21
ससससससससस सस सससससससससससस - सससससस ससससससस ससससससस

स्वाधीनता के मन्त्रदृष्टा - महर्षि दयानन्द

Embed Size (px)

DESCRIPTION

स्वाधीनता के मन्त्रदृष्टा - महर्षि दयानन्द

Citation preview

स्वा�धी�नता� के मन्त्रदृष्टा� - महर्षि�� दया�नन्द सरस्वाता�

महर्षि�� दयानन्द भारत की� स्वाधी�नत की� मन्त्रदत थे� । १८५७ की� सं�ग्राम की� विवाफल ह#न� की� पश्चात& द�श म( जो# विनरश छा गई थे�, उसं वा�ल म( द�शवासिसंया/ म( रष्ट्री�या स्वाभिभामन एवा� स्वातन्त्रत की� भावान उत्पन्न कीरन� वाल एकीत की सिशल्प� महप6रु� स्वाम� दयानन्द (१८२५-१८८३) ह� थे� । उनकी� उपद�श/ की� फलस्वारूप आया<संमजो न� जोन-जोगरण की ऐसं श�खनद फ@� की विकी आयाA म( द�शविहत मरन�-मिमटन� की� एकी ह#ड-सं� लग� रह� । आया< संमजो की� सं�वाकी/ न� रजोन�वित की� क्षे�त्र म( जो# बसिलदन दिदया� हH, उसंकी� चच< कीरत� हुए प्रसिसंद्ध इवितहसंवा�त्ता प्र#० रजो�न्द्र 'जिजोज्ञासं6' न� सिलख हS -

1.विवाद�श/ म( ४० वा�< तकी भारत�या

स्वाधी�नत की� सिलए सं�घ�<रत रहन�वाल तपVप@त प�० श्यामजो� कीX ष्ण वाम< महर्षि��

दयानन्द की ह� सिशष्या थे ।

2.विवाद�श/ म( ४० वा�< तकी भारत�या

स्वाधी�नत की� सिलए सं�घ�<रत रहन�वाल तपVप@त प�० श्यामजो� कीX ष्ण वाम< महर्षि��

दयानन्द की ह� सिशष्या थे ।

3.विवाद�श/ म( विनवा<संन की� कीरण ४० वा�< विबत कीर स्वाद�श लZटन� वाल क्रान्तिन्तवा�र अजो�त

सिंसं�ह भा� आया<संमजो की� द�न हS ।

4.१८५७ ई० की� विवाप्लवा की� पश्चात&

संवा<प्रथेम फ�सं� पन� वाल� उ०प्र० की� क्रा�वितकीर� दल की� प्रम6ख वा�र

आया<संमजो� ह� थे� । रमप्रसंद विबस्मिस्मल, र#शनसिंसं�ह आदिद ।

5.१८५७ ई० की� पश्चात& सं�न म( विवाद्र#ह की

प्रचर कीरकी� फ�सं�पन� वाल प्रथेम क्रा�वितवा�र सं#हनलल पठकी

आया<संमजो� ह� थे ।

6.विवाद�श/ म( संवा<प्रथेम फ�सं� दण्ड पन�

वाल वा�र मदनलल धीcगर भा� आया<संमजो� थे ।

7.द�श� रज्या/ (Indian States) म( भा� आयाA की

रष्ट्रीवादe विवाचर/ की� कीरण दमन ह#त रह । द�शभासिf की� अपरधी म( पवितयाल रज्या न� संवा<प्रथेम द�शभाf/ की# विनष्कीसिसंत विकीया, बन्दe बनया वा उन पर अभिभाया#ग

चलया । याह संन& १९०९ ई० की� घटन हS । दजो<न/ आयाA की# रज्या सं� विनष्कीसिसंत विकीया गया । या� संब ल#ग आया< थे� । इनम( सं� की6 छा प्रम6ख संज्जन थे� - रजो ज्वाल प्रसंद, ल० नरयाणदत्ता, महशया रZनकी रम शद, रZनकी सिंसं�ह

जो�, श�कीर लल जो�, पXथ्वा� चन्द्र जो�, ल० पतरम वा उनकी� सं6प6त्र श्री� दिदल�प चन्द नरवान ।

8. भारत की� वायासंरया हर्डिंड�ग प्रबम्ब

फH कीन� की� अपरधी म( बसिलवा�दe पर चढन� वाल� वा बन्दe ह#न� वाल� अमिधीकी वा�र भा�

आया<संमजो� ह� थे� । याथे भाई बलम6की6 न्द, प्रतपसिंसं�ह वारहट वा ल०

बलरजो आदिद ।

9. १९३१ ई० म( प�जोब की� गवान<र पर ग#ल� चलकीर शसंन की# की� पन�

वाल हुतत्म हरिरकीX ष्ण आया< संमजो� ह� थे । इसं� की� भाई श्री� भाfरम न� म6संलमन पठन की� वा�श म( न�तजो� सं6भा� की# जोम<न� पहु�चया थे ।

10.एकी आया< सं�न अमिधीकीर� चन्दन सिंसं�ह गढवाल� न� प�शवार म( संत्याग्राविहया/ पर ग#ल� चलन� सं� इन्कीर कीरकी�

वा�A जो�ल म( कीट� ।

11.संर� भारत म( की� वाल एकी ह� उपद�शकी

विवाद्यालया की� स्वाधी�नत सं�ग्राम म( तलश� ल� गई और वाह आया<संमजो की उपद�शकी विवाद्यालया लहZर थे ।

12.प्रथेम संत्याग्राह� जिजोसं की# न्यायालया

की� अपमन की� सिलए द�विडत विकीया गया, वाह प�० मनसंरम 'वाSदिदकी त#प' सं6प्रसिसंद्ध आया< विवाद्वान& थे� ।

13. की� वाल एकी ह� भारत�या वाSज्ञाविनकी की#

स्वाधी�नत सं�ग्राम म( बन्दe बनया गया । वा� थे� श्री� ड० संत्याप्रकीश जो� ।

उन पर बम बनन� की द#� लगया गया ।

14. द�श की� स्वाधी�नत की� सिलए की� वाल

चर द�शभाf जो�विवात जोलए गया� और वा� चर/ हSदरबद की� आया<संमजो� थे� - कीX ष्णरवा ईट�कीर, उनकी� पत्न� श्री�मत� ग#दवार� द�वा�, कीश�नथे

धीरूर तथे ग#विवान्द रवा जो�।

15. ड�०ए०वा�० कील�जो कीनप6र की�

छात्रवासं म( घ6सं कीर अ�ग्रा�जो� शसंन न� संसिलगरम छात्र की# ग#सिलया� मर

कीर शह�द कीर दिदया ।

16. लहZर ड�०ए०वा�० कील�जो म( आया< या6वाकी संमजो की� याशस्वा� प्रधीन प्र०

भागवानदसं (जो# इसं सं�स्था की� याशस्वा� प्रचया< रह�) की# प�टन� की� सिलए गई प6सिलसं न� उन्हc की� क्लसं रूम म(

उन्हc की� आकीX वित की� एकी और प्रध्यापकी की# लहूल6हन कीर दिदया ।

17. आया<संमजो की� ग6रुकी6 ल/ वा स्की@ ल/,

कील�जो/ न� स्वाधी�नत की� सिलए गZरवाप@ण< बसिलदन द�कीर रष्ट्री की� ठण्ड� रग/ म( गम< रf की सं�चर

विकीया ।

18. भारत�या स्वाधी�नत सं�ग्राम म( द�श� रज्या/ म( की� वाल एकी ह� स्वाधी�नत सं�नन� की# कीरगर म( विवा� दिदया

गया थे । वाह थे - आया<संमजो की महन& न�त भाई श्यामलल वाकी�ल ।

19. आया< संमजो न� रष्ट्री�या जोगXवित की जो#

विवालक्षेण कीया< विकीया, उसंकी� फल स्वारूप द�श की� की� वाल एकी ह� रष्ट्री�या न�त की# जोम मस्जिस्जोद की� मिमम्बर सं�,

ईदगह वा सिसंख/ की� अकीलतख्त सं� जोन संम@ह की# संम्ब#मिधीत कीरन� की गवा< प्रप्त

हुआ और वा� थे� आया< सं�न्यासं� स्वाम� श्रीद्धनन्द जो� ।