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SachchaSukh

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Page 1: SachchaSukh

अनु�क्रम

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प्रा�तः�स्मरणीय पू�ज्यपू�दसं�तः श्री आसं�र�मजी बा�पू� के�

संत्सं�ग-प्रावचन

संच्चा� सं�खपू�ज्य बा�पू� के� पू�वन संन्द�श

हम धनुवानु हगे� या नुह�, चु�नुवा जी�तें�गे� या नुह� इसम� शं�का ह सकातें� ह� परं�तें� भै�या ! हम मरं�गे� या नुह�, इसम� काई शं�का ह�? विवामनु उड़नु� का समया विनुश्चि"तें हतें ह�, बस चुलनु� का समया विनुश्चि"तें हतें ह�, गेड़� छू& टनु� का समया विनुश्चि"तें हतें ह� परं�तें� इस जी�वानु का( गेड़� छू& टनु� का काई विनुश्चि"तें समया ह�?

आजी तेंका आपनु� जीगेतें म� जी का� छू जीनु ह�, जी का� छू प्राप्तें विकाया ह�.... आजी का� बद जी जीनुगे� औरं प्राप्तें कारंगे�, प्यारं� भै�या ! वाह सब म.त्या� का� एका ह� झटका� म� छू& ट जीया�गे, जीनु अनुजीनु ह जीया�गे, प्राप्तिप्तें अप्राप्तिप्तें म� बदल जीया�गे�।

अतें4 सवाधनु ह जीओ। अन्तेंम�7ख हकारं अपनु� अविवाचुल आत्म का, विनुजीस्वारूप का� अगेध आनुन्द का, शंश्वतें शं�वितें का प्राप्तें कारं ल। वि<रं तें आप ह� अविवानुशं� आत्म ह।

जीगे.... उठो.... अपनु� भै�तेंरं सया� हुए विनु"याबल का जीगेओ। सवा7द�शं, सवा7काल म� सवा?त्तम आत्मबल का अर्जिजीBतें कारं। आत्म म� अथाह समर्थ्यया7 ह�। अपनु� का दEनु-ह�नु मनु ब�ठो� तें विवाश्व म� ऐस� काई सत्त नुह� जी तें�म्ह� ऊपरं उठो सका� । अपनु� आत्मस्वारूप म� प्रावितेंष्ठिJतें ह गेया� तें विKलका( म� ऐस� काई हस्तें� नुह� जी तें�म्ह� दब सका� ।

सद स्मरंण रंह� विका इधरं-उधरं भैटकातें� वा.श्चित्तयाM का� सथा तें�म्हरं� शंक्तिO भै� विबखरंतें� रंहतें� ह�। अतें4 वा.श्चित्तयाM का बहकाओ नुह�। तेंमम वा.श्चित्तयाM का एकाविKतें कारंका� सधनु-काल म� आत्मक्तिचुन्तेंनु म� लगेओ औरं व्यवाहरं-काल म� जी काया7 कारंतें� ह उसम� लगेओ। दत्तक्तिचुत्त हकारं हरं काई काया7 कारं। सद शंन्तें वा.श्चित्त धरंण कारंनु� का अभ्यास कारं। विवाचुरंवान्तें एवा� प्रासन्न रंह। जी�वामK का अपनु स्वारूप समझ। सबस� स्नु�ह रंख। दिदल का व्यपका रंख। आत्मविनुJ म� जीगे� हुए महप�रुषोंM का� सत्स�गे एवा� सत्सविहत्या स� जी�वानु का भैक्तिO एवा� वा�दन्तें स� प�ष्ट एवा� प�लविकातें कारं।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

निनव�दनप&ज्याश्री� का� सरंस स�बध एवा� श्री�वितें-मध�रं वाचुनुम.तेंM का� इस अनु�पम स�कालनु का पठोकाM का( स�वा म� प्रास्तें�तें

कारंतें� हुए हम� अपरं प्रासन्नतें ह रंह� ह�।

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याह आत्मज्ञानु का( उच्च सधनु विवाह�गेमगे7 काहलतें� ह�। आत्मज्ञानु का� प्यास�, विवावा�का-वा�रंग्यावानु सधकाM का� क्तिलए याह प�स्तेंका वाया�यानु का काम कारं�गे�। प&ज्याश्री� का( आत्मनु�भै&वितें स� छूलकातें� या� वाचुनु द�ह का( आसक्तिO औरं मनुक्तिसका दुब7लतेंए_ छू� ड़कारं आत्म-सिंसBहसनु परं विबठो द�तें� हa।

अतें4 इस पवानु प�स्तेंका का अपनु� सथा रंख�, बरं-बरं पढ़ें� औरं धन्या-धन्या ह जीए_.....।निवनतः

श्री य"ग व�द�न्तः सं�व� संमिमनितःॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

अन�क्रमप&ज्या बप& का पवानु सन्द�शं विनुवा�दनुसच्च स�ख स�तें स&रंदस विवावा�का दप7ण स�याम स� ह� स<लतें स&क्ष्म वा.श्चित्त स� आत्मलभै अस�म प�ण्या का( प्राप्तिप्तें सत्स�गे लहरिरंया_ सच्च स�ख क्या ह� ?

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संच्चा� सं�खचु�तेंन्यास्वारूप परंमत्म का( सत्त स� हमरं� क्तिचुत्तकाल स्फु� रिरंतें हतें� ह�। वाह क्तिचुत्तकाल या स�विवातेंh, वा.श्चित्त,

स्फु� रंण या धरं विहतें नुम का( नुड़� म� जीकारं स्वाप्न का स�सरं बनु ल�तें� ह�। वाह स�विवातेंh स�न्नतें का( अवास्था म� गेहरं� नु�द म� बदल जीतें� ह�। उस स�विवातेंh का� उदगेम स्थानु अन्तेंया7म� आत्म-परंमत्म का( प्राप्तिप्तें, उसका बध या ज्ञानु अगेरं विकास� का तें�नु ष्ठिमनुट का� क्तिलए भै� प्राप्तें ह जीया तें उस� दुबरं गेभै7वास का दु4ख नुह� भैगेनु पड़�गे, मतें का� गेभै7 म� नुह� जीनु पड़�गे।, वाह म�Oत्म ह जीयागे।

चु�तेंन्या सत्त स� स्फु� रिरंतें स�विवातेंh जीगेतें का( आसक्तिO कारंतें� ह� औरं रंगे सविहतें ह जीतें� ह�। नुश्वरं पदथाk का रंगे, नुश्वरं द�ह का( आस्था अगेरं शंश्वतें का� स�गे�तें का स�नुकारं, शंश्वतें का� ध्यानु का पकारं, शंश्वतें का( मध�रंतें का एहसस कारं ल�, सधका रंगेरंविहतें ह जीया तें भैगे यागे म� बदल जीएगे, स्वाथा7 स�वा म� बदल जीएगे, क्तिचुन्तें विनुश्चि"न्तेंतें म� बदल जीयागे�, म.त्या� अमरंतें बदल जीएगे�, जी�वा ब्रह्म ह जीया�गे। का� वाल रंगेरंविहतें हनु� स� याह लभै ह जीएगे।

रंगे का� कारंण जी�वा जीन्म मरंण का� चुक्कारं म� पड़तें ह�, रंगे का� कारंण जी�वा पपचुरं कारंतें ह�, रंगे का� कारंण जी�वा नुनु प्राकारं का( याविनुयाM म� भैटकातें ह�।

रंगेरंविहतें हुए विबनु भैगे यागे म� नुह� बदलतें, स्वाथा7 स�वा म� नुह� बदलतें।रंगे ष्ठिमटनु� का� क्तिलए जीगेतें का( नुश्वरंतें का विवाचुरं कारंका� , शंरं�रं का( क्षणभै�गे�रंतें का विवाचुरं कारंका� क्तिचुत्त म�

वा�रंग्या का उपजीनु चुविहए।दूसंर� उपू�य हैः)� भैगेवानु म� इतेंनु रंगे कारं, उस शंश्वतें चु�तेंन्या म� इतेंनु रंगे कारं विका नुश्वरं का रंगे स्मरंण

म� भै� नु आया�। शंश्वतें का� रंस म� इतेंनु सरंबरं ह जीओ, रंम का� रंस म� इतेंनु तेंन्मया ह जीओ विका कामनुओं का दहकातें हुआ, सिंचुBगेरिरंया_ <� कातें हुआ काम का दु4खद बड़वानुल हमरं� क्तिचुत्त का नु तेंप सका� , नु सतें सका� ।

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क्तिचुत्त म� चु�तेंन्यास्वारूप परंमत्म हरं समया हम�शं स्थिस्थातें ह� ल�विकानु नुश्वरं रंगे का� कारंण उस� चु�तेंन्यास्वारूप परंमत्म का( सत्त ल�कारं स�विवातेंh बविहम�7ख हतें� ह� औरं जीग्रतें जीगेतें का( इच्छाओं म� भैटकातें� ह�। जीब वाह स�विवातेंh विहतें नुम का( नुड़� म� आतें� तेंब स्वाप्न का जीगेतें दिदखतें� ह�। वाह� स�विवातेंh जीब का� ण्ठिण्ठोतें ह जीतें� ह� तेंब स�षों�प्तिप्तें आतें� ह�।

अगेरं वाह स�विवातेंh परंम तेंत्त्वा का क्तिचुन्तेंनु कारं�, ध्यानु कारं�, परंम तेंत्त्वा का� जीनुकारं सत्प�रूषोंM का सष्ठिन्नध्या-स�वानु कारं� तें वाह स�विवातेंh क्रमशं4 अपनु� उदगेम स्थानु चु�तेंन्यास्वारूप आत्म-परंमत्म म� अवास्थिस्थातें ह जीए। इस प्राकारं अपनु� मa पनु� का� उदगेम स्थानु म� स�विवातेंh अगेरं तें�नु ष्ठिमनुट का� क्तिलए भै� स्थिस्थातें ह जीए तें वि<रं उस� जी�वा हकारं जीन्म ल�नु नुह� पड़तें, मतें का� गेभै7 म� आनु नुह� पड़तें।

चुन्द्रम म� अम.तें बरंसनु� का( सत्त जीह_ स� आतें� ह� वाह� चु�तेंन्या तें�म्हरं� दिदल का औरं तें�म्हरं� नुस-नुविड़याM का, तें�म्हरं� आ_खM का औरं मनु-ब�द्धिx का स्फु� रंण औरं शंक्तिO द�तें ह�। जी चु�तेंन्या सत्त स&या7 म� प्राकाशं औरं प्राभैवा भैरंतें� ह�, चुन्द्रम म� चु_दनु� भैरंतें� ह� वाह� चु�तेंन्या सत्त तें�म्हरं� हड़-म�स का� शंरं�रं म� भै� चु�तेंनु, प्रा�म औरं आनुन्द का( धरं बहतें� ह�।

जी�स� प.र्थ्यवा� म� रंस ह�। उसम� द्धिजीस प्राकारं का� ब�जी ब द उस� प्राकारं का� अ�का� रं, <ल-<& ल विनुकाल आतें� हa। उस� प्राकारं वाह चु�तेंन्या रंम रंम-रंम म� बस रंह ह�। उसका� प्रावितें जी�स भैवा कारंका� क्तिचुन्तेंनु, स्मरंण हतें ह� वा�स प्रावितेंभैवा अपनु� आप ष्ठिमलतें ह�। वाह रंम-रंम म� बस ह� इसक्तिलए उसका नुम रंम ह�। उसका क्तिचुन्तेंनु कारंनु� स� वाह तेंप, पप, स�तेंप औरं थाकानु का हरं ल�तें ह� इसक्तिलए उसका नुम हरिरं ह�। सवा7K वाह ख�द ह� ख�द ह� इसक्तिलए उनुका नुम ख�द ह�। वाह काल्याणस्वारूप ह� इसक्तिलए उसका नुम क्तिशंवा ह�।

हम उस� परंम क्तिशंवा का ध्यानु कारं�गे� जी अध7कालधरं� चुन्द्रशं�खरं हकारं चुमकातें� हa। हम उस� नुरंयाण का क्तिचुन्तेंनु कारं�गे� जी भैगेवानु प�ण्डरं�काक्ष वा�का� ण्ठोष्ठिधपवितें हकारं वा�का� ण्ठो का प्राकाशंमनु कारंतें� हa। हम उस� अन्तेंया7म� प्राभै� का स्मरंण कारं�गे� जी चुन्द्रम का� द्वारं तेंमम औषोंष्ठिध-वानुस्पवितेंयाM म� अपनु� कारूण-का. प बरंसकारं मनुवा जीवितें का विनुरंगेतें का वारंदनु द�तें� हa। उस सस्थिच्चदनुन्दघनु परंमत्म का(, उस मध�रं स�विवातेंh का( उपसनु कारंतें�-कारंतें� उस� प्यारं कारं�गे�।

जी तें�म्हरं� दिदल का चु�तेंनु द�कारं धड़कानु दिदलतें ह�, तें�म्हरं� आ_खM का विनुहरंनु� का( शंक्तिO द�तें ह�, तें�म्हरं� कानुM का स�नुनु� का( सत्त द�तें ह�, तें�म्हरं� नुक्तिसका का स&_घनु� का( सत्त द�तें ह� औरं मनु का स�काल्प-विवाकाल्प कारंनु� का( स्फु� रंण द�तें ह� उस� भैरंप&रं स्नु�ह कारं। तें�म्हरं� 'मa....मa...' जीह_ स� स्फु� रिरंतें हकारं आ रंह� ह� उस उदगेम स्थानु का नुह� भै� जीनुतें� ह वि<रं भै� उस� धन्यावाद द�तें� हुए स्नु�ह कारं। ऐस कारंनु� स� तें�म्हरं� स�विवातेंh वाह� पहु_चु�गे� जीह_ याविगेयाM का( स�विवातेंh पहु_चुतें� ह�, जीह_ भैOM का( भैवा स�विवातें विवाश्रीप्तिन्तें पतें� ह�, तेंपस्विस्वायाM का तेंप जीह_ <लतें ह�, ध्याविनुयाM का ध्यानु जीह_ स� क्तिसx हतें ह� औरं काम7याविगेयाM का काम7 कारंनु� का( सत्त जीह_ स� ष्ठिमलतें� ह�।

'यागेवाक्तिशंJ' एका ऐस अदभै�तें ग्रन्थ ह� द्धिजीसका बरं-बरं विवाचुरंनु� स� आदम� का याह� म�क्तिO का अनु�भैवा ह जीतें ह�। उसम� वाO भैगेवानु वाक्तिशंJजी� हa औरं श्रीतें भैगेवानु रंमचुन्द्रजी� हa।

वाक्तिशंJजी� महरंजी विहमलया म� अपनु� स�विवातेंh का अन्तेंम�7ख विकाया� हुए था� औरं भैगेवानु चुन्द्रशं�खरं मतें पवा7तें� का� सथा आकाशं मगे7 स� आया� औरं वाक्तिशंJजी� स� ष्ठिमल�।

धनु म�, वा�भैवा म� औरं बह्य वास्तें�ओं म� एका आदम� दूसरं� आदम� का( प&रं� बरंबरं� नुह� कारं सकातें। जी रूप, लवाण्या, प�K, परिरंवारं, पत्नु� आदिद एका व्यक्तिO का ह� वा�स� का वा�स, उतेंनु ह� दूसरं� का नुह� ष्ठिमल सकातें। ल�विकानु परंमत्म जी वाक्तिशंJजी� का ष्ठिमल� ह�, जी काब�रं का ष्ठिमल� हa, जी रंमका. ष्ण का ष्ठिमल� हa, जी धन्न जीट का ष्ठिमल� हa, जी रंजी जीनुका का ष्ठिमल� हa वा� ह� परंमत्म सब व्यक्तिO का ष्ठिमल सकातें� हa। शंतें7 याह ह� विका परंमत्म का पनु� का( इच्छा तें�व्र हनु� चुविहए।

परंमत्म-प्राप्तिप्तें का( इच्छा तें�व्र नु हनु� का� कारंण स�सरं का( इच्छा जीरं पकाड़तें� ह�। स�सरं का( इच्छाए_ जी�वा का नुचुतें� रंहतें� हa औरं रंगे प�द कारंतें� रंहतें� हa। वास्तें�ओं म� रंगे बढ़ेंतें ह� उस� लभै काहतें� हa, व्यक्तिO म� रंगे बढ़ेंतें ह� उस� मह काहतें� हa। रंगे ह� लभै औरं मह बनु द�तें ह�, रंगे काम बनु द�तें ह�। रंगे ह� क्रध का जीन्म द�तें ह�। इस्थिच्छातें वास्तें� पनु� म� विकास� नु� विवाघ्नु डल औरं वाह अपनु� स� छूट ह� तें उस परं क्रध आयागे, वाह अपनु� बरंबरं� का ह� तें

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उसस� द्वा�षों हगे औरं अपनु� स� वाह बड़ ह� तें उसस� भैया हगे। रंगे स� ह� क्रध, द्वा�षों औरं भैया प�द हतें� हa। रंगे स� ह� मह प�द हतें ह� औरं रंगे स� ह� काम प�द हतें ह�।

रंगेरंविहतें हुए विबनु काई व्यक्तिO परंम पद का नुह� प्राप्तें कारं सकातें। रंगे रंविहतें हनु ह� तें क्या कारंनु चुविहए ?

नुश्वरं वास्तें�ओं का रंगे ष्ठिमटनु� का� क्तिलए शंश्वतें म� रंगे बढ़ें द। शंश्वतें म� रंगे बढ़ेंनु� स� रंगेरंविहतें अवास्था आ जीएगे�। विबनु रंगेरंविहतें हुए भैगे� यागे� नुह� ह सकातें, स्वाथा7 स�वा म� नुह� बदलतें, भैO भैगेवानु का नुह� ष्ठिमल पतें। रंगेरंविहतें हनु� स� भैगे� यागे� बनु जीतें ह�, स्वाथा� सस्वित्त्वाका स�वाका बनु जीतें ह� औरं भैO भैगेवानु स� ष्ठिमल जीतें ह�, जी�वा ब्रह्म स� ष्ठिमल जीतें ह�।

का� वाल रंगे का� कारंण ह� जी�वा का( दुद7शं ह�। जी�वा रंगेरंविहतें ह गेया तें वाह यागे� ह गेया, वाह भैO ह गेया, वाह ज्ञानु� ह गेया, वाह म�O ह गेया।

रंगे का( वास्तें� ष्ठिमलनु� स� रंगे ष्ठिमटतें नुह�, रंगे गेहरं हतें ह�। रंगे ष्ठिमटया जीतें ह� अन्तेंम�7खतें स�। आपका( स�विवातेंh काह, धरं काह, स्फु� रंण काह, वा.श्चित्त काह, स�काल्प काह जी का� छू काह, वाह स्फु� रंण जीह_ स� उठोतें� ह� उस चु�तेंन्या-सगेरं म� प�नु4 पहु_चु जीया तें रंगे ष्ठिमट जीया।

चु�तेंन्या स� जीब स्फु� रंण उठोतें� ह� औरं इद्धिन्द्रयाM का� द्वारं बविहम�7ख हतें� ह� तेंब जीग्रतें अवास्था आतें� ह�। वाह स्फु� रंण विहतें नुम का( नुड़� म� घ&मतें� ह� तेंब स्वाप्न का( दुविनुया दिदखतें� ह�। वाह� स्फु� रंण जीब का� ण्ठिण्ठोतें ह जीतें� ह� तेंब स�षों�प्तिप्तें अवास्था आतें� ह�। वाह� स्फु� रंण जीब अपनु� उदगेम स्थानु चु�तेंन्या म� ल�नु हतें� ह� उस अवास्था का तें�या7वास्था काहतें� हa। तें�या7वास्था सक्षत्कारं का( अवास्था ह�, ईश्वरं-प्राप्तिप्तें का( अवास्था ह�, म�क्तिO का( अवास्था ह�। जीग्रतें, स्वाप्न औरं स�षों�प्तिप्तें या� स�सरं हa औरं बदलनु� वाल� अवास्थाए_ हa, दु4खद अवास्थाए_ हa। याह_ का दु4ख तें दु4ख ह� ल�विकानु हम लगे द्धिजीस� स�ख मनुतें� हa वाह भै� दु4ख स� भैरं ह�। याह_ का शंK� तें शंK� ह� ह� ल�विकानु द्धिजीस� हम ष्ठिमK समझतें� हa वाह भै� काभै� नु काभै� शंK�तें स� भैरं हुआ दिदख�गे। द्धिजीतेंनु ष्ठिमK म� रंगे अष्ठिधका हगे उतेंनु वाह ष्ठिमK काभै� नु काभै� जीरूरं ठोकारं मरं�गे। द्धिजीतेंनु धनु म� रंगे अष्ठिधका हगे उतेंनु वाह धनुवानु धनु का� कारंण अष्ठिधका दु4ख� रंह�गे। द्धिजीतेंनु रंगे परिरंवारं म� अष्ठिधका हगे, परिरंवारं का� कारंण ह� वाह अष्ठिधका दु4ख� रंह�गे। द्धिजीतेंनु रंगे द�ह म� हगे उतेंनु द�ह का� कारंण क्तिचुप्तिन्तेंतें रंह�गे।

रंगे जीह_ भै� आपनु� लगेया वाह_ दु4ख दिदया� विबनु नुह� छूड़�गे। भैगेवानु म� रंगे लगेया� तें ?द�खनु याह ह� भैगेवानु म� रंगे हम का� स� लगेतें� हa। उपया ठो�का हनु चुविहए। आदम� प�रं का� बल स� ठो�का चुल

सकातें ह�, हथाM का� बल स� चुल�गे तें गेरंदनु म� चुट लगे�गे�।हम लगेM नु� भैगेवानु का( जी काल्पनु कारं रंख� ह� उस भैगेवानु म� यादिद रंगे लगेया� तें ह सकातें ह� हमरं रंगे

मनुमनु रंगे ह। हम यादिद विकास� रूप म�, विकास� अवास्था म�, विकास� क्तिचुK म� रंगे कारं� तें सतेंतें क्तिचुK का� आगे� नुह� ब�ठो सकातें�, सतेंतें उस अवास्था म� नुह� रंह सकातें�। इसक्तिलए वाह रंगेरंविहतें अवास्था म� नुह� ल� जी सका� गे। जी लगे सतेंतें भैगेवानु का� म�दिदरं म� ब�ठोतें� हa, जी�स� नु�कारं� कारंनु� प�जीरं� ब�ठोतें ह� उनुका भै� रंगे नुह� ष्ठिमटतें क्याMविका सचुम�चु म� ईश्वरं म� उनुका रंगे हुआ नुह�। ह_, रंमका. ष्ण परंमह�स ऐस� प�जीरं� था� द्धिजीनुका ईश्वरं म� सचुम�चु रंगे था, अतें4 स�सरं म� रंगे उनुका ष्ठिमट गेया औरं वा� ज्ञानु� ह गेया�, म�O ह गेया�।

ईश्वरं म� रंगे हनु� का मतेंलब ह� विका विकास� भै� वास्तें� या परिरंस्थिस्थावितें म� हमरं रंगे नु दिटका� । वास्तें� औरं परिरंस्थिस्थावितें म� रंगे दिटका नुह� विका दुघ7टनु घटE नुह�।

जीब-जीब भैया आतें ह�, दु4ख आतें ह�, क्तिचुन्तें आतें� ह�, का� छू भै� काष्ट आतें ह�, आपश्चित्त आतें� ह� तें समझनु चुविहए विका हमरं� रंगे का भैया हुआ ह�, हमरं� रंगे का क्तिचुन्तें हुई ह�, हमरं� रंगे का क्रध हुआ ह�, हमरं� रंगे का द्वा�षों हुआ ह�, हमरं� रंगे का� कारंण अशंप्तिन्तें हुई ह� याह बतें समझकारं यादिद आप उस रंगे स� सम्बन्ध विवाच्छा�द कारं� तें उस� समया आप रंगे रंविहतें परंमत्म म� पहु_चु जीए_गे�। ल�विकानु आदतें प�रंनु� ह�। जी�वा काह�गे विका इतेंनु तें चुविहए ह�, इसका� विबनु काम का� स� चुल�गे ? तेंब सवाधनु रंहनु चुविहए विका रंगे प�रंनु� आदतें ह� उस� स�धरंनु ह�। तें�म रंगेरंविहतें ह जीओगे� तें जी हनु चुविहए वाह तें�म्हरं� हजीरं� मK स� हकारं रंह�गे। जी नुह� हनु चुविहए वाह नुह� हगे, रुका

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जीयागे। तें�म रंगेरंविहतें हतें� ह� समथा7 ह जीओगे�। समथा7 का� क्तिलए वि<रं क्या असम्भवा ह� ? स&या7 का� उदया हनु� स� ह� <& ल खिखलनु� लगेतें� ह� औरं बच्च� भै� कारंवाट ल�नु� लगेतें� हa। हवाए_ विवाशं�षों आह्लादिदनु� बनुनु� लगेतें� ह�। प्राभैतें हतें� ह� सचुरंचुरं म� एका चु�तेंनु व्यप्तें ह जीतें� ह�।

स&या7 का� हनु� स� जी हनु चुविहए वाह अपनु� आप हनु� लगेतें ह�, स&या7 का का� छू कारंनु नुह� पड़तें। न्यायाध�शं न्यायालया म� अपनु� का� स� परं आ जीया तें बका( का काम अपनु� आप हनु� लगेतें ह�। अगेरं न्यायाध�शं अपनु� का� स� छूड़कारं स्वाया� झड़ू लगेनु� लगे जीया, पनु� का मटका भैरंनु� लगे जीया, वाका(ल औरं म�वास्थिक्काल का प�कारंनु� लगे जीया तें अव्यवास्था ह जीएगे�।

ऐस� ह� तें�म्हरं� मनु-इद्धिन्द्रया_ आदिद हa। वा� सब तें�म्हरं� नु�कारं-चुकारं हa। तें�म अपनु� आप 'स्वा' का( गेद्दीE परं आ जीओ तें वि<रं जी हनु चुविहए वाह स्वाभैविवाका हनु� लगे�गे। जी नुह� हनु चुविहए वाह नुह� हगे। अभै� क्या हतें ह� ? जी हनु चुविहए वाह ह नुह� रंह, जी ह रंह ह� वाह भै� नुह� रंह, जी भै रंह ह� वाह दिटका नुह� रंह.... हम म�स�बतें म� चुल� जी रंह� हa।

रंगेरंविहतें हुए विबनु भैगे� यागे� नुह� ह सकातें, भैO भैगेवानु का नुह� प सकातें, स्वाथा7 स�वा म� नुह� बदल सकातें, जी�वा ब्रह्म म� नुह� ष्ठिमल सकातें। इसक्तिलए रंगेरंविहतें हनु याह जी�वानु का लक्ष्या हनु चुविहए।

रंगेरंविहतें हनु� का� क्तिलए क्या कारंनु चुविहए ?रंगे स�ख म� ह� तें हतें ह�। अतें4 स�ख ल�नु� का( अप�क्ष स�ख द�नु� का� भैवा स� काया7 कारं, भैगे भैगेनु�का(

अप�क्ष भैगे का सदुपयागे कारं। इसस� रंगे क्ष�ण हतें जीएगे। द्धिजीतेंनु� अ�शं म� रंगे क्ष�ण हतें जीएगे उतेंनु� अ�शं म� समर्थ्यया7 आतें जीएगे। वि<रं चुह� म�रं का(तें7नु कारंतें�-कारंतें� रंगे भै&ल� औरं जीहरं अम.तें ह गेया, शंबरं� झड& लगेतें�-लगेतें� रंगे भै&ल� औरं रंमजी� द्वारं परं आ गेया�, प्राह्लाद हरिरं का स्नु�ह कारंतें�-कारंतें� रंगे का भै&ल� औरं नुरंसिंसBह अवातेंरं प्राकाट ह गेया, ध्रु�वा विपतें का( गेद म� ब�ठोनु� का रंगे भै&लनु� का� क्तिलए हरिरं का रंगे लगेकारं हरिरंमया ह गेया� औरं हरिरं प्राकाट ह गेया�।

रंगेरंविहतें हनु ब्रह्म हनु ह�। रंगेरंविहतें हनु क्तिसx यागे� हनु ह�। रंगेरंविहतें हनु प&जीनु�या भैO हनु ह�। रंगेरंविहतें हनु स<ल विनुष्काम काम7यागे� हनु ह�। जी स�वा का� बहनु� झण्ड ल�कारं चुलतें� हa वा� अगेरं सचुम�चु म� रंगेरंविहतें हकारं स�वा कारं� तें वा� नु�तें भैगेवानु का� दशं7नु कारं सकातें� हa, आत्म-सक्षत्कारं कारं सकातें� हa। जी भैजीनु कारंतें� हa वा� अगेरं रंगेरंविहतें हकारं भैजीनु कारं� तें जीब चुह�, जीह_ चुह� वाह_ भैगेवानु उनुका� क्तिलए सकारं रूप धरंण कारंनु� का तेंत्परं हa।

एकानुथा जी� महरंजी रंगेरंविहतें हुए। उन्हMनु� सचु4 म�झस� इतेंनु स�वाकाया7 हतें नुह� ह�, काई सहयागे� ष्ठिमल जीया, काई नु�कारं-चुकारं ष्ठिमल जीया।' काथा काहतें� ह� विका भैगेवानु श्री�खण्ड्या का रूप धरंण कारंका� बरंह सल तेंका उनुका( चुकारं� म� रंह�। धन्न जीट का� पस भैगेवानु ख�तें म� सहया कारंनु� का� क्तिलए मजीदूरं हकारं रंहतें� था�।

रंगेरंविहतें हतें� ह� जी हनु चुविहए वाह हनु� लगे�गे। जी नुह� हनु चुविहए वाह नुह� हगे। तें <ल क्या हगे ? तें�म्हरं� क्तिचुत्त म� बड़� शंप्तिन्तें रंह�गे�। अभै� जी हनु चुविहए वाह नुह� हतें ह�। जी नुह� हनु� चुविहए वा� प्राब्लम हतें� हa, समस्याए_ हतें� हa, अशंप्तिन्तें हतें� ह�। अशंप्तिन्तें हनु� स� तें�म्हरं अपनु जी तें�या7वास्था का स्वाभैवा ह� वाह विबखरं जीतें ह�। जी�स�,पनु� शंन्तें ह� ल�विकानु उसम� लकाड़� डलकारं विहलतें� रंह, डण्ड� मरंतें� रंह, पनु� का का& टतें� रंह तें क्या हगे ? पनु� विबखरंतें जीएगे औरं तें�म्हरं श्रीम व्यथा7 हतें जीएगे।

एका आदम� नुदE परं जीकारं लठो� स� पनु� का का& टनु� लगे। काई महत्म वाह_ स� गे�जीरं�। उन्हMनु� प&छू4"महरंजी ! मa विनुष्काम काम7 कारं रंह हूँ_। इसम� म�रं काई स्वाथा7 नुह� ह�।"विनुष्काम काम7 कारं ल�विकानु काम7 विनुष्प्रायाजीनु तें नुह� हनु चुविहए। रंगेरंविहतें हनु� का� क्तिलए स्वाथा7रंविहतें औरं

सप्रायाजीनु, सथा7का काम7 हनु चुविहए। तेंभै� वाह परंविहतें का काया7 विनुष्काम स�वा बनु सका� गे।हम लगे जीब स�वा कारंतें� हa तेंब अपनु� रंगे का पसनु� का� चुक्कारं म� चुलतें� हa इसक्तिलए स�वा दुकानुदरं� बनु

जीतें� ह�। हम भैक्तिO कारंतें� हa तें रंगे का पसनु� का� क्तिलए कारंतें� हa, यागे कारंतें� हa तें रंगे का पसनु� का� क्तिलए कारंतें� हa, भैजीनु कारंतें� हa तें रंगे का पसतें� हa। ऐस नुह� विका शंरं�रं का पसनु� का� क्तिलए भैजीनु कारंतें� हa। जीब शंरं�रं का पसनु�

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का� क्तिलए भैजीनु कारं�गे� तेंब वाह भैजीनु भैजीनु नुह� रंह�गे, भैजीनु बनु जीएगे। रंगे का पस�गे� तें वाह भैजीनु भैगे ह जीया�गे। रंगेरंविहतें हकारं भैजीनु कारं तें भैजीनु यागे ह जीयागे। रंगेरंविहतें हकारं बतें कारं तें बतें भैक्तिO ह जीएगे�। रंगेरंविहतें हकारं स�सरं का व्यवाहरं कारं तें वाह काम7 यागे ह जीएगे। हमरं� तेंकाल�< याह ह� विका रंगे का( प&_छू पकाड़� विबनु हमस� रंह नुह� जीतें।

जीब जीब दु4ख, म�स�बतें, क्तिचुन्तें, भैया घ�रं ल� तेंब सवाधनु रंह� औरं जीनु ल� विका या� सब रंगे का� ह� परिरंवारंजीनु हa। उनु चु�जीM म� रंगे हनु� का� कारंण म�स�बतें आया� ह�। रंगे तें�म्ह� कामजीरं बनु द�तें ह�। कामजीरं आदम� का ह� म�स�बतें आतें� ह�। बलवानु आदम� का� पस म�स�बतें आतें� ह� तें बलवानु परं उसका प्राभैवा नुह� पड़तें। अगेरं प्राभैवा पड़ गेया तें वाह म�स�बतें का( अप�क्ष कामजीरं ह�।

जीब दु4ख म�स�बतें आया� तें क्या कारं� ?जीब दु4ख आया� तेंब बड़M का( शंरंण ल�नु� चुविहए। विकास� नु विकास� का( शंरंण क्तिलया� विबनु हम लगे जी� नुह�

सकातें�, दिटका नुह� सकातें�। दुब7ल का बलवानु का( शंरंण ल�नु� चुविहए।बलवानु का�नु ह� ? जी दण्ड-ब�ठोका कारंतें ह� वाह बलवानु ह� ? द्धिजीसका� पस सरं� विवाश्व का( का� र्सिसBया_ अत्या�तें

छूटE पड़ जीतें� हa वाह सवा�श्वरं सवा7ष्ठिधका बलवानु ह�। तें�म उस बलवानु का( शंरंण चुल� जीओ। बलवानु का( शंरंण गे_ध�नुगेरं म� नुह�, बलवानु का( शंरंण दिदल्ल� म� नुह�, विकास� नुगेरं म� नुह� बस्विल्का वाह तें�म्हरं� दिदल का� नुगेरं म� सद का� क्तिलए म�जी&द ह�। सच्च� हृदया स� उनुका( शंरंण चुल� गेया� तें तें�रंन्तें वाह_ स� प्रा�रंण, स्फु& र्तितेंB औरं सहरं ष्ठिमल जीतें ह�। वाह सहरं काइयाM का ष्ठिमल ह�। हम लगे भै� वाह सहरं पनु� का� क्तिलए तेंत्परं हa इस�क्तिलए सत्स�गे म� आ पहु_चु� हa।

तें�म काब तेंका बहरं का� सहरं� ल�तें� रंहगे� ? एका ह� समथा7 का सहरं ल� ल। वाह परंम समथा7 परंमत्म ह�। उसस� प्रा�वितें कारंनु� लगे जीओ। उस परं तें�म अपनु� जी�वानु का( बगेडरं छूड़ द। तें�म विनुश्चि"न्तें ह जीओगे� तें तें�म्हरं� द्वारं अदभै�तें काम हनु� लगे�गे� परंन्तें� रंगे तें�म्ह� विनुश्चि"न्तें नुह� हनु� द�गे। जीब रंगे तें�म्ह� विनुश्चि"न्तें नुह� हनु� द� तेंब सचु4

'हमरं� बतें तें हमरं� ष्ठिमK भै� नुह� मनुतें� तें शंK� हमरं� बतें मनु� याह आग्रह क्याM ? स�ख हमरं� बतें नुह� मनुतें, सद नुह� दिटकातें तें दु4ख हमरं� बतें बतें का� स� मनु�गे ? ल�विकानु स�ख औरं दु4ख द्धिजीसका( सत्त स� आ आकारं चुल� जीतें� हa वाह विप्रायातेंम तें सतेंतें हमरं� बतें मनुनु� का तेंत्परं ह�। अपनु� बतें मनुवा-मनुवाकारं हम उलझ रंह� हa, अब तें�रं� बतें प&रं� ह... उस� म� हम रंजी� ह जीए_ ऐस� तें& का. प कारं, ह� प्राभै� !

हम दु4ख� काब हतें� हa ?जीब हम अपनु� बतें का, अपनु� रंगे का ईश्वरं का� द्वारं प&ण7 कारंवानु चुहतें� हa तेंब हम दु4ख� हतें� हa। अपनु�

रंगे का जीब ईश्वरं का� द्वारं प&रं कारंवानु नु चुह� तेंब ईश्वरं जी कारं�गे वाह विबल्का� ल पया7प्तें हगे।रंविबया नु� रंजी रंख। रंजी खलनु� का� क्तिलए उसका� पस आध काटरं रंस का था। वाह काटरं लगे� तें छू� प�

हुई विबल्ल� नु� जीम्प मरं औरं रंस ढु�ल गेया। रंविबया नु� काह4 'काई बतें नुह�। रंस ढु�ल गेया तें क्या हुआ ? मa पनु� स� ह� रंजी खल ल&_गे�।'

क्तिचुरंगे ल�कारं वाह पनु� भैरंनु� का गेई। प�रं म� ठोकारं लगे� औरं क्तिचुरंगे विगेरं पड़, ब�झ गेया। ख�द अन्ध�रं� म� पनु� का( मटका( परं विगेरं पड़�। प�नु� का� क्तिलए पनु� भै� हथा नुह� लगे। रंविबया काहनु� लगे�4

"म�रं� मक्तिलका ! रंस का प्याल प�नु� का( मa अष्ठिधकारं� नुह� था� ल�विकानु क्या पनु� भै� म�रं� म�काद्दीरं म� नुह� ह� ?"भै�तेंरं स� आवाजी आया�4 "रंविबया ! अगेरं तें�झ� रंगे सविहतें रंहनु ह� तें ठोहरं। म�झ� तें�रं� दिदल स� अपनु� म�हब्बतें

विनुकाल ल�नु� द�, वि<रं ख&ब स�सरं का रंगे औरं स�सरं का रंस ल�।"रंविबया छूटपट उठो�4 "नुह� म�रं� मक्तिलका ! मa विबस्तें का पनु� का� क्तिलए तें�झ� प्यारं नुह� कारंतें�, दजीख स� बचुनु� का�

क्तिलए तें�झ� स्नु�ह नुह� कारंतें� औरं रंस या पनु� का� क्तिलए मa तें�झ� नुह� प�कारू_ गे�। मa तें�झ� तें�रं� क्तिलए ह� प�कारू_ गे� क्याMविका तें& अपनु� आप म� ह� प&रं ह�।"

भैगेवानु अपनु� आप म� प&रं� हa। उनुम� हमरं� स्थिस्थावितें ह जीया तें बस, सब काया7 सम्पन्न ह गेया�। रंविबया नु� काब चुह था विका मट�रं म� आश्रीम बनु� औरं हजीरंM लगेM का� समनु� म�रं� प्राशं�स ह ? प्राशं�स का� क्तिलए तें लगे मरं�-मरं�

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वि<रंतें� हa, उनुका( प्राशं�स तें हतें� नुह�। रंगेरंविहतें हनु� स� तें�म्हरं� प्राक्तिसद्धिx औरं प्राशं�स स्वाभैविवाका ह जीएगे�। रंगेरंविहतें हनु� स� तें�म्हरं� म�क्तिO स्वाभैविवाका ह जीएगे�। रंगेरंविहतें हनु� स� तें�म्हरं यागे स्वाभैविवाका ह जीएगे।

पवितेंव्रतें स्K� म� समर्थ्यया7 काह_ स� आतें ह� ? वाह अपनु� इच्छा नुह� रंखतें�, अपनु रंगे नुह� रंखतें�। पवितें का� रंगे म� अपनु रंगे ष्ठिमल द�तें� ह�। भैO भैगेवानु का� रंगे म� अपनु रंगे ष्ठिमल द�तें ह�। क्तिशंष्या गे�रू का� रंगे म� अपनु रंगे ष्ठिमल द�तें ह�।

पवितें का रंगे का� स भै� ह ल�विकानु पवितेंव्रतें पत्नु� अपनु रंगे उसम� ष्ठिमट द�तें� ह� तें उसम� समर्थ्यया7 आ जीतें ह�।

भैगेवानु का रंगे याह हतें ह� विका जी�वा ब्रह्म ह जीया, सदगे�रू का रंगे याह हतें ह� विका जी�वा अपनु� स्वारूप म� जीगे जीए। जीब भैगेवानु का� रंगे म� अपनु रंगे ष्ठिमल दिदया, सदगे�रू का� रंगे म� अपनु रंगे ष्ठिमल दिदया, सदगे�रू का� रंगे म� अपनु रंगे ष्ठिमल दिदया तें वि<रं क्तिचुन्तें औरं <रिरंयाद का रंहनु� का( जीगेह ह� नुह� ष्ठिमलतें�।

जी क्तिशंष्या भै� ह� औरं दु4ख� भै� ह� तें मनुनु चुविहए विका वाह अध7 क्तिशंष्या ह� अथावा विनुगे�रं ह�। जी क्तिशंष्या भै� ह� औरं क्तिचुप्तिन्तेंतें भै� ह� तें मनुनु चुविहए विका उसम� समप7ण का अभैवा ह�। मa भैगेवानु का, मa गे�रू का तें क्तिचुन्तें म�रं� का� स� ? क्तिचुन्तें भै� भैगेवानु का( ह गेई.... गे�रू का( ह गेई। हम भैगेवानु का� ह गेया� तें ब�ईज्जतें� हमरं� का� स� ? हम भैगेवानु का� ह गेया� तें 'प्राब्लम' हमरं� का� स� ?

जी�स�, आदम� कारंखनु� का काम7चुरं� ह जीतें ह� तें कारंखनु� का नु< ह चुह� नु�क्सनु ह, उस आदम� का अपनु� तेंनुख्वाह ष्ठिमल जीतें� ह�। ऐस� ह� हम जीब ईश्वरं का� ह गेया� तें हमरं शंरं�रं ईश्वरं का सधनु ह गेया। उस� आजी�विवाका ष्ठिमल�गे� ह�। अपनु काम हक्तिशंयारं� स�, चुतें�रंई स� कारं� ल�विकानु अपनु� रंगे का तें.प्तें कारंनु� का� क्तिलए नुह�। जी का� छू कारं�, अपनु� रंगे का ईश्वरं म� समर्तिपBतें कारंनु� का� क्तिलए। याह विबल्का� ल आसनु उपया ह� रंगे का ष्ठिमटनु� का� क्तिलए।

दूसरं उपया याह ह�4जी लगे स�ख� हa वा� अपनु रंगे नुह� छूड़ सकातें�। स�ख� आदम� परंविहतें म� लगे�गे तें उसका रंगे क्ष�ण हगे।

दु4ख� आदम� रंगे का( वास्तें� का मनु स� ह� छूड़�गे तें उसका यागे हनु� लगे�गे। भैO भैगेवानु म� अपनु रंगे ष्ठिमलनु� लगे� तें उसका( भैक्तिO स<ल हनु� लगे�गे�। सदगे�रू का� क्तिसxन्तेंM म� अपनु रंगे ष्ठिमल द� तें क्तिशंष्या सदगे�रू बनु जीयागे।

काब�रं जी� नु� विकातेंनु स�न्दरं काह4संदग�रू म�र� श�रम� केर� शब्द के, च"ट।म�र� ग"ला� प्रा�म के� हैःर� भरम के, के"ट।।

जी�वा का भ्रम ह� विका4 "याह ष्ठिमल जीया तेंब मa स�ख� हऊ_ गे। याह परिरंस्थिस्थावितें चुल� जीया तेंब मa स�ख� हऊ_ गे। ब�ट ह जीया तेंब स�ख� हऊ_ गे।'' याह सरं का सरं भ्रम ह�, भ्र�वितें ह�। इसस� अगेरं काई स�ख� ह जीतें तें स�सरं म� काई लगे आजी तेंका सच्च� स�ख� ह जीतें�। इनु चु�जीM स� वास्तेंवा म� स�ख का काई सम्बन्ध नुह� ह�। सच्च� स�ख का सम्बन्ध ह� रंगेरंविहतें हनु� स�। रंविK का द्धिजीतेंनु� अ�शं म� तें�म्हरं रंगे दब जीतें ह� उतेंनु� तें�म विनुश्चि"न्तें हतें� ह, विनुश्चि"न्तें सतें� ह। स�बह हतें� ह� तें�म्हरं रंगे जीगेतें ह�4 "याह कारंनु ह�..... याह पनु ह�.... याह ल�नु ह�.... .वाह_ जीनु ह�....'' तें मस्विस्तेंष्का म� क्तिचुन्तेंए_ सवारं ह जीतें� हa। जीब सत्स�गे, ध्यानु, भैजीनु का� स्थानु म� आतें� हa, रंगे का( बतेंM का छूड़ द�तें� हa तें लगेतें ह�4 "आहह... बप& नु� बड़ आनुन्द दिदया..... बड़� शंप्तिन्तें दE।' बप& नु� आनुन्द नुह� दिदया, बप& नु� शं�वितें नुह� दE। बप& का भै� बप& तें�म्हरं� हृदया म� था। रंगेरंविहतें हकारं तें�मनु� उसका( झ_का( कारं ल� तें आनुन्द आ गेया, शंप्तिन्तें ष्ठिमल गेई। वाह भै�तेंरं वाल बप& तें सद स� तें�म्हरं� सथा ह� ब�ठो ह�। रंगे रंविहतें ह जीओ, सब काम बनु जीए_गे�। रंगे छूड़नु एका दिदनु का काम नुह� ह�। रंगे प�रंनु ह�। एका दिदनु का( औषोंष्ठिध स� काम नुह� चुल�गे। प्रावितेंदिदनु औषोंष्ठिध खओ औरं प्रावितें व्यवाहरं का� समया औषोंष्ठिध खओ तें काम बनु�गे। अन्या औषोंष्ठिधया_ तें रिरंएक्शनु कारंतें� हa ल�विकानु सत्स�गे विवाचुरं का( औषोंष्ठिध सरं� रिरंएक्शनुM का स्वाह कारं द�तें� ह�। इसक्तिलए बरं-बरं सत्स�गे विवाचुरं कारं, आत्म-विवाचुरं कारं।

याह विवाचुरं का� वाल म�दिदरं म� ब�ठोकारं ह� नुह� विकाया जीतें। याह म�दिदरं म� भै� हतें ह�, सत्स�गे भैवानु म� भै� हतें ह�, दुकानु परं ब�ठोकारं भै� हतें ह�, रंस्तें� चुलतें�-चुलतें� भै� हतें ह�। याह विवावा�का विवाचुरंरूप� ष्ठिमK ऐस ह� जी सद सथा रंहतें ह�, स�रंक्ष कारंतें ह�।

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विवावा�का का जीगे.तें कारंतें� जीओ। अविवाद्या का अन्धकारं ध�रं�-ध�रं� विबखरंतें जीएगे। स�बह म� स&या7 का� उदया हनु� स� पहल� ह� अन्धकारं पलयानु हनु� लगेतें ह� ऐस� ह� विवावा�का जीगे�गे तें दु4ख ष्ठिमटनु� लगे�गे�। सब दु4ख ष्ठिमटनु� का( याह का�� जी� ह�। अन्याथा तें, रंगे ल�कारं ब�ठो� औरं यागे विकाया, प्राण ऊपरं चुढ़ें दिदया�, शंरं�रं का वाषोंk तेंका जी�विवातें रंख, वि<रं नुट का( समष्ठिध ख�ल� तें वाह रंजी स� बलतें ह� विका लओ, म�झ� इनुम म� तें�जी भैगेनु� वाल� घड़� द� द। रंगेरंविहतें नुह� हुआ तें क्या लभै ? यागे विकाया, प्राण चुढ़ेंकारं सहस्रारं चुक्र म� पहु_चु गेया, हजीरंM वाषों7 का( समष्ठिध लगे दE वि<रं भै� ठो�ठोनुपल रंह गेया। रंजी जीनुका नु� रंगे ष्ठिमट दिदया तें जी�वान्म�O हकारं रंज्या कारंतें� ह�।

रंगे ष्ठिमटनु� का एका मध�रं तेंरं�का याह भै� ह� विका भैगेवानु म� रंगे कारंतें� रंह।तें�म बच्च� का काह द विका स�बह-स�बह अण्ड� का क्तिचुन्तेंनु मतें कारंनु। दूसरं� दिदनु स�बह म� उसका अण्ड� का

क्तिचुन्तेंनु आ जीयागे। उस� अगेरं अण्ड� का� क्तिचुन्तेंनु स� बचुनु ह� तें उस� अण्ड� का क्तिचुन्तेंनु मतें कारं, ऐस नु काह। उस� काह4 'स�बह उठोकारं हथाM का द�खनु, भैगेवानु नुरंयाण का क्तिचुन्तेंनु कारंनु।

केर�ग्रे� वसंनितः लाक्ष्म� केरम�ला� संरस्वतः।केरमध्य� तः� ग"विंव5द� प्राभ�तः� केरदश6नम7।।

इस प्राकारं स�बह-स�बह म� अपनु� हथा का द�खकारं भैगेवानु नुरंयाण का स्मरंण कारंनु� स� अपनु भैग्या ख�लतें ह�।'

इस प्राकारं बच्च भैगेवानु का स्मरंण कारंनु� लगे जीएगे औरं उसका हल्का क्तिचुन्तेंनु अपनु� आप चुल जीया�गे।विवाकारंM का पसनु� वाल� हमरं� स�विवातेंh का विवाकारंM स� हटनु� का� क्तिलए विनुर्तिवाBकारं� नुरंयाण का क्तिचुन्तेंनु कारंनु� स�

विवाकारंM का हटनु� का परिरंश्रीम नुह� पड़�गे। विवाकारंM का हटनु� का� क्तिलए अगेरं परिरंश्रीम कारंनु� लगे� औरं कादक्तिचुतें स<ल ह गेया�, विवाकारं हट गेया� तें गेवा7 ह जीएगे विका4 "मaनु� काम का जी�तें, मaनु� लभै का जी�तें, मaनु� मह का छूड़, मa आठो दिदनु तेंका म�नु म�दिदरं म� रंह गेया.....।' ऐस गेवा7 आनु� स� भै� खतेंरं ह�। अगेरं प्राभै� म� रंगे कारं ल�तें� हa तें गेवा7 आनु� का खतेंरं नुह� रंह�गे।

काब�रं जी� नु� काह ह�4संबा घट म�र� सं�9ईय� ख�ला घट न के"य।बालिलाहैः�र व� घट के, जी� घट पूरगट हैः"य।।केबार� के�9आ एके हैः) पूनिनहैः�र अन�के।न्य�र� न्य�र� बातः6न= म> पू�न एके के� एके।।केबार� यहैः जीग निनर्ध6न� र्धनव�तः� नहैः@ के"ई।

र्धनव�तः� तः�हू जी�निनय� जी� के" र�मन�म र्धन हैः"ई।।जी चु�तेंन्या सबका� रंम-रंम म� बस रंह ह� वाह रंम...... जी चु�तेंन्या सबका आकार्तिषोंBतें कारं रंह ह� वाह का. ष्ण....

उस चु�तेंन्या म� अगेरं मनु लगे जीया� तें ब�ड़ परं ह�। जीह_ स� हमरं� स�विवातें उठोतें� ह� वाह� सरं� विवाश्व का आधरं ह�। वाह� तें�म्हरं अन्तेंया7म� आत्म तें�म्हरं� अवितें विनुकाट ह� औरं सद रंहतें ह�। पत्नु� का सथा छूड़नु पड़�गे, पवितें का सथा छूड़नु पड़�गे, सहब का सथा छूड़नु पड़�गे, अरं� लल ! इस शंरं�रं का भै� सथा छूड़नु पड़�गे ल�विकानु उस अन्तेंया7म� सथा� का सथा काभै� नुह� छूड़नु पड़�गे। बस, अभै� स� उस� म� आ जीनु ह�, औरं क्या कारंनु ह� ? याह काई बड़ काम ह� ? द्धिजीसका काभै� सथा नुह� छू& टतें ह� उसम� रंगे कारंनु ह�। द्धिजीसका सथा दिटकातें नुह� ह� उसस� रंगे हट द�नु ह�।

सथा दिटका� गे नुह� उस चु�जी स� अपनु रंगे हट ल�गे� तें तें�म स्वातेंन्K ह जीओगे�। अगेरं सथा नु दिटकानु� वाल� चु�जीM म� रंगे रंह तें विकातेंनु दु4ख हगे ! दु4ख ह� हगे, औरं क्या हगे ?

हम उस� स� सम्बन्ध जीड़ रंह� हa द्धिजीसस� आखिखरं तेंड़नु ह�। द्धिजीसस� सम्बन्ध तेंड़नु ह� उसका� सथा तें प्रारंब्धवा�गे स� सम्बन्ध हतें रंह�गे, आतें रंह�गे, जीतें रंह�गे..... ल�विकानु द्धिजीसस� सम्बन्ध काभै� नुह� ट&टतें उसका( का� वाल स्म.वितें रंखनु� ह�, सम्बन्ध जीड़नु� का परिरंश्रीम भै� नुह� कारंनु ह�। दुविनुया का� अन्या तेंमम सम्बन्धM का जीड़नु� का� क्तिलए म�हनुतें कारंनु� पड़तें� ह�।

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काल�क्टरं का( का� स� का� क्तिलए सम्बन्ध जीड़नु ह� तें बचुपनु स� पढ़ेंई कारंतें�-कारंतें�.... मजीदूरं� कारंतें�-कारंतें�.... परं�क्षओं म� पस हतें�-हतें� आखिखरं आई.ए.एस. ह गेया�। वि<रं काल�क्टरं पद परं विनुया�क्तिO हुई तेंब का� स� स� सम्बन्ध जी�ड़। काभै� एका द्धिजील� म� तें काभै� दूसरं� द्धिजील� म� बदल� हतें� रंह�..... आखिखरं ब�ढ़ेंप� म� सहब ब�चुरं द�खतें ह� रंह जीतें ह�। जीवानु� म� तें हुका& मतें चुलई ल�विकानु अब छूरं� काहनु नुह� मनुतें�। इसस� तें ह� भैगेवानु ! मरं जीए_ तें अच्छा।

अरं� ! तें& मरंनु� का� क्तिलए जीन्म था विका म�O हनु� का� क्तिलए जीन्म था ?तें�म प�द हुए था� म�O हनु� का� क्तिलए। तें�म प�द हुए था� अमरं आत्म�दवा का पनु� का� क्तिलए।"पढ़ेंतें� क्याM ह ?""पस हनु� का� क्तिलए।""पस क्याM हनु ह� ?!""प्रामणपK पनु� का� क्तिलए।""प्रामणपK क्याM चुविहए ?""नु�कारं� का� क्तिलए।""नु�कारं� क्याM चुविहए ?""प�स� कामनु� का� क्तिलए।""प�स� क्याM चुहतें� ह ?""खनु� का� क्तिलए।""खनु� क्याM चुहतें� ह ?""जी�नु� का� क्तिलए।""जी�नु क्याM चुहतें� ह ?""................"काई जीवाब नुह�। काई ज्याद चुतें�रं हगे तें बल�गे4 "मरंनु� का� क्तिलए।" अगेरं मरंनु ह� ह� तें का� वाल एका

छूटE स� स�ई भै� का<( ह�। मरंनु� का� क्तिलए इतेंनु� सरं� मजीदूरं� कारंनु� का( आवाश्याकातें नुह� ह�। वास्तेंवा म� हरं जी�वा का( म�हनुतें ह� स्वातेंन्Kतें का� क्तिलए, शंश्वतेंतें का� क्तिलए, म�क्तिO का� क्तिलए। म�क्तिO तेंब ष्ठिमलतें� ह� जीब जी�वा रंगेरंविहतें हतें ह�।

रंगे ह� आदम� का ब�ईमनु बनु द�तें ह�, रंगे ह� धख�बजी बनु द�तें ह�, रंगे ह� क्तिचुप्तिन्तेंतें बनु द�तें ह�, रंगे ह� कामk का� बन्धनु म� ल� आतें ह�। रंगेरंविहतें हतें� ह� तें�म्हरं� हद्धिजीरं� मK स� जी हनु चुविहए वाह हनु� लगे�गे, जी नुह� हनु चुविहए वाह रूका जीएगे। रंगेरंविहतें प�रूषों का� विनुकाट हम ब�ठोतें� हa तें हमरं� लभै, मह, काम, अह�कारं शंन्तें हनु� लगेतें� हa, प्रा�म, आनुन्द, उत्सह, ईश्वरं-प्राप्तिप्तें का� भैवा जीगेनु� लगे जीतें� हa। उनुका( हजीरं� मK स� हमरं� हृदया म� जी हनु चुविहए वाह हनु� लगेतें ह�, जी नुह� हनु चुविहए वाह नुह� हतें।

रंगे रंविहतें हनु मनु� परंम खजीनु पनु। रंगेरंविहतें हनु मनु� ईश्वरं हनु। रंगेरंविहतें हनु मनु� ब्रह्म हनु।आजीकाल तें सब दरिरंद्र ष्ठिमलतें� ह�। धनु तें ह� ल�विकानु दिदल म� शंप्तिन्तें नुह� ह�। सत्त तें ह� ल�विकानु भै�तेंरं रंस

नुह� ह�। धनु हतें� हुए हृदया म� शंप्तिन्तें नुह� ह�..... वा� का� जी&स, धनु का� गे�लम, धनु म� रंगे वाल�, सत्त म� रंगे वाल�, परिरंवारं म� रंगेवाल� स<ल दरिरंद्र हa। इनु चु�जीM का बटरंकारं स�ख� ह जीनु चुहतें� हa वा� म&ख7 हa।

केबार� इहैः जीग आयके� बाहुतः सं� के,न� मतः।जिजीन दिदला बा�9र्ध� एके सं� व" सं"य� निनश्चिGन्तः।।

रंगेरंविहतें हुए तें एका परंमत्म का सक्षत्कारं ह गेया, वा� विनुश्चि"न्तें ह गेया�। वि<रं उनुका( म.त्या� उनुका( म.त्या� नुह� ह�, उनुका जी�नु उनुका जी�नु नुह� ह�। उनुका ह_सनु उनुका ह_सनु नुह� ह�। उनुका रंनु उनुका रंनु नुह� ह�। वा� तें रंनु� स�, ह_सनु� स�, जी�नु� स�, मरंनु� स� बहुतें परं� ब�ठो� हa।

न तःद7 भ�संतः� सं�यH न शश��के" न पू�वके�।यद7 गत्व� न निनव6तःन्तः� तःद7 र्ध�म पूरम� मम।।

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'द्धिजीस परंम पद का प्राप्तें हकारं मनु�ष्या ल�टकारं स�सरं म� नुह� आतें�, उस स्वाया� प्राकाशं परंम पद का नु स&या7 प्राकाक्तिशंतें कारं सकातें ह�, नु चुन्द्रम औरं नु अखिग्नु ह�, वाह� म�रं परंम धम ह�।'

(भैगेवादh गे�तें4 15.6)रंगेरंविहतें प�रूषों उस परंम धम का प्राप्तें ह जीतें� हa। बस, इतेंनु ह� काम ह� जी चु�टका( बजीतें� प&रं ह जीया।

ऐस नुह� विका का� छू कारं�गे� तेंब परंम धम म� जीनु� का� क्तिलए विवामनु आयागे। अरं�, विवामनुवाल� धम म� तें खतेंरं ह�। प�ण्या क्ष�ण हतें� ह� म.त्या�लका म� वापस।

क्षीणी� पू�ण्य� मत्य6ला"के� निवशन्तिन्तः।परंम धम म� तें आवागेमनु औरं वायाद� का( तें बतें ह� नुह�।

म��आ पूछीMन" व�यद" नके�म" के" जी�णी� छी� के�ला।आजी अत्य�र� अबा घड़ी सं�र्ध" जी"ई ला" नगदM र"केड़ी म�ला।।

तें�म्हरं� स�विवातेंh स्फु& र्तितेंB ह�, जीग्रतें अवास्था म� जीतें� ह�, स्वाप्न अवास्था म� जीतें� ह�, का� ण्ठिण्ठोतें हनु� परं स�षों�प्तिप्तें म� जीतें� ह�, उसस� परं� जी तें�या7वास्था ह�, जी जीग्रतें का, स्वाप्न का, स�षों�प्तिप्तें का द�खतें� ह� उस तें�या7वास्था का तें�म हरंरंजी अनु�भैवा कारंतें� ह। वाह� स� तें�म्हरं� स�विवातेंh उठोतें� ह�।

तें�मनु� जीग्रतेंवास्था द�ख�, जीग्रतेंवास्था बदल गेई। सया� तें स्वाप्न द�ख औरं स्वाप्न चुल गेया। वि<रं गेहरं� नु�द म� चुल� गेया�। नु�द भै� प&रं� ह गेई तें वि<रं जीग्रतें म� आ गेया�। इनु तें�नुM अवास्थाओं का द�खनु� वाल, जीनुनु� वाल तें काई ह�। याह जीनुनु� वाल� तें�या7वास्था ह�। तें�या7वास्था म� पहु_चु� तें रंगेरंविहतें ह गेया�।

जीनुनु� वाल� म� हम लगे दिटकातें� नुह� औरं जी जीनु जीतें ह� उसम� भैटकानु� स� उबतें� नुह�। विकातेंनु� चुतें�रं आदम� हa हम लगे ! जी जीनु जीतें ह� उसम� भैटकातें� हa द्धिजीसस� जीनु जीतें ह� उसम� दिटकातें� नुह� का� वाल या� दE ह� गेलवितेंया हa, बका( सब ठो�का ह�।

बका( बचु क्या ? सवा7नुशं ह गेया। द्धिजीनु लगेM नु� आजी तेंका स�सरं का जी का� छू पकाड़ था, थाम था उनुका आखिखरं ष्ठिमल क्या ? उन्ह� चु�जीM का हम पकाड़ रंह� हa। उन्ह� शंरं�रंM स� पकाड़ रंह� हa। आजी तेंका सद का� क्तिलए काई मई का लल पकाड़ नुह� पया। दूसरंM का <&_ का मरंकारं म�तें स� उठोनु� वाल� प�रं <का(रं लगे भै� स�सरं का नुह� पकाड़ पया�। अवातेंरंM का भै� सब छूड़नु पड़ तें औरंM का( क्या बतें कारं� ?

......तें जी छूड़नु ह� उसस� रंगे छूड़ द। रंगे छू& टतें� ह� तें�म बदशंह ह जीओगे�। जी छूड़नु ह� उसस� रंगे छूड़ द, भैल� उस वास्तें� का मतें छूड़। का� वाल रंगे छूड़ द। रंगे छूड़तें� ह� वाह वास्तें� तें�म्हरं� क्तिलए प्रासद बनु जीएगे�। वाह वास्तें� परंविहतें म� लगे जीएगे�। रंगे ह� तें ब_ध रंखतें ह�। जी�वानुभैरं जी चु�जी नुह� दE वाह म.त्या� आनु� परं बलत्कारं स� द�नु� ह� पड़�गे�। जी�वानुभैरं द्धिजीनु चु�जीM का स_भैल, मरंतें� समया सब छूड़कारं जीनु ह� पड़�गे। ह_..... रंगे सथा म� चुल�गे औरं वाह� रंगे जी�वा का क्तिछूपकाल� बनु द�गे, छूछू& �दरं बनु द�गे।

जीन्म मरंण का कारंण भैगेवानु नुह� ह�। जीन्म-मरंण का कारंण पत्नु�, प�K, परिरंवारं, ष्ठिमK या काई व्यक्तिO नुह� ह�। जीन्म-मरंण का कारंण रंगे ह�। इसक्तिलए ह� नुथा ! अपनु� आप परं का. प कारं। रंगेरंविहतें हनु� का यात्नु कारं।

नुरंयाण.... नुरंयाण... नुरंयाण..... नुरंयाण...... नुरंयाण। रंगेरंविहतें, वा�तेंरंगे प�रूषोंM का� सष्ठिन्नध्या स� विनुभै7या स�ख ष्ठिमलतें ह�, विनुर्तिवाBकारं स�ख ष्ठिमलतें ह�, विनुद्वा7न्द्वा स�ख ष्ठिमलतें ह�। रंगे का( प&र्तितेंB कारंनु� स� भैयावाल स�ख ष्ठिमलतें ह�, क्तिचुन्तें वाल स�ख ष्ठिमलतें ह�। वास्तेंवा म� वाह स�ख नुह� ह�, हषों7 ह�। ऐस काई भैगे� नुह� जी भैगे का� प्रारंम्भ म� परंध�नुतें, भैगे का� समया शंक्तिOह�नुतें औरं अन्तें म� जीड़तें का अनु�भैवा नु कारं�। भैगे परंध�नुतें, शंक्तिOह�नुतें औरं जीड़तें म� ल� जीतें ह�। यागे स्वाध�नुतें, शंक्तिO औरं चु�तेंनुतें म� ल� जीतें ह�। दनुM का� ब�चु बड़ <सल ह�।

जी लगे भैगे म� पड़तें� हa औरं अवितें भैगे� ह जीतें� हa वा� म.त्या� का� बद वा.क्ष आदिद जीड़ याविनुयाM म� चुल� जीतें� हa।एका बरं का� वाल तें�नु ष्ठिमनुट का� क्तिलए रंगेरंविहतें अवास्था का सक्षत्कारं ह जीए वि<रं चुह� वाह भैगे म� रंहतें

दिदख� चुह� यागे म� रंहतें दिदख�, चुह� घरं म� रंहतें दिदख� चुह� विहमलया का( कान्दरं म� रंहतें दिदख�, ल�विकानु वाह ह� अपनु� स्वारूप म�। भैगे उस� ब_ध नुह� सकातें�। वाह चुह� शंस्K का� अनु�का& ल आचुरंण कारं� या शंस्K का( आज्ञा का उल्ल�घनु कारंका� भै� विवाचुरं� वि<रं भै� काई प्रात्यावाया नुह� लगेतें।

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समन्या आदम� क्रध कारंतें ह� तें उसका तेंप नुष्ट ह जीतें ह�। उसका� स�काल्प म� बल नुह� रंहतें। दुवा7स ऋविषों अकारंण क्रध कारंतें� था� वि<रं भै� उनुका( शंक्तिO क्ष�ण नुह� हुई। क्याMविका वा� वा�तेंरंगे महप�रूषों था�।

रंगेरंविहतें अवास्थावाल का� स हतें ह� ? उसका� प�छू�-प�छू� हरिरं वि<रंतें� ह�। भैगेवानु श्री�का. ष्ण काहतें� ह�-उर्ध" म"हैः� सं�तः संद� अनितः प्य�र�.......

मP सं�तःन के� पूछी� जी�ऊँ9 जीहैः�9 जीहैः�9 सं�तः लिसंर्ध�र�।उर्ध" म"हैः�....

द्धिजीसका� रंगे का अन्तें ह गेया ह� वाह स�तें। रंगे का अ�तें हतें� ह� जीन्म मरंण का अ�तें ह गेया, भैया का अ�तें ह गेया, क्तिचुन्तें का अ�तें ह गेया, काम का अ�तें ह गेया, क्रध का अ�तें ह गेया, लभै का अन्तें ह गेया, मह का अ�तें ह गेया, अह�कारं का अ�तें ह गेया। प&रं म&ल ह� काट गेया। विकातेंनु� स�ध� बतें ह� ! वि<रं भै� कादिठोनु लगेतें� ह� क्याMविका रंगे का पसनु� का( आदतें प�रंनु� ह�।

जी ब�ड़� नुह� प�तें� उनुका� क्तिलए ब�ड़� छूड़नु काई कादिठोनु नुह�। जी अभै� ब�ड़� प�नु� का� क्तिसक्खड़ हa उन्ह� छूड़नु कादिठोनु ह� औरं द्धिजीनुका ब�ड़� गेहरं� चुल� गेई ह� उनुका तें ब�ड़� छूड़नु अस�भैवा स ह�। रंटE नुह� ष्ठिमल�गे� तें चुल�गे ल�विकानु ब�ड़� का� विबनु नुह� चुल�गे।

जी जीह_ ह� वाह_ स�ख� हनु� का( काल नुह� स�खतें उसका� क्तिलए स्वागे7 भै� स�खद नुह� हगे। जी जीह_ ह� वाह� अपनु� गेहरंई म� जीनु� का( काल स�ख गेया ह� तें वाह अगेरं नुका7 म� भै� जीएगे तें नुका7 भै� उसका� क्तिलए स्वागे7 बनु जीएगे, वा�का� ण्ठो बनु जीएगे।

ह� मनुवा ! तें& अपनु� गेहरंई म� गेतें मरं। बह्य परिरंस्थिस्थावितेंयाM म� आसक्तिO मतें रंख। तें& जीह_ ह� वाह� अपनु� स�खस्वारूप आत्म का प। रंगेरंविहतें ह जी।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

सं�तः सं�रद�संमहकाम�, वा�श्यागेम� विबल्वाम�गेल अपनु� पत्नु� हतें� हुए भै� वा�श्या का� <� द� म� ब�रं� तेंरंह <� ल गेया था।सवानु का मह�नु था। रंविK का समया था। जीरंM का( वाषों7 ह रंह� था�। याम�नु नुदE पगेल-स� हकारं बह रंह�

था�। आ_ध�-तें&<नु चुल रंह था। वा.क्ष विगेरं रंह� था�। घनुघरं रंविK म� विबजील� चुमका रंह� था�। विबल्वाम�गेल का� दिदमगे म� काम विवाकारं का का(ड़ का� रं�द रंह था।

वाह उठो। घरं का दरंवाजी खल। अपनु� पत्नु� का त्यागे कारंका� घनुघरं अन्धकारं म�, बरंसतें म� चुल पड़। विबजील� का� चुमकारं� म� अपनु� पगेड�ड� खजीतें हुआ जी रंह था अपनु� प्रा�यास� क्तिचुनुतेंमश्चिण वा�श्या का� भैवानु का( ओरं.... उ<नुतें� हुई याम�नु नुदE का� उस परं।

विबल्वाम�गेल नुदE का� विकानुरं� परं आया। नुविवाकाM स� काह4"म�झ� उस परं जीनु ह�। नुवा ल� चुल......।"नुविवाकाM नु� काह4 "पगेल हुए ह ? अपनु� जीनु प्यारं� नुह� ह� क्या ? घरं परं ब�ब�-बच्च� हa विका नुह� ? तें�म्हरं�

चुवान्न� का� क्तिलए हम� नुवा का� सथा सगेरं म� नुह� पहु_चुनु ह�। रंविK का� बरंह बजी� हa। विबल्वाम�गेल ! तें�म्हरं� ब�द्धिx क्याM नुष्ट ह गेई ह� ? म&सलधरं वाषों7 ह रंह� ह�। घनुघरं अन्धकारं ह�। नुदE दनुM विकानुरंM का ड�बतें� हुई बह रंह� ह�। ऐस� परिरंस्थिस्थावितेंयाM म� तें�म्ह� नुदE का� उस परं जीनु ह� ? का� छू हशं ह� विका नुह� ?"

विबल्वाम�गेल काहतें ह�4 "क्तिचुन्तेंमश्चिण का� याह_ पहु_चु&_गे तेंब मa हशं म� आऊ_ गे। अभै� तें मनु ब�हशं ह� हूँ_। तें�म म�झ� नुदE का� उस परं ल� चुल।"

काई नुविवाका जीनु� का� क्तिलए तें�यारं नुह� था। विबल्वाम�गेल नु� अष्ठिधका विकारंया� का प्रालभैनु दिदया ल�विकानु व्यथा7। अपनु� प्राणM का( बजी� लगेनु� का काई तें�यारं नुह� था।

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ल�विकानु विबल्वाम�गेल....! अपनु� प्रा�यास� स� ष्ठिमलनु� का� क्तिलए ब�चु�नु था वाह। कामतें�रं विबल्वाम�गेल बढ़ें म� उ<नुतें� हुई याम�नु म� का& द पड़। हथा-प�रं चुलतें� हुए आगे� बढ़ें। नुदE का� प्रावाह स� विबल्वाम�गेल का कामवा�गे का प्रावाह अष्ठिधका बलवानु क्तिसx हुआ। प्रा�यास� क्तिचुन्तेंमश्चिण का� ष्ठिमलनु का� क्तिलए अपनु� प्राणM का( बजी� लगे दE।

विबल्वाम�गेल हथा-प�रं मरंतें हुआ, तें�व्र गेवितें स� बहतें� हुई याम�नु का� प्रावाह म� ड&बतें-उतेंरंतें आखिखरं का� स� भै� कारंका� समनु� विकानुरं� पहु_चु गेया। शंरं�रं भै�गे हुआ था। स_स <& ल गेई था�। ठो�ड� का� मरं� दिठोठो�रं रंह था। तेंनु-बदनु परिरंश्रीम स� थाका चु�का था। थाड़� द�रं म� स्वास्था हकारं विबल्वाम�गेल चुल पड़ अपनु� मशं�का का� द्वारं का( ओरं। पहु_चुतें� ह� द्वारं परं दस्तेंका दE, प�कारं लगेया�।

क्तिचुन्तेंमश्चिण उसका( दस्तेंका पहचुनु गेई। द�गे रंह गेई वाह वा�श्या। 'ऐस� म&सलधरं वाषों7 ह रंह� ह�..... याम�नु नुदE बढ़ें स� उ<नु रंह� ह�। मध्यारंविK का घनुघरं अन्धकारं ह� वि<रं भै� याह प�रूषों आ पहु_चु ! नुदE का परं कारंका� ! ऐस� विहम्मतें ! ऐस प्राणबल ! ऐस� शंक्तिO ! म�रं� हड़-म�स का� क्तिलए इतेंनु प्रा�म ! याह प्रा�म अगेरं विवाश्वविनुयान्तें परंमत्म का� क्तिलए हतें तें याह प�रूषों विवाश्व का( महनुh विवाभै&वितें बनु जीतें।'

क्तिचुन्तेंमश्चिण का� क्तिचुत्त म� प्राभै� का( पवानु प्रा�रंण का स�चुरं हुआ। हृदया म� ब�ठो� हुए हरिरं नु� क्तिचुन्तेंमश्चिण का सत्प्रा�रंण दE।

विबल्वाम�गेल बरं-बरं द्वारं खटखटनु� लगे। क्तिचुन्तेंमश्चिण नु� द्वारं नुह� खल। वाह विकावाड़ का� प�छू� खड़� हकारं अपनु� ग्रहका का काहनु� लगे�4

"विबल्वाम�गेल ! ऐस� जीरंM का( बरिरंशं म� तें& बढ़ें का� पनु� स� भैरंप&रं याम�नु का परं कारंका� आ गेया ?""ह_ विप्राया� ! काई नुविवाका नुवा चुलनु� का� क्तिलए तें�यारं नुह� था तें मa नुदE तें�रंकारं तें�रं� पस आया हूँ_। तें& दरंवाजी

खल।"तेंब क्तिचुन्तेंमश्चिण काहनु� लगे�4 "याह दरंवाजी अब तें�रं� क्तिलए नुह� ख�ल�गे। सद का� क्तिलए बन्द रंह�गे। अब तें&

अपनु� हृदया का� द्वारं खल। अब तें& प्राभै� का� द्वारं खटखट। म�रं द्वारं तें& काब तेंका खटखटतें रंह�गे ?"विबल्वाम�गेल का� दिदल म� धक्का स लगे4"अरं� क्तिचुन्तेंमश्चिण ! याह तें& क्या काह रंह� ह� ? तें�झ� द�नु� का� क्तिलए मa विकातेंनु धनु लया हूँ_, द्वारं खलकारं जीरं द�ख

तें सह� !"क्तिचुन्तेंमश्चिण नु� दृढ़ें स्वारं स� काह दिदया4"या� द्वारं अब तें�रं� क्तिलए काभै� नुह� ख�ल�गे�। तें& प्राभै� का द्वारं खटखट। म�रं� जी�स� वा�श्या का द्वारं खटखटनु� का�

क्तिलए तें& मध्यारंविK म� इतेंनु सहस कारं सकातें ह� तें ह� विबल्वाम�गेल ! म�रं� हरिरं का द्वारं तें& खटखटया�गे तें महनु स�तें ह जीएगे।"

विबल्वाम�गेल काहतें ह�4 "इनु सब ब�कारं बतेंM का छूड़ क्तिचुन्तेंमश्चिण ! भैगेतेंड़M का( या� बतें� तें�रं� म�_ह म� नुह� सहतें� विप्राया� ! मa तें�झस� ष्ठिमलनु� का� क्तिलए ललयावितें ह रंह हूँ_ औरं तें& बतें� बनुया� जी रंह� ह� ! अब म�झ� ज्याद मतें तेंड़प। जील्दE द्वारं खल। म�झ� तें�रं� दशं7नु कारंनु� द�। तें�रं� विबनु म�झ� चु�नु नुह� पड़तें।"

आ_खM म� आ_स& लकारं विबल्वाम�गेल विगेड़विगेड़ रंह ह�। उधरं क्तिचुन्तेंमश्चिण अपनु� हृदया परं भैरं� क्तिशंल रंखकारं अपनु� हृदया का जीबरंनु काठोरं बनु रंह� ह�। बहरं खड़� अपनु� परं वि<द हनु� वाल� स� काहनु� लगे�4

"विबल्वाम�गेल ! म�रं� दशं7नु कारंका� क्या कारं�गे ? इनु हड़-म�स परं मह कारंका� विकातेंनु� ह� लगे बरंबद ह गेया� हa। ह� विबल्वाम�गेल ! तें�झ� अगेरं दशं7नु ह� कारंनु� हM तें हरिरं ब�ठो ह� तें�रं� हृदया म�। उस� प्यारं� प्राभै� का� दशं7नु कारं। तें�रं काल्याण ह जीएगे। वाह परंमत्म जीन्म-जीन्म स� तें�रं� सथा ह�। म�रं� दशं7नु स� तें�रं काई काम नुह� बनु�गे। मa तें�झ� क्या दशं7नु दू_गे� ? मa तें पविपनु हूँ_.... मaनु� अपनु जी�वानु पपकाम7 म� नुष्ट विकाया औरं काइयाM का� घरं बरंबद विकाया�। म�रं� दशं7नु स� तें�रं उxरं नुह� हगे। सच्च दशं7नु तें हरिरं का दशं7नु ह�। तें�रं उxरं तें हरिरं का� दशं7नु स� हगे।"

मनु, आजी क्तिचुन्तेंमश्चिण का� म�_ह स� स्वाया� हरिरं बल रंह� हa। क्तिचुन्तेंमश्चिण का� हृदया का काब्जी मनु प्राभै� नु� ल� क्तिलया ह�। क्तिचुन्तेंमश्चिण रूप� क्तिचुरंगे का� द्वारं हरिरं स्वाया� विबल्वाम�गेल का पथाप्रादशं7नु कारं रंह� हa।

विबल्वाम�गेल तें�व्र कामवा�गे म� आकारं वि<रं स� विगेड़विगेड़नु� लगे4

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"क्तिचुन्तेंमश्चिण ! विप्राया तें& दरंवाजी खल। एका बरं.... क्तिस<7 एका बरं तें�रं दEदरं कारं ल�नु� द�। मa अपनु� पत्नु� का छूड़कारं तें�रं� पस आया हूँ_। नुविवाकाM नु� म�झ� समझया ब�झया तें उनुका( बतेंM का भै� त्यागे कारंका� तें�रं� पस आया हूँ_। नुदE का( बढ़ें म� का& दकारं अपनु� प्राणM का( बजी� लगेकारं तें�रं� पस आया हूँ_, विप्राया� ! म�रं आगेमनु व्यथा7 मतें कारं क्तिचुन्तेंमश्चिण ! द्वारं खल।"

क्तिचुन्तेंमश्चिण काहतें� ह�4 "तें�रं� काई आगेमनु व्यथा7 हुए विबल्वाम�गेल ! अनु�का जीन्मM का आवागेमनु तें& व्यथा7 कारंतें चुल आ रंह ह�। म�रं� दशं7नु स� भै� तें�रं आगेमनु व्यथा7 ह� रंह�गे। तें�रं आगेमनु तेंभै� स<ल हगे जीब तें& हरिरं का� दशं7नु कारं�गे, आत्म का� दशं7नु कारं�गे, विकास� स�तें महत्म का� दशं7नु कारं�गे, विकास� आत्मज्ञानु� महप�रूषों का� चुरंणM म� अपनु क्तिसरं झ�काया�गे। तेंभै� तें�रं आगेमनु स<ल हगे विबल्वाम�गेल ! अब या� द्वारं तें�म्हरं� क्तिलए नुह� ख�ल�गे�..... नुह� ख�ल�गे�..... नुह� ख�ल�गे�....।"

विबल्वाम�गेल का( आ_खM म� आ_स& हa..... दिदल म� ब�चु�नु� ह�.... ब�द्धिx म� आ"या7 ह�... क्तिचुत्त म� स्पन्दनु ह�। वाह किंकाBकात्त7व्यविवाम&ढ़ें ह रंह ह�। एका बरं वि<रं स� वाह प्रायास कारंतें ह�4 "ह� काष्ठिमनु� क्तिचुन्तेंमश्चिण ! आजी तें�झ� क्या ह गेया ह� ? विकासनु� तें�झ� याह पगेलपनु क्तिसखया ह� ? तें& पगेल मतें बनु.... ह� विप्राया� ! इतेंनु� काठोरं मतें बनु। म�रं दिदल तें�रं� प्यारं म� तेंड़प रंह ह�। अब अष्ठिधका तेंड़पनु छूड़ द�। अब दिदल्लगे� कारंनु छूड़ द�। म�रं� ध�या7 का( क्याM कास�टE कारं रंह� ह� ? म�रं� जी�स विपपस� प्रा�म� तें�झ� दूसरं काई नुह� ष्ठिमल�गे विप्राया� ! ह� स��दरं� ! अब तें द्वारं खल द�।"

तेंब क्तिचुन्तेंमश्चिण बल� उठो�4 "विबल्वाम�गेल ! म�रं� जी�स� वा�श्या भै� तें�झ� नुह� ष्ठिमल�गे� म�रं� भैई !""अरं� पगेल� ! तें& म�झ� क्या काहतें� ह� ? म�झ� भैई काहकारं प�कारंतें� ह� ?""ह_ भै�या ! आजी स� तें& म�रं भैई ह�। मa तें�म्हरं� छूटE बहनु हूँ_। ह� भैई ! तें�रं काल्याण ह... तें�रं उxरं ह....

भैई ! तें�झ� भैक्तिO ष्ठिमल�..... भैई ! तें�झ� ज्ञानु ष्ठिमल�..... भैई ! तें�झ� प्राभै� का प्रा�म ष्ठिमल�। म�रं� जी�स� दुष्ट स्K� का( छूया भै� तें�झ परं नु पड़�। ह� म�रं� भैई ! मa तें�झ� आशं�वा7द द�तें� हूँ_।"

उस वा�श्या का� हृदया स� हरिरं नुह� बल रंह� था� तें औरं का�नु बल रंह था ? औरं विकासका समर्थ्यया7 ह� विका वा�श्या का� म�ख स� ऐस� पविवाK वाचुनु बल सका� ?

विबल्वाम�गेल का हृदया परिरंवार्तितेंBतें ह गेया। उसका� उदगेरं विनुकाल�4"ह� द�वा� ! म�रं� क्तिलए तें�रं याह द्वारं नुह� ख�ल�गे तें औरं विकास� का भै� द्वारं मa नुह� खटखटऊ_ गे। आजी का� बद

मa काभै� अपनु� घरं नुह� जीऊ_ गे..... आजी का� बद विकास� सम्बन्ध� का� घरं नुह� जीऊ_ गे.... आजी का� बद विकास� स�ठो का� घरं नुह� जीऊ_ गे। जी सबका घरं ह�, जी उसका सम्बन्ध� ह�, जी उसका स�ठो ह�, जी सबका स्वाम� ह�, जी सबका ष्ठिमK ह�, जी सबका बप ह�, जी सबका( म_ ह�, जी सबका बन्ध� ह�, जी सबका स�हृद ह�, उस हरिरं का द्वारं मa अब खटखटऊ_ गे। अब मa विकास� का� द्वारं परं खड़ नुह� रंहूँ_गे।"

विबल्वाम�गेल क्तिचुन्तेंमश्चिण का� द्वारं स� ल�ट पड़।घ&मतें-घमतें विबल्वाम�गेल विकास� द�वाम�दिदरं म� पहु_चु। स&ख� ब_स का( भै_वितें विबल्वाम�गेल नु� द�वाम&र्तितेंB का� समनु�

विगेरंकारं द�डवातेंh प्राणम विकाया�। लम्ब� समया तेंका इस� अवास्था म� रंहकारं वाह प्राभै� स� प्राथा7नु कारंनु� लगे। हृदया म� आजी तेंका विकाया� हुए दु"रिरंK का प"तेंप ह�। आ_खM स� आ_स& का( धरंए_ बह रंह� हa।

प�जीरं� नु� विबल्वाम�गेल का उठोया। विबल्वाम�गेल काहनु� लगे4"म�झ� उठोओ नुह�। का<( जीन्मM तेंका मa भैटका हूँ_। अब प्राभै� का� चुरंणM म� म�झ� विवाश्रीप्तिन्तें ल�नु� द।

पवितेंतेंपवानु का� चुरंणM म� म�झ� पप धनु� द।म�झे� व�द पू�र�न के� र�न सं� क्य�

म�झे� प्राभ� के� अमTतः निपूला� द� के"ई।।म�झ� काई प्राभै� का अम.तें विपल द�.... म�झ� काई प्राभै� का( भैक्तिO दिदल द�.... म�झ� काई प्राभै� का प्रा�म प्राप्तें कारं

द�.... क्तिचुन्तेंमश्चिण का प्रा�म तें म�झ� बरंबद कारं चु�का ह�। अब प्राभै� का प्रा�म म�झ� आबद कारं�गे।"विबल्वाम�गेल म�दिदरं म� द�डवातें प्राणम कारंका� पड़ रंह ह�। लगे उस� समझकारं उठोतें� हa। विबल्वाम�गेल का( आ_खM

म� आ_स& हa। वा� मनु काह रंह� हa-

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एव" दM द�ख�ड़ी वहैः�ला� एव" दM द�ख�ड़ी।द�ख�� तः�रू9 रूपू बार्ध� एव" दM द�ख�ड।।

"ह� प्राभै� ! अब मa तें�रं द्वारं छूड़कारं काह� नुह� जीऊ_ गे।"विबल्वाम�गेल नु� प्राभै� का� द्वारं परं पड़� रंहतें� हुए सरं जी�वानु विबतेंनु� का स�काल्प विकाया औरं वाह� रंहनु� लगे।

लगेM नु� उसका जी�वानु द�ख, उसका( प्रा�मभैक्तिO द�ख�, उसका दृढ़ें स�काल्प स�नु। का� छू समया ब�तेंनु� परं विबल्वाम�गेल का म�दिदरं का प�जीरं� बनुया गेया। प�जीरं� का खनु� प�नु� का( क्तिचुन्तें नुह� कारंनु� पड़तें�। ठोका� रं जी� का चुढ़ेंया हुआ प्रासद ष्ठिमल जीतें ह�।

वा�रंग्या आनु� परं घरं छूड़नु सरंल ह�। प�जीरं� बनुकारं प&जी कारंनु सरंल ह� ल�विकानु दुष्ट मनु का सद का� क्तिलए प्राभै� का� चुरंणM म� ह� रंखनु कादिठोनु ह�। जीब तेंका परंमत्म का रंस प&रं नुह� ष्ठिमल जीतें तेंब तेंका मनु काब धख द� द� का� छू पतें नुह�।

विबल्वाम�गेल म�दिदरं म� रंहतें ह�, द�वाम&र्तितेंBयाM का( प&जी कारंतें ह�, म�दिदरं का स�भैलनु� का कात्त7व्य ठो�का स� उठो रंह ह�। सथा ह� सथा अपनु भैक्तिOभैवा भै� बढ़ें रंह ह�। लगेM म� उसका अच्छा नुम ह रंह ह�।

एका दिदनु एका नुवावाध& हरं-सिंसBगेरं कारंका� म�दिदरं म� दशं7नु कारंनु� आया�। नुया� नुया� शंदE हुई था�। उसनु� भैगेवानु का� दशं7नु विकाया�, <& ल चुढ़ेंया�, दEपका जीलया, प्रासद रंख। विबल्वाम�गेल का( नुजीरं उस स��दरं अ�गेनु परं पड़�। स�यागेवाशं उसका( म�खका. वितें क्तिचुन्तेंमश्चिण जी�स� था�। उस� द�खतें� ह� विबल्वाम�गेल का( स�षों�प्तें कामवासनु जीगे उठो�। वाह श्चिभैन्न श्चिभैन्न विनुष्ठिमत्त बनुकारं उस या�वातें� का� नुजीदEका रंहनु� का( चु�ष्ट कारंनु� लगे4

"ल, या� <& ल अच्छा� हa, प्राभै� का चुढ़ेंओ..... याह प्राभै� का चुरंणम.तें ह�, ग्रहण कारं....याह ल भैगेवानु का प्रासद...." विबल्वाम�गेल का( दृष्ठिष्ट मनु उस या�वातें� का स�न्दया7 प� रंह� था�। उसका( आ_खM स� आ_ख� ष्ठिमलकारं मविहतें ह रं रंह था। वाह या�वातें� समझ गेई विका याह प�जीरं� म�_आ बदमशं ह�। वाह जील्दE स� घ&_घट ख�चुकारं भैगेतें� हुई घरं जीनु� लगे�।

काम-विवाकारं नु� विबल्वाम�गेल का अन्ध बनु दिदया। उसका( प�रंनु� आदतें नु� उस� अपनु� क्तिशंका� जी� म� झप�ट क्तिलया। प्राभै�मया पविवाK जी�वानु विबतेंनु� का स�काल्प हवा ह गेया। सरंसरं का विवावा�का उसका ध�_धल ह गेया। वाह अपनु� का वाशं म� नुह� रंख पया। म�दिदरं छूड़कारं वाह भै� उस या�वातें� का� प�छू�-प�छू� जीनु� लगे। वाह या�वातें� अपनु� घरं पहु_चु गेई, दरंवाजी बन्द कारं दिदया औरं पवितें स� काह विका वाह प�जीरं� म�_आ बदमशं ह�।

विबल्वाम�गेल उसका� घरं पहु_चु। द्वारं खटखटया, नुवाविवावाविहतें या�वाका नु� द्वारं खल�। वाह समझदरं इन्सनु था। प�जीरं� स� बल4

"आइया� प�जीरं� जी� ! का� स� आनु हुआ ?"विबल्वाम�गेल नु� विवानुतें� का(4 "आपका( नुवावाध& म�दिदरं म� प्राभै� का� दशं7नु कारंनु� आया� था�। मaनु� उसका� दEदरं विकाया�।

म�रं क्तिचुत्त म�रं� वाशं म� नुह� ह रंह ह�। आप का. प कारं। एका बरं वि<रं म�झ� उसका� दशं7नु कारं द। म�दिदरं मa जी�स हरं-सिंसBगेरं कारंका� आया� था� वा�स� का( वा�स� ह� वि<रं स� एका बरं म�रं� समनु� खड़� कारं द, क्तिस<7 एका ह� बरं.... का� वाल एका ह� बरं म�झ� उसका� दशं7नु कारं ल�नु� द। म�झस� रंह नुह� जीतें। का. प कारं। म�रं� इतेंनु� स� प्राथा7नु स्वा�कारं कारं। आपका उपकारं काभै� नुह� भै&ल&_गे।"

वाह या�वाका समझदरं आदम� था। इस कामतें�रं जी�वा का( दुद7शं शंयाद वाह समझ रंह ह�। वाह भै�तेंरं गेया। अपनु� पत्नु� का समझया4

"तें& वा�स ह� सिंसBगेरं कारंका� उसका� समनु� एका बरं जी। उस� द�ख ल�नु� द� तें�रं म�खचुन्द्र। मa दूसरं� कामरं� म� ब�ठोतें हूँ_। वाह का� छू अनु�क्तिचुतें चु�ष्ट कारंनु� का( काक्तिशंशं कारं� तें म�झ� आवाजी द�नु। मa उस प�जीरं� का� बच्च� का( ध�लई कारं दू_गे।"

पत्नु� पवितें का( बतें स� सहमतें हुई। सजीधजीकारं प�जीरं� का� समनु� आया�। अपनु� घ&_घट हटया औरं विबल्वाम�गेल का� समनु� द�खनु� लगे�। विबल्वाम�गेल उस स�हविगेनु� नुवावाध& का द�खतें� हुए अपनु� आपस�, अपनु� आ_खM स� काहनु� लगे4

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"ह� अन्ध� आ_ख� ! अब द�ख ल, इस हड़-म�स का� शंरं�रं का जी�भैरं का� द�ख ल। बरं-बरं वाह_ जीतें� था�। क्या रंख उस किंपBजीरं म� द�ख ल....।"

वि<रं विबल्वाम�गेल नु� उस नुवावाध& स� काह4"बहनु ! द स&ए लओ नु....।"नुवावाध& का का� छू काल्पनु नुह� था�। वाह तें द बड़� बड़� स�ए लया�। विबल्वाम�गेल नु� दनुM स�ओं का दनुM हथाM म�

पकाड़। वि<रं अपनु� आ_खM स� काहनु� लगे4"ह� म�रं� धख�बजी आ_ख� ! जीह_ हरिरं का द�खनु ह�, जीह_ प्राभै� का� दशं7नु कारंनु� हa वाह_ स�सरं का द�खतें� ह ?

स�सरं� हड़-म�स म� स�न्दया7 का विनुहरंतें� ह ? ह� म�रं� अन्ध� आ_ख� ! इसस� तें तें�म नु ह तें अच्छा ह�।"ऐस काहतें� हुए विबल्वाम�गेल नु� दनुM हथाM स� अपनु� दनुM आ_खM म� स�ए घ�स�ड़ दिदया�। दनुM आ_ख� <& ट गेईं।

रंO का( द धरंए_ बह चुल�। याह द�खकारं नुवावाध& एकादम घबड़ गेई। चु�ख विनुकाल गेई उसका� म�_ह स�। पसवाल� कामरं� म� ह� ब�ठो हुआ पवितें वाह_ आ गेया। काल्पनुतें�तें दृश्या द�खकारं वाह हक्का-बक्का स ह गेया। पत्नु� स� प&छू4

"याह क्या ह गेया ?"पत्नु� नु� बतेंया4 "म�झ� क्या पतें या� ऐस कारं�गे� ? उन्हMनु� म�झस� द स&ए म_गे� औरं मaनु� ल दिदया। म�झ� जीरं स

भै� ख्याल आतें तें मa क्याM द�तें� ?"पवितें नु� पत्नु� का उलहनु दिदया। विबल्वाम�गेल का( आ_खM का ख&नु स< विकाया, औषोंष्ठिध लगेई औरं आ_खM परं

पट्टीE ब_ध दE। हथा म� लठो� पकाड़ दE।लठो� ट�कातें�-ट�कातें� विबल्वाम�गेल जीनु� लगे। रंस्तें� म� ठोकारं� खतें�-खतें� आगे� बढ़ेंनु� लगे।ईश्वरं का� मगे7 परं चुलतें�-चुलतें� विकातेंनु� भै� ठोकारं� खनु� पड़� ल�विकानु वा� सथा7का हa।विबल्वाम�गेल गे_वा स� बहरं विनुकाल गेया। जी�गेल का� रंस्तें� स� जीतें� वाO का� ए_ जी�स� खड्डे� म� विगेरं पड़। आसपस म�

काई मनु�ष्या नुह� था। विबल्वाम�गेल प्राभै� स� प्राथा7नु कारंनु� लगे4"ह� नुथा ! म�झ अनुथा का अब तें�रं� क्तिसवा काई नुह� ह�। म�झ अन्ध� का( आ_ख भै� तें& ह� औरं लठो� भै� तें& ह�।

जीगेतें म� एका ह� अन्ध नुह� ह�, हजीरंM-हजीरंM अन्ध� हa, आ_ख� हतें� हुए भै� अन्ध� हa ल�विकानु उन्ह� पतें नुह� ह� विका हम अन्ध� हa। ह� प्राभै� ! तें&नु� म�झ� जीगेया ह�, म�झ� पतें चुल गेया ह� विका मa अन्ध हूँ_। ह� प्राभै� ! मa पहल� भै� अन्ध था औरं अब भै� अन्ध हूँ_। पहल� म�झ� बहरं का( आ_खM परं भैरंस था ल�विकानु अब का� वाल तें�रं भैरंस ह�। तें& म�झ� इस का& प स� एवा� स�सरंरूप� का& प स� नुह� विनुकाल�गे तें औरं का�नु विनुकाल�गे ? तें& म�रं हथा नुह� पकाड़�गे तें ह� स्वाम� ! औरं का�नु म�रं हथा पकाड़�गे ? ह� म�रं� हरिरं ! तें& का. प कारं।"

विबल्वाम�गेल प्राभै� स� कारूण प्राथा7नु कारं रंह ह�। प्राभै� का लगे हगे विका याह जी�वा म�रं� शंरंण म� आया ह�। चुह� कारंड़M पप विकाया� हM, अरंबM पप विकाया� हM, अरंबM पप विकाया� हM ल�विकानु जी�वा जीब काह� विका मa तें�रं� शंरंण हूँ_ तें म�झ� उसका हथा पकाड़नु ह� पड़�गे।

भैगेवानु का� ए_ का� पस प्राकाट हुए। विबल्वाम�गेल का बहरं विनुकाल। लठो� का आगे� का छूरं पकाड़कारं भैगेवानु आगे�-आगे� चुल रंह� हa। दूसरं छूरं पकाड़कारं प�छू�-प�छू� विबल्वाम�गेल चुल रंह ह�। चुलतें�-चुलतें� भैगेवानु नु� काह4

"ह� स&रंदस !"विबल्वाम�गेल का� हृदया म� एहसस हुआ विका याह काई ग्वाल नुह� ह�, याह काई बलका नुह� ह� ल�विकानु सबका� रूप

म� जी ख�ल ख�ल रंह ह� वाह कान्ह�या ह�।स&रंदस नु� अपनु� पकाड़� हुई लठो� परं ध�रं�-ध�रं� हथा आगे� बढ़ेंया। प्राभै� समझ गेया� विका स&रंदस का( नु�यातें

विबगेड़� ह�.... वाह म�झ� पकाड़नु चुहतें । भैO म�झ� समप7ण स� पकाड़नु चुह� तें मa पकाड़ जीनु� का� क्तिलए तें�यारं हूँ_ ल�विकानु चुलका( स� पकाड़नु चुह� तें मa काभै� पकाड़ म� नुह� आतें।

स&रंदस ध�रं�-ध�रं� अपनु हथा लठो� का� दूसरं� छूरं तेंका ल� जीतें� हa ल�विकानु भैगेवानु या�क्तिO स� लठो� का दूसरं विहस्स पकाड़कारं पहल�वाल छूड़ द�तें� हa। का� स� भै� कारंका� स&रंदस का अपनु स्पशं7 नुह� हनु� द�तें�। उनुका रंस्तें बतेंतें� हुए आगे�-आगे� चुलतें� हa।

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स&रंदस नु� सचु विका श्यामस�न्दरं बड़� हक्तिशंयारं हa। उन्ह� बतेंM म� लगेतें� हुए स&रंदस नु� काह4"आपका नुम क्या ह� ?""सब नुम म�रं� ह� हa।""आप काह_ रंहतें� हa ?""मa सब जीगेह रंहतें हूँ_ औरं जी म�झ� ब�लतें ह� वाह_ जीतें हूँ_।""आपका� बप का�नु हa ?""जी चुह� म�रं बप बनु जीए, काई हजी7 नुह� ह�।""आपका( म_ का�नु हa ?""द्धिजीसका म�रं� म_ बनुनु ह, बनु जीया, मa उसका ब�ट बनुनु� का तें�यारं हूँ_।"स&रंदस समझ गेया� विका परंमत्म का� क्तिसवाया ऐस काई काह नुह� सकातें, ऐस काई बनु नुह� सकातें। उन्ह�

पक्का विवाश्वस ह गेया विका सक्षतें परंत्परं परंब्रह्म, अच्या�तें, अविवानुशं�, विनुगे�7ण विनुरंकारं परंमत्म सगे�ण हकारं म�रं� जी�स� स&रंदस का मगे7 दिदखनु� आया� ह�। अब मa उनुका स्पशं7 कारं ल&_..... उनुका हथा पकाड़ ल&_..... उनुका� चुरंणM म� अपनु क्तिसरं रंगेड़ ल&_... अपनु भैग्या बदल ल&_।

अभै� स&रंदस भै&ल रंह� था�। भैगेवानु का पकाड़ ल�नु� का( नु�यातें था�। भैगेवानु म� ष्ठिमट जीनु� का( नु�यातें नुह� बनु�, भैगेवानु का� द्वारं पकाड़ जीनु� का( नु�यातें नुह� बनु�।

स&रंदस आगे� प&छूनु� लगे�4"आपका गे_वा का�नु स ह� ?""सब गे_वा म�रं� ह� हa औरं एका भै� गे_वा म�रं नुह� ह�। सब नुम म�रं� हa औरं एका भै� नुम म�रं नुह� ह�। सच्च�

हृदया स काई विकास� भै� नुम स� प�कारंतें ह� तें मa वाह_ जीतें हूँ_।""आपका मक्खनु-ष्ठिमश्री� भैतें� ह� या रंबड़�-क्तिशंखण्ड भैतें� हa ?""काई पदथा7 म�झ� नुह� भैतें� क्याMविका काई गेरं�ब आदम� म�झ� पदथा7 नु भै� द� सका� । मक्खनु-ष्ठिमश्री�, दूधपका-

प&रं�, रंबड़�-क्तिशंखण्ड तें का� वाल अम�रं लगे ह� द� सकातें� हa। गेरं�ब म� भै� जी गेरं�ब ह, अत्या�तें गेरं�ब ह वाह भै� म�झ� खिखल सका� ऐस� चु�जी म�झ� भैतें� ह�। मa तें प्रा�म का भै&ख हूँ_। काई म�झ� भैजी� खिखल द� तें भै� ख ल�तें हूँ_, का� ल� का� क्तिछूलका� खिखल द� तें भै� ख ल�तें हूँ_। बजीरं� का( बटE खिखल द� तें भै� ख ल�तें हूँ_ औरं काई पूत्रं� पू�ष्पू� चुढ़ें द�, तें�लस�दल चुढ़ें द� तें भै� सन्तें�ष्ट ह जीतें हूँ_।"

पूत्रं� पू�ष्पू� फला� तः"य� य" म� भक्त्य� प्रायच्छनितः।तःदहैः� भक्त्य�पूहृतः� अश्ना�मिम प्रायतः�त्मन�।।

"जी काई भैO म�रं� क्तिलए प्रा�म स� पK, प�ष्प, <ल, जील आदिद अप7ण कारंतें ह�, उस शं�x ब�द्धिx, विनुष्काम प्रा�म� भैO का प्रा�म प&वा7का अप7ण विकाया हुआ वाह पK-प�ष्पदिद मa सगे�ण रूप स� प्राकाट हकारं प्रा�वितें सविहतें खतें हूँ_।"

(भैगेवादh गे�तें4 9.26)रंहबरं नु� स&रंदस का काह4"स&रंदस ! मa तें�झ� क्या बतेंऊ_ ? काई सच्च� हृदया स� म�झ� काह द� विका "मa तें�रं हूँ_" तें वाह म�झ� सबस� अष्ठिधका

भैतें ह�। रूपयाM-प�सM का� द्वारं ष्ठिमलनु� वाल� पदथा7 म�झ� उतेंनु� नुह� भैतें�। द्धिजीतेंनु विकास� का प्रा�मप&वा7का दिदया हुआ अपनु अह� भैतें ह�। जी म�रं ह जीतें ह� उसका सब का� छू म�झ� भैतें ह�।"

स&रंदस का याका(नु ह गेया विका मनु नु मनु, या� भैगेवानु का� क्तिसवाया औरं काई नुह� हa। 'ह� म�रं� स्वाम� ! ह� म�रं� प्राभै� !..... प�कारंतें� हुए ठोका� रंजी� का हथा पकाड़नु� गेया� तें भैगेवानु स&रंदस का( लकाड़� छूड़कारं दूरं चुल� गेया�। तेंब स&रंदस काहतें� हa-

"म�झ� दुब7ल जीनुकारं अपनु हथा छू� ड़कारं भैगेतें� ह� ल�विकानु म�रं� हृदया म� स� विनुकाल जीओ तें मa जीनु&_ विका आप भैगे सकातें� हa। ह� प्राभै� ! अपनु� हृदया स� मa आपका नुह� जीनु� दू_गे.... नुह� जीनु� दू_गे।"

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भैगेवानु काहतें� हa- "अपनु� हृदया स� मतें जीनु� द ल�विकानु म�झ� अभै� बहुतें काम ह�। स�सरं का( भै�ड़ म� स� तें�रं� जी�स� काई अन्धM का म�झ� बहरं विनुकालनु ह� इसक्तिलए अब मa जीतें हूँ_। तें& इतेंनु अन्ध नुह� ह� ल�विकानु लगे तें आ_ख� हतें� हुए भै� अन्ध� हa। द्धिजीनु पदथाk का छूड़कारं जीनु ह� पदथाk स� क्तिचुपका रंह� हa। द्धिजीस शंरं�रं का जील द�नु ह� उस शंरं�रं का स�ख� कारंनु� का� क्तिलए मजीदूरं� कारंतें� हa। ऐस� एका-द लगे अन्ध� नुह� ह�, लखM-लखM कारंड़M-कारंड़M लगे अन्ध� हa। अब म�झ� स�तेंM का� हृदया म� जीनु� द, स�तेंM का� हृदया द्वारं लगेM का उपद�शं द�नु� द विका याह अन्धपनु छूड़कारं हरिरं का( शंरंण जीओ, ध्यानु का( शंरंण जीओ, विवाकारंM का अन्धपनु छूड़कारं प्रा�मभैक्तिO का( शंरंण जीओ, अह�कारं का अन्धपनु छूड़कारं ज्ञानु का( शंरंण जीओ। काइयाM का याह सन्द�शं द�नु ह�। स�तेंM का� हृदया म� ब�ठोकारं बहुतें काम कारंनु ह�। अतें4 ह� स&रंदस ! मa जीतें हूँ_। आजी का� बद लगे तें�म्ह� विबल्वाम�गेल का� बदल� 'स&रंदस' का� नुम स� प�कारं�गे�, तें�म्हरं� पद जी लगे गेया�गे� उनुका हृदया पविवाK हगे। तें�म्हरं� काथा जी स�नु�गे उसका हृदया भै� विपघल�गे, विनुष्पप हगे। उस� भैक्तिO-म�क्तिO का( प्राप्तिप्तें हगे�। जीओ, म�रं� आशं�वा7द हa।"

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

निवव�के दपू6णीद्धिजीनुका मनु�ष्या जी�वानु का( महत्त का पतें नुह� ह� वा� लगे द�ह का� मनु म�, द�ह का� स�ख म�, द�ह का( स�विवाध म�

अपनु� अक्ल, अपनु धनु, अपनु सवा7स्वा ल�ट द�तें� हa। द्धिजीनुका अपनु� जी�वानु का( महत्त का पतें ह�, द्धिजीनुका विवावा�का का( आ_ख स� वा.xवास्था दिदखतें� ह�, द्धिजीनुका अपनु� म�तें दिदखतें� ह�, द्धिजीनुका अपनु� बल्यावास्था का तेंथा गेभै7वास का दु4ख दिदखतें ह�, द्धिजीनुका स�सरं का( नुश्वरंतें दिदखतें� ह�, द्धिजीनुका सब सम्बन्ध स्वाप्नवातेंh दिदखतें� ह� ऐस� सधका मह म�, आडम्बरं म� नु पड़कारं, विवालस म� औरं प्रामद म� नु पड़कारं परंमत्म का( गेहरंई म� जीनु� का( काक्तिशंशं कारंतें� हa।

जी�स� भै&ख मनु�ष्या भैजीनु का� क्तिसवाया अन्या विकास� भै� बतें परं ध्यानु नुह� द�तें, प्यास मनु�ष्या जी�स� पनु� का( तें�व्र उत्काण्ठो रंखतें ह� ऐस� ह� विवावा�कावानु सधका परंमत्म, शंप्तिन्तेंरूप� पनु� का( उत्काण्ठो रंखतें ह�। जीह_ हरिरं का( चुचु7 नुह� हतें�, आत्म का( बतें नुह� हतें� वाह_ वाह व्यथा7 समया नुह� गे_वातें। द्धिजीस काया7 का कारंनु� स� क्तिचुत्त परंमत्म का( ओरं नुह� जीतें, द्धिजीस काया7 का कारंनु� स� क्तिचुत्त परंमत्म स� विवाम�ख ह वाह काया7 सच्च द्धिजीज्ञास� भैO नुह� कारंतें। द्धिजीस ष्ठिमKतें स� भैगेवाद प्राप्तिप्तें नु ह उस ष्ठिमKतें का वाह शं&लM का( शंय्या समझतें ह�।

वहैः सं�गनितः जीला जी�य जिजीसंम> केथा� नहैः@ र�म के,।निबान ख�तः के� बा�ढ़ निकेसं के�म के,।।

वा� नु&रं ब�नु&रं भैल� द्धिजीस नु&रं म� विपया का( प्यास नुह�। वाह मवितें दुम7वितें ह� द्धिजीस मवितें म� परंमत्म का( तेंड़प नुह�। वाह जी�वानु व्यथा7 ह� द्धिजीस जी�वानु म� ईश्वरं का� गे�तें गे&_जी नु पया�। वाह धनु का� वाल परिरंश्रीम ह�, बझ ह� जी धनु आत्मधनु कामनु� म� काम नु आया�। वाह मनु तें�म्हरं शंK� ह� द्धिजीस मनु का� द्वारं तें�म अपनु� मक्तिलका स� नु ष्ठिमल पओ। वाह तेंनु तें�म्हरं शंK� ह� द्धिजीस तेंनु स� तें�म परंमत्म का( ओरं नु चुल पओ। ऐस द्धिजीनुका अनु�भैवा हतें ह� वा� सधका ह� ज्ञानु का� अष्ठिधकारं� हतें� हa।

जी मनु�ष्या द�ह का� स�ख, द�ह का( प&जी, द�ह का( प्रावितेंJ, द�ह का आरंम, द�ह का ऐशं पनु� का� क्तिलए धर्मिमBका हतें ह� वाह अपनु� आपका ठोगेतें ह�।

द�ह का एकाग्र रंखनु� का भै� अभ्यास कारं। काई लगे ब�ठो� -ब�ठो� घ�टनु विहलतें� रंहतें� हa, शंरं�रं विहलतें� रंहतें� हa। वा� लगे ध्यानु का� अष्ठिधकारं� नुह� हतें�, यागे का� अष्ठिधकारं� नुह� हतें�। मनु का एकाग्र कारंनु� का� क्तिलए तेंनु भै� स�यातें हनु चुविहए।

एका बरं भैगेवानु ब�x परंम गेहरं� शंप्तिन्तें का अनु�भैवा ल�कारं श्चिभैक्ष�काM का का� छू स�नु रंह� था�। वा� एकाएका चु�प ह गेया�, म�नु ह गेया�। सभै विवासर्जिजीBतें ह गेई। विकास� का( विहम्मतें नु हुई तेंथागेतें स� प&छूनु� का(। समया ब�तेंनु� परं ऐस का� छू म�का आया तेंब श्चिभैक्ष�काM नु� आदरं सविहतें प्राथा7नु का(4

"उस दिदनु आप गे�भै�रं विवाषोंया परं बलतें�-बलतें� एकाएका चु�प ह गेया� था�। क्या कारंण था भैन्तें� ?"

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ब�x नु� काह4 "स�नुनु� वाल काई नु था इसक्तिलए मa चु�प ह गेया।""हम था�।""नुह�। विकास� का घ�टनु विहल रंह था, विकास� का( म��ड� विहल रंह� था�। तें�म वाह_ नु था� जीह_ हनु चुविहए।"आध्याण्ठित्मका ज्ञानु का� क्तिलए क्तिचुत्त का( एकाग्रतें चुविहए। क्तिचुत्त का( एकाग्रतें तेंब तेंका नुह� हगे� जीब तेंका शंरं�रं

का( एकाग्रतें क्तिसx नु ह। तेंनु का, मनु का स्वास्था रंख। सवा7स्वा ल�टनु� परं भै� यादिद परंमत्म का विवायागे हतें ह तें वाह स�द खतेंरंनुका ह�।

ईश्वरं का� क्तिलए जीगेतें का छूड़नु पड़� तें छूड़ द�नु ल�विकानु जीगेतें का� क्तिलए ईश्वरं का काभै� मतें छूड़नु। ॐ......ॐ........ॐ.......

ईश्वरं का� क्तिलए प्रावितेंJ छूड़नु पड़� तें छूड़ द�नु ल�विकानु प्रावितेंJ का� क्तिलए ईश्वरं का मतें छूड़नु।स्वास्थ्या औरं स�न्दया7 का परंमत्म का� क्तिलए छूड़नु पड़� तें छूड़ द�नु ल�विकानु स्वास्थ्या औरं स�न्दया7 का� क्तिलए

परंमत्म का नु छूड़नु। क्याMविका वाह स्वास्थ्या, स�न्दया7, प्रावितेंJ औरं ष्ठिमK प्राका. वितें का� एका जीरं स� झटका� स� छू& ट जीए_गे�। इसक्तिलए तें�म्हरं ख्याल सद शंश्वतें परंम�श्वरं परं हनु चुविहए। तें�म्हरं� मवितें म� परंमत्म का� क्तिसवाया औरं विकास� भै� वास्तें� का अष्ठिधका म&ल्या नुह� हनु चुविहए।

समझदरं आदम� वा.xवास्था आनु� स� पहल� ह� याK कारं ल�तें ह�, ब�द्धिx क्ष�ण हनु� स� पहल� ह� ब�द्धिx म� ब्रह्म� स्थिस्थावितें प ल�तें ह�। घरं म� आगे लगेनु� स� पहल� ह� जी�स� का� आ_ ख�दवाया जीतें ह�, भै&ख लगेनु� स� पहल� ह� भैजीनु का( व्यवास्था का( जीतें� ह� ऐस� ह� स�सरं स� अलविवाद हनु� स� पहल� ह� जी�वानुदतें स� सम्बन्ध ब_ध ल�तें ह� वाह� सच्च ब�द्धिxमनु ह�। उस� का जीन्म सथा7का ह�।

द्धिजीसनु� म�नु का अवाल�बनु विकाया ह�, द्धिजीसनु� अपनु� चु�चुल मनु औरं तेंनु का अखण्ड वास्तें� म� स्थिस्थारं कारंनु� का� क्तिलए अभ्यास विकाया ह� वाह शं�घ्र ह� आत्मरंस का उपभैगे कारंतें ह�।

रनिवद�सं र�तः न सं"ईय� दिदवसं न लाजिजीए स्व�द।निनशदिदन प्राभ� के" सं�मरिरए छी"ड़ी संकेला प्रानितःव�द।।

काई रंविKया_ स-सकारं हमनु� गे_वा दE। दिदनु म� विवाषोंया-स�खM का स्वाद ल�-ल�कारं समया गे_वा दिदया। दिदनुM दिदनु हम समप्तें हनु� का जी रंह हa। शंरं�रं का स्वाद दिदलतें�-दिदलतें� तें�म वा.xवास्था का( खई म� विगेरं रंह� ह। शंरं�रं का स�लतें�-स�लतें� तें�म म.त्या� का( शं�या का( ओरं आगे� बढ़ें रंह� ह। अन्तें म� तें�म लम्ब� प�रं पसरं कारं सद का� क्तिलए स जीओगे�। वि<रं का� ट�म्ब�-आक्रन्द कारं�गे� वि<रं भै� तें�म जीवाब नुह� द� पओगे�। ड«क्टरं-हका(म तें�म्ह� म�तें स� छू� ड़नु चुह�गे� वि<रं भै� नुह� छू� ड़ पए_गे�। ऐस� भै� दिदनु आया�गे�। अतें4 सद स्मरंण रंह�.....

रनिवद�सं र�तः न सं"ईय� दिदवसं न लाजिजीए स्व�द।एका दिदनु तें सनु ह� ह�। एका दिदनु तें अखिग्नु तें�म्हरं� शंरं�रं का स्वाद ल�गे�। एका दिदनु याह शंरं�रं सड़नु�-गेलनु� का�

क्तिलए काब्र म� द<नुया जीएगे। शंरं�रं काब्र म� जीया� उसका� पहल� ह� उसका� अह�कारं का काब्र म� भै�जी द। शंरं�रं क्तिचुतें म� जील� उसका� पहल� ह� उस� ज्ञानुखिग्नु म� जीलनु� द।

म�झे� व�द पू�र�न के� र�न सं� क्य�।म�झे� प्राभ� के� पू�ठ पूढ़� द� के"ई।।म�झे� म�दिदर मस्जिस्जीद जी�न� नहैः@।म�झे� प्राभ� के� गतः सं�न� द� के"ई।।

सधका का( दृष्ठिष्ट याह� हतें� ह�। सधका का लक्ष्या का� वाल परंमत्म ह� हतें ह�, दिदखवा नुह�। सधका का जी�वानु स्वाभैविवाका हतें ह�, आडम्बरं वाल नुह�। सधका का( विहलचुल ईश्वरं का� क्तिलए हतें� ह�, दिदखवा� का� क्तिलए नुह�। सधका का खनु-पनु प्राभै� का पनु� म� सहयागे� हतें ह�, स्वाद का� क्तिलए नुह�। सधका का( अक्ल स�सरं स� परं हनु� का� क्तिलए हतें� ह�, स�सरं म� ड&बनु� का� क्तिलए नुह�। सधका का( हरं चु�ष्ट आत्मज्ञानु का� नुजीदEका जीनु� का( हतें� ह�, आत्मज्ञानु स� दूरं नुह�।

सं�9झे पूड़ी दिदन आथाम्य� दMन� चकेव र"य।

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चला" चकेव� वहैः�9 जी�इय� जीहैः�9 दिदवसं र)न न हैः"य।।चुकावा काहतें ह�4

र)न के, निबाछीड़ी चकेव आन मिमला� प्राभ�तः।संत्य के� निबाछीड़ी� म�नख� दिदवसं मिमला� नहैः@ र�तः।।

ह� क्तिचुविड़या ! सन्ध्या हुई ह�। तें& म�झस� विबछू� ड़ जीएगे�। दूसरं� घMसल� म� चुल� जीएगे� ल�विकानु प्राभैतें का ष्ठिमल जीएगे�। एका बतें स�नु। सत्या स� जी मनु�ष्या विबछू� ड़ गेया, मनु�ष्या जीन्म पकारं भै� उस सत्यास्वारूप परंमत्म म� स्थिस्थावितें नुह� का(, ऐस मनु�ष्या वि<रं सत्या स� नु स�बह ष्ठिमल�गे, नु शंम ष्ठिमल�गे, नु रंतें ष्ठिमल�गे, नु प्राभैतें ष्ठिमल�गे।

परंमत्म का बक्तिलदनु द�कारं तें�मनु� जी का� छू पया ह� वाह सब तें�मनु� अपनु� आप जी�ल्म विकाया ह�। अपनु� आपस� धख विकाया ह�। तें�म अपनु� आप का घतें कारं रंह� ह। ईश्वरं का� क्तिसवाया औरं काह� भै� अपनु दिदल लगे रंह� ह तें तें�म अपनु� सथा शंK�तें कारं रंह� ह। ॐ.....ॐ.....ॐ....

भैगेवानु श्री�का. ष्ण अजी�7नु स� काहतें� हa-"ह� अजी�7नु ! तें& अपनु� आपका ष्ठिमK ह� यादिद तें&नु� आत्म म� मनु लगेया तें। अपनु� मनु का चु�चुलतें स� रंका,

अपनु� मनु का प्राका. वितें का� बहवा स� रंका तें तें& अपनु� आपका ष्ठिमK ह� औरं यादिद तें& प्राका. वितें का� बहवा म� बह तें अपनु� आपका शंK� ह�।"

आत्म)व ह्या�त्मन" बान्धुः�� आत्म)व रिरपू�र�त्मन�।मनु यादिद स�सरं म� उलझतें ह� तें अपनु सत्यानुशं कारंतें ह�। मनु यादिद परंमत्म म� लगेतें ह� तें अपनु एवा�

अपनु� सम्पका7 म� आनु� वालM का ब�ड़ परं कारंतें ह�। इसक्तिलए ख&ब स_भैल-स_भैलकारं जी�वानु विबतेंओ। समया बड़ म&ल्यावानु ह�। ब�तें� हुए क्षण वि<रं वापस नुह� आतें�। विनुकाल हुआ तें�रं वि<रं वापस नुह� आतें। विनुकाल हुआ शंब्द वापस नुह� आतें। सरिरंतें का� पनु� म� तें�म एका बरं ह� स्नुनु कारं सकातें� ह, दुबरं नुह�। दुबरं गेतें लगेतें� ह तेंब तेंका तें वाह पनु� काह� का काह� पहु_चु जीतें ह�। ऐस� ह� वात्त7मनु काल का तें�म एका बरं ह� उपयागे कारं सकातें� ह। यादिद वात्त7मनुकाल भै&तेंकाल बनु गेया तें वाह काभै� वापस नुह� ल�ट�गे। अतें4 सद�वा वात्त7मनुकाल का सदुपयागे कारं।

का�नु क्या कारंतें ह� इस झ�झट म� मतें पड़। म�रं� जीतें क्या ह� उसका( क्या जीतें ह�, म�रं गे_वा का�नु-स ह� उसका गे_वा का�नु-स ह� – अरं� भै�या ! सब इस� प.र्थ्यवा� परं हa औरं एका ह� आकाशं का� नु�चु� हa। छूड़ द म�रं� गे_वा तें�रं� गे_वा प&छूनु� का( झ�झट का।

हम याK म� जीतें� हa तेंब लगे प&छूतें� हa- "तें�म्हरं का�नु स गे_वा ? तें�म विकाधरं स� आया� ह ?" अरं� भै�या ! हमरं गे_वा ब्रह्म ह�। हम वाह� स� आ रंह� हa, उस� म� ख�ल रंह� हa औरं उस� म� समप्तें ह जीए_गे�। ल�विकानु याह भैषों समझनु� वाल काई ष्ठिमलतें ह� नुह� ह�। बड़� ख�द का( बतें ह� विका सब लगे इस म�द� का( प&छूतेंछू कारंतें� हa विका काह_ स� आया� ह। जी ष्ठिमट्टीE स� प�द हुआ, ष्ठिमट्टीE म� घ&म रंह ह� औरं ष्ठिमट्टीE म� ष्ठिमलनु� का� क्तिलए ह� बढ़ें रंह ह� उस� का नुम, उस� का गे_वा, उस� का प�था, सम्प्रदया प&छूकारं अपनु भै� समया गे_वातें� हa औरं स�तेंM का भै� समया खरंब कारं द�तें� हa।

अपनु नुम, अपनु गे_वा सचु प&छू तें एका बरं भै� आपनु� ठो�का स� जीनु क्तिलया तें ब�ड़ परं ह जीएगे। अपनु गे_वा आजी तेंका तें�मनु� नुह� द�ख। अपनु� घरं का पतें तें�म दूसरंM स� भै� नुह� प&छू पतें� ह, अपनु� का तें पतें नुह� ल�विकानु स�तेंM नु� जी पतें बतेंया उसका भै� नुह� समझ पतें� ह।

दूसरं� विवाश्वया�x का( एका घटनु ह�। या�x म� एका <�जी� का बहुतें ब�रं� तेंरंह चुट लगे गेई था�। वाह का<( समया तेंका ब�हशं रंह। सथा� उस अपनु� अड्डे� परं उठो लया�। ड«क्टरंM नु� इलजी विकाया। वाह शंरं�रं स� तें ठो�का ह गेया ल�विकानु अपनु� स्म.वितें का ख ब�ठो। वाह अपनु नुम तेंका भै&ल चु�का था। उसका काड7, उसका ष्ठिमक्तिलटरं� का ब�जी काह� स� भै� हथा नु लगे। वाह का�नु ह�, काह_ का विनुवास� ह� का� छू भै� पतें नु चुल पया। मनुवा�ज्ञाविनुकाM नु� स�झवा दिदया विका उस� अपनु� द�शं म� घ�मया जीया। अपनु गे_वा द�खतें� ह� उसका( स्म.वितें जीगे सकातें� ह�, वाह ठो�का सकातें ह�। व्यवास्था का( गेई। द आदम� उसका� सथा रंख� गेया�। इ�ग्लaड का� सब स्ट�शंनुM परं उस� गेड़� स� नु�चु� उतेंरं जीतें था, स्ट�शंनु का सइनु बड7 आदिद दिदखया जीतें, इधरं-उधरं घ�मया जीतें। मरं�जी का काई भै� प्रावितेंभैवा नु दिदखतें तें उस� गेड़� म� विबठोकारं दूसरं� स्ट�शंनुM परं ल� जीतें�। इस प्राकारं प&रं इ�गेलaड घ&म चु�का� ल�विकानु काह� भै� उसका( स्म.वितें जीगे� नुह�। उसका� दनुM

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सथा� विनुरंशं ह गेया�। वापस ल�टतें� समया वा� लगे लकाल ट्रे�नु म� याK कारं रंह� था�। छूट स एका स्ट�शंनु आया। गेड़� रूका(। मरं�जी का नु�चु� उतेंरं। उस� उतेंरंनु व्यथा7 था ल�विकानु चुल, आखिखरं� द-चुरं स्ट�शंनु बका( हa तें विवाष्ठिध कारं ल�। <�जी� का नु�चु� उतेंरं। सथा� चुया-जीलपनु का( व्यवास्था म� लगे�। उस <�जी� नु� स्ट�शंनु का द�ख, सइनु बड7 द�ख औरं उसका( स्म.वितें जीगे आया�। वाह तें�रंन्तें <टका स� बहरं ह गेया औरं <ट<ट चुलनु� लगे। महल्ल� ल_घतें-ल_घतें वाह अपनु� घरं पहु_चु गेया। उसनु� द�ख विका याह म�रं� म_ ह�, याह म�रं बप ह�। उसका( खई हुई स्म.वितें जीगे उठो�।

सदगे�रू भै� तें�म्ह� अलगे-अलगे प्रायागेM स�, अलगे-अलगे शंब्दM स�, अलगे-अलगे प्राविक्रयाओं स� तें�म्ह� याK कारंवातें� हa, शंयाद तें�म अपनु� असल� गे_वा का सइनु बड7 द�ख ल, शंयाद तें�म अपनु� गे_वा का( गेल� का द�ख ल, शंयाद अपनु प�रंनु घरं द�ख ल, जीह_ स� तें�म सदिदयाM स� बहरं विनुकाल आया� ह। तें�म अपनु� उस घरं का( स्म.वितें ख ब�ठो� ह। शंयाद तें�म्ह� उस घरं का, गे_वा का का� छू पतें चुल जीया। काशं ! तें�म्ह� स्म.वितें आ जीया।

जीगेदगे�रू श्री�का. ष्ण नु� अजी�7नु का काई गे_वा दिदखया�। स�ख्या का� द्वारं गे_वा दिदखया, यागे का� द्वारं गे_वा दिदखया, विनुष्काम काम7 का� द्वारं गे_वा दिदखया ल�विकानु अजी�7नु अपनु� घरं म� नुह� जी रंह था। श्री�का. ष्ण नु� तेंब काह4 "ह� अजी�7नु ! अब तें�रं� मजी�। यथा�च्छलिसं तःथा� के� रू।"

अजी�7नु बलतें ह�4 "नुह� मक्तिलका ! प्राभै� ऐस नु कारं। म�रं� ब�द्धिx काई विनुण7या नुह� ल� सकातें�। म�रं� ब�द्धिx अपनु� गे_वा म� प्रावा�शं नुह� कारं पतें�।"

तेंब श्री�का. ष्ण काहतें� हa- "तें वि<रं छूड़ द� अपनु� अक्ल-हक्तिशंयारं� का भैरंस छूड़ द� अपनु� ऐविहका बतेंM का, म�रं�-तें�रं� का औरं जी�नु�-मरंनु� का ख्याल। छूड़ द� कारंम-धरंम का( झ�झट का। आ जी म�रं� शंरंण म�।

संव6र्धम�6न्पूरिरत्यज्य म�म�के� शरणी� व्रजी।अहैः� त्व� संव6पू�पू�भ्य" म"क्षीमियष्य�मिम म� श�च�।।

"सम्प&ण7 धमk का अथा7तें सम्प&ण7 कात्त7व्य कामk का म�झम� त्यागेकारं तें& का� वाल एका म�झ सवा7शंक्तिOमनु सवा7धरं परंम�श्वरं का( ह� शंरंण म� आ जी। मa तें�झ� सम्प&ण7 पपM स� म�O कारं दू_गे, तें& शंका मतें कारं।"

(भैगेवादh गे�तें4 18.66)ह� अजी�7नु ! ड&ब जी तें& म�रं� गेहरं� शंप्तिन्तें म�। पतें चुल जीएगे विका तें�रं गे_वा तें�झम� ह� ह�, काह� आकाशं-पतेंल

म� नुह� ह�।हमरं� ऐस� दिदनु काब आए_गे� विका हम� भै� अपनु� गे_वा औरं घरं का( प्यास प�द ह जीया�। हम भै� अपनु� गे_वा का�

सइनुबड7 का द�खकारं प्राविवाष्ट ह जीए_ अपनु� गे_वा म�।दश्चिक्षण भैरंतें का� एका सम्राट नु� अपनु� नुया� रंविनुयाM का� काहनु� म� आकारं अपनु� प�रंनु� रंनु� का� प�K का घरं स�

विनुकाल दिदया। रंजी का वाह इकाल�तें प�K था ल�विकानु वाह प�रंनु� रंनु� का था। नुया� रंविनुयाM नु� रंजी का भैरंमया विका वाह लड़का पगेल ह�, गेक्तिलयाM म� गेतें वि<रंतें ह�। आपका( इज्जतें का बख�ड़ कारंतें ह�। एका ह� बतें का बरं-बरं स�नुनु� स� वाह बतें असरं कारं जीतें� ह�। रंजी पहल� स� ह� उस लड़का� का विगेरं� हुई विनुगेहM स� द�खतें था। वा� विगेरं� हुई विनुगेह� दिदनुM दिदनु पक्का( हतें� चुल� गेई। रंजीका� मरं का विपतें का( ओरं स� प्रा�म नु ष्ठिमलनु� परं उसका प्रा�म प्राभै� का( ओरं चुल पड़। वाह ट&टE <& टE भैषोंओं म� प्राभै� का� गे�तें गेतें था, मस्तें मवाल�ओं जी�स का� छू गे�नुगे�नुतें था। उसका� खनु-पनु, रंहनु-सहनु म� काई व्यवास्था नुह� था�। जी�स आया ख क्तिलया, जी�स आया पहनु क्तिलया, द्धिजीस विकास� स� ष्ठिमल क्तिलया।

का� छू सल पहल� मa क्तिसरंह� गेया था। क्तिसरंह� का� भै&तेंप&वा7 नुरं�शं औरं उनुका� प�K नु� ख&ब श्रीx का� सथा म�झ� अपनु� महल म� ब�लवाया। उसका� पहल� उसका भैई काई बरं म�रं� पस आ गेया था। वाह बड़ स�ध सद लड़का था, सईविकाल परं आ जीतें था। लगेM नु� म�झ� काह विका रंजी इसका पगेल समझतें ह�। हल_विका वाह पगेल नुह� था ल�विकानु उसका स्वाभैवा ऐस� ह� सरंल था। द्धिजीस विकास� स� बतें कारंनु� लगे जीतें, जीह_-तेंह_ ब�ठोनु� लगे जीतें। वाह अपनु� का विबल्का� ल जीनु सधरंण का� भैवा म� रंखतें था। क्तिसरंह� नुरं�शं अपनु� प�रंनु� शंह� आडम्बरं का स_भैलनु� म� मनुतें था। उसका� का� ट�म्ब� औरं क्तिसरंह� का� लगे समझतें� था� विका याह तें ऐस ह� ह�। रंजी का भैई तें ह� ल�विकानु ऐस ह� ह�।

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वास्तेंवा म� मa लड़का था तें ठो�का ल�विकानु रंजीवाड़� ठोठो नु स_भैलनु� का� कारंण लगेM नु� 'ऐस ह�..... ऐस ह�....' काह रंख था।

इस� प्राकारं उस प�रंनु� रंनु� का� ब�ट� का भै� रंजी का( नुया� रंविनुया_ 'ऐस ह� ह�....' काहकारं दुत्कारंतें� था�। एका दिदनु रंजी नु� लड़का� का घरं स� विनुकाल दिदया। वाह सड़काM परं भैटकानु� लगे, मवाक्तिलयाM का स�गे ह गेया। ईश्वरं का� गे�तेंM का� बजीया इधरं-उधरं का� गे�तें गे&_जीनु� लगे�। स�गे का बड़ रं�गे लगेतें ह�।

रंजी नु� द�ख विका वाह लड़का म�रं� रंज्या म� रंहतें ह� औरं म�रं� इज्जतें का काचुरं हतें ह�। रंजी नु� उस� अपनु� रंज्या स� बहरं विनुकाल दिदया। अब वाह लड़का श्चिभैखम�गेM का( टल� म� जी�ड़ गेया। भै�ख म_गेतें ह�, गे�जीरं कारं ल�तें ह�, स ल�तें ह�। का� छू दिदनु एका गे_वा म� रंहतें ह�, गे_वा वाल� भै�ख द�कारं उब जीतें� हa तें वाह दूसरं� गे_वा म� चुल जीतें ह�।

ऐस कारंतें�-कारंतें� मह�नु� ब�तें�..... वाषों7 ब�तें�.....। एका बरं रंण प्राद�शं का� एका छूट� स� गे_वा म� पहु_चु। प�रंनु� जी&तें� तें <ट गेया� था�, कापड़� तें चु�थाड़� ह गेया� था�। शंरं�रं काल औरं म�ल ह गेया था। छूट� स� गे_वा का( छूटE स� हटल का� आगे� भै�ख म_गेनु� का� क्तिलए अपनु� ट&टE <& टE म�ल� का� चु�ल� चुदरिरंया विबछूई।

"पच्च�स-पचुस प�स� द� द बब& जी� जी&तें� ल�नु� का, पच्च�स-पचुस प�स� द� द.... चुया प�नु� का� क्तिलए.... तें�म्हरं भैल हगे।"

लड़का भै�ख म_गेतें ह� गे�जीरं कारंतें ह�।इधरं सम्राट ब&ढ़ें ह चुल था। ज्यावितेंविषोंयाM नु� बतेंया विका तें�म्हरं� का अब स�तेंवितें भैग्या म� नुह� ह�। रंजीवा�शं का(

परं�परं स_भैलनु� ह� तें उस� ज्या�J प�K का ब�लया जीया। उस� का रंजीवितेंलका विकाया जीया औरं काई चुरं नुह� ह�। तें�म्हरं का� ल खत्म ह जीएगे।

रंजी नु� चुरंM औरं आदम� भै�जी�, क्तिसपह� द�ड़या�। वाजी�रं भै� विनुकाल�। एका ट�काड़� घ&मतें�-घमतें� मरूभै&ष्ठिम का� उस� गे_वा म� जी पहु_चु�। द�ख तें हटल का� समनु� काई श्चिभैखरं� भै�ख म_गे रंह ह�। वाषोंk का <सल पड़ गेया था ल�विकानु वाजी�रं का( नुजीरं� प�नु� था�। विवालक्षण ब�द्धिxमनु वाजी�रं नु� रंथा का रंका। लड़का� नु� हथा <� लया।

"एका प�स द� द... तें�रं भैल ह जीया�गे। काल का भै&ख हूँ_.... जीरं स <<ड़� खिखल द�। इस अभैगे� का चुया विपल द�.... तें�रं काल्याण हगे।"

वाजी�रं का श्चिभैखम�गे� लड़का� का( आवाजी म� रंजीका� मरं का� स्वारं स�नुई पड़�। उसका� म�ल� चु�हरं� परं वा� ह� रंजीवा�शं� रं�खया� दिदखई द±। वाह वाजी�रं रूका, खड़ रंह। श्चिभैखम�गे उसका� आगे� प�स� द प�स� का� क्तिलए विगेड़विगेड़नु� लगे। वाजी�रं नु� प&छू4

"तें& काह_ स� आया ह� ?"वाह लड़का अपनु� असक्तिलयातें का भै&ल चु�का था। बल4"मa गेरं�ब हूँ_..... भै�ख म_गेकारं आपका( दया स� गे�जीरं कारंतें हूँ_.....।"वाजी�रं उसस� प&छूतें�-प&छूतें� आखिखरं विनुण7या परं आ गेया विका याह वाह� रंजीका� मरं ह� द्धिजीसका( खजी म� मa विनुकाल

हूँ_। म�रं� सम्राट का याह वाह� प्राथाम प�K ह� द्धिजीसका द�खनु� का� क्तिलए सम्राट अब ललष्ठियातें ह�। वाजी�रं बल4"तें�म तें <लनु� रंज्या का� रंजीका� मरं ह औरं <लनु� सम्राट का� ज्या�J प�K ह। सम्राट तें�म्ह� रंजीवितेंलका कारंनु� का�

क्तिलए उत्स�का हa। तें�म चुल म�रं� सथा।"रंजीका� मरं का( प�रंनु� स्म.वितें जीगे उठो�। वाह बल4"म�रं� स्नुनु का� क्तिलए गे�गेजील म�गेवाओ। पहनुनु� का� क्तिलए वास्K-आभै&षोंण का( तें�यारं� कारं। जीनु� का� क्तिलए स�न्दरं

रंथा का( सजीवाट कारं।"एका स�का� ड म� श्चिभैखरं� का( सरं� दरिरंद्रतें गेयाब ह गेई। सरं� श्चिभैक्षपK व्यथा7 ह गेया�। उस� समया वाह अपनु�

सम्राटपनु� का अनु�भैवा कारंनु� लगे।वाह रंजी तें रंविनुयाM का� चुक्कारं म� आ गेया था। इस रंजीका� मरं का घरं स� औरं रंज्या स� विनुकाल दिदया था।

बद म� रंजी विकास� रंनु� का� चुक्कारं म� नुह� आया�। वा� स�तेंरूप� वाजी�रं का तें�म्हरं� पस भै�जीतें� हa। तें�म विवाषोंयाM का( भै�ख काब तेंका म_गेतें� रंहगे� ? म�झ� धनु द� द, म�झ� मकानु द� द, म�झ� का� स� द� द, म�झ� सत्त द� द, म�झ� स�हगे द� द, म�रं�

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शंदE कारंवा द, म�झ� स�तेंनु द� द.... तें�म्हरं� इस प्राकारं का( भै�ख स�नुकारं स�तेंरूप� वाजी�रं भै�तेंरं ह� भै�तेंरं बड़� दु4ख� हतें� हa विका अरं� ! परंमत्म का प्यारं प�K औरं इस हलतें म� ?

तें�म सब परंमत्म का� प्यारं� प�K ह� ह।सम्राट का प�K तें दस-बरंह सल स� भै�ख म_गेतें था इसक्तिलए थाड़� ह� वाचुनुM स� वाजी�रं का( बतें परं विवाश्वस

कारं क्तिलया औरं अपनु� रंज्या का स_भैल क्तिलया। तें�म सदिदयाM स� म_गेतें� आया� ह इसक्तिलए स�तेंरूप� वाजी�रं का� वाचुनुM का नुह� मनु रंह� ह। तें�म सन्द�ह कारंतें� ह विका आत्म-परंमत्म ह� ! अच्छा ! स_ई काहतें� हa तें ठो�का ह� ल�विकानु म�झ� नु�कारं� म� प्रामशंनु ष्ठिमल जीया।

स�तें काहतें� हa- "अरं� चुल, मa तें�झ� सरं� विवाश्व का सम्राट बनु द�तें हूँ_....।""स_ई ! आपका( बतें तें..... ठो�का ह�, ल�विकानु आजी म�रं इतेंनु काम ह जीया, का. प कारं.....।"काब तेंका तें�म का� काड़ औरं पत्थरं म_गेतें� रंहगे� ? काब तेंका का�विड़या_ औरं वितेंनुका� बटरंतें� रंहगे� ? ईश्वरं का� रंज्या

का� क्तिसवाया, परंमत्म का� पद का� क्तिसवाया आजी तेंका तें�मनु� जी बटरं ह� औरं आजी का� बद तें�म जी बटरंगे�, आजी तेंका तें�मनु� जी जीनु ह� औरं आजी का� बद जी जीनुगे�, आजी तेंका तें�मनु� जी स�सरं� चु�जी� पया� हa औरं आजी का� बद जी स�सरं का� ष्ठिमK बनुओगे�, म.त्या� का� एका ह� झटका� म� वा� सब छू& ट जीए_गे�।

दरिरंद्रतें का� पK तें�म काब तेंका सजीया� रंखगे� ? श्चिभैक्ष का( चु�जी तें�म काब तेंका अपनु� पस रंखगे�। छूड़ याह सब। दरिरंद्रतें का� वास्KM का, म�ल� का� चु�ल� चु�थाड़M का उतेंरं <a का। ठो�कारं द श्चिभैक्ष का� पKM का। श्चिशव"ऽहैःम7 का गेनु गे&_जीनु� द। मa आत्म परंमत्म हूँ_.... मa अपनु� घरं का( ओरं कादम बढ़ेंऊ_ गे... इस प्राकारं अपनु� स्म.वितें का जीगेओ, दूसरं का� छू नुह� ह�। परंमत्म का लनु नुह� ह�, परंमत्म का� स�ख का पनु नुह� ह�, जीन्म-मरंण का� चुक्कारंM का विकास� हथा�ड़� स� तेंड़नु नुह� ह�। का� वाल अपनु� आत्म-स्म.वितें का जीगेओ, बस। औरं का� छू कारंनु नुह� ह�।

तें�म का� वाल परंमत्म का( ह_ म� ह_ ष्ठिमलकारं द�ख। गे�रू का( ह_ म� ह_ ष्ठिमलकारं तें द�ख, वि<रं पओगे� विका तें�म विकातेंनु� महनुh ह !

गे�रू तें�मस� काहतें� हa विका तें�म अम.तेंप�K ह तें तें�म क्याM इन्कारं कारंतें� ह ? गे�रू काहतें� हa विका तें�म द�ह नुह� ह तें तें�म क्याM अपनु� का द�ह मनुतें� ह ?

ईश्वर� संव6भ�तः�न�� हृद्दे�श"ऽजी�6न नितःष्ठनितः।भ्रा�मयन्संव6भ�तः�निन य�त्रं�रूढा�निन म�यय�।।

'ह� अजी�7नु ! शंरं�रं रूप या�K म� आरूढ़ें हुए सम्प&ण7 प्राश्चिणयाM का अन्तेंया7म� परंम�श्वरं अपनु� मया स� उनुका� कामk का� अनु�सरं भ्रमण कारंतें हुआ सब प्राश्चिणयाM का� हृदया म� स्थिस्थातें ह�।'

(भैगेवादh गे�तें4 18.61)भैगेवानु काहतें� हa विका सबका� हृदया म� मa ज्याM का त्याM विवारंजीमनु हूँ_। ल�विकानु सब मयारूप� या�K स� भ्रष्ठिमतें ह

रंह� हa।मया का अथा7 ह� धख। धख� का� कारंण हम दEनु-ह�नु हुए जी रंह� हa। 'ह� धनु ! तें& का. प कारं.... स�ख द�। ह�

कापड़� ! तें& स�ख द�। ह� गेहनु� ! तें& स�ख द�।'अरं� ! या� जीड़ चु�जी� हa, तें�म्ह� काब स�ख द�गे� ? कापड़� नु हM तें परंवाह नुह�, गेहनु� नु हM तें परंवाह नुह�। खनु�

का नु ह तें भै� परंवाह नुह�। खकारं भै� मरंनु ह� औरं विबनु खया� भै� मरंनु ह� इस शंरं�रं का। तें�म्हरं� हृदया म� परंमत्म का� गे�तें हM, बस। इतेंनु� का<( ह�। इसका� क्तिसवाया औरं सब का� छू भै� ह गेया तें भै� व्यथा7 ह�।

एका बरं तें�म गे�रू का( बतें मनुकारं तें द�ख, एका बरं तें�म छूल�गे लगेकारं तें द�ख ! स�द म�जी&रं नु ह तें स�द वापस कारं द�नु भै�या !

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

सं�यम सं� हैः संफलातः�

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ब्रह्मजी� नु� जीब आ_ख खल� तें भैगेवानु विवाष्ण� का( विवाक्तिचुK रंचुनुओं परं बड़ आ"या7 हुआ। सचुनु� लगे�4 'याह सब क्या ह� ? का� स� हुआ ?'

ब्रह्मजी� ज्याM-ज्याM सचुतें� गेया� त्याM-त्याM उनुका मनु गेहरं चुलतें गेया। भै�तेंरं स� आवाजी आया�4 तेंप.... तेंप..... तेंप..... (अथा7तेंh तेंप कारं)

तेंप कारंनु� का मतेंलब ह� विका इद्धिन्द्रयाM का मनु म� ल�नु कारं। मनु का ब�द्धिx म� ल�नु कारं। ब�द्धिx का परिरंश्रीम नुह� हगे। ब�द्धिx का शंप्तिन्तें ष्ठिमल�गे� तें वाह शंन्तें स्वारूप परंमत्म म� दिटका� गे�। शंन्तें स्वारूप परंमत्म म� दिटकानु� स� मवितें का गेढ़ेंपनु ह जीतें ह�। यादिद मवितें हल्का( वास्तें�ओं म� उलझतें� ह� तें छूEछूरं� ह जीतें� ह�।

प�पल का पत्त हल्का-स ह�। थाड़� स� हवा लगेतें� ह� तें वाह <ड़कातें रंहतें ह�। स�म�रू पवा7तें का� स� भै� आ_ध� म� स्थिस्थारं रंहतें ह�। ऐस� ह� द्धिजीसनु� तेंप विकाया ह� वाह परंब्रह्म परंमत्म म� स्थिस्थातें हतें ह�। संत्य� ज्ञा�न� अन�तः� ब्रह्म। जी सत्यास्वारूप ह�, ज्ञानुस्वारूप ह�, द्धिजीसका काभै� अन्तें नुह� हतें उस परंब्रह्म परंम�श्वरं म� मवितें प्रावितेंष्ठिJतें ह जीतें� ह�। परंब्रह्म परंम�श्वरं म� मवितें जीब प्रावितेंष्ठिJतें ह जीतें� ह� तें उस मवितें का नुम बदल जीतें ह�, वाह प्राज्ञा बनु जीतें� ह�, ऋतें�भैरं प्राज्ञा। ऋतें मनु� सत्या। सत्यास्वारूप परंम�श्वरं स� भैरं� हुई प्राज्ञा ह� ऋतें�भैरं प्राज्ञा।

मनु�ष्या जीब प्राण छूड़तें ह�, मरंतें ह� तेंब उसका� क्तिचुत्त म� जी�स�-जी�स� वासनु हतें� ह�, उसका( मवितें म� जी�स-जी�स विनु"या हतें ह� उस� का� अनु�सरं उसका मनु औरं प्राण लका-लकान्तेंरं म� गेवितें कारंतें ह�। जी�स�, आपका( मवितें म� विनु"या ह गेया विका हम क्तिशंविवारं म� जीए_गे�, वि<रं चुह� उत्तरंयाण का( ठोण्ड लगे� या मचु7-अप्रा�ल का( गेम� बरंस�, हम तें क्तिशंविवारं म� जीए_गे� ह�। सत्स�गे स�नु�गे�, सधनु कारं�गे� औरं जी का� छू कादिठोनुइया_ हगे� उन्ह� सह�गे� तें तेंप ह जीएगे। सत्स�गे-का(तें7नु स� आनुन्द हगे औरं सधनु स� मवितें का( शं�द्धिx हगे�, परंमत्म का� मगे7 म� आगे� बढ़ें जीए_गे� !

याह विनुण7या मवितें नु� विकाया विका ध्यानु यागे सधनु क्तिशंविवारं म� जीनु ह�। मनु नु� औरं प्राण नु� याजीनु बनुया� विका <लनु� तेंरं�ख का, <लनु� गेड़� स� जीनु ह�। हथाM नु� विहलचुल का(, प�रंM नु� याK का(, आ_खM नु� द�खनु� का काम विकाया। बद म� सब काम म� लगे गेया� ल�विकानु प्रारं�भै म� विनुण7या मवितें का था।

इद्धिन्द्रयाM का जी�स ष्ठिमल�गे उस प्राकारं का इद्धिन्द्रयाM का आकाषों7ण औरं मनु का मनुनु बनु�गे। इद्धिन्द्रयाM का� आकाषों7ण औरं मनु का� मनुनु का विनुष्काषों7 ब�द्धिx का� आगे� पहु_चु�गे4 अच्छा हुआ विका ब�रं हुआ..... दूसरं� बरं याह कारं�गे�, याह नुह� कारं�गे�....याह लए_गे�, याह नुह� लए_गे�......आदिद। मवितें म� अगेरं अच्छा� स�स्कारं हa, मवितें अगेरं तेंप स� या�O ह� तें वाह मनु इद्धिन्द्रयाM का( अच्छाE बतें का ह_ बल�गे� औरं घदिटया बतें का काटकारं <� का द�गे�। मवितें घदिटया ह� तें वाह मनु इद्धिन्द्रयाM का( घदिटया बतें का ह_ बल द�गे� औरं बदिढ़ेंया बतें का( ओरं ध्यानु नुह� द�गे�।

तें�म्हरं� पस समचुरं तें लतें� हa इद्धिन्द्रया_। आ_ख दृश्या का� समचुरं भैरंतें� ह�, कानु शंब्द का� समचुरं भैरंतें� हa, नुका दुगे7न्ध-स�गेन्ध का� समचुरं भैरंतें ह�, जी�भै रंस का समचुरं भैरंतें� ह�। मनु या� सब समचुरं ल�कारं मवितें का� पस जीतें ह�। मवितें म� अगेरं तेंप ह� तें वाह सरंसरं का विवावा�का कारंतें� ह�। मवितें म� अगेरं तेंप नुह� ह� तें वाह मनु इद्धिन्द्रयाM का जी अच्छा लगे� वाह� विनुण7या द�तें� ह�। ऐस कारंतें�-कारंतें� मवितें मन्द ह जीतें� ह�। चुपरंस� औरं कारंका& नु अपनु� का जी�स अच्छा लगे� वा�स सहब स� काम कारंवातें� रंह�, कागेजीM परं सहब का� हस्तेंक्षरं कारंवातें� रंह� तें सहब काभै� नु काभै� उनुका( जील म� <_ स मरंतें ह�। ऐस� ह� मनु-इद्धिन्द्रयाM का( सहब मवितें द�वा� मनु-इद्धिन्द्रयाM का( बतेंM म� आकारं <_ सतें� ह�। वाह सहब तें <_ सतें ह� तेंब नु�कारं� गे_वातें ह�, घरं ब�ठोतें ह� ल�विकानु याह मवितें द�वा� चु�रंस� लख याविनुयाM का( जी�ल भैगेतें� ह�। जीब द�खनु�, स�नुनु�, चुखनु�, भैगेनु� का( वासनु मवितें नु� स्वा�कारं कारं ल� तें मवितें का स्वाभैवा ह जीतें ह� विका अभै� वाह चुखनु ह�, याह खनु ह�, याह भैगेनु ह�। ऐस कारंतें�-कारंतें� जी�वानु प&रं ह जीतें ह� वि<रं भै� का� छू नु का� छू कारंनु-भैगेनु, खनु-प�नु बका( रंह जीतें ह�।

जीब प्राण विनुकालतें� ह� तेंब भैगे का( वासनुया�O मवितें म� द्धिजीस भैगे का आकाषों7ण हतें ह� उस� प्राकारं का� वातेंवारंण म� वाह वि<रं स� जीन्म ल�तें� ह�। वाह� भैगे भैगेतें�-भैगेतें� दूसरं� स�स्कारं स�क्तिचुतें हतें� रंहतें� हa। एका वासनु ष्ठिमटE नु ष्ठिमटE वाह_ दूसरं� खड़� ह जीतें� ह�।

जी�स�, काई सचुतें ह� विका तें�नु घण्ट� का समया ह�। चुल, क्तिसनु�म द�ख ल�। क्तिसनु�म म� दूसरं� क्तिसनु�म का� एवा� दूसरं� काई चु�जीM का� विवाज्ञापनु भै� दिदखया� जीतें� हa। इसस� एका क्तिसनु�म द�खतें�-द�खतें� दूसरं� क्तिसनु�म द�खनु� का( एवा� दूसरं�

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चु�जी� खरं�दनु� का( वासनु जीगे उठोतें� ह�। वासनुओं का अन्तें नुह� हतें। वासनुओं का अन्तें नुह� हतें। इसक्तिलए याह जी�वा ब�चुरं परंमत्म तेंका नुह� पहु_चु पतें। वासनु स� ग्रस्तें मवितें परंमत्म म� प्रावितेंष्ठिJतें नुह� ह पतें�। मवितें परंमत्म म� प्रावितेंष्ठिJतें नुह� हतें� ह� तें जी�वा जी�नु� का( औरं भैगेनु� का( वासनु स� आक्रन्तें रंहतें ह�।

जी चु�तेंन्या जी�नु� औरं भैगेनु� का( इच्छा स� आक्रन्तें रंहतें ह� उस� चु�तेंन्या का नुम जी�वा पड़ गेया। वास्तेंवा म� जी�वा जी�स� काई ठोस चु�जी नुह�।

जी�वा नु� अच्छा� काम7 विकाया�, सस्वित्त्वाका काम7 विकाया�, भैगे भैगे� तें सह� ल�विकानु ईमनुदरं� स�, त्यागे स�, स�वाभैवा स�, भैक्तिO स� अच्छा� स�स्कारं भै� सर्जिजीBतें विकाया�, परंलका म� भै� स�ख� हनु� का� क्तिलए दनु-प�ण्या विकाया�, स�वाकाया7 विकाया� तें उसका( मवितें म� अच्छा� सस्वित्त्वाका स�ख भैगेनु� का( इच्छा आया�गे�। वाह जीब प्राण त्यागे कारं�गे तेंब सत्त्वागे�ण का( प्राधनुतें रंह�गे� औरं वाह स्वागे7 म� जीएगे।

जी�वा का अगेरं हल्का� स�ख भैगेनु� का( इच्छा रंह� तें वाह नु�चु� का� का� न्द्रM म� ह� उलझ रंह�गे। मनु उस� काम भैगेनु� का( इच्छा रंह� तें मरंनु� का� बद उस� स्वागे7 म� जीनु� का( जीरूरंतें नुह�, मनु�ष्या हनु� का( भै� जीरूरंतें नुह�। उसका( क्तिशंश्ने�द्धिन्द्रया का भैगे भैगेनु� का( अष्ठिधका-स�-अष्ठिधका छू& ट ष्ठिमल जीया ऐस� याविनु म� प्राका. वितें उस� भै�जी द�गे�। शं&कारं, का& कारं, काब&तेंरं का शंरं�रं द� द�गे�। उस याविनु म� एकादशं�, व्रतें, विनुयाम, बच्चM का पढ़ेंनु� का(, शंदE कारंनु� का( द्धिजीम्म�दरं� आदिद का� छू बन्धनु नुह� रंह�गे�। जी�वा वाह_ अपनु� का क्तिशंश्ने�द्धिन्द्रया का� भैगे म� खप द�गे।

इस प्राकारं द्धिजीस इद्धिन्द्रया का अष्ठिधका आकाषों7ण हतें ह� उस इद्धिन्द्रया का अष्ठिधका भैगे ष्ठिमल सका� ऐस� तेंनु म� प्राका. वितें भै�जी द�तें� ह�। क्याMविका तें�म्हरं� मवितें उस संत्य� ज्ञा�न� अन�तः� ब्रह्म स� स्फु� रं� था� इसक्तिलए उस मवितें म� सत्या स�काल्प का( शंक्तिO रंहतें� ह�। वाह जी�स� इच्छा कारंतें� ह�, द�रं सवा�रं वाह काम हकारं रंहतें ह�।

इसक्तिलए हम� सवाधनु रंहनु चुविहए विका हम जी स�काल्प कारं�, मनु-इद्धिन्द्रयाM का( बतेंM परं जी विनुण7या द� वाह सदगे�रू, शंस्K औरं अपनु� विवावा�का स� नुप-तें�लकारं द�नु चुविहए। विवावा�का विवाचुरं स� परिरंशं�x हकारं इच्छा का प�ष्ठिष्ट द�नु� या नु द�नु� का विनुण7या कारंनु चुविहए।

इच्छा काटनु� का( काल आ जीएगे� तें मनु विनुवा7सविनुका बनुनु� लगे�गे। मनु विनुवा7सविनुका हगे तें ब�द्धिx विनुश्चि"न्तें तेंत्त्वा परंमत्म म� दिटका� गे�। मनु म� अगेरं हल्का( वासनु हगे� तें हल्का जी�वानु, ऊ_ चु� वासनु हगे� तें ऊ_ चु� लका-लकान्तेंरं का जी�वानु औरं ष्ठिमश्चिश्रीतें वासनु हगे� तें प�ण्या-पप का( खिखचुड़� खनु� का� क्तिलए मनु�ष्या शंरं�रं ष्ठिमल�गे। सत्स�गे औरं तेंप कारंका� आत्म-परंमत्म विवाषोंयाका ज्ञानु प ल� तें सबस� ऊ_ चु जी�वानु बनु जीए। प्रारं�भै म� याह काया7 थाड़ कादिठोनु लगे सकातें ह� ल�विकानु एका बरं आत्म-परंमत्म का ज्ञानु प ल� तें मवितें का, मनु का, इद्धिन्द्रयाM का जी शंप्तिन्तें, आनुन्द औरं रंस ष्ठिमलतें ह� वाह रंस, शंप्तिन्तें औरं आनुन्द इहलका म� तें क्या, स्वागे7लका म� औरं ब्रह्मलका म� भै� नुह� ष्ठिमलतें�। ब्रह्मलका म� वाह स�ख नुह� जी ब्रह्म परंमत्म का� सक्षत्कारं म� ह�।

ज्ञा�त्व� द�व� म�च्यतः� संव6 पू�श�भ्य�।उस द�वा का जीनुनु� स� जी�वा सरं� पशंM स�, सरं� जी�जी�रंM स� म�O ह जीतें ह�।मनु�ष्या जीन्म म� ऐस� मवितें ष्ठिमल� ह� विका इसस� वाह भै&तें का, भैविवाष्या का क्तिचुन्तेंनु-विवाचुरं कारं सकातें ह�। पशं� तें

का� छू समया का� बद अपनु� म_-बप का भै� भै&ल जीतें� हa, भैई-बहनु का भै� भै&ल जीतें� ह� औरं स�सरं व्यवाहरं कारं ल�तें� हa। मनु�ष्या का( मवितें म� स्म.वितें रंहतें� ह�।

इद्धिन्द्रया_ तें�म्ह� स�सरं का( ओरं आकार्तिषोंBतें कारं�गे� ल�विकानु मवितें परिरंणम का विवाचुरं कारं�गे�। मवितें का आदरं कारंगे� तें विवाकारंM म� स� विनुर्तिवाBकारिरंतें का( ओरं जीनु विबल्का� ल जीरूरं� दिदख�गे। मवितें का आदरं नुह� कारंगे�, मनु-इद्धिन्द्रया_रूप� चुपरंस� औरं कारंका& नुM का� काहनु� म� मवितें का बहतें� रंहगे� तें जीगेतें सच्च लगे�गे। जीगेतें सच्च लगे�गे तें जीगेतें का� भैगेM म� आकाषों7ण हगे। जीगेतें का� भैगेM म� आकाषों7ण हनु� स� रंगे-द्वा�षों पनुप�गे�। रंगे-द्वा�षों पनुपनु� स� इच्छा, भैया, क्रध, अशंप्तिन्तें, जीन्म, म.त्या�, जीरं औरं व्यष्ठिध बनु� ह� रंह�गे�। अगेरं मवितें का आदरं कारंगे� तें मवितें परिरंणम का विवाचुरं कारं�गे�। परिरंणम का विवाचुरं कारंगे� तें मवितें मनु का, इद्धिन्द्रयाM का खनु�-प�नु� का(, द�खनु� स�नुनु� का( इजीजीतें तें द�तें� ह� ल�विकानु औषोंधवातेंh। खनु प�नु, द�खनु-स�नुनु आदिद सब औषोंधवातेंh ह जीया तें इद्धिन्द्रयाM औरं मनु का परिरंश्रीम काम ह जीतें ह�। उसस� भै� मवितें का थाड़� प�ष्ठिष्ट ष्ठिमलतें� ह�। ज्याM-ज्याM मवितें का प�ष्ठिष्ट ष्ठिमलतें� ह� त्याM-त्याM मवितें द�खनु�-स�नुनु� आदिद का(

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इच्छाए_ काम कारंका� अपनु� आप म� तें.प्तें रंहतें� ह�। तें.प्तें मवितें का( याग्यातें बढ़ें जीतें� ह�। याग्यातें बढ़ें जीतें� ह� तें मनु औरं इद्धिन्द्रया_ मवितें का� आध�नु ह जीतें� हa।

मनु�ष्या जीन्म म� ह� ऐस� अवास्था आ जीतें� ह� विका जीब चुह तेंब इद्धिन्द्रयाM का सम�टकारं मनु म� ल� आया�, मनु का सम�टकारं परंमत्म म� गेतें मरं दिदया।

दिदला� तःस्वर� हैः) य�र.....जीबानिके गरदन झे�के� ला, म�ला�के�तः केर ला।

जीब चुह, आत्मस�ख प क्तिलया।मवितें म� आत्मस�ख पनु� का( आदतें पड़ जीतें� ह� तें जीब शंरं�रं छू& टतें ह� तेंब मवितें म�, अन्तें4कारंण म� काई

वासनु नुह� रंहतें�। जीब वासनु नुह� रंहतें� तें प्राण लका-लकान्तेंरं म� जीनु� का� क्तिलए उत्क्रमण नुह� कारंतें�। अभै� तें�म्ह� चुया प�नु� का( या का� छू खनु� प�नु� का( वासनु जीगे जीया तें तें�म याह_ स� खिखसका जीओगे�। जीब काई वासनु नुह� ह� तें भैगे-द�ड़ कारंनु� का( जीरूरंतें क्या ह� ? वासनु जीरं कारंतें� ह� तें आदम� का( नुजीरं इधरं उधरं जीतें� ह�। वाह ब�ईमनु� भै� कारंतें ह�, प�स� भै� खचु7 कारंतें ह�। सब वासनु का� क्तिलए ह� कारंतें ह�। द्धिजीसका( मवितें म� काई वासनु नुह� हतें� उसका( मवितें परंब्रह्म परंमत्म म� प्रावितेंष्ठिJतें ह जीतें� ह�।

तःस्य प्राज्ञा� प्रानितःष्ठनितः।वाह सधका जी�तें� जी� क्तिसx पद का प ल�तें ह�।

ज्ञा�नन�म7 प्रा�णी�� न उत्क्र�मन्तः�-अत्रं)व प्रावलिलायन्तः�।।द्धिजीनुका आत्म, परंब्रह्म परंमत्म का स�ख ष्ठिमल गेया ह�, आत्म-सक्षत्कारं ह गेया ह� ऐस� ज्ञानु� का� प्राण

द�हत्सगे7 का� बद उत्क्रमण नुह� कारंतें� हa। शंरं�रं का प्रारंब्ध प&रं हतें� ह� स्था&ल शंरं�रं प_चु भै&तेंM म� ल�नु ह जीतें ह�, स&क्ष्म शंरं�रं स&क्ष्म भै&तेंM म� ल�नु ह जीतें ह�। आत्म तें पहल� स� ह� परंब्रह्म परंमत्म म� ष्ठिमल� हुई ह�। वाह तें आत्म-सक्षत्कारं का� दिदनु ह� सतेंh क्तिचुतेंh आनुन्दस्वारूप, आकाशं भै� अत्यान्तें स&क्ष्म परंब्रह्म परंमत्म स� एका ह गेई था�। का� वाल द�ह का( बध था�। प्रारंब्ध नु� द�ह का( बध का विनुवा.त्त कारं दिदया। ज्ञानु� व्यपका ब्रह्म ह गेया।

अब हमरं� विहस्स� क्या कात्त7व्य आतें ह� ?हमरं� विहस्स� आतें ह� विका हम मनु औरं इद्धिन्द्रयाM का अष्ठिधका आदरं नु कारं�। तें�लस�दसजी� नु� ठो�का ह� काह ह�4

द�खिखय� सं�निनय� ग�निनय� मन म�9हैः।म"हैःम�ला पूरम�रथा न�9हैः।।

द�खनु�, स�नुनु� औरं विवाचुरं कारंनु� म� जी आतें ह� वाह सब महम&लका ह�। वाह परंमरंथा मनु� वास्तेंविवाका सत्या नुह� ह�।

पतें�गे� का दिदया� म� सत्या स�ख दिदखतें ह� औरं वाह उसम� का& दकारं जील मरंतें ह�। मछूल� का का_ट� म� सत्या स�ख दिदखतें ह� औरं वाह <_ स मरंतें� ह�। हथा� का का. विKम हक्तिथानु� म� सत्या स�ख दिदखतें ह� औरं वाह खड्डे� म� जी विगेरंतें ह�, सद का� क्तिलए बन्दE ह जीतें ह�। भै´रं� का कामल म� सत्या स�ख दिदखतें ह� औरं वाह वाह� क्तिलप्तें रंहतें ह�। शंम हतें� ह� कामल का( प�ख�विड़या_ म�_द जीतें� हa, भ्रमरं का� द ह जीतें ह�। हल_विका लकाड़� म� भै� छू�द कारंनु� वाल� भै´रं� म� कामल का( कामल प_ख�विड़या_ छू�दनु� का( तेंकातें ह� ल�विकानु प्रामद म� स�ख का एहसस कारंतें हुआ पड़ रंहतें ह�। इद्धिन्द्रयाM का� आकाषों7ण म� <_ स रंहतें ह�। हक्तिथायाM का झ�ण्ड आतें ह�, तेंलब म� उतेंरंकारं कामल का उखड़ <� कातें ह�, प�रंM तेंल� का� चुल जीतें ह�, मरं जीतें ह�।

ऐस नुह� ह� विका हम विबल्का� ल अज्ञानु� हa। क्या अच्छा ह� क्या ब�रं ह� याह सब लगे जीनुतें� हa। क्या प�ण्या ह� क्या पप ह� याह भै� हम का<( विहस्स� म� जीनुतें� हa। क्या कारंनु चुविहए क्या नुह� कारंनु चुविहए याह भै� हम लगे जीनुतें� हa। वि<रं भै� जी नुह� कारंनु चुविहए वाह कारंतें� हa। उसका� प�छू� एका ह� कारंण ह� स�ख का ललचु। का� छू काम भैयाभै�तें हकारं भै� कारंनु� पड़तें� हa- लगे क्या बल�गे� ? समजी क्या काह�गे ?

स�ख का� ललचु औरं दु4ख का� भैया नु� अन्तें4कारंण का कामजीरं कारं दिदया। उन्हMनु� मवितें का अपनु� विनुया�Kण म� ल दिदया। मनु औरं इद्धिन्द्रया_ मवितें का( कामजीरं� का जीनु ल�तें� हa। इसस� उसका घस�टतें� रंहतें� हa। मनु औरं इद्धिन्द्रया_ नु�वितें

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का औरं म�क्तिO का आदरं नुह� कारंतें�, स�ख का ललचु रंखतें� हa, मवितें भै� स�ख का� ललचु म� वि<सलनु� लगेतें� ह�, दु4ख का� भैया स� भैयाभै�तें हतें� ह� तें नु चुहतें� हुए भै� मवितें का हल्का� विनुण7या कारंनु� पड़तें� हa, नु चुहतें� हुए हल्का� कामM म� जी�ड़नु पड़तें ह�। इसस� मवितें का स्वाभैवा हल्का बनु जीतें ह�।

ब्रह्म जी� का प्रा�रंण हुई विका4 'तेंप4....।'तेंप कारंनु� स� तें�जी बढ़ें�गे, शंक्तिO बढ़ें�गे�। तेंप कारंनु� स� 'स्वा' का ख्याल आया�गे विका मa इनु मनु इद्धिन्द्रयाM का गे�लम

नुह� हूँ_। शंरं�रं का� ष्ठिमटनु� स� भै� मa नुह� ष्ठिमटतें हूँ_। नु मरंनु� का डरं, नु जी�नु� का ललचु, नु भैगेनु� का( वासनु। या� तें�नुM झ�झट� जीब विनुकाल जीतें� हa तेंब जी�वा अपनु� वास्तेंविवाका आत्म, परंब्रह्म परंमत्म म� प्रावितेंष्ठिJतें ह जीतें ह�।

मम दरशन फला पूरम अन�पू�।जीव पू�वविंहैः5 निनजी संहैःजी स्वरूपू�।।

भैगेवानु रंम काहतें� ह� विका म�रं� दशं7नु का परंम <ल क्या ह� ? परंम <ल याह ह� विका जी�वा अपनु� सहजी स्वारूप का, जी सतेंh क्तिचुतेंh आनुन्दस्वारूप ह�, जी रंम-रंम म� रंम हुआ ह� उस रंम का प ल�तें ह�।

थाका, हरं, नु�कारंM स� सतेंया हुआ स�ठो अपनु� विनुकाट का� ष्ठिमK स�ठो स� ष्ठिमलतें ह� तें उसका बल बढ़ें जीतें ह�। ऐस� ह� जीब हम जीप कारंतें� हa, तेंप कारंतें� हa, ध्यानु कारंतें� हa, तें स�ठोM का भै� स�ठो, सरं� विवाश्व का मक्तिलका जी हमरं आत्म हकारं ब�ठो ह� उस विवाश्व�श्वरं का सहयागे मवितें का ष्ठिमल जीतें ह�। मवितें म� शंक्तिO आ जीतें� ह� औरं वाह म�क्तिO का� मगे7 परं चुल पड़तें� ह�।

तःपू�षु� संवrषु� एके�ग्रेतः� पूर� तःपू�।सब तेंपस्याओं म� एकाग्रतें परंम तेंपस्या ह�।हम जीब इद्धिन्द्रयागेतें ज्ञानु का आदरं कारंतें� हa तेंब हम परं विवाकारंM का हमल अवाश्या हतें ह�। हम जीब

ब�द्धिxगेतें ज्ञानु का आदरं कारंतें� हa तेंब हम विवाकारं� स�खM का आदरं नुह� कारंतें�, विवाकारं� वास्तें�ओं का उपयागे कारं�गे�। जी�स� काह� जीनु ह� तें आ_ख स� मगे7 द�ख क्तिलया, शंरं�रं का दिटकानु ह� तें तेंन्दुरूस्तें� का ख्याल कारंका� ख क्तिलया, स�नुनु ह� तें सरं-सरं बतें स�नु ल�, बका( परं ध्यानु नुह� दिदया। इसस� हमरं� शंक्तिO बचु जीतें� ह�।

ब�द्धिxगेतें ज्ञानु का आदरं कारंनु� स� इद्धिन्द्रयाM का, मनु का झ�झट काम ह जीतें ह� औरं ब�द्धिx का काम परिरंश्रीम पड़तें ह�। ब�द्धिxगेतें ज्ञानु का आदरं कारंनु� स� हमरं विवावा�का बढ़ेंतें जीतें ह�। विवावा�का बढ़ेंनु� स� वा�रंग्या बढ़ें�गे। स�सरं स� रंगे उठो जीयागे। द�ख�गे� विका स�सरं का( विकातेंनु� वास्तें�ओं का स_भैल..... आखिखरं सब छूड़कारं मरंनु ह� तें वि<रं बहुतें पसरं क्याM कारंनु ? शंरं�रं का इतेंनु अष्ठिधका खिखलया विपलया तें ब�मरं� हुई। अतें4 स�याम स� खनु चुविहए। इनु आ_खM का आजी तेंका विकातेंनु सरं दिदखया ल�विकानु अभै� तें.प्तिप्तें नुह� हुई। कानुM का विकातेंनु स�नुया ? जी�भै का विकातेंनु खिखलया ? आखिखरं क्या ? ऐस विवावा�का जीगे�गे। विवावा�का जीगे�गे तें वा�रंग्या आयागे।

ब�द्धिx जीब परिरंणम का विवाचुरं कारंतें� ह� तेंब उसका परिरंश्रीम काम हतें ह�। उसका परंमत्म म� प्रावितेंष्ठिJतें हनु� का, समतें म� आनु� का समया ष्ठिमलतें ह�।

भैगेवानु का ब�लनु भै� नुह� ह� औरं भैगेवानु का प्राकाट भै� नुह� कारंनु ह�। भैगेवानु हजीरंहजी&रं हa।आद7 संतः7 जी�ग�तः7 संतः7 हैः) भ संतः7 न�नके ! हैः"सं� भ संतः7।

वाषों7 का( ऋतें� म� बदलM का� कारंण स&रंजी नुह� दिदखतें ह�। स&रंजी का ब�लनु भै� नुह� ह�, प्राकाट भै� नुह� कारंनु ह�। का� वाल हवाए_ चुल�, बदल विबखरं�, स&रंजी दिदख जीएगे। स&रंजी तें पहल� स� ह� ह� औरं शंम तेंका दिदख�गे।

याह आकाशं का स&रंजी तें शंम तेंका दिदख�गे ल�विकानु आत्म-स&या7 का� क्तिलए तें काई शंम ह� नुह� ह�। परंमत्मरूप� स&या7 स� हम काभै� अलगे नुह� हतें�। उस सत्यास्वारूप परंमत्म म� ब�द्धिx प्रावितेंष्ठिJतें ह जीया, बस। सगेरं म� तेंरं�गे विवालया ह जीतें� ह� तें तेंरं�गे सगेरं बनु जीतें� ह�। तेंरं�गे पनु� तें पहल� स� ह� था, सगेरं पहल� स� ह� था। ऐस� ह� जी�वा ब्रह्म तें पहल� स� ह� था, सगेरं पहल� स� ह� था। ऐस� ह� जी�वा ब्रह्म तें पहल� स� ह� था ल�विकानु इस ब�चुरं� जी�वा का इद्धिन्द्रयाM का� आकाषों7णM नु�, जीगेतें का( सत्यातें नु�, ब�वाका& <( नु� काई जीन्मM तेंका भैटकाया।

जी�वा का मतें का गेभै7 स�ध ह� ष्ठिमल जीतें ह� ऐस� बतें नुह� ह�। काई जी�वा मतें का� गेभै7 म� वा�या7विबन्दु का� रूप म� विगेरंतें� ह� ल�विकानु बथारूम का� द्वारं नुक्तिलयाM म� बह जीतें� हa। क्या दुद7शं हतें� ह� जी�वाM का( ? इस प.र्थ्यवा� परं द्धिजीतेंनु� हम

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लगे घ&मतें� हa इसस� अष्ठिधका मनु�ष्या जी�वा नुक्तिलयाM म� बहतें� हMगे�। इस बतें का काई भै� तेंर्तिकाBका या नुस्विस्तेंका भै� अस्वा�कारं नुह� कारं सकातें ह�।

'म�रं� द ब�ट� हa।''का� स� तें�म्हरं� ब�ट� ?''क्याMविका म�रं� शंरं�रं स� प�द हुए हa।''तें�म्हरं� शंरं�रं स� प�द क्या हुए, का� वाल गे�जीरं�।'हम लगे अन्न-जील-<ल आदिद खतें� हa। उसम� स्थिस्थातें जी�वा वा�या7 का� द्वारं पत्नु� का� गेभै7 म� जीतें� हa। काई जी�वाM

म� स� एका जी�वा ब�ट हकारं जीन्म ल�तें ह�, बका( का� जी�वा नुल� म� बह जीतें� हa। वा�या7 का� एका विबन्दु म� कारं�ब तें�नु हजीरं जी�वा हतें� हa। मतें का� उदरं म� जी जी�वा नुह� दिटका पतें� वा� काह_ जीए_गे� ? रंजी-वा�या7 का� रूप म� बहकारं बथारूम का� द्वारं नुल� म� जीए_गे�।

ऐस� विकातेंनु� ह� दु4खद अवास्थाए_ हम लगे विकातेंनु� ह� बरं भैगे चु�का� हa। याह बतें अगेरं मवितें का समझ म� आ जीया तें मवितें म� स�सरं का आकाषों7ण काम ह जीएगे। वि<रं रंगे नुह� रंह�गे। रंगे नुह� रंह�गे तें द्वा�षों भै� नुह� रंह�गे। रंगे म� काई विवाघ्नु डलतें ह� तें उसस� द्वा�षों हतें ह�। बड़ आदम� विवाघ्नु डलतें ह� तें उसस� भैया हतें ह�, छूट आदम� विवाघ्नु डलतें ह� तें क्रध हतें ह�, बरंबरं का आदम� विवाघ्नु डलतें ह� तें उसस� द्वा�षों हतें ह�। जीब वासनु ह� नुह� ह� तें भैया काह_ ? वासनु ह� नुह� तें उद्वा�गे काह_ ? वासनु ह� नुह� तें द्वा�षों काह_ ? विनुवा7सविनुका मनु�ष्या का� रंगे, द्वा�षों, क्रध, भैया, उद्वा�गे आदिद सब क्तिशंक्तिथाल ह जीतें� हa। जीब रंगे, द्वा�षों, भैया, उद्वा�गे, क्तिचुन्तें आदिद सब क्तिशंक्तिथाल ह जीतें� हa। तें जी�वा विनुश्चि"न्तें ह जीतें ह�। वास्तें� ष्ठिमल�गे� विका नुह� ष्ठिमल�गे�.... काम हगे विका नुह� हगे.... म�रं आखिखरं क्या हगे ? पहल� याह क्तिचुन्तें था�। जी�वा जीब विनुवा7सविनुका ह जीतें ह� तें विहम्मतें आ जीतें� ह� विका ह हकारं म�रं क्या हगे ? जी हगे स शंरं�रं, मनु, इद्धिन्द्रयाM का हगे, म�रं का� छू नुह� विबगेड़�गे। शंरं�रं, मनु, इद्धिन्द्रयाM का विकातेंनु भै� ललनु-पलनु कारं, आखिखरं तें छू& टनु ह� ह�। रंटE तें भैगेवानु द�तें ह� ह� औरं सथा म� का� छू ल� जीनु नुह� ह�। वि<रं क्तिचुन्तें विकास बतें का( ? जी बनु ह� औरं जी बनुए_गे� वाह सब म.त्या� का� एका झटका� म� छूड़नु ह�। मवितें अगेरं याह दृढ़ें विनु"या कारं ल� तें आदम� का( क्तिचुन्तें दिटका नुह� सकातें�। आदम� विनुश्चि"न्तें हकारं मवितें म� दिटका� गे तें द्धिजीस बतें का वाह क्तिचुन्तेंनु कारंतें ह� वाह काम अपनु� आप ह जीएगे।

आदम� द्धिजीतेंनु विनुश्चि"न्तें हतें ह� उतेंनु� उसका( मवितें परंमत्म म� दिटकातें� ह�। मवितें द्धिजीतेंनु� परंमत्म म� दिटकातें� ह� उतेंनु� प्राका. वितें औरं लगे अनु�का& ल हनु� लगेतें� हa। याह� कारंण ह� विका जी दुरंत्म हतें ह� उसका( इच्छाए_ जील्दE प&रं� नुह� हतें�। थाड़�-बहुतें इच्छाए_ प&रं� हतें� हa वि<रं भै� वाह दु4ख� का दु4ख� ह� रंहतें ह�। जी धम7त्म ह�, पविवाKत्म ह� उसका( ज्याद इच्छाए_ हतें� नुह� जी हतें� हa वा� तें प&रं� ह ह� जीतें� हa, जी उसका� नुम का( मनु�तें� मनुतें� हa उनु लगेM का( इच्छाए_ भै� का� दरंतें प&रं� कारं द�तें� ह�।

तेंप स� ह� जीगेतें का धरंण विकाया जीतें ह�, तेंप स� ह� जीगेतें चुलतें ह� औरं तेंप स� ह� जीगेतें का� आकाषों7ण स� छू& टकारं जीगेदEश्वरं का प्राप्तें विकाया जीतें ह�। अतें4 हमरं� जी�वानु म� तेंप का स्थानु हनु चुविहए, तेंप का� क्तिलए विनुयातें समया रंखनु चुविहए। बईस घण्ट� भैल� व्यवाहरं एवा� अन्या प्रावा.श्चित्त का� क्तिलए रंख ल�विकानु ज्याद नुह� तें काम स� काम द घण्ट� तेंप कारं, ध्यानु कारं। छू4 घण्ट� नु�द कारं, आठो घण्ट� नु�कारं� – धन्ध कारं, वि<रं भै� दस घण्ट� बचुतें� हa। उनु दस घण्टM म� सत्काम7 औरं तेंप आदिद कारं, स�वा कारं, सत्स�गे कारं, स्वाध्याया कारं ल�विकानु काम स� काम द घण्टM तेंप कारं, ध्यानु कारं।

पनु� का गेम7 विकाया जीतें ह� तें वाह वाष्प बनु जीतें ह� औरं उसम� 1300 गे�नु� शंक्तिO आ जीतें� ह�। ऐस� ह� तेंप स�, ध्यानु स� मवितें स&क्ष्म, स&क्ष्मतेंरं औरं स&क्ष्मतेंम बनु गेई तें परंमत्म का( प्राप्तिप्तें ह जीएगे�। ऐस� शंक्तिOशंल� मवितें आत्म-स&या7 का� आगे� आया� हुए बदलM का हट द�गे�। बदल <टतें� ह�4

डठ" म�ख शहैःनश�हैः जी" हैः@यर> थ्य"मकेर�र।लाथा� र"ग शरर जी� म�झे� संत्ग�र जी� दMद�र।।

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अविवाद्या-अज्ञानु का� बदल हटतें� ह� ब्रह्मविवाद्या का� बल स� मवितें परंब्रह्म परंमत्म का प्रासद प ल�तें� ह�। उस प्रासद स� जी�वा का� सरं� दु4ख दूरं ह जीतें� हa। जीन्म, म.त्या�, जीरं, व्यष्ठिध, मतेंओं का� गेभैk म� जीनु-आनु तें दूरं ह जीएगे, इस जीन्म का� काम7 भै� जीलकारं भैस्म ह जीए_गे�।

भैगेवानु श्री�का. ष्ण अजी�7नु स� काहतें� हa-यथा)र्ध��लिसं संमिमद्धो"ऽन्तिuनभ6स्मसं�त्के� रूतः�ऽजी�6न।ज्ञा�नन्तिuन� संव6केम�6श्चिणी भस्मसं�त्के� रूतः� तःथा�।।

'ह� अजी�7नु ! जी�स� प्राज्वाक्तिलतें अखिग्नु ईंधनुM का भैस्ममया कारं द�तें� ह� वा�स� ह� ज्ञानुरूप अखिग्नु सम्प&ण7 कामk का भैस्ममया कारं द�तें� ह�।'

(भैगेवादh गे�तें4 4.37)जी�स� स&या7 का दEमका नुह� लगेतें� ऐस� ह� जीब आत्मस&या7 स� एका हकारं मवितें स�सरं म� जी�तें� ह� तें उस� कामk

का( दEमका नुह� लगेतें�। पहल� का� काम7 ज्ञानुखिग्नु स� जीलकारं भैस्म ह जीतें� हa औरं नुया� काम7 बनुतें� नुह� हa। मवितें म� कात्त7भैवा नुह� रंहतें। मवितें अब वास्तेंविवाका सत्त का जीनुतें� ह� विका सब परंम�श्वरं म� ह रंह ह�। मवितें का अपनु� वासनु नुह� ह�।

अष्टवाक्र म�विनु नु� जीनुका स� काह4अकेतःT6त्व� अभ"क्तृT त्व� स्व�त्मन" मन्यतः� यद�।तःद� क्षीणी� भवन्त्य�व संमस्तः�श्चिGत्तवTत्तय�।।

'जीब प�रूषों अपनु� आत्म का� अकात्त7पनु� का, अभैOपनु� का मनुतें ह� तेंब उसका( सम्प&ण7 क्तिचुत्त का( वा.श्चित्तया_ विनु"या कारंका� नुशं हतें� ह�।'

(अष्टवाक्रगे�तें4 18.51)क्तिचुत्त का( वा.श्चित्तयाM स� ह� जी�वा का जीन्म-मरंण ह रंह� हa, क्तिचुत्त का( वा.श्चित्तयाM स� ह� रंगे-द्वा�षों ह रंह� हa, क्तिचुत्त का(

वा.श्चित्तयाM स� ह� भैया-शंका ह रंह� हa, क्तिचुत्त का( वा.श्चित्तयाM स� ह� काम-क्रध ह रंह� हa, क्तिचुत्त का( वा.श्चित्तयाM स� ह� लभै-मह ह रंह� हa, क्तिचुत्त का( वा.श्चित्तयाM स� ह� परं�शंविनुयाM का प्रादुभै7वा ह रंह ह�। जीब क्तिचुत्तवा.श्चित्तया_ क्ष�ण ह जीए_गे� या बष्ठिधतें ह जीए_गे� तेंब जी�वा परंम शं�वितें का प्राप्तें हगे।

क्तिचुत्तवा.श्चित्तया_ क्ष�ण हनु या बष्ठिधतें हनु मनु� क्या ?नुरिरंयाल का( रंस्स� दिदख रंह� ह�। उस� जील द। वि<रं उसका आकारं तें वा�स ह� दिदख�गे ल�विकानु वाह रंस्स�

अब ब_ध नुह� सका� गे�। मरूभै&ष्ठिम म� दूरं स� पनु� दिदख रंह ह�। पस म� जीकारं द�ख ल तें रं�तें ह� रं�तें ह�, पनु� का नुमविनुशंनु नुह� ह�। अब अपनु� गेद्दीE परं प�नु4 ब�ठोकारं द�ख तें वा�स ह� पनु� दिदख�गे ल�विकानु पहल� वाल आकाषों7ण नुह� रंह�गे। ठो&_ ठो� म� विकास� का चुरं दिदखतें ह� विकास� का सहूँकारं दिदखतें ह� ल�विकानु ब�टरं� जीलकारं द�ख क्तिलया विका याह ठो&_ ठो ह�। नु चुरं ह� नु सहूँकारं ह�।

ऐस� ह� जीगेतें म� नु स�ख ह� नु दु4ख ह�, नु प�ण्या ह� नु पप ह�, नु अपनु ह� नु परंया ह�। एका ह� परंब्रह्म परंमत्म का सब विवावातें7 ह�। मवितें नु� ऐस जीनु क्तिलया तें जीगेतें का नु आकाषों7ण हगे नु द्वा�षों हगे, नु रंगे हगे नु द्वा�षों हगे। जी विकास� स� रंगे नुह� कारंतें वाह सबस� प्रा�वितें कारंतें ह�। जी विकास� स� रंगे नुह� कारं�गे वाह विकास� स� द्वा�षों भै� नुह� कारं�गे। जी सबस� प्रा�वितें कारंतें ह� वाह विकास� म� प्रा�वितें नुह� कारंतें।

दुकानुदरं महवाशं परिरंवारं स� प्रा�वितें कारंतें ह� तें ग्रहकाM का धनु ख�चुतें ह�। द्धिजीसका अपनु� परिरंवारं स� महजीन्या प्रा�वितें नुह� ह� वाह ग्रहकाM का धनु ख�चुनु� म� नुह� लगे�गे। वाह सरं� विवाश्व का प्रा�मपK बनु जीएगे। सरं� विवाश्व का प्रा�मपK बनु जीया�गे तें का� ट�ण्ठिम्बयाM का भै� प्रा�मपK बनु जीएगे। उनुका भै� काल्याण हगे।

लगेM का लगेतें ह� विका हम बच्चM स� प्रा�म कारंतें� ह�, पत्नु� स� प्रा�म कारंतें� हa। वास्तेंवा म� हम वासनु स� प्रा�म कारंतें� हa, इद्धिन्द्रयाM स� प्रा�म कारंतें� ह�। वासनुप&र्तितेंB म� जी सहयागे कारंतें� हa उनुका अपनु� खिखल�नु� बनुतें� हa। पत्नु� पवितें स� प्रा�म कारंतें� हुई दिदखतें� ह� ल�विकानु वाह अपनु� वासनु स� प्रा�म कारंतें� ह�। जीब वासनु स� प्रा�म हतें ह� तेंब प्रा�म का� नुम स� एका दूसरं� का शंषोंण हतें ह�। वासनुरंविहतें जीब प्रा�म हतें ह� तेंब वाह परंमत्म ह जीतें ह� औरं उxरं कारं द�तें ह�।

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जी�वा का प्रा�म कारंनु� का( तें आदतें ह�, वासनु ह�। इस प्रा�म का ऊध्वा7म�ख� बनुनु ह�। द�खनु� का( वासनु ह� तें ठोका� रंजी� का द�ख। विकास� का हनु� का( वासनु ह� तें भैगेवानु का� ह जीओ। 'मa पत्नु� का हूँ_.... मa पवितें का( हूँ_...' इसका� स्थानु परं 'मa भैगेवानु का हूँ_.... भैगेवानु म�रं� हa' याह भैवा बनु ल। जी�स� गेड़� का स्टEयारिंरंBगे व्ह�ल घ�मनु� स� गेड़� का( दिदशं बदल जीतें� ह� ऐस� ह� अपनु� अह�तें औरं ममतें का, 'मa' औरं 'म�रं�' पनु� का बदलनु� स� बहुतें सरं बदल जीएगे। 'मa घनुश्याम हूँ_..... मa पत्नु� का हूँ_.... मa स�सरं� हूँ_..... मa गे.हस्था� हूँ_.......' ऐस भैनु रंखनु� स� उस प्राकारं का( वासनु औरं जीवाबदरं� रंह�गे�। 'मa भैगेवानु का हूँ_ औरं भैगेवानु म�रं� हa......' याह अह�तें बदलनु� स� जी�वानु बदल जीएगे। हम स्वाया� का आत्म मनु�गे�, परंमत्म का अ�शं मनु�गे� तें अपनु� म� आत्म का( अह�तें कारं�गे�, द�ह का( अह�तें ष्ठिमट जीएगे�। द�ह का( अह�तें ष्ठिमटतें� ह� जीवितें का( स�का(ण7तें ष्ठिमट जीएगे�। अपनु� मनु का( मन्यातेंओं का( स�का(ण7तेंए_ ष्ठिमट जीएगे�। 'मa भैगेवानु का हूँ_.... भैगेवानु म�रं� हa....।' भैगेवानु सतेंh क्तिचुतेंh आनुन्दस्वारूप हa तें स�ख का� क्तिलए, आनुन्द का� क्तिलए हम� इद्धिन्द्रयाM का( गे�लम� नुह� कारंनु� पड़�गे�। इद्धिन्द्रयाM का उपयागे कारंनु� का( तेंकातें बढ़ें जीएगे�। इद्धिन्द्रयाM का( गे�लम� का� बजीया इद्धिन्द्रयाM का उपयागे कारंगे� तें इद्धिन्द्रयाM म� जील्दE स� ब�मरं� भै� नुह� आया�गे�। शंरं�रं तें�दुरूस्तें रंह�गे, मनु-ब�द्धिx म� लचुरं� नुह� रंह�गे�। जीब इद्धिन्द्रयाM का स�ख ल�तें� ह तें बकारं� बनु जीतें� ह।

स�ख आत्म का ल औरं उपयागे इद्धिन्द्रयाM का कारं। जी�वानु सिंसBह जी�स बनु जीएगे, व्यवाहरं औरं परंमथा7 सब ठो�का ह जीएगे।

या� सब बतें� सत्स�गे का� विबनु समझ म� भै� नुह� आतें�, इनु बतेंM म� रूक्तिचु भै� नुह� हतें� औरं इनुका� रंहस्या हृदया म� प्राकाट भै� नुह� हतें�। इस�क्तिलए सत्स�गे का( बड़� मविहम ह�।

वाक्तिशंJ जी� काहतें� हa विका चुह� चुण्डल का� घरं का( श्चिभैक्ष ठो�कारं� म� म_गेकारं खनु� पड़� औरं आत्म-परंमत्म का� ज्ञानु का सत्स�गे ष्ठिमलतें ह तें उस जीगेह का त्यागे नुह� कारंनु चुविहए। रंजी वा�भैवा-ऐश्वया7 ह ल�विकानु आत्मज्ञानु नु ष्ठिमलतें ह तें उस ऐश्वया7 औरं रंजी वा�भैवा का लतें मरं द। या� भैगे शंरं�रं तेंका ह� स�खभैस द�गे�, वि<रं जीन्म-मरंण का� चुक्कारं म� जीनु पड़�गे, नुक्तिलयाM म� का(ड़ हकारं बहनु पड़�गे। आत्म-परंमत्म का पनु� का� क्तिलए रंजी वा�भैवा का त्यागे कारंनु पड़� तें भै� काई खतेंरं नुह� ह�। क्याMविका एका दिदनु मरंकारं तें सब का� छू छूड़नु ह� ह�। मरंकारं, लचुरं हकारं छूड़� औरं वासनु ल�कारं भैटका� , वि<रं काह� नु काह� का� स� भै� याविनु म� जीन्म ल� इसस� तें जी�तें� जी� वासनु ष्ठिमटकारं विनुवा7सविनुका आत्म परंमत्म का स�ख पनु� का अभ्यास शं�रू कारं द� याह अच्छा ह�।

सत्स�गे समझनु� का� क्तिलए भै� तेंप का( जीरूरंतें पड़तें� ह�। एकाग्रतें चुविहए, विवावा�का चुविहए। तेंप कारंनु� का� क्तिलए तेंप म� रंस आनु चुविहए, तेंब मनु तेंप कारं�गे। मनु का जीह_ रंस नुह� आतें वाह तेंप नुह� कारंतें। इद्धिन्द्रयाM स� स�ख ल�नु� म� मनु का जील्दE रंस आ जीतें ह�, भैल� वाह नुकाल� ह, भ्र�वितें मK ह। ष्ठिमट्टीE का� खिखल�नु� का आम बरंह मह�नुM ष्ठिमलतें ह�। बच्च उस� म� ख�लतें रंहतें ह�। असल� आम तें का� वाल ऋतें� म� ह� ष्ठिमलतें ह�, पहल� काच्च औरं खट्टी हतें ह�, वि<रं खटम�ठो हतें ह�, वि<रं पकातें ह�, प&रं समया हतें ह� तेंब म�ठो बनुतें ह�। खिखल�नु� का आम तें पहल� स� ह� प&रं प�ल हतें ह�। जीगेतें भै� एका खिखल�नु ह�। इद्धिन्द्रयाM का� स�ख सब पहल� स� ह� तें�यारं हa रंस द�नु� का� क्तिलए ल�विकानु बद म� सत्यानुशं कारंतें� हa। अ�गेरं चुमचुम चुमकातें ह�। बच्च� का वाह दूरं स� बदिढ़ेंया खिखल�नु लगेतें ह�। जीब हथा डलतें ह� तेंब क्तिचुल्लतें ह�। ऐस� ह� स�सरं का� स�ख भैगे� नुह� तेंब तेंका आकाषों7का लगेतें� हa भैगेतें� ह� पछूतेंनु पड़तें ह�। एका बरं ह� नुह� काई बरं पछूतेंनु� का� बद भै� हम लगे वि<रं वाह� जीतें� हa क्याMविका सच्च स�ख विवावा�का नुह� ह�, सच्च� स�ख का ज्ञानु नुह� ह�। सच्च� स�ख का थाड़ बहुतें विवावा�का ह�, थाड़ बहुतें ज्ञानु ह� ल�विकानु उस सच्च� स�ख का स्वाद ल�नु� का( क्षमतें नुह� ह� इसक्तिलए बरं-बरं हल्का� स्वाद म� विगेरं जीतें� हa।

अब बतें याह रंह� विका4मिमला जी�ए के"ई पूर फके,र।पूहु9च� द� भव पू�र....।।

ऐस� काई महप�रूषों ष्ठिमल जीए_ तें उस तेंत्त्वा का स्वाद दिदल द�।

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मनु का अगेरं अच्छाE तेंरंह क्तिशंश्चिक्षतें विकाया जीया तें वाह हमरं बड़, भैरं� म� भैरं�, ऊ_ चु� म� ऊ_ चु ष्ठिमK ह�। सरं� विवाश्व म� ऐस काई ष्ठिमK नुह� ह सकातें। इसका� विवापरं�तें, मनु हमरं भैरं� म� भैरं� शंK� भै� ह�। मनु जी�स शंK� सरं� विवाश्व म� नुह� ह सकातें। मनु शंK� क्याM ह� ?

मनु अगेरं इद्धिन्द्रयाM का� विवाकारं� स�खM म� भैटकातें रंह तें चु�रंस� लख याविनुयाM म� या�गेया�गेन्तेंरं तेंका हम� भैटकानु पड़�गे। ऐस वाह खतेंरंनुका शंK� ह�।

मनु ष्ठिमK का� स� ह� ?मनु अगेरं तेंप औरं परंमत्म का� ध्यानु का( तेंरं< म�ड़ गेया तें वाह ऐस ष्ठिमK बनु जीतें ह� विका कारंड़M-कारंड़M

जीन्मM का� अरंबM-अरंबM स�स्कारंM का ष्ठिमटकारं, इस� जीन्म म� ज्ञानुखिग्नु जीलकारं, आत्म-परंमत्म का( म�लकातें कारंकारं म�क्तिO का अनु�भैवा कारं द�तें ह�।

इसक्तिलए शंस्K काहतें� हa विका4मन� एव मन�ष्य�णी�� के�रणी� बान्धुःनम"क्षीय"�।

हमरं मनु ह� हमरं� बन्धनु औरं मक्ष का कारंण बनुतें ह�। भैगेवानु श्री�का. ष्ण काहतें� हa-

उद्धोर�द�त्मन�त्म�न� न�त्म�नवसं�दय�तः7।आत्म)व ह्या�त्मन" बान्धुः�र�त्म)व रिरपू�र�त्मन�।।बान्धुः�र�त्म�नस्तःस्य य�न�त्म)व�त्मन� जिजीतः�।अन�त्मनस्तः� शत्रं�त्व� वतःrतः�त्म)व शत्रं�वतः7।।

'अपनु� द्वारं स�सरं-सम�द्र स� अपनु उxरं कारं� औरं अपनु� का अधगेवितें म� नु डल�, क्याMविका याह मनु�ष्या आप ह� तें अपनु ष्ठिमK ह� आप ह� अपनु शंK� ह�।'

'द्धिजीस जी�वात्म द्वारं मनु औरं इद्धिन्द्रया_ जी�तें� हुई हa, उस जी�वात्म का तें वाह आप ह� ष्ठिमK ह� औरं द्धिजीसका� द्वारं मनु तेंथा इद्धिन्द्रया_ नुह� जी�तें� गेई हa, उसका� क्तिलए वाह आप ह� शंK� का� सदृशं शंK�तें म� बतें7तें ह�।'

(भैगेवादh गे�तें4 6.5.6)जीब इद्धिन्द्रया_ औरं मनु अनुत्म वास्तें�ओं म� सत्याब�द्धिx कारंका� स�ख पनु� का( मजीदूरं� कारंतें� हa तेंब वाह जी�वात्म

अपनु� आपका शंK� ह�। जीब मनु औरं इद्धिन्द्रया_ आत्म-परंमत्म का� स�ख म� अन्तेंम�7ख हतें� हa तेंब वाह जी�वात्म अपनु� आपका ष्ठिमK ह�। हम जीब विवाकारंM का स�ख ल�तें� हa तेंब हम अपनु� आपस� शंK�तें कारंतें� हa औरं जीब विनुर्तिवाBकारं� स�ख का( ओरं आतें� हa तेंब हम अपनु� आपका� ष्ठिमK हa।

भैगेवानु काहतें� हa विका अपनु� आपका अधगेवितें का( ओरं नुह� ल� जीनु चुविहए। अपनु� मनु, ब�द्धिx औरं इद्धिन्द्रयाM का परंमत्म का( ओरं ल� जीनु चुविहए। हम जीब परंमत्म का� विवाषोंया म� स�नु�गे�, उनुका( मविहम औरं गे�ण स�नु�गे�, उनुका� नुम का जीप, ध्यानु आदिद कारं�गे� तेंब भै�तेंरं का स�ख ष्ठिमल�गे। भै�तेंरं का स�ख ष्ठिमल�गे तें हम आपका� ष्ठिमK बनु गेया�।

भै�तेंरं का स�ख ष्ठिमल जीतें ह� ल�विकानु विवाकारं� स�ख म� विगेरंनु� का( प�रंनु� आदतें ह� इसक्तिलए बरं-बरं उधरं चुल� जीतें� हa। इसक्तिलए हम� विवावा�का जीगेनु चुविहए, थाड़� विनुयाम, थाड़� व्रतें ल� ल�नु� चुविहए। व्रतें ल� ल�तें� हa तें मनु धख�बजी� काम कारंतें ह�। सच्च स�ख पनु� का आपका स�काल्प नुह� हतें, उसका� क्तिलए व्रतें नुह� कारंतें� इसक्तिलए मनु औरं इद्धिन्द्रया_ अपनु� प�रंनु� अभ्यास का� म�तेंविबका ब�द्धिx का वाह� घस�ट ल� जीतें� हa। ऋतें�भैरं प्राज्ञावाल� महप�रूषोंM का स�गे कारंनु� स� अपनु� मवितें म�, ब�द्धिx म� शंक्तिO बढ़ेंतें� ह�।

भैगेवानु क्तिशंवाजी� पवा7तें� स� काहतें� हa-उम� सं�तः संम�गम संम और न ला�भ केछी� आन।निबान� हैःरिर केT पू� उपूजी) नहैः@ ग�वविंहैः5 व�द पू�र�न।।

याह भै� हरिरं का( अह�तें�का( का. प ह� विका हम� ऊ_ चु� म� ऊ_ चु� चु�जी, ब्रह्मज्ञानु का सत्स�गे सहजी म� ष्ठिमल रंह ह�। जी हल्का( चु�जी हतें� ह� उसका� क्तिलए परिरंश्रीम नुह� कारंनु पड़तें ह�। जी ऊ_ चु� चु�जी हतें� ह� उसका� क्तिलए परिरंश्रीम कारं, स�

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रूपया� कामओ वि<रं दरू खरं�द सकातें� ह। शंरं�रं का� क्तिलए दरू विबल्का� ल आवाश्याका नुह� ह�। पनु� शंरं�रं का� क्तिलए बहुतें जीरूरं� ह� औरं वाह म�फ्तें म� ष्ठिमल जीतें ह�।

प्रावास परं जीतें� हa तें भैजीनु का दिटवि<नु घरं स� ल� जीतें� हa ल�विकानु भैजीनु स� भै� अष्ठिधका आवाश्याका पनु� घरं स� नुह� ल� जीतें�। वाह स्ट�शंनु परं भै� ष्ठिमल जीतें ह�। पनु� का� क्तिलए भै� बतें7नु तें ल�नु पड़तें ह� जीबविका पनु� स� भै� अष्ठिधका आवाश्याका हवा का� क्तिलए का� छू नुह� ल�नु पड़तें, का� छू नुह� कारंनु पड़तें। पनु� का� विबनु तें का� छू घण्ट� चुल सकातें ह� ल�विकानु हवा का� विबनु शंरं�रं जी� नुह� सकातें। ऐस� म&ल्यावानु हवा सवा7K विनु4शं�ल्का औरं प्राचु�रं मK म� सबका प्राप्तें ह�।

ऐस� ह� जी अत्या�तें जीरूरं� हa, महनु हa वा� परंमत्म स्वागे7-नुरंका म� सवा7K विवाद्यामनु हa, का� वाल मवितें का उन्ह� द�खनु� का( काल आ जीया, बस। परंमत्म का द�खनु� का( काल आ जीया तें सद सवा7K आनुन्द ह� आनुन्द ह�।

हैःरर"जी ख�श हैःरदम ख�श हैःर हैः�ला ख�शजीबा आश्चिशके मस्तः फके,र हुआतः" निफर क्य� दिदलानिगर बा�बा� ?

जी�स� हवा सवा7K ह� ऐस� ह� ज्ञानु� जीह_ काभै� जीएगे वाह_ उसका� क्तिलए सतेंh क्तिचुतेंh आनुन्दस्वारूप परंमत्म हद्धिजीरं हa। उसका� क्तिलए इद्धिन्द्रयाM औरं शंरं�रं म� रंहतें� हुए मनु, इद्धिन्द्रयाM औरं शंरं�रं का� आकाषों7ण स� जी परं ह�, अपनु� परंमत्मनुन्द म� ह�, ब्रह्मनुन्द म� ह� ऐस� महप�रूषों का( तें�लनु तें�म विकासस� कारंगे� ?

तःस्य तः�लान� के� न जी�यतः�।ऐस महप�रूषों स�सरं का( विकास� भै� परिरंस्थिस्थावितें स� द्वा�षों नुह� कारंतें क्याMविका उसका विकास� का� क्तिलए रंगे नुह� ह�

तें द्वा�षों भै� काह_ स� लयागे ? रंगे� का द्वा�षों हतें ह�।ज्ञानु� का रंगे तें स�सरं म� ह� नुह�। उसका रंगे तें परंमत्म म� ह� औरं परंमत्म सब जीगेह ष्ठिमलतें� हa,

परंमत्म सवा7K म�जी&द हa, परंमत्म ज्ञानु� का अपनु आप हकारं ब�ठो� हa। इसक्तिलए ज्ञानु� का काई भै� सस�रिरंका परिरंस्थिस्थावितें का रंगे नुह� ह�। रंगे नुह� ह� तें द्वा�षों भै� नुह� ह�। रंगे द्वा�षों नुह� ह� तें उसका क्तिचुत्त सद समविहतें ह�।

संद� संम�लिर्ध सं�तः के, आठ= प्राहैःर आन�द।अकेलामतः� के"ई उपूज्य� निगन� इन्द्र के" र�के।।

द्धिजीसका( वासनुओं का, अज्ञानु का अन्तें ह गेया ह� उनुका स�तें बलतें� हa। ऐस� स�तें इन्द्र का� वा�भैवा का भै� तें�च्छा विगेनुतें� हa। ऐस वा�भैवा उनुका प्राप्तें ह गेया ह�।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

सं�क्ष्म वTलित्त सं� आत्म-ला�भक्तिचुदकाशं चु�तेंन्या म� एका लहरं उठो�। उस� का नुम ह� मया। उस� का नुम ह� जी�वा। उस� का नुम ह� कालनु।

उस� का नुम ह� स�रंतें। उस� का नुम ह� वा.श्चित्त।अज्ञानु� जी�वा नु� उस वा.श्चित्त का अपनु� म� काल्प क्तिलया।स�ख-दु4ख हतें� हa वा.श्चित्त म�। मनु-अपमनु हतें ह� वा.श्चित्त म�। 'मa एकान्तें म� जीऊ_ गे... यागे कारू_ गे....' याह भै�

वा.श्चित्त ह�। 'मa भै�ड़ म� जीऊ_ गे.... भैगे भैगे&_गे.....' याह भै� वा.श्चित्त ह�। 'मa' का जीनु नुह�।तें�म्हरं� वास्तेंविवाका मa तें नु भैगे भैगे सकातें� ह� नु यागे कारंतें� ह�। यागे औरं भैगे या� दनुM वा.श्चित्त म� हa।

य"ग भ"ग जी� के" नहैः@ सं" निवद्वा�न अर"ग।द्धिजीसका यागे औरं भैगे दनुM नुह� हa, जी वा.श्चित्तयाM स� परं� ह चु�का ह�, द्धिजीसनु� अपनु� स्वारूप का जीनु क्तिलया ह�

वाह अरंगे ह�, बका( का� सब रंगे� हa।स�ख-दु4ख हतें� हa वा.श्चित्तयाM म� ल�विकानु हम मनु ल�तें� हa अपनु� म�। हम अपनु� का नुह� जीनुतें� हa। अब क्या कारंनु

ह� ? अपनु� वा.श्चित्त का स&क्ष्म कारंका� वा.श्चित्त स� ह� वा.श्चित्त का बष्ठिधतें कारंनु ह�। वा.श्चित्त स� विनुवा.त्त हनु ह�। दूसरं� लख उपया कारं, आत्मलभै नुह� हतें। आत्मलभै तें हतें ह� आत्मद�वा का जीनुनु� स� ह�। आत्मद�वा का जीनुनु� वाल काई दूसरं

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नुह� ह�। जी स�ख� दु4ख�पनु अपनु� म� आरंपतें ह�, जी स�ख�-दु4ख� हतें ह� वाह� अपनु� असल� स्वारूप का पहचुनु ल� तें वाह स�ख-दु4ख स� परं� ह जीया। वि<रं वाह समझतें ह� विका स�ख-दु4ख वा.श्चित्त म� हतें ह�, म�झम� नुह�। स�ख आया..... औरं गेया। दु4ख आया...... औरं गेया। जी आकारं जीया.... जीकारं आया� तें वाह आनु� जीनु� वाल हुआ। आनु� जीनु� वाल� का जी द�खतें ह� वाह अटल ह�। वाह अटल अपनु स्वारूप ह�।

जी�स�, आकाशं म� तेंरूवारं भैसतें� हa, बदलM म� हथा�, घड़, रंथा इत्यादिद भैसतें� हa। आकाशं म� आ आकारं चुल� जीतें� हa ऐस� ह� हमरं� हृदयाकाशं म� भैवा औरं विक्रया-प्रावितेंविक्रयाआ ̧का( स�वा�दनुए_ आ-आकारं चुल� जीतें� हa।

जी�स� स�म�रू पवा7तें का� आगे� रंई का दनु छूट ह� ऐस� ह� हमरं� क्तिचुदकाशं व्यपका स्वारूप का� आगे� याह भै&तेंकाशं भै� छूट ह�। याह जी समनु� भै&तेंकाशं औरं क्तिचुत्तकाशं द्धिजीसस� प्रातें�तें हतें� हa वाह क्तिचुदकाशं हa हम। हमका क्तिचुत्तकाशं प्रातें�तें हतें ह�। क्तिचुत्त म� जी विवाचुरं उठो वाह हम� प्रातें�तें हतें ह�। द्धिजीसस� सब दिदखतें ह� । भै&तेंकाशं क्तिचुत्तकाशं स� छूट ह�। क्तिचुत्तकाशं भै� हम� प्रातें�तें हतें ह� तें हमस� क्तिचुत्तकाशं भै� छूट ह�। हम हa क्तिचुदकाशं द्धिजीसका क्तिचुत्तकाशं औरं भै&तेंकाशं दनुM प्रातें�तें हतें� हa।

तें�म काहगे� विका हम तें भै&तेंकाशं म� हa औरं हमरं� अन्दरं क्तिचुत्तकाशं ह�। तें भै&तेंकाशं स� क्तिचुदकाशं छूट हुआ।

नुह�.....। तें�म द�ह का 'मa' मनुकारं बलतें� ह विका हम भै&तेंकाशं म� हa औरं हमरं� भै�तेंरं क्तिचुत्तकाशं ह�। वाप्तित्वाकातें याह ह� विका तें�म्हरं� भै�तेंरं दिदखनु� वाल क्तिचुत्तकाशं भै&तेंकाशं का भै� आवा.त्त कारंका� ब�ठो ह�।

जी�स� याह आकाशं सत्स�गे-ह«ल का ढु_काकारं ब�ठो ह� ऐस� ह� क्तिचुत्तकाशं इस भै&तेंकाशं का ढु_काकारं ब�ठो ह� औरं क्तिचुदकाशं इनु दनुM का ढु_काकारं ब�ठो ह�। याह क्तिचुदकाशं ह� परंब्रह्म परंमत्म ह�।

याह ब्रह्मविवाद्या सत्पK क्तिशंष्या अथावा सत्प�K का� हृदया म� ह� ठोहरंतें� ह�। प�K भै� जीब गे�रू का( भैवानु स� श्रीवाण कारं� तें, विपतें मनुकारं स�नु� तें नुह�।

घटकाशं का मठोकाशं व्यपकारं ब�ठो ह�। घड़� म� जी आकाशं ह� वाह ह� घटकाशं। ह«ल म� जी आकाशं ह� उस� समझ मठोकाशं। ह«ल म� काई घड़� रंख द। या� सभै� घटकाशं मठोकाशं म� समविवाष्ट ह गेया�। ऐस� ह� क्तिचुदकाशं परंब्रह्म परंमत्म म� काई क्तिचुत्तकाशं औरं भै&तेंकाशं समविवाष्ट हa। सबका अष्ठिधJनु एका क्तिचुदकाशं ह�। भै&तेंकाशं स� क्तिचुत्तकाशं स&क्ष्म ह� औरं क्तिचुत्तकाशं स� भै� स&क्ष्म ह� क्तिचुदकाशं। स&क्ष्म ह� इसक्तिलए वाह सबम� ह�। वि<रं भै� सबका नुशं हनु� परं भै� उसका नुशं नुह� हतें। सब घड़M का नुशं हनु� स� आकाशं का नुशं नुह� हतें। सब शंरं�रंM का नुशं हनु� परं भै� क्तिचुदकाशं का नुशं नुह� हतें।

छूट� स� छूट� जी�वा जीन्तें�, ब�क्ट�रिरंया जीह_ जीतें� हa वाह_ उन्ह� हवा ष्ठिमलतें� ह� क्याMविका हवा सब जीगेह ह�। ऐस� ह� जीह_ भै� जी�वा हa वाह_ क्तिचुदकाशं उन्ह� व्यप रंह ह�।

बस विकातेंनु� भै� तें�जी� स� भैगे� ल�विकानु वाह आकाशं का ल�कारं नुह� भैगेतें�। आकाशं इतेंनु स&क्ष्म ह� विका वाह बस का� आरंपरं गे�जीरं जीतें ह�। बस भैगेतें� ह� ल�विकानु आकाशं वाह� का वाह� अपनु� मविहम म� स्थिस्थातें रंहतें ह�। तें�म घड़ ल�कारं भैगे तें घड़� का� अन्दरं जी आकाशं ह� उस� भै� ल�कारं भैगे� ऐस� बतें नुह� ह�। आकाशं तें घड़� का� आरंपरं हकारं स्थिस्थातें रंहतें ह�। ऐस� ह� काई जीन्म� चुह� मरं�, सस्थिच्चदनु�दस्वारूप क्तिचुदकाशं ज्याM का त्याM रंहतें ह�। स&या7 का� प्राकाशं म� विबलरं� काचु काह� भै� ल�कारं जीओ, उसस� आगे प�द कारं सकातें� ह। विबलरं� काचु का( अप�क्ष स&या7 व्यपका ह�। ऐस� ह� स&याk का स&या7 जी क्तिचुदकाशं परंमत्म ह� वाह व्यपका ह�।

'मa-म�रं�' का� स�स्कारं अन्तें4कारंण म� पड़� हa। अन्तें4कारंण जीह_ जीतें ह� वाह_ क्तिचुदकाशं का( सत्त ल�कारं अपनु� स�स्कारंM का� अनु�सरं चु�ष्ट कारंतें ह�। विबलरं� काचु जीह_ हतें ह� वाह_ अपनु� शंक्तिO का� अनु�सरं स&या7 का प्राकाशं का� द्धिन्द्रतें कारंतें ह�।

क्तिचुदकाशं परंब्रह्म परंमत्मस्वारूप हमरं वास्तेंविवाका स्वारूप ह�। उसम� अन्तें4कारंण जीह_ जीकारं जी�स सचुतें ह� वा�स उस� प्रातें�तें हतें ह�। वा.श्चित्त जीब नु�द म� चुल� जीतें� ह� तेंब का� छू नुह�। याह 'का� छू नुह�' का( अवास्था का भै� क्तिचुदकाशं जीनुतें ह�।

'रंतें का गेहरं� नु�द आ गेई। का� छू नुह� द�ख....।'

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'का� छू नुह� द�ख....।' उसका भै� क्तिचुदकाशं द�खतें ह�। भै&तेंकाशं औरं क्तिचुत्तकाशं का जी द�ख रंह ह� वाह क्तिचुदकाशं ह�। इस क्तिचुदकाशं का जी 'मa' रूप म� जीनु ल�तें ह� वाह ब्रह्म, विवाष्ण�, मह�शं, रूद्र, क्तिशंवा, सब का� छू ह जीतें ह�। जी�वापनु� का( भ्र�वितें उसका( ष्ठिमट जीतें� ह�।

तें�म अगेरं वास्तेंवा म� क्तिचुदकाशंस्वारूप नुह� हतें� तें याह_ ब�ठो� -ब�ठो� स&या7 का नुह� द�ख सकातें�। तें�म जीह_ नु ह वाह_ का तें�म्ह� ज्ञानु नुह� ह सकातें। तें�म्हरं� इद्धिन्द्रया_ स�ष्ठिमतें हa। स&या7 तेंका ह� पहु_चु सकातें� हa। उसस� भै� परं क्तिचुदकाशं तें�म्हरं स्वारूप ह�। इद्धिन्द्रयाM स� जी दिदख�गे वाह स�ष्ठिमतें हगे। इद्धिन्द्रया_ भै� वाह� द�ख सका� गे� जीह_ तें�म ह। जीह_ तें�म नुह� ह वाह_ इद्धिन्द्रया_ नुह� द�ख सका� गे�। स&या7 म� भै� तें�म ह इसक्तिलए स&या7 दिदखतें ह�। चुन्द्र म� भै� तें�म ह इसक्तिलए वाह दिदखतें ह�। ल�विकानु तें�म जीब द�ह का 'मa' मनु ल�तें� ह तेंब धख ख जीतें� ह। वास्तेंवा म� तें�म क्तिचुदकाशंस्वारूप हकारं सबम� व्यप रंह� ह। क्तिचुत्तकाशं भै&तेंकाशं का व्यप रंह ह�। क्तिचुदकाशं ब्रह्म सबका व्यप रंह ह�। सब उस� म� ह�। पप�-प�ण्यात्म, दुजी7नु-सज्जनु, अपनु-परंया, आ_ध�-तें�<नु, बरंसतें, सद¹-गेरंम� सब आकाशं का� भै�तेंरं हa। या� सब हतें� हुए भै� आकाशं का का� छू बनु नुह� सकातें� औरं का� छू विबगेड़ नुह� सकातें�, का� छू बढ़ें नुह� सकातें� औरं का� छू घट नुह� सकातें�। विकातेंनु� भै� आ_ध� चुल�, विकातेंनु� भै� बरिरंशं ह, विकातेंनु� भै� झगेड़� हM, आकाशं का का� छू विबगेड़तें नुह�।

तें�लस�दस जी� ठो�का काह ह�4लिचद�नन्द द�हैः तः�म्हैः�र।

निवगतः निवके�र के"ई जी�न� अलिर्धके�र।।जी�स� द�ह दृष्ठिष्ट स� द�ख जीया� तें आकाशं तें�म्हरं त्यागे नुह� कारं सकातें, तें�म आकाशं का त्यागे नुह� कारं

सकातें� ऐस� ह� सस्थिच्चदनु�द परंमत्म तें�म्हरं त्यागे नुह� कारं सकातें औरं तें�म परंमत्म का त्यागे नुह� कारं सकातें�।तें�मनु� रूपयाM का स�ग्रह विकाया औरं त्यागे भै� दिदया तेंभै� भै� आकाशं का तें�मनु� स�ग्रह भै� नुह� विकाया। तें�मनु�

काम7काण्ड विकाया, उपसनु का( तेंब भै� आकाशं वा�स� का वा�स।ऐस� ह� वाह क्तिचुदकाशंस्वारूप परंब्रह्म परंमत्म का� रूप म� तें�म वा�स� का� वा�स� ह� ह। उसका नु जीनुनु� स� सरं�

अनुथा7 हa। उसका जीनु क्तिलया तें तें�म्हरं बल ब_का नुह� ह सकातें, काई कारं नुह� सकातें। द�ह का काई रंख नुह� सकातें औरं तें�म्हरं काई नुशं नुह� कारं सकातें। तें�म अपनु� आपका छूड़ नुह� सकातें� औरं द�ह का रंख नुह� सकातें�। घड़� का काई सद रंख नुह� सकातें औरं घड़� म� आया� हुए आकाशं का काई नुशं नुह� कारं सकातें।

द�ह ह� घड़। तें�म ह आकाशंस्वारूप। तें�म ह सगेरं। द�ह ह� उसम� ब�लब�ल। तें�म ह सनु। द�ह ह� आका. वितें। तें�म ह ष्ठिमट्टीE तें द�ह ह� खिखल�नु। तें�म ह धगे औरं द�ह ह� उसम� विपरंया हुआ मश्चिण। इस�क्तिलए गे�तें म� काह ह�4

सं�त्रं� मश्चिणीगणी� इव।भैगेवानु श्री�का. ष्ण काहतें� हa विका मa जीगेतें म� व्यप्तें हूँ_। का� स� ? जी�स� विपरंया� हुए मश्चिणयाM म� धगे व्यप्तें ह� ऐस�।जी�स� श्री�का. ष्ण जीगेतें म� व्यप्तें ह� ऐस� ह� तें�म भै� जीगेतें म� व्यप्तें ह। श्री�का. ष्ण का( आका. वितें द�खगे� तें वाह

जीगेतें म� व्यप्तें नुह� दिदख�गे�। श्री�का. ष्ण वाह अपनु� मयाविवाक्तिशंष्ट आका. वितें का 'मa' नुह� मनुतें�। श्री�का. ष्ण उनुका� वास्तेंविवाका 'मa' का 'मa' जीनुतें� हa। हम लगे नुह� जीनुतें� इसक्तिलए धख� म� रंह जीतें� हa।

श्री�का. ष्ण का जी वास्तेंविवाका तेंत्त्वा ह� वाह� नुल� का� का(ड़� का भै� वास्तेंविवाका तेंत्त्वा ह�, ल�विकानु वाह अभैगे नुह� जीनुतें ह�। इसक्तिलए दु4ख भैगे रंह ह�। उसका उस� नुल� म� अच्छा लगे रंह ह�। द्वारिरंका नुगेरं� ड&ब रंह� था� तें श्री�का. ष्ण नु� ह_सतें�-ह_सतें� उस� ड&ब जीनु� दिदया। दिदल म� काई गेम नुह�। वा� जीनुतें� हa विका अपनु� क्तिचुदकाशंस्वारूप म� तें काई घट नुह� ह�। हजीरं घड़� <& ट जीया�, आकाशं का काई घट पड़ ? लख घड़� बनु जीए_, आकाशं का काई लभै हुआ ? नुह�।

सब आका. वितेंया_ हमरं� मया ह�। जी दिदख� वाह सब मया ह�। चुह� विकास� का भै� द�ह ह, वाह मया ह�। द्धिजीसम� मया दिदखतें� ह� वाह क्तिचुदकाशं परंमत्म।

मया भै� परंमत्म का छूड़कारं नुह� रंह सकातें�। जी�स� घड़ आकाशं का छूड़कारं नुह� रंह सकातें, ऐस� ह� दिदखनु� वाल� शंरं�रं भै� स&क्ष्मवितेंस&क्ष्म क्तिचुदकाशं का छूड़कारं नुह� रंह सकातें�।

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आदरंप&वा7का स�नुतें�-स�नुतें� ब्रह्मज्ञानु अगेरं समझ म� आ जीया� तें हजीरंM हजीरंM लखM जीन्मM का( मजीदूरं� बचु जीतें� ह�। अन्याथा तें अपनु�-अपनु� मनु का( काल्पनु का� अनु�सरं आदम� प्राप्तिप्तें कारंतें ह� औरं धख� म� पड़तें ह�। मनु का( मन्यातेंए_ बदलतें� जीतें� हa। जी�स� मन्यातेंए_ हतें� हa मनु ऐस� घट घड़तें जीतें ह�। क्तिचुदकाशं म� ऐस� ऐस� रूप प्रातें�तें हतें� जीतें� हa। जी�स� बदलM म� हथा�-घड़ आदिद दिदखतें� हa, मरूभै&ष्ठिम म� पनु� दिदखतें ह� ऐस� ह� क्तिचुदकाशं म� अज्ञाविनुयाM नु� जीगेतें का( काल्पनु कारं ल� ह�। जीगेतें वास्तेंवा म� का� छू ह� नुह�। काल्पनु म� जीगेतें ऐस पक्का मनु क्तिलया ह� विका वाह� दिदखतें ह�, ब्रह्म नुह� दिदखतें।

बलका का आकाशं का� बदल म� रंथा दिदखतें ह�। रंथा जीब दिदखतें ह� तेंब बदल नुह� दिदखतें। वास्तेंवा म� बदल दिदखतें ह� तेंभै� रंथा दिदखतें ह�। द्धिजीसका रंथा-ब�द्धिx पक्का( ह गेई ह� उस बलका का रंथा ह� दिदख�गे, बदल नुह� दिदख�गे।

"याह क्या ह� ?""बबजी� ! काटरं� ह�।"काटरं� ह� ल�विकानु पहल� प�तेंल ह� तेंभै� काटरं� दिदखतें� ह�। ऐस� ह� पहल� ब्रह्म ह�, बद म� जीगेतें दिदखतें ह�।

काटरं� ट&ट�गे�, <& ट�गे�, बदल�गे� ल�विकानु प�तेंल वाह� का वाह�। गेहनु ट&ट�गे, <& ट�गे, बदल�गे ल�विकानु सनु वाह� का वाह�। ऐस� ह� जीगेतें औरं शंरं�रं ट&टतें� हa <& टतें� हa, बदलतें� हa ल�विकानु अपनु आप क्तिचुदकाशं वाह� का वाह�। अपनु म&लस्वारूप जीनु तें वाह� का वाह�। अपनु� प्राका. वितें म� उलझ�, मया म� उलझ� तें विकातेंनु� ह� दु4ख भैगे, विकातेंनु� ह� जीन्म ल।

परंमत्म का� तें�K म� ऐस� विवाशं�षोंतें ह� विका जी सत्पK हa, सदचुरं� हतें� हa, स�वा स� अन्तें4कारंण पविवाK कारंतें� हa, गे�रूम�ख हतें� हa ऐस� उत्तम क्तिशंष्या का� क्तिलए ह� याह ज्ञानु अनुमतें रंहतें ह�। अनुष्ठिधकारं� चुह� शंब्द स�नु ल� ल�विकानु उसका� हृदया म� याह ज्ञानु पचुतें नुह�, रंहस्या ख�लतें नुह�। याह ज्ञानु ऋविषोंयाM का� हृदया म� उड़�ल जीतें ह�, सत्पK सधकाM का� हृदया म� उड़�ल जीतें ह�।

उस� क्तिचुदकाशंस्वारूप म� ब्रह्म, विवाष्ण�, मह�शं, लका लकान्तेंरं प�द ह हकारं ल�नु ह जीतें� हa। जी�स� तें�म्हरं� अमदवाद म� काई मकानु, काल-कारंखनु�, <� क्ट्रेEया_, ष्ठिमल� काई लगे हa, विकातेंनु� ह� लगे प�द ह-हकारं चुल� गेया� हMगे� ल�विकानु याह_ का� आकाशं म� का� छू नुह�।

ऐस� ह� याह प&रं भै&तेंकाशं ब्रह्म का( एका छूटE-मटE <� क्ट्रेE ह�। मनु, एका छूट स तेंम्ब& तेंनु हुआ ह�। सका7 सवालM का तेंम्ब& विकातेंनु विवाशंल हतें ह� ! ल�विकानु प.र्थ्यवा� का( विवाशंलतें का� आगे� सका7 स का� तेंम्ब& का क्या विहसब ? ऐस� ह� क्तिचुदकाशं परंब्रह्म परंमत्म का� आगे� भै&तेंकाशं भै� का� छू नुह� ह�।

सका7 स का� तेंम्ब& म� विकातेंनु� सरं� लगे हतें� हa ? विकातेंनु� ह� हथा�, घड़�, सिंसBह, बन्दरं, जीकारं, सका7 स दिदखनु� वाल�, ख�ल द�खनु� वाल� सब तेंम्ब& का� भै�तेंरं आ जीतें� हa। ल�विकानु आकाशं का� आगे� तेंम्ब& क्या ह� ? वि<रं भै� आकाशं म� तेंम्ब& ह�, तेंम्ब& म� आकाशं ह�। तेंम्ब& म� जी लगे ब�ठो� हa उनुका� हृदया म� भै� आकाशं ह�। आकाशं का� बहरं तेंम्ब& नुह� ह�। आकाशं का� बहरं तेंम्ब& म� ब�ठो� हुए लगे भै� नुह� ह�। सब आकाशं रूप हुआ विका नुह� ? सब आकाशं रूप ह�। ऐस� ह� सब परंब्रह्म रूप ह�। परंब्रह्म म� स्थिस्थातें हनु ह�।

परंब्रह्म म� सब स्थिस्थातें तें हa ह�, परंब्रह्म स� बहरं तें हa नुह� ल�विकानु नुह� जीनुतें� हa नु ! द�ह औरं इद्धिन्द्रयाM का� सथा जी�ड़ गेया� हa। इसक्तिलए भैगेवानु म� स्थिस्थावितें हतें� हुए भै� उस स्थिस्थावितें का लभै नुह� हतें। पनु� म� ब�दब�द उठो। ब�दब�द� का( पनु� म� स्थिस्थावितें ह� ह� ल�विकानु ब�दब�द अपनु� का पनु� नुह� जीनुतें, अपनु� का ह� ब�दब�द मनुतें ह�। पनु� तेंरं�गेष्ठियातें हतें ह� तें ब�दब�द खतेंरं� म� आ जीतें ह�। खतेंरं क्याM ह� ? अपनु� का ब�दब�द मनुतें ह�। अपनु� का पनु� जीनु ल� तें उसका( पनु� म� स्थिस्थावितें ह� विका नुह� ? ह�.....।

ऐस� ह� सबका( ब्रह्म म� स्थिस्थावितें ह�। जी�स� ब�दब�द पनु� म� ह� ह�, पनु� रूप ह� ह� ऐस� ह� सब जी�वा ब्रह्म म� हa, ब्रह्म रूप ह�।

के�� भ म> जीला जीला म> के�� भ बा�हैःर भतःर पू�न।फ� ट� के�� भ जीला जीला� संम�न� यहैः अचरजी हैः) ज्ञा�न।।

का�� भै <& ट तें जील जील म� सम गेया। का�� भै <& ट नुह� ह� तेंभै� भै� जील जील ह� म� ह�।

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सरंवारं म� घड़ डल दिदया। घड़ सरंवारं का� जील स� भैरं गेया। घड़� का� बहरं औरं भै�तेंरं पनु� ह� पनु� ह�। घड़� नु� सरंवारं का पनु� औरं घड़� का पनु� अलगे दिदख दिदया। घड़ <& ट तें घड़� म� आया हुआ सरंवारं का पनु� सरंवारं म� ष्ठिमल गेया। घड़ नुह� <& ट ह� तें क्या नुह� ष्ठिमल ह� ? अभै� भै� ष्ठिमल हुआ ह�। ऐस� ह� द�हभैवारूप� घड़ आत्मज्ञानुरूप� ड�ड� स� <& ट तें जी�वा ब्रह्म का( एकातें ह गेई।

ऐस� ह� द�ह विगेरंनु� का� बद ज्ञानु� ब्रह्म म� ष्ठिमल�गे ऐस� बतें नुह� ह�। मरंनु� का� बद ज्ञानु� ब्रह्म म� ल�नु ह जीएगे...... तें अभै� काह_ ह� ? अभै� भै� उस� म� हa। जी�स� आकाशं म� तें�म ह औरं तें�म म� आकाशं ह� ऐस� ह� ब्रह्म म� ह� हa मगेरं जीनुतें� नुह�। अपनु� का द�ह मनु ब�ठोतें� हa औरं वा� काहतें� हa म�झ� प�स चुविहए, म�झ� लड़का चुविहए, म�झ� याह चुविहए, म�झ� वाह चुविहए।

पहल� अपनु� का तें जीनु ल भै�या ! वि<रं सरं� रूपया� तें�रं� ह� हa औरं कारंड़M-कारंड़M ब�ट� तें�रं� ह� हa।र्धन निकेसंलिलाए च�हैःतः� तः� आपू म�ला�म�ला हैः)।

लिसंक्के� संभ जिजीसंसं� बान� व" तः� महैः� ट�केश�ला हैः)।।च�हैः न केर लिचन्तः� न केर लिचन्तः� भ बाड़ी दुष्ट हैः)।हैः) श्री�ष्ठ सं� भ श्री�ष्ठ मगर च�हैः केरके� भ्राष्ट हैः)।।

चु�तेंन्यास्वारूप परंमत्म स� चुह का <� रंनु हुआ। उस <� रंनु� का मनु भै� काहतें� हa मया भै� काहतें� हa, जी�वा भै� काहतें� हa।

<� रंनु वाह� ह�। द�ह म� जी�नु� का( इच्छा का( तें जी�वा नुम पड़ गेया। स�काल्प-विवाकाल्प विकाया तें मनु नुम पड़ गेया। नु हनु� म� हनु� का( भैवानु का( तें मया नुम पड़ गेया।

'मया बड़� बलनुनु ह�......।'मया काह_ स� बल लया� ?सगेरं म� बड़� तेंरं�गे उठोकारं भैगे रंह� ह�। बड़�-बड़� नु�काओं का डलयामनु कारं रंह� ह�। उस तेंरं�गे म� बल

काह_ स� आया ? विबनु पनु� का� उसम� बल ह सकातें ह� क्या ? ऐस� ह� मया दिदख रंह� ह� बड़� ल�विकानु ब्रह्म का� विबनु उसका( तेंकातें क्या ह� ?

ब�लब�ल� का( तेंरं�गे बड़� दिदखतें� ह� ल�विकानु ब�लब�ल अगेरं अपनु� का पनु� समझ� तें तेंरं�गे उसका क्या कारं सकातें� ह� ?

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

असंम पू�ण्य के, प्रा�न्तिप्तःएका जी�वान्म�O महत्म का स्वाप्न आया। स्वाप्न म� सब तें�था7 ष्ठिमलकारं चुचु7 कारं रंह� था� विका का�� भै का� म�ल� म�

विकासका अष्ठिधका स� अष्ठिधका प�ण्या ष्ठिमल हगे। प्रायागेरंजी नु� काह विका4 "अष्ठिधका स� अष्ठिधका प�ण्या तें उस रंम& मचु� का ष्ठिमल ह�।"

गे�गेजी� नु� काह4 "रंम& मचु� तें म�झम� स्नुनु कारंनु� नुह� आया था।"द�वा प्रायागे नु� काह4 "म�झम� भै� नुह� आया था।"रूद्र प्रायागे नु� काह4 "म�झम� भै� नुह�।"प्रायागेरंजी नु� वि<रं काह4 "का�� भै का� म�ल� म� का�� भै स्नुनु का अष्ठिधका स� अष्ठिधका प�ण्या यादिद विकास� का ष्ठिमल ह� तें

रंम मचु� का ष्ठिमल ह�।सब तें�थाk नु� एका स्वारं स� प&छू4"याह रंम& मचु� काह_ रंहतें ह� औरं क्या कारंतें ह� ?"प्रायागेरंजी नु� काह4 "रंम& मचु� जी&तें स�तें ह� औरं का� रंल प्राद�शं म� दEवा गे_वा म� रंहतें ह�।"महत्म नु�द स� जीगे उठो� । सचुनु� लगे� विका याह भ्र�वितें ह� या सत्या ह� ! प्राभैतेंकाल�नु स्वाप्न प्राया4 सच्च� पड़तें� हa।

इसका( खजीब�नु कारंनु� चुविहए।

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स�तें प�रूषों विनु"या का� पक्का� हतें� हa। चुल पड़� का� रंल प्राद�शं का( ओरं। घ&मतें�-घमतें� प&छूतें�-प&छूतें� स्वाप्न म� विनुर्दिदBष्ट दEवा गे_वा म� पहु_चु गेया�। तेंलशं का( तें सचुम�चु रंम& मचु� ष्ठिमल गेया। स्वाप्न का( बतें सचु विनुकाल�।

जी�वान्म�O महप�रूषों रंम& मचु� स� ष्ठिमल�। रंम& मचु� भैवाविवाभैरं ह गेया4"महरंजी ! आप म�रं� द्वारं परं ? मa तें जीवितें स� चुमरं हूँ_। चुमड़� का धन्ध कारंतें हूँ_। वाण7 स� शं&द्र हूँ_। उम्रा म�

लचुरं हूँ_। विवाद्या स� अनुपढ़ें हूँ_ औरं आप म�रं� याह_ ?""ह_....." महत्म बल�। "मa तें�मस� याह प&छूनु� आया हूँ_ विका तें�म का�� भै म� गे�गे स्नुनु कारंनु� गेया� था� ? इतेंनु सरं

प�ण्या तें�मनु� कामया ह� ?"रंम& बलतें ह�4 "नुह� बब जी� ! का�� भै का� म�ल� म� जीनु� का( बहुतें इच्छा था� इसक्तिलए हरंरंजी टका-टका कारंका�

बचुतें कारंतें था। (एका टका मनु� आजी का� तें�नु प�स�।) इस प्राकारं मह�नु� म� कारं�ब एका रूपया इकाट्ठा हतें था। बरंह मह�नु� का� बरंह रूपया� ह गेया�। म�झ� का�� भै का� म�ल� म� गे�गे स्नुनु कारंनु� अवाश्या जीनु ह� था, ल�विकानु हुआ ऐस विका म�रं� पत्नु� म_ बनुनु� वाल� था�। का� छू समया पहल� का( बतें ह�। एका दिदनु उस� पड़स� का� घरं स� म�था� का( सब्जी� का( स�गेन्ध आया�। उस� वाह सब्जी� खनु� का( इच्छा हुई। शंस्KM म� स�नु था विका गेभै7वातें� स्K� का( इच्छा प&रं� कारंनु� चुविहए। अपनु� घरं म� वाह गे��जीइशं नुह� था� तें मa पड़स� का� घरं सब्जी� ल�नु� गेया। उनुस� काह4

"बहनु जी� ! थाड़�-स� सब्जी� द�नु� का( का. प कारं�। म�रं� पत्नु� का दिदनु रंह� हa। उस� सब्जी� खनु� का( इच्छा ह आई ह� तें आप.....।"

"ह_ भै�या ! हमनु� सब्जी� तें बनुई ह�...." वाह मई विहचुविकाचुनु� लगे�। आखिखरं काह ह� दिदया4 ".....याह सब्जी� आपका द�नु� जी�स� नुह� ह�।"

"क्याM मतें जी� ?""हम लगेM नु� तें�नु दिदनु स� का� छू खया नुह� था। भैजीनु का( व्यवास्था नुह� ह पई। आपका� भै�या का<(

परं�शंनु था�। काई उपया नुह� था। घ&मतें�-घमतें� स्मशंनु का( ओरं वा� गेया� था�। वाह_ विकास� नु� अपनु� विपतेंरंM का� विनुष्ठिमत्त या� पदथा7 रंख दिदया� था�। आपका� भैई वाह क्तिछूप-क्तिछूपकारं याह_ लया�। आपका ऐस अशं�x भैजीनु का� स� द� ?"

याह स�नुकारं म�झ� बहुतें दु4ख हुआ विका अरं� ! मa ह� गेरं�ब नुह� हूँ_। अच्छा� कापड़M म� दिदखनु� वाल� लगे अपनु� म�स�बतें काह भै� नुह� सकातें�, विकास� स� म_गे भै� नुह� सकातें� औरं तें�नु-तें�नु दिदनु तेंका भै&ख� रंह ल�तें� हa ! म�रं� पड़स म� ऐस� लगे हa औरं मa टका-टका बचुकारं गे�गे स्नुनु कारंनु� जीतें हूँ_ ? म�रं गे�गे-स्नु तें याह� ह�। मaनु� जी बरंह रूपया� इकाट्ठा� विकाया� था� वा� विनुकाल लया। स�ध समनु ल�कारं उनुका� घरं छूड़ आया। म�रं हृदया बड़ सन्तें�ष्ट हुआ। रंविK का म�झ� स्वाप्न आया औरं सब तें�था7 म�झस� काहनु� लगे�4 "ब�ट ! तें&नु� सब तें�थाk म� स्नुनु कारं क्तिलया। तें�रं प�ण्या अस�म ह�।"

बबजी� ! तेंबस� म�रं� हृदया म� शंप्तिन्तें औरं आनुन्द विहलरं� ल� रंह� हa।"बबजी� बल�4 "मaनु� भै� स्वाप्न द�ख था औरं उसम� सब तें�था7 ष्ठिमलकारं तें�म्हरं� प्राशं�स कारं रंह� था�।"

व)ष्णीव जीन तः" तः�न� र� केहैःए जी� पूड़ी पूर�ई जी�णी� र�।पूर दु�ख� उपूके�र केर� तः"य� मन अश्चिभम�न न आणी� र�।।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

संत्सं�ग लाहैःरिरय�9जी लगे भै�ष्ण स�ग्रम कारंका� , क्र& रं नुरंस�हरं कारंका� , बड़�-बड़� या�x ख�लकारं सत्त का( गेद्दीE परं पहु_चु जीतें� हa

उनुका नुम स�नुकारं उनुका याद कारंका� लगे आदरं स� नुतेंमस्तेंका नुह� हतें� ल�विकानु विवाश्व म� का� छू ऐस� आत्म-विवाजी�तें लगे ह जीतें� हa, नुतेंमस्तेंका ह जीतें� हa। भै�ष्म, हरिरं"न्द्र, भैरंतें, शं�कारंचुया7, महवा�रं, वाल्लभैचुया7, रंमनु�जीचुया7, म�रंबई, एकानुथाजी�, क्तिशंवाजी� महरंजी, तेंतेंप�रं�, रंमका. ष्ण आदिद ऐस� विवाभै&वितेंया_ हa। द्धिजीन्हMनु� अपनु� मनु का, अपनु� इद्धिन्द्रयाM का स�यातें विकाया ह�, द्धिजीन्हMनु� अपनु� का विवाकारं� स�खM स� बचुकारं विनुर्तिवाBकारं� नुरंयाण स�ख का प्रासद पया ह� ऐस� लगे चुह� इस द�शं का� हM चुह� परंद�शं का� हM, उनुका समजी नु� ख&ब आदरं-मनु स� याद रंख ह�। लगेM नु�

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स�कारंतें का याद रंख ह�, महत्म थारं का लगे याद कारंतें� हa द्धिजीसस का लगे याद कारंतें� हa, धन्न जीट का लगे याद कारंतें� हa, वाल्लभैचुया7, रंमनु�जीचुया7 एवा� अन्या काई महप�रूषोंM का, आत्म-परंमत्म म� विवाश्रीप्तिन्तें पया� हुए स�तेंM का हम बड़� आदरं स� याद कारंतें� हa। शंबरं� श्चिभैलनु� ह चुह� रंविहदस चुमरं ह, गेगे� ह चुह� रंजी जीनुका हM, एकानुथाजी� हM या एकालव्य ह, द्धिजीन्हMनु� अपनु� इद्धिन्द्रयाM का वाशं कारंका� मनु का परंमत्म म� लगेया ह� या लगेनु� का दृढ़ें प्रायात्नु विकाया ह� ऐस� लगे जीन्म ल�कारं मरं नुह� जीतें� ल�विकानु जीन्म ल�कारं अमरं आत्म का( ओरं चुल द�तें� हa, स�सरं म� अपनु� मध�रंतें, अपनु� शं�भै का(र्तितेंB छूड़ जीतें� हa।

भैगेवानु श्री�का. ष्ण भैगेवादh गे�तें म� अजी�7नु स� काहतें� हa-सं�निनयम्य�जिन्द्रयग्रे�म� संव6त्रं संमबा�द्धोय�।तः� प्रा�प्नु�वन्तिन्तः म�म�व संव6भ�तःनिहैःतः� रतः��।।

'इद्धिन्द्रया सम�दया का सम्याका प्राकारं स� विनुयाष्ठिमतें कारंका� सवा7K समभैवावाल�, भै&तें मK का� विहतें म� रंतें वा� भैO म�झ ह� का प्राप्तें हतें� हa।'

(भैगेवादh गे�तें4 12.4)मनु�ष्या का विवाकारं� आकाषों7ण नु� तें�च्छा बनु दिदया ह�। द्धिजीनुका� जी�वानु म� स�याम ह�, विनुयाम ह� ऐस� इद्धिन्द्रयाM का

स�यातें कारंनु� वाल� लगे, सब भै&तेंM का� विहतें म� रंमनु� वाल� लगे, समभैवा स� मवितें का सम रंखनु� वाल� वा� लगे मवितेंदतें का� उच्च अनु�भैवा म� स्थिस्थावितें प ल�तें� हa। ऐस� लगे भैगेवानु का प्राप्तें कारं ल� इसम� का� छू आ"या7 नुह� ह�। याह काई जीरूरं� नुह� ह� विका वाह आदम� अच्छा पढ़ें-क्तिलख हनु चुविहए या अनुपढ़ें हनु चुविहए, बहुतें धनुवानु हनु चुविहए या विनुध7नु हनु चुविहए, बच्च हनु चुविहए या जीवानु हनु चुविहए या ब&ढ़ें हनु चुविहए ऐस काई विनुयाम नुह� ह�।

विकास� आदम� का परंद�शं जीनु ह तें उसका याह_ का� छू एकाउन्ट हनु चुविहए, दिटकाट का� प�स� हनु चुविहए, याह हनु चुविहए, वाह हनु चुविहए, वि<रं आदम� परंद�शं जी सकातें ह�। छू4 बरंह मह�नु� म� उस� वाह_ स� विनुकाल दिदया जीतें ह� अथावा क्तिस<रिरंशं लगेकारं वाह_ का नुगेरिरंका बनुतें ह�। ल�विकानु द्धिजीसनु� अपनु� इद्धिन्द्रयाग्रम का जी�तें ह� उसका नु काई द�शं छूड़नु ह� नु विकास� का( गे�लम� कारंनु� ह�। वाह तें संव6त्रं संमबा�द्धोय� ह जीतें ह�। उसका( सवा7K सद समब�द्धिx ह जीतें� ह�। उसका� क्तिलए अपनु� औरं परंया� का भै�द क्ष�ण हनु� लगेतें ह�। उसका� क्तिलए इहलका औरं परंलका का( सत्यातें ष्ठिमटनु� लगेतें� ह�। उसका� क्तिलए रंगे औरं द्वा�षों मनु का( काल्पनु एवा� विवाकारंM का आवा�शं मK लगेतें ह�। वाह भै&तेंमK का� विहतें म� लगे हुआ प�रूषों परंमत्म का प्राप्तें कारं ल�तें ह�।

भैगेवादh स�ख म� अगेरं बड़� म� बड़� रूकावाट ह तें वाह इद्धिन्द्रयाM का� स�ख का आकाषों7ण। जी स�याम� प�रूषों ह� वाह इद्धिन्द्रयाM का� स�ख का� आकाषों7ण स� अपनु� का स�यातें कारंतें ह�। जी�वानु म� अगेरं स�याम नुह� हगे तें जी�वानु नु जीनु� का�नु स� गेतें7 म� जी विगेरं�गे। वा.क्ष अगेरं काह� विका म�झ� स�याम का( क्या जीरूरंतें ह� ? मa धरंतें� स� क्याM ब_ध रंहूँ_ ? वाह स्वातेंन्K हकारं इधरं-उधरं का& दतें वि<रं� तें उसका� <& ल औरं <ल नुष्ट ह जीए_गे�, पत्त� स&खकारं विगेरं जीए_गे�। वाह स्वाया� खत्म ह जीएगे। वि<रं वा.क्ष का( काई का(मतें नुह� रंह�गे�। वा.क्ष अगेरं धरंतें� का� सथा जी�ड़ हुआ नुह� ह�, स�याम नुह� ह�, उसका� म&ल विहलतें�-ड�लतें� हa तें उस वा.क्ष का( काई का(मतें नुह� ह�।

ऐस� ह� परंब्रह्म परंमत्म हमरं� धरंतें� ह�, मनुरूप� म&ल ह�, इद्धिन्द्रया_रूप� टहविनुया_ हa। इद्धिन्द्रया_रूप� टहविनुया_ शंयाद थाड़�-बहुतें विहलतें�-ड�लतें� रंह� ल�विकानु मनुरूप� म&ल अगेरं अपनु� म&ल कारंण स� जी�ड़ रंह� तें मनु का� प्राभैवा स� हमरं� जी�वानुरूप� वा.क्ष म� भैक्तिOरूप� स�रंश्चिभै आया�गे�, आत्मनु�दरूप� <& ल खिखल�गे�, आत्मशं�वितें एवा� म�क्तिOरूप� <ल लगे�गे�।

मनुरूप� म&ल परंब्रह्म परंमत्मरूप� धरंतें� स� हटकारं उछूल-का& द कारं� तें जी�वानु विवाषोंद स� स&ख रंह�गे। वि<रं मनु स�सरं� विवाकारं� स�खM म� भैटका-भैटकाकारं नुष्ट कारंतें जीएगे।

द्धिजीसनु� इद्धिन्द्रयारूप� ग्रम का जी�तें ह�, थाड़ स�याम विकाया ह� वाह भैगेवानु का प्राप्तें कारंतें ह�। वाह सवा7 भै&तेंM का� विहतें म� रंतें रंहतें ह�। उसका( ब�द्धिx समत्वा यागे म� प्रावितेंष्ठिJतें ह जीतें� ह�।

वा�ण का( तेंरं काह� विका हम वा�ण स� क्याM ब_ध� रंह�, हम� स�याम का( क्या जीरूरंतें ह� ? तें वा� तेंरं धरंतें� परं पड़� रंह�गे�। उनुस� काई मध�रं स्वारं नुह� विनुकाल�गे�, परंमत्म का( मध�रं प्राथा7नु नुह� पनुप�गे�।

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अगेरं नुदE काह� विका मa द विकानुरंM का� ब�चु ह� क्याM चुल&_, बन्धनु म� क्याM रंहूँ_ ? तें नुदE स्वातें�K हकारं सगेरं तेंका नुह� भै� पहु_चु सका� । वाह रंस्तें� म� ह� विबखरं जीएगे�। द विकानुरंM का� ब�चु स�याष्ठिमतें हकारं नुदE बहतें� ह� तें वाह गे_वाM का हरिरंयाल� स� लहलहतें� हुई आखिखरं म� सगेरं तेंका पहु_चु जीतें� ह�।

ऐस� ह� मनु�ष्या जी�वानु म� स�याम का� विकानुरं� हM तें जी�वानु-सरिरंतें का( याK सगेरंरूप� परंमत्म म� परिरंसमप्तें ह सकातें� ह�। वाष्प अगेरं स�याष्ठिमतें नुह� ह� तें वाह आकाशं म� विबखरं जीतें� ह�, उसका( काई का(मतें नुह� रंहतें�। वाह अगेरं रं�लगेड़� का� बयालरं म� स�यातें हतें� ह� तें वाह हजीरंM टनु मल-समनु ल�कारं भैगे सकातें� ह�।

ऐस� ह� अपनु� वा.श्चित्त अगेरं स�यातें हगे� तें हजीरंM विवाघ्नु-बधओं का� ब�चु भै� हम अपनु� म�द्धिजील तेंया कारं सकातें� हa औरं दूसरंM का भै� तेंया कारंनु� म� सहभैगे� ह सकातें� हa।

अपनु� इद्धिन्द्रयाग्रम का स�यातें कारंनु� का� द चुरं प्रायागे जीनु ल औरं हरंरंजी थाड़-थाड़ अभ्यास कारं।आदम� विकातेंनु भै� छूट ह, विकातेंनु भै� गेरं�ब ह, विकातेंनु भै� असहया ह, अगेरं उस� सत्स�गे ष्ठिमल जीया तें

वाह महनुh बनु जीएगे। द�वार्तिषोंB नुरंद प&वा7 जी�वानु म� विकातेंनु� छूट� था� ! का� वाल दस�प�K..... ! जीवितें छूटE, छूपड़ छूट, म_ ऐस� सधरंण दस� विका चुह� काह� उसका काम म� लगे ल�। ऐस� दस�प�K महनुh द�वार्तिषोंB नुरंद ह गेया�। उनुका� जी�वानु का� तें�नु तेंरं था�4 श्रीx, सत्स�गे औरं तेंत्परंतें।

सत्स�गे स� वाह चु�जी ष्ठिमलतें� ह� जी धनु स�, सत्त स� या स्वागे7 स� भै� नुह� ष्ठिमलतें� ह�।एके घड़ी आर्ध घड़ी आर्ध म> पू�निन आर्ध।तः�लासं सं�गतः सं�र्ध के, हैःर� के"दिट अपूर�र्ध।।

कारंड़M अपरंध सत्स�गे स� नुष्ट ह जीतें� हa।सत्स�गे हम� तें�नु बतें� क्तिसखतें ह�4 विनुरं�क्षण, क्तिशंक्षण औरं विनुया_Kण।निनरक्षीणी�सत्स�गे हम� याह क्तिसखतें ह� विका हम� आत्म विनुरं�क्षण कारंनु चुविहए। हमनु� क्या-क्या गेलवितेंया_ हa, विकास कारंण

स� गेलतें� हतें� ह� याह जी_चु। नु द�खनु� जी�स� जीगेह परं हम बरं-बरं द�खतें� तें नुह� हa ? काम विवाकारं स� हमरं� शंक्तिO नुष्ट तें नुह� हतें� ह� ? ब�ड़� स�, शंरंब स�, काबब स� या विकास� का( हल्का( स�गेतें स� हमरं� स�स्कारं हल्का� तें नुह� ह रंह� हa ? हल्का� विवाचुरंM स� हमरं पतेंनु तें नुह� ह रंह ह� ? आत्म विनुरं�क्षण कारं।

शंK� का� छू विनुन्द कारंतें ह� तें का� स� ध्यानु स� लगे स�नुतें� हa ? लभै� धनु का का� स विनुरं�क्षण कारंतें ह� ? ड्राइवारं रंस्तें� का का� स विनुरं�क्षण कारंतें ह� ? चुह� स्का& टरं ड्राइवारं ह चुह� कारं ड्राइवारं ह, वाह सवाधनु� स� सड़का का द�खतें रंहतें ह�। काह� खड़ हतें ह� तें स्टEयारिंरंBगे घ&म जीतें� ह�, काह� बम्प हतें ह� तें ब्र�का लगे जीतें� ह�, काह� चुढ़ेंई हतें� ह� तें रं�स बढ़ें जीतें� ह�, ढुलनु हतें� ह� तें रं�स काम ह जीतें� ह�। हरं स�का� ड ड्राइवारं विनुण7या ल�तें रंहतें ह� औरं गेन्तेंव्य स्थानु परं गेड़� स�रंश्चिक्षतें पहु_चु द�तें ह�। अगेरं वाह सवाधनु नु रंह� तें काह� टकारं जीयागे, खड्डे� म� विगेरं जीएगे, जीनु खतेंरं� म� पड़ जीएगे�।

ऐस� ह� अपनु� हृदया का( वा.श्चित्तयाM का विनुरं�क्षण कारं। खजी विका विकानु कारंणM स� हमरं पतेंनु हतें ह� ? दिदनुभैरं का� विक्रया कालपM का विनुरं�क्षण कारं, कारंण खजी ल औरं स�बह म� प_चु-दस प्राणयाण कारंका� ॐ का( गेद मरंकारं उनु हल्का� पतेंनु का� कारंणM का भैगे द।

झ&ठो बलनु� स� हृदया कामजीरं हतें ह�।जी�वानु म� उत्सह हनु चुविहए। उत्सह का� सथा सदचुरं हनु चुविहए। उत्सह का� सथा पविवाK विवाचुरं हनु�

चुविहए। उत्सह का� सथा ऊ_ चु लक्ष्या हनु चुविहए। दु4शंसनु, दुया?धनु औरं रंवाण म� उत्सह तें था ल�विकानु उनुका उत्सह शं�x रंस्तें� परं नुह� था। उनुम� दुवा7सनुए_ भैरं� पड़� था�। दुया?धनु नु� दुष्टतें कारंका� का� ल का नुशं कारंवाया। रंवाण म� स�तेंजी� का� प्रावितें दुवा7सनु था�। रंजीपट सविहतें अपनु औरं रंक्षस का� ल का सत्यानुशं विकाया। दु4शंसनु नु� भै� अपनु सत्यानुशं विकाया।

उत्सह तें उनु लगेM म� था, चुपलतें था�, का� शंलतें था�। का� शंलतें हनु अच्छा ह�, जीरूरं� ह�। उत्सह हनु अच्छा ह�, जीरूरं� ह�। चुपलतें तेंत्परंतें हनु अच्छा ह�, जीरूरं� ह� ल�विकानु तेंत्परंतें का�नु-स� काया7 म� हa ? ईश्वरं�या द�वा�

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काया7 म� तेंत्परंतें ह� विका झ&ठो कापट कारंका� ब�गेल� परं ब�गेल बनुकारं विवालस� हनु� म� तेंत्परंतें ह� ? बड़ पद पकारं लगेM का शंषोंण कारंनु� का( तेंत्परंतें ह� विका लगेM का� हृदया म� छू� प� हुए लका� श्वरं का जीगेकारं भैगेवानु का� मगे7 म� सहयारूप हनु� का(, म�O हनु� का( अथावा म�क्तिO का� मगे7 म� जीनु� वालM का( स�वा, सहयागे म� तेंत्परंतें ह� ? याह द�खनु पड़�गे।

अपनु� का बचुनु� म� तेंत्परंतें ह� विका अपनु� का स�धरंनु� म� तेंत्परंतें ह� ? अपनु बचुवा प�शं कारंनु� म� तेंत्परंतें ह� विका दषों खजीनु� म� तेंत्परंतें ह� ? अपनु� का विनुद?षों सविबतें कारंनु� म� तेंत्परंतें ह� विका वास्तेंवा म� विनुद?षों हनु� म� तेंत्परंतें ह� ? अपनु� का आलस�, प्रामदE बनुनु� म� ब�द्धिx लगे रंह� ह� विका अपनु� का उत्सह� औरं सदचुरं� बनुनु� म� लगे रंह� हa ?

अपून� सं�ख आपू हैः) निनजी मन म�9हैः निवच�र।न�र�यणी जी" ख"ट हैः) व�9 के" तः�रन्तः निनके�ला।।

रंजी स�बह ऐस� खट का विनुकालतें� जीओ..... विनुकालतें� जीओ.....। चुन्द दिदनुM म� तें�म्हरं जी�वानु विवालक्षण लक्षणM स� सम्पन्न हगे। तें�मम� द�वा� गे�ण विवाकाक्तिसतें हनु� लगे�गे�।

या�x का� म�दनु म� श्री�का. ष्ण नु� अपनु� प्यारं� अजी�7नु स� काह4 विनुभै7या रंहनु।रंक्षस विनुभै7या रंहतें� हa तें दुरंचुरं कारंतें� हa। सज्जनु विनुभै7या रंहतें� हa तें सदचुरं कारंतें� हa। भैगेवानु नु� का� वाल

विनुभै7या हनु� का नुह� काह। अभय� संत्त्वसं�श�श्चिद्धो�। विनुभै7यातें का� स� ? सस्वित्त्वाका विनुभै7यातें। आत्मज्ञानु म� व्यवास्थिस्थातें ह। अपनु� पस विवाद्या ह� तें विवाद्या का दनु द। धनु ह� तें दूसरंM का� विहतें म� लगेओ। भैगेवानु का पनु� वालM का� क्तिलए, भैक्तिO ज्ञानु का� प्राचुरं-प्रासरं का� क्तिलए खचु?। शंरं�रं स� काभै� व्रतें कारं, काभै� स�वा कारं, काभै� उपवास रंख। स्वाध्याया कारं। आत्मज्ञानु का� शंस्KM का अध्यायानु कारं, विवाचुरं कारं। जी�स� शंरं�रं का रंटE, पनु� औरं स्नुनु का( आवाश्याकातें ह� ऐस� ह� तें�म्हरं� अन्तें4कारंण का सत्स�गे, जीप औरं ध्यानु का( आवाश्याकातें ह�।

स्वाध्याया म� प्रामद नुह� कारंनु चुविहए। हरंरंजी सत्शास्KM का स�वानु अवाश्या कारंनु चुविहए।हरंरंजी विनुरं�क्षण कारं विका हमस� क्या-क्या अच्छा� काम हतें� हa औरं उसम� क्या-क्या काम� ह�। अच्छा विकातेंनु

हुआ याह भै&ल जीओ औरं काम� क्या रंह गेई याह खजी ल। बदिढ़ेंया काया7 हुआ याह ठो�का ह�, इसस� भै� बदिढ़ेंया ह सकातें ह� विका नुह� याह सचु। अपनु� याग्यातें का विवाकाक्तिसतें कारं। तें�मनु� विकातेंनु� जीप विकाया� याह याद कारंका� <& लनु नुह�। इसस� भै� अष्ठिधका जीप कारं सकातें� ह विका नुह� इस परं ध्यानु द।

श्चिशक्षीणी�अपनु� मनु का, अपनु� क्तिचुत्त का क्तिशंक्षण द4 'काल तें&नु� याह गेलतें काम विकाया ह�, नु द�खनु� जी�स द�ख ह�, नु

कारंनु� जी�स विकाया ह�। बल, अब तें�झ� क्या सजी दू_ ?' आदिद आदिद.....। मनु का काभै� प�चुकारं तें काभै� ड_ट। काभै� एका या�क्तिO स� तें काभै� दूसरं� या�क्तिO स� उसका उन्नतें कारं। सत्शास्K औरं सत्प�रूषोंM का स�गे ल�कारं मनु का प्रावितेंदिदनु आत्मज्ञानु का क्तिशंक्षण द, म�क्तिO का� मगे7 का क्तिशंक्षण द।

निनय�त्रंणी�स�याम सदचुरं स� मनु का विनुया�विKतें कारं।इस प्राकारं विनुरं�क्षण, क्तिशंक्षण औरं विनुया�Kण स� अपनु सवा¾गे� विवाकास कारं। विहम्मतें कारं। अवाश्या स<लतें

ष्ठिमलतें� ह�।यागे म� धरंण, ध्यानु, समष्ठिध का अभ्यास आवाश्याका ह� औरं तेंत्त्वाज्ञानु म� श्रीवाण-मनुनु विनुदिदध्यासनु का

अभ्यास आवाश्याका ह�। यागे म� अभ्यास का प्राधन्या ह� औरं तेंत्त्वाज्ञानु म� वा�रंग्या का प्राधन्या ह�। यागे-समर्थ्यया7 प्राप्तें कारंनु� का� क्तिलए, यागे का� द्वारं ईश्वरं का प्राप्तें कारंनु� का� क्तिलए अभ्यास का( आवाश्याकातें ह�। यागे म� वा�रंग्या चुविहए तें सह� ल�विकानु इतेंनु ज्याद नु ह तें भै� काम चुल जीए। यागेभ्यास कारंनु� स� क्तिसद्धिxया_ ष्ठिमलतें� हa, ऐश्वया7 ष्ठिमलतें ह�। क्तिसद्धिxया_ औरं ऐश्वया7 का( इच्छा ह� तेंभै� तें ष्ठिमलतें� हa। द्धिजीसका काई इच्छा नुह� ह� उसका क्तिसद्धिxयाM का� मगे7 परं जीनु� का( आवाश्याकातें नुह� ह�। ऐस सधका तें स�ध तेंत्त्वाज्ञानु का अनु�भैवा कारंका� विनुहल ह जीतें ह�, म�रं विनुजीस्वारूप ह� म�क्तिOस्वारूप ह� याह जीनु ल�तें ह�। द्धिजीसका� जी�वानु म� वा�रंग्या नुह� ह� उसका तेंत्त्वाज्ञानु जील्दE स� नुह� हतें।

हम� अभ्यास का( आवाश्याकातें ह�। पहल� इद्धिन्द्रयाM का स�याम कारंका� वि<रं मनु का वाशं म� कारंनु चुविहए। अभ्यास औरं वा�रंग्या अ�तेंरं�गे सधनु हa औरं इद्धिन्द्रया स�याम याह बविहरं�गे सधनु ह�। बविहरं�गे सधनु स<ल हनु� परं अ�तेंरं�गे सधनु

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म� स<लतें ष्ठिमलतें� ह�। नुह� द�खनु� याग्या व्यथा7 का( बतें� स�नुकारं शंक्तिO का व्यया नुह� कारंनु चुविहए। व्यथा7 प्रालप कारंतें� रंहनु� का( आदतें पड़ गेई ह� तें हरंरंजी द घण्ट� म�नु रंहकारं शंक्तिO का स�चुया कारंनु चुविहए। इस प्राकारं इद्धिन्द्रया स�याम कारंका� मनु का वाशं म� कारंनु� का अभ्यास कारंनु चुविहए।

बहरं का� विवाषोंया-विवाकारं का( आदतें छू& टतें� नुह� ह� तें विकातेंनु भै� सत्स�गे स�नु�, ज्ञानु का( चुचु7 स�नु�, थाड़-बहुतें प�ण्या हगे, हृदया पविवाK हगे, स�नुतें� समया लगे�गे विका ह_, ठो�का ह� ल�विकानु वापस जी�स� था� वा�स� ह� ह जीतें� हa। विवाषोंया विवाकारं का� विवाषों स� बचु नुह� पतें�। क्याMविका अभ्यास नुह� कारंतें�। गे�तें म� भैगेवानु श्री�का. ष्ण काहतें� हa-

अभ्य�संय"गय�क्तृ� न च�तःसं� न�न्यग�मिमन�।पूरम� पू�रूषु� दिदव्यं� य�नितः पू�था�6न�लिचन्तःयन7।।

विवाश्वस द्धिजीसका� बरं� म� का� वाल स�नु ह� उसम� हतें ह� औरं स�वा द्धिजीसका द�ख ह� उसका( हतें� ह�। द्धिजीसका� प्रावितें विवाश्वस हतें ह� उसका( स�वा आसनु� स� हतें� ह�। भैगेवानु का द�ख नुह�, उनुका� वास्तेंविवाका स्वारूप का द�ख नुह� इसक्तिलए उनुम� विवाश्वस कारंनु पड़तें ह�। भैगेवानु का� बह्य स्वारूप का द�ख ह� इसक्तिलए उसका( स�वा हतें� ह�।

विवाश्वस कारंनु� याग्या का� वाल वाह� वास्तें� हतें� ह� द्धिजीसका� बरं� म� का� वाल स�नु ह�।कारंनु� याग्या ह� प्राप्तें परिरंस्थिस्थावितेंयाM का सदुपयागे औरं चुहनु� याग्या का� वाल अपनु� 'मa' ह�।विवाश्वस स�नु� हुए मa कारंनु ह�, उपयागे प्राप्तें वास्तें� का कारंनु ह� औरं जीनुनु अपनु� आपका ह�।अपनु� का जीनुनु ह�। प्राप्तें परिरंस्थिस्थावितेंयाM का सदुपयागे कारंनु ह�। स�नु� हुए म� विवाश्वस कारंनु ह�।सब मनु�ष्या, सब द�शंवास�, सब जीवितेंवादE, सब धम7वादE एका बतें कारं सकातें� हa। वा� द्धिजीस धम7 का, द्धिजीस

भैगेवानु का मनुतें� हa उसम� विवाश्वस कारं� तें उनुका( उन्नवितें हुए विबनु नुह� रंह�गे�। तें�म द्धिजीसका भै� मनुतें� ह, ईश्वरं का, God का गे�रू का, चुह� ठोका� रंजी� का( म&र्तितेंB का मनुतें� ह चुह� प�पल का� प�ड़ का मनुतें� ह चुह� तें�लस� का� प�ध� का मनुतें� ह, धतें� का( म&र्तितेंB का मनुतें� ह चुह� पत्थरं का( म&र्तितेंB का मनुतें� ह, चुह� शंक्तिलग्रम का मनुतें� ह चुह� ष्ठिमट्टीE का� बनु� हुए महद�वा जी� का मनुतें� ह, तें�म अपनु विवाश्वस दृढ़ें कारं। जीड़ चु�तेंनु म� वास्तेंविवाका तेंत्त्वा तें वाह� ह�।

वास्तेंविवाका रूप स� भैगेवानु सवा7K हa, अण�-अण� म� हa। जीह_ तें�म्हरं विवाश्वस हगे वाह_ स� <ल आया�गे। विवाश्वस का� बल स� तें�म्हरं� इद्धिन्द्रया_ औरं मनु स�यातें रंह�गे�। तें�म्हरं आत्मबल विवाकाक्तिसतें हगे। विवाश्वस स� तें�मम� ध�या7 आया�गे। विवाश्वस स� तें�मम� उत्सह हगे। विवाश्वस स� तें�म्हरं अन्तें4कारंण बह्य आकाषों7णM स� थाड़ बचु�गे। प्राप्तें वास्तें�ओं का सदुपयागे हगे।

प्राप्तें वास्तें�ए_ अनु�का हतें� हa। उनुका परिरंणम हतें ह� स�ख या दु4ख। सब अनु�का& ल वास्तें� औरं परिरंस्थिस्थावितेंयाM स� स�ख हतें ह� औरं प्रावितेंका& ल वास्तें� औरं परिरंस्थिस्थावितेंयाM स� दु4ख हतें ह�।

दु4ख नु ह, प्रावितेंका& ल परिरंस्थिस्थावितेंया_ नु आया� याह तें�म्हरं� हथा का( बतें नुह� ह�। अनु�का& ल परिरंस्थिस्थावितेंया_ बनु� रंह� याह तें�म्हरं� हथा का( बतें नुह� ह�। अनु�का& ल परिरंस्थिस्थावितें म� आकार्तिषोंBतें नु हनु, अनु�का& ल परिरंस्थिस्थावितें म� स�ख का भ्रम कारंका� उसका� दलदल म� नु विगेरंनु याह तें�म्हरं� हथा का( बतें ह�। प्रावितेंका& ल परिरंस्थिस्थावितेंयाM स� भैयाभै�तें नु हनु याह तें�म्हरं� हथा का( बतें ह�। अनु�का& ल परिरंस्थिस्थावितेंयाM का� स�ख म� ललस नुह� औरं प्रावितेंका& ल परिरंस्थिस्थावितेंयाM का� दु4ख का भैया नुह� तें क्तिचुत्त सम्या अवास्था म� पहु_चु जीएगे, शं�तें अवास्था म� पहु_चु जीएगे, विनु4स�काल्प अवास्था म� पहु_चु जीएगे। इसस� विनुत्या नु&तेंनु रंस, नुवा�नु ज्ञानु, नुवा�नु प्रा�म, नुवा�नु आनुन्द औरं वास्विस्तेंवाका जी�वानु का प्राकाट्य ह जीएगे।

हम क्या कारंतें� हa ? प्राप्तें वास्तें� औरं परिरंस्थिस्थावितेंयाM का दुरूपयागे कारंतें� हa। स�ख आतें ह� तें इद्धिन्द्रया_ औरं विवाकारंM का� सहरं� स�ख का भैगे कारंका� अपनु� शंक्तिO क्ष�ण कारंतें� हa। दु4ख आतें ह� तें भैयाभै�तें हकारं क्तिचुत्त का डलयामनु कारंतें� हa। दु4ख का� भैया स� भै� हमरं� शंक्तिOया_ क्ष�ण हतें� हa औरं स�ख का� आकाषों7ण स� भै� हमरं� शंक्तिOया_ क्ष�ण हतें� हa।

स�ख म� हम द्धिजीतेंनु� अष्ठिधका आकार्तिषोंBतें हतें� हa उतेंनु� भै�तेंरं स� खखल� जी जीतें� हa।तें�मनु� द�ख हगे विका जी अष्ठिधका धनुढ्य ह�, द्धिजीसका सत्स�गे नुह� ह�, सदगे�रू नुह� ह� वाह आदम� भै�तेंरं स�

कामजीरं हतें ह�। भैगे� आदम�, भैयाभै�तें आदम� भै�तेंरं स� खखल हतें ह�।

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जी महप�रूषों स�ख-दु4ख म� सम रंहतें� हa उनुका( उत्तम सधनु ह जीतें� ह�। याह सधनु स�बह-शंम तें प्राणयाम, ध्यानु आदिद का� सथा तें का( जी सकातें� ह�, इतेंनु ह� नुह� दिदनुभैरं भै� का( जी सकातें� ह�।

स�ख-दु4ख म� सम रंहनु� का अभ्यास तें चुलतें� वि<रंतें� ह सकातें ह�। विवापरं�तें परिरंस्थिस्थावितेंया_ आया� विबनु नुह� रंह�गे�। अनु�का& लतें भै� आया� विबनु नुह� रंह�गे�। तें�म प्राप्तें वास्तें�ओं का सदुपयागे कारंनु� का( काल स�ख ल। म�क्तिO का अनु�भैवा सहजी म� हनु� लगे�गे।

तें�म्हरं� पस विकातेंनु� ह� रूपया� आया� औरं चुल� गेया�। तें�म रूपयाM स� ब_ध� नुह� ह। काई जीन्मM म� विकातेंनु� ह� ब�ट� आया� औरं चुल� गेया�। तें�म ब�टM स� ब_ध� नुह� ह। हम विकास� वास्तें� स�, व्यक्तिO स�, परिरंस्थिस्थावितें स� ब_ध� हa याह मनुनु भ्रम ह�। स�खद परिरंस्थिस्थावितेंयाM म� लट्टू ह जीनु� का( मनु का( आदतें ह�। मनु का� सथा हम जी�ड़ जीतें� हa। मनु म� हतें ह� विका याह ष्ठिमल�.... वाह ष्ठिमल�....। मनु का� इस आकाषों7ण स� हमरं अन्तें4कारंण मक्तिलनु ह जीतें ह�। भैया का( बतें का हम क्तिचुन्तेंनु कारंतें� हa। इसस� हमरं� याग्यातें क्ष�ण ह जीतें� ह�।

रंमका. ष्ण परंमह�स काहतें� था� विका जीब तेंका द्धिजीया� तेंब तेंका सधनु कारंनु� ह�, क्याMविका जीब तेंका द्धिजीया�गे� तेंब तेंका परिरंस्थिस्थावितेंया_ आया�गे�। मरंतें� दम तेंका परिरंस्थिस्थावितेंया_ आतें� हa। जी�वानुभैरं द्धिजीस वितेंजीरं� का स_भैल था उसका( का�� द्धिजीया_ द� जीनु� पड़तें� ह�। विकातेंनु दु4ख हगे ! जी�वानुभैरं जी चु�जी� स_भैल-स_भैलकारं मरं� जी रंह� था� वा� सब का( सब चु�जी� एका दिदनु, एका सथा विकास� का द� जीनु� पड़�गे�। द�नु� का� याग्या काई नुह� ष्ठिमलतें ह� वि<रं भै� झख मरं का� द� जीनु पड़तें ह�। चुह� घरं ह, चुह� मकानु ह, चुह� आश्रीम ह, चुह� धनु ह, चुह� का� छू भै� ह। जी�वानुभैरं द्धिजीस शंरं�रं का खिखलया विपलया, नुहलया, घ�मया, वि<रंया उसका भै� छूड़ जीनु पड़तें ह�।

घटनुए_ तें घटतें� ह� रंह�गे�। तें�म चुह� आत्म-सक्षत्कारं कारं ल, अरं� ब्रह्मजी� का( तेंरंह यागे-समर्थ्यया7 स� स.ष्ठिष्ट का सजी7नु कारंनु� का( ऊ_ चुई तेंका पहु_चु जीओ वि<रं भै� विवापरं�तें परिरंस्थिस्थावितेंया_ तें आया�गे� ह�।

एका बरं ब्रह्मजी� का( भै� भै&ल ह गेई। क्तिशंवाजी� का� विपतें ह गेया� औरं शंप द� दिदया विका तें�म्हरं� प&जी नुह� हगे�। क्तिशंवाजी� नु� ब्रह्म जी� का एका मस्तेंका काट दिदया। ब्रह्म जी� चुहतें� तें वाह मस्तेंका प�नु4 लगे सकातें� था� ल�विकानु वा� सम्यावास्था म� रंह� ऐस 'यागेवाक्तिशंJ' म� आतें ह�। अथा7तेंh परिरंस्थिस्थावितेंया_ चुह� आया�, जीया�, बदल� परं�तें� तें�म्हरं� ज्ञानुकाल इतेंनु� दृढ़ें ह जीए विका क्तिचुत्त समतें का� सम्राज्या परं आस�नु रंह�, तें�म सम्यावास्था म� डट� रंह।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

संच्चा� सं�ख क्य� हैः) ?जी तें�म्हरं� दिदल का चु�तेंनु द�कारं धड़कानु दिदलतें ह�, तें�म्हरं� आ_खM का विनुहरंनु� का( शंक्तिO द�तें ह�, तें�म्हरं�

कानुM का स�नुनु� का( सत्त द�तें ह�, तें�म्हरं� नुक्तिसका का स&_घनु� का( सत्त द�तें ह� औरं मनु का स�काल्प-विवाकाल्प कारंनु� का( स्फु� रंण द�तें ह� उस� भैरंप&रं स्नु�ह कारं। तें�म्हरं� 'मa....मa...' जीह_ स� स्फु� रिरंतें हकारं आ रंह� ह� उस उदगेम स्थानु का नुह� भै� जीनुतें� ह वि<रं भै� उस� धन्यावाद द�तें� हुए स्नु�ह कारं। याह� सच्च स�ख, परंमत्म-स�ख प्राप्तें कारंनु� का( रं�तें ह�।

ऐस कारंनु� स� तें�म्हरं� स�विवातेंh वाह� पहु_चु�गे� जीह_ याविगेयाM का( स�विवातेंh पहु_चुतें� ह�, जीह_ भैOM का( भैवा स�विवातें विवाश्रीप्तिन्तें पतें� ह�, तेंपस्विस्वायाM का तेंप जीह_ <लतें ह�, ध्याविनुयाM का ध्यानु जीह_ स� क्तिसx हतें ह� औरं काम7याविगेयाM का काम7 कारंनु� का( सत्त जीह_ स� ष्ठिमलतें� ह�।

अनु�क्रमॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ