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सामवेद यजुवᱷद वामी िदानद िदानद आयािमक संथान

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  • सामवदे यजवुद

    स्वामी िद ानन्द

    िद ानन्द आध्याित्मक संस्थान

  • सवार्िधकार पर्काशकाधीन इस अनुवाद का कोई भी अंश िकसी भी रूप मे िबना पर्काशक की अनुमित के उपयोग मे

    नही लाया जा सकता ह ै

    पर्काशक िद ानन्द आध्याित्मक संस्थान

    संत कृपाल नगर संडीला (उ र पर्दशे)

    संस्करण: 2011

  • समिपत

    सवर्शिक्तमान पर्भु को जो सब पूणर् पुरुष के ारा

    कायर् करता ह ैजो आज तक आये

    और भिवष्य मे आयगे

    तथा परम संत कृपाल िसह जी महाराज को

    िजनके चरण कमल म भाष्यकार

    स्वामी िद ानन्द ने पिवतर् „नाम” के

    मधुर सोमरस का पान िकया

  • „वेद मे पर्भु िपर्यतम के अनन्त पेर्म की सिरता पर्वािहत ह|ै जब तक मानव वेद

    शर्ुित ज्ञान का रसपान करता रहगेा, िव शांित अकु्षण बनी रहगेी“

    स्वामी िद ानन्द

  • 1

    महायज्ञ

    िसतम्बर 1984 म हिैरस्टर्ीट जमर्नी म सवर् धमर् सम्मेलन के बाद मानवधमर् िवषयक िवस्तृत अंवेषण कायर् वल्डर् िरिलजन सटर के तत्वाधान म पर्ारम्भ िकया गया िजसका उ ेश्य सब धम म िव मान समानता का पता लगाना था| स्वामी िद ानन्द जी को वैिदक िहन्द ुिसक्ख जैन धमर् का कायर् दखेना था| वेद के अनेक भाष्य दखेे-पढे और एक चोट खा ितलिमला उठे| ई रीय ज्ञान का इतना उपहास दखेकर दगं रह गये| तुरंत वेद-ज्ञान का यथाथर् भाष्य करने का िन य िकया|

    वेद भाष्य करने की योजना महिष महशे योगी ने बनाई िजन्होने अरब रुपये और हजार िव ान से यह कायर् कराने का अनुमान लगाया| वेद संस्थान ने बनाई िजन्होने 100 िव ान ारा 100 वषर् मे इसे करने का अनुमान लगाया और सावर्दिेशक आयर् पर्ितिनधी सभा इसे िपछले 45 वषर् से अिधक समय से करा रही ह|ै िकतु स्वामी जी ने वेद भाष्य 5 वषर् म ेअपने सीिमत साधन से करने का िन य िकया|

    स्वामी जी ने वेद भाष्य म मंतर् का िहन्दी अनुवाद पर्त्येक मंतर् का किवतामय अनुवाद िकया इसके बाद अगंर्ेजी और जमर्न भाषा म अनुवाद िकया| वेद मतंर् का भाष्य ही नही बिल्क स्वामी जी का अनुवाद आध्यात्म परक ह|ै योग जीवन प ित की दीि से पर्दी ह|ै लगभग 10 संस्कृत अंगर्ेजी जमर्न भाषा के िवशेषज्ञ तथा 10 अन्य िनजी सहयोगी लेकर यह काम पूरा िकया|

    वेद का भाष्य केवल शािब्दक अथर् से करना सम्भव नह ह|ै वेद ई रीय ज्ञान ह ैअतः पूणर् ह|ै उसम ेभर्ांितपूणर् संशयपूिरत बात का स्थान नह ह|ै वेद अथर् को समझने के िलए ज्ञान-उपासना का सम्यक स्वाध्याय

  • 2

    अनुभवात्मक ज्ञान आवश्यक ह|ै मंतर् म िनिहत सत्य को िनःसंशय रूप से जानने के िलए उसके मूल भाव तक पहुचंने के िलए योग-ध्यान-समािध की पर्िकर्या की दक्षता पर्ा करना अिनवायर् ह|ै सायण-भाष्य या अन्य इस पर्कार के भाष्य म योग-ध्यान-पर्िकर्या का पूण्तर्या अभाव ह ै केवल शािब्दक अथर् लेकर भाष्य िकया गया ह|ै वेद ज्ञान को कमर्काण्ड एवं िवज्ञानकाण्ढ के अयाम म ही नह समझा जा सकता ह ैअिपतु इसके िलए उपासना-पर्िकर्या परम आवश्यक ह|ै इस न्यूनता की पूित के िलए योग-साधन िकर्या का सम्यक एवं पर्बु -ज्ञान एवं िकर्यात्मक अनुभव होना अित आवश्यक ह|ै 1. वेद ई रीय-ज्ञान पूवार्गर्ह-रिहत सावर्दिेशक सावर्कािलक सत्यज्ञान ह|ै

    अतः उसे इसी सन्दभर् म समझा जाना चािहए|

    2. वेद िव की सबसे पुरानी पुस्तक ह|ै इसम इितहास वा अन्य दशेीय घटनाय विणत नह ह|ै अतः इसम इितहास दशे स्थान संस्कृित आिद का वणर्न नह ह|ै

    3. वेद की भाषा बोल-चाल की वैिदक भाषा ह|ै सवर्साधारण की बोल-चाल की भाषा ह|ै इसका अलग कोई ाकरण नह ह|ै िनरुक्त िनघण्टु आिद इसे समझने के िलए बनाए गये ह ैिकतु यह वेद का ाकरण गर्ंथ नह ह|ै वेद को समझने के िलए िकसी भी ाकरण गर्ंथ को साधन बनाया जा सकता ह ैिकतु उसकी पिरिध म नह बांधा जा सकता ह|ै

    4. वेद अपने आप म स्वतःपर्माण ह|ै दसूरे वेद पर्ितपादक सहायक गर्ंथ की पर्ामािणकता िनिववाद नह ह|ै वेद-ज्ञान सब धम के ई रीय ज्ञान का मूल ह|ै जो सही ज्ञान धम म ह ैवह वेद के अनुसार ह|ै

    5. वेद ज्ञान को कल्प ाकरण िनरुक्त छन्द ज्योितष एवं िशक्षा बांधते नह अिपतु समझाते मातर् ह|ै वेद ज्ञान स्वयं सतत पर्बािहत ज्ञान धारा ह|ै

  • 3

    6. वेद शर्ुित-ज्ञान ह ै पूवर्काल म ऋिषय ने ज्योित नाद से अंतर म पाया ह|ै आज भी अतंर शर्ुित ारा उसे ज्य का त्य अनुभव िकया जा सकता ह|ै

    7. वेद ज्ञान का एक-एक सुक्त दिैनक जीवन म उपयोगी ह|ै केवल मातर् कमर्काण्ड नह ह ैबिल्क जीवन दशर्न ह ैयोग जीवन प ित का सुतर्धार ह|ै कमर्काण्डी और मीमांसक वेद के रहस्य को नह पा सकते ह ै इसे केवल अंतःशर्ुित ारा ही समझा जाता ह|ै

    8. आंतिरक पर्ेरणा से ही वेद ज्ञान की सही समझ आती ह|ै केवल योग-साधक ही मंतर्दृ ा होता ह|ै मंतर्दृ ा का अथर् अंतःशर्िुत ारा ज्ञान पर्ा करना होता ह|ै

    9. ज्योित नाद वेदज्ञान के सही सन्दशेवाहक ह|ै इनके ारा ही ई रीय ज्ञान जाना माना और अपनाया जा सकता ह|ै

    10. वेद का पर्त्येक सुक्त और मंतर् असाधारण पर्रेणा व सन्दशे का धारावाही सर्ोत ह|ै एक भी शब्द थर् नह बिल्क जीवन-जागृित पैदा करने वाला ह|ै वेद वैसे तो सब ज्ञान का भंडार ह ैिकतु मुख्यतः यह आध्याित्मकता का अि तीय मागर् दशर्क अ यकोष ह ैिजसकी तुलना िव के िकसी गर्ंथ से नह की जा सकती ह|ै वेद म सम्पूणर् शा त ज्ञान ह ै जो सृि के महापर्लय तक उपयोगी उपादये ह|ै वेद का सही ज्ञान सम्पूणर् जगत को एक मूल म जोड दगेा|

    यह भाष्य संशोिधत दसूरा संस्करण ह ैजो सहुिलयत के िलए िकया गया ह|ै

    दयारानी सिचव्

  • सामवेद

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    सामवेद

    1. ज्योितष्मान संत पर्भु धारा द ेभिक्त कराता ह|ै यामक संत पर्भु धारा सेवन कराता ह|ै पेर्रक संत साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै 2. ज्योितष्मान संत साधक को पर्भु धारा पर्ा कराता ह|ै पेर्रक संत सब पर्भ ु धारा पर्त्यक्ष पर्ा कराता ह|ै साधक को पर्भु धारा दतेा ह|ै 3. पर्भ ुकी अिग्न रूप धारा से पर्भ ुका सन्दशे दतेा ह|ै पेर्रक संत सब कुछ पर्ा कराता ह|ै संत पर्भु िमलन करा साधना सफल बनाता ह|ै 4. ज्योितष्मान संत वासना िम-टाता ह|ै पर्भ ु धार बहा साधना िस कराता ह|ै िस संत साधक को शिक्तशाली बनाता ह|ै 5. स्तुत्य संत सतत पर्वािहत पर्भ ुधारा द ेअंतर ठहराता ह|ै ज्योित-ष्मान संत पर्भु धारा सेवन करा तृ करता ह|ै अंतर िवराजमान संत वासना नाशक धारा रथ समान दतेा ह|ै 6. ज्योितष्मान संत सतत पर्वािहत पर्भु धार बहाता ह|ै रक्षक संत पर्भ ुधारा द ेपर्भ ुबैभव दतेा ह|ै संत पर्भ ुधारा से षे िमटाता ह|ै

    7. संत पर्भ ु धारा द े नाद धार बहाता ह|ै ज्योितष्मान संत जल पर्वािहत पर्भ ु नाद धारा बहाता ह|ै संत पर्भु धारा द े साधक को समृ करता ह|ै 8. संत दहेधर आ साधक (वत्स) को िनयंतर्ण कर बर् ज्ञानी बनाता ह|ै शर्े संत चेतन पर्भ ु धारा द ेसाधक को अतंर ला ठहराता ह|ै ज्योितष्मान संत जल पर्वािहत नाद धारा द े साधक को कमनीय रूप बनाता ह|ै 9. ज्योितष्मान संत साधक को अंतर ला पिवतर् करता ह|ै सुदढृ संत साधक का मंथन करता ह|ै सब पर्भु धारा अंतर द ेसाधक को नरिसह रूप बनाता ह|ै 10. ज्योितष्मान संत जीवन संगर्ाम मे पर्भु धार बहा रक्षा करता ह|ै संत ही पर्भु धारा दतेा ह|ै 11. तृ संत वासना नाशक पर्भु धारा दे औजस्वी बनाता है| संत साधक को िनयंतर्ण करता है| गितशील संत वासना िमटाता है| 11. संत सब पर्भु ज्ञान धारा द ेपर्भु सन्दशे दतेा ह|ै साधक को पर्भ ुअ धारा सेवन कराता ह|ै दी संत जल पर्वािहत पर्भु नाद धारा सुनाता ह|ै

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    12. दहेधारी संत जल पर्वािहत नाद धारा द ेसाधक को अतंर ला तृ करता ह|ै सदा दहेधर आ संत चेतन पर्भ ु धारा द े साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै 14. ज्योितष्मान संत पर्भुधारा से सबको ऊपर लाता ह ैवह रातिदन पर्भुभिक्त कराता ह|ै इससे भोजन पर्ा कराता ह|ै 15. दहेधारी संत साधक को सतत पर्वािहत धारा दतेा ह|ै वंदनीय संत अिग्न रूप पर्भ ु धारा द े तृ करता ह|ै साधना मे दी रूप बनाता ह|ै 16. पर्भु रूप संत पर्भु धारा द ेभिक्त कराता ह|ै रक्षा करने को ऊपर लाता ह|ै ज्योितष्मान संत सतत पर्वािहत धारा पर्ा कराता ह|ै 17. दहेधारी संत साधक को सतत पर्वािहत धारा दतेा ह|ै वंदनीय संत अिग्न रूप पर्भ ु धारा द े तृ करता ह|ै साधना मे दी रूप बनाता ह|ै 18. तृ संत पर्भु धार बहा साधक की रक्षा करता ह|ै वासना नाशक पर्भु धारा द े साधक को पर्भु सम्वेत कराता ह|ै 19. ज्योितष्मान संत पर्भु धारा द ेसाधना कराता ह|ै बर् ज्ञानी संत साधक को पर्भु धारा द े साधना

    सफल कराता ह|ै पर्भु धारा से साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै 20. अिवनाशी संत सतत पर्वा-िहत धारा द े पर्भु बैभव दतेा ह|ै ज्योितष्मान संत पर्भु धारा द ेदी रूप बनाता ह|ै शर्े संत साधक को अंतर ले जाकर साधना कराता ह|ै 21. संत वासना नाशक पर्भु धार बहा साधना करा समृ करता ह|ै दहेधारी संत साधक को अंतर ठहराता ह|ै 22. ज्योितष्मान संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा द े साधक को पिवतर् करता ह|ै सब पर्भु धार बहा साधक की वासना िमटाता ह|ै ज्योितष्मान संत अंतर पर्भ ुवैभव दतेा ह|ै 23. ज्योितष्मान संत सतत पर्भ ुधार बहा साधक को हषार्ता ह|ै यह संत पर्भु धारा बहा साधक को अंतर लाता ह|ै अनािद संत साधक को अंतर ठहराता ह|ै 24. ज्योितष्मान संत पाप िम-टाता ह|ै संत पर्भु धारा द ेवासना िमटाता ह|ै िस संत पर्भु धार बहा वासना िमटाता ह|ै 25. ज्योितष्मान संत ही पर्भु धार बहाता ह|ै नर नारायण रूप संत पर्भु धार बहा पर्भु पर्ा कराता ह|ै बर् ज्ञानी संत साधक को दी रूप बनाता ह|ै

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    26. दहेधारी संत पर्भ ु धार बहा साधक को दी रूप बनाता ह|ै ज्योितष्मान संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा दतेा ह|ै 27. ज्योितष्मान संत अंतर नाद धार सुनाता ह|ै साधक को पर्भ ु(पित) पर्ा कराता ह|ै सतत पर्वािहत पर्भ ुधारा साधक को तृ करता ह|ै 28. यह (संत) मुझे पर्भ ु धारा द ेभिक्त कराता ह|ै सदा दहेधर आ संत पर्भु नाद संगीत धार बहाता ह|ै ज्योितष्मान संत पर्भु धारा द ेवचनाद सुनाता ह|ै 29. रक्षक संत साधक को जल पर्वािहत नाद धारा दतेा ह|ै ज्योितष्मान संत साधक (अंग) को पर्भु धारा सेवन कराता ह|ै पिवतर् कतार् संत नाद धार दतेा ह|ै 30. शिक्तशाली संत पर्भु नाद धार बहाता है| ज्योितष्मान संत पर्भु धारा अ समान पर्ा कराता है| साधक को पर्भु वैभव देता है| 31. महान संत चेतन पर्भु धारा से साधक को सोम िपलाता है| पर्ेरक संत पर्भु धारा दे पर्भु सन्देश देता है| अंतर िवराजमान संत साधक को दी रूप बनाता है| तृ संत पर्भु धार बहा पर्भु भिक्त कराता है|

    32. सवर्ज्ञ संत अिग्न रूप पर्भु धा-रा द े ऊपर ला (उपासना) भिक्त कराता ह|ै सत्य धमर् का पालन कराता ह|ै पर्भु धारा से वासना िमटाता ह|ै 33. संत वासना नाशक पर्भ ुधारा द ेपर्भु िमलन कराता ह|ै सवर् ापक संत पोषक पर्भु धारा दतेा ह|ै संत पर्भु धारा से िनयंतर्ण करता ह|ै 34. सदा दहेधर आ संत बर् ज्ञान दतेा ह|ै ज्योितष्मान संत पर्भ ुधारा द े साधना कराता ह|ै आन-न्ददाता संत पर्भु धारा द ेसाधना कराता ह|ै पर्भु धारा अतंर द ेसाधक को िनयंतर्ण करता ह|ै 35. ज्योितष्मान संत साधक और पापी सब को पर्भु जल पर्वािहत नाद धारा द ेदक्षता दतेा ह|ै सदा दहेधर आ संत तृि दायक पर्भु धारा द े अमतृ पान कराता ह|ै बर् ज्ञान धारा से िनयंतर्ण कर दी रूप बनाता ह|ै 36. एक संत ही वासना नाशक पर्भु धारा द े रक्षा करता ह|ै संत ही साधक की पर्भु धारा द े रक्षा करता ह|ै रक्षक संत पर्भ ुनाद धार बहा साधक को औजस्वी बनाता ह|ै रक्षक संत पर्भु धार बहा सा-धक को पर्भु बैभव दतेा ह|ै 37. पर्भ ुज्ञान धारा द ेपर्भु िमलन कराता ह|ै अतंरशर्ुत संत साधक

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    (सखा) को दी रूप बनाता ह|ै साधक को पर्भु नाद धार पर्ा कराता ह|ै 38. ज्योितष्मान संत पर्भु धारा द ेसाधक को तृ कर पर्भु िमलन कराता ह|ै सुधन संत पर्भु धारा द ेअंतर ठहराता ह|ै 39. ज्योितष्मान संत पर्भु धार बहा साधना कराता ह|ै संत पर्भु धारा से रक्षा करता ह|ै सदा दहेधर आ संत साधक को अंतर लाता ह|ै साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै 40. ज्योितष्मान संत सतत पर्भ ुधार बहा वासना िमटाता ह|ै अिवनाशी संत अद्भुत पर्भु धारा द े दी रूप बनाता ह|ै बर् ज्ञानी संत पर्भु धारा द ेसाधक को सम-पर्णशील बनाता ह|ै सदा दहेधर आने वाला संत पर्भु धारा द ेसा-धक को ऊपर ठहराता ह|ै 45. अंतर िवराजमान संत अद्भुत पर्भु धारा देता है| सुधन संत पर्ेरक पर्भु धारा दे वासना िमटाता है| ज्योितष्मान संत पर्भु धारा रथ समान देता है| संत साधक को स्वयं आ िमलता है| 42. संत पर्भु धारा द ेसदा साधक को िनष्पाप बनाता ह|ै रक्षक संत पर्भु धारा द े सवर्ज्ञ बनाता ह|ै बर् ज्ञानी संत अंतर पर्भु धारा द े

    साधना कराता ह|ै पर्भ ु धार बहा साधक को साधना कराता ह|ै 43. ज्योितष्मान संत पर्ेरक पर्भु धारा द ेवासना िमटाता ह|ै साधक को सुन्दर रूप बनाता ह|ै दहेधारी संत साधना मे पर्भ ु धारा सेवन कराता ह|ै पर्भु धार बहा साधक को अंतर ठहराता ह|ै 44. दयालु सुधन संत पर्ेरक पर्भ ुधारा दतेा ह|ै आनन्ददाता संत साधक को पर्भु धारा दतेा ह|ै सुधन संत साधक को सदा पर्भु धारा दतेा ह|ै स्तुत्य संत पर्भ ुधारा द ेसाधक को दी रूप बनाता ह|ै 45. संत वासना नाशक पर्भ ुधारा द े तृ करता ह ै औजस्वी बनाता ह|ै दहेधारी संत अंतर पर्भु धार बहा तृ करता ह|ै पर्भु सन्दशे द ेपर्भु रूप बनाता ह|ै 46. अिवनाशी संत पर्भु धारा द ेसाधक को अतंर लाता ह|ै साधना कराता ह|ै गितशील संत पर्भु धारा सेवन कराता ह|ै पर्भु धारा द ेदी रूप बनाता ह|ै 47. तृ संत पर्भु धारा द े सोम पान करा अंतर ठहराता ह|ै अना-िद संत साधक को मोक्ष दतेा ह|ै दी रूप संत साधक को अंतर ठहराता ह|ै 48. ज्योितष्मान संत नाद धार साधक को पर्त्यक्ष पर्कट करता ह|ै

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    अंतरशर्ुत संत अंतर ला साधक को साधना कराता ह|ै पर्भ ु रूप संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा द ेसाधक को बर् ज्ञान धारा से पर्भु (पित) िमलन कराता ह|ै रक्षक संत सुन्दर पर्भ ुधारा दतेा ह|ै 49. रक्षक संत वासना नाशक पर्भु धारा द े साधक को नाद धार बहाता ह|ै पर्भु धारा द े वासना िमटाता ह|ै सुधन संत वासना ना-शक पर्भु धारा द े साधक को अंतरशर्ुत बनाता ह|ै मागर् दशर्क संत वासना नाशक पर्भ ु धारा द ेवासना िमटाता ह|ै 50. अंतरशर्ुत संत ना धारा बहा पर्भु िमलन कराता ह|ै ज्योित-ष्मान संत साधना पुणर् कराता ह|ै ज्योितष्मान संत साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै स्वामी (संत) पर्भ ुधारा द ेभिक्त कराता ह|ै 51. दहेधारी संत वासना नाशक पर्भु धारा द े साधक को िनयंतर्ण करता ह|ै दहेधारी संत वासना िमटाता ह|ै पर्भु धार बहा साधक को समृ करता ह|ै साधक को अंतर ठहरा साधना कराता ह|ै 52. अंतर िवराजमान संत साधक को अंतर लाता ह|ै महान संत अंतर पर्भु धारा द ेदी बनाता ह|ै यह संत साधक (तनय) को जल पर्वािहत नाद धारा द ेसमृ कर-ता ह|ै दहेधर आ संत पर्भ ुधारा द ेसाधना िस कराता ह|ै

    53. कल्याणकारी संत साधक को अ धारा सेवन करा पाप िमटा दी रूप बनाता ह|ै संत शिक्त-शाली पर्भु धारा अंतर दतेा ह|ै ज्योितष्मान संत ही पर्भु धारा द ेसाधक को बर् ज्ञानी बनाता ह|ै सेवनीय संत पर्भु धारा द े साधक की वासना िमटाता ह|ै 54. ज्योितष्मान संत साधक को बर् ज्ञानी बनाता ह|ै सदा रहने वाला संत अपना रूप अतंर िदख-लाता ह|ै अंतशर्ुर्त संत साधक को पर्भु धार द े दी रूप बनाता ह|ै साधक को आत्मा का भोजन दतेा ह|ै 55. सोम सरोवर संत पर्भ ु धारा दतेा ह|ै साधना कराता ह|ै पर्भ ुधारा अंतर द ेवासना िमटाता ह|ै पर्भु धारा से पर्भु िमलन कराता ह|ै 56. बर् ज्ञानी संत सतत पर्वािहत धारा द े मागर् दशर्न करता ह|ै दहेधारी संत सतत पर्वािहत धारा से दी रूप बना साधना सफल करता ह|ै संत पर्भु धारा द े पर्भु िमलन कराता ह|ै 57. वह संत साधक को अंतर ला रक्षा करता ह|ै अंतर िवराजमान संत पर्भु धारा द ेपर्भ ुिमलन करा-ता ह|ै अंतर पर्भु धारा द े भिक्त कराता ह|ै ज्योितष्मान संत पर्भ ुधारा से साधक को नरिसह रूप बनाता ह|ै

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    58. सुधन संत पर्भु धारा द ेसाधक को अंतर ठहराता ह|ै सुधन संत पर्भु धारा से साधक को िनयंतर्ण करता ह|ै ज्योितष्मान संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा से िनयंतर्ण करता ह|ै अनेक पर्भु धार बहा साधक का पोषण करता ह|ै 59. दहेधारी संत अनेक पर्भु धार बहाता ह|ै इससे पर्भु भिक्त कराता ह|ै अंतरशर्ुत संत पर्भ ु धारा द ेभिक्त कराता ह|ै चेतन पर्भ ुधारा द ेभिक्त कराता ह|ै 60. ज्योितष्मान संत पर्भु धारा द ेसाधक को वचर्स्वी बनाता ह|ै स्वामी संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा द े सोभाग्य दतेा ह|ै सुधन संत नाद धार बहा अंतर ठहराता ह|ै स्वामी संत पर्भ ुधारा से वास-ना िमटाता ह|ै 61. संत पर्भ ु धारा द े साधक को िस बनाता ह|ै वासना नाशक पर्भु धारा द ेदी बनाता ह|ै वास-ना िमटा अंतर लाता ह|ै साधक को अंतर ठहराता ह|ै 62. सखा संत साधक को पर्भ ुधार पर्ा कराता ह|ै संत साधक की रक्षा करता ह|ै सतत पर्वािहत पर्भु धारा द ेसाधक को सोभाग्य-शाली बनाता ह|ै सतत पर्वािहत धारा से िद रूप बनाता ह|ै 63. तृ संत पर्भु धारा सेवन करा वासना िमटा साधना कराता ह|ै

    दहेधर आ संत पर्ेरक पर्भ ुधारा द ेसाधक को अतंर ला ठहराता ह|ै स्तुत्य संत पर्भु धारा सेवन करा पर्भु धन दतेा ह|ै िस संत पर्भु धार बहाता ह|ै 64. अद्भुत संत पर्भु धार बहा साधक को जीवन संगर्ाम मे पर्भ ुपर्ा कराता ह|ै संत पर्भु धारा से िनयंतर्ण करता ह|ै दी संत पर्भु धारा अंतर दतेा ह|ै सदा सतं पर्भु धार बहा पर्भु सन्दशे दतेा ह|ै 65. शर्े संत पर्भु धारा अतंर द ेएक (पर्भु) पर्ा कराता ह|ै ज्योित-ष्मान संत तीसरे नेतर् मे पर्भु धार बहा एक (पर्भु) पर्ा कराता ह|ै दी रूप संत साधक (तनय) को अंतर ला सुन्दर रूप बनाता ह|ै तृि दायक संत पर्भु धार बहा पर्भु (परम) पर्ा कराता ह|ै 66. बर् ज्ञानी संत पर्भ ु धारा द ेभिक्त कराता ह|ै पर्भ ुधारा को रथ समान दकेर पर्भु मिहमा साधक को पर्ा कराता ह|ै कल्याणकारी संत ही मुझे सतत पर्वािहत वासना नाशक़ पर्भ ुधारा द ेबर् ज्ञान दतेा ह|ै नर नारायण रूप संत सखावत हमे जन्म मरण से बचाता ह|ै 67. िव ेज्योती संत अंतर पर्भु धार बहा साधक को समृ करता ह|ै वासना नाशक पर्भु धारा दतेा ह|ै सवर्ज्ञ संत दी सतत पर्वािहत पर्भु धारा दतेा ह|ै साधक को अंतर ला पर्भ ुिमलन कराता ह|ै

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    68. सवर् ापक संत सतत पर्वा-िहत पर्भु धारा द ेसाधक को अंतर (पवर्त) ला ठहराता ह|ै पर्भ ुधारा से िनयंतर्ण कर पर्भु िमलन कराता ह|ै पर्भु रूप संत पर्भु धार बहा स्तुित कराता ह|ै अंतरशर्तु संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा द ेचेतन रूप बनाता ह|ै 69. दहेधारी संत सतत पर्वािह्त पर्भु धारा द े वासना िमटाता ह|ै अद्भुत संत अद्भुत पर्भु धार बहाता ह|ै अद्भुत पर्भ ु धारा द ेरक्षा करता ह|ै 70. िस ज्योितष्मान संत तृि दायक पर्भु धारा दतेा ह|ै पर्भु धारा साधक को साधना म े पर्ा कराता ह|ै मागर् दशर्क संत पर्भ ुधारा सेवन करा वासना िमटा भिक्त कराता ह|ै ज्योितष्मान संत सदा वासना नाशक पर्भु धारा से िनष्पाप बनाता ह|ै 71. महान संत पर्भु धार बहा वासना िमटाता ह|ै सुखदाता संत सब को नाद धार सुनाता ह|ै अंतर िवराजमान संत अंतर पर्भु धारा द ेसाधक को अंतर ठहराता ह|ै सतत पर्वािहत पर्भु धारा दतेा ह|ै 72. दहेधारी संत वासना नाशक पर्भु धारा द े साधक को साहसी बनाता ह|ै पर्भु धारा द ेसाधक को तृ करता ह|ै पर्भु सन्दशे द ेभिक्त करा साधक को बर् ज्ञानी बनाता

    ह|ै मयार्दा वाला संत पर्भु धारा द ेसाधक को समृ करता ह|ै 73. ज्योितष्मान संत पर्भु धारा द ेसाधना कराता ह|ै सदा दहेधर आ संत वासना नाशक पर्भु धारा दतेा ह|ै सदा दहेधर आ संत पर्भ ुधारा द े वासना िमटाता ह|ै दहेधारी संत अंतर पर्भ ु धार बहा पर्भु (भानव) पर्ा कराता ह|ै 74. देहधारी संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा दे साधक को तृ करता है| अिवनाशी संत धार बहा साधक को अंतर ठहराता है| मागर् दशर्क संत पर्भु धारा अंतर दे साधक को साधना करा-ता है| पर्भु धार अंतर दे साधना कराता है| 75. दहेधारी संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा द ेसाधक को चेतन रूप बनाता ह|ै साधक को अंतर दी रूप बनाता ह|ै बर् ज्ञानी संत ही सब पर्भु धारा अंतर द ेरक्षा करता ह|ै कल्याणकारी संत पोषक पर्भ ुधारा द ेपर्भु वैभव दतेा ह|ै 76. ज्योितष्मान संत सतत पर्वािहत पर्भ ुधारा से साधक को िनयंतर्ण कर भिक्त कराता ह|ै संत सनातन पर्भु नाद धारा द े तृ करता ह|ै दहेधारी संत साधक (तनय) को अतंर ला ठहराता ह|ै ज्योितष्मान संत पर्भु धारा द ेबर् ज्ञानी बनाता ह|ै

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    77. पर्ेरक संत दहेधर आ सतत पर्वािहत पर्भु धारा द े साधक को अंतर लाता ह|ै अंतर ठहराता ह|ै यामक संत पर्भु धारा से िनयंतर्ण कर अिवनाशी जीवन दतेा ह|ै सुधन संत पर्भु धारा से िनयंतर्ण कर साधक को पालन करता ह|ै 78. दी संत अिवनाशी पर्भु धारा द ेसाधक को िनयंतर्ण करता ह|ै पिवतर् संत साधक को पर्भु धारा दतेा ह|ै संत पर्भ ु धार बहा साधक को साधना कराता ह|ै स्तुत्य संत पर्भु धारा द े िनष्पाप बनाता ह|ै 79. अंतर िवराजमान संत साधक को बर् ज्ञानी बनाता ह|ै साधना िस संत नाद धार बहाता ह|ै सब को पर्भ ु भिक्त कराता ह|ै चेतन रूप संत सेवनीय पर्भु धारा द ेसा-धक की वासना िमटाता ह|ै 80. ज्योितष्मान संत वासना नाशक पर्भु धारा दे तृ करता है| साधक की वासना िमटा चे-तन रूप बनाता है| अंतरशर्ुत संत नाद धार बहा वासना िमटाता है| सदा पर्भु धारा दे िद रूप बनाता है| 81. ज्योितष्मान संत साधक को जीवन संगर्ाम मे सतत पर्वािहत धारा दतेा ह|ै ज्योितष्मान संत पर्भु धारा द े वासना िमटाता ह|ै संत पर्भु वैभव द े साधना कराता

    ह|ै पर्भु धार बहा साधक को पर्भु पर्ा मागर् िदखलाता ह|ै 82. संत ही सतत पर्वािहत पर्भु धारा द ेसाधक को अंतर ला ठह-राता ह|ै पर्त्यक्ष पर्भ ु धारा सेवन करा साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै 83. संत पर्भ ु धारा द े साधक को समृ करता ह|ै अंतर सतत पर्वािहत वासना नाशक पर्भ ुधारा दतेा ह|ै िद संत ही साधक को दी रूप बनाता ह|ै दयालु संत पिवतर् करनेवाली पर्भु धारा द ेसाधक को िनष्पाप बनाता ह|ै 84. अंतर िवराजमान संत ही पर्भ ुधारा द े यशस्वी बनाता ह|ै ज्योितष्मान संत पर्भु धारा द ेदी रूप बनाता ह|ै सब को पर्भु धारा सेवन कराता ह|ै सुधन संत पर्भ ुधारा द े साधक को शिक्तशाली बनाता ह|ै 85. ज्योितष्मान संत अंतर सतत पर्वािहत तृि दायक पर्भ ु धारा दतेा ह|ै संत साधक के कल्याण के िलये पर्भु धार बहाता ह|ै यह संत साधक को सब पर्भु धारा दतेा ह|ै तृ संत साधक को नाद धार बहाता ह|ै 86. ज्योितष्मान संत पर्भ ु धारा दतेा ह|ै स्तुत्य संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा दतेा ह|ै महान संत पर्भु

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    धार बहाता ह|ै इससे साधक को शिक्तशाली बनाता ह|ै 87, सब को पर्भ ु धार बहा शिक्तशाली बनाता ह|ै तृ करता ह|ै अंतरशर्ुत संत वासना नाशक पर्भु धारा द े अंतर ठहराता ह|ै स्तुत्य संत वासना नाशक पर्भु धारा द ेबर् ज्ञान दतेा ह|ै 88. सदा दहेधर आने वाला संत ही पर्भु धारा बहा पर्भु (भानु) पर्ा कराता ह|ै स्तुत्य संत वासना नाशक पर्भु धारा द े पर्भ ु भिक्त कराता ह|ै शर्े संत साधक को िद पर्भु धारा दतेा ह|ै सनातन धारा से िनयंतर्ण करता ह|ै 89. वासना नाशक पर्भ ु धारा दतेा ह|ै वासना नाशक पर्भु धारा द ेपर्भ ु(ज्ये ) पर्ा कराता ह|ै यह अंतरशर्ुत संत सतत पर्वािहत पर्भ ुधारा द ेपर्ाण संचार करता ह|ै 90. दहेधर आ संत पर्भु धार बहा धमर् पालन कराता ह|ै िस संत पर्भु धारा दतेा ह|ै पालक संत पर्भु धारा द े वासना िमटाता ह|ै पर्भु रूप संत पर्भु धारा द े साधक को सवर्ज्ञ बनाता ह|ै 91. अंतरशर्ुत संत सोम पान करा साधक को दी रूप बनाता ह|ै सदा पर्भ ु धार बहा पर्भ ु िमलन कराता ह|ै संत साधक को बर् ज्ञानी बनाता ह|ै

    92. संत पर्भ ु धारा द े साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै पर्भ ुरूप द ेसंत साधक को पर्भु धारा तृ करता ह|ै पर्भ ुपुतर् संत साधक को पर्भु पर्ा मागर् िदखलाता ह|ै 93. ज्योितष्मान संत पर्भु धारा द ेपर्भु धन दतेा ह|ै साधना कराता ह|ै स्तुत्य संत ही सुखधार बहाता ह|ै पेर्रक संत साधक को अंतर ठहराता ह|ै 94. अंतर सतत पर्वािहत पर्भ ुधारा द ेवचनाद सुनाता ह|ै बर् -ज्ञानी संत पर्भ ुधारा से िद रूप बनाता ह|ै सवर्ज्ञ संत सब पर्भु धारा दतेा ह|ै सब पर्भु धारा द ेपर्भु (नेिम) पर्ा कराता ह|ै 95. ज्योितष्मान संत पर्भु धारा द ेअंतर लाता ह|ै अंतरशर्ुत संत सब पर्भु धारा दतेा ह|ै रक्षक संत साधक को अंतर ला वचर्स्वी बनाता ह|ै 96. ज्योितष्मान संत साधक को साधना मे पर्भु वैभव दतेा ह|ै सतत पर्वािहत नाद धारा दतेा ह|ै पर्भु संयुक्त संत पर्भ ुधारा द ेअंतर भिक्त कराता ह|ै बर् ज्ञान धारा द ेपर्भु िमलन कराता ह|ै 97. अंतरशर्ुत संत पर्भु धार बहा साधक को िनयंतर्ण करता ह|ै ज्योितष्मान संत साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै पर्भ ु धार बहा

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    साधक को िनयंतर्ण कर अंतर लाता ह|ै 98. दहेधारी संत पर्ेरक सनातन पर्भु धारा द े वचनाद सुनाता ह|ै ज्योितष्मान संत अंतर सतत पर्वा-िहत पर्भु धारा दतेा ह|ै ज्योित-ष्मान संत पर्भु धारा द े दी रूप बना पर्भु भिक्त कराता ह|ै 99. ज्योितष्मान संत साधक को िनयंतर्ण कर शिक्तशाली बनाता ह|ै िनयंतर्ण कतार् संत साधक को साहसी बनाता ह|ै मुझे िनयंतर्ण कर सतत पर्भु नाद सुना बर् ज्ञानी बनाता ह|ै 100. ज्योितष्मान संत भिक्त करा साधक को पर्भु िमलन कराता ह|ै पर्भु पर्ा कराने को पर्भ ुधारा दतेा ह|ै पेर्रक संत सुखदायक पर्भु धार बहा साधक को दी रूप बनाता ह|ै 101. बर् ज्ञानी संत सनातन पर्भु धारा दतेा ह|ै शर्े संत साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै अटल संत पर्भु बैभव द ेसाधक को अिवनाशी जीवन दतेा ह|ै 102. संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा अंतर द ेबर् ज्ञानी बनाता ह|ै सतत पर्वािहत पर्भु धारा द े साधक को अंतर लाता ह|ै वासना नाशक पर्भु धारा द ेआनन्द दतेा ह|ै 103. स्तुत्य संत ही पर्भ ुधारा द ेसाधक को बर् ज्ञानी बनाता ह|ै

    सदा दहेधर आ संत तारा अंतर िदखला साधक को पिवतर् करता ह|ै 104. नर नारायण रूप संत साधक को बर् ज्ञानी बनाता है| साधक की वासना िमटाता है| ज्योितष्मान संत पर्भु धारा सेवन करा साधक को िनयंतर्ण करता है| 105. सवर् ापक संत अंतर पर्भु धारा द ेवासना िमटाता ह|ै ज्यो-ितष्मान संत पर्भु धारा द ेसाधक को अंतर ला भिक्त कराता ह|ै अंतर िवराजमान संत पर्भु पर्ा मागर् सुगम बनाता ह|ै 106. सतत पर्वािहत पर्भु धारा द ेसंत ही साधक को पर्भ ु सन्दशे द ेअमृत पान कराता ह|ै पिवतर् कर-नेवाली पर्भु धारा द ेआकषर्क संत साधक को अंतर लाता ह|ै 107. दहेधारी संत नाद धार बहा साधक को पर्भु रूप बनाता ह|ै पर्भु धार बहा साधक को शिक्त-शाली बनाता ह|ै स्तुत्य संत साधक को अंतर ला वासना िमटाता ह|ै 108. दहेधारी ज्योितष्मान संत साधक को पर्भु रूप बनाता ह|ै शिक्तशाली संत पर्भु धार बहा साधक को भवसागर पार कराता ह|ै यह संत साधक (सखा) को पर्भ ुधारा दतेा ह|ै

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    109. अंतर िवराजमान संत साधक को अतंर ला ठहराता ह|ै संत पर्भु धारा द े साधक को िनयंतर्ण करता ह|ै संत साधना म ेपर्भु धारा द ेसेवन कराता ह|ै 110. ज्योितष्मान संत आकषर्क पर्भु धारा द े पर्भु बैभव दतेा ह|ै पर्भु धार बहा साधक को शर्े रूप बनाता ह|ै पेर्रक संत साधक को अंतर ठहराता ह|ै 111. कल्याणकारी संत वासना नाशक पर्भु धारा द ेकल्याण कर-ता ह|े सोभाग्यशाली संत साधना करा कल्याण करता ह|ै कल्याण-कारी संत साधक को पर्शंसनीय रूप बनाता ह|ै 112. संत साधक को पर्भु धारा द ेसमृ करता ह|ै पर्भु संयकु्त संत पर्ेरक पर्भु धारा द े साधक को िनयंतर्ण करता ह|ै संत पर्भु धार बहा पर्भु िमलन कराता ह|ै 113. ज्योितष्मान संत दी पर्भ ुधारा जीवन संगर्ाम मे दतेा ह|ै साहसी संत चेतन पर्भु धारा से वासना िमटा अंतर ला ठहराता ह|ै पर्भ ुकािरन्दा संत पर्भ ुधारा द ेकर्ोध िमटाता ह|ै 114. यह संत साधक को अंतर ला पर्भु (पित) िमलन कराता ह|ै दयालु संत साधक को वासना िमटा दी रूप बनाता ह|ै ज्यो-

    ितष्मान संत सब पर्भ ु धारा द ेवासना िमटाता ह|ै 115. संत साधक को नाद धार बहा पर्भु (सच) िमलन कराता ह|ै पर्भु धार बहा साधना कराता ह|ै शिक्तशाली संत वासना नाशक पर्भु धारा दतेा ह|ै 116. संत पर्भु धारा द ेसाधक को अंतर ला हषार्ता ह|ै पर्भु धारा द ेसाधक को आनन्द दतेा ह|ै 117. अंतरशर्ुत संत अंतर पर्भ ुधार बहा साधक को पर्भु िमलन कराता ह|ै नर नारायण रूप संत नाद धार बहा साधक को स्विणम रूप बनाता ह|ै 118. सतत पर्वािहत पर्भ ु नाद धारा द े साधक को दी रूप बनाता ह|ै संत सदा ही नाद धार बहाता ह|ै 119. शिक्तशाली संत साधक को पर्भु धारा द े वासना िमटाता ह|ै आनन्ददाता संत आनन्द धार बहाता ह|ै 120. संत साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै साहसी संत पर्भ ुधारा द ेसाधक को औजस्वी बनाता ह|ै सुखदाता संत सुखधार बहाता ह|ै 121. संत पर्भु धारा द ेपर्भु िमलन कराता ह|ै अद्भुत पर्भु धारा अंतर

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    बहाता ह|ै सदा दहेधर आ संत अंतर ला ठहराता ह|ै 122. संत पर्भु धार बहा साधक को पर्भु रूप बनाता ह|ै यामक संत पर्भु वैभव द े पर्भ ु (एक) पर्ा कराता ह|ै स्तुत्य संत साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै 123. योग साधक संत पर्त्येक कायर् म ेपर्भ ुधारा द े िनयतंर्ण कर हषार्ता ह|ै सोम पान करा शिक्त-शाली बनाता ह|ै 124. सुधन संत साधक (सुत) को पर्भु अ धारा दतेा ह|ै सोम पान करा अंतर ठहराता ह|ै िनडर संत पर्भु धारा द ेसाधक को दी रूप बनाता ह|ै 125. अंतर िवराजमान संत नाद धार बहा साधक का मागर् दशर्न करता ह|ै साधक को अंतर ला पर्भु (सुयर्) िमलन कराता ह|ै 126. अंतर िवराजमान संत पर्भु धारा द े वासना िमटा पर्भ ु (सुयर्) िमलन कराता ह|ै संत सब पर्भु धारा द ेिद रूप बनाता ह|ै 127. रक्षक संत पर्भु धारा दतेा ह|ै न्याय युक्त संत बांसुरी की नाद धुन सुनाता ह|ै संत साधक (सखा) को पर्भु धारा दतेा ह|ै 128. संत साधक को मागर् दशर्न करता ह|ै दी संत साधना म े

    साधक को िनयंतर्ण करता ह|ै पर्भु धारा द े साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै 129. संत भिक्त कराता ह ै पर्भ ुवैभव गहाता ह|ै इससे पर्भु भिक्त कराता ह|ै साधक की जीवन मे रक्षा करता ह|ै 130. (संत) हमे पर्भु धारा अंतर दतेा ह|ै पर्भ ु धारा द े दी रूप बनाता ह|ै सतत पर्वािहत धारा द ेवासना िमटाता ह|ै 131. अंतर िवराजमान सतं सतत पर्वािहत पर्भु धारा द े साधक को अंतर ठहराता ह|ै संत साधक को पर्भु धारा दतेा ह|ै 132. संत साधक को पर्भु धारा दतेा ह|ै दहेधारी संत पर्भु धार बहा साधना कराता ह|ै सुधन संत पर्भु धारा से िनयंतर्ण करता ह|ै 133. दहेधर आ संत ही वासना नाशक पर्भ ु धारा द े साधना कराता ह|ै स्तुत्य संत साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै संत पर्भु धा-रा साधक (सखा) को पर्ा कराता ह|ै 134. वासना नाशक संत सब पर्भु धारा अंतर द ेवासना िमटाता ह|ै सुधन संत पर्भु धार बहाता ह|ै 135. अंतरशर्ुत संत साधक को पर्भु धारा दतेा ह|ै िद संत

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    साधक को सम्यक पर्भु धारा दतेा ह|ै दहेधारी संत साधक का िनयंतर्ण कर दी रूप बनाता ह|ै 136. दहेधर आ संत ही वासना नाशक पर्भु धारा द ेसाधना कराता ह|ै स्तुत्य संत साधक को अतंर ला ठहराता ह|ै संत पर्भु धारा साधक (सखा) को पर्ा कराता ह|ै 137. बर् ज्ञानी संत पर्भ ुधारा द ेसाधक को सुन्दर रूप बनाता ह|ै सब पर्भु धारा द े साधक को तृ करता ह|ै पर्भु रूप संत पर्भु िमलन कराता ह|ै 138. संत पर्भु धारा द ेसोम पान कराता ह|ै साधक को वरणीय रूप बनाता ह|ै रक्षक संत पर्भ ु धार बहाता ह|ै 139. सोम सरोवर संत अंतर पर्भ ुधारा दतेा ह|ै इससे साधक को बर् ज्ञानी बनाता ह|ै यह (संत) साधक को अतंर ल ेजाकर (कक्ष) दी रूप बनाता ह|ै 140. वासना नाशक संत साधक को पर्भु धार बहा मन को रोकता ह|ै अंतरशर्ुत संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा दतेा ह|ै 141. दहेधारी संत सिवता पर्भ ुधारा दतेा ह|ै दहेधारी संत पर्भु धार बहा सोभाग्यशाली बनाता ह|ै शर्े संत वासना िमटाता ह|ै

    142. सुखदाता संत साधक को आनन्ददायक पर्भु धारा दतेा ह|ै तुरंत दहेधर आ संत साधक को िवजयी बनाता ह|ै संत सुखदायक पर्भु धारा द े साधक को साधना कराता ह|ै 143. जल पर्वािहत नाद धारा दे साधक को ऊपर ला ठहराता है| अंग संग रहने वाला संत पर्भु धार बहाता है| योग साधक संत पर्भु धारा दे बर् ज्ञानी बनाता है| 144. दहेधारी संत मानव मातर् को पर्भु धारा द ेदी रूप बनाता ह|ै स्तुत्य संत अद्भुत पर्भ ुधारा द ेअंतरशर्ुत बनाता ह|ै पापी को सतत पर्वािहत पर्भु धारा से िनयंतर्ण करता ह|ै 145. सोम सरोवर संत पर्भ ुधारा अंतर बहाता ह|ै पर्भ ु धारा सेवन करा दक्ष बनाता ह|ै संत साधक को पर्भु धारा द ेतृ करता ह|ै 146. िस संत साधक को पर्भु धारा से ऊपर ला ठहराता ह|ै दहेधारी संत जल पर्वािहत पर्भु नाद धार बहाता ह|ै संत साधक (वत्स) को माता समान ह|ै 147. साधना मे सब पर्भ ुरूप को िदखलाता ह ैदी रूप बनाता ह|ै सत्य रूप संत सोम पान करा अंतर दी रूप बनाता ह|ै

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    148. संत पर्भु धार बहाता ह|ै संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा अंतर बहाता ह|ै पोषक पर्भ ुधारा द ेपर्भ ु(सच) िमलन कराता ह|ै 149. सतत पर्वािहत धारा द ेसाधक को िनयंतर्ण करता ह|ै तृ संत दयामयी पर्भु धारा द े पर्भ ुबैभव दतेा ह|ै पर्भु संयुक्त संत पर्भु धारा रथ समान दतेा ह|ै 150. संत साधक को अंतर आकषर्क पर्भु धारा द े हषार्ता ह|ै अंतर आकषर्क पर्भु धारा दतेा ह|ै 151. पर्ेरक संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा द ेवासना िमटा साधना कराता ह|ै दहेधारी संत रक्षक धारा द े साधक को औजस्वी बनाता ह|ै 152. दहेधारी संत ही पोषक पर्भु धारा दतेा ह|ै पर्भ ु धारा से िनयंतर्ण कर साधक को पर्भु रूप बनाता ह|ै पर्भु समान संत साधक को दी रूप बनाता ह|ै 153. सुधन संत साधक को ऊपर ला ठहराता ह|ै संत साधक को बलवान बनाता ह|ै सदा आने वाला संत पर्भु धारा से आनन्द दतेा ह|ै 154. सोम रूप संत पोषक पर्भु धारा दे साधक को अिवनाशी रूप बनाता है| सब पर्भु धार

    बहाता है| संत पर्भु धारा रथ समान देता है| 155. रक्षक संत पर्भु धारा सेवन कराता ह|ै पर्भ ुधारा द ेसाधक को अंतरशर्ुत बनाता ह|ै सब पर्भु धार बहा सब को साधना कराता ह|ै 156. तृ संत वासना नाशक पर्भु धारा द े साधक को दी रूप बनाता ह|ै पर्भु धारा से पर्भ ुसन्दशे द े भिक्त कराता ह|ै पर्भु रूप संत साधक को सतत पर्वािहत पर्भु धारा दतेा ह|ै िस संत पर्भु धारा द े साधक को िनष्पाप बनाता ह|ै 157. संत पर्भु धारा द ेसाधक की मनो कामना पूणर् करता ह|ै साधक (सखा) को पर्भु धारा अंतर दतेा ह|ै अंतरशर्ुत संत नाद धार बहा साधना कराता ह|ै 158. दहेधारी संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा द ेसाधक को अतंर ला ठहराता ह|ै तृ संत अनके पर्भु धार बहाता ह|ै 159. संत साधक को पर्भु धारा द ेसोम पान कराता ह|ै पिवतर् कतार् संत साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै दहेधारी सतं सोम पान कराता ह|ै 160. रक्षक संत सुन्दर रूप बनाता ह|ै सोम सरोवर संत सोम

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    पान कराता ह|ै पर्त्येक साधक को भिक्त कराता ह|ै 161. अंतर िवराजमान संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा द े साधक को अंतर ठहराता ह|ै संत साधक को पर्भु धारा दतेा ह|ै 162. नर नारायण रूप संत पर्भ ुनाद धारा दतेा ह|ै दहे्धारी संत पर्भु धारा द े रक्षा करता ह|ै सदा दहेधर आ संत तुरीया म े पर्भ ुधारा दतेा ह|ै साधक को अंतर ठहरा अमृत पान कराता ह|ै 163. नर नारायण रूप संत सब काम मे भिक्त करा भवसागर पार कराता है| सब पर्भु धारा तृि देने को देता है| रक्षक संत पर्भु धारा सखा (आत्मा) को पर्ा कराता है| 164. पर्भु रूप संत साधक को ऊपर ले जाता ह|ै पर्भु रूप संत सतत पर्वािहत धारा दतेा ह|ै सखावत संत पर्भु धारा दकेर भिक्त कराता ह|ै 165. औजस्वी संत साधक (सुत) को पर्भु धार बहा िद रूप बना पर्भु (पित) िमलन कराता ह|ै अंतरशर्ुत संत पर्भु धारा द े सोम पान कराता ह|ै 166. दहधारी संत पर्भ ु धारा द ेपर्भु िमलन कराता ह|ै दहेधारी संत पर्भ ु धारा से पर्भ ु मिहमा

    गहाता ह|ै िद संत सदा साधक को शिक्तशाली बनाता ह|ै 167. संत दहेधर आ पर्भु धार बहाता ह|ै अद्भुत पर्भ ु धारा द ेसाधक को अतंर ला ठहराता ह|ै सतत पर्वािहत पर्भु धारा द ेसाधक को दक्ष बनाता ह|ै 168. दहेधारी संत नाद धारा बहाता ह|ै जल पर्वािहत नाद धारा द े साधना कराता ह|ै पर्भु रूप संत अंतर पर्भु धारा द े पर्भ ु(पित) पर्ा कराता ह|ै 169. यह सुखदाता संत अद्भुत पर्भु धार बहा रक्षा करता ह|ै िमतर् संत सदा पर्भु धार बहाता ह|ै यह सुखदाता संत पर्भु धारा से साधक को आच्छािदत कर पिवतर् बनाता ह|ै 170. संत साधक को अंतर पर्भु धारा द े स्तुित करा अतंरशर्ुत बनाता ह|ै साधक को सोम पान करा तृ करता ह|ै 171. अंतर िवराजमान (संत) अद्भुत पर्भ ु धारा दतेा ह|ै तृि -दायक धारा दकेर साधक का सुन्दर पर्भु रूप बनाता ह|ै वह सतत धार बहा साधना कराता ह|ै 172. संत पर्भु धारा द ेसाधक को अंतर पर्भ ुपर्ा मागर् िदखलाता ह|ै संत पर्भु धार बहाता ह|ै साधक को नाद धार सुनाता ह|ै

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    173. िस संत साधक को कल्या-णकारी पर्भ ु धारा द े औजस्वी बनाता ह|ै संत साधक को पर्भ ुधारा द ेहषार्ता ह|ै 174. यह संत साधक को सोम पान कराता ह|ै यह संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा द ेसोम पान कराता ह|ै पर्भु कािरन्दा संत साधक को अंतर दी रूप बनाता ह|ै 175. पर्भु पर्ा योगी संत पर्भु धारा द ेसाधक को अंतर ला ठह-राता ह|ै रोग नाशक संत साधक को वचर्स्वी बनाता ह|ै 176. संत अंतर पर्भ ु धारा द ेसाधक को साधना कराता ह|ै पर्भु धारा अंतर बहाता ह|ै जीवन संगर्ाम मे पर्भ ुधारा द ेसमृ कर-ता ह|ै 177. संत साधना मे नाद धार बहाता ह|ै पर्भु धारा द ेसाधक को अिवचल बनाता ह|ै पर्भु धार बहा साधना कराता ह|ै 178. दहेधारी संत सनातन उषा रूप पर्भु धारा को दतेा ह|ै तृि दायक धारा को अंतर बहाता ह|ै पर्भु कािरन्दा संत भिक्त कराने को पर्भु धारा दतेा ह|ै 179. संत साधक का िनयंतर्ण कर उसे दी रूप बनाता ह|ै वासना िमटा दी रूप बनाता ह|ै सदा

    दहेधर आने वाला संत पाप िमटाता ह|ै 180. संत ही पर्भु धारा से भोजन दकेर आनन्द दतेा ह|ै सोम रूप संत सब पर्भ ु धारा दकेर साधक की रक्षा करता ह|ै शिक्तशाली संत पर्भु धारा द े पर्भु (ई ) की पर्ा कराता ह|ै 181. संत पर्भु धार बहा वासना िमटाता ह|ै साधक को धमर् पालन कराता ह|ै महान संत सतत पर्वा-िहत पर्भु धारा से रक्षा करता ह|ै 182. पर्भु रूप संत साधक को पर्भ ुधारा द े औजस्वी बनाता ह|ै नर नारायण रूप संत पर्भ ु धार बहाता ह|ै संत सब को पर्भु धारा से आच्छािदत करता ह|ै 183. पर्भु संयुक्त संत साधक को ऊपर लाता ह|ै अंतर मे दी रूप बनाता ह|ै वचनादमय संत साधक को दी रूप बनाता ह|ै 184. संत दहेधर आ पर्भु धार बहा वासना िमटाता ह|ै साधक को हषार्ता ह|ै साधक को भवसा-गर पार कराता ह|ै 185. ज्योित नाद का स्वामी (संत) पर्भु धारा दे रक्षा कर चे-तन रूप बनाता है| चेतन्य (संत) पर्भु धारा दे साधक को िनयंतर्ण करता है|

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    186. अंतरशर्तु संत पर्भु धारा द ेसाधक को पर्भु रूप बनाता ह|ै सतत पर्भु धार बहा िनष्काम सेवा कराता ह|ै 187. संत जीवन संगर्ाम मे पर्भ ुधारा दतेा ह|ै पर्भु धार बहा साधक को िनष्पाप बनाता ह|ै पर्भ ु धारा सेवन करा पर्भु रूप बनाता ह|ै 188. यह योग साधक संत नाद धार बहा साधक को स्तुित कराता ह|ै सोम रूप संत साधक को सोम पान कराता ह|ै 189. पिवतर्कतार् संत मुझे सतत पर्वािहत धारा दतेा ह|ै बलशाली संत बलवान बनाता ह|ै पर्भु िमलन करा साधना िनपुण बनाता ह|ै 190. सुखदाता संत साधक को पर्भु धारा दतेा ह|ै पर्भु धारा द ेसोम पान करा साधना कराता ह|ै साधक को पर्भु बैभव जीवन संगर्ाम मे दतेा ह|ै 191. अंतर िवराजमान संत ही पर्भ ुधारा पर्ा कराता ह|ै संत पर्भ ुधारा द ेसोम पान कराता ह|ै पर्भु धारा से सदा साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै 192. पर्भु धार बहा साधक की रक्षा करता ह|ै साधक को अंतर ला पर्भु रूप बनाता ह|ै नाद धार बहा वासना िमटाता ह|ै

    193. सुधन संत पर्भु धार बहा साधक को पर्भ ुरूप बनाता ह|ै संत साधक को पर्मे करता ह|ै आकषर्क पर्भु धारा द ेअतंर ला ठहराता ह|ै 194. स्तुत्य संत पर्भु धारा अंतर द े हषार्ता ह|ै दी संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा दतेा ह|ै रक्षक संत पर्भु धारा द े षे िमटाता ह|ै 195. अंतरशर्ुत संत साधक को पर्भु धार बहा रक्षा करता ह|ै सोम रूप संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा दतेा ह|ै संत साधक को पर्भ ुधारा द ेयशस्वी बनाता ह|ै 196. संत सदा ही पर्भ ु धार बहा साधक को ऊपर ला साधना कराता ह|ै दहेधारी संत पर्भु धार बहा साधक को आच्छािदत करता ह|ै 197. साधक को सोम पान करा दी रूप बनाता ह|ै पर्भु समान संत पर्भु िमलन कराता ह|ै संत पर्भु धारा द ेदी रूप बनाता ह|ै 198. अंतरशर्तु संत पर्भुधारा दतेा ह|ै दी संत सतत पर्वािहत धारा द ेसाधक को दी रूप बनाता ह|ै पर्भु धारा द ेसाधक को इसे सेवन कराता ह|ै 199. संत पर्भ ुधारा सेवन कराता ह|ै पर्भु धारा द ेपर्भु बैभव दतेा ह|ै शिक्तशाली संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा दतेा ह|ै

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    200. संत साधक (अंग) को पर्भ ुधार बहाता ह|ै पर्भु धार बहा साधक को अंतर लाता ह|ै संत ही साधक को अिवचल बनाता ह|ै 201. संत साधक (सुत) को पर्भ ुधारा अंतर दतेा ह|ै अंतरशर्तु संत जल पर्वािहत नाद धारा दतेा ह|ै सदा दहेधारी संत साधक (वत्स) को माता समान ह|ै 202. संत साधक को पोषक पर्भु धारा दतेा ह|ै उसका कल्याण करता ह|ै पर्भ ुधारा द ेसाधक को साधना िस बनाता ह|ै 203. संत अंतर पर्भ ु धारा द ेसाधक को ठहराता ह|ै सतत पर्वािहत पर्भ ु धार बहा वासना िमटाता ह|ै पर्भु रूप संत अंतर पर्भु धार बहाता ह|ै 204. िस संत पर्भु धार बहा साधक को अंतरशर्ुत बनाता ह|ै पर्भु धारा से साधक को िनयंतर्ण करता ह|ै 205. संत सदा जल पर्वािहत नाद धारा दतेा ह|ै पर्भु रूप संत साधक को अंतर ठहराता ह|ै शिक्तशाली संत पर्भु धार बहाकर पर्भु (पित) पर्ा कराता ह|ै 206. स्वामी संत ही सतत पर्वा-िहत पर्भु धारा साधक को द ेिनयं-तर्ण करता ह|ै ज्योितष्मान संत दर्ोह िमटा रक्षा करता ह|ै

    207. शिक्तशाली संत साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै पर्भ ु धारा सेवन करा तृ करता ह|ै सुधन संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा दतेा ह|ै 208. संत नाद धार बहा साधक की वासना िमटा अंतर लाता ह|ै साधक को िनयंतर्ण कर दी रूप बनाता ह|ै 209. संत साधक को नाद धार बहा दी रूप बनाता ह|ै पर्भ ुधार बहा साधक को पर्भु रूप बनाता ह|ै शिक्तशाली संत दी पर्भ ुधारा द ेसाधक को वरणीय रूप बनाता ह|ै 210. सतत पर्वािहत पर्भु धारा अंतर द ेसाधक को िनयंतर्ण करता ह|ै साधक को पर्भु नाद धार सुना पोषण करता ह|ै संत अंतर पर्भ ुधारा सेवन कराता ह|ै 211. वासना नाशक संत सतत पर्वािहत पर्भ ु धारा अंतर द े पर्भ ुिमलन कराता ह|ै अंतर पर्भ ुधारा द ेसाधक को िवजयी बनाता ह|ै 212. संत पर्भु धारा द ेसाधक को सोम पान कराता ह|ै संत साधक को अंतर ला ठहराता ह|ै पर्भु धार बहा पर्भु िमलन कराता ह|ै 213. वासना नाशक संत सतत पर्वािहत पर्भ ु धारा अंतर द े पर्भ ुिमलन कराता ह|ै अंतर पर्भ ुधारा द ेसाधक को िवजयी बनाता ह|ै

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    214. पर्भु रूप संत दहेधर आ वासना िमटाता ह|ै पर्भ ु धारा बहाकर साधक की साधना सफल बनाता ह|ै सतत पर्भु धार बहा सोम पान कराता ह|ै 215. दहेधारी संत सतत पर्वािहत पर्भु धारा द ेसाधक को अतंर ला ठहराता ह|ै तृ संत अनके पर्भु धार बहाता ह|ै 216. वासना नाशक संत पर्भु धारा दतेा ह|ै दहेधर आ संत दयामयी पर्भु धारा दतेा ह|ै सुख-दाता संत सतत पर्वािहत नाद धार बहाता ह|ै 217. योग साधक संत साधक को पर्भु रूप बनाता ह|ै अंतरशर्तु संत नाद धार