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© 2013 by Third Millennium Ministries
www.thirdmill.org
प्रेरितों का विश्वास-कथन
अध्ययन वनर्दवेिका
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अध्याय र्दो विता ििमेश्वि
2
The Apostles' Creed
Lesson 2: God the Father © 2010 by Third Millennium Ministries www.thirdmill.org
विषय-िस्त ु
इस अध्याय को कैसे इस्तेमाल किें औि अध्ययन वनर्देविका ......................................................................................................................... 3
नोट्स ....................................................................................................................................................................................................... 4
1. िरिचय (1:01) .......................................................................................................................................................................... 4
2. ििमेश्वि (4:04) ......................................................................................................................................................................... 4
A. एकात्मकता (5:53) .......................................................................................................................................................................................... 4
1. बहुईश्वििार्द (6:29).......................................................................................................................................... 4
2. एकेश्वििार्द (11:45) ......................................................................................................................................... 5
3. मसीवियत (18:20) .......................................................................................................................................... 6
B. सार्दगी (25:45) ............................................................................................................................................................................................... 7
3. सिवसामथी ििमेश्वि (31:35) ..................................................................................................................................................... 8
A. नाम (31:44) .................................................................................................................................................................................................... 8
B. व्यवि (37:59) ................................................................................................................................................................................................. 9
C. वितृत्ि (46:24) ............................................................................................................................................................................................. 11
1. सृविकर्त्ाव (47:14) .......................................................................................................................................... 11
2. िाजा (49:57) ................................................................................................................................................ 11
3. मुविया (54:41) ............................................................................................................................................ 12
D. सामथव (1:00:20) .......................................................................................................................................................................................... 13
1. असीम (1:01:15) .......................................................................................................................................... 13
2. अतुल्य (1:09:14) .......................................................................................................................................... 14
4. कर्त्ाव (1:12:39) .............................................................................................................................................................................. 14
A. सृवि का कायव (1:13:00) .............................................................................................................................................................................. 14
B. सृवि की अच्छाई (1:20:22) ........................................................................................................................................................................ 15
C. सृवि िि अविकाि (1:27:36) ...................................................................................................................................................................... 16
1. अंवतम (1:27:53) ........................................................................................................................................... 16
2. एकमात्र (1:31:32) ........................................................................................................................................ 16
3. िूर्व (1:33:35) .............................................................................................................................................. 16
5. उिसंिाि (1:36:48) ........................................................................................................................................................................ 16
िुनसवमीक्षा के प्रश्न .................................................................................................................................................................................. 17
उियोग के प्रश्न ....................................................................................................................................................................................... 22
© 2013 by Third Millennium Ministries
www.thirdmill.org
इस अध्याय को कैस ेइस्तमेाल किें औि अध्ययन वनर्दवेिका
इस अध्ययन वनर्दवेिका को इसके साथ जुड़े िीवियो अध्याय के साथ इस्तेमाल किने के वलए तैयाि ककया गया ि।ै यकर्द
आिके िास िीवियो निीं ि ैतो भी यि अध्याय के ऑवियो औि/या लेि रूि के साथ कायव किेगा। इसके साथ-साथ अध्याय
औि अध्ययन वनर्दवेिका की िचना सामूविक अध्ययन में इस्तेमाल ककए जाने के वलए की गई िै, ििन्तु यकर्द जरुित िो तो
उनका इस्तेमाल व्यविगत अध्ययन के वलए भी ककया जा सकता ि।ै
इसस ेििल ेकक आि िीवियो र्दिेें
o तयैािी किें — ककसी भी बताए गए िाठन को िूिा किें।
o र्देिन ेकी समय-सािर्ी बनाएं — अध्ययन वनर्दवेिका के नोट्स के भाग में अध्याय को ऐसे भागों में
विभावजत ककया गया िै जो िीवियो के अनुसाि िैं। कोष्ठक में कर्दए गए समय कोड्स का इस्तेमाल किते
हुए वनिावरित किें कक आिको र्देिने के सत्र को किााँ िुरू किना ि ैऔि किााँ समाप्त। IIIM अध्याय
अविकाविक रूि में जानकािी से भिे हुए िैं, इसवलए आिको समय-सािर्ी में अंतिाल की आिश्यकता
भी िोगी। मुख्य विभाजनों िि अंतिाल ििे जाने चाविए।
जब आि अध्याय को र्दिे ििे िों
o नोट्स वलिें — सम्िूर्व जानकािी में आिके मागवर्दिवन के वलए अध्ययन वनर्दवेिका के नोट्स के भाग में
अध्याय की आिािभूत रूििेिा ििती िै, इसमें िि भाग के आिंभ के समय कोड्स औि मुख्य बातें भी
ििती िैं। अविकांि मुख्य विचाि ििले िी बता कर्दए गए िैं, ििन्तु इनमें अिने नोट्स अिश्य जोड़ें।
आिको इसमें सिायक विििर्ों को भी जोड़ना चाविए जो आिको मुख्य विचािों को यार्द ििने, उनका
िर्वन किने औि बचाि किने में सिायता किेंगे।
o रिप्िवर्यों औि प्रश्नों को वलिें — जब आि िीवियो को र्दिेते िैं तो जो आि सीि िि ेिैं उसके बािे में
आिके िास रिप्िवर्यां औि/या प्रश्न िोंगे। अिनी रिप्िवर्यों औि प्रश्नों को वलिने के वलए इस रिि
स्थान का प्रयोग किें ताकक आि र्देिने के सत्र के बार्द समूि के साथ इन्िें बााँि सकें ।
o अध्याय के कुछ विस्सों को िोकें /िनुः चलाएाँ — अवतरिि नोट्स को वलिने, मुवश्कल भािों की िुनः
समीक्षा के वलए या रुवच की बातों की चचाव किने के वलए िीवियो के कुछ विस्सों को िोकना औि िुनः
चलाना सिायक िोगा।
िीवियो को र्दिेन ेके बार्द
o िनुसवमीक्षा के प्रश्नों को ििूा किें — िुनसवमीक्षा के प्रश्न अध्याय की मूलभूत विषय-िस्तु िि वनभवि िोते
िैं। आि कर्दए गए स्थान िि िुनसवमीक्षा के प्रश्नों का उर्त्ि र्दें। ये प्रश्न सामूविक रूि में निीं बवल्क
व्यविगत रूि में िूिे ककए जाने चाविए।
o उियोग प्रश्नों के उर्त्ि र्दें या उन िि चचाव किें — उियोग के प्रश्न अध्याय की विषय-िस्तु को मसीिी
जीिन, िमवविज्ञान, औि सेिकाई से जोड़ने िाले प्रश्न िैं। उियोग के प्रश्न वलवित सत्रीय कायों के रूि में
या सामूविक चचाव के रूि में उवचत िैं। वलवित सत्रीय कायों के वलए यि उवचत िोगा कक उर्त्ि एक िृष्ठ
से अविक लम्बे न िों।
The Apostles' Creed
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नोट्स
1. िरिचय (1:01)
िवित्रिास्त्र बल र्दतेा ि ैकक केिल एक सच्चा ििमेश्वि ि ै— िि वजसकी आिािना मसीिी किते
िैं।
2. ििमशे्वि (4:04)
A. एकात्मकता (5:53)
ििमेश्वि िी एकमात्र ििमेश्वि ि।ै
1. बहुईश्वििार्द (6:29)
िरिभाषा : एक से अविक ईश्विों के अवस्तत्ि में विश्वास
बहुईश्वििार्द में कोई एक ईश्वि ब्रह्ांि के ऊिि सम्िूर्व वनयंत्रर् ििने का
र्दािा निीं कि सकता।
Notes
The Apostles' Creed
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5
आिंवभक कलीवसया के समय में अविकांि गैि-मसीिी बहुईश्वििार्दी थे।
बहुईश्वििार्द के कािर्
प्रायः कानून इसकी मांग किते थे।
मनुष्यजावत का िािी िोना
2. एकेश्वििार्द (11:45)
िरिभाषा : केिल एक ईश्वि में विश्वास
िवित्रिास्त्र र्दािा किता ि ैकक केिल एक िी ििमेश्वि ि ै:
1 िाजा 8:60 – यिोिा िी ििमेश् िि ि;ै औि कोई र्दसूिा निीं।
भजन 86:10 – केिल तू िी ििमेश्वि ि।ै
2 िाजा 19:19 – यिोिा . . . केिल त ूिी यिोिा ि।ै
िोवमयों 3:30 – एक िी ििमेश्वि ि।ै
याकूब 2:19 – तुझ ेविश्वास ि ैकक एक िी ििमेश्वि ि;ै तू अच्छा किता
ि।ै
Notes
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6
सािे एकेश्वििार्दी िमव एक िी ििमेश्वि की आिािना निीं किते।
यहूर्दी िमव : उस वत्रएक ििमेश्वि का इनकाि किता ि ैवजसे बाइबल
प्रकि किती ि।ै
इस्लाम : यि मानता ि ैकक ििमेश्वि में “प्रावर्यों का कोई समूि”
निीं ि।ै
मसीवियत : मानती ि ैकक एक ििमेश्वि तीन व्यवित्िों में िास
किता ि।ै
3. मसीवियत (18:20)
विश्वास-कथन स्िि रूि से यि निीं किता कक केिल एक ििमेश्वि ि।ै
विश्वास-कथन वत्रएकता की िद्धवत के चािों ओि बनुा गया ि।ै
Notes
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7
विश्वास-कथन सामान्य िब्र्द के एकिचन रूि “ििमेश्वि” के इस्तेमाल के
द्वािा बहुईश्वििार्द का इनकाि किता ि।ै
ििमेश्वि के नाम :
एल िर्दाई : सिविविमान ििमेश्वि
एल एल्योन : ििमप्रिान ििमेश्वि
एिोनाई : प्रभु, स्िामी, िासक
यिोिा : प्रभु, मैं हूाँ
विश्वास-कथन र्दिावता ि ैकक केिल मसीवियत का ििमेश्वि िी “ििमेश्वि”
किलाने के योग्य ि।ै
B. सार्दगी (25:45)
ििमेश्वि का साि वभन्न तत्िों का वमश्रर् निीं, ििन्तु एक िी तत्ि का एकीकृत रूि ि।ै
Notes
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8
ििमेश्वि का साि :
आिािभूत स्िभाि
िि तत्ि जो उसके अवस्ति की िचना किता ि ै
वभन्न तत्िों का वमश्रर् निीं ि ै
केिल एक तत्ि का एकीकृत रूि
बाइबल बल र्दतेी ि ैकक केिल एक िी ििमेश्वि ि ै. . . केिल एक ईश्वि जो तीन
व्यवित्िों में िाया जाता ि।ै
3. सिवसामथी ििमशे्वि (31:35)
A. नाम (31:44)
विता :
सब िस्तुओं का सृविकर्त्ाव
उस संबंि को र्दिावता ि ैजो विश्वासी र्दर्त्क िुत्र औि िुवत्रयों के रूि में
ििमेश्वि के साथ ििते िैं।
यीिु औि उसके विता के बीच संबंि को र्दिावता ि।ै
Notes
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9
जब ििमेश्वि को िुिाने वनयम में “विता” किा जाता ि,ै तो िास्ति में उल्लेि सािी
वत्रएकता के बािे में ि।ै
ऐसे समय भी िि ेिैं जब नया वनयम “विता” के रूि में वत्रएकता को र्दिावता ि।ै
िवित्रिास्त्र वत्रएकता के उस व्यवित्ि का उल्लेि किने के वलए “विता” िब्र्द का
इस्तेमाल किता ि ैजो िुत्र औि िवित्र आत्मा के अवतरिि ि।ै
B. व्यवि (37:59)
वत्रएकता के विषय में र्दवृिकोर् :
अवस्तत्ि-संबंिी वत्रएकता
o अवस्तत्ि से संबंवित
o साि
Notes
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वििानीय वत्रएकता
o घि-िरििाि प्रबंिन से संबंवित
o ककस प्रकाि विता, िुत्र औि िवित्र आत्मा वभन्न व्यवित्िों के रूि में
एक-र्दसूिे से संबंवित िैं
विता : “प्रथम व्यवि”
अवस्तत्ि मीमांसा-संबंिी वत्रएकता
o िुत्र : विता के द्वािा जवनत (“अनंत रूि स ेजवनत”)
o िवित्र आत्मा : विता से वनकलता ि ै(“आवत्मक रूि से वनकलता ि”ै)
वििानीय वत्रएकता
o िुत्र िि अविकाि
o िवित्र आत्मा िि अविकाि
Notes
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11
C. विततृ्ि (46:24)
1. सवृिकर्त्ाव (47:14)
व्यिस्थाविििर् 32:6
यिायाि 43:6-7; 64:8
मलाकी 2:10
लूका 3:38
पे्ररितों के काम 17:26-28
ििमेश्वि का सृवि िि व्यािक वितृत्ि उसे पे्ररित किता ि ैकक िि िमािे िवतत
संसाि के प्रवत बड़ा िैयव र्दिावए।
2. िाजा (49:57)
प्राचीन िूिव एविया :
लोग िाजाओं को अिने विता कित ेथ े
िाजा लोगों को अिने बच्चे किते थे
o इस्राएल के विता के रूि में र्दाऊर्द
Notes
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“विता” किलाए जान ेिाला ििमेश्वि
मिान िाजा वजसने संसाि के सािे िाजाओं िि िासन ककया
प्रत्यक्ष रूि से अिने चुन ेहुए िाष्ट्र इस्राएल िि िाज्य ककया
यीिु ने अिने चेलों को “िमािे विता जो स्िगव में ि”ै के नाम से प्राथवना किने
का वनर्दिे कर्दया।
3. मवुिया (54:41)
िुिाने वनयम में ििमेश्वि को इस्राएल िाष्ट्र के िारििारिक मुविया के रूि में
वचवत्रत ककया गया ि।ै
ििमेश्वि का अिने लोगों का िारििारिक मुविया िोने का विििर् नए
वनयम में भी जािी ििता ि।ै
Notes
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D. सामथव (1:00:20)
ििमेश्वि के िास असीम, अतलु्य सामथव ि ै
1. असीम (1:01:15)
विता के िास िि सब किने की सामथव ि ैजो िि किना चािता ि ै:
ब्रह्ांि को बनाने औि नाि किन े
मौसम को वनयंवत्रत किन े
अिने ितु्रओं को ििावजत किन े
मानिीय प्रिासनों िि िाज्य किने औि वनयंत्रर् ििने
सामथी चमत्काि किने
अिने लोगों को बचान े
अिने लोगों को ििमेश्वि द्वािा छुिकािा र्दनेा उसके सामथव की आर्दिव प्रस्तुवत
ि।ै
ििमेश्वि ऐसा कभी कुछ निीं किता जो उसकी प्रकृवत के विरुद्ध िो।
Notes
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ििमेश्वि :
कभी अनंत िोना बंर्द निीं िोगा
कभी िुत्र औि िवित्र आत्मा से अिने अविकाि को िािस निीं लेगा
कभी कुछ िािमय निीं किेगा
िमेिा अिनी प्रवतज्ञा को िूिा किेगा
2. अतलु्य (1:09:14)
केिल ििमेश्वि सिवसामथी ि।ै
केिल एकमात्र सच्चा ििमेश्वि ि।ै
ििमेश्वि का बिुाई के ऊिि संिूर्व वनयंत्रर् ि।ै
4. कर्त्ाव (1:12:39)
A. सवृि का कायव (1:13:00)
सृवि एक ऐसा कायव ि ैवजसे पे्ररितों का विश्वास-कथन वििेष रूि से ििमेश्वि के साथ
जोड़ता ि।ै
Notes
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उत्िवर्त् 1 में सृवि के िर्वन के विषय में वसद्धांत :
एक्स वनविलो या िून्य से (िमवविज्ञानी सिमत)
छः कर्दनों की सृवि (िमवविज्ञानी असिमत) :
o एक अकेला िल
o आम 24 घंिे का कर्दन
o कर्दनों के बीच का लम्बा समय
o युग या काल
सृवि के कायव में िूिी वत्रएकता िावमल ि।ै
B. सवृि की अच्छाई (1:20:22)
ब्रह्ांि ििमेश्वि की अच्छी सृवि ि ैजो उसके अच्छे चरित्र को र्दिावती ि।ै
मानिजावत के िाि के फलस्िरूि ििमेश्वि ने सािी सृवि को श्राि के अिीन ििा।
ििमेश्वि का संसाि अभी भी मूलभूत रूि से अच्छा ि।ै
Notes
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16
C. सवृि िि अविकाि (1:27:36)
1. अवंतम (1:27:53)
विता के िास िि संिूर्व स्ितन्त्रता ि ैकक िि जो चाि ेअिनी सृवि के साथ
किे।
2. एकमात्र (1:31:32)
एकमात्र अविकाि केिल सृविकर्त्ाव के िास ि,ै औि ििमेश्वि एकमात्र
सृविकर्त्ाव ि।ै
3. िूर्व (1:33:35)
ििमेश्वि का अविकाि उन सब िि िि प्रकाि से ि ैवजसकी उसने सृवि की ि।ै
प्रत्येक व्यवि ििमेश्वि के अविकाि के तले ि।ै
िि िस्तु ििमेश्वि के अविकाि के तले ि।ै
5. उिसिंाि (1:36:48)
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िनुसवमीक्षा के प्रश्न
1. मसीिी क्यों किते िैं कक बाइबल का ििमेश्वि िी एकमात्र सच्चा ििमेश्वि िै?
2. िब्र्द “सार्दगी” का क्या अथव ि,ै औि यि िब्र्द ककस प्रकाि ििमेश्वि के साि का िर्वन किता िै?
Review Questions
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18
3. ककन रूिों में िवित्रिास्त्र ििमेश्वि के वलए “विता” िब्र्द को लागू किता ि?ै
4. स्िि किें कक “अवस्तत्ि-मीमांसा” औि “वििानीय वत्रएकता” का क्या अथव ि?ै िे ककस प्रकाि
समान िैं? िे ककस प्रकाि वभन्न-वभन्न िैं?
Review Questions
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19
5. ििमेश्वि के वितृत्ि की चचाव किें जब यि सृविकर्त्ाव, िाजा, औि अिने लोगों के िारििारिक
मुविया के रूि में उसकी भूवमकाओं से संबंवित ि।ै
6. ििमेश्वि के असीम औि अतुल्य सामथव को िरिभावषत किें औि उसका िर्वन किें।
Review Questions
The Apostles' Creed
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20
7. सृवि के कायव में सृविकर्त्ाव के रूि में विता की भूवमका की चचाव किें।
8. ब्रह्ांि ककस प्रकाि ििमेश्वि की अच्छी सृवि ि ैजो उसके अच्छे चरित्र को र्दिावती िै?
Review Questions
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9. अंवतम, एकमात्र औि िूर्व रूि में सृवि िि ििमेश्वि के अविकाि को स्िि किें।
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उियोग के प्रश्न
1. आिके जीिन में ऐसी कौनसी बातें िैं जो आिको उतना मित्ि र्दनेे को लालावयत किती िैं
वजतना मित्ि आि ििमेश्वि को र्दतेे िैं?
2. मसीवियों को यहूर्दी िमव औि इस्लाम के प्रवत कैसे प्रत्युर्त्ि र्दनेा चाविए?
3. ककन रूिों में ििमेश्वि सािी सृवि का विता िै? ककन रूिों में िि मात्र विश्वावसयों का विता
ि?ै
4. ककस प्रकाि विता का िाजत्ि औि िारििारिक मुविया के रूि में उसकी भूवमका िमें उसकी
आज्ञा मानने को पे्ररित किती ि?ै
5. ककस प्रकाि विता की असीम औि अतुल्य सामथव उसकी सतंान के रूि में िमें िाित र्दतेी िै?
6. ककस प्रकाि सृवि की सुंर्दिता औि अच्छाई ििमेश्वि की अच्छाई औि सुंर्दिता को र्दिेने में
िमािी सिायता किती ि?ै
7. श्राि के कौनसे प्रभाि प्राकृवतक जगत औि मानिीय समाज में स्िि िैं?
8. ककस प्रकाि ििमेश्वि का अविकाि िमािे उन भयों को सबंोवित किता ि ैवजन्िें िम प्रवतकर्दन
संबोवित किते िैं
9. ििमेश्वि के प्रभुत्ि के प्रकाि में िम ककस प्रकाि जीिन में िमािी भूवमकाओं औि िमािे ओिर्दों
को सुिाि सकते िैं?
10. इस अध्याय में आिने कौनसी सबसे मित्ििूर्व बात सीिी िै?