााधी न समझाया -जीजाजी ऐसा नही चजसकी पास थोड़ी सी जमीन भी ह इचणडया म उस इचणडयन माना जायगा

राबटि वाडरा क िहर पर मसकान लौट आयी ह-जमीन तो जहाा कहोग वहाा चिखा िागा-कनयाकमारी क समनिर स लकर एवरसट तक की रचजसरी अपन नाम ह दवाररका गजरात समनिर की रचजसरी स लकर पर अरणािल की जमीन अपन कबज म चिखा सकता ह ा

राहल न समझाया-ना थोड़ी जमीन ही बताना अरणािल की जमीन तमहार पास ह यह बात िीन को अगर पता लग गयी तो वह भारत सरकार स नही तमस ही बात करन लगगा जमीन चववाि सलझान को

एक िटकी चसनिर की कीमत तम कया जानो रमश बाब जानता ह ा बहत सही तरह स जानता ह ा कोई एक िटकी चसनिर भरकर अब तक 350 करोड़ रपय कमा िका ह और चपकिर अभी बाकी ह िोसत राजश खनना का जमाना गया अब राबटि वाडरा का आ गया

राबटि वाडरा क घर म धन की िवी लकषमीजी को माा क तौर पर नही पजा जाता लकषमीजी को सास-माा क तौर पर पजा जाता ह

चिचगवजय चसह न पछा - बताओ बताओ राबटि वाडरा न कौन सा कानन तोड़ा राबटि वाडरा सनकर हास रह ह- नानसनस म खि कानन ह ा मझ कौन तोड़गा कचपल चसबबल न आरोप लगाया चक सीबीआई न गजरात फजी एनकाउणटर म मोिी को ढ़ग स घर म नही चलया लो िस साल सरकार काङगरस की रही सीबीआई स जरा सा काम ना करवा पाय

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राहल गााधी न चसबबल को डााटा- ऐसी ही बातो स तो यह आरोप पकका होता ह चक काङगरस सरकार िस सालो म कतई चनकममी रही

अचखलश यािव न कहा चक िाल ह भाजपा क लोग समाजवािी पाटी क लोग िाल नही ह यह सनकर अमर चसह न कहा ह- मरी याि मरी कमी इतन चिनो बाि महसस की िलो ठीक ह पर अब म समाजवािी पाटी क चलए कछ ना करा गा हारा गा भी नही इस सवाथी िचनया म चकसी क चलए हारन स बहतर ह चक म खि अपन चलए हारा लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन ही पिा चकया ह नारायण ितत चतवारी न जोरिार बधाई िी ह लालजी को यह कहत हए चक अकल हम ही नही ह जो बढ़ाप म बाप बन रह ह लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन पिा चकया सबस जजयािा चवरोध उनक आठ बचिो न जताया ह यह कहत हए चक पापा आठ बचिो का ताना झल-झलकर ही पक गय अब एक और जोड़ चलय ह राबड़ी िवी न अलग डााटा ह-लालजी कईसा बात करत ह ऊ चनतीशवा हमको मममी कहगा तो हमको कईसा फील होगा

मोिी की हवा नही िल रही ह यह बात तमाम नयज िनलो पर तरह-तरह क चवदवानो न चिन भर म करीब 40 बार कही मोिी की हवा िल रही ह यह बात बीजपी क परविाओ न नयज िनलो

पर कल सात बार कही िालीस बार मोिी का नाम उधर स सात बार मोिी का नाम इधर स मोिी की हवा असल म बना कौन रहा ह ब िनाव क आग बढ़न पर काङगरस न नर र मोिी क चखलाफ मनमोहन चसह को उतारन की सोिी ह नरनर मोिी क नमो फोन क मकाबल ममो फोन उतारन का पलान हआ इञजीचनयरो न फोन चडजाइन भी कर चलया ह बस एक पराबलम नही चनपट पा रही ह

ममो फोन नामिल तरीक स काम नही करता इसम साइलणट मोड एचकटव करो तब ही फोन पर बात समभव हो पाती ह साइलणट मोड पर ही एचकटव य बात हर कसटमर को समझान म तो कई साल लग जायग

कया चकया जाय इस सवाल क जवाब म मनमोहन चसह साइलणट मोड म िल गय ह

आलोक पराचणक 9810018799

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अर शरी गिशाय नमः ndash शरद जोशी

अथ शरी गणशाय नम बात गणश जी स शर की जाए वह धीर-धीर िह तक पहाि जाएगी या िह स आरमभ कर और वह शरी गणश तक पहाि या पढ़न-चलखन की ििाि

की जाए शरी गणश जञान और बचदध क िवता ह इस कारण सिव अलपमत म रहत होग पर ह तो िवता सबस पहल व ही पज जात ह आचख़र म व ही पानी म उतार जात ह पढ़न-चलखन की ििाि को छोड़ आप शरी गणश की कथा पर आ सकत ह

चवषय कया ह िहा या शरी गणश भई इस िश म कल चमलाकर चवषय एक ही होता ह - ग़रीबी सार चवषय उसी स जनम लत ह कचवता कर लो या उपनयास बात वही होगी ग़रीबी हटान की बात करन वाल बात कहत रह पर यह न सोिा चक ग़रीबी हट गई तो लखक चलखग चकस चवषय पर उनह लगा य साचहतय वाल लोग ग़रीबी हटाओ क चख़लाि ह तो इस पर उतर आए चक िलो साचहतय हटाओ

वह नही हट सकता शरी गणश स िाल हआ ह व ही उसक आचि िवता ह ऋचदध-चसचदध आसपास रहती ह बीि म लखन का काम िलता ह िहा परो क पास बठा रहता ह रिना ख़राब हई चक गणश जी महाराज उस िह को ि ित ह ल भई कतर खा पर ऐसा पराय नही होता चनज कचवतत क फीका न लगन का चनयम गणश जी पर भी उतना ही लाग होता ह िहा परशान रहता ह महाराज कछ खान को िीचजए गणश जी साड पर हाथ फर गभीरता स कहत ह लखक क पररवार क सिसय होखान-पीन की बात मत चकया करो भख रहना सीखो बड़ा ऊा िा मज़ाक-बोध ह शरी गणश जी का (अचछ लखको म रहता ह) िहा सन मसकराता ह जानता ह गणश जी डायचटग पर भरोसा नही करत तबीयत स खात

ह चलखत ह अब चनरनतर बठ चलखत रहन स शरीर म भरीपन तो आ ही जाता ह

िह को साचहतय स कया करना उस िाचहए अनाज क िान कतर खश रह सामानय जन की आवशयकता उसकी आवशयकता ह खान पट भरन को हर गणश-भि को िाचहए भख भजन न होई गणशा या जो भी हो साचहतय स पसा कमान का घनघोर चवरोध व ही करत ह चजनकी लकिररचशप पककी हो गई और वतन नए बढ़ हए गरड़ म चमल रहा ह जो अिसर ह चजनह पशन की सचवधा ह व साचहतय म कराचनत-कराचनत की उछाल भरत रहत ह िहा असल गणश-भि ह

राषटरीय दचिकोण स सोचिए पता ह आपको िहो क कारण िश का चकतना अनाज बरबाि होता ह िहा शर ह िश क गोिामो म घसा िोर ह हमार उतपािन का एक बड़ा परचतशत िहो क पट म िला जाता ह िह स अनाज की रकषा हमारी राषटरीय समसया ह कभी चविार चकया अपन इस पर बड़ गणश-भि बनत ह

चविार चकया यो ही गणश-भि नही बन गए समसया पर चविार करना हमारा पराना मज़ि ह हा-हा-हा ज़रा सचनए

आपको पता ह िान-िान पर खान वाल का नाम चलखा रहता ह यह बात चसिि अनार और पपीत को लकर ही सही नही ह अनाज क छोट-छोट िान को लकर भी सही ह हर िान पर नाम चलखा रहता ह खान वाल का कछ िर पहल जो परााठा मन अिार स लगाकर खाया था उस पर जगह-जगह शरि जोशी चलखा हआ था छोटा-मोटा काम नही ह इतन िानो पर नाम चलखना यह काम कौन कर सकता हगणश जी और कौन व ही चलख सकत ह और चकसी क बस का नही ह यह काम पररशरम लगन और नयाय की ज़ररत होती ह साचहतय वालो को यह काम

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

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रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 13: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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वयिगय माइकरो सटायर

पीएम मनमोहन चसह न िावा चकया ह चक एक हजार बार स जजयािा वह चपछल िस सालो म बोल ह उनक बोलन की ररकाचडिगस िक की गयी

ह- 1100 बार वह कल बोल 1000 बार तो वह यह बोल पाय-ओय कोई तो मरी गलल सण लो ओय बाकी 100 बार वह बोल-ओय मरी बात समझ नी आयी कोई गलल नी राहलजी स पछछ लणा

गङगा साफ करन की पररयोजनाओ म खरबो खाय गय जमना साफ करन की पररयोजनाओ म अरबो खाय गय कछ-कछ समझ म आता ह चक गङगा-जमनी कलिर तमाम पाचलचटकल पाचटियो को बहत चपरय कयो ह

परधानमनरी पि क उममीिवार नर र मोिी का चवरोध करनवालो को लोकसभा िनाव क बाि पाचकसतान जाना पड़गा इस बयान स राबटि वाडरा भी िहशत म आय कयोचक वाडरा क पविज पाचकसतान सयालकोट स आय थ

राहल गााधी न समझाया -जीजाजी ऐसा नही चजसकी पास थोड़ी सी जमीन भी ह इचणडया म उस इचणडयन माना जायगा

राबटि वाडरा क िहर पर मसकान लौट आयी ह-जमीन तो जहाा कहोग वहाा चिखा िागा-कनयाकमारी क समनिर स लकर एवरसट तक की रचजसरी अपन नाम ह दवाररका गजरात समनिर की रचजसरी स लकर पर अरणािल की जमीन अपन कबज म चिखा सकता ह ा

राहल न समझाया-ना थोड़ी जमीन ही बताना अरणािल की जमीन तमहार पास ह यह बात िीन को अगर पता लग गयी तो वह भारत सरकार स नही तमस ही बात करन लगगा जमीन चववाि सलझान को

एक िटकी चसनिर की कीमत तम कया जानो रमश बाब जानता ह ा बहत सही तरह स जानता ह ा कोई एक िटकी चसनिर भरकर अब तक 350 करोड़ रपय कमा िका ह और चपकिर अभी बाकी ह िोसत राजश खनना का जमाना गया अब राबटि वाडरा का आ गया

राबटि वाडरा क घर म धन की िवी लकषमीजी को माा क तौर पर नही पजा जाता लकषमीजी को सास-माा क तौर पर पजा जाता ह

चिचगवजय चसह न पछा - बताओ बताओ राबटि वाडरा न कौन सा कानन तोड़ा राबटि वाडरा सनकर हास रह ह- नानसनस म खि कानन ह ा मझ कौन तोड़गा कचपल चसबबल न आरोप लगाया चक सीबीआई न गजरात फजी एनकाउणटर म मोिी को ढ़ग स घर म नही चलया लो िस साल सरकार काङगरस की रही सीबीआई स जरा सा काम ना करवा पाय

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राहल गााधी न चसबबल को डााटा- ऐसी ही बातो स तो यह आरोप पकका होता ह चक काङगरस सरकार िस सालो म कतई चनकममी रही

अचखलश यािव न कहा चक िाल ह भाजपा क लोग समाजवािी पाटी क लोग िाल नही ह यह सनकर अमर चसह न कहा ह- मरी याि मरी कमी इतन चिनो बाि महसस की िलो ठीक ह पर अब म समाजवािी पाटी क चलए कछ ना करा गा हारा गा भी नही इस सवाथी िचनया म चकसी क चलए हारन स बहतर ह चक म खि अपन चलए हारा लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन ही पिा चकया ह नारायण ितत चतवारी न जोरिार बधाई िी ह लालजी को यह कहत हए चक अकल हम ही नही ह जो बढ़ाप म बाप बन रह ह लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन पिा चकया सबस जजयािा चवरोध उनक आठ बचिो न जताया ह यह कहत हए चक पापा आठ बचिो का ताना झल-झलकर ही पक गय अब एक और जोड़ चलय ह राबड़ी िवी न अलग डााटा ह-लालजी कईसा बात करत ह ऊ चनतीशवा हमको मममी कहगा तो हमको कईसा फील होगा

मोिी की हवा नही िल रही ह यह बात तमाम नयज िनलो पर तरह-तरह क चवदवानो न चिन भर म करीब 40 बार कही मोिी की हवा िल रही ह यह बात बीजपी क परविाओ न नयज िनलो

पर कल सात बार कही िालीस बार मोिी का नाम उधर स सात बार मोिी का नाम इधर स मोिी की हवा असल म बना कौन रहा ह ब िनाव क आग बढ़न पर काङगरस न नर र मोिी क चखलाफ मनमोहन चसह को उतारन की सोिी ह नरनर मोिी क नमो फोन क मकाबल ममो फोन उतारन का पलान हआ इञजीचनयरो न फोन चडजाइन भी कर चलया ह बस एक पराबलम नही चनपट पा रही ह

ममो फोन नामिल तरीक स काम नही करता इसम साइलणट मोड एचकटव करो तब ही फोन पर बात समभव हो पाती ह साइलणट मोड पर ही एचकटव य बात हर कसटमर को समझान म तो कई साल लग जायग

कया चकया जाय इस सवाल क जवाब म मनमोहन चसह साइलणट मोड म िल गय ह

आलोक पराचणक 9810018799

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अर शरी गिशाय नमः ndash शरद जोशी

अथ शरी गणशाय नम बात गणश जी स शर की जाए वह धीर-धीर िह तक पहाि जाएगी या िह स आरमभ कर और वह शरी गणश तक पहाि या पढ़न-चलखन की ििाि

की जाए शरी गणश जञान और बचदध क िवता ह इस कारण सिव अलपमत म रहत होग पर ह तो िवता सबस पहल व ही पज जात ह आचख़र म व ही पानी म उतार जात ह पढ़न-चलखन की ििाि को छोड़ आप शरी गणश की कथा पर आ सकत ह

चवषय कया ह िहा या शरी गणश भई इस िश म कल चमलाकर चवषय एक ही होता ह - ग़रीबी सार चवषय उसी स जनम लत ह कचवता कर लो या उपनयास बात वही होगी ग़रीबी हटान की बात करन वाल बात कहत रह पर यह न सोिा चक ग़रीबी हट गई तो लखक चलखग चकस चवषय पर उनह लगा य साचहतय वाल लोग ग़रीबी हटाओ क चख़लाि ह तो इस पर उतर आए चक िलो साचहतय हटाओ

वह नही हट सकता शरी गणश स िाल हआ ह व ही उसक आचि िवता ह ऋचदध-चसचदध आसपास रहती ह बीि म लखन का काम िलता ह िहा परो क पास बठा रहता ह रिना ख़राब हई चक गणश जी महाराज उस िह को ि ित ह ल भई कतर खा पर ऐसा पराय नही होता चनज कचवतत क फीका न लगन का चनयम गणश जी पर भी उतना ही लाग होता ह िहा परशान रहता ह महाराज कछ खान को िीचजए गणश जी साड पर हाथ फर गभीरता स कहत ह लखक क पररवार क सिसय होखान-पीन की बात मत चकया करो भख रहना सीखो बड़ा ऊा िा मज़ाक-बोध ह शरी गणश जी का (अचछ लखको म रहता ह) िहा सन मसकराता ह जानता ह गणश जी डायचटग पर भरोसा नही करत तबीयत स खात

ह चलखत ह अब चनरनतर बठ चलखत रहन स शरीर म भरीपन तो आ ही जाता ह

िह को साचहतय स कया करना उस िाचहए अनाज क िान कतर खश रह सामानय जन की आवशयकता उसकी आवशयकता ह खान पट भरन को हर गणश-भि को िाचहए भख भजन न होई गणशा या जो भी हो साचहतय स पसा कमान का घनघोर चवरोध व ही करत ह चजनकी लकिररचशप पककी हो गई और वतन नए बढ़ हए गरड़ म चमल रहा ह जो अिसर ह चजनह पशन की सचवधा ह व साचहतय म कराचनत-कराचनत की उछाल भरत रहत ह िहा असल गणश-भि ह

राषटरीय दचिकोण स सोचिए पता ह आपको िहो क कारण िश का चकतना अनाज बरबाि होता ह िहा शर ह िश क गोिामो म घसा िोर ह हमार उतपािन का एक बड़ा परचतशत िहो क पट म िला जाता ह िह स अनाज की रकषा हमारी राषटरीय समसया ह कभी चविार चकया अपन इस पर बड़ गणश-भि बनत ह

चविार चकया यो ही गणश-भि नही बन गए समसया पर चविार करना हमारा पराना मज़ि ह हा-हा-हा ज़रा सचनए

आपको पता ह िान-िान पर खान वाल का नाम चलखा रहता ह यह बात चसिि अनार और पपीत को लकर ही सही नही ह अनाज क छोट-छोट िान को लकर भी सही ह हर िान पर नाम चलखा रहता ह खान वाल का कछ िर पहल जो परााठा मन अिार स लगाकर खाया था उस पर जगह-जगह शरि जोशी चलखा हआ था छोटा-मोटा काम नही ह इतन िानो पर नाम चलखना यह काम कौन कर सकता हगणश जी और कौन व ही चलख सकत ह और चकसी क बस का नही ह यह काम पररशरम लगन और नयाय की ज़ररत होती ह साचहतय वालो को यह काम

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 14: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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राहल गााधी न चसबबल को डााटा- ऐसी ही बातो स तो यह आरोप पकका होता ह चक काङगरस सरकार िस सालो म कतई चनकममी रही

अचखलश यािव न कहा चक िाल ह भाजपा क लोग समाजवािी पाटी क लोग िाल नही ह यह सनकर अमर चसह न कहा ह- मरी याि मरी कमी इतन चिनो बाि महसस की िलो ठीक ह पर अब म समाजवािी पाटी क चलए कछ ना करा गा हारा गा भी नही इस सवाथी िचनया म चकसी क चलए हारन स बहतर ह चक म खि अपन चलए हारा लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन ही पिा चकया ह नारायण ितत चतवारी न जोरिार बधाई िी ह लालजी को यह कहत हए चक अकल हम ही नही ह जो बढ़ाप म बाप बन रह ह लाल यािव क इस बयान पर चक चनतीश कमार को उनहोन पिा चकया सबस जजयािा चवरोध उनक आठ बचिो न जताया ह यह कहत हए चक पापा आठ बचिो का ताना झल-झलकर ही पक गय अब एक और जोड़ चलय ह राबड़ी िवी न अलग डााटा ह-लालजी कईसा बात करत ह ऊ चनतीशवा हमको मममी कहगा तो हमको कईसा फील होगा

मोिी की हवा नही िल रही ह यह बात तमाम नयज िनलो पर तरह-तरह क चवदवानो न चिन भर म करीब 40 बार कही मोिी की हवा िल रही ह यह बात बीजपी क परविाओ न नयज िनलो

पर कल सात बार कही िालीस बार मोिी का नाम उधर स सात बार मोिी का नाम इधर स मोिी की हवा असल म बना कौन रहा ह ब िनाव क आग बढ़न पर काङगरस न नर र मोिी क चखलाफ मनमोहन चसह को उतारन की सोिी ह नरनर मोिी क नमो फोन क मकाबल ममो फोन उतारन का पलान हआ इञजीचनयरो न फोन चडजाइन भी कर चलया ह बस एक पराबलम नही चनपट पा रही ह

ममो फोन नामिल तरीक स काम नही करता इसम साइलणट मोड एचकटव करो तब ही फोन पर बात समभव हो पाती ह साइलणट मोड पर ही एचकटव य बात हर कसटमर को समझान म तो कई साल लग जायग

कया चकया जाय इस सवाल क जवाब म मनमोहन चसह साइलणट मोड म िल गय ह

आलोक पराचणक 9810018799

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अर शरी गिशाय नमः ndash शरद जोशी

अथ शरी गणशाय नम बात गणश जी स शर की जाए वह धीर-धीर िह तक पहाि जाएगी या िह स आरमभ कर और वह शरी गणश तक पहाि या पढ़न-चलखन की ििाि

की जाए शरी गणश जञान और बचदध क िवता ह इस कारण सिव अलपमत म रहत होग पर ह तो िवता सबस पहल व ही पज जात ह आचख़र म व ही पानी म उतार जात ह पढ़न-चलखन की ििाि को छोड़ आप शरी गणश की कथा पर आ सकत ह

चवषय कया ह िहा या शरी गणश भई इस िश म कल चमलाकर चवषय एक ही होता ह - ग़रीबी सार चवषय उसी स जनम लत ह कचवता कर लो या उपनयास बात वही होगी ग़रीबी हटान की बात करन वाल बात कहत रह पर यह न सोिा चक ग़रीबी हट गई तो लखक चलखग चकस चवषय पर उनह लगा य साचहतय वाल लोग ग़रीबी हटाओ क चख़लाि ह तो इस पर उतर आए चक िलो साचहतय हटाओ

वह नही हट सकता शरी गणश स िाल हआ ह व ही उसक आचि िवता ह ऋचदध-चसचदध आसपास रहती ह बीि म लखन का काम िलता ह िहा परो क पास बठा रहता ह रिना ख़राब हई चक गणश जी महाराज उस िह को ि ित ह ल भई कतर खा पर ऐसा पराय नही होता चनज कचवतत क फीका न लगन का चनयम गणश जी पर भी उतना ही लाग होता ह िहा परशान रहता ह महाराज कछ खान को िीचजए गणश जी साड पर हाथ फर गभीरता स कहत ह लखक क पररवार क सिसय होखान-पीन की बात मत चकया करो भख रहना सीखो बड़ा ऊा िा मज़ाक-बोध ह शरी गणश जी का (अचछ लखको म रहता ह) िहा सन मसकराता ह जानता ह गणश जी डायचटग पर भरोसा नही करत तबीयत स खात

ह चलखत ह अब चनरनतर बठ चलखत रहन स शरीर म भरीपन तो आ ही जाता ह

िह को साचहतय स कया करना उस िाचहए अनाज क िान कतर खश रह सामानय जन की आवशयकता उसकी आवशयकता ह खान पट भरन को हर गणश-भि को िाचहए भख भजन न होई गणशा या जो भी हो साचहतय स पसा कमान का घनघोर चवरोध व ही करत ह चजनकी लकिररचशप पककी हो गई और वतन नए बढ़ हए गरड़ म चमल रहा ह जो अिसर ह चजनह पशन की सचवधा ह व साचहतय म कराचनत-कराचनत की उछाल भरत रहत ह िहा असल गणश-भि ह

राषटरीय दचिकोण स सोचिए पता ह आपको िहो क कारण िश का चकतना अनाज बरबाि होता ह िहा शर ह िश क गोिामो म घसा िोर ह हमार उतपािन का एक बड़ा परचतशत िहो क पट म िला जाता ह िह स अनाज की रकषा हमारी राषटरीय समसया ह कभी चविार चकया अपन इस पर बड़ गणश-भि बनत ह

चविार चकया यो ही गणश-भि नही बन गए समसया पर चविार करना हमारा पराना मज़ि ह हा-हा-हा ज़रा सचनए

आपको पता ह िान-िान पर खान वाल का नाम चलखा रहता ह यह बात चसिि अनार और पपीत को लकर ही सही नही ह अनाज क छोट-छोट िान को लकर भी सही ह हर िान पर नाम चलखा रहता ह खान वाल का कछ िर पहल जो परााठा मन अिार स लगाकर खाया था उस पर जगह-जगह शरि जोशी चलखा हआ था छोटा-मोटा काम नही ह इतन िानो पर नाम चलखना यह काम कौन कर सकता हगणश जी और कौन व ही चलख सकत ह और चकसी क बस का नही ह यह काम पररशरम लगन और नयाय की ज़ररत होती ह साचहतय वालो को यह काम

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सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

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म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

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भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

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आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 15: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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अर शरी गिशाय नमः ndash शरद जोशी

अथ शरी गणशाय नम बात गणश जी स शर की जाए वह धीर-धीर िह तक पहाि जाएगी या िह स आरमभ कर और वह शरी गणश तक पहाि या पढ़न-चलखन की ििाि

की जाए शरी गणश जञान और बचदध क िवता ह इस कारण सिव अलपमत म रहत होग पर ह तो िवता सबस पहल व ही पज जात ह आचख़र म व ही पानी म उतार जात ह पढ़न-चलखन की ििाि को छोड़ आप शरी गणश की कथा पर आ सकत ह

चवषय कया ह िहा या शरी गणश भई इस िश म कल चमलाकर चवषय एक ही होता ह - ग़रीबी सार चवषय उसी स जनम लत ह कचवता कर लो या उपनयास बात वही होगी ग़रीबी हटान की बात करन वाल बात कहत रह पर यह न सोिा चक ग़रीबी हट गई तो लखक चलखग चकस चवषय पर उनह लगा य साचहतय वाल लोग ग़रीबी हटाओ क चख़लाि ह तो इस पर उतर आए चक िलो साचहतय हटाओ

वह नही हट सकता शरी गणश स िाल हआ ह व ही उसक आचि िवता ह ऋचदध-चसचदध आसपास रहती ह बीि म लखन का काम िलता ह िहा परो क पास बठा रहता ह रिना ख़राब हई चक गणश जी महाराज उस िह को ि ित ह ल भई कतर खा पर ऐसा पराय नही होता चनज कचवतत क फीका न लगन का चनयम गणश जी पर भी उतना ही लाग होता ह िहा परशान रहता ह महाराज कछ खान को िीचजए गणश जी साड पर हाथ फर गभीरता स कहत ह लखक क पररवार क सिसय होखान-पीन की बात मत चकया करो भख रहना सीखो बड़ा ऊा िा मज़ाक-बोध ह शरी गणश जी का (अचछ लखको म रहता ह) िहा सन मसकराता ह जानता ह गणश जी डायचटग पर भरोसा नही करत तबीयत स खात

ह चलखत ह अब चनरनतर बठ चलखत रहन स शरीर म भरीपन तो आ ही जाता ह

िह को साचहतय स कया करना उस िाचहए अनाज क िान कतर खश रह सामानय जन की आवशयकता उसकी आवशयकता ह खान पट भरन को हर गणश-भि को िाचहए भख भजन न होई गणशा या जो भी हो साचहतय स पसा कमान का घनघोर चवरोध व ही करत ह चजनकी लकिररचशप पककी हो गई और वतन नए बढ़ हए गरड़ म चमल रहा ह जो अिसर ह चजनह पशन की सचवधा ह व साचहतय म कराचनत-कराचनत की उछाल भरत रहत ह िहा असल गणश-भि ह

राषटरीय दचिकोण स सोचिए पता ह आपको िहो क कारण िश का चकतना अनाज बरबाि होता ह िहा शर ह िश क गोिामो म घसा िोर ह हमार उतपािन का एक बड़ा परचतशत िहो क पट म िला जाता ह िह स अनाज की रकषा हमारी राषटरीय समसया ह कभी चविार चकया अपन इस पर बड़ गणश-भि बनत ह

चविार चकया यो ही गणश-भि नही बन गए समसया पर चविार करना हमारा पराना मज़ि ह हा-हा-हा ज़रा सचनए

आपको पता ह िान-िान पर खान वाल का नाम चलखा रहता ह यह बात चसिि अनार और पपीत को लकर ही सही नही ह अनाज क छोट-छोट िान को लकर भी सही ह हर िान पर नाम चलखा रहता ह खान वाल का कछ िर पहल जो परााठा मन अिार स लगाकर खाया था उस पर जगह-जगह शरि जोशी चलखा हआ था छोटा-मोटा काम नही ह इतन िानो पर नाम चलखना यह काम कौन कर सकता हगणश जी और कौन व ही चलख सकत ह और चकसी क बस का नही ह यह काम पररशरम लगन और नयाय की ज़ररत होती ह साचहतय वालो को यह काम

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सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

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म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

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भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

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रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

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अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

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आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 16: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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सौप िोिान-िान पर नाम चलखन का बस अपन यार-िोसतो क नाम चलखग बाकी को छोड़ िग भखा मरन को उनक नाम ही नही चलखग िानो पर जस िानो पर नाम नही साचहतय का इचतहास चलखना हो या चपछल िशक क लखन का आकलन करना हो चक चजसस असहमत थ उसका नाम भल गए

दशय यो होता ह गणश जी बठ ह ऊपर तज़ी स िानो पर नाम चलखन म लग ह अचधषठाता होन क कारण उनह पता ह कहाा कया उतपनन होगा उनका काम ह िानो पर नाम चलखना ताचक चजसका जो िाना हो वह उस शख़स को चमल जाए काम जारी ह िहा नीि बठा ह बीि-बीि म गहार लगाता ह हमारा भी धयान रखना परभऐसा न हो चक िहो को भल जाओ इस पर गणश जी मन ही मन मसकरात ह उनक िाात चिखान क और ह मसकरान क और चफर कछ िानो पर नाम चलखना छोड़ ित ह भल जात ह व िान चजन पर चकसी का नाम नही चलखा सब िह क िहा गोिामो म घसता ह चजन िानो पर नाम नही होत उनह कतर कर खाता रहता ह गणश-मचहमा

एक चिन िहा कहन लगा गणश जी महाराज िान-िान पर मानव का नाम चलखन का कि तो आप कर ही रह ह थोड़ी कपा और करो नक घर का पता और डाल िो नाम क साथ तो बिारो को इतनी परशानी नही उठानी पड़गी मार-मार चफरत हअपना नाम चलखा िाना तलाशत भोपाल स बबई और चिलली तलक घर का पता चलखा होगा तो िाना घर पहाि जाएगा ऐस जगह-जगह तो नही भटक ग

अपन जान िहा बड़ी समाजवािी बात कह रहा था पर घड़क चिया गणशजी न िप रहो जयािा िा-िा मत करो नाम चलख-चलख शरी गणश यो ही थक रहत ह ऊपर स पता भी चलखन बठो िह का कया लगाई जबान ताल स और कह चिया

नयाय सथाचपत कीचजए िोनो का ठीक-ठाक पट भर बाटवारा कीचजए नाम चलखन की भी ज़ररत नही गणश जी कब तक बठ-बठ चलखत रहग

परशन यह ह तब िहो का कया होगा व जो हर वयवसाय म अपन परचतशत कतरत रहत ह उनका कया होगा

वही हआ ना बात शरी गणश स शर कीचजए तो धीर-धीर िह तक पहाि जाती ह कया कीचजएगा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 17: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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म दश चलना जान र ndash अहवनाश वाचसपहत

अगर िश का परधानमनरी चकसी िाय बनान वाल को बनान क चलए िनोग तो इतना गड़बड़झाला तो वह करगा चक

िाय माागन पर वह बकाया राचश की जगह टाफी थमान की जरि त कर बठगा िाय क ढाब पर जो टाइम पास करन क चलए आया ह चक जब तक िश क मचखया का पि न हचथया ल तब तक िाय का धनधा करना नही छोड़गा िाय बिन क धनध का बखान तो या कर रहा ह मानो एक लमबा वाला तीर मार चलया हो जो सीधा पड़ोसी िश को पीड़ा ि रहा हो चजस राफी िाचहए उस िाय वाला टाफी थमा िता ह िाह वह िाय बना बनाकर िध म खब सारा पानी चमला कर बिना िाय धचनधयो का पसनिीिा शगल रहा हउसी क बल पर उनका चबजनस परवान िढ़ा ह वोटरो को सपन गाय या भस और उसस चमलन वाल शदध िध क चिखला रहा ह नजर उसकी वोटर पर चटकी ह वह जानता ह चक सावधानी हटत ही िघिटना घटती ह इसचलए वह पीएम पि पर स अपनी मासम चनगाह नही हटा रहा ह चजस राजनचतक िल म घसकर उसन पीएम बनन क सपन िख ह उस िल न उसक चिरो को लोकचपरयता की ऐसी िरमसीमा पर पहािा चिया चक रम का नशा भी उसक सामन फीका ह लगभग सभी अखबारो क उन पन नो पर भी उसक बड़ बड़ फोट छाप चिए ह चक वह अब हकीकत पर ठहर नही सकता लगता ह चक वह जानता ह चक चजस पीएम पि पर आन का उसन जगाड़ चकया ह वहाा पर पीएम बनन क बाि भी थोक म फोट छपन क इतन मौक नही ह चफर तो उसक चिर कही उदघाटन करत हए अध यकषता करत हए ही न यज क साथ ही अनिरनी पन नो पर बामचशकल जगह पात ह भस अभी पानी स बाहर ह और उसका रायता फलान की कोचशश नाकाम हो रही ह

उसकी अनिरनी चमलीभगत िश क बड़ बड़ पाजीपचतयो क साथ ह पीएम चिखाई वही िता ह पर इस गाइड पाजीपचत करत ह उनक हाथो म खलकर भी पीएम वही कहलाएगा जबचक मनमानी पाजीपचतयो की िल रही होगी चवकास पाजीपचतयो का और चवनाश वोटरो का िौधररयो स सब पररचित ह सरकार ऐस ही िालगी जस वह िाहग चजस परकार िाय की िकान क चलए चठए का जगाड़ लगान क बाि उस इधर उधर नही चकया जा सकता उसी परकार पीएम बनन क बाि वह तरनत अगर परसीडट बनना िाहगा तो नही बन पाएगा पीएम क पि पर जीत क साथ इस परकार क हार साथ म चमलत ह यह जीत की हार होती ह हार की जीत शीषिक बनन क चलए फलो अथवा नोटो क सगचनधत हार िाचहए चजनम स जय-चवजय पान की तरङग उठती चिखाई ि रही हो

अब तरङग तो उठ रही हो िाय बनान की और िाय बनन क बाि भी टाफी िी जा रही हो चिल को बच िा बतलाकर िाय टाफी ि िी जाए और वह राफी लन आया हो तब ऐस सपनो का भी कोई अथि नही रह जाता

इस िश म िाय बिकर पट पालन वाल ऐसी गलचतयाा करत ह और ऐसी गलचतयो पर इनसान का नही िाय का धनधा करन वालो का हक बनता ह वह िाय की िकान को या तो जस की िकान म बिलकर िार बिन का व यवसाय शर कर लत ह और अचधक िस साहसी हए तो िाय की िकान पर ही िार बिना शर कर ित ह

क या अब भी आप िाहग चक चकसी िाय बिन वाल को िश क पीएम पि की कसी सौप िी जाए जहाा तक मरा मानना ह इस िश म पीएम पि क चलए काचबल आज क लखक या व यग यकार तो ह पर िाय वाल नही जबचक व यग यकार कार पाकर खश और लखक चकताब छपन पर खश उस पर

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भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

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रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

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आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

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अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 18: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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भी पाररशरचमक चमल तो ठीक और न चमल तो तब भी कोई चगला नही पर व काल धन पर कलम नही िलात ह इसचलए सचखियाा लखक को आसानी स चमलती नही ह और चजन ह चमलती ह वह अङगरज़ी क चकस सागो होत ह अब फसला पाठको पर ह चक उनकी इच छा क या ह

अचवनाश वािस पचत

9213501292 8750321868

लघ करा परसाद - पराि शमाष

पहल की तरह इस बार भी धनराज जी न अपन बट का जनम चिवस राम मचनिर म खब धमधाम स मनाया व मचनिर क परचसडणट ह उन क नाम स लोग चखि िल आय कक काटा गया खब

ताचलयाा बजी हपी बथि ड स हाल गाज उठा उपहारो स सटज भर गयी इतन उपहार भगवान राम को नही चमलत ह चजतन उपहार बट को चमल सभी अचतचथ खब नाि - झम शायि ही कोई मधर गीत गान स पीछ रहा था आरती क बाि परसाि क रप म काज अखरोट चकशचमश और चमशरी का चमला - जला चडबबा अचतचथयो को चिया जान लगा हर चडबबा पाञि सौ गराम का था परसाि िन वाल धनराज खि ही थ

कछ अचतचथयो क बाि नगर क मखय नयायधीश उततम कमार जी की परसाि लन की बारी आयी उनह िख कर धनराज जी चखल उठ उनहोन झट मखय नयायधीश जी को िो चडबब थमा चिए

अपन हाथो म िो चडबब िख कर व हरान हो गय पछ बठ - धनराज जी औरो को तो आप परसाि का एक ही चडबबा ि रह ह मझ िो चडबब कयो हज़र आप नगर क चवशष वयचि ह धनराज जी न उनक कान म कहा मखयधीश जी उनह एक तरफ ल गय बड़ी नमरता स बोल - िचखय धनराज जी य राम का मचनिर ह उनक मचनिर म सभी अचतचथ चवशष ह

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रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

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आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 19: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

रचना विी जो फोलोवर मन भाय

वो अब एक बड़ लखक ह हालााचक अब तक तय नही कर पाय या तय करन क पिड़ म नही पड़ चक उनहोन अब तक जो चलखा ह वो ह

कया उनक शबि जस वयोम स उतर कर चकसी भी करम म जगह बनात एक रिना का आकार ल लत ह व शबिो को आचतशबाज़ी की चिङगाररयो की तरह चछटकन ित ह गदयनमा पदय या पदयनमा गदय क सााि म पानी की िाल स उतरन ित ह उनकी रिनाओ का वज़न िो गराम(अथाित िो शबि) स लकर िो टन (याचन महाकावयातमक) तक हो सकता ह पर उनक lsquoफनrsquo और lsquoिालोवरrsquo उनह अपन चिल पर लपक लत ह व आज क िौर म फसबक क साचहतयकार ह

य चसलचसला कहाा स शर हआ मझ नही पता अब तो वो फसबक तक सीचमत भी नही अपन फसबचकया अवतार म व बाहर भी पहिान जात ह बाहर वाल अकसर अनिर झााक कर य जायज़ा लत ह चक कौन चकतन पानी म तर रहा ह ज़ाचहर ह वो अब समनिर की हचसयत रखत ह उनक पााि हज़ार स जजयािा िाहन वाल न कवल एक-एक लफ़ज़ lsquoवाह-वाrsquo का घन-नाि करत ह बचलक उनकी एक आह पर िीतकार भी कर उठत ह इस अनोखी िचनया क बाहर िम-तोड़ती लघ-मझोली पचरकाएा अपनी हचसयत पर शचमिनिा होती हई उनह अपनी पचरकाओ को पचवर करन का नयोता भजती रहती ह फसबक क इतर भी व चवचभनन बलॉग क गचलयारो म टहलत पाय जात ह

परयोगधमी तो खर व ह ही अब तो साचहचतयक वािो स भी बहत आग चनकाल आए ह चकसी वाि म शाचमल करन की चजि हो ही तो उनह lsquoखललमखलला-वािrsquo lsquoचनबािध-वािrsquo या सबस सटीक lsquoिालोवर-वािrsquo का परणता कहा जाना िाचहए ऐसा कहन क पीछ इतना सा तकि ह चक

उनक एक-एक शबि क पीछ उनह lsquoफॉलोrsquo करत पाठक होत ह जो न चसफि उनह जजब कर लत ह बचलक तरनत उनका असर भी बतात ह कई बार वो या ही पाठको का मड जानन क चलए िार की तरह कछ शबि तरा ित ह और उसम फा सी परचतचकरया की मछचलयो को टटोल कर अगली रिना की रचसपी तय कर लत ह

एक चिन उनहोन फसबक की िीवार प चलखा ldquoऊा ऊा rdquoacuteिो सौ लोगो न ततकषण इस पसनि चकया कछ कषण और परतीकषा क बाि एक परचतचकरया आई ndash lsquoउफ़ि अकलपन की उिासी का चकतना माचमिक बयानrdquo उनह पररणा चमल गई िो िार सौ शबिो कछ चवरामो- अधिचवरामो और िनि ररि सथानो की मिि स उनहोन अमति-चिराङकन जसा एक महान शाहकार रि डाला बताना जररी नही चक पाठको न चकस तरह उस सराहा

जसा चक पहल स सपि ह चक व शली वाि कथय सरोकार आचि क बनधनो स पर ह सीध हिय स चलखत ह य हिय जो ह उसस हजारो तार चनकल कर पाठको क हियो म घस हय ह फसबक तनर का जाल रोज़-ब-रोज़ उनक परशनसको की तािाि म इजािा करता जा रहा ह इन परशनसको को उन पर इस हि तक भरोसा ह चक व अपनी िीवार पर िो lsquoडॉटrsquo भी भज ि तो उनकी अथिवतता चसदध करन की होड़ लग जाती ह

इस मकाम को हाचसल करन क चलए शर म उनहोन एक ही रिनातमक काम चकया था चक फसबक पर अपनी तसवीर की जगह एक सनिर कनया का िहरा डाला और आग समय-समय पर उसी कनया की चवचभनन मराओ को अपनी साचहतयतर गचतचवचधयो क रप म पाठको क आग रखत गए कमलश पाणडय 9868380502

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

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आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 20: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

कहवता नज़म गोपाल परसाद नपाली

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

इतनी ऊा िी इसकी िोटी चक सकल धरती का ताज यही पवित-पहाड़ स भरी धरा पर कवल पवितराज यही

अमबर म चसर पाताल िरण

मन इसका गङगा का बिपन

तन वरण-वरण मख चनरावरण

इसकी छाया म जो भी ह वह मस तक नही झकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

अरणोिय की पहली लाली इसको ही िम चनखर जाती

चफर सनधया की अचनतम लाली इस पर ही झम चबखर जाती इन चशखरो की माया ऐसी जस परभात सनधया वसी

अमरो को चफर चिनता कसी

इस धरती का हर लाल ख़शी स उिय-अस त अपनाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

हर सनधया को इसकी छाया सागर-सी लमबी होती ह

हर सबह वही चफर गङगा की िािर-सी लमबी होती ह

इसकी छाया म रा ग गहरा ह िश हरा व परिश हरा

हर मौसम ह सनिश भरा इसका पितल छन वाला विो की गाथा गाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

जसा यह अटल अचडग अचविल वस ही ह भारतवासी ह अमर चहमालय धरती पर तो भारतवासी अचवनाशी

कोई क या हमको ललकार

हम कभी न चहनसा स हार

िख िकर हमको क या मार

गङगा का जल जो भी पी ल वह िख म भी मसकाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

टकरात ह इसस बािल तो ख़ि पानी हो जात ह तिान िल आत ह तो ठोकर खाकर सो जात ह

जब-जब जनता को चवपिा िी तब-तब चनकल लाखो गााधी

तलवारो-सी टटी आाधी र इसकी छाया म तिान चिराग़ो स शरमाता ह

चगररराज चहमालय स भारत का कछ ऐसा ही नाता ह

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

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आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 21: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

गोपाल परसाद वयास

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम उबाल का नाम नही वह ख़न कहो चकस मतलब का आ सक िश क काम नही

वह ख़न कहो चकस मतलब का चजसम जीवन न रवानी ह

जो परवश होकर बहता ह वह ख़न नही ह पानी ह

उस चिन लोगो न सही-सही ख़ा की क़ीमत पहिानी थी चजस चिन सभाष न बमाि म मागी उनस क़बािनी थी बोल सवतनरता की ख़ाचतर बचलिान तमह करना होगा तम बहत जी िक हो जग म लचकन आग मरना होगा आज़ािी क िरणो म जो जयमाल िढ़ाई जाएगी वह सनो तमहार शीषो क फलो स गाथी जाएगी आज़ािी का सगराम कही पस पर खला जाता ह

यह शीश कटान का सौिा नग सर झला जाता ह

आज़ािी का इचतहास नही काली सयाही चलख पाती ह

इसको चलखन क चलए ख़न ndash की निी बहाई जाती ह या कहत-कहत विा की आाखो म ख़न उतर आया मख रिवणि हो गया िमक- उठी उनकी सवचणिम काया आजान बााह ऊा िी करक व बोल रि मझ िना उसक बिल म भारत की आज़ािी तम मझस लना हो गई सभा म उथल-पथल सीन म चिल न समात थ

सवर इक़लाब क नारो क कोसो तक छाए जात थ

lsquoहम िग-िग ख़नrsquo- शबि ndash बस यही सनाई ित थ

रण म जान को यवक खड़ तयार चिखाई ित थ

बोल सभाष- इस तरह नही बातो स मतलब सरता ह

लो यह काग़ज़ ह कौन यहाा आकर हसताकषर करता ह

इसको भरन वाल जन को सविसव समपिण करना ह

अपना तन-मन-धन-जन-जीवन माता को अपिण करना ह

पर यह साधारण पर नही आज़ािी का परवाना ह

इस पर तमको अपन तन का कछ उजजजजवल रि चगराना ह

वह आग आए चजसक तन म ख़न भारतीय बहता हो वह आग आए जो अपन को चहनिसतानी कहता हो वह आग आए जो इस पर ख़नी हसताकषर िता हो म क़िन बढ़ाता ह ा आए जो इसको हासकर लता हो सारी जनता हकार उठी- lsquoहम आत ह हम आत हrsquo माता क िरणो म यह लो हम अपना रि िढ़ात ह साहस स बढ़ यवक उस चिन िखा बढ़त ही आत थ

और िाक छरी कटारो स व अपना रि चगरात थ

चफर उसी रि की सयाही म व अपनी क़लम डबोत थ

आज़ािी क परवान पर हसताकषर करत जात थ

उस चिन तारो न िखा था चहनिसतानी चवशवास नया जब चलखा था रणवीरो न खा स अपना इचतहास नया

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

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आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 22: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

तारदतत हनहवषरोध

उसन सन-जङगलाती कषर म एक पौधा रोपा और हवाओ स कहा इस पनपन िना जब चवशवास का मौसम आएगा यह चववक क साथ चवकचसत होकर अपन पाावो पर खडा होगा एक चिन यह जरर बडा होगा

चफर उसन मानसन की गीली आाखो म चहलती हई जडो फरफरात पततो और लिी लरजती शाखो क फलो को चिखा कर कहा मौसम िाह चकतन ही रप बिल यह वकष नही चगरना िाचहए और यह भी नही चक कोई इस समल काट ि सबधो की गध क नाम पर बााट ि तमह वकष को खडा ही रखना ह परचतकल हवाओ म भी बडा ही रखना ह एक अनतराल क बाि वकष परम पाकर चजया और उसन बाि की पीढयो को भी पनपन चिया वकष और भी लगाए गए वकषारोपण क चलए सभी क मन जगाए गए चफर एक चिन ऐसा आया वकष की शाखो को काट ल गए लोग पततो स जड गए अभाव-अचभयोग एक बढा वकष चगर-चखर गया यगो-यगो का सपना आाखो म पला चतरा और पार की तरह चबखर गया

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आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

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अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

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आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 23: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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आलम खशीद

कचवता (१) बिलता हआ मञज़र

मर सामन

झील की गहरी खमोशी फली हई ह

बहत िर तक नील पानी म कोई भी हलिल नही ह

हवा जान चकस िशत म खो गई ह

हर शजर सर झकाए हए िप खड़ा ह

पररिा चकसी शाख-गल पर

न नग़मासरा ह

न पतत चकसी शाख पर झमत ह हर इक समत खामोचशयो का अजब सा समाा ह

मर शहर म ऐसा मज़र कहाा ह

िला ऐस ख़ामोश मज़र की तसवीर ही कनवस पर उभारा अभी तो िक़त ज़हन म एक खाका बना था चक मज़र अिानक बिल सा गया ह

चकसी पड़ की शाख स

कोई फल टट कर झील म चगर पड़ा ह

बहत िर तक

पाचनओ म अजब खलबली सी मिी ह

हर इक मौज चबफरी हई ह

कचवता (२) नया खल

चपकी बबल डबल राज आओ खल खल नया

चपकी तम मममी बन जाओ इधर ज़मी पर चित पड़ जाओ अपन कपड़ो अपन बालो को चबखरा लो आाख बि तो कर ल पगली

डबल तम पापा बन जाओ रग लगा लो गििन पर इस टील स चटक कर बठो अपना सर पीछ लटका लो लचकन आाख खोल क रखना

बबली तम गचड़या बन जाओ अपन हाथ म गडडा पकड़ो इस पतथर पर आकर बठो अपन पट म काग़ज़ का य खजर घोपो

राज आओ हम तम चमल कर गडढा खोि मममी पापा गचड़या तीनो कई रात क जाग ह इस गडढ म सो जाएाग

भागो भागो जान बिाओ आग उगलन वाली गाड़ी चफर आती ह इस झाड़ी म हम छप जाएा जान बिी तो कल खलग

बाक़ी खल

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

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अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

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आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 24: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

कचवता (३) नया ख़वाब

म यकी स कह नही सकता य कोई ख़वाब ह या वाचकआ

जो अकसर िखता ह ा म

म अकसर िखता ह ा अपन कमर म ह ा म चबखरा हआ

इक तरि कोन म िोनो हाथ ह फ क हए

िसर कोन म टाग ह पड़ी बीि कमर म चगरा ह धड़ चमरा इक चतपाई पर

सलीक स सजा ह सर चमरा मरी आाख झाकती ह मज़ क शो कस स

य मज़र िखना मरा मक़ददर बन िका ह

मगर अब इन मनाचज़र स

मझ िहशत ही होती ह

न वहशत का कोई आलम

चमर चिल पर गज़रता ह

बड़ आराम स

यकजा चकया करता ह ा म अपन चजसम क टकड़

सलीक स इनह ततीब ि कर

कचमकल स जोड़ िता ह ा

न जान कय मगर

ततीब म इक िक होती ह हमशा मरी आाख जड़ी होती ह मरी पीठ पर

आलम खशीि

9835871919

मकश कमार हसनिा

िढ़ता उतरता पयार

वो चमली िढ़ती सीचढयो पर

चमल ही गयी पहल थोड़ी नाखन भर

चफर

परी की परी मन-भर

और चफर

पयार की सीचढयो पर

िढ़ती िल गयी

वो चफर

चमली उनही सीचढयो पर मगर इस बार

नीि की ओर जाती सीचढ़यो पर

आाख नम थी नीि िरवाज तक

एक-िसर स आाख टकराई

चफर िररयाा चसफि िररयाा

- मकश कमार चसनहा

9971379996

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

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अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

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आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 25: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

अबिा जान

अजीब मज़र ए चिलकश ह मलक क अिर

उछल रह ह हर इक शाख पर कई बनिर

ह शहर शहर िनावो की आज सरगमी बलचियो प ह नताओ की भी बशमी

हया का नाम नही ह खबीस िहरो पर

चिपक रही ह चगलाज़त ग़लीस िहरो पर

गली गली म नज़र आ रह ह आवारा य पााि सालो म हाचज़र हए ह िोबारा

भर हए ह य वािो क फल झोली म चमठास घोल क लाय ह अपनी बोली म

खड़ हए ह चभखारी य हाथ जोड़ हए

ह अपना िामन ए गरत भी य चनिोड़ हए

चकसी क हाथ म झाड़ कोई कमल क साथ

चकसी का हाथी तो कोई ह साइकल क साथ

चहला रहा ह कोई ज़ोर ज़ोर स पखा चिखा रहा ह कोई नता हाथ का पजा

ह कोई राजकवर और कोई ह शहजािा चकसी का िाय का होटल चकसी का ह ढाबा

कोई ह सखि कोई सबज़ और कोई नीला कोई सिि कोई कसरी कोई पीला

तरह तरह क ह झड सभी उठाय हए

सििपोश िररि ह भनभनाय हए

डरा रह ह य इक िसर स वोटर को लभा रह ह य पस रपए स वोटर को

चकसी क हाथ म चहितव का ह एजडा चकसी न थाम चलया चफर स धाचमिक झडा

चकसी न काली खिानो का कोयला खाया मवचशयो का चकसी न िबा चलया िारा

नही ह इनको ग़रज़ चहि क मसायल स

य ख़ाक धोयग हालात को चफनायल स

-------------------------------------------- हमार हलक म आय बड़ बड़ नता उनही क बीि खड़ थ य कानपर क हमा

लहक लहक क य खड़का रह थ भाषन को बला का कोस रह थ परान शासन को

िलाना ऐसा िलाा वसा और िलाा वसा नही ह कोई भी नता कही चमर जसा

अब आप लोग मझ िन क िख लो इक बार

तमाम उमर न भलागा आपका उपकार

बस एक बार चजता िो मझ इलकशन म न आन िागा मसीबत म कोई जीवन म

पलक झपकत ही बसती सवार िागा म खराब नाचलयाा सड़क सधार िागा म

खला रहगा सभी क चलए चमरा िरबार

जहाा प होगा खल मन स आपका सतकार

फक़त अवाम की खाचतर चजय मरगा म जो आप लोगो न िाहा वही करा गा म ---------------------------------------

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 26: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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अभी उरज प भाषन ज़रा सा आया था सभा क बीि स इक बडढा बडबडाया था

सवाल करता ह ा नताजी कछ जवाब तो िो गचज़शता पााि बरस का ज़रा चहसाब तो िो

चघसट रह ह सभी सबह ओ शाम गडढो म सड़क को ढढ रह ह अवाम गडढो म

झलक चिखाती ह हतरत म एक चिन चबजली कभी गज़ारा ह इक चिन भी तमन चबन चबजली

नलो क खशक गल कस तर करोग तम

बगर पानी क कस गज़र करोग तम

य औरतो की चहफाज़त भी कर सकोग कया गरीब भखो का तम पट भर सकोग कया

हमार बचिो को कया रोज़गार ि िोग

तम अपन चहसस की हमको पगार ि िोग

नज़ारा िख क कछ सटपटा गए थ हमा इस एहचतजाज स सकत म आ गए थ हमा

पकड़ क हाथ वो इक समत ल गए इसको चिए हज़ार रपए और कहा चक अब चखसको

क़सम ह तमको ज़रा मझ को जीत जान िो मज़ तमह भी कराउगा वि आन िो

परी को बगल म लकर िमन म लटग

िनाव जीत कर ससि भवन म लटग

बहत मज़ स कटग य पााि साल चमयाा करा गा तमको भी इक रोज मालामाल चमयाा

कहा बज़गि न मझको य घास मत डालो चमर बिन प य मला चलबास मत डालो

ज़मीर अपना चकसी हाल म न बिगा तमह चजताएगा कौन आज म भी िखगा

रख उममीि कया िहा चकसी भी चबलली स

य पज मारा करगी सभी को चिलली स

िनाव जीत कर तम काम कछ न आओग

हम य शकल तम अपनी न चफर चिखाओग

करोग िखना पहिानन स भी इकार

चमलगी वोट क बिल म लात और ितकार

ज़लील ओ खवार समझ कर भगाए जायग

तमहार हाथो य मफचलस सताए जायग

इज़ाला कर न सकोग कभी मसीबत का तम अपन पाव स किलोग सर अखववत का

करोग मलक की असमत का बार हा सौिा पिास बरसो स ित रह हो तम धोखा

चकसी चगरोह चकसी पाटी क पटठ हो चक तम भी इक ही थली क िटट बटट हो

तम अपनी तान पर हमको निाना िाहत हो हर एक हाल म इजजज़त बिाना िाहत हो

बर बरो म भल को िना नही जाता य खवाब हम स तो अबबा बना नही जाता

नज़र म चजतन ह नता सभी तो ह बकार

बताओ कौन िलाएगा मलक की सरकार

अबबा जान

420 840 1680

शर म [] माकि लगाना न भल

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गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

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आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 27: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत चतवदी

सार चसकिर घर लौटन स पहल ही मर जात ह िचनया का एक चहससा हमशा अनजीता छट जाता ह

िाह चकतन भी होश म हो मन का एक चहससा अनचितता रहता ह

चकतना भी परम कर ल एक शका उसक समातर िलती रहती ह

जात हए का ररटनि-चटकट िख लन क बाि भी मन म ह क मिती ह कम स कम एक बार तो ज़रर ही चक जान क बाि लौट क आन का पल आएगा भी या नही

मन रनो स कभी नही पछा चक तम अपन सार मसाच फरो को जानती हो कया पड़ो स यह नही जाना चक व सारी पचततयो को उनक िस टि-नम स पकारत ह कया म जीवन म आए हर एक को जञानना िाहता था म हवा म पचछयो क परचिहन खोजता अपन पिचिहनो को अपन स आग िलता िखता

तमम डबागा तो पानी स गीला होऊगा ना डबगा तो बाररश स गीला होऊा गा तम एक गील बहान स अचधक कछ नही म आसमान चजतना परम करता था तमस तम िटकी-भर

तमहारी िटकी म परा आसमान समा जाता

िचनया िो थी तमहार वकषो जसी िचनया तीन भी थी तमहारीआखो जसी िचनया अनचगनत थी तमहार ख़यालो जसी म अकला था तमहार आास क सवाि जसा म अकला था तमहार माथ पर चतल जसा म अकला ही था िचनया भल अनचगनत थी चजसम चजया म हर वह िीज़ निी थी मर चलए चजसम तमहार होन का नाि था चफर भी सवपन की घोड़ी मझस कभी सधी नही तम जो सख िती हो उनस चजिा रहता ह ा तम जो िख िती हो उनस कचवता करता ह ा

इतना चजया जीवन कचवता चकतनी कमकर पाया

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 28: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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हजतनर जौिर

ऐ रात की सयाही आ चक तझ अपनी लखनी की रौशनाई बनाकर

उकर िा कछ शबि-चिर

महबबत क कनवस पर

आ चक परम की िाािनी रात

वधवय का शवतामबर ओढ़कर

सयाह सिशिन जीवन का शरगार करना िाहती ह

आ चक हठधमी पीड़ा घटन मोड़कर बठ गयी ह

एक अचलचखत परमपर की इबारत बनन को

आ चक शबि का बज बाबरा हआ जाता ह- अपनी महबबत क

चनमिम हशर स उपज आासओ की सौग़ात पर

आ चक इस बरहम मौसम क कहर स

अनभचतयाा कराह उठी ह

आ चक धाधाआकर

सलगता अनतमिन

अिमय चवकलता को शबि-बरहम की शरण िन को आतर ह

चक परम-िवी की आराधना म थक

आरती क आति सवर

काग़ज़ पर उतरकर

कछ पल को चवशराम करना िाहत ह

आ ऐ रात की सयाही आ तरल होकर चक तझ अमरतव का िान िना ह

असहय विना को अमरता का वरिान िना ह

- चजतनर जौहर मोबाइल +91 9450320472

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

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िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

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आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 29: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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नवीन सी चतवदी

धमियग

नही आता था हमार घर म परचतबचनधत भी नही था

बस

नही आता था

अब य बात िीगर ह चक

धमियग की एक परचत की क़ीमत चजतनी थी उतन पसो की किौड़ी-जलबी तो

हर रोज़ ही खा जाता था हमारा पररवार

बस धमियग नही आता था हम जस बहतो क घरो म

अलबतता िोरी चछप

चफलमी कचलयाा और सतय-कथाएा ज़रर आ जाती थी

कभी-कभी उपनयास भी मगर धमियग नही आता था

उस पढ़त थ हम

चकसी िकानिार क तख़त पर बठ कर

या चकसी पररचित क घर स

चनकलन वाली रददी म स उठाकर

धल झाड़त हय

आज भी हम

जब भी जी िाह

100-200-500 रपय क चपजजजा खा लत ह 100-200-500-1000 रपय की

चपकिर िख आत ह 2-5-10-20 हज़ार वाली

चपकचनकस पर भी जात रहत ह मौक़ा चमलन पर

FTV ndash MTV वग़रह भी िख ही लत ह सतय-कथाएा

सावधान इचणडया जस सीररयलस बन कर

धड़लल स आन लगी ह हमार बठकाओ म

चफलमी कचलयाा तो न जान चकतन सार सीररयलस म मौजि ह

चजनह िखत ह घर पररवार क सब क सब

हाा सब क सब

उसी तरह

माा-बट एक सग नज़ार िख रह

हर घर की बठक म एक जलसा-घर ह

मगर धमियग आज भी नही आता हमार घरो म

कारण

आय भी कस बनि जो हो गया ह

और अगर बनि न भी हआ होता - तो भी हम उन म स थोड़ ही ह जो साचहतय की क़र कर

उस क चलए हर महीन एक बजट रख

हम भल और हमारी पञिायत भली आओ अब इस कचवता का चतया-पाािा कर

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

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आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 30: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

िाइक सशीला शयोराि

जठ की गमी गौरया तक मह

रत नहाय

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 31: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

छनद गोहवनद कहव [आप बरजभाषा क मधिनय कचव थ] अागरीन लो पोर झक उझक मन खञजन मीन क जाल पर

चिन औचध क कस चगनो सजनी अागरीन की पोरन छाल पर

कचव गोचवनि का कचहय चकचह सो हम परीत कर क कसाल पर

चजन लालन िााह करी इतनी उन िखन क अब लाल पर

औचध - अवचध नवीन सी चतवदी हवा चिरचिराव ह बयोम आग बरसाव जल ह जराव - जान - इन सा बिाय ि

कवड़ा गलाब और िनिन की लाग ि क चखरकी झरोखन म खस लगवाय ि

आगर कौ पठौ लाय लहोर टकड़ा कराय

बफि सङग ताचह कोर कलला म धराय ि

एक उपकार और कर ि हो पराण-पयार अपनी बगल नङक पर सरकाय ि

कमार गौरव अजीतनद

3 छपपय छनि मीठ-मीठ बोल सभी क मन को भात कड़वी सचिी बात लोग सनकर चिढ़ जात अपनी गलती भल सभी पर िोष लगाना ह िचनया की रीत िि को साध बताना

अब चजसको अपना जाचनए िल िता माह फर क धनवालो क होन लग नाटक सौ-सौ सर क

आहत खाकर बाण मतय शयया पर लट पछ रहा ह िश कहाा ह मर बट बिा रह ह पराण कही छप क वारो स

या वो नीि कपत चमल गय गददारो स

मझको ित उपहार य मर चनशछल पयार का कया बचढ़या कजि िका रह माटी क उपकार का

चकतन-चकतन खवाब अभी स मन म पाल रह गलाटी मार सकयलर टोपीवाल अपन मन स रोज बिलत पररभाषाएा कल तक कहत िोर आज खि गल लगाएा

लचकन बिार कया कर आित स लािार ह वो बरसाती मढक सभी मतलब क ही यार ह

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 32: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

अनसर क़मिरी

मन स जो भी भट ि उसको करो कबल | कााटा चमल बबल का या गलर का फल ||

सागर स रखती नही सीपी कोई आस | एक सवाचत की बाि स बझ जाती ह पयास ||

चगरा हआ आकाश स समभव ह उठ जाय | नजरो स चगर जाय जो उसको कौन उठाय ||

सरज बोला िााि स कभी चकया ह ग़ौर | तरा जलना और ह मरा जलना और ||

पयास क जब आ गयी अधरो पर मसकान | पानी-पानी हो गया सारा रचगसतान ||

रातो को चिन कह रहा चिन को कहता रात | चजतना ऊा िा आिमी उतनी नीिी बात ||

जब तक अचछा भागय ह ढक हय ह पाप | भि खला - हो जायग पल म नङग आप ||

बहिा छोटी वसत भी सणकट का हल होय | डबन हार क चलय चतनका समबल होय ||

ढाई आखर छोड़ जब पढ़त रह चकताब | मन म उठ सवाल का कस चमल जवाब ||

तमह मबारक हो महल तमह मबारक ताज | हम िक़ीर ह lsquoक़मबरीrsquo कर चिलो पर राज ||

- अनसर क़मबरी 9450938629

धमनर कमार सजजन

जहाा न सोिा था कभी वही चिया चिल खोय

जजयो मचिर क दवार स जता िोरी होय

चसकक या मत फ चकए परभ पर ह जजमान

सौ का नोट िढ़ाइए तब होगा कलयान

फल गड़ मवा िध घी गए गटक भगवान

फौरन पतथर हो गए माागा जब वरिान

ताजी रोटी सी लगी हलवाह को नार

मकखन जसी छोकरी बोला राजकमार

सचवधान चशव सा हआ ि िकर वरिान

राह मोचहनी की तक हम चकसस सि मान

जो समाज को शराप ह गोरी को वरिान

जजयािा अग गरीब ह थोड़ स धनवान

बटा बोला बाप स फजि करो चनज पणि सब धन मर नाम कर खाओ कायम िणि

ठढा चबलकल वयथि ह जस ठढा सप

जबाा जल उबला चपए ऐसा तरा रप

- धमनर कमार सजजजन

9418004272

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

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आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 33: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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गीत नवगीत पहटडणत नरनर शमाष

जजयोचत कलश छलक हए गलाबी लाल सनहर

रा ग िल बािल क

जजयोचत कलश छलक

घर आागन वन उपवन-उपवन

करती जजयोचत अमत क चसञिन

मङगल घट ढल क जजयोचत कलश छलक

पात-पात चबरवा हररयाला

धरती का मख हआ उजाला सि सपन कल क

जजयोचत कलश छलक

ऊषा न आािल फलाया

फली सख की शीतल छाया नीि आािल क

जजयोचत कलश छलक

जजयोचत यशोिा धरती मयया

नील गगन गोपाल कनहयया शयामल छचव झलक जजयोचत कलश छलक

अमबर कमकम कण बरसाय

फल पाखचड़यो पर मसकाय

चबनि तचहन जल क जजयोचत कलश छलक

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 34: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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चवसतार ह अपार परजा िोनो पार कर हाहाकार चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई

चनलिजजज भाव स बहती हो कया

इचतहास की पकार कर हङकार

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामी बनाती नही ा हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

नचतकता नि हई मानवता भरि हई चनललिजजज भाव स बहती हो कया

अनपढ जन अकषरहीन अनचगन जन

अजञ चवचहन नर चवचहन चिक` मौन हो कया

वयचि रह वयचि कचनरत सकल समाज वयचितव रचहत चनषटपराण समाज को तोड़ती नही

हो कया

ओ गङगा की धार चनबिल जन को सबल सङगरामी

गमगरोगरामीबनाती नही हो कया

चवसतार ह अपार परजा िोनो पारकर हाहाकार

चनशबि सिा ओ गङगा तम बहती हो कया

जय जयचत भारत भारती

अकलङक शवत सरोज पर वह

जजयोचत िह चवराजती

नभ नील वीणा सवरमयी रचविनर िो जजयोचतकि लश

ह गाज गङगा जञान की अनगाज म शाशवत सयश

हर बार हर झङकार म आलोक नतय चनखारती जय जयचत भारत भारती

हो िश की भ उविरा

हर शबि जजयोचतकि ण बन

वरिान िो माा भारती जो अचगन भी िनिन बन

शत नयन िीपक बाल

भारत भचम करती आरती जय जयचत भारत भारती

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

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आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 35: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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शदध सचलल सा मरा जीवन

िगध फन-सा था अमलय मन

तषटणा का सनसार नही था उर रहसय का भार नही था

सनह-सखा था ननिन कानन

था करीडासथल मरा पावन भोलापन भषण आनन का

इनि वही जीवन-पराङगण का हाय कहाा वह लीन हो गया

चवध मरा छचवमान

हर चलया कयो शशव नािान

चनझिर-सा सवछनि चवहग-सा शभर शरि क सवचछ चिवस-सा अधरो पर सवचपनल-सचसमत-सा चहम पर करीचड़त सवणि-रचशम-सा

मरा शशव मधर बालपन बािल-सा मि-मन कोमल-तन हा अपरापय-धन सवगि-सवणि-कन

कौन ल गया नल-पट खग बन

कहाा अलचकषत लोक बसाया

चकस नभ म अनजान हर चलया कयो शशव नािान

जग म जब अचसततव नही था जीवन जब था मलयाचनल-सा

अचत लघ पषटप वाय पर पर-सा सवाथि-रचहत क अरमानो-सा चिनता-दवष-रचहत-वन-पश-सा जञान-शनय करीड़ामय मन था

सवचगिक सवचपनल जीवन-करीड़ा छीन ल गया ि उर-पीड़ा

कपटी कनक-काम-मग बन कर

चकस मग हा अनजान

हर चलया कयो शशव नािान

भर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

जहाा चिन भर महआ पर झल

रात को ि पड़त ह फल बाास क झरमट म िपिाप जहाा सोय नचियो क कल

हर जङगल क बीिो-बीि न कोई आया गया जहाा िलो हम िोनो िल वहाा

चवहग-मग का ही जहाा चनवास जहाा अपन धरती आकाश

परकचत का हो हर कोई िास न हो पर इसका कछ आभास

खर जङगल क क बीिो बीि

न कोई आया गया जहाा

िलो हम िोनो िल वहाा

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आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 36: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स िो परम योगी अब चवयोगी ही रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

सतय हो यचि कलप की भी कलपना कर धीर बाधा चकनत कस वयथि की आशा चलय यह योग साधा

जानता ह ा अब न हम तम चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आयगा मधमास चफर भी आयगी शयामल घटा चघर

आाख भर कर िख लो अब म न आऊा गा कभी चफर

पराण तन स चबछड़ कर कस रहङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

अब न रोना वयथि होगा हर घड़ी आास बहाना आज स अपन चवयोगी हिय को हासना-चसखाना

अब न हासन क चलय हम तम चमलङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज स हम तम चगनङग एक ही नभ क चसतार

िर होङग पर सिा को जजयो निी क िो चकनार

चसनधतट पर भी न िो जो चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

तट निी क भगन उर क िो चवभागो क सदश ह िीर चजनको चवशव की गचत बह रही ह व चववश ह

आज अथ-इचत पर न पथ म चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

यचि मझ उस पार का भी चमलन का चवशवास होता सि कह ागा म नही असहाय या चनरपाय होता

चकनत कया अब सवपन म भी चमल सकङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आज तक चकसका हआ सि सवपन चजसन सवपन िखा

कलपना क मिल कर स चमटी चकसकी भागयरखा

अब कहाा समभव चक हम चफर चमल सकङग आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

आह अचनतम रात वह बठी रही तम पास मर शीश कााध पर धर घन कनतलो स गात घर कषीण सवर म था कहा अब कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

कब चमलङग पछता म चवशव स जब चवरह कातर

कब चमलङग गाजत परचतधवचन-चननाचित वयोम सागर

कब चमलङग - परशन उततर - कब चमलङग

आज क चबछड़ न जान कब चमलङग

मध क चिन मर गए बीत

म ान भी मध क गीत रि मर मन की मधशाला म ा

यचि हो ा मर कछ गीत बि तो उन गीतो ा क कारण ही

कछ और चनभा ल परीत-रीत मध क चिन मर गए बीत

मध कहाा यहाा गङगा-जल ह

परभ क िरणो ा म रखन को जीवन का पका हआ फल ह मन हार िका मधसिन को म ा भल िका मध-भर गीत मध क चिन मर गए बीत

वह गपिप परम-भरी ा बात ा

यह मरझाया मन भल िका वन-कञजो ा की गचञजत रात ा मध-कलषो ा क छलकान की हो गई मधर-बला वयतीत मध क चिन मर गए बीत

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 37: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

ग़ज़ल नौशाद अली

न मचनिर म सनम होत न मचसजि म ख़िा होता

हमी स य तमाशा ह न हम होत तो कया होता

न ऐसी मचञज़ल होती न ऐसा रासता होता

साभल कर हम ज़रा िलत तो आलम ज़र-ए-पा होता

आलम - िचनया ज़र-ए-पा - क़िमो क नीि

घटा छाती बहार आती तमहारा तचजकरा होता

चफर उस क बाि गल चखलत चक ज़ख़मचिल हरा होता

तचजकरा - याि

ज़मान को तो बस मशक़चसतम स लति लना ह

चनशान पर न हम होत तो कोई िसरा होता

मशक़चसतम - चसतम का अभयास

[चकसी पर चसतम ढा कर मज़ लना या चकसी पर चसतम होता

िख कर मज़ लना]

चतर शानकरम की लाज रख ली ग़म क मारो न

न होता ग़म जो इस िचनया म हर बनिा ख़िा होता

मसीबत बन गय ह अब तो य साासो क िो चतनक

जला था जब तो परा आचशयाना जल गया होता

हम तो डबना ही था य हसरत रह गयी चिल म

चकनार आप होत और सिीना डबता होता

अर ओ जीत-जी िििहाई िन वाल सन

तझ हम सबर कर लत अगर मर क जिा होता

बला कर तम न महचिल म हम ग़रो स उठवाया

हमी ख़ि उठ गय होत इशारा कर चिया होता

तर अहबाब तझ स चमल क चफर मायस लौट आय

तझ नौशाि कसी िप लगी कछ तो कहा होता

रऊफ़ रज़ा

उस का ख़याल आत ही मञज़र बिल गया मतला सना रहा था चक मक़ता चफसल गया

मञज़र - दशय

बाजी लगी हयी थी उरजो-ज़वाल की म आसमाा-चमज़ाज ज़मी पर मिल गया

उरजो-ज़वाल = िढ़ाव-उतार

िारो तरि उिास सििी चबखर गयी वो आिमी तो शहर का मञज़र बिल गया

तम न जमाचलयात बहत िर स पढ़ी पतथर स चिल लगान का मौक़ा चनकल गया

जमाचलयात - सौियि समबचनधत

सारा चमज़ाज नर था सारा ख़याल नर

और इस क बावजि शरार उगल गया

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चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

-----

વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

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साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

चनद अशआर ndash फ़रित एिसास

म जब कभी उस स पछता ह ा चक यार मरहम कहाा ह मरा तो वक़त कहता ह मसकरा कर - जनाब तयार हो रहा ह

िरार हो गयी होती कभी की रह मरी बस एक चजसम का एहसान रोक लता ह

सन ली मरी ख़ामोशी शहर शचकरया तरा अपन शोर म वरना कौन चकस की सनता ह

कहानी ख़तम हई तब मझ ख़याल आया तर चसवा भी तो चकरिार थ कहानी म

बस एक य चजसम ि क रख़सत चकया था उस न

और य कहा था चक बाकी असबाब आ रहा ह

चजस क पास आता ह ा उस को जाना होता ह

बाकी म होता ह ा और ज़माना होता ह

इशक़ म पहला बोसा होता ह आगाज़हयात

िसर बोस क पहल मर जाना होता ह

फल सा चफर महक रहा ह ा म चफर हथली म वो कलाई ह

उस का वािा ह चक हम कल तमस चमलन आयग

चज़निगी म आज इतना ह चक कल होता नही

म शहर म चकस शख़स को जीन की िआ िा जीना भी तो सब क चलय अचछा नही होता

म न िाह ा तो न चखल पाय कही एक भी फल

बाग़ तरा ह मगर बाि-ए-सबा मरी ह

ब-ख़बर हाल स ह ा ख़ौि ह आइनिा का और आाख ह मरी गजर हय कल की तरि

उधर मरहम लगा कर आ रहा ह ा इधर मरहम लगान जा रहा ह ा

तफ़ल चतवदी

तज ि ज़मीन पङख हटा बािबान छोड़

गर त बग़ावती ह ज़मी-आसमान छोड़

य कया चक पााव-पााव सिर मोचतयो क समत

चहममत क साथ चबफर समनिर म जान छोड़

ख़शब क चसलचसल ि या आहट की राह बख़श

त िाहता ह तझस चमल तो चनशान छोड़

बझत ही पयास तझको भला िग अहल-िशत

थोड़ी-सी तशनगी का सिर िरचमयान छोड़

अहल-िशत ndash जङगल क लोग

म िाहता ह ा अपना सिर अपनी खोज-बीन

इस बार मर सर प खला आसमान छोड़

कयो रोकता ह मझको इशारो स बार-बार

सि सनना िाहता ह तो मरी ज़बान छोड़

मझको पता िल तो यहाा कौन ह मरा आ सामन तो मरी तरफ खल क बान छोड़

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

-----

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

-----

વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

Page 39: साहित्यम् - वर्ष 1 अङ्क 4

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मयङक अवसरी

चसतारा एक भी बाकी बिा कया चनगोड़ी धप खा जाती ह कया-कया

िलक कङगाल ह अब पछ लीज

सहर न माह चिखाई म चलया कया

िलक ndash आसमान सहर ndash सबह

सब इक बहर-िना क बलबल ह चकसी की इचबतिा कया इचनतहा कया

बहर-िना ndash नशवर समर इचबतिा ndash आरमभ इचनतहा ndash अनत

जज़ीर सर उठा कर हास रह ह ज़रा सोिो समनिर कर सका कया

जज़ीरा ndash टाप

चख़रि इक नर म ज़म हो रही ह

झरोखा आगही का खल गया कया

चख़रि ndash बचदध नर ndash उजाला स जञान ज़म होना ndash चमल

जाना आगही ndash जञान स अगमिती

तअललक आन पहािा खामशी तक

ldquo यहाा स बनि ह हर रासता कयाrdquo

बहत शमािओग यह जान कर तम

तमहार साथ खवाबो म चकया कया

उस ख़िकश नही मज़बर कचहय

बिल िता वो चिल का िसला कया

बरहना था म इक शीश क घर म मरा चक़रिार कोई खोलता कया

बरहना ndash चनविसतर क सनिभि म

अजल का खौि तारी ह अज़ल स

चकसी न एक लमहा भी चजया कया

अजल ndash मौत अज़ल ndash आचिकाल

मक़ी हो कर महाचज़र बन रह हो चमयाा यकलख़त भजा चफर गया कया

मक़ी ndash गहसवामी महाचज़र ndash शरणाथी यकलख़त ndash अिानक

ख़िा भी िखता ह धयान रखना ख़िा क नाम पर तमन चकया कया

उठा कर सर बहत अब बोलता ह ा मरा चक़रिार बौना हो गया कया

फ़ौज़ान अिमद

उिास करत ह सब रङग इस नगर क मझ

य कया चनगाह चमली उमर स गजर क मझ

जो जहन-ओ-चिल की सभी वसअतो स बाहर ह

तलाशना ह उस रह म उतर क मझ

वसअत - चवसतार फलाव

कहाा ठहरना कहाा तज़-गाम िलना ह

थकन चसखायगी आिाब अब सिर क मझ

तज़-गाम - तज़-क़िम

म अनधकार क सीन को िीर सकती ह ा य एक चकरन न बताया चबखर-चबखर क मझ

जो खीि कर क मझ ल गया रसातल म वही तो ख़वाब चिखाता रहा चशखर क मझ

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

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साहलम शजा अनसारी

िोट पर उसन चफर लगाई िोट

हो गई और भी चसवाई िोट

उमर भर ज़खम बोए थ उस न

उमर भर हम न भी उगाई िोट

मरहम ए एतबार की खाचतर

मददतो खन म नहाई िोट

चिल का हर ज़खम मसकरा उठा िख कर उसको याि आई िोट

होठ जचमबश न कर सक लचकन

कर गई चफर भी लब क़शाई िोट

आज ब साखता वो याि आया आज मौसम न चफर लगाई िोट

चमट गए सब चनशान ज़खमो क

कर गई आज ब विाई िोट

ज़बि या तो बिन प थी ldquoसाचलम rdquo रह तक कर गयी रसाई िोट

नवीन सी चतवदी

जब सरज िदद नचियाा पी जात ह तटबनधो क चमलन क चिन आत ह

रात ही राहो को चसयाह नही करती चिन भी कस-कस चिन चिखलात ह

बिी-खिी ख़शब ही िमन को चमलती ह

कली िटखत ही भावर आ जात ह

नाज़क चिल वाल अकसर होत ह शापि आहट चमलत ही पञछी उड़ जात ह

चिल चजि पर आमािा हो तो बहस न कर

बचिो को बचिो की तरह समझात ह हम तो गहरी नीि म होत ह अकसर

पापा हौल-हौल सर सहलात ह और चकसी िचनया क वचशनि ह हम

याा तो सर-सपाटा करन आत ह िम-घोट माहौल म ही जीता ह सि

सब को सब थोड़ ही झठला पात ह चिन म ख़वाब सजाना बनि करो साहब

आाखो क नीि धबब पड़ जात ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

-----

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

-----

વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

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मर मौला की इनायत क सबब पहािा ह

ज़राि-ज़राि यहाा रहमत क सबब पहािा ह

मौला - सवामी स माचलक स परभ इनायत - कपा क सबब -

क कारण स

कोई सञजोग नही ह य अनाचसर का सिर

याा हररक शख़स इबाित क सबब पहािा ह

अनाचसर का सिर - पञि-भत की यारा याचन पथवी पर

मनषटय योचन म जनम

िोसत-अहबाब हक़ीमो को िआ ित ह जबचक आराम अक़ीित क सबब पहािा ह

अक़ीित - शरदधा स चवशवास

न महबबत न अिावत न िरागत न चवसाल

चिल जना तक तरी िाहत क सबब पहािा ह

िरागत - अलग होना स चनवचतत चवसाल - चमलन जनन -

उनमाि स पागलपन

एक तो ज़खम चिया उस प या िरमाया नवीन तीर तझ तक तरी शहरत क सबब पहािा ह

आहञललक गजल

पञजािी गजल - हशव कमार िटालवी

मना मरा शबाब ल बठा रङग गोरा गलाब ल बठा

चिल िा1 डर सी चकत2 न ल बठ ल ही बठा जनाब ल बठा

चवहल [चवहल]3 जि4 वी चमली ह फजाि तो5 तर मख िी चकताब ल बठा

चकननी6 बीती ह चकननी बाकी ह मना एहो7 चहसाब ल बठा

`चशव ` ना 8 गम त9 ही इक भरोसा सी10 गम तो कोरा जवाब ल बठा

1 का2 कही 3 फसित 4 जब 5 स 6 चकतनी 7 यही 8 को

9 पर 10 था

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

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जाि1 मना आ गयी गम खाण िी हौली-हौली रो क जी परिाण2 िी

िङगा होया त पराया हो गया मक3 गयी चिनता तना3 अपनाण िी

मर त जाा पर डर ह िममा वाचलयो धरत [धति]वी चवकिी ह मल शमशाण िी4

ना चिओ [दयो] मना साह5 उधार िोसतो ल क मड़ चहममत नही परताण6 िी

ना करो `चशव`िी उिासी िा इलाज रोण िी6 मजी ह अज8 बइमाण िी

1 जानना 2 बहलाना 3 तझको 4 चहममत वालो याचन पस

वालो म मर तो जाऊा लचकन शमशान का मलय भी

पड़ता ह याचन वह भी चबकती

ह 5 सास जीवन 6 लौटाना 7 रोन की 8 आज

[आ पराण शमाि जी क सौजनय स]

गजराती गजल ndash सञज वाला

નથી પામવાની રહી રઢ યથાવત

અપકષા થતી જાય છ દરઢ યથાવત

नथी पामवानी रही रढ यथावत

अपकषा थती जाय छ दढ़ यथावत

पहल जसी पानrsquo की चजजञासा नही रही अपकषा यथावत दढ़ होती जा रही ह

હશ અત ઊચાઈનો કાાક ચોકકસ

કળણ સાથ રાખી ઉપર ચઢ યથાવત

हश अनत ऊा िाई नो कयााक िोककस

कणण साथ राखी उपर िढ़ यथावत

चनचशचत ही कही न कही ऊा िाई का अनत होगा पहिानन की कला और हौसल क साथ यथावत ऊपर िढ़ता रह

પવનની ઉદાસી જ દરરયો બની ગઈ

પડયો છ સમટાઈ ન સઢ યથાવત

पवन नी उिासी ज िररयो बनी गई

पडयौ छ समटाई न सढ़ यथावत

पवन की जो उिासी थी वह खि इक समिर बन गयी उसकी वजह स यथावत चसमटा हआ सढ़ भी पड़ा हआ ह

જરા આવ-જા આથમી તો થય ા શ ા જ ઓ ઝળહળ તજ-નો ગઢ યથાવત

जरा आव-जा आथमी तो थया श जओ झणहण तज ndash नो गढ़ यथावत

आना-जाना थम गया तो कया हआ

वह तज का पञज तो अबभी यथावत ह

-----

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

-----

વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

साहितयम वरष 1 अङक 4 wwwsaahityamorg

अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

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વાત વચચ વાત બીજી શીદ કરવી પરમમાા પાચાત બીજી શીદ કરવી वात वचि वात बीजी शीि करवी परम माा पञिात बीजी शीि करवी एक बात क बीि म िसरी बात कया करना परम म कोई अनय पञिायत कया करना

કરવી હો પણ રાત બીજી શીદ કરવી એક મકી જાત બીજી શીદ કરવી करवी हो पण रात बीजी शीि करवी एक मकी जात बीजी शीि करवी करनी हो लचकन िसरी रात कया करना एक ज़ात छोड़ कर िसरी ज़ात कया करना

સૌ અરીસા જમ સવીકાય યથાતથ

તથયની ઓકત બીજી શીદ કરવી सौ अरीसा जम सवीकायि यथायथ

तथय नी औकात बीजी शीि करवी िपिण की मानी सब कछ जस थ वस ही ह तथय को िसरा अथि ि कर कया करना ह

છ પડી તો જાળવી લઈએ જતનથી માહયલ મન ભાત બીજી શીદ કરવી छ पडी तो जाळवी लइए जतन थी माहयल मन भात बीजी शीि करवी जो छाप मन पर लगी ह उसको साभाल ल

यह जी ह उस पर िजी छाप चकस चलए

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વાશ જો વારસાઈ જાણી જો આપણી શ ા સગાઈ જાણી જો वनश जो वारसाई जाणी जो आपणी श सगाई जाणी जो हम सब आिम की नसल ह

हमार बीि वही ररशता ह

એક એની ઇકાઈ જાણી જો થઈ ફર છ ફટાઈ જાણી જો एक एनी इकाई जाणी जो थई फर छ फटाई जाणी जो उनकी इखाथथ सतता तो िखो कोई ब-लगाम लड़की हो जान

તપતીરથ ન અઠાઈ જાણી જો પરીત પોત પીરાઈ જાણી જો तप-चतरथ एनबीई अठाई जाणी जो परीत पोत चपराई जाणी जो तप तीथि और अठाईतप िख ल

उन सब म परीत ही सब स ऊा िी ह

શાહીટીપ સરસવતી રાજ- કવી છ આ કમાઈ જાણી જો शाहीटीप सरसवती राज

कवी छ आ कमाई जाणी जो शाही की बाि ही सरसवती ह

और वही तो हमारी कमाईह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

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अनय हिलोक हसिि ठकरला को सममान

खगचड़या ( 8 - 9 मािि 2014 ) सपररचित साचहतयकार और कणडचलयाकार शरी चरलोक चसह ठकरला को उनक कणडचलया सगरह कावयगनधा क चलए चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) दवारा सवणि सममान स सममाचनत चकया गया ह चहनिी भाषा साचहतय

पररषि का िो चिवसीय 13 वा महाचधवशन ( फणीशवर नाथ रण समचत पवि ) का शभारमभ खगचड़या क कषटणानगर चसथत पररषि कायािलय पररसर म झडोतोलन और िीप जलाकर हआ मखय अचतचथ शयामल जी अग -माधरी क समपािक डाा नरश पाड िकोर डॉ चसदधशवर काशयप न िीप जलाकर उिघाटन सर का आगाज चकया सवागताधयकष कचवता परवाना न सवागत भाषण पढ़ा इस अवसर पर कौचशकी (रमाचसकी ) क रण अक का चवमोिन डाा नरश पाड िकोर न चकया चदवतीय सर म कचव सममलन का आयोजन चकया गया चजसम कई कचवयो और गजलकारो न अपनी परसतचतयो स शरोताओ का मन मोहा

9 मािि को ततीय सर म एकाकी परिशिन और कावयपाठ चकया गया ितथि सर म सममान समारोह क मधय शरी चरलोक चसह ठकरला को डॉरामवली परवाना सवणि समचत सममान तथा सविशरी िचनरका ठाकर िशिीप कपा शकर शमाि अिक अवधश कमार चमशर अचमत कमार लाडी डॉ जी पी शमाि हाचतम जाविअवधशवर परसाि चसह सजीव सौरभ हीरा परसाि हरनर रमण सीही डॉ राजनर परसाि रामिव पचडत राजा कचवता परवाना कलाश झा चककर को रजत समचत सममान स सममाचनत चकया गया अत म पररषि सचिव शरी ननिश चनमिल न सभी का धनयवाि जञापन चकया ननिश चनमिल सचिव चहनिी भाषा साचहतय पररषि खगचड़या (चबहार ) चरलोक चसह ठकरला - समपकि - 09460714267

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डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह

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समीकषा - शाकनतलम - rsquoएक कालजयी कहत का अिशrsquo पि० सागर हिपाठी

डा० भलला की कचतशाकनतलम छनिातमक लयबदधता की कावय शरङखला स पर पौराचणक मल कथा स चभनन मल लखको स अलग थलग अपन आप म नए आयाम म चपरोए वयकचतगत परयास का सानसकचतक मनका ह

मलगरनथ स पर रहकर भी शकनतला की वयथा सपि ह नारी पारो क ियन म सहजता म लखक का परयास झलकता ह नवीन पररवश म नए सवयभ कथानक का समावश नतन परयास ह पाठक अिचमभत हो कर भी रसातम होग यह पयिवकषण का चवषय होगा कछ परशन चिनह लखक की खोजी परवचत क दयोतक ह परगचतशील चविारो को आकचषित करन की कषमता लखक की लखनी म ह मार पयिवकषक हो कर भी मन इस आतमसात चकया ह सकारातमक अनभचत स भर गया ह ा ऐसी कालजयी कचतयो पर आलोिना आकलन समालोिना फबती नही ह

मलगरनथ अचभजञान rsquoशाकनतलमrsquo पौराचणक धरोहर और नाटय कचत का अनपम सयोग ह डा० भलला की रिना धचमिता कावय भचि और लखन उतसाह परचतम अिभत और चकसी सीमा तक अचवशवसनीय सा ह उनकी वयचिगत तजचसवता सपि रप स rsquoशाकनतलम एक अमर परम गाथाrsquo क कण कण म झलकती ह काचलिास की कालजयी कचत का अनश मार होना भी एक गौरव का चवषय ह पाठकगण शोधकताि समालोिक चनचशचत ही नए आयाम इस गरनथ म ढाढग यह मरा मनतवय ह