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मरी इयावन कवताए अटल बहारी वाजपयी
अनभत क वर
1 आओ फर स दया जलाए
आओ फर स दया जलाए
भरी पहरी म अधयारा
सरज परछाई स हारा
अतरतम का नह नचोड़-
बझी ई बाती सलगाए
आओ फर स दया जलाए
हम पड़ाव को समझ मज़ल
लय आ आख स ओझल
वतमान क मोहजाल म-
आन वाला कल न भलाए
आओ फर स दया जलाए
आत बाक य अधरा
अपन क वन न घरा
अतम जय का व बनान-
नव दधीच हया गलाए
आओ फर स दया जलाए
2 हरी हरी ब पर
हरी हरी ब पर
ओस क बद
अभी थी
अभी नह ह
ऐसी खशया
जो हमशा हमारा साथ द
कभी नह थी
कह नह ह
कायर क कोख स
फटा बाल सय
जब परब क गोद म
पाव फलान लगा
तो मरी बगीची का
पा-पा जगमगान लगा
म उगत सय को नमकार क
या उसक ताप स भाप बनी
ओस क बद को ढढ
सय एक सय ह
जस झठलाया नह जा सकता
मगर ओस भी तो एक सचाई ह
यह बात अलग ह क ओस णक ह
य न म ण ण को जऊ
कण-कण म बखर सौदय को पऊ
सय तो फर भी उगगा
धप तो फर भी खलगी
लकन मरी बगीची क
हरी-हरी ब पर
ओस क बद
हर मौसम म नह मलगी
3 पहचान
आदमी न ऊचा होता ह न नीचा होता ह
न बड़ा होता ह न छोटा होता ह
आदमी सफ आदमी होता ह
पता नह इस सीध-सपाट सय को
नया य नह जानती ह
और अगर जानती ह
तो मन स य नह मानती
इसस फक नह पड़ता
क आदमी कहा खड़ा ह
पथ पर या रथ पर
तीर पर या ाचीर पर
फक इसस पड़ता ह क जहा खड़ा ह
या जहा उस खड़ा होना पड़ा ह
वहा उसका धरातल या ह
हमालय क चोट पर पच
एवरट-वजय क पताका फहरा
कोई वजता यद ईया स दध
अपन साथी स वासघात कर
तो उसका या अपराध
इसलए य हो जाएगा क
वह एवरट क ऊचाई पर आ था
नह अपराध अपराध ही रहगा
हमालय क सारी धवलता
उस कालमा को नह ढ़क सकती
कपड़ क धया सफद जस
मन क मलनता को नह छपा सकती
कसी सत कव न कहा ह क
मनय क ऊपर कोई नह होता
मझ लगता ह क मनय क ऊपर
उसका मन होता ह
छोट मन स कोई बड़ा नह होता
टट मन स कोई खड़ा नह होता
इसीलए तो भगवान कण को
श स सज रथ पर चढ़
क क मदान म खड़
अजन को गीता सनानी पड़ी थी
मन हारकर मदान नह जीत जात
न मदान जीतन स मन ही जीत जात ह
चोट स गरन स
अधक चोट लगती ह
अथ जड़ जाती
पीड़ा मन म सलगती ह
इसका अथ यह नह क
चोट पर चढ़न क चनौती ही न मान
इसका अथ यह भी नह क
परथत पर वजय पान क न ठान
आदमी जहा ह वही खड़ा रह
सर क दया क भरोस पर पड़ा रह
जड़ता का नाम जीवन नह ह
पलायन परोगमन नह ह
आदमी को चाहए क वह जझ
परथतय स लड़
एक व टट तो सरा गढ़
कत कतना भी ऊचा उठ
मनयता क तर स न गर
अपन धरातल को न छोड़
अतयामी स मह न मोड़
एक पाव धरती पर रखकर ही
वामन भगवान न आकाश-पाताल को जीता था
धरती ही धारण करती ह
कोई इस पर भार न बन
मया अभयान स न तन
आदमी क पहचान
उसक धन या आसन स नह होती
उसक मन स होती ह
मन क फकरी पर
कबर क सपदा भी रोती ह
4 गीत नह गाता
बनकाब चहर ह
दाग बड़ गहर ह
टटता तलम आज सच स भय खाता
गीत नही गाता
लगी कछ ऐसी नज़र
बखरा शीश सा शहर
अपन क मल म मीत नह पाता
गीत नह गाता
पीठ म छरी सा चाद
रा गया रखा फाद
म क ण म बार-बार बध जाता
गीत नह गाता
5 न म चप न गाता
न म चप न गाता
सवरा ह मगर परब दशा म
घर रह बादल
ई स धधलक म
मील क पथर पड़ घायल
ठठक पाव
ओझल गाव
जड़ता ह न गतमयता
वय को सर क स
म दख पाता
न म चप न गाता
समय क सदर सास न
चनार को झलस डाला
मगर हमपात को दती
चनौती एक ममाला
बखर नीड़
वहस चीड़
आस ह न मकान
हमानी झील क तट पर
अकला गनगनाता
न म चप न गाता
6 गीत नया गाता
गीत नया गाता
टट ए तार स फट बासती वर
पथर क छाती म उग आया नव अकर
झर सब पील पात कोयल क कक रात
ाची म अणम क रख दख पता
गीत नया गाता
टट ए सपन क कौन सन ससक
अतर क चीर था पलक पर ठठक
हार नह मानगा रार नह ठानगा
काल क कपाल प लखता मटाता
गीत नया गाता
7 ऊचाई
ऊच पहाड़ पर
पड़ नह लगत
पौध नह उगत
न घास ही जमती ह
जमती ह सफ बफ
जो कफ़न क तरह सफ़द और
मौत क तरह ठडी होती ह
खलती खलखलाती नद
जसका प धारण कर
अपन भाय पर बद-बद रोती ह
ऐसी ऊचाई
जसका परस
पानी को पथर कर द
ऐसी ऊचाई
जसका दरस हीन भाव भर द
अभनदन क अधकारी ह
आरोहय क लय आमण ह
उस पर झड गाड़ जा सकत ह
कत कोई गौरया
वहा नीड़ नह बना सकती
ना कोई थका-मादा बटोही
उसक छाव म पलभर पलक ही झपका सकता ह
सचाई यह ह क
कवल ऊचाई ही काफ़ नह होती
सबस अलग-थलग
परवश स पथक
अपन स कटा-बटा
शय म अकला खड़ा होना
पहाड़ क महानता नह
मजबरी ह
ऊचाई और गहराई म
आकाश-पाताल क री ह
जो जतना ऊचा
उतना एकाक होता ह
हर भार को वय ढोता ह
चहर पर मकान चपका
मन ही मन रोता ह
ज़री यह ह क
ऊचाई क साथ वतार भी हो
जसस मनय
ठठ सा खड़ा न रह
और स घल-मल
कसी को साथ ल
कसी क सग चल
भीड़ म खो जाना
याद म डब जाना
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
आत बाक य अधरा
अपन क वन न घरा
अतम जय का व बनान-
नव दधीच हया गलाए
आओ फर स दया जलाए
2 हरी हरी ब पर
हरी हरी ब पर
ओस क बद
अभी थी
अभी नह ह
ऐसी खशया
जो हमशा हमारा साथ द
कभी नह थी
कह नह ह
कायर क कोख स
फटा बाल सय
जब परब क गोद म
पाव फलान लगा
तो मरी बगीची का
पा-पा जगमगान लगा
म उगत सय को नमकार क
या उसक ताप स भाप बनी
ओस क बद को ढढ
सय एक सय ह
जस झठलाया नह जा सकता
मगर ओस भी तो एक सचाई ह
यह बात अलग ह क ओस णक ह
य न म ण ण को जऊ
कण-कण म बखर सौदय को पऊ
सय तो फर भी उगगा
धप तो फर भी खलगी
लकन मरी बगीची क
हरी-हरी ब पर
ओस क बद
हर मौसम म नह मलगी
3 पहचान
आदमी न ऊचा होता ह न नीचा होता ह
न बड़ा होता ह न छोटा होता ह
आदमी सफ आदमी होता ह
पता नह इस सीध-सपाट सय को
नया य नह जानती ह
और अगर जानती ह
तो मन स य नह मानती
इसस फक नह पड़ता
क आदमी कहा खड़ा ह
पथ पर या रथ पर
तीर पर या ाचीर पर
फक इसस पड़ता ह क जहा खड़ा ह
या जहा उस खड़ा होना पड़ा ह
वहा उसका धरातल या ह
हमालय क चोट पर पच
एवरट-वजय क पताका फहरा
कोई वजता यद ईया स दध
अपन साथी स वासघात कर
तो उसका या अपराध
इसलए य हो जाएगा क
वह एवरट क ऊचाई पर आ था
नह अपराध अपराध ही रहगा
हमालय क सारी धवलता
उस कालमा को नह ढ़क सकती
कपड़ क धया सफद जस
मन क मलनता को नह छपा सकती
कसी सत कव न कहा ह क
मनय क ऊपर कोई नह होता
मझ लगता ह क मनय क ऊपर
उसका मन होता ह
छोट मन स कोई बड़ा नह होता
टट मन स कोई खड़ा नह होता
इसीलए तो भगवान कण को
श स सज रथ पर चढ़
क क मदान म खड़
अजन को गीता सनानी पड़ी थी
मन हारकर मदान नह जीत जात
न मदान जीतन स मन ही जीत जात ह
चोट स गरन स
अधक चोट लगती ह
अथ जड़ जाती
पीड़ा मन म सलगती ह
इसका अथ यह नह क
चोट पर चढ़न क चनौती ही न मान
इसका अथ यह भी नह क
परथत पर वजय पान क न ठान
आदमी जहा ह वही खड़ा रह
सर क दया क भरोस पर पड़ा रह
जड़ता का नाम जीवन नह ह
पलायन परोगमन नह ह
आदमी को चाहए क वह जझ
परथतय स लड़
एक व टट तो सरा गढ़
कत कतना भी ऊचा उठ
मनयता क तर स न गर
अपन धरातल को न छोड़
अतयामी स मह न मोड़
एक पाव धरती पर रखकर ही
वामन भगवान न आकाश-पाताल को जीता था
धरती ही धारण करती ह
कोई इस पर भार न बन
मया अभयान स न तन
आदमी क पहचान
उसक धन या आसन स नह होती
उसक मन स होती ह
मन क फकरी पर
कबर क सपदा भी रोती ह
4 गीत नह गाता
बनकाब चहर ह
दाग बड़ गहर ह
टटता तलम आज सच स भय खाता
गीत नही गाता
लगी कछ ऐसी नज़र
बखरा शीश सा शहर
अपन क मल म मीत नह पाता
गीत नह गाता
पीठ म छरी सा चाद
रा गया रखा फाद
म क ण म बार-बार बध जाता
गीत नह गाता
5 न म चप न गाता
न म चप न गाता
सवरा ह मगर परब दशा म
घर रह बादल
ई स धधलक म
मील क पथर पड़ घायल
ठठक पाव
ओझल गाव
जड़ता ह न गतमयता
वय को सर क स
म दख पाता
न म चप न गाता
समय क सदर सास न
चनार को झलस डाला
मगर हमपात को दती
चनौती एक ममाला
बखर नीड़
वहस चीड़
आस ह न मकान
हमानी झील क तट पर
अकला गनगनाता
न म चप न गाता
6 गीत नया गाता
गीत नया गाता
टट ए तार स फट बासती वर
पथर क छाती म उग आया नव अकर
झर सब पील पात कोयल क कक रात
ाची म अणम क रख दख पता
गीत नया गाता
टट ए सपन क कौन सन ससक
अतर क चीर था पलक पर ठठक
हार नह मानगा रार नह ठानगा
काल क कपाल प लखता मटाता
गीत नया गाता
7 ऊचाई
ऊच पहाड़ पर
पड़ नह लगत
पौध नह उगत
न घास ही जमती ह
जमती ह सफ बफ
जो कफ़न क तरह सफ़द और
मौत क तरह ठडी होती ह
खलती खलखलाती नद
जसका प धारण कर
अपन भाय पर बद-बद रोती ह
ऐसी ऊचाई
जसका परस
पानी को पथर कर द
ऐसी ऊचाई
जसका दरस हीन भाव भर द
अभनदन क अधकारी ह
आरोहय क लय आमण ह
उस पर झड गाड़ जा सकत ह
कत कोई गौरया
वहा नीड़ नह बना सकती
ना कोई थका-मादा बटोही
उसक छाव म पलभर पलक ही झपका सकता ह
सचाई यह ह क
कवल ऊचाई ही काफ़ नह होती
सबस अलग-थलग
परवश स पथक
अपन स कटा-बटा
शय म अकला खड़ा होना
पहाड़ क महानता नह
मजबरी ह
ऊचाई और गहराई म
आकाश-पाताल क री ह
जो जतना ऊचा
उतना एकाक होता ह
हर भार को वय ढोता ह
चहर पर मकान चपका
मन ही मन रोता ह
ज़री यह ह क
ऊचाई क साथ वतार भी हो
जसस मनय
ठठ सा खड़ा न रह
और स घल-मल
कसी को साथ ल
कसी क सग चल
भीड़ म खो जाना
याद म डब जाना
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
जब परब क गोद म
पाव फलान लगा
तो मरी बगीची का
पा-पा जगमगान लगा
म उगत सय को नमकार क
या उसक ताप स भाप बनी
ओस क बद को ढढ
सय एक सय ह
जस झठलाया नह जा सकता
मगर ओस भी तो एक सचाई ह
यह बात अलग ह क ओस णक ह
य न म ण ण को जऊ
कण-कण म बखर सौदय को पऊ
सय तो फर भी उगगा
धप तो फर भी खलगी
लकन मरी बगीची क
हरी-हरी ब पर
ओस क बद
हर मौसम म नह मलगी
3 पहचान
आदमी न ऊचा होता ह न नीचा होता ह
न बड़ा होता ह न छोटा होता ह
आदमी सफ आदमी होता ह
पता नह इस सीध-सपाट सय को
नया य नह जानती ह
और अगर जानती ह
तो मन स य नह मानती
इसस फक नह पड़ता
क आदमी कहा खड़ा ह
पथ पर या रथ पर
तीर पर या ाचीर पर
फक इसस पड़ता ह क जहा खड़ा ह
या जहा उस खड़ा होना पड़ा ह
वहा उसका धरातल या ह
हमालय क चोट पर पच
एवरट-वजय क पताका फहरा
कोई वजता यद ईया स दध
अपन साथी स वासघात कर
तो उसका या अपराध
इसलए य हो जाएगा क
वह एवरट क ऊचाई पर आ था
नह अपराध अपराध ही रहगा
हमालय क सारी धवलता
उस कालमा को नह ढ़क सकती
कपड़ क धया सफद जस
मन क मलनता को नह छपा सकती
कसी सत कव न कहा ह क
मनय क ऊपर कोई नह होता
मझ लगता ह क मनय क ऊपर
उसका मन होता ह
छोट मन स कोई बड़ा नह होता
टट मन स कोई खड़ा नह होता
इसीलए तो भगवान कण को
श स सज रथ पर चढ़
क क मदान म खड़
अजन को गीता सनानी पड़ी थी
मन हारकर मदान नह जीत जात
न मदान जीतन स मन ही जीत जात ह
चोट स गरन स
अधक चोट लगती ह
अथ जड़ जाती
पीड़ा मन म सलगती ह
इसका अथ यह नह क
चोट पर चढ़न क चनौती ही न मान
इसका अथ यह भी नह क
परथत पर वजय पान क न ठान
आदमी जहा ह वही खड़ा रह
सर क दया क भरोस पर पड़ा रह
जड़ता का नाम जीवन नह ह
पलायन परोगमन नह ह
आदमी को चाहए क वह जझ
परथतय स लड़
एक व टट तो सरा गढ़
कत कतना भी ऊचा उठ
मनयता क तर स न गर
अपन धरातल को न छोड़
अतयामी स मह न मोड़
एक पाव धरती पर रखकर ही
वामन भगवान न आकाश-पाताल को जीता था
धरती ही धारण करती ह
कोई इस पर भार न बन
मया अभयान स न तन
आदमी क पहचान
उसक धन या आसन स नह होती
उसक मन स होती ह
मन क फकरी पर
कबर क सपदा भी रोती ह
4 गीत नह गाता
बनकाब चहर ह
दाग बड़ गहर ह
टटता तलम आज सच स भय खाता
गीत नही गाता
लगी कछ ऐसी नज़र
बखरा शीश सा शहर
अपन क मल म मीत नह पाता
गीत नह गाता
पीठ म छरी सा चाद
रा गया रखा फाद
म क ण म बार-बार बध जाता
गीत नह गाता
5 न म चप न गाता
न म चप न गाता
सवरा ह मगर परब दशा म
घर रह बादल
ई स धधलक म
मील क पथर पड़ घायल
ठठक पाव
ओझल गाव
जड़ता ह न गतमयता
वय को सर क स
म दख पाता
न म चप न गाता
समय क सदर सास न
चनार को झलस डाला
मगर हमपात को दती
चनौती एक ममाला
बखर नीड़
वहस चीड़
आस ह न मकान
हमानी झील क तट पर
अकला गनगनाता
न म चप न गाता
6 गीत नया गाता
गीत नया गाता
टट ए तार स फट बासती वर
पथर क छाती म उग आया नव अकर
झर सब पील पात कोयल क कक रात
ाची म अणम क रख दख पता
गीत नया गाता
टट ए सपन क कौन सन ससक
अतर क चीर था पलक पर ठठक
हार नह मानगा रार नह ठानगा
काल क कपाल प लखता मटाता
गीत नया गाता
7 ऊचाई
ऊच पहाड़ पर
पड़ नह लगत
पौध नह उगत
न घास ही जमती ह
जमती ह सफ बफ
जो कफ़न क तरह सफ़द और
मौत क तरह ठडी होती ह
खलती खलखलाती नद
जसका प धारण कर
अपन भाय पर बद-बद रोती ह
ऐसी ऊचाई
जसका परस
पानी को पथर कर द
ऐसी ऊचाई
जसका दरस हीन भाव भर द
अभनदन क अधकारी ह
आरोहय क लय आमण ह
उस पर झड गाड़ जा सकत ह
कत कोई गौरया
वहा नीड़ नह बना सकती
ना कोई थका-मादा बटोही
उसक छाव म पलभर पलक ही झपका सकता ह
सचाई यह ह क
कवल ऊचाई ही काफ़ नह होती
सबस अलग-थलग
परवश स पथक
अपन स कटा-बटा
शय म अकला खड़ा होना
पहाड़ क महानता नह
मजबरी ह
ऊचाई और गहराई म
आकाश-पाताल क री ह
जो जतना ऊचा
उतना एकाक होता ह
हर भार को वय ढोता ह
चहर पर मकान चपका
मन ही मन रोता ह
ज़री यह ह क
ऊचाई क साथ वतार भी हो
जसस मनय
ठठ सा खड़ा न रह
और स घल-मल
कसी को साथ ल
कसी क सग चल
भीड़ म खो जाना
याद म डब जाना
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
लकन मरी बगीची क
हरी-हरी ब पर
ओस क बद
हर मौसम म नह मलगी
3 पहचान
आदमी न ऊचा होता ह न नीचा होता ह
न बड़ा होता ह न छोटा होता ह
आदमी सफ आदमी होता ह
पता नह इस सीध-सपाट सय को
नया य नह जानती ह
और अगर जानती ह
तो मन स य नह मानती
इसस फक नह पड़ता
क आदमी कहा खड़ा ह
पथ पर या रथ पर
तीर पर या ाचीर पर
फक इसस पड़ता ह क जहा खड़ा ह
या जहा उस खड़ा होना पड़ा ह
वहा उसका धरातल या ह
हमालय क चोट पर पच
एवरट-वजय क पताका फहरा
कोई वजता यद ईया स दध
अपन साथी स वासघात कर
तो उसका या अपराध
इसलए य हो जाएगा क
वह एवरट क ऊचाई पर आ था
नह अपराध अपराध ही रहगा
हमालय क सारी धवलता
उस कालमा को नह ढ़क सकती
कपड़ क धया सफद जस
मन क मलनता को नह छपा सकती
कसी सत कव न कहा ह क
मनय क ऊपर कोई नह होता
मझ लगता ह क मनय क ऊपर
उसका मन होता ह
छोट मन स कोई बड़ा नह होता
टट मन स कोई खड़ा नह होता
इसीलए तो भगवान कण को
श स सज रथ पर चढ़
क क मदान म खड़
अजन को गीता सनानी पड़ी थी
मन हारकर मदान नह जीत जात
न मदान जीतन स मन ही जीत जात ह
चोट स गरन स
अधक चोट लगती ह
अथ जड़ जाती
पीड़ा मन म सलगती ह
इसका अथ यह नह क
चोट पर चढ़न क चनौती ही न मान
इसका अथ यह भी नह क
परथत पर वजय पान क न ठान
आदमी जहा ह वही खड़ा रह
सर क दया क भरोस पर पड़ा रह
जड़ता का नाम जीवन नह ह
पलायन परोगमन नह ह
आदमी को चाहए क वह जझ
परथतय स लड़
एक व टट तो सरा गढ़
कत कतना भी ऊचा उठ
मनयता क तर स न गर
अपन धरातल को न छोड़
अतयामी स मह न मोड़
एक पाव धरती पर रखकर ही
वामन भगवान न आकाश-पाताल को जीता था
धरती ही धारण करती ह
कोई इस पर भार न बन
मया अभयान स न तन
आदमी क पहचान
उसक धन या आसन स नह होती
उसक मन स होती ह
मन क फकरी पर
कबर क सपदा भी रोती ह
4 गीत नह गाता
बनकाब चहर ह
दाग बड़ गहर ह
टटता तलम आज सच स भय खाता
गीत नही गाता
लगी कछ ऐसी नज़र
बखरा शीश सा शहर
अपन क मल म मीत नह पाता
गीत नह गाता
पीठ म छरी सा चाद
रा गया रखा फाद
म क ण म बार-बार बध जाता
गीत नह गाता
5 न म चप न गाता
न म चप न गाता
सवरा ह मगर परब दशा म
घर रह बादल
ई स धधलक म
मील क पथर पड़ घायल
ठठक पाव
ओझल गाव
जड़ता ह न गतमयता
वय को सर क स
म दख पाता
न म चप न गाता
समय क सदर सास न
चनार को झलस डाला
मगर हमपात को दती
चनौती एक ममाला
बखर नीड़
वहस चीड़
आस ह न मकान
हमानी झील क तट पर
अकला गनगनाता
न म चप न गाता
6 गीत नया गाता
गीत नया गाता
टट ए तार स फट बासती वर
पथर क छाती म उग आया नव अकर
झर सब पील पात कोयल क कक रात
ाची म अणम क रख दख पता
गीत नया गाता
टट ए सपन क कौन सन ससक
अतर क चीर था पलक पर ठठक
हार नह मानगा रार नह ठानगा
काल क कपाल प लखता मटाता
गीत नया गाता
7 ऊचाई
ऊच पहाड़ पर
पड़ नह लगत
पौध नह उगत
न घास ही जमती ह
जमती ह सफ बफ
जो कफ़न क तरह सफ़द और
मौत क तरह ठडी होती ह
खलती खलखलाती नद
जसका प धारण कर
अपन भाय पर बद-बद रोती ह
ऐसी ऊचाई
जसका परस
पानी को पथर कर द
ऐसी ऊचाई
जसका दरस हीन भाव भर द
अभनदन क अधकारी ह
आरोहय क लय आमण ह
उस पर झड गाड़ जा सकत ह
कत कोई गौरया
वहा नीड़ नह बना सकती
ना कोई थका-मादा बटोही
उसक छाव म पलभर पलक ही झपका सकता ह
सचाई यह ह क
कवल ऊचाई ही काफ़ नह होती
सबस अलग-थलग
परवश स पथक
अपन स कटा-बटा
शय म अकला खड़ा होना
पहाड़ क महानता नह
मजबरी ह
ऊचाई और गहराई म
आकाश-पाताल क री ह
जो जतना ऊचा
उतना एकाक होता ह
हर भार को वय ढोता ह
चहर पर मकान चपका
मन ही मन रोता ह
ज़री यह ह क
ऊचाई क साथ वतार भी हो
जसस मनय
ठठ सा खड़ा न रह
और स घल-मल
कसी को साथ ल
कसी क सग चल
भीड़ म खो जाना
याद म डब जाना
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
पथ पर या रथ पर
तीर पर या ाचीर पर
फक इसस पड़ता ह क जहा खड़ा ह
या जहा उस खड़ा होना पड़ा ह
वहा उसका धरातल या ह
हमालय क चोट पर पच
एवरट-वजय क पताका फहरा
कोई वजता यद ईया स दध
अपन साथी स वासघात कर
तो उसका या अपराध
इसलए य हो जाएगा क
वह एवरट क ऊचाई पर आ था
नह अपराध अपराध ही रहगा
हमालय क सारी धवलता
उस कालमा को नह ढ़क सकती
कपड़ क धया सफद जस
मन क मलनता को नह छपा सकती
कसी सत कव न कहा ह क
मनय क ऊपर कोई नह होता
मझ लगता ह क मनय क ऊपर
उसका मन होता ह
छोट मन स कोई बड़ा नह होता
टट मन स कोई खड़ा नह होता
इसीलए तो भगवान कण को
श स सज रथ पर चढ़
क क मदान म खड़
अजन को गीता सनानी पड़ी थी
मन हारकर मदान नह जीत जात
न मदान जीतन स मन ही जीत जात ह
चोट स गरन स
अधक चोट लगती ह
अथ जड़ जाती
पीड़ा मन म सलगती ह
इसका अथ यह नह क
चोट पर चढ़न क चनौती ही न मान
इसका अथ यह भी नह क
परथत पर वजय पान क न ठान
आदमी जहा ह वही खड़ा रह
सर क दया क भरोस पर पड़ा रह
जड़ता का नाम जीवन नह ह
पलायन परोगमन नह ह
आदमी को चाहए क वह जझ
परथतय स लड़
एक व टट तो सरा गढ़
कत कतना भी ऊचा उठ
मनयता क तर स न गर
अपन धरातल को न छोड़
अतयामी स मह न मोड़
एक पाव धरती पर रखकर ही
वामन भगवान न आकाश-पाताल को जीता था
धरती ही धारण करती ह
कोई इस पर भार न बन
मया अभयान स न तन
आदमी क पहचान
उसक धन या आसन स नह होती
उसक मन स होती ह
मन क फकरी पर
कबर क सपदा भी रोती ह
4 गीत नह गाता
बनकाब चहर ह
दाग बड़ गहर ह
टटता तलम आज सच स भय खाता
गीत नही गाता
लगी कछ ऐसी नज़र
बखरा शीश सा शहर
अपन क मल म मीत नह पाता
गीत नह गाता
पीठ म छरी सा चाद
रा गया रखा फाद
म क ण म बार-बार बध जाता
गीत नह गाता
5 न म चप न गाता
न म चप न गाता
सवरा ह मगर परब दशा म
घर रह बादल
ई स धधलक म
मील क पथर पड़ घायल
ठठक पाव
ओझल गाव
जड़ता ह न गतमयता
वय को सर क स
म दख पाता
न म चप न गाता
समय क सदर सास न
चनार को झलस डाला
मगर हमपात को दती
चनौती एक ममाला
बखर नीड़
वहस चीड़
आस ह न मकान
हमानी झील क तट पर
अकला गनगनाता
न म चप न गाता
6 गीत नया गाता
गीत नया गाता
टट ए तार स फट बासती वर
पथर क छाती म उग आया नव अकर
झर सब पील पात कोयल क कक रात
ाची म अणम क रख दख पता
गीत नया गाता
टट ए सपन क कौन सन ससक
अतर क चीर था पलक पर ठठक
हार नह मानगा रार नह ठानगा
काल क कपाल प लखता मटाता
गीत नया गाता
7 ऊचाई
ऊच पहाड़ पर
पड़ नह लगत
पौध नह उगत
न घास ही जमती ह
जमती ह सफ बफ
जो कफ़न क तरह सफ़द और
मौत क तरह ठडी होती ह
खलती खलखलाती नद
जसका प धारण कर
अपन भाय पर बद-बद रोती ह
ऐसी ऊचाई
जसका परस
पानी को पथर कर द
ऐसी ऊचाई
जसका दरस हीन भाव भर द
अभनदन क अधकारी ह
आरोहय क लय आमण ह
उस पर झड गाड़ जा सकत ह
कत कोई गौरया
वहा नीड़ नह बना सकती
ना कोई थका-मादा बटोही
उसक छाव म पलभर पलक ही झपका सकता ह
सचाई यह ह क
कवल ऊचाई ही काफ़ नह होती
सबस अलग-थलग
परवश स पथक
अपन स कटा-बटा
शय म अकला खड़ा होना
पहाड़ क महानता नह
मजबरी ह
ऊचाई और गहराई म
आकाश-पाताल क री ह
जो जतना ऊचा
उतना एकाक होता ह
हर भार को वय ढोता ह
चहर पर मकान चपका
मन ही मन रोता ह
ज़री यह ह क
ऊचाई क साथ वतार भी हो
जसस मनय
ठठ सा खड़ा न रह
और स घल-मल
कसी को साथ ल
कसी क सग चल
भीड़ म खो जाना
याद म डब जाना
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
हमालय क सारी धवलता
उस कालमा को नह ढ़क सकती
कपड़ क धया सफद जस
मन क मलनता को नह छपा सकती
कसी सत कव न कहा ह क
मनय क ऊपर कोई नह होता
मझ लगता ह क मनय क ऊपर
उसका मन होता ह
छोट मन स कोई बड़ा नह होता
टट मन स कोई खड़ा नह होता
इसीलए तो भगवान कण को
श स सज रथ पर चढ़
क क मदान म खड़
अजन को गीता सनानी पड़ी थी
मन हारकर मदान नह जीत जात
न मदान जीतन स मन ही जीत जात ह
चोट स गरन स
अधक चोट लगती ह
अथ जड़ जाती
पीड़ा मन म सलगती ह
इसका अथ यह नह क
चोट पर चढ़न क चनौती ही न मान
इसका अथ यह भी नह क
परथत पर वजय पान क न ठान
आदमी जहा ह वही खड़ा रह
सर क दया क भरोस पर पड़ा रह
जड़ता का नाम जीवन नह ह
पलायन परोगमन नह ह
आदमी को चाहए क वह जझ
परथतय स लड़
एक व टट तो सरा गढ़
कत कतना भी ऊचा उठ
मनयता क तर स न गर
अपन धरातल को न छोड़
अतयामी स मह न मोड़
एक पाव धरती पर रखकर ही
वामन भगवान न आकाश-पाताल को जीता था
धरती ही धारण करती ह
कोई इस पर भार न बन
मया अभयान स न तन
आदमी क पहचान
उसक धन या आसन स नह होती
उसक मन स होती ह
मन क फकरी पर
कबर क सपदा भी रोती ह
4 गीत नह गाता
बनकाब चहर ह
दाग बड़ गहर ह
टटता तलम आज सच स भय खाता
गीत नही गाता
लगी कछ ऐसी नज़र
बखरा शीश सा शहर
अपन क मल म मीत नह पाता
गीत नह गाता
पीठ म छरी सा चाद
रा गया रखा फाद
म क ण म बार-बार बध जाता
गीत नह गाता
5 न म चप न गाता
न म चप न गाता
सवरा ह मगर परब दशा म
घर रह बादल
ई स धधलक म
मील क पथर पड़ घायल
ठठक पाव
ओझल गाव
जड़ता ह न गतमयता
वय को सर क स
म दख पाता
न म चप न गाता
समय क सदर सास न
चनार को झलस डाला
मगर हमपात को दती
चनौती एक ममाला
बखर नीड़
वहस चीड़
आस ह न मकान
हमानी झील क तट पर
अकला गनगनाता
न म चप न गाता
6 गीत नया गाता
गीत नया गाता
टट ए तार स फट बासती वर
पथर क छाती म उग आया नव अकर
झर सब पील पात कोयल क कक रात
ाची म अणम क रख दख पता
गीत नया गाता
टट ए सपन क कौन सन ससक
अतर क चीर था पलक पर ठठक
हार नह मानगा रार नह ठानगा
काल क कपाल प लखता मटाता
गीत नया गाता
7 ऊचाई
ऊच पहाड़ पर
पड़ नह लगत
पौध नह उगत
न घास ही जमती ह
जमती ह सफ बफ
जो कफ़न क तरह सफ़द और
मौत क तरह ठडी होती ह
खलती खलखलाती नद
जसका प धारण कर
अपन भाय पर बद-बद रोती ह
ऐसी ऊचाई
जसका परस
पानी को पथर कर द
ऐसी ऊचाई
जसका दरस हीन भाव भर द
अभनदन क अधकारी ह
आरोहय क लय आमण ह
उस पर झड गाड़ जा सकत ह
कत कोई गौरया
वहा नीड़ नह बना सकती
ना कोई थका-मादा बटोही
उसक छाव म पलभर पलक ही झपका सकता ह
सचाई यह ह क
कवल ऊचाई ही काफ़ नह होती
सबस अलग-थलग
परवश स पथक
अपन स कटा-बटा
शय म अकला खड़ा होना
पहाड़ क महानता नह
मजबरी ह
ऊचाई और गहराई म
आकाश-पाताल क री ह
जो जतना ऊचा
उतना एकाक होता ह
हर भार को वय ढोता ह
चहर पर मकान चपका
मन ही मन रोता ह
ज़री यह ह क
ऊचाई क साथ वतार भी हो
जसस मनय
ठठ सा खड़ा न रह
और स घल-मल
कसी को साथ ल
कसी क सग चल
भीड़ म खो जाना
याद म डब जाना
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
अजन को गीता सनानी पड़ी थी
मन हारकर मदान नह जीत जात
न मदान जीतन स मन ही जीत जात ह
चोट स गरन स
अधक चोट लगती ह
अथ जड़ जाती
पीड़ा मन म सलगती ह
इसका अथ यह नह क
चोट पर चढ़न क चनौती ही न मान
इसका अथ यह भी नह क
परथत पर वजय पान क न ठान
आदमी जहा ह वही खड़ा रह
सर क दया क भरोस पर पड़ा रह
जड़ता का नाम जीवन नह ह
पलायन परोगमन नह ह
आदमी को चाहए क वह जझ
परथतय स लड़
एक व टट तो सरा गढ़
कत कतना भी ऊचा उठ
मनयता क तर स न गर
अपन धरातल को न छोड़
अतयामी स मह न मोड़
एक पाव धरती पर रखकर ही
वामन भगवान न आकाश-पाताल को जीता था
धरती ही धारण करती ह
कोई इस पर भार न बन
मया अभयान स न तन
आदमी क पहचान
उसक धन या आसन स नह होती
उसक मन स होती ह
मन क फकरी पर
कबर क सपदा भी रोती ह
4 गीत नह गाता
बनकाब चहर ह
दाग बड़ गहर ह
टटता तलम आज सच स भय खाता
गीत नही गाता
लगी कछ ऐसी नज़र
बखरा शीश सा शहर
अपन क मल म मीत नह पाता
गीत नह गाता
पीठ म छरी सा चाद
रा गया रखा फाद
म क ण म बार-बार बध जाता
गीत नह गाता
5 न म चप न गाता
न म चप न गाता
सवरा ह मगर परब दशा म
घर रह बादल
ई स धधलक म
मील क पथर पड़ घायल
ठठक पाव
ओझल गाव
जड़ता ह न गतमयता
वय को सर क स
म दख पाता
न म चप न गाता
समय क सदर सास न
चनार को झलस डाला
मगर हमपात को दती
चनौती एक ममाला
बखर नीड़
वहस चीड़
आस ह न मकान
हमानी झील क तट पर
अकला गनगनाता
न म चप न गाता
6 गीत नया गाता
गीत नया गाता
टट ए तार स फट बासती वर
पथर क छाती म उग आया नव अकर
झर सब पील पात कोयल क कक रात
ाची म अणम क रख दख पता
गीत नया गाता
टट ए सपन क कौन सन ससक
अतर क चीर था पलक पर ठठक
हार नह मानगा रार नह ठानगा
काल क कपाल प लखता मटाता
गीत नया गाता
7 ऊचाई
ऊच पहाड़ पर
पड़ नह लगत
पौध नह उगत
न घास ही जमती ह
जमती ह सफ बफ
जो कफ़न क तरह सफ़द और
मौत क तरह ठडी होती ह
खलती खलखलाती नद
जसका प धारण कर
अपन भाय पर बद-बद रोती ह
ऐसी ऊचाई
जसका परस
पानी को पथर कर द
ऐसी ऊचाई
जसका दरस हीन भाव भर द
अभनदन क अधकारी ह
आरोहय क लय आमण ह
उस पर झड गाड़ जा सकत ह
कत कोई गौरया
वहा नीड़ नह बना सकती
ना कोई थका-मादा बटोही
उसक छाव म पलभर पलक ही झपका सकता ह
सचाई यह ह क
कवल ऊचाई ही काफ़ नह होती
सबस अलग-थलग
परवश स पथक
अपन स कटा-बटा
शय म अकला खड़ा होना
पहाड़ क महानता नह
मजबरी ह
ऊचाई और गहराई म
आकाश-पाताल क री ह
जो जतना ऊचा
उतना एकाक होता ह
हर भार को वय ढोता ह
चहर पर मकान चपका
मन ही मन रोता ह
ज़री यह ह क
ऊचाई क साथ वतार भी हो
जसस मनय
ठठ सा खड़ा न रह
और स घल-मल
कसी को साथ ल
कसी क सग चल
भीड़ म खो जाना
याद म डब जाना
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
जड़ता का नाम जीवन नह ह
पलायन परोगमन नह ह
आदमी को चाहए क वह जझ
परथतय स लड़
एक व टट तो सरा गढ़
कत कतना भी ऊचा उठ
मनयता क तर स न गर
अपन धरातल को न छोड़
अतयामी स मह न मोड़
एक पाव धरती पर रखकर ही
वामन भगवान न आकाश-पाताल को जीता था
धरती ही धारण करती ह
कोई इस पर भार न बन
मया अभयान स न तन
आदमी क पहचान
उसक धन या आसन स नह होती
उसक मन स होती ह
मन क फकरी पर
कबर क सपदा भी रोती ह
4 गीत नह गाता
बनकाब चहर ह
दाग बड़ गहर ह
टटता तलम आज सच स भय खाता
गीत नही गाता
लगी कछ ऐसी नज़र
बखरा शीश सा शहर
अपन क मल म मीत नह पाता
गीत नह गाता
पीठ म छरी सा चाद
रा गया रखा फाद
म क ण म बार-बार बध जाता
गीत नह गाता
5 न म चप न गाता
न म चप न गाता
सवरा ह मगर परब दशा म
घर रह बादल
ई स धधलक म
मील क पथर पड़ घायल
ठठक पाव
ओझल गाव
जड़ता ह न गतमयता
वय को सर क स
म दख पाता
न म चप न गाता
समय क सदर सास न
चनार को झलस डाला
मगर हमपात को दती
चनौती एक ममाला
बखर नीड़
वहस चीड़
आस ह न मकान
हमानी झील क तट पर
अकला गनगनाता
न म चप न गाता
6 गीत नया गाता
गीत नया गाता
टट ए तार स फट बासती वर
पथर क छाती म उग आया नव अकर
झर सब पील पात कोयल क कक रात
ाची म अणम क रख दख पता
गीत नया गाता
टट ए सपन क कौन सन ससक
अतर क चीर था पलक पर ठठक
हार नह मानगा रार नह ठानगा
काल क कपाल प लखता मटाता
गीत नया गाता
7 ऊचाई
ऊच पहाड़ पर
पड़ नह लगत
पौध नह उगत
न घास ही जमती ह
जमती ह सफ बफ
जो कफ़न क तरह सफ़द और
मौत क तरह ठडी होती ह
खलती खलखलाती नद
जसका प धारण कर
अपन भाय पर बद-बद रोती ह
ऐसी ऊचाई
जसका परस
पानी को पथर कर द
ऐसी ऊचाई
जसका दरस हीन भाव भर द
अभनदन क अधकारी ह
आरोहय क लय आमण ह
उस पर झड गाड़ जा सकत ह
कत कोई गौरया
वहा नीड़ नह बना सकती
ना कोई थका-मादा बटोही
उसक छाव म पलभर पलक ही झपका सकता ह
सचाई यह ह क
कवल ऊचाई ही काफ़ नह होती
सबस अलग-थलग
परवश स पथक
अपन स कटा-बटा
शय म अकला खड़ा होना
पहाड़ क महानता नह
मजबरी ह
ऊचाई और गहराई म
आकाश-पाताल क री ह
जो जतना ऊचा
उतना एकाक होता ह
हर भार को वय ढोता ह
चहर पर मकान चपका
मन ही मन रोता ह
ज़री यह ह क
ऊचाई क साथ वतार भी हो
जसस मनय
ठठ सा खड़ा न रह
और स घल-मल
कसी को साथ ल
कसी क सग चल
भीड़ म खो जाना
याद म डब जाना
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
कोई इस पर भार न बन
मया अभयान स न तन
आदमी क पहचान
उसक धन या आसन स नह होती
उसक मन स होती ह
मन क फकरी पर
कबर क सपदा भी रोती ह
4 गीत नह गाता
बनकाब चहर ह
दाग बड़ गहर ह
टटता तलम आज सच स भय खाता
गीत नही गाता
लगी कछ ऐसी नज़र
बखरा शीश सा शहर
अपन क मल म मीत नह पाता
गीत नह गाता
पीठ म छरी सा चाद
रा गया रखा फाद
म क ण म बार-बार बध जाता
गीत नह गाता
5 न म चप न गाता
न म चप न गाता
सवरा ह मगर परब दशा म
घर रह बादल
ई स धधलक म
मील क पथर पड़ घायल
ठठक पाव
ओझल गाव
जड़ता ह न गतमयता
वय को सर क स
म दख पाता
न म चप न गाता
समय क सदर सास न
चनार को झलस डाला
मगर हमपात को दती
चनौती एक ममाला
बखर नीड़
वहस चीड़
आस ह न मकान
हमानी झील क तट पर
अकला गनगनाता
न म चप न गाता
6 गीत नया गाता
गीत नया गाता
टट ए तार स फट बासती वर
पथर क छाती म उग आया नव अकर
झर सब पील पात कोयल क कक रात
ाची म अणम क रख दख पता
गीत नया गाता
टट ए सपन क कौन सन ससक
अतर क चीर था पलक पर ठठक
हार नह मानगा रार नह ठानगा
काल क कपाल प लखता मटाता
गीत नया गाता
7 ऊचाई
ऊच पहाड़ पर
पड़ नह लगत
पौध नह उगत
न घास ही जमती ह
जमती ह सफ बफ
जो कफ़न क तरह सफ़द और
मौत क तरह ठडी होती ह
खलती खलखलाती नद
जसका प धारण कर
अपन भाय पर बद-बद रोती ह
ऐसी ऊचाई
जसका परस
पानी को पथर कर द
ऐसी ऊचाई
जसका दरस हीन भाव भर द
अभनदन क अधकारी ह
आरोहय क लय आमण ह
उस पर झड गाड़ जा सकत ह
कत कोई गौरया
वहा नीड़ नह बना सकती
ना कोई थका-मादा बटोही
उसक छाव म पलभर पलक ही झपका सकता ह
सचाई यह ह क
कवल ऊचाई ही काफ़ नह होती
सबस अलग-थलग
परवश स पथक
अपन स कटा-बटा
शय म अकला खड़ा होना
पहाड़ क महानता नह
मजबरी ह
ऊचाई और गहराई म
आकाश-पाताल क री ह
जो जतना ऊचा
उतना एकाक होता ह
हर भार को वय ढोता ह
चहर पर मकान चपका
मन ही मन रोता ह
ज़री यह ह क
ऊचाई क साथ वतार भी हो
जसस मनय
ठठ सा खड़ा न रह
और स घल-मल
कसी को साथ ल
कसी क सग चल
भीड़ म खो जाना
याद म डब जाना
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
गीत नह गाता
पीठ म छरी सा चाद
रा गया रखा फाद
म क ण म बार-बार बध जाता
गीत नह गाता
5 न म चप न गाता
न म चप न गाता
सवरा ह मगर परब दशा म
घर रह बादल
ई स धधलक म
मील क पथर पड़ घायल
ठठक पाव
ओझल गाव
जड़ता ह न गतमयता
वय को सर क स
म दख पाता
न म चप न गाता
समय क सदर सास न
चनार को झलस डाला
मगर हमपात को दती
चनौती एक ममाला
बखर नीड़
वहस चीड़
आस ह न मकान
हमानी झील क तट पर
अकला गनगनाता
न म चप न गाता
6 गीत नया गाता
गीत नया गाता
टट ए तार स फट बासती वर
पथर क छाती म उग आया नव अकर
झर सब पील पात कोयल क कक रात
ाची म अणम क रख दख पता
गीत नया गाता
टट ए सपन क कौन सन ससक
अतर क चीर था पलक पर ठठक
हार नह मानगा रार नह ठानगा
काल क कपाल प लखता मटाता
गीत नया गाता
7 ऊचाई
ऊच पहाड़ पर
पड़ नह लगत
पौध नह उगत
न घास ही जमती ह
जमती ह सफ बफ
जो कफ़न क तरह सफ़द और
मौत क तरह ठडी होती ह
खलती खलखलाती नद
जसका प धारण कर
अपन भाय पर बद-बद रोती ह
ऐसी ऊचाई
जसका परस
पानी को पथर कर द
ऐसी ऊचाई
जसका दरस हीन भाव भर द
अभनदन क अधकारी ह
आरोहय क लय आमण ह
उस पर झड गाड़ जा सकत ह
कत कोई गौरया
वहा नीड़ नह बना सकती
ना कोई थका-मादा बटोही
उसक छाव म पलभर पलक ही झपका सकता ह
सचाई यह ह क
कवल ऊचाई ही काफ़ नह होती
सबस अलग-थलग
परवश स पथक
अपन स कटा-बटा
शय म अकला खड़ा होना
पहाड़ क महानता नह
मजबरी ह
ऊचाई और गहराई म
आकाश-पाताल क री ह
जो जतना ऊचा
उतना एकाक होता ह
हर भार को वय ढोता ह
चहर पर मकान चपका
मन ही मन रोता ह
ज़री यह ह क
ऊचाई क साथ वतार भी हो
जसस मनय
ठठ सा खड़ा न रह
और स घल-मल
कसी को साथ ल
कसी क सग चल
भीड़ म खो जाना
याद म डब जाना
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
वय को सर क स
म दख पाता
न म चप न गाता
समय क सदर सास न
चनार को झलस डाला
मगर हमपात को दती
चनौती एक ममाला
बखर नीड़
वहस चीड़
आस ह न मकान
हमानी झील क तट पर
अकला गनगनाता
न म चप न गाता
6 गीत नया गाता
गीत नया गाता
टट ए तार स फट बासती वर
पथर क छाती म उग आया नव अकर
झर सब पील पात कोयल क कक रात
ाची म अणम क रख दख पता
गीत नया गाता
टट ए सपन क कौन सन ससक
अतर क चीर था पलक पर ठठक
हार नह मानगा रार नह ठानगा
काल क कपाल प लखता मटाता
गीत नया गाता
7 ऊचाई
ऊच पहाड़ पर
पड़ नह लगत
पौध नह उगत
न घास ही जमती ह
जमती ह सफ बफ
जो कफ़न क तरह सफ़द और
मौत क तरह ठडी होती ह
खलती खलखलाती नद
जसका प धारण कर
अपन भाय पर बद-बद रोती ह
ऐसी ऊचाई
जसका परस
पानी को पथर कर द
ऐसी ऊचाई
जसका दरस हीन भाव भर द
अभनदन क अधकारी ह
आरोहय क लय आमण ह
उस पर झड गाड़ जा सकत ह
कत कोई गौरया
वहा नीड़ नह बना सकती
ना कोई थका-मादा बटोही
उसक छाव म पलभर पलक ही झपका सकता ह
सचाई यह ह क
कवल ऊचाई ही काफ़ नह होती
सबस अलग-थलग
परवश स पथक
अपन स कटा-बटा
शय म अकला खड़ा होना
पहाड़ क महानता नह
मजबरी ह
ऊचाई और गहराई म
आकाश-पाताल क री ह
जो जतना ऊचा
उतना एकाक होता ह
हर भार को वय ढोता ह
चहर पर मकान चपका
मन ही मन रोता ह
ज़री यह ह क
ऊचाई क साथ वतार भी हो
जसस मनय
ठठ सा खड़ा न रह
और स घल-मल
कसी को साथ ल
कसी क सग चल
भीड़ म खो जाना
याद म डब जाना
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
टट ए तार स फट बासती वर
पथर क छाती म उग आया नव अकर
झर सब पील पात कोयल क कक रात
ाची म अणम क रख दख पता
गीत नया गाता
टट ए सपन क कौन सन ससक
अतर क चीर था पलक पर ठठक
हार नह मानगा रार नह ठानगा
काल क कपाल प लखता मटाता
गीत नया गाता
7 ऊचाई
ऊच पहाड़ पर
पड़ नह लगत
पौध नह उगत
न घास ही जमती ह
जमती ह सफ बफ
जो कफ़न क तरह सफ़द और
मौत क तरह ठडी होती ह
खलती खलखलाती नद
जसका प धारण कर
अपन भाय पर बद-बद रोती ह
ऐसी ऊचाई
जसका परस
पानी को पथर कर द
ऐसी ऊचाई
जसका दरस हीन भाव भर द
अभनदन क अधकारी ह
आरोहय क लय आमण ह
उस पर झड गाड़ जा सकत ह
कत कोई गौरया
वहा नीड़ नह बना सकती
ना कोई थका-मादा बटोही
उसक छाव म पलभर पलक ही झपका सकता ह
सचाई यह ह क
कवल ऊचाई ही काफ़ नह होती
सबस अलग-थलग
परवश स पथक
अपन स कटा-बटा
शय म अकला खड़ा होना
पहाड़ क महानता नह
मजबरी ह
ऊचाई और गहराई म
आकाश-पाताल क री ह
जो जतना ऊचा
उतना एकाक होता ह
हर भार को वय ढोता ह
चहर पर मकान चपका
मन ही मन रोता ह
ज़री यह ह क
ऊचाई क साथ वतार भी हो
जसस मनय
ठठ सा खड़ा न रह
और स घल-मल
कसी को साथ ल
कसी क सग चल
भीड़ म खो जाना
याद म डब जाना
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
पौध नह उगत
न घास ही जमती ह
जमती ह सफ बफ
जो कफ़न क तरह सफ़द और
मौत क तरह ठडी होती ह
खलती खलखलाती नद
जसका प धारण कर
अपन भाय पर बद-बद रोती ह
ऐसी ऊचाई
जसका परस
पानी को पथर कर द
ऐसी ऊचाई
जसका दरस हीन भाव भर द
अभनदन क अधकारी ह
आरोहय क लय आमण ह
उस पर झड गाड़ जा सकत ह
कत कोई गौरया
वहा नीड़ नह बना सकती
ना कोई थका-मादा बटोही
उसक छाव म पलभर पलक ही झपका सकता ह
सचाई यह ह क
कवल ऊचाई ही काफ़ नह होती
सबस अलग-थलग
परवश स पथक
अपन स कटा-बटा
शय म अकला खड़ा होना
पहाड़ क महानता नह
मजबरी ह
ऊचाई और गहराई म
आकाश-पाताल क री ह
जो जतना ऊचा
उतना एकाक होता ह
हर भार को वय ढोता ह
चहर पर मकान चपका
मन ही मन रोता ह
ज़री यह ह क
ऊचाई क साथ वतार भी हो
जसस मनय
ठठ सा खड़ा न रह
और स घल-मल
कसी को साथ ल
कसी क सग चल
भीड़ म खो जाना
याद म डब जाना
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
उस पर झड गाड़ जा सकत ह
कत कोई गौरया
वहा नीड़ नह बना सकती
ना कोई थका-मादा बटोही
उसक छाव म पलभर पलक ही झपका सकता ह
सचाई यह ह क
कवल ऊचाई ही काफ़ नह होती
सबस अलग-थलग
परवश स पथक
अपन स कटा-बटा
शय म अकला खड़ा होना
पहाड़ क महानता नह
मजबरी ह
ऊचाई और गहराई म
आकाश-पाताल क री ह
जो जतना ऊचा
उतना एकाक होता ह
हर भार को वय ढोता ह
चहर पर मकान चपका
मन ही मन रोता ह
ज़री यह ह क
ऊचाई क साथ वतार भी हो
जसस मनय
ठठ सा खड़ा न रह
और स घल-मल
कसी को साथ ल
कसी क सग चल
भीड़ म खो जाना
याद म डब जाना
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
जो जतना ऊचा
उतना एकाक होता ह
हर भार को वय ढोता ह
चहर पर मकान चपका
मन ही मन रोता ह
ज़री यह ह क
ऊचाई क साथ वतार भी हो
जसस मनय
ठठ सा खड़ा न रह
और स घल-मल
कसी को साथ ल
कसी क सग चल
भीड़ म खो जाना
याद म डब जाना
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
वय को भल जाना
अतव को अथ
जीवन को सगध दता ह
धरती को बौन क नह
ऊच कद क इसान क जरत ह
इतन ऊच क आसमान छ ल
नय न म तभा क बीज बो ल
कत इतन ऊच भी नह
क पाव तल ब ही न जम
कोई काटा न चभ
कोई कली न खल
न वसत हो न पतझड़
हो सफ ऊचाई का अधड़
मा अकलपन का साटा
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
मर भ
मझ इतनी ऊचाई कभी मत दना
ग़र को गल न लगा सक
इतनी खाई कभी मत दना
8 कौरव कौन कौन पाडव
कौरव कौन
कौन पाडव
टढ़ा सवाल ह
दोन ओर शकन
का फला
कटजाल ह
धमराज न छोड़ी नह
जए क लत ह
हर पचायत म
पाचाली
अपमानत ह
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
बना कण क
आज
महाभारत होना ह
कोई राजा बन
रक को तो रोना ह
9 ध म दरार पड़ गई
ख़न य सफ़द हो गया
भद म अभद खो गया
बट गय शहीद गीत कट गए
कलज म कटार दड़ गई
ध म दरार पड़ गई
खत म बाद गध
टट गय नानक क छद
सतलज सहम उठ थत सी बतता ह
वसत स बहार झड़ गई
ध म दरार पड़ गई
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
अपनी ही छाया स बर
गल लगन लग ह ग़र
ख़दकशी का राता तह वतन का वाता
बात बनाए बगड़ गई
ध म दरार पड़ गई
10 मन का सतोष
पथवी पर
मनय ही ऐसा एक ाणी ह
जो भीड़ म अकला और
अकल म भीड़ स घरा अनभव करता ह
मनय को झड म रहना पसद ह
घर-परवार स ारभ कर
वह बतया बसाता ह
गली-ाम-पर-नगर सजाता ह
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
सयता क नर दौड़ म
सकत को पीछ छोड़ता आ
कत पर वजय
मय को म म करना चाहता ह
अपनी रा क लए
और क वनाश क सामान जटाता ह
आकाश को अभशत
धरती को नवसन
वाय को वषा
जल को षत करन म सकोच नह करता
कत यह सब कछ करन क बाद
जब वह एकात म बठकर वचार करता ह
वह एकात फर घर का कोना हो
या कोलाहल स भरा बाजार
या काश क गत स तज उड़ता जहाज
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
या कोई वानक योगशाला
था मदर
या मरघट
जब वह आमालोचन करता ह
मन क परत खोलता ह
वय स बोलता ह
हान-लाभ का लखा-जोखा नह
या खोया या पाया का हसाब भी नह
जब वह परी जदगी को ही तौलता ह
अपनी कसौट पर वय को ही कसता ह
नममता स नरखता परखता ह
तब वह अपन मन स या कहता ह
इसी का महव ह यही उसका सय ह
अतम याा क अवसर पर
वदा क वला म
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
जब सबका साथ छटन लगता ह
शरीर भी साथ नह दता
तब आमलान स म
यद कोई हाथ उठाकर यह कह सकता ह
क उसन जीवन म जो कछ कया
सही समझकर कया
कसी को जानबझकर चोट पचान क लए नह
सहज कम समझकर कया
तो उसका अतव साथक ह
उसका जीवन सफ़ल ह
उसी क लए यह कहावत बनी ह
मन चगा तो कठौती म गगाजल ह
11 झक नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
सय का सघष सा स
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
याय लड़ता नरकशता स
अधर न द चनौती ह
करण अतम अत होती ह
दप ना का लय नकप
व टट या उठ भकप
यह बराबर का नह ह य
हम नहथ श ह स
हर तरह क श स ह सज
और पशबल हो उठा नलज
कत फर भी जझन का ण
अगद न बढ़ाया चरण
ाण-पण स करग तकार
समपण क माग अवीकार
दाव पर सब कछ लगा ह क नह सकत
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
टट सकत ह मगर हम झक नह सकत
12 र कह कोई रोता ह
र कह कोई रोता ह
तन पर पहरा भटक रहा मन
साथी ह कवल सनापन
बछड़ गया या वजन कसी का
दन सदा कण होता ह
जम दवस पर हम इठलात
य ना मरण यौहार मनात
अतम याा क अवसर पर
आस का अशकन होता ह
अतर रोय आख ना रोय
धल जायग वपन सजाय
छलना भर व म कवल
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
सपना ही सच होता ह
इस जीवन स मय भली ह
आतकत जब गली गली ह
म भी रोता आसपास जब
कोई कह नह होता ह
13 जीवन बीत चला
जीवन बीत चला
कल कल करत आज
हाथ स नकल सार
भत भवय क चता म
वतमान क बाज़ी हार
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
हान लाभ क पलड़ म
तलता जीवन ापार हो गया
मोल लगा बकन वाल का
बना बका बकार हो गया
मझ हाट म छोड़ अकला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला
14 मौत स ठन गई
ठन गई
मौत स ठन गई
जझन का मरा इरादा न था
मोड़ पर मलग इसका वादा न था
राता रोक कर वह खड़ी हो गई
य लगा ज़दगी स बड़ी हो गई
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
मौत क उमर या ह दो पल भी नह
ज़दगी सलसला आज कल क नह
म जी भर जया म मन स म
लौटकर आऊगा कच स य ड
त दब पाव चोरी-छप स न आ
सामन वार कर फर मझ आज़मा
मौत स बख़बर ज़दगी का सफ़र
शाम हर सरमई रात बसी का वर
बात ऐसी नह क कोई ग़म ही नह
दद अपन-पराए कछ कम भी नह
यार इतना पराय स मझको मला
न अपन स बाक़ ह कोई गला
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
हर चनौती स दो हाथ मन कय
आधय म जलाए ह बझत दए
आज झकझोरता तज़ तफ़ान ह
नाव भवर क बाह म महमान ह
पार पान का क़ायम मगर हौसला
दख तवर तफ़ा का तवरी तन गई
मौत स ठन गई
15 राह कौन सी जाऊ म
चौराह पर लटता चीर
याद स पट गया वजीर
चल आखरी चाल क बाजी छोड़ वर सजाऊ
राह कौन सी जाऊ म
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
सपना जमा और मर गया
मध ऋत म ही बाग झर गया
तनक टट य बटो या नवस सजाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
दो दन मल उधार म
घाट क ापार म
ण-ण का हसाब ल या नध शष लटाऊ म
राह कौन सी जाऊ म
16 म सोचन लगता
तज रतार स दौड़ती बस
बस क पीछ भागत लोग
बच सहालती औरत
सड़क पर इतनी धल उड़ती ह
क मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
परख सोचन क लए आख बद करत थ
म आख बद होन पर सोचता
बस ठकान पर य नह ठहरत
लोग लाइन म य नह लगत
आखर यह भागदौड़ कब तक चलगी
दश क राजधानी म
ससद क सामन
धल कब तक उड़गी
मरी आख बद ह
मझ कछ दखाई नह दता
म सोचन लगता
17 हरोशमा क पीड़ा
कसी रात को
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
मरी नद अचानक उचट जाती ह
आख खल जाती ह
म सोचन लगता क
जन वानक न अण अ का
आवकार कया था
व हरोशमा-नागासाक क भीषण
नरसहार क समाचार सनकर
रात को कस सोए हग
दात म फसा तनका
आख क करकरी
पाव म चभा काटा
आख क नद
मन का चन उड़ा दत ह
सग-सबधी क मय
कसी य का न रहना
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
परचत का उठ जाना
यहा तक क पालत पश का भी वछोह
दय म इतनी पीड़ा
इतना वषाद भर दता ह क
चा करन पर भी नद नह आती ह
करवट बदलत रात गजर जाती ह
कत जनक आवकार स
वह अतम अ बना
जसन छह अगत उीस सौ पतालीस क काल-रा को
हरोशमा-नागासाक म मय का ताडव कर
दो लाख स अधक लोग क बल ल ली
हजार को जीवन भर क लए अपाहज कर दया
या उह एक ण क लए सही
य अनभत नह ई क
उनक हाथ जो कछ आ
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
अछा नह आ
यद ई तो वत उह कटघर म खड़ा नह करगा
कत यद नह ई तो इतहास उह
कभी माफ़ नह करगा
18 नए मील का पथर
नए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतमनए मील का पथर पार आ
कतन पथर शष न कोई जानता
अतम कौन पडाव नही पहचानता
अय सरज अखड धरती
कवल काया जीती मरती
इसलय उ का बढना भी यौहार आ
नए मील का पथर पार आ
बचपन याद बत आता ह
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
यौवन रसघट भर लाता ह
बदला मौसम ढलती छाया
रसती गागर लटती माया
सब कछ दाव लगाकर घाट का ापार आ
नए मील का पथर पार आ
(इकसठव जम-दवस पर)
19 मोड़ पर
मझ र का दखाई दता ह
म दवार पर लखा पढ़ सकता
मगर हाथ क रखाए नह पढ़ पाता
सीमा क पार भड़कत शोल
मझ दखाई दत ह
पर पाव क इद-गद फली गम राख
नज़र नह आती
या म बढ़ा हो चला
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
हर पचीस दसबर को
जीन क एक नई सीढ़ चढ़ता
नए मोड़ पर
और स कम
वय स यादा लड़ता
म भीड़ को चप करा दता
मगर अपन को जवाब नही द पाता
मरा मन मझ अपनी ही अदालत म खड़ा कर
जब जरह करता ह
मरा हफनामा मर ही खलाफ पश करता ह
तो म मकमा हार जाता
अपनी ही नजर म गनहगार बन जाता
तब मझ कछ दखाई नही दता
न र का न पास का
मरी उ अचानक दस साल बड़ी हो जाती ह
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
म सचमच बढ़ा हो जाता
(25 दसबर 1993 जम-दवस पर)
20 आओ मन क गाठ खोल
यमना तट टल रतील
घासndashफस का घर डाड पर
गोबर स लीप आगन म
तलसी का बरवा घट वर
मा क मह म रामायण क दोह-चौपाई रस घोल
आओ मन क गाठ खोल
बाबा क बठक म बछ
चटाई बाहर रख खड़ाऊ
मलन वाल क मन म
असमजस जाऊ या न जाऊ
माथ तलक नाक पर ऐनक पोथी खली वयम स बोल
आओ मन क गाठ खोल
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
सरवती क दख साधना
लमी न सबध न जोड़ा
म न माथ का चदन
बनन का सकप न छोड़ा
नय वष क अगवानी म टक क ल कछ ताजा हो ल
आओ मन क गाठ खोल
(25 दसबर 1994 जम-दवस पर)
21 नई गाठ लगती
जीवन क डोर छोर छन को मचली
जाड़ क धप वण कलश स फसली
अतर क अमराई
सोई पड़ी शहनाई
एक दब दद-सी सहसा ही जगती
नई गाठ लगती
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
र नह पास नह मजल अजानी
सास क सरगम पर चलन क ठानी
पानी पर लकर-सी
खली जजीर-सी
कोई मगतणा मझ बार-बार छलती
नई गाठ लगती
मन म लगी जो गाठ मकल स खलती
दागदार जदगी न घाट पर धलती
जसी क तसी नह
जसी ह वसी सही
कबरा क चादरया बड़ भाग मलती
नई गाठ लगती
22 य
जो कल थ
व आज नह ह
जो आज ह
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
व कल नह हग
होन न होन का म
इसी तरह चलता रहगा
हम ह हम रहग
यह म भी सदा पलता रहगा
सय या ह
होना या न होना
या दोन ही सय ह
जो ह उसका होना सय ह
जो नह ह उसका न होना सय ह
मझ लगता ह क
होना-न-होना एक ही सय क
दो आयाम ह
शष सब समझ का फर
ब क ायाम ह
कत न होन क बाद या होता ह
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
यह अनरत ह
यक नया नचकता
इस क खोज म लगा ह
सभी साधक को इस न ठगा ह
शायद यह ही रहगा
यद कछ अनरत रह
तो इसम बराई या ह
हा खोज का सलसला न क
धम क अनभत
वान का अनसधान
एक दन अवय ही
ार खोलगा
पछन क बजाय
य वय उर बोलगा
23 मा याचना
मा करो बाप तम हमको
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
बचन भग क हम अपराधी
राजघाट को कया अपावन
मज़ल भल याा आधी
जयकाश जी रखो भरोसा
टट सपन को जोड़ग
चताभम क चगारी स
अधकार क गढ़ तोड़ग
राीयता क वर
24 वतता दवस क पकार
पह अगत का दन कहता - आज़ाद अभी अधरी ह
सपन सच होन बाक़ ह राखी क शपथ न परी ह
जनक लाश पर पग धर कर आजाद भारत म आई
व अब तक ह खानाबदोश ग़म क काली बदली छाई
कलक क फटपाथ पर जो आधी-पानी सहत ह
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
उनस पछो पह अगत क बार म या कहत ह
ह क नात उनका ख सनत यद तह लाज आती
तो सीमा क उस पार चलो सयता जहा कचली जाती
इसान जहा बचा जाता ईमान ख़रीदा जाता ह
इलाम ससकया भरता हडालर मन म मकाता ह
भख को गोली नग को हथयार पहाए जात ह
सख कठ स जहाद नार लगवाए जात ह
लाहौर कराची ढाका पर मातम क ह काली छाया
पतन पर गलगत पर ह ग़मगीन ग़लामी का साया
बस इसीलए तो कहता आज़ाद अभी अधरी ह
कस उलास मनाऊ म थोड़ दन क मजबरी ह
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
दन र नह खडत भारत को पनः अखड बनाएग
गलगत स गारो पवत तक आजाद पव मनाएग
उस वण दवस क लए आज स कमर कस बलदान कर
जो पाया उसम खो न जाए जो खोया उसका यान कर
25 अमर आग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
उर दश म अजत ग सा
जागक हरी यग-यग का
मतमत थय धीरता क तमा सा
अटल अडग नगपत वशाल ह
नभ क छाती को छता सा
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
कत-पज सा
द दपक क काश म-
झलमल झलमल
योतत मा का पय भाल ह
कौन कह रहा उस हमालय
वह तो हमाव वालागर
अण-अण कण-कण गर-कदर
गजत वनत कर रहा अब तक
डम-डम डम का भरव वर
गौरीशकर क गर गर
शल-शखर नझर वन-उपवन
त तण दपत
शकर क तीसर नयन क-
लय-व स जगमग योतत
जसको छ कर
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
ण भर ही म
काम रह गया था म भर
यही आग ल तदन ाची
अपना अण सहाग सजाती
और खर दनकर क
कचन काया
इसी आग म पल कर
नश-नश दन-दन
जल-जल तपल
स-लय-पयत तमावत
जगती को राता दखाती
यही आग ल हद महासागर क
छाती ह धधकाती
लहर-लहर वाल लपट बन
पव-पमी घाट को छ
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
सदय क हतभाय नशा म
सोय शलाखड सलगाती
नयन-नयन म यही आग ल
कठ-कठ म लय-राग ल
अब तक हतान जया ह
इसी आग क द वभा म
सत-सध क कल कछार पर
सर-सरता क धवल धार पर
तीर-तट पर
पणकट म पणासन पर
कोट-कोट ऋषय-मनय न
द ान का सोम पया था
जसका कछ उछ मा
बबर पम न
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
दया दान सा
नज जीवन को सफल मान कर
कर पसार कर
सर-आख पर धार लया था
वद-वद क म-म म
म-म क प-प म
प-प क शद-शद म
शद-शद क अर वर म
द ान-आलोक दपत
सय शव सदर शोभत
कपल कणाद और जमन क
वानभत का अमर काशन
वशद-ववचन यालोचन
जगत माया का दशन
कोट-कोट कठ म गजा
जो अत मगलमय वगक वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
यही आग सरय क तट पर
दशरथ जी क राजमहल म
घन-समह य चल चपला सी
गट ई वलत ई थी
दय-दानव क अधम स
पीड़त पयभम का जन-जन
शकत मन-मन
सत व
आकल मनवर-गण
बोल रही अधम क तती
तर आ धम का पालन
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
तब वदश-राथ दश का
सोया यव जागा था
रोम-रोम म गट ई यह वाला
जसन असर जलाए
दश बचाया
वामीक न जसको गाया
चकाचध नया न दखी
सीता क सतीव क वाला
व चकत रह गया दख कर
नारी क रा-नम जब
नर या वानर न भी अपना
महाकाल क बल-वद पर
अगणत हो कर
समत हषत शीश चढ़ाया
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
यही आग वलत ई थी-
यमना क आकल आह स
अयचार-पीड़त ज क
अ-सध म बड़वानल बन
कौन सह सका मा का दन
दन दवक न कारा म
सलगाई थी यही आग जो
कण-प म फट पड़ी थी
जसको छ कर
मा क कर क कड़या
पग क लड़या
चट-चट टट पड़ी थ
पाचजय का भरव वर सन
तड़प उठा आ सदशन
अजन का गाडीव
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
भीम क गदा
धम का धम डट गया
अमर भम म
समर भम म
धम भम म
कम भम म
गज उठ गीता क वाणी
मगलमय जन-जन कयाणी
अपढ़ अजान व न पाई
शीश झकाकर एक धरोहर
कौन दाशनक द पाया ह
अब तक ऐसा जीवन-दशन
कालद क कल कछार पर
कण-कठ स गजा जो वर
अमर राग ह अमर राग ह
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
कोट-कोट आकल दय म
सलग रही ह जो चनगारी
अमर आग ह अमर आग ह
26 परचय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म शकर का वह ोधानल कर सकता जगती ार ार
डम क वह लयवन जसम नचता भीषण सहार
रणचडी क अतत यास म गा का उम हास
म यम क लयकर पकार जलत मरघट का धवाधार
फर अतरतम क वाला स जगती म आग लगा म
यद धधक उठ जल थल अबर जड चतन तो कसा वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म आद पष नभयता का वरदान लय आया भपर
पय पीकर सब मरत आए म अमर वा लो वष पीकर
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
अधरक यास बझाई ह मन पीकर वह आग खर
हो जाती नया भमसात जसको पल भर म ही छकर
भय स ाकल फर नया न ारभ कया मरा पजन
म नर नारायण नीलकठ बन गया न इसम कछ सशय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म अखल व का ग महान दता वा का अमर दान
मन दखलाया ममाग मन सखलाया ान
मर वद का ान अमर मर वद क योत खर
मानव क मन का अधकार या कभी सामन सकठका सहर
मरा वणभ म गहर गहर सागर क जल म चहर चहर
इस कोन स उस कोन तक कर सकता जगती सौरभ म
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म तजःपज तम लीन जगत म फलाया मन काश
जगती का रच करक वनाश कब चाहा ह नज का वकास
शरणागत क रा क ह मन अपना जीवन दकर
वास नही यद आता तो साी ह इतहास अमर
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
यद आज दहल क खडहर सदयक ना स जगकर
गजार उठ उनक वर स ह क जय तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
नया क वीरान पथ पर जब जब नर न खाई ठोकर
दो आस शष बचा पाया जब जब मानव सब कछ खोकर
म आया तभ वत होकर म आया ान दप लकर
भला भटका मानव पथ पर चल नकला सोत स जगकर
पथ क आवतस थककर जो बठ गया आध पथ पर
उस नर को राह दखाना ही मरा सदव का ढनय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
मन छाती का ल पला पाल वदश क सजत लाल
मझको मानव म भद नही मरा अतःथल वर वशाल
जग स ठकराए लोगको लो मर घर का खला ार
अपना सब कछ लटा चका पर अय ह धनागार
मरा हीरा पाकर योतत परकयका वह राज मकट
यद इन चरण पर झक जाए कल वह करट तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म वीरप मर जननी क जगती म जौहर अपार
अकबर क पस पछो या याद उह मीना बझार
या याद उह चोड ग म जलनवाली आग खर
जब हाय सहो माताए तल तल कर जल कर हो गई अमर
वह बझनवाली आग नही रग रग म उस समाए
यद कभ अचानक फट पड वलव लकर तो या वमय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
होकर वत मन कब चाहा ह कर ल सब को गलाम
मन तो सदा सखाया ह करना अपन मन को गलाम
गोपाल राम क नामपर कब मन अयाचार कया
कब नया को ह करन घर घर म नरसहार कया
कोई बतलाए काबल म जाकर कतनी मजद तोडी
भभाग नही शत शत मानव क दय जीतन का नय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
म एक ब परपण सध ह यह मरा ह समाज
मरा इसका सबध अमर म और यह ह समाज
इसस मन पाया तन मन इसस मन पाया जीवन
मरा तो बस कत यही कर सब कछ इसक अपण
म तो समाज क थात म तो समाज का सवक
म तो सम क लए का कर सकता बलदान अभय
ह तन मन ह जीवन रग रग ह मरा परचय
27 आज सध म वार उठा ह
आज सध म वार उठा ह
नगपत फर ललकार उठा ह
क क कणndashकण स फर
पाचजय कार उठा ह
शतndashशत आघात को सहकर
जीवत हथान हमारा
जग क मतक पर रोली सा
शोभत हथान हमारा
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
नया का इतहास पछता
रोम कहा यनान कहा ह
घरndashघर म शभ अन जलाता
वह उत ईरान कहा ह
दप बझ पमी गगन क
ात आ बबर अधयारा
कत चीर कर तम क छाती
चमका हथान हमारा
हमन उर का नह लटाकर
पीड़त ईरानी पाल ह
नज जीवन क योत जलाndash
मानवता क दपक बाल ह
जग को अमत का घट दकर
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
हमन वष का पान कया था
मानवता क लय हष स
अथndashव का दान दया था
जब पम न वनndashफल खाकर
छाल पहनकर लाज बचाई
तब भारत स साम गान का
वागक वर था दया सनाई
अानी मानव को हमन
द ान का दान दया था
अबर क ललाट को चमा
अतल सध को छान लया था
साी ह इतहास कत का
तब स अनपम अभनय होता ह
परब स उगता ह सरज
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
पम क तम म लय होता ह
व गगन पर अगणत गौरव
क दपक अब भी जलत ह
कोटndashकोट नयन म वणम
यग क शतndashसपन पलत ह
कत आज प क शोणत स
रजत वसधा क छाती
टकड़-टकड़ ई वभाजत
बलदानी परख क थाती
कण-कण पर शोणत बखरा ह
पग-पग पर माथ क रोली
इधर मनी सख क दवाली
और उधर जन-जन क होली
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
माग का सर चता क
भम बना हा-हा खाता ह
अगणत जीवन-दप बझाता
पाप का झका आता ह
तट स अपना सर टकराकर
झलम क लहर पकारती
यनानी का र दखाकर
चगत को ह गहारती
रो-रोकर पजाब पछता
कसन ह दोआब बनाया
कसन मदर-गार को
अधम का अगार दखाया
खड़ दहली पर हो
कसन पौष को ललकारा
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
कसन पापी हाथ बढ़ाकर
मा का मकट उतारा
कामीर क नदन वन को
कसन ह सलगाया
कसन छाती पर
अयाय का अबार लगाया
आख खोलकर दखो घर म
भीषण आग लगी ह
धम सयता सकत खान
दानव धा जगी ह
ह कहन म शमात
ध लजात लाज न आती
घोर पतन ह अपनी मा को
मा कहन म फटती छाती
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
जसन र पीला कर पाला
ण-भर उसक ओर नहारो
सनी सनी माग नहारो
बखर-बखर कश नहारो
जब तक शासन ह
वणी कस बध पायगी
कोट-कोट सतत ह
मा क लाज न लट पायगी
28 जम क पकार
अयाचारी न आज पनः ललकारा अयायी का चलता ह दमन-धारा
आख क आग सय मटा जाता ह भारतमाता का शीश कटा जाताह
या पनः दश टकड़ म बट जाएगा या सबका शोणत पानी बनजाएगा
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
कब तक दानव क माया चलन दग कब तक भमासर को हमछलन दग
कब तक जम को य ही जलन दग कब तक जम क मदराढलन दग
चपचाप सहग कब तक लाठ गोली कब तक खलग मन ख सहोली
हलाद परीा क बला अब आई होलका बनी दखोअलाशाही
मा-बहन का अपमान सहग कब तक भोल पाडव चपचाप रहगकब तक
आखर सहन क भी सीमा होती ह सागर क उर म भी वाला सोतीह
मलयानल कभी बवडर बन ही जाता भोल शव का तीसरा न खलजाता
जनको जन-धन स मोह ाण स ममता व र रह अब पाचजय
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
ह बजता
जो वमख य स हठ र कादर ह रणभरी सन कपत जन कअतर ह
व र रह चड़या पहन घर बठ बहन थक माताए कान उमठ
जो मानसह क वशज समख आय फर एक बार घर म ही आगलगाए
पर अयायी क लका अब न रहगी आन वाली सतान य न कहगी
पो क रहत का जनन का माथा चप रह दखत अयाय क गाथा
अब शोणत स इतहास नया लखना ह बल-पथ पर नभय पावआज रखना ह
आओ खडत भारत क वासी आओ कामीर बलाता याग उदासीआओ
शकर का मठ कहण का का जगाता जम का कण-कण ाह-ाह चलाता
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
लो सनो शहीद क पकार आती ह अयाचारी क सा थराती ह
उजड़ सहाग क लाली तह बलाती अधजली चता मतवाली तहजगाती
अथया शहीद क दत आमण बलवद पर कर दो सववसमपण
कारागार क दवार का योता कसी बलता अब कसा समझोता
हाथ म लकर ाण चलो मतवाल सन म लकर आग चलोनवालो
जो कदम बाधा अब पीछ नह हटगा बचा - बचा हस - हस करमर मटगा
वष क बाद आज बल का दन आया अयाय - याय का चर -सघषण आया
फर एक बात भारत क कमत जागी जनता जागी अपमानतअमत जागी
दखो वदश क कत न कम हो जाय कण - कण पर फर बल क
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
छाया छा जाए
29 कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
यह परपरा का वाह ह कभी न खडत होगा
प क बल पर ही मा का मतक मडत होगा
वह कपत ह जसक रहत मा क दन दशा हो
शत भाई का घर उजाड़ता जसका महल बसा हो
घर का दपक थ मात-मदर म जब अधयारा
कसा हास-वलास क जब तक बना आ बटवारा
कस बट न मा क टकड़ करक दप जलाए
कसन भाई क समाध पर ऊच महल बनाए
सबल भजा म रत ह नौका क पतवार
चीर चल सागर क छाती पार कर मझधार
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
ान-कत लकर नकला ह वजयी शकर
अब न चलगा ढग दभ मया आडबर
अब न चलगा रा म का गहत सौदा
यह अभनव चाणय न फलन दगा वष का पौधा
तन क श दय क ा आम-तज क धारा
आज जगगा जग-जननी का सोया भाय सतारा
कोट पप चढ़ रह दव क शभ चरण पर
कोट चरण बढ़ रह यय क ओर नरतर
30 गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
गगन म लहरता ह भगवा हमारा
घर घोर घन दासता क भयकर
गवा बठ सवव आपस म लडकर
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
बझ दप घर-घर आ शय अबर
नराशा नशा न जो डरा जमाया
य जयचद क ोह का फल ह
जो अब तक अधरा सबरा न आया
मगर घोर तम म पराजय क गम म वजय क वभा ल
अधर गगन म उषा क वसन मनो क नयन म
चमकता रहा पय भगवा हमारा१
भगावा ह पनी क जौहर क वाला
मटाती अमावस लटाती उजाला
नया एक इतहास या रच न डाला
चता एक जलन हजार खडी थी
पष तो मट नारया सब हवन क
समध बन ननल क पग पर चढ थी
मगर जौहर म घर कोहरो म
धए क घनो म क बल क ण म
धधकता रहा पय भगवा हमारा २
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
मट दवाता मट गए श मदर
लट दवया लट गए सब नगर घर
वय फट क अन म घर जला कर
परकार हाथ म लह क कडया
कपत क माता खडी आज भी ह
भर अपनी आखो म आस क लडया
मगर दासता क भयानक भवर म पराजय समर म
अखीरी ण तक शभाशा बधाता क इछा जगाता
क सब कछ लटाकर ही सब कछ दलान
बलाता रहा ाण भगवा हमारा३
कभी थ अकल ए आज इतन
नही तब डर तो भला अब डरग
वरोध क सागर म चान ह हम
जो टकराएग मौत अपनी मरग
लया हाथ म वज कभी न झकगा
कदम बढ रहा ह कभी न कगा
न सरज क समख अधरा टकगा
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
नडर ह सभी हम अमर ह सभी हम
क सर पर हमार वरदहत करता
गगन म लहरता ह भगवा हमारा४
31 उनक याद कर
जो बरस तक सड़ जल म उनक याद कर
जो फासी पर चढ़ खल म उनक याद कर
याद कर काला पानी को
अज क मनमानी को
को म जट तल परत
सावरकर स बलदानी को
याद कर बहर शासन को
बम स थरात आसन को
भगतसह सखदव राजग
क आमोसग पावन को
अयायी स लड़
दया क मत फरयाद कर
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
उनक याद कर
बलदान क बला आई
लोकत द रहा हाई
वाभमान स वही जयगा
जसस कमत गई चकाई
म मागती श सगठत
य ससगत भ अकपत
कत तजवी घत हमगर-सी
म मागती गत अतहत
अतम वजय सनत पथ म
य अवसाद कर
उनक याद कर
32 अमर ह गणत
राजपथ पर भीड़ जनपथ पड़ा सना
पलटन का माच होता शोर ना
शोर स डब ए वाधीनता क वर
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
वाणी लखनी जड़ कसमसाता डर
भयाताकत भीड़ जन अधकार वचत
बद याय कपाट सा अमयादत
लोक का य का जयकार होता
वतता का व रावी तीर रोता
र क आस बहान को ववश गणत
राजमद न रद डाल म क शभ म
या इसी दन क लए पवज ए बलदान
पीढ़या जझ सदय चला अन-नान
वतता क सर सघष का घननाद
होलका आपात क फर मागती ाद
अमर ह गणत कारा क खलग ार
प अमत क न वष स मान सकत हार
33 सा
मासम बच
बढ़ औरत
जवान मद क लाश क ढर पर चढ़कर
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
जो सा क सहासन तक पचना चाहत ह
उनस मरा एक सवाल ह
या मरन वाल क साथ
उनका कोई रता न था
न सही धम का नाता
या धरती का भी सबध नह था
पथवी मा और हम उसक प ह
अथववद का यह म
या सफ जपन क लए ह
जीन क लए नह
आग म जल बच
वासना क शकार औरत
राख म बदल घर
न सयता का माण प ह
न दश-भ का तमगा
व यद घोषणा-प ह तो पशता का
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
माश ह तो पततावथा का
ऐस कपत स
मा का नपती रहना ही अछा था
नदष र स सनी राजग
मशान क धल स गरी ह
सा क अनयत भख
र-पपासा स भी बरी ह
पाच हजार साल क सकत
गव कर या रोए
वाथ क दौड़ म
कह आजाद फर स न खोए
चनौती क वर
34 मातपजा तबधत
पप कटक म खलत ह
दप अधर म जलत ह
आज नह ाद यग स
पीड़ा म ही पलत ह
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
कत यातना क बल पर
नह भावनाए कती ह
चता होलका क जलती ह
अयायी कर ही मलत ह
35 कठ-कठ म एक राग ह
मा क सभी सपत गथत वलत दय क माला
हकश स महासध तक जगी सघटन-वाला
दय-दय म एक आग ह कठ-कठ म एक राग ह
एक यय ह एक व लौटाना मा का सख-सहाग ह
बल वरोध क सागर म हम सढ़ चान बनग
जो आकर सर टकराएग अपनी-अपनी मौत मरग
वपदाए आती ह आए हम न क ग हम न क ग
आघात क या चता ह हम न झक ग हम न झक ग
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
सागर को कसन बाधा ह तफान को कसन रोका
पाप क लका न रहगी यह उचास पवन का झका
आधी लघ-लघ दप बझाती पर धधकाती ह दावानल
कोट-कोट दय क वाला कौन बझाएगा कसम बल
छईमई क पड़ नह जो छत ही मरझा जाएग
या तड़ताघात स नभ क योतत तार बझ पाएग
लय-घन का व चीरकर अधकार को चर-चर कर
वलत चनौती सा चमका ह ाची क पट पर शभ दनकर
सय सय क खर ताप स चमगादड़ उलक छपत ह
खग-कल क दन को सन कर करण-बाण या क सकत ह
शद दय क वाला स वास-दप नकप जलाकर
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
कोट-कोट पग बढ़ जा रह तल-तल जीवन गला-गलाकर
जब तक यय न परा होगा तब तक पग क गत न कगी
आज कह चाह कछ नया कल को बना झक न रहगी
36 आए जस-जस क हमत हो
ह महोदध क छाती म धधक अपमान क वाला
और आजआसत हमाचल मतमान दय क माला
सागर क उाल तरग म जीवन का जी भर कदन
सोन क लका क म लख कर भरता आह भजन
शय तट स सर टकरा कर पछ रही गगा क धारा
सगरसत स भी बढ़कर हा आज आ मत भारत सारा
यमना कहती कण कहा ह सरय कहती राम कहा ह
थत गडक पछ रही ह चगत बलधाम कहा ह
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
अजन का गाडीव कधर ह कहा भीम क गदा खो गयी
कस कोन म पाचजय ह कहा भीम क श सो गयी
अगणत सीताय अपत ह महावीर नज को पहचानो
अपमानत पदाय कतनी समरधीर शर को सधानो
अल को धल चटान वाल पौष फर स जागो
यव वम क जागो चणकप क नय जागो
कोट कोट पो क माता अब भी पीड़त अपमानत ह
जो जननी का ःख न मटाय उन प पर भी लानत ह
लानत उनक भरी जवानी पर जो सख क नद सो रह
लानत ह हम कोट कोट ह कत कसी क चरण धो रह
अब तक जस जग न पग चम आज उसी क समख नत य
गौरवमण खो कर भी मर सपराज आलस म रत य
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
गत गौरव का वाभमान ल वतमान क ओर नहारो
जो जठा खा कर पनप ह उनक समख कर न पसारो
पवी क सतान भ बन परदसी का दान न लगी
गोर क सतत स पछो या हमको पहचान न लगी
हम अपन को ही पहचान आमश का नय ठान
पड़ ए जठ शकार को सह नह जात ह खान
एक हाथ म सजन सर म हम लय लए चलत ह
सभी कत वाला म जलत हम अधयार म जलत ह
आख म वभव क सपन पग म तफान क गत हो
रा भ का वार न कता आए जस जस क हमत हो
37 एक बरस बीत गया
एक बरस बीत गया
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
झलासाता जठ मास
शरद चादनी उदास
ससक भरत सावन का
अतघट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकच म समटा जग
कत वकल ाण वहग
धरती स अबर तक
गज म गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ नहारत नयन
गनत दन पल छन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
38 जीवन क ढलन लगी साझ
जीवन क ढलन लगी साझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन क ढलन लगी साझ
बदल ह अथ
शद ए थ
शात बना खशया ह बाझ
सपन म मीत
बखरा सगीत
ठठक रह पाव और झझक रही झाझ
जीवन क ढलन लगी साझ
39 पनः चमकगा दनकर
आज़ाद का दन मना
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
नई ग़लामी बीच
सखी धरती सना अबर
मन-आगन म कच
मन-आगम म कच
कमल सार मरझाए
एक-एक कर बझ दप
अधयार छाए
कह क़द कबराय
न अपना छोटा जी कर
चीर नशा का व
पनः चमकगा दनकर
40 कदम मलाकर चलना होगा
बाधाए आती ह आए
घर लय क घोर घटाए
पाव क नीच अगार
सर पर बरस यद वालाए
नज हाथ म हसत-हसत
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
आग लगाकर जलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
हाय-दन म तफ़ान म
अगर असयक बलदान म
उान म वीरान म
अपमान म समान म
उत मतक उभरा सीना
पीड़ा म पलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
उजयार म अधकार म
कल कहार म बीच धार म
घोर घणा म पत यार म
णक जीत म दघ हार म
जीवन क शत-शत आकषक
अरमान को ढलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
क़दम मलाकर चलना होगा
समख फला अगर यय पथ
गत चरतन कसा इत अब
समत हषत कसा म थ
असफल सफल समान मनोरथ
सब कछ दकर कछ न मागत
पावस बनकर ढ़लना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
कछ काट स सजत जीवन
खर यार स वचत यौवन
नीरवता स मखरत मधबन
परहत अपत अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आत म
जलना होगा गलना होगा
क़दम मलाकर चलना होगा
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
41 पड़ोसी स
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का मतक नह झकगा
अगणत बलदानो स अजत यह वतता
अ वद शोणत स सचत यह वतता
याग तज तपबल स रत यह वतता
खी मनजता क हत अपत यह वतता
इस मटान क साजश करन वाल स कह दो
चनगारी का खल बरा होता ह
और क घर आग लगान का जो सपना
वो अपन ही घर म सदा खरा होता ह
अपन ही हाथ तम अपनी क ना खोदो
अपन पर आप कहाडी नह चलाओ
ओ नादान पडोसी अपनी आख खोलो
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
आजाद अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तम या जानो आजाद या होती ह
तह मत म मली न कमत गयी चकाई
अज क बल पर दो टकड पाय ह
मा को खडत करत तमको लाज ना आई
अमरीक श स अपनी आजाद को
नया म कायम रख लोग यह मत समझो
दस बीस अरब डालर लकर आन वाली बरबाद स
तम बच लोग यह मत समझो
धमक जहाद क नार स हथयार स
कमीर कभी हथया लोग यह मत समझो
हमलो स अयाचार स सहार स
भारत का शीष झका लोग यह मत समझो
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
जब तक गगा म धार सध म वार
अन म जलन सय म तपन शष
वातय समर क वद पर अपत हग
अगणत जीवन यौवन अशष
अमरीका या ससार भल ही हो व
कामीर पर भारत का सर नही झकगा
एक नह दो नह करो बीस समझौत
पर वत भारत का नय नह कगा
ववध क वर
42 रोत रोत रात सो गई
झक न अलक
झपी न पलक
सधय क बारात खो गई
रोत रोत रात सो गई
दद पराना
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
मीत न जाना
बात ही म ात हो गई
रोत रोत रात सो गई
घमड़ी बदली
बद न नकली
बछड़न ऐसी था बो गई
रोत रोत रात सो गई
43 बलाती तह मनाली
आसमान म बजली यादा
घर म बजली काम
टलीफ़ोन घमत जाओ
यादातर गमसम
बफ ढक पवतमालाए
नदया झरन जगल
करय का दश
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
दवता डोल पल-पल
हर-हर बादाम व पर
लाड खड़ चलगोज़
गधक मला उबलता पानी
खोई मण को खोज
दोन बाह पसार
बलाती तह मनाली
दावानल म मलयानल सी
महक म मनाली
44 अतर
या सच ह या शव या सदर
शव का अचन
शव का वजन
क वसगत या पातर
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
वभव ना
अतर सना
क गत या थलातर
45 बबली क दवाली
बबली लौली क दो
क नह खलौन दो
लब-लब बाल वाल
फल-पचक गाल वाल
कद छोटा खोटा वभाव ह
दख अजनबी बड़ा ताव ह
भाग तो बस शामत आई
मह स झटपट पट दबाई
दौड़ो मत ठहरो य क य
थोड़ी दर करग भ-भ
डरत ह इसलए डरात
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
सघ-साघ कर खश हो जात
इह तनक-सा यार चाहए
नजर म एतबार चाहए
गोद म चढ़कर बठ ग
हसकर पर म लोटग
पाव पसार पलग पर सोत
अगर उतारो मलकर रोत
लकन नद बड़ी कची ह
पहरदारी म सची ह
कह जरा-सा होता खटका
कद भाग मारा झटका
पटका लप सराही तोड़ी
पकड़ा चहा गदन मोड़ी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
बली स मनी परानी
उस पकड़न क ह ठानी
पर बली ह बड़ी सयानी
आखर ह शर क नानी
ऐसी सरपट दौड़ लगाती
क स न पकड़ म आती
बबली मा ह लौली बटा
मा सीधी ह बटा खोटा
पर दोन म यार बत ह
यार बत तकरार बत ह
लड़त ह इसान जस
गस म हवान जस
लौली को कचड़ भाती ह
थ बसती नहलाती ह
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
लोट-पोट कर कर बराबर
फर बतर पर चढ़ दौड़कर
बबली जी चालाक चत ह
लौली बध और सत ह
घर क ऊपर बठा कौवा
बबली जी को जस हौवा
भक-भक कोहराम मचाती
आसमान सर पर ल आती
जब तक कौवा भाग न जाता
बबली जी को चन न आता
आतशबाजी स घबरात
बतर क नीच छप जात
एक दवाली ऐसी आई
बबली जी न दौड़ लगाई
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
बदहवास हो घर स भागी
तोड़ रत ममता यागी
कोई सजन मल सड़क पर
मोटर म ल गए उठाकर
रपट पलस म दज कराई
अखबार म खबर छपाई
लौली जी रह गए अकल
कसस झगड़ कसस खल
बजी अचानक घट टन-टन
उधर फोन पर बोल सजन
या कोई का खोया ह
रग कसा कसा लया ह
बबली जी का प बखाना
रग बखाना ढग बखाना
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
बोल आप तरत आइए
परशान रहम खाइए
जब स आई ह रोती ह
ना खाती ह ना सोती ह
मोटर लकर सरपट भाग
नह दखत पीछ आग
जा पच जो पता बताया
घर घट का बटन दबाया
बबली क आवाज सन पड़ी
ार खला सामन आ खड़ी
बदहवास सी समट-समट
पलभर ठठक फर आ लपट
घर म लहर खशी क छाई
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
मानो दवाली फर आई
पर न चलगी आतशबाजी
का पालो मर ाजी
46 अपन ही मन स कछ बोल
या खोया या पाया जग म
मलत और बछड़त मग म
मझ कसी स नह शकायत
यप छला गया पग-पग म
एक बीती पर डाल याद क पोटली टटोल
पवी लाख वष परानी
जीवन एक अनत कहानी
पर तन क अपनी सीमाए
यप सौ शरद क वाणी
इतना काफ़ ह अतम दतक पर खद दरवाज़ा खोल
जम-मरण अवरत फरा
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
जीवन बजार का डरा
आज यहा कल कहा कच ह
कौन जानता कधर सवरा
अधयारा आकाश असीमताण क पख को तौल
अपन ही मन स कछ बोल
47 मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो गोरी
राजा क राज म
जइयो तो जइयो
उड़क मत जइयो
अधर म लटकहौ
वायत क जहाज़ म
जइयो तो जइयो
सदसा न पइयो
टलफोन बगड़ ह
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
मधा महाराज म
जइयो तो जइयो
मशाल ल क जइयो
बजरी भइ बरन
अधरया रात म
मनाली तो जइहो
सरग सख पइह
ख नीको लाग मोह
राजा क राज म
48 दखो हम बढ़त ही जात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात
उवलतर उवलतम होती ह
महासगठन क वाला
तपल बढ़ती ही जाती ह
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
चडी क मड क माला
यह नागपर स लगी आग
योतत भारत मा का सहाग
उर दण परब पम
दश दश गजा सगठन राग
कशव क जीवन का पराग
अतथल क अवआग
भगवा वज का सदश याग
वन वजनकात नगरीय शात
पजाब सध सय ात
करल कनाटक और बहार
कर पार चला सगठन राग
ह ह मलत जात
दखो हम बढ़त ही जात १
यह माधव अथवा महादव न
जटा जट म धारण कर
मतक पर धर झर झर नझर
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
आलावत तन मन ाण ाण
ह न नज को पहचाना
कत कम शर सधाना
ह यय र ससार र मद म चर
पथ भरा शल जीवन कल
जननी क पग क तनक धल
माथ पर ल चल दय सभी मद मात
बढ़त जात दखो हम बढ़त ही जात२
49 जग न होन दग
हम जग न होन दग
व शात क हम साधक ह जग न होन दग
कभी न खत म फर खनी खाद फलगी
खलहान म नह मौत क फसल खलगी
आसमान फर कभी न अगार उगलगा
एटम स नागासाक फर नह जलगी
यवहीन व का सपना भग न होन दग
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
जग न होन दग
हथयार क ढर पर जनका ह डरा
मह म शात बगल म बम धोख का फरा
कफन बचन वाल स कह दो चलाकर
नया जान गई ह उनका असली चहरा
कामयाब हो उनक चाल ढग न होन दग
जग न होन दग
हम चाहए शात जदगी हमको यारी
हम चाहए शात सजन क ह तयारी
हमन छड़ी जग भख स बीमारी स
आगआकर हाथ बटाए नया सारी
हरी-भरी धरती को खनी रग न लन दग
जग न होन दग
भारत-पाकतान पड़ोसी साथ-साथ रहना ह
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
यार कर या वार कर दोन को ही सहना ह
तीन बार लड़ चक लड़ाई कतना महगा सौदा
सी बम हो या अमरक खन एक बहना ह
जो हम पर गजरी बच क सग न होन दग
जग न होन दग
50 आओ मद नामद बनो
मद न काम बगाड़ा ह
मद को गया पछाड़ा ह
झगड़-फसाद क जड़ सार
जड़ स ही गया उखाड़ा ह
मद क तती बद ई
औरत का बजा नगाड़ा ह
गम छोड़ो अब सद बनो
आओ मद नामद बनो
गलछर खब उड़ाए ह
रस भी खब तड़ाए ह
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
च चपड़ चलगी तनक नह
सर सब क गए मड़ाए ह
उलट गगा क धारा ह
य तल का ताड़ बनाए ह
तम दवा नह हमदद बनो
आयो मद नामद बनो
औरत न काम सहाला ह
सब कछ दखा ह भाला ह
मह खोलो तो जय-जय बोलो
वना तहाड़ का ताला ह
ताली फटकारो झख मारो
बाक ठन-ठन गोपाला ह
गदश म हो तो गद बनो
आयो मद नामद बनो
पौष पर फरता पानी ह
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
पौष कोरी नादानी ह
पौष क गण गाना छोड़ो
पौष बस एक कहानी ह
पौषवहीन क पौ बारा
पौष क मरती नानी ह
फाइल छोड़ो अब फद बनो
आओ मद नामद बनो
चौकड़ी भल चौका दखो
चहा फको मौका दखौ
चलती चक क पाट म
पसती जीवन नौका दखो
घर म ही लटया डबी ह
चटया म ही धोखा दखो
तम कला नह बस खद बनो
आयो मद नामद बनो
51 सपना टट गया
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
हाथ क हद ह पीली
पर क महद कछ गीली
पलक झपकन स पहल ही
सपना टट गया
दप बझाया रची दवाली
लकन कट न अमावस काली
थ आआान
वण सवरा ठ गया
सपना टट गया
नयत नट क लीला यारी
सब कछ वाहा क तयारी
अभी चला दो कदम कारवा
साथी छट गया
सपना टट गया
मय -अटल बहारी वाजपयी
मय -अटल बहारी वाजपयी