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Dashrath Krit Shani Stotra नम: कृ णाय नीलाय शतकठनभाय नम: कालानपाय कृ ताताय वै नम: ।। नमो नमास देहाय दघमुजटाय नमो वशालनेाय शुकोदर भयाकृ ते।। नम: पुकलगााय ूलरोणेऽथ वै नम:नमो दघायशुकाय कालद नमोऽतुते।। नमते कोटरााय नरीयाय वै नम:नमो घोराय रौाय भीषणाय कपालने।। नमते सवभाय वलीमुखायनमोऽतुतेसूयपु नमतेऽतु भाकरे भयदाय ।। अधोे: नमतेऽतु संवतक नमोऽतुतेनमो मदगते तुयं नरणाय नमोऽतुते।। तपसा दधदेहाय नयं योगरताय नमो नयं ुधाताय अतृताय वै नम:।। ानचुनमतेऽतु कयपामज सूनवेतुो ददास वै रायं हरस तणात्।। देवासुरमनुया सवाधरोरगा:वया वलोकता: सव नाशंयात समूलत:।। साद कु मे देव वाराहोऽहमुपागतएवं तुततद सौररहराजो महाबल:।।

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Dashrath Krit Shani Stotra नम: कृ�णाय नीलाय �श�तक�ठ�नभाय च।नम: काला��न�पाय कृता�ताय च वै नम: ।।

नमो �नमा�स देहाय द�घ��म�ुजटाय च।नमो �वशालने�ाय शु�कोदर भयाकृते।।

नम: पु�कलगा�ाय �ूलरो�णेऽथ वै नम:।नमो द�घा�यशु�काय कालद� नमोऽ�तुते।।

नम�ते कोटरा�ाय ��न�री�याय वै नम:।नमो घोराय रौ�ाय भीषणाय कपा�लने।।

नम�ते सव�भ�ाय वलीमुखायनमोऽ�तुते।सूय�पु� नम�तेऽ�तु भा�करे भयदाय च।।

अधो��े: नम�तेऽ�तु संवत�क नमोऽ�तुते।नमो म�दगते तु�यं �न�र��णाय नमोऽ�तुते।।

तपसा द�धदेहाय �न�यं योगरताय च।नमो �न�यं �ुधाता�य अतृ�ताय च वै नम:।।

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