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सम्पूर्ण नवनाग स्तोत्र.docx

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Page 1: सम्पूर्ण नवनाग स्तोत्र.docx

समू्पर्ण� नवनाग स्तोत्रअनन्तं वासुकि�ं शेषं पद्मनाभं च �म्बलंशन्खपालं धू्रतराष्ट्रं च तक्ष�ं �ालिलयं तथाएतानिन नव नामानिन नागानाम च महात्मनंसायम�ाले पठेन्नीत्यं प्रातक्�ाले निवशेषतःतस्य निवषभयं नास्तिस्त सव�त्र निवजयी भवेतइनित श्री नवनागस्त्रोत्रं समू्पर्ण6