Upload
manoj
View
274
Download
0
Embed Size (px)
Citation preview
8/20/2019 Sundar Kand5
1/31
ामिचतमानस - 1 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
गोवामी तलुसीदास
वचत
ामिचतमानस
सु दंकांड
http://www.swargarohan.org/Ramayana/Ramcharitmanas.htm
8/20/2019 Sundar Kand5
2/31
ामिचतमानस - 2 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
॥ ी गणेशाय नमः ॥
ीराम िरतमानस
पञ म
सोपान
सदर ाणड
ोक
शात ं शातममेयमनघ ं नवारणशातदं
ाशभफुणीसेयमनश ं वेदांतवे ं वभमु ् ।
ामाय ं जगदं सुगंु मायामनुय ं िहं
वदऽेहं कणाकं घवुं भपूालचू ड़ामणम ् ॥ १ ॥
नाया पहृा घुपत े दयेऽमदये
सयं वदाम च भवानखलातामा ।
भं यछ घपुङुगव नभरां मे
कामाददोषहत ं कु मानस ं च ॥ २ ॥
अतुलतबलधाम ं हमेशलैाभदहें
दनुजवनकृशानु ं ाननामगयम ् ।
सकलगणुनधान ं वानाणामधीश ं
घपुतयभं वातजातं नमाम ॥ ३ ॥
जामवतं के बचन सुहाए । सुन हनुमतं दय अत भाए ॥
तब लग मोह िपखेह तुह भाई ु । सह दख कंद मलू फल खाई ु ॥१ ॥
जब लग आव सीतह देखी । होइह काज ु मोह हष बसेषी ॥
यह कह नाइ सबह कहँ माथा ु । चलउे हष हयँ िध घनुाथा ॥ २ ॥
संध ु ती एक भधू सु दं । कौतकु कूद चढ़ेउ ता ऊप ॥
बा बा घबुी सँभा । तकेउ पवनतनय बल भा ॥ ३ ॥
जेहं िग चन देइ हनुमतंा । चलउे सो गा पाताल तुंता ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
3/31
ामिचतमानस - 3 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
जम अमोघ घपुत क बाना । एह भाँत चलेउ हनुमाना ॥ ४ ॥
जलनध घुपत दत बचा ू । त मनैाक होह महा ॥ ५ ॥
दोहा
हनुमान तेह पसा क पुन कह नाम ।
ाम काज ु कह बन ु मोह कहा ँ वाम ॥ १ ॥
जात पवनसुत देवह देखा । जान कहँ बल बु ु बसेषा ॥
सुसा नाम अहह कै माता । पठइह आइ कह तेहं बाता ॥ १ ॥
आज ु सुह मोह दह अहाा । सनुत बचन कह पवनकुमाा ॥
ाम काज ुिक िफ म आव । सीता कइ सुध भुह सनुाव ॥ २ ॥
तब तव बदन पैठहउँ आई । सय कहउँ मोह जान दे माई ॥
कवनहेँ जतन दे ु इ नहं जाना । सस न मोह कहउे हनुमाना ॥ ३ ॥
जोजन िभ तहं बदन ु पसाा । कप तनु कह दगनु बताा ु ॥
सोह जोजन मखु तेहं ठयऊ । तुत पवनसतु बस भयऊ ॥ ४ ॥
जस जस सुसा बदनु बढ़ावा । तास ु दन कप प देखावा ू ॥
सत जोजन तेहं आनन कहा । अत लघ ुप पवनसतु लीहा ॥ ५ ॥
बदन
पइठ
पुन
बाहे
आवा
।
मागा
बदा
ताह
स
नावा
॥
मोह सुह जेह लाग पठावा । बुध बल मम ुतो म पावा ॥ ६ ॥
दोहा
ाम काज ु सब ु िकहह तुह बल बु नधान ु ।
आसष देइ गई सो हष चलेउ हनुमान ॥ २ ॥
नसिच एक सधं ु महँ हई ु ॥ िक माया नभ ु के खग गहई ॥
जीव जतंु ज ेगगन उड़ाह ं । जल बलोक तह कै िपछाह ं॥ १ ॥ गहइ छाहँ सक सो न उड़ाई । एह बध सदा गगनच खाई ॥
सोइ छल हनमूान कहँ कहा । तास ुकपट कप तुतहं चीहा ु ॥ २ ॥
ताह िमा मातसतु बीा । िबाध पा गयउ मतधीा ॥
तहा ँ जाइ देखी बन सोभा । गु जंत चचंक मध ु लोभा ॥ ३ ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
4/31
ामिचतमानस - 4 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
नाना त फल फूल सहुाए । खग मगृ बृ दं देख मन भाए ॥
सलै बसाल देख एक आग । ता प धाइ चढ़ेउ भय याग ॥ ४ ॥
उमा न कछ कप कै अधकाई ु ॥ भ ु ताप जो कालह खाई ॥
िग प चढ़ लकंा तेह देखी । कह न जाइ अत दगर बसेषी ु ॥ ५ ॥ अत उतगं जलनध चह पासा ु । कनक कोट क पम कासा ॥ ६ ॥
छंद
कनक कोट बच मण कृत सु दंायतना घना ।
चउहट हट सबुट बीथी ं चा पु बहबध बना ु ॥
गज बाज खच नक पदच थ बथह को गन ै ।
बहप
नसच
जथू
अतबल
सेन
बनत
नहं
बनै
ु ॥
१
॥
बन बाग उपबन बाटका स कूप बापी ं सोहहं ।
न नाग सु गंधवर कया प मुन मन मोहह ं ॥
कहँ माल देह बसाल सलै समान अतबल गजरह ं ु ।
नाना अखाेह भहं बहबध एक एकह तजरह ं ु ॥ २ ॥
िक जतन भट कोटह बकट तन नग चहँ दस छह ं ु ।
कहँ महष मानषु धने ु ख अज खल न ु साच भछह ं ॥ एह लाग तुलसीदास इह क कथा कछ एक है कह ु ।
घुबी स तीथ सह याग गत पहैहं सह ॥ ३ ॥
दोहा
पु खवाे देख बह कप मन कह बचा ु ।
अत लघ ु प ध नस नग क पइसा ॥ ३ ॥
मसक समान प कप ध । लकंह चलेउ सुिम नह ॥
नाम लंकनी एक नसच । सो कह चलेस मोह नंद ॥ १ ॥
जानेह नहं मम ु सठ मोा । मो अहा जहाँ लग चोा ॥
मुठका एक महा कप हनी । ध बमत धनी ं डनमनी ॥ २ ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
5/31
ामिचतमानस - 5 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
पुन सिंभा उठ सो लकंा । िजो पान क बनय ससकंा ॥
जब ावनह क दहा । चलत बंच कहा मोह चीहा ॥ ३॥
बकल होस त कप क माे । तब जानेस ु नसच सघंाे ॥
तात मो अत पुय बहता ू । दखेउेँ नयन ाम क दता ू ॥ ४ ॥
दोहा
तात वगर अपबगर सखु िधअ तुला एक अगं ।
तलू न ताह सकल मल जो सुख लव सतसगं ॥ ४ ॥
बस नग कजे सब काजा । दय ँ ाख कोसलपु ाजा ॥
गल सधुा िप ु कहं मताई । गोपद सधं ु अनल सतलाई ॥ १ ॥
गड़ समुे नेु सम ताह । ाम कृपा िक चतवा जाह ॥
अत लघ ु प धेउ हनमुाना । पैठा नग सुिम भगवाना ॥ २ ॥
मंद मंद त िक सोधा । दखे े जहँ तहँ अगनत जोधा ॥
गयउ दसानान मंद माह ं। अत बच कह जात सो नाहं ॥ ३ ॥
सयन कएँ देखा कप तेह । मंद महँ न दख बैदेह ु ॥
भवन एक पुन दख सहुावा । िह मंद तहँ भन बनावा ॥ ४ ॥
दोहा
ामायुध अंकत गहृ सोभा बन न जाइ ।
नव तलुसका बृ दं तहँ देख हष कपाइ ॥ ५ ॥
लकंा नसच नक नवासा । इहा ँ कहाँ सजन क बासा ॥
मन महँ तक क कप लागा ु । तेह ं समय बभीषन ु जागा ॥ १ ॥
ाम ाम तेहं सुमन कहा । दयँ हष कप सजन चीहा ॥
एह सन हठ िकहउँ पहचानी । साध ुते होइ न काज हानी ॥ २ ॥ ब प िध बचन सनुाए । सनुत बभीषन उठ तह ँ आए ॥
िक नाम पू छँ क ुसलाई । ब कहह नज कथा बझुाई ु ॥ ३ ॥
क तुह िह दासह महँ कोई । मो दय ीत अत होई ॥
क तुह ाम ु दन अनुागी । आयह मोह कन बड़भागी ु ॥ ४ ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
6/31
ामिचतमानस - 6 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
दोहा
तब हनुमंत कह सब ाम कथा नज नाम ।
सनुत जगुल तन पुलक मन मगन सुिम गनु ाम ॥ ६ ॥
सनुह ु पवनसुत हन हमा । जम दसनह महँ जीभ बचा ु ॥
तात कबहँ मोह जान अनाथा ु । िकहहं कृपा भानकुुल नाथा ॥ १ ॥
तामस तनु कछ साधन नाह ं ु । ीत न पद सोज मन माह ं ॥
अब मोह भा भोस हनुमतंा । बनु िह कृपा मलहं नहं सतंा ॥ २ ॥
ज घबुी अनुह कहा । तौ तुह मोह दसु हठ दहा ॥
सनुह बभीषन भ ु कै ती ु । कहं सदा सेवक प ीती ॥ ३ ॥
कहह कवन म पम कुलीना ु । कप चचंल सबहं बध हना ॥
ात लेइ जो नाम हमाा । तेह दन ताह न मल े अहाा ॥ ४ ॥
दोहा
अस म अधम सखा सनु ु मोह प घुबी ू ।
कह कृपा सुिम गनु भे बलोचन नी ॥ ७ ॥
जानतहँ अस वाम बसा ू । फहं त े काहे न होहं दखा ु ॥ एह बध कहत ाम गनु ामा । पावा अनबारय वामा ॥ १ ॥
पुन सब कथा बभीषन कह । जेह बध जनकसतुा तहँ ह ॥
तब हनमुतं कहा सनु ु ाता । देखी चलउेँ जानक माता ॥ २ ॥
जगुुत बभीषन सकल सनुाई । चलेउ पवनसतु बदा काई ॥
िक सोइ प गयउ पुन तहवा ँ। बन असोक सीता ह जहवा ँ॥ ३ ॥
देख मनह महँ कह नामा ु । बठैेहं बीत जात नस जामा ॥
कृस तन ुसीस जटा एक बेनी । जपत दयँ घुपत गुन नेी ॥ ४ ॥
दोहा
नज पद नयन दए ँ मन ाम पद कमल लीन ।
पम दखी भा पवनसतु देख जानक दन ु ॥ ८ ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
7/31
ामिचतमानस - 7 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
त पलव महँ हा लकुाई ु । कइ बचा क का भाई ॥
तेह अवस ावन ु तहँ आवा । सगं िना बह कए ँ बनावा ु ॥ १ ॥
बह बध खल सीतह समुझावा ु
। साम दान भय भेद देखावा ॥
कह ावन ु सनु ु सुमुख सयानी । मदंोद आद सब ानी ॥ २ ॥
तव अनचुं केउँ पन मोा । एक बा बलोकु मम ओा ॥
तनृ िध ओट कहत बदैेह । सुिम अवधपत पम सनेह ॥ ३ ॥
सनु ु दसमुख खोत कासा । कबहँ क नलनी कइ बकासा ु ॥
अस मन समुझ ुकहत जानक । खल सुध नहं घुबी बान क ॥४ ॥
सठ सनू िह आनेह मोह । अधम नलज लाज नहं तोह ॥ ५ ॥
दोहा
आपुह सुन खोत सम ामह भान ु समान ।
पष बचन सुन काढ़ अस बोला अत खसआन ॥ ९ ॥
सीता त मम कृत अपमाना । कटहउँ तब स कठन कृपाना ॥
नाहं त सपद मान ुमम बानी । सुमुख होत न त जीवन हानी ॥ १ ॥
याम सोज दाम सम सु दं । भु भजु िक क सम दसकंद ॥
सो भजु कंठ क तव अस घोा । सनु ुसठ अस वान पन मोा ॥ २ ॥ चंहास ह मम िपताप ं । घुपत बह अनल सजंात ं ॥
सीतल नसत बहस ब धाा । कह सीता ह मम दख भाा ु ॥ ३ ॥
सनुत बचन पुन मान धावा । मयतनया ँ कह नीत बुझावा ॥
कहेस सकल नसिचह बोलाई । सीतह बह बध ासह जाई ु ु ॥ ४ ॥
मास दवस महँ कहा न माना ु । तौ म माब काढ़ कृपाना ॥ ५ ॥
दोहा
भवन गयउ दसकंध इहा ँ पसाचन बृ ंद ।
सीतह ास दखेावहं धहं प बह मदं ु ॥ १० ॥
जटा नाम ाछसी एका । ाम चन त नपनु बबेका ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
8/31
ामिचतमानस - 8 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
सबहौ बोल सनुाएस सपना । सीतह सेइ कह हत अपना ु ॥ १ ॥
सपन बान लकंा जा । जातधुान सनेा सब मा ॥
ख आढ़ नगन दससीसा । मु ंडत स खंडत भजु बीसा ॥ २ ॥
एह बध सो दछन दस जाई । लकंा मनहँ बभीषन पाई ु ॥ नग फ घुबी दोहाई । तब भु सीता बोल पठाई ॥ ३ ॥
यह सपना म कहउँ पुका । होइह सय गए ँ दन चा ॥
तास ु बचन सुन त े सब डं । जनकसतुा के चनह प ं ॥ ४ ॥
दोहा
जहँ तहँ ग सकल तब सीता क मन सोच ।
मास
दवस
बीत
मोह
िमाह
नसच
पोच
॥
११
॥
जटा सन बोली ं क जो । मात ु बपत संगन त मो ॥
तज देह क बेग उपाई । दसह बह अब नहं सह जाई ु ु ॥ १ ॥
आन काठ चु चता बनाई । मात ु अनल पुन देह लगाई ु ॥
सय कह मम ीत सयानी । सनु ैको वन सलू सम बानी ॥ २ ॥
सनुत बचन पद गह समुझाएस । भ ुताप बल सजुस ुसनुाएस ॥
नस
न
अनल
मल
सनुु
सकुुमा।
अस
कह
सो
नज
भवन
सधा
॥
कह सीता बध भा तकूला । मलह न पावक मटह न सलूा ॥
देखअत गट गगन अगंाा । अवन न आवत एकउ ताा ॥ ४ ॥
पावकमय सस वत न आगी । मानहँ मोह जान हतभागी ु ॥
सनुह बनय मम बटप असोका। सय नाम क ह मम सोका ॥ ५ ॥
नूतन कसलय अनल समाना । देह अगन जन कह नदाना ॥
देख पम बहाकुल सीता । सो छन कपह कलप सम बीता ॥ ६ ॥
दोहा
कप िक दयँ बचा दह मुका िडा तब ।
जन ु असोक अगंा दह हष उठ क गहेउ ॥ १२ ॥
तब देखी मुका मनोह । ाम नाम अंकत अत सु दं ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
9/31
ामिचतमानस - 9 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
चकत चतव मदु पहचानी । हष वषाद दयँ अकुलानी ॥ १ ॥
जीत को सकइ अजय घुाई । माया त अस च नहं जाई ॥
सीता मन बचा क नाना । मधु बचन बोलेउ हनुमाना ॥ २ ॥
ामचं गनु बन लागा । सनुतहं सीता क दख भागा ु ॥ लागी ं सनु वन मन लाई । आदह ु त सब कथा सुनाई ॥ ३ ॥
वनामतृ जेहं कथा सहुाई । कह सो गट होत कन भाई ॥
तब हनुमतं नकट चल गयऊ । िफ बठैं मन बसमय भयऊ ॥ ४ ॥
ाम दत म मात ु जानक ू । सय सपथ कनानधान क ॥
यह मुका मात ुम आनी । दह ाम तुह कहँ सहदानी ॥ ५ ॥
न बानह सगं कह कैस ु । कह कथा भई सगंत जसै ॥ ६ ॥
दोहा
कप के बचन सेम सुन उपजा मन बवास ।
जाना मन म बचन यह कृपासधं ु क दास ॥ १३ ॥
िहजन हान ीत अत गाढ़ । सजल नयन पुलकावल बाढ़ ॥
बू ड़त बह जलध हनुमाना । भयह तात मो कहँ जलजाना ु ु ॥ १ ॥
अब
कह
कु ु सल
जाउँ
बलहा
।
अनजु
सहत
सुख
भवन
खा
॥
कोमलचत कृपाल घुाई । कप क ेह हेत ु ध नठाई ु ॥ २ ॥
सहज बान सेवक सखु दायक । कबहँक सुत कत घनुायक ु ॥
कबहँ नयन मम सीतल ताता ु । होइहहं नख याम मदृ गाता ु ॥ ३ ॥
बचन ु न आव नयन भे बा । अहह नाथ ह नपट बसा ॥
देख पम बहाकुल सीता । बोला कप मदृ बचन बनीता ु ॥ ४ ॥
मात ु क ुसल भ ु अनजु समतेा । तव दख दखी सकृुपा नकेता ु ु ॥
जन जननी मानह जय ँ ऊना ु । तुह ते ेम ु ाम क दना ू ॥ ५ ॥
दोहा
घुपत क सदंेस ु अब सनु ु जननी िध धी ।
अस कह कप गदगद भयउ भे बलोचन नी ॥ १४ ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
10/31
ामिचतमानस - 10 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
कहउे ाम बयोग तव सीता । मो कहँ सकल भए बपता ु ॥
नव त कसलय मनहँ कृसान ू ु । कालनसा सम नस सस भान ू॥ १ ॥
कुबलय बपन कु ं त बन िससा । िबाद तपत तेल जन ु िबसा ॥
ज े हत हे कत तेइ पीा । उग वास सम बध समीा ॥ २ ॥ कहहे त कछ दख घट ू ु ु होई । काह कह यह जान न कोई ॥
तव ेम क मम अ तोा । जानत या एकु मन ु मोा ॥ ३ ॥
सो मन ु सदा हत तोह पाह ं । जान ु ीत स ु एतनेह माह ं ॥
भ ु सदंेस ु सनुत बैदेह । मगन ेम तन सुध नहं तेह ॥ ४ ॥
कह कप दयँ धी ध माता । सुम ाम सवेक सखुदाता ॥
उ आनह घुपत भतुाई ु । सुन मम बचन तजह कदाई ु ॥ ५ ॥
दोहा
नसच नक पतंग सम घपुत बान कृसानु ।
जननी दयँ धी ध जे नसाच जान ु ॥ १५ ॥
ज घुबी होत सुध पाई । कते नहं बलबं ु घुाई ॥
ाम बान ब उएँ जानक । तम बथ कहँ जातधुान क ॥ १ ॥
अबहं
मातु
म
जाउँ
लवाई
।
भु
आयसु
नहं
ाम
दोहाई
॥
कछक दवस जननी ध धीा ु । कपह सहत अइहहं घबुीा ॥ २ ॥
नसच िमा तोह ल ै जहैहं । तहँ पु नादाद जस ु गहैहं ु ॥
ह सतु कप सब तुहह समाना । जातुधान अत भट बलवाना ॥ ३ ॥
मो दय पम सदंेहा । सुन कप गट कह नज देहा ॥
कनक भधूाका सा । सम भयंक अतबल बीा ॥ ४ ॥
सीता मन भोस तब भयऊ । पुन लघ ुप पवनसतु लयऊ ॥ ५ ॥
दोहा
सनु ु मात साखामगृ नहं बल बु बसाल ।
भ ु ताप त गड़ह खाइ पम लघ ु याल ॥ १६ ॥
मन सतंोष सनुत कप बानी । भगत ताप तेज बल सानी ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
11/31
ामिचतमानस - 11 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
आसष दह ामय जाना । होह तात बल सील नधाना ु ॥ १ ॥
अज अम गनुनध सतु होह ू । कहँ बहत घनुायक छोह ु ु ू ॥
कहँ कृपा भु अस सुन काना ु । नभर ेम मगन हनमुाना ॥ २ ॥
बा बा नाएस पद सीसा । बोला बचन िजो क कसा ॥ अब कृतकृय भयउँ म माता । आसष तव अमोघ बयाता ॥ ३ ॥
सनुह मात ु मोह अतसय भखूा ु । लाग देख सु दं फल खा ॥
सनु ुसतु कहं बपन खवा । पम सभुट जनीच भा ॥ ४ ॥
तह क भय माता मोह नाह ं। ज तुह सखु मानह मन माह ं ु ॥५ ॥
दोहा
देख
बु
बल
नपनु
कप
कहेउ
जानकं
जाह
ु ।
घुपत चन दयँ िध तात मधु फल खाह ु ॥ १७ ॥
चलेउ नाइ स पठैउे बागा । फल खाएस त तौ लागा ॥
हे तहां बह भट खवाे ु । कछ माेस कछ जाइ पुकाे ु ु ॥ १ ॥
नाथ एक आवा कप भा । तेहं असोक बाटका उजा ॥
खाएस फल अ बटप उपाे । छक मदर मदर मह डाे ॥ २ ॥
सुन
ावन
पठए
भट
नाना
।
तहह
देख
गजउ
हनुमाना
॥
सब जनीच कप सघंाे । गए पकुात कछ अधमाे ु ॥ ३ ॥
पुन पठयउ तेहं अछक ुमाा । चला सगं ल ै सभुट अपाा ॥
आवत देख बटप गह तजार । ताह नपात महाधुन गजार ॥ ४ ॥
दोहा
कछ माेस ु कछ मदस कछ मलएस िध िधू ु ु ।
कछ पुन जाइ पकुाे भ ु मकर ट बल भिू ु ॥ १८ ॥
सुन सतु बध लकें स िसाना । पठएस मघेनाद बलवाना ॥
मास जन सतु बाँधसे ुताह । देखअ कपह कहा ँक आह ॥ १ ॥
चला इंजत अतुलत जोधा । बंध ु नधन सुन उपजा ोधा ॥
कप देखा दान भट आवा । कटकटाइ गजार अ धावा ॥ २ ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
12/31
ामिचतमानस - 12 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
अत बसाल त एक उपाा । बथ कह लकें स कुमाा ॥
हे महाभट ताके सगंा । गह गह कप मदरइ नज अगंा ॥ ३ ॥
तहह नपात ताह सन बाजा । भे जगुल मानहँ गजाजा ु ॥
मुठका िमा चढ़ा त जाई । ताह एक छन मुछा आई ॥ ४ ॥ उठ बिहो कहस बह माया ु । जीत न जाइ भजंन जाया ॥ ५ ॥
दोहा
अ तेह साँधा कप मन कह बचा ।
ज न स मानउँ महमा मटइ अपा ॥ १९ ॥
बान कप कहँ तेहं माा ु । पतहँ बा कटकु सघंाा ु ॥
तेहं देखा कप मुछत भयउ । नागपास बांधेस ल ै गयउ ॥ १ ॥
जास ु नाम जप सनुह भवानी ु । भव बधंन काटहं न यानी ॥
तास ुदत क बधं त आवा ू । भ ुकाज लग कपहं बँधावा ॥ २ ॥
कप बंधन सुन नसच धाए । कौतकु लाग सभा ँ सब आए ॥
दसमखु सभा दख कप जाई । कह न जाइ कछ अत भतुाई ु ॥ ३ ॥
क जो सु दसप बनीता । भकुृट बलोकत सकल सभीता ॥
देख
ताप
न
कप
मन
सकंा
।
जम
अहगन
महँ
गड़
असकंा
ु ॥४
॥
दोहा
कपह बलोक दसानन बहसा कह दबारद ु ।
सतु बध सुत कह पुन उपजा दयँ बषाद ॥ २० ॥
कह लकें स कवन त कसा । केह क बल घालेह बन खीसा ॥
क ध वन सनुेह नहं मोह । दखेउँ अत असकं सठ तोह ॥ १ ॥
माे नसच केहं अपाधा । कह सठ तोह न ान कइ बाधा ु ॥ सनु ु ावन ांड नकाया । पाइ जास ु बल बचत माया ॥ २ ॥
जाक बल बंच िह ईसा । पालत सजृत हत दससीसा ॥
जा बल सीस धत सहसानन । अडंकोस समते िग कानन ॥ ३ ॥
धइ जो बबध देह सुाता । तुह स े सठह सखावन ु दाता ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
13/31
ामिचतमानस - 13 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
ह कोदंड कठन जेहं भजंा । तेह समेत नपृ दल मद गजंा ॥ ४ ॥
ख दषन सा अ बाली ू । बधे सकल अतुलत बलसाली ॥ ५ ॥
दोहा
जाके बल लवलेस त जतेह चाच िझा ु ।
तास ु दत म जा िक िह आने ू ह य िना ु ॥ २१ ॥
जानेउ म तुिहा भतुाई । सहसबाह सन प लाई ु ॥
सम बाल सन िक जस ुपावा । सुन कप बचन बहस बहावा ॥१॥
खायउँ फल भ ु लागी भू खँा । कप सुभाव त तोेउँ खा ॥
सब क देह पम य वामी । माहं मोह कुमाग गामी ॥ २ ॥
जह मोह माा ते म माे । तेह प बाँधउँे तनय ँ तुहाे ॥
मोह न कछ बाँध ेकइ लाजा ु । कह चहउँ नज भ ुक काजा ॥ ३ ॥
बनती कउँ िजो क ावन । सनुह मान तज मो सखावन ु ॥
देखह तुह नज क ुलह बचा ु । म तज भजह भगत भय हा ु ॥४॥
जाक ड अत काल डेाई । जो सु असु चाच खाई ॥
तास बय कबहँ नहं कज ै ु । मोे कह जानक दज ै ॥ ५ ॥
दोहा
नतपाल घुनायक कना सधंु खिा ।
गए ँ सन भ ु ाखह तव अपाध बिसा ॥ २२ ॥
ाम चन पंकज उ धह ू । लकंा ँ अचल ाज तुह कह ू ॥
िष पलुत जस ुबमल मयंका । तेह सस महँ जन होह कलकंा ु ु ॥१॥
ाम नाम बन ु गा न सोहा । देख ु बिचा याग मद मोहा ॥
बसन हन नहं सोह सुा । सब भषून भूषत ब ना ॥ २ ॥ ाम बमुख सपंत भतुाई । जाइ ह पाई बन ु पाई ॥
सजल मलू जह िसतह नाह ं। बष गए ँपुन तबहं सखुाहं ॥ ३ ॥
सनु ु दसकंठ कहउँ पन ोपी । बमुख ाम ाता नहं कोपी ॥
सकं सहस बन ुअज तोह । सकहं न ाख ाम क ोह ॥ ४ ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
14/31
ामिचतमानस - 14 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
दोहा
मोहमलू बह सलू द यागह तम अभमान ु ु ।
भजह ाम घुनायक कृपा संध ु भगवान ु
॥ २३ ॥
जदप कह कप अत हत बानी । भगत बबेक बत नय सानी ॥
बोला बहस महा अभमानी । मला हमह कप गु बड़ यानी ॥ १ ॥
मृय ु नकट आई खल तोह । लागेस अधम सखावन मोह ॥
उलटा होइह कह हनुमाना । मतम तो गट म जाना ॥ २ ॥
सुन कप बचन बहत खसआना ु । बेग न हह मू ढ़ क ाना ु ॥
सनुत नसाच मान धाए । सचवह सहत बभीषन ु आए ॥ ३ ॥
नाइ सीस िक बनय बहता ू । नीत बोधा न िमाअ दता ू ॥
आन दंड कछ िकअ गोसाँई ु । सबह ं कहा मं भल भाई ॥ ४ ॥
सनुत बहस बोला दसक ंध । अगं भगं िक पठइअ बंद ॥ ५ ॥
दोहा
कप क ममता पू छँ प सबह कहउँ समझुाइ ।
तले िबो पट बाँध पुन पावक देह लगाइ ु ॥ २४ ॥
पू छँ हन बान तह ँ जाइह । तब सठ नज नाथह लइ आइह ॥
जह कै कहस बहत बड़ाई ु । दखेउँ म तह कै भतुाई ॥ १ ॥
बचन सनुत कप मन मुसकुाना । भइ सहाय साद म जाना ॥
जातधुान सुन ावन बचना । लाग े च मू ढ़ सोइ चना ॥ २ ॥
हा न नग बसन घृत तेला । बाढ़ पू ँछ कह कप खलेा ॥
कौतकु कहँ आए पुबासी । माहं चन कहं बह हाँसी ु ॥ ३ ॥
बाजहं ढोल देहं सब ता । नग फेि पुन पू छँ जा ॥ पावक जत देख हनुमतंा । भयउ पम लघुप तुंता ॥ ४ ॥
नबुक चढ़ेउ कप कनक अटा ं । भइँ सभीत नसाच ना ं॥ ५ ॥
दोहा
8/20/2019 Sundar Kand5
15/31
ामिचतमानस - 15 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
िह िेत तेह अवस चल े मत उनचास ।
अटहास िक गजार कप बढ़ लाग अकास ॥ २५ ॥
देह बसाल पम हआई । मंद त मंद चढ़ धाई ॥
जइ नग भा लोग बहाला । झपट लपट बह कोट काला ु ॥ १ ॥
तात मात ु हा सुनअ पकुाा । एहं अवस को हमह उबाा ॥
हम जो कहा यह कप नहं होई । बान प ध सु कोई ॥ २ ॥
साध ु अवया क फल ु ऐसा । जइ नग अनाथ क जसैा ॥
जाा नग नमष एक माह ं । एक बभीषन क गहृ नाह ं ॥ ३ ॥
ता क दत अनल जेहं िसजा ू । जा न सो तेह कान िगजा ॥
उलट
पलट
लकंा
सब
जा
।
कूद
पा
पुन
सधंु
मझा
॥
४
॥
दोहा
पू छँ बुझाइ खोइ म िध लघ ु प बिहो ।
जनकसतुा क आग ठाढ़ भयउ क िजो ॥ २६ ॥
मात ु मोह दजे कछ चीहा ु । जसै घनुायक मोह दहा ॥
चू ड़ामन उिता तब दयऊ । हष समते पवनसतु लयऊ ॥ १ ॥
कहहे तात अस मो नामा ु । सब का भु पूनकामा ॥ दन दयाल िबद सँ ु भा । हह नाथ मम सकंट भा ु ॥ २ ॥
तात ससुत कथा सुनाएह ु । बान ताप भुह समझुाएह ु ॥
मास दवस महँ नाथ न आवा ु । तौ पुन मोह जअत नहं पावा ॥ ३ ॥
कह कप क ेह बध ाख ाना ु । तुहह तात कहत अब जाना ू ॥
तोह देख सीतल भइ छाती । पुन मो कहँ सोइ द ु न ुसो ाती ॥ ४ ॥
दोहा
जनकसतुह समझुाइ िक बह बध धीज ु दह ु ।
चन कमल स नाइ कप गवन ु ाम पहं कह ॥ २७ ॥
चलत महाधुन गजस भा । गभर वहं सुन नसच ना ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
16/31
ामिचतमानस - 16 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
नाघ संध ुएह पाह आवा । सबद कलकला कपह सनुावा ॥ १ ॥
हष े सब बलोक हनमुाना । नूतन जम कपह तब जाना ॥
मखु सन तन तेज बाजा । कहेस ामचं क काजा ॥ २ ॥
मले सकल अत भए सखुा । तलफत मीन पाव जम बा ॥ चल े हष घुनायक पासा । पू ँछत कहत नवल इतहासा ॥ ३ ॥
तब मधबुन भीत सब आए । अगंद समंत मध ु फल खाए ॥
खवाे जब बजन लाग े मु हा हनत सब भाग े ॥ ४ ॥
दोहा
जाइ पकुाे ते सब बन उजा जबुाज ।
सनु
सुीव
हष
कप
िक
आए
भु
काज
॥
२८
॥
ज न होत सीता सुध पाई । मधुबन के फल सकहं क खाई ॥
एह बध मन बचा क ाजा । आइ गए कप सहत समाजा ॥ १ ॥
आइ सबह नावा पद सीसा । मलेउ सबह अत ेम कपीसा ॥
पू छँ कुसल कुसल पद देखी । ाम कृपा ँ भा काज ु बसेषी ॥ २ ॥
नाथ काज ु कहेउ हनमुाना । ाखे सकल कपह के ाना ॥
सुन
सुीव
बिह
तेह
मलेऊ
ु ।
कपह
सहत
घुपत
पहं
चलेऊ
॥३॥
ाम कपह जब आवत देखा । कएँ काज ु मन हष बसेषा ॥
फटक सला बठैे ौ भाई । पे सकल कप चनह जाई ॥ ४ ॥
दोहा
ीत सहत सब भटेे घपुत कना पु ंज ।
पू छँ कुसल नाथ अब कुसल देख पद कंज ॥ २९॥
जामवंत कह सनु ु घुाया । जा प नाथ कह तुह दाया ु ॥ ताह सदा सुभ कुसल नंत । सु न मुन सन ता ऊप ॥ १ ॥
सोइ बजई बनई गुन साग । तास ु सजुस ु ैलोक उजाग ॥
भ ुक ं कृपा भयउ सब काज ू । जम हमा सफुल भा आज ू॥ २ ॥
नाथ पवनसुत कह जो कनी । सहसहँ मुख न जाइ सो बनी ु ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
17/31
ामिचतमानस - 17 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
पवनतनय के िचत सहुाए । जामवंत घुपतह सनुाए ॥ ३ ॥
सनुत कृपानध मन अत भाए । पुन हनुमान हष हय ँ लाए ॥
कहह तात क ेह भाँत जानक ु । हत कत छा वान क ॥ ४ ॥
दोहा
नाम पाह दवस नस यान तुहा कपाट ।
लोचन नज पद जंत जाहं ान क ेह ं बाट ॥ ३० ॥
चलत मोह चूड़ामन दह । घुपत दयँ लाइ सोइ लीह ॥
नाथ जगुल लोचन िभ बा । बचन कहे कछ जनककुमा ु ॥ १ ॥
अनजु समते गहहे भ ु चना ु । दन बधंु नतात हना ॥
मन म बचन चन अनुागी । केहं अपाध नाथ ह यागी ॥ २॥
अवगुन एक मो म माना । बछत ान न कह पयाना ु ॥
नाथ सो नयनह को अपाधा । नसत ान कहं हठ बाधा ॥ ३ ॥
बह अगन तन ु तलू समीा । वास जइ छन माहं सा ॥
नयन वहं जल ु नज हत लागी । ज न पाव देह बहागी ॥ ४ ॥
सीता कै अत बपत बसाला । बनहं कह भल दनदयाला ॥ ५ ॥
दोहा
नमष नमष कनानध जाहं कलप सम बीत ।
बेग चलअ भ ु आनअ भुज बल खल दल जीत ॥ ३१ ॥
सुन सीता दख भु सखु अयना ु । िभ आए जल ाजव नयना ॥
बचन काय ँमन मम गत जाह । सपनहेँ बूझअ बपत क ताह ु ॥१ ॥
कह हनुमतं बपत भ ु सोई । जब तव सुमन भजन न होई ॥
क ेतक बात भ ुजातुधान क । िपुह जीत आनबी जानक ॥ २ ॥ सनु ुकप तोह समान उपका । नहं कोउ सु न मुन तनुधा ॥
त उपका क का तोा । सनमुख होइ न सकत मन मोा ॥ ३ ॥
सनु ु सत तोह िउन म नाह ं । देखउँे िक बचा मन माह ं ॥
पुन पुन कपह चतव सुाता । लोचन नी पुलक अत गाता ॥ ४ ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
18/31
ामिचतमानस - 18 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
दोहा
सुन भ ु बचन बलोक मुख गात हष हनुमतं ।
चन पेउ ेमाक ुल ाह ाह भगवंत ॥ ३२ ॥
बा बा भ ु चहइ उठावा । ेम मगन तेह उठब न भावा ॥
भ ुक पकंज कप क सीसा । सुिम सो दसा मगन गौसा ॥ १ ॥
सावधान मन िक पुन सकं । लाग े कहन कथा अत सु दं ॥
कप उठाइ भ ुदयँ लगावा । क गह पम नकट बैठावा ॥ २ ॥
कह कप ावन पालत लकंा ु । क ेह बध दहेउ दगर अत बकंा ु ॥
भ ु सन जाना हनुमाना । बोला बचन बगत हनुमाना ॥ ३ ॥
साखामगृ कै बड़ मनसुाई । साखा त साखा प जाई ॥
नाघ सधं ुहाटकपु जाा । नसच गन बध बपन उजाा ॥ ४ ॥
सो सब तव ताप घुाई । नाथ न कछ िमो भतुाई ू ॥ ५ ॥
दोहा
ता कहँ भ ु कछ अगम नहं जा प तुह अनकुूल ु ु ।
तव भाव ँ वड़वानलह िजा सकइ खल ु तलू ॥ ३३ ॥
नाथ भगत अत सखुदायनी । देह कृपा िक अनपायनी ु ॥
सुन भु पम सल कप बानी । एवमतु तब कहेउ भवानी ॥ १ ॥
उमा ाम सभुाउ जेहं जाना । ताह भजन ु तज भाव न आना ॥
यह सबंाद जास ु उ आवा । घपुत चन भगत सोइ पावा ॥ २ ॥
सुन भ ुबचन कहहं कप बृ ंदा । जय जय जय कृपाल सखुकंदा ॥
तब घपुत कपपतहं बोलावा । कहा चल क कह बनावा ु ॥ ३ ॥
अब बलबंु क ेह कान कजे । तुत कपह कहँ ु आयसु दज े ॥ कौतकु देख समुन बह बषी ु । नभ त भवन चल ेसु हषी ॥ ४ ॥
दोहा
कपपत बेग बोलाए आए जथूप जथू ।
8/20/2019 Sundar Kand5
19/31
ामिचतमानस - 19 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
नाना बन अतुल बल बान भाल ु बथ ॥ ३४ ॥
भ ु पद पंकज नावहं सीसा । गजरहं भाल ु महाबल कसा ॥
देखी ाम सकल कप सनेा । चतइ कृपा िक ाजव ननैा ॥ १ ॥
ाम कृपा बल पाइ कपदंा । भए पछजुत मनहँ िगंदा ु ॥
हष ाम तब कह पयाना । सगुन भए सु दं सुभ नाना ॥ २ ॥
जास ु सकल मगंलमय कती । तासु पयान सगनु यह नीती ॥
भ ु पयान जाना बदैहें । फक बाम अगँ जन ु कह देह ं ॥ ३ ॥
जोइ जोइ सगनु जानकह होई । असगनु भयउ ावनह सोई ॥
चला कटकु को बन पाा । गजरहं बान भाल ु अपाा ॥ ४ ॥
नख
आयधु
िग
पादपधा
।
चले
गगन
मह
इछाचा
॥
क ेिहनाद भाल ु कप कह ं । डगमगाहं दगज चकह ं ॥ ५ ॥
छंद
चकहं दगज डोल मह िग लोल साग खभे ।
मन हष सब गंधबर सु मुन नाग कंन दख टे ु ॥
कटकटहं मकर ट बकट भट बह कोट कोटह धावह ं ु ।
जय
ाम
बल
ताप
कोसलनाथ
गनु
गन
गावहं
॥
१
॥
सह सक न भा उदा अहपत बा बाहं मोहई ।
गह दसन पुन पुन कमठ पृ कठो सो कम सोहई ॥
घुबी च यान थत जान पम सहुावनी ।
जन ु कमठ खपर सपराज सो लखत अबचल पावनी ॥ २ ॥
दोहा
एह बध जाइ कृपानध उते साग ती । जहँ तहँ लाग े खान फल भाल ु बपलु कप बी ॥ ३५ ॥
उहा ँ नसाच हहं ससंका । जब त िजा गयउ कप लकंा ॥
नज नज गहृ सब कहं बचाा । नहं नसच कुल के उबाा ॥१ ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
20/31
ामिचतमानस - 20 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
जास ु दत बल ू बन न जाई । तेह आएँ पु कवन भलाई ॥
दतह सन सुन पुजन बानी ू । मदंोद अधक अकुलानी ॥ २ ॥
हस िजो क पत पग लागी । बोली बचन नीत स पागी ॥
कंत कष िह सन िपहह ू । मो कहा अत हत हय ँधह ू ॥ ३ ॥ समझुत जास ु दत कइ कनी ू । वहं गभर जनीच धनी ॥
तास ु िना नज सचव बोलाई । पठवह कंत जो चहह भलाई ु ु ॥ ४ ॥
तव कुल कमल बपन दखदायई ु । सीता सीत नसा सम आई ॥
सनुह नाथ सीता बन ुदह ु । हत न तुहा सभं ुअज कह ॥ ५ ॥
दोहा
ाम
बान
अह
गन
िसस
नक
नसाच
भेक
।
जब लग सत न तब लग जतन ु कह तज टेक ु ॥ ३६ ॥
वन सुन सठ ता िक बानी । बहसा जगत बदत अभमानी ॥
सभय सभुाउ िना क साचा । मगंल महँ भय मन अत काचा ु ॥ १ ॥
ज आवइ मकर ट कटकाई । जअहं बचाे नसच खाई ॥
कंपहं लोकप जाक ं ासा । तासु िना सभीत बड़ हासा ॥ २ ॥
अस
कह
बहस
ताह
उ
लाई
।
चलेउ
सभाँ
ममता
अधकाई
॥
मदंोद दयँ क चतंा । भयउ कंत प बध बपता ॥ ३ ॥
बठेैउ सभाँ खिब अस पाई । सधं ु पा सनेा सब आई ॥
बझूेस सचव उचत मत कहेह ू । त ेसब हँस ेम िक हेह ू ॥ ४ ॥
जतेह सुासु तब म नाह ं ु । न बान केह लखेे माह ं ॥ ५ ॥
दोहा
सचव बदै गु तीन ज य बोलहं भय आस ।
ाज धमर तन तीन क होइ बेगह ं नास ॥ ३७ ॥
सोइ ावन कहँ बनी सहाई ु । अतुत कहं सनुाइ सनुाई ॥
अवस जान बभीषन ु आवा । ाता चन सीस ु तेहं नावा ॥ १ ॥
पुन स नाइ बैठ नज आसन । बोला बचन पाइ अनसुासन ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
21/31
ामिचतमानस - 21 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
जौ कृपाल पू ँछह मो ु ह बाता । मत अनुप कहउँ हत ताता ॥ २ ॥
जो आपन चाहै कयाना । सजुस ु सुमत सभु गत सखु नाना ॥
सो पिना लला गोसाई । तजउ चउथ के चदं क नाई ॥ ३ ॥
चौदह भवुन एक पत होई । भतूोह तइ नहं सोई ॥ गनु साग नाग न जोऊ । अलप लोभ भल कहइ न कोऊ ॥ ४ ॥
दोहा
काम ोध मद लोभ सब नाथ नक के पंथ ।
सब िपिह घबुीह भजह भजहं जेह सतं ु ॥ ३८ ॥
तात ाम नहं न भपूाला । भवुनेव कालह क काला ु ॥
अनामय अज भगवंता । यापक अजत अनाद अनतंा ॥ १ ॥
गो ज धेन ु देव हतका । कृपा सधंु मानषु तनधुा ॥
जन ंजन भजंन खल ाता । बेद धमर छक सनु ु ाता ॥ २ ॥
ताह बय तज नाइअ माथा । नतात भजंन घुनाथा ॥
देह नाथ भ ु कहँ बदैेह ु ु । भजह ाम बन ु हेत ु सनहे ु ॥ ३ ॥
सन गए ँ भु ताह न यागा ु । बव ोह कृत अघ जेह लागा ॥
जासु
नाम
य
ताप
नसावन
।
सोई
भु
गट
समझुु
जयँ
ावन
॥
४
॥
दोहा
बा बा पद लागउँ बनय कउँ दससीस ।
िपिह मान मोह मद भजह कोसलाधीस ु ॥ ३९ क ॥
मुन पलुत नज सय सन कह पठई यह बात ।
तुत सो म भु सन कह पाइ सअुवस तात ॥ ३९ ख ॥
मायवतं अत सचव सयाना । तास ु बचन सुन अत सखु माना ॥
तात अनजु तव नीत बभषून । सो उ धह जो कहत बभीषन ु ॥ १ ॥
िप ु उतकष कहत सठ दोऊ । िद न कह इहा ँ हइ कोऊ ू ु ॥
मायवतं गृह गयउ बहो । कहइ बभीषन ु पुन क जो ॥ २ ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
22/31
ामिचतमानस - 22 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
समुत कुमत सब क उ हह ं । नाथ पुान नगम अस कहहं ॥
जहा ँसमुत तह ँसपंत नाना । जहा ँकुमत तहँ बपत नदाना ॥ ३ ॥
तव उ कुमत बसी बपता । हत अनहत मानह िप ु ीता ु ॥
कालात नसच कुल क े । तेह सीता प ीत घने ॥ ४ ॥
दोहा
तात चन गह मागउँ ाखह मो दला ु ु ।
सीत देह ाम कह ँ अहत न होइ तुहा ु ु ॥ ४० ॥
बधु पुान ुत समंत बानी । कह बभीषन नीत बखानी ॥
सनुत दसानन उठा िसाई । खल तोह नकट मृय अब आई ॥ १ ॥
जअस सदा सठ मो जआवा । िप ु क पछ मू ढ़ तोह भावा ॥
कहस न खल अस को जग माह ं। भुज बल जाह जता म नाह ं॥२ ॥
मम पु बस तपसह प ीती । सठ मल ुजाइ तहह कह नीती ु ॥
अस कह कहेस चन हाा । अनुज गहे पद बाहं बाा ॥ ३ ॥
उमा सतं कइ इहइ बड़ाई । मंद कत जो कइ भलाई ॥
तुह पतु िसस भलेहं मोह माा । ाम ुभज हत नाथ तुहाा ॥४ ॥
सचव
सगं
लै
नभ
पथ
गयऊ
।
सबह
सनुाइ
कहत
अस
भयऊ
॥
५
॥
दोहा
ाम ु सयसकंप भ ु सभा कालबस ितो ।
म घुबी सन अब जाउँ देह जन िखो ु ॥ ४१ ॥
अस कह चला बभीषन ु जबह ं । आयहून भए सब तबह ं ॥
साध ु अवया तुत भवानी । क कयान अखल कै हानी ॥ १ ॥
ावन जबहं बभीषन यागा । भयउ बभव बन ु तबहं अभागा ॥ चलेउ हष घुनायक पाह ं । कत मनोथ बह मन मा ु हं ॥ २ ॥
देखहउँ जाइ चन जलजाता । अन मदृल सवेक सुखदाता ु ॥
ज े पद पिस त िषना । दंड़क कानन पावनका ॥ ३ ॥
ज े पद जनकसतुाँ उ लाए । कपट कुंग सगं ध धाए ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
23/31
ामिचतमानस - 23 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
ह उ स सोज पद जेई । अहोभाय म देखहउँ तेई ॥ ४ ॥
दोहा
जह पायह के पादकह भतु हे मन ु
लाइ ।
त े पद आजु बलोकहउँ इह नयनह अब जाइ ॥ ४२ ॥
एह बध कत सेम बचाा । आयउ सपद सधं ु एहं पाा ॥
कपह बभीषन ु आवत दखेा । जान कोउ िप ु दत बसेषा ू ॥ १ ॥
ताह ाख कपीस पहं आए । समाचा सब ताह सनुाए ॥
कह सुीव सनुह घुाई ु । आवा मलन दसानन भाई ॥ २ ॥
कह भ ु सखा बूझऐ काहा । कहइ कपीस सनुह ननाहा ु ॥
जान न जाइ नसाच माया । कामप क ेह कान आया ॥ ३ ॥
भेद हमा लेन सठ आवा । ाखअ बाँध मोह अस भावा ॥
सखा नीत तुह नीक बचा । मम पन सनागत भयहा ॥ ४ ॥
सुन भ ु बचन हष हनमुाना । सनागत बछल भगवाना ॥ ५ ॥
दोहा
सनागत कहँ ज े तजहं नज अनहत अनुमान ु ।
त े न पावँ पापमय तहह बलोकत हान ॥ ४३ ॥
कोट ब बध लागहं जाह ू । आए ँ सन तजउँ नहं ताह ू ॥
सनमखु होइ जीव मोह जबह ं। जम कोट अघ नासहं तबहं ॥ १ ॥
पापवतं क सहज सभुाऊ । भजह मो तेह ु भाव न काऊ ॥
ज पै ददय सोइ होई ु । मो सनमखु आव क सोई ॥ २ ॥
नमरल मन जन सो मोह पावा । मोह कपट छल छ न भावा ॥
भेद लेन पठवा दससीसा । तबहँ न कछ भय हान कपीसा ु ु ॥ ३ ॥ जग महँ सखा नसाच जतेे ु । लछमन ु हनइ नमष मह ँ तेते ु ॥
जो सभीत आवा सना । ाखहउँ ताह ान क ना ॥ ४ ॥
दोहा
8/20/2019 Sundar Kand5
24/31
ामिचतमानस - 24 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
उभय भाँत तेह आनह हँस कह कृपानके त ु ।
जय कृपाल कह कप चल े अंगद हन ू समते ॥ ४४ ॥
साद तेह आग िक बान । चल े जहा ँ घुपत कनाक ॥
िदह ते देख े ौ ाता ू । नयनानदं दान के दाता ॥ १ ॥
बिह ाम छबधाम बलोक ु । हेउ ठटक एकटक पल ोक ु ॥
भजु लबं कंजान लोचन । यामल गात नत भय मोचन ॥ २ ॥
सघं कंध आयत उ सोहा । आनन अमत मदन मन मोहा ॥
नयन नी पुलकत अत गाता । मन िध धी कह मदृ बाता ु ॥ ३ ॥
नाथ दसानन क म ाता । नसच बसं जनम सुाता ॥
सहज
पापय
तामस
देहा
।
जथा
उलकूह
तम
प
नेहा
॥
४
॥
दोहा
वन सजुसु सुन आयउँ भ ु भजंन भव भी ।
ाह ाह आत हन सन सखुद घबुी ॥ ४५ ॥
अस कह कत दंडवत देखा । तुत उठे भु हष बसषेा ॥
दन बचन सुन भ ुमन भावा । भजु बसाल गह दयँ लगावा ॥ १ ॥
अनजु सहत मल ढग बठैा । बोल े बचन भगत भय हा ॥ कह लकेंस सहत िपवाा ु । कुसल कुठाह बास तुहाा ॥ २ ॥
खल मडंली ं बसह दन ाती ु । सखा धम नबहइ केह भाँती ॥
म जानउँ तुिहा सब ती । अत नय नपनु न भाव अनीती ॥ ३ ॥
ब भल बास नक क ताता । द सगं जन देइ बधाता ु ॥
अब पद देख कुसल घुाया । ज तुह कह जान जन दाया ॥ ४ ॥
दोहा
तब लग कुसल न जीव कहँ सपनहेँ मन बाम ु ु ।
जब लग भजन न ाम कहँ सोक धाम तज काम ु ॥ ४६ ॥
तब लग दयँ बसत खल नाना । लोभ मोह मछ मद माना ॥
8/20/2019 Sundar Kand5
25/31
ामिचतमानस - 25 - सु दंकांड
Read Ramcharitmanas online at www.swargarohan.org
जब लग उ न बसत घुनाथा । ध चाप सायक कट भाथा ॥ १ ॥
ममता तन तमी अँधआ । ाग ेष उलकू सखुका ॥
तब लग बसत जीव मन माह ं। जब