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कोरोना के समय म रसोई भारतीय वै ािनक का कोिवद-19 के िव यास एक व े रत मंडली
शाम हो गयी थी और मुझ ेहलक सी भूख लगी थी। “पापा, या आज अपनी पेशल चकन कर बना दोगे, ल ज ? मसाला ज़रा यादा डालना!” मने कहा। माँ ने भी झट से मेर हाँ म हाँ मलाते हुए कहा, “आज म काफ थक गयी हँू, आप आज अपनी कर बना ह दो !”“ठ क है”, पापा ने कहा और साबुन से हाथ धोने के लए बे सन क ओर बढ़ गए। उ ह समय का यान दलाने के लए मैने 20 से उ ट गनती शु कर द और माँ भी मेरे साथ-साथ गनने लगी। पापा को रे डयो सुनते हुए, नीचे फश पर बैठ कर स ज़ी काटना अ छा लगता है। सुबह जब रमेश चाचा कुछ प काय देने आये थे, तो वे भी वह बैठे थे। मुझ ेयाद है क पापा ने उनके जाते ह वह सार सतह साबुन और पंज से साफ़ क थी। वे बैठे और चकन और हर मच काटना शु कया। मने आ ह कया, “थोड़ी मच और डालो न“ .
“बेट या तुम मेरे लए याज़ काटोगी ?”, “ना बाबा ना… याज़ मुझ े ला देते ह”, मने कहा। उ ह ने फर तीन याज़ पानी से धोये और उ ह छ लने लगे। इतने म पड़ोस क सरला ऑ ट आ और दरवाज़े के बाहर खड़ ेहोकर ह माँ से बात करने लगीं। “तु ह पता है, मेर बहन ने या कया ? उसने तो चतंा के मारे याज़ और टमाटर को भी साबुन से धो डाला। पूरे प रवार को साबुन वाला भोजन खाना पड़ा!” इस य क तो क पना से ह मेर हंसी रोके नह ं क रह थी!“यह वषाणु (virus) खाने क चीज़ पर नह ं उगता, पता है? और वैसे भी खाना पकाते समय यह न ट हो जाता है। यह बै ट रया जैसा नह ं है।”, माँ ने समझाया। हाँ, यह तो मुझ ेभी पता था। “ले कन वो याज तो बाज़ार से आये थे, उ ह तो हर कसी यि त के हाथ लगे ह गे ना?”, मैने पूछा। “हाँ मेर छोट सी गु ड़या”, माँ मु कुरा कर बोल , “इस लए तो जब तेरा भाई बाजार से कल सि ज़याँ लाया था तब मैने
इन सब सि ज़य को पानी से बहुत अ छ तरह से धोया था।”... “ और फर मैने पूरे 20 सेकंड तक साबुन से हाथ धोये!”, हम दोन एक साथ बोल पड़ े। सरला ऑ ट ने पापा क ओर देखा। “ओह, तो तुम अपना ख़ास चकन बना रहे हो। पर मैने तो WhatsApp (वाॅटसए प) पर पढ़ा था क यह वषाणु पहले जानवर से ह आया था? तो ऐसे म या चकन खाना सुर त है?”, उ ह ने पूछा। “हाँ हाँ… ”, पापा ने जोऱ दे कर कहा, “यह वषाणु सफ एक इंसान से दसूरे इंसान तक फैलता है। माँसाहार खाना पूर तरह सुर त है। डॉ टर का भी यह कहना है।”, वे बोले। भला हो भगवान का, मैने मन ह मन सोचा। इतने म उनक बेट ने उ ह आवाज़ लगाई और सरला ऑ ट वापस अपने घर चल गयीं। तभी शखेर भैया भी दकुान से वापस आ गए। माँ ने उ ह चावल और तूर दाल और मेरे लए म वाले बि कट लेने के लए भेजा था ! उ ह बाहर दरवाज़े पर असमंजस म खड़ ेदेख कर माँ ने कहा, “ कस उलझन म हो, एक मनट वह को बेटा।” माँ रसोई म गयीं और दाल चावल रखने वाले बड़ े ड बे नकाल लायीं। उ ह ने ड बे खोले और भैया को दाल चावल के लाि टक के पैकेट काट कर खोलने को बोला। “मेरे ड ब को हाथ नह ं लगाना, बार -बार से दाल और चावल सीधा इन ड ब म उलट दो।”, माँ ने भैया को कहा, “ यान रहे, नीचे बलकुल नह ं गरना चा हये!” उ ह इतने यान से दाल चावल डालते हुए देख
मुझ ेबड़ा मज़ा आ रहा था। फर उ ह ने बि कट का पैकेट खोल कर भी, बना ड बे को छुए, सारे बि कट ड बे म डाल दए। “वाह !”, काम पूरा होने के उपल य म भैया ख़ुशी से च लाये। कभी-कभी वो ऐसी बचकानी हरकत करते ह, और हम सब साथ म ज़ोर से हंस पड़।े मुझ ेयाद आया जब सरला ऑ ट सुबह आलू क स ज़ी लायीं थीं, वह भी माँ ने सीधा हमारे बतन म उड़ले द थी। “अब म इस लाि टक और कागज़ का या क ँ ?” शखेर भैया ने माँ से पूछा। माँ ने उन सब को एक लाि टक क थलै म डाल कर बाहर रखे कूड़देान म डालने को कहा। इसके बाद भैया च पल बाहर उतार कर अंदर आ गए। “पूरे 20 सेकंड तक हाथ धो लो”, मने कहा। उनके पीछे खड़ ेहो कर म यान रख रह थी क वे ठ क से हाथ धो रहे ह या नह ं। फर वे कपड़ ेबदलने के लए अंदर चले गए। तब तक पापा रसोई म चले गए थे। उ ह ने सभी बतन, च मच, यहां तक क टोव को भी साबुन वाले पानी से सुबह ह धो दया था। ज द ह कड़ी प और ह ंग के छ क क सुगंध पूरे घर म फ़ैल गयी। उ ह ने चकन को कड़ाह म डाला और उसे पकाते हुए माँ, जो बाहर अपना मनपसंद ट वी सी रयल देख रह थीं, से पूछा, “तुमने बगल क बि डगं के गो डी के बारे म सुना? उसे खांसी ज़ुकाम भी है, और पछले ह ते उसे ह का सा बुखार भी था।”“हे भगवान,् उसके प रवार वाले कतना डर गए ह गे। या हम उनसे मलने जाना चा हए ?”, शखेर भैया ने पूछा। माँ ने सर हलाया और कहा, “नह ं इस समय उस पूरे प रवार को सबसे अलग रहना आव यक है।” म सोचने लगी क ऐसे म गो डी अपने प रवार के साथ खाना कैसे खायेगा। मने पूछा क या उसके लए भी कोई चकन कर बना सकता है ? “हाँ, य नह ं ?”, माँ बोल ं। “उ ह बस बहुत यान रखने क
ज रत है। उसे सफ अपने कमरे म ह रहना होगा, और कोई प रवार जन उसके लए खाना ले आयेगा, और उसका खाना होने के बाद बतन भी धो देगा।” म आशा करती हँू क गो डी ज द ह ठ क हो जाये, उसने मुझ ेपतंग उड़ाना सीखने का वादा जो कया है!“खाना तैयार है !”,पापा ने ऐलान कया। उ ह ने सबको हाथ धोने भेजा और अपनी-अपनी था लयाँ लाने को बोला। फर उ ह ने सबक था लय म चावल और कर डाल । “आप हमारे साथ नह ं खाओगे?”, मैने पूछा। “एक मनट को “, कह कर वे अपनी नाक ज़ोर से खुजाने लगे। “ पछले आधे घंटे से म नाक खुजलाना चाहता था, ले कन कर नह ं पा रहा था य क म खाना बना रहा था। अब म कर सकता हँू !”, वे खुश हो कर बोले। हम सब ठहाके लगा कर हॅसने लगे और वो हाथ धोने चल पड़।े एक दसूरे से थोड़ी-थोड़ी दरू पर बैठ कर फर हमने दु नया क सबसे अ छ चकन कर खायी!
इन कहा नय का अ भ ाय द गयी जानकार को तुत करने के लए कुछ उदाहरण दान करना है। इस कारण से यहाँ जानकार को सरल प म ह तुत कया जा सकता है। व ततृ जानकार और वै ा नक सट कता के लए कृपया वेबसाइट पर उपल ध अ य सहायक लेख अव य देख।