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विषय-िस्‍तु - ncert.nic.in · PDF fileइतिहास तिक्षण 46-49 ... “फाांसीसी काांति” का सम् ... मिल्प

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विषय-िस‍त

परिचय iii-ivविन‍दी अनतिा‍ सविव‍ v-vi

भाग I

विशाि वशकारथी िो सिझना 02-20सरोज यादव

भाग IIसािाविि विजान वशकण अविगि 22-35मिली रॉय आनद

भाग IIIपरवशकण िाययकरि 37-43सा०मव०मि०मव०, एन०सी०ई०आर०टी०

भाग IV

विषयो िा सपरषण

इव‍िासइतिहास तिकषण 46-49मिली राय आनद

“फाासीसी कााति” का सम‍परषण 50-62परतययष किार िण‍डल

‘औदयोगीकरण का यग’ का सा‍परषण 63-76सीिा ओझा

भगोलभगयोल तिकषण 78-89अपराणा पाण‍डडय

‘जलवाय’ का सा‍परषण 80-97अपराणा पाण‍डडय

‘सासाधनो का सा‍परषण’ 98-108तनन िमलक

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िािनदीव‍ विजान

राजनीति तवजान तिकषण 110-111एि०वी०एस०वी० परसाद‘‘लयोकिाातरिक और गर-लयोकिाातरिक सरकार: एक अनवरषण’’ का सा‍परषण 112-122एि०वी०एस०वी० परसाद

“लयोकिारि की चनौतिया” का सा‍परषण 123-131िकर िरर

अरयशासतर

अरथिास‍रि तिकषण 133-134परमतिा किारी

तवकास का सा‍परषण 135-148जया मसह

‘मदा और साख का सा‍परषण’ 149-164अमिता रमवनदरन

भाग Vउदाहरणारथ अािरतवषयक पररययोजना 166-169अमिता रमवनदरन

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iii

परिचय

माध‍यममक मिका एक मिराणा‍यक स‍तर ह, क‍योमक ‍यह मिदामणा‍यो को उच‍च मिका क सा-सा का‍यणाजग‍त क मिए भी ‍त‍यार कर‍ता ह। माध‍यममक और उच‍च‍तम माध‍यममक स‍तर की कमिि‍ता मिदाम णा‍यो को सािणाभौममक रप स उच‍च मिका और िौकरर‍यो क मिए सफि‍तापिणाक परम‍तसपराणा करि ह‍त सकम बिा‍ती ह। इसमिए ‍यह अत‍यय‍त आिश‍यक ह मक इस स‍तर को अमरक सगम बिाकर और सा ही इसकी गरिता म प‍याणाप‍त सरार करक इस सदढ मक‍या जाए। अ‍त: ‍यह दरदमिणा‍तापरणा होगा मक माध‍यममक मिका को सबक मिए उपिबर और सगम‍य बिा‍या जाए। ‍यदमप 1960 क दिक स मिकको की व‍यािसाम‍यक ‍त‍यारी को अत‍यय‍त महतिपरणा समझा ग‍या ह, मफर भी अमरकायि मिकक उच‍च मिका क कन‍दो स दर रह और उिक व‍यािसाम‍यक मिकास की आिश‍यक‍ताओय पर बा‍त िही की गई। मिकको की व‍यािसाम‍यक सयिमधि म सिाकािीि मिका महतिपरणा भममका मिभा सक‍ती ह और मिदाि‍य सयबयरी मरि‍याकिापो म बदिाि-कताणा क रप म का‍यणा कर सक‍ती ह। अध‍यापक मिका का‍यणारिमो को सयदभणा और मिका िासतर म उभर‍त िए मदो को समा‍योमज‍त करि और मिदाि‍य ‍ता समाज क बी‍च सयबयरो क मामि क समाराि खोजि की आिश‍यक‍ता ह।इस सयबयर म एक महतिपरणा सरोकार मजस पर मि‍चार करि की आिश‍यक‍ता ह, िह मिकक क मिए सहा‍य‍ता सामगी की उपिबर‍ता ह। माध‍यममक स‍तर पर सामामजक मिजाि म गरितापरणा मिकक सहा‍यक सामगी की अप‍याणाप‍त‍ता ि सिाकािीि अध‍यापक मिका का‍यणारिमो को परभामि‍त मक‍या ह। अ‍त: एि०सी०ई०आर०टी० ि राष‍टी‍य माध‍यममक मिका अमभ‍याि क अय‍तगणा‍त राज‍यो और सयघ िामस‍त कतरो क मिए मिमिर मिष‍यो म सिाकािीि मिकक व‍यािसाम‍यक मिकास पकज (आई०टी०पी०डी०) ‍त‍यार करि का दाम‍यति मि‍या ह। सामामजक मिजाि मिका मिभाग ि एि०सी०ई०आर०टी० और मिमभनि राज‍यो ‍ता सयघिामस‍त कतरो क पाि‍यरिमो और पाि‍यपस‍तको स म‍चमनि‍त की गई सामान‍य मिष‍यिस‍त क आरार पर आई०टी०पी०डी० पकज मिकमस‍त मक‍या ह। ‍यह पकज सामामजक मिजाि मिकको क स‍त‍त व‍यािसाम‍यक मिकास की आिश‍यक‍ता की पम‍तणा कर‍ता ह। इस पकज को ‍त‍यार करि स पहि का‍यणार‍त मिकको स मिमिषट मिष‍यो सयबय म र‍त फीडबक पराप‍त करि ह‍त परशिाििी ‍त‍यार करि क उदि‍य स सयका‍य ि कद परारयमभक अिसयराि का‍यणा भी मक‍या। ‍यह फीडबक 200 स अमरक मिकको स मि‍या ग‍या। ‍यह पकज का‍यणार‍त मिकको क सा ममिकर मिभाग क सयका‍य सदस‍यो दारा ‍त‍यार मक‍या ग‍या ह, मजनहोि सामामजक मिजाि मिष‍यो स सयबयमर‍त माड‍यिो क मिए बह‍त स मरि‍याकिाप मिकमस‍त मकए। इस पकज का कतर-परीकर (‍टाई-आउट) करि स पहि ििमबर-मदसमबर, 2013 म मिकको और एि०आई०ई० मिभाग क मििषजो स समीका कराकर पकज पर उिक सझाि मिए गए। ‍यह पकज मिष‍यो क सयपरषर की कमििाइ‍यो को पह‍चािि क सा-सा जडर न‍या‍य, िायम‍त मिका, समाििी मिका, आई०सी०टी० की उप‍योमग‍ता, सामामजक मिजाि क मिकर म किा और मिलप का उप‍योग, इत‍यामद अय‍तर-मिष‍यक सामामजक सरोकारो क उभर‍त पररपरक‍यो को समामह‍त करि का पर‍यास कर‍ता ह।इस पकज क पा‍च भाग ह। भाग I मकिोर मिकाथी को समझि क बार म ह। इस भाग का मख‍य उदश‍य ह मक मकिोर मिकामणा‍यो को कस समझ। ‍यह महतिपरणा ह मक मिकक मकिोरािसा और उसक िकरो, मदो, सरोकारो और परभािो क बार म अपिी समझ मिकमस‍त कर, ‍यह भी समझि की आिश‍यक‍ता ह मक मकिोरो को ि‍यसको मजिम मिदाि‍य ‍ता अध‍यापक भी िाममि ह स मकस परकार सहा‍य‍ता की अपका ह। सा ही ‍यह पकज अध‍यापको को इस ‍योग‍य बिाएय मक ि मिमभनि पधिम‍त‍यो का उप‍योग कर मिकामणा‍यो को सिक‍त बिा सक । भाग II सामामजक मिजाि मिकर की पधिम‍त स सयबयमर‍त ह। इस भाग म, मजि कछ मदो और सरोकारो पर ध‍याि क म‍द‍त मक‍या ग‍या ह, ि ह- मिदाम णा‍यो म एक मिशिषरातमक समझ मिकमस‍त करिा; एक एकीक‍त और समाििी अमरगम िा‍तािरर की र‍चिा करिा; मिष‍य-िस‍त का सयदभणा-मिराणारर; सहभागी पधिम‍त अपिािा; सामामजक मिजाि क समकििातमक पहि, पाि‍य‍च‍याणा सयबयरी सरोकार और सामामजक मिजाि पाि‍यरिम का व‍यिसापि; भागीदारी, आकिि और मल‍यायकि क सारि क रप म एि०सी०ई०आर०टी० की पाि‍य पस‍तक । भाग III परमिकर का‍यणारिम को समा‍योमज‍त और मडजाइि करि स सयबयमर‍त ह, इसम परमिकर का‍यणारिम को

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iv

सय‍चामि‍त करि की आिश‍यक‍ता, परमिकर का‍यणारिम का ढा‍चा ‍त‍यार करि, और परमिकर को मडजाइि करि ‍ता परमिकर का‍यणारिम क मल‍याकय ि पर ध‍याि क म‍द‍त मक‍या ग‍या ह। भाग IV मिष‍यो क सयपरषर स सयबयमर‍त ह। इस भाग म मिमभनि मिष‍य-कतरो क मिकर का सयमकप‍त परर‍च‍य िाममि मक‍या ग‍या ह, मजसक अिसरर म परत‍यक मिष‍य-कतर स सयबयमर‍त मिष‍यो क सयपरषर को मि‍या ग‍या ह। इम‍तहास, भगोि, अ णािासतर और राजिीम‍त मिजाि मिष‍य-कतरो क मिए परत‍यक म स दो मिष‍यो को िकर उिक माड‍यि ‍त‍यार मकए गए ह। मजि मिष‍यो पर माड‍यि ‍त‍यार मकए गए ह, ि इस परकार ह: इम‍तहास- ‘फायसीसी रिायम‍त’ और ‘औदोमगकीकरर’, भगोि- ‘जििा‍य’ और ‘सयसारि’, राजिीम‍त मिजाि- ‘सरकार क िोक‍तायमतरक और गर-िोक‍तायमतरक रपो क बार म मिकर- एक अनिषर’ और ‘िोक‍तयतर की ‍चिौम‍त‍या’, अ णािासतर- ‘सयसारि’ और ‘म‍दा ‍ता साख’। भाग V म सामामजक मिजाि म एक उदाहररा णा अय‍तर मिष‍यक परर‍योजिा िाममि ह, मजसम खाद सरका पर एक ‍योजिा मिकमस‍त करि पर ध‍याि क म‍द‍त ह। सामामजक मिजाि की अय‍तर मिष‍यक परकम‍त को ध‍याि म रख‍त हए एक ‍योजिा कस मिकमस‍त की जाए, इस पर मागणादिणाि दि का पर‍यास मक‍या ग‍या ह।माड‍यिो क मिकास का मख‍य उदश‍य मिकर-अमरगम परमरि‍या म बहआ‍यामी पररपरक‍यो का उप‍योग करि ह‍त एक आरार उपिबर करािा ह। इिम मिमिर परकार की गम‍तमिमर‍या सझाई गई ह, ‍तामक मिकको को कका म मशकर क दौराि उनह उप‍योग करि क मिए पररर‍त मक‍या जा सक। अमरगम परमरि‍या को पारसपररक- मरि‍यातमक और भागीदारी ‍यक‍त बिाि क मिए िाद-मििाद, भममका मििाणाह (रोि पि), दश‍यो का मिशिषर करिा, परर‍च‍चाणाए, कोिॉज और पोसटर मिमाणार, मािम‍चतर पढिा, कस अध‍य‍यि, मिगणाम काडणा बिािा, रमड‍यो, मफलम, िघ मफलम, इनटरिट आमद जसी दश‍य-शरव‍य सामगी क उप‍योग जसी गम‍तमिमर‍या सझाई गई ह। गम‍तमिमर‍यो को रम‍चकर और ‘करि ‍योग‍य’ बिाि क पर‍यास मकए गए ह, ‍तामक परत‍यक मिदाथी को भाग िि क मिए पररर‍त मक‍या जा सक और सा ही मिकक को सभी िगगो क मिदाम णा‍यो की आिश‍यक‍ताओय को समा‍योमज‍त करि म सकम बिा‍या जा सक, ‍चाह मिदाथी मकसी भी जाम‍त, िगणा, जडर ‍ता िारीररक मि:िक‍त‍ता इत‍यामद सयबयमर ‍त क‍यो ि हो। माड‍यिो म आकिि ह‍त का‍यणािीम‍त‍या भी दी ह, मजनह मिकक मिदाम णा‍यो की भागीदारी और मिषपादि का आकिि करि क मिए उप‍योग म ि सक‍त ह।एक मदि का कतर भरमर (क‍तब मीिार/सयसद सयगहाि‍य/िाि मकिा) भी आ‍योमज‍त मक‍या ग‍या ह, जो किि मिकको को ऐम‍तहामसक महति क साि ही िही मदखा‍ता, बमलक हमारी ररोहर क महति की समझ को मिकमस‍त करि म भी मदद करगा। कतर भरमर आ‍योमज‍त करि का मख‍य उदश‍य मिकको को अपि मिदाम णा‍यो क मिए कतर भरमर आ‍योमज‍त करि क मिए पररर‍त करिा ह मजसस मिदाथी कका स बाहर की दमि‍या को भी जाि सक । कतर भरमर म बक जािा, मकसी ख‍त को दखिा अिा पय‍चा‍य‍त की का‍यणािाही दखिा भी िममि हो सक‍ता ह। इस परकार क भरमर का मि उदश‍य मिष‍य-िस‍त को सयदमभणा‍त करिा और जाि को मिदाम णा‍यो क जीिय‍त अिभिो स जोडिा ह।इस का‍यणारिम का मख‍य उदश‍य पकज का सामामज क मिजाि (माध‍यममक स‍तर पर) मिकको क बी‍च परीकर करिा ह, ‍तामक पकज को अयम‍तम रप दि स पहि उिका फीडबक ममि सक। समभामग‍यो स अपका ह मक ि सभी सतरो म समरि‍य रप स भाग ि और सयदभणा व‍यमक‍त‍यो स पारसपररक मरि‍या कर और मफर अपि सझाि द ‍तामक पकज म और अमरक सरार मकए जा सक ।

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v

विन‍दी अनतिा‍ सविव‍

विन‍दी अनतिा‍ क०क० िमाणा, पिणा परा‍चा‍यणा, अजमर

पिदीकण विशषज स‍सयडॉ० ‍चय‍दा सदा‍य‍त,परा‍चा‍यणा महनदी (सिामिित)

डॉ० दिियकर ििीिपरा‍चा‍यणा, सटर ऑफ इमड‍यि िगिजसज०एि०‍य०, िई मदलिी

डा० ओ०पी० अगिािपरा‍चा‍यणा अ णािासतर (सिामिित)िोएडा

डॉ० रमि ‍चय‍दरीडर अ णािासतर (सिामिित)सा०मि० मि०मि०, रा०ि०अि०पर०प०िई मदलिी

डॉ० ज‍योम‍त ‍चाििाअसोमसएट परोफसर, एस०ओ०टी०एस०टी०इगि, िई मदलिी

डॉ० जगदीि िमाणाअसोमसएट परोफसर, एस०ओ०टी०एस०टी०इगि, िई मदलिी

डॉ० ज‍या मसयहअसोमसएट परोफसर, सा०मि०मि०मि०रा०ि०अि०पर०प०

डा० िरद पाड‍यअमससटट परोफसर, आर०एम०एस०ए०रा०ि०अि०पर०प०

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vi

शरीम‍ती परिमम‍ता मबशिाससिामिित अध‍यामपका, िई मदलिीडॉ० कमकम ‍च‍तिवदीअमससटट परोफसरिीिकड गप ऑफ इयसटीट‍यियस, िई मदलिी

डॉ० सय‍तोष कमारसहा‍यक मिदिकसी०एस०टी०टी०, िई मदलिी

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भाग-I

किशोर कशकाक थियो िो समझना

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भाग-I

किशोर कशकाक थियो िो समझना

सककप‍त पररचय

जस-जस हम बड होत ह, हम अपन जीवन म अनक परिवततनो को अनभव कित ह। य परिवततन हम उतजक औि अच लग सकत ह अथवा कभी-कभी य डिावन औि कष‍टपरद भी हो सकत ह। हम अपन जीवन म परिवततनो को परभाववत कि सकत ह, वकनत कई बाि हमािा उन पि बहत कम वनयतरण होता ह। हम अपन जीवन क क परिवततनो का पवातभास हो जाता ह औि यवद हम उनक वलए तयाि ह, तो हम उनका बहति तिीक स सामना कि सकत ह। उदाहिण क वलए, ववधि औि कपोषण एक सतत परवरिया ह औि अपनी परिपकवता औि ववकास की वनितिता म वकशोिवसथा एक चिण ह। अत: वकशोि वशकावथतयो को जीवनकाल म होन वाल शा िीरिक, मानवसक, भावातमक औि मनो- सामावजक परिवततनो क वलए तयाि िहन की आवशयकता ह, वजसस वक व उनक बाि म वचवतत न हो औि इन परिवततनो क परवत सकािातमक औि उतिदायी परवतवरिया कि। ववदालयी वशका वशकावथतयो क चहमखी ववकास पि लवकत होती ह। यह उनह जान परापत किन, सकलपनाए ववकवसत किन औि उनक बौवधिक ववकास क साथ-साथ उनक शािीरिक, मनोवजावनक औि सामावजक ववकास की सहायक अवभववतयो, मलयो तथा कौशलो को मन म सथाावपत किन क योगय बनाती ह। इसवलए वकशोि वशकावथतयो को समझना महतवपणत ह। इसी उदशय स सभागी वशकक को समझ, दख-भाल, सभाल औि सवाद क योगय बनान औि उनका सशकतीकिण किन का परयास वकया गया ह।

अकिगम उददशय

मॉडयल सभावगयो को वनमनवलवखत म सकम बनाएगा:

- वकशोिावसथा औि उसक लकणो, मदो, सिोकािो औि परभावो पि समझ ववकवसत किना

- वकशोिो दािा ववदालयो औि वशकको सवहत सबवित वयसको स परापत सहायता क परकािो को समझना, तथा

- उनक सशकतीकिण हत वववभनन उपागमो क उपयोग किन हत उनह सकम बनाना।

सतर का परािभ वशकावथत यो को उनक सवय की वकशोिावसथा का समिण किन हत परोतसाहन स कि। उनह समहो म इस परकाि बा‍ट वक परतयक समह म 5 या 6 सदसय हो। परतयक समह म, वनमनवलवखत परशनो क आिाि पि, सभी सदसयो को वकशोि वशकावथत यो क रप म अपन क सबस महतवपणत अनभवो औि मनोभावो पि ववमशत किन औि साझा किन को कह:

• वकशोिो की ववशष आवशयकताए औि सिोकाि कया ह?

• कया यवा लोगो को अपनी समसयाओ को सलझान म पयातपत जानकािी औि सहायता वमलती ह? यवद हा, तो यह जानकािी उनह कौन दता/ती ह? कया उनह अपनी समसयाओ को सलझान क वलए आवशयक जानकािी औि सहायता वमलती ह? अपन उति क पक म तकत दीवजए।

• यवद जानकािी क ववशवसनीय सतरोत उपलबि नही ह, तो यवा लोग कहा स जानकािी (या गलत जानकािी) परापत कित ह?

• कया यवा लोगो को सही जानकािी औि सहायता उपलबि किाना महतवपणत ह?

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3

• यवा लोगो को अपन सिोकािो को वयापक रप स उदबोवित किन हत जानकािी दन क वलए कौन उतिदायी होन चावहए?

यह सब वशकको को, उनकी अपनी समवतयो औि अनभवो क आिाि पि, वकशोिो क वततमान सिोकािो को पिखन औि समझन का अवसि उपलबि किाएगा।

किशोर कशकाथी िौन ह?

आइए जान वक वकशोि कौन ह? इनह सामानयत: उनकी आय क वषषो की अववि क सदभत म परिभावषत वकया जाता ह। 10 स 19 वषत की आय क उचच पराथवमक स उचचति माधयवमक सतिो तक पढन वाल बचच वकशोि मान जात ह औि यह अववि वकशोिावसथा कहलाती ह। इस गौण यौन लकण क रप म वदखाई दन औि मानवसक पररिमो क ववकास औि वयसक पहचान क रप म भी परिभावषत वकया जाता ह। यह अववि पणत सामावजक-आवथतक वनभतिता स अपकाकत सवततरता म परिवततन क रप म भी दखी जा सकती ह (ववशव सवासथय सगठन, 1997)। इस अवसथा म बचच अविक अमतत औि तावकत क रझान की ओि उनमख होत ह औि अपन तथा दसिो क ववचािो औि अवभववतयो को पिखन की कमता ववकवसत कित ह।

किशोर कशकाथी िा पोफाइल (पारथि कचतर)

भाित म 24.3 किोड लोग 10 स 19 वषत की आय वगत क ह (जनगणना 2011), औि 32.7 किोड यवा लोग 10 स 24 वषत की आय वगत क ह (ववशव सवासथय सगठन, 2007)। 83 परवतशत यवा परषो औि 78 परवतशत यवा मवहलाओ (आयवगत 15-24 वषत) न बताया वक व समझत ह वक पारिवारिक जीवन वशका महतवपणत ह (आई०आई०पी०एस०: पॉप काउवसल यथ सवव, 2006-07)। यवा लोगो (45% लडको औि 27% लडवकयो) न यह मत वयकत वकया वक पारिवारिक जीवन मामलो पि वशका दन क वलए वशकक उपयकत वयवकत ह (आई०आई०पी०एस०: पॉप काउवसल यथ सवव, 2006-07)।

• िाषटीय परिवाि सवासथय सववकण 3 (एन०एफ०एच०एस०-3, 2005-06) दशातता ह वक यवा लोगो को एच०आई०वी० की िोकथाम स सबवित मदो पि बहत कम जानकािी ह। मातर 28% यवा मवहलाओ औि 54% यवा परषो (आय वगत 15-24 वषत) को एच०आई०वी०/एडस क बाि म वयापक जान ह। इस तथय क सदभत म यह वचताजनक ह वक भाित म रिपो‍टत वकए गए एडस क सभी मामलो म स एक वतहाई (30%) मामलो म 15 स 29 वषत क यवा शावमल ह (NACO, 2007, UNFPA औि NCERT, 2011)।

• यवाओ म मादक पदाथषो का दरपयोग वचता का ववषय ह। िाषटीय परिवाि सवासथय सववकण -3 (NFHS-3) क जाच परिणामो क अनसाि 15 स 24 वषत की आय वगत म 40% यवा परषो औि 5% यवा मवहलाओ को तबाक क सवन का अनभव परापत ह, जबवक 20% यवा परषो औि 1% यवा मवहलाओ को शिाब पीन का अनभव ह।

• बडी सखया म यवा िकतकीणता (अनीवमया) स पीवडत ह (15 स 24 वषत क आय वगत की 56% मवहलाए औि 25% परष)। यह उनकी शािीरिक ववधि, सजानातमक ववकास, ववदालय औि कायत सथल पि वनषपादन क साथ-साथ परजनन कमता को बिी तिह परभाववत किता ह (NFHS-3, 2005-06)।

• यदवप अविकाश यवा 18 वषत की आय क बाद शादी किना पसद किग पिनत NFHS-3 स परापत आकडो (2005-06) क अनसाि अविकाश यवा मवहलाओ की शादी 18 वषत स पवत हो गई थी।

• NFHS-3 क आकड परगवतशील जडि भवमका अवभववत की ओि सकत नही कित ह। वववावहत लोगो म घिल वहसा वयापक रप स वयापत पाई गई।

• यह एक सथावपत सतय ह वक सावतजवनक सथलो, शवकक ससथानो, घिो क आस-पास औि कायत सथलो पि यौन

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4

उतपीडन की घ‍टनाए पराय: होती िहती ह। बाल उतपीडन, िमकाना औि सताना भी सामानय घ‍टनाए ह। मािपी‍ट दणड दन का एक सामानय रप ह, यहा तक वक अविकाश ववदाथथी (85%) नही जानत वक माता-वपता का अपन बचचो को पी‍टना भी घिल वहसा का एक रप ह (UNFPA औि NCERT, 2011)।

• वकशोिो की अपगता पि भी धयान वदए जान की आवशयकता ह। 10 स 19 वषत क आय वगत क वकशोिो म 1.99 परवतशत अपगता क मामल रिपो‍टत वकए गए। रिपो‍टत क अनसाि अपग वकशोिो म 40 परवतशत म दवष‍ट अपगता पाई गई औि 33 परवतशत म चलन-वफिन सबिी अपगता।

• इस परकाि, यदवप भाित म वयापक मानव ससािन ह, पिनत िाषट को अपन यवाओ क जान, मनोववतयो, सवासथय औि कलयाण पि सतत औि पयातपत वनवश किना होगा, तावक उनकी कमता का सही उपयोग वकया जा सक।

किशोरावसा िद दौरान होनद वालद शारीररि पररव‍तथिनो िो समझना

वशकावथतयो को समहो म इस परकाि बा‍ट वक वकसी भी समह म 5-6 स अविक सदसय न हो। बहति होगा वक परािमभ म लडवकयो औि लडको क वलए पथक सतर आयोवजत वकए जाए, तावक सभी वशकावथतयो को सहजता हो औि व इन महतवपणत मदो पि अपन ववचाि साझा किन क अवसि परापत कि सक । बाद म, वमवरित-सकस समह म खलकि इन मदो पि चचात किना सभव हो पाएगा। वशकावथत यो क वलए सहज होगा वक परािमभ म मवहला वशकक लडवकयो क सतर ल औि परष वशकक लडको क सतर ल।

समह कारय

समह 1

किशोरावसा म लडकियो म होन वाल शारीररि पररवरतनो पर चचात िर और उनिी सची बनाए।

समह 2

किशोरावसा म लडिो म होन वाल शारीररि पररवरतनो पर चचात िर और उनिी सची बनाए।

समह 3

किशोरावसा म लडकियो और लडिो म होन वाल मनोवजाकनि और भावातमि पररवरतनो पर चचात िर और उनिी सची बनाए।

समह 4

किशोरावसा म लडकियो और लडिो िो परभाकवर िरन वाल सामाकिि मानदडो पर चचात िर।

समह 5

कका XI क ववदाथथी िाकश औि वमवहि सकल स घि साथ-साथ पदल लौ‍ट िह ह। िाकश वमवहि को डत हए कहता ह वक वह लडवकयो जसी आवाज म बात किता ह। वह इस बात पि भी हसता ह वक वमवहि क अभी म भी नही उगी ह। ‘‘मिी तिफ दखो’’ िाकश कहता ह, ‘‘म वासतववक परष ह। मिी आवाज भािी ह औि मिा चहिा परषो जसा ह, मि चहि पि दाढी-

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5

म ह। मि वपता जी मझ शि कह कि बलात ह।’’ यह वमवहि को वासतव म लवजत किता ह। उस याद आता ह वक उसकी मा अभी भी उस ‘मिा पयािा बचचा’ कहकि बलाती ह। वह तय किता ह वक वह घि पहच कि अपनी मा स प गा वक वह िाकश स इतना वभनन कयो ह औि कया उसक साथ क गडबड ह।

पररचचाथि िद कलए पशन

1. यदवप िाकश औि वमवहि की आय समान ह, वफि भी व इतन अलग कयो वदखत ह?

2. कया आप सोचत ह वक वमवहि क साथ क गडबड ह?

3. आपक ववचाि स वमवहि अपन बाि म कया सोचता ह?

4. वमवहि की मा को उस कया कहना चावहए?

समह 6

िॉवबन कका XI म पढता ह। वह ो‍ट कद का औि दबला-पतला ह। शािीरिक रप स कका का सबस ो‍टा लडका ह। यदवप वह फ‍टबाल खलना पसद किता ह, पिनत सकल की ‍टीम म उसका चयन कभी नही हआ। वह काफी तज औि कशल ह, पिनत कोच उस हमशा यह कह कि असवीकाि कि दता/ती ह वक उस दसि वखलाडी आसानी स िकका मािकि वगिा दग, जो उसस बहत बड ह। एक वदन सडक वकनाि िॉवबन दवाइयो वाल एक आदमी क ‍ट‍ट क बाहि एक ववजापन दखता ह। उस वचतर म दबला, कमजोि वदखन वाला लडका वदखाया गया ह औि दसि म एक हष‍ट-पष‍ट वयवकत वदखाया गया ह। ववजापन यह दावा किता ह वक जादई दवा स यह परिवततन हो सकता ह। िॉवबन यह दवा लकि दखना चाहता ह, पिनत वह डिता भी ह।

पररचचाथि िद कलए पशन

1. आपक ववचाि स िॉवबन अपनी कका क दसि लडको स अलग कयो वदखता ह?

2. कया आपक ववचाि स िॉवबन फ‍टबाल का एक अचा वखलाडी बन सकता ह औि कोच को उस एक अवसि दना चावहए?

3. कया आपक ववचाि स िॉवबन को जादई दवा लनी चावहए जो वकसी को भी हष‍ट -पष‍ट बना दन का दावा किती ह?

4. यवद आप िॉवबन क सथान पि होत तो कया कित?

5. कया आप सोचत ह वक माता या वपता या वशकक को वकसी न वकसी परकाि िॉवबन की मदद किनी चावहए? यवद हा, तो वकस तिह?

सतर समापत किन स पहल वशकक को बड समह म वशकावथतयो स प ना चावहए वक कया व क परिवततनो को बतान म वहचक िह थ या शिमा िह थ। क परिवततनो को बतान म वहचवकचान/शिमान क कािणो का पता लगाए। वशकावथतयो स वववभनन तिीको की पहचान किन को कह वजनक दािा इस वहचक को दि वकया जाए औि व जो बताए उनह बोडत पि वलख द। इन सब का समकन इस परकाि कि:

• हाममोन सबिी (अत:सावी) परिवततन शिीि म शािीरिक परिवततन परािमभ कित ह। मवहलाओ म परिवततनो क वलए मखय रप स मादा हाममोन- ऑएसटोजन उतिदायी होत ह औि परषो म परिवततनो क वलए मखय रप स नि हाममोन- ‍टस‍टोस‍टािॉन उतिदायी होत ह। य हाममोन शिीि म पीयष गवथ दािा बनाए जात ह।

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• इस अववि म लडको औि लडवकयो म होन वाल शािीरिक परिवततन ह- तीवर ववधि, तलीय औि पसीन की गवथ यो का सवरिय होना, जघन बालो का उगना। लडको म एक औि परिवततन आवाज का परिवततन होता ह औि लडवकयो म सतनो का ववकास होना होता ह। वकशोिावसथा म जनन औि यौन अगो म परिपकवता आती ह।

• य परिवततन वकशोिो को वयसको की भवमकाओ क वलए तयाि कित ह औि यह बडा होन का एक सामानय वहससा ह औि इन परिवततनो को परिपकव वयसक बनन क वलए आवशयक सोपानो क रप म सवीकाि किना चावहए औि मानयता परदान किनी चावहए।

• परतयक वयवकत समझ क साथ परिपकव होता ह औि उस वकशोिावसथा क परिवततनो स गजिना पडता ह। यह परतयक वयवकत क वलए एक ही समय म औि एक ही तिीक स नही होता।

• क लोग जलदी परिपकव हो जात ह औि क दि स परिपकव होत ह। साथ ही वकशोिावसथा सबिी सभी परिवततन (शािीरिक, भावातमक, मनो-सामावजक औि सजानातमक) एक साथ नही होत। परिणाम सवरप, हो सकता ह वक शािीरिक परिवततन पहल हो औि उसी वयवकत म मनो-सामावजक परिवततन बाद म हो। ऐसा इसक ववपिीत भी हो सकता ह।

• एक ही आय क दो वकशोिो क परिपकवता सति वभनन हो सकत ह औि उनम होन वाल परिवततनो की गवत भी वभनन हो सकती ह।

• वकशोिावसथा परिवततनो स पहचानी जाती ह जो कवल शािीरिक ही नही, मनोवजावनक, सामावजक औि भावातमक भी होत ह।

मनो-सामाकिि कविास

वकशोिावसथा का अनय महतवपणत पहल मनोवजावनक ववकास स सबवित ह। यह सव-पहचान क ववकास क वलए एक वववशषट अववि ह। सव-बोि परावपत की परवरिया मनोवजावनक परिवततनो स जडी ह। सवततरता, आतमीयता औि हमउमर समह पि वनभतिता जस मदो को उतिदायी तिीक स सभालना, ऐस सिोकाि ह वजनह पहचानन औि उनका सामना किन क वलए उपयकत मदद की आवशयकता ह। बाहिी दवनया म पहच औि वनबाति ववचिण सव-वनमातण को परभाववत किता ह (एन०सी०एफ०,2005)। वकशोिावसथा मानवसक, बौवधिक औि भावातमक परिपकवता क बढन की अववि भी ह।

• वशकावथत यो को 5-6 सदसयो वाल समहो म बा‍ट औि समहो को आग वदए गए कस अधययन पढन क वलए दस वमन‍ट द।

• परतयक वशकाथथी को परिचचात म भाग लन क वलए परोतसावहत कि।

• परतयक समह रिपो‍टति स कह वक वदए गए कस अधययन पि वह बड समह म अपन समह क ववचािो को साझा कि।

िद स अधययन 1: कमतर‍ता और िमिाना

रितश औि वहतश सकल क ग‍ट क बाहि दकान स सगीत की सीडी खिीद िह थ। उनहोन दखा वक शिद घि जा िहा था। उनहोन उस पकडा औि सीडी खिीदन क वलए पस दन क वलए िमकाया। शिद न मना कि वदया, कयोवक पहल भी पस उिाि दन क वलए उस पि दबाव डाला गया था। जब शिद न मना कि वदया तो दोनो बदमाशो न उस िकका दकि वगिा वदया औि उसस पस ीन कि भाग गए। शिद की कका क वशकक, उस समय घि लौ‍ट िह थ, उनहोन उस जमीन पि वगि दखा औि सहािा दकि खडा वकया। प न पि भी शिद न नही बताया वक वह कस नीच वगिा। अगल वदन शिद की कका क साथी आवबद न स वशकक स वशकायत किन क वलए कहा। आवबद उस वदन उसक साथ था। शिद पहल वहचवकचाया, पिनत जब आवबद

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वशकक क कमि तक साथ जान क वलए तयाि हो गया, तो वह वशकायत किन क वलए िाजी हो गया।

पररचचाथि िद कलए पशन

1. आप कया सोचत ह वक शिद न लमब समय तक बदमाशो की वशकायत कयो नही की?

2. आपक ववचाि स वह इस बाि वशकायत किन क वलए तयाि कयो हो गया?

3. आवबद इस मामल म शावमल कयो हआ?

िद स अधययन 2: सिारातमि और निारातमि हमउमर साी पभाव

िाज हि समय पढता िहता था, चाह सकल म हो या घि म। उस हमशा अच अक परापत होत थ। उसकी कोई अनय रवच या शौक नही थ। जब उसन कका XI म नए सकल म परवश वलया, तो वह जहीि औि मोती का वमतर बन गया। दोनो की वरिक‍ट म बहत रवच थी। िाज न उनक साथ वरिक‍ट खलना शर वकया औि पाया वक वह एक अचा वसपन गदबाज ह। उसक माता-वपता को अब लग िहा ह वक वह खल क मदान म बहत समय वबता िहा ह जो उसकी पढाई को परभाववत कि िहा ह।

पररचचाथि िद कलए पशन

1. कया आप सोचत ह वक जहीि औि मोती का िाज पि अचा परभाव ह?

2. कया आपक ववचाि स िाज क माता-वपता का उसक नए शौक क बाि म वचता किना उवचत ह?

3. िाज क माता-वपता की वचता कम किन म उसक वशकक(को) की कया भवमका हो सकती ह?

4. कया िाज को वरिक‍ट खलत िहना चावहए? यवद हा तो कयो?

िद स अधययन 3: आिरथिण और रमानी अनभव

शािदा औि ववशाल पास-पास िहत ह औि कई वषषो स एक दसि क वमतर ह। व एक ही सकल म कका XI म पढ िह ह। हाल ही म, ववशाल न अपन पयाि को वयकत कित हए शािदा को एक गीव‍टग काडत भजा। वह उसक परवत अपन परम को लकि असमजस म ह। उसन महसस वकया वक उस वनणतय लन म क अविक समय चावहए। पिनत शािदा को यह भी वचता ह वक यवद उसन अभी उति न वदया, तो हो सकता ह वक वह वमतर क रप म ववशाल को खो द।

पररचचाथि िद कलए पशन

1. यवद आप शािदा क सथान पि होत/होती तो आप कया कित/किती?

2. ववशाल कया परवतवरिया कि सकता ह यवद शािदा उस बताती ह वक उस वनणतय लन म थोडा समय चावहए?

3. कया आपक ववचाि स इस परिवसथवत म शािदा औि ववशाल क माता-वपता या वशकक कोई सकािातमक भवमका वनभा सकत ह? यवद नही, तो कयो नही?

इस पि बल द वक,

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• सकािातमक सबि बनाए िखन क वलए आतमववशवास औि दढता आवशयक ह।

• सभी परकाि क सबिो म ववशवास एक बहत महतवपणत ततव ह।

• सभी परकाि क सबिो म पािसपरिक आदि औि ईमानदािी की आवशयकता होती ह।

• हमउमर सावथ यो क साथ सबिो म सकािातमक औि नकािातमक दोनो आयाम हो सकत ह।

• वकशोिो औि उनक माता-वपता औि वशकको को पिसपि अविक सवाद किना चावहए, तावक व एक दसि क सिोकािो को जान सक औि एक दसि को अची तिह समझ सक ।

• अविकाश परि वसथ वतयो म भावनाओ को पहचानना चावहए, बजाए बहाना बनान क वक व होती ही नही ह। इसस वचिकावलक कणठा, रिोि औि/या अवसाद उतपनन होता ह। साथ ही भावनाओ म अविक लीन होना भी असवासथयकि होता ह औि इसस जीवन म बहत गमभीि समसयाए उतपनन हो सकती ह।

• हम यह सीखन की आवशयकता ह वक कस एक सतवलत तिीक स अपनी भावनाओ पि वनयतरण िख।

• वकशोि वयसको स बहत क सीखत ह। वयसको क वलए अपनी भावनाओ को सवसथ, ईमानदाि औि वववकपणत (परिपकव) तिीको स वयकत किक एक आदशत सामन िखना बहत महतवपणत ह।

• अपनी तलना दसिो क साथ न कि। यह कही यादा सवसथ औि लाभकािी होगा वक हम सवय क साथ सपिात कि औि सिाि लाए।

• यवद कोई वयवकत वकसी वसथ वत स हािा हआ अनभव किता/ती ह औि उसका सामना किना कवठन समझता/ती ह, तो वकसी ववशवासपातर (वमतर, बहन-भाई, माता-वपता या वशकक) स सहायता लन म वहचवकचाए नही। याद िख वक ववशषज की मदद (पिामशतदाता स) भी उपलबि ह। मदद लना दबतलता की वनशानी नही ह। वासतव म, यह आपक आतरिक ससािनो की शवकत औि अची समझ को दशातता ह।

• इसी परकाि यवद आप दख वक आपका कोई वमतर या परिवचत तनाव म ह तो उदाितापवतक उसकी मदद कि।

‍तनाव िम िरनद िी रणनीक‍तया

• यह समझना बहत महतवपणत ह वक तनाव ऐसी चीज ह वजसका सामना वकया जा सकता ह, उस वनयवतरत वकया जा सकता ह औि वनवशचत रप स कम वकया जा सकता ह। वनमनवलवखत सझाव वकशोि वशका वथत यो को तनाव स वनप‍टन म मदद कि सकत ह।

• जावनए: जब भी आप दबाव म हो, अपन पजो पि खड हो जाए औि अपन शिीि को तान। इस मदा म क कण िह औि वफि शिीि को ढीला ोड द।

• वजतना हो सक, जोि-जोि स हस, कोई कॉवमक पढ, कोई का‍टतन वफलम दख औि दोसतो क साथ च‍टकल या मजदाि कहावनया साझा कि।

कोि िम िरनद वाली ‍तिनीि कोि सद छटिारा पाना (get-‘RID’)

R: अपन रिोि क सकतो को पहचान (Recognize) औि सवीकाि कि वक आप गसस म ह।

I: वसथवत का ववशलषण किन क सकािातमक तिीको की पहचान कि (Identify)।

D: शात होन क वलए क िचनातमक वरियाए कि (Do)

- 10 तक वगन

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9

- गहिी सास ल

- शात होन क वलए समय ल

- उस सथान को ोड द

- अपनी भावनाए उस वयवकत को बताए वजस पि आप ववशवास कित ह औि जो यथासभव सीि उस घ‍टना स जडा हआ न हो।

- अपनी पसद का सगीत सन।

- वयायाम या कोई अनय शािीरिक गवतवववि कि।

- वजस वयवकत पि आप रिोवित ह उस पतर वलख औि वफि उस पतर को नष‍ट कि द।

- कोई मजदाि वफलम दख।

- अपन पसदीदा शौक क साथ समय वबताए।

- क िचनातमक कि।

- वकसी की मदद कि।

वकशोिो म शािीरिक औि मनोवजावनक दोनो परकाि क ववकास औि परिणामी वयवहािगत परिवततन सामावजक-सासकवतक वाताविण स परभाववत होत ह। एक आम िािणा ह वक वकशोि एक सगामी समह होत ह। पिनत वासतव म उनक परोफाइल (पारत वचतर) कवल उनकी आय की वभननता क कािण ही नही अवपत उन पि वववभनन सासकवतक परिवश क परभाव औि उनकी आवशयकताओ क अनसाि सपष‍ट रप स वभनन होत ह। चवक व इस अववि की उलझनो औि सबवित सामावजक-सासकवतक परभावो को ठीक स नही समझत, व सवय को वयसक ससाि स वभनन समझना शर कि दत ह। उन समाजो म जहा वकशोिावसथा अववि लमबी होती ह, वहा वकशोि उप-ससकवतयो का वनमातण किन का परयास कित ह जो उनक सवततर होन की इचा को मदद किती ह। य उपससकवतया िीि-िीि समाज की मखय ससकवत म परिवततन को परभाववत किती ह।

शारीररि छकव/रग-रप िद बारद म सरोिार

वकशोिावसथा क समय वयवकत ववकास की वववभनन अवसथाओ स गजिता/ती ह। हि अवसथा म वह अपन शिीि औि िग-रप म परिवततन पाता/ती ह। यह ‘शािीरिक वव’ पि परभाव डालता ह, जो वक वकसी क शिीि का बहआयामी बोि होता ह वक वह कसा वदखता/ती ह, कसा अनभव किता/ती ह औि कस गवत किता/ती ह। शािीरिक वव बोि, भावनाओ औि भौवतक अनभवतयो स आकाि लती ह जबवक मनोदशा, भौवतक अनभव तथा पयातविण क अनसाि परिववततत होती ह। ‘‘अनय’’ बहत महतवपणत ह। वशकावथतयो को समहो म इस परकाि बा‍ट वक परतयक समह म 5-6 ववदाथथी हो। उनह वनमनवलवखत कस अधययन द औि परिचचात क बाद बड समह म परसतत किन क वलए कह।

िद स अधययन 1

कका 9 म शावलनी औि उसक वमतर ववदालय क वावषतक समािोह की तयािी कि िह थ। व सभी बहत उतसावहत थ। शावलनी शासतरीय नतय म भाग ल िही थी, जबवक उसकी कका की वमतर साथी अवनता औि फिहा ना‍टक म थी। एक वदन अवनता न उसका मजाक बनात हए कहा, “तम इतनी काली हो वक तमह मच पि दखन क वलए अवतरिकत परकाश की आवशयकता होगी।” शावलनी न उस कोई उति नही वदया। फिहा को शावलनी क वलए की गई यह व‍टपपणी बिी लगी। वह बोली, “तम इतना अचा नतय किती हो। तम िग गोिा किन क वलए कोई रिीम कयो नही उपयोग म लती? कया तम कलपना कि सकती

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10

हो वक यवद तमहािा िग गोिा होता तो तम मच पि वकतनी अची लगती?” शावलनी मसकिाई औि बोली, “िनयवाद फिहा, म तमहािी वचता की सिाहना किती ह। पिनत मिा िग जसा ह, म उसस खश ह। मिी वशकक औि म अपन नतय अभयास पि बहत महनत कि िह ह औि मझ ववशवास ह वक हमाि परयास औि तमहािी शभकामनाओ स हमािी परसतवत अची होगी।”

पररचचाथि िद कलए पशन

1. आप शावलनी क समबनि म अवनता की व‍टपपणी क बाि म कया सोचत ह?

2. कया आपक ववचाि स फिहा की व‍टपपणी झठी रवढवादी िािणा (सदि होन क वलए गोिा िग आवशयक ह) पि आिारित ह, या यह तथयो पि आिारित ह? अपना उति सपष‍ट कि।

3. शावलनी का उति कया इवगत किता ह वक उसकी वव सकािातमक ह या नकािातमक? अपन उति क पक म कािण द।

4. आपक ववचाि स कया शावलनी सपरषण की अपनी सकािातमक शली क साथ एक परिपकव वयवकत ह?

िद स अधययन 2

िॉवबन कका XI का ववदाथथी ह। वह ो‍ट कद का औि दबला-पतला ह। शािीरिक रप स कका का सबस ो‍टा लडका ह। यदवप वह फ‍टबाल खलना पसद किता ह, पिनत सकल की ‍टीम म उसका चयन कभी नही हआ। वह काफी तज ह औि कशल ह, पिनत कोच उस हमशा यह कहकि असवीकाि कि दता/ती ह वक उस दसि वखलाडी आसानी स िकका माि कि वगिा दग, जो उसस बहत बड ह। एक वदन सडक क वकनाि िॉवबन दवाइयो वाल एक आदमी क ‍ट‍ट क बाहि एक ववजापन दखता ह। उसक एक वचतर म दबला, कमजोि वदखन वाला लडका वदखाया गया ह औि दसि म एक हष‍ट-पष‍ट वयवकत वदखाया गया ह। ववजापन यह दावा किता ह वक जादई दवा स यह परिवततन हो सकता ह। िॉवबन यह दवा लकि दखना चाहता ह, पिनत वह डिता भी ह।

1. आपक ववचाि स िावबन अपनी कका क दसि लडको स अलग कया वदखता ह ?

2. कया आपक ववचाि स िॉवबन फ‍टबाल का एक अचा वखलाडी बन सकता ह औि कोच को उस एक अवसि दना चावहए ?

3. कया आपक ववचाि स िॉवबन को जादई दवा लनी चावहए जो वकसी को भी हष‍ट-पष‍ट बना दन का दावा किती ह ?

4. यवद आप िॉवबन क सथान पि होत, तो कया कित ?

5. कया आप सोचत ह वक माता या वपता या वशकक को वकसी न वकसी परकाि िॉवबन की मदद किनी चावहए ? यवद हॉ, तो वकस तिह ?

परसतवतकिण क बाद इस पि बल द वक –

• क गण परिववततत नही हो सकत (जस िग)। यह महतवपणत ह वक यवाओ म समाज या मीवडया दािा सथावपत ववयो की नकल किन पि बल दन क बजाए अपनी वववशष‍ट वव को महतव दन का सवावभमान होना चावहए।

• बड होन की परवरिया म बहत स पवातगह औि हावनकािक रवढया जडी हई ह वजन पि चचात किन औि उनका वविोि किन की आवशयकता ह।

• पवातगहो औि बड होन की परवरिया सबिी अजान क कािण लोग कभी-कभी हावनकािक औि अपरभावी वावणवयक उतपादो की तिफ आकवषतत हो जात ह जो उनक बढन की परवरिया को तज किन का दावा कित ह। उदाहिण क वलए क उतपाद वबना वकसी आहाि औि वयायाम क ही ऊचाई औि मास पवशयो म ववधि का दावा कित ह।

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• इसी परकाि सौदयत परसािनो औि बय‍टी पालतिो क ववजापन पवातगहो को औि मजदती दत ह औि शािीरिक िग-रप को अतयविक महतव दत ह वजसस वचता, अपणतता औि सवावभमान की कमी की अनभवत होती ह। जसा वक शावलनी क मामल म ह, इस परकाि क सभी पवातगहो औि दबावो का वविोि किना चावहए औि जो आप ह व जस वदखत ह उस पि आतमववशवास होना चावहए।

• कभी-कभी वकशोिो को अपन अनय सावथयो स वभनन वदखाई दन पि शमत महसस होती ह। हो सकता ह वक व दसिो की अपका तजी स या िीम परिपकव हो िह हो, औि यह वभननता सावथयो दािा तग किन औि वखलली उडान का कािण बन सकती ह। दसिी ओि, सावथयो क समह म स कोई (या कोई वयसक) एक सतवलत दवषटकोण सामन िख सकता/ती ह औि समह म परतयक को सकािातमक औि सामानय िहन म मदद कि सकता/ती ह।

यौन सबिी मामलो म किजासा और उततरदायी यौन वयवहार

यवा परबल शािीरिक आकषतण का अनभव कि सकत ह। यह बड होन की सामानय परवरिया का भाग ह। पिनत सभी आकषतण यौन आकषतण क वगत म नही िख जा सकत। वकशोि लडक औि लडवकया पिसपि बातचीत किना, एक दसि की परवतभा औि सदिता की परशसा किना औि वमतरता तथा सदभाव क सकत क रप म अपनी वकताब तथा नो‍टस साझा किना चाहग।

यह महतवपणत ह वक यवाओ को यौन सबिी मामलो म सही, ससकवत क अनकल औि आय क उपयकत जानकािी दी जाए। यह यवाओ को अपन जीवन म उतिदायी सबिो क वलए जानकािी दगी औि तयाि किगी, जो वक समानता, आदि, सवीकवत औि ववशवास पि आिारित ह। जानकािी क ववशवसनीय सतरोतो क अभाव म यवा गमिाह हो सकत ह। परिणामसवरप व अनतिदायी औि शोषणकािी सबिो क वशकाि या कतात बन सकत ह।

यौन वयवहाि अकसि सामावजक मानदडो स परभाववत होत ह वजनम स अविकाश सथानीय सदभत दािा वनिातरित वकए जात ह। क समाजो म वव वाह-पवत यौन सबिो को ठीक नही समझा जाता। यह परिपरकषय यवाओ की सिका औि कलयाण क वलए सिोकािो म वनवहत हो सकता ह औि इस िािणा स वनदववशत ह वक परतयक वयवकत को यौन सबि सथावपत किन स पहल परिपकवता क एक सति (जववक आय औि वयसक वचतन परवरिया क सदभत म) पि पहच जाना चावहए, तावक उनका उतपीडन या शोषण न हो। पिनत सही जानकािी औि कौशलो स यकत होन पि, यह वयवकत पि वनभति किता ह वक अपन सदभषो म इन वनणतयो पि पहच औि उनका उतिदावयतव सभाल।

पयोग िरनद िी आय

वकशोिावसथा परयोग किन औि नई चीज सीखन की आय ह। जबवक यह एक सकािातमक गण ह, पिनत इसम क सभाववत खति भी ह। मीवडया या सावथयो का दबाव वकसी वववशष‍ट वयवहाि को मवहमा मवणडत कि सकता ह जो वासतव म हावनकािक होता ह। कभी-कभी उनह जोवखमपणत वयवहाि क साथ परयोग किन क वलए उकसाया जाता ह, जस िमरपान, मादक पदाथत का सवन औि शिाब पीना औि/अथवा असिवकत यौन कायत। यदवप ऐस वयवहाि परयोग क रप म शर होत ह, वकनत क यवा बचच इसम इसक परिणाम जान वबना जीवन भि क वलए फस भी सकत ह। वयसको की नकल किना इस परकाि क जोवखमपणत वयवहाि म परिणत हो सकता ह। अत: वकशोिो को सही, ससकवत अनकल औि उपयकत जानकािी दािा सबल बनाना महतवपणत ह तावक व वासतववक जीवन परिवसथवतयो क परवत परभावी रप स परवतवरिया किन योगय बन सक ।

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पररवार सद दरी और नए सबिो िा कनमाथिण

वकशोिावसथा म लोग अपन परिवाि क बाहि सबि बनान लगत ह औि इसम हमउमर सावथयो का ववशष सथान िहता ह। उनम अपनपन का परबल बोि ववकवसत हो जाता ह औि वववभनन मदो पि उनक अपन दवष‍टकोण औि भावनाए होती ह, जो अकसि उनक माता-वपता क ववचािो स मल नही खाती। य गण यवाओ को सवततर औि उतिदायी वनणतय लन हत तयाि किन क वलए महतवपणत होत ह।

माता-वपता को अपन बचचो क वयसको जस इन गणो को सवीकाि किन म कवठनाई आती ह, जब व परशन प त ह, कािण बतात ह औि कभी-कभी कहना मानन क बजाए तकत कित ह। माता-वपता को चावहए वक व अपन वकशोि बचचो म इन परिवततना को सवीकाि कि। माता-वपता को लग सकता ह वक उनक वकशोि बचच उनक ववचािो को महतव नही दत। सभव ह वक यह सतय न हो। जबवक, सभव ह वक वकशोिो को उनक माता-वपता क समय औि सलाह की पहल स भी यादा आवशयकता हो। पिनत माता-वपता औि वकशोिो की पािसपरिक वरियाओ क वलए क वनदशक वसधिात पन: सथावपत किना महतवपणत हो सकता ह।

माता-वपता क वलए यह महतवपणत होगा वक अपन वकशोि बचचो स परशन किन औि उनस आजा मानन की अपका िखन क बजाय, व उन बचचो क साथ समानता का वयवहाि कि, उनह सन, उनक ववचािो का आदि कि, उन पि ववशवास कि औि अपन सझावो क वलए तकत द। इसी परकाि, वकशोिो का भी यह उतिदावयतव ह वक व अपन माता-वपता क ववचािो को सन, उनक सझावो पि धयानपवतक ववचाि कि औि वफि अपना दवष‍टकोण औि भावनाए सपष‍ट रप स औि आदिपवतक उनक सामन िख। यह माता-वपता तथा वकशोिो क सबिो म सामजसय सथावपत किन म सहायक होगा। वकशोि अकसि वयसको जसा वयवहाि किना औि सवततर वनणतय लना चाहत ह। आतमवनभति बनन औि अपनी पहचान ववकवसत किन क परयास म वकशोि िीि-िीि अपन माता-वपता स दिी बनान लगत ह औि अपनी िाय ववकवसत किना, वनणतय लना औि अपनी योजनाए बनाना परािमभ कि दत ह।

हमउमर साी-समह सद सबि

वकशोि अपन परिवािो स दि होना आिमभ कि दत ह तथा व अपन हमउमर सावथयो (वमतरो/परिवचतो) को अविक महतव दना आिमभ कि दत ह। व अकसि सहमवत परापत किन क वलए अपन हमउमर समह की ओि दखत ह औि उस सहमवत की परावपत क वलए अपना वयवहाि तक बदल सकत ह। सावथयो का परभाव उनह अपनी सवततर पहचान सथावपत किन म मदद किता ह औि कई रपो म यह सकािातमक भी हो सकता ह। इसस वयवकत को सोचन क नए तिीक, जीन क वभनन तिीक औि नए ववचािो क साथ-साथ ववववि दवष‍टकोण भी परापत होत ह। साथी समह वकशोिो को उनक वयवकततव क वववभनन पहल खोजन, भावनाओ औि वमतरता ढढन, साथ यातरा किन, कायत औि जीववका पि चचात किन, िचनातमक गवतववविया किन औि मौज-मसती क वलए अवसि उपलबि किाता ह।

लवकन, सावथ यो का परभाव नकािातमक भी हो सकता ह। पहल हई चचात म यह दखा गया ह वक जो यवा िमरपान किन या मादक दवय लन का परयोग कित ह, ऐसा व सावथयो क दबाव म आकि ही कित ह।

रकियो िो समझना और उनिा सामना िरना

ववदालय यवाओ को यौन उतपीडन औि दवयतवहाि स बचान क वलए औि इसस वनप‍टन क वलए सबल बनान म महतवपणत भवमका वनभा सकत ह। आइए इन पि कस अधययनो क माधयम स चचात कित ह। सभी वशकावथतयो को 5-6 सदसयो वाल समहो म बा‍ट द। परतयक समह एक कस अधययन पि कायत किगा। एक स अविक समहो को एक ही कस अधययन वमल

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सकता ह।

िद स अधययन 1

दो वमतर डी औि ई िात क समय एक सनसान सडक पि पदल जा िह ह। अचानक एक चोि उनक सामन आता ह, उनह चाक वदखाता ह औि कडक आवाज म कहता ह वक जो भी पस उनक पास ह व उसक हवाल कि द। डी उल‍टी वदशा म भागना शर कि दता ह, जबवक ई चोि का हाथ पकडता ह औि उस जोि स घसा मािता ह औि चोि को चाक वगिान पि मजबि कि दता ह। चोि चाक को वही ोड कि भाग जाता ह।

1. परतयक समह स कह वक व वदए गए कस अधययन म पातरो का नाम द।

2. पातरो क नाम मवहलाओ या परषो वाल िखन पि चचात कि।

िद स अधययन 2

िहाना अपन गाव की एकमातर लडकी ह जो पढन क वलए उचचति माधयवमक ववदालय जाती ह। ववदालय उसक घि स काफी दि ह। उस सावतजवनक बस की परतीका किनी पडती ह जो ववदालय पहचन म लगभग एक घ‍ट का समय ल लती ह। िहाना पढन म अची ह। उसक वशकक कहत ह वक उसका भववषय उवल ह। उसक माता-वपता उस सकल भजन को िाजी हो गए, पिनत इस शतत पि वक वह परवतवदन समय पि (अििा होन स पहल) घि पहच जाएगी। उसकी ककाए परात: 10 बज स दोपहि 4 बज तक होती ह औि कभी-कभी यवद बस समय पि नही आती तो उस घि पहचन म दिी हो जाती ह। परवतवदन उस घि समय पि पहचन का तनाव बना िहता ह।

1. आपक ववचाि स िहाना क माता-वपता कयो इतन सखत ह वक उस परवतवदन समय पि घि पहच जाना चावहए? तीन या चाि सभव कािण बताए।

2. िहाना क तनाव क वलए उतिदायी कौन ह? कया िहाना सवय, उसक माता-वपता, सकल ततर या सडको पि औि बसो म सिका की कमी अथवा कोई अनय कािक?

3. यवद आप िहाना क सथान पि होत, तो कया आप ववदालय जाना जािी िखत? कयो अथवा कयो नही?

4. कोई तीन तिीक सझाइए वजनम िहाना की वसथवत म सिाि लााया जा सकता हो, तावक वह वबना अविक तनाव क ववदालय जाना जािी िख सक।

िद स अधययन 3

िीना 16 वषत की लडकी ह औि वह कका X म पढती ह। उसकी कका का एक लडका हमत क समय स उसका पीा कि िहा ह। वह िीना स शादी का परसताव भी िख चका ह औि िीना न उसक परसताव को नकाि वदया। वफि भी, यह लडका उस यह कह कि तग किता िहा वक ‘‘जब लडकी न कहती ह तो उसका मतलब हा होता ह।’’ िीना बहत गसस म ह। वह अपन वशकक को बताना चाहती ह, पिनत डिती ह वक वशकक शायद यह सब न समझ सक।

पररचचाथि िद कलए पशन

1. आपक ववचाि स हमत यह व‍टपपणी कयो किता ह, ‘‘जब लडकी न कहती ह, तो उसका मतलब हा होता ह’’? आप इस व‍टपपणी क बाि म कया सोचत ह?

2. आप हमत को कया सलाह दत, अगि वह आपका वमतर होता?

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3. आप िीना को कया सलाह दत, अगि वह आपकी वमतर हाती?

िद स अधययन 4

चौदह वषथीय िवव क अपन माता-वपता क साथ सबि ठीक नही थ। वजस कािण, वह लमब समय तक घि स बाहि िहता था। वह अपन स क बड लडको क समह क साथ घमता िहता था जो जोवखमपणत आदतो म वयसत िहत थ। िवव उनकी ओि आकवषतत हो जाता ह औि साथ ही वह तय नही कि पा िहा था वक वह उनक साथ जोवखमपणत आदतो म शावमल हो या नही। वह उलझन म था औि नही जानता था वक मदद औि सलाह क वलए वकसक पास जाए।

1. व कौन स समभाववत खति थ वजनम िवव फस सकता था, ववशष रप स एच० आई० वी० क सदभत म?

2. इस वसथवत म, कया िवव क माता-वपता क अविक सहायता वाली भवमका वनभा सकत थ? यवद हा, तो सपष‍ट कि वक उनहोन कया वकया होता?

वनमनवलवखत पि बल द:

• उतपीडन वववभनन परकाि क हो सकत ह – भावातमक, शािीरिक, आवथतक औि यौन सबिी।

• ऐसा सभी परकाि क लोगो क साथ हो सकता ह, चाह वह वकसी भी वगत, जावत, शवकक सति, शहिी- गामीण कतरो क हो। लडक औि लडवकया दोनो ही यौन उतपीडन क वशकाि हो सकत ह।

• बाल यौन उतपीडन पि ववशव म, वववभनन ससकवतयो औि समाजो म वयापत ह। बाल यौन उतपीडन वकसी वयवकत दािा की जान वाली कोई भी उतपीडक यौन गवतवववि हो सकती ह जो वह बालक पि अपनी शवकत का परयोग कि, अपनी आय, बल, पद या सबि क उपयोग स अपन यौन सबिी या भावातमक आवशयकताओ को पिा कििन क वलए बचच का उपयोग किता ह।

• अभी हाल ही म भाित म वकए गए िाषटवयापी सवव म, वजसम 13 िायो क 12,447 बचचो न भाग वलया; 50% बचचो न यौन उतपीडन क वकसी न वकसी रप को उजागि वकया। 53 परवतशत वशकाि लडक थ (बाल उतपीडन पि अधययन, मवहला एव बाल ववकास मतरालय, 2007) इस आप http://wed.nic.in/publications, पषठ 71-102 पि परापत कि सकत ह।

• अकसि, उतपीडक कोई सबिी या पारिवारिक वमतर या शवकतशाली पद वाला वयवकत होता ह। यह बहत कवठन कायत ह वक वशकाि वयवकत अपना अनभव वकसी क साथ साझा कि औि उतपीडक की पहचान बताए।

• यौन उतपीडन औि दवयतवहाि की घ‍टनाओ को डि, शमत, अपिाि बोि या दोषािोपण औि ववशवास नही वकए जान की आशका स रिपो‍टत नही वकया जाता। पीवडत को दोष दन क बजाए उस हि सभव मदद दी जानी चावहए।

• यौन उतपीडन औि दवयतवहाि को िोकन म ववदालयो की बहत महतवपणत भवमका हो सकती ह। माता-वपता औि वशकक इस परकाि की वयवसथा सथावपत कि सकत ह वजसस यौन उतपीडन को रिपो‍टत किना सहज हो सक औि वशकायत किन वालो को मदद वमल सक।

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किशोरो िद कशिार हादनद िी सभावनाए: मददय‍ता

िद स अधययन 1

मोवहत 10 वषत का ह। उसक अकल अकसि उसक घि आत ह औि वहा ठहित ह। व मोवहत क वलए बहत-सी ‍टावफया औि वबसक‍ट लात ह। व हमशा मोवहत क कमि म सोन क वलए जोि दत ह। कभी-कभी व मोवहत को सपशत किन का परयास कित ह वजस मोवहत पसद नही किता। मोवहत क माता-वपता न महसस वकया वक मोवहत बहत चप औि वखचा-वखचा सा िहन लगा ह, पिनत उनह क बताता नही ह।

पररचचाथि िद कलए पशन

• आपक ववचाि स मोवहत अपन अकल क वयवहाि स असहज कयो ह?

• मोवहत क माता-वपता को कया किना चावहए जब उनह पता चल वक वह बहत चप औि वखचा-वखचा सा िहन लगा ह?

• आपक ववचाि स मोवहत अपन माता-वपता को सािी बात कयो नही बताता?

• कया मो वहत क अकल उसस दवयतवहाि कि िह थ? अपना उति सपष‍ट कि।

िद स अधययन 2

17 वषथीय महश की वपल पाच वषषो स उसक पडोस म लडको क एक समह स वमतरता ह। उसक वमतर उस पि दबाव डालत ह वक वह इजकशन दािा मादक पदाथत ल। वह मना किता ह, पिनत जब व उसका मजाक बनान लगत ह तो वह परयोग क रप म इजकशन दािा नशीला पदाथत लन क वलए तयाि हो जाता ह, कयोवक वह समह स अलग वदखना नही चाहता। वह उसी सई का परयोग किता ह जो दसि लडक कित ह औि उस अनभवत का आनद लता ह। जलद ही वह इजकशन दािा वलए जान वाल नशील पदाथत का आदी हो जाता ह।

1. महश क वनणतय को परभाववत किन म उसक तथा-कवथत वमतरो की कया भवमका थी?

2. कया महश अलग तिह स वयवहाि कि सकता था? यवद हा, तो वह कया कि सकता था?

िद स अधययन 3

गवडया अपनी मा औि दादी दोनो को तबाक चबान का आनद लत हए दखती थी। जब वह बािह साल की हो गई तो उसन महसस वकया वक वह अब इतनी बडी हो गई ह वक वह ग‍टखा/तबाक औि पान खाना शर कि द। गवडया को मालम ह वक नककड की दकान वाला ग‍टखा िखता ह औि वह उसस ग‍टखा खिीद लती ह।

पररचचाथि िद कलए पशन

1. गवडया औि उसकी मा क बीच 2-3 वमन‍ट की बातचीत को ना‍टयरप म परसतत कि, वजसम मा गवडया को नश की

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आदत डालन स िोकती ह।

2. ऊपि वदए गए कस अधययन का उपयोग कित हए वकशोिो क नशील पदाथषो का सवन परािमभ किन म परिवाि की भवमका बताइए।

3. आपक ववचाि स गवडया को कयो अपनी मा की बात माननी चावहए औि पान तथा ग‍टखा/तबाक चबान का मोह ोड दना चावहए?

िद स अधययन 4

मकश क वपता शिाबी थ। व परिवाि म वकसी स बातचीत नही कित थ औि उसक माता-वपता क बीच हमशा लडाई चलती िहती थी। मकश तग आ गया औि उसन शिाब पीना शर कि वदया, कयोवक उसन सोचा वक यह उस घि क तनावो स मवकत वदलाएगा। यदवप वह क दि क वलए अपनी समसयाए औि तनाव भल जाता था, पिनत समसयाए तो बनी िही औि वासतव म समय क साथ बद स बदति होती चली गइइ।

पररचचाथि िद कलए पशन

1. कौन-कौन मकश की शिाब पीन की आदत क वलए उतिदायी ह?

2. मकश क पास कया ववकलप थ?

3. आप मकश क सथान पि होत तो कया कित?

इस बात पि बल द वक,

• वकशोिो की आय ऐसी होती ह वक व परयोग किन क परवत अवत-सवदनशील हो जात ह औि नई चीजो को खोजन हत बहत वजजास बन जात ह।

• वकशोि इतन परिपकव नही होत वक व परजनन अथवा माता या वपता बनन का उतिदावयतव समभाल सक । अत: यवद कोई लडकी वकशोिावसथा म गभतिािण कि लती ह औि मा बन जाती ह, तो यह उसक सवासथय क वलए भािी खतिा हो सकता ह। इसस अनय समसयाए भी उतपनन हो सकती ह जो वशका, आवथतक उतपादकता औि सामावजक-आवथतक सवततरता क सदभत म यवा मवहला क वलए अवसिो को सीवमत कि सकती ह।

• अत: यह महतवपणत ह वक हम वकशोिो को सही जानकािी द वक एच०आई०वी० कस सचारित होता ह। माता-वपता सबस महतवपणत वयवकत होत ह वजनकी ओि वकशोि सहायता क वलए दखत ह। एच०आई०वी० स बचाव म ववदालय महतवपणत भवमका वनभा सकत ह। वकशोि मागतदशतन क वलए अपन वशकको स अपका िखत ह उनह समझाए वक:

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एच०आई०वी० सरिवमत साथी क साथ अस िवकत यौन सबि बनान स, सरिवमत सई स, सरिवमत िकत या िकत उतपादो स औि सरिवमत मा स अजनम बचच म सचारित होता ह ।

एच०आई०वी० वकस परकाि सचारित नही होता?

• एच०आई०वी० पॉवजव‍टव वयवकत क साथ हाथ वमलान स

• एच०आई०वी० पॉवजव‍टव वयवकत को चमन या गल लगान स

• एच०आई०वी० पॉवजव‍टव वयवकत क साथ कप, पल‍ट या अनय खान क बततन साझा किन स

• एच०आई०वी० पॉवजव‍टव वयवकत क साथ शौचालय औि सनानघि सवविाए साझा किन स

• खासन या ीकन या वाय वजसम हम सास लत ह

• उस कका या क ‍टीन म बठन स वजसम कोई एच०आई०वी० पॉवजव‍टव वयवकत बठा/ठी हो

• एच०आई०वी० पॉवजव‍टव वयवकत क साथ उपकिण या मशीनिी साझा किन पि

• एच०आई०वी० पॉवजव‍टव वयवकत क साथ तिणताल म नहान अथवा खलन स

• िकत दान किन स (िोगाणहीन या नई सइयो स)

• वकसी की‍ट जस– मचि, ख‍टमल आवद क का‍टन स।

किशोरो िी पोरण सबिी आवशयि‍ताए

वकशोिावसथा को तीवर ववधि औि ववकास की अवसथा क रप म भली-भावत पहचान वलया गया ह। पोषण इस अवसथा म होन वाली ववधि औि ववकास क वलए एक महतवपणत वनिातिक ततव ह। उदाहिण क वलए, उपयकत पोषण शािीरिक ववधि, हवडडयो की अपवकत ताकत परापत किन औि समय पि परजनन औि यौन परिपकवता परापत किन म मदद किता ह। धयान िख वक –

• एक अचा सतवलत आहाि, वजसम परो‍टीन, काबमोहाइड‍ट, वसा, वव‍टावमन औि खवनजो की उपयकत मातरा हो, परतयक वकशोि क वलए आवशयक ह। य सभी पोषक ततव वववभनन परकाि क खाद पदाथषो जस चावल या िो‍टी, दाल, हिी सबजी, दि, फल, मगफली, फली, अनाज, मली, अडा, मास आवद म होत ह। यह आवशयक ह वक हम इनह सही मातरा म अपन आहाि म ल। बहत स सथानीय रप स उपलबि ससत औि मौसमी खाद पदाथत होत ह, उनह अवशय भोजन म शावमल वकया जाना चावहए।

• हि कतर म क पोषक खाद पदाथत उपलबि होत ह, इनक बाि म जानकािी लनी चावहए औि परवतवदन भोजन म एक भाग क रप म इनह शावमल किना चावहए। उदाहिण क वलए बाजिा, िागी, कवलसयम स भिपि सतरोत ह औि भाित क अविकति भागो म वमलत ह।

• वडबबा बद औि तल हए खाद पदाथत सवावदष‍ट हो सकत ह, पिनत इनह वनयवमत भोजन क सथान पि न ल कयोवक इनम पोषक ततवो की उपयकत मातरा नही होती।

• बॉडी मास इडकस (BMI) का उपयोग यह वनिातरित किन हत वकया जाता ह वक वकसी वयवकत का भाि कम ह, सामानय ह या अविक ह औि इसका वनमनवलवखत सािणी स आसानी पता चल जाता ह। बी०एम०आई० शिीि क भाि औि लमबाई सबिी माप ह। इस वनमनवलवखत सतर दािा जात वकया जा सकता ह –

• बी०एम०आई० = वकलागाम म भाि/(मी‍टि म ऊचाई)2

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बी०एम०आई० वगत<18.5 कम भाि18.5-24.9 सामानय भाि25-29.9 अविक भाि>30.0 मो‍टापा

िछ सामानय पोरण सबिी रोग/कविार : पोरण सबि रक‍त कीण‍ता (अनीकमया)

लाल िकत कोवशकाओ म हीमोगलोवबन की कमी क कािण िकत की आकसीजन–वाहक कमता म कमी अनीवमया कहलाती ह। यह धयान दना महतवपणत ह वक वकशोिावसथा म िकत क आयतन औि पवशयो क भाि म तीवर ववसताि क कािण शिीि म लौह ततव की आवशयकता म ववधि हो जाती ह। अत: वकशोिो को लौह ततव यकत भोजन, हिी पतदाि सवबजया, गड, मास क साथ वव‍टावमन C क सतरोत जस खट फल, सति, नीब औि आवला खान चावहए। आयिन (लौह ततव) की कमी स अनीवमया हो जाता ह, वजसस शिीि म थकाव‍ट औि ससती िहती ह। यवद इलाज न किवाया तो इसक दीघतकालीन हावनकािक परिणाम हो सकत ह। िाषटीय परिवाि सवासथय सववकण (NFHS, 2005-06) क परिणाम बतात ह वक सववकण क समय 1.5 स 24 वषत आय समह की 56% मवहलाए औि 25 % परष अनीवमया स पीवडत थ।

किाक‍तशय‍ता ‍तकतरिाश (Bulimia Nervosa)

पोषण सबिी िोग स पीवडत वकशोि जरित स अविक खा लत ह औि वफि उल‍टी किक या िचक (लकजव‍टव) ल कि उनह वनकालत ह तावक भाि न बढ। यह किावतशयता तवतरकाश कहलाता ह, यह खान स सबवित एक ववकाि ह जो वचता, तनाव या भाि बढन क कािण हो जाता ह।

किा-अभाव ‍तकतरिाश (Anorexia Nervosa)

किा-अभाव स गवसत वकशोिो को भाि ववधि का गमभीि डि बना िहता ह औि व अपन भोजन की मातरा कम या वरत िख कि भाि सीवमत कित ह औि कभी-कभी आवशयकता स अविक वयायाम भी कित ह। किा-अभाव तवतरकाश बहत अविक ववकत शािीरिक वव क डि स सवय को भखा िखना ह।

वयवकतयो म भावातमक औि शािीरिक परिवततनो की अपयातपत सवीकवत, मीवडया वनवमतत वव, सावथयो क दबाव, पढाई क कािण तनाव औि बडो क अपयातपत मागतदशतन क कािण होत ह। लडवकयो औि मवहलाओ की मीवडया वनवमतत ववया- पतला आदशत शिीि, एक परमख कािण ह वजसस बहत सी लडवकया औि यवा मवहलाए िोग गसत हो जाती ह इसस उनक िजोिमत का परािभ भी दिी स होता ह, वजसक गमभीि परिणाम होत ह, जस ऐठन, वकक हास (renal failure), अवनयवमत िडकन औि अवसथ सवषिता (Osteporosis)।

वकशोिो की पोषण सबिी आवशयकता म लापिवाही किन स उनह कपोषण सबिी सवासथय की बहत सी समसयाए हो जाती ह। समाज म ववदमान जडि भद-भाव औि रवढबधिता क कािण वकशोि लडवकयो म नयन पोषण एक गमभीि समसया ह। इसक अलावा नयन पोवषत वकशोि लडवकयो को गभातवसथा औि बचच क जनम क समय गमभीि समसयाओ का सामना किना पडता ह।

इन दोनो वसथवतयो म सिाि न किन पि सवासथय पि हावनकािक परभाव पडत ह। इसक क लकण ह– कमजोिी, बालो का झडना, वनमन िकतचाप, नाखनो का भगि होना, अनीवमया, अवसाद, ससती औि िचक (लकजव‍टव) का अविक उपयोग।

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सतवलत आहाि का अथत होता ह– परो‍टीन, काबमोहाइड‍ट, वसा, वव‍टावमन उपयकत मातरा म लना।

वकसी योगय वयवकत (पोषण-ववशषज, डॉक‍टि) क पिामशत क अभाव म कठोि आहाि योजनाए औि पतल होन की दवाइया हावनकािक हो सकती ह। लडवकयो क वलए पतला होन औि लडको क वलए लमबा औि हष‍ट-पष‍ट होन क ववजापन यवाओ को असवासथयकि भोजन ववकलपो की ओि ल जा सकत ह।

खान-पान की सवसथ आदतो म शावमल ह –

- िीि-िीि औि अची तिह चबाकि खाना

- खाना खात समय ‍टी०वी० दखन या पढन स बचना

- एक सतवलत आहाि लना वजसम वववभनन खाद समह उवचत मातरा म हो

- सही अनपात म औि सही अतिाल स खाना

- न भोजन को ोडना औि न ही आवशयकता स अविक खाना

- पयातपत मातरा म पानी पीना (8 स 10 वगलास परवतवदन)

कनषिरथि

वकशोिावसथा वशका एक नया औि वववशष‍ट पाठयचयथीय कतर ह। वततमान वशका परणाली म जीवन कौशलो क ववकास क वलए सपरषण कायतनीवतया परािमभ किन हत ववशष परयास वकए जान की आवशयकता ह। पाठयचयात सपरषण की कायतनीवतयो औि वववियो को साविानी स तय वकए जान की आवशयकता ह। इसका मल कािण इस कतर क वनमनवलवखत लकण ह–

• जीवन कौशल ववकास पि मखय रप स क वदत वकशोिावसथा वशका, वासतववक जीवन की परिवसथव तयो का सामना किन क वलए वशकावथतयो की परमख आवशयकता क रप म उभिन क बावजद पाठयचयात म इस बहत कम सथान वदया गया ह।

• इसकी क ववषय वसत बहत सवदनशील परकवत की ह औि इसस जड लोगो (वशकक, पराचायत, माता-वपता तथा समाज क अनय लोग) को इन ततवो स सकोच ह या उनम इसक वववभनन पको क परवत सवीकायतता नही ह।

• शवकक कतर वकशोिो क सामन आन वाली समसयाओ पि क वदत ह, वजनह कभी-कभी गलती स एक सभागी समह मान वलया जाता ह। उनकी आय, अनभवो औि सामावजक-सासकवतक परिवश म परिवततनशीलता उनकी ववषमागी परकवत की ओि सकत किता ह।

• वकशोिावसथा वशका मल रप स गि-सजानातमक कतर को परभाववत किन औि वशकावथतयो क जीवन कौशलो क ववकास पि लवकत ह। इस ऐसी सपरषण कायतनीवतयो की आवशयकता ह जो अनभवजनय अविगम परिवसथवतया उतपनन किती हो औि मल रप स अत:वरियातमक हो।

• यदवप लोग वकशोिो को वववकपणत औि उतिदायी वनणतय लन म सबल बनान की आवशयकता को महसस कि िह ह, पिनत सालो पिानी वजतनाओ औि आशकाओ को चनौती दन औि वकशोिावसथा वशका क वलए एक समथत वाताविण बनान क वलए सतत परयासो की आवशयकता ह।

िाषटीय पाठयचयात की रपिखा (एन०सी०एफ०) 2005 की सामगी सहभागी वशकण-अविगम को परोतसाहन दती ह, वजसस वशकण-अविगम वववियो की सथापना क वलए एक सहायक वाताविण तयाि हो औि वजसस पाठयचयात की मखयिािा म जीवन कौशलो का ववकास हो सक। वकशोिावसथा वशका की ववषय-वसत क सपरषण हत वनमनवलवखत वशकण वववियो को अपनाए जान की आवशयकता ह– प ता एव खोज वववि, मलय सपष‍टीकिण, कस अधययन, भवमका वनवातह (िोल पल), वाद-वववाद, समह परिचचात, परशन कोषठक, पिामशत औि साथी वशका तथा दशय-रिवय/मदण सामगी।

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जीवन कौशलो क ववकास क वलए शवकक हसतकप वशकावथतयो को वकसी वववशष‍ट सदभत; जस परशन प ना, ववभद किना, िमकाना या नकािातमक साथी-दबाव, वविोि किना आवद सकम बनान पि क वदत होना चावहए। अत: एक ऐसी ववदा या वशकाशासतर को उपयोग म लाना आवशयक ह जो अनभवजनय अविगम पि ववशष जोि दत हए एक शवकक परवरिया क रप म जीवन कौशलो क ववकास को शावमल कि। वशकावथतयो को गतयातमक वशकण-अविगम की दोनो परवरियाओ– सवरिय औि अनभवजनय म सलगन किन की आवशयकता ह।

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भाग II

सामाकिि कवजान कशकण अकिगम

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भाग II

सामाकिि कवजान कशकण अकिगम

सामावजक ववजान परािवभक सति स लकि ववदालयी वशका क सभी सतिो पि ववदालयी पाठयचयात का एक अवभनन अग ह। तजी स बढत सवा कतरो म सामावजक ववजान क महतव को कवल िोजगाि की दवष‍ट स उसकी परासवगकता को िखावकत किना ही नही अवपत ववशलषणातमक औि सजतनातमक वचतन दवष‍ट क वलए आिाि भवम वनवमतत किन क उदशय स उसकी अपरिहायतता को इवगत किना भी ह। ववदावथतयो की वववचनातमक समझ ववकवसत किन हत एक साथतक सामावजक ववजान पाठयचयात क वलए सामगी का चयन औि उस वयववसथत किना वासतव म एक चनौतीपणत कायत ह। ववशष रप स ववदावथतयो क अपन जीवन क अनभवो की दवष‍ट स नए आयामो औि सिोकािो को शावमल किन की असीम सभावनाए ह। वशकक की अपन ववषय म वकतनी भी ववशषजता कयो न हो, उस ववदावथतयो की वववभनन आवशयकताओ औि रवच को धयान म िखत हए औि परतयक ववदाथथी क वलए सीखन क बहति अवसि सवनवशच त कित हए कका म वववभनन परकाि की वशकण औि मलयाकन पधिवतयो को शावमल किना चावहए। (आ‍टारियो सकल करिकलम, 2013), वशकक वववभनन परकाि क अनदशातमक आकलन औि मलयाकन पधिवतयो का उपयोग कित हए, सामावजक ववजान की गवतवववियो, परियोजनाओ, अनवषण म वयसत िहत हए, ववदावथतयो को उनक आलोचनातमक वचतन, समसया-समािान औि सपरषण कौशलो क ववकास क वलए अनक अवसि उपलबि किात ह।

कवशलदरणातमि समझ िा कनमाथिण

सामावजक ववजान म पाच ववषय शावमल ह – इवतहास, भगोल, िाजनीवत ववजान, अथतशासतर औि समाजशासतर। य सभी ववषय एक दसि स वभनन होत हए भी मनषय क वयवकतगत औि सामवहक वयवहाि को जानन का परयास कित ह, तथा इनस यह भी सपष‍ट ह वक य मानव वयवहाि परिवािो, समदायो, ससकवतयो, ससथाओ, पयातविण औि समाजो तथा ववचािो, मानदणडो तथा मलयो को वकस परकाि परभाववत कित ह तथा कस उनस परभाववत होत ह। सामावजक ववजान का आिािभत लकषय कवल बवनयादी सकलपनाओ की समझ को पष‍ट किना ही नही अवपत ववदावथतयो को इस योगय बनाना भी ह वक व मानव औि समदाय क सथानीय स लकि ववशवक सति तक क वयवहाि को जानन-समझन की आलोचनातमक दवष‍ट ववकवसत कि सक । एक वववशष‍ट दवष‍ट उपलबि किाकि सामावजक ववजान ववदावथतयो को ववववि सिोकािो; जस यधि औि शावत, परजाततर औि एकततर, सता औि शासन, गिीबी, जावत औि वगत, जडि औि वपतसता, रवढबधिता औि पवातगह आवद क परवत उनकी जागरकता वनमातण हत सकम बनाता ह। यह ववदावथतयो को वनिति जव‍टल होत औि ववववितापणत समाज म वनणतय लन हत समथत बनाता ह।

इस परकाि ववषयवसत का सपरषण घ‍टनाओ औि परवरि याओ की सकलपनातमक समझ पि क वदत होना चावहए, जो वशकाथथी को कवल जानकािी िखन क बजाए सामावजक-िाजनीवतक वासतववकताओ पि ववमशत किन योगय बनाएगा। सामावजक ववजान क अधययन स ववकवसत जान औि समझ यवा मानस को सवय को वववकपणत औि परभावी नागरिको की भवमका क वलए तयाि किन क वलए सदढ आिाि उपलबि किा सकता ह। अत: वशकको की भवमका महतवपणत हो जाती ह। वशकक क वलए जरिी ह वक वह सामावजक ववजान क वववभनन ववषयो की ववषयवसत को इस तिह परसतत औि समपरवषत कि वक वशकावथतयो म अनमान लगान, आलोचनातमक रप स सोचन औि बहआयामी दवविाओ का सामना किन की समझ ववकवसत हो सक। यहा यह भी महतवपणत ह वक वशकक अपन वशकण म ववदावथतयो क वनजी अनभवो को भी महतव द वजसस वक उनम एक ववशलषणातमक औि िचनातमक सोच का आिाि तयाि हो सक।

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माधयवमक सति पि यह महतवपणत ह वक वशकक ववषयो को इस परकाि सपरवषत कि वक ववदावथतयो म आलोचनातमक सोच को बढावा वमल सक, साथ ही उनक जीवन की वासतववकताओ स जड मदो पि चचात क वलए उनह परोतसावहत कि। उदाहिण क वलए, ‘ववकास’ ववषय को सपरवषत कित समय वशकक वनमनवलवखत परशनो पि परिचचात को परोतसावहत कि सकता/ती ह:

• वववभनन वगमो क लोगो क वलए ववकास का अथत कया हो सकता ह?

• कया ववकास समानता औि समता की ओि ल जाता ह?

• ववकास वकस परकाि मवहलाओ, शािीरिक अकमताओ औि हावशए क अनय समहो क लोगो क जीवन को परभाववत किता ह?

• जो एक क वलए ववकास ह, कया वह दसि क वलए भी ववकास हो सकता ह?

• वववनमातण औि सवा उदोगो म कवष रिवमक औि अशकालीन गिसिकािी कवमतयो क वलए ववकास का अथत कया ह?

• कया ववकास गह-सहावयकाओ, डाइविो औि सबजी बचन वालो जस असगवठत कतर क कवमतयो को परभाववत किता ह?

• कया ववकास नीवतया औि कायतरिम गामीण कतरो तक पयातपत रप स पहचत ह?

• बािो क वनमातण का अथत उदोगो क वलए अविक वबजली होना हो सकता ह, पित इसका अथत उस सथान क वनवावसयो जस आवदवावसयो का ववसथापन भी हो सकता ह।

सभव ह इस परकाि की परिचचात क अनक वबनद पाठयपसतको म शावमल न वकए गए हो, पिनत वशकक का दावयतव ह वक ववदावथतयो को पयातपत जान, कौशल औि अवभववतया उपलबि किान क परयास कि तावक व अनमान लगान, आलोचनातमक रप स सोचन औि बाहिी दवनया तथा कका स परापत जान औि कौशलो को परयकत किन क योगय बन सक । सीखन-व सखान की यह पधिवत ववदाथथी औि वशकक दोनो को सामावजक वासतववकताओ क परवत सजग िखगी। यवद ववदावथतयो को वयवकतयो औि समदायो क वासतववक अनभवो स जोडा जाता ह तो उनम मदो औि घ‍टनाओ की सकलपनातमक समझ ववकवसत की जा सकती ह। वशकावथतयो को अपन परिवश म ववदमान ततवा पि व‍टपपणी किन, तलना किन औि सोच ववचाि किन क वलए परोतसावहत किक सामावजक रप स वनवमतत मानदणडो, पवातगहो, पाठयपसतको तथा अनय सतरोतो स परापत जान पि परशन किना वसखाया जा सकता ह। अत: वशकण-अविगम पधिवत को मकत िखन की आवशयकता ह।

समदकि‍त एव समावदशी अकिगम वा‍तावरण िा कनमाथिण

वशकक क वलए यह जानना भी जरिी ह वक हम एक बहलतावादी समाज म िहत ह औि ववदा थथी ववववि सासकवतक औि सामावजक-आवथतक पषठभवम स समबनि िखत ह; वजसम अशकतता यकत ववदा थथी भी शावमल ह। अत: ककागत परवरियाओ म हम ववववि पषठभवम वाल ववदावथतयो को मखय िािा स जोडन की आवशयकता ह। पाठयचयात क सपरषण क समय वशकक को यह सवनवशचत किन की आवशयकता ह वक सभी ववदावथतयो की सवरिय भागीदािी हो, चाह व वकसी भी जावत, वगत, जडि या अशकतता वाल कयो न हो। पित कका म समवकत अविगम वाताविण बनान क अपन परयास म हम अकसि वशकण-अविगम को समावशी बनान की उपका कि जात ह। सामावजक ववजान क वशकको को अविगम परवरि या को समावशी बनान का आवशयक रप स परयास किना चावहए।

सकली वशका स बाहि िहन वाल बचचो म एक-वतहाई अशकतता वाल बचच ह। ववकासशील दशो म य आकड औि भी चौकान वाल ह, जहा कल अशकत बचचो म 90% वशका स ववचत ह (Angela Kohama, 2008)। अशकतता यकत ववदावथतयो म असमता का दसिा पहल जडि ह। ववशषकि अशकतता गवसत लडवकयो को दोहिा नकसान झलना पडता ह कयोवक न कवल लडवकया की वशका को ही सामावजक-आवथतक परवतबि क रप म दखा जाता ह अवपत वकसी भी परकाि की अशकतता स गवसत होन क कािण व ववदालय औि घि दोनो ही सथानो पि भदभाव औि अलगाव क कािण औि

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अविक असिवकत हो जाती ह। अशकतताओ वाली लडवकयो का ववदालय म नामाकन दि अशकतता वाल लडको की तलना म कम ह। इस कई दवष‍ट यो स दखा जा सकता ह, जस- शहिी बनाम गामीण, ववदालय का परकाि, ववदालयी सति औि पराथवमक बनाम माधयवमक वशका (माया कलयाणपि, 2008)। अत: अशकत ववदावथतयो म ववशष रप स लडवकया गणवतापणत वशका म पहच की दवष‍ट स सबस अविक हावशए पि ह।

वनमन जावत क वनितन, मल आवदवासी तथा मवसलम बहल जनसखया वाल चाि िायो (वबहाि, उति परदश, वदलली तथा आधर परदश) म हयमन िाइ‍ट वाच (Human Right Watch) दािा वकए गए अधययन म पाया गया ह वक हावशए क समदायो स सबवित ववदा थथी अकसि अधयापको एव परिानाचायषो दािा लगाताि वकए जान वाल अपमान स बचन क वलए सकल ोड दत ह (Human Right Watch, 2014)। रिपो‍टत क अनसाि भदभाव कई परकाि स होता ह, जस- वशकक दािा दवलत ातरो को अलग बठाना, मवसलम औि आवदवासी ातरो क सबि म अपमानजनक व‍टपपवणया किना औि लडवकयो को वशका स दि िखन क परवत गाम पदाविकारियो की उदासीनता। अधयापक तथा अनय ववदाथथी इन ातरो को उनकी जावत, समदाय, कबील अथवा िमत स सबवित अपमानजनक शबदो स समबोवित भी कित ह।

इस परकाि क परिदशय क वलए मल कािण ह- ववववकतता, पाठयचयात सपरषण की परकवत, ववदालयो की नीवतया औि पधिवतया औि सबस महतवपणत ववदावथतयो औि वशकको की रवढवादी अवभववतया। अकसि जब हम अशाकत ववदावथतयो की वशका क वलए ववशष ववदालय अथवा अलग स कका की वयवसथा क रप म वनवदतष‍ट अधययन की वयवसथा कित ह तब व अपन को अलग-थलग अनभव कित ह। इस परकाि की वसथवत म अलग पाठयचयात तथा अलग मलयाकन तथा आकलन की पधिवतया अपनाई जान लगती ह। इस परकाि की पधिवत स व सावथयो क साथ कम सवाद कि पाएग तथा बाकी कतरो स भी अलग िहग। साथ ही शािीरिक अशकतताओ स यकत बचचो क वलए सवाए औि अवसि पान क सदभत म गामीण-शहिी भद इन बचचो क सकल म शवकक उपलवबियो औि नामाकन म परतयक परिलवकत होता ह, जो वक शहिी कतरो म अविक होता ह।

साामवजक ववजान क वशकको को सभी वगषो क ववदावथतयो की अविगम आवशयकताओ क परवत सवदनशील होना चावहए। उदाहिण क वलए, सभव ह वक दवषटबावित अथवा कमजोि दवषट वाल ववदावथतयो क वलए दशय तथा मानवचतर बहत उपयोगी न हो, पिनत इसका अवभपराय यह नही ह वक उनको दशयो औि उनक महतव को समझन क अवसि स ववचत कि द। बवलक वह वशकको को सपशथी वशकण अविगम सहायता सामगी औि गवतवववियो की तलाश किन औि उनह उपयोग म लान क अवसि उपलबि किाता ह। वशकक इस परकाि क ववदावथतयो को दशय समझान औि वणतन किन का परयास कि सकत ह औि वफि उन दशयो की परासवगकता क बाि म कका म परिचचात शर कि सकत ह। ववदावथतयो की अविगम कमताओ को बढान क वलए रिवय पसतको औि अनय आवशयकता-आिारित सामगी, जस सपशतनीय, बल इतयावद क रप म ससािन सामगी का उपयोग वकया जा सकता ह। यवद दवषटबावित बचचो को सही सामगी सही रप औि सही समय पि उपलबि किा दी जाए तो कका म हान वाल वशकण का 80% भाग व आसानी स गहण कि लत ह (एम.एन.जी मणी,1998)। हम जानत ही ह वक बहत स ववदावथतयो को दशय माधयम जस ‍टलीववजन या कपय‍टि उपलबि नही हो पात। िवडयो पि ववकास, लोकततर, पयातविण, जल, सतत ववकास, जन आदोलन आवद स सबवित घ‍टनाए औि मद अकसि चचात का ववषय होत ह। पिनत वशकण म ऐस उदशयो क वलए हम बहत कम ही उनकी मदद लत ह। िवडयो जस परभावशाली माधयम का उपयोग सभी वगषो क ववदाथथी समकालीन मदो पि अपनी समझ बढान क वलए कि सकत ह।

सामावजक ववजान पाठयचयात उपागम, उसक सपरषण की परकवत, वशकण-अविगम सामगी, वचतर औि उधििणो सवहत पाठयपसतको की ववषयवसत औि ककागत परबि ऐस वकसी भी पकपात औि रवढयो स मकत हो, वजनस वक वशका पररिम म अवतसवदनशील समहो की भागीदािी पि परभाव पडता हो। सबस पहल तो यह आवशयक ह वक वशकक कका म परवश किन स पवत सभी परकाि क पवातगहो/पकपातो स मकत हो। लडवकया, अनसवचत जावत/ जनजावत आवद हावशए क समाज क ववदाथथी अपन वशकण परिवश म सवय को अलग-थलग महसस कित ह। इसक कई कािण ह, जस: ववषयवसत को समझन की अकमता, पाठयपसतको म पकपात/रवढबधिता, परषो को वकसान, वजावनक, डाक‍टि तथा िाजनीवतक जसी परगवतशील

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भवमकाओ म वचतरण की तलना म मवहलाओ की वनवषरिय भवमका म परसतवत औि वशकको दािा ववदावथतयो को भवमका औि दावयतवो का मनमान ववतिण स सबवित भदभावपणत िवया। इस परकाि की परववत ववशषकि गामीण कतरो क ववदावथतयो म, कवल वनमन आतमववशवास औि पिाएपन की अनभवत उतपनन किगी, जो परिणामसवरप उनकी ककागत गवतवववियो म सहभावगता क सति को परभाववत किगी। इस वसथवत स उभिन म सामावजक ववजान वशकक महतवपणत भवमका वनभा सकत ह। समकन क साथ-साथ, वशकक को वशकण-अविगम वाताविण को समावशी बनान की भी आवशयकता ह। सामावजक-आवथतक रप स कमजोि औि शारिरिक रप स अकम जस हावशए क समाज क ववदावथतयो को मखय िािा म शावमल कि लना ही पयातपत नही बवलक वशकको को पाठयचयात औि वशकण-अविगम पधिवतयो को इस परकाि समायोवजत किन की आवशयकता ह, वजसस सभी वगषो क ववदावथतयो की अविगम आवशयकताए पिी हो जाए। इस तिह क परयास स कका म एक ऐसा वाताविण वनवमतत होगा जहा ववदाथथी अपन अनभव साझा कि सक ग तथा समाज म उपवसथत पवातगहो तथा रवढयो पि परशन कि सक ग। इस परकाि की चचात औि वाद-वववाद की सहायता स उपयकत समािान खोज जा सकत ह। 'औदो गीकिण' ववषय पि चचात तब तक अििी िहगी जब तक उदोगो क ववकास म मवहला कवमतयो क योगदान तथा मवहलाओ औि बचचो क दवनक जीवन पि पडन वाल परभावो की चचात न की जाए। आज भी मवहलाए औदोवगक ववकास की वदशा म, ववशषकि लघ-उदोगो म महतवपणत योगदान किती ह औि इसवलए सबवित मद, वजन पि चचात की जा सकती ह, व ह – बड उदोगो म मवहला कवमतयो का परवतशत; कम वतन औि अविक कायत-अववि क सदभत म मवहलाओ का शोषण; कौशल ववकास म कमी क वलए कािण औि ससािनो तथा परवशकण की उपलबिता इतयावद। ‘‘ससािन क रप म लोग’’ ववषय पि चचात कित हए, सकम ससािन क रप म मवहला; अकशल कवमतयो जस रिकशा चालक, अशकतताओ वाल लोग, कली औि घिल कायत म मवहलाओ क योगदान को अनदखा किना; आवथतक अवसिो म बािक क रप म वशका औि आवशयक कौशलो की कमी इतयावद ववषयो पि चचात किन का भिपि अवसि ह। यवद पाठयपसतको क अतगतत कायतरिमो औि पररिमो म मवहलाओ औि हावशए क वववभनन समहो की भागीदािी औि योगदान की चचात नही ह तो वशकक कका सपरषण क समय उनह सदभातनसाि शावमल किन का परयास कि सकत ह। परजाततर, परजाततर की चनौवतया, ववकास, पयातविण, जलवाय, औदोगीकिण, िन औि ऋण जस ववषयो म अशकतता यकत लोगो क योगदान तथा जडि परिपरकषय को सपरषण म शावमल किन का पयातपत अवसि ह। (एन०सी०ई०आि०‍टी० की सामावजक ववजान की पाठयपसतको म इन परिपरकषयो को कवल पाठयवसत म ही नही बवलक वचतरो, उधििणो, का‍टतनो औि फो‍टोगाफ क रप म भी शावमल वकया गया ह)। पाठयपसतको म पयातपत जानकािी क अभाव म, वशकक ववषयो क सपरषण क समय ऐस परिपरकषयो को शावमल किन क वलए इ‍टिन‍ट औि अनय सतरोत सामगी क रप म समाचाि-पतरो, िवडयो, पवतरकाओ औि दशय-रिवय सामगी की मदद ल सकत ह। उदाहिण क वलए हम सब जानत ह वक वनितनतम वयवकत क वहत क वलए समय-समय पि वववभनन ववकास योजनाए परािभ की जाती ह औि इन योजनाओ का समाचाि-पतरो औि इ‍टिन‍ट पि वयापक परचाि-परसाि वकया जाता ह। सपणत भाित म असिवकत समहो को उनक जीवन-यापन म मदद क वलए एक िोजगाि गाि‍टी योजना – मनिगा (MNREGA) योजना का परािभ वकया गया। पिनत दिी स भगतान औि वजला सति पि अविकारियो म भरष‍टाचाि क कािण झािखड औि महािाषट क अनक परिवािो म निाशय औि आतमहतयाओ का वाताविण बना। परिणामसवरप परषो न आतमहतयाए की वजसक कािण अब परिवािो का बोझ मवहलाओ पि ह। ‘‘मझ बहतो का प‍ट भिना ह औि अविकाश वदनो म मझ काम नही वमलता...... मिा भी मन किता ह वक आतमहतया कि ल;” यह कहना ह महािाषट क अि जनजावत क मािव िाउत की पतनी ववमल मािव सोनाजी िाउत, का जो मनिगा योजना क कपरबिन की वशकाि हई (द वहनदसतान ‍टाइमस, 29 वदसमबि, 2013)।

वशकक पाठयपसतक म ववषयवसत स सबवित ववववि परकाि की जानकािी का कका म औवचतयपणत उपयोग न कवल अविगम को पािसपरिक रप स अत:वरियातमक बनान म किग, अवपत इसस वववभनन पषठभवमयो वाल ववदावथतयो को भी पाठयपसतक की ववषयवसत समझन म मदद वमलगी। वशकक को यह समझना आवशयक ह वक ववववि परिपरकषयो, ववशषकि जडि सबिी परिपरकषयो क समकन का उदशय मवहलाओ को उनका अविकाि वदलाना अथवा लडवकयो म आतम-सममान को बढावा दना मातर नही ह, अवपत लडको को भी वपतसता क बोि औि सता सबिो का सामना किन क योगय बनाना ह, तावक व घि पि औि समदाय म सामाजीकिण पधिवतयो स उतपनन होन वाल सवय क पवातगहो औि पकपातो स ‍टकािा पा सक ।

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कवरय-वस‍त िा सदभथीिरण

दसिा पहल वजस पि ववचाि किन की आवशयकता ह वह यह वक परासवगक औि उपयकत सथानीय ववषय-वसत अविगम पररिमो का अवभनन भाग हो, वजस आदशतत: सथानीय ससािनो पि आिारित गवतवववियो दािा समझाया जाए। अपरिवचत शवकक पधिवतया औि पाठयरिम की ववषयवसत स ववदावथतयो म अभाव औि अलगाव की भावना घि कि सकती ह, वजसस उनम ककागत गवतवववियो औि परिचचातओ म भाग लन क परवत उदासीनता आ सकती ह। एसी सभावना ह वक सामावजक औि सासकवतक वभननताओ क साथ कका म शािीरिक अकमताओ क कािण भी भदभाव औि पवातगह उतपनन हो सकत ह। इसवलए ववषयवसत क सदभथीकिण औि नवाचािी वशकण-अविगम सामगी क साथ समवचत अनदवशक कायतवववि न कवल वयापक ववदाथथी वगत तक पहचगी, अपवत उनह अपनी पाठयपसतको स जोडन क साथ-साथ उनक जीवन क अनभवो औि जान को एक-दसि स साझा किन म मदद किगी। यह कवल कका म ववदावथतयो की भागीदािी को ही नही बढाएगी,अवपत उनह नीिस पाठयपसतको की दवनया स आग भी ल जाएगी। जब तक ववदाथथी अपन वयवकतगत दवष‍टकोणो को पाठयपसतको म दी गई सकलपनाओ स नही जोडत, जान, मातर जानकािी तक सीवमत िह जाएगा। कका म जान औि वासतववक अनभवो को साझा किन का लाभ यह ह वक इसस ववदावथतयो क मधय औि वशकको औि ववदावथतयो क मधय भी सपरषण क माधयम खलग औि इस परकाि उनक सपरषण कौशल म सिाि आएगा।

उदाहिण क वलए, िाषटीय आदोलन पि चचात कित समय औपवनववशक शासन क ववषय म बतान क वलए जान क सथानीय सतरोतो वजनक बाि म ववदाथथी कम जानत ह जस – मौवखक पिमपिाओ, सथानीय ववदोहो, अनय िचनातमक वविाओ, जस वचतरकला, तसवीिो आवद का भिपि इसतमाल वकया जा सकता ह। हम याद िखना चावहए वक िाषटीय आदोलन एक जन आदोलन था वजसम सभी वगमो की भागीदािी थी। इसम पढ-वलख लोगो स लकि कािीगि, बनकि, जनजावतया, मवहलाए, वकसान इतयावद हावशए का समाज भी शावमल था। अगजो क ववरधि इस आदोलन म वववभनन सामावजक-सासकवतक समहो स सबवित लोगो न भाग वलया औि उनहोन अपना वविोि कई तिीको स परदवशतत वकया। अत: लोकगीतो औि लोकवपरय कहावतो, दशय कला जस- वचतरकािी, तसवीि, इतयावद क रप म मौवखक पिमपिाए तथा अनय सतरोत कका म वजजासा उतपनन किन क वलए परयोग वकए जा सकत ह औि इन ससािनो स उन ववदावथतयो को उस घ‍टना स जोडन म भी मदद वमलगी जो अनयथा उनस बहत अलग औि असवाभाववक लगती ह। यहा यह याद िखना चावहए वक मवहलाओ औि दवलत कायतकतातओ न गीतो को परिचचात, व‍टपपणी औि ववशलषण क वलए एक सशकत माधयम क रप म उपयोग म वलया ह। उननीसवी शताबदी क आवखिी समय की बनी बगाल की काली घा‍ट वचतरकािी वबव‍टश शासन क सामावजक जीवन को दशातती ह। अपनी वचतरकािी म, कलाकािो न पवशचमी िग म ढल बाब की वखलली उडाई ह जो अगजी बोलता ह औि वजसन िमरपान किन औि कसथी पि बठन जसी पाशचातय आदत अपना ली ह। य वचतर अमीिो क ववरधि आम आदमी का आरिोश वयकत कित ह (हमािा अतीत III, भाग-2)।

कमाऊ औि गढवाल कतरो म भत-परतो औि आतमाओ म ववशवास लोगो की िावमतक आसथा औि परथाओ का अवभनन भाग ह। लोगो का ववशवास ह वक कई भत-परत अगजो जस वदखत ह औि इन भत-परतो को पागल की तिह दशातया गया ह। य आसानी स डि जात ह औि अपन आस-पास क लोगो को कबज म ल लत ह तथा वफि चर‍ट मागत वफित ह। ऐस उदाहिण दशातत ह वक कस 1815 म अगजो क कबज वाल कतरो स लोकवपरय िािणाए पनपी। अगजो को अलपबवधि, भयभीत लोगो क रप म वदखाया जाता था जो पाइप पीत थ औि य लकण अपराकत वयवकतयो क होत थ।

इसी परकाि 'जलवाय' ववषय को जानन क वलए वकसी वनक‍टवतथी कवष फामत का भरमण शावमल वकया जा सकता ह वजसस यह सपष‍ट होगा वक खती किन की वववि औि जलवाय क मधय कया समबनि ह औि जलवाय परिवततन वकसानो क जीवन-यापन औि अवसततव को कस परभाववत कित ह। इस परकाि की वरियावववि सामावजक ववजान को पाठयक वदत औि वशकक को माधयम बनाकि मातर जानकािी सपरवषत किन की रवढबधि िािणाओ स भी मकत किती ह। िाषटीय पाठयचयात की रपिखा (एन०सी०एफ०) -2005 क सपिक क रप म, सामावजक ववजान पि िाषटीय फोकस समह आिाि पतर वनमनवलवखत जान-मीमासक बदलाव परसताववत किता ह :–

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रि०स० स तक1 पाठयपसतक - जानकािी का एक मातर

सतरोतमदो को समझन क एक ववशष तिीक क परसताववत रप म पाठयपसतक

2 सीवमत जान क रप म पाठय पसतक एक सवरिय दसतावज क रप म पाठयपसतक3 अतीत की मखयिािा का परवतरपण अविक समह औि कतर कवि वकए जात ह।

सभागी पदधक‍त िा अगीिरण

अभी तक वकसी ववषय को पढाना वनमनवलवखत वव वियो तक सीवमत िहा ह-

1. वयाखयान दना- वशकक बोलत ह औि बचच सनत ह।

2. पढकि सनाना- बचच पाठ को जोि स पढकि सनात ह।

3. भावानवाद किना- वशकक उन वाकयो का भावानवाद कित ह, वजनह व महतवपणत समझत ह।

4. िखावकत किना या कोषठक लगाना- कका म बचचो स महतवपणत वाकयो को वचवनित किवाया जाता ह।

5. वलखवाना- वशकक सवय दािा तयाि वकए गए नो‍टस जोि स पढत ह औि बचचो को उस कापी म वलखन क वलए कहा जाता ह।

6. पनिीकण- बचचो स कहा जाता ह वक उनक वशकक दािा वलखवाए गए उति सनाए।

7. सभी परकाि की गवतवववियो म लडक औि लडवकयो तथा अशकतताओ वाल वशकावथतयो को भाग लन क समान अवसि न दना।

इस परकाि की वशकण परववविया एकागी अविगम पररिम को इवगत किती ह, वजसम न तो कका म वशकक-वशकाथथी पािसपरिक वरिया को शावमल वकया जाता ह औि न ही वशकाथथी की भागीदािी को इस परकाि वशकण-अविगम कायतरिम को उबाऊ औि नीिस बना वदया जाता ह। पिनत यवद ऐसी परवववि को अविक अथतपणत तिीक स काम म लाया जाए, तो इसस वशकण-अविगम पररिम औि अविक सहभागी बन सकता ह। यह एक ससथावपत तथय ह वक जब ववदाथथी पािसपरिक वरिया कित ह तो व बहति सीखत ह औि सहभागी बनत ह। वशकण की पधिवतयो म परिवततनो का समथतन कित हए यह सझाया गया ह वक मातर जानकािी दन की तलना म वाद-वववाद औि परिचचात म शावमल किन का बदलाव ववदावथतयो औि वशकको, दोनो को सामावजक वासतववकताओ क परवत सवदनशील बनाएगा। वशकण-अविगम पररिम म मखय उपागम भागीदािी पधिवत अपनाना ह वजसम वशकाथथी अपन वयवकतगत अनभवो क बाि म सवततर रप स सोच पात ह औि मदो क बाि म उनकी वयवकतगत समझ बनती ह वजसस वशका वथतयो औि वशकको क बीच सपरषण सभव हो पाता ह।

कशकाथी बदह‍तर सीख‍तद ह िब-

• व वशकण पररिम म सवरिय रप स शावमल होत ह।

• अविगम उनक वदन-परवतवदन क जीवन क अनभवो स सबवित होता ह।

• अविगम परिवसथवतया उनक परिवश स ली जाती ह।

• वशषय-वशकक औि वशषय-वशषय पािसपरिक वरियाओ को बढावा वमलता ह।

'परजाततर की चनौवतया' ववषय ववदावथतयो को इस परकाि परोतसावहत कि वक व भाित म परजाततर क कायत का ववशलषण कि सक औि यह जान सक वक वववभनन कािक इसक कायत को कस चनौवतया दत ह। माधयवमक सति पि वशकाथथी इतन परिपकव हो जात ह वक व समझ सक वक उनक आस-पास कया हो िहा ह। भरष‍टाचाि पि परिचचात परािमभ की जा सकती ह औि

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वशकावथतयो स उनक शहि या गाव म भरष‍टाचाि की घ‍टनाओ क बाि म प ा जा सकता ह। यह सभव ह वक क ववदाथथी वकसी भरष‍ट अविकािी या कमतचािी क बाि म बताए, वजसन वकसी काम को किन क वलए रिशवत की माग की हो। कया लोकपाल वबल को भरष‍टाचाि स लडन क वलए एक परभावी सािन क रप म दखा जा सकता ह? लोकपाल वकस परकाि आम लोगो क मामलो जस चाय की दकान चलान क वलए लाइसस बनवान आवद समबनिी मदो को सलझान म मदद कि सकता ह? हम गणवतापणत वशका की उपलबिता म सिाि लान क वलए आि०‍टी०आई० का परभावी उपयोग कस कि सकत ह; इस परकाि की परिचचातए वशकावथतयो को अपन अनभव औि सामावजक-िाजनी वतक वासतववकताओ औि परजाततर म लोगो क जीवन को ऐस कािक वकस परकाि परभाववत कित ह, जस ववचाि वयकत किन क वलए परोतसावहत कि सकती ह।

“मानवाविकाि ववषय” को कका म रिपो‍टषो/लखो, समाचाि पतरो औि पवतरकाओ का उपयोग कित हए औि वशकावथतयो क अपन घि/सकल/समदाय क अनभवो को लकि पढाया जा सकता ह। उदाहिण क वलए समाचाि पतरो या अनय माधयमो म वनशकत जनो क अविकािो स सबवित बहत स समाचाि/लख होत ह। ववदावथतयो स कहा जा सकता ह वक व इस परकाि क समाचाि पढ/सन औि वन:शकत जनो क अविकािो क कायातनवयन औि उललघन पि अपन ववचाि द।

हम जानत ह वक सामावजक ववजान म तावतवक रप स अनक वववावदत अविािणाए होती ह औि इनम स बहत सी अविािणाए जव‍टल, समसामवयक औि इसी कािण वववादासपद ह। इन अविािणाओ को इसवलए शावमल वकया गया ह वक वशकक वववकपणत औि सवसथ परिचचात म वशकावथतयो को शावमल कि। वववभनन समसामवयक मदो पि परिपरकषय ववकवसत किन म सहायक सािनो क रप म पाठयपसतको को वलया जाना चावहए। वशकक की भवमका ववदावथतयो को सवय को अवभवयकत किन क वलए सिवकत अवसि दन औि साथ ही उनम क वववशष‍ट परकाि की अत:वरिया को वनवमतत किन की होती ह। वशकको का पराथवमक सिोकाि यह होना चावहए वक व सवय को जान क भणडाि की भवमका स बाहि वनकाल औि वशकावथतयो को अपनपन तथा वनषपकता स सन। साथ ही वशकावथतयो को एक-दसि को सनन क वलए भी पररित कि। यवद कका म लडवकया वनवषरिय रिोता ह, तो उनह कका म ऊच सवि स पढन को कह, उनस परशन प कि तथा उति दन क वलए परोतसावहत कि उनकी भागीदािी म सिाि क ववशष परयतन वकए जा सकत ह। समह कायत, िोल पल (भवमका वनवातह), परियोजना कायत, वाद-वववाद औि परिचचातओ आवद क समय सभी ववदावथतयो को समान भवमकाए आवव‍टत कि।

अत: वशकण-अविगम पररिम को भागीदािीपणत बनाना सामावजक ववजान वशकक का मखय सिोकाि होना चावहए औि इसक वलए जानकािी क सपरषण को वाद-वववाद औि परिचचात म बदलन भि की आवशयकता ह। कका म भागीदािी को सवनवशचत किन क वलए वशकक जो अनदशी कायतनीवतया उपयोग म ल सकत ह, उनम परिचचात, ववचाि-मथन, वशकण, समह कायत, वयवकतक कायत, वाद-वववाद, कतर भरमण, िोल पल, (भवमका वनवातह), दशय-रिवय सहायक सामगी का उपयोग, मौवखक पिमपिाओ आवद का उपयोग शावमल ह।

सामाकिि कवजान समनवयी ह

यह समझना आवशयक ह वक सामावजक ववजान पाठयचयात समनवयी ह। यदवप सामावजक ववजान क वववभनन ववषय-कतरो क वभनन परिपरकषय औि परववविया हो सकती ह, लवकन उनकी सीमाए पिसपि रधि नही ह कयोवक सामावजक ववजान लमब समय स समपणतता म मानव अनभव की बात किता िहा ह वजसम अतीत स नाता, वततमान का सदभत औि भववषयोनमखी होकि समािान तलाशना ह। वततमान परिदशय को समझन क वलए इस अनशासन की सीमाओ को मकत किना तथा ववववितापणत दवषटकोण को अपनान की आवशयकता ह। सामावजक ववजान का परतयक अनशासन आपस म एक-दसि स समबधि ह। इसवलए हम पाठ योजना इस परकाि वनवमतत किनी चावहए तावक हम वकसी एक सकलपना अथवा घ‍टना को समझन क वलए इवतहास, भगोल, िाजनीवत शासतर औि अथतशासतर स मदद ल सक ।

सामावज क ववजान का मखय लकषय सामानयीकत औि वववचनातमक समझ वव कवसत किना ह। अत: यह आवशयक ह वक कका म क ववषयो पि परिचचात औि वाद-वववाद वकया जाए, जो अति ववषयक सोच ववकवसत किन म मदद कि। उदाहिण

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क वलए, ववकास सबिी वकसी ववषय को वनमनवलवखत पि कवनदत किक सामावजक ववजान की अतिववषयी परकवत को वयकत वकया जा सकता ह- वकसी कतर की सथलाकवत औि योजनाओ औि कायतरिमो क परसाि क आपसी सबि; असगवठत कतर पि नीवतयो औि कायतरिमो का परभाव; वकसी कतर क ववकास म जन आदोलनो का योगदान इतयावद। इसी परकाि िाजनीवतक औि सामावजक-आवथतक पररिमो म मवहलाओ की भागीदािी जडि सिोकािो की ओि धयान कवनदत किगी कयोवक जडि सभी ववषयो म समावहत ह औि मवहलाओ क परिपरकषयो को वकसी भी ऐवतहावसक घ‍टना औि समसामवयक सिोकािो पि परिचचात का अवभनन भाग बनाएगा। ऐस ववषयो का चयन सासकवतक रप स परासवगक होना चावहए वजनम वभनन ववषयक अविगम एक गहन औि ववववितापणत वचतन को सिल बना सक ।

वव वभनन ववषयो म सबि बनाना ववदाथथी को बह-ववषयक अविगम को पहचानन तथा ववशलषण किन औि वव वभनन ववषयो म पिसपि समबनि को सकवलपत किन म सकम बनाएगा। यह ववदाथथी की वववचनातमक रप स सोचन की कमता, ठोस रिमबधि कौशलो को काम म लन औि परभावी सपरषण को परखि बनाएगा। एकल ववषयक अविगम का उपयोग समसया की परकवत को पणतत: समझन म वनवशचत रप स असफल िहगा। ऐसी वसथवत म एक वयापक ढाच की आवशयकता होगी, जो भगोल, इवतहास, िाजनीवत ववजान, अथतशासतर औि पयातविण तथा अनय क बीच पािसपरिक सबि सथावपत किता हो। यह अविगम जडि, मानवाविकाि, वन:शकतताओ वाल वयवकतयो, हावशए क समहो औि अलपसखयको क परवत सवदनशीलता जस सिोकािो को भी परोतसावहत किता ह। इन सिोकािो क परवत ववदा वथतयो को सवदनशील बनान क वलए दशयो का उपयोग वकया जा सकता ह।

बहकवरयि पररपदकषय सद दशय िी वयाखया

(भार‍त और समिालीन ससार-1 (िका IX िी इक‍तहास िी पाठयपस‍ति)

• दशय कया वदखाता ह?

• कया आप उस कतर की परकवत की पहचान कि सकत ह वजसम यह दशय वसथत ह?

• कया यह दशय वकसी आवथतक गवतवव वि को बताता ह या वकसी सामावजक-सासकवतक घ‍टना को?

• आदमी वकस परकाि क काम म लग हए ह?

• कया आप इस दशय म वकसी मवहला को ढढ सकत ह?

• मवहलाओ की अनपवसथवत कया वयकत किती ह?

• आपक ववचाि स दशय म वदखाए गए लोगो की जीववका का सतरोत कया ह?

वचतर 7 पवशचमी िाजसथान म बालोतिा म ऊ‍टो का मला।

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• कया लोग अपन वलए काम कि िह ह या वकसी वनयोकता क वलए?

• कया यह गवतवववि दश क दसि भागो का सामानय लकण ह? यवद हा तो कयो?

• पशचािी समाज म पशओ की कया भवमका होती ह?

पाठयचयाथि सरोिार और सामाकिि कवजान पाठयकम िा सघठन

पराथवमक सति पि पराकवतक औि सामावजक पयातविण को भाषा औि गवणत क अवभनन भाग क रप म (जडि सवदनशीलता क साथ) पढाया जाता ह, वजसम धयान िखा जाता ह वक बचच ऐसी गवतववविया म भाग ल, जो उनह पराकवतक औि सामवजक पयातविण को समझन म मदद किती हो। कका 3 स 5 क वलए, बचच परकण औि अनभव क आिाि पि पराकवतक औि सामावजक पयातविण क बीच सबि ढढना औि समझना परािमभ कित ह। उचच पराथवमक सति पि सामावजक ववजान क ववषय-कतर अपनी ववषयवसत इवतहास, भगोल, िाजनीवत ववजान औि अथतशासतर स परापत कित ह। ववषयकवनदत अविगम का उपयोग कित हए ववदाथथी को ववववि परिपरकषयो स समाज औि अथतवयवसथा सबिी समसामवयक मदो औि समसयाओ स परिवचत किाया जाता ह। इसम गिीबी, साकिता, बाल औि बिआ मजदिी, वगत, जावत, जडि औि पयातविण जस मदो पि बल वदया गया ह।

माधयवमक सति पि, सामावजक ववजान ववदावथतयो को पयातविण को परिपणतता स समझन औि एक वयापक परिपरकषय तथा एक आनभववक, उवचत औि मानवीय दवष‍टकोण ववकवसत किन म मदद किता ह। इसी क अनरप पाठयरिम को जानकािी की अपका ववषयगत अविगम औि भागीदािी पि क वदत वकया गया ह। पाठयपसतक यह सवनवशचत किन का परयास किती ह वक ववषयवसत को समझन क वलए वशकाथथी पि जानकािी औि ववसतत वणतन का बहत अविक बोझ न डाला जाए। साथ ही, वशकावथतयो क समक धयानकनदण औि परिचचात क वलए जो ववषय वसत औि जानकारिया लाई जाती ह उनका उदशय समकालीन समाज म उभिती शकाओ औि वववादो का समािान किना भी होता ह। ऐसा पाठयचयात क माधयम स कका को चचात औि वाद-वववाद म शावमल किक वकया जा सकता ह।

मखय धयान समकालीन भाित पि ह औि इसस वशकाथथी की िाषट क सामन खडी सामावजक औि आवथतक चनौवतयो पि गहन समझ बनती ह। ववषयवसत को यथासभव बचचो क दवनक जीवन स जोडन क परयास म वववभनन सदवभतत ववषयो म आवदवावसयो, दवलतो औि अनय अविकािो स ववचत अनय वगषो क परिपरकषयो को समाववशत वकया गया ह। इवतहास क ववषय म, भाित क िाषटीय आदोलन औि उसक सवततर िाषट क रप म ववकास पि आिवनक ववशव क सदभत म ववणतत वकया गया ह। भगोल स सबवित मदो को वशकाथथी म सिकण औि पयातविणीय सिोकािो क वववशष‍ट महतव को आतमसात किन की आवशयकता को धयान म िखत हए पढाया जाता ह। िाजनीवत ववजान म परिचचातए उन दाशतवनक आिािो पि कवनदत ह, जो भाितीय सवविान की मल रपिखा पि बल दत ह, अथातत समानता, सवततरता, नयाय, बितव, गरिमा, बहलता औि शोषण स मवकत। इस सति पि अथतशासतर वशकावथतयो क सामन एक ववषय क रप आता ह, वजसम जन समदाय क परिपरकषय स ववषय वसतओ पि परिचचात की जाती ह। उदाहिण क वलए, गिीबी औि बिोजगािी को ववतीय ससथाओ की कायतपरणाली औि आवथतक सबिो दािा सयोवजत असमानताओ स समझा जा सकता ह।

माधयकमि स‍तर पर सामाकिि कवजान कशकण िद उददशय

• पाठयपसतक का उदशय मातर अनदशी की अपका अविक ववचािोतजक होना चावहए वजसम वशकाथथी क वलए पयातपत अवसि हो। पाठयपसतक क पढ जान क बाद भी, वकसी घव‍टत सामावजक परिघ‍टना पि समझ को समधि किन क वलए इसका होना आवशयक ह।

• आिवनक औि समकालीन भाित औि ववशव क अनय भागो स उदाहिण लत हए आवथतक औि सामावजक परिवततन की परवरियाओ को समझना।

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• गिीबी, बाल-रिम, वनिारिय, असाकिता औि असमानता क ववववि आयामो जस- सामावजक औि आवथतक मदो औि चनौवतयो की वववचनातमक पिख किना।

• सथानीय समदायो क उनक पयातविण सबवित अविकािो, ससािनो क वव वकपणत उपयोगो क साथ-साथ पराकवतक पयातविण क सिकण की आवशयकता का महतव समझना।

• वकसी ऐवतहावसक घ‍टना औि समसामवयक सिोकाि की परिचचात म मवहलाओ क परिपरकषयो को समाकवलत किन क रप म जडि सिोकािो को लना।

• परजातावतरक औि िमतवनिपक समाज तथा िाय म सविावनक दावयतवो क वनवतहन क वलए नागरिको की भवमकाओ औि उततिदावयतवो को समझना।

• ववदावथतयो को भावी नागरिको क रप म उनकी भवमका क वलए तयाि किना।

एन०सी०ई०आर०टी० पाठयपस‍ति - सहभाकग‍ता और समबदध‍ता िद अवसर

एन०सी०ई०आि०‍टी० की सामावजक ववजान की पाठयपसतक पािसपरिक वरिया औि सवाद क पयातपत अवसि दती ह। उनम क ततव ह जो सहभावगता औि समबधिता को परोतसावहत कित ह औि वशकक को अनकववि रप स सकम बनात ह वजसस वक व सवरिय अविगम को परोतसावहत कि सक औि कका म वनवषरिय रप स सनन को वनरतसावहत कि सक । ववषय अनचदो क मधय या अत म क पाठयाति परशन वदए गए ह जो वशकको को ववषय क उस भाग म ववणतत ववचािो की समीका क अवसि उपलबि किाएग। इन परशनो का उदशय यह सवनवशचत किना ह वक इस भाग म चवचतत सकलपनाओ को वशकावथतयो न समझ वलया ह। 'जलवाय' का ववषय (भगोल, कका 9) कई परशन खड किता ह वक वकस परकाि जलवाय की दशाए वववभनन भौगोवलक कतरो म िह िह लोगो क जीवन को परभाववत किती ह। उदाहिण क वलए- िाजसथान म घिो की दीवाि मो‍टी औि त समतल कयो होती ह? असम म घि बासो या लकडी क खबो पि कयो बनाए जात ह? पाठयपसतको म वचतरो, का‍टतनो औि फो‍टोगाफो क रप म दशयो का वववकपणत ढग स परयोग वकया गया ह। दशयो को पाठयपसतको म मातर रिकत सथान भिन क वलए उपयोग म नही लाया गया ह, अवपत य सकलपनाओ को समझान, वववचनातमक व‍टपपवणया दन, ववचािो का सवकपतीकिण किन, तलना किन आवद क वलए महतवपणत ववविया क रप म िख गए ह। उदाहिण क वलए, ‘नाजीवाद औि वह‍टलि का आिोहण’ (भाित औि समसामवयक ववशव, कका 9, पषठ 64-65) ववषय म बहत स दशय वदए गए ह जो यहवदयो औि अनय ‘गि-आयत’ जावतयो पि ना वजयो क घवणत अपिािो क परिणामसवरप यहवदयो क दख: ददषो की कहानी कहत ह। िाजनीवत ववजान की पाठयपसतको म का‍टतनो का उपयोग एक महतवपणत वशका शासतरीय सािन क रप म मातर हसाना नही ह, बवलक वयगय-ववनोद क माधयम स सामावजक-िाजनीवतक वासतववकताओ को समझना औि उन पि परशन खड किना ह। जडि, िमत औि जावत (परजातावतरक िाजनीवत, कका 10, पषठ 53) ववषय म एक का‍टतन ह, जो की वो‍ट-बक िाजनीवत औि िाजनताओ दािा वो‍ट ब‍टोिन क वलए जावत को एक सािन क रप म वकस परकाि उपयोग म लाया जाता ह इस पि वशकावथतयो स उनकी परवतवरियाओ की माग किता ह।

लगभग सभी अधयायो म गवतवववि कोषठक (बॉकस) डालना ववदावथतयो को ववषय वसत पढन, आलोचनातमक ववशलषण किन औि घ‍टनाओ, पररिमो तथा परिवसथवतयो पि अपना बोि परसतत किन औि उनह अपन वदन परवतवदन क जीवन स जोडन क वलए परोतसावहत किता ह। जल ससािन ववषय (समकालीन भाित-2, कका 10, पषठ 23) म वदए गए गवतवववि कोषठक (बॉकस) ववदावथतयो को बाि बनान औि वसचाई कायषो की पिमपिागत वववियो औि अपन आस-पडोस म वषातजल सगहण ततरो क बाि म पता लगान क वलए परोतसावहत कित ह।

पाठयपसतको म क सामगी कोषठको (बॉकसो) म भी दी गई ह जो अधयाय क परमख वबनदओ पि परकाश डालती ह। एन०सी०ई०आि०‍टी० की पाठय-पसतको म वववभनन परकाि क कोषठक (बॉकस) वदए गए ह। इनम स क वकसी सािाश पि परकाश डालत ह, तथा अनय वसी ही घ‍टना को बतात ह जो कही औि घ‍टी हो, जबवक य अनयतर तािीख औि वषत हो सकत

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ह। ‘मदा औि ऋण’ (आवथतक ववकास, कका 10, पषठ 52) ववषय म बागलादश क गामीण बक की सफलता की कहानी पि एक कोषठक (बॉकस) ह। वजसम बक क गिीबो तक पहचन औि उनकी ऋण सबिी आवशयकताओ को उवचत दि पि पिी किन की बात की गई ह। कई बाि वशकक इस डि स वक कही ववषय क महतवपणत पहल समय क अभाव म ‍ट न जाए। इन कोषठको (बॉकसो) म दी गई जानकािी पि धयान नही दत।

आिलन और मलयािन

वकसी भी शवकक सिाि परवरिया क अतगतत पिीका सबिी सिाि सवनवशचत किन पढत ह। पिनत जब तक पिीकाए औि जाच वशकाथथी की पाठयपसतकीय जान को याद िखन की कमता का आकलन कित ह, तो पाठयचचात को परभावी अविगम की ओि वनदववशत किन वाल सभी परयास वनषफल हो जात ह। आकलन औि मलयाकन का मखय उदशय ववदाथथी क अविगम म सिाि लाना ह। आकलन ववदाथथी की पाठयचयात अपकाओ की परावपत क सति को परिलवकत किन क वलए जानकािी एकतर किन का पररिम ह। यह सवनवशचत किन क वलए वक आकलन औि मलयाकन सफल औि ववशवसनीय ह वशकक को ऐसी पधिवतया अपनानी होगी जो सभी ववदावथतयो क वलए वनषपक, पािदशथी औि उवचत हो, अथातत उनह वन:शकत वशकावथतयो औि परथम पीढी क वशकावथतयो सवहत सभी ववदावथतयो को सभालना ह। मनोवजावनक आकड दशातत ह वक वववभनन वशकाथथी अलग-अलग परकाि स सीखत ह। अत: पपि-पवसल पिीकण क अलावा आकलन क औि भी तिीक होन चावहए। मौवखक पिीकण, समहकायत मलयाकन, खली-पसतक पिीकणो आवद को परोतसाहन वदया जाना चावहए। ववदावथतयो का आकलन एक बाि वकया जान वाला पररिम नही ह, यह सतत रप स चलना चावहए औि इसम वववविता होनी चावहए, तावक ववदावथतयो को अपन कौशलो क परदशतन क पयातपत अवसि वमल सक । मलयाकन अविगम क आकलन पि आिारित होता ह, जो अविगम क अत म ववदाथथी की उपलवबि का परमाण उपलबि किाता ह।

क मखय घ‍टक जो ववदावथतयो की उपलवबि क आकलन का भाग बन सकत ह, इस परकाि ह-

• ववषय-वसत का जान औि समझ

• िचनातमक औि वववचनातमक कौशलो/पररिमो का उपयोग

• वववभनन रपो क माधयम स ववचािो औि जानकािी को वयववसथत औि अवभवयकत किना।

• वववभनन सदभषो क अतगतत औि उनक बीच सबि बनान हत जान औि कौशलो का अनपरयोग

• ववववि परिवसथवतयो म वयवहाि

• ‍टीम भावना

• सपरषण की कमता

• वयवकततव ववकास

• सपरषण कौशल

• ककागत गवतवववियो म भागीदािी

आिलन िा उददशय

• ववदाथथी की शवकक परगवत म वनणातयक वबदओ पि उसक सति को वसतगत दवष‍ट स मॉवन‍टि किना

• उनह समय पि औि सववविण फीडबक दना तथा इस परकाि उनह पररित किना

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• ववदावथतयो की शवति औि सीमाओ का पता लगाना

• वशकको को ववदावथतयो क अविगम पि फीडबक दना औि वशकण म सिाि लाना

आिलन िद उपागम और रपरदखा

• अविगम उदशयो की पहचान कि औि उनका मलयाकन कि

- ववशष माडयलो क कौन-कौन स परमख कौशल औि जान ह वजनह परापत किन की ववदावथतयो को अपका ह?

- कौन स अविगम उदशय अपकाकत अविक महतवपणत ह?

• इन लकषयो को परापत किन हत आकलन परवरियाए तयाि कि

- वकस सीमा तक आकलन क ववदमान तिीक वावत अविगम उदशयो को बढावा दत ह?

• ववदावथतयो को अपन वववशष‍ट कौशल परदवशतत किन क अविक अवसि दन क वलए ववववि परकाि की आकलन ववविया को उपयोग म ल।

- परतयक आकलन म वकस परकाि क कौशलो का पिीकण वकया जा िहा ह?

पभावी िायथिकम िा लकण: स‍त‍त एव वयापि मलयािन (सी०सी०ई०)

सी०सी०ई० इन कतरो म मदद किता ह-

• बचचो क तनाव को कम किन म

• िचनातमक वशकण क वलए वशकको को अवसि उपलबि किान म

• वनदान औि उचच कौशलो वाल ववदाथथी तयाि किन हत सािन उपलबि किान म।

िका म पशन पछना- इसका उपयोग कवल यह जाच किन क वलए ही नही होना चावहए वक कया ववदावथतयो न सीख वलया ह अवपत उनह वववभनन पहलओ पि ववचाि किन क वलए पररित किन हत भी होना चावहए। ववदावथतयो को परोतसावहत वकया जा सकता ह वक व अपन उति क पक म तकत भी सामन िख। ‘वन वमन‍ट पपि’ (Chizwar, John and Anthony Ostrosky, 1998, ‘‘दी वन वमन‍ट पपि: सम एमपीरिकल फाइवडग’’ Journal of Economic Education, winter 29:1) न कवल ववदाथथी क अविगम का सपष‍ट बोि किाता ह, बवलक वशकण क सिाि क वलए वशका शासतरीय नवाचाि क रप म भी कायत किता ह। यह वववि कका क समय क अवतम एक या दो वमन‍टो म काम म ली जा सकती ह। ववदावथतयो स कहा जा सकता ह वक व उन महतवपणत बातो को वलख जो उनहोन ववषय चचात क समय सीखी ह औि उन मदो या सकलपनाओ को भी बताए वजनह अभी उनह सीखना ह। इसस वशकक को यह मापन म मदद वमलगी वक वशकाथथी न कया सीखा ह, औि उसकी अविगम कमता कया ह। साथ ही इसस यह भी पता चलगा वक वशकाथथी को अभी औि कया सीखन की अभी आवशयकता ह। कका म आयोवजत की जान वाली लघ परशनोतति, वाद-वववाद, परिचचात औि इसी परकाि की ववदावथयो की समझ समबनिी जाच आकलन क वलए एक परमावणत ढाचा उपलबि किाती ह जो यह सपष‍ट किगी वक पाठयरिम क सपरषण क समय ववदाथथी कया सीख िह ह औि कया नही।

परीकाए

ववदावथतयो क अविगम का आकलन कित समय परशनो क परकाि एक बहत महतवपणत भवमका वनभात ह। इनह इस परकाि बनाया जाना चावहए वक व ववदावथतयो की वनमनवलवखत जाच कि सक :

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• मल सकलपनाओ की समझ

• जानकािी क ववशलषण औि परसतवत की योगयता

• कौशलो का परसततीकिण

• ववमशथी सोच

• वासतववक-जीवन परिवसथवतयो म सकलपनाओ का अनपरयोग

• वववभनन सकलपनाओ औि परकिणो म पािसपरिक सबि वनमातण।

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सदभथि

1. एन०सी०ई०आि०‍टी०, 2005 िाषटीय पाठयचयात की रपिखा

2. एन०सी०ई०आि०‍टी०, 2006 सामावजक ववजान क वशकण पि आिाि-पतर

3. एन०सी०ई०आि०‍टी०,सामावजक ववजान की कका 9 औि 10 की पाठयपसतक - इवतहास, भगोल, िाजनीवत ववजान औि अथतशासतर

4. डी०ई०एस०एस०, एन०सी०ई०आि०‍टी०, सामावजक ववजान वशकको म ‍टी०जी०‍टी० की सवाित वशका क वलए परवशकण पवसतका

5. The Ontario curriculum for social sciences and humanities, 2013.

6. Cross, K.P and T.A Angelo, 1993, Classroom Assessment techniques: a handbook for college teachers, san Francisco: josey-Bass.

7. Chizaman john and Anthony, 1998 “The one minute paper: Some empirical finding “Journal of Economics Education, Winter 29:1.

8. George M. Alex and Madan Amman, 2009. Teaching Social Science in Schools, NCERT, New Textbook Initiative, Sage Publications, New Delhi.

9. IGNOU-GOI, 2008, बा वलका वशका म सवाित वशकक वशका, दिसथ वशका कायतरिम- सवत वशका अवभयान

10. Usha Nayar, 1995 From Girl Child to Person; Resource Materials for Teachers of Primary Schools in India, UNESCO, New Delhi, 1995.

11. एन०सी०ई०आि०‍टी०, 2006 वशका म जडि मद पि आिाि-पतर

12. Rupa Subramanaya Dahejia, “How the Jan Lokpal Bill Would Hurt India’s Poor”, India Real-time, The Wall Street Journal, October, 17, 2011.

13. M.N.G Mani, 1998 “The Role of Integrated Education for Blind Children, “community Health”.

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भाग IIIसामावजक ववजान वशकको क सवाित

वयावसावयक ववकास क वलए एक परवशकण कायतरिम वडजाइन किना औि आयोवजत किना

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भाग III

सामाकिि कवजान कशकिो िद सदवार‍त वयावसाकयि कविास िद कलए पकशकण

िायथिकम कििाइन िरना और आयोकि‍त िरना

पकशकण िायथिकम िी आवशयि‍ता

सवाित वशका वशकको की वयावसावयक ववधि म एक महतवपणत भवमका वनभा सकती ह औि ववदालय सबिी परवरियाओ म परिवततन क अवभकतात क रप म कायत कि सकती ह। सवाित वशका एक कायतरिम नही, बवलक एक पररिम ह वजसम जान का ववकास औि अवभववतयो, कौशलो, सवभाव म परिवततन औि पािसपरिक वरियाओ दािा अभयास शावमल ह। सवाित वशका का एक महतवपणत घ‍टक परवशकण ह। परवशकण वशकको की अविगम आवशयकताओ को पहचानन का वनदान ह। यह उन आवशयकताओ पि बात किन औि कका म पाठयचयात क परभावी सपरषण म वशकको की कमताओ को बढाता ह। एक परवशकण कायतरिम को आयोवजत किन क वववभनन चिण होत ह, जस- अविगम उदशयो की पहचान किना, परवशकण हत ववषय-वसत को वनिातरित किना, परवववि वनिातरित किना, अविगम गवतवववियो का चयन किना, मलयाकन मानदडो को परिभावषत किना औि इनक अनसिण म की जान वाली गवतवववियो का ववशष रप स उललख किना। यह दखा गया ह वक बहत स वशकको को लमबा वशकण अनभव होन पि भी कका म सामावजक ववजान ववषय पढान म कवठनाइयो का सामना किना पडता ह। य कवठनाइया वनमनवलवखत कािणो स हो सकती ह–

• वशकक एक/दो ववषयो म ववशषजता िखत ह पिनत उनस अपका की जाती ह वक व कका म सामावजक ववजान क चािो ववषय पढाए।

• नई पाठयपसतको म अपनाई गई पधिवत क परवत अनवभजता

• ववषयो म नई परववतयो क परवत जानकािी का अभाव

• गवतववविया किवान क वलए पयातपत आिािभत ढाच औि िन का अभाव

• सामावजक ववजान क परवत अनपयोगी ववषय क रप म अवभववत, वजसस उनकी जानकािी/कौशलो को उननत किन की परिणा म कमी आती ह।

• वशकण-अविगम ससािनो की कमी, पतर, पवतरकाओ इतयावद की अनपलबिता, ववशष रप स दिगामी कतरो म।

• वनयवमत परवशकण कायतरिमो म कमी, जो उनक वयावसावयक ववकास म रकाव‍ट डालत ह।

• पिीका ततर, जो अविकति ि‍टत परणाली पि आिारित ह, वशकको को अपनी वशकण-अविगम कायत-नीवतयो को सिािन म पररित नही किता।

सामावजक ववजान म पकज क वनमातण का मखय उदशय वशकको म आवशयक अवभमखीकिण औि कमताओ का ववकास किना ह, वजसस वक व पाठयचयात को सिाह, समझ औि चनौवतया का सामना कि सक । यह पकज वशकको को एन०सी०एफ०-2005 क उदशयो क अनसाि औि सामावजक ववजान पाठयचयात क परभावी सपरषण क वलए आवशयक कौशलो स परिवचत किाता ह। यह वशकको/वशकक परवशकको को भगोल, इवतहास, िाजनीवत ववजान औि अथतशासतर आवद ववषयो म नई परववतयो क परवत अवभमख किन की ओि भी लवकत ह। साथ ही यह ववचत समहो, ववशष रप स शािीरिक रप स वनशकत, जडि सिोकािो, ककागत सपरषण म आई०सी०‍टी० का परभाव इतयावद परिपरकषयो को भी शावमल किता ह।

पकज म इन ववषयो स ली गई महतवपणत ववषयवसत अवभगम इन ववषयो क परभावी सपरषण क वलए सहभागी अवभगम का

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परयोग कित हए ववववि गवतवववियो का उपयोग, सदभत सची/सदभषो औि परवशकण अनसची शावमल ह तावक अधयापक परवशकण सगठनो को अधयापको क वलए परवशकण कायतरिम आयोवजत किन म सहायता वमल सक। वववभनन ववषयो स सबवित माडयलो म, वशकको को अपन वशकण-अविगम पररिम म परभावी रप स शावमल किन क वलए वववभनन परकाि की गवतवववियो म ऊपि वदए गए सामानय सिोकािो को शावमल किन का सचतन परयास वकया गया ह।

सदवार‍त कशकिो िद वयावसाकयि कविास पिद ि िद उददशय

• वशकको को सामावजक ववजान क घ‍टको क सकषम अति समझन क वलए तयाि किना औि सामावजक ववजान परिपरकषय को ववकवसत किना।

• वशकको को जान क कतर औि जाच-पडताल की वववि म नई परववतयो स परिवचत किाना जसा वक एन०सी०एफ०–2005 क पाठयचयात औि पाठय-पसतको म परिलवकत ह।

• वशकको को वकसी ववषयवसत को एक अति ववषयक अवभगम दािा सपरवषत किन योगय बनाना।

• वशकक को यह जानन हत सकम बनाना वक वशकाथथी वकस परकाि जान का सजतन कित ह औि कका म इस पररिम को कस वनषपनन वकया जाता ह।

• नए उभित ववषय कतरो क सपरषण क वलए वववभनन कायतनीवतया, कमताए औि कौशल परापत किन हत वशकको को मदद किना।

• वशकको को अपन सथानीय परिवश/अनभवो क सदभत म ववषयो को जोडन क वलए उनम कमताए ववकवसत किना।

• पाठयचयात क परभावी सपरषण क वलए वशकको को कका औि कका स बाहि सवय सीखन/‍टीम कायत को परोतसावहत किन हत सकम बनाना।

• कका म परतयक बचच की परगवत को मॉनी‍टि किन क साथ-साथ उपचािी सहजात क सचालन की कमताए ववकवसत किना।

• वशकको को यह जानन योगय बनाना वक हम एक बहलतावादी समाज म िहत ह औि वशकाथथी ववववि सामावजक-आवथतक पषठभवमयो स सबि िखत ह औि उनक सीखन की कमताए भी वभनन होती ह।

पकशकण िायथिकम िी सरचना

यह धयान म िखत हए वक सामावजक ववजान वशकको की कमी ह औि उनकी अनपवसथवत वशकण-अविगम पररिम को परभाववत किती ह। यह पकज परवशवकत सनातक वशकको क पाच वदवसीय परवशकण कायतरिम क वलए ववकवसत वकया गया ह, चवक सामावजक ववजान म चाि ववषय होत ह, अत: परतयक ववषय म वशकको क अवभमखीकिण क वलए एक-एक वदन तय वकया गया ह तावक व नए अवभगमो औि सबवित ववषय क सकषम भदो स परिवचत हो सक । पकज का उदशय वकसी वववशष‍ट थीम स सबवित ववषय-वसत का ववसतत परसततीकिण दना नही ह, बवलक वशकको को एक ववशष थीम क अतगतत मखय सकलपनाओ औि वववभनन ‘किन योगय’ गवतवववियो क माधयम स उनक सपरषण स अवगत किाना ह। कायतरिम की अववि लचीली हो सकती ह। यवद सबवित सयोजक इस रटयो म आयोवजत किना चाह तो यह कायतरिम इककीस वदनो क वलए आयोवजत वकया जा सकता ह।

परवशकण क पहल वदन पजीकिण क बाद, परािवमभक सतर म कायतरिम क उदशय शावमल होग, वजसक बाद वशकक अपना परिचय दग औि परवशकण कायतरिम स अपनी अपकाए बातएग। दसि सतर म RMSA (िाषटीय माधयवमक वशका अवभयान) क लकषय औि उदशयो की चचात की जाएगी। तीसि सतर म एन०सी०एफ०-2005 क आलोक म कका IX औि X की

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सामावजक ववजान पाठयचयात, पाठयरिम औि पाठयपसतको पि परिचचात की जाएगी। जडि, समावशी वशका, आई०सी०‍टी० का उपयोग औि वकशोि वशकावथतयो को समझना आवद सामानय सिोकािो पि परतयक क वलए पाच वदनो क कायतरिम म एक-एक सतर िखा जा सकता ह। शष सतरो को चाि ववषयो– भगोल, इवतहास, िाजनीवत ववजान औि अथतशासतर क वशकको क अवभमखीकिण क वलए वनवशचत वकया गया ह। परतयक वदन ववषय ववशषज की परसतवत क बाद सभावगयो दािा समहकायत, गवतववविया औि वशकण-अविगम कायत नीवतया औि मलयाकन होगा। एक वदन कतर भरमण क वलए िखा गया ह।

माधयकमि स‍तर िद कलए सामाकिि कवजान म पाच कदवसीय सदवार‍त कशकिो िद वयावसाकयि कविास िायथिकम िी पस‍ताकव‍त समय-सारणी

परशिकषण समर-सारणी

कदवस 1: सोमवार

09.45 – 10.00 परा िवमभक व‍टपपणी

10.00 – 10.15 सभावगयो का सव परिचय औि कायतरिम स उनकी अपकाए

10.15 – 10.30 िाषटीय माधयवमक वशका अवभयान का परिचय

10.30 – 11.15 माधयवमक सति पि सामावजक ववजान क अवभगम

11.15 – 11.30 चाय

11.30 – 13.00 इवतहास माडयल – 1 का परसततीकिण औि परिचचात

13.00 – 14.00 दोपहि का भोजन

14.00 – 15.30 इवतहास माडयल – 2 का परसततीकिण औि परिचचात

15.30 – 15.45 चाय

15.45 – 17.15 सामावजक ववजान म आकलन कायतववविया औि सतत एव समग मलयाकन

(CCE)

कदवस 2: मगलवार

09.45–11.15 वकशोि वशकावथतयो को समझना

11.15–11.30 चाय

11.30–13.00 भगोल मॉडयल-1 का परसततीकिण औि परिचचात

13.00–14.00 दोपहि का भोजन

14.00–15.30 भगोल मॉडयल-2 का परसततीकिण औि परिचचात

15.30–15.45 चाय

15.45–17.15 सामावजक ववजान वशका को समावशी बनाना

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कदवस 3: बिवार

कदतर भरमण

कदवस 4 : बहसपक‍तवार

09.45–11.15 सामावजक ववजान क वलए सचना औि सचाि परौदोवगकी (आई०सी०‍टी०)

11.15–11.30 चाय

11.30–13.00 िाजनीवत ववजान मॉडयल-1 का परसततीकिण औि परिचचात

13.00–14.00 दोपहि का भोजन

14.00–15.30 िाजनीवत ववजान मॉडयल-2 का परसततीकिण औि परिचचात

15.30–15.45 चाय

15.45–17.15 वफलमो स सीखना

कदवस 5: शकवार

09.45–11.15 सामावजक ववजान म जडि परिपरकषय

11.15–11.30 चाय

11.30–13.00 अथतशासतर मॉडयल-1 का परसततीकिण औि परिचचात

13.00–14.00 दोपहि का भोजन

14.00–15.30 अथतशासतर मॉडयल-2 का परसततीकिण औि परिचचात

15.30–15.45 चाय

15.45–16.15 सभावगयो स परवतपवष‍ट (फीडबक)

16.15–16.30 समापन

परीकषण क घटक

ववविया ववविणपरसततीकिण • परवशकक समह को जानकािी दत ह, क दशय सहायक सामगी का उपयोग कित

हए, जस-

- बलक बोडत

- पावि पवाइ‍ट

• ओविहड परोजक‍टि/सलाइड परदशतन। ना‍टक को भी शावमल वकया जा सकता ह, जहा दो या अविक परवशकक सभावगयो क परकण किन औि नो‍टस बनान क वलए वकसी दशयलख को अवभनीत कि।

सतर पािसपरिक वरियातमक होन चावहए।

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भागीदािी ‘परशन औि उति’ को सतर क आिाि क रप म उपयोग म लाया जा सकता ह ।

ो‍ट समहो म वनमन अभयास को आयोवजत वकया जा सकता ह –

• परशन उठान औि उति ढढन क वलए

• वववचनातमक रप स मदो पि परिचचात औि ववशलषण किन क वलएगवतवववि आिारित/कतर कायत (तवरित अविगम)

परवशकक समह गवतवववियो (कका म औि कका स बाहि) क माधयम स अविगम को सहज बनात ह।

पकशकण िायथिकम किजाइन िरना

परवशकण कायतरिम म इस परकाि की ववविया अपनानी चावहए, जो िचनातमकता, सौदयतबोि औि वववचनातमक परिपरकषयो को बढावा द औि वशकको को समाज म उभिती परववतयो को समझन म सकम बनाए। परवशकण वडजाइन को सथानीय परासवगकता औि वशकण–अविगम परिवसथवत की वववशष‍टता पि बल दना चावहए। पवत जान, कौशल औि सभावगयो की अपकाए परवशकको को यह समझन म मदद किगी वक परवशकण म कया शावमल वकया जाना चावहए। सवाित वशकको क परवशकण कायतरिम क दौिान बहत सिल औि सामानय सकलपनाओ पि जोि दन की आवशयकता नही ह, जो वशकको को पहल स पता ह। साथ ही परवशकण की वववि को पिमपिागत वववियो/वयाखयान/चाक औि ‍टाक (बोलना) स बदल कि ऐसी वववि अपनानी चावहए वजसम समभावगयो की सवरिय भागीदािी सवनवशचत हो । समसया समािान, ना‍टकीकिण औि भवमका वनवातह आवद कम परयोग म लाई कई वववियो का उपयोग वकया जा सकता ह। क अनय ववविया जस कस अधययन, भवमका वनवातह, वफश बाउल अभयास, इतयावद, जो कौशलो का सवितन किती ह, नीच दी गई ह –

नाम ववविण सबवित कौशलकस अधययन एक वववि वजसम समभावगयो को एक ऐवतहावसक पषठभवम वाला दशय, परिवसथवतयो

(वासतववक, कालपवनक या दोनो का वमरिण) का एक स‍ट, अनय सबवित आकडो क साथ वलवखत रप म ववशलषण औि वफि वनदान तथा एक ववशष समसया का समािान किन क वलए वदए जात ह।

कायतववविक /वयवकतगत

तकनीक अभयास/

अनकिण/

भवमका वनवातह

ऐसी वववि वजसम ववशष कौशलो या तकनीको का अभयास किन क वलए ो‍ट परशन बनाए जात ह।

भवमका वनवातह क मामल म कलाकाि मातर अपनी भवमकाओ पि ही नही, अवपत उनक बीच म होन वाली पािसपरिकता पि भी समझ बनात ह।

अतववयवकतक /वयवकतक

समसया समािान एक वववि वजसम ववदाथथी सवरिय रप स खोज क पररिम, समसयाओ को परिभावषत किन, परिकलपना को समायोवजत किन, आकडो का वगथीकिण किन, वववचनातमक सोच को ववकवसत किन जसी भवमका क वलए तयाि िहत ह, वजसम वशकक सहायक की भवमका वनभात ह।

वाद-वववाद यह पररिम वकसी मद को लकि शर होता ह, दो ववपिीत दवष‍टकोणो की पहचान की जाती ह, काम को बा‍टन क वलए कायत नीवतया सझाई जाती ह।

समह कायत/

तावकत क सोचपरिचचात वकसी महतवपणत ववषय की पहचान तथा उस पि तकत पणत ववचाि किना। समह कायत/

तावकत क सोच

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अखबाि की कतिन/कोलाज

इनका उपयोग एक ससािन सामगी क रप म ववदावथतयो को यह समझान क वलए वकया जाता ह वक जो वववभनन अथतशासतरीय सकलपनाए व ववषय क अतगतत सीखत ह, व उनक दवनक जीवन स सबवित होती ह। उदाहिण क वलए खाद समसया पि अखबाि की कतिन को एक कस अधययन या एक अभयास क रप म उपयोग म लाया जा सकता ह। अखबाि क लख को पढ औि उसस उपज परशनो पि परिचचात कि।

दशय-रिवय सामगी सकलपना को बहति तिीक स समझन क वलए वफलमो औि वत-वचतरो (डाकयम‍टिी) का उपयोग वकया जा सकता ह। बड बािो क वनमातण स समाज क ववकास पि पडन वाल परभाव पि परिचचात शर किन क वलए बािो क वनमातण पि वत-वचतर/लघ वफलम वदखाई जा सकती ह। हावशए क समहो क परिपरकषयो को बतान क वलए परवतिोि गीत परभावी ससािन सामगी हो सकत ह।

कतर अधययन ववदावथतयो को वासतववक जीवन की परिवसथवतयो क आवथतक ववशलषण म सलगन कि औि ऐसा किन म वसधिात क अनपरयोग म उनक कौशलो का ववकास कि।

पकशकण िा िायाथिनवयन

वचतर 1.2 वशकक परवशकण कायतरिम म चिण रिखला

पकशकण िायथिकम िा मलयािन

परवशकण कायतरिम का मलयाकन सभावगयो स परापत मौवखक/वलवखत परवतपवष‍ट (फीडबक) स वकया जाना चावहए। परवशकण क मलयाकन म उस उदशय का धयान िखना चावहए वजसक वलए फीडबक उपयोग म वलया जान वाला ह। यवद उदशय यह दखना ह वक परवशकण न ववदालयी ततर म वकस सीमा तक गणातमक ववधि की ह, तब हम दखना होगा वक परवशकण क कािण वकस सीमा तक पाठयचयात क सपरषण म सिाि आया ह। यवद उदशय यह दखना ह वक परवशकण क बाद वशकको क कका-वयवहाि म वकतना सिाि आया ह, तो आवशयक होगा वक वशकको को कायतरिम पिा होन क बाद वशकण कित हए दख अथवा पराचायत स इस सबि म रिपो‍टत ल।

सभावगयो दािा वदए गए सझावो को परवशकण म शावमल वकया जाएगा तावक गणवतापणत वशका दन क वलए वशकको म कमता ववधि हो। परवशकण पि फीडबक परापत किन क वलए सभावगयो को एक परशनावली भी दी जा सकती ह औि इसक आिाि पि उनकी आवशयकताओ क अनरप परवशकण कायतरिम म ससोिन वकया जा सकता ह। परशनो दािा वशकको स उनक कका म परापत अनभवो क सबि म जानकािी परापत की जा सकती ह। परशनावली म परशनो की सखया सीवमत होनी चावहए औि वशकको को सभी परशनो क उति दन क वलए परोतसावहत वकया जाना चावहए। मलयाकन हत परशनो म वसतपिक औि वववचनातमक, दोनो परकाि क परशन शावमल वकए जा सकत ह।

लकषय औि उदशयो की पहचान कि

गवतवववियो की पहचान कि

परवशकण परववविया तय कि

मलयाकन मापदडबाद म की जान वाली गवतवववियो की पहचान कि

परवशकण वडजाइन को वलख

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पस‍ताकव‍त फीिबि (पक‍तपकषट) पशनावली

नाम:

पद:

पता:

1. कया पकज समझन म आसान था?

2. कया आपको लगा वक माडयलो की गवतववविया वयावहारिक थी? कया आप कका म इनका उपयोग कि पाएग?

3. यह पकज वशकण-अविगम पररिम म वकस सीमा तक उपयोगी होगा?

4. कया ‘किक दखन वाला’ कायतरिम पयातपत अववि का था? यवद नही तो किण बताए।

5. कतर-भरमण आपको वकस रप म उपयोगी लगा? कया आप अपन ववदावथतयो को कतर-भरमण क वलए ल जाएग?

6. यह पकज आपक वयावसावयक ववकास म वकस सीमा तक योगदान किता ह?

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भाग IV

कवरयवस‍त िा सचालन

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इक‍तहास

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इक‍तहास कशकण

घटना सद पककया ‍ति

परािमभ म इवतहास की परसतवत मखयतया घ‍टनाओ एव तथयपणत वतवथयो क ववविण की शखला की तिह होती थी। इसम शासको एव उनकी ववजय-गाथाओ क बाि म, सता औि ससािनो पि उनक वचतसव एव वनयनतरण क बाि म ववविण होता था। वकनत इवतहासज वजस तिह अतीत की पनपरतसतवत कित ह, इवतहास की अविकाश पाठय-पसतको म उनकी जगह नही होती। अतीत को िाजनीवतक परवरि याओ स जोडन हत अपनाई गई पधिवत अविकाश पाठय-पसतको म सामावजक-आवथतक पधिवतयो क बजाए िाजनीवतक घ‍टनाओ पि कवनदत िहती ह। फलसवरप िाजवशो की सथापना, िायो-सामरायो क ववसताि औि शासको की नीवतया जसी घ‍टनाए अतीत को आकाि दनवाल अनय महततवपणत ववकासो पि भािी पडत िह। इस कािण अकसि ‘कया हआ’ औि ‘कस हआ’ की वासतववक सगवत समझ वबना िटा मािन की वसथवत आ जाती ह। यह धयान िखना महततवपणत ह वक सामानय लोगो क ववविण क साथ-साथ उनक वयतीत जीवन का भी इवतहास होता ह। उसम परिवततनकािी शवतियो क परवत उनकी परवतवरिया समावहत िहती ह। उन पि पडन वाल उन शवकत यो क परभाव शावमल िहत ह। रिमश: परि ववतत त हो िह मानव समाज औि वववशषट घ‍टनाओ क सवरप की पिी पधिवत समावह त िहती ह। हम कभी-कभी भल जात ह वक अपन दनवनद न जीवन म अतयनत सािािण वसतओ एव घ‍टनाओ स हम जो अनभव कित ह, उसका भी कोई न कोई अतीत होता ह। उदाहिण क वलए, हम कभी सोचन का परयास नही कित वक समाचाि-पतर क का‍टतन का भी एक अतीत होता ह। वजस कण हम ऐसा कित ह, उसी कण हम ऐवतहावसक दवष‍ट स सोचना परािमभ कि दत ह।

अ‍ती‍त िद अधययन िी पासकगि‍ता

इवतहास मातर अतीत का अधययन ही नही ह, वह वततमान औि भववषय पि भी परकाश डालता ह। यह हम समसामवयक सामावजक वासतववकता को समझन म मदद किता ह, कयोवक अतीत की घ‍टनाओ औि ववकास स ही वततमान उतपनन हआ ह। इसी परकाि वततमान क सदभत म अतीत क अनभव, हम ववकास की समभावव त वदशा-वनिातिण म सहायक होत ह। हमाि आस-पास की घ‍टनाए औि अनभव महज एक िात म घव‍टत नही होत। य साि परिवततन, सरिमण एव सतत ववकास की लबी परवरिया क तहत होत ह, जो सपष‍ट किता ह वक जो क होता ह, कयो होता ह? हम परिवततन अनभव तो कित ह, वक नत सोचत नही वक परिवसथवतया कयो बदलती ह, औि अब वसथवतया वसी नही ह, जसी अतीत म थी।

वततमान ससाि म हो िह परिवततन औि ववकास को समझना एव उसकी पडताल किना ही इवतहास ह। यह वह जगह ह, जहा इवतहासकाि क कौशल की जव‍टलताए महततवपणत हो जाती ह—यही एक इवतहासकाि लोगो दािा ोड गए सतरो को पहचानत ह, इन सतरो या सिागो की तलना औि ववशषण कित ह औि अततः अतीत क बाि म अपनी वयाखया दत ह। इवतहासकाि, न कवल अतीत की पनपरातवति हत, बवलक उस सलभ बनान क वलए भी ववववि सोतो पि वनभति िहत ह। हम इनस नए-नए सवाल कि औि वव वव ि दवषटकोणो स इनका वनिीकण कि तो यही सोत हम नई बात बताता ह। पिनत सोत मातर स अतीत उजागि नही होता। इवतहासकािो को सोतो क साथ जझना पडता ह, उनकी वयाखया किनी पडती ह। ऐस म यह बात महततवपणत होती ह वक कोई इवतहासकाि वकस परकाि सोतो को पढत ह औि वकस तिह उनकी वयाखया कित ह। इवतहास की पाठय-पसतक ववदावथतयो को पराथवमक सोतो की वयापक वववविता क बाि म जानकािी दती ह औि उनह उन परवरि याओ स परि वच त किाती ह वज नक दािा व अपन अधययन स अतीत क ‘कयो’, ‘कया’ औि ‘कस’ जस पहलओ की समझ बना पात ह।

परशन यह ह वक यवा वशकावथतयो क वलए अतीत का अधययन रवचकि औि परासवगक कस बनाया जाए? वशकक क सामन

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यह एक चनौतीपणत कायत ह, अथातत वशकक ववदावथतयो म वजजासा का बोि पदा किन म सकम हो औि उनह ववरास वदलाए वक इवतहास ववकास की परवरियाओ क बाि म ह, वजसक अततगत अतीत की घ‍टनाओ क बाि म समयक जानकािी हो, अथातत अतीत म कया हआ, समाज न कस परगवत की, लोगो न कस अपनी जीववका क वलए कमाया, जसा उनहोन वकया वसा कयो वकया, वकस परकाि िाय औि सामराय सथावपत हए, कयो लोग ववदोह क वलए सगवठत हए, इतयावद। वशकक क वलए अकसि वन िातरि त पाठय-पसतक ही उपलबि सोत होता ह औि पठन सामगी का उपयोग ही वनिातरित किता ह वक वशकाथथी अतीत क बाि म वकतनी रवच िखता ह। इवतहास क वशकक को इवतहास पढान क अलावा ‘इवतहास वचवतरत’ किन का परयास किना चावहए। ’इवतहास वचतरण’ स ववदाथथी वन वषरि य वशकाथथी नही िहग औि व कका म सवरियता स भाग लग। एन०सी०ई०आि०‍टी० की इवतहास की पाठय-पसतक ववदावथतयो को गवतवववि बकसो, पाठयगत परशनो, दशयो की वयाखया, सोत-बकसो, फो‍टोगाफ औि वचतरकािी, इतयावद दािा अतीत स जडन क पयातपत अवसि उपलबि किाती ह। अपका की जाती ह वक वशकक ववदावथतयो म अतीत की समझ बनान क वलए इन वसतओ का परयोग नयायोवचत रप स कि।

कवकभ नन दकटििोणो सद अ‍ती‍त िी समझ

वभनन-वभ नन समह क लोगो क वलए अतीत भी वभनन-वभ नन था। वकसान एव मजदि, मवहलाए एव अलपसखयक समह, वयापािी एव दकानदाि औि भीड क अजात एव अनसन चहि भी ऐवतहावसक ववकास स परभाववत हए। वकसान, कािीगि, मवहला, वयापािी, दकानदाि, शासक, अवभजात वगत...सब एक दसि स वभनन थ औि इसवलए िाजनीवतक तथा सामावजक-आवथतक घ‍टनाए उनक जीवन को कई तिह स परभाववत किती थी। हि ऐवतहावसक घ‍टना या काल की परिचचात म सामानय जन का अनभव अवभनन अग क रप म अवशय शावमल होना चावहए। अतः, यह आवशयक ह वक वशकाथथी उसस सबि बना सक जो व सीखत ह। परियोजनाओ, वाद-वववादो, परिचचातओ, ववचाि-मथन, इतयावद क रप म वववभनन गवतवववियो का उपयोग अतीत क पनवनतमातण क ववचाि को बढावा दन म सहायक होग। जानाजतन की परवरि या म इस परकाि का दवषट कोण वशकावथतयो को वक सी वश वथ ल गाही क बजाए एक सवरिय परवत भागी क रप म उन मल आवशयकताओ स परिचय किाती ह।

इक‍तहास िी पाठयचयाथि िद िद नदर-कबद

पवतवतथी ककाओ (ठी-आठवी) क सामावजक ववजान पाठयरिम क इवतहास-खड म ववदावथतयो को पराचीन स आिवनक काल तक क भाित का इवतहास बताया जाता था। नवी स दसवी कका म क ववववि शवतियो औि ववकासो क अधययन का परयास वकया गया, वजसस समकालीन ववर क इवतहास का सवरप बना। भाित का ववकास इसी वहत इवतहास म वनवहत ह। भाित क अतीत का अधययन असमबधि रप स नही हो सकता, कयोवक समाज औि अथत-वयवसथाए हमशा एक दसि स सबधि िहती ह औि इवतहास को हमशा पवतवनिातरित कतरीय सीमाओ क भीति नही िखा जा सकता। अतएव, दसि सति पि इवतहास का कनदीय लकषय ववर क वहद इवतहास क सदभत म भाित क अतीत की कहानी बताना ह। साथ ही, इवतहास की पाठय-पसतको का दवषटकोण अधययन की एक मातर मानय इकाई क रप म इस िाषटीय कतरीय सीमाओ क पाि तक ल जान का होता ह। यह याद िखना महततवपणत ह वक लोग स ही िाषट बनत ह, औि लोगो क वबना, या सथानीयता क वबना हम िाषट की बात नही कि सकत। मखय िािणा वव वभ नन कनद- वबनदओ को सयोवजत किन की होती ह—जस वक खास समदाय एव कतर क इवतहास का िाषट क इवतहास स सयोजन; या वक अवरिका एव इडोनवशया क ववकास क परिपरकषय म भाित एव यिोप क इवतहास का सयोजन।

दसि सति की गवतववविया म पि पवतवनिातरित रवढयो स मति होकि ववषयो का चयन औि सयोजन ही तकत सगत ह। ऐवतहावसक लखन म पवचिम क इवतहास क साथ ववकास औि परिवततन को जोडन की िािणा का परभतव लमब समय स िहा ह। पवचिम क लोगो को उदमी, नवाचािी, परिरिमी, वजावनक औि परिवततनकामी वदखाया गया; जबवक पवत या अवरि का

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क लोगो को ससत, पिमपिावादी, अिववरासी औि परिवततन का वविोिी। ऐसा दवषटकोण हम आिवनक ववर क वनमातण पि एकतिफा समझ दगा; कयोवक समकालीन ववर को कवल पवचिम न ही आकाि नही वदया। इसक वल ए हम अनय समकालीन समाजो को भी दखन की आवशयकता ह--वववभनन समाजो का अनभव कसा िहा? कस व उन परिवततनो तक पहच? इसक वल ए वववभनन दशो क इवतहासो क बीच सबि सथावपत किन की भी आवशयकता ह-- एक समाज म आए परिवततन स दसिा कस परभाववत होता ह? भाितीय समाज औि अथतवयवसथा पि उपवनवशवाद का परभाव; भाित एव अनय उपवनवशो क ववकास न यिोप को कस परभाववत वकया?

अतः, समकालीन ववर का इवतहास कवल उदोग एव वयापाि, परौदोवगकी एव ववजान, िलमागत एव सडक क ववकास का इवतहास ही नही ह; वह वववभनन सामावजक समहो की आवथतक गवतवववियो औि जीवन-यापन की शवल यो का भी इवत हास ह। इसका सबि सामावजक समहो, वन म िहन वाल, पश चिान वाल, खवतहि औि ो‍ट वकसानो स ह; जो ववववि सामावजक-आवथतक पधिवत यो क अवभनन अग थ; वजनहोन समकालीन ववर को आकाि वदया औि परिवततनो की परकवत का सामना वकया। अकसि हम ऐवतहावसक ववकास औि पधिवत यो क अनवषण म लोगो क दवनक जीवन की उपका कित ह। जस—व कस सासरिकता का सामना किन म; दवनक गवतवववियो क समायोजन म तललीन िहत थ? इसीवल ए दवनक जीवन क इवतहास म खल-कद, कपड, मदण, अधययन, उपनयास, समाचाि-पतर जस क महततवपणत ववषय भी उनक अवभनन अग क रप म पाठय-पसतको म शावमल वकए गए ह।

कका नौ औि दस, दोनो क पाठयरिमो म तीन पथक इकाइया ह। परतयक इकाई वभनन-वभ नन ववषयो पि क वदत ह। समकालीन ववर पि समझ बनान क वलए य ववषय महततवपणत ह। हि वषत क लवक त ववषय म एक समह की िाजनीवतक घ‍टनाओ, पधिवत यो औि ववचाििािाओ की बात हई ह, दसि समह म जीवन-यापन की शवल यो की औि तीसि म ससकवत, अविकाि एव अवसमता सबिी परशन पि वव चाि हआ ह। इवतहास का पाठयरिम वनमनवलवखत बातो को धयान म िखकि बनाया गया ह--

• िाजनीवतक घ‍टनाओ औि पधिवत यो की चचात म इस बात पि बल वदया गया ह वक आिवनक ववशव क वनमातण म पवशचम क साथ उपवनवशो म ववकास वकतना महततवपणत ह। सवततरता, लोकततर औि सवचाचारिता क ववचाि कवल पवशचम म ही नही, उपवनवशो म भी उभि। साथ ही लोकततर वविोिी ववचाि- फासीवाद, जावतवाद या सामपरदावयक ववचाि वववभनन दशो म वववभनन रपो म ववकवसत हए।

• ‘जीववका औि अथतशासतर’ इकाई म यह समझन का लकषय ह वक कस वववभनन सामावजक समहो न आिवनक ववशव म आवथतक परिवततनो का सामना वकया औि उनह परभाववत वकया। इस इकाई म परतयक ववषय का अधययन वक सी कतर वव शष पि कवनदत ह। बहिा दो कस-स‍टडी दािा अधययन वक या गया ह, वज सम एक भाित ह औि दसिा कोई अनय दश। इसस वशकावथतयो को समान वदखन वाली पधिवत यो औि घ‍टनाओ क भीति ववचाि-ववव धय क सतर वम लग। अनय उदाहिणो क भीति स ही ववषय का ववसताि होगा। कस-स‍टडी दािा परापत वव चाि स सामानय चचात लवक त वव षय क इदत-वग दत घमती िहगी औि अधययन की परि णवत सामन आएगी।

• ससकवत औि अवसम ता पि क वदत होत हए, यह बतान का परयास वकया गया ह वक कपड या भोजन, खल-कद या ववरिाम, मदण या पसतक , हि क का एक इवतहास ह। य इवतहास सासकवतक औि िाजनीवतक परिवततनो को परिलवकत कित ह औि अकसि इसका सबि अवसम ता औि सता स होता ह।

• परतयक ववषय की चचात कित समय वलवखत सामगी क साथ वचतर, फो‍टोगाफ, का‍टतन, ववववि मल सोतो स ली गई सामगी--आखो दखा हाल, यातरा-सावहतय, समाचाि-पतर, पवतरकाए, नताओ क कथन, सिकािी रिपो‍टत, दलो की सवियो, घोषणाओ की शतत औि क मामलो म समसामवयक कहावनया, आतमकथाए, डायरिया, लोकवपरय सावहतय, मौवखक पिमपिाओ क वयापक रप आवद का उपयोग पिक सामगी क रप म वक या गया ह। वफ ि भी परयास वक या गया ह वक वशकाथथी सोतो को पढ, सोच वक व कया कहत ह औि कयो कोई चीज एक ववशष तिीक स परसतत की जाती ह। कई मामलो म परशनो को वचतरो औि साि-सामगी स जोडकि आलोचनातमक दवष‍ट ववकवसत कि सक ।

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• मानवचतरो क उपयोग दािा हि ववषय को समय औि परिवसथवत स जोडा गया ह। मानवचतरो क परयोग दािा न कवल सचनाए दी गई ह, बवलक आलोचनातमक रप स पढन औि उनक अतससबिो को भी समझान का परयास वकया गया ह।

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‘फासीसी काक‍त’ िा समपदरण

सककप‍त पररचय

ववशव म अमरि की रिावत क बाद, 18वी शताबदी म सबस महततवपणत आदोलनो म स एक सन 1789 की रिासीसी रिावत थी, वजसन ववर इवतहास म एक नया अधयाय जोडा। यह रिावत लमब समय स पनप िही थी औि इस समय का शासन-ततर आम जनता का ववरास खो चका था। सकप म, लोकतावतरक शासन म परिवततन को मातर एक ‘अविकाि’ ही नही, ‘अतयावशयक’ भी माना गया। औि, जब उसका अत होन को हआ, उसन रिास म न कवल लोकतावतरक वसधिातो को मजबत वकया, बवलक पि ववशव म भी इन ववचािो को फलाया।

कशकण-सीखनद िा उददशय

‘रिासीसी रिावत’ पि बात कित समय वशकक को वनमनवलवखत वबदओ पि धयान दना होगा--

• पहला, ववदावथतयो को सपषट रप स समझना होगा वक ‘रिावत’ कया ह औि यह ‘आदोलन’ स कस वभनन ह।

• दसिा, ववदाथथी यह जान पान म सकम हो वक व कौन-सी ऐवतहावसक परिवसथवतया ह, जहा रिावत औि आदोलन क बीज फ‍टन औि वव कास पान की उपजाऊ भवम होती ह।

• तीसिा, ववदाथथी यह पहचानन म सकम हो वक व कौन-सी ववशष परिवसथवतया थी, वजनम रिास म एक रिावत न जड पकडी, औि वहा स यिोप क अनय भागो म तथा दवनया क शष भागो म फल गई।

• चौथा, ववदाथथी अपनी भवमकाओ पि सपषट दवषटकोण ववकवसत किन म सकम हो, वजनका वनवातह क ववचािो, ससथाओ औि वयवतियो दािा वदए गए सामावजक, िाजनीवतक औि आवथतक सगठनो म अविक सिािवादी परिवततन लान क वलए वकया जाता ह।

• पाचवा, ववदाथथी उन गतयातमक पधिवत यो को पहचानन म सकम हो, वजनस रिावत गजिी; वफ ि व उन वववभनन घ‍टनाओ क बीच सबि सथावपत कि, जो उस दौिान घ‍टी।

• ठा, ववदाथथी उस दौिान घ‍टी हि घ‍टना को मान लन क बजाए, उन पि परशन किन, परमाणो को वववचनातमक पधिवत स पिखन, तकत सगत वनषकषत वनकालन, एक घ‍टना क रप म समपणत रिावत का या इसक वववभनन पको का पथक रप स आकलन किन म सकम हो।

• अततः, ववषय को पढन क बाद ववदाथथी इस योगय हो वक व सामावजक, िाजनीवतक, आवथतक कायत-कतरो म सवततरता, समानता औि बितव जस मलयो दािा फलीभत आिवनक यग की परवरि या की सिाहना कि सक , आतमसात कि सक , तावक मानवजावत क सावतभौवमक ववकास म योगदान द।

पमख सिलपनाए

ऐसी गहन कमता ववकवसत किन म ववदावथतयो की मदद किन औि वव षय-सपरषण को अथतपणत बनान क वलए ‘रिावत’ की एक रपिखा नीच दी गई ह, वजसक दािा ववदावथतयो को यह सब सपष‍टत: बताया जा सकता ह औि वफि उनह वन वदत ष‍ट उप-शीषतको की ‘गवतवववियो’ दािा रिावत क वववभनन पको का वववचनातमक रप बताया जा सकता ह-

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A. काक‍त

रिावत को सामानयतः एक बलात परिवततन की तिह दखा जाता ह, वजसका उदशय वकसी दश म ववदमान सामावजक, िाजनीवतक, आवथतक ततर म पणत परिवततन या नए ततर की सथापना होता ह। जबवक ‘आदोलन’ को एक कायतवाही समझा जाता ह, जो साथ कायत कि िह लोगो क एक समह दािा वकया जाता ह, वजसका उदशय अपन समान वकए गए सामावजक, िाजनीवतक या आवथतक ववचािो को आग बढान क वलए ववदमान वयवसथा को ववसथावपत वकए वबना सकािातमक परिवततन लाना हाता ह। अतः यहा ववदावथतयो क वलए यह समझना महततवपणत ह वक ततर क पणत परिवततन औि ततर म सकािातमक परिवततन म कया अति ह।

गक‍तकवकि 1: पररचचाथि

आिमभ म ववदावथतयो क वलए ‘रिावत’ औि आदोलन की िािणाओ को समझना, औि वफि उनम अति समझना बहत महततवपणत ह। इसस पहल वक व रिासीसी रिावत क आवग, परगवत औि परभावो को भली-भावत समझ पाए; उनह तदनरप सकम बनान हत सबस सिल तिीका ह वक उनह इस मद पि एक परिचचात म लगा वद या जाए। अतः, वशकक रिासीसी रिावत को पढाना शर किन स पहल वनमनवलवखत कायत कि सकत ह—

• ववदावथतयो स वशकक रिावत क नाम स चवचत त घ‍टनाओ--हरित रिावत, औदोवगक रिावत, रसी रिावत, सासकवतक रिावत, जन-सचाि सचना रिावत, इतयावद पि चचात किन हत कह सकत ह।

• इसी परकाि वशकक कका म परिचचात परािमभ कि सकत ह, तावक वाद-वववाद कि ववदाथथी तय कि वक कयो सवततरता क वलए भाित का सघषत एक आदोलन माना जाना चावहए, न वक कोई रिावत।

• इस अविािणा को ठीक स समझन क वलए ववदाथथी अपनी परिचचात म ‘मजदि आदोलन’, ‘सहकािी आदोलन’, ‘जन अविकाि आदोलन’, ‘नािीवादी आदोलन’, ‘समाज सिाि आदोलन’, ‘वमताचाि आदोलन’, ‘भरषटाचाि वविोिी आदोलन’, इतयावद जस क औि घ‍टनाओ को भी शावमल कि सकत ह।

गक‍तकवकि 2 : अलग-अलग समह पररयोिनाए - ‍तलन ‍ताकल िा बनाना

परियोजनाए ववव धयपणत औि ववदावथतयो क सीखन क अनभव को समधि किन वाली होनी चावहए। इस मामल म वशकक वनमनवलवखत कायत कि सकत ह-

1. वववभनन ‘रिावतयो’ औि ‘आदोलनो’ की अलग-अलग तलन-तावल का बनान का कायत ववदावथतयो क समहो (वयवकत क या सामवह क) को वदए जा सकत ह (जसा उललख पहल हआ या जसा व लोगो स उपलबि जानकािी स पता लगा सकत ह)। परतयक म ‘रिावत’ औि ‘आदोलन’ क अवभलकण बताए जाए तावक साथ-साथ तलना हो जाए औि व इस परशन का उति द वक इन घ‍टनाओ को कयो ‘रिावत’ या ‘आदोलन’ कहा गया।

2. इसी परकाि ववदाथथी दोनो वगषो स क उदाहिण लकि ‘ववभद तावल का’ भी बना सकत ह जो ‘रिावत’ औि ‘आदोलन’ क वववशषट गणो को उजागि कित हए उनम अति कि सक।

B. काक‍त िी पवथिसधया म फास

रिावत की पवतसधया म रिास ‘पराविकाि, वगत ववशषाविकाि औि वनिपक शासन पि आिारित’ था। कई खावमयो क बावजद, समरा‍ट लईस XIV म कभी ‘अपन दश की भलाई की वचता किन म कमी नही आई।’ पिनत उसक उतिाविकािी कमजोि

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औि क वदत िाजततरीय सिकाि क गरति दावयतव को वनभान म अयोगय थ। असमानताओ क दबाव स बोवझल रिासीसी समाज म एकता का भािी अभाव था। कलीनता औि उचच पिोवहत-वगत ववशषाविकाि का सख भोगन क साथ-साथ हि िाजकीय वजममदािी स वन वलत पत औि सभी अविकािो का उपयोग कित थ। दसिी ओि ववचतो म बजतआ (मधय-वगत), वनमन पिोवहत वगत, वकसान औि मजदि थ, जो सभी परकाि की बाधयताओ म वघि िहत थ औि उनह कोई अविकाि नही थ। रिासीसी अथतवयवसथा की वसथवत बहत अची नही थी। अकसि होन वाल यधिो औि िाजा तथा उसक उचच अविकारियो दािा वकए जान वाल अपवयय न िाय को वदवावलयापन क कगाि पि लाकि खडा कि वदया था। ववशषाविकाि पराति वगत, वजनक पास िन दन की कमता थी, उनह िाय का कोई भी कि दन स लगभग मति कि वदया गया। किो का भाि ऐस ववचत वगषो पि पडा, वजनकी कमता क भी भगतान किन की नही थी। िाय की लडखडाती ववतीय वसथवत को उस समय औि बडा झ‍टका लगा, जब रिास अमरिका की सवततरता क यधि म शावमल हो गया। इस यधि क खचव न सन 1789 म लईस XVI को जागीिो क परमखो को बलान क वलए बाधय वकया, इस आशा स वक कोई हल वमल सक। इस उपाय न ‘पिान शासन की मतय की घव‍टया बजा दी औि रिावत का पहला चिण सामन आया।’

गक‍तकवकि 1 : पररचयातमि पररचचाथि

ऐवतहावसक घ‍टनाओ को सही परिपरकषय म दखन औि जव‍टल ववचािो, मसलो को सिल बनान क वलए अकसि परिचयातमक चचात ववदावथतयो को सही मागत वद खाती ह। इस उदाहिण म जब तक ववदाथथी रिावत परािभ होन स पहल रिासीसी समाज को कषट दनवाल मदो को ढग स नही समझ ल, व बाद म होन वाल परिवततनो को नही समझ सक ग औि वफि सदा पिीका क उदशय स तथयो को समझ वबना िटा मािन की भी सोचग। अतः इस सति पि वशकक को चावहए वक व वनमनवलवखत वबदओ क आिाि पि एक क समय क वलए ववदावथतयो को पािसपरिक वरियातमक परिचचात म लगाए।

1. रिास क रिावतकािी इवतहास का यह भाग ववदावथतयो स परशन प कि बहति तिीक स शर वकया जा सकता ह। य परशन इस तिह हो सकत ह-- (क) असमानता कया ह, (ख) जीवन क वववभनन कतरो (सामावजक, आवथतक, िाजनीवतक) म असमानता लोगो को वकस परकाि परभाववत किती ह, (ग) शासको को गहन असमानता वाली परिवसथवतयो स वकस परकाि वनप‍टना चावहए, (घ) नागरिको क पास काितवाई किन क कया तिीक ह, जब उनह लग वक शासक उनक सिोकािो क सबि म बात किन म कोई रवच नही ल िह ह, इतयावद।

2. य परशन ववदावथतयो को अपनी वततमान परिवसथवतयो, वजनम व िहत ह, तथा रिावत-पवत रिास की परिवसथवतयो को सही परिपरकय म दखन म मदद किग।

3. ऊपि वदए गए परतयक परशन पि परिचचात कित समय, वशकक को उपयतति परशन प कि ववदावथतयो का धयान असमानता क वववभनन पहलओ की ओि ल जाना होगा। परशन इस परकाि हो सकत ह-- लोगो म असमानता कवल वगत आिारित थी या ऐसी असमानता हि वगत या रिणी क लोगो म (।) ‘जडि आिारित’ जस वक परष औि मवहला (।।) ‘वयवसाय आिारित’ जस वक ो‍ट पिोवहत-वगत, जो लोगो की बहत-सी दवनक आवशयकताओ को पिा कित थ औि बड पिोवहत-वगत, जो अविकति चचत की िावमतक वववियो को सपनन किात थ औि सपननता स िहत थ, म भी वयापत थी?

गक‍तकवकि 2 : वाद-कववाद

रिावत-पवत रिासीसी समाज, िाजनीवतक पधिवत औि आवथतक परिवसथवत क बाि म ववदावथतयो दािा अवजत त वासतववक समझ क आकलन हत पाठय-पसतक क परासवगक पाठो का अधयापन कि लन क बाद, वशकक एक वनमनवलवखत गवतवववि किा सकत ह-

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1. वशकक ववदावथतयो स इस ववषय पि वाद-वववाद किवा सकत ह वक रिास क ततकालीन िाजा लईस XVI को रिावत क परािमभ हत वकस सीमा तक उतिदायी ठहिाया जा सकता ह। अतः वाद-वववाद का ववषय होगा— ‘फासीसी काकर ि परारमभ ि कलए लईस XVI परत रप स उततरदायी ।’

2. इसक वलए वशकक, ववदाथथी वम लकि आपसी समझ स इसका फॉमव‍ट तय किग, वजस व वाद-वववाद म अपनाएग। एक सामानय फॉमव‍ट ह वक ववदावथतयो को ववषय क ‘पक’ या ‘ववपक’ म पवतिबधि कि द औि वफि व बाि-बािी स आकि पहल पक म, वफि ववपक म एक-एक कि आए, अपन तकत िख; औि वफि यह रिम चलता िह।

3. वक नत वाद-वववाद को अथतपणत बनान हत सबस पहल वशकक को उन मसलो को िखावक त किना चावहए वजन पि वाद-वववाद होना ह। (क) िाजा की अवनणातयकता (ढलमल नीवत ), (ख) मजदि वगत की मसीबत दि किन की अथवा गि-वजममदाि अवभजातय औि उचच पिोवहत वगत का सजान लन की अकमता, औि (ग) िचनातमक सिाि क पक म कायत किन की अकमता जस वव षय को वाद-वववाद क कतर म लान चावहए।

4. अततः वशकक को वाद-वववाद का साि बताना चावहए औि पिी कका क वह त म इस बोडत पि वलख दना चावहए।

C. फासीसी दाशथिकनिो िद उनमक‍त कवचार

रिासीसी दाशातवनको क उदािवादी ववचािो न पिान शासन क अिीन दयनीय परिवसथवतयो वाल जीवन स रिास क आम लोगो की मति होन की इचा को उतवजत वकया। यह घोषणा कित हए रसो न आम नागरि को म लोकततर क मलभत वसधिात को परचारि त वक या वक ‘आदमी सवरतर पदा होर ह, परनर सवततर व ििीरो म ििड हए ह।’ रसो क अनसाि, मवकत कामी लोकवपरय इचा वयति कि बिनो की बवडयो को तोडा जा सकता ह औि एक सिकाि सथावपत की जा सकती ह। इसी तिह मॉण‍टसकय न ‘सता क पथककिण’ औि ‘सविावनक सिकाि’ की अचाइयो क बाि म लोगो को बताया। वॉल‍टयि न भी तानाशाही औि चचत क भरषटाचाि की बिाइयो का पदातफाश वकया। कल वमलाकि इन सदशो न तीन शबदो ‘सवततरता, समानता औि बितव’ क साथ रिावत क सवि सथावपत वकए।

गक‍तकवकि 1: उतसाहवदधथिि पररचचाथि

वववभनन दाशतवनको क रिावतकािी ववचाि, औि इन ववचािो न रिावत क परसफ‍टन क वलए वाताविण बनान म वक स तिह योगदान वकया, इस सदभत म पाठय-पसतक म दी गई ववषय-वसत क सपरषण स पवत वशकक वनमनवलवखत उतसाहवधितक गवतवववि कि सकत ह-

1. वशकक ववदावथतयो स इस परकाि क परशनो क उति दन क वलए कह सकत ह— (क) जब व सक‍ट म होत ह, तो मदद क वलए वकनकी ओि दखत ह? (ख) वह कया ह, वजस व इस परकाि की परिवसथवत म उपयोगी समझत ह -- एक ववचाि जो उनह सक‍ट स उबािन म मदद कि सकता ह या वह सामगी-सहयोग, वजसक उपयोग की पधिवत उस नही मालम ह।

2. इसक बाद, वशकक एक ववदाथथी को सवचा स आग आकि उन उतिो को बोडत पि वलखन क वलए कह सकत ह।

3. अततः वशकक ववदावथतयो स प सकत ह वक कया व क वयापक उतिो को समझन क वलए सहमत ह वक रिासीसी रिावत म रिासीसी दाशतवनको क योगदान को समझन हत उन उतिो का कया आशय ह।

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गक‍तकवकि 2 : ‘एककिट िािथि’ बनाना

ववदावथतयो दािा ‘एवकज‍ट काडत’ (वनकास पतर) अकसि उन ववषयो पि बनाए जात ह, वजनका उनहोन पिी तिह अधययन कि वलया होता ह। कयोवक रिासीसी रिावत का यह पहल एक कनद-वबनद की तिह था, वज सक चािो ओि अनय घ‍टनाए पनपतन: आकाि ल िही थी। अत: इस ववदावथतयो को भली-भावत पढना चावहए। उनहोन ऐसा कि वलया ह, यह जानन क वलए वशकक उनह अपन-अपन ‘एवकज‍ट काडत’ बनान क वलए कह सकत ह।

1. ‘एवकज‍ट काडत’ म वन मनवल वख त मसल शावमल होन चावहए--(क) महततवपणत शबदावली औि अविािणाओ की सची, (ख) इन शबदावली औि अविािणाओ का अथत, (ग) ऐवतहावसक परिवसथवतया, वजनम य शबदावली औि अविािणाए बनाई गई, (घ) रिावतकािी ववचािो की िचना औि परसाि स सबवित तथयो की रिमागत वयवसथा (घ‍टनाओ को रिम स िखना), (च) वववभनन दाशातवनको, ‍टवनस को‍टत शपथ, इतयावद क ववचािो स सबवित दशय औि ववववि सामगी का एक सगह, () सभी महततवपणत ववचािो क सवकति ववविण, (ज) उस ववषय पि प जान लायक अपन बनाए परशन, औि अतत: (झ) रिावत क वलए दाशातवनको क योगदान का कल आकलन।

2. ववदालय म उपलबि ससािनो क उपयोग स ‘एवकज‍ट काडत’ बनान क वलए वशकक की ओि स ववदावथतयो को 2-3 वदन का समय वद या जाना चावहए।

D. काक‍त िी ओर- िन‍ता (‍तीसरद एसटदट) िी भकमिा

लई XVI क आहान पि 176 वषषो बाद एस‍ट‍ट जनिल का सममलन हआ। यह तीन एस‍ट‍टो (वगषो)- पादिी, कलीन औि जन सािािण वगत क चयवनत सदसयो की तीन उपसमहो की ससथा थी। पहल य तीन एस‍ट‍ट अलग-अलग वो‍ट डालत थ। इस पधिवत म ‘तीसिा एस‍ट‍ट’ हमशा हि मामल म ववशषाविकाि परापत वगत क लोगो क अनय दो एस‍ट‍ट दािा पिावजत हआ। इसवलए यो ही एस‍ट‍ट जनिल की बठक हई ‘तीसि एस‍ट‍ट’ क परवतवनवियो न माग िखी वक अबकी बाि पिी सभा दािा मतदान किाया जाना चावहए, वजसम परतयक सदसय को मत दन का अविकाि हो। परथम दो एस‍ट‍टो न इस माग का पिजोि वविोि वकया, फलसवरप तीसि एस‍ट‍ट को मजबिन 17 जन, 1789 को सवय को नशनल असबली घोवषत किना पडा। दबाव म आकि िाजा न असबली हाल बद किवा वदया तावक ‘तीसिा एस‍ट‍ट’ अपनी रिावतकािी कायतवाही आग न बढा सक। इसस उसक सदसय भडक गए औि उनहोन वनक‍टवतथी ‍टवनस को‍टत म शपथ वलया औि सवविान बनन तक वही ड‍ट िह। अतत: जनसािािण की इचा पिी हई औि तीनो एस‍ट‍टो की एक नशनल असबली बन सकी।

गक‍तकवकि 1: पशन-उततर सतर

यह पाठ क तथयातमक खणड का मखय भाग ह। फलसवरप परशन-उति सतर सचावलत कि ववदावथतयो को अची तिह तथय बतान की वशकको क वलए यह सवातविक आसान वववि ह। क ववदावथतयो को तथय आसानी स याद हो जात ह, पिनत क को नही होत। अत: जब सभी ववदाथथी कका म सवरिय परशन-उति सतर म शावमल होत ह, तो उनम स परतयक को तथयो की समझ आती ह औि इसस उनह तथयो को याद किन म आसानी होती ह। इसक अलावा, ऐवतहावसक परिपरकषय स वासतववक परशन महततवपणत होत ह, कयोवक इन परशनो क सही उति ववदावथतयो को वकसी भी घ‍टना क अनवतथी ववकास को शावमल किन क वलए तयाि कित ह। अत: कका क परतयक ववदाथथी को शावमल किन क वलए वशकक वनमनवलवखत सीि परशन प सकत ह औि सही उति बोडत पि वलख सकत ह।

1. रिासीसी शबद ‘एस‍ट‍ट’ (Estate) का कया अथत ह?

2. एस‍ट‍ट जनिल की सिचना वकस परकाि की होती थी?

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3. ‘नशनल असबली’ वकसन गवठत की थी?

4. ‘नशनल असबली’ का गठन कयो वकया गया था?

गक‍तकवकि 2 : मचन : एसटदटस िदनरल िी बठिो िा अकभनय

‘भवमका वनवतहन’ या ‘अवभनय’ एक रवचकि गवतवववि ह। इसम ववदाथथी न कवल पिी तिह भागीदाि हो जात ह, बवलक घ‍टना, घ‍टना स सबधि चरितर, औि उस घ‍टना म अपनी भवमकाओ क ‘कयो’, ‘कस’ क बोि स भी समपनन होत ह। अत: रिासीसी रिावत क इस रवचकि औि वववशषट दौि क सबि म वशकक ववदावथतयो को वनमनवलवखत तिीक स एस‍ट‍टस जनिल क काम-काज पि ‘ना‍टक खलन’ क वलए परोतसावहत कि सकत ह।

चरण ।: कका क ववदावथतयो को 1:1:2 क अनपात म तीन एस‍ट‍टो- पहला एस‍ट‍ट, दसिा एस‍ट‍ट औि तीसिा एस‍ट‍ट म बा‍टा जा सकता ह।

(नोट: 40 कवदाक तयो वाली िका म पहल एस म कवदाथी िी सखया 10, दसर एस म भी 10 और रीसर एस म 20 रखी िा सिरी ह। दो एस ि सम तन वाल परसराव िो समा मान लगा।)

चरण ।।: वफि तीनो एस‍ट‍टो स कहा जा सकता ह वक व अलग-अलग वनमनवलवखत परसतावो पि बािी-बािी स बहस कि औि उनह अपनाए :

1. गिीब लोगो पि कोई कि लाग नही;

2. अमीिो पि किो म व वधि;

3. सभी लोगो--परष-सतरी, गिीब-अमीि, अवभजातय-वकसान, ो‍ट पादिी-बड पादिी, आवद को समान अविकाि परदान किना;

4. तीनो एस‍ट‍टो का एक म ववलय;

5. सविावनक िाजततर की सथापना, औि

6. पडोसी दशो क साथ यधि-बनदी औि वमतरता की सवियो पि हसताकि।

(नोट: कशकि िो यह स कनकचिर िरना होगा कि परतयि एस ि सदसय अपन वगत ि कहरो ि परकर सिग ह। ऐसा िरन ि बाद यह दखना रकचिर होगा कि (ि) हर परसराव पर परतयि एस ि रिको िी कदशा कया ह; और (ख) कया व परसरावो ि ‘सम तन’ या ‘कवरोध’ म कवचार िर रह ह।)

चरण ।।।: अतत: समरा‍ट की भवमका वनभान वाल वशकाथथी को वकसी एक परसताव या कई परसतावो क वकसी एक स‍ट को कायातनवयन हत सवीकाि किना होगा औि वफि कका को समझाना होगा वक उनहोन वही स‍ट कयो सवीकाि वकया, दसिा कयो नही वकया।

E. िनसािारण िा उतान

नशनल असबली क परवत िाजा की िािणा सनतोषजनक नही थी। नव सथावपत वन काय क परवत उसक दषभाव को दखत हए परिस की उग भीड न िाजकीय जल, बवस‍ट ल पि िावा बोल वदया, औि उस ििाशायी कि वदया। शाही वन िकशता क इस परतीक का वगिना रिास म सवािीनता की ववजय का दोतक था। परिस म मयवनवसपल सिकाि का नव सवरप सथावपत हआ औि वयवसथा बनाए िखन क वलए नशनल गाडत का गठन हआ। यह रिावतकािी जोश बडी शीघरता स सभी परातो म फल गया। अवभजातय वगत न अपन अविकाि एव सवविाए तयाग दी। जन कायातलय क दाि सभी क वलए खल गए। इस परकाि

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समता का वसधिात ववजयी हआ, जो पिानी शासन-वयवसथा क अत का परतीक था।

गक‍तकवकि: पोसटर गलरी

‘पोस‍टि गलिी’ बनाना एक मनोहािी गवतवववि ह। इस गवतवववि दािा ववदाथथी वक सी ना‍टकीय ऐवतहावसक घ‍टना पि अपनी समझ परदवशतत कि सकत ह। इसक अलावा व अपना िचनातमक कौशल भी वद खा सकत ह। अत: रिासीसी रिावत क इस वववशषट पहल क सनदभत म पोस‍टि गलिी बनाना ववदावथतयो क वलए बहत उपयोगी गवतवववि हो सकती ह। पहली बात यह वक इसस न कवल ‘बवस‍ट ल क पतन’ जसी ऐवतहावसक घ‍टना क परवत उनकी समझ औि सवदनशीलता की गहिाई परदवशतत होगी, बवलक रिषठता, ‘समता क वसधिात’ क कायातनवयन दािा ‘सवािीनता की ववजय’ जसी अमतत उपलवबियो को परदवशतत किन म उनकी सहजात िचनातमक ववत औि अवजत त कौशल भी अवभवयति होगा। ‘पोस‍टि गलिी’ की िचना कित समय ववदावथतयो को वशकक वनमनवलवखत चिणो क अनपालन का मागतदशतन द सकत ह।

चरण ।: उपलबि पराथवमक सोतो स ववदाथथी वकतनी भी सखया म दशय सामगी एकतर कि सकत ह। यह सामगी घ‍टनाओ स समबधि –(क) महततवपणत भवनो/समािको (ख) नागरि को, औि (ग) वतानतो क वचतर हो सकत ह। य सामगी (क) पोस‍टि, (ख) पम‍ल‍ट, औि (ग) उस काल क समाचाि पतरो की कतिन भी हो सकती ह।

चरण ।।: इसक बाद, ववदाथथी अपन वयावहारिक पाठ क अशो क अधययन, अनशीलन क आिाि पि अपना खद का पोस‍टि बना सकत ह।

चरण ।।।: इस परकाि एकतर औि वन वमत त पोस‍टिो को वयववसथत कि ववदाथथीगण घ‍टना को रिमबधि रप द सकत ह।

चरण IV: अवतम रप स तयाि नमन पि कका म चचात होनी चावहए, तावक िही-सही कमी दि हो जाए। इस कायत म वशकक की बडी भवमका होती ह।

चरण V: अवतम रप स तयाि पोस‍टि गलिी उस वषत ववदालय दािा आयोवजत ‘सामावजक ववजान परदशतनी’ म परदवशतत की जानी चावह ए।

F. सकविान िा कनमाथिण

अब नशनल असबली न खद रिास का भावी सवविान िचन का कायत हाथ म वल या औि कवनस‍टचए‍ट असबली (1789-1791) क नाम स जाना जान लगा। वजन वसधिातो को सवविान का आिाि बनाया जाना था, व ‘अविकािो की घोषणा (1789)’ म अतवनतवहत थ। यह ऐसा दसतावज था, वज सम घोषणा थी वक सभी मनषय सवािीन ह औि उनह समान अविकाि ह। इसक अवतरिति, यह भी सवन वचि त था वक िाय की सपरभता जनसािािण क हाथो म ह। साथ ही, नशनल असबली न चचत अवि कत ववशाल भवम दािा रिास की वबगडती ववतीय दशा सवािन का भी परयास वकया। इस भवम सपदा को बचकि सिकाि दािा वलए गए ऋण चकान म मदद वमली। चचत म चनाव दािा पदो को भिकि चचत को भी सिकाि क बढत वनयतरण म लाया गया। इसस चचत क क खणड बिी तिह रिावत क ववरधि हो गए। रिास क अवभजात-वगत क कई सदसयो न रिावत क परवत अपना वविोि परदवशतत वकया, कयोवक वह अविक उग होती जा िही थी। इन सब घ‍टनाओ स ववचवलत होकि समरा‍ट लई XVI न परिवाि सवहत दश स भागन का परयास वकया। वक नत व िासत म ही पकड गए औि जन 1790 म उनह वापस परिस लाया गया। अब उनक समक वस तमबि 1790 म रिास को एक सविावनक िाजततर घोवषत किन वाल नए सवविान को सवीकािन क अलावा औि कोई ववकलप नही बचा था।

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गक‍तकवकि: कनबिातमि पशन उततर कलखना

वनबिातमक परशनो क उति दन क वलए वववचनातमक ववशषण की योगयता क साथ-साथ सगवठ त उति दन क कौशलो की भी अपका होती ह। ववदावथतयो क वलए उपयति भाषा वयवहाि की भी आवशयकता होती ह। अतएव वशकक ववदावथतयो स वनमनवलवखत वनबिातमक परशनो क उति प सकत ह। इसस रिासीसी रिावत क इस महततवपणत पहल पि उनकी अवजत त समझ का सति जानन म मदद वम ल सकती ह। इसक अलावा ववदाथथी अपन ‘पन:समिण’, ‘सपरतययीकिण’, ‘वगथीकिण’, ‘तलना’, ‘वयाखया’, ‘ववशलषण’ औि आकलन जसी कमताओ की पिख भी कि सकत ह। इसस उनह पाठयचयात क उदशयो क कायातनवयन का बोि होगा।

1. आप नशनल असबली की गवतवव वियो पि वकस दवषट स ववचाि कित ह?

2. नशनल असबली की गवतववविया रिावत क उदशयो को वकस परकाि पिा किती ह?

3. रिावत क चिम लकषय की परावति की वद शा म सविावनक िाजततर अवन वायत सोपान था कया?

4. रिावत का लकषय कया था?

5. इस वसथवत म रिास म वकसी न सोचा होगा वक रिावत का लकषय पिा हो गया?

G. कवि‍तीय काक‍त: गण‍ततर िी सापना

नए सवविान की वयवसथाओ क अनरप चनाव दािा एक वविान सभा का गठन वकया गया, वजसम मातर एक ो‍टा मधयवगथीय वनवातचक मणडल था, वजनम मतदाता होन की योगयता इसवलए थी कयोवक व समपनन थ। इसस मजदि वगत म वयापक वविवकत उतपनन हो गई। दसिी ओि रिास ोडकि भाग िह अवभजातय वगत क सदसय न ऑवसटया क समरा‍ट औि रिास की िानी मािी ए‍टॉइन‍ट क भाई, वलओपोड II का सफलतापवतक िाजी कि वलया वक व रिावतकाव ियो को चतावनी द द वक वह रिास म िाजततर की पन:सथापना किन क वलए पि यिोप को अपन साथ लकि वापस लौ‍टगा। इस चतावनी को खतिा मानत हए, वविान सभा न ऑवसटया क ववरधि यधि की घोषणा कि दी। जस ही यधि परचड हआ, लोगो को सवविान क परवत समरा‍ट की वनषठा पि सदह होन लगा। वहसा न िाषट को जकड वलया औि अ तरिम सिकाि दािा सकडो िाजततर वावदयो को मौत क घा‍ट उतािन क वलए िाय की जलो स बाहि वनकाला गया। इसस रिास म ‘गणततर’ की सथापना की माग बढ गई। परिणाम सवरप, वयापक वयसक मताविकाि क आिाि पि एक अविक लोकतावतरक सवविान बनान क वलए नशनल कॉवनस‍टयशनल कनवशन (िाषटीय सविावनक सभा) का चनाव वकया गया। परचलन म नशनल कनवशन क नाम स जानी जान वाली इस सभा की बठक 21 वसतबि 1792 को हई औि इसन जनता की माग को वासतववकता म बदल वदया। रिास को गणततर घोवषत कि वदया गया। समरा‍ट को एक झठ मकदम क बाद मौत की सजा दी गई औि वगलोव‍टन (कततन यतर- दो खमबो क बीच ल‍टकत आि वाली मशीन) म िख वदया गया।

गक‍तकवकि: सरचनातमि कवशलदरण

‘सिचनातमक ववशलषण’ एक महतवपणत वशकाशासतरीय ‍टल (सािन) ह जो ववदावथतयो को उस वसधिात का परिपरकषय समझन म मदद किता ह, वजस इवतहास म ‘चनौती औि परतयति’ कहत ह। ववदावथतयो स यह गवतवववि किवान क वलए वशकक वनमनवलवखत चिणो को अपना सकता ह।

चरण I: पहल ववदावथतयो स एक ‘तलनातमक चा‍टत’ बनान को कहा जा सकता ह, वजसम दो ऊधवत कॉलम ‘चनौती’ औि ‘परतयति’ शीषतको स होग।

चरण II: वफि वशकक ववदावथतयो स कहगा वक चनौवतयो वाल कॉलम म व चनौवतया भि जो ‘नशनल असबली’ औि ‘नशनल कनवशन’ क सामन थी औि ‘परतयतति’ वाल कॉलम म वह परवतवरियाए भि जो इन

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दो सगठनो दािा की गई।

चरण III: तब वशकक ववदावथतयो स प गा वक कया आप यहा कोई प‍टनत (अनरिम) बनता दख िह ह? इस परशन का उति ववदाथथी कई परकाि स दग।

चरण IV: अत: वशकक को सवय ववदावथतयो का प‍टनत वदखाना होगा-

(a) पहल, ववदावथतयो क चा‍टत स चनौती की पहचान कि, (b) वफि बताए वक उदशयो क एक समह क साथ गवठत सबवित सगठन/ससथा न क काितवाई किक चनौती का उति वदया, (c) तीसि, दशातए वक लोगो की इन काितवाइयो क परवत कया परवतवरिया थी, यह सोचत हए वक स बवित उति वभनन हो सकत थ। (d) चौथा, वकस परकाि इस ससथा क ववसथापन क वलए आदोलनो का परािमभ हआ, (e) पाचवा, दशातए वक कस एक नई ससथा न इसका सथान वलया, औि (f) अवतम, बताए वक रिावत को उग रप दन क वलए परवरिया कस चलती िही।

चरण V: अत म, वशकक ववदावथतयो स कहगा वक व ववशलषण क आिाि पि घ‍टना पि एक ववशलषणातमक रिपो‍टत वलख।

(नो: इस परिार िा ‘सरचनातमि कवशलषर’ वासरव म एि सा रीन गकरकवकधयो िो शाकमल िररा ह, िस (1) एि ‘फलो चा त’ (परवाह चा त) बनाना (2) ‘रथयातमि कवशलषर’ िरना; और (3) एि ‘कवशलषरातमि ररपो त’ कलखना। यह गकरकवकध आग आन वाल भागो म दी गई घनाओ िो लिर भी िी िा सिरी ह।)

H. अरािि‍ता िी ओर- आ‍तिराि

आतरिक परवतवादो क कािण नशनल कनवशन अपन को एकज‍ट िखन म असफल िही। सयमी वगिोवनडनस औि उग जकोवबनस क झगडो क साथ-साथ ववदश म रिासीसी सनाओ की हाि औि दश म खाद पदाथषो की अनपलबिता औि आवशयक वसतओ की कीमतो म भािी व वधि न अिाजकता की वसथवत उतपनन कि दी। जबवक एक उग भीड क दािा नशनल कनवशन पि हमला किन पि सिकाि जकोवबनस क हाथो म चली गई, वगिोवनडनस दवकण क शहिो म भाग गए औि रिावत-वविोिी गवतवववियो म लग गए। इस सक‍ट को िोकन क वलए कनवनशन दािा एक बािह सदसयीय जन सिका सवमवत का गठन वकया गया वजसका मवखया मकसवमवलयन िोबसपयि था औि उसको सभी परशासकीय अविकाि द वदए गए। इसन अगसत 1793 स जलाई 1794 क काल म आतक क िाज को कमजोि कि वदया, वजसम लगभग चालीस हजाि लोग माि गए औि इसस भी कही अविक लोगो को सदह क आिाि पि जलो म डाल वदया गया। साथ ही सवमवत न दश की समपणत जनता को ससािनो सवहत िाषट का यधि लडन क वलए पररित वकया। परिणाम सवरप, शवकतशाली िाषटवादी भावनाओ स ओतपरोत 800-1000 लोगो की ‘जन सना’ वजसन वनचल पदो स पदोननत होकि आए यवा अविकारियो क योगय नततव म रिावत क वविोवियो क ववरधि अनक बाि ववजय परापत की, वजस तब ‘गठबिन’ कहा गया। यदवप यधि अभी जािी था, पिनत ऐसा लगता था वक िोबसपयि क परवत लोगो ियत खतम होन लगा। यह वदलचसप था वक जस उनहोन मातर सदह क आिाि पि कइयो क साथ वकया, उनह औि उनक अनयाइयो को भी वगलोव‍टन म भज वदया गया औि इस परकाि भयकि आतकिाज का अत हो गया।

गक‍तकवकि: समह पररचचाथि

एक वशकाशासतरीय ‍टल (सािन) क रप म ‘समह परिचचात’ को बहत परभावी ढग स काम म वलया जा सकता ह। ववशष रप स परशासन क मदो पि जहा परिवसथवतयो को वनयवतरत किन क वलए वकए गए उपाय चिम सीमा पि पहच जात ह, जसा की ‘आतकिाज’ क मामल म हआ। नागरिको क पास कया ववकलप हो सकत थ, इस पि समहो म परिचचात की जा सकती ह, कयोवक इन ववषयो पि अलग-अलग ववचाि हो सकत ह।

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चरण I: अधयाय क इस भाग क सदभत म “समह परिचचात” वनमनवलवखत परशनो क इदत-वगदत हो सकती ह।

1. वगिॉवनडनस औि जकोवबनस क मधय मतभदो को वनप‍टान म नशनल कनवशन क पास कया ववकलप थ?

2. कया सघषतित दोनो दलो क मतभदो क मद वनप‍टाए नही जा सकत थ?

3. कया आतकिाज क दािा सिाि आवशयक था?

4. कया लोकतावतरक सिकाि सथावपत किन क वलए वविोवियो को वम‍टा दना अवनवायत था?

5. कया वहसा को अविक वहसा स समापत वकया जा सकता ह?

चरण II: वततमान परिपरकषय को धयान म िखत हए वजसस ववदाथथी ठीक स समझ सक , परिचचात म हाल की घ‍टनाओ को जोडा जा सकता ह जो वमरि, यमन, सीरिया, आवद दशो म घव‍टत हो िही ह।

I. उदारवादी/मधयमागथीय गण‍ततर

आतकिाज को सिकण दन वालो स ठीक स वनप‍टन क बाद एक मधयमागथी गणततर बनान का परयास वकया गया। अत: नया सवविान बनाया गया वजसक आिाि पि एक नई पाच सदसयीय सिकाि अक‍टबि 1795 को बनाई गई, वजस वडिकटी कहा गया। पिनत लोगो म वयापक असतोष बना िहा। एसा आवशक रप स वनिति िाषटीय यधि परयासो औि महगाई क कािण औि आवशक रप स इस कािण था वक नए सवविान क अतगतत एक बाि वफि वो‍ट दन का अविकाि मधयमवगथीय सपवत मावलको तक सीवमत कि वदया गया। इसक परिणाम सवरप जब दो वषत बाद (1797) सवततर चनाव किाए गए, तो बहत स अवभजातय वगत क लोग ववजयी हए। इसस घबिाकि वडिकटी को मदद क वलए सना बलानी पडी। पिनत अगल वषत परिवसथवतया अविक वबगड गई जब वब‍टन औि रस न रिास क ववरधि दसि गठबिन म पिसपि हाथ वमला वलए। इसन यवा नपोवलयन बोनापा‍टत क वलए िासता बना वदया, वजसक नततव म एक वषत पहल सना वडिकटी को बचान औि उस गदी स उताि कि उसक सथान पि नया वविान ‘कॉनसल‍ट’ लान क वलए आयी थी।

गक‍तकवकि : ससदीय वाद-कववाद

ससदीय वाद-वववाद एक ऐसा फामव‍ट ह जो ववदावथतयो को वयवकतगत ववचािो स ऊपि उठकि सिकािी नीवतयो का ववशलषण किन दता ह। इस बहस को आयोवजत किन क वलए वशकक वनमनवलवखत चिणो का अनसिण कि सकता ह।

चरण I: ववदावथतयो स कह वक व दो समह - (1) पक औि (2) ववपक बना ल।

चरण II: वाद-वववाद क वलए परसताव तय कि, जस- वडिकटी को सता म बन िहन का कोई अविकाि नही ह।

चरण III: ववदावथतयो को बताए वक वाद-वववाद क वलए वनमनवलवखत महतवपणत वबद होन चावहए-

1. कया लोकता वतरक गणततर म सीवमत मताविकाि होना चावहए?

2. कया लोकततर म सिकाि को अपन ही लोगो स बचान क वलए सना बलानी चावहए?

3. कया लोकततर म आवथतक नीवत जन क वदत या सिकाि क वदत होनी चावहए?

4. कया क िाजनीवतक ववचाि, यवद आपवतजनक पाए जाए, तो उनह जनता को वदए जान वाल भाषण स ह‍टा दना चावहए?

चरण IV: वाद वववाद क अत म परसताव पि मतदान किाए।

चरण V: मतदान क परिणाम क आिाि पि, ववदावथतयो स वडिकटी औि उसकी भवमका तथा कायषो क आकलन पि वलखन क वलए कह।

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चरण VI: ववदावथतयो दािा दी गई सामगी का मलयाकन किन क बाद आप अपन ववचाि िख।

J. नदपो कलयन िालीन फास और काक‍त

कानसल‍ट (1799-1804) न रिास को एक नया सवविान वदया। ऊपिी तौि पि दखन पि, यह वविानमडल औि वयापक मताविकाि परदान किक समकालीन सभी जनवपरय माग पिी किता ह। पिनत, वासतववकता म उसन पिी सता परथम कनसल नपोवलयन, क हाथो म द दी। वनसदह, रिावत क फलसवरप उसन इसको आग बढाया औि रिास क समाज म ववदमान ववशषाविकािो का नकाि वदया। इसक बाद स कानन क समक समानता को सखती स लाग वकया गया, वजस सयति रप स 'कोड नपोवलयन कहा गया। आदशो को दढता स लाग वकया गया, महगाई को घ‍टाया गया औि सावतजवनक ऋणो को वनय वतरत वकया गया। सना सवहत सिकािी कायातलयो म भतथी औि पदोननवत योगयता क आिाि पि की गई, लमब समय स लवमबत 1789 क कि सिािो को लाग वकया गया औि दकता वदन परवतवदन क परशासन की पहचान बन गई। बाहिी मोिच पि दसि गठबिन को हिान क वलए ऑवसटया औि इगलणड पि ववजय परापत की गई। पिनत नपावलयन की वयवकतगत महतवकाका औि वनिति िाजततरवादी वविोि क कािण उसन 1804 म सवय को रिास का समरा‍ट घोवषत कि वदया। जलद ही कशल सना औि क‍टनीवतक यधिाभयास क कािण वह इगलड को ोडकि समपणत यिोप को अपन वनयतरण म ल आया। इगलड न उसको आवथतक नाकाबदी, वजस पराय: कॉन‍टीन‍टल वसस‍टम (महादीपीयी वयवसथा) क नाम स जाना जाता ह, सवहत आरिामक उदशयो को चनौती दी, कयोवक वह ववशव म नौसवनक आविपतय सथावपत कि चका था। इसक साथ-साथ रिास दािा जीत गए दशो म िाषटवाद की एकज‍ट पकाि स अतत: 1815 म वा‍टिल क यधि म उसका पतन हआ। यदवप अपन दस वषषो क शासन काल म जब उसन यिोप पि एकतर िाज वकया तो इसक दिगामी परिणाम सवरप रिासीसी रिावत स जड बहत स ववचािो औि सिािो को दढता स लाग वकया। औि सभी अथषो म यह उसकी सवािीनता क सदश को बढावा दन की मातर अवनचा थी वजसन उस पी िकल वदया। आन वाल समय म, यही वह आदशत था वजसन नए आिाि पि यिोप क पनवनतमातण का मागत परशसत वकया। आग समानता औि भाईचाि क इस आदशत न पि ववशव क दशो को परवतधववनत औि पररित वकया।

गक‍तकवकि: मानकचतर पिना

‘मानवचतर पढन’ क वशकाशासतरीय सािन का परयोग वशकक वनमनवलवखत वरियाकलापो क वलए कि सकता ह।

1. पहल क सथानो जस कॉवसतका, परिस, टफलगि, नपलस, वसवसली, वस‍टफवलया, वाशात, वलसबन, मवडड, वलपवजग, एलबा, वा‍टिल, स‍ट हलना, इतयावद क नाम वकसी भी रिम म बोडत पि वलख द।

2. ववदावथतयो स कह वक व इन सथानो को दीवाि पि लग यिोप क मानवचतर पि दख।

3. ववदावथतयो स प वक इन सथानो पि नपोवलयन बोनापा‍टत क जीवन स जडी कौन-कौन सी घ‍टनाए घ‍टी।

4. ववदावथतयो स कह वक व इन घ‍टनाओ को रिमानसाि वलख।

5. अनत म ववदावथतयो स कह वक व (a) नपोवलयन बोनापा‍टत क सता म आन क कािणो का पता लगाए , (b) उसक सवनक अवभयानो औि उनक महतव क बाि म वलख, औि (c) उसक पतन क कािण बताए।

कनषिराथितमि गक‍तकवकि: टाइमलाइन ‍तयार िरना

अधयाय की समावपत पि, वशकषाक ववदावथतयो स कह सकता ह वक व 1789 स 1815 क मधय, रिासीसी रिावत स सबधि मखय घ‍टनाओ की ‍टाइमलाइन तयाि कि औि उसम परतयक घ‍टना म परमख वयवकतयो, ववचािो औि ससथाओ दािा वनभाई गई भवमकाओ को परदवशतत कि।

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समदकि‍त आिलन िद कलए पशन

समवकत आकलन क वलए वशकक कका IX की इवतहास की पाठयपसतक भाित औि समकालीन ववशव-1 म पाठ क अत म वदए गए परशनो पि ववदावथतयो स चचात कि। साथ ही ववदावथतयो क अविगम परिणामो क आकलन म सहायता क वलए नीच वदए गए वशकाशासतरीय नवाचािी उदाहिणसवरप वदय गय परशन बना सकत ह।

1. रिावत-पवत रिास म सामावजक ततर वकन रपो म भदभाव पणत था? यह वकस सीमा तक लोगो म असतोष फलान क वलय उतिदायी था? (3+2)

2. व कौन सी आवथतक समसयाए थी वजनहोन रिावत क अवतम दौि म रिासीसी समरा‍टो को पिशान वकया? उन समसयाआ को सलझान क उनक परयास कयो असफल हो गए? (3+2)

3. कया लई XVI न एस‍ट‍ट जनिल को बलाकि सही काम वकया था? (4)

4. नशनल असबली का वनमातण वकस परकाि हआ? कया इस उन उदशयो की परावपत हई वजसक वलए यह बनी थी? (3+3)

5. कया नशनल कनवशन न लोगो की अपकाए पिी की? यवद हा, तो कस, यवद नही तो कयो? (2+3)

6. कया आतक िाज का सहािा लन का तकत सही था? (3)

7. वडिकटी की उतपवत कयो हई? कया इसन अपन उदशय परापत वकए? (2+2)

8. उन परिवसथवतयो का उललख कि वजनहोन नपोवलयन को सता म आन म सहायता की। कया आप कहग वक उसका सता म आना रिावत की भावना क ववरधि था? (5)

9. महादीपीय वयवसथा कयो असफल हई? (3)

10. यिोपीय शवकतया नपोवलयन की नीवतयो क ववरधि कयो थी? (3)

11. आपक ववचाि स नपोवलयन बोनापा‍टत क पतन क कया कािण थ? (3)

12. नपोवलयन क कायषो का आकलन कीवजए। कया हम उस ‘रिावत की उपज’ कह सकत ह? (5)

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सझाई गई पठन सामगी

1. Robert R. Palmer, The Age of the Democratic Revolution: A Political History of Europe and America, 1760-1800 (2 Vols): 1969, USA.

2. Christopher Hibbert, The Days of the French Revolution, New York: Morrow, 1980

3. William Doyle, The Oxford History of the French Revolution, Oxford: OUP, 2002

4. C.J.H. Hayes, Modern Europe (Indian Rpt), Delhi: Surjeet-Publication, 2000

दशय-शरवय सामगी

1. The French Revolution: Birth of a New France, 16 mm film (21 min 2 colour/b&w), Encyclopedia Britannica Educational Corporation, Chicago, USA.

2. The French Revolution: Death of an Old Regime, 16 mm film (21 min, colour/b&W), Encyclopedia Britannica Corporation, Chicago, USA.

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‘औदयोगीिरण यग’ िा सपदरण

सककप‍त पररचय

जसा हमन वपल माडयल म दखा वक रिासीसी रिावत न तजी स ना‍टकीय ढग स रिास का िाजनीवतक ढाचा बदल वदया, औि नपोवलयन की ववजयो न उसी तीवरता औि चमतकारिक ढग स इनम स अनक रिा वतकािी वसधिातो को ववशव क अनय भागो म फला वदया। अटािहवी शताबदी क अवतम दौि औि उननीसवी शताबदी क आिभ म, औदौगीकिण, यिोप क आवथतक औि सामावजक ढाच को बदल िहा था। यदवप उनकी गवत बहत िीमी औि कम ना‍टकीय थी। औदोवगकिण सामानयत: कािखाना उदोग स सबधि िहता ह, पिनत इगलणड औि यिोप म 17वी औि 18वी शताबदी क परािमभ म कािखान शर होन स पहल स ही अनतिातषटीय बाजाि क वलए बड पमान पि उतपादन कायत हो िहा था, जो कािखाना आिारित नही था। यह चिण सामानयत: ‘आवद औदो गीकिण’ (Proto Industrialisation) कहलाता ह। इसक बाद परमख परौदोवगकी परिवततन हए, कािखान सथावपत हए औि नए औदौवगक मजदि वगत का उदय हआ। अनय ववकास की तिह ही औदौगीकिण क भी इगलणड क लोगो क समाज, अथतवयवसथा औि जीववका पि अपन परभाव पड। औदौगीकिण क परभाव इगलणड तक ही सीवमत नही थ, य समपणत ववशव म, जस वक भाित म भी फल गए।

कशकषाण-अकिगम उददशय

‘औदोगीकिण’ का सपरषण कित समय वशकक को वनमनवलवखत बातो को धयान म िखन की आवशयकता ह-

- सपष‍ट रप स यह समझना वक ‘औदोगीकिण’ का कया अथत ह औि यह वकस रप म ववकवसत हआ।

- औदोगीकिण क ववसताि का पता लगाना।

- पािपरिक औि लघ उदोगो क अवसततव को दख- उनका कया हआ औि उनहोन औदोवगक ववकास म वकस परकाि योगदान वकया।

- औदोगीकिण क पयातविण, जन सामानय औि सामानय रप स ववशव पि पडन वाल वववभनन परभावो (सामावजक, आवथतक औि जीववका सबिी) को पिख औि उनका ववशलषण कि।

- एक औपवनववशक दश म औदोगीकिण क परभावो को समझ।

-

मखय सिलपनाए

A. औदयोगीिरण सद पहलद

अकसि हम कािखाना उदोग की ववधि को औदोगीकिण स जोड लत ह। जब हम औदोवगक उतपादन की बात कित ह तो हमािा आशय कािखान क उतपादन स होता ह। जब हम उदोग म काम किन वालो की बात कित ह तो हमािा आशय कािखान म काम किन वालो स होता ह। पिनत इगलणड औि यिोप म कािखान शर होन स पहल भी अतिातषटीय बाजाि क वलए बड पमान पि औदो वगक उतपादन वकया जाता था। यह कािखानो पि आिारित नही था। बहत स इवतहासकाि औदोगीकिण क इस काल को आवद औदोगीकिण यग कहत ह।

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गक‍तकवकि 1: कचतर कवशलदरण

वशकक पसतको औि इ‍टिन‍ट स ऐस दशय/वचतर एकवतरत कि सकता ह जो इस काल क जीवन को दशातत हो। दशय/वचतर ववदावथतयो को वदखाए जा सकत ह वजनस अपका की जाती ह वक व उनह धयान स दख। उदाहिण क वलए हम पाठयपसतक म वदय गए वचतर (वचतर A) का परयोग कि सकत ह। यह गवतवववि ववदावथतयो को आवद-औदोगीकिण काल को समझन म सहायता किगी। ववदावथतयो का समझाइए वक यह वचतर एक ऐस काल को दशातता ह जब परिवाि का परतयक सदसय सत का उतपादन किता था। इस अववि म आप दख सकत ह वक लोग अपन घिो स ही काम कित थ। यह ‘घिल वयवसथा’ कहलाती थी। वचतर का ववशलषण कित समय वशकक ववदावथतयो का धयान इस ओि वदला सकता ह वक चिख का पवहया कवल एक तकली चला िहा ह औि इस परकाि क उतपादन क तिीक क लाभ औि हावनयो पि परिचचात शर किवा सकता ह।

(नो: पररचचात शर िरन स पहल कशकि और कवदाक तयो स यह अपका िी िारी ह कि व दक‍टबाकधर कवदाक तयो िो कचतर िी कवषय-वसर ि बार म कवसरार स बराए।)

वचतर A: अटािहवी शताबदी म कताई किना

गक‍तकवकि 2: रोलपलद (भकमिा कनवाथिह)

आवद औदोगीकिण क काल म यिोप म वयापारियो न शहिो स गावा की ओि रख वकया औि वकसानो तथा कािीगिो को िन दकि उनह अनतििाषटीय बाजाि क वलए उतपादन किन का िाजी कि वलया।

आप गामीण समाज को अनतिाषटीय बाजाि क वलए वसतआ क उतपादन क वलए िाजी किन म वयापारियो की भवमका पि िोलपल का आयोजन कि सकत हा यह गवतवववि ववदावथतयो को ववषय की समझ पि अपन ववचाि िखन क वलए परोतसावहत किगी।

यह उनको उनकी भवमका क अनरप उपयकत तकत दन क वलए भी पररित किगी। यह उनको उन चरितरो की वसथवत औि भावनाओ को समझन क साथ अपनी बात कहन क वलए परोतसावहत किगी, वजन चरितरो को व वनभा िह ह। िोलपल म हम वनमनवलवखत बातो का धयान िखना चावहए। (ए) वयापािी गावो म कयो आ िह थ? (बी) उनहोन वकसानो औि कािीगिो को कस मनाया? (सी) वकसानो न उनकी मागो को कयो मान वलया? नीच क महतवपणत चिण वदए गए ह वजनका गवतवववि किवात समय वशकक को अनसिण किना चावहए। य चिण ह:

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1. वशकषाक दािा गवतवववि को तयाि किना औि समझाना - चाि ववदावथतयो को वयापारियो की भवमका द औि पाच को (बावलकाओ सवहत) वकसानो तथा कािीगिो की भवमका द। शष कका दशतको की भवमका म होगी जो िोलपल क बाद इन मदो पि चचात किग।

2. गवतवववि क वलए ववदाथथी की तयािी (चरितरा क बाि म शोि औि आलख लखन)

3. िोलपल किना

4. िोलपल गवत वववि क बाद परिचचात या जानकािी लना

5. रिोताओ/दशतको की भागीदािी

आिलन: ववदावथतयो का आकलन उनक दािा वचतर ववशलषण क साथ-साथ िोलपल गवतवववि म उनकी भागीदािी क आिाि पि वकया जाएगा।

B. िारखानो िा अकस‍ततव म आना

इगलणड म सवतपरथम 1730 क दशक म कािखान अवसततव म आए। पिनत अटािहवी शताबदी क आवखिी वषमो म इनकी सखया म काफी बढोतिी हई। उननीसवी शताबदी क अवतम वषषो म कपास क उतपादन म अतयविक ववधि हई औि यह ववधि उतपादन की परवरिया म हए अनक परिवततनो स जडी थी। अटािहवी शताबदी म हए अववषकािो की रिखला न उतपादन पररिम क परतयक चिण की कमता को बढा वदया। पहल कपडा घिो म ही बनता था, अब यह कािखानो म बनन लगा।

गक‍त कवकि 1: समह िायथि

वशकक कका म उस काल क क परमख नवाचािो (भाप का इजन, ‍लाई श‍टल, वसपवनग जनी औि वा‍टि रिम, इतयावद) क बाि म परिचय द सकता ह औि उनका महतव बता सकता ह। ववदावथतयो को चाि-चाि क समहो म बा‍ट द औि परतयक समह स परतयक नवाचाि क उस दश औि वयवकतयो पि पडन वाल परभाव का पता लगान को कह। य गवतवववि ववदावथतयो को परमख अववषकािो की पहचान किन औि इगलणड तथा वहा क लोगो पि उसक परभाव का पता लगान म सकम बनाएगी। यह सहयोगी अविगम (Cooperative Learning) को भी सगम बनाएगी। इसक वलए ववदावथतयो का पसतकालय औि इ‍टिन‍ट का परयोग किन क वलए परोतसावहत वकया जा सकता ह। परतयक समह को एक नवाचाि पि अपनी खोजो को साझा किन द। इन अववषकािो क सकािातमक औि नकािातमक परभावो पि परिचचात कि। इनहोन इस ससाि को कस परिववततत वकया ह वजसम हम िहत ह? इसक महतव को बताए वक इन नवाचािो न वकस परकाि घिल वयवसथा को परिववततत वकया।

(नो: इस गकरकवकध ि कलए कशकि www.history.com पर उपलबध अाकव‍टिारो और आकव‍टिारिो ि कचतरो िो उपयोग म ल सिर ह।)

गक‍तकवकि 2: एि कवजापन किजाइन िरना

वशकक ववदावथतयो को इगलणड म इस यग म हए वकसी अाववषकाि क एक ववजापन का वडजाइन बनान क वलए कह सकत ह। ववदाथथी समहो म कायत कि सकत ह, वजसम परतयक ववदाथथी वकसी ववशष कायत जस आलख (वसरिप‍ट) वलखन, ववजापन क गावफकस परसतत किन आवद का दा वयतव लगा। ववजापन म अाववषकाि का वचतर, तथा उसकी परमख ववशषताए अवशय शावमल होनी चावहए। इसक अवतरिकत ववदाथथी बताए वक यह व चतर वयवकतयो औि ववशव क जीवन को वकस परकाि परभाववत किगा। यह गवतवववि ववदावथतयो म िचनातमक औि सपरषण कौशल को ववकवसत किन म सहायक होगी।

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ककयािलाप 3: पररचचाथि

वशकक कका म इस ववषय पि परिचचात किवा सकत ह वक “उननीसवी शताबदी क परािमभ म वकस परकाि कािखान तजी स इगलड क परिदशय का अवभनन अग बन गए”। परिचचात क समय वनमनवलवखत बातो को सपष‍ट वकया जाना चावहए-

• औदोगीकिण की परवरिया वकतनी तजी स हई? व कौन स कतर थ जो तजी स ववकवसत हए?

• पािपरिक उदोगो का कया हआ? कया नए उदोगो न पिमपिागत उदोगो का सथान ल वलया?

• पािपरिक उदोगो म परिवततन की गवत कया थी? कया औदोगीकिण का अथत कवल कािखाना उदोगो की ववधि ही था?

एक वशकण पधिवत क रप म परिचचात ववदावथतयो को अविक गहिाई स सोचन औि अपन ववचािो को सपष‍ट किन को पररित किगी। वशकक अथवा ववदावथतयो दािा वनिति परशन प न स ववषय-वसत की मखय सकलपनाओ को सीखन औि गहिाई स उनको समझन म सहायता वमलती ह।

आिलन: ववदावथतयो का आकलन उनकी समहो म भागीदािी, ककागत परिचचात/वाद-वववाद औि ववजापन क आिाि पि होगी। उनक दािा तयाि वकए गए ववजापन का आकलन उसकी ववषय-वसत, यथाथतता, िचनातमकता औि आकषतण क आिाि पि वकया जाएगा। ववजापन पाठको का धयान आकवषतत किन वाला औि सवयववसथत होना चावहए।

C. शरम िी उपलबि‍ता और इसिा शरकमिो िद िीवन पर पभाव

इगलणड म मानव रिवमको की कमी नही थी। गिीब वकसान बडी सखया म शहिो म िोजगाि की तलाश म जात थ औि काम वमलन की परतीका कित थ। बहत स उदोगो म रिवमको की माग अलपकावलक होती थी, जस गस सबिी कायत, मदवनमातणशाला, वकताबो पि वजलद चढाना, पाई, आवद। बहत स उतपाद ऐस थ वजनह हाथो दािा ही बनाया जा सकता था। ववक‍टोरिया शावसत वब‍टन म उचच वगषो क लोग हाथ स बनी चीजो को पसद कित थ। दसिी ओि बाजाि म रिवमको की अविकता स उनक जीवन पि परभाव पडा- उनह कम पसा वमलता था औि व लमब समय तक बिोजगाि भी िहत थ। बिोजगािी क भय स रिवमक अकसि नई परौदोवगकी क उपयोग का वविोि कित थ। रिवमक वजन परिवसथवतयो म काम कित थ व बहत खिाब थी- जस खिाब वायसचाि, गदगी, नमी औि कम िोशनी। य कािखान काम किन की दवष‍ट स असवासथयकि औि खतिनाक होत थी। सामानयत: रिवमक परवतवदन बािह स चौदह घ‍ट काम किता था। कािखाना वयवसथा न काम किन क तिीक को बदल वदया। घिल वयवसथा क ववपिीत इसम घि स दि काम किना होता था। रिवमको को उनक वनयोकताओ दािा मातर सहायको क रप म दखा जाता था।

गक‍तकवकि 1: कदतर भरमण

वकसी वनक‍टवतथी औदोवगक शहि या कतर क वलए कतर भरमण आयोवजत कि। ववदावथतयो को सलाह दी जा सकती ह वक व उस कतर क परमख उदोगो की पहचान कि औि उस शहि, वहा क लोगो क जीवन तथा आस-पास क पयातविण पि औदोगीकिण क परभावो का अधययन कि। ववदाथथी औदोगीकिण स उतपनन होन वाली समसयाओ क समभाववत समािानो पि भी सलाह द सकत ह। समहो म वनमनवलवखत कतरो म औदोगीकिण क परभावो की पडताल की जा सकती ह- जनसखया ववधि, जल एव वाय परदषण, जन आवास परियोजनाए, उदान औि खल क मदान, सावतजवनक परिवहन, गदी बवसतयो को ह‍टाना, औदोवगक औि परौदोवगक परिवततन स उतपनन बिोजगािी, सौदयथीकिण औि परििकण परियोजनाए, तथा औदोवगक या सबवित उपयोग क वलए ऐवतहावसक या सौनदयतपिक भसमपवत का ववनाश। ववदावथतयो को अपन-अपन ववषय पि परसतव त दन को कह।

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यह गवतवववि ववदावथतयो को शहि औि उसक आस-पास औदोगीकिण क सकािातमक औि नकािातमक पहलओ को पिखन म मदद किगी। यह आज क ववशव म हो िह ववकास स ववषय-वसत को जोडन म भी उनह सहायता किगी।

गक‍त कवकि 2: पररचचाथि

कका म ‘मवहलाओ औि बचचो पि औदोगीकिण का परभाव’ पि एक परिचचात किाए। परिचचात परािमभ किन स पहल वशकक मजदिी किती हई मवहलाओ औि बचचो क वचतर वदखा सकता ह। वनमनवलवखत बात परिचचात का मखय ववषय होना चावहए:

मवहलाए औि बचच वकस परकाि क कामो म लग हए ह? कािखानो म कायत वसथवतया कसी होती थी? इसम कया समसयाय थी? कया बाल रिम आज भी ववदमान ह? इनह वकस परकाि क रिमकायषो म लगाया जाता ह?

वशकक इस पि भी परिचचात किवा सकता ह वक ‘वब‍टन क उचच वगत क लोग हाथ स बनी वसतओ को कयो पसद कित औि उपयोग म लत थ तथा मशीनो स बनी वसतओ को औपवनववशक दशो को वनयातत कि दत थ। ‘कया व ऐसा हाथ क काम की वववशष‍टता क कािण कित थ? कया यह उपवनवश बसान वालो की उपवनवशो क परवत मनोव वत का सकत ह?

अत म वशकक ववदावथतयो स उति आमवतरत कि क पिी सामगी को समवकत कि सकत ह।

गक‍तकवकि 3: कफलम ददखना

वफलम घ‍टनाओ औि परवरियाओ पि ववदावथतयो की समझ ववकवसत किन म बहत मदद किती ह। वफलम ओवलवि ‍टववस‍ट (2005) औदोगीकिण स सबवित थीम को समझन क वलए वदखाई जा सकती ह। यह वफलम औदोवगक रिावत क समय एक अनाथ बालक क जीवन पि चालसत वडकनस क उपनयास का रपातिण ह। यह वफलम उस यग क अनक शहिी बचचो क जीवन की कठोिता को दशातती ह औि लोगो क परिवश औि जीवन की परिवसथवतयो को दखन औि समझन म ववदावथतयो की मदद किती ह। पिी वफलम वदखान क बजाए वशकक उसक क वहसस वदखा सकता ह औि वफि उस यग क शहिो म िहन वालो, ववशषकि बचचो क जीवन की गणवता पि परिचचात शर किवा सकता ह।

• वफलम दखन क बाद ववदावथतयो की रवच जागत किन क वलए ववचािोतजक परशन प जा सकत ह। नमन क वलए क परशन यहा वदए जा िह ह:

- कया आपन इस वफलम स क सीखा? यवद आपन सीखा तो वह कया था?

- आपको वफलम म कया सबस अचा या सबस बिा लगा? कािण बताइए।

- वफलम म आपकी सबस अविक या कम पसद का चरितर कौन सा था? कयो?

- कया वफलम म क ऐसा हआ जो आपको याद वदलाता ह वक ऐसा ही क आपक जीवन म भी घ‍टा या आपन दसिो क जीवन म घ‍टत दखा?

- वफलम क समापत होन पि आप कया सोच िह थ?• ववदाथथी वनमनवलवखत क वबदओ पि ो‍ट लख वलख सकत ह या मौवखक परसतवतया द सकत ह: जब आप वफलम

दख िह थ तो आपन कौन सी सबस परबल भावना का अनभव वकया? आपन वकस चरितर की सबस अविक (परशसा / घणा / पसद / दया) की? उस चरितर म ऐसा कया था वजसस कािण आपन एसी परवतवरिया वयकत की? ऐस कौन स मद इस कहानी म परसतत वकए गए ह जो आज भी परासवगक ह? ऐस वकसी एक मद की परसतव त का वणतन कि औि बताए वक यह वकस परकाि आज क समय स सबवित ह? वकसी एक ऐसी बात का वणतन कीवजए जो आज भी चलन

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म ह जो आपन वफलम स सीखी। वकसी एक ऐसी बात का वणतन कीवजए जो आपन उस दश की ससकवत क बाि म सीखी जहा वफलम बनाई गई।

• क औि गवतववविया जो की जा सकती ह:

- इस वफलम क व कसी एक ववचाि स सबवित कववताओ, गीतो या नतय की िचना कि;

- एक वचतर या पोस‍टि बनाए, औि वफलम की समीका वलख, वजस आप: सकल की पवतरका म पवा सकत ह। ववदावथतयो को अनदश द वक व अपन ववचािो क समथतन म परमाण परसतत कि (समीका की शबद सीमा भी बताए);

- ववदाथथी वफलम या उसक वकसी दशय की ऐवतहावसक यथाथतता क बाि म खोज-बीन कि क उसका मलयाकन कि सकत ह औि यवद क बात यथातथ नही पाई जाए, तो ववदाथथी ववचाि कि सकत ह वक तथयो को परिववततत किन क पी वफलम वनमातताओ क कया कािण हो सकत ह।

वफलम दखन औि सबवित गवतववविया को किन स न कवल ववदावथतयो को उस यग क परिवश औि लोगो क िहन-सहन को दखन औि समझन म मदद वमलगी, बवलक ववषय को अपन आज क जीवन स जोडन औि उस वववचनातमक रप स पिखन म भी मदद किगी।

गक‍तकवकि 4: पिना और पररचचाथि

चालसत वडकनस का उपनयास ‘हाडत ‍टाईमस’ सावहतय की एक कालजयी िचना ह, वजस वशकक एक ससािन क रप म कका म उपयोग म ल सकत ह। उपनयास पढन क वलए परतयक ववदाथथी को अथवा ो‍ट या बड समहो म ववदावथतयो को पढन क वलए सामगी दी जा सकती ह अथवा वशकक सवय भी कका म ऊच सवि म उस पढ सकता ह। वडकनस का उपनयास ववदावथतयो को उस यग क इगलणड क जीवन की सही जानकािी दता ह औि उनकी सामावजक आलोचनाय जो उसम ससपष‍ट ह, ववदावथतयो को उस समय क मदो को समझन म सहायता किती ह।

पररचचाथि िद कलए सझायद गए पशन:

- ‘हाडत ‍टाईमस’ म वडकनस दािा अगजो क जीवन क कौन स पहलओ की आलोचना की गई थी?

- आपक ववचाि स कहानी क कौन स चरितर हीिो (नायक) ह? समझाइए।

- आपको कौन स चरितर खलनायक लग? समझाइए।

- कया कहानी का अत दखद: ह, या इसस आपको अच समय की उममीद बिती ह?

- चालसत वडकनस न अपनी बहत सी िचनाओ म अपिाि औि गिीबी की आलोचना की ह। आपक ववचाि स चालसत वडकनस वकस परकाि का वयवकत था?

गक‍तकवकि 5: सो‍त कवशलदरण

वशकक अधयाय स वचतर 3, 7 औि 11 वदखा सकता ह औि वफि ववदावथतयो को अधयाय म सतरोत B पषठ सखया 111 पढन क वलए कह सकता ह। ववदाथथी ववशषरप स यह पता लगान का परयास कि वक रिवमक वसपवनग जनी क उपयोग क ववरधि कयो थ।

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नीच वदया गया वचतर भी ववदा वथतयो को वदखाया जा सकता ह तथा उनस इस व चतर पि ववचाि किन क वलए कह वक लोग खदिा (पसकि-retail) वयापाि म एफ.डी.आई. क ववरधि आदोलन कयो कि िह ह? कया आप इस वविोि औि नई परौदोवगकी को शर किन क वविोि म क समानताए पात ह?

यह गवतवववि ववदावथतयो को यह समझन म मदद किगी वक जब नई परौदोवगकी शर की जाती ह या ववकास होता ह तो बहत स लोग परभाववत होत ह। यवद हम ववकास क बाि म जानना चाहत ह तो हम उस ववकास ववशष क लाभो को ही नही दखना चावहए, बवलक उन हजािो वजदवगयो का भी धयान िखना चावहए जो उसस परभाववत हई या परभाववत होन जा िही ह।

आिलन: ववदावथतयो का आकलन उनक चा‍टषो, समह म भागीदािी, परिचचात औि अनय परियोजना कायषो क आिाि पि होगा।

D. उपकनवदशो म औदयोगीिरण- औदयोगीिरण सद पहलद भार‍तीय वसतर

मशीनी उदोगो क यग स पहल, भाित की िशम औि सत स बनी वसतए, वसतरो क अतिातषटीय बाजाि म परभतव िखती थी। भाित अपन उचच कोव‍ट क सती कपडो क वलए परवसधि था। यह वनयातत सडक औि समदी मागषो स होता था। लवकन 1750 क दशक क आस-पास जब यिोपीय कपवनया सता म आई तो यह फलता फलता वयापाि थम सा गया। इनहोन पहल सथानीय दिबाि स कई परकाि की ‍ट परापत की औि वफि इन लोगो न वयापाि क एकाविकाि परापत कि वलए। यिोपीय कपवनयो क िाजनीवतक सता म सथावपत होन क साथ पिान बदिगाहो का हास होन लगा औि क नए कनद पनपन लग।

गक‍तकवकि 1: मानकचतर िायथि

अधयाय म दी गई जानकािी क आिाि पि वशकक ववदावथतयो को एवशया क मानवचतर म भाित स मधय एवशया, पवशचमी एवशया औि दवकण एवशया तक वसतर वयापाि क सडक औि समदी मागत ढढन औि उनक वचतर बनान औि उन कतरो औि बदिगाहो, वजनक माधयम स यह वयापाि हो िहा था, को ढढन म भी मदद कि सकता ह।

एफ.डी.आई. क खदिा वयापाि का वविोि, दी वहनद, 13 अक‍टबि, 2013

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गक‍तकवकि 2: ‍तलनातमि चाटथि

अब तक ववदावथतयो को वब‍टन म आवद- औदोगीकिण का क जान परापत हो चका ह। अत: उनह इस काल म वब‍टन म वयापाि क न‍टवकत औि इस वयापाि म शावमल लोगो क बाि क जानकािी हो गई होगी। मशीन-पवत यग म भाित जस उपवनवश इसकी समझ बनान क वलए ववदाथथी दोनो न‍टवकमो का एक तलनातमक चा‍टत बना सकत ह, वजसम वनमन बातो का धयान िखना चावहय -

- वयापाि क इस न‍टवकत म शावमल लोगो क परकाि

- उनकी मखय गवतववविया

- वयापाि क न‍टवकत म मवहलाओ औि बचचो की भवमका

यह गवतवववि ववदावथतयो को इन दो न‍टवकमो म समानताए औि वववभननताए ढढन म सकम बनाएगी।

गक‍तकवकि 3: पररचचाथि

इस ववषय पि एक परिचचात आिमभ कि वक कयो इस काल म सित औि हगली क पिान बदिगाहो का हास हआ औि बॉमब तथा कलकता जस नए बदिगाहो का ववकास हआ औि वकस परकाि इसस भाितीय वयापाि का न‍टवकत परभाववत हआ। यह समझाए वक ईस‍ट इवडया कपनी की िाजनीवतक सता म सथापना क साथ व कनद पनपन लग जहा यिोपीय कपवनया कायतित थी। यह परिचचात ववदावथतयो को ववदशी वयापािी कपवनयो की कायत-परणाली औि वहतो को औि दशवावसयो पि उसक परभावो को समझन म मदद किगी।

आिलन: ववदावथतयो का आकलन उनक मानवचतरो, समहो म भागीदािी, कका म परिचचात औि चा‍टत क आिाि पि वकया जाएगा।

E. भार‍तीय बनिरो िी कसक‍त

1760 क दशक क बाद ईस‍ट इवडया कपनी क हाथ म सता आ जान स वासतव म भाितीय वसतर वनयातत परभाववत नही हआ था। वबव‍टश सती उदोगो का अभी ववसताि नही हआ था औि भाित म बन उतकष‍ट वसतरो की यिोप म भािी माग थी। भाित म कवल अगज ही नही थ जो इस वयापाि को साझा किना चाहत थ, वहा रिासीसी, डच, पततगावलयो क साथ-साथ सथानीय वयापािी भी थ वजनक साथ उनह सपिात किनी पडती थी। सवय को िाजनीवतक सता क रप म सथावपत किन क पशचात अगजो न इस वयापाि को ववववि तिीको स वनयवतरत किन का परयास वकया। पहल उनहोन ववदमान वयापारियो औि दलालो को ह‍टाकि औि गमासताओ को वनयकत कि बनकिो क ऊपि सीिा वनयतरण सथावपत किन का परयास वकया। उनहोन बनकिो को पशगी िकम दी औि इस परकाि कपनी क बनकिो पि अनय खिीदािो क साथ कािोबाि किन पि पाबदी लगा दी गई। जस-जस कजात वमलन लगा औि उतकष‍ट कपड की माग बढ गई, बनकिो न उतसाहपवतक इस उममीद म पशगी िकम ल ली वक व अविक कमाई किग। इस कािण व कोई खती-बाडी नही कि पात थ कयोवक पिा परिवाि कपडा बनन क वववभनन कायषो म लगा िहता था। कई बाि व माग को पिा किन म असमथत िहत थ औि उनह गमासताओ दािा वदए गए कष‍टो को झलना पडता था। उननीसवी शताबदी क परािमभ म इगलणड म कपास उदोग क ववकास न उनकी समसयाओ को औि बढा वदया। इगलणड म औदोवगक समहो न सिकाि पि दसि दशो स आन वाल सती कपडो पि आयात शलक वसल किन का दबाव डाला औि ईस‍ट इवडया कपनी को वब‍टन म बन कपडो को भाित म बचन क वलए िाजी कि वलया। मशीनो स बन होन क कािण आयावतत कपड इतन ससत थ वक भाितीय बनकि उनका मकाबला नही कि सक।1860 क दशक म उनह नई समसया का सामना किना पडा। अमरिकी गहयधि क समय वब‍टन न भाित स कचची कपास का आयात वकया औि

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इसन कचची कपास क मलय म ववधि कि दी। भाितीय बनकिो को कचच माल की अतयविक कमी हो गई औि उनह मनमानी कीमतो पि कचची कपास खिीदनी पडती थी।

गक‍तकवकि 1: कवदयाक थियो िद कलए पररयोिना िायथि

परियोजना कायत अगजो क भाित म िाजनीवतक सता क रप म सथावपत होन क बाद कािखानो क परािमभ होन तक भाितीय बनकिो की दशा पि क वदत होना चावहए। इस परियोजना कायत म व वनमनवलवखत मदो पि ववचाि कि सकत ह औि तदानसाि अपन परियोजना कायत तयाि कि सकत ह-

- अगजो दािा सवय को एक िाजनीवतक सतता क रप म सथावपत किन स पहल भाितीय बनकि कस काम कित थ?

- अगजो क आन क बाद कया परिवततन हए?

- कया इन परिवततनो न उनकी दशा को सिािा या औि खिाब कि वदया?

- कया इस काल म इगलणड म हए औदोवगक ववकास औि भाितीय बनकिो की दशा क मधय कोई सबि था?

- अनय अतिातषटीय घ‍टनाओ, जस अमरिकी गहयधि न उनकी दशा को कस परभाववत वकया?

वशकक ववदावथतयो को परियोजना कायत क भाग औि उपभागो का वनिातिण तय किन म मदद कि सकता ह औि अपनी परियोजना तयाि किन क वलए पसतकालय औि इ‍टिन‍ट ससािनो का परयोग किन हत परोतसावहत कि सकता ह। ववदाथथी अपनी परियोजना म वचतर औि गाफ भी जोड सकत ह औि इस परियोजना कायत को एक लख अथवा पावि पवाइ‍ट परसततीकिण (पी पी ‍टी) क रप म तयाि कि सकत ह।

परियोजना कायत का उदशय उस काल म बनकिो की दशा को समझना मातर नही ह, बवलक यह ववदावथतयो को परापत जानकािी का सशलषण किन, उनका वववचनातमक ववशलषण किन औि उस िचनातमक तिीक स परसतत किन म भी मदद किगी।

गक‍तकवकि 2: वाद-कववाद

इनम स वकसी एक ववषय पि वाद-वववाद आयोवजत कि-

• यवद भाित को सिकण वमलता तो कया इसका कपडा उदोग जलद शर हो जाता औि तजी स बढता? (इस बात पि ववशष जोि द वक वकस परकाि औपवनववशक शवकतया अपन दश औि उपवनवशो म वभनन परकाि स काम किती थी)

• औदोगीकिण भाितीय बनकिो की ददतशा का कािण ह।

ववषय क पक औि ववपक म बोलन क वलए चाि-चाि ववदावथतयो को ल। शष कका रिोता क रप म भाग लगी औि वाद-वववाद की समावपत पि मदो पि परिचचात किगी। वशकक वनणातयक क रप म कायत कि सकता ह। परतयक वकता को 5-6 वमन‍ट का समय वदया जायगा। ववदावथतयो का आकलन उनक दािा वदए गए तकषो, परिचचात म भागीदािी क सति, सपरषण कौशलो, इतयावद क आिाि पि वकया जाएगा।

वाद-वववाद किना तावकत क बहस की एक परवतयो वगता ह, वजसम दो वविोिी वयवकत या दल एक परसताव क पक अथवा ववपक म बोलत ह? परवरिया वनयमो स बिी होती ह। वाद-वववाद ववदावथतयो को न कवल वकसी वसथवत क तथयो, बवलक उसक वनवहताथमो पि ववचाि किन क वलए परोतसावहत किता ह। भाग लन वाल अपनी औि अपन वविोवियो दोनो की वसथवत, पि वववचनातमक औि कशलतापवतक ववचाि कित ह। वाद-वववाद म ववदाथथी को शोि कायत किन, सनन औि बालन क कौशल ववकवसत किन तथा एक ऐसा वाताविण तयाि किन की आवशयकता होती ह जहा व वववचनातमक रप स सोच।

आिलन: ववदावथतयो का आकलन उनक परियोजना कायत, समहो म भागीदािी औि वाद-वववाद क आिाि पि वकया जाएगा।

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F. भार‍त म िारखानो िा पारमभ

अठािहवी सदी क अवतम वषमो स ही अगज भाित स अफीम का वनयातत चीन को किन लग थ। उसक बदल व चीन स चाय खिीदत थ जो इगलणड जाती थी। इस वयापाि म बहत स भाितीय भी शावमल हो गए थ। व पसा उपलबि किात थ, आपवतत सवनवशचत कित थ औि माल को जहाजो म लादकि िवाना कित थ। क भाितीय वयवसावययो न बमात क साथ वयापाि वकया जबवक अनय क सबि मधय पवत औि पवथी अरिीका स थ। इसक अलावा क लोग थ जो ववदश वयापाि स सीि जड हए नही थ। व भाित म ही वयवसाय कित थ। एक जगह स दसिी जगह माल ल जात थ, सद पि पसा दत थ, एक शहि स दसि शहि म पसा पहचात थ औि वयापारियो को पसा दत थ। जब उदोगो म वनवश क अवसि आए तो उनम स बहतो न कािखान लगा वलए। पिनत भाितीय वयवसाय पि जस-जस औपवनवव शक वशकजा कसता गया, भाितीय वयावसावययो को अपना तयाि माल यिोप म बचन स िोक वदया गया औि उनह कवल अपन कचच माल औि अनाज क वनयातत की ही अनमवत दी गई।

बीसवी सदी क पहल दशक तक भाित म औदोगीकिण का तिीका (प‍टनत) बदल गया। एक ओि सवदशी आदोलन था वजसन ववदशी कपड का बवहषकाि वकया औि दसिी ओि भाितीय औदोवगक समह थ वजनहोन सिकण औि रियायतो की माग की। परथम ववशव यधि न भाितीय उदोगपवतयो को भिपि अवसि उपलबि किाया वजसस पिान कािखानो म कई वश‍‍टो म कम हान लगा औदोवगक उतपादन म अतयविक ववधि हई। इस काल म नय कािखान लगाय गए। सथानीय उदोगो न िीि-िीि अपनी वसथवत मजबत कि ली औि ववदशी वनमातताओ का सथान ल वलया।

गक‍तकवकि 1: पशन पछना और पररचचाथि

वशकक बहत स ववचािोतजक परशन प सकता ह औि ववदावथतयो को वनमनवलवखत पि परिचचात क वलए परोतसावहत कि सकता ह:

• आिवभक भाितीय उदमी कस उभि कि आए? उनक वयापाि की कौन सी वसतए थी? उनहोन वकन कतरो क साथ वयापाि वकया? उनकी सीमाए कया थी? उनकी वसथवत वकस परकाि उनक अगज परवतपको क समान या वभनन थी? परथम ववशवयधि क काल म भाितीय उदोगो म कयो ववधि हई थी?

• यह गवतवववि ववदावथतयो को उस काल औि परिवसथवत को समझन म मदद किगी वजसम भाितीय उदमी काम कि िह थ। वशकक ववषय-वसत को आज क समय क साथ जोडन का भी परयास कि सकता ह। इसक वलए वह ववदावथतयो स वववभनन कतरो म भाितीय उदवमयो (परष एव मवहला) को आज उपलबि अवसिो पि अपन ववचाि िखन क वलए कह सकता ह।

गक‍तकवकि 2: सो‍त कवशलदरण

ववदावथतयो स कह वक व इस सोत को पढ औि भाितीय कािखानो म रिवमको क बाि म, वनमनवलवखत परशनो को धयान म िखत हए पता लगाऐ-

- रिवमक व कन कतरो स आत थ?

- उनकी दशा कसी थी? औि

- उनकी दशा वकस परकाि इगलड क कािखानो क रिवमको क समान या उनस वभनन थी?

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स‍तोत

बमबई ि एि शरकमि नरा, भाई भौसल न 1930 और 1940 ि दशिो ि अपन बचपन िो याद किया- ‘उन कदनो एि कशफ 10 घ ो िी होरी ी- 5 बि साय स 3 बि सबह रि- िोकि अतयकधि ि‍टदायी ा। मर कपरा न 35 वषको रि िाम किया; उनह असमा िसी बीमारी हो गई रा व और अकधि िाम न िर पाए- किर मर कपरा वापस गाव चल गए’।

— मीना मनन और नीरा अदरकर, वन हडड रीअसय: वन हडड वारसज

आिलन: ववदावथतयो का आकलन उनक समहो म भाग लन, सोत ववशलषण औि नो‍टस क आिाि पि होगा।

G . लघ उदयोगो िा कया हआ?

जहा कािखाना उदोगो म तजी स ववधि हई, वही बड उदोग अथतवयवसथा क वसफत एक ो‍ट भाग क रप म थ। लघ उदोगा पि उतपादन का दबदबा बना िहा। हसतवशलपकािो न क ो‍ट-ो‍ट नवाचाि अपनाए, वजसन बनकिो को अपना उतपादन सिािन औि वमल कतर क साथ परवतसपिात किन म मदद वमली।

ककयािलाप 1: पररचचाथि

वशकक कोई ववषय मदा चनकि परिचचात शर कि, जस- जब कािखान ससत कपडो का उतपादन कि िह थ, तो भाितीय लघ उदोगो न कस सवय को बनाए िखा था? कया उनहोन नवाचाि अपनाए थ? इन लघ उदोगो म वकस परकाि क कपड तयाि वकए जात थ? ऐस उतपादो को खिीदन वाल कौन लोग थ? कया य बनकि पयातपत पसा कमा लत थ? उनका जीवन कसा था?

यह गवतवववि ववदावथतयो को ववकास क वववभनन पहलओ को समझन म मदद किगा, इसस उनह य समझन म मदद वमलगी वक ववकास िीि-िीि होता ह औि कई बाि क चीज परिववततत हो जाती ह, जबवक क चीज वसी ही बनी िहती ह औि यह वक पिमपिागत चीज/उदोग अलग-थलग या अपरभाववत नही िहत, व भी समय औि नवाचाि क साथ बदल जात ह।

आिलन: ववदावथतयो का आकलन कका म परिचचात क आिाि पि होगा।

H. वस‍तओ िा कवपणन

यह एक जात तथय ह वक जब नयी चीज बनती ह, तो उनह खिीदन क वलए लोगो को समझाना पडता ह। उनह उतपाद का उपयोग किन क वलए पररित किना पडता ह। नए उपभोकता तयाि किन का एक तिीका ववजापनो क माधयम स होता ह। औदोवगक यग क परािमभ स ही ववजापनो न उतपादो क वलए बाजाि का ववसताि किन औि नवीन उपभोकता ससकवत को आकाि दन म महतवपणत भवमका वनभाई ह।

गक‍तकवकि 1: मौकखि पस‍त‍तीिरण

ववदावथतयो स कह वक व कलपना कि वक व उदोगपवत ह, वजनह अपन उतपादो को वववभनन सथान या दशो म बढावा दना ह। धयान म िखन योगय क महतवपणत बात ह: व अपन उतपाद को बढावा दन क वलए कया किग? अपन उतपाद को बढावा

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दत समय व वकन बातो पि ववचाि किग?

ववदाथथी अपन उतपाद को बढावा दन औि लोकवपरय बनान क वलए कई तिीक अपना सकत ह। यह उनह औपवनववशक वनमातताओ की सोच, उनक वहसाब वकताब औि लोगो को आकवषतत किन क तिीको, पि क ववचाि उपलबि किाएगी। क िोचक परिचचातए उन ववजापनो पि भी हो सकती ह, जो आज परचवलत ह औि ववदावथतयो स कहा जा सकता ह वक व इनम स क का वववचनातमक ववशलषण कि।

गक‍तकवकि 2: कचतर कवशलदरण

ववदावथतयो को नीच वदए गए दशयो को धयान स दखन क वलए कहा जा सकता ह। इन वचतरो म स एक मनचस‍टि लबल का ह औि दसिा भाितीय वमल क कपड का लबल ह। उदाहिण क रप म प जान वाल क परशन हो सकत ह:

आप इन वचतरो म कया दखत ह? इन लबलो स आपको कया जानकािी वमलती ह? इन लबलो पि दवताओ औि दववयो क वचतर या महतवपणत आकवतया कयो वदखाई जाती ह? कया अगज औि भाितीय उदोगपवत एक ही परयोजन स इन आकवतयो का उपयोग कित थ? इन दोनो लबलो म कया समानताए औि ववषमताए ह? ववदावथतयो को आज क समय क क लबलो क वचतर एकवतरत किन औि कका म उनह वदखान औि उन पि परिचचात किन क वलए परोतसावहत वकया जा सकता ह।

इस गवतवववि क दािा ववदाथथी वसतओ क वलए बाजाि का ववसताि किन क वलय ववजापनो की महतवपणत भवमका को समझ पाएग।

गक‍तकवकि 3: औदयोगीिरण पर कवदयाक थियो िद कलए एि उदाहरणातमि समाचार पतर पररयोिना

वकसी ववदाथथी स कह वक वह यह कलपना कि वक वह एक खोजी पतरकाि ह जो एक भाितीय समाचाि पतर क वलए काम किता ह, वजसन औदोगीकिण पि एक ववशषाक परकावशत किन का वनशचय वकया ह। इस ववदाथथी को, तीन अनय ववदावथतयो क साथ, इस परियोजना का परमख बनन का दावयतव दीवजए। यह सब उन पि वनभति होगा वक उन समा चाि पतर क वलए शोि औि लखन कि तथा उनका वडजाइन तयाि कि। उनह बता द वक उनस य अपका ह वक अपन समाचाि पतर म दो समाचाि कहावनया, दो आववषकाि, कम स कम दो वचतर औि एक सपादकीय को शावमल कि। इन दो समाचाि कहावनयो म एक कोई ऐसी घ‍टना या परिवसथवत का वणतन होनी चावहए जो पाठको का धयान आकवषतत कि। उदाहिण क वलए, उनकी कहानी म य जानन का परयास होना चावहए वक औदोगीकिण वकस परकाि सामानय रप स बचचो, मवहलाओ औि काम की परिवसथवतयो को परभाववत कि िहा था। कहावनया कम स कम 250 शबदो की होनी चावहए औि उनम उपयोग की गई

मनचस‍टि लबल एक भाितीय वमल क कपड का लबल

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जानकािी पराथवमक सोत स परापत की जानी चावहए। दो अववषकािो पि जानकािी म जीवनी (बायोगाफी) समबिी जानकािी, मखय अववषकाि की सवकपत जानकािी औि अववषकाि क महतव पि व‍टपपणी होनी चावहए। व वकतन भी वचतर डाल सकत ह, पिनत कम स कम दो अवशय होन चावहए। वचतर कहावनयो स सबवित होन चावहए। व सामवहक रप स एक सपादकीय वलखग, वजसम अपन ववचाि िखग वक कया औदोवगक रिावत की परगवत न उस समाज को हावन पहचायी ह वजसम व िहत ह। सपादकीय 300 शबदो का होना चावहए औि उसम उनह औदोगीकिण का एक अचा परिचय दना चावहए।

नोट: उनह सलाह दी िानी चाकहए कि व मातर सोरो िा चयन िर ि उस सकप म न कलख द। उनिी समाचार िहाकनया कवषय िा सककपर पररचय होना चाकहए, किसम िम स िम 3-5 ससाधनो स िानिारी ली गई हो। उनह परयास िरि इस एि समाचार पतर ि परारप म वयवकसर िरना चाकहए। सभी लखो म वरतनी और वयािरर सबधी तरकयो िी िाच िी िानी चाकहए। परतयि लख िा एि उकचर शीषति होना चाकहए।

आिलन: ववदावथतयो का आकलन उनकी समहो म भागीदािी औि कका म परिचचात क आिाि पि होगा। उनक समाचाि पतर का आकलन उसकी ववषय-वसत, यथाथतता, िचनातमकता, ववववि सोतो क उपयोग, शबदो की सखया औि ववचािो की वयववसथत परसतवत क आिाि पि होगा। समाचाि पतर दखन म कसा लगता ह, इसका आकलन भी होगा। इसम वदए गए वचतर औि आलख (गावफकस) पठन सामगी क अनरप होन चावहए। समाचाि पतर का नाम परभावशाली होना चावहए; कहावनया कॉलमो म होनी चावहए औि यह ठीक स वयववसथत होना चावहए।

कनषिरथि

जसा वक हमन दखा औदोगीकिण क यग का अथत ह वह समय जब परमख परौदोवगकी परिवततन हए, कािखान सथावपत वकए गए औि नय औदोवगक वगत का उदय हआ। लवकन हम यह भी धयान िखना चावहए वक औदोगीकिण का अथत कवल कािखाना उदोग म ववधि नही ह, जसा वक हम सामानय रप स मानत ह। हसतवशलप औि लघ सति पि उतपादन भी औदोवगक परिदशय क महतवपणत भाग ह। अत: परतयक कतर न औदोवगक ववकास म अपना योगदान वकया ह।

समदकि‍त आिलन िद कलए पशन

अधयाय ‘औदोगीकिण का यग’ क अनत म वदए गए परशनो की ववदावथतयो क साथ परिचचात किन क अवतरिकत, वशकक समवकत पिीकाओ म ववदावथतयो क अविगम का आकलन किन क वलए क परशन ववकवसत कि सकता ह। नीच ऐस परशनो क क उदाहिण वदए गए ह:

1. घिल वयवसथा म काम किन वाल लोगो को कया लाभ औि हावनया थी?

2. कािखाना वयवसथा वकन कािणो स अवसततव म आई, औि कयो यह परािवभक औदोवगक परणाली का बहत महतवपणत भाग थी? इसका रिवमको क जीवन पि कया परभाव पडा?

3. ऐस दो अववषकािो क नाम बताए जो औदोवगक रिावत क समय हए। इनक परभावो का वणतन कीवजए।

4. औदोगीकिण दािा हए परिवततन ववशव क वलए वकतन महतवपणत थ? व वकतन सथायी थ? अपन वनषकषत की वयाखया कि। आवथतक, सामावजक औि िाजनीवतक परिवततनो पि ववचाि कि।

5. औदोगीकिण वब‍टन स औपवनववशक दशो तक कस फला? इन कतरो का औदोगीकिण वब‍टन क औदोगीकिण स वकस परकाि वभनन था?

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सझाई गई पठन सामगी

1. Eric Hopkins, Industrial Station and Society: A Social History, 1830-1951, Routledge, London, 2000

2. Katrina Honeyman, Women Gender and Industrialisation in England, 1700-1870 (British Studies), Palgrave Macmillan, 2000

3. Dietmar Rothermund, An Economic History of India, From Precolonial Times to 1991, Routledge, 1993

4. Richard Llewellyn, How Green Was My Valley (Penguin Modern Classics), Punguin, 2001

कफलम

1. Naya Daur, directed by B.R. Chopra (173 Minutes), 1957, India

2. Modern Times, directed by Charlie Chaplin (87 mins), 1936

3. How Green was My Valley, directed by John Ford (118 mins), 1941, USA

4. Oliver Twist, directed by Roman Polanski (130 mins) 2005, USA

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भगोल

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भगोल कशकण

भगोल वह ववषय ह जो सथानो क लकण औि लोगो, लकणो औि घ‍टनाओ क ववतिण को जस व पथवी की सतह पि ववदमान होत ह औि ववकवसत होत ह को समझााता ह। यह वववशष‍ट सथानो औि वसथवतयो क सदभत म मानव-पयातविण अत:वरिया स सबवित ह। चवक भगोल की ववषय-वसत पराकवतक ववजान औि सामावजक ववजान दोनो स ली गई ह, अत: अनय सामावजक ववजान ववषयो स वभनन, यह मातर मानव वयवहाि का अधययन नही किता, अवपत यह भौवतक परिघ‍टनाओ का अधययन भी किता ह, जो ‘कािण औि परभाव’ स वनयवतरत होती ह।

माधयवमक सति पि, सामावजक ववजान क अनय घ‍टको की तिह भगोल का अलग अवसततव ह। वफि भी क चयवनत ववषयवसतओ पि बहववि परिपरकषय ववकवसत किन हत इस सथान वदया गया ह वजसस वक वयवकत का वयापक दवष‍टकोण ववकवसत हो सक। यह भी माना जाता ह वक ववषय वसत अधययनो का एक कतरीय आिाि होना चावहए, अत: माधयवमक सति पि ‘समकालीन भाित’ कका IX क वलए ‘भवम औि लोग’ औि ‘ससािन औि उनका ववकास’ को कका X म वलया गया ह। य ववषय वसतए उन ववदावथतयो को भाित को ठीक स समझन क पि अवसि दती ह जो सभव ह उचचति माधयवमक वशका परापत किन म असमथत हो अथवा इस सति पि भगोल को एक वकवलपक ववषय क रप म न ल सक ।

मदो पि आिारित अवभगमो जस आपदाए, खाद सिका, भमडलीय तापन, सिकण, इतयावद को भी उप-ववषयो क रप म पाठयरिम म शावमल वकया गया ह। इनह शावमल किन का उदशय भगोल क दवष‍टकोण स सामवयक मदो औि समसयाओ का अधययन किना ह। य मद सथानीय, कतरीय, िाषटीय औि ववशवक सतिो स सबवित ह।

इस सति पि ववदाथथी दश क समक सामावजक-आवथतक चनौवतयो पि गहन समझ ववकवसत किन हत गहन अधययन किन क वलए तयाि िहत ह। सथानीय, कतरीय औि िाषटीय सदभत, अविगम को परासवगक औि आनद दायक बना दत ह। पाठयपसतको म सगत सथानो पि जडि औि हावशए क समहो क मद ववषय वसत म अतगइवफत हए ह। उदाहिण क वलए , कका X म ‘वन औि वनय जीवन ससािन’ पि चचात कित हए एक कोलाज का उपयोग एक नसतिी म ो‍ट-मो‍ट वनय उतपादो, इकटी की हई पवतयो का कचिा बचकि औि बास क पौि का उपयोग कि आवदवासी मवहलाओ की जीववका को उजागि वकया गया ह। इस सति पि भगोल का उदशय ह वक ववदाथथी अपन सवय क सथान की तलना म भाित की ववशाल भवम औि लोगो म वववविता को समझन औि उसक महतव को जानन म सकम हो। ववदाथथी अपन आस-पास होन वाल सामावजक-आवथतक परिवततनो औि ववकास क पररिमो को समझन औि उनह दश क अनय भागो स जोडन म सकम हो सक । दश की भौगोवलक, सामावजक औि आवथतक सिचना म औि ववशव क अनय भागो म बहत स परिवततन हो िह ह। इसवलए इस सति पि भगोल का पाठयरिम ववदावथतयो को ववशव अथतवयवसथा की तलना म भाित म हो िह इन परिवततनो औि ववकास क पररिम को समझन म सकम बनाता ह।

वकसी दश का भवम कतर, उसकी उवतिक मदाए , नवदया, जलाशय, मतसय-कतर, वनसपवतया, चटान औि खवनज इतयावद उसक पराकवतक ससािन कहलात ह। पराकवतक औि मानव ससािन वकसी िाषट की अथतवयवसथा की िीढ की हडडी होत ह। य दश की आवथतक शवकत औि लोगो की समव धि क आिाि ह, अत: भगोल क पाठयरिम का एक मखय उदशय ववदावथतयो को ससािनो का नयायोवचत उपयोग किना समझाना औि साथ ही सिकण औि पयातविणीय सिोकािो क वववशष‍ट महतव को उनक मन म बठाना ह। इन सबको धयान म िखत हए वशकाथथी सथानीय समदायो क उनक पयातविण सबिी अविकािो क महतव को समझन म सकम होन चावहए।

एन०सी०एफ०-2005 पि आिारित भगोल की पाठयपसतक ववदावथयषो को परशन प न औि खोजबीन क वलए परोतसावहत किती ह। पाठयाति परशनो, बॉकस म दी जानकािी स ववषय-वसत का सवितन, दशय आिारित परशन औि पहवलया जसी गवतववविया ववदावथतयो को कई परकाि क वरियाकलापो म वयसत िखती ह। य वरियाकलाप उनकी अविगम कमताओ को बढान औि ववषय म रवच उतपनन किन म सहायक होत ह।

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यह आवशयक ह वक वशकाथथी अतिालो को वयववसथत किन हत वततमान औि भावी समसयाओ क समािान क वलए भौगोवलक कौशल ववकवसत कि। इस सति पि भगोल मानवचतर पढन, मानवचतर की वयाखया किन, गाफ बनान औि रिवय स दशय तथा दशय स रिवय क वलए क मलभत कौशलो को परापत किन पि बल दता ह। बहत स फो‍टोगाफ, समाचाि पतरो की कतिन औि कोलाज पाठयपसतको म शावमल वकए गए ह, तावक उनक दािा परिलवकत ववसतत वणतन को दखन औि पता लगान का कौशल ववकवसत हो सक। वशकको दािा ववदावथतयो को वदए गए वचतर म वववभनन आकवतयो म सबि सथावपत किन औि भौवतक ततवो तथा सासकवतक लकणो को सवरप दन हत परोतसावहत वकया जाना चावहए।

पाठयपसतक म शावमल वकए गए ववषय जहा एक ओि भौवतक ससाि क सौदयत वही दसिी ओि लोगो की वववभनन जीवन परिवसथवतयो को समझन की वयवकतगत औि सामावजक कमता क ववकास म सहायता कित ह। ववदाथथी अपन कायषो क मागतदशतन क वलए अपन सवय क वयवहाि क परभाव औि पयातविणीय नवतकता क परवत जागरक हो जात ह। ववदालय सति पि, भगोल का वशकण इस परकाि होना चावहए वक ववदाथथी वयवकतक रप स अपन समदायो, कतरो, दशो औि पि ववशव की समसयाओ क समािान म भाग लन क वलए तयाि हो सक ।

यह भी सझाव वदया गया वक भगोल क वशकको को वशकण क वलए कवल कोई एक ववशष वववि उपयोग म नही लनी चावहए बवलक उनह वववभनन परकाि की वववियो का उपयोग किना चावहए औि यह समझना चावहए वक वकस ववषय क वलए कौन सी ववशष वववि उपयकत िहगी। कका म भगोल पढात समय गलोब, मानवचतर, ए‍टलस, फो‍टोगाफ, दशय-रिवय सामगी, वबसाइ‍ट सोत जस http://nroer.in (National Repository of Open Educational Resources of Ministry of Human Resource Development, मानव ससािन ववकास मतरालय क खल शवकक सोतो का िाषटीय भडाि) औि य-‍टयब पि उपलबि शवकक कायतरिम, िवडयो, वडसकविी चनल औि नशनल योगावफक चनल दािा परसारित ‍टलीववजन कायतरिमो का उपयोग वकया जाना चावहए।

यह सवतवववदत ह वक वशकक वजस सदभत म औि वजन ववदावथतयो क साथ कायत कित ह औि जो सोत उनह उपलबि होत ह, उन सब स व परभाववत होत ह। अनक अतिातषटीय औि िाषटीय मचो स इस बात पि बल वदया गया ह वक ववदालयो म भगोल ववशष रप स परवशवकत वशकको दािा पढाया जाना चावहए। पिनत सभी ववषयो म परवशवकत सनातक वशकको की अनपलबिता या क अनय कािणो स, भाित म माधयवमक सति पि भगोल अनय ववषय क वशकक दािा पढाया जा िहा ह। अत: इस 'परवशकण पकज' म दश क वववभनन भागो क सामावजक ववजान वशकको स परापत परवतपवष‍ट (फीडब क) क अनसाि माडयल तयाि वकए गए ह। सामावजक ववजान क वशकको की पषठभवम को धयान म िखत हए, माडयल सकलपनाओ पि चचात की गई ह जो ‘जलवाय’ की सकलपना को समझन क वलए आवशयक ह। भगोल क य माडयल कवल उनक वलए ही ववकवसत नही वकए गए ह जो भगोल भली-भावत जानत ह बवलक उनक वलए भी ह वजनह माधयवमक सति पि भगोल पढान का उतिदावयतव द वदया गया ह।

अत: माडयलो को औि बहति बनान क वलए वशकको की व‍टपपवणयो औि सझावो का सवागत िहगा।

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‘िलवाय’ कशकण

माधयवमक सति पि भगोल सामावजक ववजान का एक भाग ह औि सामानयत: उन वशकको दािा पढाया जाता ह वजनहोन सवय सनातक सति पि भगोल का अधययन नही वकया ह। यह भी पाया गया ह वक सामावजक ववजान क अविकाश वशकक कवल माधयवमक ककाओ को ही पढात ह। उचच पराथवमक सति पि भगोल पाठयचयात म भगोल की मलभत सकलपनाओ को अधययन हत वलया गया ह। भाित का भगोल समझन क वलए य सकलपनाए आवशयक ह। अत: ‘जलवाय’ ववषय क परभावी वशकण हत वशकको की मदद क वलए माडयल म क सकलपनाओ को समझाया गया ह।

जलवाय पराकवतक पयातविण क सबस मलभत घ‍टको म स एक ह। यह सजीव वायमडल को दशातती ह जो जलमडल, सथलमडल औि जवमडल क साथ वमलकि पराकवतक पयातविण की िचना किता ह। भगोल पथवी पि मानव-पयातविण अत: वरिया का अधययन ह। जलवाय का परभाव पराकवतक पयातविण क साथ-साथ मानव-वनवमतत पयातविण, जस वनसपवत, जल, भवम, मदा इतयावद औि कवष, वशभषा, बवसतयो अावद पि भी रिमश: दखा जा सकता ह। अत: वकसी भी कतर क भगोल का अधययन किन क वलए उस कतर की जलवाय को समझन की आवशयकता ह, चाह वह भौवतक भगोल जस- भ-आकवत ववजान या जलवाय ववजान औि मानव भगोल जस- िाजनीवतक भगोल, ऐवतहावसक भगोल औि सासकवतक भगोल हो। भाित की जलवाय मानसन परकाि क रप म ववणतत ह। इस परकाि की जलवाय पवत औि दवकण-पवत एवशया म पाई जाती ह। आनवावशक पररिमो औि पथवी की सतह क वनक‍टवतथी वायमडलीय दशाओ का ववतिक परारप का अधययन जलवाय-ववजान कहलाता ह। जलवाय-ववजान म वकसी सथान, कतर या सपणत पथवी की जलवाय औि मौसम दोनो का अधययन शावमल होता ह।

कशकण-अकिगम उददशय

‘जलवाय’ का सपरषण कित समय वशकक को वनमनवलवखत पि धयान क वदत किन की आवशयकता ह:

- जलवाय को परभाववत किन वाल वववभनन कािको की पहचान किना।

- भाितीय मानसन की वयाखया किना।

- लोगो क जीवन पि जलवाय क परभाव को समझाना।

- मानसन की समकक भवमका क महतव को सपष‍ट किना।

कशकिो सद अपदकाए

• ववदावथतयो को जलवाय का अथत, जलवाय औि मौसम म अति औि जलवाय क घ‍टको क बाि म समझाए।

• मानसन की वरियावववि को ठीक स समझन क वलए वायमडलीय दाब, भमडलीय पवनो- वयापारिक पवन औि पवशचमी पवन (पआ हवाए), आपवकक आदतता, कोरिऑवलस बल, ज‍ट सटीम (ज‍ट िािा), एल नीनो, ई०एन०एस०ओ०, आई०‍टी०सी०जड०, मानसन का बिसना, बादल फ‍टना औि सपदी गवतया, उषण कव‍टबिीय चरिवात, पवशचमी ववकोभ, भमडलीय तापन इतयावद जसी सकलपनाओ औि तकनीकी शबदो को समझान योगय होना।

• वशकण-अविगम परवरिया क समय दशय सािनो का उपयोग किन योगय होना।

• ववशव क वकसी दश/कतर क सामावजक-आवथतक ववकास क वलए जलवाय का महतव ववदावथतयो को समझाना।

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• जलवाय क वशकण-अविगम क साथ सी०सी०ई० को सबधि किन क योगय होना।

पमख सिलपनाए

A. िलवाय िो पभाकव‍त िरनद वालद िारि

उचच पराथवमक सति पि ववदाथथी पढ चक ह वक वदन औि िात पथवी क घणतन (िो‍टशन) स सबवित ह; सिदी औि गिमी क मौसम पथवी क सयत क चािो ओि परिरिमण स सबवित ह। यह तथय वक पथवी जब सयत क चािो ओि चककि लगाती ह तो अपन झक हए अक पि घमती ह तब इसका हमािी जलवाय पि आिािभत परभाव पडता ह।

ववषय को पढाना शर किन स पवत ववदावथतयो का सति समझन क वलए उनस क परशन प जा सकत ह।

कनमाथिणातमि आिलन िद कलए पशन–

वशकक ववदावथतयो का पवत जान जानन क वलए, ‘जलवाय’ ववषय का सपरषण शर किन स पहल, कका म वनमनवलवखत परशन प सकत ह:

• आप मौसम स कया समझत ह?

• कया मौसम का सबि ऋत या जलवाय स होता ह?

• यवद पथवी का अक ककीय तल स औि अविक झका होता, जस 37 वडगी पि तो:

- इसका पथवी की जलवाय पि कया परभाव पडता?

- ककत िखा औि मकि िखा तथा दोनो धरव वत कहा होत?

- आपक अपन दश की जलवाय म आप वकन परिवततनो की अपका िखत?

कशकि िद कलए–

यवद ववदाथथी पथवी की गवतया (घणतन औि चरिण); कक क तल पि लमब स 23.5O झक हए पथवी क अश का महतव; भमधय िखा, ककत -िखा औि मकि-िखा क सापक गलोब पि भाित की वसथवत को समझत ह, तभी वशकक आग बढ सकता/ती ह।

आकाशीय सदभत म, जलवाय सपणत पथवी या उसक एक भाग स सबवित हो सकती ह। जलवाय का अथत वकसी एक वदन या एक सपताह की मौसमी दशाओ स नही होता। इसका सबि लमबी समयाववि स होता ह। अविकति जलवाय वकसी अकल मौसमी ततव क लकणो औि ववतिण स स बवित न होकि उनक सयोजनो स भी सबवित होती ह। य सयोजन लमब समय तक िहकि जलवाय क लकणो को उतपनन कित ह। इन सयोजनो म अलग-अलग घ‍टनाए जो कवल क अवसिो पि घव‍टत होती ह, उनह भी शावमल वकया जाता ह, जस भािी वषात औि ववधवसकािी चरिवातो का आना। जबवक मौसम वकसी वववशष‍ट समय पि वकसी सथान पि ववदमान वायमडलीय दशाओ का समहन ह।

मौसम औि जलवाय म मल अति यह ह वक मौसम एक बहत कम समयाववि स सबवित ह जबवक जलवाय का सबि कही अविक लमबी समयाववि स ह। सामानयत: जलवाय को एक वववशष‍ट कतर क वलए 30-35 वषमो की समयाववि म मौसम क प‍टनषो क आिाि पि मापा जाता ह। जलवाय को क जलवायवीय ततवो, ववशषरप स ताप औि वषतण को वमलाकि वनिातरित वकया जा सकता ह। आकाशीय सदभत म जलवाय सपणत पथवी या उसक एक भाग स स बवित हो सकती ह।

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जो ततव जलवाय वनमातण को परभाववत कित ह व ह- ताप, वषतण, आदतता, वाय दाब औि पवन। चवक जलवाय, मौसम औि जलवाय क ततवो क अथत ववसताि स पाठयपसतक म वदए गए ह, अत: इन परकिणो को समझन क बाद कका म ववदावथतयो को क अभयास किाए जान चावहए, जो सामानय परकणो पि आिारित हो सकत ह।

गक‍तकवकि : पररचचाथि/ समह िायथि

वशकक कका म वकनही सथानो क जलवाय स सीि परभाववत होन वाल पराकवतक औि मानव-वनवमतत लकणो; पि परिचचात परािमभ कि सकत ह। उदाहिण क वलए वनसपवत, घिो क परकाि, भोजन, वशभषा, इतयावद।

िरल और अरराचल परदश िी िलवायवीय दशाओ/ मौसमो पर पररचचात िर। िलवाय ि िौन स घि ह िो इन राजयो/कतरो िी िलवायवीय दशाओ िो परभाकवर िरर ह?

गक‍तकवकि िा उददशय– य दो वभनन सथान वभनन अकाशो पि वसथत ह। भाित क भौवतक मानवचतर को कका म दीवाि पि लगाना चावहए। परिचचात क समय ववदावथतयो दािा इन सथानो की भौवतक ववशषताओ जस- सथलाकवत औि सासकवतक ववशषताओ जस- घिो क परकाि, भोजन, वशभषा पि ववशष धयान वदया जा सकता ह। वशकक वनमनवलवखत आकलन किग– कया ववदावथतयो को भाित क मानवचतर पि अरणाचल परदश औि किल की वसथवतयो की समझ ह औि कया ववदाथथी अकाश, सथलाकवत औि ऊचाई जस कािको को जानत ह जो वकसी सथान की जलवाय को परभाववत कित ह औि कया सथान की सासकवतक ववशषतओ पि उनक परभाव को भी समझत ह।

समह गक‍तकवकि म कवदयाक थियो िा मलयािन– ववदावथतयो को दशय सािनो सवहत ऊपि दी गई जानकािी पसतको, पवतरकाओ, समाचाि पतरो औि वबसाइ‍टो स इकट किन क अवसि वदए जान चावहए। बड आकाि की कका म जानकािी इकटा किन क वलए ववदावथतयो को समहो म बा‍टा जा सकता ह। उनक वनषपादन का मलयाकन उनकी परसतवत, इकटी की गई सामगी क सति, परसतती/परिचचात की मौवलकता, समह क अनय सदसयो क साथ सहयोग, पिसपि आदि, दसि समहो दािा वयकत वकए गए ववचािो की गाहयता, सावथयो स सीखना औि कका म आनददायीक वाताविण बनान म उनक योगदान क आिाि पि वकया जाना चावहए।

चवक जलवाय पाठयपसतक का दसिा या तीसिा अधयाय होगा, इस समय तक ववदाथथी भाित की वसथवत औि इसक भ-आकवत ववजान को ठीक स समझ गए होग, अत: जलवाय क वशकण-अविगम म वशकको स अपका ह वक व भाित की वसथवत, अथातत अकाश, िखाश, भौवतक-लकण, अपवाह-ततर औि समद स वनक‍टता को जलवाय स सबधि किग, कयोवक य महतवपणत घ‍टक ह जो भाित की जलवाय को परभाववत कित ह।

माधयवमक सति पि भगोल सामावजक ववजान का एक घ‍टक ह औि सामानयत: उन वशकको दािा पढाया जाता ह, वजनहोन सनातक सति पि भगोल का अधययन नही वकया होता ह। यह भी पाया गया ह वक अविकाश सामावजक ववजान वशकक कवल माधयवमक ककाए ही लत ह। भगोल की मलभत सकलपनाए उचच पराथवमक सतिो पि पढाई जाती ह जो भाित क भगोल को समझन क वलए आवशयक ह। समीका कायतशाला क समय कायतित वशकको स वनवदन वकया गया था वक कका म जलवाय ववषय क परभावी सपरषण क वलए वशकको की मदद किन क वलए माडयल म क सकलपनाओ को समझाया जाना चावहए।

B. भार‍तीय मानसन

कका म ववषय को शर किन स पहल वशकक का वनमनवलवखत शबदो स परिवचत होना आवशयक ह–

• वायमिलीय दाब– वायमडलीय दाब औि पवन वायमडलीय ततवो की अपका वायमडलीय वनयतरको क रप म

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अविक महतवपणत ह। ताप म ववषमता दाब म परिवततन किती ह वजसस पवन उतपनन होती ह। पवन स वषतण होता ह औि य ताप औि आदतता को परभाववत किती ह।

• उचच दाब और कनमन दाब– दाब ततर दो परकाि क ह- उचच दाब औि वनमन दाब। अविकाशत: उचच दाब को परवतचरिवात औि ‘उचच’ क रप म भी जाना जाता ह। जब यह लमबा अणडाकाि आकवत का होता ह तो इस ‘रिज’ या ‘वज’ कहत ह। वनमनदाब भी अवनमन, चरिवात या ‘वनमन’ क रप म जाना जाता ह। जब यह लमबाई म होता ह तो इस गतत कहत ह।

• दाब िकटबि– पथवी की सतह पि कल सात दाब कव‍टबि ह। धरवीय उचचदाब, उपोषण उचचदाब औि उप-धरवीय वनमनदाब उतिी औि दवकणी गोलािषो म समवलत जोड बनात ह। उतिी गोलाित क तीन कव‍टबि दवकणी गोलाित क कव‍टबिो स भमधयीय कव‍टबि दािा पथक वकए जात ह।

पवन किस पिार उतपनन हो‍ती ह?

दाब ि ककरि अररो स वायदाब म ककरि अरर आर ह। इनस पवन उतपनन होरी ह। पवन उचच दाब कतर स कनमन दाब कतर िी ओर बहरी ह।

• फद रदल िा कनयम– इस वनयम क अनसाि, उतिी गोलाित म पवन अपन दायी ओि औि दवकणी गोलाित म अपनी बायी ओि मडती ह। पवन अपन सही परवणता (गवडएन‍ट) मागत स 'कोरिऑवलस बल' क कािण ववकवपत होती ह, जो पथवी क घणतन क कािण उतपनन होता ह।

• िोररऑकलस बल– पथवी क घणतन स उतपनन बल का परभाव परतयक गवतमान वसत पि होता ह, चाह वह कोई महासागि िािा हो या बदक स चली हई एक गोली। यह वह परभाव ह जो पथवी की घणतन गवत औि पथवी की सापक वाय की गवतशीलता क कािण उतपनन होता ह। उतिी गोलाित म ‘कारिऑवलस बल’ पवन की वदशा क दायी ओि कायत किता ह औि दवकणी गोलाित म पवन की वदशा क बायी ओि कायत किता ह। यही कािण ह वक उतिी धरव म सभी पवन दायी ओि जान की परववत िखती ह औि दवकणी गोलाित म बायी ओि जान की परववत िखती ह। यह इस तथय को समझाता ह वक उतिी गोलाित म पवन वनमन दाब कनदो क चािो ओि वामावतत बहती ह पिनत दवकण गोलाित म दवकणा वतत।

• दाब पवण‍ता– वजस दि स कवतज दाब परिववततत होता ह वह दाब परवणता स इवगत की जाती ह। वाय क बहन की दि या पवन का वग दाब परवणता क ढाल स दशातया जाता ह। ढाल औि वग एक दसि क समानपाती होत ह।

वचतर 1: वनमन दाब औि उचच दाब

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गक‍तकवकि: एि अनचछदद कलख

वशकक वनमनवलवखत पि ववदावथतयो को कका म ववमशत किन औि दस वमन‍ट म अपनी कापी म एक पिागाफ वलखन क वलए कह सकत ह।

- तफान कयो आत ह?

- पवन का वग परिवतवततत कयो होता ह?

- यवद पहाडो पि वहमपात होता ह तो आस-पास क मदानी इलाको म पवन का वग उचच होता ह। कयो?

गक‍तकवकि िा उददशय

वववभनन सथानो पि वायमडलीय दाब का अति पवनो की गवत, पवन वदशा औि पवनो क वग क वलए उतिदायी होता ह। वशकक आकलन किग वक कया ववदाथथी दाब परवणता को वयकत किन औि उस ऊचाई औि अकाश स सबधि किन म सकम ह।

• भ मिलीय पवन– भमडलीय पवन सथाई पवन ह जो वाय दाब क अकाशीय अति की परवतवरिया म वनमन अकाश स दसि अकाश की ओि वषत भि चलती िहती ह। व महादीपो औि महासागिो क ववशाल कतरो क ऊपि बहती ह। जलवाय औि मानवीय गवतवववियो क वलए सबस महतवपणत दो पवन, वयापारिक पवन औि पवा/पवशचमी पवन ह।

• वयापाररि पवन– वयापारिक पवन उषणकव‍टबिीय पवथी पवन भी कहलाती ह, कयोवक दोनो गोलािषो म व भमधयीय िखा की ओि 30 वडगी उति औि 30 वडगी दवकण, पवत स पवशचम की ओि बहती ह (ववसतत जानकािी क वलए कपया एन०सी०ई०आि०‍टी० की कका IX की पसतक भौवतक भगोल क मल वसधिात, दख)।

• पकशचमी पवन– पवशचमी पवन 30-40 वडगी स 60-65 वडगी उति औि दवकण अकाशो स बहती ह। य उप-उषणकव‍टबिीय कको क उतिी भागो म उतपनन होती ह औि धरवो की ओि बहती ह।

वचतर 2: दाब कव‍टबि औि भमडलीय पवन

वचतर 3: पथवी क वायमडल का एक सिलीकत अनपरसत का‍ट सिचिण का एक सामानय प‍टनत दशातता ह

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• आदरथि‍ता– यह जल-वाषप की मातरा क सदभत म वायमडल की अवसथा ह औि यवद वकसी अनय परकाि स इस ववणतत न वकया गया हो तो सामानयत: यह आपवकक आदतता कहलाती ह।

• आपदककि आदरथि‍ता– यह वायमडल म उपवसथत जल-वाषप का सचकाक ह। यह वासतववक वाषप दाब ह जो वक उस वाय ताप पि समभाववत सतपत वाषप दाब क परवतशत क रप म वयकत वकया जाता ह। आपवकक आदतता उस ततपिता क मापन का परयास ह वजसस वाय स वाषप सघवनत हो जाएगी औि यह दो चिो स सबवित ह– एक वायमडल क वदए गए दवयमान जलवाषप की वासतववक मातरा औि दसिा, वाय क उस दवयमान का ताप कयोवक यह वाय की जलवाषप को िखन की कमता को वनिातरित किता ह। आपवकक आदतता का मान ताप क अनरिवमत आिाि पि परिववततत होता ह औि इस कािण सामानयत: यह िात म बढ जाता ह कयोवक ताप वगि जाता ह, भल ही जलवाषप की मातरा वसथि िह। यह हाइगोमी‍टि स मापी जाती ह।

गक‍तकवकि: एि अनचछदद कलख

वशकक वनमनवलवखत पि ववदावथतयो को कका म ववमशत किन औि दस वमन‍ट म अपनी कापी म एक पिागाफ वलखन क वलए कह सकत ह।

- तफान कयो आत ह?

- पवन का वग परिवतवततत कयो होता ह?

- यवद पहाडो पि वहमपात होता ह तो आस-पास क मदानी इलाको म पवन का वग उचच होता ह। कयो?

गक‍तकवकि िा उददशय

वववभनन सथानो पि वायमडलीय दाब का अति पवनो की गवत, पवन वदशा औि पवनो क वग क वलए उतिदायी होता ह। वशकक आकलन किग वक कया ववदाथथी दाब परवणता को वयकत किन औि उस ऊचाई औि अकाश स सबधि किन म सकम ह।

• भ मिलीय पवन– भमडलीय पवन सथाई पवन ह जो वाय दाब क अकाशीय अति की परवतवरिया म वनमन अकाश स दसि अकाश की ओि वषत भि चलती िहती ह। व महादीपो औि महासागिो क ववशाल कतरो क ऊपि बहती ह। जलवाय औि मानवीय गवतवववियो क वलए सबस महतवपणत दो पवन, वयापारिक पवन औि पवा/पवशचमी पवन ह।

• वयापाररि पवन– वयापारिक पवन उषणकव‍टबिीय पवथी पवन भी कहलाती ह, कयोवक दोनो गोलािषो म व भमधयीय िखा की ओि 30 वडगी उति औि 30 वडगी दवकण, पवत स पवशचम की ओि बहती ह (ववसतत जानकािी क वलए कपया एन०सी०ई०आि०‍टी० की कका IX की पसतक भौवतक भगोल क मल वसधिात, दख)।

• पकशचमी पवन– पवशचमी पवन 30-40 वडगी स 60-65 वडगी उति औि दवकण अकाशो स बहती ह। य उप-उषणकव‍टबिीय कको क उतिी भागो म उतपनन होती ह औि धरवो की ओि बहती ह।

वचतर 2: दाब कव‍टबि औि भमडलीय पवन

वचतर 3: पथवी क वायमडल का एक सिलीकत अनपरसत का‍ट सिचिण का एक सामानय प‍टनत दशातता ह

वचतर 4: वषात क परकाि – सवहनीय, पवततीय औि चरिवातीय/रि‍टल

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• वराथि िद पिार– सवहनीय, पवततीय औि चरिवातीय अगगम औि पवनावभमखी तथा परवतपवन ढाल (ववसतत ववविण क वलए कका VII औि XI की भगोल की पाठयपसतको को दखा जा सकता ह)।

• एल नीनो– एल नीनो गिम महासागिीय िािाए ह जो कभी-कभी सामानय ठड पर िािाओ को ववसथावपत कि दती ह, जो दवकणी अमरिका क पवशचमी त‍ट क साथ-साथ उति की ओि बहती ह। गिम सागिीय जल की पनिाववत परतयक तीन स पाच वषत म होती ह औि ह स अठािह माह तक बनी िहती ह (एल वननो क मधय, बहिा उसी कतर म सतही जल िािाओ क शीतलन अवविया होती ह वजनह ला वनना कहत ह।)

• ई०एन०एस०ओ०– एल नीनो घ‍टना का मधय परशात महासागि औि आसटवलया क वायदाब परिवततनो स गहिा सबि ह। परशात महासागि पि वायदाब म यह परिवततन दवकणी दोलन कहलाता ह। दवकण दोलन औि एल नीनो की सयकत परिघ‍टना ई०एन०एस०ओ० (EL Nino Southern Oscillation,एल-वननो दवकणी दोलन) कहलाती ह।

कशकि िद कलए

समाचाि पतर, ‍टलीववजन या इ‍टिन‍ट साइ‍टो स पता लगाए वक जब आप यह अधयाय पढा िह ह, तो कया उस समय भाित या ववशव क वकसी भाग म कोई परमख वायमडलीय घ‍टना घ‍ट िही ह।

• अ‍तर उषणिकटबिीय अकभसरण कदतर (आई०टी०सी०जदि०)- यह भमधय िखा पि वसथत वनमन दाब कतर ह जहा वयापारिक पवन अवभसारित होती ह औि इस कािण यह ऐसा कतर ह जहा वाय ऊपि की ओि उठती ह। जलाई म आई०‍टी०सी०जड० लगभग 20 वडगी उति-25 वडगी उति अकाशो पि बना िहता ह (गगा क मदानो क ऊपि), वजस कभी-कभी मानसन अवतलन कहत ह। यह मानसन अवतलन उतिी औि उति-पवशचमी भाित म तापीय वनमनदाब ववकवसत किता ह। आई०‍टी०सी०जड० क सथान बदलन स दवकणी गोलाित की वयापारिक पवन भमधय िखा की 40 वडगी औि 60 वडगी ई दशातिो क मधय पाि किती ह औि कारिऑवलस बल क कािण दवकण स उति की ओि बहना परािमभ कि दती ह। यह दवकण-पवशचमी मानसन बन जाता ह। सिदी म आई०‍टी०सी०जड० दवकण की ओि गवतमान होता ह औि इस कािण पवनो का उति-पवथी वदशा स दवकण औि दवकण-पवशचमी वदशा म ववपिीत परिसचिण होता ह। य उति-पवथी मानसन कहलाती ह।

• बौछार, मसलािार वराथि और सपदी गक‍तया– दवकण-पवशचमी मानसन भी बौािो, मसलािाि वषात औि सपदी गवतयो स जाना जाता ह। भाित क पवथी भागो म मानसन क उतकषत पि एक या दो सपताह वषात की बौाि होती ह। भािी बादलो औि वषात क साथ मानसन का अचानक सवरिय होना मसलािाि वषात कहलाता ह। जब पवा ज‍ट िािाए वहमालय क दवकण स उति म अपना सथान बदल लती ह, तो मानसन अचानक वसि-गगा मदानी कतरो म परवश किता ह। सपदी गवतयो का अथत वषात क साथ मानसनी पवनो की तीवरता म बािी-बािी स बढना औि घ‍टना ह।

• पकशचमी कवकोभ और उषणिकटबिीय चकवा‍त– पवशचमी ववकोभ जो भाितीय उपमहाधिीप म सिदी क महीनो म पवशचम औि उति-पवशचम म परवश किता ह, भमधय सागि स उतपनन होता ह औि भाित म पवशचमी ज‍ट िािाओ दािा लाया जाता ह। ववदमान िावतर ताप म ववधि पहल स ही इन चरिवाती ववकोभो क आन का सकत दती ह।

• उषणिकटबिीय चकवा‍त- बगाल की खाडी औि भाितीय महासागि क ऊपि उतपनन होत ह। य अवत उचच पवन वग वाल औि भािी वषात वाल होत ह औि तवमलनाड, आधर परदश औि ओवडशा क त‍ट स ‍टकिात ह। इनम स अविकाश चरिवात अपन उचच पवन वग औि साथ म होन वाली मसलािाि वषात क कािण बहत ववनाशकािी होत ह।

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गक‍तकवकि – मानकचतर िायथि और पररचचाथि

वशकक इस गवतवववि को भाित क मानवचतर पि किन क वलए ववदावथतयो स कह सकत ह। मानवचतर कायत शर किन स पहल वशकक ववदावथतयो स प सकत ह वक उनहोन समाचाि पतरो या ‍टलीववजन म वकनही चरिवातो की गवत की वदशा को दखा ह।

ववदावथतयो को भाित क मानवचतर पि उषणकव‍टबिीय चरिवात का मागत वदखाना होगा। व जानकािी परापत कि सकत ह औि इसक समाज क हावशय पि क वगषो औि पराकवतक पयातविण पि पडन वाल परभाव पि परिचचात कि सकत ह। हाल ही म चरिवात 'फवलन', जो ओवडसा क त‍ट स ‍टकिाया था, न लोगो ववशषकि मआिा समाज की भािी तबाही की । वशकक लोगो की जीववका, ववशष रप स मवहलाओ की जीववका पि चरिवातो क परभाव, त‍टीय कतरो म आपदा परबिन की तयािी, ऐस कतरो को उपलबि सहायता की परकवत, पयातविण पि चरिवाती तफानो का परभाव इतयावद पि परिचचातओ का मागतदशतन कि सकत ह।

गक‍तकवकि िद उददशय: वशकक ववदावथतयो की जागरकता क सति का आकलन समाचाि पतरो को पढकि औि िवडयो/‍टी.वी समाचािो क माधयम स कि सकत ह औि इसस भी वक कया ववदाथथी बताई गई जानकािी को मानवचतर की सहायता स शबद स दशय म वयकत किन म सकम ह। ववदावथतयो को पराकवतक पयातविण औि समाज। हावशय क समहो क परवत भी सवदनशील बनाया जाए।

• िदट िारा– ज‍ट िािा स सबवित िोचक तथयो पि परिचचात की जा सकती ह। दसि ववशव यधि क आवखिी समय म मौसमववजो को ऊपिी कोभमडल म ज‍ट िािा का पता चला। ज‍ट िािा क जात होन की घ‍टनाओ का रिम बहत िोचक ह। जब वदतीय ववशव यधि क आवखिी चिण म अमरिका क बमवषतक वाययानो क पायल‍ट लगभग 13000 मी‍टि की ऊचाई पि जापान की तिफ उड िह थ तो उनका सामना सामन की तज पवनो स हआ, वजनहोन उनकी गवत को बहत िीमा (कभी-कभी शनय) कि वदया। पिनत उति म अपन आिाि सथल की ओि लौ‍टत समय, उनहोन पाया वक उनकी गवत बहत बढ गई औि कभी-कभी पी स आन वाली पवन क कािण दगनी भी हो जाती थी। इस परकाि उचच-सतिीय लकषयो स घि लौ‍टत समय पायल‍ट अवत-तीवर गवत स ऊचाई पि बहन वाली पवनो क अनोख अनभव अपन साथ लाए। अतत: ज‍ट िािा कहलान वाली परिघ‍टना की औपचारिक खोज हई।

शरद ऋ‍त म िदट िारा और ऊपरी वाय िा पररसचरण

वचतर 5: शिद ऋत म 9-13 km ऊचाई पि पवनो की वदशा औि पवशचमी ज‍ट िािा

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गीषम ऋ‍त म िदट िारा और ऊपरी वाय िा सचरण

वचतर 6: गीषम ऋत म 13 km ऊचाई पि पवनो की वदशा औि पवथी ज‍ट िािा

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वचतर 7 : जलाई म वायमडलीय दाब औि सतही पवन

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वचतर 8 : जनविी म वायमडल दाब औि सतही पवन

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गक‍तकवकि : मानकचतर पिना

ववदावथतयो को ऊपि वदए गए मानवचतरो (वचतर 5,6,7,8) को धयान स दखन औि ज‍ट िािा की वसथवत औि उसक बहन की वदशा, जनविी तथा जलाई म पवन की वदशा म परिवततन क कािण औि िायो/सथानो को पहचान कि उचच दाब औि वनमन दाब वाल कतरो की वसथवत जात किन क वलए कहा जा सकता ह।

गक‍तकवकि िा उददशय– ववदाथथी वकसी भी परिघ‍टना जस सथानो की वसथवत, अकाश, पवनो की वदशा, समदाबी, नॉ‍ट म वयकत पवन वग इतयावद को दखत समय सभी लकणो/आकवतयो पि धयान द।

मानसन का परािमभ सामानयत: एक बहत जव‍टल परिघ‍टना माना जाता ह औि कोई भी एक अकला वसधिात नही ह जो इस पिी तिह समझा सक। यह अभी भी ववशवास वकया जाता ह वक गिमी क महीनो म सथल औि समद क वभनन परकाि स गिम होन की वरियावववि ह जो मानसन पवनो क उपमहाधिीप की ओि सवहन क वलए आिाि तयाि किती ह। कका म मानसन की कायतवववि बतान स पहल वशकक को आई०‍टी०सी०जड०, ज‍ट िािा, दाब कव‍टबिो, भमडलीय पवनो, ववभदी तापन, समदाब िखाए, समताप िखाए, समवषात िखाए, वषात क परकाि, पवनावभमख औि परवतपवन ढाल, रदघोषम हास दि (Adiabetic lapse) इतयावद स सबवित शबदो औि सकलपनाओ की जानकािी होनी चावहए।

गक‍तकवकिया: ‍ताप ररिािथि िरना, िानिारी इिटी िरना और कवभदद िरना

- ववदावथतयो को एक सपताह क वलए दवनक समाचाि पतरो स अपन शहि क उचचतम औि नयनतम ताप औि वषात को रिकाडत किन क वलए कह सकत ह।

- जानकािी इकटा कि– ववदावथतयो स कहा जा सकता ह वक व भाित क वववभनन भागो म जलवाय की परिवततनशीलता पि जानकािी इकटा कि औि इस परिवततनशीलता क कािण भी खोज।

- मानसन की बौाि औि मसलािाि वषात म अति बताए।

मानकचतर आिारर‍त पशन

भाित क मानवचतर क खाक म ववदावथतयो स वनमनवलवखत किन को कह:

1. तीि क वचनिो की मदद स जन-जलाई म मानसन पवनो की वदशा दशातए।

2. पवनावभमख ढाल औि परवतपवन ढाल पि वसथत सथानो को दशातए।

3. उति-पवथी मानसन क कािण शिद ऋत की वषात पान वाल कतर दशातए।

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िन िीवन पर िलवाय िा पभाव

कवदयाक थियो िद कलए गक‍तकवकि/पररयोिना

एक कोलाज बनाए जो दशातता हो वक मानसन मानव जीवन को कस परभाववत किता ह। ववदावथतयो स मानसन क समय जन स वसतमबि माह क समाचाि पतर की कतिन इकटी किन क वलए कहा जा सकता ह।

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अधयापिो िद कलए गक‍तकवकिया

सिद ‍त– कवष, परिवहन, सकल जात बचच, मवहलाए, ववरिताओ, रिकशाचालक, बिसावतया/तरिया/व तिपाल बचन वाल, मिीज, वधि, ववकलाग, इतयावद को परिपरकषयो म िखत हए कोलाज बनाए जा सकत ह। ववदावथतयो को एक माह की अववि क अपन शहि, कसब क दवनक समाचाि पतरो स तापमान, सापकषा आदतता, सयमोदय तथा सयातसत क समय को इकटा किन क वलए कहा जा सकता ह। इसी परकाि क आकड महानगिो क समाचाि पतरो स इकट वकए जा सकत ह (यवद ववदाथथी भाित क उतिी भाग म िह िही ह तो उस दवकण भाित क शहि स आकड इकट किन चावहए औि इसक ववपिीत भी) वफि व इन दोनो सथानो क औसत मौसम दशाओ की तलना कि सकत ह औि एक रिपो‍टत बना सकत ह।

वचतर 9: मानव जीवन पि मानसन का परभाव

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कवदयाक थियो िद कलए रोचि गक‍तकवकि

वराथिमापी बनाना

ववदावथतयो को वषातमापी बनान क वलए परोतसावहत वकया जा सकता ह वजसका उपयोग वषात को मापन हत वकया जाता ह।

आवशयि सामगी :

• एक खाली बोतल

• क ची

• वचपकान वाला ‍टप

• पमाना

• कागज

• पवसल

कवकि–

4. पलावस‍टक की बोतल को नीच स दो वतहाई ऊपि की ओि चािो ओि स का‍ट ल।

5. बोतल क ऊपिी वहसस को उल‍ट कि नीच वाल वहसस म लगा द, एक ‍टप स उस ठीक स वचपका द।

6. ‍टप क एक ‍टकड पि पमान की सहायता स स‍टीमी‍टि म एक पमाना बनाए औि अपनी बोतल पि उस वचपका द।

7. बाहि वकसी जगह वषातमापी को िख द। यह सथान खला होना चावहए औि आस-पास कोई पड नही होना चावहए।

8. एक गडढा खोदकि उसम वषातमापी को गाड द, तावक ऊपिी भाग भवम स 5 cm बाहि हो। इसस तज हवा क कािण वषातमापी उडगा नही।

9. एक वनवशचत समय पि परवतवदन मानसन क मौसम म वषातमापी की जाच कि, वषात जल की मातरा को माप ल औि वफि बोतल खाली कि द।

(www.metoffice.gov.uk स वलया गया ह)

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भमिलीय ‍तापन पर गक‍तकवकि – पोसटर बनाना

ववदावथतयो को भमडलीय तापन पि पोस‍टि बनान क वलए कहा जा सकता ह। 1 वसतमबि, 2011 को एन०सी०ई०आि०‍टी० म जनसखया वशका पि एक िाषटीय पोस‍टि परवतयोवगता का आयोजन वकया गया था। मदद क वलए ववदावथतयो दािा इस परवतयोवगता म बनाए गए क पोस‍टि नीच वदए गए ह।

D. मानसन िी समदिि भकमिा

दश क वववभनन कतरो क पराकवतक पयातविण म वववभननताए होन पि भी मानसन की चाल एकरपता क परबल ततव उपलबि किाती ह। शषक औि नम मौसमो का एक क बाद एक आना औि वषत क क माह जीवन दावयनी वषात का वनिति होना, सामानय रप स पि भाित की परिघ‍टना ह; यदवप शषक मौसम का सखापन औि नम मौसम का गीलापन दश क एक भाग स दसि भाग तक बहत परिवततनशील पाया जाता ह। िप स झलसी हई भवम पि वषात की बदो क वगिन स उतपनन सगीत औि

वचतर 10: गलोबल वावमइग

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सगि, पयासी ििती भाित क लोगो म मरसथली थाि स आदत उति-पवत तक लगभग सभी जगह तीवर भावातमक परवतवरियाए उतपनन किती ह– भोजपि की कजिी औि बज क मलहाि क परवतरप भाित क लगभग सभी भागो म ह। वषात-पोवषत, जीवन वनवातह हत कवष औि उस पि आिारित गामीण समदाय क फलाव हि परकाि स मानसन की दन ह। मानसन की सािी वयापकता न – बहत सी कतरीय वववभननताए होन पि भी– पि दश की लमबाई चौडाई म मानव परकवत की अत:वरिया म एकरपता क एक सति क वलए पराकवतक आिाि उपलबि किाया ह; भाित की एकता इसी एकरपता म गहिाई स समावहत ह।

कशकिो िद कलए गक‍तकवकि

वदए गए बॉकस म ववदावथतयो क वलए मानसन की समकक भवमका पि आिारित एक गवतवववि तयाि कि।

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सझाई गई पठन सामगी

1. “पथवी: हमािा आवास” कका VI क वलए भगोल की पाठयपसतक, एन०सी०ई०आि०‍टी०-2006

2. “हमािा पयातविण” कका VII क वलए भगोल की पाठयपसतक, एन०सी०ई०आि०‍टी०-2007

3. “ससािन एव ववकास” कका VIII क वलए भगोल की पाठयपसतक-2008

4. “भौवतक भगोल क मल वसधिात” कका XI क वलए भगोल की पाठयपसतक, एन०सी०ई०आि०‍टी०-2006

5. “भाित: भौवतक पयातविण” कका XI क वलए भगोल की पाठयपसतक, एन०सी०ई०आि०‍टी०-2006

6. “जल ससािन” पि अधयाय, समकालीन भाित-2, कका X क वलए भगोल की पाठयपसतक, एन०सी०ई०आि०‍टी०-2007

7. Haggett, Peter, Geography: A Global Synthesis, (2000) Prentice Hall

8. Lal, D.S., Climatology, Chaitanya Publishing House, Allahabad

9. Kendrew, K.G., Climates of the Continents, (Fifth Edition, 1961) Oxford University Press London

10. Website www.ind.gov.in

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ससािनो िा सपदरण

‘ ससाधन होर नही ह व बन िार ह; व कसर नही होर, बकि मानवीय आवशयिराओ और िारतवाइयो िी अनककया म िलर और सिकचर होर रहर ह।’

(जीमरमान, पीच और कॉनसटनटाइन)

पररचय

सभी वसतए जो पयातविण म उपलबि ह औि जो मानव दािा अपनी आवशयकताओ को पिा किन क वलए उपयोग म लाई जाती ह, ससािन कहलाती ह। ससािन क वनवशचत वसतए नही ह। वजस मानव न ससािन माना, उसम समय क साथ परिवततन हआ। क वसतए वजनह हम ससािन मानत ह, जस भवम, जल, सयत का परकाश, पवन मानव क अवसततव क पहल स मौजद ह, पिनत य ससािन तभी बन जब मानव न इनह वववभनन कायषो क वलए उपयोगी समझा, जस कवष क वलए भवम, ऊजात उतपादन क वलए जल, सयत का परकाश, पवन, इतयावद। मनषय भी महतवपणत ससािन मान जात ह। य उनकी सोच औि अववषकाि ह जो ससािन उतपनन कित ह। ससािन दश की अथतवयवसथा की िीढ की हडडी होत ह।

कशकण-अकिगम उददशय

ससािनो का सपरषण कित समय वशकको को वनमनवलवखत पि धयान क वदत किना होगा:

- ससािनो का अथत समझना

- वववभनन परकाि क ससािनो की पहचान किना– नवीकिणीय औि गिनवीकिणीय ससािनो म अति

- ससािनो क नयायोवचत उपयोग औि सिकण पि जागरकता उतपनन किना

- वचतरो औि मानवचतरो की वयाखया किना

पमख सिलपनाए

A. ससािनो िा अ थि

वशकक सपष‍ट रप स समझा सकत ह वक हम वजस ससािन मानत ह, वह समय औि सथान क साथ परिववततत हो जाता ह। कोई वसत ससािन मानी जाती ह कयोवक मानव समाज उसको महतव दन लगता ह। अत: ससािनो को इस परकाि परिभावषत कि सकत ह वक ससािन वह ह वजस इस परकाि रपातरित वकया जा सकता ह वक वह मनषयो क वलए अविक मलयवान औि उपयोगी बन जाए ह। भवम, जल, मदा, वनसपवतजात, परावणजात, खवनज जस कोयला औि पटोवलयम, सयत का परकाश, पवन आवद ससािन मान जात ह। य सभी चीज पथवी पि मानव ववकास स बहत पहल स मौजद थी। पिनत य तभी ससािन बनी जब मानव न इनह उपयोगी पाया। इन वसतओ का उपयोग समय क साथ तभी सभव हआ, जब उपयकत परौदोवगकी उपलबि हो पाई।

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99

गक‍तकवकि : पररचचाथि

वशकक वनमनवलवखत पि कका म परिचचात किा सकत ह– पदाथत वजनको आज हम ‘ससािन’ मानत ह पिनत पहल इनका कोई महतव नही था औि भववषय म इनका महतव कम हो सकता ह (सकत– पटोवलयम)। वकस परकाि मनषय की आवशयकताए औि वरियाए वकसी वसत को ससािन बनाती ह?

वशकक कका को ो‍ट समहा म बा‍ट सकत ह। ो‍ट समहो म ववदाथथी आग पिी कका म परिचचात किन क वलए पिसपि परिचचात किक क वबद तयाि कि सकत ह। ववदाथथी ऐस ससािनो औि उनक उपयोगो की एक सची तयाि कि सकत ह औि उन पि परिचचात ववदावथतयो को सपष‍ट किगी वक वजस मानव ससािन समझत ह वह समय औि सथान क साथ परिवततनशील ह। उदाहिण क वलए, पटोवलयम को मानव इवतहास म महतवपणत ससािन बन अविक समय नही हआ। इसी परकाि, हो सकता ह वक पवन तथा सौि उजात आन वाल समय म बहत महतवपणत ससािन बन जाए ।

आिलन- ववदावथतयो दािा उठाए गए वबदओ क आिाि पि, वशकक उनक समझन की योगयता, तावकत क वचतन औि ससािनो क बाि म अपनी समझ को वयकत किन की योगयता का आकलन किन म सकम होग। वशकक परिचचात क समय अपन ववचािो को सपरवषत किन की योगयता को पिखन म भी सकम होग।

B. ससािनो िा वगथीिरण

ससािनो को उनकी समापयता क आिाि पि दो वगषो - नवीकिणीय औि गिनवीकिणीय म ववभावजत कि सकत ह, वजनह रिमश: परवाह औि सवचत ससािनो क रप म भी जाना जाता ह। गिनवीकिणीय ससािन व ह जो मनषयो दािा उपयोग म लाए जान की अववि क भीति पराकवतक रप स पन: परापत हो जात ह अथातत उनका नवीकिण हो जाता ह, जस जल, वन, पवन, इतयावद। पिनत इन नवीकिणीय ससािनो का आवशयकता स अविक या वबना ववचाि उपयोग वकया जाए तो यह उनक भडाि को परभाववत कि सकता ह। अनवीकिणीय ससािन मखय रप स खवनज ह औि उनकी उपलबिता सीवमत ह। य ससािन लाखो वषषो म बनत ह औि उनका मानव क परासवगक समय क पमान क अनसाि पनभतिण होना सभव नही। इस वगत म ससािनो को दो भागो म बा‍टा जा सकता ह, एक तो व जो उपयोग क साथ समापत हो जात ह जस- तल, कायला औि दसि व वजनका पन: चरिण हो सकता ह, जस बाकसाइ‍ट ऐलवमवनयम ।

ससािनो को उनकी उतपवत, सवावमतव औि ववकास क सति क आिाि पि भी वगथीकत वकया जा सकता ह। उनक ववकास क सति क आिाि पि उनह चाि वगमो म बा‍टा जा सकता ह– सभावी ससािन, ववकवसत ससािन, भडािण ससािन औि सवचत कोष ससािन। सभावी ससािन व ह वजनकी पहचान क सथानो पि कि ली गई ह पिनत उनका उपयोग अभी तक नही वकया गया ह। इस परकाि इन ससािनो को उपयोग म वलए जान की सभावना या कमता ह पिनत उस दवष‍ट स य अभी ववकवसत नही हए ह। उदाहिण क वलए, िाजसथान म सौि ऊजात को ववदत उतपादन क वलए ससािन क रप म उपयोग म वलया जा सकता ह, पिनत इस अभी ववकवसत नही वकया गया ह। ववकवसत ससािन व ह वजनका उनकी गणवतता औि मातरा क वलए सववकण हो चका ह औि उनकी पहचान हो चकी ह। उनका ववकास परौदोवगकी की उपलबिता पि वनभति किता ह उदाहिण; क वलए, बसति वजल की बलाडावलया पवतत रिवणयो म लौह अयसक। भडािण ससािन व पदाथत ह, वजनका उपयोग ससािनो क रप म वकया जा सकता ह, पिनत उपयकत परौदोवगकी की कमी उनक ववकास म बािा डालती ह; उदाहिण क वलए अ‍टाकत व‍टका म लौह अयसक का भडाि ह, पिनत वह बफत की मो‍टी चादि स ढका हआ ह। सवचत कोष ससािन व पदाथत ह जो ववदमान परौदावगकी क साथ उपयोग म लाए जा सकत ह, पित उनका उपयोग अभी परािमभ नही हआ ह। उदाहिण क वलए वमडल ईस‍ट म कचच तल का सवचत कोष 807.7 सौ किोड बिल ह औि ववशव का कचच तल का अनमावनत सवचत कोष 1668.9 सौ किोड बिल ह।

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गक‍तकवकि– पवाह चाटथि िो परा िरो

वशकक ससािनो क वगथीकिण स सबवित एक अपणत परवाह चा‍टत द सकत ह, जसा वक उदाहिण सवरप नीच वदया गया ह। ववदावथतयो स कहा जा सकता ह वक व ससािनो की समापयता क आिाि पि उनक परकािो को अपनी समझ स पिा कि।

यह गवतवववि ववदावथतयो दािा अकल की जा सकती ह। एक बाि जब सभी ववदाथथी वरियाकलाप पिा कि ल, तो वशकक उनक उतिो क आिाि पि परिचचात कि सकत ह–

1. वकन ससािनो की माग ववशव म बढ िही ह औि कयो?

2. मानव दािा वववभनन ससािनो क सिकण हत कया कदम उठाए जा सकत ह?

नोट– ककयािलाप 2 ि कलए दक‍ट-बाकधर कवदाक तयो िो आरख भरन िी आवशयिरा नही ह, परनर व नवीिररीय ससाधनो पर पररचचात िर सिर ह िो सदव उपलबध होर ह और िो रभी उपलबध होग यकद ठीि स उनिा कमश: वगथीिरर और परबधन किया िाए ।

आिलन– वशकक जान पाएग वक ववदाथथी ससािनो क बाि म वकतना समझ पाए ह। कया व इस बाि म सवदनशील हो गए ह वक यवद ससािनो का उपयोग सही ढग स नही वकया गया तो व यादा नही चलग। जब ववदाथथी ससािनो क सिकण क तिीक सझाए तो वशकक उनक तकषो का आकलन भी कि सकत ह।

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ककयािलाप– विथि शीट (िायथि पतर) ‍तयार िरना

यह वरियाकलाप ववदाथथी अकल कि सकत ह। एक वकत शी‍ट म व वनमनवलवखत शीषतको म अपन दवनक जीवन म उपयोग म वलए जान वाल ससािनो का वगथीकिण कि सकत ह–

(a) नवीकिणीय औि गिनवीकिणीय

(b) उपयोग कम किन, पन: उपयोग म लन औि पन: चवरित किन की आवशयकता

कशकि उनह विथि शीट म सारकणया ‍तयार िरनद िद कलए सिद ‍त दद सि‍तद ह।

सकत: सारणी 1

नवीकिणीय अनवीकिणीय

सकत: सारणी 2

उपयोग कम किना पन: उपयोग म लना पन: चरिण

आिलन– वशकक आकलन कि सकत ह वक ववदाथथी सकलपनाओ क बाि म वकतना समझ पाए ह औि कया व वववभनन परकाि क ससािनो, वजनह व अपन दवनक जीवन म दखत व उपयोग म लत ह, को वववभनन रिवणयो म वगथीकत कि पात ह।

C. ऊिाथि िद परपराग‍त और गर-परमपराग‍त सो‍त

भाित की बढती जनसखया औि बढती आवथतक गवतवववियो न वववभनन ऊजात ससािनो की माग म ववधि की ह औि यह ववधि आग औि बढगी। ऊजात क ससािनो को आग पिपिागत औि गि-पिपिागत म ववभावजत कि सकत ह। ऊजात क पिपिागत सतोत व ह जो लमब समय स सामानय रप स काम म वलए जा िह ह, जस जलाऊ लकडी, जीवाशम ईिन। य सतोत लमब समय तक चलन वाल नही ह, औि इस कािण हम गि-पिपिागत सतोतो क पक-ववपक क बाि म ववचाि किना होगा, जो ह– सौि ऊजात, पवन ऊजात, बायो गस, वािीय ऊजात औि भतापीय ऊजात। इन सतोतो औि सबवित मदो क बाि म अविक सीखन क वलए इनम स वकसी एक सतोत, जो असमापय औि अपकाकत सवच (कम परदषणकािी) हो, पि कस अधययन वकया जा सकता ह। गि-पिपिागत ऊजात स सबवित परियोजनाओ को सथावपत किना वनो, जलाशयो औि वहा आस-पास िहन वालो को वकसी न वकसी रप म परभाववत कि सकता ह। अत: परािमभ स ही कया उपाय कि वक वह भववषय म समसया न बन।

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गक‍तकवकि – िद स अधययन

कवकि– वशकक ससािनो क बाि म ववदावथतयो को समझान क वलए कस अधययन वववि का उपयोग कि सकत ह। ववदाथथी कस अधययन को पढग औि अपन परकणो पि कका म परिचचात किग। सभी ववदाथथी पना म भीमाशकि पवन फामत क कस अधययन को पढ औि अपन परकणो पि कका म परिचचात कि–

1. एक पवन फामत सथावपत किन क कया लाभ औि हावनया ह?

2. कया भाित म पवन ऊजात पयातपत मातरा म उतपनन किना सभव ह?

3. पवन ऊजात को काम म लन म आप वकन बािाओ का अनभव कित ह?

4. वदए गए पवन फामत का मवहलाओ पि कया परभाव पढ सकता ह? (सकत – उस कतर म जलाऊ लकडी ओि चािा इकटा किन क सदभत म)

नोट– कशकि य यब पर उपलबध “ हाननकसग कवड पावर (िी०ई०इकडया)” ि वीकडयो िो कदखा सिर ह, िो कवदाक तयो िो पवन िामको और पवन ऊिात िो िाम म लन ि बार म और अकधि सीखन म मदद िर सिरा ह।

िद स अधययन

पररयोिना सान– भीमाशिर खड रालिा, किला पर, महारा‍टटर

अकाश – 18059'39.06''N, िखाश– 73035'8.96''E

यह पवन फामत महािाषट क पण वजल म भीमाशकि म वसथत ह। मखय परभाव जो भीमाशकि म दख गए, उनम शावमल ह– भ उपयोग रपातिण, सडक वनमातण क वलए पडो की क‍टाई। जहा आवशयकता थी वन ववभाग की सवीकवत ली गई औि कवल कचची सडक का वनमातण ही वकया गया। सथानीय गाव क लोगो क वलए पहाडी तक जान औि चिाई क वलए कतर का उपयोग किन म कोई परवतबि नही लगाया गया।

भीमाशकि म ववड फामत

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ददखद गए पयाथिवणथीय पभाव ददखद गए सामाकिि पभाव

भवम: पवन ‍टबातइन वन भवम म सथावपत वकए गए; ‍टबातइन लगान क वलए वन ववभाग स अनमवत ली गई।

सहायक आिािभत सिचना – ‍टबातइनो तक पहचन वाली सडक पि डामि वकया हआ नही था, कतर म चािो ओि सिका हत कोई चािदीवािी नही थी।

स थान क आस-पास जव वववविता क अलावा पहाडी तक जान वाली कचची सडक - सामानय रप स पाई जान वाली जव वववविता, पडो औि अनय वनसपवत सवहत, दखी गई।

पवकयो औि वनय जीवन पि परभाव– कायत क चलत जव वववविता औि परावणजात की कवत नही दखी गई। सडको औि सयतर सथल क ववकास क वलए पडो की क‍टाई दखी गई।

सथल क आस-पास क जलाशय– आस-पास क जलाशयो पि कोई परभाव नही पाया गया।

पवन फामषो स शोि परदषण- जब परकण वलए गए तो पाया गया वक शोि का सति नयन था। पवन चवककयो क पास कोई आबादी नही थी, इसवलए शोि परभाव वनमन आका गया।

सिका औि सक‍ट क मद– पवन चककी, बसती औि सडक जस उपयोग म वलए जान वाल सथानो स काफी सिवकत दिी पि थी। मानव सवासथय औि सिका पि कोई पवातनमावनत परभाव नही थ।

पवन फामत क कायत कित समय अनय उतसजतन– पवन फामषो क काम किन स कोई SO2 , NO2 उतसजतन नही था औि कल काबतन उतसजतन शनय था।

समदाय पि परभाव – समदाय, कतर स कम स कम 5 वकलोमी‍टि दि था। ववड फामत क आस-पास का कतर ववड फामत की गवतवववियो क वलए सीवमत था औि समदाय क लोग इस कतर म दख नही गए। वफि भी, समदाय स सपकत किन पि भरमणकािी दल को यह बताया गया वक लोगो को पहावडयो म जान औि लकडी तथा चािा इकटा किन क वलए कोई मनाही नही थी।

भवम अविगहण परवरिया– वन भवम क वयावसावयक भवम म रपातिण का कायत वन ववभाग की अनमवत स वकया गया।

पनवातस औि पन: सथापना क मद- पनवातस औि पन: सथापना स सबवित कोई झगड नही दख गए औि वहा िह िह वकसी भी वयवति का पनवातस नही हआ।

आवदवासी औि अवतसवदनशील समहो पि परभाव- परियोजना क वनक‍ट आवदवावसयो की काई आबादी नही ह, गाव वाल औि सथानीय लोग बहत अविक परभाववत नही हए, कयोवक वनमातण कायषो म समदाय की कोई भवम नही ली गई औि समदाय क वहा आन-जान म काई बािा नही थी। सथानीय लोगो को जलाऊ लकडी लन या पशओ को चिान जस सामानय कायषो हत वन भवम का उपयोग किन की पणत सवततरता थी।

आवथतक दशाओ म परिवततन– पवन फामषो की वयवसथा औि िखिखाव हत कायतसथल कमतचािी क रप म ो‍ट सति का िोजगाि।

*सतोर- नवी और नवीिररीय ऊिात मतरालय, भारर सरिार

आिलन– वशकक ववदाव थतयो की समझ औि ववमशत का आकलन एक ऐस मद पि किग जो उनक अपन अनभव पि आिारित नही ह, बवलक उनक ववषय (‍टॉवपक) की ववषयवसत स सबवित ह। ववदावथतयो को उनक पठन औि तकत दन क आिाि पि आकवलत वकया जा सकता ह जब व अपन परकणो औि समझ स सबवित वि वबद समक िखत ह।

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D. ससािनो िा सरकण

बढती जनसखया औि ससािन उपयोग की बढती माग स ससािन वनमनीकत औि कम होत जा िह ह। अत: ससािनो क साविानी पवतक उपयोग की आवशयकता ह, वजसस वक वततमान पीढी भी लाभावनवत हो औि भावी पीवढयो की आवशयकताओ को पिा किन की कमता को भी धयान म िखा जा सक। सिकण ससािनो की सिका क साथ-साथ नयायोवचत उपयोग को धयान म िखता ह। ससािनो औि उनक वगथीकिण को समझात समय, वशकक साथ ही ववदावथतयो को ससािनो क सिकण क ववषम म सवदनशील बनाए।

गक‍तकवकि: कवचार मन

कवकि: जसा वक हम जानत ह ऊजात क पािमपरिक सतोत उनक उपयोग की वततमान दि स समापत हो सकत ह। वशकक ववदावथतयो स कह सकत ह वक उस वसथवत की कलपना कि जब य ससािन पणतरप स समापत हो जाएग तो उनक जीवन पि इसका कया परभाव होगा। वशकक उनह क सकत द सकत ह, जस परिवहन, उदोग, घिल परिवसथवतयो आवद पि परभाव। सभी ववदाथथी कका म इस पि ववचाि किग औि परिचचात म अपन दवषटकोण साझा किग।

आिलन- यह वरियाकलाप क ससािनो क ववषय म वशकको को ववदावथतयो की कलपना औि जागरकता का आकलन किन म सहायता किगा।

गक‍तकवकि– इसद सवय िर

कवकि- यह वरियाकलाप ववदाथथी ो‍ट समहो म या अकल कि सकत ह। वशकावथतयो स कह वक व अपन घि/सकल म वववभनन उपकिणो दािा ववदत क उपभोग क बाि म जानकािी इकटा कि औि ऑकडा पतर (डा‍टा शी‍ट) तयाि कि। एक सपताह म वयय होन वाली ववदत की मातरा का परिकलन कि। इस बचान क तिीक सझाए। ववदाथथी ववदत क उपयोग औि दरपयोग की मातरा जात किग। साथ ही ववदाथथी ऊजात की दकता बढान क तिीक भी सझाएग।

कवकभनन कवदय‍त उपिरणो विारा औस‍त कवदय‍त उपयोग िद पररिलन हद‍त चाटथि

(सोर– बी०एस०ई०एस० रािधानी)

उपिरण लगभग भार (वाट) उपिरणो िी सखया औस‍त घटद लगभग यकनटलमप 100 1 1 3‍टयब लाइ‍ट 40 1 1 1.2वबजली का पखा 600-1000 1 1 30इमशतन ही‍टि 1500 1 1 45वा‍टि ही‍टि 1000-2000 1 1 60‍टोस‍टि 750 1 1 22.5रम ही‍टि (िॉड वाला) 1000-2000 1 1 60रम ही‍टि (बलोअि) 1000-2000 1 1 60िरिीजि‍टि (165 ली‍टि) 200 1 1 6एयि कडीशनि (वखडकी म लगन वाला, 1.5 ‍टन)

1000-2000 1 1 60

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डज‍टत कलि (मधयम) 200 1 1 6रम कलि 60-200 1 1 3पखा (‍टबल फन/त वाला) 60-100 1 1 2.4वनवातत पखा (एगजॉस‍ट फन) 150 1 1 4.5कपड िोन की मशीन 700 1 1 7िवडयो 40 1 1 1.2‍टलीववजन 200 1 1 6वमकसि कम गाइडि 200 1 1 6कपय‍टि 200 1 1 6पप की मो‍टि 740 1 1 22कल खचत इकाइया 409

नोट- कदया गया चा त बी०एस०ई०एस० रािधानी स परापर किया गया ह और इसम कवदर उपिररो िा सीकमर सदभत ह। इसि अलावा और भी बहर स कवदर उपिरर ह, िस अनाि पीसन िी मशीन, छाछ बनान वाली मशीन, कवदर कसलाई मशीन आकद किनि कलए उनिा लगभग भार (वा म) कदया हआ नही ह। कशकि कवदाक तयो स िह सिर ह कि बडो िी या इ रन िी सहायरा ल और परा लगाए कि य उपिरर किरनी कबिली खचत िरर ह।

इसक अलावा बहत स गामीण इलाको म वबजली उपलबि नही ह। इस वसथवत म ववदावथतयो स कह सकत ह वक व एक चा‍टत तयाि कि औि उन उपकिणो स होन वाल उपयोग का पता लगाए, वजनको व उपयोग म लात, यवद वबजली उपलबि होती।

सकत

उपिरण लगभग भार (वाट म)

उपिरणो िी सखया

उपयोग िद औस‍त घटद लगभग कवदय‍त इिाइया

लमप 100 1 1 3‍टबल फन/त का पखा 60-100 1 1 2.4ा बनान वाली मशीन 200 1 1 6जल पमप 740 1 1 22कल उपयोग इकाइया पता लगाए

आिलन: ववदाथथी इस वववि को घि पि अकल या सकल म समह बना कि सकत ह। वशकक उनकी, समझ, परकण, खोज-बीन, शोि कौशल औि समसया समािन किन की योगयता का आकलन कि सकत ह।

गक‍तकवकि– आइए प‍ता लगाए

वशकक ववदावथतयो स प सकत ह वक कया उनक समदाय म सौि ऊजात, पवन ऊजात, वािीय ऊजात, बायोगस, भतापीय ऊजात ससािनो को उपयोग म लाया जाता ह। यवद ऐसा ह, तो ववदावथतयो को ो‍ट समहो म बा‍टकि उनस सकप म वलखन क वलए कह सकत ह वक इन ऊजात सतोतो को कयो पसद वकया जाता ह। उनकी खोजो क आिाि पि कका म एक परिचचात का आयोजन वकया जा सकता ह।

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आिलन– इस गवतवववि दािा वशकक ववदावथतयो को अपन समदाय म गि-पिमपिागत ऊजात ससािनो क उपयोग क बाि म जागरकता औि हमाि वलए इन ससािनो क महतव क ववषय म उनकी समझ का आकलन कि सकत ह। वशकक उनकी जाच-पडताल औि शोि कौशलो का आकलन कि सकत ह। कका म इस पि ववसतत परिचचात वशकक को ववदावथतयो की पयातपत साकषयो सवहत परभावी रप स सपरषण किन की योगयता को पिखन म मदद किगी।

E. मानकचतरो िा कवशलदरणा और उनह सहसबदध िरना

एक महतवपणत कौशल जो ववदावथयषो म ववकवसत वकया जाना चावहए , वह मानवचतरो का ववशलषण किना औि उनह सहसबधि किना ह। वववभनन भौगोवलक सकलपनाओ को भली परकाि समझन क वलए ववदावथतयो को मा नवचतर दखना, तलना किना औि सबधि किना वसखाया जा सकता ह। उदाहिणाथत, ववदावथतयो न कका IX म भाित क भ-आकवतक भागो क बाि म सीखा ह। कका X म जब व भाित की मदाओ क बाि म पढत ह, तो उनका पवतजान इस आसानी स समझन औि वयाखया किन म मदद किगा। उदाहिणाथत, वहमालय की पवतत रिखलाओ म सामानयत: वन औि पवततीय मदा पाई जाएगी। कािी (ऐलवयी) मदा उतिी मदानो औि दवकण की नवदयो क डल‍टाओ म पाई जाएगी, काली औि लाल तथा पीली मदा परायवदपीय पठािो म तथा शषक मदा भाितीय मरसथल म पाई जाएगी।

गक‍तकवकि– मानकचतर पिना और कवशलदरण िरना

यह वरियाकलाप ववदाथथी अकल कि सकत ह। वशकक ववदावथतयो को भाित क दो वभनन मानवचतर उपलबि किा सकत ह, जस भ-आकवतक भागो क मानवचतर औि परमख मदा परकािो क मानवचतर। ववदावथतयो को उनह धयान स दखन औि ववशलषण किन क वलए कहा जा सकता ह। वशकक वफि परिचचात कि सकत ह वक वववभनन कतरो म वववभनन परकाि की मदाए कयो पाई जाती ह। इसक कया समभाववत कािण ह? वशकक ववदावथतयो को समकालीन भाित भाग– 1 औि 2 म वदए गए अनय मानवचतरो की तलना किन औि पिसपि सबधि किन क वलए कह सकत ह (सकत– जलवाय औि फसल; खवनज औि उदोग)।

(A) भाित – भआकवतक भाग (B) भाित – मदा क परमख परकाि

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नोट– दक‍ट-बाकधर कवदाक तयो ि कलए मानकचतरो िो समझन और रलना िरन ि कलए काइल (सपकशति) मानकचतरो िो उपयोग म कलया िा सिरा ह। यह धयान रखना होगा कि काइल मानकचतरो म अतयकधि िानिारी न हो (सिर– िछ ससाओ िस नशनल ऐलस और ीमकि मकपग ऑगननाइिशन न दक‍ट-बाकधर बचचो ि कलए मानकचतरावकलया (ऐलस) बनाई ह। ऐस मानकचतर/मानकचतरावकलया उपलबध न होन पर उनह ऊन, धागो और अनाि ि दानो आकद दारा बनाया िा सिरा ह।)

आिलन– भगोल क मानवचतर महतवपणत उपकिण ह। दी गई गवतवववि स वशकक ववदाथथी का मानवचतर पढन औि वनषकषत वनकालन की योगयता का आकलन कि सकत ह। वशकक दख सकत ह वक कया व वदए गए दोनो मानवचतरो म दी गई जानकािी म सबि सथावपत किन म सकम ह।

वववभनन गवतववविया जो ऊपि दी गई ह, उनह ववदाथथी कका म समह म या अकल कि सकत ह। एक वशकक अपनी कका क वलए सदव सवमोतम पािखी होता/ती ह अत: व इन गवतवववियो को ववदावथतयो क अनरप वडजाइन औि रपातरित कि सकता/ती ह। कका म परिचचातए वशकक को यह जानन म मदद किगी वक ववषय पि वकसी ववदाथथी की कया समझ बनी ह। ववदावथतयो की ववचािो को सपरवषत किन की कमता उनक तकषो स परिलवकत होगी। वशकक यह भी आकवलत कि सक ग वक कया ववदाथथी अपन जान को अपन वदन-परवतवदन क जीवन क साथ जोड पान म सकम ह।

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सझाई गई पठन सामगी

1. समकालीन भाित, भाग-2 (2006), कका X क वलए भगोल की पाठयपसतक, एन०सी०ई०आि०‍टी०, नई वदलली

2. Daugherty Thomas B.(2001) Managing Our Natural Resources, Thomson Learning

3. भाित– ससािन औि कतरीय ववकास (1998), कका XII क वलए भगोल की पाठयपसतक, एन०सी०ई०आि०‍टी०, नई वदलली

4. Morgan Sally (2008), Natural Resources, M. Evans And Company, UK

5. Rees, J. (1985), Natural Resources, Allocation, Economics and Policy, London, Routledge

6. ससािन औि ववकास (2008), कका VIII क वलए सामावजक ववजान की पाठयपसतक, एन०सी०ई०आि०‍टी०, नई वदलली

7. आवथतक ववकास की समझ (2007), कका क वलए अथतशासतर की पाठयपसतक, एन सी ई आि ‍टी, नई वदलली

8. Zimmermann E. W , Peach W. N. , Constantine J. A. (1972), World Resources and Industries, Harper & Row

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रािनीक‍त कवजान

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रािनीक‍त कवजान कशकण

िाजनीवत ववजान म बहत सी “अवनवायतत: वववावदत सकलपनाए” ह। वजनम स अविकाशत: जव‍टल औि समकालीन होन क कािण ववववदासपद ह। य सकलपनाए अधयापको को सकम बनान क वलए सवममवलत की गई ह, तावक व वववकपणत एव सवसथ परिचचात म वशकावथतयो को शावमल कि सक । पाठयपसतक वववभनन समकालीन मदो पि सनदभत या परिपरकषय ववकवसत किन म मदद क वलए सािन मानी जाती ह। वशकावथतयो स अपका की जाती ह वक व परतयक ववषय की जानकािी को मातर समिण किन क बजाय अविािणाओ को समझ औि उनका अनपरयोग कि । उचच पराथवमक सति (कका VI स VIII) पि अपरल 2006 स नागरिक शासतर क सथान पि एक नया ववषय सामावजक औि िाजनीवतक जीवन परािमभ वकया गया। माधयवमक सति (कका IX एव X) पि अपरल 2006 स नागरिक शासतर क सथान पि िाजनीवतक ववजान शर वकया गया।

माधयवमक सति पि ववषय क नाम म नागररि शासतर क सथान पि रािनीक‍त शासतर परिवततन महतवपणत ह। यह परिवततन कवल नाम का ही नही ह विन ववषय कतर क महतव का भी ह। वजस रप म सकलो म लाकतावतरक नागरिकता की वशका दी जाती ह, उस वदशा म य पाठयपसतक परमख बदलाव परसतत किती ह। य पसतक माधयवमक सति पि ही िाजनीवत ववजान ववषय का परिचय परदान किती ह। इनम िाजनीवत ववजान क परमख ववषय कतरो जस- िाजनीवतक वसधिात, भाित सिकाि औि िाजनीवत, तलनातमक िाजनीवत, अतिातषटीय सबि औि लोक परशासन क पहल शावमल ह। इस परकाि ववषय का कायतकतर काफी वयापक औि गहन हो गया ह। इन पाठयपसतको का मखय उदशय वशकावथतयो को अपन िाजनीवतक जगत का बोि किान म मदद किना ह। पिनत िाजनीवत अलगाव म कायतित नही होती। अत: यह आवशयक ह वक हम उस वहद सामावजक जगत का धयान िख वजसम िाजनीवत कायत किती ह। इसवलए लकषय सकली ववदावथतयो म सामावजक चतना का ववकास किना ह।

कका IX औि X की िाजनीवत ववजान की पाठयपसतको म कनदीय ववषय लोकतावतरक िाजनीवत ह । य पसतक लोकततर क झिोखो स समकालीन ववशव की िाजनीवत का परिचय दती ह । य पसतक ववशव क वववभनन भागो म लोकतावतरक औि गि-लोकतावतरक िाजनीवत की तलना उपलबि किाती ह। कका IX की पाठयपसतक ‘‘लोकतावतरक िाजनीवत-1’’ कई उदाहिणो की सहायता स आिवनक लोकततर की वयापक जानकािी दती ह। इसक अधयाय लोकतावतरक िाजनीवत– सिकाि की ससथाओ, अविकािो औि दावयतवो जस वववभनन पहलओ पि चचात कित ह। कका X की पाठयपसतक, ‘‘लोकतावतरक िाजनीवत-2 पररिमो पि क वदत ह औि यह वासतववक जगत म लोकततर की कायत परणाली क उदाहिण उपलबि किाती ह।

य पसतक हमाि सवविान की परसतावना की भावना औि दशतन को समझाती ह औि उनह ववसताि दती ह। सवविान दश का सवमोचच कानन ह औि कानन क वनयम लोकततर की आिािवशला ह। कका X क अधययन की समावपत पि वशकाथथी स इस बात की उममीद की जाती ह वक व हमाि दश क सविावनक मलयो क महतव को समझ पाएग औि भाित क सवविान की मलभत सिचना को भी समझग । परयास ववदावथतयो को मातर यह बताना नही ह वक भाित क सवविान म कया वलखा ह, अवपत यह बताना भी ह वक वासतव म कया हो िहा ह ।

माधयवमक सति पि िाजनीवत ववजान की पाठयपसतको का लकषय वशकको औि वशकावथतयो को वसखान, सीखन औि आकलन पररिम म सवरिय रप स शावमल होन क वलए परोतसावहत किना ह । य पसतक वशकको औि वशकावथतयो को ववषय को पढात समय परासवगक सथानीय ततवो को शावमल किन क भी पयातपत अवसि दती ह।

िाजनीवत ववजान क अनक ववषय (topics) उचचमाधयवमक सति पि अविक गहनता स शावमल वकए गए ह। अत: िाजनीवत ववजान म जान को वयापक औि गहन बनान क वलए एन०सी०ई०आि०‍टी० की वनमनवलवखत पसतको की सहायता ली जा सकती ह:

कका XI की िाजनीवत ववजान की पसतक, भाित का सवविान: वसधिात औि वयवहाि (अपरल 2006)

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कका XI की िाजनीवत ववजान की पसतक, िाजनीवत वसधिात (अपरल 2006)

कका XII की िाजनीवत ववजान की पसतक, समकालीन ववशव िाजनीवत (अपरल 2007)

कका XII की िाजनीवत ववजान की पसतक, सवततर भाित म िाजनीवत (अपरल 2007)

कका XII की इवतहास की पसतक, भाितीय इवतहास क क ववषय भाग-3 (अपरल 2007)

कका XII की सामावजक ववजान की पसतक, भाितीय समाज (अपरल 2007)

कका XII की सामावजक ववजान की पसतक, भाित म सामावजक परिवततन एव ववकास (अपरल 2007)

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“लोि‍ताकतरि और गर-लोि‍ताकतरि सरिार: एि खोि-बीन” िा सपदरण

सककप‍त पररचय

यह माडयल माधयवमक सति क आिभ म वशकावथतयो को लोकततर औि उसस सबवित अविािणाओ स परिवचत किान पि क वदत ह। लोकतावतरक िाषट क नागरिक होन क नात, वशकको औि ववदावथतयो दोनो क वलए यह आवशयक ह वक व लोकततर क वयावहारिक औि सधिावतक पको को जान। उचच परा थवमक सति पि वशकावथतयो का परिचय भाित म लोकतावतरक सिकाि औि समाज क वववभनन लकणो स किाया जाता ह। वजन ववदावथतयो न अभी कका IX म परवश वलया ह, व लोकततर शबद स परिवचत ह। व अकसि लोकततर क बाि म अबावहम वलकन का उदाहिण दत ह– ‘‘लोगो क वलए, लोगो दािा, लोगो की सिकाि।’’

उचच पराथवमक सति पि लोकततर स सबवित बहत सी सकलपनाए दी गई ह। इनम सवविान, गरिमा, भदभाव, वववविता, चनाव, समानता, सवािीनता, सिकाि, नयाय, भागीदािी, परवतवनवितव, उतिदावयतव, अविकाि औि कानन क वनयम शावमल ह। इनम स अविकाश सकलपनाए जव‍टल ह। इन सकलपनाओ को समझन म समय लगता ह।

सभी वशकावथतयो क वलए उचच पराथवमक सति स माधयवमक सति म सवय को बदलना मवशकल होता ह। उनह यह बताना महतवपणत होता ह वक लगभग चाि वषत बाद व मतदान किन क अविकािी होग। वशकाथथी, जो लगभग 14 वषत की आय क ह, अपनी पहचान औि यहा तक वक िाजनीवतक अवभववत बनान की अववि म एक वनणातयक परिवसथवत म होत ह। अत: वशकक को चावहए वक व यवा नागरिको को हमाि सविावनक मलयो को सवीकाि कि औि उन अादशषो का पालन कि, वजनहोन हमाि सवािीनता सगाम को पररित वकया।

कशकण-अकिगम उददशय

• वशकावथतयो को सिकाि क महतव स परिवचत किाना।

• उनह लोकतावतरक सिकाि क परमख लकण समझाना।

• उनम लोकताव तरक औि गिलोकतावतरक सिकािो क बीच अति की समझ ववकवसत किना।

कशकिो िद कलए कटपपणी

एन०सी०ई०आर०टी० की राजनीशत शवजान की पाठरपसतक (लोकताश‍तक राजनीशत) का उपरोग करन वाल शिकषको क शलए-

इस माडयल की ववषय-वसत िाजनीवत ववजान की उन पाठयपसतको की पिक ह। अत: आपस आगह ह वक आप अपनाई गई पधिवत को जानन क वलए पाठयपसतक लोकतावतरक िाजनीवत-1 क वनमनवलवखत भागो को अची तिह दख ल। यह माडयल पाठय पसतक की ववषय वसत का सथान नही ल सकता। पाठयपसतक की ववषय वसत इस माडयल म दोहिाई नही गई ह।

कका IX लोकतावतरक िाजनीवत-1: एक वचटी आपक नाम (पषठ v-vi)

इस पसतक का उपयोग कस कि ? (पषठ vii-ix)

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अधयाय 1 समकालीन ववशव म लाकततर

अधयाय 2 लोकततर कया ह? लोकततर कयो ?

अधयाय 3 सवविान वनमातण

उन शिकषको क शलए जो एन०सी०ई०आर०टी० की पाठरपसतक उपरोग म नही ल रह ह–

यह माडयल लोकततर पि बात किता ह जो माधयवमक सति पि बहत स िाय बोडषो क िाजनीवत ववजान/नागरिक शासतर पाठयरिम का अवनवायत ववषय ह। यह पिक सचनाए उपलबि किाता ह, वजस गवतवववियो की िचना म उपयोग म लाया जा सकता ह। अत: यह आपक क काम आ सकती ह, भल ही आप एन०सी०ई०आि०‍टी० दािा परकावशत पसतक उपयोग न कि िह हो।

शिकषक की आवशरकताए

नए उतपाद क परयोकता क पास क जान औि कौशल होना चावहए तावक उतपाद क उपयोग को परभावी एव दक बनाया जा सक। अत: माधयवमक सति पि िाजनीवत ववजान की पाठयपसतको क उपयोग को उतकष‍ट बनान क वलए यह लाभपरद होगा यवद आपको बीसवी सदी क इवतहास, समकालीन ववशव िाजनीवत औि भाित की िाजनीवत का जान ह।

कशकण-अकिगम ससािन

गलोब, ए‍टलस मानवचतर (िाजनीवतक) (ववशव, एवशया, भाित औि िाय)

दो दवनक समाचाि पतर ( अगजी औि वहनदी/कतरीय भाषा ससकिण)

दो समाचाि पवतरकाए (अगजी औि वहनदी/कतरीय भाषा ससकिण)

दशय-रिवय सामगी (वफलम, वतवचतर, लघवफलम इतयावद)

भाित का सवविान (सवविान क अगजी औि वहनदी ससकिण वब वलक http://indiacode.nic.in/coiweb/welcome.html स परापत (डाउनलोड) वकए जा सकत ह।)

पमख सिलपनाए (कशकण कबद)

A. सरिार िा महतव

परवतवदन सकल आन-जान क समय ववदाथथी कई बातो पि धयान दत ह । सिकाि की भवमका पि परिचचात शर किन क वलए वववभनन सिकािी सवाओ औि ससथाओ (सकल, कॉलज, असपताल, कनदीय/परातीय/सथानीय सिकािो क कायातलय) स सबवित ववदावथतयो क परकणो का उपयोग वकया जा सकता ह।

पररचचाथि िा पारभ – सिकाि क बाि म वशकावथतयो क पवतजान को आकन क वलय वनमन परकाि स परशन प कि परिचचात का आिभ वकया जा सकता ह।

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‘सिकाि’ स आप कया समझत ह?

हम कयो सिकाि की आवशयकता होती ह?

आप अपन जीवन म सिकाि दािा परदत कौन सी ववशष वसतओ औि सवाओ को उपयोग कित ह?

आपक इलाक म कौन स सिकािी कायातलय औि सवाए उपलबि ह?

आप औि आपका परिवाि सिकाि स वकस परकाि परभाववत होता ह?

सिकाि क कायत समाज को वकस परकाि परभाववत कित ह?

समाज सिकाि पि वकस परकाि परभाव डालता ह?

हम अपन वदन-परवतवदन क जीवन म सिकाि की भवमका को कई रपो म दखत ह। सिकाि क वयापक कायत वयवकत क जीवन म जनम स मतय तक जड िहत ह। यह सिकािी ससथाए ही होती ह जो जनम परमाण पतर, वाहन चलान का लाइसस, पासपो‍टत, वववाह परमाणपतर, मतय परमाण पतर जस दसतावज जािी किती ह। वततमान समय म वासतव म यह कलपना किना ही कवठन ह वक कोई समाज वबना सिकाि क भी हो सकता ह। सभवत: वततमान ववशव म सोमावलया ही एक अकला िाषट ह जो सिकाि ववहीन ह। इस िाषट की 1991 स परभावी रप स कोई सिकाि नही ह औि परिणाम सवरप यह अिाजकता औि वहसा का सथल बन गया ह।

गक‍तकवकि

ववदावथतयो को भाित औि ववशव क अनय भागो की सिकाि क कायषो औि पदाविकारियो, अविकािो क उललघन औि सिकण, भाित औि ववशव क अनय भागो क चनावो क बाि म समाचाि पतर की कतिन इकटी किन क वलए कहा जा सकता ह। वह इसका एक कोलाज (समवचचत वचतर) तयाि कि सकत ह औि उस कका म परदवशतत कि सकत ह।

B. सरिार िद लोि‍ताकतरि सवरप िद पमख लकण

• जनता क दािा चन गए परवतवनवियो क पास अवतम रप स वनणतय लन की शवकत होती ह।

• जनता क परवतवनवियो का वविानमडल (ससद औि वविानसभाओ) म चयन सवततर, वनषपक औि वनयवमत चनावो म माधयम स होता ह। व कानन बनात ह। एक लोकतावतरक सिकाि शावसत लोगो की सहमवत पि आिारित होती ह।

• िाजनीवतक समानता सावतभौवमक वयसक मताविकाि (एक वयवकत, एकमत, एक मलय) स सकवतत होती ह।

• वववि का शासन का वसधिात लोकततर का कनदवबद ह। इसका अथत ह कानन क समक समानता। वववि का शासन वयवकत या वयवकतयो क वनयम (तानाशाही) स बहति माना जाता ह।सवविान को वकसी दश क बवनयादी वनयम क रप म जाना जाता ह।

• अविकाि लोकततर क वनमातण-सतभ (Building blocks) होत ह। लोकतावतरक सवविान सिकाि की शवकतयो को वनयवतरत किता ह। यह नागरिको क मलभत मानवाविकािो का उललख कित हए उनह सवनवशचत भी किता ह। क अविकाि अनय अविकािो को बल परदान कित ह, औि इस परकाि लोकततर को सशकत बनात ह। वो‍ट दन का अविकाि (18 वषत स अविक आयवगत क वलए), सचना का अविकाि (आि०‍टी०आई०), वशका का अविकाि (आि०‍टी०ई०) क परमख अविकाि ह।

वदतीय ववशव यधि क बाद स लोकततर का ववसताि हो िहा ह। इस परिघ‍टना क कई कािण ह । लोकततर सिकाि का एक बहति सवरप ह, कयोवक यह अविक उततिदावयतव वाली सिकाि ह; यह वनणतय लन की गणवता म सिाि किती ह; यह ववशष रप

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स वववविता पणत समाजो म वववादो का शावतपणत तिीक स समािान किती ह औि नागरिको की गरिमा बढाती ह।

C. सरिार िद लोि‍ताकतरि और गर-लोि‍ताकतरि सवरप

सिकाि क वववभनन सवरप कया ह ? मो‍ट तौि पि सिकाि क दो सवरप ह– लोकतावतरक औि गि-लोकतावतरक। गि-लोकतावतरक सवरपो म िाजततर, तानाशाही औि िमतततर शावमल ह। वकसी समाज म सिकाि को दी गई महतवपणत भवमका क कािण सिकाि क सवरप का नागरिको क जीवन पि बहत परभाव पडता ह। आइए, लोकतावतरक सवरपो क बाि म पता लगात ह। चवलय अब ववशव क वववभनन भागो म लोकतावतरक औि गि-लोकतावतरक सवरपो वाली सिकाि का पता लगात ह।

मानकचतर गक‍तकवकि

परािवभक कायत क रप म, ववदावथतयो स कहा जा सकता ह वक व ववशव क मानवचतर म वनमनवलवखत 24 दशो औि 8 साकत (SAARC) सदसय दशो को वचवनित कि। यह गवतवववि कका म की जा सकती ह तावक उसम सभी ववदाथथी भाग ल औि सीख।

कवशव मानकचतर (महाविीप)

सोत: http://www.freeworldmaps.net/continents/

अरिीका (5): घाना, नाइजीरिया, सोमावलया, दवकण अरिीका, वजमबाव

अमरिका (5): बाजील, वचली, कनाडा, मवकसको, य०एस०ए०

एवशया (7): चीन, इडोनवशया, इिाक, जापान, मयामाि, वफलीपीस, सउदी अिब

यिोप (7): रिास, जमतनी, इ‍टली, पोलणड, रस, वसव‍टजिलड, य०क०

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यह मानवचतर-गवतवववि ववदावथतयो को इन िाषटो औि इनक पडोवसयो क बाि म जानन म मदद किती ह। व भाित क सदभत म इन दशो की वसथवतया दखत ह औि इस परकाि उनका दवष‍टकोण वयापक बनता ह।

एन०सी०ई०आि०‍टी० की कका IX की पाठयपसतक ‘लोकतावतरक िाजनीवत-1’ क पहल दो अधयाय वशकावथतयो को ववशव भि म लोकततर क खोजपिक भरमण पि ल जान का परयास कित ह। य अधयाय ववववि सतिो पि नयाय क वलए हए वववभनन सघषमो पि परकाश डालत ह । व ववशव क वववभनन भागो म लोकततरीकिण क वलए आदोलनो औि भदभाव क ववरधि आदोलनो पि क वदत ह। भाित क इवतहास को ववशव क इवतहास स पथक िखकि नही पढा जा सकता। इसी परकाि भाित की सिकाि औि िाजनीवत को तभी बहति तिीक स समझा जा सकता ह, जब हम उनह समकालीन ववशव की िाजनीवत क सदभत म दख। अत: वजस सदभत म इन दशो का उललख पाठयपसतको म वकया गया ह उसक वलए कम स कम उन दशो की िाजनीवतक पषठभवम का जानना उपयोगी होगा । यह भी उपयोगी होगा वक आप उनक वततमान घ‍टनारिम क बाि म अपनी जानकािी ताजा कित िह औि उसकी तलना पाठयपसतक म दी गई ववषय-वसत स कि।

एन०सी०ई०आि०‍टी० की कका IX की इवतहास की पाठयपसतक ‘भाित औि समकालीन ववशव-1’ वववभनन घ‍टनाओ औि परवरियाओ जस (1) रिासीसी रिावत; (2) यिोप म समाजवाद औि रसी रिावत; तथा (3) नाजीवाद औि वह‍टलि का उदय की चचात किती ह। य नयाय, सवािीनता, समानता औि भराततव क लोकतावतरक मलयो क वलए मानव सघषमो क बाि म अविक गहिाई स समझन क वलए आवशयक ऐवतहावसक पषठभवम उपलबि किाती ह।

हम सकलपनाओ क बाि म वनगमनातमक (deductive) औि/या आगमनातमक (Inductive) पधिवतयो दािा सीखत ह। कका IX औि X की पाठयपसतक मखय रप स आगमनातमक पधिवत का अनसिण किती ह। अत: बहत स अधयाय वववशष‍ट स शर होत ह औि अमतत/ सामानय की ओि बढत ह। कस अधययन वववि का उपयोग कित हए अधयाय-1 ववशव क दो वभनन भागो स ली गई लोकततर की दो कथाओ स परािमभ होता ह। पहली कथा वचली (दवकण अमरिका) औि दसिा पोलड (पवथी यिोप) स ह । दोनो ही 1970 औि 1980 क दशको की वासतववक कथाए ह । य वासतववक परसग ह पित अपरिवचत सदभषो स। भाित क ववदावथतयो क वलए दोनो ही दिी औि समय की दवष‍ट स दि ह । इसवलए हम इन दो कथाओ स वशकावथतयो को िीि-िीि अवगत किाना होगा। वचली जनसखया क वहसाब स वदलली क समतलय ह (लगभग 180 लाख) औि पोलणड की जनसखया (लगभग 380 लाख) वदलली की जनसखया स लगभग दो गनी ह। वदलली की अपका, वजस िाय म इस माडयल को उपयोग म वलया जा िहा ह, उस िाय की जनसखया स भी इसकी तलना की जा सकती ह।

इन दो अधययनो क माधयम स ववदाथथी वासतववक दवनया म सिकाि क लोकतावतरक औि गि-लोकतावतरक सवरपो की कायतपरणाली क बाि म जानकािी परापत कि सकत ह। बाद म ववशव क वववभनन भागो की वसथवतयो की तलना भाित म लोकततर की कायत परणाली स कि सकत ह। सिकाि क वववभनन सवरपो क उदाहिण सवरप आस-पास क दशो जस-अफगावनसतान, बागलादश, भ‍टान, नपाल, पावकसतान, रिीलका (सभी साकत सदसय), चीन औि मयामाि क उदा हिण भी वदए जा सकत ह।

समह पररयोिना

यह समह परियोजना जाच पधिवत (inquiry approach) का अनसिण कि सकती ह । इस परियोजना पि कायत किन क वलए ववदावथतयो क चाि समह (अरिीका, अमरिका, एवशया औि यिोप) बनाए जा सकत ह। परतयक समह म 10 ववदाथथी िख जा सकत ह।

जाच म मागतदशतन क वलए दो परमख परशन ह– सिकाि क अनय सवरपो की तलना म लोकततर कयो बहति माना जाता ह ? अच लोकततर क कौन स गण होत ह ? इन मागतदशतक परशनो को धयान म िखत हए समहो को दवकण अरिीका, वचली, मयामाि औि पोलणड क अनभवो की जाच किन औि उनकी परोफाइल (पारतवचतर) तयाि किन क वलए कहा जा सकता ह। परतयक समह को इन िाषटो म स ला‍टिी क आिाि पि एक िाषट जाच हत वदया जा सकता ह। बहति होगा वक यह परियोजना गीषमावकाश शर होन स पहल द दी जाए । अत: परतयक समह को अपनी परियोजना पिी किन क वलए एक माह स अविक

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समय वमलगा। परतयक समह इस ववषय पि पोस‍टि तयाि कि सकत ह वक इनम स परतयक िाषट क नागरिको का जीवन लोकततर की उपवसथवत या अनपवसथवत स वकस परकाि परभाववत हआ । व तलनातमक ढग स लोकततर की सकलपना पि अपन ववचाि वयकत कि सकत ह। लोकततर क परमख लकणो पि परिचचात कित समय इन चाि उदाहिणो का सदभत वनयवमत रप स वदया जा सकता ह। इन परियोजनाओ स ववदाथथी जो क सीखत ह, वह उनह भाित म लोकतावतरक िाजनीवत को समझन म मदद परदान किगा।

परसताशवत गशतशवशिरा (वरशतिगत/सामशहक)

ववदाथथी दािा वववभनन परकाि की गवतवववियो का वशकक आकलन (teacher assessment), सव-आकलन (self assessment) औि साथी दािा आकलन (peer assessment) सबिी वववभनन परकाि की गवतवववियो दािा वनयवमत रप स उनकी परगवत का मापन वकया जा सकता ह।

पररयोिना-1 भाितीय िाजनीवतक ततर की जव‍टलताओ को समझन क वलए अनय िाषटो की िाजनीवत को जानना उपयोगी होगा। वववभनन िाषटो क नता भाित आत ह औि भाितीय नता भी इन दशो म जात ह। ऐस समय म उनह मीवडया म वयापक रप स वदखाया जाता ह। ववदाथथी मानवचतर गवतवववि म पहल बताए गए िाषटो की सिकािो औि िाजनीवत सबिी एक सवकपत परोफाइल (लगभग 500 शबद) तयाि कि सकत ह। व पतर-पवतरकाओ स इन िाषटो क बाि म जानकािी भी परापत कि सकत ह औि इनकी चचात कका म कि सकत ह।

पररयोिना-2 इस पाठयपसतक म ववशव क वववभनन भागो म वनमनवलवखत परमख वयवकतयो का उललख वकया गया ह। इनम स क वयवतियो का उललख अनय ववषयो की पसतको म भी वमलता ह। इन वयवकतयो क जीवन औि कायतकाल क बाि म जानना उपयोगी होगा। इनम स अविकाश को मातर इवतहास की पसतको तक सीवमत नही िखा जा सकता, कयोवक उनक ववचािो औि कायमो न वततमान ववशव क वनमातण को काफी सीमा तक परभाववत वकया ह। ववदावथतयो स इन वयवकतयो क सवकपत परोफाइल औि पोस‍टि बनान तथा उनह कका म परसतत किन क वलए कहा जा सकता ह।

लोकततर औि अविकािो क वलए वववभनन नताओ क सघषत ववसमयकािी रप स परिणादायक ह। ववदाथथी अबाहम वलकन (य०एस०ए०), ऑनग सन स कयी (मयामाि), लक वालशा (पोलणड), वमशल वशल (वचली) औि नलसन मडला (दवकण अरिीका) जस नताओ क योगदान पि पोस‍टि तयाि कि सकत ह। इनम स क को नोबल शावत पिसकाि भी वमल चका ह।

समकालीन ववशव न जनिल ऑगसतो वपनोश (वचली), फडथीनद माकमोस (वफ लीपीनस), सदाम हसन (ईिाक) औि जनिल सानी अबाका (नाइजीरिया) जस वनिकश नताओ क शासन को भी दखा ह। ववदावथतयो स कहा जा सकता ह वक व इन दशो म इन तानाशाहो क समय म लोगो को हए कष‍टो क बाि म पता लगाए।

पररयोिना-3 इस पाठयपसतक म वनमनवलवखत घ‍टनाओ औि ससथाओ का उललख ह। इनक समपणत ववशव म सशकत परभाव क कािण इनक बाि म जानना उपयोगी ह। अत: ववदावथतयो स कहा जा सकता ह वक व इन घ‍टनाओ औि ससथाओ का सवकपत परोफाइल औि पोस‍टि तयाि कि तथा कका म इनका परसतवत द।

घटनाए

अमिीकी रिावत औि सयकत िाषट अमरिका क सवविान का वनमातण, भाितीय िाषटीय आदोलन औि भाितीय सवविान का वनमातण, सयकत िाषट अमरिका म नागरिक अविकाि आदोलन, पोलणड म सावलडरि‍टी आदोलन, सोववयत सघ का ववघ‍टन, दवकण अरिीका का िगभद वविोिी सघषत औि परजातावतरक सवविान का वनमातण, नपाल म परजाततर आदोलन औि सवविान वनमातण, 2001 स अफगावनसतान औि ईिाक म यधि।

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ससाए

सयकर रा‍टटर (UN), अररात‍टटरीय मदा िोश (आई०एम०एि०), कवशव बि

पररयोिना-4 सिकाि समाज क सवदनशील (Vulnerable) वगमो क लाभ क वलए कानन बनाती ह। ससद दािा बनाया गया इस परकाि का एक कानन वन:शकतता जन (समान अवसि, अविकािो का सिकण औि पणत भागीदािी) अविवनयम, 1995 ह। इस वनयम म सशोिन वकया जा िहा ह। पता लगाए वक आपक कतर (ववदालय/आस-पडोस) म वकतन परभावपणत तिीक स इसका वरियानवयन हो िहा ह।

दशय-शरवय सामगी िा उपयोग

1. वफलम Beyond Rangoon (1995) USA.

यह वफलम मयामाि (बमात) म सवनक शासन क ववरधि खड हो िह लोकततर क पक म 8888 (8 अगसत 1988) की पषठभवम म बनाई गई थी। इस आि (R) की िव‍टग दी गई कयोवक यह वहसक िाजनीवतक दमन को परदवशतत किती थी। (अववि 102 वमन‍ट)

यह वफलम वनमनवलव खत वब वलक स परापत (डाउनलोड) की जा सकती ह–

http://www.youtube.com/watch?v=z2tWpplmk

वफलम वदखान क तित बाद ववदावथतयो को परशन ‘मन वफलम स कया सीखा?’ क उति क रप म एक वलवखत कायत (assignment) दन क वलए कहा जा सकता ह। इस परकाि का कायत दन स वशकावथतयो को अपन आप को परिलवकत (reflect) औि वयकत (express) किन क अवसि परापत होत ह। व बहतति ववशव क साथ इस ववषय वसत को जोड सकत ह। इसक माधयम स ववदावथतयो क लखन कौशलो का आकलन वकया जा सकता ह।

2. वत-वचतर (Documentry): Aung San Suu Kri– The Choice (2012).

यह बी०बी०सी० का वतवचतर ह। (समयाववि– 59 वमन‍ट)

Web link: http://www.bbc.co.uk/programmes/b0lnzwfw(or)

Web link: http://www.youtube.com/watch?v=1_IjNKT_T50

3. लघ वफलम– suffragette Emily Davison Killed – 100th Anniversary (समयाववि – 7 वमन‍ट)

मवहलाओ क वलए मतदान का अविकाि परापत किन क वलए मवहला मताविकाि आदोलन (women's suffrage movement) न परमख भवमका वनभाई। वब‍टन म ‘वो‍टस फॉि ववमन’ अवभयान क दौिान 4 जन 1913 को एवमली डववसन न अपना जीवन नयौावि कि वदया। उस वदन कया हआ यह वनमनवलवखत वबवलक पि दखा जा सकता ह– http://www.youtube.com/watch?u=-G4fJ9I_wQg । ववशव क अलग-अलग भागो म लोकतावतरक आदोलनो म वववभनन वयवकतयो औि घ‍टनाओ क बाि म बहत सी वफलम, वत-वचतर औि वीवडयो आनलाइन उपलबि ह। य सब ववदावथतयो को वदखाए जा सकत ह, पिनत यह सब इस बात पि वनभति किता ह वक ववदालय म आवशयक ससािन उपलबि हो।

समाचार पतरो िा उपयोग

पाठयपसतको का सामानयत: हि वषत अदतनीकिण (update) नही होता। पिनत जब ववषयवसत वततमान इवतहास क मामलो स सबवित हो तो उसका अदतन वकया जाना चावहए। िाजनीवत एक गतयातमक परिघ‍टना होन क कािण वनिति परवाह की

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अवसथा म िहती ह। उदाहिण क वलए वपल दशक म मयामाि, नपाल औि पावकसतान म परिवसथवत काफी परिववततत हई ह। पाठपसतको म वदए िाषटो म हाल ही म हए परिवततनो क बाि म ववदावथतयो को ताजा जानकािी दन क वलए समाचािपतरो औि पवतरकाओ का उपयोग वकया जा सकता ह। य अवतरिकत ववषय-सामगी भी उपलबि किाती ह। एन०सी०एफ०-2005 क परथम वसधिात, ‘जान को ववदालय क बाहि क जीवन स जोडना’ क सदभत म मीवडया का ससािन क रप म उपयोग भी महतवपणत ह।

उदाहिण क वलए, वनमनवलवखत लख मयामाि म लाकततर क वलए आदोलन का एक सवकपत परिचय दता ह। मयामाि म ववदावथतयो का सवनक शासन क ववरधि खडा होना 8 अगसत, 1988 (8.8.88) स परािमभ हआ। यह लख इस आदोलन क 25वी जयती पि परकावशत हआ। सभी ववदावथतयो स ऐस वकसी एक लख को पढन क वलए कहा जा सकता ह। उनह ववषय-वसत पि ववमशत किन औि अपन ववचािो पि कका म चचात किन क वलए भी परोतसावहत वकया जा सकता ह।

मयामार िद कलए चार-आठ नवीन मागथि (A New Route Four Eight for Mayanmar)

नदीपाओ किपिन, 8 अगसर 2013, कहनद

(Nehginpao Kipgen, 8 August, 2013 The Hindu)

मयामाि क ऐवतहावसक 8888 आनदोलन की 25 वी सालवगिह यागन म 6 स 8 अगसत तक मनाई गई। यह घ‍टना अब 88 की पीढी क नाम स जानी जान वाल ातरो क समह क नततवकतातओ दािा आयोवजत की गई औि वजसक वलए आम जनता स चदा वलया गया।

यह कायतरिम समिणोतसव क साथ-साथ एक उतसव भी ह। यह जनिल न ववन क शासन क ववरधि 1988 क ववदावथतयो क नततव वकए गए ववदोह म माि गए नायको का समिण ह। यह उतसव ह, कयोवक ऐसा पहली बाि हआ वक सिकाि न एसा समिणोतसव मनान की अनमवत दी, जो दश म रिवमक लोकतावतरक सिािो का साकी ह।

इसस पहल क वषमो म मयामाि म यह कायतरिम आयोवजत किना असमभव था। मातर ‘88’ बोलना आपको सलाखो क पी ल जा सकता था। यह कवल वनवातवसत या परवासी मयामारियो दािा दश क बाहि मनाया जा सकता था।

ीम (कवरयवस‍त)

तीन वदन क कायतरिम न दश क समभाववत भावी नताओ को दखा वजनम 88 पीढी क नता भी शावमल थ, जो इकट हए औि उनहोन िाजनीवतक िणनीवतयो पि चचात की। इसकी ववषयवसत शावत औि िाषटीय पनवमतलन ह। आयोजको न परिचचात म भाग लन क वलए वववभनन जीवनशली क लोगो का बलाया, वजनम जातीय अलपसखयक औि व लोग थ वजनहोन 1988 क ववदोह म भाग नही वलया।

यह चाि आठ (8888) आदोलन क ऐवतहावसक महतव क बाि म, यह कस शर हआ इस बाि म औि उस ववनाशकािी वदन वासतव म कया हआ, क बाि म यवा पीढी को वशवकत किन का अवसि ह।

न ववन दािा क मलयवगत की मदा को अचानक बद किन, वजसन लोगो की बचत को नष‍ट कि वदया, क ववरधि दश भि म हए ववदावथतयो क आदोलनो क क माह बाद, 8 अगसत, 1988 की सबह आदोलनकािी सडको पि

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उति आए औि िगन म वस‍टी स‍टि तक पदल चल। परदशतनकारियो औि सवनको का आमना-सामना हआ, वफि झडप हई जो क वदनो तक चलती िही। परदशतनो को सवनक शासको न बिी तिह कचल वदया।

मिन वालो की सही सखया जात नही, पिनत एक अनमान क अनसाि लगभग 3000 लोग माि गए, वजनम स अविकाश ातर थ। बहत सी अनय मागो क साथ, आदोलनकािी एक-दलीय शासन क सथान पि बह-दलीय शासन की माग कि िह थ। लोग लोकतावतरक सिकाि क साथ एक नई शरआत किना चाहत थ।

मयामाि की आज की अविकाश िाजनीवत 8888 क ववदोह स परािमभ हई। इस ववदोह क नता जनिल न ववन को तयागपतर दना पडा, वजसन 1962 म शासन परिवततन कि सता पि कबजा वकया था औि उसकी बमात सोशवलस‍ट परोगाम पा‍टथी का अत हआ वजसम पवत-सवनक अविकािी थ औि वजसक माधयम स उसन एक-दलीय शासन को सथावपत वकया था। उसक तयागपतर स लोकतावतरक सिािो की आशा तो नही बिी, पिनत वसतमबि 1988 म एक औि सवनक शासन परिवततन हआ। इस बाि सिकाि स‍ट‍ट लॉ एणड आडति िस‍टोिशन काउवसल (िाय कानन औि वयवसथा पनतसथापन परिषद) कहलाई । वषत 1989 म दश का नाम बमात स मयामाि औि िाजिानी िगन का नाम यागोन हो गया।

अगसत क ववदोह क साथ ही आग सान स कयी का िाजनीवत म परवश हआ। उस समय अपनी बीमाि मा की दख-भाल किन क वलए इगलड स मयामाि आन पि व आदोलनो की ओि आकवषतत हई औि जनिल आग सान (वजसन वबव‍टश शासन स बमात को सवततर किान क वलए लडाई लडी) की पतरी क रप म उनह तित ही नता क रप म सवीकाि कि वलया गया।

जब आदोलन को दबा वदया गया, तो हजािो बमात वनवासी आस-पडोस क दशो म भाग गए। क भागयशाली थ जो यिोप औि उतिी अमरिका पहच पाए। पिनत अविकाश न अपना जीवन भाित-बमात औि थाई-बमात सीमाओ क वनक‍ट जगलो म या शिणाथथी वशवविो म वबताया। बहत स यवाओ (अविकाश ातरो न) या तो नए सनय समह बना वलए या पहल स सथावपत सनय समहो (जस किन नशनल वलबिशन अामथी, कावचन इवडपड‍ट आमथी औि शान स‍ट‍ट आमथी) स जड गए।

8888 आदोलन 1990 क चनावो म परिणत हआ। यह तीन दशको म होन वाला पहला सवततर चनाव था, वजस आग सान स कयी क नततव म नशनल लीग फॉि डमोरिसी (एन०एल०डी०) न जीता, पिनत परिणाम को मानयता परापत नही हई।

1989 का वषत, लगभग दो दशको का परािमभ था वजसम स कयी को नजिबद वकया गया, क समय क वलए ोडा गया औि वफि घि पि नजिबद कि वलया गया।

भावी रणनीक‍त

यवद वततमान लोकततरीकिण परवरिया पल‍टती नही ह, तो मयामाि को सथायीतव परापत किन क वलए यवद क दशक नही तो कई वषत लग जाएग।

इसीवलए यह महतवपणत ह वक 8888 की सालवगिह को एक उतिदायी, लोकतावतरक समाज बनान की वदशा म लोगो को गवतशील किन क वलए यवा पीढी दािा उपयोग म लाया जाए। परजातीय समदायो क मधय सबिो को सिािन क वलए शावत सथापना को सबस वनचल सति स शर किना चावहए।

मयामाि म 2014 म होन वाली जनसखया गणना औि 2015 म आम चनाव को धयान म िखत हए, 88 पीढी क ातर नताओ क वलए यह बहत आवशयक ह वक जातीय बमातवावसयो औि उस समय क सीमावतथी लोगो क बीच लडखडात सबिो को दढ बनाया जाए औि सिािा जाए।

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यह कायतरिम सदढ नागरिक समाज सगठनो क वनमाणत की शरआत का सकत हो सकता ह जो लोकतावतरक दढीकिण क वलए आवशयक वबद ह। 88 पीढी क नताओ को ऐसी गवतवववियो को परोतसावहत किन म लग जाना चावहए जो सभी नागरिको की समानता औि बहसखयक-अलपसखयक सबिो को सदढ किन म परयासित हो।

दि-सवि, सिकाि को भी इस वदन क महतव का अनभव होगा।

(नघीपाओ वकपजन, अमरिका म ककी इ‍टिनशनल फोिम क महा सवचव ह)

सोर:http://www.thehindu.com/opinion/op-ed/a-new-route-four-eight-for-myanmar/article5000201.ece?ref=relatedNews

समदकि‍त आिलन

इस ववषय की समझ क सति को वनमनवलवखत दीघत उततिीय परशनो की मदद स आका जा सकता ह–

• लोकततर को सिकाि क अनय सवरपो स बहति माना जाता ह। कया आप इसस सहमत ह? तकत सवहत उति द।

• परजातावतरक सिकाि की अनपवसथवत म कया होता ह? उदाहिण दीवजए।

• उदाहिण दकि लोकततर क परमख लकणो को सपष‍ट कीवजए।

• ‘भाित म लोकतावतरक सवरप की सिकाि ह। वयाखया कीवजय।’

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पस‍ताकव‍त पठन सामगी

1. एन०सी०ई०आि०‍टी०, कका XI, िाजनीवत ववजान, भाित का सवविान- वसधिात औि वयवहाि

2. एन०सी०ई०आि०‍टी०, कका XI, िाजनीवत ववजान, िाजनीवतक वसधिात (अपरल 2006)

3. एन०सी०ई०आि०‍टी०, कका XII, िाजनीवत ववजान, समकालीन ववशव िाजनीवत (अपरल 2007)

4. एन०सी०ई०आि०‍टी०, कका XII, िाजनीवत ववजान, सवततर भाित म िाजनीवत (अपरल 2007)

5. एन०सी०ई०आि०‍टी०, कका XII, सामाजशासतर, भाितीय समाज (अपरल 2007)

6. एन०सी०ई०आि०‍टी०, कका XII, सामाजशासतर, भाित म सामावजक परिवततन एव ववकास

7. (इन पसतको को यहा स डाउनलोड वकया जा सकता ह- http://ncert.nic.in/NCERTS/textbook/textbook.htm)

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“लोि‍ततर िो चनौक‍तया” िा सपदरण

सककप‍त पररचय

लोकततर हमािी सामावजक-िाजनीवतक बातचीत म अकसि दोहिाया जान वाला शबद ह। सभी परकाि क मद औि तकत लोकततर को एक कसौ‍टी क रप म सदवभतत कित ह। यह कवल हमाि अपन दश तक सीवमत नही ह। अतिातषटीय परिचचातए, िाजनवयक बातचीत औि गवतवववियो म अकसि लोकततर, लोकतावतरक, अलोकतावतरक, इतयावद शबदो का उललख होता ह। इसक अवतरिकत, लोकतावतरक दश का नागरिक होन क नात, वयवकत को अपन कततवयो क साथ-साथ अपन अविकािो क परवत भी जागरक होना चावहए। िायवयवसथा क लोकतावतरक कायषो क वलए भी यह आवशयक ह वक वह दढता स आग बढ औि समय क साथ उनम सिाि हो। उपयतकत सभी कािणो स हमाि वशकको औि ववदावथतयो को िाषटीय औि अतिातषटीय सदभत म लोकततर क वसधिात औि अभयास क बाि म पयातपत जान होना चावहए। इसक वलए आवशयक ह वक वयवकत को लोकतावतरक तानाशाही लकणो म ववभद किन म सकम हो। आज ववशव म लोकतावतरक औि तानाशाही शासन ततर साथ-साथ चल िह ह। अत: इस परकाि क तलनातमक अधययन की वयावहारिक परासवगकता भी ह। यह अभयास लोकततर क कनदीय लकणो को भी सपष‍ट किगा। लोकततर की चनौवतयो क बाि म सही परकाि स सीखना इस अभयास का एक अवभनन (inalienable) भाग ह। भीतिी औि बाहिी चनौवतया वववभनन रपो म वववभनन दशो म चनौवतया, आबादी क वववभनन वगषो क सामन खडी समसयाए, ववशष रप स मवहलाए, कमजोि वगत,अलपसखयक औि हावशय का समह, इन सबको समान ढग स औि अलग ढग स वकस परकाि लोकततर अथतपणत लगता ह- यह सब उवचत परिपरकषय म समझा जाना चावहए। तभी लोकततर की चनौवतयो पि साथतक समझ बन सकती ह।

कशकण-अकिगम उददशय

‘लोकततर की चनौवतयो’ का सपरषण कित समय वशकको को वनमनवलवखत वबदओ को धयान म िखना चावहए:

- लोकततर औि तानाशाही म भद कस कि।

- हमाि औि अनय िाषटो म लोकततर को वकन चनौवतयो का सामना किना पडता ह।

- वयवहाि म लोकततर वकस परकाि बहति औि परभावी हो सकता ह।

पमख सिलपनाए

A. लोि‍ता कतरि और ‍तानाशाही

सामानय रप स लोकततर सिकाि क एक ऐस ततर को दशातता ह वजसम लोगो दािा चन गए परवतवनवि उनकी तिफ स काम कित ह। ऐस परवतवनवि एक अववि क वलए चन जात ह औि इस अववि क समापत होन पि उनह बन िहन क वलए मतदाताओ की पन: सवीकवत लनी पडती ह। यह ततर मलरप स िाजनीवतक कायषो अथातत िाय क मामल औि जडी हई गवतवववियो स सबवित होता ह। पिनत, इसी परकाि का ततर वववभनन गि-िाजनीवतक गवतवववियो औि ववशवभि म लाग वकया जाता ह। उदाहिण क वलए समाज सवा सगठन, शवकक वशववि, िाहत कायत, सासकवतक कायतरिम इतयावद।

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गक‍तकवकि- एि िकतरम (Mock) सरिार िा गठन

वशकक कका म एक कवतरम सिकाि का गठन कि सकत ह, वजसम बचचो क वलए, बचचो दािा औि बचचो की सिकाि हो। वशकक इस परकाि की कका- सिकाि क सवरप, ववषय औि कायषो को तय किन क वलए सवय ववदावथतयो को अनमवत द सकत ह। सतािािी दल की भवमका वनवातह क वलए 15 ववदावथतयो क एक समह को, औि वविोिी दल की भवमका क वलए 10 ववदावथतयो क समह का चयन वकया जा सकता ह। शष कका परकको क रप म कायत कि सकती ह औि अपनी व‍टपपवणया द सकती ह। कवतरम सिकाि चनाव की परवरिया शर किक आग बढती ह, वजस एक ना‍टक का रप वदया जा सकता ह। सतािािी दल क क ववदाथथी सकल म वववभनन कायषो क परभावी मवतरयो की भवमका वनभा सकत ह, जबवक वविोिी अनपयकत/गलत काितवाइयो की आलोचना कि सकत ह औि सही तिीक सझा सकत ह। परकक सतािािी दल औि वविोिी दल क कायषो पि िचनातमक तकत द सकत ह। वशकक की भवमका सपणत सपरषण (transaction) म एक पयतवकक की होगी। ना‍टक की समावपत पि वह गवतवववियो का ववशलषण किग, वजसस व िाजनीवतक लोकततर म सिकाि क लोकतावतरक तिीको की झलवकया दग, यदवप यह वासतववक रप म उसस कही अविक होता ह वजतना वक वजस कका म ना‍टक क रप म वदखाया जा सकता ह।

वजन मापदणडो दािा परजातावतरक सिकाि की पहचान होती ह उसम एक परवतवनवि सभा होती ह जो मतदाताओ की इचाओ को उपयकत काननो का रप दती ह, एक कायतकारिणी जो सवयववसथत रप स काननो का कायातनवयन किती ह उसम यह सब शावमल ह- एक सवततर नयायपावलका यह दखन क वलए वक कानन लाग होत ह औि वकसी भी परकाि क वववादो का वनप‍टािा कित ह; सभी नागरिको को सवततर रप स बोलन का अविकाि; वनषपक औि वनवशचत अववि क बाद चनाव; सामावजक, शवकक, सासकवतक, आवथतक या िाजनीवतक उदशयो क वलए लोगो को सघ बनान का अविकाि; औि वबना भदभाव क, समाज क सभी वगषो को सामावजक औि िाजनीवतक जीवन म भाग लन क वलए परोतसाहन किन क वलय।

दसिी ओि, जहा लोगो का सिकाि पि या नीवत वनमातण पि कोई अविकाि नही होता, ऐसी सिकाि तानाशाह कहलाती ह। असामानय रप स ऐसी सिकाि एक दलीय शासन स पहचानी जाती ह। सवनक तानाशाही या िमततावतरक वयवसथाए इसक क अनय महतवपणत रप ह। यहा दश क नागरिको को सिकाि चनन का कोई अवसि नही वमलता। क दशो म चनाव होत ह, पिनत व सतादल क उममीदवािो को मानयता दन की औपचारिकता भि होत ह। ऐस दशो म वकसी भी सगवठत िाजनीवतक वविोिी दल क गठन की अनमवत नही होती। जब सतावादी शासन वकसी ववचाििािा की वकालत किता ह वजस समाज अपन जीवन क सभी पहलओ म अपनान क वलय बाधय होता ह ऐसी यह शासन पधिवत सवतसतावादी कहलाती ह। इसका अथत ह दश क नागरिको क जीवन पि पणत वनयतरण। अभी हाल ही क इवतहास म नाजी शासन म जमतनी औि स‍टावलन काल म सोववयत सघ सवतसतावादी शासन क उदाहिण थ।

B. लोि‍ततर िो चनौ‍ती िब?

सामानय तौि पि यह परतीत होता ह वक इस परकाि का ततर सबक दािा सवीकायत औि अपनाया जाना चावहए। वासतव म ‘लोकतावतरक’ शबद लमब समय स एक सामानय ववशषण बन गया ह। आज वकसी को ‘अलोकतावतरक’ कहना उस पि भािी दोष मढना ह, वजसका पराय: तित वविोि होता ह। इस परकाि लोकततर एक िाजनीवतक औि सामावजक ससथा क ततर क रप म इतन वयापक रप स लोकवपरय ह वक इस वकसी भी परकाि ‘चनौती’ एक बतका ववचाि लगगी। यवद कोई चीज मानवजावत म इतनी मानय, इतनी आकषतक औि इतनी वयापत ह तो वकन वसथवतयो म इस चनौती कहा जा सकता ह।

परशन महतवपणत ह, कयोवक एक आदशत क रप म लोकततर की वयाखया वववभनन परकाि स की गई ह। यदवप लोकततर को िाजनीवतक सगठन क वलए एक पधिवत क रप म सवीकाि कि वलया गया ह, पिनत इसक अथत औि ऊपि वदए गए मापदणडो क लकणो पि कोई सवतमानय सहमवत नही ह। सवािीनता, समानता औि नयाय क वसधिात की ववषय-वसत पि बहस कभी समापत होन वाली नही ह। एक दवष‍टकोण स सवािीनता का अवतम लकषय ‘वगत हीन समाज’ क रप म ह, दसिा ठीक इसक

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ववपिीत सवािीनता का शतर ह। दोनो दवष‍टकोणो क गमभीि अनयायी ह, वफि भी उनकी सखया म अति ह। इसी परकाि जावत क आिाि पि नौकरियो म आिकण औि तकनीकी तथा उचच वशका म परवश सबिी पराविान तीखी बहस स भि पड ह। अत: अनक मदो पि ववचािो म मदभदो न क लोगो को बहत अविक अलोकतावतरक बना वदया।

इतना अविक लोकतावतरक तिीक स मतभदो को वम‍टाना भी बहस का कािण बना। इसी स यह वननदा योगय शबद ‘बहमतवाद’ बना। यह दावा किता ह वक लोगो क मत लकि वकया गया वनणतय सदा सही नही होता। क समाजो या समहो म, क सामानय ववशषताओ जस मजबत वनवहत सवाथमो क कािण अथवा जातीय, िावमतक, भाषाई, इतयावद सबि क आिाि पि बहमत दािा वलए गए वनणतय अनवचत परिणाम द सकत ह। ऐस म अलपसखयक खिाब वसथवतयो म िहन क वलए अवभशपत ह। ऐसी वसथवत क उदाहिण िमततावतरक िायो म दख जा सकत ह जहा एक िमत या एक समपरदाय क लोगो की भािी सखया अनय िमषो या समपरदायो क वलए अविोि खड कि सकती ह औि इस परकाि अलपसखयको क वलए जीन की अपमानजनक परिवसथवतया उतपनन किती ह। पिनत वसथवतया इसक ववपिीत भी ह। क परजातावतरक दशो म कोई आरिामक औि सगवठत अलपसखयक समह भी िाजनीवतक दलो स अपन मतो (वो‍टो) क बलबत पि शतव मनवा सकता ह जो अनय, िमत, समपरदाय या पहचान क आिाि पि सगवठत नही ह। इस परकाि क लाभ परापत किना भदभावपणत ह। अत: ववशव क कई लोकततरो म परयोग वकया जान वाला शबद वो‍ट-बक िाजनीवत ह, जो क सगवठत अलपसखयको पि ववशष कपादवष‍ट दशातता ह।

गक‍तकवकि– समाचार पतरो/पकतरिाओ/रदकियो िद माधयम सद रािनीक‍ति सिलपनाओ िो सीखना

वशकक ववदावथतयो को वववभनन समाचाि पतर, रिपो‍टषो/ववशलषणो स जानकािी, ‘बहमतवाद’ औि ‘वो‍ट-बक’ िाजनीवत क उदाहिण इकटा किन क वलए कह सकत ह। कोई भी समाचाि पतर, चाह वह िाषटीय, सथानीय या दशी भाषा म हो, उपयोग म लाया जा सकता ह, यह इस पि वनभति किता ह वक समाचाि पतर ववदावथतयो को वनयवमत रप स उपलबि हो पा िहा ह। समाचाि पतर औि या िाजनीवतक पवतरका की एक माह की फाइल को भी ऐसी खबि इकटा किन क वलए परयोग म लाया जा सकता ह जहा इन शबदो का सदभत ह। ववदावथतयो को इनह पढन औि तकषो औि उनकी ववशषताओ को अलग किन को कह या वफि अधयापक स िाय मशवविा कि। वकवलपक रप स, इन शबदो की परिचचात सथानीय िाजनीवतक सवरियतावावदयो स कि औि वफि इस अपन शबदो म सकप म वलख ल। दवष‍टबावित ववदाथथी यह अभयास िवडयो की खबि सनकि अथवा अपन माता-वपता/वशकक/अनय ववदाथथी की मदद लकि कि सकत ह जो उनह इन समाचाि पतरो को पढ कि सना सक वजसस व सबवित जानकािी परापत कि ल।

पि ववशव क वववभनन िाषटो म अनक उदाहिण ह जो लोकतावतरक वसधिातो क कायातनवयन की चनौवतयो की ओि सकत कित ह। यह सकत दता ह वक लोगो म मामली मतभद क साथ कस लोकतावतरक ववचािो का वमतर भाव स औि नयायोवचत तिीक स अनसिण वकया जाए, जो आज वकसी भी लोकततर क वलए एक चनौती ह।

सभी सथानो पि बहसखयक की इचाओ औि कलयाण स सबवित समपरदायवादी लकषयो को आग बढान क वलए सगठन की शवकत, ववचाििािा, मीवडया औि िन की सहायता ली जाती ह। परतयक लोकतावतरक दश म शासको क साथ-साथ लोगो क परवतवनवियो को अपन विावनक औि परशासवनक कायत किन म दबाव औि दवविाओ का सामना किन म कवठनाई होती ह। नयाय क आदशत औि वनवातचन वाली िाजनीवत क आदशसचक वयवहाि म सदा मल नही खात। इन परिवसथवतयो म सही िासता ढढना अच नततव का गण ह।

इसक अलावा, लोकततर क मलभत वसधिातो की भी बहत सी वयाखयाए ह। आवथतक समानता, समतावादी समाज, सामावजक नयाय अथवा मानवाविकाि जसी सकलपनाए वववादासपद वयाखयाओ को सलझान क वलए अवयवहारिक िािणाए ह। कोई भी िाजनीवतक ततर भी एक वदए गए समय म िाषटीय समदाय क मलयो को थोडा-बहत परिलवकत किता ह। वजन मापदणडो को यह लोकतावतरक परवरिया क वलए अपनाता ह, वह भी वकसी दश क िाषटीय अनभवो, पिमपिाओ औि पवातगहो क अनसाि वनिातरित वकए जात ह। अत: एक ववशष मदा वववभनन लोकतावतरक दशो म वववभनन तिीको स तय वकया जाता ह।

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अत: ववशव म परतयक लोकततर आज वववभनन परकाि की चनौवतयो का सामना कि िहा ह। उदाहिण क वलए य०एस०ए० सबस शवकतशाली लोकततर औि भाित सबस बडा लोकततर परतयक वभनन समसयाओ का सामना किता ह, सभव ह वक इनम स क समसयाए वकसी अनय दश म पणतरप स अनपवसथत हो। िगभद का मदा य०एस०ए० म एक आम बात ह पिनत भाित म ऐसा क भी नही ह। दसिी ओि जावत भदभाव या पकपात का भाित म वलत मदा ह जबवक यह य०एस०ए० म वबलकल नही ह। इसी परकाि सिकािी भाषा या उचचवशका की भाषा भाित म एक सलगता परशन ह जबवक बहत स बड लोकततरो म ऐसा वबलकल नही ह।

C. लोि‍ततर िो चनौक‍तया

लोकततर की चनौवतयो को तीन परकाि स बताया जा सकता ह;

1. बकनयादी चनौ‍ती- यह सतावादी सिकाि स लोकतावतरक सिकाि म बदलाव की चनौती ह। पोलणड, िोमावनया आवद जस भतपवत समाजवादी िाषट इसक अच उदाहिण ह। इनम स बहत स घव‍टया सिचनाओ औि लोकततर की ववकवतयो क कािण लोकततरो को ो‍टा बना िह ह। एक अतिातषटीय सगठन ‘कमयवन‍टी ऑफ डमोरिसीज’ (लोकततरो का समदाय) ह। इसम बहत स नए लोकततर ह अथातत दश जो पहल गि लोकतावतरक सताओ क अिीन थ, पिनत अब लोकततर क रप म आग बढ िह ह। य वनयवमत रप स वमलत ह औि अपन-अपन दश औि ववशव म लोकततर को सशकत किन क मदो पि परिचचात कित ह।

अविक जानकािी वबसाइ‍ट http: www.community-democracies.org/ स परापत की जा सकती ह।

वफि भी ववशव का लगभग एक चौथाई भाग अभी भी गि-लोकतावतरक सिकािो क अिीन िह िहा ह। उदाहिण क वलए उतिी कोरिया औि मयामाि। ऐस दशो म भी लोकततर क वलए आदोलन इस वगत की चनौती का सामना कि िहा ह अथातत एक लोकततर वयवसथा की ओि सफलतापवतक वकस परकाि बढ।

गक‍तकवकि- िोलाि (समकच‍त कचतर) बनाना

ववदावथतयो स कहा जा सकता ह वक व चीन या उतिी कोरिया म होन वाली घ‍टनाओ की समाचाि पतर फाइलो स समाचाि पतरो की रिपो‍टत इकटा कि। ववदाथथी उनक घि पि उपलबि समाचाि पतरो, इ‍टिन‍ट, आवद की सहायता ल सकत ह। वशकक उनह समझा सकत ह वक उनह सामावजक, िाजनीवतक, आवथतक औि सासकवतक मदो पि समाचाि इकट किन ह औि खलकद, क‍टनीवत या अतिातषटीय वयापाि इतयावद पि नही। इस परवरिया म ववदाथथी तानाशाही शासन क क लकणो को समझ सकत ह औि यह भी जान सकत ह वक यह हमाि जस लोकतावतरक दश स कस वभनन ह। परतयक ववदाथथी आज दश की वसथवत को परिलवकत किन वाल वचतरो औि समाचािो की कतिनो स एक कोलाज तयाि किगी। वशकक उनम स क िोचक कोलाजो को ा‍टकि समाचाि बोडत या कका की दीवािो पि लगा सकत ह औि उनस उभिन वाल मदो पि परिचचात कि सकत ह। इस परकाि ववदाथथी वववभनन उदाहिणो क साथ तानाशाही ततर क लकणो औि लोकतावतरक वयवसथा क साथ उसकी वभननता को सीख पाएग।

2. लोि‍ततर िद कवस‍तार िी चनौक‍तया- इसम दश क िाजनीवतक ततर म लोकतावतरक सिकाि क मलभत वसधिातो क अनपरयोग शावमल होत ह। सथानीय सिकािो को अविक शवकत दना, सघ की घ‍टक इकाइयो क सघीय वसधिातो का ववसताि, मवहलाओ औि अलपसखयक समहो आवद की पयातपत सखया का समावश इतयावद इसी चनौती म आत ह। भाित सवहत अविकाश दश औि कनाडा तथा य०एस०ए० जस लोकततर इस चनौती का सामना कित ह।

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गक‍तकवकि- ‍तथयो और कचतरो िा कवशलदरण िरना

वशकक उपिोकत वचतर कका म वदखाकि ववदावथतयो को वनमनवलवखत परशनो क उति म वचतर का ववशलषण किन क वलए कह सकत ह-

• कया आप सोचत ह वक भाित म लोकततर का मजबत बनान म िाजनीवतक ससथाओ म मवहलाओ का समवचत परवतवनवितव महतवपणत भवमका वनभा सकता ह?

• कया आप सहमत ह वक जडि आिारित आिकण को जावत आिारित आिकण का पिक होना चावहए? कािण दीवजए।

• िाजनीवतक ससथाओ म मवहलाओ क कम परवतवनवितव क कया कािण ह?

• कया आप सोचत ह वक िाजनीवतक दल िाजनीवतक ससथाओ म मवहलाओ क परवतवनवितव क बाि म सही मायन म सिोकाि िखत ह?

गक‍तकवकि- कनबि लदखन

वशकक कका म सऊदी अिब की पषठभवम उपलबि किा सकत ह वजसक कनद म यह मदा होगा वक मवहलाओ को सावतजवनक गवतवववियो म भाग लन की अनमवत नही ह। अलपसखयको को यहा समान िावमतक सवततरता नही ह। ववदावथतयो स कहा जा सकता ह वक व इस बाि म पाठयपसतक तथा अनय जस सोतो समाचाि पतरो औि पवतरकाओ स औि जानकािी ल। इस जानकािी क आिाि पि ववदाथथी सऊदी अिब म लोकततर की चनौवतयो का वणतन कित हए 500 शबदो का एक वनबनि वलख सकत ह। वशकक वनबिो की समीका किग औि कका म परिचचात क वलए अच वनबनिो का चयन किग। यह गवतवववि ववदावथतयो को लोकतावतरक दवष‍टकोण स मवहलाओ औि अलपसखयको स सबवित मदो को समझाएगी। यह अभयास ववदावथतयो को लोकततर क वववभनन पहलओ पि जानकािी दगा।

मल ‍टड 16, जनविी, 2014

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3. लोि‍ततर िी गहन‍ता सदि‍ता िी चनौक‍तया- इस परकाि की चनौती का परतयक लोकततर को वकसी न वकसी रप म सामना किना पडता ह। इस चनौती का सामना किन का अथत लोकतावतरक ससथाओ को मजबत बनाना औि लोकततर का उवचत वनवतहन ह। इसक वलए सिकािी वनणतयो म वनवहत सवाथमो औि सता क दलालो क परभाव को काम किन क सतत औि यथाथत परयासो की आवशयकता ह। इसम उतिदावयतव क वलए परभावी वयवसथाए औि शासको को पिसकत किन औि दणड दन की उवचत परणाली बनाना भी शवमल ह। यह लोकततर का क‍ट सतय ह जो इस सिकािी ततर को ‘अकम’ उपनाम दता ह। सिकािी समपवत औि सिकािी िन वकसी का नही समझा जाता, इस दवषट स इसक परवत वकसी की जवाबदही नही होती।

गक‍तकवकि 1- आर०टी०आई० पर पररचचाथि

वशकक हमाि दश म सचना क अविकाि (आि०‍टी०आई०) अविवनयम पि कका म परिचचात किा सकत ह। परिचचात क कनद वबनद हो सकत ह- आि०‍टी०आई० अविवनयम क मखय लकण कया ह? अभी तक इसकी कया उपलवबिया ह? इसक बाि म इसक उपयोग औि दरपरयोग (यवद कोई हो) आलोचना आवद क बाि म सामानय जानकािी कया ह वजसकी बात ववदावथतयो क साथ की जानी चावहए। वशकक को चावहए वक वह ववदावथतयो को अविक स अविक बोलन द तावक ववदावथतयो क सवय क ववचाि औि दवष‍टकोण सामन आ सक । इस आिाि पि ही परिचचात हो वजसम वशकक कवल सदभत, सिाि औि अवतरिकत जानकािी उपलबि किात िह। अत म इस भाितीय लोकततर म जोडन योगय अवभनव सघ‍टक क रप म समवकत वकया जा सकता ह। यह परिचचात लोकतावतरक चनौवतयो क परवत समझ को बढाएगी।

गक‍तकवकि 2- िानिारी और पररचचाथि िा सगहण

आपको जात होगा वक हमाि दश म परतयक िाय म वववशष‍ट उदशयो औि कायषो वाला पचायती िाज-ततर ह। अत:वशकक ववदावथतयो को उनक िाज की पचायती िाज की कायत परणाली औि उसक कायषो को जानन क वलए परोतसावहत कि सकती ह। इस गवतवववि को ातर पाच क समह म या अकल कि सकत ह। यह समाचाि पतरो क लख, सथानीय पवतरकाओ म दखकि औि पढकि, इ‍टिन‍ट म जानकािी दखकि, िवडयो को सनकि भी की जा सकती ह। सबवित जानकािी क इकटा कि वलए जान पि ववदावथतयो स उस पढन क वलए कहा जा सकता ह औि वफि व जानकािी लग वक वववभनन सतिो पि पचायती िाज क काम किन क तिीक कया ह औि गामीण समाज पि इसका कया परभाव ह। व यह जानकािी भी परापत कि वक कया उनक िाय म पचायत क चनावो म क पद, ववशष रप स मवहलाओ क वलए, आिवकत होत ह। वशकक ववदावथतयो स कह सकती ह वक व समाज क क सदसयो स बात कि वक सथानीय परशासन म मवहलाओ की भागीदािी पि उनक कया ववचाि ह औि कया इसस सथानीय िाजनीवत म क बदलाव आया ह?

जानकािी इकटा किन क बाद परतयक समह अपन वनषकषषो को कका म परसतत किगा औि परतयक परसततीकिण क बाद परिचचात होगी। वशकक औि ववदाथथी वमलकि वनषकषषो का समकन किग।

D. भार‍तीय लोि‍ततर िी चनौक‍तया

अभी तक हई चचात स पता चलता ह वक हम भााित म लोकततर स जडी क वववभनन चनौवतया का सामना कित ह। आइए इनम स क की चचात कि।

1. सिकाि औि समाज म सभी सतिो पि भरष‍टाचाि: आम आदमी भरष‍टाचाि स वदन-परवतवदन पीवडत ह वकनत इस िोकन की असमथतता औि अकमता क कािण यह वयापक रप स फला हआ ह। वयावहारिक औि ऐवतहावसक कािणो स

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भी भाित म मतदाता वववभनन सथानो म परशासवनक वयवहाि क नकािातमक पहलओ को िोकन म सवय को असहाय पात ह। गिीबी औि वशका की कमी भी इस बनाए िखन म सहायक ह। बहत स िाजनीवतक दल या तो भरष‍टाचाि की पिवाह नही कित या उस अपन सकीणत वहतो क वलए उपयोग म लत ह। यह एक परमख समसया ह वजस पि दश म, यदवप वभनन सतिो म अनभव वकया गया।

2. यह एक आम वशकायत ह वक सिकािी द‍तिो म बठ क लोग अयोगय औि अनवतक वसधि हो चक ह। कभी-कभी चरितरहीन परतयाशी िाजनीवतक जीवन म परमख पदो पि जीत हावसल कि लत ह। िाजनीवतक नताओ स सबवित बहत स भरष‍टाचाि, पकपात क मामल भी इसम शावमल ह। यह कवल ववतीय अवनयवमतताओ तक सीवमत नही ह। गलत िािणाओ क वनयम, ससथाए बनाना; अपरचवलत वनयमो को जािी िखना; वववभनन चालो स काननी ततर को वबगाडना; कततवय पालन म लापिवाही; िाषट औि वयापक रप स समाज की कीमत पि वगथीय वहतो की दलाली किना; लोक-जीवन म आतमसममान की कमी दशातना इतयावद भी हमाि लोकततर की क महतवपणत चनौवतया ह।

गक‍तकवकि- पोसटर बनाना

वशकक परतयक ववदाथथी को पि महीन की अखबाि की कतिनो का उपयोग कि हमाि दश म लोकततर की वववभनन चनौवतयो का उदाहिण दत हए, पोस‍टि बनान को कह सकत ह। व चीजो को चनन क वलए सवय वनणतय ल। सगहण सा वथयो को वशका दन म मदद किगा, कयोवक ववदावथतयो क अपन परयास मदो को उजागि किन म साझा वकए जाएग औि इसस उनकी समझ बढगी। पोस‍टि बनान म सकािातमक समाचािो/घ‍टनाओ को भी शावमल वकया जाए, जो एक सवसथ लोकततर क परवत वववभनन वयवकतयो दािा वकए गए परयासो को परिलवकत किग।

3. वववभनन बिाइयो का जािी िहना दश क वशवकत वगत क कािण भी हो सकता ह, जो कभी-कभी थोड सवाथथी लगत ह। इनम स क नकािातमक सोच स पीवडत होत ह, जो यह ववशवास कित ह वक हमाि दश क सामन आई मसीबतो क वलए क नही वकया जा सकता। अत: सामावजक-िाजनीवतक परिदशय को सिािन की वदशा म उनका िवया उदासीन िहता ह। इसक परिणामसवरप इन परिहायत वयाववियो क साथ जन-जीवन परभाववत होता।

4. वयथत औि वनिकश परशासन- बड मतरालयो, अफसिशाही औि बड परवतषठानो पि बहत अविक खचात होता ह, पिनत उतिदावयतव की भािी कमी होती ह। ‘माचत ल‍ट’ जसा बदनाम शबद वनिाशाजनक परिवसथवत का दोतक ह। सब क जानत हए भी हम भािी मातरा म वावषतक बिबादी को िोकन म असफल िह ह।

गक‍तकवकि- नयायोकच‍त हस‍तकदप पर पररचचाथि

हाल ही म भाित क सवमोचच नयायालय न दोषी सावबत हो चक वयवकतयो वविानमडल क चनाव लडन स को ववचत कि वदया। वशकक कका म ‘दोषी ठहिाए गए वयवकतयो को वविानमडल क चनाव लडन की अनमवत दना लोकततर की एक चनौती’ ववषय पि परिचचात आयोवजत कि सकत ह। पाच ववदावथतयो को पक म औि पाच ववदावथतयो को ववपक म बोलन क वलए चना जा सकता ह। परतयक ववदाथथी को पाच वमन‍ट वदए जा सकत ह। वशकक सचालक क रप म कायत कि सकत ह, जबवक शष सभी ववदाथथी सवरिय परकको की भवमका वनभा सकत ह। ववदाथथी सचालक की भवमका वनभा िह वशकक क साथ भी वाद-वववाद कि सकत ह, जो सचालक ह, वक लोकततर की वकस चनौती स यह वनणतय सबवित ह औि वकस कमता स नयावयक हसतकप भरष‍टाचाि स वनप‍ट िहा ह। वाद-वववाद क बाद, परकको को परोतसावहत वकया जा सकता ह वक व वकताओ क दोनो समहो दािा उठाए गए मदो पि अपन ववचाि परक‍ट कि। इस परकाि व अपन साथी समह क बीच पता लगा सकत ह वक इसक कायातनवयन क साथ इस सबि म औि वकन परयासो की आवशयकता ह। वशकक की भवमका ववदावथतयो दािा सझाए गए नए परसतावो क समभाववत परिणामो पि उनह जानकािी दन क अलावा तथयातमक वबनदओ पि उनह सही किन की भी हो सकती ह।

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5. िाजनीवतक भाषण म चपलता औि भावकता- इस उदाहिण म आम आदमी कम दोषी ह। परादवशकता, जावतवाद औि सामपरदावयकता फ‍ट डालन की िाजनीवत क नाम पि इस चनौती क मखय परकाि ह। मत परापत किन औि सिकाि म पद हावसल किन क वलए िाजनीवतक नताओ दािा सभी परकाि क ‘फ‍ट डालो औि िाज किो’ वाल हथकणड अपनाए जात ह। इस परभावी बवधिजीवी वगत की सकीणत औि सवय का वहत किन वाली ववचाििािाओ दािा बनाए िखा जाता ह। सामपरदावयक नाि औि िाजनीवतक दलो क कायतरिम, जहा िाषटीय वहतो की उपका कित हए बहत स बवधिजीवी सवरिय या वनवषरिय रप स उनह समथतन दत ह, इस चनौती का सवतरिषठ उदाहिण ह।

गक‍तकवकि- लोि‍ततर िी सानीय चनौक‍तयो पर कनबि कलखना

वशकक ववदावथतयो को अपन शहि/नगि/गाव या आस-पास क कतर म “लोकततर की चनौवतया” ववषय पि लगभग 500 शबदो का एक लख वलखन क वलए कह सकत ह। सवय यह ववचाि कित हए वक कतर म लोकततर को सबस ऊपि वकस परकाि की चनौती ह। व सथानीय स लकि िाय सति तक ववमशत कि सकत ह। वशकक उठाए गए मदो, लोकततर पि ववदावथतयो की समझ औि इस चनौवतयो इतयावद क सदभत म वनबिो का आकलन किग। यह अभयास ववदावथतयो को अकादवमक उदशयो क वलए सामावजक परकणो की परािवभक वववि सीखन म मदद किगा।

6. एक अच लोकततर को ववशष आवशयकताओ वाल नागरिको पि धयान दन की भी आवशयकता होती ह। इनम सबस पहल वन:शकत जन ह। इनम स बहतो को अपन कायतसथल पि या अपनी बसती म वववभनन अवसिो पि परतयक या पिोक अपमान का सामना किना पडता ह। यदवप सवततरता परावपत क बाद स वसथवत को सिािन क वलए काफी क वकया जा चका ह, पिनत काफी चनावतया अभी बाकी ह। भाित सिकाि औि सवमोचच नयायालय न ववववि वन:शकतताओ वाल नागरिको क सही उपचाि की घोषणा की ह औि इस सवनवशचत वकया ह। उदाहिण क वलए, उपयकत परिवसथवतयो म नौकरियो का आिकण। क कॉपमोि‍ट औि वयवसायी भी वन:शकत लोगो को मखयिािा म ठीक स जोडन क वलए तिीक औि सािन उतपनन किन क वलए काम कि िह ह। लोकततर की चनौवतया सभी दशो या समाजो क वलए एक समान अथवा एक सीवमत सची क भीति नही हो सकती। हमन आिािभत वसधिात औि सबवित मदो को जानन क वलए क पि चचात की ह। ववदाथथी इस आिाि पि आग बढ सकत ह औि सवय सीखन तथा इस पिसपि साझा किक अपनी समझ को बढा सकत ह।

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पस‍ताकव‍त पठन सामगी

1. िजनी कोठािी, पोवलव‍टकस इन इवडया, नई वदलली, ओरिएन‍ट लौगमन, 1970

2. िजनी कोठािी, कास‍ट इन इवडयन पोवलव‍टकस, नई वदलली, ओरिएन‍ट लौगमन, 1970

3. परताप भान महता, द बडतन ऑफ डमोरिसी, नई वदलली, पगयइन इवडया, 2003

4. Karl Paper, The Open Society and is Enemies, New Jersey, Princeton, 1971

5. SM Lipset, Political Man, New York, Doubleday and Co, 1960

6. Ernest Baker, Principals of Social and Political Theory, New Delhi, Oxfort University Press, India, 1978

7. (ऊपि स तीसिी पसतक क अवतरिकत, सभी इ‍टिन‍ट पि पढन क वलए वन:शलक उपलबि ह।)

कफलम

1. रािनीकर, परकाश झा दािा वनदववशत

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अ थिशासतर

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अ थिशासतर कशकण

ववदालय सति पि अथतशासतर को सामावजक ववजान क एक भाग क रप म पढाया जाता ह। उचच पराथवमक सति (कका VI स VIII) पि यह ववषय समवकत रप म पढाया जाता ह। यह िाजनीवत ववजान क साथ सामावजक औि िाजनीवतक जीवन क रप म अतगइवफत िहता ह। इस सति पि, बचचो को अथतशासतर क ववषयो जस आजीववका, बाजाि, ‘कायत’ की िािणा औि सिकाि की आवथतक भवमका आवद स सबवित वतातो दािा समझाया जाता ह। ववषयो को अति ववषय परिपरकषयो म िाजनीवतक, सामावजक औि ऐवतहावसक पहलओ को धयान म िखत हए अविगम क वमवरित तिीक स पढाया जाता ह। यहा सामावजक ववजान क ववदावथतयो को ववकास अथतशासतर का परिचय वदया जाता ह, अथातत ववकास को कस मापा जाता ह, ववकास क सकतक औि ससािन क रप म मानव पि वनवश किना। उचचति माधयवमक सति पि अथतशासतर सवय को ववषय क रप म ववसतारित किता ह। जो ववदाथथी अथतशासतर क ववषय को उचच वशका क वलए पढना चाहत ह उनह चाि पाठयरिम वदए जात ह। य पाठयरिम ह– अथतशासतर क वलए सावखयकी, भाितीय आवथतक ववकास, परािवमभक वयवष‍ट अथतशासतर औि परािवमभक समवष‍ट अथतशासतर।

िाषटीय पाठयचचात की रपिखा-2005 की अनशसाए सामावजक ववजान औि वववशष‍ट अवसथाओ क अविगम की पधिवत म आमलचल परिवततन किती ह। अधययन की वववभनन पधिवतयो क कािण सामावजक ववजान क वववभनन ववषय जस इवतहास, भगोल, िाजनीवतक ववजान औि अथतशासतर इन ववषयो को सीमाओ म बािन को उवचत ठहिाती ह। सामावजक ववजान क वशकण को पन: परावणत किन की आवशयकता ह तावक वशकावथतयो को एक पािसपरिक वरियाकािक पयातविण म जान औि कौशल परापत किन म मदद वमल सक। सामावजक ववजान वशकण को इस परकाि की ववविया अपनानी चावहए जो िचनातमकता, सौदयतबोि औि वववशष‍ट परिपरकषयो को बढावा द औि बचचो को अतीत तथा वततमान म सबिो को बनान, समाज म हो िह परिवततनो को समझन म सकम बनाए (एन०सी०एफ०-2005: 51, 53-54)। जब हम इस दवष‍ट स दखत ह, तो अथतशासतर क वशकण अविगम का उदशय वासतव म बह-आयामी परिपरकषय स वशकावथतयो की वववभनन आवथतक मदो क बाि म समझ को बढाना ह। अथतशासतर मातर आवथतक वसधिातो क बाि म जान परापत किना नही ह, अवपत अपन वयवकतगत औि वयावसावयक लकषयो म समाज का एक सदसय बनन क वलए अपनी समझ/सोच को वयापक बनाना भी ह। यह ववषय तकत सगत कािण दन, एकतिफा सोच स पि ह‍टन औि दवनक जीवन की आवथतक वासतववकताओ क वलए इसक अनपरयोग किन क अवसि दता ह।

अ थिशासतर म सदवार‍त कशकिो िा वयावसाकयि कविास

वयावसावयक ववकास ववषय वसत औि वशकाशासतर म सवितन कायतरिम ह। एक परभावी वशकक बनना अथवा सहायक क रप म वशकक बनना एक सतत परवरिया ह, न वक समयबधि गवतवववि औि घ‍टनाओ की एक रिखला। वशकक क वयावसावयक ववकास का अवतम लाभाथथी ववदाथथी ह यदवप परापतकतात वशकक ह।

अथतशासतर म सवाित वशकको क वयावसावयक ववकास क लकषय वनमनवलवखत ह:

1. माधयवमक सति पि समवकत सामावजक ववजान पाठयचयात क एक भाग क रप म अथतशासतर वशका म वशकक क जान को समधि औि अदतन बनाना।

2. सामावजक मदो पि उनक जान को समझना तथा अदतन बनाना।

3. वशकको की वततमान अविगम पधिवतयो को वशकाथथी क वदत/वहतषी कायत- नीवतयो म बदलना जस खद किक सीखना, परयोग किना, ववमशत किना, अनवषण किना औि वववभनन सदभमो म परयकत किना।

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4. अपनी कका म भदभाव दि किन क वलए वशकको को हावशय औि अनय समहो क सिोकािो पि बात किन क वलए तयाि किना।

5. अथतशासतर वशकण- अविगम/अथतशासतर वशका म शवकक नवाचािो म रवच पदा किना।

मॉियल

इस पकज क वलए उदाहिण सवरप दो मॉडयल ववकवसत वकए गए ह। पहला- ववकास औि दसिा- मदा औि साख।

पहल मॉडयल म ववकास म वववभनन कािको क योगदान को समझन क वलए ववचािोतजक परशनो का उपयोग कित हए वयापक रप स ववकास पि चचात की गई ह। यह मॉडयल वयवकत क समवकत कलयाण जस-वशका, सवासथय, वलग, जावत क वनिपक अवसिो की समानता औि वनणतय लन म लोगो की भागीदािी पि कवनदत ह। मॉडयल ववशष रप स ववववि सिोकािो पि वववचनातमक रप स परकाश डालता ह, जस- वशकावथतयो म तकत दन, कािण बतान औि ववशलषक कौशलो को ववकवसत किन हत यह परशन प ा जा सकता ह कया आपक ववचाि स अभी तक अपनाई गई कायत नीवत का पन: वनिीकण किन औि कवष उतपादकता को बढान क वलए कदम उठान की आवशयकता ह? तीन मखय वबनद वजनकी चचात की गई ह व ह - ववकास क सचक, ववकास क पररिम म तीन कतरो का योगदान पररिम औि सिािणीय ववकास वजनम सहसतरावबद ववकास, गामीण ववकास औि समावशी ववकास क लकषय शावमल ह। सिािणीय ववकास की चचात ववसताि स यह बतान क वलए की गई ह वक इन ववषयो को अथतवयवसथा म ववधि तथा आिारिक परिवततन सवन वशचत किन क वलए परभावी रप स कस काम म वलया जा सकता ह। आग यह सपष‍ट किन क वलए कहा गया ह वक य०एन०डी०पी० (सयकत िाषट ववकास कायतरिम) की रिपो‍टत मवहला सशकतीकिण पि क वदत कयो ह औि सभी दशो म ववकास समान रप स कयो नही हआ ह? सामावजक समावशन क वलए गामीण ववकास, समावशी ववकास जस ववषयो को वलया गया ह।

दसि मॉडयल म, साख की सकलपना औि सभी क वलए इसकी उपलबिता, ववशष रप स गिीबो क वलए औि उवचत शतषो पि, को कस अधययनो औि उदाहिणो क साथ समझाया गया ह। इस पि बल वदया गया ह वक यह लोगो का अविकाि ह औि इसक वबना उनका बडा वहससा ववकास की परवरिया स बाहि िह जाएगा। भवमका वनवातह औि परिचचात की सहायता स िन क ववकास को समझाया गया ह औि वकसका आकलन वकया जाना ह, इसकी भी चचात की गई ह। गवतवववि औि परिचचात क माधयम स भगतान की वववियो को समझाया गया ह। लोगो क जीवन पि बक क परभाव को जानन क वलए परियोजना कायत सझाया गया ह औि इसकी भी चचात की गई ह वक वशकाथथी क अविगम क वलए वकसका आकलन वकया जाए।

गवतवववियो की सहायता स हम एक साथ वमलकि भागीदािी क माधयम स सीख सकत ह।

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कविास िा सपदरण

सककप‍त पररचय

ववकास एक बहआयामी अविािणा ह, वजसकी आवशयकता आवथतक परगवत क साथ-साथ सामावजक सिचना, अवभववतयो औि ससथागत ढाचो म परिवततन किन क वलए आवशयक ह। यह लोगो की मलभत आवशयकताए उपलबि किान औि आतमववशवास का एक सति सवनवशचत किन क वलए आवशयक ह। ववकास का कायतकतर औि फलाव आवथतक ववधि की अपका बहत वयापक ह। इसस आवथतक ववधि म तजी आती ह, साथ ही असमानता नयनतम हो जाती ह औि गिीबी दि होती ह।

यह मॉडयल ववकासशील दशो क वववशष‍ट आयामो पि भी धयान दता ह औि दश भि म वकसी भी वयवकत क जीवन सति को ऊपि उठान क वलए आवशयक सिचनातमक परिवततनो क पररिमो की बात किता ह। वकसी भी दश का ववकास पराकवतक ससािनो, आवथतक क साथ-साथ गि-आवथतक कािको स परभाववत होता ह। इस सबि म कवष म उतपादकता कम किन वाल कािको, कमजोि वववनमातण कतर औि नौकरियो क कतर म िोजगाि क अवसिो की वनमन ववधि का ववशलषण वकया गया ह। गामीण कतरो क ववकास पि ववचाि-ववमशत किन क वलए आजीववका परापत किन औि िोजगाि-गाि‍टी की वववभनन योजनाओ को वलया गया ह। ववकास का सिोकाि अब मानवीय कािको पि बल दता ह औि यह सहसतरावबद ववकास लकषयो, मानव ववकास सचकाक औि जडि ववकास सचकाक म परिलवकत होता ह। ववकास परावपत क बहत स उपाय सझाए गए ह औि इसक वलए आवशयक ह वक इस सिािणीय (व‍टकाऊ) बनान क वलए पयातविणीय सिोकािो को पराथवमकता दी जाए।

कशकण-अकिगम उददशय

ववकास क सपरषण म वशकण क वलए वनमनवलवखत बातो पि धयान दन की आवशयकता होगी-

- ववकास का अथत औि वकस परकाि हम ववधि स इसका भद कि।

- ववकास क नए औि पिमपिागत अथषो म तलना किना।

- ववकास सचको क वव वभनन आयामो का ववशलषण किना।

- सयकत िाषट सहसतरावबद ववकास लकषयो की जागरकता का ववकास किना।

- ववकास क सबि म वववशष‍ट मदो जस लोक-क वदत अवभगम को समझना।

- िाषटीय आय म तीनो कतरो क योगदान का अधययन किना औि ववधि का ऐवचक सति परापत किन क वलए उनम अनौपचारिक सबि सथावपत किना।

- गामीण ववकास पि क वदत योजनाओ क बाि म जागरकता पदा किना।

- सिािणीय ववकास सवनवशचत किन क वलए ववचािणीय पयातविणीय सिोकाि।

- ववकास क समावशी पक पि समझ ववकवसत किना।

कवरय सद अपदकाए

मॉडयल का एक उदशय ववकास क सबवित मखय मदो पि परिचचात क वलए मच उपलबि किाना ह। यह मॉडयल आवथतक क साथ-साथ गि-आवथतक कायषो को भी आग लाता ह औि कका म वाद-वववाद औि परिचचात आयोवजत किन क अवसि

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परदान किता ह। ववदाथथी ववकास क बहआयामी पको औि उनह आवथतक वासतववकताओ स सबधि किन औि य वकस परकाि ववकास पि परभाव डालत ह आवद, को समझन म सकम होग। व ववकास की परवरिया म उतपादन क वववभनन कािको क योगदान का भी पता लगा सकत ह।

इस मॉडयल म ववकास क कतर म उभिती वववभनन परववतयो औि चनौवतयो क अधययन क वलए मातरातमक आकड भी वदए गए ह। ववदाथथी आकडो की वयाखया कि सकत ह औि दश क ववकास क ववववि पहलओ को जान सकत ह। व यह समझन म सकम होग वक कयो ‘आय-पधिवत’ स ‘जनक वदत पधिवत’ म बदलाव हआ ह। कया समावशी ववधि हावशय क समह क लोगो तक पहचन म मदद किगी? अत म ससािनो क नयायोवचत उपयोग क परवत वशकावथतयो को सवदनशील किन क वलए सिािणीय ववकास सबिी सझावो की अनशसा की गई ह।

पमख सिलपनाए

A. कविास िा अ थि- नया और परमपराग‍त

पिमपिागत रप स ववकास का अथत ह सकल िाषटीय उतपाद म 5% स 7% या अविक की दि स वावषतक ववधि। इस उतपादन क तिीक म भी दखा जाता ह जहा सकल घिल उतपाद (जी०डी०पी०) म कवष का भाग कम हो जाता ह, जबवक वववनमातण औि सवा कतर का भाग बढ जाता ह। ववकास क य मापक सामावजक सचको जस-साकिता, ववदालयी वशका औि सवासथय दशा इतयावद म उपलवबियो स सबि नही िखत। अत: ववकास क पिमपिागत सचक सीवमत अथत वाल लगत ह कयोवक इसन वयापक गिीबी, बिोजगािी, आय क ववतिण म असमानता, िाजनीवतक सवततरताओ म उललघन, मवहलाओ की उपका, पयातविण का खतिा औि हमाि आवथतक औि सामावजक जीवन की सिािणीयता की उपका की ह।

जसा वक आज समझा जाता ह, आवथतक ववकास परिवततनो क साथ ववधि की एक परवरि या ह, जो नागरिको क भलाई की ओि अविक धयान दती ह। अत: आवथतक ववकास का अथत ससािनो की ववधि क साथ उनका पनववततिण ह वजसका अथत वकसी वयवकत, ववशष रप स वनमन वगत स सबवित लोगो का कलयाण, वयापक गिीबी को दि किना, वनणतय लन म लोगो की अविक भागीदािी, जनता को लाभकि िोजगाि औि समाज म असमानता म कमी ह। लोगो को उनकी आिािभत आवशयकताए उपलबि किान हत औि आतम-सममान तथा सवततरता का एक सति सवनवशचत किन क वलए ववकास की आवशयकता होती ह।

अमतयत सन को ‘अथतशासतर म सामावजक ववकलप वसधिात’ को ववकवसत किन हत 1998 म नोबल पिसकाि परापत हआ। अकाल क कािणो पि उनका काम बताता ह वक हजािो की सखया म लोग भख स नही मि होत यवद खाद अनाजो का उतपादन कम न हआ होता। उनका मानना ह वक लोग इसवलए मि कयोवक उस समय की सिकाि दािा अनाज की एक कवतरम कमी पदा कि दी गई थी। उनक योगदानो म स एक ‘हयमन डवलपम‍ट इडकस (HDI, मानव ववकास सचकाक) ह, जो वयवकत की खशहाली को मापता ह औि वजसन दश म

कलयाण सचकाक की तलना को समभव बनाया ह। उनहोन जडि समानता क कतर म भी योगदान वदया। उनह सधिावनतक, आनभाववक औि नीवत अथतशावतरयो न बहत सिाहा। अमतयत सन न अपनी पसतक ‘डवलपम‍ट एज रिीडम’ म माना वक आदमी की सवततरता ववकास का मखय उदशय ह। ववकास का उदशय लोगो दािा अनभव की गई वासतववक सवततरता क मलय स सबवित ह। व आग सवततरता की आवशयकताओ की सहायक भवमका, आवथतक सवविाओ, िाजनीवतक सवततरता, सामावजक अवसिो, परशासन म पािदवशतता औि वयवकत की सिका की बात कित ह।

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गक‍तकवकि–वाद कववाद

वशकक कका म स आठ ववदावथतयो का चयन कि सकत ह अथवा ववदाथथी सवय भाग लन क वलए अपना नाम द सकत ह। चाि ववदाथथी ववषय क पक म बोल सकत ह औि दसि चाि ववदाथथी ववषय क ववपक म बोल सकत ह। परतयक परवतभागी को पाच वमन‍ट वदए जाएग।

वाद-कववाद िा कवरय- कया आप सहमत ह वक ववकास क वलए सहायक अविकािो, अवसिो सिकाि-समवपतत औि हकदाि क बीच पिसपरिक सबि जरिी ह।

वनमनवलवखत वबदओ को ववशष रप स बताए–

- आवथतक औि िाजनीवतक सवततरताए कया ह?

- य एक-दसि को वकस परकाि मजबत किती ह?

- कया वशका औि सवासथय दखभाल क पराविानो को िाय क हसतकप की आवशयकता ह?

- कया वशका औि सवासथय वनणतय लन म वयवकतक अवसिो क पिक होत ह औि इस परकाि व आवथतक परवचना क परभाव स बचात ह?

सिद ‍त- य परशन ववदावथतयो को ववकास क वववभनन सबिो पि ववमशत किन हत मदद किग।

ववदावथतयो का आकलन वाद-वववाद म उनक तकषो क आिाि पि वकया जा सकता ह। रिोताओ दािा प गए परशनो औि वकताओ दािा वदए गए उतिो क आिाि पि भी आकलन वकया जा सकता ह।

B. कविास िद सचि– सामाकिि िारि

िाषटीय आय म ववधि को वकसी भी दश क ववकास क मापन की महतवपणत इकाई माना गया ह। मापन की इस वव वि की वशका, ववशषकि लडवकयो की, सवासथय, िोजगाि, समता, सामावजक नयाय, जनता दािा समावशी भागीदािी जस उदशयो की उपका क सदभत म ववववि सीमाओ क कािण आलोचना हई। अभी हाल क वषषो म, एक ववकलप सझाया गया ह वजसस मानव ववकास सचकाक, जडि सबिी ववकास सचकाक जस जडि ववकास सचकाक (GDI), जडि सशकतीकिण माप (GEM) इतयावद का परिकलन हो पाया।

सहसतरावबद ववकास लकषय सहसतरावबद ववकास लकषय एक समयबधि कायतरिम ह वजसका लकषय ह सभी दशो म वववभनन आयामो म गिीबी दि किना। वषत 2002 म सयकत िाषट सहसतरावबद अवभयान न सहसतरावबद ववकास लकषयो को परापत किन क वलए एक वयावहारिक समािान पराचन वकया। य लकषय कया हो सकत ह? आपक ववचाि स य लकषय महतवपणत कयो ह? य आयाम ह - आय, गिीबी, भख, बीमािी, आरिय की कमी औि जडि समानता को बढावा दत हए बवहषकाि की समसया, वशका औि पयातविण की वसथिता। क मलभत मानव अविकाि ह- परतयक वयवकत का सवासथय, वशका, आरिय औि सिका इनक बाि म मानवाविकािो क सवतवयापी घोषणा म सकलप वलया गया।

य लकषय महतवपणत ह कयोवक य आिाि ह वजन पि वववभनन दशो की ववकास नीवतया व‍टकी ह। य लकषय उस दश क वलए उतपादक जीवन, आवथतक ववधि क सािनो क परतीक ह औि ववकास को आग बढात ह, जहा गिीब लोगो को भािी सखया ह।

सहसतराकबद कविास िद लकषय ह-

लकषय 1- अतयविक गिीबी औि भख को दि किना

लकषय 2- ववशववयापी पराथवमक वशका का लकषय परापत किना

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लकषय 3- जडि समानता औि मवहला सशवकतकिण को बढावा दना

लकषय 4- बाल मतयदि को घ‍टाना

लकषय 5- मात सवासथय म सिाि लाना

लकषय 6- एच०आई०वी०/एडस, मलरिया औि अनय बीमारियो का सामना किना

लकषय 7- पयातविण वसथिता सवनवशचत किना

लकषय 8- ववकास क वलए ववशवक भागीदािी ववकवसत किना

सोर- य०एन०डी०पी०-2002

एक ही माप सबक वलए उपयकत नही होता कयोवक वववभनन दशो की परिवसथवतया एक दसि स वभनन होती ह। क दश भरष‍टाचाि औि मानवाविकािो क नकाि जान वाल वनमन सति क परशासन की समसया स गवसत होत ह। उन दशो क क ही भागो म ववकास दखन को वमलता ह, सभी भागो म नही। वहा आवशयक वनवश क वलए आवथतक वयवसथा बहत कमजोि होती ह। उन दशो म स परतयक दश क वलए लकषयो की परावपत क वयावहारिक कदम उठात हए अतिातषटीय समदाय स उपयकत सहायता लकि वनदान, वनयोवजत, क वदत औि सयोवजत किना चावहए।

गक‍तकवकि- पररचचाथि

वशकक कका को समहो म बा‍ट सकत ह। परतयक समह को एक परशन द। वशकक को यह सवनवशचत किना चावहए वक सभी बचचो को चचात म सवरिय रप स भाग लन क समान अवसि वमल।

1. इनम स वकन लकषयो को पिा किना कवठन ह?

2. इनम स वकन लकषयो को परापत किना अपकाकत स आसान ह?

3. कया आप ववकास क वलए आवशयक क अनय लकषय सझा सकत ह?

4. आप इन लकषयो को परापत किन क वलए कस परयास किग?

5. कया ववकास को परापत किन क वलए लकषयो की आवशयकता होती ह?

6. इन लकषयो को सयकत िाषट न कयो बनाया?

ववदावथतयो का आकलन ‍टीम म उनक योगदान क आिाि पि वकया जा सकता ह। कया व सवरिय रप स चचात म भाग लत ह या वनवषरिय रप स बठ िहत ह? ववदाथथी उति दन क वलए सकम होन चावहए वक कयो य लकषय गिीबी कम किन, जडि सशवकतकिण, वशका, औि िािणीय ववकास पि क वदत होन क साथ-साथ सामावजक कतरो स सबवित ह।

मानव कविास सचिाि (HDI)

सयकत िाषट ववकास कायतरिम (UNDP) न महबब-उल-हक क मागतदशतन म मानव ववकास सचकाक को शर वकया। सचकाक तीन मखय वबनदओ पि क वदत ह- (i) वशका सचकाक, (ii) सवासथय सचकाक (iii) आय सचकाक। वपल क वषषो म मानव ववकास स सबवित बहत स सचकाक ववकवसत हए ह, जस जडि ववकवसत सचकाक (GDI), जडि सशवकतकिण माप (GEM), जडि असमानता सचकाक (GII)। परषो औि मवहलाओ म वयापत असमानता क कािण 1995 म जी०आई०आई० ववकवसत हआ। भाित म क िायो जस गोवा, किल, वदलली, वहमाचल परदश म जी०डी०आई० की वसथवत बहति ह, जबवक वबहाि, मधय परदश, ओवडसा, िाजसथान म यह सचकाक वनमन सति पि ह। जी०ई०एम० सचकाक मवहलाओ की िाजनीवतक भागीदािी (ससद म मवहलाओ की सखया), आवथतक भागीदािी (मवहला वयावसायी), औि उनका

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घि क भीति औि बाहि आवथतक ससािनो पि पि वनयतरण पि कवनदत ह। य सचकाक परषो औि मवहलाओ म समानता लान क वलए ववकवसत वकए ग थ औि व आवथतक ववकास क वलए जीवनदायी ह। सचकाक मवहलाओ की समाज म परिवततनकािी भवमका (अवभकतात) क रप म बढावा दत ह। य मवहलाओ क सशवकतकिण, वरियाशीलता औि जनन सवासथय क सदभत म परवतकल वसथवतया का अधययन कित ह। इनम नीवत सति पि काम औि रिम बाजाि म भागीदािी को महतव वदया जाता ह।

गक‍तकवकि 1: पररचचाथि

कका म वबहाि, ओवड सा, मधयपरदश आवद म वनमन जी०डी०आई० क वलए उतिदायी कािको पि एक परिचचात परािमभ कि।

वशकक जनगणना रिपो‍टत 2011, आवथतक सवव (अदतन) स आकड इकटा कि सकत ह औि सवासथय, वशका जस ववकास सचकाको की पहचान कि।

ववदाथथी चाि िायो म जी०डी०आई० क वनमन सति क कािणो का पता लगान क वलए जनगणना म वदए गए आकडो का ववशलषण कि।

कायतबल म मवहलाओ की कम भागीदािी क वववभनन कािणो औि दश क ववकास क वलए मवहलाओ क सशकतीकिण को परोतसाहन दन क बाि म ववदावथतयो को समझाया जाना चावहए।

गक‍तकवकि 2: एि िद स अधययन बनाए

ववकास की परवरिया म मवहलाओ क सशकतीकिण को उजागि किन हत ववदावथतयो को एक कस अधययन बनान क वलए कहा जा सकता ह। समाचाि पतरो, पवतरकाओ औि वबसाइ‍ट स फो‍टोगाफ इकट वकए जा सकत ह। इसम वशका, सवावमतव अविकाि, िोजगाि क अवसि औि रिम बाजाि म भागीदािी शावमल ह। मवहलाओ को बहतायत रप स परिवततन क अवभकतातओ, सामावजक रपातिण क गतयातमक परोतसाहको क रप म दखा जा िहा ह जो परषो औि मवहलाओ दोनो क जीवन बदल सकता ह। अनभवजनय साकषय न दशातया ह वक मवहला का मान-सममान उसकी सवततर आय कमान, घि स बाहि िोजगाि पान, सवावमतव का अविकाि पान औि परिवाि क भीति औि बाहि वनणतय लन की कमता स बहत अविक परभाववत होता ह।

1. आपक ववचाि स मवहलाओ का सशकतीकिण समाज क ववकास क वलए कयो आवशयक ह?

2. जडि समानता सचकाक (जी०आई०आई०) कया ह?

3. अपन आस-पास मवहलाओ की पहचान कि, वजनह परिवततन क अवभकतात क रप म जाना जा सकता ह।

4. अपन कतर म वकसी मवहला क कस अधययन को वलख औि उसकी पारिवारिक पषठभवम, शवकक पषठभवम, ववावहक वसथवत, पारिवारिक आय औि समाज म उसक योगदान का पता लगाए।

C. कवकभनन ददशो म कविास

यह तकत अकसि वदया जाता ह वक ववकास की अववि म दश क अवसथाओ स गजित ह, परािमभ पराथवमक उतपादको क रप म कित ह औि जब मलभत आवशयकताए पिी हो जाती ह, तो ससािन बड पमान पि वसतओ क उतपादन औि ततीयक गवतवववियो म लग जात ह। दशो का वनमन आय, मधय आय औि उचच आय वगषो म वगथीकिण उनक तीन कतरो म भाग लन पि आिारित ह। वनमन आय वाल दश व ह जहा आबादी का अविकाश भाग पराथवमक उतपादन म सलगन िहता ह। मधय आय वाल दशो क मामल म, वदतीयक कतर अविकतम िोजगाि उपलबि किात ह। उचच आय वाल दश अपनी आबादी

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का उचच परवतशत सवा कतर म लगात ह।

वनमनवलवखत सािणी कतरो म िोजगाि क ववतिण को दशातती ह औि अथतवयवसथा का वनमन आय, मधय आय औि उचच आय दशो म वगथीकिण किती ह।

गक‍तकवकि- आिडो िी वयाखया

सक‍टिो म िोजगाि का ववतिण (परवतशत)

ददश िकर उदयोग सदवाएवनमन आय 61 19 20मधय आय 22 34 44उचच आय 4 26 70

सोर- अररात‍टटरीय शरम सगठन, 2009

समह म आिडो पर पररचचाथि िर और कनमनकलकख‍त िा प‍ता लगाए-

वनमन आय औि उचच आय वाल दशो म कवष म सलगन आबादी क परवतशत की तलना कि।

वनमन आय, मधय आय औि उचच आय वाल दशो म उदोग म सलगन आबादी क परवतशत की तलना कि।

(i) आप परथवमक कतर म सलगन अविकतम सखया म लोग कहा पात ह?

(ii) आप ततीयक कतर म सलगन अविकतम सखया म लोग कहा पात ह?

(iii) कयो वनमन आय वाल दशो म जीवन-वनवातह किन वाल वकसान (कवल अपन वलए ही उतपादन कित ह), काशतकाि (जमीन पि अविकाि नही) औि भवमहीन रिवमक (परवतवदन लगन वाल बाजाि म अपना रिम बचत ह) ह?

य नमन क क परशन ह जो आकडो पि उठाए गए ह। कका को समहो म बा‍टा जा सकता ह औि एक समह को उनक उति दन क वलए कहा जा सकता ह। दसि चरि म समहो की परशन प न औि उति दन की भवमका को पिसपि बदला जा सकता ह। सही उतिो पि अक वदए जा सकत ह औि अत म समह को रिय वदया जा सकता ह।

सहपाठी मलयािन– ववदाथथी एक दसि क कायत का मलयाकन कि सकत ह।

D. कविास म ‍तीन कदतरो- पाकमि, कवि‍तीयि और ‍त‍तीयि कदतरो िा योगदान

पाकमि कदतर

भाितीय अथतवयवसथा म िकर एक महतवपणत कतर िहा ह। वषत 1951 म आबादी का 70 परवतशत भाग कवष म सलगन था। वषत 2007-10 तक 46 परवतशत परष रिवमक औि 65 परवतशत मवहला रिवमक तब तक भी कवष पि वनभति थ। अभी भी भवम पि जनसखया का भािी दबाव ह, भोजन की माग भी तज गवत स बढ िही ह। कवष म वनमन उतपादकता अनय कतर म ववकास को कम कि दती ह। यवद अनय कतरो को ववकवसत किना ह तो कवष म बाजाि क वलए अविक उतपादन किना होगा। वपल दशक म, सकल घिल उतपाद म कवष का योगदान 1950-51 म 53 परवतशत स वगिकि, 1990-91 म 20 परवतशत औि वफि 2011-12 म 14 परवतशत हो गया। पता लगाए ऐसा कयो ह?

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गक‍तकवकि: कनबि

ववदावथतयो स कहा जा सकता ह वक व कवष कतर म आन वाली समसयाओ को उजागि कित हए एक वनबि वलख।सकत

1. कवष कतर औदोवगक वसतओ को बाजाि उपलबि किाता ह औि ववदशी मदा कमाता ह। ऐसा वकस परकाि ह?

2. चवक भवम की उपलबिता सीवमत ह, हम कवष उतपादकता कस बढा सकत ह?

3. हरित रिावत

परिचचात म बताए वक कस हरित रिावत कवल बड वकसानो क वलए ही लाभकािी वसधि हई (गिीब औि अमीि वकसानो क मधय असमानता का मदा उठाए)। समझाए वक वकस परकाि अथतवयवसथा म सथावयतव सवनवशचत किन क वलए हरित रिावत न सिकाि क भडाि को भिा िखन म मदद की थी?

कवष क ववकास म मवहलाओ क योगदान को शावमल कि।

एक सपताह की अववि म ववदाथथी बलव‍टन बोडत (पवतरका प‍ट) पि लगान क वलए पाच वनबि ा‍ट सकत ह। अनय ववदाथथी इनह पढ सकत ह।

अनाज क उतपादन म ववधि अविक उपज दन वाल बीजो (HYVs), उवतिको, की‍ट नाशको क साथ-साथ जल की आपवतत स सभव थी। िनवान वकसानो को अविक उपज दन वाल बीजो, उवतिको, की‍ट नाशको औि वसचाई सवविाओ का लाभ वमला।

गक‍त कवकि- एि परागाफ कलख (300 शबद)

ववदाथथी वनमनवलवखत पि एक पिागाफ वलख-करा आपक शवचार स कशि उतपादकता को बढान क शलए अभी तक उपरोग म लाई जान वाली कशि कारय नीशतरो को पन: परखन की आवशरकता ह? इन सदभभो म चचाय कर-

1. भवम सिाि

2. जोत-कतरो की सहकारिता औि चकबदी

3. योजना वनमातण म लोगो की भागीदािी शावमल किन वाली ससथाए

4. ससथागत ऋण

5. समथतन मलय की परावपत

6. कवष को अनदान

7. खाद सिका वयवसथा

ववदावथतयो को अपन तकत पिी तिह वल वखत रप म परसतत किन क योगय होना चावहए। सबस रिषठ पिागाफ को कका म पढकि सनाया जा सकता ह।

कवि‍तीयि सदकटर

वववनमातण (बड पमान पि उतपादन) वदतीयक की एक महतवपणत गवतवववि ह। यह दो भागो म बा‍टी गई ह- पिीयि औि अपिीयि। पजीयक वववनमातण क अतगतत इकाइया बढी ह औि इनहोन सकल घिल उतपाद म योगदान वकया ह। असगवठत कतर न काफी कवत को झला ह, अत: जनसािािण क वलए िोजगाि पदा किन क वलए इसको वफि स दखन की जरित ह।

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गक‍तकवकि 1: समाचार पिना और उनिा कवशलदरण िरना

1. ववदाथथी एक जसी खबिो की पहचान कि सकत ह औि उनह कका म परसतत कि सकत ह।

2. वववनमातण कतर क कमजोि वनषपादन क कािणो का पता लगान क वलए परिचचात शर की जा सकती ह।

गक‍तकवकि 2:

वशकक वववभनन परकाि की वसतए जस वखलौन, लखन सामगी, इलकटॉवनक सामगी कका म ला सकत ह।

ववदाथथी परतयक उतपाद की ववसतत जानकािी दखकि नो‍ट कि सकत ह, जस-

1. वववनमातण की वतवथ

2. वववनमातण क सिका मानदणड

3. उतपादो की गणवता

य कया सकत दत ह?

कवमशथि िद कलए- कया व उतपाद सथानीय रप स बनाए जा सकत ह? ववदावथतयो को वववनमातण कतर दािा झली जान वाली समसयाओ को समझन योगय होना चावहए।

गक‍तकवकि: समाचार सामगी िा कवशलदरण िरना

वशकक कका म कोई नई पठन सामगी वदखाकि ववदावथतयो स उस पढन औि उसका ववशलषण किन क वलए कह सकत ह।

अरकक‍त दबथिल

सहायक पयातविण की अनपवसथवत म भाित सवततर वयापाि समझौतो (FTAs) म क यादा लाभ परापत नही किगा। अतिातषटीय वयापाि म खलापन उन दशो को जोडन क वलए एक सामानय िागा िहा ह जो दश समकालीन आवथतक नीवत वनमातता इसक सवततर वयापाि समझौतो की दकता पि वाद-वववाद कित ह। वाद-वववाद का वफि भी सवागत ह कयोवक वयापाि औि सपननता म पािसपरिक सबि उन कािको को वपान का परयास किता ह जो सकािातमक भवमका वनभात ह। इसस पहल वक भाित सवततर वयापाि समझौतो पि हसताकि कि, ववदमान समझौतो क आवथतक परभाव का अविक सखती स ववशलषण किन की आवशयकता ह औि उन अतिालो को दखन की भी जरित ह जो हम सवततर वयापाि समझौतो स औि अविक परापत किन म मदद कित ह।

जगदीश भागवती, सभवत: सवततर वयापाि क सबस अविक जान मान औि बहत बोलन वाल वकील ह, वह एक महतवपणत बात बतात ह वक वयापाि एक ससाधय बनान वाली यवकत ह औि वयापाि क खलपन स लाभ तब परापत वकए जा सकत ह जब पिक नीवतया सही होती ह। इस सदभत म नीवतवनमातताओ को वजस मखय परशन का उति दन की आवशयकता ह, वह ह वक भाित को वकन पिक नीवतयो की आवशयकता ह। भाित की आवथतक नीवतयो क दो महतवपणत लकषय ह- वववनमातण क भाग को लगभग 10 परवतशत अको स लगभग 25% जी०डी०पी० (सकल घिल उतपाद) बढाना औि परतयक वषत कायतबल म जडन वाल 10 किोड लोगो को िोजगाि क अवसि उपलबि किाना। लकषय आपस म गथ जात ह कयोवक खत ोडकि आन वाल यवाओ को काम पि लगान क वलए वववनमातण रिषठतम तिीका ह।

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आज भाितीय वववनमातण एक डावॉडोल वसथवत म ह। इस पि परिचचात हो सकती ह वक वववनमातण को कया असपिातकािी बनाता ह, लवकन सही यह ह वक वपल क वषषो स बात बहत वबगड गई ह। बहत कम समभावना ह वक वववनमातण अविक सवततर वयापाि समझौतो क परिणामो का तित सभाल पाएगा। यह सथाई सिका क वलए तकत नही ह, पिनत वसकडत वववनमातण कतर क सामावजक परिणाम होत ह। यह अतयावशयक ह वक सिकाि दो मोिचो पि एक साथ कायत कि। यह अपनी योजनाओ को वववनमातण क वलए वासतववकता म ढाल औि वववनमातण म भाित की वततमान कमजोरियो को सतवलत किन क वलए भाित क वयापारिक सहयोवगयो क साथ उनक सवा बाजाि खोलन क वलए सखत मोल-भाव कि।

सोर- ाईमस आि इकडया, 7 नवमबर, 2013

भार‍तीय कवकनमाथिण कदतर िद सामनद िौनसी चनौक‍तया ह?

सिद ‍त- एक कािण सडक, वबजली औि दिसचाि तथा वकसी परकाि की औि गणवतापणत आिािभत सिचनाओ की अनपवसथवत हो सकती ह। भाितीय कपवनया ो‍टी अथवा असगवठत कतर म बनी िहती ह, तावक काननो औि किो स बचा जा सक। वनमन उतपादकता उनह पनपन औि अपनी इकाई को ो‍ट औि मधयम उदम म उननत किन म बहत कम पररित किती ह। वववभनन ऋण सवविाए जस एजल इवस‍टि, वचि कवप‍टल औि इपक‍ट इवस‍टसत उदवमयो को ऋण सवविाए उपलबि किान म अभी भी आिवभक अवसथा म ह।

सदवा कदतर

वकदध िा कदतरीय सघटनसिल घरदल उतपाद (िी०िी०पी०) म कहससा (%)

2007-12 का औसत कवष 15उदोग 28सवाए 56

सोर: भाररीय ररजवत बि, भाररीय अ तवयवसा पर साकखयिी िी पसरि, 2011-12

गक‍तकवकि: आिडो िी वयाखया िरना

ववदावथतयो स कका म ऊपि वदए गए आकडो की वयाखया किन क वलए कह सकत ह।

वयाखया क बाद ववदावथतयो स यह पता लगान क वलए कह सकत ह वक कया सवा कतर म िोजगाि क अवसि भी बढ ह। यवद ऐसा हआ था, तो कया हमाि दश को बिोजगािी का सामना किना पडा था?

सकत

4. ऊपि वदए गए आकड हमाि दश म आवथतक ववधि क सवा मागतदशथी प‍टनत को दशातत ह। अथतशावसतरयो न बताया ह वक सवा कतर म तीवर ववधि न अथतवयवसथा को ववकास क उचच सति पि पहचाया ह। पिनत सवा मागतदशथी ववधि क सबि म उसक व‍टकाऊपन औि लमब समय तक ववधि पि आपवत जताई गई ह।

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5. सवा कतर की ववधि क वलए गणवतापणत वशका औि कौशल परावपत क वलए पराविान किन की आवशयकता ह। सचना परौदोवगकी, सॉ‍‍टवयि ववकास औि ववत म उचच कोव‍ट की सवाओ क वलए उचच वशका म योगयता आवशयक हो जाती ह। मधय सतिीय सवाओ जस खदिा वयापाि, हो‍टल औि िसटॉ सवाओ को भी रिम बल क वलए पयातपत कशलता की आवशयकता होती ह। सतर क अत म ववदावथतयो को अथतवयवसथा म सवा कतर क बढत योगदान का ववशलषण किन योगय हो जाना चावहए।

E. गामीण कविास

गामीण ववकास सबस अविक महतवपणत ह, चवक दश की दो-वतहाई जनसखया गामीण कतरो म िहती ह। जनसखया का एक वतहाई वहससा अभी भी अतयनत गिीबी म िहता ह। वववभनन योजनाओ औि नीवतयो न सामदावयक ववकास परियोजनाओ क माधयम स गामीण कतरो को ववकवसत किन क परयास वकए, पिनत इसन गामीण लोगो को अपनी परवत वयवकत आय बढान क पयातपत अवसि उपलबि नही किाए। हम अभी भी गामीण-शहिी ववभाजन औि गामीण कतरो स शहिी कतरो म आबादी का पलायन दख सकत ह। गामीण अथतवयवसथा की ववधि क वलए बीजो, खत की उतपादकता बढान क वलए उवतिको औि अनय सामगी खिीदन क वलए िन की आवशयकता होती ह। क बको न आसान ऋणो का पराविान वकया ह, पिनत गामीण लोगो को इसस कोई यादा लाभ नही हआ। सिकाि न इस परकाि उनकी जीववका की सिका औि िोजगाि की गािठी क वलए आिािभत सिचना ववकवसत किन क वलए बहत सी योजनाए शर की ह। क की सची नीच दी गई ह।

महातमा गािी राष‍टीय गामीण रोिगार गारटी अकिकनयम (मनरदगा)

यह सिकाि का मखय कायतरिम ह, वजसका लकषय गामीण कतरो म परिवािो की जीववका सिका बढाना ह। इसक वलए एक ववतीय वषत म परतयक परिवाि को कम स कम 100 वदन का गाि‍टी वाला आय िोजगाि उपलबि किाना ह, वजस परिवाि क वयसक सदसय कौशल िवहत रिम किन को तयाि हो जहा एक वतहाई मवहलाओ की भागीदािी का अनबि हो। मनिगा वतन वाला िोजगाि उपलबि किान क साथ-साथ पराकवतक ससािन परबिन पि भी धयान दता ह औि उनको सदढ किता ह तथा अकाल, वनोनमलन, भ-किण जसी लमबी गिीबी क कािणो को उदबोवित किता ह तथा सिािणीय (व‍टकाऊ) ववकास को परोतसावहत किता ह।

गामीण आिारभ‍त सरचना और कविास

िाषटीय मवहला कोष अनौपचारिक तिीक स ो‍ट ऋण को उपलबि किाता ह, वजसस वववभनन िायो क बीच अनवतथी लघ ऋण सगठन (IMO) बन। यह जीववका स सबवित गवतवववियो क वलए ऋण उपलबि किाकि गिीब मवहलाओ औि उनक सशकतीकिण पि धयान दता ह।

गामीण आिारभ‍त सरचना और कविास िायथिकम

गामीण शहिी एकीकिण औि ववधि का समान प‍टनत तथा गिीब औि समाज क ववचत वगत क वलए अवसिो की उचच वडगी परापत किन क वलए ह।

भार‍त कनमाथिण

भाित सिकाि दािा 2005-06 म गामीण भाित को मलभत सवविाए औि आिािभत सिचना दन क वलए शर वकया गया, वजसक ह घ‍टक ह- वसचाई, सडक , मकान, जल आपवतत, ववदतीकिण औि दिसचाि सबधिता।

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पिान मतरी गाम सडि योिना (PMGSY)

परिान मतरी गाम सडक योजना (पी०एम०जी०एस०वाई०) वदसबि 2000 म परािभ की गई, जो क द सिकाि दािा पणततया ववतपोवषत योजना ह। इसका उदशय कोि न‍टवकत म वडवज‍टल रप स असबवित वाससथानो को सबधिता उपलबि किाना ह। कायतरिम मदानी कतरो म 500 वयवकत औि अविक की जनसखया (2001 की जनगणना क अनसाि) औि पवततीय िायो, आवद वासी कतरो म 250 वयवकत औि अविक जनसखया वाल सभी वाससथानो को सबधि किन पि लवकत ह।

गामीण पदयिल

गामीण कतरो म लगभग 73% गामीण वाससथान सिवकत पयजल उपलबि किान हत पणतरप स शावमल कि वलए गए ह, जहा वाससथानो दािा कम स कम 40 ली‍टि परवत वयवकत परवतवदन सिवकत पयजल परापत हो।

सोर: आक ति सवन 2012-13

गक‍तकवकि ।- पोसटर चाटथि

ववदावथतयो स कह वक व गामीण कतरो क ववकास क वलए उपलबि योजनाओ पि पोस‍टि चा‍टत बनाए (ववदाथथी िखा वचतरो का उपयोग कि सकत ह औि िग भि कि उनह बना सकत ह।)

गक‍तकवकि 2- िोलाि (समकचचस कचतर)

ववदावथतयो को गामीण कतरो की परियोजनाओ क परभावो को उजागि किन क वलए कोलाज बनान क वलए परोतसावहत वकया जा सकता ह। इस परकाि का एक कोलाज ववकवसत वकया गया ह, वजस नीच वदया गया ह। ववदावथतयो का आकलन उनक पोस‍टि या कोलाज म दी गई जानकािी औि परदवशतत िचनातमकता स वकया जा सकता ह।

सकत-

- कया योजनाओ औि कायतरिमो का लोगो क जीवन पि सदव सकािातमक परभाव पडता ह?

- गामीण कतरो म योजनाओ क कायातनवयन दािा मवहलाए औि अनय ववचत समहो क लोग वकस परकाि परभाववत होत ह?

- ववदावथतयो स प कया व क ऐस मामलो को जानत ह जहा परिवाि इस परकाि की योजनाओ औि कायतरिमो स परभाववत हए हो।

- ऐसी योजनाओ को लाग किन म कया बािाए आती ह?

F. सिारणीय (कटिाऊ) कविास िद कलए पयाथिवरणीय सरोिार

अथतवयवसथा औि पयातविण एक दसि पि वनभति कित ह औि इनह सिािणीय ववकास क वलए एक दसि की आवशयकता होती ह। सिािणीय ववकास की सकलपना को पयातविण औि ववकास पि सयकत िाषट सममलन दािा परकाश म लाया गया। इसम भावी पीवढयो की आवशयकता औि कमता स समझौता वकए वबना वततमान पीढी की आवशयकताओ को पिा किन की

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बात को समझाया गया ह। इस मानव ववकास क सदभत म वयकत वकया गया ह, कयोवक यह वयवकत क ववकलप को शावमल किता ह औि वनणतय लन म भागीदािी को सहज बनाता ह।

अविक स अविक वववशष‍ट शबदो म यह गिीबो क वलए इस परकाि जीववका का परबि किता ह वक ससािनो का ववनाश कम स कम होता ह, पयातविण वनमनीकिण को िोकता ह, सासकवतक ववघ‍टन औि सामावजक अवसथिता को िोकता ह। यह कवष की उपज, वववनमातण औि सवा कतर को भी इस परकाि सवनवशचत किता ह वक पयातविण वनमनीकिण कम स कम हो। पयातविण क व‍टकाऊपन की दिदवशतता को सपरवषत किन क वलए आवशयक ह वक ववकास योजना म पयातविण सिोकािो को उचच पराथवमकता दी जाए।

गक‍तकवकि 1: कववरकणिा बनाना

कका को समहो म बा‍ट औि परतयक समह स एक ववशष योजना पि एक ववविवणका बनान को कह। ववविवणका को योजना क लकषयो, उदशयो औि कायातनवयन को उजागि किना चावहए; इस लोगो क वववभनन वगषो की जानकािी दनी चावहए वजन पि उनका परभाव पडन की समभावना ह। ववविवणका बनान क बाद परतयक समह उस कका म परसतत किगा औि दसि समह इस पि परिचचात कि सकत ह। यह गवतवववि गामीण ववकास क परभाव क परवत परवतवरिया उतपनन कि सकता ह।

गक‍तकवकि 2: कनबि लदखन

ववदावथतयो स वनमनवलवखत पि 500 शबदो का वनबि वलखन क वलए कहा जा सकता ह।

शहरी कनयोिन- कलपना कि वक आप अपन सकल क पराचायत ह। आप सकल का पयातविण हिा-भिा कस बनाएग?

िल सरकण िायथिकम- माना आपक आस-पास क क जलाशय गद औि परदवषत हो गए ह। उन जलाशयो क परदषण को कम किन क उपाय बताए तावक वह भावी पीढी क वलए भी व‍टकाऊ बन जाए।

सामदाकयि भागीदारी- सामदावयक भागीदािी क वलए सिािणीय जल सिकण क वलए एक योजना तयाि कि। योजना क लकषयो की पहचान कि औि इस पि ववचाि कि वक इसका कायातनवयन कस होगा? कया आप सहमत ह वक सिवकत औि सवसथ पयातविण पान क वलए सभी की भागीदािी की आवशयकता ह?

G. समावदशी कविास

भाित म ववकास का लाभ सभी लोगो जस- ववशष रप स एस०सी०, एस०‍टी०, अलपसखयको औि शािीरिक रप स वन:शकत समहो तक नही पहचता। जडि असमानता भी एक वयापक समसया ह, कयोवक समाज म हो िह सिचनातमक परिवततनो का उन पि ववपिीत परभाव पडता ह। गिीबी क सीमात समहो जस अनसवचत जनजावतयो म शायद ही कम हई ह। अत: इन समहो क लोगो को अपन कौशल ववकवसत किन औि ववकस की परवरिया म भाग लन क अवसि वदए जान चावहए।

गक‍तकवकि 1: पररचचाथि

'कया समावशी ववकास म सामावजक समावश क साथ ववतीय समावश भी या दोनो शावमल ह' पि कका म एक परिचचात शर की जा सकती ह। परिचचात शर किन स पहल ववदाथथी अपन पसतकालय म जाकि अथतशासतर का शबदकोष दख औि वनमनवलवखत पदो क अथत का पता लगाए- (a) सामावजक समावश औि (b) ववतीय समावश

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गक‍तकवकि 2: कनबि

ववदावथतयो को वनमनवलवखत ववषयो पि अपन ववचाि वयकत किन क वलए कहा जा सकता ह-

- कया पयातविण को हावन पहचाए वबना ववकास सबिी गवतववविया लाग की जा सकती ह?

- कया पयातविण को नष‍ट वकए वबना गिीबो क वलए जीववका ज‍टाई जा सकती ह?

- कया आप सहमत ह वक ववकास क वलए 'जन क वदत उपागम' अविक होन चावहए?

सभी ववदावथतयो को वनबि वलखन क वलए परोतसावहत वकया जाना चावहए। बाद म उनह एक दसि का वनब ि पढन क वलए पररित वकया जाना चावहए।

गक‍तकवकि: एि कमनट िी वा‍ताथि

ववदावथतयो को ऐस सझाव दन क वलए कहा जा सकता ह वजनस ववदालय परशासन ववदालय औि कका को पयातविण वहतषी बनाए।

ववदावथतयो का आकलन उनक दािा ककाकक को हरित बनान क वलए वदए गए ववशवसनीय सझावो क आिाि पि वकया जा सकता ह।

कनषिरथि

इस परकाि दश क भीति ववकास क पररिम क वलए आवथतक औि सामावजक रपातिण अपरिहायत ह। उनको मॉवन‍टि किन क वलए मानव ववकास सचकाको क समह को शावमल वकया गया ह। यह कायत चनौतीपणत ह पित दशो म आपसी सहयोग स वततमान क साथ-साथ भावी पीढी क वलए िािणीय ववकास सवनवशचत वकया जा सकता ह।

हम ववकास को सन क ववचािो क साथ समवकत कित ह, जब आिािभत आवशयकताओ म सिाि होता ह, जब आवथतक परगवत दश औि उसम बस लोगो क सवावभमान क वलए काफी योगदान किती ह, औि तब भौवतक उननवत लोगो क अविकािो, समताओ औि सवततरताओ को वयापक बनाती ह।

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सझाई गई पठन सामगी

- पिी, वी०क०, एस०क० वमरिा (2013) इवडयन इकोनॉमी, वहमालय पवबलवशग हाउस, नई वदलली

- वथिवाल ए०पी० (2011), इकोनॉवमकस ऑफ डवलपम‍ट, पालगव मकवमलन बकस, एन०सी०ई०आि०‍टी० दािा परकावशत

- भाितीय अथतशासतर ववकास, कका XI क वलए एन०सी०ई०आि०‍टी० की पाठयपसतक, 2006

- अथतशासतर, कका IX क वलए एन०सी०ई०आि०‍टी० की पाठयपसतक, 2006

- चरिवतथी सखमोय (1994), डवलपमन‍ट पलावनग द इवडयन एकसपीरिएस, आ०य०पी० वदलली

- कवपला उमा (अनय) (2006), पलावनग एणड िोल ऑफ स‍ट‍ट (अनय नो‍टस) इवडयन इकोनॉवमकस वसनस इवडपनड‍ट

अमतय सदन विारा कलकख‍त पस‍ति

- ऑन एवथकस एणड इकोनॉवमकस, नई वदलली, ऑकसफोडत यवनववसत‍टी परस, 1987

- डवलपम‍ट एणड रिीडम, ऑकसफोडत, ऑकसफोडत यवनववसत‍टी परस, 1999

- इवडयन डवलपम‍ट एणड पा‍टथीवसपशन, नई वदलली, ऑकसफोडत यवनववसत‍टी परस, 2002 (जीन डज क साथ)

- द आगतम ‍टव‍टव इवडयन, लदन पगयइन, 2005

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‘मदरा और साख’ िा सपदरण

सककप‍त पररचय

मदा एक ववतीय सािन ह। यह वववनमय, वहसाब की इकाई औि मलय क भडािण क कायषो को पिा कि सकती ह। मदा वववनमय क माधयम क रप म कायत किती ह, जब वह वसतओ औि सवाओ को खिीदन क वलए उपभोकता औि उतपादक दोनो दािा सवीकाि की जाती ह। वहसाब (खाता) की इकाई क रप म हम मदा को एक वसत की तलना दसिी वसत स किन क योगय होत ह। मदा भववषय म उपयोग क वलए बचाई जा सकती ह औि इस कािण उसम मलय का भडाि होगा। मदा आपवतत का अथत ह परचलन म नगदी औि जो िनिावश लोगो क पास औि वयापाि क वलए बक खातो म ह। मदा जब वसतओ औि सवाओ क वववनमय म मधयसता किन क वलए उपयोग म लाई जाती ह, तो यह वववनमय क माधयम का काम किती ह। वसत वववनमय पधिवत म वसतओ औि सवाओ क आदान-परदान क सदभत म अकमताए िहती ह, कयोवक मागो क दोहि सयोग की आवशयकता होती ह। मदा वहसाब की इकाई स रप म काम किती ह, कयोवक वह वसतओ, सवाओ औि अनय आदानो-परदानो क बाजाि मलय को मापन की मानक सखयातमक इकाई ह। इस वबना मलय खोए ो‍टी इकाइयो म बा‍टन की आवशयकता ह; एक इकाई को वकसी भी दसिी क समतलय माना जा सकता हो, औि इसका वववशष‍ट भाि, माप या आकाि होना चावहए। मलय का भडािण कायत मदा को ववशवसनीय रप स बचान औि भडारित किन का काम किता ह।

आिवनक अथतवयवसथा म मदा की भवमका, इसक वभनन परकािो औि ववववि ससथाओ जस बक स इसक सबिो की चचात की जाती ह। लोगो दािा वववभनन उदशयो क वलए ऋणो की आवशयकता होती ह। बक औि दसि ससथान ऋण उपलबि किान म परमख भवमका वनभात ह। ऋण उतपादक वनवश, उचचति आय रिखलाए औि जीन क उचचति मानक उपलबि किाकि एक अचा चरि उतपनन कि सकता ह, जो ववकास म योगदान क वलए अविक उतपादक वनवश की ओि ल जा सकता ह। कभी-कभी ऋण/कजत गिीबी औि ऋण क वशकज का दषचरि भी पदा कि सकता ह औि गिीबी को बढाता ह।

कशकण-अकिगम उददशय

‘मदा औि साख’ क सपरषण क समय वशकको को वनमनवलवखत पि धयान क वदत किन की आवशयकता िहगी:

- मदा, उसक उदभव औि महतव की सकलपना।

- मदा का मलय कयो होता ह औि यह वकस परकाि वववनमय औि वववशष‍टीकिण को सहज बनाती ह।

- मदा क आिवनक रप औि उसका बक ततर क साथ सबि।

- ऋण की सकलपना, व कौन स पक ह जो कोई वकसी ऋण वयवसथा म वदखाई दत ह औि व वकस परकाि लोगो को परभाववत कित ह।

- ऋण की भवमका जो ववदावथतयो को यह अनभव किाती ह वक ऋण लोगो का अविकाि ह।

पमख सिलपनाए

A. मदरा िी उतपकतत

परागवतहावसक काल म मनषय सामानयत: ो‍ट समदायो म िहत थ, जहा व जीववत िहन क वलए एक दसि पि वनभति िहत थ। आवदकालीन समदायो म सभी वसतओ को आपस म साझा वकया जाता था। कोई वयापाि अवसततव म नही था। बाद म

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समदायो क बीच वसतओ का वववनमय शर हआ। सबस पहल पालत पशओ क आदान-परदान स वसत वववनमय परािमभ हआ। वसत-वववनमय म वयापाि किना कवठन हो गया। इसका मखय कािण आवशयकताओ का उभय सयोग पि आिारित होना था। परशात महासागि औि भाितीय महासागि म पाई जान वाली कौवडया किसी क रप म काम म ली जान लगी। य २०वी शताबदी तक कपड स लकि भोजन तक परतयक वसत क वयापाि म काम म ली जाती थी। सबस पहली जात िात स बनी किसी, वजसन कौवडयो का सथान वलया, कास औि ताब स वनवमतत थी, इस चीन न शर वकया, वजसका बाद म द यकत वसकको म रपातिण हो गया था। बाद म चीन न चमड की मदा बनाई औि कागज किसी बनान म अगणी िहा। इसस लोगो को बाजाि म वयापाि क वलए भािी िातए ल जान स ‍टकािा वमला।

सवणथि मानि: कागज की किसी को सवणत की क मातरा क रप म दशातया गया। इसस लोग वसतओ या सवाओ का भगतान कागज क एक ‍टकड स कि पात थ, वजसका उपयोग बक स उसक बदल सवणत लन या अनय वसतओ या सवाओ क वलए भगतान किन हत वकया जा सकता था। इस इगलणड म वषत 1816 म शर वकया गया औि उसक बाद ऑसटवलया, कनाडा, रिास, जमतनी औि सयकत िाषट म परचलन म आया। सवणत मानक भािी मदी क साथ नीच वगि गया। अब कागज की मदा को सवणत म बदला नही जा सकता था। यह अतिातषटीय आदान-परदान क वलए उपयोग म ली जाती थी। सवणत मानक क अतगतत, सवणत की कीमत परचवलत किसी म तय की जाती थी औि उस कीमत पि सवणत खिीदा औि बचा जाता था। अनय मलयवान िातए, ववशष रप स चादी को भी मौवदक मानक क रप म उपयोग म लाया जाता था। सवणत औि चादी क मानको का सयोजन वदिातवाद कहलाता ह।

अकिकदषट मदरा: जब दशो म आदान-परदान बढ गया, तो सवणत की कमी क कािण दशो क वलए सवणत मानक का उपयोग कित हए वयापाि किना कवठन हो गया। इसस कागज मदा का परािमभ हआ। कागज मदा का कोई आ तरिक मलय नही था। इसको कवल जािी किन वाल पराविकािी क सवणत आसथा को समथतन था। इस कागज किसी कहा गया। कागज किसी वकसी भी वसत औि सवा का मलय गहण कि लती थी, वजसका वयापाि उस दश म हो सकता था जो दश यह किसी जािी किता था। मदा का मलय परबल होता ह जस-जस दश की अथतवयवसथा परबल होती ह। जब तक हम अपनी इचा की कोई वसत या उसस मदा नही खिीद सकत, उस मदा का कोई मलय नही होता। जब कोई दश वबना यह ववचाि वकए, वक उसक पास कया वसतए या सवाए ह, मदा ाप दता ह; तो मदा का मलय वगि जाता ह। लोग मदा िखना पसद नही किग यवद वह उसी मलय की वसतए औि सवाए परापत नही कि सकत।

पलाकसटि मदरा: पस क लन-दन क वलए नगदी क सथान पि काडत का उपयोग शर वकया गया ह। पलावस‍टक काडत जो बक क नो‍टो क सथान पि उपयोग म वलए जा िह ह, पलावस‍टक मदा कहलात ह। य वववभनन रपो म ह, जस कश काडत (ए०‍टी०एम० काडत), रिवड‍ट काडत, डवब‍ट काडत, इतयावद। रिवड‍ट काडत का आिमभ 1966 म हआ जब बक ऑफ अमरिका न अमिीकी रिवड‍ट बनड सथावपत वकया, जो बाद म वीजा (VISA) क नाम स जाना गया। इसस उपयोगकतात वसतए औि सवाए सीि खिीद सकता ह। बक दािा खिीदािी क वलए रिवड‍ट काडत उपयोग कतात को क सीमा तक क िन उिाि वदया जाता ह। काडत िखन वाला परवतमाह पिी बकाया िाशी का भगतान कि द तो जो उसम उिाि की िावश उपयोग म ली ह, उसक बयाज स वह बच सकता ह। कश काडत का उपयोग किक मदा बक क खात स सीिा, ऑ‍टोम‍टड ‍टलि मशीन (ATM) स वनकाला जा सकता ह। डवब‍ट काडत का उपयोग वसतओ औि सवाओ को खिीदन क वलए वकया जा सकता ह, पिनत यह उस िावश तक सीवमत ह जो वयवकत क खात म जमा ह।

गक‍तकवकि– भकमिा कनवाथिह

यह गवतवववि ववदावथतयो को मदा क महतव औि इसकी उतपवत क बाि म समझन योगय बनाएगी।

• आइए, क ववदावथतयो को वववभनन भवमकाए जस मोची, खाती, डाक‍टि, मआिा, कलाकाि, िसोइया, इतयावद, वनभान को कह। जबवक शष रिोताओ क रप म कायत कि सकत ह।

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• व अपन उतपाद औि सवाए बचन को तयाि ह औि बदल म उनह उपयोगी वसतए औि सवाए खिीदनी ह। मदा का मलय तय किन क वलए क भी नही ह।

• वववनमय शर किन क वलए उनह वववभनन परिवसथवतया द, उदाहिण क वलए–

“राधा एि खारी/बढई ह, िो बीमार हो िारी हऔर डाकर िी सवाए लना चाहरी ह। डा. रखा ि पास उसि घर म खारी सबधी ऐसा िोई भी िाम नही ह िो राधा डाकर िी सवाओ ि बदल म दना चाहरी ह। इसि बिाए डाकर िो किसी रसोइए/बावचथी िी सवाओ िी िररर ह। रसोइए राम िो खाना बनान ि कलए बरतन चाकहए और वह बदल म खाना बना सिरा ह। मोची िो िनथीचर िी आवशयिरा ह, उसि कलए वह बरतन द सिरा ह िो उसि पास ह। रसोइए और मछआर िो इन बरतनो िी आवशयिरा ह और व बदल म खाना और मछकलया द सिर ह।”

• ववदावथतयो को वसतए औि सवाए खिीदन औि बचन द।

• जब उनम स परतयक कम स कम एक एक लन-दन कि ल, तो उनह परिचचात क वलए बला ल।

पररचचाथि

भवमका वनवातह क बाद, एक परिचचात उन वववभनन समसयाओ पि की जा सकती ह वजनका सौदा कित समय उनको सामना किना पडा। लन-दन गवतवववि को दखन वाल ववदावथतयो स कह वक व उस परकम को समझाए औि उन समसयाओ को बताए जो उनहोन वववनमय परवरिया म पाई। परशन जस– कया यह परवरिया समय नष‍ट किन वाली थी? कया कभी-कभी उतपाद को बचना असमभव हो जाता था? इतयावद, प जा सकत ह। “आवशयकताओ का उभय सयोग” होन की आवशयकता पि चचात कि।

मदा की अनपवसथवत म लन-दन का ना‍टक ववदावथतयो को उस वसथवत की कलपना किन की कवठनाई दि किगा, जब मदा का अवसततव नही था, शावमल समसयाओ क बहआयामी वववनमय मलय ह, इस परकाि मदा क महतव को उजागि वकया जाता ह।

B. मदरा िा मलय

मदा का वासतववक मलय उसक दािा खिीदी जान वाली वसतओ औि सवाओ स वनिातरित होता ह। जस वकसी भी उतपाद का मलय/महतव होता ह कयोवक उसकी आपवतत औि माग सीवमत ह। इसी परकाि मदा की आपवतत (सपलाई) भी सीवमत औि इसवलए उसकी माग ह। लोग मदा िखत ह कयोवक व जानत ह वक दसिो को इसकी जरित ह औि इस कािण इसका उपयोग उनस वसतए औि सवाए परापत किन हत वकया जा सकता ह। यवद अविक किसी ाप कि मदा को दो गना भी कि वदया जाए तो भी इसस वसतओ औि सवाओ को समथतन नही वमलगा। इसस लोगो की दशा बहति नही होगी। मदा का मलय कम हो जाएगा औि वसतओ तथा सवाओ की कीमत बढ जाएगी।

गक‍तकवकि– भकमिा कनवाथिह िो दोहराना

• मदा की सकलपना स ववदावथतयो का परिचय किाए।

• ववदावथतयो को वपली गवतवववि वाली भवमकाए वनभान द, पिनत मदा का उपयोग किक।

• व अपन-अपन उतपादो का मलय रपयो म तय कि सकत ह, औि लन-दन म कागज क नो‍टो औि वसकको को वववनमय म परयोग कि सकत ह।

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• भवमका वनवातह क बाद परिचचात कि।

पररचचाथि िर

कागज क नो‍टो औि वसकको क मलय पि परिचचात कि, जो उनक पास थ। उनस प वक कया उनह अब क अति लगा? कया यह अविक सवविाजनक ह? परतयक न वकस परकाि अपनी-अपनी उपयोगी वसतओ का मलय तय वकया? व कया कित यवद उनकी वसतओ का उपभोकता उनक दािा तय की गई कीमत दन क वलए तयाि नही होता? ववदाथथी यह जान जाए वक वववनमय क माधयम क रप म मदा को सभी दलो दािा भगतान क सािन क रप म मानयता दी गई ह। लख (वहसाब/खाता) की इकाई क रप म मदा परतयक वसत औि सवा को मापन क वलए सामानय रप स सवीकत इकाई उपलबि किाती ह।

ववदावथतयो को याद वदलाए वक मदा लन-दन (वववनमय) क उदशय स उपयोग म ली जाती ह औि उसका इसीवलए महतव ह सभी सहमत ह वक इस भगतान क रप म सवीकाि वकया जा सकता ह। ववदावथतयो स चचात कि वक कया व अपनी मदा सवय ाप सकत ह औि वसतओ क भगतान हत उस काम म ल सकत ह- कयो या कयो नही? मदा क मलय की समझ ववदावथतयो को इस तथय पि ववचाि किन हत सकम बनाती ह वक मदा को कहा खचत वकया जा िहा ह इस पि वनभति कित हए मदा का मान वभनन हो सकता ह। व इस पि ववचाि किग वक ववशव क वववभनन भागो म वववभनन वसतओ औि सवाओ की कीमत वभनन होती ह। अतत: ववदाथथी यह समझ ववकवसत कित ह वक रपए का मलय इस बात स वनिातरित होता ह वक रपया कहा खचत हो िहा ह।

कया आिलन िरना ह?

गवतवववि औि परिचचात क समय, वशकक को मदा की सकलपना, वववनमय को सहज बनान म मदा का कया महतव ह औि मदा क यथाथत मलय की समझ ववकवसत किना ह। व यह सपष‍ट किन म सकम होग वक कयो क वसतए मदा क सथान पि परभावी रप स काम म ली जा सकती ह औि क नही। जाच कि वक कया व अपन-अपन उतपादो का मलय तय किन म सकम ह औि वनणतय ल वक वजन वसतओ की उनको आवशयकता ह व उन वसतओ का मलय दन को तयाि ह। उनकी मदा को वववनमय क माधयम क रप म मानन की योगयता, ववशष रप स मलयाकन किन औि दी गई परिवसथवत म पिसपि सहयोग किन को सीखन क सकतको क रप म उपयोग म वलया जा सकता ह।

C. बि और साख

बक औि दसिी ववतीय ससथाए मदा को सिवकत रप स िखन, गाहको को चक वलखन की सवविा दन, वबलो का भगतान किन या दसिो को पसा भजन औि लोगो को ऋण उपलबि किान का एक सथान उपलबि किाती ह। बक ववतीय ससथा क रप म कायत कित ह जो जमा किन क वलए िन सवीकाि कित ह औि इस जमा िावश को उिाि दन क वलए उपयोग म लत ह। इस परकाि एक ओि बचतकतातओ औि ऋणदाताओ को औि दसिी ओि ऋण लन वालो औि वनवशको की काितवाइयो का समनवयन कित ह। यह सब वनवश को सहज बनाता ह जो एक ववकासशील बाजाि अथतवयवसथा क वलए महतवपणत ह।

भार‍तीय ररजवथि बि

भाितीय रिजवत बक क दीय बक ह जो अथतवयसथा म मदा की आपवतत को वनयवतरत किता ह। आि०बी०आई० का मखय कायत भाित सिकाि की ओि स मदा जािी किना ह। यह मौवदक नीवतयो क सदभत म सिकाि क सलाहकाि क रप म भी कायत

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किता ह। वयापारिक बको क कायत को सहजता पवतक चलान क वलए यह वकलरिग हाउस उिािदाता क रप म कायत किता ह। मौवदक नीवतयो दािा दश का यह क दीय बक मदा की आपवतत औि ऋण की उपलबिता म परिवततन लाता ह। मदा आपवतत म कोई भी बदलाव, खचत किन, िोजगाि, उतपादन औि कीमतो क समसत सतिो को परभाववत किता ह।

वाकणकयि बि

वावणवयक बक बचतकतातओ स जमापजी लकि औि वनवशको को उिाि दकि ववतीय मधयसतता का कायत कित ह। अनय वयावसावयक कपवनयो की तिह वावणवयक बको का मखय उदशय लाभ कमाना ह। बक अपन गाहको स जमा िावश को– माग जमािावश, आवविक जमािावश औि बचत जमािावश क रप म सवीकाि किता ह। माग जमािावश, वजस अकसि चाल खाता कहा जाता ह, पसा दन क वलए सदव तयाि िहत ह औि बक इस खात म जमा िन पि कोई बयाज नही दता। आवविक जमा िावश कवल वयवासय/ऋण दन क वलए उपलबि होत ह, जबवक बचत जमा िावश को समय-समय पि वनकाला जा सकता ह। रिवड‍ट चको, डा‍‍टो, डवब‍ट काडषो, रिवड‍ट काडषो आवद क सािनो क रप वावणवयक बक वववनमय (लन-दन) क एक सिल माधयम क रप म कायत कित ह। जमािावशयो क साथ बक ऋण दन का कायत सपनन कित ह।

मकहला बिो िा पारभ– भार‍तीय मकहला बि

मवहलाए ववशष रप स गामीण कतरो म जडि औि जावत आिारित भदभाव स दबी िहती ह। व सामानयत: सपवत क अविकाि स ववचत िहती ह, अत: व ऋण लन क वलए कोई ऋणािाि नही द पाती। मवहला बको का परािमभ दश म हाल ही म हआ ह। इनका अवगम दयिावश औि जमािावश का वयवसाय वषत 2020 तक 60,000 किोड रपए तक हो जान का अनमान ह, जब इसका 770 सशकत शाखाओ का न‍टवकत सथावपत हो जाएगा।

इस परकाि क मवहला बको का परयोग दो दश– पावकसतान औि तजावनया पहल कि चक ह। पावकसतान पहला दश था वजसन मवहला कतरीय बको की आवशयकता को पिा किन क वलए मवहलाओ क वलए अलग स बक सथावपत वकए। वषत 2007 म सथावपत तजावनया मवहला बक का धयान कम आय अवजतत किन वाली मवहलाओ, ो‍ट वयवसायो औि ो‍ट तथा मधयम उदवमयो पि था। मवहलाओ क वलए अनय ववशष सािन का उदाहिण वमला वलडत बवकग घाना सववगस एणड लोनस कपनी वलवम‍ट‍ट ह जो वमन वलडत बवकग गलाबल सगठन स सबधि ह। भाित म क सहकािी बक, जस रिी मवहला सवा सहकािी बक वलवम‍टड औि मान दशी मवहला सहकािी बक वलवम‍टड ह वजनह कवल मवहलाए ही चलाती ह।

पजी परापत किन म मवहला उदवमयो को परवतकल वयवसाय औि वनयामक वाताविण रकाव‍ट डालता ह। कवल मवहलाओ क वलए चलाया जान वाला बक ऋण लन क कवमयो क मदो को दि किता ह।

भाित म सवय सहायता समह औि सकषमववत आदोलन मवहलाओ दािा चलाए जा िह ह। मवहलाए पजी सबिी कायत सभालन म अविक उतिदायी, अनशावसत औि वववशष‍ट भवमका वनभाती ह। भाितीय मवहला बक कवल मवहलाओ को ही ऋण दता ह जबवक वह परषो स भी जमािावश लन पि ववचाि कि सकता ह।

मशहलाओ क शलए मशहलाओ दारा बक चलाना

रिवत ससान उललास, ‍टी०एन०एन०/22 नवमबि, 2013, 02.21am, आई०एस०‍टी०

बगलोर– इस बक का वाताविण मवहलामयी एव नयापन वलए हए ह। कवल ऐसा नही ह वक सभी काउन‍टिो को मवहलाओ न सभाल िखा ह, आन वाली अविकति मवहलाए ही ह औि परबिक कक स मवहला की आवाज आ िही ह, पिनत ऋण क पराथतनापतरो स भी नािीजातीय महक ह, जस िसोईघि क नवीकिण क वलए।

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मवहलाओ क वलए भाित क पहल सिकािी बक, भाितीय मवहला बक न मगलवाि को सात शहिो म अपना वयवसाय परािभ वकया। बगलोि म यह बक हडसन सवकत ल पि, पवलस स‍टशन क पास, ह जो मखय रप स मवहलाओ क वलए ह। वनमातणािीन भतल पहल स गवतवववियो स गजन लगा ह। ताज पन‍ट की गि अभी भी हवा म ववदमान ह औि मवहलाओ का उतसाह मगिकािी ह। पहल तीन वदनो म बक न 40 खात खाल औि पाच ऋण सवीकत वकए।

यदवप परष यहा अपन खात खोल सकत ह। इस वनयवमत बक-कायमो क वलए उपयोग म ल सकत ह, मवहलाओ को 80:20 क अनपात म पराथवमकता दी जाती ह। बक बचत खातो पि अचा बयाज दता ह औि सवय सहायता समहो, उदवमयो औि ववदावथतयो को कम दिो पि ऋण दता ह। नव िसोई योजना अपन आप म अनोखी ह। आप अपनी िसोई क नवीकिण म कम स कम 50,000 रपए औि अविकतम 7 लाख रपए का ऋण ल सकत ह। यह वसववल कायत, इलकटॉवनक उपकिणो, फनथीचि, बततनो तथा रिॉकिी की खिीदािी क वलए हो सकता ह। सािा ऋण बस दि क ऊपि 2.5% की आकषतक बयाज पि ह। पिनत बगलोि शाखा पि अभी तक कोई यह ऋण लन नही आया। अभी तक योजना क बाि म अविक जागरकता नही ह। हमाि वलए चनौती सथावपत बको क साथ मकाबला किना ह। पिनत मवहलाए वनवशचत रप स इस बक की ओि आकवषतत होगी। यह पहली बाि म दख िहा ह वक इतनी मवहलाए बक आ िही ह। दसि बको म गाहक अविकति परष होत ह। सवय सहायता समहो औि गि सिकािी सगठनो न आना शर कि वदया ह। मखय परबिक योथी लकमी वी०जी० न कहा:

परभा जी०बी० जो शहि म दो बय‍टी पालति चलाती ह, जसी मवहलाए इस सबि म िोमावचत ह, “म अपन बय‍टी वकलवनक का नवीकिण किना चाहती ह औि यहा अविकारियो को अपन वयवसाय क बाि म समझाना बहत आसान ह, व इस भली भावत समझत ह।”

एगीस िाठी एम० सहाना, एक उदमी ह, जो वनयातत का वयवसाय किती ह– “लोगो का यह मानना िहता ह वक परष अचा वयवसाय कि सकत ह। व लोगो को अपनी बात जलद मनवा सकत ह। औि कभी-कभी पराविकारियो स भी काम किा लत ह। बहत सी मवहला उदमी लाभो क क बाि म नही समझती ह औि आसानी स वनिोतसावहत हो जाती ह जब उनह कोई िकका लगता ह। यहा मवहलाओ स बातचीत किना औि अपनी जरितो को समझाना सिल ह।” शाखा न दो सवय सहायता समहो को ऋण वदए ह औि एक वशका क वलए ऋण वदया ह।

सात कमतचारियो म कवल एक परष ह। उसस प ा वक उस यहा काम किना कसा लग िहा ह। ओवडसा क भपवत न मसकिात हए कहा, “मझ इस बक का वहससा बनन पि गवत ह, जो भाित क दसि आि भाग को सशकत बनाएगा।” एक ऐस दश म जहा मवहलाओ क मातर 26% बक खात ह, यह शाखा वनवशचत रप स सशवकतकिण का बोि अनपरावणत किगी।

शवचाररत शबद

• आप मवहला बक क सबि क बाि म कया ववचाि िखत ह? कया आपक ववचाि स ववतीय उतपादो क ववतिण को जडि-वववशष‍ट होन की आवशयकता ह? कािण द।

• औि कया तिीक हो सकत ह वजनस हम सशवकतकिण का बोि अनपरावणत कि सकत ह।

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D. भग‍तान िी कवकिया

ववदावथतयो को भगतान क वलए उपयोग म आन वाली वववभनन परकाि की मदाओ का जान पहल स हो सकता ह। कका म एक ववचाि मथन सतर आयोवजत कि, यह पता किन क वलए वक ववदाथथी भगतान क तिीको जस चक, डा‍‍ट, डवब‍ट काडषो, रिवड‍ट काडषो, मनी आडति, इतयावद क बाि म कया जानत ह।

गक‍तकवकि– कवकभनन ऋण कविलपो िा प‍ता लगाना

ववदावथतयो को समहो म बा‍ट द। परतयक समह को मोहललो म जान द औि लोगो स बातचीत किन द। व पसा उिाि दन वालो, दकानदािो, मवहलाओ, इतयावद स साकातकाि कि सकत ह, यह पता लगान क वलए वक वयवकत को उपलबि ऋण क वववभनन रप तथा उनक साथ सबधि शतव कया ह। जानकािी इकटी किन क बाद ऋण क परिपरकषयो म ववदावथतयो क उतिो को परकाश म लाए।

चरण 1– ववदावथतयो स यह प त हए शर कि वक व वववभनन बको म कया अति दखत ह औि ऋण क औपचारिक औि अनौपचारिक सतरातो म कया अति ह। उनक ववचाि स कौन-सा उपयकत ह? व ऐसा कयो सोचत ह? कया सपावरतक बयाज दिो औि उपलबि ऋण की सीमाओ म अति ह? समहो क अनभवो को बोडत पि वलख।

चरण 2– ववदावथतयो को ऋण सतरोत की अपनी पसद क बाि म बतान क वलए आमवतरत कि औि व समझाए वक उनकी यह पसद कयो ह। उनह अपनी कका क सहपावठयो की पसदो को सनन द।

चरण 3– दी गई वववभनन पसदो/ववकलपो औि ववकलप चनन म शावमल समसयाओ, मदो पि एक परिचचात कि, वजसस वशकाथथी जान सक वक बयाज दि, सपावरतक, सवीकत ऋण िावश औि अनय वप शलको को धयान म िखना होगा, इसस पहल वक व ऋण क परकाि औि सतरोत क बाि म वनणतय ल।

गक‍तकवि– समह िायथि

कका को समह म बा‍ट द औि परतयक समह भगतान का वववभनन वववियो पि कायत किग। एक समह को भगतान की एक वववि द द। परतयक समह को चा‍टत तयाि किन होग जो भगतान की वकसी ववशष वववि क मलभत लकण दशातत हो। कब उपभोकता भगतान का वह ववशष तिीका अपनाएग, कया साविावनया िखनी होगी औि बक वकस परकाि यह सवा उपलबि किाता ह। ववदावथतयो को उदाहिण ववकवसत किन द जहा यह भगतान किन औि लन का सवतरिषठ तिीका हो सकता ह। ववदाथथी इस पिी कका क सामन परसतत कि सकत ह।

पररचचाथि

भगतान की वववभनन वववियो को समहो दािा परसतत किन क बाद, परतयक वववि क लाभ औि हावनयो पि चचात कि। औि इस पि भी परिचचात कि वक वववभनन परिवसथवतयो म आप कौन-सी वववि का उपयोग किना पसद किग।

भग‍तान िद विकलपि ‍तरीिद िद रप म कद किट िािथि: िसद और िब उपयोग िर

ववदावथतयो स प वक उनम स वकतनो न रिवड‍ट काडत दख ह। उनह इस बात का आशचयत हआ होगा वक वकतना आसान ह– काडत सवाइप किना औि चा ही गई वसत का भगतान कि द। पिनत कया वासतव म ऐसा ह? अपन ववदावथतयो को सीखन द

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वक रिवड‍ट काडत कस उपयोग म वलए जात ह औि लोग रिवड‍ट काडमो का उपयोग कयो कित ह। जानकािी द वक रिवड‍ट काडत मदा नही ह, पिनत इसस आप ततकाल क परापत कि सकत ह औि उसका भगतान बाद म कि सकत ह। परिचचात कि वक रिवडत काडत कस कायत किता ह, इनह कौन बा‍टता ह, रिवड‍ट काडत को उपयोग म लन क वलए दाम कस चकाना पडता ह।

बक या अनय वयापारिक ससथाए रिवड‍ट काडत जािी किती ह, वजसस काडतिािी वयवकत वसतए औि सवाए वबना नगदी का उपयोग वकए खिीद सकता ह। इसका अथत यह हआ वक आप उपयोग म लन क वलए वसतए खिीद सकत ह भल ही आपक पास भगतान क वलए मदा न हो। उसका भगतान रिवड‍ट कपनी (बक) दािा हो जाता ह। बाद म आपको आप दािा खिीदािी क वबल का भगतान रिवड‍ट काडत कपनी को किना होगा। यवद आप पि वबल का भगतान कि दत ह, तो आपको क भी अवतरिकत भगतान नही किना होगा। पिनत मान ल वक आपक पास वापस भगतान क वलए पयातपत पस नही ह, तब आप ऐसा कि सकत ह वक रिवड‍ट कपनी दािा वबल म दी गई नयनतम आवशयक िावश का भगतान कि द औि पिी िावश का भगतान बाद म कि। यहा चवक रिवड‍ट काडत कपनी आपको एक िावश ऋण पि द िही ह, आपको उस िावश पि बयाज दना होगा।

E. बि िसद िायथि िर‍तद ह?

बक पसा उिाि दकि कमाई कित ह। व वह िन उिाि दत ह जो गाहको न जमा किाया होता ह। गाहको दािा बचत क वलए जमा किाए गए पस को अनय लोगो को ऋण क रप म उसका एक भाग उपलबि किाया जाता ह। लोग जो ऋण लत ह उनह ऋण की अववि क वलए बयाज दना पडता ह। बयाज दि वनवशको, उपभोकताओ औि सिकािी एजवसयो क पसा उिाि लन औि बचत किन को परभाववत किती ह। वनवशको को अपन वततमान उपभोग को सथवगत किन क पिसकाि क रप म बयाज दि उपलबि किायी जाती ह। जब बक पसा उिाि दत ह तो वह उिाि लन वाल स ऋण पि बयाज दि वसल कित ह। बयाज दि उस िन की कीमत ह जो उिाि वलया जाता ह या बचाया जाता ह। बयाज दि जोवखमपणत ऋणो पि अविक होती ह कयोवक जोवखमपणत ऋणो क वापस भगतान क चकन क सयोग अविक होत ह।

निदी ररजवथि अनपा‍त (C.R.R.), रदपो दर और कवपरी‍त रदपो दर

वयापारिक बको को अपनी जमा िावशयो का एक भाग कनदीय बक क पास िखना पडता ह। नकदी रिजवत अनपात वह िावश ह वजस बको को कनदीय बक क पास िखना पडता ह। कनदीय बक अपनी मौवदक नीवत क भाग क रप म नकदी रिजवत अनपात को बढा दत ह जब मदा की आपवतत घ‍टानी होती ह औि इसक ववपिीत भी। वयापारिक बको को जब कोष म िन की कमी का सामना किना पडता ह, तो वजस दि पि कनदीय बक वयापारिक बको को पसा उिाि दत ह, वह िपो दि होती ह। िपो दिो को मौवदक माप क रप म उपयोग म लत हए, कनदीय बक मदासफीवत पि वनयतरण कित ह। मदासफीवत वाली अववि म अथतवयवसथा म मदा आपवतत कम किनी पडती ह। िपो दि म बढोतिी वयापारिक बको क वलए कनदीय बक स पसा उिाि लन क वलए अवपरिक का कायत किती ह औि इस कािण व अपन उिाि को सीवमत कि दग। इसस अथतवयवसथा म िन की आपवतत कम हो जाएगी। मदासफीवतक दबाव क समय कनदीय बक वयापारिक बको को अविक िनिावश उपलबि किाएग तावक व अविक ऋण दन म सकम हो सक। इसस अथतवयवसथा म िन की आपवतत बढगी, वजसक अनसिण म वसतओ औि सवाओ की माग होगी, कीमतो औि आवथतक ववधि म बढत होगी। कनदीय बक भी वयापारिक बको स पसा उिाि लन क वलए सहािा लगा। वजस दि स कनदीय बक वयापारिक बको स ऋण लता ह, उस ववपिीत िपो दि कहत ह। जब ववपिीत िपो ि‍ट अविक होता ह, तो वयापारिक बक कनदीय बक को अविक पसा उिाि दग। ववपिीत दिो को बढा वदया जाता ह जब अथतवयवसथा म मदा आपवतत को कम किना होता ह। कनदीय बक िपो औि ववपिीत िपो दिो को नकदी समायोजन सवविा क एक भाग क रप उपयोग म लता ह।

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नकली नोटो की जाच कस कर?

कोई भी किसी नो‍ट वजसस असली किसी नो‍टो क वासतववक गण नही होत, जाली या नकली नो‍ट कहलात ह। एक असली किसी नो‍ट क क वववशष‍ट लकण होत ह। नो‍ट को दखकि, कि औि ‍टढा किक पहचाना जा सकता ह।

दख: http://www.paisaboltahai.rbi.org.in/1000.htm

कबजनदस लाइन

रपए ि निली नो भारर और कवदश म बढर िा रह ह।

29 माचत, 2013

यह एक लडाई ह जो बक क ‍टलि जीतत वदखाई द िह ह। उनहोन 2010-11 म 4.4 लाख नो‍टो की तलना म 5.2 लाख नो‍टो का पता लगाया। परवतशत क सदभत म आि०बी०आई० क आकड वदखात ह वक 2011-12 म इसस वपल वषत 2010-11 की तलना म जाली नो‍टो की 19.6 परवतशत ववधि पाई।

जात िह वक जाली नो‍टो को वनिोतसावहत वकया जाता ह। वपल सपताह आि०बी०आई० क शोि पतर क अनसाि, 2007-08 औि 2011-12 क बीच परवतवषत औसतन 3.9 लाख नकली किसी नो‍ट पाए गए थ। अविक उदमी ववदशो म नकली नो‍ट डाल िह ह। आि०बी०आई० क आकड दशातत ह वक वषत 2011 म वपल वषत की तलना म वसव‍टजिलणड क बवकग ततर म जबत वकए गए नो‍टो का मलय वतगना हो गया।

जबत वकए गए जाली नो‍टो की सखया की दवष‍ट स भाितीय रपया वशखि पि नही ह, बक क लोगो न य०एस० डॉलि, यिो औि वसवस फ क नो‍ट यादा पकड ह। लवकन य जबत वकए गए वबव‍टश पौड, िनवमनली, रबल िड कलोनो की तलना म काफी अविक थ। वषत 2009 तक, वसव‍टजिलड म पाए गए भाितीय नकली किसी नो‍टो की सखया अनय किवसयो की तलना म अवत सकषम थी। पिनत 2010 म जबत वकए गए नकली नो‍टो की सखया 212 औि 2011 म पाच गनी होकि 1,144 तक पहच गयी।

कवचारणीय कबनद

• लोग नकली/जाली किसी नो‍ट कयो ापत ह?

• कया होगा यवद हम सभी जब जरित हो नो‍ट ापना शर कि द।

गक‍तकवकि– बा‍त िर और भरमण िर

1. वकसी सथानीय बक का भरमण आयोवजत कि औि क िोचक तथयो का पता लगाए जस,

- वदन भि म जमा वकए गए वववभनन चको का बक कया किता ह?

- डा‍‍ट वकसी चक स वकस परकाि वभनन होता ह?

- डा‍‍ट जािी किन का तिीका सीख।

- बक म वववभनन प‍टल (काउ‍टि) कौन स होत ह?

- आप चक कस जमा कित ह औि प-इन-वसलप कस भित ह?

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- पसा वनकालन का फामत (ववदडाल फामत) औि पासबक क उपयोग जानना।

2. बक की कायत परणाली औि दी जान वाली वववभनन सवविाओ जस रिवड‍ट काडत, ए०‍टी०एम० काडत, इतयावद को बतान हत बक क अविकारियो को आमवतरत कि।

मदा औि ऋण स सबवित अविािणाओ औि बक वकस परकाि कायत कित ह, की समझ ववदावथतयो को उनक वदन-परवतवदन क जीवन म मदद किगी। ववदावथतयो को आवथतक जीवन की पककी समझ दन क वलए वववभनन गवतववविया ववकवसत की जा सकती ह।

कया आिलन िर?

ववदाथथी बक की कायतपरणाली औि वकस परकाि बक लोगो की जरितो को पिा किन म मदद कित ह, उस पि अपनी समझ बनात ह। वशकक यह बतान की उनकी योगयता का आकलन कि सकती ह वक दी गई परिवसथवत म भगतान का रिषठ तिीका कौन ह औि इस कस काम म वलया जाता ह। पन: भगतान की कमता स अविक रिवड‍ट काडत की कवठनाइयो को ससपष‍ट किन की उनकी कमता, आवशयकताओ क मधय ववकलप तय किन की कमता, ववतीय साकिता क सचक ह।

F. आई०सी०टी० (सचना और सचार पौ दयोकगिी) सम थि बि वयवसाय

बवकग उदोग चमबकीय सथाई लकण पहचान क तिीक औि ए०‍टी०एम० दािा ऑनलाइन बवकग क ववकास स बहत पहल स आई०सी०‍टी० (सचना औि सचाि परौदोवगकी) का परयोग कि िहा ह। अब इसन अपन आई०सी०‍टी० क उतपादो जस समा‍टत काडषो, ‍टलीफोन बवकग, एम०आई०सी०आि०, इलकटॉवनक ववविया, सथानातिण, इलकटॉवनक आकड वववनमय, इलकटॉवनक होम औि ऑवफस बवकग क उपयोग को औि आग ववसतारित वकया ह। यह गामीण ववतीय समावशन क वलए चौथिवा चनौवतयो- उपलबिता, वहनीयता, जागरकता, औि सलभता पि काब पान म मदद किती ह। ऑनलाईन बवकग क समय ऐस उपाय वकए गए ह वक गाहको को कमपय‍टि हकसत का वशकाि होन स बचाया जा सक। ऑन लाइन बवकग का उपयोग कि, गाहक खात म शष िन का पता लगा सकत ह, खातो क मधय िनिावशया सथानानति कि सकत ह, वबल भि सकत ह, बचत खातो की जाच कि लन-दन को दख सकत ह। यह गाहक को वदन म 24 घ‍ट औि यहा तक वक सपताह म सातो वदन सवाए परापत किन म मदद किता ह। जब वयवकत ऑनलाइन बवकग का उपयोग किता ह तब उस बक तक जान का झझ‍ट भी नही िहता। आई०सी०‍टी० स बको की कायतवाही की लागत भी कम हो जाती ह, वजसस गाहको क वलए लन-दन की लागत भी कम हो जाती ह। वभनन परकाि स सकम लोगो क वलए इ‍टिन‍ट बवकग सवतरिषठ समािान ह।

बको की वबसाइ‍ट गाहको की मदद क वलए परमख कतरीय भाषाओ म भी सामगी उपलबि किा िही ह। यनीकोड का उपयोग सभी क वलए बवकग सवविाए सवनवशचत किन म मदद किगा। दशय जानकािी को रिवय जानकािी क साथ वमला लना चावहए।

द कहनद

चननई, 9 कदसमबर, 2012

अदकरर: 10 कदसमबर, 2012, 03.50 IST

शन:िकत लोगो क शलए कोई बक खाता नही- कस अधररन

कनयम िहरा ह कि बि “बौकधिि और मनोसामाकिि कन:शकररा” यकर लोगो ि कलए खार खोलन ि कलए मना िर सिरा ह।

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शािी रिक, बौवधिक औि मनोसामावजक वन:शकतताओ वाल लोगो को बक खात खलवान का मदा बहत असपष‍ट ह। जब िाजीव िजन न बक खात क वलए आवदन वदया, तो बक न उस यह सवविा दन स साफ-साफ मना कि वदया। िाजीव, एक वयसक ह औि ववदासागि म वन:शकतता कानन (डी०एल०य०) का समनवयक ह। उनहोन उस वनयम-पसतक वदखाई। वनयम कहता ह वक बक “बौवधिक औि मनोसामावजक वन:शकतता यकत लोगो को खात खोलन क वलए मना कि सकता ह। िाजीव का मामला कोई अकला नही ह, शािीरिक, बौवधिक औि मनोसामावजक वन:शकताओ वाल लोगो क वलए बको म खात खोलन का मामला बहत असपष‍ट ह।

अतिातषटीय मानवाविकाि वदवस पि, वन:शकतता अविकाि ग‍ट न इस गभीि समसया को वफि स सामन लान का वनणतय वलया। मानदड य ह वक इस परकाि क वयवकत कवल सयकत खात खोल सकत ह, एक सिकक क साथ, जो चको पि हसताकि किन क साथ-साथ खात को चलाएगा, िाजीव सपष‍ट किता ह “यही समसया अनबि अविवनयम क साथ ह, जो भदभाव पणत ह। यही वनयम डाकघिो म भी लाग ह औि डाकघिो म क रिवणयो क वन:शकत लोगो को सवाए दन स मना किन क मामल हए हए”उसन आग कहा।

अभी हाल म ववदवलन, ववदा सागि का एक ववदाथथी जो 18 वषत स ऊपि था, उसन पोस‍टल एफ०डी० क वलए आवदन वकया था। पिनत अविकारियो न उस इस काडत को जािी किन क वलए मना कि वदया। वसमता न सपष‍टीकिण वदया वक “व (अविकािी) इसको सवनवशचत नही कित वक पराथथी सवय बक खात का सचालन कि सकता ह या नही”। हम पराय: यह कािण वदया जाता ह वक कही खात का दरपयोग न हो जाए। पिनत हम अपन खात क सचालन की वजममदािी लन क वलए तयाि ह, जस वक अनय लोग।

“डी०एल०य० की मीनाकी बी० बताती ह वक सिकाि की नकदी क लाभकािी तिीको म जमा किान की कलयाणकािी योजनाओ स अब यह औि महतवपणत हो गया ह वक वयवकत का एक बक खाता हो औि उस वह सवय चलाए। सिकाि दािा ववतरित वकया जान वाला मावसक वनवातह भता भी बको म जमा होता ह। ववदासागि क ववदाथथी, वजनम स बहतो न अपना अपना सवय का वयवसाय शर वकया ह, अभी भी उनह बक ऋण परापत किन औि अपन नामो स वयवसाय पजीकत किान म कवठनाई होती ह।” वसमथा सपष‍ट किती ह वक “सब क अवभभावक क माधयम स किवाना पडता ह, जबवक व ऐसा किन म समान रप स सकम ह।”

यह भी जात हआ ह वक िाषटीय नयास अविवनयम (ऑव‍टम, सिबल पालसी, मानवसक मदता औि बह वन:शकताओ क वलए) इकाई दािा एक पतर वयवहाि की पालना म आि०बी०आई० न बको को इस पिामशत क साथ एक परिपतर भजा वक बक खात खोलन/सचालन किन क वलए मानवसक सवासथय अविवनयम का ऊपि वदए गए अविवनयम क अतगतत जािी सिकण परमाणपतरो पि भिोसा कि। साथ ही, यह वन:शकत लोगो की वववभनन रिवणयो क वलए बको म गाहक सवाओ को सिािन की अनशसाए किता ह।

फडिशन ऑफ तवमलनाड वफवजकली हडीकपड ऐसोवसएशन क उपाधयक, ‍टी०एम०एन० दीपक कहत ह वक यह कभी-कभी शािीरिक रप स वन:शकत लोगो क वलए भी लाग वकया जाता ह। “अभी हाल ही म, एक शािीरिक रप स वन:शकत वयवकत को खाता खलन स िोक वदया गया। अकसि ए०‍टी०एम० औि बक भी पवहएदाि कसथी का उपयोग किन वाल क पहच स बाहि होत ह, व इन सवविाओ का लाभ नही उठा पात।वफि य कसा समावश ह।”

वमनाकी इसी वदशा म कहती ह, “मझ भी ए०‍टी०एम० काडत नही दत कयोवक म बसावखयो का उपयोग किती ह। तकत यह ह वक म ए०‍टी०एम० तक पहच नही सकता, पिनत पहचना सभव किान पि कोई बहस नही होती।” पिनत वन:शकतता अविकाि लॉबी अब इस पि चप बठन वाली नही ह। वन:शकतता वदवस पि, वपल सपताह क परािमभ म चननई क भाितीय स‍ट‍ट बक की क शाखाओ म पिसपि-वनभतिता बथ सथावपत वकए गए थ।

आग इकलवसव पलन‍ट क िाहल जकब चरियन कहत ह वक ‍टीम आि०बी०आई० क वततमान वनयमो का

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अधययन, औि उनका अतिातषटी मानको स तलना कि िही ह औि पता लगाया जा िहा ह वक सिाि लान क वलए कया वकया जा सकता ह।

सभवत: जब य सिाि हो जाएग, तो वासतव म िाजीव सवय चक जािी कि सकता ह। आज उस अपन साथी पि वनभति िहना पडता ह जो उसक वलए सयकत खात का सचालन किता ह।

ववचािणीय वबनद:

• वभनन रप स सकम (वन:शकतता यकत) लोगो क वलए बवकग सवविाओ का न होना आपको कसा लगता ह?

• इनह मदद दन क वलए आपक ववचाि स कया उपाय सभव हो सकत ह?

• बक कया उपाय कि सकता ह?

G. ऋण

ऋण का अथत उस िनिावश स ह जो कोई बक या दाता उिाि द सकता ह। कनदीय बक यह सवनवशचत किता ह वक मदा औि ऋण की ववधि न तो बहत िीमी हो औि न बहत तजी स हो। जब ऋण की आपवतत बहत िीमी होगी, तो वनवशक औि ऋण लन वाल वनवश किन या खिीदािी किन वालो को पयातपत िन परापत किन म कवठनाई होगी। इसस मदी आएगी, एक ऐसी अववि वजसम आवथतक गवतवववियो म कमी आती ह औि बिोजगािी बढ जाती ह। उचच मदा औि ऋण आपवतत का परिणाम मदासफीवत हो सकता ह, जहा कीमतो क सति म एक सथाई औि तीवर बढत होती ह। मदी औि मदासफीवत अववियो दोनो का अथतवयवसथा पि ववपिीत परभाव पडता ह। अत: असथायीतव की इन परिवसथवतयो को िोकन क वलए, दश का कनदीय बक मकत बाजाि काितवाइयो औि ऋण वनयतरणो दािा मदा औि ऋण की माग औि आपवतत की परिवसथवत को सथाई बनान का परयास किता ह।

गक‍तकवकि- समह िायथि

ववदावथतयो स समह बनान को कह जो बक क रप म हो औि दसि ववदाथथी बक मनजि को वववभनन कायषो क वलए ऋण क वलए आवदन कि सकत ह। परतयक को अपनी सपवतयो क ववसतत ववविण दन होग। अब बक परबिन (ववदावथतयो का समह) को वनणतय लना होगा वक कया व ऋण द, गाहको स वकस परकाि की परवतभवतया सवीकाि की जा सकती ह।

ऋण िद औपचाररि और अनौपचाररि सतरो‍त

ऋण क औपचारिक सतरोतो म वयापारिक बक, सहकािी सवमवतया, इतयावद आत ह, जो सिकाि दािा पजीकत वकए जात ह औि सिकाि क वनयमो की पालना कित ह। य दश क कनदीय बक दािा वनरिवकत औि वनयवतरत वकए जात ह। बयाज की दि तलनातमक रप स कम होती ह औि य समाज कलयाण क उदशय स कायत कित ह, ऋण दन वाल वमतरो, रिसतदािो आवद जस अनौपचारिक ऋण सतरोतो क मामल म, यह मौवदक पराविकारियो दािा वनयवतरत नही होत औि अविकति सिकाि क वनयतरण स बाहि होत ह। लाभ का लकषय िखन वाल औि अवनयवतरत य बयाज की ऊची दि वसल कित ह।

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गक‍त कवकि- बि सदवाआ पर पररयोिना िायथि

ववदाथथी अपन कतर क बक का सवव कि जात कि वक कौन-सा बक बयाज दि, ऋण सवविा औि सवाए परदान किन क वलए उपयोग म लाया जाता ह। लोगो क जीवन पि बक क परभाव का पता लगाए। ववदावथतयो को एल०आई०सी०, िाषटीय बचत योजनाओ औि वनजी बको, इतयावद क पम‍ल‍टस/लीफल‍टस पडन द औि ववसतत जानकािी पि परिचचात कि।

ऋण िा फनदा और अनौपचाररि ऋण सबिी मदद

बडी सखया म वकसान औि ो‍ट वनवशक ऋण क अनौपचारिक सतरोतो पि वनभति कित ह, कयोवक यह आसानी स उपलबि हो जाता ह औि उनह अनय जानकारियो का अभाव िहता ह। औपचारिक सतरोतो का कडी परवरियाओ औि वयवसथाओ क कािण क अकसि ऋण क अनौपचारिक सतरोतो की शिण लत ह, जहा उिाि दन क आसान अविक लचकील तिीक होत ह। इसस ो‍ट औि सीमातक वकसानो औि वनवशको पि बयाज का बहत अविक भाि पड जाता ह। कवष क वयावसायीकिण औि आिवनकीकिण क कािण ऋण की आवशयकताए बढ गई ह। जब उनह कई बाि कही औि स ऋण नही वमलता तो उनह अनौपचारिक सतरोतो की मदद लनी पडती ह। पसा उिाि दन वाल कचचा माल/उवतिक बचन वाल, उतपाद खिीदन वाल या उस भवम क मावलक हो सकत ह वजस पि वकसान वनभति ह। यह वसथवत को औि दरह बना दता ह कयोवक वकसान वबना वकसी वशकायत क उन पि वनभति होन क वलए मजबि हो जात ह। ो‍ट औि सीमातक वकसान औि वनवशक अनौपचारिक गामीण ऋण बाजाि की शिण म जाना जािी िखत ह, कयोवक वततमान ववतीय ससथाए अपनी ऋण दन की गवतवववियो को कवष कतर को उिाि दन क अविक जोवखमपणत कतरो की ओि जान स िोक दती ह। यदवप बयाज दि बहत अविक होती ह, वफि भी अनौपचारिक सतरोत वापस भगतान क वलए समय की पाबदी पि जोि नही दत, जसा वक बक औि सहकािी सवमवतया किती ह। शादी औि मकदम जस उदशयो क वलए, वबना वकसी जमानत/ऋणािाि क व अनौपचारिक सतरोतो स उिाि ल लत ह। ऋण क अनौपचारिक सतरोतो म ऋण की िावश भी अविक उपलबि िहती ह। ववतीय साकिता की वयापकता क कािण, व ववतीय वनणतयो स जड लाभो औि खतिो को कम समझत ह। लोगो को बको औि ो‍टी ववतीय ससथाओ की सवाओ क बाि म जानकािी कम होती ह।

सकषमकवतत

ो‍ट वकसानो औि उदवमयो को सकषमववत म रप म ववतीय सवाए उपलबि किाई जाती ह, वजनकी पहच बवकग औि सबवित सवाओ तक नही हो पाती। भाित म सकषमववत कतर न 1990 क दशक स बहत अविक परगवत की ह, वजसस गामीण कतरो म ववतीय समावश का परसाि हआ ह। दश म मखय सकषमववत कायतरिम क रप म वयापारिक बको दािा लाग नावाडत (2012), सवय सहायता समह (एस०एच०जी०), कतरीय गामीण बको औि सहकािी बको का उदय हआ। पिनत 2010 म आनधरा सकषमववत क सक‍ट क परिणाम सवरप सकषमववत ससथाओ (एम०एफ०आई०) को वनयवतरत किन का वनणतय वलया गया। इसम वयवकतगत ऋणो पि बयाज शलको म पािदवशतता, सीमात आविण औि बयाज आविण, वशकायत सिाि तिीको को लाग किना, इतयावद शावमल थ। मलगम सवमवत रिपो‍टत (आि०बी०आई० 2011), माइरिो फाइनस इस‍टी‍टयशन (ववकास औि वनयमन) वबल, 2012 सपष‍ट किता ह वक रिजवत बक, वबना वकसी काननी ढाच क, एम०एफ०आई० कतर का समपणत वनयतरक होगा।

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सोनाली विारा कदए गए ऋण नद कसराजगि शी‍तल पटी कनमाथि‍ताओ िो बचाया

मो. मजदल हक वसिाजगज स वापस लौ‍ट ह। वसिाजगज म चाडपि गाव क सकडो शीतल प‍टी वनमातता गिीबी स बाहि वनकल आए ह। इसक वलए िाय दािा सचावलत सोनाली बक को जमानत मकत ऋण दन क वलए िनयवाद। बनकि कहत ह वक ऋण क वशकज औि अतयाविक गिीबी जसी ववषमताओ क होत हए भी व सवदयो पिान वयवसाय स वचपक हए ह। प‍टी पलली क एक बनकि नािायण चनद न इस सवादाता को बताया वक वह अपनी जीववका को बनाए िखन क वलए ऊची बयाज दि पि ो‍ट ऋण गि सिकािी सगठनो स लता था। “सोनाली स परापत ऋण न हम बचा वलया।” रिी चनद न कहा वजनह 30,000 रपय का ऋण बक स परापत हआ। उनहोन कहा वक ो‍ट ऋणदाताओ की ऊची बयाज दिो न इस कतर क अवसततव को सक‍ट म डाल िखा था, पिनत सोनाली क हसतकप न इस पनजथीववत किन म बहत मदद की ह। एक 65 वषथीय बनकि, मोनोिोजन दतो न फाइननसल एकसपरस (एफ०ई०) को बताया वक इस गाव म बहत स परिवाि प‍टी बनान क वयवसाय म शावमल ह औि दश क वववभनन भागो स वयापािी यहा फ‍टकि कीमत पि प‍टी खिीदन आत ह। बक स 20,000 रपय का ऋण लकि, वह बहत परसनन ह कयोवक इसकी बयाज दि बहत कम ह, ऐसा वमस‍टि दतो न कहा। एन०जी०ओ० 10,000 रपए क ऋण पि 250 रपए बयाज को लता ह औि 46 सपताहो म इसका भगतान हो जाना चावहए, अविकािी न कहा, पिनत बक ऋण 29 माह म लौ‍टाया जा सकता ह, जो बनकिो क वलए बहत लचीला ह, उसन आग कहा। प‍टी पलली क एक अनय बनकि, दलाल चनद मौवमक न एफ०ई० को बताया वक व िन की कमी क कािण गवमतयो क मौसम म घिल माग को पिा किन म असफल िह। वजनक पास थोडा िन होता ह, व कम कीमत पि माल बचत ह, इसस उनक वलए ो‍ट ऋण दाताओ को सापतावहक वकसत दनी कवठन हो जाती ह। अत: हम बक स मदद चावहए, उसन कहा। प‍टी की गणवता पि वनभति कित हए एक प‍टी 300 रपय स 1500 रपए क बीच वबकती ह औि परतयक प‍टी स बनकि को 150 रपए का लाभ होता ह, उसन कहा। कयोवक बनकिो की घिल बाजाि स उवचत कीमत नही वमल सकती, उनहोन सिकाि स वनयातत को बढावा दन की सहायता मागी। सोनाली बक की एक वनदशक जननत आिा हनिी न एफ०ई० को बताया वक यदवप बक न इस पहल को एक परयोग की तिह वलया था लवकन अब व इस कायतरिम को बड पमान पि ल जाएग। “हम इन बनकिो का साथ दग औि ऋण दन का कायतरिम जािी िखग,” मडम हनिी न कहा। “हम लोग कई दशो म शीतल प‍टी क वनयातत को बढावा दन का पिा परयास कि िह ह, अत: गणवता पणत प‍टी बनन क वलए ववतीय सहायता उपलबि किाई जाएगी,” उनहोन कहा। सोनाली न वसिाजगज वजल क कमिखाडा उपवजला म चाडपि म शीतल प‍टी बनन क वलए 60 परिवािो क बीच 500,000 रपयो क ऋण जमानत मकत ऋण बा‍ट।

सतरोर- िाइनकनसयल एकसपरस (एि०ई०) 29 नवबर, 2011

कवचारणीय कबनदन

• चाडपि म बनकिो को वकन समसया ओ का सामना किना पड िहा था?

• िाय सचावलत सोनाली बक न उनकी समसयाओ का समािान वकस परकाि वकया?

• अपन कतर क वकसी ऐस सवय सहायता समहो, ो‍टी अथतवयवसथाओ पि चचात कि औि पता लगाए वक व कस लोगो की सहायता कित ह।

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कया आिलन िरना ह?

वशकावथतयो को ससथााओ दािा वदए गए वनदवशो औि मागतदशतन को पढन औि ऋण की शतषो, बयाज दिो, इतयावद को तलना किन योगय होना चावहए। उनको समझना चावहए वक ऋण क वववभनन सतरोत कया ह औि य कस एक दसि स वभनन ह। गवतववविया वशकावथतयो को बको औि अनय ससथा ओ की व भवमकाए समझन म मदद किगी वजनम व लोगो को ऋण उपलबि किा कि बचततातओ स ऋण लन वालो औि वनवशको म िनिावशयो को पहचाती ह। ऋण क परभावो को तकत सवहत बताए- कस य अविक उतपादकता की ओि ल जा सकत ह अथवा बढती गिीबी की ओि ल जान वाल ऋण क वशकज म परिवणत हो सकत ह। ऋण क साथ जडी वववभनन समसयाओ औि उन को पिा किन क तिीक वनकालन की उनकी योगयता का आकलन वकया जा सकता ह।

पशन

1. व कौन-सी समसयाए खडी होती, यवद वववनमय क माधयम क रप म वनमनवलवखत उपभोग की वसतओ को उपयोग म लाया गया होता?

(a) गह (b) बकिी (c) कपडा

2. कया आपक ववचाि स 5 रपए क िात क वसकक म िात का मलय 5 रपए क बिाबि होता ह? यवद नही तो आप उस कयो सवीकाि कित ह?

3. लोग बको म पसा कयो जमा कित ह?

4. ‘इलकटॉवनक काल’ का मदा, ववशष रप स किसी पि कया परभाव होगा?

(i) रिवड‍ट काडत (ii) डवब‍ट काडत (iii) ‍टलीफोन बवकग (iv) ई-बवकग

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सझाई गयी पठन सामगी

• Frederic S. Mishkin and Person Addison Wesley, The Economics of Money, Banking and Financial Markets, 2007

• Stephen G. Cecchetti; Money, Banking and Financial Markets, Mc Graw- Hill Education, 2006.Res dis quate exerum rehenduntis eati quate nia eumque dolore num quias antum estemquo il inus animuscia sant endictescid quis aut quuntur? Ficia inullest volorat faccupta quunto blam ne eicimusam eum nonsequ atibus ut alis anditiis doles perum eossum fugit, occume pre et ad quiatiur?

• Sum aut as qui auda volorem voluptatqui ut pellaut atas nus as et mint volum expe illes sit reritibusae voloreiunto cum dolupti comnis non eaquaes eos cus.

• Ari volute vera necus doluptatin conecto qui que maior re vollabores samus conetusae si offictusdae et endae nusaestiis nosam dolutempor suntissit landandande rem et doloris eos inihiti commoluptat exerum que nonseque prorepudita destemped eatusantius estorepudae quia veribus dendandicil etur, sum dempore sciaectotat.

• Obis que sam del mi, que verchil luptatecabo. Ipsaero riaeper eprepel laccatem quo berumet, quia vollor aut voluptae sit omniminci volorerro molorpo rrovidem ea noste perites simus.

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भाग V

अ‍तरकवरयि पररयोिना

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खादय सरका पर अ‍तरकवरयि पररयोिना

खाद सरका लोगो िो सममानपवति िीन और इसस सबकधर अवा सहवरथी मामलो म पहच ि भीरर िीमरो पर पयातपर मातरा म गरवततापरत भोिन पान िो सकनकशचर िरन ि कलए मानव िीवन चक रतर म खाद और पोषर सरका उपलबध िरारी ह।

— रा‍टटरीय खाद सरका अकधकनयम, 2013 सखया 20, भारर ि गज दारा परिाकशर, कदनाि 10 कसरमबर, 2013

पररचय

खाद सिका तब उपलबि होती ह जब सभी लोगो को सवसथ औि सवरिय जीवन बनाए िखन क वलए पयातपत, सिवकत, पोषक आहाि हि समय परापत िहता ह ( ववशव खाद सममलन, 1996)। खाद सिका क सतिो क ववववि सयोजनो क अनसाि दशो को वववभनन रिवणयो म िखा जा सकता ह। एक दश खिाब वसथवत म हो सकता ह। यवद खाद आपवतत को 'उवचत' तिीक स ववतरित वकया जाए तब भी नागरिको की आवशयकताओ को पिा किन क वलए वह अपयातपत िहती ह। ऐस मामलो म खाद सिका को अतििाषटीय दानकतातओ दािा बड पमान पि सक‍टकालीन िाहत दािा वनयवतरत वकया जाता ह। खाद सिका को बढान क वलए उपयकत कायतनीवत क ववकास क वलए खाद असिका समसयाओ की परकवत औि सति को समझन की आवशयकता होती ह।

खाद सिका वनमनवलवखत पि वनभति किती ह-

• खाद उपलबिता– खाद उतपादन, खाद क भडाि औि खाद क आयात पि वनभति किती ह।

• खाद तक पहच– परतयक वयवकत की खाद पि पहच पि वनभति किती ह।

• खाद उपयोवगता– उवचत उपयोग जो आिािभत पोषण औि दख-िख क साथ-साथ पयातपत जल औि सवचता क जान पि आिारित ह।

• खाद पदाथत खिीदन की कमता– वयवकत क पास पयातपत, सिवकत औि पौवष‍टक खाद पदाथत खिीदन क वलए िन पि वनभति किती ह।

ि दर कबद

खाद सिका पि परिचचात किन क वलए वनमनवलवखत पि धयान क वदत किन की आवशयकता ह–

• खाद पदाथषो की उपलबिता औि गणवता वकस परकाि ववकास को परभाववत किती ह औि वकस परकाि ववकास खाद पदाथषो की उपलबिता को परभाववत किता ह?

• अकाल पडना औि समाज पि इसका परभाव

• खाद सिका की आवशयकता औि इसक ववववि उपाय

• खाद सिका दन म सिकाि की भवमका, खाद नीवतया– खाद सिका वबल

• जलवाय परिवततन औि उसका खाद उतपादन पि परभाव

• सवदनशील सामावजक समहो औि सवदनशील िायो की पहचान किना ।

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समसया

ववजान, परौदोवगकी औि औदोवगक ववकास क कतरो म भाित की महतवपणत परगवत परशसनीय ह। हरित रिावत, जो साठ क दशक म परािमभ हई, वजसन तीन दशको स अविक समय तक अपना परभाव बनाए िखा, क सफल होन क बाद भी, गिीबो क वलए खाद सिका एक गमभीि सिोकाि का कािण बनी हई ह । इसन नबब क दशक क मधय स कवष उतपादन की मदी क कािण औि ववकिाल रप ल वलया। खाद उतपादन की समसयाए मखय रप स जनसखया क बढन औि कवष पि उसकी वनभतिता, ो‍ट औि खवडत भ-भागो, मदा की उतपादकता क कम होन, जल सतरोतो क अकशल उपयोग, पिानी कवष उतपादक परौदोवगवकयो, कवष साख, ववपणन औि भडािण की सवविाओ की कमी क कािण हई ।

हम सब जानत ह वक भाित एक ऐसा दश ह वजसम ववववि ससकवतयो औि वववभनन सामावजक-आवथतक समह क लोग बसत ह। जहा तक खाद सिका का मदा ह अनसवचत जावत, अनसवचत जनजावत, अनय वपड वगत तथा शािीरिक रप स वनशकत इतयावद समह सबस अविक असिवकत ह । इन समहो म मवहलाए औि बचच सबस अविक परभाववत होत ह कयोवक उनह अकसि परिवाि क परष सदसयो क वलए अपन भोजन का वहससा ोडना पडता ह।

भोजन एक मलभत आवशयकता होन क कािण, कोई भी सिकाि भोजन उतपादन, इसकी कीमत औि ववतिण स सबवित नीवतयो को लाग किन स अपना हाथ नही खीच सकती। समपणत ववशव स परापत साकषय यह दशातत ह वक सिकािी नीवतयो का वरियानवयन गामीण कतरो म समधिता ला सकता ह औि इसक दािा भख पि काब पाया जा सकता ह। जापान म वकए गए भवम सिाि उपायो, चीन का औदोगीकिण क बजाए कवष पि जोि दन क कािण कवष उतपादन म ववशष ववधि हई, वजसस अविक सखया म लोगो का प‍ट भिन की कमता बढी। भावी खाद आपवतत जलवाय क परभाव, कवष योगय भवम की मातरा, ऊजात लागतो, कवष की दकता म ववधि क उपायो, नई परौदोवगकी इतयावद पि वनभति किती ह।

चरण 1: पशनावली िा कनमाथिण और कदतर भरमण िरना

ववदावथतयो स कह वक व एक उदाहिणाथत परशनावली तयाि कि जो व कतर सववकण क समय भिग। कका को 5-6 ववदावथतयो क समहो म बा‍ट। उनह वनक‍टवतथी झगगी-बसती (सलम कतर) म कतर सववकण क वलए जान द। अथवा ऐस कतर का चयन कि जो अभावो स गसत ह औि समाचाि पतरो/पवतरकाओ म दशातया गया ह (जस कालाहाणडी)।

उदाहरणा थि

ि: सामानय िानिारी

1. नाम:

2. गाव:

3. वजला:

4. परिवाि म कल सदसय: परष – , मवहलाए –

5. बचचो की सखया: लडक – , लडवकया –

ख: आक थिि िानिारी

1. परिवाि क वकतन सदसय काम पि जात ह? परष – मवहलाए –

2. कायत का परकाि, वजस व कि िह ह–

3. आपकी दवनक/सापतावहक/मावसक पारिवारिक आय वकतनी ह?

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4. बताए यवद आय का कोई अनय सतरोत ह (फसल उगान स/रिम की मजदिी स, गाय/भस पालन स)

5. आपका परवतवदन का सापतावहक/मावसक खचत कया ह?

ग: खचथि िा ‍तरीिा– भोिन पर

1. आप परवतमाह भोजन पि वकतना खचत कित ह ?

2. आप परवतवदन वकतनी बाि भोजन कित ह ?

एक वदन म चाि या अविक बाि वदन म तीन बाि वदन म दो बाि वदन म एक बाि

3. कया परिवाि म सभी सदसयो को पयातपत भोजन परापत होता ह ?

4. यवद नही, तो बताए वकन सदसयो को सभी वदन पयातपत भोजन परापत नही होता।

5. कौन स खाद पदाथत ह, जो आप वनयवमत रप स खात ह ?

(सची द) चावल, गह, मकका, बाजिा, दाल, पयाज, आल, ‍टमा‍टि, अनय सवबजया, चाय, चीनी, ा, दि, मकखन, अणड, वचकन, मास, इतयावद।

6. व कौनस खाद पदाथत ह, जो आप कभी-कभी खात ह ?

7. उन उपभोग की वसतओ क नाम बताए वजनकी कीमत वपल ह महीनो म बढी ह?

8. कौन सी वसतए ह वजनकी कीमत बढन क कािण उनका उपभोग बद कि वदया ह अथवा उनक सथा न पि अनय चीजो का उपभोग वकया जा िहा ह?

9. वह कौन सा ववकलप ह वजस आप को उपभोग का सति बनाए िखन क वलए ोडना पडा ?

10. कया आपकी सावतजवनक ववतिण परणाली तक पहच ह?

11. कया आप पी०डी०एस० सवविा का उपयोग कित ह?

12. आपक पास वकस परकाि का िाशन काडत ह?

अतयोदय काडत बी०पी०एल० काडत ए०पी०एल० काडत

13. इन काडषो क आपक पास होन स आपको कया लाभ वमलत ह?

14. कया अापको य काडत परापत किन म कोई कवठनाई हई? यवद हा, तो उललख कि।

15. कया आप मनिगा ( MNREGA) क अतगतत िोजगाि क लाभ परापत कित ह?

परशनावली क आिाि पि वशकावथतयो स वनमनवलवखत वबदओ पि एक लख वलखन क वलए कहा जा सकता ह–

1. कया कतर क लोगो क वलए भोजन उपलबि ह, व उस खिीद सकत ह औि उस तक उनकी पहच ह?

2. वहा िहन वाल लोगो को वकन समसयाओ का सामना किना पडता ह?

3. कया य समसयाए पहल भी थी?

4. खाद समसया वकस परकाि मवहलाओ औि बचचो को परभाववत कि िही ह?

5. खाद सिका सवन वशचत किन क वलए सिकाि की भवमका कया ह?

6. कया यह लोगो तक पहच िहा ह? यवद हा, तो कस? यवद नही, तो कयो?

7. उनह उपाय सझान द, जो सभी क वलए खाद सिका सवनवशचत किन क वलए वकय जा सक ।

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चरण 2: समदाय िद सा सवाद

ववदाथथी बडो स उनक घिो, समदाय इतयावद म जाकि बातचीत कि, औि अतीत म पड अकालो क बाि म जानकािी इकटा कि। अकाल पडन क कया कािण िह? कया य कािण वही थ, जो आज भी ववदमान ह? अकाल स उतपनन समसयाओ स लोगो न कस पाि पाया? कया सिकाि/शासको दािा वकए गए उपायो न खाद सिका उपलबि किान म कोई मदद की? (उनह सावतजवनक ववतिण परणाली, गिीबी-िाहत कायतरिमो का कायातनवयन– वमड ड मील, काम क बदल भोजन, इतयावद सहकािी सवमवतयो औि एन०जी०ओ० जस अमल का सदभत द)। ववदावथतयो स कहा जा सकता ह वक व मवहलाओ स पी०डी०एस०, वमड ड मील, काम क बदल भोजन इतयावद की पहच पि बात कि। ऐस कायतरिमो तक पहच न उनक जीवन को वकस परकाि परभाववत वकया ह?

चरण 3: िानिारी इिटा िरना

ववदावथतयो को समाचाि पतरो, इ‍टिन‍ट, िवडयो औि सिकाि की ‍टलीववजन नीवतयो दािा खाद सिका क मदो पि समाचाि इकटा किन द औि वनमनवलवखत पि परिचचात आयोवजत कि–

• कया य खाद सिका उपाय सभी क वलए भोजन सवनवशचत किन क वलए पयातपत ह?

• आपक ववचाि स खाद सिका वबल लाग किन पि कया समसयाए उतपनन हो सकती ह?

चरण 4: िलवाय पररव‍तथिन पर पररचचाथि

वशकक जलवाय परिवततन क बाि म परिचचात किक वशकावथतयो को यह जानन म मदद कि सकत ह–

• अभी हाल ही क वषमो म आपकी बसती म आपन मौसम म कया परिवततन पाए ह?

• वकन तिीको स मानव जलवाय म परिवततन कि िहा ह?

• खाद आपवतत पि जलवाय परिवततन का कया परभाव पड िहा ह?

पररयोिना कनमाथिण

इकटी की गई जानकािी औि परिचचातओ क आिाि पि वशकावथतयो को एक अतिववषयक परियोजना बनान क वलए कहा जा सकता ह, वजसम खाद सिका परापत किन क सदभत म ऐवतहावसक आयाम, भौगोवलक आयाम, आवथतक कािण औि िाजनीवतक भवमका शावमल होग।

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