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सफ़र का मह�ना और
बदशगनीु
सफ़र का मह�ना
और
बदशगनीु
ऐ अ�लाह! तरे� द� हई भलाई के �सवा कोईू
भलाई नह� ंऔर तरे� फ़ाल के
अलावा कोई फ़ाल नह� ंऔर तरेे अलावा कोई
माबद नह�ं।ू
इ�तदेाइया
�कताबचा "सफ़र का मह�ना और बदशगनी" सफ़र के मह�न ेके ु
बारे म� हर तरह के वहम और ग़लत अक़�द� के बारे म� ता�जजो
�दलाता है जो मोआशरे म� आम पाऐ जात ेह� और िज�ह� लेकर
इ�सान द�नया क� बहत सी हलाल और जाइज़ चीज़� को अपन ेु ु
�लऐ हराम कर लेता है ब�के �शक� शा�मल होन ेक� वजह से
आ�ख़रत के नकसान का भी डर है। उ�मीद है के ये �कताबचा ु
पढ़न ेवाले क� सोच और शऊर को इस तरह क� समझ देगा के
वोह अपने हर फ़ायदे व नकसान का मा�लक अ�लाह ताला को ु
समझ ेऔर �कसी भी इ�सान या चीज़ को इसक� वजह ना समझ े
ताके तवा�म पर�ती और बरे शगन से बच सके।ु ु
नोटः ये �कताबचा डा�टर फ़रहत हाशमी सा�हबा के आ�डयो
ले�चर से तयैार �कया गया है।
अल हदा तहक़�क़ व इशाअतु इ�लामाबाद जानवर�, 2009 महर�म,1430ु
सफ़र का मह�ना और बदशगनीु
सफ़र का मह�ना और बदशगनीुसफ़र क़मर� (चा�द का �हसाब) कैल�डर का दसरा मह�ना है िजसके ू
हवाले से लोग� म� बहत सी ग़लतफ़ह�मयां पाई जाती ह�। ऐक तरफ़ ु
इसके साथ बहतसी तवा�मात(वहम)और बदशग�नयां जोङल� गई ह� ुु
और दसर� तरफ़ इनके ख़द बनाऐ गऐ हल भी तलाश कर�लए गऐ ू ु
जसेै इस माह म� शाद� ना करना, चने उबालकर मोह�ले म� बांटना
ताके हमार� बलाऐं दसर� क� तरफ़ चल� जाऐं। आटं े क� तीन सौू
पस� ठ गो�लयां बनाकर तालाब� म� डालना ताके बलाऐं टलजाऐं और
�र�क �यादा हो, तीन सौ �यारह या �यादा बार सरह म�म�मल ू ु
पढ़ना, इस मह�ने को मद� पर भार� समझना और इसक� तरे ा
तार�ख़ को म�हस समझना िजसको तरे ातज़ेी भी कहा जाता है। इन ू
सब बात� क� द�न म� कोइ है�सयत नह�ं �य�के मह�ने व साल,रात
और �दन के आने जाने से बनत ेह� जसेै अ�लाह ताला ने फ़मा�याः
ّ ْ � � ُْ ً ِ ٓ ْٓ ِ ٰ ٰ ِٰ َ َِ ْ َ لت ل جعل ل َ ْ ی ل َ ل ��ُغوا فضال من ر�مك جعل نھَار م�رصًة نا ایة ا یل و تني فمحوَ� ایة ا نھَار ا یل وا نا ا ِْو ُ ِ ِْ ّ َ َ َ � َ َ َ � َ ََ َ َ َ َ َ� ْ ْ َ ْ ْ َ َ َ ْ ََّ ْولتعلموا ِ َْ ُ َ
ِْ ِ ِْ س�نني والحساب(بىن ارسائیل:١٢)ل َ�َدَد ا ََ َّ َ"हमन ेरात और �दन को दो �नशा�नया ं बनाया है,रात क� �नशानी को हमन ेबेनर और ू
�दन क� �नशानी को रोशन बनाया ताके तम अपन ेरब का फ़ज़ल तलाश करो और ताके ु
तम साल� क� �गनती और �हसाब जान सको।"ु
�दन का �नकलना,सरज का �नकलना व ग़�ब होना और रात का ू ु
फैलजाना सब अ�लाह क� �नशा�नय� म� से ह�
�य�के �दन� से �मलकर ह�त ेऔर ह�त� से मह�न ेऔर साल बनत े
ह�।यह� माह व साल ज़माना ह� िजसको बराु
क�न ेसे हद�स क़दसी म� रोका गया है।ु
सफ़र का मह�ना और बदशगनीु
रसल अ�लाह( ) न ेफ़मा�या के अ�लाह अज़ावजल फ़मा�त ेह�:ू ملسو هيلع هللا ىلص
◌َ
"इ�ने आदम ज़माने को गाल� देकर मझ ेअिज़यत देता है हालाँके ज़माना म � हं, ु ू
मेरे हाथ म� हर काम है, म � रात और �दन को उ�ट प�ट करता हं।"ु ू
क़�ी(चा्ँद) कैल�डर चा्ँद क� बदलती हई हालत� क� वजह से वजद म� ु ूू आता है।
:अ�लाह ताला फ़मा�त ेह�)
"लोग आपसे ( ) चा�द के(घटन ेबढ़ने) के बारे म� प�त ेह� के�दो के ये लोग� और ूملسو هيلع هللا ىلص
हज के �लऐ व�त बतान ेका
ज़�रया है।"
क़�ी(चाँद) क़ैल�डर हक़�क़त म� ऐक आलमी क़ैल�डर है। इसके
साथ अ�लाह ताला ने हर इ�सान के �लए तार�ख़� मालम करने म� ू
आसानी पदै ा करद�। चाँद अ�लाह के हकम का पाब�द है,इस�लए ुु
ना तो �कसी क� �क़�मत पर असर होता है इसके घटने बढ़ने से
और ना ह� �कसी ख़ास मह�ने का चाँद नज़र आने से अपशगन ु
श� होता है और ना �कसी क� अ�छ� �क़�मत श� होती है।�य�के ु ु
इ�सान क� अ�छ� बर� �क़�मत सरज,चा्ँद और �सतार� क� ग�द�श ु ू
पर नह�ं ब�के इ�सान के अपने अमल पर है। इ�को बनाने का
का �हसाब �कया जा सके और इबादत मकसद तो ये है के साल�
का व�त पता करने म� आसानी हो।
मह�न� क� �गनती भी अ�लाह ताला क� बनाइ हई है जसैा के ू
क़रआन मजीद म� फ़मा�याःु
सफ़र का मह�ना और बदशगनीु
" बेशक मह�न� क� तादाद अ�लाह के नजद�क,अ�लाह क� �कताब म� बारह मह�न ेहै जब
से इसन ेआसमानो और ज़मीन को पदैा �कया।"
इस�लए क़ैल�डर चा�द से हो,सरज से या �ह�द� हो,कह�ं मोहर�म और ू
जनवर� और फरवर� और कह�ं चतै और बसैाख़ सफ़र ह� तो कह�ं
नाम म�त�लफ ह� ले�कन �गनती बाराह ह� है।ु सफ़र वोह मह�ना है िजसमे रसल अ�लाह( )ने मामल क� ू ملسو هيلع هللا ىلصू
इबादत के अलावा ना कोइ ख़ास इबादत क� ना हम� इसका ह�म �दया ु
और ना ह� �कसी ख़ास बला से बचने के �लए ख़बरदार �कया।
तवा�मात और शगन जो इस मह�ने से म�सब �कए गऐ ह� इनक�ु ू
कोइ हक़�क़त नह�ं ह�।
अरब� के यहां इस मह�ने को लेकर जो ग़लत �यालात पाये जात े
थे इसक� असल वजह ये थी के अरब हमत� क� वजह से तीन माह, ु
ज़लकाद, ज़लहज और मोहर�म म� जंग झगङा से �के रहत ेऔर ु ु
इ�तज़ेार करत ेके ये पाबि�दयाँ ख़�म ह�तो वो बाहर �नकल� और
लटमार कर� इस�लए सफ़र श� होत ेह� वो लटमार,डाका और जंग ू ु ू
झगङे के इरादे से जब घर� से �नकलत े तो इनके घर ख़ाल� रहजात े
.यं अरबी म� ये महावरा (घर का ख़ाल� होना) मशहर हो गयाू ु ू और का मतलब है ख़ाल� होना जसै े �सफ़र (श�य) अरबी म�ू
कहत ेह�।
) (घर सामान से ख़ाल� हो गया)
मशहर मह��स और तार�ख़दान सख़ावी ने अपनी �कताब ुू म� माह सफ़र के बारे म� यह� वजह "المشھور فى اسماء االیام والشھور"
�लखी है।अरब� ने जब देखा के इस मह�ने म� लोग क़�ल होत े ह� और
घर बबा�द या ख़ाल� हो जात े ह� तो उ�ह�ने इस से ये शगन �लया के ुये मह�ना हमारे �लऐ म�हस है और घर� क� बबा�द� और वीरानी क� ू
असल वजह पर ग़ौरना �कया, ना ह� अपन ेअमल क� ख़राबी का
َ َصفٌر المكانَ َِ صفٌر َ صفٌر
َ بیت ِصفٌر ِمن المتاعٌ َ (لسان العرب از ابن منظور: ج٤,ص٤٦٢-٤٦٣(
सफ़र का मह�ना और बदशगनीु
एहसास �कया,ना लङाई झगड़ ेऔर जंग व िजदाल से ख़द को बाज़ ुरखा ब�के इस मह�ने को ह� म�हस ठहरा �दया।जब के नहसत के ू ू
बारे म� क़रआन मजीद म� इशा�द हैःु
ْ ِْ ْ ِ ِ َ ُ ِِ ِ ُْ ْ ٰ ٓ َ ْْ ٖ ِ �ُ م� كت ع ْ شورا اقرا � با یلقُه نقه و خنرج ُ� یوم الق�امة ُ سان الزم�ُه طرئه ىف َو لك ا ٰ ِ َ ِ ٰ َْ ُ ٍ� َ َ ُ ًَ ْ ً َ ْ َ َ َََِْ َ ِِ ْ َٰ َ حَ سِب �ل ل نف ��اك یك یوم سك ا ْتابك كفی ََ َ ََ َْ ًْ َ
"और हर इ�सान का शगन हमने उसके गले म� लटका रखा है और क़यामत के ु
रोज़ हम एक �कताब उसके �लए�नकाल�गे िजसे वोह खला हआ पायगा पढ़ अपना ु ु
नामऐ आमाल आज अपना �हसाब लगाने के �लऐ त ख़द ह� काफ़� है।"ू ु
यह आयत वाज़ेह करती है के इ�सान क� नहसत का ता�लक़ ुूउसके अपने अमल से है जब के इ�सान उममन ये समझता है के ू
नहसत कह�ं बाहर से आती है इस�लए वोह कभी �कसी इ�सान ू
को,कभी �कसी जानवर को, कभी �कसी अदद को ओर कभी �कसी
मह�ने को मनहस क़रार देने लगता है।अरबी म� नहसत के �लऐ ू ू
َ ल�ज़طیرة इ�तमेाल होता है जो طیٌر َ َ ِ
से �नकला है िजस के मायने प�र�दे के ह�।
अरब चंके प�र�दे के उङाने से फ़ाल लेत ेथे इस�लऐ ताइर बदफ़ाल� ु
के �लऐ इ�तमेाल होने लगा यानी बरा शगन (bad omen) लेना ु ु
।इ�लाम म� कोइ �दन,जगह या इ�सान म�हस नह�ं ब�के वोह ू
इ�सान का अपना अमल,रव�या,अख़लाक़ और तर�क़ा होता है जो
उसके �लऐ म�त�लफ़ आज़माईश� क� वजह बन जाता है।ु
इशा�द बार� ताला हैःٍ ٓ ٍِ ِ ِ ِِ َ ِ َْ َٓ َ َ َ �فحَ ن س� سكس� �ة فمن نة فمن هللا ومااصابك من َم�اصابك من ّ ِْ ْ َ َ ْ ََ َ َ ََ َ َ ََ
(النساء:٧٩
कोई भलाई नह�ं जो त�ह� पहंचे तो वोह अ�लाह क� तरफ़ से है और कोई बराई ु ुु
जो त�ह� पहंचे तो वोह त�हारे न�स क� तरफ़ से है।"ु ुु
सफ़र का मह�ना और बदशगनीु
"जो �कसी चीज़ से बदफ़ाल� पकङ कर अपने मकसद से लौट आया उसने �शक�
�कया"(सहाबा कराम रज़)ने पछा ऐ अ�लाह के रसल( )इसका क�फारा �या ू ू
होगा? फ़मा�याः"वोह कहे ऐ अ�लाह! तरे� द� हई भलाई के �सवा कोई भलाई नह�ं ू
और तरे� फ़ाल के �सवा कोई फ़ाल नह�ं और तरे े अलावा कोई माबद नह�ं।"ू
�मसाल के तौर पर ऐक श�स घर से �नकला काल� �ब�ल�
रा�ता काट गई तो उसने उसे म�हस समझा और घर वापस आ ू
गया। �दखने म� तो यह एक मामल� सी बात है मगर हक़�क़त म� ू
ये �शरक है �य�के �कसी भी श�स का फ़ायदा या नकसान �ब�ल� ु
के हाथ म� नह�ं है। अ�सर ऐसा होता है के अपनी लापरवाह� क�
वजह से कोइ काम ख़राब हो जाता है और शतै ान हम� सझाता है के ु
यह सार� ख़राबी फ़लां श�स क� वजह से हई �य�के वोह सबह सबह ु ु ुु
नज़र आगया तो अब सारा �दन ख़राब ह� गज़रेगा और कोई काम ु
ठ�क नह�ं होगा,इसी तरह आखँ फ़ड़�ने से ख़ौफ़ ज़दा होजाना या
हाथ म� खजल� होने से उ�मीद लगा बठै ना के आज माल �मलेगा या ु
जत ेपर जता आ गया तो सफ़र करना है,रंग� से शगन लेना भी ू ू ू
�मारे मोआशरे म� आम है,�मसाल काला रंग ना पहनना के बीमार
पङ जाऐंगे या ए�तराम के �ख़लाफ़ है �य�के ख़ाना काबा का �ग़लाफ़
काला है,हरा जता ना पहनना के बेअदबी होगी �य�के आप( क� ू
क़� मबारक के ग�बद का रंग हरा है, इस तरह इ�सान ने ख़दसे ु ु ु
ऐसा श�स जो बरा शगन लेता रहा उसके बारे म� आप( ) न ेु ु ملسو هيلع هللا ىلص
फ़मा�याः
ملسو هيلع هللا ىلص
ملسو هيلع هللا ىلص
सफ़र का मह�ना और बदशगनीु
कछ चीज़� अपने �लए ना �सफ़� हराम करल�ं ब�के इन के साथ ु
�क़�मत भी जोङद�,ये सब ऐसे वसवसे और तवा�मात ह� िजनक�
हक़�क़त इस के �सवा कछ नह�ं के शतै ान इ�सान को �शक� म� ु
मब�तला करके इस के आमाल ज़ाऐ करवाता है,ये तवा�मात औरु
बदशग�नयां इ�सान को अ�दर से कमज़ोर करदेती ह�,इसके ु
बरअ�स अ�लाह क� ज़ात पर प�का ईमान ओर भरोसा इ�सान
को �ह�मत बहादर� ओर ऐतमाद देता है,उसे जीने का ढंग ु
�सखाता है,इस�लए एसे �कसी भी �याल को �दल से �नकाल कर
अ�लाह पर भरोसा करत े हए अपना काम जार� रखना चा�हए।ु
ह�त अ�द�लाह �बन मसद( )से �रवायत है के रसल ु ू رضي هللا عنھू
अ�लाह( )ने फ़मा�या।ملسو هيلع هللا ىلص
बदशगनी �शक� है"तीन बार कहा और हमम�से कोइ ऐसा "बदशगनी �शक� है,ु ु
नह�ं(इसे वहम हो जाता है)ले�कन अ�लाह ताला पर तव�कल क� वजह से उसे
दर करदेता है।"ू
ऐ�ले �कताब भी जब द�न क� असल ताल�मात से दर हो गऐ तो ू
इस तरह के शग़न लेने लगे, िजन का िज़� क़रआन मजीद म� ु ु
�कया गयाः
"�या त�ने नह� ं देखा उन लोग़ो को िज�ह� �कताब का ऐक �ह�सा �दया गया वोह ु
िज�त और ताग़त पर ईमान लात े ह�।"ू
िज�त बेहक़�क़त,बेअसल ओर बेफ़ायदा चीज़ को कहत ेह�,चंके ू
शगन क� भी कोइ असल ब�नयाद और हक़�क़त नह�ं होती इस�लए ु ु
इ�लाम म� ऐसी तमाम चीज़� जो िज�त के तहेत आती ह� जसेै
सफ़र का मह�ना और बदशगनीु
कहानत फ़ालगीर� शगन और तवा�मात, इनसे मना �कया गया ु
है,�कसी छोट� सी तकल�फ या तबीयत क� ख़राबी पर दसर� कोूिज़�मेदार ठेहराना और लोग� के साथ आपस के ता�लक़ात ख़राब ु
होने पर अपनी ग़लती और कोताह� का जायज़ा लेने क� बजाए
यह �याल करना के ज़�र �कसीने जाद कर�दया है या इसीतरह के ू
दसरे तवा�मात रखना जो �यार मोह�बत के �र�त� को ख़�म कर ू
देत ेह�, िजसक� वजह से इ�सान क� तव�जो अपने अमल
क� द��ती और इ�लाह से हट जाती है, नतीजतन इ�सान अकेला ु
रह जाता है और न�सीयाती मर�ज़ बन जाता है।�कसी भी
ग़ैरमामल� सरतहाल म� हर �क़�म के शर से बचाओ के �लए बतौरू ू
इलाज म�नन दआऐं औरअज़कार पढ़�।(दआऐं आख़र� पेज पर ह�)ू ु ु
ह�त अब हरैरा( )�रवायत करत े ह� के आप( )ने फ़मा�याःू ु رضي هللا عنھ ملسو هيلع هللا ىلص
◌ِ
“मज़ � का लगजाना, नहसत, उ�ल और सफ़र कछ नह� ं और कोढ़� से इस ू ुू
तरह बचो िजस तरह शरे से बचत ेहो।"
आम तौरपर देखा भी यह� है के �कसी को बीमार� लगती है और
�कसी को नह�ं लगती, अगर इसक� असल वजह कोइ इ�सान या
चीज़ होती तो �फर सबको बीमार� लगना चा�हए थी, हक़�क़त यह�
है के जब तक अ�लाह का इ�न ना हो कोइ श�स फ़ायदा या
नकसान पहंचा सकती है नाह� कोइ जरासीम या वबा, प�ले मर�ज़ ु ु
को बीमार� जहां से आइ थी यानी अ�लाह के इ�न से, बाक़� लोग�
को भी वह�ं से आएगी अलब�ता इ�सान ए�तयात करे �य�के
तदबीर करने का ह�म भी अ�लाह ह� ने �दया है ले�कन भरोसा ु
ओर तव�कल �सफ़� अ�लाह क� ज़ात पर हो।
सफ़र का मह�ना और बदशगनीु
इसी तरह उ�ल से बदशगनी लेने क� भी कोइ हक़�क़त नह�,ंू ु
अरब� के यहां उ�ल एक ऐसा प�र�दा था िजसका बोलना नहसत ू ू
क� अलामत थी जब के मग़�रब म� उ�ल अ�लमंद� क� अलामत ु
समझा जाता है, हमारे यहां �ब�ल� का रोना या बोल मनहसू
समझा जाता है, इसी तरह ए�ले योरप तरेाह के अदद को मनहस ू
समझत ेह�, इसी तवा�म पर�ती क� वजह से इनक� बाज़ इमारत�
म� तरेवीं मंिज़ल को तरे ाह का न�बर नह�ं �दया जाता, इसके
असरात हम पर भी ह� ख़ासतौर से सफ़र क� तरेा तार�ख़ को मनहस ू
समझत ेह� जब के चीन म� ये ख़श�क़�मती क� अलामत समझी ु
जाती है, अदद तरेाह का ह� है मगर बाज़ इसको नहसत और बाज़ ू
इसको ख़श�क़�मती क� अलामत समझत े ह� तो द��त �या है? ु ु
हक़�क़त यह� है के यह िज�त ह� यानी बेहक़�क़त बात� और
तवा�मात।
ह�त जा�बर( ) बयान करत ेह� के मन� े नबी( )से सनाःुرضي هللا عنھ ملسو هيلع هللا ىلص
"मज़ � का लग जाना, सफ़र और भत पर�त कछ नह�ं ह�।"ू ु
ह�त अब हरैराह( )�रवायत करत े ह� के रसल अ�लाह( )ने ू ूु رضي هللا عنھ ملسو هيلع هللا ىلص
फ़मा�याः
(
"कोइ बीमार� मतअद� नह�,ं ना उ�ल का बोलना कछ है,ना �कसी �सतारे क� कोइ ु ू ु
तासीर है और ना सफ़र का मह�ना मनहस है।"ू
मालम हआ के िज़�दगी म� पेश आने वाले म�त�लफ़ वा�क़यात को ू ुु
�सतार� के असरात समझना या इनसे नहसत लेने क� कोइ हक़�क़तू
नह�ं,ज़ायचे बनवाना,बाज़ तार�ख़� को मनहस समझना ये सब व�मी ू
और �याल� बात� ह�।
ह�त ज़दै �बन ख़ा�लद( )से �रवायत है के आप( )ने �म� رضي هللا عنھ ملسو هيلع هللا ىلص
हदै�बया म� सबह क� नमाज़ पढ़ाई यह वा�क़या बा�रश के बाद ुु
सफ़र का मह�ना और बदशगनीु
का है जो रात को हई थी जब आप( ) नमाज़ से फ़ा�रग़ हऐ तो ु ु
लोग� क� तरफ़ मतव�जा हऐ और फ़मा�याः"�या तम जानते हो ु ुु
त�हारे रब ने �या �हा है? सहाबा कराम ( )ने अज� �कया ु
अ�लाह ओर उसका रसल( बे�तर जानत ेह�, आप(ने ू
फ़मा�याः"अ�लाह ताला फ़मा�ता है मेरे ब�द� ने इस हाल म� सबह क� ु
के कछ मझपर ईमान लाने वाले थे और कछ मेरे साथ क� करने ु ु ु ु
वाले थे िजसने यह कहा के अ�लाह के फ़ज़ल ओर उसक� रहमत से
हम पर बा�रश हई पस वोह मझपर ईमान लाने वाला ओर �सतार� ुु
का क� करने वाला है और िजसने कहा के फ़लां �सतारे क� वजह ु ु
से बा�रश हई पस वोह मेरे साथ क� करने वाला है और �सतार� ुु
पर इमान लाने वाला है।"(सह� बख़ार�)ु गोया �सतार� को अपनी ख़श�क़�मती या बद�क़�मती क� ुअलामत समझना इ�सान को क� तक पहंचा सकता है। अलब�ताु ु
अ�छ� चीज़� को अपने �लए ख़शब�ती क� अलामत समझने म� कोइ ु
) �रवायत करत े ह� के रसल हज � नह�ं जसै ा के ह�त अनस(ू رضي هللا عنھ
)ने फ़मा�याः अ�लाह(ملسو هيلع هللا ىلص
कोइ मरज़ मतअद� नह�ं और ना बदफ़ाल� कोइ चीज़ है और नेक फ़ाल यानी ु
अ�छा कलमा मझ ेपसंद है"(सह� बख़ार�) ु ु
मसलन रसल अ�लाह( )ने सलाह हदै�बया के मौके पर ए�ले ू ु ु
म�का के नमाइ�दे सहेल �बन उ�ो के आने पर फ़मा�या थाः"अब ु ु
त�हारा मामला आसान हो गया।"(सह� बख़ार�)ु ु सोचने क� बात यह है के इतने वाज़ेह ए�कामात के बावजद ू
�मारे मोआशरे म� यह बदशग�नयां आम �य� ह� तो इस क� ु
एक वजह नीचे द� हई मोज़ �रवायत का लोग� म� आम होनूुم
ملسو هيلع هللا ىلص
ملسو هيلع هللا ىلص
رضي هللا عنھ
सफ़र का मह�ना और बदशगनीु
"जो श�स मझको माह सफ़र गज़रने क� बशारत देगा म � उस को ज�नत क� ु ु
बशारत दगाँ।"ू
यह हद�स नह�ं ब�के एक मनघङत बात है,चनाँचे इस मह�ने म� ु
शाद� करने से �कना,ब�चे का अक़�क़ा ना करना या दसर� ु
तक़र�बात ना मनाना इ�लामी तरज़े अमल नह�ं,इसी तरह तरे ाह
तार�ख़ को घगँ�नयाँ �खलाने या खाने क� भी कोइ सनद नह�ं,तीनु
सौ पस� ठ आटे क� गो�लयां तालाब� म� फ� कने क� भी कोइ हक़�क़त
नह�ं।माह सफ़र के हवाले से एक और इ�तहेा यह है के एक तरफ़
इस को मनहस समझत े ह� और दसर� तरफ़ ख़शी मनाई जाती है ू ुू
और दल�ल यह पेश क� जाती है के रसल अ�लाह( बीमार� के ू
बाद इस �दन सेहतयाब हए थे और सरै तफ़र�ह के �लए �नकले थे ु
हालाँके तार�ख़ी ऐतबार से बात इसके �ब�कल उलट ुहै।
"पस रसल अ�लाह( )क� इस बीमार� क� इ�तदे ा हइ िजस मे अ�लाह ताला ने ू ملسو هيلع هللا ىلصू
आप( )क� �ह क़�ज़ क�।"ملسو هيلع هللا ىلص
इस मनघङत बात को ब�नयाद बनाकर इस मह�ने क� आ�खर� ु़
है,कारोबार ब�द कर �दए जात े ह� ख़ासतौर बध को छ�ी क� जातीु ु
से हाथ से काम करने वाले कार�गर और मज़दर लोग छ�ी मनात ेू ु
ह� और �मठाई का मता�बा करत े ह�। �मठाई बांट� जाती है और ु
इस �दन छ�ी देना अजर व सवाब समझा जाता है, ख़ास इस ु
)ने �दन इस सोच के साथ चर� बनाइ जाती है के रसल अ�लाह(ू ملسو هيلع هللا ىلصू
से�तयाब होने के बाद चर� खाई थी, �वातीन इस �दन अ�छे ू
कपङे प�नती ह�,लोग ख़ासतौर पर तफ़र�ह के �लए �नकलत े ह�, जब
के इसक� दल�ल ना तो सीरत क� �कताब� म�
ملسو هيلع هللا ىلص
सफ़र का मह�ना और बदशगनीु
है ना अहाद�स मबारका से �मलती है।ु
इस लेहाज़ से एक मस�मान का अक़�दा मज़बत और ज़�न वाज़ेह ु ू
होना चा�हए के ख़शी और ग़म, फ़ायदा और नकसान सब अ�लाह ताला ु ु
के हाथ म� है,कोइ तकल�फ़ नह� ंआ सकती जब तक अ�लाह ना चाहे।
क़रआन मजीद म� अ�लाह ताला फ़मा�त ेह�।ु
"कह द�िजए के हम� हर�गज़ कोइ भलाइ या बराई नह� ं पहंचती मगर वोह ु ु
जो अ�लाह ने �मारे �लए �लख द� ,वह�हमारा मौला है ओर ईमान वाल�
को अ�लाह पर तव�कल करना चा�हए।"
आप( )न ेफ़मा�याः
"जो मसीबत तमको पहंची है वोह त�से टल नह� ं सकती थी और जो टल गइ वोह ु ु ुु
तम पर आह� नह�ं सकती थी।"ु
यह� सोच इ�सान को हर हाल म� म�मईन रखती है के जो हआ ु ु
अ�लाह ताला के इ�न से हआ और इस म�ज़�र अ�लाह क� कोइ ु
�हकमत पोशीदा है,इस तरह अक़�दा तौह�द और प�का होता है
और इ�सान जान लेता है के असल पनाह देने वाल� ज़ात �सफ़�
अ�लाह क� है, इस तरहवोह �शक� जसेै कबीरा गनाह से बचा र�ता ु
है, इसी पर जमे रहने के �लए �म� यह दआ �सखाइ गई जो फ़ज़ �ु
नमाज़ के बाद पढ़ना म�नन है।ू
"ए अ�लाह ! कोइ रोक नह� ं सकता जो आप अता कर� और कोइ दे नह� ं सकता िजस को
आप रोकना चाह� और आपकेअज़ाब के मकाबले म� �कसी दौलतमंद को उसक� ु
दौलतफ़ायदा नह� ं दे सकती।"
सफ़र का मह�ना और बदशगनीु
नज़र बद और तकल�फ़ से बचने
क� दआऐंु
"म ैहर शतै ान और मज़ी और नज़र बद से अ�लाह क� पनाह ू
चा�ता हं।"ू
"म ैअ�लाह के तमाम क़लमात क� पनाह चा�ता हं उसके ग़ज़ब और ू
उसके इताब से और उसके ब�द� के शर से ओर शतै ान के वसवसो
से और इस से के वोह मेरे पास हािज़र ह�।"
"म ैअ�लाह के नाम से आपको झाङता हं हर उस चीज़ से जो ूआपको अिज़यत दे, हर न�स और हर हा�सद नज़र के शर से
अ�लाह आपको �शफ़ा दे,म � अ�लाह के नाम से आपको झाङता
हं।"ू
सफ़र का मह�ना और बदशगनीु
"ए लोग� के रब तकल�फ दर करदे और �शफ़ा दे, तह� �शफ़ा देन ेू ू
वाला है, तरे� द� हई �शफ़ा के �सवा कोइ �शफ़ा नह�,ंऐसी �शफ़ा जो ु
बीमार� को बाक़� ना छोङे।"
"म � अ�लाह ताला के इन तमाम कलमातके साथ पनाह चा�ता हं ु
िजनसे ना कोइ नेक और ना ह� कोइ फ़ािजर बढ़ सकता है,हर
उस चीज़ के शर से जो आसमान से उतरती या उस म� चढ़ती है
और उस चीज़ के शर से जो ज़मीन से पदैा होती है और जो उस
से बाहर �नकलती है और रात और �दन के �फ़तनोऔर हादसात
के शर से,अलब��ता जो हादसा बे�तर� का सबब हो, ऐ रहम
करने वाले।"
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