102

जमाअत · jamātkīrāhnumāī LeadershipintheJamaat byBakhtullahKhan (Urdu—Hindiscript) ©2017ChashmaMedia publishedandprintedby GoodWord,NewDelhi BiblequotationsarefromUGV

  • Upload
    others

  • View
    0

  • Download
    0

Embed Size (px)

Citation preview

  • जमाअतक

    राहनुमाईब तु लाह ख़ान

  • jamāt kī rāhnumāī

    Leadership in the Jamaatby Bakhtullah Khan(Urdu—Hindi script)

    © 2017 Chashma Media

    published and printed byGood Word, New Delhi

    Bible quotations are from UGV.

    for enquiries or to request more copies:[email protected]

  • लयाक़त कुछ परेशान है। उसे जमात म ख़दमत करते ए पाँच माह हो गए ह। शु मकाम ब त अ छा चलता था। लोग उसके पैग़ामात क क़दर करते थे। उसे घर म आनेक दावत मलती रही। लगता था क लोग उसक ख़दमत से ख़ुश ह। और य न होते,उसने बड़ी मेहनत के साथ तीन साल क े नग हा सल क थी। उसके नज़द क ख़ा दमहोना न सफ़ एक पेशा था ब क वह समझता था क अ लाह ने मुझे इस ख़दमत केलए बुलाया है। वह यक़ न रखता था क ख़ुदा मुझे मुअ सर तौर पर इ तेमाल करनाचाहता है।लयाक़त अ छे दल का मा लक था। वह सर पर न रोब डालने क को शश करता

    और न ही पाट बाज़ी का शकार आ था। तो भी जमात के हालात अ छे नह थे। जबउसे यह बात मालूम ई तो वह पैग़ामात क तैयारी और लोग को व ज़ट करने म मज़ीदव त सफ़ करने लगा। ले कन अफ़सोस क जतनी यादा वह मेहनत करता था उतनेही हालात बगड़ते गए। घर म लोग उसके पीछे फुसफुसाते, बुजग क मी टग म वहग़ से के साथ एक सरे को घूरते। जब वह सुलह क को शश करता तो झगड़नेवालका ग़ज़ब उस पर आन पड़ता। उसे समझ न आई। े नग ने उसे इसके लए तैयार नहकया था।अज़ीज़ क़ारी, हर वह आदमी और औरत जसने जमात म कोई ज़ मेदारी उठाई है

    ज द से महसूस करने लगता है क पाक न व त का वसी इ म रखना और दलकशपैग़ामात देना जमात क क़यादत के लए काफ़ नह है। अगरचे इस क़ मक ख़दमतहर जमात के लए अ वल दजा रखती है, ले कन इन लयाक़त के साथ साथ जमात कराहनुमाई करने क अह लयत भी ब त ज़ री है। जब जमात क राहनुमाई सेहतमंदउसूल के तहत नह चलती तो सरी सारी ख़दमात मुतअ सर होती ह, आपस मरफ़ाक़त कमज़ोर हो जाती है और मबरान बखर जाते ह। ग़रज़ जमात क सहीहराहनुमाई नहायत ज़ री है।

  • 2क़यादत के मुता लक़ बेशुमार मनफ़ मसाल द जा सकती ह, चाहे हम सयासत

    के मैदान पर ग़ौर कर, चाहे मज़हबी इदार या जमात क तरफ़ जू कर। इस सल सलेम हर एक अपनी राम कहानी सुना सकता है, हर एक कसी राहनुमा क ग़लत क़यादतके बारे म बता सकेगा।क़यादत करना र त खाने के बराबर बन गया है और ब त बार राहनुमा का एक ही

    मक़सद होता है क अपनी जेब भरे और अपना असरो-रसूख़ बढ़ाए। लहाज़ा हमआमतौर पर ऐसे लोग को शक क नगाह से देखते ह।या इसका मतलब यह है क हम राहनुमाई के मज़मून से कतराएँ या राहनुमा से

    र रह? बेशक क़ारी का यह ख़याल नह होगा वरना वह यह कताब न पढ़ते। ब कहम सब मानते ह क कसी क ग़लत राहनुमाई उस राहनुमाई को मनसूख़ नह करतीजो सेहतमंद उसूल के तहत क जाती है। और हम सब यह वा हश रखते ह क जमातक सहीह राहनुमाई क जाए। ख़ैर, नयावी क़यादत क बात तो छोड़ द, इसे हम नहबदल सकते। ले कन ईमानदार क जमात क राहनुमाई फ़रक़ है। इसे तर क़ द जासकती है। और हम सब यह बात तसलीम करते ह क जब जमात क राहनुमाई अ लाहके मनसूबे के मुता बक़ चले तो यह पूरी जमात क नशो-नुमा का बाइस बनती है। जबसहीह राहनुमाई होती है तो ख़दमत के सारे शोबे तर क़ करने लगते ह।य हम कह सकते ह क इ क सव सद म जमात का शायद सबसे बड़ा चैलज यह

    है क इसके राहनुमा जमात का बंदोब त सेहतमंद उसूल के मुता बक़ चलाए।ँजमात क राहनुमाई का या मतलब है? हम जमात को कस तरह चलाना चा हए?

    यही इस कताब का मज़मून है।कलामे-पाक राहनुमाई के सल सले म कम से कम सात अहम नमूने पेश करता है।

    इनक तफ़सील अगले सफ़हात म दज है।

  • 1कसान

    खेतीबाड़ी : लानत और बरकत का बाइससबसे पहला पेशा जसका ज़ कलाम म आ है कसान का पेशा है। सबसे पहलाकसान आदम था। जब उसे ह वा समेत बाग़े-अदन से ख़ा रज कर दया गया तो ख़ुदाने फ़रमाया,

    तेरे सबब से ज़मीन पर लानत है। उससे ख़ुराक हा सल करने के लए तुझेउ भर मेहनत-मश क़त करनी पड़ेगी। तेरे लए वह ख़ारदार पौदे औरऊँटकटारे पैदा करेगी, हालाँ क तू उससे अपनी ख़ुराक भी हा सल करेगा।पसीना बहा बहाकर तुझे रोट कमाने के लए भाग-दौड़ करनी पड़ेगी।और यह सल सला मौत तक जारी रहेगा। तू मेहनत करते करते बाराज़मीन म लौट जाएगा, य क तू उसी से लया गया है। तू ख़ाक है औरबारा ख़ाक म मल जाएगा। (पैदाइश 3:17-19)

    बाग़े-अदन म आदम और ह वा बग़ैर मेहनत-मश क़त के ज़मीन के हर फल से खासकते थे। ले कन गुनाह के नतीजे म आदम का काम मु कल हो गया। उस व त सेज़मीन इनसान को ख़ुद बख़ुद ख़ुराक मुहैया नह करती ब क इनसान को ब त कुछसोचना और करना पड़ता है ता क उसे काफ़ मक़दार म ज़मीन क पैदावार हा सल होजाए। ज़मीन को तैयार करना पड़ता है, फ़सल बोने के बाद उ ह फ़तरी मन यानी

  • कसान 4ख़राब मौसम, जानवर , क ड़ और बीमा रय से महफ़ूज़ रखना पड़ता है वग़ैरा। ले कनसरी तरफ़ यह अ लाह क मरज़ी है क जो मेहनत करे उसे ख़ुदा से बरकत मलतीहै। जो मेहनत-मश क़त से इनकार करता है उसे अ लाह क बरकत नह मल सकती।ख़ुदा के इस फ़रमान म यह उसूल भी पाया जाता है क जतनी यादा हम मेहनत करउतनी ही हम अ लाह क बरकत हा सल होती है और हम तर क़ पाते ह।

    हमारी मज़बूती क इलाही बु नयादपौलुस रसूल जमात क ख़दमत बयान करने के लए खेतीबाड़ी का नमूना पेश करताहै,

    अपु लोस क या है सयत है और पौलुस क या? दोन नौकर ह जनकेवसीले से आप ईमान लाए। और हम म से हर एक ने वही ख़दमत अंजामद जो ख़ुदावंद ने उसके सपुद क । मने पौदे लगाए, अपु लोस पानी देतारहा, ले कन अ लाह ने उ ह उगने दया। लहाज़ा पौदा लगानेवाला औरआबपाशी करनेवाला दोन कुछ भी नह , ब क ख़ुदा ही सब कुछ है जोपौदे को फलने-फूलने देता है। पौदा लगाने और पानी देनेवाला एक जैसे ह,अलब ा हर एक को उसक मेहनत के मुता बक़ मज़ री मलेगी। य कहम अ लाह के मुआ वन ह जब क आप अ लाह का खेत और उसकइमारत ह। (1 कु र थय 3:5-9)

    कु रथुस क जमात म पाट बाज़ी ने सर उठा लया था। कई मबरान कह रहे थे क हमअपु लोस के लोग ह, और सरे यह क हम पौलुस रसूल के ह। इस पाट बाज़ी म ख़ुदअपु लोस या पौलुस का कोई हाथ नह था। बाज़ एक मबरान ख़ुद ही अपनी पाट बाज़ीके लए इन दोन को इ तेमाल कर रहे थे।शायद अगर हमारी जमात म हमारे बारे म ऐसी बात कही जात तो हम ख़ुश होकर

    इनक हौसलाअ ज़ाई करते या कम से कम ऐसी बात न रोकते। आ ख़र कौन ख़ुशन होता अगर कोई यह कहता क म उसका शा गद ँ या वह मेरा लीडर है! इससेहमारी इ ज़त बढ़ती है और ज़ा हरन कसी का नुक़सान नह होता। इस क़ म कबात शायद इ तदा म नुक़सानदेह न लगत , ले कन अगर इनसे मना न कया जाए तोआ ह ता आ ह ता हम चौधरी बनने लगते ह। अंजाम यह होता है क हम र ता र ताउसी पाट बाज़ी म शा मल हो जाते ह जसे हम ख़ुद पसंद नह करते।

  • 5 कसानपौलुस का जवाब ज़बरद त है। वह फ़ौरन इस नुक़सानदेह पौदे को जड़ से नकाल

    देता है। वह फ़रमाता है, “मने पौदे लगाए, अपु लोस पानी देता रहा” यानी हम दोन नेट म क सूरत म काम कया है। अपु लोस का काम फ़रक़ और मेरा काम फ़रक़ था।उसक और मेरी नेमत फ़रक़ ह, ले कन हमारा मक़सद एक ही था क जमात क नशो-नुमा हो जाए। और यह भी पेशे-नज़र रखना चा हए क अगरचे उन दोन क ख़दमतअ छ और मुअ सर थी, तो भी उनका तमाम काम अ लाह क बरकत पर मुनह सरथा। पौलुस फ़रमाता है, “ले कन अ लाह ने उ ह उगने दया।”यहाँ पौलुस रसूल का करदार नहायत मज़बूत नज़र आता है। वह सर क

    कामया बय से ख या हसद महसूस नह करता ब क पूरी आज़ाद के साथ कहसकता है क हम तमाम मददगार को एक सरे क ज़ रत है। हम एक ट म ह औरहमारा एक ही मक़सद है, क ईमानदार तर क़ करके फल लाए।ँ शायद कोई मझसेबेहतर पैग़ाम सुना सके। ताहम म ख़ुश ँगा, य क मेरी क़दर इस पर मुनह सर नहक म हर शोबे म सर से आगे ँ। ब क मेरी क़दर ख़ुदा के उस नजातब श कामपर मबनी है जो उसने मेरे और सरे क ख़ा तर कया है। ख़दमत के लहाज़ से हमारेशोबे और नेमत मु त लफ़ ह, ले कन हमारा मक़सद एक ही है क जमात क तर क़हो। आ ख़र सफ़ एक ही ह ती है जो पौद को बढ़ा सकती है और वह है अ लाहक़ा दरे-मुतलक़।इस इनक़लाबी तस वुर ने इ तदाई जमात को वह ताक़त द जसने उसे नया के

    कोने कोने तक प ँचने म ब त मदद क । जब हम इसी तरह अपनी ख़दमत सरंजामदगे तो हम भी पूरी आज़ाद के साथ ख़दमत कर सकगे। हम सरे मददगार को ख़तरेका बाइस नह समझगे, न उनके बारे म हसद महसूस करगे। इस लए क हमारी मज़बूतीऔर इतमीनान हमारी अपनी कामया बय पर मुनह सर नह ब क अ लाह के पहलेसे हमारे लए कए गए काम पर।कसान का या काम है जो जमात क राहनुमाई से मुता बक़त रखता है?

    ज़ मेदा रयाँ सर को स पनाअगर कसान के पास सफ़ थोड़ी-सी ज़मीन है तो वह सब कुछ ख़ुद सँभाल सकताहै। ले कन जतनी उसक ज़मीन बढ़ेगी उतनी ही वह को शश करेगा क मु त लफ़

  • कसान 6ज़ मेदा रयाँ सर को स पे। जस ज़ मेदार श स ने कभी कसी को कोई ज़ मेदारीद है वह जानता है कअकसरऔक़ात यहकामआसान नह । ले कन ब त बार कसानको यह करना पड़ता है। तब वह अपनी ज़ रयात के मुता बक़ लोग को चुनता, उनकोतर बयत देताऔर उनको कं ोल करता है। मसलन जब गं म क कटाई का व तआयातो वह मज़ र को ढँडने म देर नह करता, वरना बड़ा इमकान है क फ़सल ज़ाया होजाए।ले कन हम यहाँ सफ़ मज़ र क बात नह कर रहे। बड़ा ज़मीनदार न सफ़ मज़ र

    लगाता है ब क ज़ मेदार लोग भी, जो मज़ र को सँभाल सकते ह। चूँ क ज़मीनदारएक ही व त हर जगह मौजूद नह हो सकता, इस लए ला ज़म है क वह ऐसे लोगचुने जन पर उसका पूरा एतमाद हो और जो उसक ग़ैरमौजूदगी म भी खेतीबाड़ी कासारा काम सँभाल सक, जो मज़ र को सहीह व त और सहीह जगह पर लगा सक,जो ज़मीनदार क पूरी मनसूबाबंद को जानते ह और इसके मुता बक़ काम चला सक।ग़रज़ ऐसे लोग जो ज़ मेदार और ख़ुदमु तार होते ए ज़मीनदार क मरज़ी पूरी कर।अकसर ऐसे लोग को पहले अपने साथ रखने क ज़ रत होती है ता क उ ह जाँचा

    जा सके, उ ह े नग द जा सके और उ ह छोट छोट ज़ मेदा रयाँ द जाएँ ता क पताचले क वह कतने क़ा बल ह। अगर वह इन ज़ मेदा रय को सँभालने म कामयाब हतो फर र ता र ता उनक ज़ मेदा रयाँ बढ़ा द जाती ह। कामयाब कसान क पूरीको शश यह होगी क ऐसा श स अपनी ज़ मेदा रयाँ पूछे बग़ैर उठाए और सफ़ उसव त मशवरा ले जब बड़े बड़े फ़ैसले करने ह ।हमारी जमात क राहनुमाई कसान के इस नमूने से कतनी र हो गई है! कमख़ा दम

    इस उसूल क कमी को महसूस करते ह ब क जतनी यादा ज़ मेदा रयाँ उनके अपनेकंध पर डाली जाती ह उतना ही वह ख़ुश होते ह। इसके बावुजूद अ लाह का शु हैक उन ख़ा दम क तादाद बढ़ती जा रही है जो तमाम ज़ मेदा रय को तक़सीम करनाऔर सर के साथ मलकर काम करना अपनी ख़दमत का एक अहम ह सा समझतेह। और जब हम ऐसी जमात पर ग़ौर करते ह तो फ़ौरन पता चलता है क यह सरक नसबत आगे ह।

  • 7 कसानमनसूबाबंदआजकल यह कहना ग़लत नह होगा क कामयाब कसान एक तरह का सायंसदानहोता है। उसे ब त-सारी चीज़ के बारे म इ म रखने क ज़ रत होती है। मसलन कौन-सी फ़सल कस मौसम म का त करनी है, कतना बीज डालना है, कौन-से पौदे कसज़मीन म ख़ूब उगते ह। मु त लफ़ ज़मीन को मु त लफ़ खाद क ज़ रत होती है।फर ज़मीन के हालात साल बसाल बदलते रहते ह। मौसम हर साल फ़रक़ होता है।फ़सल क ज़ रयात हर साल मु त लफ़ होती ह। क ड़ -मकोड़ और बीमा रय केख़तरात बदलते जाते ह। ख़ुद ज़मीन क हालत बदलती जाती है। एक साल उसे एकक़ म क खाद क ज़ रत होती है तो सरे साल कसी और क । अगर हमेशा सफ़एक ही फ़सल उगाई जाए तो ज़मीन ज द से बंजर हो जाती है। इस लए जो कसानअपने खेत से यादा फ़ायदा उठाना चाहता है वह लगातार अपनी फ़सल और ज़मीनपर नज़र रखता, सर से मशवरे लेता और अपना इ म बढ़ाने के लए रे डयो, ट वीऔर रसाल से मदद लेता है।कई पौद , फ़सल या फलदार दर त पर दवाई छड़कने क ज़ रत भी होती है।

    ले कन दा नशमंद कसान बेसोचे-समझे दवाई नह छड़कता, य क उसे इ म होता हैक दवाई महँगी है, ब क इसका ग़लत इ तेमाल नुक़सानदेह भी है। लहाज़ा वह बड़ीसोच- बचार के बाद ही दवाई छड़केगा।उसे हसाब- कताब करने क ज़ रत भी होती है। बीज बोने से पहले वह अंदाज़ा

    लगाता है क या इस फ़सल से मनाफ़े होगा क नह । कई बार वह हसाब- कताब केबाद अंदाज़ा लगाता है क इस साल इस फ़सल से मेरा ख़चा पूरा नह होगा। य वहकोई और बीज बोएगा। बेशक कसान का मक़सद यह होता है क वह पैदावार बढ़ाए,ले कन साथ ही वह जानता है क मेरे पास पैसे मह द ह, इस लए ला ज़म है क उ हअ ल के साथ ख़च क ँ ।जमात क ख़दमत म भी मनसूबाबंद क अश ज़ रत होती है। जमात का

    दा नशमंद राहनुमा मनसूबाबंद के लए व त नकालेगा, चाहे उसके पास व त होया न हो। मनसूबाबंद ब त ज़ री है, और इस म सु ती पूरी जमात के लए ख़तरे काबाइस बनती है। लहाज़ा राहनुमा रोज़ाना ख़ुदा के सामने घुटने टेककर उससे म तकरेगा क क़यादत म मेरी मदद कर। मुझ पर आगे का रा ता ज़ा हर कर।

  • कसान 8मनसूबाबंद का यह पहलू पौलुस रसूल क ख़दमत म ख़ूब नज़र आता है। वहल-क़दस् क हदायत के तहत बड़ी समझ के साथ अपनी ख़दमत सरंजाम देता

    था। मसलन वह हर शहर म पहले य दय के इबादतख़ान म जाया करता और इसकेबाद ही ग़ैरय दय को ख़ुशख़बरी सुनाता था। और एक शहर म प ँचते ही वह अगलेशहर तक ख़ुशख़बरी प ँचाने के मनसूबे बनाने लगता।जो जमात म खेतीबाड़ी का काम करता है, उसे अपनी और पूरी जमात क ताक़त

    का अंदाज़ा लगाना पड़ता है। वह इस ताक़त को बेसोचे-समझे ज़ाया नह करेगा, ब कअंदाज़ा लगाएगा क हम यह ताक़त कस तरह यादा मुअ सर तरीक़े से अ लाह काजलाल बढ़ाने के लए इ तेमाल कर सकते ह। और यह एक तसलसुल है जो कभी भीख़ म नह होता। जस तरह ज़मीन , मौसम और फ़सल के हालात बदलते रहते हउसी तरह जमात के हालात भी बदलते रहते ह। जो मनसूबाबंद कल के हालात के लएमौज़ूँ रही वह आज के लए नुक़सानदेह हो सकती है।

    ज़मीन क तैयारीकई बार ज़मीन को प थर , झा ड़य या सीम से साफ़ करना पड़ता है, ख़ासकर अगरउसे पहली बार इ तेमाल करना है। फर उस म हल चलाना ज़ री है।जमात मभी ज़मीनक तैयारी ब तज़ री है। कसी नई जगह परअंधा-धुंद तबलीग़ी

    काम करना उतना मुअ सर नह जतना क वह काम जहाँ पहले ज़मीन तैयार कर लीगई हो।तबलीग़ी काम का एक झान यह है क तबलीग़ करनेवाले दौरा करके र-दराज़

    इलाक़ म तबलीग़ी पैग़ाम सुनाते ह। अगरचे यह तरीक़ा ग़लत नह तो भी यह अकसरऔक़ात जमात क तामीर का बाइस नह बनता। य ? एक साल या कई माह के बादचंद एक पैग़ाम सुनाने से या हो सकता है। लोग पर असर उस व त होता है जब हमउनके दर मयान रहते, मुतवा तर उन म ख़दमत करते और उनके लए अ छा नमूनाबनते ह। शा गर दयत का यही मतलब है।इन दन म तैयारी क एक मसाल सामने आई है। दो ख़ा दम म एक ऐसे इलाक़े

    के लए बोझ पैदा आ जहाँ ब त आबाद होने के बावुजूद जहालत का राज है। रोज़ारखने और आकरने के बाद उ ह महसूस आ कख़ुदा उ ह उस इलाक़े म ख़ुशख़बरी

  • 9 कसानका पैग़ाम सुनाने के लए बुला रहा है। उ ह ने या कया? उ ह ने कुछ देर के लए पूरेइलाक़े का सव कया। जगह बजगह जाकर उ ह ने लोग से दो ती पैदा करके हर गाँवके बारे म मालूमात हा सल क । आ ख़रकार उ ह ने हसाब लगाकर महसूस कया कएक जगह काम के आग़ाज़ के लए यादा मौज़ूँ है। य क वह हमसे यादा र नहहै, वहाँ आसानी से बस के ज़रीए प ँचा जा सकता है और लोग भी हमारी ख़दमत सेमुतअ सर हो रहे ह।लोग को मज़ीद व ज़ट करने के बाद उ ह ने फ़ैसला कया क फ़लहाल हम बड़

    के लए इबादत शु नह करगे ब क ब च के लए। ला ज़म नह क नया काम ब चही से शु हो जाए, ले कन इसका यह फ़ायदा आ क र ता र ता ब च म से कुछमददगार तैयार ए जो ख़ुद ख़दमत म ह सा लेने लगे। अब यह ब चे बड़े होकर ख़ुदबड़ क इबादत क राहनुमाई कर सकते ह। य आ ह ता आ ह ता कलाम का असरउस नई जगह पर होने लगा।

    बीज बोनाज़मीन क तैयारी ब त ज़ री है, ले कन अगर उस म बीज ही न बोया जाए तो सारीमेहनत बेफ़ायदा है। ईसा अल-मसीह ने म ी 13 म बीज बोने क अह मयत पर ज़ोरदया। यह बीज अ लाह का कलाम है। बीज बोनेवाले का पहला फ़ज़ यह है क वहपूरी ज़मीन म बीज बोए। बीज उगाने का अमल अ लाह का काम है। इस लए हमारीबु नयाद फ़कर यह होनी चा हए क कलाम लोग के दल म ईमान पैदा करे और उसेबढ़ाए।अ लाह का कलाम ही लोग को बदल सकता है। इससे वह बेदार हो जाते और ख़ुद

    फल लाने लगते ह। फर यह अमल नई जमात क तामीर का बाइस बन जाता है। नईजमात सफ़ उस व त ख़ुदमुख़तार बन सकती है जब उस म लोग कलाम से मुतअ सरहोकर नए सरे से पैदा होकर अ लाह क मरज़ी के मुता बक़ चलने लगते ह।

  • कसान 10आबपाशीहर कसान पानी क अह मयत को जानता है। जहाँ पानी नह होता वहाँ ज़दगीनामुम कन है। पछले साल म कई इलाक़ म पानी क क़ लत रही। चाहे कतनेही मनसूबे य न बनाए जाए,ँ अगर पानी न हो तो यह तमाम मनसूबे फ़ज़ूल ह। ख़ुदाअपनी मरज़ी के मुता बक़ पानी देता है। बेशक हम उसे जमा करके खेत क तरफ़ लेजा सकते ह, ले कन हम उसे ख़ुद पैदा नह कर सकते। य हम महसूस होता है क हरजमात क कामयाबी अ लाह के फ़ज़ल पर मबनी होती है। इस म हमारा ह सा थोड़ाही है, अगरचे अ लाह ब त ख़ुशी महसूस करता है जब हम काम म ह सा लेते ह।हम कसतरहख़ुदा का पानी तैयारशुदा खेत तक प ँचा सकते ह? मु त लफ़ ो ाम

    मसलन बड़ और ब च के लए इबादत और व ज़ट करने से।सूबा पंजाब इस नाते से हम ब त कुछ सखा सकता है। अगर उस म आबपाशी केलए नहर और ूबवेल न होते तो ब त-सारे इलाक़ म खेतीबाड़ी नामुम कन होती।आबपाशी का बेहतर इंतज़ाम ही हमारी तेज़ी से बढ़ती ई आबाद को ख़ुराक मुहैयाकर सकता है।इसी तरह हम भी को शशकर कआबपाशी का ऐसा बंदोब त हो जाए जससे हमारी

    जमात फलती-फूलती रह। ब च म ख़दमत क जो मसाल पेश क जा चुक है एकऐसी नहर बन गई है जससे उस जगह क आबपाशी हो रही है।

    सेहतमंद नशो-नुमा क फ़करपौद के फूट नकलने के बाद भी कसान को फ़सल पर लगातार यान रखने क ज़ रतहै। जब क ड़े-मकोड़े पौद पर टूट पड़ तो उ ह मुअ सर दवाई से ख़ म करना पड़ेगा।जड़ी-बू टय को भी नकालना है।इसी तरह जमात का कसान भी जमात के काम पर यान रखता है। वह ऐसे ख़तरात

    के लए ह सास रहता है जनसे मबरान को नुक़सान प ँच सके। जब ग़लत ख़यालातउभरने लगते ह तो वह उ ह उखाड़ने क को शश करता है। कई बार नई जमात केअफ़राद ग़लत हरकात का शकार हो जाते ह। राहनुमा को इसके लए ख़बरदार रहना

  • 11 कसानपड़ता है। अगर कसी से कोई संगीन और ज़ा हरी गुनाह सरज़द हो जाए तो ला ज़म हैक राहनुमा उसे तंबीह क दवाई दे।कुछ जमात का नज़मो-ज़ त कमज़ोर है। लोग को तंबीह नह क जाती। यह ब त

    ज़ री है क मबरान के गुनाह को न दबाया जाए। अगर लोग को उनके गुनाह के बारेम आगाह न कया जाए तो उ ह कस तरह माफ़ मल सकेगी? फर उनका सर औरअ लाह के साथ ता लुक़ कस तरह बहाल हो सकेगा? फर वह कस तरह हानीतर क़ कर सकगे? सरी तरफ़ ऐसे लोग सर के लए ग़लत नमूना सा बत होते हऔर ख़तरा है क यह बीमारी पूरी जमात म फैल जाए। लहाज़ा राहनुमा जुरअत करेऔर ऐसी हरकात को जड़ से नकाल दे ता क यह बीमारी वबा क तरह न फैले।

    फ़सल क कटाईफर फ़सल काटने का व त आता है। फ़सल पकने के बाद ही इसे काटा जाता है। कौनफ़सल को पकने से पहले काटेगा? इसी तरह हानी कसान उस व त के इंतज़ारम रहता है जब वह फ़सल काट सकेगा। सफ़ वह राहनुमा जो ह सास और बेदार हैहानी फ़सल के पकने को पहचान लेता है। यानी एक व त आता है जब वह देखता

    है क लोग तौबा करने के लए तैयार ह या क वह जमात क़ायम करने के लए तैयारह या क वह ख़ुद ज़ मेदा रयाँ उठाने के लए तैयार ह या क वह ख़ुद सरी जगह परख़ुशख़बरी सुनाने के लए तैयार ह। ऐसे मौक़ पर बेदार ख़ा दम लोग को अगले मरहलेतक प ँचने के लए उभारेगा। इस मक़सद के लए वह कोई इजतमा या से मनार करासकता है। उसे घर घर जाकर लोग को उभारने क भी ज़ रत है।फ़सल काटने से हम एकऔर पहलू भी नकाल सकते ह जसका ज़ पौलुस रसूल

    करता है,कौन अंगूर का बाग़ लगाकर उसके फल से अपना ह सा नह पाता?(1 कु र थय 9:7)

    मतलब है क ख़ा दम क माली ज़ रयात को पूरा करना जमात क ज़ मेदारी होतीहै। यहाँ वह फ़लटाइम ख़ा दम क बात कर रहा है जसके पास इतना व त नह क वहख़दमत के अलावा कसी और काम से पैसे कमाए। अगरचे पौलुस रसूल ने कु र थयसे कुछ वसूल नह कया था तो भी वह हक़दार था क उसक ज़ रयात पूरी क जात ।

  • कसान 12कभी कभी जमात फ़लटाइम ख़ा दम को ब त कम पैसे देती ह। अगर ख़ुदा के ख़ा दमतंगद ती से ज़दगी गुज़ार तो या अजब क उनका म ार घटता जा रहा है। या ऐसेलोग ख़ा दम ह जो सरे शोब म फ़ेल हो गए ह? या ऐसे लोग ख़ा दम ह जो अ लाहक बादशाही क वुसअत के लए हर क़ म क क़रबानी देने के लए तैयार ह? सुनने मआया है क जब कोई कसी और काम म कामयाब नह हो सकता तो वह कूल ट चरबन जाता है। अगर वह इस म भी नाकाम रहे तो वह ख़ा दम बन जाता है। बेशक इसबात का इतलाक़ सब ख़ा दम पर नह होता। ऐसे ख़ा दम भी ह जो क़ा बल भी ह औरजो जाँ फ़शानी से ख़दमत भी सरंजाम देते ह। तो भी इस म शक नह क हमारे सबसेलायक़ नौजवान अकसर ख़दमत के काम म दा ख़ल नह होना चाहते।फ़सल काटने का एक तीसरा पहलू भी है। कसान पूरी फ़सल नह खाएगा ब कजतना हो सके उसे बचाकर सरे काम के लए इ तेमाल करेगा जनसे उसक दौलतबढ़ सके। एक ह सा वह अगले साल के बीज के तौर पर महफ़ूज़ रखेगा और एकह सा अपनी ज़ रयात पूरी करने के लए बेचेगा। ले कन उसक पूरी को शश यहहोगी क वह न सफ़ अपनी ज़ रयात पूरी करे ब क जतना हो सके पैसे बचाए रखेता क मज़ीद ज़मीन या खेतीबाड़ी क मशीन ख़रीद सके।कई ख़ा दम ने यह फ़न सीख लया है। उ ह ने अपने पैसे, अपना व त और अपनी

    ताक़त सहीह जगहऔर सहीह लोग पर लगाई। नतीजे म उनक जमात फल-फूल रहीहै। न सफ़ यह ब क वह इतने समझदार ह क वह अपनी जमात क ताक़त सरीजगह पर नई जमात क़ायम करने के लए भी इ तेमाल कर सकते ह। अफ़सोस कऐसे बेशुमार ख़दमतगुज़ार भी होते ह जो अपनी ताक़तऔर अपना व त एक ही जगहपर सफ़ करते ह। य न उनक अपनी ज़ रयात पूरी होती ह और न वह जमात कताक़त को सरे इलाक़े जीतने के लए ही इ तेमाल कर सकते ह।

    मुतज ससऔर सीखनेवाली हजो कसान कामयाब रहना चाहता है वह नई बात सीखने से कभी नह कतराता। बेशकउसने ब त-से तज रबात हा सल कए ह, ताहम वह नई बात सीखने के लए तैयाररहता है।

  • 13 कसानउसे यह इ म रखने क ज़ रत है क फ़लहाल कौन-सी पैदावार से यादा नफ़ामलेगा। खेतीबाड़ी के कौन-से तरीक़े यादा मुअ सर ह? कौन-सी मशीन उसका बोझहलका कर सकती ह, कौन-सी खाद मुअ सर है, कौन-सी दवाइयाँ यादा मुअ सरऔरकम नुक़सानदेह होती ह। ब त साल पहले डीडीट क दवाई ब त इ तेमाल क जातीथी ले कन फर पता चला क यह दवाई इनसान के आसाबी नज़ाम को ब त नुक़सानप ँचा सकती है। एक जाननेवाली क उँग लयाँ इस दवाई से बे हस हो गई ह। आजकलयह दवाई एह तयात से इ तेमाल होती है। हो शयार कसान इस पर यान रखता है ककौन-सी दवाई उसक अपनी ज़मीन और इनसान के लए कम से कम नुक़सानदेह है।थोड़ा अरसा पहले अख़बार म दवाइय के बारे म एक मज़मून छपा, जस म लखा थाक कई कसान अपनी स ज़ी को मंडी भेजने से पहले दवाई लगाते ह ता क वह ज दसे ख़राब न हो जाए। हो सकता है क क़ारी यह बात पढ़ते ए कोई ऐसी ही स ज़ी खारहा हो। हो सकता है क जो स ज़ी या फल ख़ूबसूरत और दलकश लगे अंदर से ख़राबहो। और मुम कन है क जस स ज़ी या फल पर क ड़ या ओल के नशान ह सेहतके लए बेहतरीन हो।जो कसान सीखने के लए तैयार नह रहता वह ऐसी बात से वा क़फ़ नह होगा या

    उ ह नज़रंदाज़ करेगा। ले कन यह न सफ़ सर के लए ब क ख़ुद उसके लए भीनुक़सान का बाइस बन सकता है। कहा जाता है क कोई कसान कसी फ़ै टरी का गंदापानी अपने खेत के लए इ तेमाल करने लगा। पहले साल उसक स ज़ी ब त अ छथी। ले कन अगले साल कुछ भी न उगा, य क ज़मीन बंजर हो चुक थी। उस कसानको पहले पता करना चा हए था क इस पानी म या है।इसी तरह कई बार जमात क हालत बै नी तौर पर ब त ख़ूबसूरत लगती है जब क

    ज़हर अंदर ही अंदर उसक ज़दगी को ख़ म कर रहा होता है।

  • 2ठेकेदार

    कसान के साथ साथ पौलुस रसूल एक और त वीर भी इ तेमाल करता है यानी ठेकेठेकेदार क ,

    हम अ लाह के मुआ वन ह जब क आप अ लाह का खेत और उसकइमारत ह। अ लाह के उस फ़ज़ल के मुता बक़ जो मुझे ब शा गया मनेएक दा नशमंद ठेकेदार क तरह बु नयाद रखी। इसके बाद कोई और उसपर इमारत तामीर कर रहा है। ले कन हर एक यान रखे क वह बु नयाद परइमारत कस तरह बना रहा है। य क बु नयाद रखी जा चुक हैऔर वह हैईसा मसीह। इसके अलावा कोई भी मज़ीद कोई बु नयाद नह रख सकता।जो भी इस बु नयाद पर कुछ तामीर करे वह मु त लफ़ मवाद तो इ तेमालकर सकता है, मसलन सोना, चाँद , क़ मती प थर, लकड़ी, सूखी घास याभूसा, ले कन आ ख़र म हर एक का काम ज़ा हर हो जाएगा। क़यामत केदन कुछ पोशीदा नह रहेगा ब क आग सब कुछ ज़ा हर कर देगी। वहसा बत कर देगी क हर कसी ने कैसा काम कया है। अगर उसका तामीरीकाम न जला जो उसने इस बु नयाद पर कया तो उसे अ मलेगा। अगरउसका काम जल गया तो उसे नुक़सान प ँचेगा। ख़ुद तो वह बच जाएगामगर जलते जलते।

  • 15 ठेकेदारया आपको मालूम नह क आप अ लाह का घर ह, और आप म

    अ लाह का ह सुकूनत करता है? अगर कोई अ लाह के घर को तबाहकरे तो अ लाह उसे तबाह करेगा, य क अ लाह का घर मख़सूसो-मुक़ स है और यह घर आप ही ह। (1 कु र थय 3:9-17)

    ठेकेदार यहाँ या काम करता है? वह न सफ़ इमारत का न शा बनाता है ब कपूरी बल डग क ज़ मेदारी उसी क है। वह लागत का अंदाज़ा लगाकर ट, सीमट,रेत, बजरी, स रया और तमाम मट रयल बाज़ार से मँगवाता है। वह मज़ र लगाता है।तामीर का सारा काम ठेकेदार के हाथ म है, इस लए अ छा ठेकेदार मज़ र के काम कनगरानी करता है। वह चैक करता है क या उ ह ने मसाले म रेत और सीमट सहीहमक़दार म डाला है, या वह इमारत को ऐन न शे के मुता बक़ बना रहे ह और यावह मलकर और पूरे जोश से काम करते ए मुक़ररा व त तक इमारत को तकमीलतक प ँचा सकगे क नह । ग़रज़ वह इसका ज़ मेदार है क इमारत मा लके-मकान कवा हश के मुता बक़ हो और म ार के लहाज़ से पायदार और क़ा बले-एतबार हो।अगर ठेकेदार म ारी काम न करे तो यह इमारत मा लके-मकान क ज़दगी के लए

    नुक़सानका बाइस हो सकती है। फर चाहे इस पर कतने ही पैसे य न लगाए,ँ बल डगपर भरोसा नह कया जा सकता। बीसव सद के आग़ाज़ म एक बहरी जहाज़ बनायागया जसक पूरी नया ने ब त तारीफ़ क । यह टाइटै नक के नाम से मश र हो गया।इस जहाज़ म हर क़ म क स लत थी। तो भी वह अपने पहले ही सफ़र के दौरान बफ़के बड़े तोदे से टकराकर थोड़े लमह के अंदर अंदर ग़रक़ हो गया। अगरचे इस तबाहीम सबसे बड़ी ग़लती क तान क थी, ले कन यह भी कहा जाता है क इसका हफ़ाज़तीइंतज़ाम ब त ना क़स था। अ वल, जहाज़ को इस तरह बनाया जाना चा हए था क वहइतनी ज द से न डूब जाए। वुम, लाइफ़बोट क क़ लत थी वरना तमाम मुसा फ़रबच सकते थे। इस तरह कई इमारत होती ह जो तामीर के दौरान ही गर जाती ह। य ?इस लए क या तो न शा ना क़स होता है या ना क़स मट रयल इ तेमाल कया जाताहै।इसका ज़ हो चुका है क पौलुस रसूल 1 कु र थय 3 म ऐसे लोग को तंबीह

    करता है जो पाट बाज़ी का शकार ह। यहाँ वह बल डग क तामीर क मसाल पेशकरके फ़रमाता है क मने न शा तैयार करके बु नयाद डाली यानी ईसा अल-मसीह कानजातब शकलाम सुनाया जससे जमात क़ायम ई। ले कन अपु लोस ने इस बु नयाद

  • ठेकेदार 16पर लोग को मज़ीद तालीम द जो उसक तर क़ का बाइस बनी। ताहम सफ़ वह चीज़क़ायम रहेगी जो अ लाह के कलाम के मुता बक़ है।अभी तक पौलुस रसूल ने कसी ख़ास इमारत का ज़ नह कया, ले कन अब वह

    जमात का बैतुल-मुक़ स के साथ मुवाज़ना करता है।याआपको मालूम नह कआपअ लाह का घर ह, औरआप मअ लाहका ह सुकूनत करता है? अगर कोई अ लाह के घर को तबाह करे तोअ लाह उसे तबाह करेगा, य क अ लाह का घर मख़सूसो-मुक़ स हैऔर यह घर आप ही ह। कोई अपने आपको फ़रेब न दे। अगर आप म सेकोई समझे क वह इस नया क नज़र म दा नशमंद है तो फर ज़ री हैक वह बेवुक़ूफ़ बने ता क वाक़ई दा नशमंद हो जाए।(1 कु र थय 3:16-18)

    इन आयात के पीछे या सोच है? यह क जमात बाज़ार क आम-सी कान नह हैजस म हर क़ म के लोगआते-जाते ह, ब क यह अ लाह के लए मख़सूस इमारत है।इस म ल-क़दस् क़याम करता है, इस लए यह मक़ दस है। लहाज़ा इसक तामीरभी आम मकान क तामीर से फ़रक़ है। अगरचे आम मकान का ठेकेदार भी उसकहफ़ाज़त का ज़ मेदार होता है, ले कन अ लाह के घर क तामीर के लए ज़ मेदारलोग कोऔरभीख़बरदार रहने क ज़ रत है। इस लए कयह मकान मुक़ स है, इसकेइबादतगुज़ार मुक़ स ह और अगर उ ह हानी तौर पर ख़सारा प ँचे तो ठेकेदार कोभी ख़सारा प ँचेगा।तामीर का यह काम कस तरह अदा करना चा हए? यह समझने के लए आइए हम

    कुछ व त के लए इस पर ग़ौर कर क तौरेत के ज़माने म अ लाह के घर क तामीरकस तरह ई थी।

    मुलाक़ात का ख़ैमा : पूरी जमात का शाहकारया आपने कभी बज़ लयेल और उह लयाब के बारे म सुना है? बज़ लयेल औरउह लयाब पहले बैतुल-मुक़ स क तामीर के ठेकेदार थे। यह बैतुल-मुक़ स य शलमम नह था ब क रे ग तान म।और चूँ क इसराईली सफ़र कर रहे थे इस लए यह बैतुल-मुक़ स एक तंबू था। उसे मुलाक़ात का ख़ैमा कहा गया, और वह उस व त बन गया

  • 17 ठेकेदारजब इसराईली मसर से नकलकर बयाबान म से मु के-फ़ल तीन क तरफ़ बढ़ रहेथे।

    फर रब ने मूसा से कहा, “मने य दाह के क़बीले के बज़ लयेल बन ऊरीबन र को चुन लया है ता क वह मुक़ स ख़ैमे क तामीर म राहनुमाईकरे। मने उसे इलाही ह से मामूर करके हकमत, समझ और तामीरके हर काम के लए दरकार इ म दे दया है। वह न शे बनाकर उनकेमुता बक़ सोने, चाँद और पीतल क चीज़ बना सकता है। वह जवाहर कोकाटकर जड़ने क क़ा ब लयत रखता है। वह लकड़ी को तराशकर उससेमु त लफ़ चीज़ बना सकता है। वह ब त-सारे और काम म भी महारतरखता है।साथ ही मने दान के क़बीले के उह लयाब बन अख़ी-समक को मुक़ररकया है ता क वह हर काम म उसक मदद करे। इसके अलावा मने तमामसमझदार कारीगर को महारत द है ता क वह सब कुछ उन हदायात केमुता बक़ बना सक जो मने तुझे द ह। यानी मुलाक़ात का ख़ैमा, क फ़ारेके ढकने समेत अहद का सं क़ और ख़ैमे का सारा सरा सामान, मेज़और उसका सामान, ख़ा लस सोने का शमादानऔर उसका सामान, बख़ूरजलाने क क़रबानगाह, जानवर को चढ़ाने क क़रबानगाह और उसकासामान, धोने का हौज़ उस ढाँचे समेत जस पर वह रखा जाता है, वहलबासजो हा नऔर उसके बेटे मक़ दसम ख़दमतकरने के लए पहनतेह, मसह का तेलऔर मक़ दस के लए ख़ुशबूदार बख़ूर। यह सब कुछ वहवैसे ही बनाएँ जैसे मने तुझे म दया है।” (ख़ु ज 31:1-11)

    इस मुक़ स ख़ैमे क लासानी नौईयत थी। य ? इस लए क मुलाक़ात के ख़ैमे सेइसराई लय क क़ सख़ुदा के साथ मुलाक़ात का रा ता क़ायम आ। इस से पहले मूसाका कोहे-सीना पर अ लाह के साथ राबता क़ायम आ था। फर मूसा इसराई लय कोइस पहाड़ के पास ले गया ता क उनका भी उस क़ स ख़ुदा के साथ राबता क़ायम होजाए। इसराई लय ने कोहे-सीना पर ख़ुदा क क़ सयत का तज रबा कया। उ ह नेदेखा क हम इस क़ सयत के ज़ूर नह आ सकते। अ लाह क शोलाज़न पाक ज़गीएक भड़कती ई आग है जसके सामने कोई इनसान ज़दा नह रह सकता।बाद म यसायाह नबी ख़ुदा क इसी क़ सयत को देखकर पुकार उठा,

  • ठेकेदार 18मुझ पर अफ़सोस, म बरबाद हो गया ँ! य क गो मेरे ह ट नापाक ह,और जस क़ौम के दर मयान रहता ँ उसके ह ट भी न जस ह तो भी मनेअपनी आँख से बादशाह र बुल-अफ़वाज को देखा है। (यसायाह 6:5)

    नबी हद से यादा घबरा गया जब उसक मुलाक़ात अ लाह क जलाली क़ सयतके साथ ई। यान द क उसने न सफ़ अ लाह क शान और जलाल को देखा ब कख़ासकर उसक भड़कती क़ सयतको भी। उसे पता चला क इसक़ सयत के सामनेना क़स और न जस इनसान क़ायम नह रह सकता।यही क़ स ख़ुदा अब मुलाक़ात के ख़ैमे के वसीले से उनके साथ राबता रखने पर

    राज़ी हो गया था। अ लाह ने फ़रमाया था क इसराईली मुलाक़ात का ख़ैमा बनाए,ँऐसी इबादतगाह जो उनके साथ मौऊदा मु क तक चलेगी। यह ख़ैमा न सफ़ मोबाइलफ़ोन क मा नद था जसके ज़रीए हर जगह से अ लाह को फ़ोन कया जा सके ब कयह उनके साथ चलनेवाला कोहे-सीना था। अब से कोहे-सीना यानी अ लाह क ज़ूरीउनके दर मयान रहता और उनके साथ चलता था (बमुक़ाबला ख़ु ज 33:16-17)।ग़रज़ बज़ लयेल और उह लयाब इसी मुक़ स घर के ठेकेदार ह। इनसे हम हानी

    ठेकेदार होने के बारे म या सीख सकते ह?

    बुलाहट क ज़ रतअ लाह मूसा से फ़रमाता है,

    मने य दाह के क़बीले के बज़ लयेल बन ऊरी बन र को चुन लया हैता क वह मुक़ स ख़ैमे क तामीर म राहनुमाई करे ... साथ ही मने दानके क़बीले के उह लयाब बन अख़ी-समक को मुक़रर कया है ता क वहहर काम म उसक मदद करे। (ख़ु ज 31:1-2,6)

    हानी ठेकेदार क बुलाहट क अश ज़ रत होती है। शायदआप जमात क ख़दमतम ह सा लेना चाह या ले रहे ह । याआपने कभी महसूस कया क अ लाह ने आपकोबुलाया है? हो सकता है आप ब त लायक़ ह , तो भी आपको बुलाहट क ज़ रत है।मुम कन है आपका करदार अ छा हो, तो भी आपको बुलाहट क ज़ रत है। मुम कनहै आपको बुजग या द गर ख़दमतगुज़ार से बुलाहट मली हो, तो भी आपको अ लाह

  • 19 ठेकेदारक बुलाहट क ज़ रत है। मूसा को पहले अ लाह से बुलाया गया (ख़ु ज 3 बाब),तब ही इसक तसद क़ इसराई लय से ई। यह भी मुम कन है क ख़ुदा ने आपकोबुलाया हो, ले कन जमात के राहनुमा ने आपको र कर दया हो। अगर यह बुलाहटहक़ क़ हो तो अ लाह आपको इसके बावुजूद बरकत देगा और आपक ख़दमत कोमुअ सर बनाएगा। ले कन ख़बरदार! अगर सरे आपक ख़दमत के ख़लाफ़ ह तोअपने आपको जाँच ल। शायद ख़ुदा क बुलाहट के बारे म आपका यक़ न ग़लत सा बतहो। शायद आपके ग़ र ने यह वहम पैदा कर दया क अ लाह ने आपको बुलाया है।आम तौर पर दाल म कुछ काला है अगर ख़दमतगुज़ार कसी क ख़दमत से ख़ुश नह जब क वह ख़ुद अपनी बुलाहट पर यक़ न रखे। बुलाहट क ब त ज़ रत है। याआप अपनी ख़दमत को पेशा समझते ह? या ख़दमत आपके लए पैसे कमाने काज़रीअ है? या ख़दमत आपके सर पर रोब डालने का वसीला बन गई है? याआप ख़दमत से अपनी मरानी जताना चाहते ह? या ख़दमतआपके लए इ ज़तबढ़ाने का ज़रीअ है? फर अपने आपको परख, ऐसा न हो क आपक बुलाहट झूटनकले।

    ल-कदस् से मामूर होने क ज़ रतअ लाह बज़ लयेल के बारे म फ़रमाता है

    मने उसे इलाही ह से मामूर करके हकमत, समझ और तामीर के हरकाम के लए दरकार इ म दे दया है। (ख़ु ज 31:3)

    इलाही ह से मुराद अ लाह का पाक ह है। हर ख़दमतगुज़ार को ल-क़दस् कमामूरी क ज़ रत है। मामूरी का मतलब भर जाना है। जब गलास पूरे तौर पर पानीसे भर जाए तो पानी उससे छलकने लगता है। जब जमात का ख़दमतगुज़ार ल-क़दस् से मामूर है तो वह उसक ज़दगी से छलकते ए उसके हर काम से नज़र आताहै। जमात का ठेकेदार जब ल-क़दस् से मामूर है तो बा-इ तयार और मुअ सरख़दमत सरंजाम दे सकता है।या आपको ह क मामूरी हा सल है? इसके लए ला ज़म है क आपने अपनी

    गुनाहआलूदा हालत महसूस क हो, अपनी बुरी हरकत पर पछताए ह , अ लाह के

  • ठेकेदार 20सामने अपने गुनाह का इक़रार कया हो और ईसा अल-मसीह से म त क हो क वहआपको नजात दे। फर ही आप नए सरे से पैदा होकर ल-क़दस् से मामूर ह गे।

    ह क मामूरी यहाँ कस तरह ज़ा हर होती है? इस म क बज़ लयेल और उसकेसाथी को अपनी ख़दमत के लए “ हकमत, समझ और तामीर के हर काम के लएदरकार इ म” दया गया। जो भी काम उ ह मुलाक़ात के ख़ैमे क तामीर के सल सले मकरना है उस म ल-क़दस् उ ह हर तरह क महारत ब शेगा ता क यह काम अ लाहक मरज़ी के मुता बक़ पूरा हो। जो अ ल और लयाक़त ख़ुदा ने उ ह फ़तरी तौर परद ह ल-क़दस् उ ह य उभारेगा और रौशन करेगा क वह पूरा काम करगी। शायदउन म ऐसी लयाक़त भी थ जो अभी तक छुपी ई थ ले कन अब ल-क़दस् कमदद से उभर आ । यह ख़दमत का एक ख़ुशकुन पहलू है। कई बार ख़दमतगुज़ारक छुपी ई लयाक़त ख़दमत करते व त उभर आती ह। य उसक और जमात कतर क़ होती है।या आप अपनी ख़दमत म हानी ख़ला महसूस करते ह? इसे ह क मामूरी से

    पुर कर न क कसी नयावी चीज़ से। ह क मामूरी का मतलब यह नह क हमपैग़ाम सुनाते व त शेर-बबर क तरह गरज या सयासी तरीक़ से सर पर अपनीकूमत जताए।ँ ल-क़दस् को इसक ज़ रत नह होती क वह शोर मचाए या बड़ेइजतमा से ज़ा हर हो ब क वह जमात के उन “आम” मबरान क यादा क़दरकरता है जो चुपके से और कई बार प ते ए अपनी अपनी जमात म वह काम करते हजनक तारीफ़ कोई नह करता—वह लोग जो बला मुआवज़ा इबादतख़ाने क सफ़ाईकरते, ब च के ो ाम करवाते, लोग को कलाम क तलावत के लए जमा करते,पड़ो सय को ख़ुशख़बरी सुनाते, काम क जगह पर गवाही देते या अपने ब च कोहानी तर बयत देते ह। अफ़सोस क ब त बार इनसान ऐसी लयाक़त को ढाँपने क

    को शश करता है। ले कन अ लाह का शु है क ल-क़दस् ऐसी हरकत के बावुजूदअपने लोग को चुनकर उ ह मामूर करता है।

    तामीरी काम क मुक़ स हालतबज़ लयेल और उह लयाब क बुलाहट और ह से मामूरी इतनी अहम य थी?इस लए कमुलाक़ातकाख़ैमा क़ सख़ुदा क ज़ूरी क जगह था, लहाज़ा वह मुक़ स

  • 21 ठेकेदारथा। इस लए ला ज़म था क मुलाक़ात के ख़ैमे को बनानेवाले अ लाह के ह से मुक़ररकए गए ह ता क वह पाक-साफ़ ह । जमात के ठेकेदार का तामीरी काम मुक़ सहै, य क जस तामीरी काम म वह मदद करता है वह मुक़ स है। इस लए ख़दमतथरथराते ए और बड़ी एह तयात के साथ सरंजाम देने क ज़ रत है। अगर हम इसेनुक़सान प ँचाएगँे तो यह हमारे अपने नुक़सान का बाइस बनेगी।या हमारे अंदर ऐसा पाक जज़बा है जब हम ख़दमत करते ह? या हम इसका

    एहसास है क हम एक ऐसी इमारत पर काम कर रहे ह जो पाकतरीन है? या हममहसूस करते ह क हम पर ख़ुदा का ग़ज़ब ना ज़ल होगा अगर हम उसके पाक इरादेके मुता बक़ ख़दमत न कर?

    आराम के औक़ात क ज़ रतइसराई लय को मुलाक़ात के ख़ैमे के बारे म अ लाह क हदायात सुनाने से पहले मूसाउ ह सबत मनाने यानी हफ़ते के दन आराम करने का म देता है (ख़ु ज 35:1-3)।इसी तरह अ लाह भी बज़ लयेलऔर उह लयाब के बारे म बात करने के ऐन बाद सबतमनाने का म पेश करता है (31:12-18)। इसक वजह या थी?

    रब ने छः दन के दौरान आसमानो-ज़मीन को बनाया जब क सातव दनउसने आराम कया और ताज़ादम हो गया। (ख़ु ज 31:17)

    चूँ क ख़ुदा ने हफ़ते को आराम कया इस लए उसके फ़रज़ंद भी उसी दन आराम कर।एक तरह से ईसा अल-मसीह के नजातब श काम के बाद यह म हम पर लागू नहहोता, लहाज़ा अकसर ईमानदार जहाँ तक मुम कन हो सातव दन नह ब क मसीहके जी उठने क याद म पहले दन यानी इतवार को आराम करते ह। नीज़, हम यह दनय द हदायात के मुता बक़ नह मनाते। ताहम इस हदायत का ख़दमतगुज़ार के लएब त फ़ायदा है। अगरचे ला ज़म नह क हम आराम का दन मुक़रर कर तो भी हमआराम के औक़ात क ज़ रत है। अगर अ लाह क़ा दरे-मुतलक़ सातव दन आरामकरके ताज़ादम आ तो हम कौन ह जो हफ़ते म एक दनआराम करने से इनकार कर?ख़ासकर फ़लटाइम ख़ा दम को यह बात याद रखने क ज़ रत है। अकसर उसे उन

    औक़ात म ख़दमत करनी पड़ती है जब सरे आराम करते ह। अगर वह मेहनती हो तो

  • ठेकेदार 22इबादत के लए मुक़ररा दन सबसे मस फ़ होगा। इस लए ब त ज़ री है क वह हफ़तेका कोई और दन आराम करने के लए मुक़रर करे। बेशक अकसर औक़ात जमात केमबरान यह बात नह समझगे, ले कन अगर ख़ा दम बाक़ व त मेहनती और कामयाबनज़र आए तो वह आ ख़रकार यह क़बूल कर लगे। ताहम तमाम ख़दमतगुज़ार इसकशमकश म फँसे रहते ह क हफ़ते म कब आराम के लए व त नकाल, य क लोगतव क़ो करते ह क ख़ा दम हफ़ते म सात दन ूट करे।हफ़ते म एक दन काआराम उस व त बरकत का बाइस होगा जब ख़ा दम बाक़ छःदन पूरे जोश के साथ ख़दमत करेगा। ख़ुदा ने छः दन म पूरी नया बनाई, फर हीउसने आराम कया। अगर इस फ़रमान पर सहीह तौर पर अमल कया जाए तो ख़ा दमको न सफ़ बेहतर आराम मलेगा ब क उसका काम भी मज़ीद मुअ सर होगा।आम तौर पर फ़लटाइम ख़ा दम को आराम पाने के लए ज ो-जहद क ज़ रत

    होगी। अगरचे यह हर व त मुम कन नह होगा ताहम कभी-कभार जमात क ग र तसे नकलने और ताज़ादम होने के लए अ छा होगा क ख़ा दम सफ़र करे। वह सुसराल,माँ-बाप या कसी र तेदार के पास जा सकता है जो कसी और इलाक़े म रह रहे ह ।य वह इस कशाकश म नह रहेगा क जमात म कसी को मेरी ज़ रत है। बहर हालख़दमत और आराम का तवाजन हर फ़लटाइम ख़ा दम के लए एक बु नयाद मसलाहै।आराम करने का एक और पहलू भी है। आम ईमानदार के लए आराम के औक़ात

    का एक मक़सद यह है क वह अ लाह के कलाम का मुतालआ करके हानी हक़ क़तसीख सकेऔर ख़ुदा क पर तश करने का मौक़ा मल सके। इसके मुक़ाबले म ख़ा दमउस व त ख़दमतकरता है जब सरे सीखतेऔरअ लाह से हानीआरामो-इतमीनानहा सल करते ह। सवाल उभरता है क वह ख़ुद कब अपने लए ख़ुदा के कलाम से सीखसकता है? इसका जवाब हर ख़ा दम के लए फ़रक़ होगा, ले कन ला ज़म है क वहरोज़ाना अ लाह के कलाम से सीखने और आ करने म व त सफ़ करे। अगर वहरोज़ाना ख़ुदा के त त के सामने आराम करके ताज़ादम न हो जाए तो वह कस तरहसर को हानी ख़ुराक मुहैया कर सकेगा! बेशुमार पैग़ामात इस लए फ के होते हक सुनानेवाले ने ख़ुदा के सामने आराम नह कया। सफ़ वह ख़ा दम हानी ख़ुराकदे सकता है जसे ख़ुद ख़ुराक मली हो।

  • 23 ठेकेदारदली ख़ुशी से ह दये देनामुलाक़ात के ख़ैमे क तामीर के लए ब त-सारे सामान क ज़ रत थी। अब ग़ौर क जएक मूसा कस तरह ह दये के लए अपील करता है। वह फ़रमाता है,

    जो भी दली ख़ुशी से देना चाहे वह ... कुछ दे। (ख़ु ज 35:5)

    इसराईली अभी अभी मसर क ग़लामी से बच नकले थे और अ लाह नह चाहता थाक वह कसी नई ग़लामी म फँस जाए।ँ उसक मरज़ी थी क मुलाक़ात का ख़ैमा उसकेआज़ाद पर तार के ख़ुशी से दए ए ह दय से बनाया जाए।जमात का जवाब क़ा बले-ग़ौर है,

    जो जो दली ख़ुशी से देना चाहता था वह मुलाक़ात के ख़ैमे, उसके सामानया इमाम के कपड़ के लए कोई ह दया लेकर वापस आया।(ख़ु ज 35:21)

    हर कसी ने वह चीज़ द जो वह दली ख़ुशी से देना चाहता था। यहाँ न सफ़ अमीर देरहे ह और न सफ़ ग़रीब ब क सब दे रहे ह। पूरी जमात ख़ुदा के इस तामीरी काम मलग गई है। शु गुज़ारी और ख़ुशी से लोग आज़ादाना तौर पर ह दये देते ह। और सबएक ही क़ म क चीज़ नह देते ब क मु त लफ़ अशया। एक सोना देता है, सराकपड़ा, तीसरा खाल वग़ैरा। जमात का हर फ़रद ह दये म वह देता है जो अ लाह ने उसेद है।हमारी जमात के लए यह कतना अ छा नमूना है! कतनी ख़ुशी होती अगर हमारे

    तमाम मबरान य तामीरी काम म ह सा लेते जस तरह इसराईली लेते थे। अगर हरकोई अपनी अपनी नेमत य पेश करता तो पूरी जमात कतनी तर क़ करती!ऐसी ख़ुशी ग़ैरमामूली होती है। इस क़ म क ख़ुशी सफ़ उस व त पाई जाती है जब

    ख़ुदा का ह लोग को तहरीक दे, जब उसके जलाल और फ़ज़ल का एहसास उनकेदल म हो। नतीजे म लोग यादा देते ह। जब कारीगर को यह पता चलता है तो वहया करते ह? या वह फ़ालतू चीज़ “हज़म” कर जाते ह, या वह यह चीज़ चुपके सेकह ले जाते ह? आ ख़र उ ह अपने काम के लए मुआवज़ा नह मल रहा। हर गज़नह ! वह फ़ौरन मूसा के पास आकर कहते ह,

  • ठेकेदार 24लोग हद से यादा ला रहे ह। जस काम का म रब ने दया है उसकेलए इतने सामान क ज़ रत नह है। (ख़ु ज 36:5)

    नीज़, मूसा के र े-अमल पर तव जुह द। या वह यह सोचकर क मुझे भी कुछ मलनेका हक़ है उ ह मज़ीद ले आने का म देता है? हर गज़ नह ! वह जानता है क यहचीज़ मुक़ स ह, उ ह तामीरी काम के लए मख़सूस कया गया है। नतीजे म वह लोगको और चीज़ लाने से रोकता है।मूसा और कारीगर का यह नमूना ब त ख़ूबसूरत है। या हम ख़ुशी से तामीरी काम

    के लए नह दगे अगर जमात के राहनुमा ह दये के बारे म ऐसा ख़याल रख, अगर वहहम देने से रोक जब ज़ रत से यादा मल गया हो? अफ़सोस क इस तरह का नमूनाकम ही मलता है। कतनी जमात के मबरान को इ म है क हफ़तावार चंदा कतनाजमा आ है और क वह कस कस काम के लए इ तेमाल आ है? इस नाते सेकतने मबरान जमात के राहनुमा पर पूरा भरोसा रखते ह? अगर वह जमात के पैसेको तस लीब श तरीक़े से नह सँभाल सकते तो फर उनक बाक़ ख़दमत कस तरहतस लीब श और बाइसे-बरकत हो सकती है? जमात कस तरह हानी तर क़ करसकती है? यक़ न कर क जो उसक ख़दमत के लए मख़सूस क गई चीज़ का ग़लतइ तेमाल करते ह उन पर अ लाह का ग़ज़ब ना ज़ल होगा।

    अपनी नेमत से अ लाह क ख़दमत करनाबज़ लयेल और उह लयाब तो तामीरी काम के ठेकेदार ह, ले कन इनके अलावा औरकारीगर का ज़ भी आता है,

    ला ज़म है क बज़ लयेल, उह लयाब और बाक़ कारीगर जनको रब नेमक़ दस क तामीर के लए हकमत और समझ द है सब कुछ ऐन उनहदायात के मुता बक़ बनाएँ जो रब ने द ह।मूसा ने बज़ लयेल और उह लयाब को बुलाया। साथ ही उसने हर उस

    कारीगर को भी बुलाया जसे रब ने मक़ दस क तामीर के लए हकमतऔर महारत द थी और जो ख़ुशी से आना और यह काम करना चाहताथा। (ख़ु ज 36:1-2)

  • 25 ठेकेदारइन सरे कारीगर को भी वही फ़हम और हकमत हा सल है जो बज़ लयेल औरउह लयाब को मली थी। बेशक बज़ लयेल और उह लयाब मरकज़ी है सयत रखते ह।ले कन उनके साथ ऐसे कारीगर ह जो मलकर काम को सरंजाम दे रहे ह। यहाँ ट ममलकर काम करते ए नज़र आती है।यह कस तरह के लोग ह? यह मु त लफ़ लयाक़त के हा मल ह। हर कोई अपने

    अपने शोबे म मा हर है। ख़ुदा ने उ ह महारतऔर यहकाम मुक मलकरने क तहरीक दहै (आयत 6)। उ ह ने अपने आपको इस काम के लए मख़सूस कया है। वह शु गुज़ारह क इस काम म ह सा ले सकते ह। उन म से हर कोई जानता है क अगरचे क़ा दरे-मुतलक़ यह काम मेरे बग़ैर भी करवा सकता था, ले कन उसने यह अज़ीम काम करने केलए मुझे पसंद कया है। यह सोचकर सब इस काम म ह सा लेने को एज़ाज़ समझतेए पूरे जोश और महारत के साथ काम म लग गए। न सफ़ आदमी ब क ख़वातीनभी इस म शा मल थ ,

    जो जो औरत बकरी के बाल कातने म मा हर थी और दली ख़ुशी सेमक़ दस के लए काम करना चाहती थी वह यह कातकर ले आई।(ख़ु ज 35:26)

    या हमारे तामीरी काम म इस क़ म के लायक़कारीगर मौजूद ह जो मु त लफ़शोब मअपनी अपनी महारत दखाते ए ल-क़दस् और जमात के राहनुमा क हदायातके तहत मलकर ख़दमत करते ह? मुम कन है क़ारी क जमात म ऐसा न हो। ताहमह मत हारकर न बैठ जाए।ँ हम सब यह रोया रख सकते और ख़ुदा से म त कर सकतेह क वह हम राहनुमा और कारीगर का ऐसा गुरोह ब शे जससे मक़ामी जमात कातामीरी काम बढ़े और अ लाह के मनसूबे के तहत चले। चूँ क जमात ख़ुदा का मक़ दसहै इस लए वह इस लाय